Professional Documents
Culture Documents
Park by Manav Kaul
Park by Manav Kaul
( ह द नाटक)
(अंधेरे म उदय क आवाज़ आती है , वह कसी ब चे से बात करता है ... उस ब चे का नाम हुसन
ै है ।(आय-ू १५
वष)... ।)
उदय- सन
ु ... यह बताओ...इसम यहाँ छपे रहने क या ज़ रत है ? आप को अपने पापा से सीधे कहना
चा हए क... म कूल नह ं जा पाया।
हुसन
ै - ना... ना।
हुसन
ै - नह ं दये...। यह ं छुपा था।
उदय- या? पर ा नह ं द ?... चलो म तु हारे पापा से बात करता हूँ।... अरे ! या हुआ...। ..अरे बेटा सन
ु ो...
को... हुसन
ै ... हुसन
ै ?
(हुसन
ै हाथ छुड़ा कर भाग जाता है ... तब तक इ त वहाँ आ जाती है ।)
इ त- रज़ ट है उसका?
उदय- हाँ... पर उसने पर ा ह नह ं द । अपने बाप से डरा बैठा है ... वह आज कूल म रज़ ट लेने आएग।
उदय- मने बोला चलो म तु हारे पापा से बात क गाँ, तो भाग लया।
इ त- य ..? या था उस मू त म...?
इ त- फर...?
उदय- फर या?... तु ह ढूँढ़ा, तो पता लगा तु हारा ांसफर हो गया है । बहुत मिु कल से तु हारा पता मला।
उदय- अरे तम
ु मेर डॉ टर हो!! और मझ
ु े तु हार कं लट सी क ज़ रत है ।
इ त- तम
ु आम आदमी हो, पर तम
ु मेरे सामने आम आदमी होने से डरते हो।
उदय- मतलब?
उदय- ये झठ
ू है .. जो भी म महसस
ू करता हूँ... वह म तु ह सच-सच बता दे ता हूँ।
इ त- म इसी बीमार क बात कर रह हूँ... अगर तमु मझ ु से रोज़ मलते रहोगे तो तु ह कभी दौरे नह ं पड़ेग...
पर य ह मलना बंद कर दे ते हो, दौरे शु हो जाते है ।
इ त- यह क... इसका इलाज़ मेरे पास नह ं है , और ना ह म इसका इलाज अब करना चाहती हूँ... इसी लए
मने तु ह अपने ल नक म भी नह ं बलु ाया... चलो मझ ु े दे र हो रह है .. म जाती हूँ।
ू रा डॉ टर ढूँढ लो।
इ त- कोई फायदा नह ं है ... अगर तु ह बीमार क इतनी चंता है तो दस
इ त- मल लए ना...।
उदय- दे खये जब तक म आपसे बात नह ं कर लँ ग
ू ा म यहाँ से नह ं जाऊगाँ... म आपको आपक कं लटसी के
पैसे दे ता हूँ... तो आपको या एतराज़ है ?
इ त- मझ
ु े नह ं चा हए आपके पैसे... और आप चले जाईयेगा.. म आपसे अब नह ं मलग
ू ीं।
उदय- म नह ं जाऊगाँ।
इ त- िज़ द मत क रये... म नह ं आऊँगी।
(इ त चल जाती है ... उदय गु से म अपना बैग़ पटक दे ता है ... फर उसे धीरे से उठाता है .. सामने क तरफ
तीन पाक बच पड़ी हुई ह... वह उनम से एक पाक बच पर बैठता है पर वहाँ धप ू है तो बैठ नह ं पाता है ... फर
दसू र पाक बच पर बैठ ता है िजसके सफ एक कोने म ह छाया है ..... वह वहाँ बैठता है और एक कताब
नकाल कर पढ़ना शु करता है । तभी वहाँ नवाज़ आता है । वह भागता हुआ अंदर आता है ... और उदय को,
छाया वाल जगह पर बैठा दे खकर दख ु ी हो जाता है ।)
उदय- य ...?
नवाज़- मझ
ु े सोना है ।
नवाज़- अरे अजीब िज़ द आदमी हो.... दे ख मने एकदम गले-गले तक खाना खाया है .... अगर ज द से
सोऊगाँ नह ं तो यह उ ट कर दग
ू ाँ।
उदय- तो कर दो....।
नवाज़- नह ं कर सकता...।
उदय- य ?
उदय- आप मझ
ु े डरा रहे ह?
उदय- तो..?
नवाज़- बस थोड़ी ह दे र म मेरे कान लाल होने लगेग... फर समझ ल िजए क समय हो गया.... और अगर
मने फर भी खद ु को रोकने क को शश क तो मेर आँख से पानी आने लगता है ... और तब मेरे बस म कुछ
नह ं होता... आज का, कल का, परस का सारा खाना बाहर...।
उदय- अ छा आप यहाँ बैठ जाईए... वहाँ छाया आ जाएगी तो म वहाँ चला जाऊँगा...।
उदय- म नह ं मानता...।
नवाज़- दे खए मेरे कान लाल हो रहे है .... अब बस आँख से पानी गरे गा और आप कह ं भी बैठने लायक नह ं
बचेग।
नवाज़- ध यवाद!
