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पाक....

( ह द नाटक)

(अंधेरे म उदय क आवाज़ आती है , वह कसी ब चे से बात करता है ... उस ब चे का नाम हुसन
ै है ।(आय-ू १५
वष)... ।)

उदय- सन
ु ... यह बताओ...इसम यहाँ छपे रहने क या ज़ रत है ? आप को अपने पापा से सीधे कहना
चा हए क... म कूल नह ं जा पाया।

हुसन
ै - ना... ना।

उदय- नह ं कहोगे?.. अ छा यह बताओ तु हार exams कैसे गए?

हुसन
ै - नह ं दये...। यह ं छुपा था।

उदय- या? पर ा नह ं द ?... चलो म तु हारे पापा से बात करता हूँ।... अरे ! या हुआ...। ..अरे बेटा सन
ु ो...
को... हुसन
ै ... हुसन
ै ?

(हुसन
ै हाथ छुड़ा कर भाग जाता है ... तब तक इ त वहाँ आ जाती है ।)

इ त- या हुआ? कौन था वह?

उदय- वो... हुसन


ै .... या हुआ क म तु हारा ह इंतज़ार कर रहा था... वह यहाँ छपा हुआ बैठा था...। मने
उससे बात करना चाहा तो वह भागने लगा..। थोड़ा दमाग़ी प से कमज़ोर है । रज़ ट के डर से छपा बैठा था।

इ त- रज़ ट है उसका?

उदय- हाँ... पर उसने पर ा ह नह ं द । अपने बाप से डरा बैठा है ... वह आज कूल म रज़ ट लेने आएग।

इ त- कहाँ गया वह...?

उदय- मने बोला चलो म तु हारे पापा से बात क गाँ, तो भाग लया।

(इ त क नग़ाह घड़ी क तरफ जाती है .. उदय चप


ु हो जाता है । दोन थोड़ी दे र शांत रहते ह...।)

उदय- आओ.. वहाँ बच पर बैठते ह...।

इ त- नह .ं .. म यह ं ठ क हूँ। तो.... या हाल है तु हार बीमार के।

उदय- काफ समय से तो ठ क ह थी, पर अभी, कुछ ह दन पहले, एक मं दर म, उसक मू त को दे खकर मझ


ु े
फर बख
ु ार आ गया।

इ त- य ..? या था उस मू त म...?

उदय- साधारण ह थी... पर जैसे ह मझु े बख


ु ार आया, मझ ु े वह मत
ू एकदम बेचार लगी... इतने भ त क
भीड़ म एक बेचार मत
ू ... कोई पैसा चढ़ा रहा है ... कोई ना रयल फोड़ रहा है ...कोई घंटो यान लगा कर कुछ
मांग रहा है । और वह मत ू चप ु चाप खड़ी है । मझ
ु े अचानक लगा क वह मझु े कह रह है क ’उसके हाथ म कुछ
नह ं है ..।’ म तरु ं त वहाँ से भाग लया... जब मं दर क सी ढ़याँ उतर रहा था तो मझु े लगा क शायद, यह इतने
सारे लोग क आ था ह है ... जो रोज़ यहाँ आते ह... िजनक वजह से उस प थर क मत ू म इतनी जान तो
आई क वह कह सके क... ’उसके हाथ म कुछ नह ं है ।’

इ त- फर...?

उदय- फर या?... तु ह ढूँढ़ा, तो पता लगा तु हारा ांसफर हो गया है । बहुत मिु कल से तु हारा पता मला।

इ त- कब तक मेरे पीछे भागोगे?

उदय- अरे तम
ु मेर डॉ टर हो!! और मझ
ु े तु हार कं लट सी क ज़ रत है ।

इ त- तु ह मेर कं लटं सी क ज़ रत नह ं है । तु ह आम होने से डर लगता है ...।

उदय- नह ं, म जानता हूँ क म एक आम आदमी हूँ।

इ त- तम
ु आम आदमी हो, पर तम
ु मेरे सामने आम आदमी होने से डरते हो।

उदय- मतलब?

इ त- मतलब, अब यह बीमार महज़ तम


ु इस लए पाले बैठे हो क तम
ु मेरे सारे पेशे ट के बीच ख़ास बने रहो।

उदय- ये झठ
ू है .. जो भी म महसस
ू करता हूँ... वह म तु ह सच-सच बता दे ता हूँ।

इ त- म इसी बीमार क बात कर रह हूँ... अगर तमु मझ ु से रोज़ मलते रहोगे तो तु ह कभी दौरे नह ं पड़ेग...
पर य ह मलना बंद कर दे ते हो, दौरे शु हो जाते है ।

उदय- तो आप कहना या चाहती हो?

इ त- यह क... इसका इलाज़ मेरे पास नह ं है , और ना ह म इसका इलाज अब करना चाहती हूँ... इसी लए
मने तु ह अपने ल नक म भी नह ं बलु ाया... चलो मझ ु े दे र हो रह है .. म जाती हूँ।

उदय- अरे ! म इतनी दरू से आपको ढूँढ़ता हुआ आया हूँ... और आप मझ


ु से बात भी नह ं करे गी।

ू रा डॉ टर ढूँढ लो।
इ त- कोई फायदा नह ं है ... अगर तु ह बीमार क इतनी चंता है तो दस

उदय- आप जानती है , मने को शश क है .... पर कोई फायदा नह हुआ।

इ त- फायदा होगा भी नह .ं .. खैर म इस बारे म अब तम


ु से कोई बात नह ं करना चाहती हूँ... मझ
ु े दे र हो रह
है ... म जाती हूँ।

उदय- पर म यहाँ आपसे ह मलने आया हूँ।

इ त- मल लए ना...।
उदय- दे खये जब तक म आपसे बात नह ं कर लँ ग
ू ा म यहाँ से नह ं जाऊगाँ... म आपको आपक कं लटसी के
पैसे दे ता हूँ... तो आपको या एतराज़ है ?

इ त- मझ
ु े नह ं चा हए आपके पैसे... और आप चले जाईयेगा.. म आपसे अब नह ं मलग
ू ीं।

उदय- म नह ं जाऊगाँ।

इ त- िज़ द मत क रये... म नह ं आऊँगी।

उदय- म आपका इंतज़ार क ँ गा।

इ त- तो करते र हए इंतज़ार... चलती हूँ।

(इ त चल जाती है ... उदय गु से म अपना बैग़ पटक दे ता है ... फर उसे धीरे से उठाता है .. सामने क तरफ
तीन पाक बच पड़ी हुई ह... वह उनम से एक पाक बच पर बैठता है पर वहाँ धप ू है तो बैठ नह ं पाता है ... फर
दसू र पाक बच पर बैठ ता है िजसके सफ एक कोने म ह छाया है ..... वह वहाँ बैठता है और एक कताब
नकाल कर पढ़ना शु करता है । तभी वहाँ नवाज़ आता है । वह भागता हुआ अंदर आता है ... और उदय को,
छाया वाल जगह पर बैठा दे खकर दख ु ी हो जाता है ।)

नवाज़- आप बैठ ह...?

उदय- हाँ... मतलब बैठा हूँ!!!

नवाज़- आप बैठग ना...???

उदय- हाँ... बैठूगाँ... ह ... अभी...!!!

नवाज़- तो ठ क है ... या आप... आप वहाँ बैठेग...?

उदय- य ...?

नवाज़- मझ
ु े सोना है ।

उदय- अरे ! आपको सोना है .... तो म धप


ू म बैठूँ?

नवाज़- अरे ! दस-पं ह म नट म वहाँ छाया आ जाएगी... बस थोड़ी दे र क तो बात है ...।

उदय- हाँ... बस थोड़ी दे र क बात है .... फर आप वहाँ सो जाईएगा?

नवाज़- अरे अजीब िज़ द आदमी हो.... दे ख मने एकदम गले-गले तक खाना खाया है .... अगर ज द से
सोऊगाँ नह ं तो यह उ ट कर दग
ू ाँ।

उदय- तो कर दो....।

नवाज़- नह ं कर सकता...।
उदय- य ?

नवाज़- उ ट करना, यहाँ के स के खलाफ है ।

उदय- अरे आदमी को उ ट करने क भी आज़ाद नह ं है ।

नवाज़- जब आपके ऊपर उ ट कर दग


ू ाँ तब दे खता हूँ आप कतनी आज़ाद क बात करते ह।

उदय- आप मझ
ु े डरा रहे ह?

नवाज़- म डरा नह ं रहा हूँ... दे खए...दे खए... मझ


ु े पसीना आने लगा है ।

उदय- तो..?

