Professional Documents
Culture Documents
Mumbai Se Banares by Kahaniya PDF
Mumbai Se Banares by Kahaniya PDF
मुंबई से बनारस
मुंबई से बनारस
भिव िनिध कायालय वाराणसी म कायरत रं जीत का टां सफर जब मुंबई के िलए आ तो उसकी खुशी का पारावार न रहा।
उसने मन ही मन भगवान को ध वाद िदया िक अ ा आ उसका टां सफर चे ई, कोलकाता या िकसी दू सरे शहर म नहीं
आ वना नगरी मुंबई आने की वष की इ ा कुछ सालों के िलए िफर दबी रह जाती।ऑिफस से छु ी लेकर कहीं
जाना तो तीथ करने जैसा ही होता है ,दो चार िदन घूमे िफर लौट आए।घर आकर जब उसने यह सूचना अपनी प ी और
दोनों ब ों को दी तो वे खुशी से चहक उठे ।छोटे ने तुतलाकर कहा- पापा बंबई जाने पर शाह ख और अिमताभ से
िमलवाओगे न..! तो रं जीत को ब े के भोलेपन पर हँ सी आ गई।
अगले िदन वह वाराणसी रे लवे रजवसन क म था। पूछताछ करने पर पता चला िक मुंबई से वाराणसी जाने वाली सभी
गािड़याँ अगले एक महीने तक फुल ह।वेिटं ग िटकट लेकर रजवसन वाले ड े म जा सकते ह,हो सकता है टीसी टे न म
कुछ ले दे कर कोई सीट एलॉट कर दे ... लेिकन ऐसा न होने पर प रवार के साथ उसे पूरे 26 घंटे का सफर नीचे बैठकर
काटना होगा।सोचकर ही ह कां प गई...कैसे हर रोज लाखों लोग रजवसन का पूरा पैसा दे कर भी टे न के ड ों म फश
पर बैठकर 24 से 50 घंटे तक की या ा करते ह।नहीं ...उससे तो ऐसा नहीं होगा... ाहक की तलाश म वहाँ घूम रहे एक
िटकट दलाल ने थित भां प ली और पास आकर पूछा- कहाँ का िटकट चािहए भाई साहब ?
बंबई का...
तो िचंता काहे करते ह ....थोड़ा खरचा पानी क रए...ई तो अपना रोज का काम है ....
िकतना िटकट चािहए ....?
पित प ी और दो ब े ।
चार लोग ह ... तो दो हजार ए ा दे दीिजए बाकी जो िटकट पर िलखा रहे गा सो.....
हर िटकट पर पाँ च सौ...इससे तो अ ा है म त ाल सेवा म दो सौ ए ा दे कर चला जाऊँगा... रं जीत ने अंधेरे म एक तीर
मारा ,हालां िक उसे मालूम था िक त ाल सेवा म भी क म िटकट िमलना मु ल है ।
िकस दु िनया म ह भाई साहब....त ाल सेवा की खड़की खुलती है और पाँ च िमनट म फुल...आप जैसे लोग लाइन म ही
खड़े रह जाते ह,िटकट िमल भी गया तो क म नहीं होता....इस दो हजार म हम अकेले थोड़े ह....तीन िह े लगगे महँ गाई
के इस जमाने म...... ब त ादे नहीं िमलेगा मुझको .......