(उदय जाकर दस
ू र बच पर बैठ जाता है .... वह एक कताब नकालता है और धप ू बचाने क को शश करता है
जो उसके सर पर ह पड़ रह है । फर वह एक सगरे ट नकालता है , मा चस ढूँढ़ता है ... पर उसे मलती नह ं है ।)
नवाज़- हं !!!
उदय- आपने अपना आधा जीवन सोने म गज़ु ार दया है ....। ज़ र आप सरकार मल
ु ािज़म होग? ठ क पहचाना
ना... िज़ द , खडूस सरकार मल
ु ािज़म?
नवाज़- म सो चक
ु ा हूँ!!
उदय- अगर म अभी जाकर आपक शकायत कर दँ ू तो आपको नौकर से नकाला जा सकता है ?
(उदय चप ु चाप बैठ जाता है .... तभी वहाँ छाया आ जाती है ... और उदय कताब अपने सर से हटा लेता है ...।
और आराम से बैठ जाता है , कताब पढ़ने लगता है । तभी मदन पाक म आता है ।वह उदय को बैठा हुआ दे खता
है , तो थोड़ा नाराज़ सा हो जाता है ... फर थोड़ा इधर-उधर धम ू ने के बाद... उदय के पीछे खड़ा हो जाता है , उदय
उसे नज़रअंदाज़ कर दे ता है ।)
मदन- म साल से इस पाक म आ रहा हूँ.... पहले म रोज़ इसे बस बाहर से दे खते हुए नकल जाता था....सोचो
रा ते म पाक है , पर नह ं आता था। घर जाने क हमेशा ज द लगी रहती थी.. जब से इस पाक म म आने लगा
हूँ यंू सम झए क.... आदत सी लग गई है । अ छा है यह पाक...छोटा सा... य ? .... अरे ठ क ह तो है ? नह ं
तो और पाक कैसे होते ह? जब आप आ ह गए ह पाक म तो खश ु र हये, थोड़ा घम
ू ल िजए। आप यह ं काफ़
समय से, एक ह जगह बैठे ह इ स लए शायद आपक यह पाक अ छा नह ं लग रहा है । थोड़ा टहल ल िजए...
पीछे क तरफ दे खए... हरण, खरगोश... सब ह यहाँ...।
उदय- पता है मझ
ु .े ..।
उदय- हाँ।
उदय- वह तो आपको चह
ू े जैसे लगते होग।
मदन- नह ं... खरगोशो को दे खा जा सकता है ... य क वह तो एकदम खरगोश जैसे लगते ह। मगर कोई
कतनी दे र तक खरगोश को दे ख सकता है । अब खरगोश, बंदर तो होते नह ं है क... उछले कूद आपका
मनोरं जन कर... मेरे हसाब से हर पाक म बंदर का होना ज़ र है ... आप या कहते ह?
उदय- म आपक बात से सहमत हूँ, बंदर का होना भी ज़ र है और उनको पजरे म बंद भी रखना ज़ र है ... यू
खल
ु ा छोड़ दो तो... पाक म शांत बैठे लोग के लए काफ़ परे शानी खड़ी कर सकते ह।
मदन- नह ं।
मदन- आप?
मदन- वह तो अ छा हुआ आप बीच म आ गये वरना.... आप तो जानते ह होग पहले इस पाक म, दोपहर को
जवान लोग का आना मना था... सह था य ?... आपको नह ं लगता।
नवाज़- म सो चक
ु ा हूँ।
मदन- म तो खद
ु यहाँ आता हूँ क दोपहर को थोड़ी दे र इस पीपल के पेड़ क छाया तले बैठूगाँ पर....
उदय- sorry...|
मदन- सन
ु ा आपने...सन
ु ा.... सॉर बोल रहा है .... च लए ठ क है जाने द िजए। वैसे आप जहाँ बैठे ह वह पाक क
सबसे अ छ जगह है ।
उदय- तीन तो बच है इस पाक म वो भी एक साथ यह इसी जगह पर ह.... इसम या ख़ास है ?
उदय- जो यहाँ से मझ
ु े दख रहा है ... वो वहाँ से आपको भी दख रहा है ... और दे खने को है भी या? सामने एक
बि डंग खड़ी है उसे आप view कहते ह।
उदय- मझ
ु े यहाँ से वह सामने वाल बि डंग क कुछ एक बालकनी दख रह है जो आपको नह ं दख रह है ,
इससे फ़क या पड़ता है ?
उदय- मझ
ु े आसमान म कोई दलच पी नह ं है ।
उदय- नह ं है ... पर मझ
ु े इस जगह बैठे रहने म दलच पी है .. अजीब ज़बरद ती है ?