नवाज़- बस थोड़ी ह दे र म मेरे कान लाल होने लगेग... फर समझ ल िजए क समय हो गया.... और अगर
मने फर भी खद ु को रोकने क को शश क तो मेर आँख से पानी आने लगता है ... और तब मेरे बस म कुछ
नह ं होता... आज का, कल का, परस का सारा खाना बाहर...।

उदय- अ छा आप यहाँ बैठ जाईए... वहाँ छाया आ जाएगी तो म वहाँ चला जाऊँगा...।

नवाज़- ध यवाद.... पर दे खए म बैठ पाने क हालत म भी नह ं हूँ... मेरे लए सोना बहुत ज़ र है ।

उदय- अरे ! थोड़ी दे र बैठे रहगे तो मर नह ं जाएग...।

नवाज़- आपको पता नह ं, मने आज सअ


ू र क तरह ठूस-ठूस कर खाना खाया है ... दोपहर का सोना मेरे लए
बहुत ज़ र है ... मान जाईए...?

उदय- म नह ं मानता...।

नवाज़- मान जाइए ना...?

उदय- अरे आप या मेरे ऊपर ह लेट जाईएगा? सीधे बै ठए... सीधे..।

नवाज़- दे खए मेरे कान लाल हो रहे है .... अब बस आँख से पानी गरे गा और आप कह ं भी बैठने लायक नह ं
बचेग।

उदय- ठ क है ...ठ क है ....।

नवाज़- ध यवाद!

(उदय जाकर दस
ू र बच पर बैठ जाता है .... वह एक कताब नकालता है और धप ू बचाने क को शश करता है
जो उसके सर पर ह पड़ रह है । फर वह एक सगरे ट नकालता है , मा चस ढूँढ़ता है ... पर उसे मलती नह ं है ।)

उदय- आपके पास मा चस होगी।

नवाज़- सगरे ट पीना यहाँ के स के खलाफ है ।


उदय- यहाँ कह ं लखा तो नह ं है ...।

नवाज़- इधर-उधर लखना भी allow नह ं है ।

उदय- आप यहाँ रोज़ आकर सोते ह?

नवाज़- हं !!!

उदय- आपने अपना आधा जीवन सोने म गज़ु ार दया है ....। ज़ र आप सरकार मल
ु ािज़म होग? ठ क पहचाना
ना... िज़ द , खडूस सरकार मल
ु ािज़म?

नवाज़- म सो चक
ु ा हूँ!!

उदय- अगर म अभी जाकर आपक शकायत कर दँ ू तो आपको नौकर से नकाला जा सकता है ?

नवाज़- आप मेरे सपने म आकर मझ


ु े धमक दे रहे ह... कोई फायदा नह ं है म सो चक
ु ा हूँ।

(उदय चप ु चाप बैठ जाता है .... तभी वहाँ छाया आ जाती है ... और उदय कताब अपने सर से हटा लेता है ...।
और आराम से बैठ जाता है , कताब पढ़ने लगता है । तभी मदन पाक म आता है ।वह उदय को बैठा हुआ दे खता
है , तो थोड़ा नाराज़ सा हो जाता है ... फर थोड़ा इधर-उधर धम ू ने के बाद... उदय के पीछे खड़ा हो जाता है , उदय
उसे नज़रअंदाज़ कर दे ता है ।)

मदन- म साल से इस पाक म आ रहा हूँ.... पहले म रोज़ इसे बस बाहर से दे खते हुए नकल जाता था....सोचो
रा ते म पाक है , पर नह ं आता था। घर जाने क हमेशा ज द लगी रहती थी.. जब से इस पाक म म आने लगा
हूँ यंू सम झए क.... आदत सी लग गई है । अ छा है यह पाक...छोटा सा... य ? .... अरे ठ क ह तो है ? नह ं
तो और पाक कैसे होते ह? जब आप आ ह गए ह पाक म तो खश ु र हये, थोड़ा घम
ू ल िजए। आप यह ं काफ़
समय से, एक ह जगह बैठे ह इ स लए शायद आपक यह पाक अ छा नह ं लग रहा है । थोड़ा टहल ल िजए...
पीछे क तरफ दे खए... हरण, खरगोश... सब ह यहाँ...।

उदय- पता है मझ
ु .े ..।

मदन- अ छा आप पीछे क तरफ हो आए ह... तभी नाराज़ ह.... मझ ु े भी पाक का यह ह ह सा अ छा लगता


है .... पीछे या रखा है ... हरण!!! और खरगोश बस? और हरण भी काहे के हरण... गाय जैसे दखते ह... सच
ऎसे कोई हरण होते है । जब दे खो जग ु ाल करते रहते ह... ना उछलते है , ना कूदते ह...गाय ह यह.... मतलब
एकदम गाय भी नह ं दखते, बछड़े जैसे लगते है ... गाय के बछड़े... दे ख होग आपने महो ल म घम ू ते हुए?

उदय- हाँ।

मदन- हाँ बस वैसे ह दखते ह। और खरगोश.. खरगोश तो जनाब या बताएं?

उदय- वह तो आपको चह
ू े जैसे लगते होग।

मदन- नह ं... खरगोशो को दे खा जा सकता है ... य क वह तो एकदम खरगोश जैसे लगते ह। मगर कोई
कतनी दे र तक खरगोश को दे ख सकता है । अब खरगोश, बंदर तो होते नह ं है क... उछले कूद आपका
मनोरं जन कर... मेरे हसाब से हर पाक म बंदर का होना ज़ र है ... आप या कहते ह?
उदय- म आपक बात से सहमत हूँ, बंदर का होना भी ज़ र है और उनको पजरे म बंद भी रखना ज़ र है ... यू
खल
ु ा छोड़ दो तो... पाक म शांत बैठे लोग के लए काफ़ परे शानी खड़ी कर सकते ह।

मदन- बंदर को पाक म कोई खल ु ा छोड़ता है , यहाँ तो हरण को भी.... आप मझ


ु े बंदर कह रहे ह... आपक
ह मत कैसे हुई... दे खए आप जानते ह म कौन हूँ... ... म संगीत और साईस ट चर हूँ सामने के कूल म....
और अपनी उ दे खए, मझ ु े लगा आप कुछ परे शान ह, तो आपसे बात क ं .... और आप तो मेर बेइ ज़ती कर
रहे ह.... आप ... म चाहूँ तो अभी आपको इस पाक से बाहर नकलवा सकता हूँ... आप... ऎ... कोई है ... कोई
है ... ?

नवाज़- ऎ च ला य रहे हो? चप


ु ... एकदम चप
ु .. यहाँ कुछ लोग सो रहे ह, दख नह ं रहा ।

मदन- माफ करना... पर उ ह ने मझ


ु े बंदर कहा?

नवाज़- आप बंदर ह या?

मदन- नह ं।

नवाज़- फर य बरु ा मान रहे ह।

मदन- अरे ले कन...!

नवाज़- अ छा म आपसे कहता हूँ... बंदर ... बंदर...

मदन- आप?

नवाज़- आप नह ं है ना... बात ख म हो गई बस... मझ


ु े सोने दो।

(मदन थोड़ा सँभलता है .... एक बार घड़ी दे खता है ... फर चप


ु चाप बैठ जाता है वह जैसे ह उदय को दे खता है ,
उसे गु सा आने लगता है ।)

मदन- वह तो अ छा हुआ आप बीच म आ गये वरना.... आप तो जानते ह होग पहले इस पाक म, दोपहर को
जवान लोग का आना मना था... सह था य ?... आपको नह ं लगता।

नवाज़- म सो चक
ु ा हूँ।

मदन- म तो खद
ु यहाँ आता हूँ क दोपहर को थोड़ी दे र इस पीपल के पेड़ क छाया तले बैठूगाँ पर....

उदय- sorry...|

मदन- या? आपने मझ


ु से कुछ कहा या?

उदय- मने कहा sorry... गलती से मेरे मँह


ु से नकल गया... माफ चाहता हूँ।

मदन- सन
ु ा आपने...सन
ु ा.... सॉर बोल रहा है .... च लए ठ क है जाने द िजए। वैसे आप जहाँ बैठे ह वह पाक क
सबसे अ छ जगह है ।
उदय- तीन तो बच है इस पाक म वो भी एक साथ यह इसी जगह पर ह.... इसम या ख़ास है ?

मदन- वहाँ से view थोड़ा यादा अ छा है ।

उदय- जो यहाँ से मझ
ु े दख रहा है ... वो वहाँ से आपको भी दख रहा है ... और दे खने को है भी या? सामने एक
बि डंग खड़ी है उसे आप view कहते ह।

मदन- यह तो म कह रहा हूँ... इस बच के ठ क सामने बि डंग है ... जब क आपक बच से बि डंग ठ क


सामने नह ं दखती है ।

उदय- मझ
ु े यहाँ से वह सामने वाल बि डंग क कुछ एक बालकनी दख रह है जो आपको नह ं दख रह है ,
इससे फ़क या पड़ता है ?