रं जीत ने अब ादा िजरह करना उिचत नहीं समझा.... पैसे दे ते ही िकसी चम ार की तरह
उसके पास दस िमनट के भीतर िटकट हािजर था।
अपने ऑिफस के चतुवदी जी ने मुंबई के एक मराठी िम से कहकर दस हजार पये म एक महीने के िलए बतौर पेइंग
गे रहने की था करा दी थी।दो कमरों का छोटा सा ैट था।एक िकचन के पमइ ेमाल होता,एक बेड म के
प म।रं जीत प ी और ब ों के साथ िकचन म सोता और वे पित प ी अपने बेड म म। बनारस म इतने खुले ढ़ं ग से
रहने के बाद यहां एक संकुिचत दायरे म रहने म ब त अटपटा लगता लेिकन मुंबई के ैमर और अपने नये आिशयाने के
बारे म सोचकर संतोष होता ...चलो एक महीने िनकल जाएं गे िकसी तरह... मुंबा दे वी ,महाल ी मंिदर,िस िवनायक,हरे
कृ मंिदर,हिगंग गाडन,जु चौपाटी जैसी मश र जगहों पर घूमकर प ी और ब े फूले न समाते थे।उ हाजी अली और
अ ा बीच पर शूिटं ग दे खने का भी मौका िमला...एक ही सीन के कई रीटे क और िफर अगले सीन की तैयारी के िलए
लगनेवाले व से वे थोड़े बोर ज र ए लेिकन िफर उसे इस वसाय का िह ा मानकर भूल गए।
ऑिफस के सहकिमयों से उसने मकान िदलाने की बात की तो वे बोले- यार िकसी इ े ट एजट को पकड़ो,उसे ोकरे ज दो
,मकान िदला दे गा। छोटे शहरों की तरह िबना ोकरे ज और ए ीमट के मकान नहीं िमलते यहाँ ।वह इ े ट एजट के पास
प ँ चा तो पता चला िक बां ा और दादर जैसे इलाके म जहाँ से उसका ऑिफस नजदीक है , ैट का िकराया कम से कम
35-40,000 है ।िजपॉिजट मनी तीन चार लाख जो उसके बजट के बाहर है ।एजट ने समझाया –आप मीरा रोड या भायंदर म
कोिशश क रए,वहाँ 7-8 हजार म ैट िमल जाएगा।जब वह मीरा रोड के एजट के पास प ँ चा तो एजट ने बताया िक
-80,000 िडपॉिजट और 8 हजार भाड़े ैट िमल जाएगा।ए ीमट का दो हजार और दो महीने का भाड़ा सोलह हजार
ोकरे ज अलग से दे ना होगा ।
रं जीत आं सा हो गया ।त ाल लगभग एक लाख की व था कर पाना मु ल था।उसने एजट से पूछा –भाई साब
हमारा बजट इतना नहीं है ।4-5 हजार भाड़े और 35-40हजार िडपािजट वाला कोई कमरा नहीं िदला सकते ...?
इस बजट म तो चाल म ही िमल पाएगा.....
वहां कोई किठनाई ..
किठनाई ायलेट की होती है ...लेिकन आप जैसे और भी लाखों लोग िजनका ैट का बजट नहीं होता,चालों म ही रहते ह।
ये काड लीिजए और फोन कीिजए .....मेरा दो है उस इलाके म ापट का काम दे खता है ।कां िदवली या दहीसर के िकसी
चाल म खोली िदला दे गा....
रं जीत चौंका ...खोली मतलब.....?
एजट हं सा- यहां चाल के कमरे को खोली बोलते ह ।
अ ा यह बात है ...अ ा आ आपने बता िदया...म याद कर लेता ं ।
महीना बीतते बीतते रं जीत को चार हजार भाड़े और चालीस हजार िडपॉिजट पर दहीसर के चाल म एक खोली िमल गई।
उसने चैन की सां स ली।चाल का प रवेश उसके सं ारों से िब ु ल मेल नहीं खाता था।यहां ादे तर लोगों का जीवन
https://hindi.pratilipi.com/read?id=6755373519011297 1/3
10/7/2018 Story in Hindi - Kahaniya | Pratilipi
https://hindi.pratilipi.com/read?id=6755373519011297 2/3
10/7/2018 Story in Hindi - Kahaniya | Pratilipi
िलख नहीं,नलों को ठीक से इ ेमाल कर..वगैरह वगैरह।कभी ऐसा भी आ िक कोई मकान 6-7 महीने म ही खाली करना
मुंबई से बनारस
पड़ जाता ोंिक मकान मािलक की अपनी ज रत होती।िकसी के घर म शादी पड़ गई तो िकसी ने मकान ही बेच
िदया,ऐसे म परे शानी उसे ही उठानी पड़ती।िवरोध इसिलए नहीं िकया जा सकता था िक ए ीमट पेपर म यह शत लगी होती