मदन- यह या बात हुई.? जब तम ु कूल म अपनी class म जाते थे... तो या ट चर क कुस पर उसका नाम
लखा होता था? नह ं ना..? पर तम ु जाकर ट चर क कुस पर तो नह ं बैठ जाते थे? बैठते तो तम
ु अपनी ह
जगह पर थे।
मदन- अ छा, अब तम
ु संबध
ं क बात कर रहे हो तो यह बताओ...इस गाँव से तु हारा या संबध
ं है ?
उदय- मतलब?
मदन- या तम
ु इसी गाँव म पैदा हुए हो?
उदय- नह ं।
मदन- तो मेरा यादा हक़ बनता है इस जगह पर... म यह पैदा हुआ हूँ... यह ं पला बढ़ा हूँ।
उदय- अगर यह बात है तो... म इसी दे श म पैदा हुआ हूँ... तो इस हसाब से मेरा भी बराबर का हक़ है ।
मदन- पर तम
ु से पहले म इस द ु नयाँ म आया हूँ। मेरा हक़ यादा है ।
उदय- तो अब या आप मझ
ु े मेरे कम ह द ू होने पर मारे ग।
मदन- यह गाँधी पाक है । और वैसे भी यह तीन बच िज होन इस पाक को दान क थी वो केलकर ह.... पं डत
ह र केलकर।
उदय- तो..?
मदन- या?...
मदन- मेर माँ मराठ नह ं है ... और पताजी, मेरे बचपन म ह चल बसे थे... सो... म मराठ नह ं जानता हूँ...
पर.. म मराठ हूँ, मेरा यादा हक़ है बस।
मदन- या?
मदन- जब तम
ु यहाँ आए होग तो दोन बचे खाल होगी?
उदय- जी हाँ।
मदन- मने human साय लॉजी पढ़ है ... हर आदमी सामा य प रि थती म हमेशा बीच म बैठना चाहता है ...
पर तम
ु कोने म बैठे हो.... इसका मतलब?
मदन- नह ं इसका मतलब तु हारे भीतर कुछ डर है ... डर है पकड़े जाने का... इस लए तम
ु कोने वाल बच पर
बैठे हो...।
उदय- चप
ु र हए...।
मदन- वैसे तो म सांईस का ट चर हूँ पर human साईक को जानना, समझना मेर hobby रह है ... पकड़
लया ना ब च।ू
उदय- ब च?
ू ...
मदन- अ छा यह सनु ो- तम
ु यहाँ पहल बार आए हो।.... तम
ु यहाँ के नह ं हो।... तम
ु बाहर कसी शहर से आए
हो। बताओ यह तीन बात सह ह?
उदय- बक़वास...।
मदन- तम ु एक नहायती िज़ द आदमी हो, िजसने अपनी िज़ द क वजह से अपनी िज़ दगी बरबाद कर
ल ... वह िज़ द है िजसक वजह से तम
ु मेर जगह बैठे रहना चाहते हो। अब बोलो... सह है ?
उदय- बक़वास...।
उदय- या...?
मदन- तम
ु यहाँ suicide करने आए हो...?.... तु ह एक बीमार है िजसका इलाज असंभव है ... तु ह िज़ दा
काकरोच खाना अ छा लगता है ... तम
ु ेम म धोखा खाए एक बेचारे ेमी हो?... बस..बस... बस...।
उदय- एक बात सह है ।
नवाज़- तो कौन सी...? कौन सी बात सह है ... यार बता दो और मझ ु े भी सोने दो.... सच तम
ु लोग क बात के
च कर म म सो नह ं पा रहा हूँ... कौन सी बात सह है ... कौन सी?
उदय- मझ
ु .े . एक बीमार है ।
मदन- पर....!
(कुछ दे र म...)
मदन- ऎसी बीमार , िजसका इलाज असंभव है ..?
मदन- अब आप य उठ गए...?
उदय- मझ
ु े दमाग़ क बीमार है ।
नवाज़- बस... सन
ु लया... अब तम
ु कुछ नह ं पछ
ू ोगे...ठ क है ।
मदन- हाँ...।
उदय- मझ
ु े लगता है क म जी नयस हूँ।
नवाज़- क तम
ु जी नयस हो... ऎसा या काम कया है तम
ु ने क तु ह लगता है क तम
ु जी नयस हो?
उदय- मने कोई काम नह ं कया है .. इस लए मने कहा है क ... यह मेर बीमार है क मझ
ु े लगता है क म
जी नयस हूँ... िजसका इलाज चल रहा है ।
मदन- म पछ
ू ू ं ...? एक सवाल...?(मदन नवाज़ से पछ
ू ता है ..।)
नवाज़- पछ
ू ो...?
उदय- हाँ.. मझ
ु े बख
ु ार आने लगता है ... परू ा शर र ठं ड़ा पड़ जाता है ... जब कभी म वह सब दे खने लगता हूँ जो
असल म वहाँ नह ं है ।
मदन- दग़ म...?
नवाज़- या..?