मदन- फ़क है आसमान का... आपको वहाँ से यादा आसमान दे खने को मलता है और मझ


ु े कम।

उदय- मझ
ु े आसमान म कोई दलच पी नह ं है ।

मदन- तो आप यहाँ आ जाईए... मझ


ु े आसमान म बहुत दलच पी है ... च लए उ ठए।

उदय- अरे ! म य उठूँ? जो भी आता है मझ


ु े मेर जगह से उठा दे ता है । आप जाईए अपनी जगह पर, मझ
ु े नह ं
उठना।

मदन- अरे आप ह ने कहा था क आपको आसमान म दलच पी नह ं है ?

उदय- नह ं है ... पर मझ
ु े इस जगह बैठे रहने म दलच पी है .. अजीब ज़बरद ती है ?

मदन- आपको पता है वह मेर जगह है ?

उदय- य आपका नाम लखा है इस जगह पर..?

मदन- यह या बात हुई.? जब तम ु कूल म अपनी class म जाते थे... तो या ट चर क कुस पर उसका नाम
लखा होता था? नह ं ना..? पर तम ु जाकर ट चर क कुस पर तो नह ं बैठ जाते थे? बैठते तो तम
ु अपनी ह
जगह पर थे।

उदय- यह या बात हुई?

मदन- कौन से कूल म पढे हो? उदाहरण नह ं समझते...?

उदय- अरे ! यह या उदाहरण हुआ? पाक का class room से या संबध


ं है ?

मदन- अ छा, अब तम
ु संबध
ं क बात कर रहे हो तो यह बताओ...इस गाँव से तु हारा या संबध
ं है ?

उदय- मतलब?

मदन- या तम
ु इसी गाँव म पैदा हुए हो?
उदय- नह ं।

मदन- तो मेरा यादा हक़ बनता है इस जगह पर... म यह पैदा हुआ हूँ... यह ं पला बढ़ा हूँ।

उदय- अगर यह बात है तो... म इसी दे श म पैदा हुआ हूँ... तो इस हसाब से मेरा भी बराबर का हक़ है ।

मदन- पर तम
ु से पहले म इस द ु नयाँ म आया हूँ। मेरा हक़ यादा है ।

उदय- म ह द ू हूँ.. अब बोलो।

मदन- म ा मण..। और अ खल भारतीय व याथ प रषद का सद य भी.... य बोलती बंद हो गई?

उदय- तो अब या आप मझ
ु े मेरे कम ह द ू होने पर मारे ग।

मदन- यह गाँधी पाक है । और वैसे भी यह तीन बच िज होन इस पाक को दान क थी वो केलकर ह.... पं डत
ह र केलकर।

उदय- तो..?

मदन- और म उसगाँवकर हूँ।

उदय- मी पू यात शी लो आहे । मला मराठ येत।े (म पन


ू ा म पढ़ा हूँ.. मझ
ु े मराठ आती है ।)

मदन- या?...

उदय- कॉय ज़ाला...? तल


ु ा मराठ येत नाह का? हाँ...हाँ...हाँ...। ( या हुआ? तु ह मराठ नह ं आती।)

मदन- मेर माँ मराठ नह ं है ... और पताजी, मेरे बचपन म ह चल बसे थे... सो... म मराठ नह ं जानता हूँ...
पर.. म मराठ हूँ, मेरा यादा हक़ है बस।

उदय- काय करायचे आहे ते कर, मी इ डून


ं उठनार नाह ...।(अब आप कुछ भी कर ल, म यहाँ से नह ं उठने
वाला हूँ।)

मदन- या?

उदय- म... नह .ं .. उठूगाँ...।

(मदन कुछ दे र शांत बैठता है .. पर उससे रहा नह ं जाता।)

मदन- जब तम
ु यहाँ आए होग तो दोन बचे खाल होगी?

उदय- तीन खाल थी।

मदन- तो आप यहाँ इनसे भी पहले आए ह....?


उदय- और अब म यहाँ से नह ं उठूगाँ।

मदन- तो आप वह ं बैठे रहे ग?

उदय- जी हाँ।

मदन- मने human साय लॉजी पढ़ है ... हर आदमी सामा य प रि थती म हमेशा बीच म बैठना चाहता है ...
पर तम
ु कोने म बैठे हो.... इसका मतलब?

उदय- इसका मतलब है क म पागल हूँ।

मदन- नह ं इसका मतलब तु हारे भीतर कुछ डर है ... डर है पकड़े जाने का... इस लए तम
ु कोने वाल बच पर
बैठे हो...।

उदय- चप
ु र हए...।

मदन- वैसे तो म सांईस का ट चर हूँ पर human साईक को जानना, समझना मेर hobby रह है ... पकड़
लया ना ब च।ू

उदय- ब च?
ू ...

मदन- अरे ब चू को छोड़ो....पकड़ा गये ना.. अब मान लो...।

उदय- अरे ! या मान ल?


ंू आप कुछ भी कहते रहे ग और म मान लग
ू ाँ?

मदन- आप मेर हॉबी पर शक़ कर रहे ह?

उदय- आपको जो समझना है समझो?

मदन- अ छा यह सनु ो- तम
ु यहाँ पहल बार आए हो।.... तम
ु यहाँ के नह ं हो।... तम
ु बाहर कसी शहर से आए
हो। बताओ यह तीन बात सह ह?

उदय- यह तो एक ह बात हुई....।

मदन- थोड़ा क जाओ... तम ु तेज़ हो तु ह पकडना आसान नह ं है ... अब समझा... तम


ु अपनी िज़ दगी से बोर
हो चक
ु े हो.... सब कुछ छोड़कर कह ं भाग जाना चाहते हो... फर से शु से अपनी एक नयी िज़ दग़ी शु करना
चाहते हो...। जहाँ तम
ु वा पस उछलो-कूदो ब चे हो जाओ... बोलो सह है ?

उदय- बक़वास...।

मदन- तम ु एक नहायती िज़ द आदमी हो, िजसने अपनी िज़ द क वजह से अपनी िज़ दगी बरबाद कर
ल ... वह िज़ द है िजसक वजह से तम
ु मेर जगह बैठे रहना चाहते हो। अब बोलो... सह है ?

उदय- बक़वास...।

मदन- तु ह लगता है क भगवान ने तु हारे साथ इंसाफ नह ं कया.... इस लए तम


ु मं दर म जाकर से स के
बारे म सोचते हो िजससे भगवान से बदला ले सको।

उदय- या...?

मदन- तम
ु यहाँ suicide करने आए हो...?.... तु ह एक बीमार है िजसका इलाज असंभव है ... तु ह िज़ दा
काकरोच खाना अ छा लगता है ... तम
ु ेम म धोखा खाए एक बेचारे ेमी हो?... बस..बस... बस...।

उदय- हार गए...?

मदन- य तम ु मेर हॉबी का खन


ू कर रहे हो? मने एक बात तो सह कह होगी....? एक... एक भी नह .ं .. एक
भी नह ं...?

उदय- एक बात सह है ।

मदन- हाँ...हाँ...हाँ... (मदन एक ग़हर सॉस छोड़ता है ...।)... कौन सी?

उदय- वो वाल ....वो... पर आधी सह है ।

मदन- आधी-सह बात या होती है ।

उदय- मतलब, आधी सह , आधी ग़लत।

मदन- कौन सी... भगवान वाल ..?

उदय- नह ं...नह ... वो..।

मदन- कॉकरोच वाल ...?

उदय- अरे नह ं... वो वाल ..।

मदन- suicide वाल ?

उदय- नह ं... अरे ! वो वाल .....?

नवाज़- तो कौन सी...? कौन सी बात सह है ... यार बता दो और मझ ु े भी सोने दो.... सच तम
ु लोग क बात के
च कर म म सो नह ं पा रहा हूँ... कौन सी बात सह है ... कौन सी?

उदय- मझ
ु .े . एक बीमार है ।

मदन- पर....!

नवाज़- (मदन से...) ठ क है उसे एक बीमार है । सन


ु लया तम
ु ने.... एक बीमार है ... बात ख म...अब म सो
रहा हूँ।

(कुछ दे र म...)
मदन- ऎसी बीमार , िजसका इलाज असंभव है ..?

उदय- नह ं, इ स लए मने कहा क आधी बात आपक सह है ... शायद संभव है ।

मदन- कौन सी बीमार है ?

(नवाज़... उठके बैठ जाता है ..।)

मदन- अब आप य उठ गए...?