िक मकान मािलक को ज रत ई तो एक महीने पहले नोिटस दे कर मकान खाली कराया जा सकता है ।
इन सारी सम ाओं से मु होने के िलए उसने बक से लोन कराकर अपना ैट खरीदने का िनणय िकया।उसने िवरार म
आसपास चल रहे कई िब रों के ोजे दे खे।ए रया और ोजे के अनुसार 4 से 6 हजार ायर फुट का भाव चल रहा
था।उसने िहसाब लगाया िक 500 ए रया का ैट बीस लाख म आ जाएगा।िब र ने कहा िक दो लाख टोकन मनी दे
द,बाकी पैसे ोजे पूरा होने तक कुछ लोन ......कुछ कैश दे दगे तो पजेसन िमल जाएगा।
ोजे पूरा होने तक रं जीत िब र को तीन लाख पये कैश दे चुका था,बाकी बक से लोन हो गया था लेिकन अचानक
िब र ने पतरा बदल िलया और कहा िक िफलहाल हम सारे ैट्स 6 हजार के रे ट म बेच रहा है ोंिक नया बजट आने
के बाद रे त,सीमट,ईंट,छड़ सबका दाम बढ़ गया है ,अभी हम उसम दो िल भी लगा रहे ह...चार लाख पये और दे ने
होंगे।अगर वह दस िदनों के भीतर पयों की व था कर सके तो ठीक वना यह ैट िकसी दू सरे को बेच िदया जाएगा।
रं जीत सकते म आ गया... ोंिक िब र ने कोई कानूनी ए ीमट तो िकया नहीं था...पैसे की रसीद ज र थी मगर कानूनी
लड़ाई लड़ने के िलए वह नाकाफी थी।मरता ा न करता,उसने िपछले 10 सालों से चली आ रही एल आइ सी का
ीमै ोर पेमट िलया,ब ों के नाम बचत योजनाओं म डाले ए पैसे िनकाले ,कुछ दो ों र ेदारों से कज िलया... तब
कहीं जाके बाकी के चार लाख और अदा कर पाया।लेिकन सम ा यहीं ख नहीं ई, ैट म आने के बाद िब र ने
पचास हजार का िबल और थमा िदया।पूछने पर बताया गया िक सोसायटी और िबजली कने न के नाम पर हर ैट
ओनर से इतने पैसे िलए जाते ह....उसे काटो तो खून नहीं।पचास हजार और कहाँ से लाए ? जहाँ से िजतना हो सकता
था,पहले ही खँगाल चुका था। दू सरा कोई उपाय न दे खकर िब र के ऑिफस म जाकर वह हाथ जोड़कर िगड़िगड़ाया-
मुझे दो तीन महीने का टाइम दीिजए,इस पैसे पर चाह तो ाज भी जोड़ लीिजए, ैट के कागजात भी अपने पास र खए,म
ये पैसे भी चुका दू ँ गा...लेिकन त ाल मेरे पास फूटी कौड़ी नहीं है ....पुराने पैसे चुकाने म ही ब त सारा कज हो गया है ।
िब र ैट के कागजात जमानत के प म रखने पर चुप हो गया।बोला-ठीक है िजतना ज ी हो सके दे दीिजएगा,वना
ाज के पैसे बढ़ते जाएं गे।
थोड़े समय बाद उसे यह पता चला िक िजस ैट म वह रह रहा है ित महीने उसका तीन हजार पये मटनस भी दे ना है ।
िबजली का िबल बारह तेरह सौ आता ही है । ैट खरीदने के बाद भी चैन नहीं ...तीन ब ों के ू ल, ूसन,िकताब-
कॉपी,डे स से लेकर िकचन और दो िम ,नाते र ेदारी तक..... सब इसी तीस हजार के मािसक वेतन म करना है ।िदन ब
िदन महं गाई बढ़ती जा रही है ।ब ों के हायर एजुकेसन,शादी ाह के िलए भी कुछ बचत करना ज री है । इस मकान म
तो उसकी बाकी उ लोन की िक अदा करने म ही गुजर जाएगी।गां व की िज ेवा रयों से मुँह िब ु ल मोड़ लेना पड़े गा।
सपनों के िजस शहर म आने के िलए वह बेताब था,वहाँ की वहा रक किठनाइयों से जूझते जूझते उसका मन कसैला हो
गया था।अब उसे अपना शहर बनारस बेसा ा याद आने लगा था। ा ही अ ा हो अगर िफर से बनारस टां सफर हो
जाय....न मकान का टसन न टे न की खच खच,साइिकल से पं ह िमनट म द र म हािजर।अगले ही िदन वह अपने एक
िम के साथ एक भावशाली नेता के दरबार म था।उसका िम नेता जी से गुजा रश कर रहा था- सर! इन िदनों आपके
पाट की सरकार है ।आपके एक फोन पर इनका टां सफर हो जाएगा। ीज सर! दे खये गरीब का भला हो जाएगा।
आपकी रे िटं ग
https://hindi.pratilipi.com/read?id=6755373519011297 3/3