मदन- Hallucination....|
उदय- हाँ.....यह कहाँ शु हुआ ?.... यह शु हुआ उस रात जब म मेर माँ को अ पताल लेकर जा रहा
था..उनक अचानक त बयत बगड़ गई थी। तभी शहर म दं गे शु हो गए... म उनको लेकर एक छोट सी मोची
क दक ु ान म जाकर छुप गया....। दो दन और दो रात म उनको लेकर वह ं बैठा रहा...। अ पताल मेरे सामने
था पर म रोड ास ह नह ं कर पा रहा था। कहते ह क वह इलाक़ा सबसे यादा दं गा त इलाक़ा था।... मने
एक रात, उस दक ु ान के छे द म से झांककर दे खा क कुछ लोग, कुछ लोग को मार रहे ह, काट रहे ह.. बरु
तरह। तब यह पहल बार हुआ, मझ ु े बख
ु ार सा आने लगा,परू ा शर र ठं ड़ा पड़ गया... और मने दे खा क यह सब
लोग ब चे ह.... छोटे ब चे... जो चोर-पु लस, या ह द ू मसु लमान खेल रहे ह...।. और मझ ु े लगने लगा क,
अभी कह ं से इनके माँ-बाप नकलकर आएग और सबको डॉट लगा दग क- ’चलो बहुत रात हो गई है , अब बंद
करो यह खेल....।’ और सारे ब चे खेलना बंद कर दे ग, वह भी िजसने अभी-अभी बहुत से लोग को काटा था
और वह सारे भी जो मरे कटे पड़े हुए थे.... सभी उठे ग और अपने-अपने घर चले जाएग।
उदय- नह ं ... म तो एक डाँ टर को दखाने गया था बहुत पहले... तो उसने यह श द कहा था क...’तु ह
लगता है क तम ु जी नयस हो?’... तो मझ
ु े लगा क शायद म ऎसा ह सोचता हूँ और यह ह मेर बमार है ...।
तब से मेरा इलाज चल रहा है ...।
उदय- हाँ... हुआ तो... पर अभी एक मं दर पर घटना हुई थी िजससे म थोड़ा डर गया सो....।
नवाज़- यार तम
ु एक बार म अपनी परू बात य नह ं कह दे त.े ..?
उदय- म कह चक
ु ा हूँ। बस मझ
ु े और कुछ नह ं कहना।
नवाज़- हे भगवान! आधे घंटे हो गये और म अभी तक सोया नह ं हूँ, मेरा सोना बहुत ज़ र है । चार बजे से
पहले नह ं उठूगाँ।
मदन- आप अगर इतना परे शान हो रहे ह तो वहाँ पीछे क तरफ य नह ं चले जाते...?
नवाज़- पीछे क तरफ कहाँ...? वह हरण और खरगोश के बीच... या वह ब च के झल ू म दब
ु ककर सोऊं...।
दे खए मझ
ु े सोना है और म यह ं सोऊगाँ...अगर आप लोग को यह बेहूदा बात करनी है तो आप दोन य नह ं
पीछे चले जाते ह। अगर यहाँ बैठना है तो एकदम चप
ु चाप बै ठए... म सो रहा हूँ।
मदन- मझ
ु े बात करने म कोई दलच पी नह ं है , म तो बस अपनी जगह बैठना चाहता हूँ, जहाँ यह जी नयस
महा य चपककर बैठ गये ह।
उदय- अरे वाह! आप लड़कर यह जगह लेना चाहते ह? उ ह फैसला करने दो?
मदन- एक भला आदमी यहाँ सो रहा था आपने उसे भी भगा दया... बस वहाँ बैठे रहने क िज़ द म।
मदन- रहने दो अब माफ़ मत माँगना मझ ु से, पहले ह एक बार म माफ़ कर चक ु ा हूँ... बेशरम कह ं के... अरे !
अजीब शैतान हो कम-से-कम दे ख तो ल िजए क वह बेचारा कहाँ गया है । कूल म कभी पढ़ा नह ं यहाँ पढ़ने
का नाटक कर रहे हो..।
(उदय उठके जाता है ... और पीछे आवाज़ लगाता है ... तब तक मदन उदय क जगह बैठ जाता है ... बच के
एकदम कनारे पर... ऊपर दे खकर मु कुराता है फर आँखे बंद कर लेता है । तब तक उदय वा पस आ जाता है ।)
उदय- अरे उठो मेर जगह से... मेर जगह ह थयाना चाहते हो।
मदन- यह या ज़बरद ती है । बाहर से हमारे गाँव म आए हो और हम हमार ह जगह से उठा रहे हो?
उदय- अरे ... यह तु हारा चहरा गीला य है ?
(दोन म हाथा पाई होने लगती है .... तभी नवाज़ अंदर आता है , उसके हाथ म एक डंड़ा है । वह अपनी जगह पर
बैठता है और ज़ोर से एक ड़ंड़ा ज़मीन पर मारता है .. दोन डर जाते ह।)
उदय- म आपको बल ु ाने गया था... और यह मेरे जाते ह यहाँ मेर जगह बैठ गए... इतने बेशरम है क उठने का
नाम ह नह ं ले रहे ह।
(तभी उसक नग़ाह सामने क बालकनी पर खड़ी एक लड़क पर पड़ती है , जो अपने बाल सख
ु ा रह है ।)
मदन- चल गई...?