नवाज़- कौन सी बीमार है ... कौन सी है .. ज द बता दो और बात ख म करो..।

उदय- मझ
ु े दमाग़ क बीमार है ।

नवाज़- बस... सन
ु लया... अब तम
ु कुछ नह ं पछ
ू ोगे...ठ क है ।

मदन- हाँ...।

(नवाज़ वा पस सो जाता है ... मदन थोड़ी दे र चप


ु रहता है .. फर धीरे से इशारे से उदय से पछ
ू ता है ... कौन सी
....?)

उदय- मझ
ु े लगता है क म जी नयस हूँ।

नवाज़- ठ क है ... ठ क है ... म समझ गया... जब तक तम ु परू ा सन


ु नह ं लोगे,,, और जब तक तम
ु परू ा बता
नह ं दोगे... तम
ु दोन मझु े सोने नह ं दोगे... अब बोलो ज द से सब कुछ बोल दो...।

उदय- मने कह दया बस...।

नवाज़- क तम
ु जी नयस हो... ऎसा या काम कया है तम
ु ने क तु ह लगता है क तम
ु जी नयस हो?

उदय- मने कोई काम नह ं कया है .. इस लए मने कहा है क ... यह मेर बीमार है क मझ
ु े लगता है क म
जी नयस हूँ... िजसका इलाज चल रहा है ।

मदन- म पछ
ू ू ं ...? एक सवाल...?(मदन नवाज़ से पछ
ू ता है ..।)

नवाज़- पछ
ू ो...?

मदन- कुछ तो कारण होग जो तु ह सोचने पर मजबरू करते होग क तम


ु यह सोचो क तम
ु जी नयस हो..?

उदय- हाँ.. मझ
ु े बख
ु ार आने लगता है ... परू ा शर र ठं ड़ा पड़ जाता है ... जब कभी म वह सब दे खने लगता हूँ जो
असल म वहाँ नह ं है ।

मदन- दग़ म...?

नवाज़- या..?
मदन- Hallucination....|

नवाज़- आ... अ छा..। तो यह कैसे शु हुआ था... यह दग म तु ह?

उदय- हाँ.....यह कहाँ शु हुआ ?.... यह शु हुआ उस रात जब म मेर माँ को अ पताल लेकर जा रहा
था..उनक अचानक त बयत बगड़ गई थी। तभी शहर म दं गे शु हो गए... म उनको लेकर एक छोट सी मोची
क दक ु ान म जाकर छुप गया....। दो दन और दो रात म उनको लेकर वह ं बैठा रहा...। अ पताल मेरे सामने
था पर म रोड ास ह नह ं कर पा रहा था। कहते ह क वह इलाक़ा सबसे यादा दं गा त इलाक़ा था।... मने
एक रात, उस दक ु ान के छे द म से झांककर दे खा क कुछ लोग, कुछ लोग को मार रहे ह, काट रहे ह.. बरु
तरह। तब यह पहल बार हुआ, मझ ु े बख
ु ार सा आने लगा,परू ा शर र ठं ड़ा पड़ गया... और मने दे खा क यह सब
लोग ब चे ह.... छोटे ब चे... जो चोर-पु लस, या ह द ू मसु लमान खेल रहे ह...।. और मझ ु े लगने लगा क,
अभी कह ं से इनके माँ-बाप नकलकर आएग और सबको डॉट लगा दग क- ’चलो बहुत रात हो गई है , अब बंद
करो यह खेल....।’ और सारे ब चे खेलना बंद कर दे ग, वह भी िजसने अभी-अभी बहुत से लोग को काटा था
और वह सारे भी जो मरे कटे पड़े हुए थे.... सभी उठे ग और अपने-अपने घर चले जाएग।

नवाज़- और तु ह लगने लगा क तम


ु जी नयस हो...?

उदय- नह ं ... म तो एक डाँ टर को दखाने गया था बहुत पहले... तो उसने यह श द कहा था क...’तु ह
लगता है क तम ु जी नयस हो?’... तो मझ
ु े लगा क शायद म ऎसा ह सोचता हूँ और यह ह मेर बमार है ...।
तब से मेरा इलाज चल रहा है ...।

नवाज़- इलाज से कुछ फायदा हुआ।

उदय- हाँ... हुआ तो... पर अभी एक मं दर पर घटना हुई थी िजससे म थोड़ा डर गया सो....।

मदन- मं दर पर या हुआ था? कौन सा मं दर...?

नवाज़- यार तम
ु एक बार म अपनी परू बात य नह ं कह दे त.े ..?

उदय- म कह चक
ु ा हूँ। बस मझ
ु े और कुछ नह ं कहना।

मदन- अरे ! वह मं दर वाल बात..।

नवाज़- यह कह द तम ु ने अपनी बात....। जैसे कोई तम


ु से पछ
ू े क तु हारा नाम या है तो तु हारा जवाब होना
चा हए क मेरा नाम फला-फला है । बस बात ख म हो गई... पर तम ु कहते हो मेरा नाम फलॉ-फलॉ है पर... या
ले कन? अरे ! यह ले कन का या मतलब है ।

उदय- ले कन अभी बहुत दन के बाद अपने डाँ टर को छोड़कर कसी और से यह बात कह ं है तो मझ


ु े अ छा
लग रहा है ।

(नवाज़ घड़ी दे खता है .... और परे शान हो जाता है ।)

नवाज़- हे भगवान! आधे घंटे हो गये और म अभी तक सोया नह ं हूँ, मेरा सोना बहुत ज़ र है । चार बजे से
पहले नह ं उठूगाँ।

मदन- आप अगर इतना परे शान हो रहे ह तो वहाँ पीछे क तरफ य नह ं चले जाते...?
नवाज़- पीछे क तरफ कहाँ...? वह हरण और खरगोश के बीच... या वह ब च के झल ू म दब
ु ककर सोऊं...।
दे खए मझ
ु े सोना है और म यह ं सोऊगाँ...अगर आप लोग को यह बेहूदा बात करनी है तो आप दोन य नह ं
पीछे चले जाते ह। अगर यहाँ बैठना है तो एकदम चप
ु चाप बै ठए... म सो रहा हूँ।

(नवाज़ वा पस सोने चला जाता है । मदन कुछ दे र चप


ु रहता है ।)

मदन- मझ
ु े बात करने म कोई दलच पी नह ं है , म तो बस अपनी जगह बैठना चाहता हूँ, जहाँ यह जी नयस
महा य चपककर बैठ गये ह।

उदय- आप यह ं य बैठना चाहते ह?

मदन- म नह ं बता सकता।

उदय- अजीब पागलपन है ? मझ


ु े तो लगता है क यह पागल है , इ ह इलाज क ज़ रत है । या कहते ह आप?

मदन- अरे ! हम दोन क बात म आप उ ह य घसीट रहे हो? उ ह सोने दो..।

उदय- अरे वाह! आप लड़कर यह जगह लेना चाहते ह? उ ह फैसला करने दो?

मदन- ठ क है जो यह फैसला करे ग म भी मान लग


ू ाँ।

उदय- जी... क हए? आप जो कहे ग हम वो ह करे ग।

(नवाज़ उठता है ...और वहाँ से चला जाता है । मदन और उदय एक दस


ू रे को दे खते रह जाते ह।)

मदन- एक भला आदमी यहाँ सो रहा था आपने उसे भी भगा दया... बस वहाँ बैठे रहने क िज़ द म।

उदय- दे खए असल म...?

मदन- रहने दो अब माफ़ मत माँगना मझ ु से, पहले ह एक बार म माफ़ कर चक ु ा हूँ... बेशरम कह ं के... अरे !
अजीब शैतान हो कम-से-कम दे ख तो ल िजए क वह बेचारा कहाँ गया है । कूल म कभी पढ़ा नह ं यहाँ पढ़ने
का नाटक कर रहे हो..।

(उदय उठके जाता है ... और पीछे आवाज़ लगाता है ... तब तक मदन उदय क जगह बैठ जाता है ... बच के
एकदम कनारे पर... ऊपर दे खकर मु कुराता है फर आँखे बंद कर लेता है । तब तक उदय वा पस आ जाता है ।)

उदय- अरे ! कैसे हो तम


ु .... उठो... उठो मेर जगह से...।

मदन- को... को...।

उदय- अरे उठो मेर जगह से... मेर जगह ह थयाना चाहते हो।

(उदय, मदन को ज़बरद ती उठा दे ता है ।)

मदन- यह या ज़बरद ती है । बाहर से हमारे गाँव म आए हो और हम हमार ह जगह से उठा रहे हो?
उदय- अरे ... यह तु हारा चहरा गीला य है ?