मदन- वह अभी वा पस आएगी। अभी उसने सफ अपने बाल को धोया है ... अभी वह उसे शे पू करे गीं फर
कं डशनर लगाएगी और फर वा पस आएगी।
नवाज़- पहले तम
ु अपनी बात तो बताओ।
मदन- सनु ो....वह हमारे कूल क ग णत क ट चर ह... वह सामने के घर म रहती है ... यहाँ, सफ इस जगह से
उसके घर क बालकनी दखती है ।
मदन- आप परू बात सन ु ेग..... म पहले भी, बना कसी वजह के, यहाँ आया करता था...। एक दन.. म यह ं
बैठा हुआ था... काफ़ भीड़ थी इस पाक म, वरना म कभी यहाँ नह ं बैठता था, मेर जगह तो वह थी, जहाँ अभी
आप बैठे हुए ह।
मदन- वह बता रहा हूँ.... उसी दन वह आई अपनी बालकनी पर... नहाने के बाद अपने बाल सख ु ाने... म उसे
दे ख रहा था.... तभी उसके बाल झटकने के साथ ह उसके पानी के छ टे उड़ते हुए सीधे मेरे मँह
ु पर आए...
जब क उस दन हवा भी नह ं चल रह थी...। मने सोचा यह मेरा वहम होगा। उस वहम क जॉच के लए म
बार-बार यहाँ आने लगा। आप आ चय करग, वह पानी के छ टे ना तो दाँए जाते ह ना ह बाँए... वह उसके बॉल
से नकलकर सीधे मेरे चहरे पर आते ह।
उदय- और ..?
मदन- नह ं... बस यह तो एक चीज़ है िजसके कारण म खदु को थोड़ा वशेष महसस ू करता हूँ। वना ट चर
करते तो दन गज़ ु र ह रहे ह। अब बताओ... या यह लड़क ताड़ना या छे ड़ना है ?
नवाज़- नह .ं ..पर।
मदन- तो मझ
ु े मेर जगह पर बैठने दो... चलो हटो।
नवाज़- सन ु भाई... यह लड़क छे ड़ना या ताड़ना तो नह ं है ... ले कन यह, लड़क , नह ं छे ड़ना या नह ं ताड़ना
भी नह ं है ।
मदन- सन
ु अब बहस का कोई फायदा नह ं है ... यह जगह मेर है .. उठ यहाँ से..।
नवाज़- नह ं को... अभी उसने अपनी बात नह ं कह है । उसे अपनी बात भी तो कहने दो...। फर तय करे ग क
यह जगह असल म यादा कसक है ।
नवाज़- दोन चप
ु ... च लए अब आप इस जगह पर अपना अ धकार स ध क रए?
(उदय गंभीर हो जाता है ... उसे अपनी जगह जाती हुई दखती है ।)
नवाज़- तम
ु तो पहले यहाँ आकर बैठे थे ना...?
उदय- तो आप ह ने मझ
ु े वहाँ से उठा दया? अब म यहाँ बैठा हूँ.. और यह मेर जगह है ।
नवाज़- नह ं तम
ु समझ नह ं रहे हो... उस जगह से उनका इ तहास जड़ु ा है , अब। और हम दोन इस बात के
गवाह भी है क वह झठ
ू नह ं बोल रहे ह.... इ तहास िजनका जगह उनक ...।
उदय- मने अभी-अभी LAW पास कया है .. मझ
ु े कानन
ू पता है ...। कसी भी सावज नक जगह से उठाने का
हक़ कसी को नह ं है ।
उदय- वाह! यह तो ऎसा हो गया क मेरा घर था... िजसम मने आपको सु ताने का मौक़ा दया...आप वहाँ पसर
गए.. अब जब म यहाँ आकर बैठा हूँ तो आप क से कहा नयाँ बनाकर मझ
ु े यहाँ से.. मतलब इस घर से नकाल
नकाल रहे ह।
उदय- सन
ु तम
ु इधर आने क सोचना भी नह ,ं वरना म... म... अपनी जगह के लए कुछ भी कर सकता हूँ।
मदन- यह दे खए मझ
ु े मारने क धमक दे रहे ह?
उदय- पर उन बेचारो(अरब लोग ) का या जो उसे अपना घर समझे बैठे थे? अचानक आप ई वर क बात को
कोट कर-करके उनसे सब कुछ छ न लो?
मदन- यार यह या बात हो रह है ?
उदय- वह जो उनके साथ वहाँ हुई, आप लोग मेरे साथ यहाँ कर रहे हो... यहूद कह ं के।
मदन- यहूद ? अरे , म तो बस इस पाक बच के इस कोने पर बैठना चाहता हूँ...? इसम आपको इतनी सम या
य है । बहुत हो गया आप उ ठये यहाँ से...।
उदय- म आपको यह जगह तो नह ं दग ू ाँ चाहे कुछ हो जाए....पर अगर आप इस जगह के लए इतने ह पगला
रहे ह तो म एक काम कर सकता हूँ... अगर यह मझ ु े अपनी जगह दे द, तो वहाँ चला जाऊगाँ...चू क शु म म
वह ं आकर बैठा था...और फर आप उनसे यह जगह माँग लेना?
नवाज़- मझ
ु े कोई आप ी नह ं है ... को मझ
ु े ज़रा सोचने दो?
नवाज़- बात िजतनी सीधी आपको दख रह है उतनी सीधी नह ं है .... मझ ु े यह जगह आपको दे ने म कोई
आप नह ं है .. पर मझ
ु े
, मे र जगह से उठा दये जाने से एतराज़ है ।
मदन- भाई आपको आपक जगह से कोई नह ं उठा रहा है ... आपको बस इस जगह के बदले वह जगह द जा
रह है ।
मदन- हाँ।
नवाज़- मतलब... आप लोग क वजह से म दो बार अपनी जगह से उठाया जाऊगाँ, जब क म तो महज़ यहाँ
सोना चाहता था।
मदन- मेर समझ म नह ं आ रहा है क आप लोग इतनी छोट सी बात को इतना तल ू य दे रहे ह... अरे यहाँ
पाक म हम तीन ह, तीन बचे रखी है , कोई कह ं भी बैठे या फक़ पड़ता है ... आप लोग ने तो, इसे एक मु दा
बना लया है और इस सबम, बस म पस रहा हूँ...। अरे आप लोग को तो बस समय काटना है पर मेरे लए वह
जगह ज़ र है ।
मदन- नह ं...।
नवाज़- म भी कभी नह ं गया। मने हमेशा उसे अपने भारत के न शे म ह दे खा है ... पर अगर कोई दस ू रा दे श
हमसे कहता है क क मीर तु हारा नह ं हमारा है ... तो मझ ु े बड़ी बेचेनी महसस ू होती है । मझु े अ छा नह ं
लगता। भले ह क मीर, या इस जगह से, मेरा कोई सीधा संबध ं नह ं है ... पर मझु े पता है क यह जगह अभी
हमार है .... हमारा दे श है ... हमसे कोई नह ं छ न सकता।
उदय- संबध
ं बच का नह ं है संबध
ं जगह का है ... और जगह से उठा दये जाने का है ।
मदन- पर म उ ह दस
ू र जगह दे रहा हूँ... मतलब यह और उसके बाद यह..।
उदय- (नवाज़ से...)लोग को जब उनक जगह से नकालकर दस ू र जगह फक दया जाता है .. तो वह.. कभी भी
उसे अपनी जगह के प म वीकार नह ं कर पाते। वह, उनक पु ते परू िज़दगी इंतज़ार करते है , इस आशा म
क एक दन सब कुछ ठ क हो जाएगा और उ ह वा पस बल ु ाकर उनक जगह दे द जाएगी। जैसा चाईना ने
त बत के साथ कया है ।
नवाज़- (उदय से...)पर ऎसा कभी होता नह ं है ... कोई कसी को नकाल दये जाने के बाद, जगह वा पस नह ं
दे ता...। जब तक आप उस जगह पर हो, तभी तक वह जगह आपक है । बाद म त बत, उनके लामा कतना ह
च लाते रह.... क ’यह जगह हमार थी’, ’यह जगह हमार थी’... पर कोई सनु ने वाला नह ं है ।
उदय- यह द कत है क हम कभी इस इ तहास के बारे म पता ह नह ं होता। वह जगह मेर थी... जहाँ से
इ होने मझ
ु े उठाया था...अब वह सारा परु ाना इ तहास भल
ू कर, दे खो कैसे उस जगह के लए आपसे लड़ रहे ह...
मानो यह उ ह ं क जगह है ।
उदय- म य भल ू ग
ू ाँ... जगह से उठा दया जाना एक तरह का यू मलेशन है ...। अगर आपको ऎसा नह ं
लगता है तो दे द िजए अपनी जगह?
उदय- बात एक नह ं है ... आप कान वैसे पक ड़ये जैसे म कह रहा हूँ। तब दे खता हूँ आप कैसे पकड़ते ह कान?
मदन- अरे भाई पकड़ य नह ं लेते अपने कान... जैसे यह कह रहे ह.. पकड़ लो अपने कान।
मदन- भाई आप मझ
ु े बताईये कैसे पकड़ने है कान.... इनके बदले म पकड़ लेता हूँ अपने कान।
उदय- तम
ु बात को नह ं समझ रहे हो।
नवाज़- समझाऊँ?
मदन- जी।
नवाज़- तो सु नये.... अकड़, बकड़ बा बे बो...ठ क है ... अ सी न बे परू े सो... सो म लगा धागा... चोर
नकलकर भागा.... वह भागा और यह जगह मेर ... समझे?
मदन- (अपनी तरफ उं गल करके...) बा बे... न बे.. चोर.. नह ं नह ं.. यह या है ... यह गलत है ...आप मझ
ु े
सीधी बात बताईये क आप उनके साथ यह जगह बदल रहे ह क नह ं?