मदन- म नह ं बता सकता। मझ


ु े बस थोड़ी दे र और बैठने दो... बस थोड़ी दे र और...।

उदय- नह ं हटो.. यह या पागलपन है .. हटो... हटो।

(दोन म हाथा पाई होने लगती है .... तभी नवाज़ अंदर आता है , उसके हाथ म एक डंड़ा है । वह अपनी जगह पर
बैठता है और ज़ोर से एक ड़ंड़ा ज़मीन पर मारता है .. दोन डर जाते ह।)

उदय- म आपको बल ु ाने गया था... और यह मेरे जाते ह यहाँ मेर जगह बैठ गए... इतने बेशरम है क उठने का
नाम ह नह ं ले रहे ह।

नवाज़- दोन इस तरफ चलो... चलो..।...


(दोन दस
ू र तरफ आ जाते ह.... नवाज़ उस जगह को दे खता है यान से... ।)

या है इस जगह म ऎसा... और सामने भी बस ये एक पेड़ है ...और...(थोड़ा झक


ु ता है ) और....

(तभी उसक नग़ाह सामने क बालकनी पर खड़ी एक लड़क पर पड़ती है , जो अपने बाल सख
ु ा रह है ।)

ओह! तो इस जगह के यह फायदे ...।

उदय- या... या फायदे ह?

(उदय भी झु कर दे खता है ,उसे वह लड़क दखती है ।)

मदन- आप जो समझ रहे ह... वह एकदम ग़लत है ।

नवाज़- इसके अलावा या समझा जा सकता है ? आप बता दो हम वह समझ लेग।

(उदय भी आकर उस लड़क को दे खता है ...तभी वह चल जाती है ।)

उदय- ओह!... अरे वह तो चल गई।

मदन- चल गई...?

(मदन उसे दे खने जाता है ... वह दोन उसे ध का दे दे त ह।)

मदन- वह अभी वा पस आएगी। अभी उसने सफ अपने बाल को धोया है ... अभी वह उसे शे पू करे गीं फर
कं डशनर लगाएगी और फर वा पस आएगी।

नवाज़- आप ट चर ह... आपको यह सब शोभा दे ता है । शम आ रह है मझ


ु े मेरा बेटा आपके कूल म पढ़ता है ।

मदन- जी म ऎसा ह ट चर हूँ...ब चे मझ


ु े कूल म ग बर संह कहकर बल
ु ाते ह। आप चाह तो अपने ब चे को
कूल से नकाल सकते ह।
नवाज़- मेरा ब चा य नकलेगा कूल से, म आपक शक़ायत क गाँ... आप नकाले जाएग कूल से।

मदन- या दोष है मेरा..? क म इस जगह बैठना चाहता हूँ।

(यह कहकर वह वा पस उदय क जगह पर बैठ जाता है .. उदय उसे उठा दे ता है ।)

उदय- दोष है क आप इस जगह बैठकर उ ह ताड़ रहे ह, जो एक तरह से लड़क छे ड़ना है ।

मदन- आप इसे जो भी समझे...।

उदय- और आपका चहरा गीला य ह?

मदन- यह म नह ं बता सकता।

नवाज़- आपका चहरा गीला य है ।

मदन- ठ क है म आपको परू बात बताता हूँ... अगर इस बात को सन


ु ने के बाद भी... आपको लगे क यह
लड़क ताड़ना या छे ड़ना है तो आप जो कहग म क गाँ और अगर नह ं तो यह जगह मेर । बोलो मंज़रू ...।

नवाज़- पहले तम
ु अपनी बात तो बताओ।

मदन- सनु ो....वह हमारे कूल क ग णत क ट चर ह... वह सामने के घर म रहती है ... यहाँ, सफ इस जगह से
उसके घर क बालकनी दखती है ।

नवाज़- छ ... अपने ह कूल क ग णत क ट चर के साथ।

मदन- आप परू बात सन ु ेग..... म पहले भी, बना कसी वजह के, यहाँ आया करता था...। एक दन.. म यह ं
बैठा हुआ था... काफ़ भीड़ थी इस पाक म, वरना म कभी यहाँ नह ं बैठता था, मेर जगह तो वह थी, जहाँ अभी
आप बैठे हुए ह।

उदय- अरे ! बात पर आओ ना।

मदन- वह बता रहा हूँ.... उसी दन वह आई अपनी बालकनी पर... नहाने के बाद अपने बाल सख ु ाने... म उसे
दे ख रहा था.... तभी उसके बाल झटकने के साथ ह उसके पानी के छ टे उड़ते हुए सीधे मेरे मँह
ु पर आए...
जब क उस दन हवा भी नह ं चल रह थी...। मने सोचा यह मेरा वहम होगा। उस वहम क जॉच के लए म
बार-बार यहाँ आने लगा। आप आ चय करग, वह पानी के छ टे ना तो दाँए जाते ह ना ह बाँए... वह उसके बॉल
से नकलकर सीधे मेरे चहरे पर आते ह।

नवाज़- उसे यह बात पता है ?

मदन- नह ं...। अभी तो मझ


ु े भी नह ं पता क यह बात या है ?

उदय- और ..?

मदन- और या, मने बता दया... बस यह ह है , और इसक मझ


ु े आदत लगी हुई है ।
उदय- तम
ु इसका इलाज कराना चाहोगे।

मदन- नह ं... बस यह तो एक चीज़ है िजसके कारण म खदु को थोड़ा वशेष महसस ू करता हूँ। वना ट चर
करते तो दन गज़ ु र ह रहे ह। अब बताओ... या यह लड़क ताड़ना या छे ड़ना है ?

नवाज़- नह .ं ..पर।

मदन- तो मझ
ु े मेर जगह पर बैठने दो... चलो हटो।

उदय- म अपनी जगह से नह ं उठूगाँ बस।

(मदन ज़बरद ती उसे उठाने लगता है ।)

नवाज़- सन ु भाई... यह लड़क छे ड़ना या ताड़ना तो नह ं है ... ले कन यह, लड़क , नह ं छे ड़ना या नह ं ताड़ना
भी नह ं है ।

उदय- अरे , यह यहाँ बैठकर ताड़ ह तो रहे ह।

नवाज़- पर यह लड़क छे ड़ने के दायरे म नह ं आता।

मदन- सन
ु अब बहस का कोई फायदा नह ं है ... यह जगह मेर है .. उठ यहाँ से..।

नवाज़- नह ं को... अभी उसने अपनी बात नह ं कह है । उसे अपनी बात भी तो कहने दो...। फर तय करे ग क
यह जगह असल म यादा कसक है ।

मदन- अरे ! यह तो वजह बता चक


ु े ह.. इनक बमार है ... एक बार आप अपने आपको जी नयस समझ लो तो
बस खेल ख म... फर तो आपको लगने लगता है क परू द ु नयाँ पर आपका ह अ धकार है । हटलर को भी तो
यह ह बमार थी।

उदय- आप मेर बमार का मज़ाक उड़ा रहे है ?

मदन- अरे तो आप बीमार है तो....!!!

नवाज़- दोन चप
ु ... च लए अब आप इस जगह पर अपना अ धकार स ध क रए?

(उदय गंभीर हो जाता है ... उसे अपनी जगह जाती हुई दखती है ।)

उदय- अरे यह या है .. म या अ धकार स ध क ँ ..? यह जगह मेर है .. और आप इसके गवाह है ।

नवाज़- तम
ु तो पहले यहाँ आकर बैठे थे ना...?

उदय- तो आप ह ने मझ
ु े वहाँ से उठा दया? अब म यहाँ बैठा हूँ.. और यह मेर जगह है ।

नवाज़- नह ं तम
ु समझ नह ं रहे हो... उस जगह से उनका इ तहास जड़ु ा है , अब। और हम दोन इस बात के
गवाह भी है क वह झठ
ू नह ं बोल रहे ह.... इ तहास िजनका जगह उनक ...।
उदय- मने अभी-अभी LAW पास कया है .. मझ
ु े कानन
ू पता है ...। कसी भी सावज नक जगह से उठाने का
हक़ कसी को नह ं है ।

नवाज़- पर वक़ ल साहब, इस व त इस जगह क सम या को लेकर कानन ू तो म ह हूँ... और मेरे हाथ म डंड़ा


भी है । आप ह ने यह अ धकार मझ
ु े दया हुआ है ...फैसला करो? फैसला करो? सो अब कर रहा हूँ म फैसला...
काननू न। जहाँ तक सावज नक श द का न है , इस दे श म इसका कोई मह व नह ं है ।.. यहाँ सब सावज नक
है और कुछ भी सावज नक नह ं है । वक़ ल साहब और कुछ है आपके पास कहने को...।

उदय- वाह! यह तो ऎसा हो गया क मेरा घर था... िजसम मने आपको सु ताने का मौक़ा दया...आप वहाँ पसर
गए.. अब जब म यहाँ आकर बैठा हूँ तो आप क से कहा नयाँ बनाकर मझ
ु े यहाँ से.. मतलब इस घर से नकाल
नकाल रहे ह।

मदन- अरे यह पाक है ... घर का इससे या संबध


ं .. कुछ भी दल ल दे रह ह यह।

उदय- ट चर हो? उदाहरण नह ं समझते, या होता है ?

(तभी मदन गु से म उसके पास जाता है ।उदय और गु सा हो जाता है ।)

उदय- सन
ु तम
ु इधर आने क सोचना भी नह ,ं वरना म... म... अपनी जगह के लए कुछ भी कर सकता हूँ।

मदन- यह दे खए मझ
ु े मारने क धमक दे रहे ह?

नवाज़- दे खए यह गाँधी पाक है ... यहाँ यह सब नह ं चलेगा।

मदन- गोड़से कह ं के....।

उदय- sorry... sorry... ठ क है अब यह सन


ु ....उदाहरणाथ!!!

नवाज़- या? या..?

उदय- ...अब म इस जगह पर अपना अ धकार सफ इसी तर क़े से स ध कर सकता हूँ. ..उदाहरणाथ....!


आशा करता हूँ आप सब पढ़े - लखे होग., यह सु नये...उदाहरणाथ....। उस बच को अगर फ ल तीन मान ले तो
आपने तो मझु े अरब बना दया.... मने इन(नवाज़) यहूद को अपने यहाँ पनाह द , और इ ह ने मझु े अपने ह
घर से नकाल दया। अब म अपनी इस छोट जगह के लए लड़ना चाहता हूँ तो आप मझ ु े ह कह रहे ह क यहाँ
यह सब नह ं चलेगा।

मदन- यह या बात कर रहे ह?

नवाज़- म इसका जवाब दे ना चाहता हूँ...।भईया, ले कन ई वर के फ र ते से.. अ ा हम के बेटे याक़ूब को


इज़राईल क उपा ध मल थी..॥ यह असल म यहू दय का ह शहर था..। यह फ ल तीन नह ं इज़राईल ह
था।.यह अलग बात है क यहूद .. वह वहाँ कभी रह नह ं पाए, पर था तो उनका ह ..... सो एक दन वह आ गए
वहाँ रहने...’भाई यह हमार जगह है , हटो यहाँ से...’..बात ख म..। अब इसम कोई या कर सकता है क अरबी
(उदय क तरफ इशारा करके...) भाषा म इज़राईल का अथ... यमराज है , मौत का दे वता।

उदय- पर उन बेचारो(अरब लोग ) का या जो उसे अपना घर समझे बैठे थे? अचानक आप ई वर क बात को
कोट कर-करके उनसे सब कुछ छ न लो?
मदन- यार यह या बात हो रह है ?

उदय- वह जो उनके साथ वहाँ हुई, आप लोग मेरे साथ यहाँ कर रहे हो... यहूद कह ं के।

मदन- यहूद ? अरे , म तो बस इस पाक बच के इस कोने पर बैठना चाहता हूँ...? इसम आपको इतनी सम या
य है । बहुत हो गया आप उ ठये यहाँ से...।

उदय- म आपको यह जगह तो नह ं दग ू ाँ चाहे कुछ हो जाए....पर अगर आप इस जगह के लए इतने ह पगला
रहे ह तो म एक काम कर सकता हूँ... अगर यह मझ ु े अपनी जगह दे द, तो वहाँ चला जाऊगाँ...चू क शु म म
वह ं आकर बैठा था...और फर आप उनसे यह जगह माँग लेना?

मदन- यह तो एकदम ठ क है ... चलो उठो?

उदय- ठ क है चलो.... ले कन पहले आप उ ह उठाईये।

मदन- च लए साहब यह तो सार सम या ह सल


ु झ गई। उ ठए...?

नवाज़- मझ
ु े कोई आप ी नह ं है ... को मझ
ु े ज़रा सोचने दो?

मदन- इसम या सोचना है ... सीधी बात तो है ।

नवाज़- बात िजतनी सीधी आपको दख रह है उतनी सीधी नह ं है .... मझ ु े यह जगह आपको दे ने म कोई
आप नह ं है .. पर मझ
ु े
, मे र जगह से उठा दये जाने से एतराज़ है ।

मदन- भाई आपको आपक जगह से कोई नह ं उठा रहा है ... आपको बस इस जगह के बदले वह जगह द जा
रह है ।

नवाज़- और फर उसके बाद आप मझ


ु े वहाँ से भी उठा दे ग... और कहे ग क आप इधर आ जाओ, मझ
ु े वहाँ बैठ
जाने दो?

मदन- हाँ।

नवाज़- मतलब... आप लोग क वजह से म दो बार अपनी जगह से उठाया जाऊगाँ, जब क म तो महज़ यहाँ
सोना चाहता था।

मदन- पर आप यह य नह ं मान लेते क आपक असल म जगह यह है ।

नवाज़- कैसे मान लँ .ू .. म यहाँ बैठा हूँ, मेर यह जगह है , बस।

मदन- मेर समझ म नह ं आ रहा है क आप लोग इतनी छोट सी बात को इतना तल ू य दे रहे ह... अरे यहाँ
पाक म हम तीन ह, तीन बचे रखी है , कोई कह ं भी बैठे या फक़ पड़ता है ... आप लोग ने तो, इसे एक मु दा
बना लया है और इस सबम, बस म पस रहा हूँ...। अरे आप लोग को तो बस समय काटना है पर मेरे लए वह
जगह ज़ र है ।

(मदन गु से म बैठ जाता है ....। तीन शांत बैठे रहते ह।)


नवाज़- तम
ु कभी क मीर गए हो?

मदन- नह ं...।

नवाज़- म भी कभी नह ं गया। मने हमेशा उसे अपने भारत के न शे म ह दे खा है ... पर अगर कोई दस ू रा दे श
हमसे कहता है क क मीर तु हारा नह ं हमारा है ... तो मझ ु े बड़ी बेचेनी महसस ू होती है । मझु े अ छा नह ं
लगता। भले ह क मीर, या इस जगह से, मेरा कोई सीधा संबध ं नह ं है ... पर मझु े पता है क यह जगह अभी
हमार है .... हमारा दे श है ... हमसे कोई नह ं छ न सकता।

मदन- आप या कहना चाहते ह? म आपसे क मीर मांग रहा हूँ?

उदय- अरे उनके कहने का मतलब वह नह ं है ...। अरे यह सब उदारणाथ चल रहा है ।

मदन- अरे ! पर इस बच क इस जगह का क मीर से या संबध


ं है ?

उदय- संबध
ं बच का नह ं है संबध
ं जगह का है ... और जगह से उठा दये जाने का है ।

मदन- पर म उ ह दस
ू र जगह दे रहा हूँ... मतलब यह और उसके बाद यह..।

उदय- (नवाज़ से...)लोग को जब उनक जगह से नकालकर दस ू र जगह फक दया जाता है .. तो वह.. कभी भी
उसे अपनी जगह के प म वीकार नह ं कर पाते। वह, उनक पु ते परू िज़दगी इंतज़ार करते है , इस आशा म
क एक दन सब कुछ ठ क हो जाएगा और उ ह वा पस बल ु ाकर उनक जगह दे द जाएगी। जैसा चाईना ने
त बत के साथ कया है ।

नवाज़- (उदय से...)पर ऎसा कभी होता नह ं है ... कोई कसी को नकाल दये जाने के बाद, जगह वा पस नह ं
दे ता...। जब तक आप उस जगह पर हो, तभी तक वह जगह आपक है । बाद म त बत, उनके लामा कतना ह
च लाते रह.... क ’यह जगह हमार थी’, ’यह जगह हमार थी’... पर कोई सनु ने वाला नह ं है ।

मदन- अरे कौन त बत है और कौन सन


ु ने वाला? कसक बात कर रहे ह आप लोग?

उदय- जैसे तु हारा इ तहास इस जगह से जड़


ु ा है वैसे ह ’जगह से उठा दये जाने का इ तहास’ मझ
ु से जड़
ु ा है ।

मदन- यह या इ तहास है ? ऎसा कोई इ तहास मने तो नह ं पढ़ा है ?

उदय- यह द कत है क हम कभी इस इ तहास के बारे म पता ह नह ं होता। वह जगह मेर थी... जहाँ से
इ होने मझ
ु े उठाया था...अब वह सारा परु ाना इ तहास भल
ू कर, दे खो कैसे उस जगह के लए आपसे लड़ रहे ह...
मानो यह उ ह ं क जगह है ।

नवाज़- अरे आप यह, छोट सी बात भल


ू य नह ं जाते?

उदय- म य भल ू ग
ू ाँ... जगह से उठा दया जाना एक तरह का यू मलेशन है ...। अगर आपको ऎसा नह ं
लगता है तो दे द िजए अपनी जगह?