उदय- म नह ं मक
ु र रहा हूँ म कह रहा हूँ पहले आप उ ह उनक जगह से उठाईये, तब म वहाँ जाकर बैठूगाँ।
मदन- पर यह बात तो एक ह है ना? य ??? अरे दे खए... आप ह उठ जाईये, उ ठये..उ ठये ना।
उदय- अगर उ ह बार-बार अपनी जगह से उठाओगे तो उनके पास ह थयार उठाने के अलावा कोई चारा भी तो
नह ं बचेगा।
मदन- यह उदाहरणाथ मेर समझ म आ रहा है .. यह सन ु ो जी नयस...। अगर आ दवा सय को उनक जगह से
उठाकर दस ू र जगह नह ं दोगे तो वह तो ह थयार उठाएग ह । पर म तो इ ह दस
ू र जगह दे रहा हूँ। हाँ... हाँ...
हाँ... मज़ा आ गया.. अब बोलो...उदाहरणाथ?
उदय- नह ं... ऎसे नह .ं .. कोई भी अपनी जगह, इतने यार से नह ं छोड़ता। अपनी जगह छोड़ने म तकल फ
है .... । आपको आपके वर म, ज़बरद ती का भाव लाना पड़ेगा।
नवाज़- हाँ मझ
ु े फक़ नह ं पड़ता है पर मने कसी के घर पर क ज़ा नह ं कया है ।
नवाज़- अरे सन
ु ो... एक बार म बोलो ना जो भी भाव-वाव से बोलना है और बात ख म करो... चलो।
मदन- उठो मेर जगह से.. अभी... इसी व त.. वरना म कुछ भी कर सकता हूँ।(बहुत गु से म नवाज़ क
गरे बान पकड़ लेता है ।) उठ.. तेर समझ म नह ं आ रहा है या? बहरा है या त.ू ... उठ... वना म तु ह ध के
मारते हुए उठाऊगाँ.. उठता है क नह ?ं चल उठ....
(नवाज़ अवाक सा उसे दे खता रह जाता है ...मदन गरे बान से हाथ हटाता है ... नवाज़ खड़ा हो चक
ु ा है ... नवाज़
और उदय दोन एक साथ चलना शु करते है ... उदय उठके नवाज़ क जगह पर आकर बैठता है ... और नवाज़
उदय क ...)
नवाज़- बस आधे घंटे म मेरे बेटे का रज़ ट है । सोचा था पहले सोते हुए समय गज़ ु ार दग
ू ाँ... पर तम
ु लोग क
बक़वास के च कर म सो नह ं पाया... फर सोचा तम ु लोग सोने तो दोगे नह ं ... चलो साथ बक़वास करता
रहूगाँ..तो समय गज़
ु र जाएगा।
नवाज़- मेरे बेटे के साथ म दस साल इसी पाक म खेला हूँ... उसे यह पाक उसके घर से भी अ छा लगता है ।
मदन- हाँ म उसे जानता हूँ... वह मेर संगीत लास म भी आया था... वह तो वकलांग है , या नाम है
उसका...?
नवाज़- आप या सोचते ह इससे मझ ु े कोई मतलब नह ं है .... म आपको मँहु ज़बानी पाँचवीं क ा का परू ा पाठ
सन
ु ा सकता हूँ....। हर साल उसे तैयार करता हूँ.... पछले चार साल से...। उसका पास होना हम दोन के लए
बहुत ज़ र है ।
उदय- आप चप
ु नह ं रह सकते?
नवाज़- हाँ म पगला गया हूँ। तु ह पता है मने उसे दो साल पहले ह साईकल दला द थी? पर उसने उसको
छुआ भी नह ं, वह जानता है क वह पास नह ं हुआ है ...। जब आप जैसे ग बर संह जैसे ट चर... कूल म
उसका मज़ाक उड़ाते ह तो वह रात म खाना नह ं खाता...।अब हम दोन ने तय कया है क हम जैसे ह पाचवीं
पास होग, हम खद ु कूल छोड़ दे ग... और इस सॉल मझ ु े परू ा व वास है क वह पास हो जाएगा। मझ ु से यह
चार बजे तक का व त ह नह ं कट रहा था, इस लए मने सअ ू र क तरह ठू स-ठू स कर खाना खाया था.... क
परू दोपहर सोते हुए नकाल दँ .ू ... सीधा चार बजे उठूँ और मझ ु े र लट पता लग जाए....। म यह धीरे -धीरे
रगता हुआ समझ बरदा त नह ं कर सकता ।
(तीन कुछ दे र चप
ु -चाप बैठे रहते है ...)