नवाज़- (उदय से...)आईये आप अपनी जगह ले ल िजए।


उदय- नह ं आप बात को समझे नह ,ं आप अभी जगह मझ ु से बदल रहे ह...यह आसान है ... म जगह से उठा
दये जाने क बात कर रहा हूँ...। सो आप इनके कहने पर वह जगह छो ड़ये तो म आपको यह जगह दग ू ाँ।

नवाज़- कान ऎसे पकड़ो या ऎसे, बात तो एक ह है ना।

उदय- बात एक नह ं है ... आप कान वैसे पक ड़ये जैसे म कह रहा हूँ। तब दे खता हूँ आप कैसे पकड़ते ह कान?

मदन- अरे भाई पकड़ य नह ं लेते अपने कान... जैसे यह कह रहे ह.. पकड़ लो अपने कान।

नवाज़- म य पकडू अपने कान।

मदन- भाई आप मझ
ु े बताईये कैसे पकड़ने है कान.... इनके बदले म पकड़ लेता हूँ अपने कान।

उदय- तम
ु बात को नह ं समझ रहे हो।

मदन- अ छा... म यह जगह चाहता हूँ.. और म ह बात को नह ं समझ रहा हूँ?

नवाज़- भाई यह सब उदाहरणाथ चल रहा है ।

मदन- अरे भाई यह या उदाहरणाथ है ? आप मझ


ु े अभी समझाईये या है यह उदारणाथ...?

नवाज़- समझाऊँ?

मदन- जी।

नवाज़- तो सु नये.... अकड़, बकड़ बा बे बो...ठ क है ... अ सी न बे परू े सो... सो म लगा धागा... चोर
नकलकर भागा.... वह भागा और यह जगह मेर ... समझे?

मदन- (अपनी तरफ उं गल करके...) बा बे... न बे.. चोर.. नह ं नह ं.. यह या है ... यह गलत है ...आप मझ
ु े
सीधी बात बताईये क आप उनके साथ यह जगह बदल रहे ह क नह ं?

नवाज़- अब सीधी बात तो यह है क, म बदलने को तो तैयार हूँ पर अब यह ह नह ं मान रहे ह।

मदन- आप तैयार है ना.. बस कये..(उदय के पास जाकर)अब आप य अपनी बात से मक


ु र रहे ह...।

उदय- म नह ं मक
ु र रहा हूँ म कह रहा हूँ पहले आप उ ह उनक जगह से उठाईये, तब म वहाँ जाकर बैठूगाँ।

मदन- पर यह बात तो एक ह है ना? य ??? अरे दे खए... आप ह उठ जाईये, उ ठये..उ ठये ना।

उदय- आप ह जैसे लोग क वजह से आ दवासी न सल बनते जा रहे ह।

मदन- या मतलब है मेर वजह से..?

उदय- अगर उ ह बार-बार अपनी जगह से उठाओगे तो उनके पास ह थयार उठाने के अलावा कोई चारा भी तो
नह ं बचेगा।
मदन- यह उदाहरणाथ मेर समझ म आ रहा है .. यह सन ु ो जी नयस...। अगर आ दवा सय को उनक जगह से
उठाकर दस ू र जगह नह ं दोगे तो वह तो ह थयार उठाएग ह । पर म तो इ ह दस
ू र जगह दे रहा हूँ। हाँ... हाँ...
हाँ... मज़ा आ गया.. अब बोलो...उदाहरणाथ?

उदय- जब आप समझ ह गए ह तो... आप यह भी समझ गए होग क... म य कह रहा हूँ क आप, उ ह


उनक जगह से उठाईये..?

मदन- हाँ म समझ गया... आप आ दवासी नह ं बनना चाहते है ।

नवाज़- आप रहने द िजए... म समझ गया यह या करवाना चाहते है ...। मझ


ु े फक़ नह ं पड़ता.. आईये आप
मझ
ु से क हए, ’कृ या यहाँ से उठो..”, म यहाँ से उठ जाऊगाँ।

मदन- ठ क है ... ’कृ या यहाँ से उ ठये...?’

(नवाज़ उठता है ...।)

उदय- नह ं... ऎसे नह .ं .. कोई भी अपनी जगह, इतने यार से नह ं छोड़ता। अपनी जगह छोड़ने म तकल फ
है .... । आपको आपके वर म, ज़बरद ती का भाव लाना पड़ेगा।

मदन- अरे ! वह उठ तो रहे ह? कैसे उठ रहे है .. इससे या फक़ पड़ता है ?

उदय- फक़ पड़ता है ... य क उठना मह वपण ू नह ं है ... मह वपण


ू है उठाया जाना। उ ह कोई फक़ नह ं पड़ता
है ना... तो आप क हए... और ऎसे क हए, मान आपके घर म कसी ने ज़बरद ती क ज़ा कर लया है और
नकलने का नाम नह ं ले रहा है ।

नवाज़- हाँ मझ
ु े फक़ नह ं पड़ता है पर मने कसी के घर पर क ज़ा नह ं कया है ।

उदय- म सफ भाव समझा रहा था। बोलो...

मदन- उ ठये आप बस.. अभी...।

उदय- नह ं, वा य म अभी भी बहुत इ ज़त है । गु से म...

नवाज़- अरे सन
ु ो... एक बार म बोलो ना जो भी भाव-वाव से बोलना है और बात ख म करो... चलो।

मदन- उठो मेर जगह से.. अभी... इसी व त.. वरना म कुछ भी कर सकता हूँ।(बहुत गु से म नवाज़ क
गरे बान पकड़ लेता है ।) उठ.. तेर समझ म नह ं आ रहा है या? बहरा है या त.ू ... उठ... वना म तु ह ध के
मारते हुए उठाऊगाँ.. उठता है क नह ?ं चल उठ....

(नवाज़ अवाक सा उसे दे खता रह जाता है ...मदन गरे बान से हाथ हटाता है ... नवाज़ खड़ा हो चक
ु ा है ... नवाज़
और उदय दोन एक साथ चलना शु करते है ... उदय उठके नवाज़ क जगह पर आकर बैठता है ... और नवाज़
उदय क ...)

मदन- माफ करना वह जोश-जोश म मेरे मँह


ू से नकल गया... मेरा इरादा इतना ऊँचा बोलने का नह ं था।
(उदय से...) य या यादा जोर से बोल दया मने।
उदय- नह ं, ठ क बोला।

मदन- अभी तो उ ह वहाँ से भी उठाना है । बोलू उ ह?

(उदय उसे दे खता है , मदन खद


ु ह चप
ु हो जाता है ।)

नवाज़- कतना व त हो रहा है ?

उदय- साड़े तीन बज रहा है ।

नवाज़- बस आधे घंटे म मेरे बेटे का रज़ ट है । सोचा था पहले सोते हुए समय गज़ ु ार दग
ू ाँ... पर तम
ु लोग क
बक़वास के च कर म सो नह ं पाया... फर सोचा तम ु लोग सोने तो दोगे नह ं ... चलो साथ बक़वास करता
रहूगाँ..तो समय गज़
ु र जाएगा।

उदय- हाँ दे खो.. साढ़े तीन तो बज ह गए ह।

मदन- या आप अब चार बजे तक वह ं बैठे रहे ग? वह बस आती होगी।

उदय- श.ू ..श.ू ..।

नवाज़- मेरे बेटे के साथ म दस साल इसी पाक म खेला हूँ... उसे यह पाक उसके घर से भी अ छा लगता है ।

उदय- या उ है आपके बेटे क ..?

नवाज़- पं ह साल का है वो...।

मदन- पर आज रज़ ट तो सफ पाचवीं लास का खल


ु ने वाला है ?

नवाज़- वह पाचवीं लास म ह पढ़ता है । वह दमाग़ी प से थोड़ा कमज़ोर है ।

मदन- हाँ म उसे जानता हूँ... वह मेर संगीत लास म भी आया था... वह तो वकलांग है , या नाम है
उसका...?

नवाज़- वकलांग नह ं है वह... आप जैसे लोग क वजह से वह पास नह ं हो पा रहा है ...।

मदन- दे खए म ऎसा सोचता हूँ क....।

नवाज़- आप या सोचते ह इससे मझ ु े कोई मतलब नह ं है .... म आपको मँहु ज़बानी पाँचवीं क ा का परू ा पाठ
सन
ु ा सकता हूँ....। हर साल उसे तैयार करता हूँ.... पछले चार साल से...। उसका पास होना हम दोन के लए
बहुत ज़ र है ।

मदन- म उस लड़के को जानता हूँ यह पु ेम म पगला रहे ह।

उदय- आप चप
ु नह ं रह सकते?