उदय- म उस नकल क बात नह ं कर रहा हूँ, हम सबक इस कहानी म अपनी-अपनी भू मकाएँ है ... कोई
यि त अगर ज़बरद ती कसी और क भू मका नभाता है तो वह जी नह ं रहा है .. नकल कर रहा है ...। हुसन
ै
जीना चाहता है , नकल नह ं करना चाहता।
उदय- (मदन से...) मेर डॉ टर ने मझ ु े एक बात बताई थी.. क मेर बमार का संबध
ं मेरे बचपन से है ...। म
जब पैदा हुआ था तो मेरे माँ बाप को लगा क म एक special child हूँ। बस यह मेर बमार बन गया,उस
पेशल चाई ड क भू मका ह म आज तक नभा रहा हूँ, जब क म एक आम आदमी हूँ...और मज़े क बात है
क आपका बेटा एक पेशल चाई ड है ... जब क आप उसे आम आदमी बनाना चाहते ह।
(मदन उठकर वा पस अपनी जगह पर बैठ जाता है । अब उदय और नवाज़ एक बच पर बैठे ह... मदन बीच
वाल बच पर और िजस बच क िजस जगह के लए लड़ाई चल रह थी... वह खाल पड़ी हुई है ।)
नवाज़- या हुआ? अब आपको अपनी जगह नह ं चा हए? म आपसे बात कर रहा हूँ.. आपको सन
ु ाई नह ं दे रहा
है या?
मदन- म यह ं ठ क हूँ।
नवाज़- नह ,ं अब आप ’संत’ मत ब नये.... आपक जगह खाल पड़ी है .. आप जाईये वहाँ पर...।
नवाज़- य ... य नह ं जाएग वह... हमार नाक़ म दम कर रखा था... क यह मेर जगह है ... यह मेर जगह
है .... अब खाल पड़ी है जगह.. तो उ ह जाना पड़ेगा... उ ठए... उ ठए आप...।
(नवाज़ ज़बरद ती उसे उठाने क को शश करता है ..उदय रोकता है ... पर मदन नह ं उठता है ।....)
उदय- अरे सु नये वह नह ं जाना चाहते है तो... रहने द िजए... दे खए... रहने द िजए...।
मदन- च लाईये... बल
ु ाईये उनको...म भी आपका साथ दे ता हूँ... ( च लाता है ...) मेडम.. सु नये... मस..बाहर
आईये..। अरे आप य चप ु हो गए। च लाईये... अब मझ
ु े कोई फ़क नह ं पड़ता है ....आप लोग ने सब ख म
कर दया है ।
मदन- यहाँ इस जगह म वह ग णत क ट चर मह वपण ू नह ं है ... उसका वहाँ खड़े रहना, बाल सख
ु ाना, कुछ भी
मह वपण
ू नह ं है ... जो मह वपण
ू था वह आज आपने ख म कर दया।
मदन- खन ू ह हुआ है । म ग बर संह हूँ...अपने कूल म.. घर म.. बाज़ार म... सब जगह...सार जगह म
वलेन हूँ.. बरु ा आदमी। सवाय इस जगह के... यहाँ इस बच पे.. म ह रो हूँ... अ छा हूँ, स चा हूँ... म बस यहाँ
पर ह म हूँ।आप लोग ने अभी, इस म का खन ू कर दया।... मझ
ु े यहाँ भी आप लोग ने वलेन बना दया। अब
म सब जगह ग बर सहं हूँ।
(उदय, मदन के पास जा रहा होता है ... नवाज़ उसे रोकता है ....। नवाज़, मदन के पास जाता है ।)
हुसन
ै - अ बा !!!
हुसन
ै - अ बा... रज़ ट...?
( हुसन
ै डरा हुआ है .. नवाज़ रज़ ट उससे छ नता है ।)
हुसन
ै - सॉर अ बा...।
(हुसन
ै उदय से डर के मारे चपक जाता है ... उदय, हुसन
ै को संभालता है ।)
(नवाज़ हुसन
ै को दे खता है ... वह उदय से डर के मारे चपका हुआ है ...नवाज़ यह डर बदा त नह ं कर पाता और
रज़ ट फाड़ दे ता है । हुसन
ै को अपने पास खीचता है और गले लग जाता है ... दोन चले जाते है ।)
(मदन उठने को होता है ... पर कुछ सोचकर वा पस बैठ जाता है । उदय उसक तरफ मु कुराकर दे खता है ... और
उसे यहाँ आने का इशारा करता है । मदन वहाँ बैठता है वह उस लड़क को दे खता है आँख बंद करता है ...। कुछ
दे र म आँख खोलता है .. धीरे से उठकर मदन, उदय के पास आता है । उसके गाल छूता है ...जो गीले ह... दोन
मु कुरा दे त है ... मदन चला जाता है ।)
(उदय अकेला समय काट रहा होता है । वह हर बच पर मदन, नवाज़ बनकर.... अलग-अलग तर के से बैठता है ।
अकेले बहस करके टाईम काटने क भी को शश करता है , पर उससे यह अकेलापन बदा त नह ं होता है । कुछ
दे र म वह अपना सामान उठाता है और चला जाता है ।)
(कुछ ह दे र म इ त पाक म आती है ... वह चार तरफ दे खती है ... उसे उदय दखाई नह ं दे ता... उसे अपने आने
पर ह हं सी आने लगती है .. वह SMIRK करके चल जाती है ।)
इ त स धम ्