नवाज़- हाँ म पगला गया हूँ। तु ह पता है मने उसे दो साल पहले ह साईकल दला द थी? पर उसने उसको
छुआ भी नह ं, वह जानता है क वह पास नह ं हुआ है ...। जब आप जैसे ग बर संह जैसे ट चर... कूल म
उसका मज़ाक उड़ाते ह तो वह रात म खाना नह ं खाता...।अब हम दोन ने तय कया है क हम जैसे ह पाचवीं
पास होग, हम खद ु कूल छोड़ दे ग... और इस सॉल मझ ु े परू ा व वास है क वह पास हो जाएगा। मझ ु से यह
चार बजे तक का व त ह नह ं कट रहा था, इस लए मने सअ ू र क तरह ठू स-ठू स कर खाना खाया था.... क
परू दोपहर सोते हुए नकाल दँ .ू ... सीधा चार बजे उठूँ और मझ ु े र लट पता लग जाए....। म यह धीरे -धीरे
रगता हुआ समझ बरदा त नह ं कर सकता ।

(तीन कुछ दे र चप
ु -चाप बैठे रहते है ...)

उदय- आप उससे नकल करवा रहे ह... यह ठ क नह ं है ।

नवाज़- या...? म उसे पढ़ा रहा हूँ।

उदय- म उस नकल क बात नह ं कर रहा हूँ, हम सबक इस कहानी म अपनी-अपनी भू मकाएँ है ... कोई
यि त अगर ज़बरद ती कसी और क भू मका नभाता है तो वह जी नह ं रहा है .. नकल कर रहा है ...। हुसन

जीना चाहता है , नकल नह ं करना चाहता।

नवाज़- तु ह कैसे पता क उसका नाम हुसन


ै है ?

उदय- वह मेर बमार , मझ


ु े लगता है क म जी नयस हूँ।

(नवाज़ उठकर उदय के पास आता है ....।)

(मदन उठकर उदय क जगह पर जा ह रहा होता है क... उदय बोलता है ।)

उदय- (मदन से...) मेर डॉ टर ने मझ ु े एक बात बताई थी.. क मेर बमार का संबध
ं मेरे बचपन से है ...। म
जब पैदा हुआ था तो मेरे माँ बाप को लगा क म एक special child हूँ। बस यह मेर बमार बन गया,उस
पेशल चाई ड क भू मका ह म आज तक नभा रहा हूँ, जब क म एक आम आदमी हूँ...और मज़े क बात है
क आपका बेटा एक पेशल चाई ड है ... जब क आप उसे आम आदमी बनाना चाहते ह।

(मदन उठकर वा पस अपनी जगह पर बैठ जाता है । अब उदय और नवाज़ एक बच पर बैठे ह... मदन बीच
वाल बच पर और िजस बच क िजस जगह के लए लड़ाई चल रह थी... वह खाल पड़ी हुई है ।)

नवाज़- या हुआ? अब आपको अपनी जगह नह ं चा हए? म आपसे बात कर रहा हूँ.. आपको सन
ु ाई नह ं दे रहा
है या?

उदय- सु नये... अब आप अपनी जगह पर य नह ं जा रहे ह? जाईये वह खाल पड़ी है ।

मदन- म यह ं ठ क हूँ।

नवाज़- नह ,ं अब आप ’संत’ मत ब नये.... आपक जगह खाल पड़ी है .. आप जाईये वहाँ पर...।

मदन- अरे रहने द िजए... नह ं जा रहे ह तो ना जाए?

नवाज़- य ... य नह ं जाएग वह... हमार नाक़ म दम कर रखा था... क यह मेर जगह है ... यह मेर जगह
है .... अब खाल पड़ी है जगह.. तो उ ह जाना पड़ेगा... उ ठए... उ ठए आप...।
(नवाज़ ज़बरद ती उसे उठाने क को शश करता है ..उदय रोकता है ... पर मदन नह ं उठता है ।....)

उदय- अरे सु नये वह नह ं जाना चाहते है तो... रहने द िजए... दे खए... रहने द िजए...।

नवाज़- यह ऎसे नह ं मानेग....

(नवाज़ सामने जाकर ग णत क ट चर को आवाज़ लगाता है ... उदय रोकता है ।)

नवाज़- सु नये... ओ ग णत क ट चर... मेडम.. बाहर आईये... ओ.. ट चर जी....

उदय- अरे ! यह आप या कर रहे ह?

नवाज़- आप शांत र हए....मेडम...ट चर जी...... सु नये... मस... मस.. ट चर जी....।

मदन- च लाईये... बल
ु ाईये उनको...म भी आपका साथ दे ता हूँ... ( च लाता है ...) मेडम.. सु नये... मस..बाहर
आईये..। अरे आप य चप ु हो गए। च लाईये... अब मझ
ु े कोई फ़क नह ं पड़ता है ....आप लोग ने सब ख म
कर दया है ।

उदय- या? हमने...? हमने या कया?

मदन- यहाँ इस जगह म वह ग णत क ट चर मह वपण ू नह ं है ... उसका वहाँ खड़े रहना, बाल सख
ु ाना, कुछ भी
मह वपण
ू नह ं है ... जो मह वपण
ू था वह आज आपने ख म कर दया।

नवाज़- अरे , आप तो ऎसे इ ज़ाम लगा रहे ह मानो... हमने कसी का खन


ू कर दया हो?

मदन- खन ू ह हुआ है । म ग बर संह हूँ...अपने कूल म.. घर म.. बाज़ार म... सब जगह...सार जगह म
वलेन हूँ.. बरु ा आदमी। सवाय इस जगह के... यहाँ इस बच पे.. म ह रो हूँ... अ छा हूँ, स चा हूँ... म बस यहाँ
पर ह म हूँ।आप लोग ने अभी, इस म का खन ू कर दया।... मझ
ु े यहाँ भी आप लोग ने वलेन बना दया। अब
म सब जगह ग बर सहं हूँ।

(उदय, मदन के पास जा रहा होता है ... नवाज़ उसे रोकता है ....। नवाज़, मदन के पास जाता है ।)

नवाज़- दे खो... म अपनी जगह के लए कुछ भी कर सकता हूँ... तु ह ने मझ


ु े यह जगह द है ... आप वहाँ
अपनी जगह पर बैठ ए....। जाओ भाई...।

(मदन उठता है ..)

हुसन
ै - अ बा !!!

( नवाज़ दे खता है क पीछे हुसन


ै खड़ा है ।)

नवाज़- अरे बेटा... कतना बज गया... अरे ! चार बज चक


ु ा है ... रज़ ट नकल गया होगा। बेटा तू यह ं क म
अभी रज़ ट लेकर आता हूँ।

हुसन
ै - अ बा... रज़ ट...?
( हुसन
ै डरा हुआ है .. नवाज़ रज़ ट उससे छ नता है ।)

नवाज़- रज़ ट ले आए...? या हुआ?

हुसन
ै - सॉर अ बा...।

(हुसन
ै उदय से डर के मारे चपक जाता है ... उदय, हुसन
ै को संभालता है ।)

उदय- अरे ... या अभी भी रज़ ट क ज़ रत हे ?

(नवाज़ हुसन
ै को दे खता है ... वह उदय से डर के मारे चपका हुआ है ...नवाज़ यह डर बदा त नह ं कर पाता और
रज़ ट फाड़ दे ता है । हुसन
ै को अपने पास खीचता है और गले लग जाता है ... दोन चले जाते है ।)

(उदय दे खता है क मदन अभी भी बीच वाल जगह पर बैठा है ... वह दस


ू र बच पर जाता है तभी उसे ग णत क
ट चर बालकनी पर दखती है ।)

उदय- अरे ... वह आपक ग णत क ट चर... आ गई।

(मदन उठने को होता है ... पर कुछ सोचकर वा पस बैठ जाता है । उदय उसक तरफ मु कुराकर दे खता है ... और
उसे यहाँ आने का इशारा करता है । मदन वहाँ बैठता है वह उस लड़क को दे खता है आँख बंद करता है ...। कुछ
दे र म आँख खोलता है .. धीरे से उठकर मदन, उदय के पास आता है । उसके गाल छूता है ...जो गीले ह... दोन
मु कुरा दे त है ... मदन चला जाता है ।)

(उदय अकेला समय काट रहा होता है । वह हर बच पर मदन, नवाज़ बनकर.... अलग-अलग तर के से बैठता है ।
अकेले बहस करके टाईम काटने क भी को शश करता है , पर उससे यह अकेलापन बदा त नह ं होता है । कुछ
दे र म वह अपना सामान उठाता है और चला जाता है ।)

(कुछ ह दे र म इ त पाक म आती है ... वह चार तरफ दे खती है ... उसे उदय दखाई नह ं दे ता... उसे अपने आने
पर ह हं सी आने लगती है .. वह SMIRK करके चल जाती है ।)

इ त स धम ्

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