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प्रस्तुत कतता

विद्यतर्थी कत नतम
अनुक्रमतांक
विद्यतलय कत नतम
हस्ततक्षर वनर्देशक

वनर्देशक कत नतम
अतीत में दबे पाँव

ओम थानवी
ओम थानवी

जन्म: 1 अगस्त 1957,


जन्म स्थान फलोदी, जोधपुर, राजस्थान
कुछ प्रमुख
मुअनजोदड़ो, अपने अपने अज्ञेय
कृतितयाँ
ति&ति&ध शमशेर सम्मान, साक* सम्मान, केंद्रीय हि.ंदी संस्थान सम्मान सम्मातिनत। तिपछले १७ &र्षों5
से इंडि8यन एक्सप्रेस समू. के ति.न्दी दै तिनक ‘ जनसत्ता ’ में संपादक के रूप में काय*रत।
ओम थानवी थानवी 'जनसत्ता' दैनिनक के क के े यशस्&ी संपादक .ैं।
&े अच्छे लेखक भी .ैं।
&े साति.त्यिFयक कृतितयों का संपादन भी अच्छा करते .ैं।
'अनंतर' स्तंभ में &े अच्छे &ृत्तांत लिलखते .ैं।
उनके द्वारा दो खं8ों में संपादिदत 'अपने-अपने अज्ञेय'
इस बात का अनुपम उदा.रण .ै।
म थानवी ुअनजोदड़ो - ओम थानवी थानवी (यात्रावृतांत)
ओम थानवी की किकताब 'मुअनजोदड़ों' हमारे सामने सभ्यता और संस्कृकित के कई महत्वपूर्ण'
सवाल खड़े करती है-
एक तो यही किक जिजसे हम 'मोहनजोदड़ो' कहते हैं- वह दरअसल 'मुअनजोदड़ों' है- यानी
'मुद. का टीला' है।
सिसंधु घाटी की सभ्यता की खोज 'मुअनजोदड़ों' से होती है। 'मुअनजोदड़ों' में कभी एक संपन्न
नगर बसता था।
उसके नीचे एक जीता-जागता शहर सांस लेता था। वहां घर थे, कुएं थे, कुंड थे, खेत थे, कोठर थे,
पथ-चौराहे थे, साव'जकिनक स्नानागार थे।
नालिलयां थीं, कच्ची-पक्की ईंटों से बनी दीवारें थीं। ये नगर एक योजनाबद्ध तरीके से बसा था।
इस नगर में मूर्तितकं ार और कलाकार भी रहते थे।
सिसंधु घाटी का काल और समाज किनधा'रर्ण तो हमने कर लिलया, लेकिकन सिसंधु लिलकिप अब तक
हमारे लिलए अबूझ बनी हुई है।
इस छोटी-सी किकताब में, जो केवल 118 पृष्ठों की है, कई महत्वपूर्ण' प्रश्न उठाए हैं। कई किवचार-बिबंदु
लेखक ने किवद्वानों के किवचार-किवमश' के लिलए छोड़ दिदए हैं।
वे सिसंधु घाटी से जुड़े रामकिवलास शमा', वासुदेव शरर्ण अग्रवाल और राहुल सांकृत्यायन के
किनष्कर्षों. को तक' की कसौटी पर कसते हैं।
लेखक अपनी यात्रा की शुरुआत कराची से करते हुए
दुकिनया की सबसे प्राचीन सभ्यता के खण्डहरों के बारे
में कई किवचार करता है! आखिखर वह वहाँ जा ही क्यों
रहा है? अतीत की उस साम्यवादी सभ्यता, जहाँ सब
बराबर थे, वह हलिथयारों की नहीं औजारों की सभ्यता
थी। हर इंसान अपने हुनर को तराशने में किवश्वास रखता
था न किक साम्राज्यवाद की तरह दूसरों पर शासन करने
में। सिसंध का वह इलाका जहाँ रात में जाना किकसी खतरे
से खाली नहीं था वहाँ लेखक रात में बस से अपने
सालिथयों के साथ प्रस्थान करता है।
मुअनजोदड़ो पर आज तक जो शोध हुआ है लेखक उन
तथ्यों का क्रमबद्ध किवश्लेर्षोंर्ण करता चलता है। यह
मुअनजोदड़ो ही था जिजसने सबसे पहले भारत के इकितहास
को पुरातत्त्व का वैज्ञाकिनक आधार दिदया। मुअनजोदड़ो
रवाना हाने से पहले कराची से लेखक ने पय'टक गाइड
खरीदी थी, जिजसमें दज' था ‘जब यूरोप के लोग जानवरों
की खाल ओढ़ा करते थे और अमेरिरका महज आदिदम
जाकितयों का इलाका था, यहा सिसंधु घाटी के लोग धरती पर
एक अत्यंत परिरष्कृत समाज का किहस्सा थे... और नगर
किनमा'र्ण में सबसे आगे।
निवनि न्न निवद्धानों द्वारा निसंध ु निसधु सभ्यता क के े प्रम थानवी ुख स्थल एवं उसके खोजकर्ता स्थल निर्धारण एवं उसक के े ख स्थल एवं उसके खोजकर्ता ोजक के ता! हड़प्पाक के ाल निर्धारण ी न ननिदयों क के े निक के नारे
सभ्यता क के ा क के ाल निर्धारण निनधा! रण बसे नगर
प्रम थानवी ुख स्थल एवं उसके खोजकर्ता स्थल निर्धारण ख स्थल एवं उसके खोजकर्ता ोजक के ता! वर्ष !
क के ाल निर्धारण निवद्धान
माधो स्वरूप वत्स , नगर नदी /सागर
1- 3,500 - माधोस्वरूप 1- हड़प्पा 1921
दयार ह्यीलर ाम स ाहन मार्शल ी तट
2,700 ई.प.ू वत्स
2- मोहन मार्शल जोदाड़ो र ह्यीलर ाखाल दास बन मार्शल ज 1922 ं ु न मार्शल दी
1- मोहन मार्शल जोदाड़ो र्विस ध
2- 3,250 -
जॉन मार्शल मार्शल 3- र ह्यीलर ोपड़ यज्ञदत्त शर्मा र्शमा 1953
2,750 ई.प.ू 2- हड़प्पा र ह्यीलर ावी न मार्शल दी
3- 2,900 - ब्र ह्यीलर जवास ी ल ाल , स 3ल ुज न मार्शल दी
डेल्स 4- काल ीबंगा 1953 3- र ह्यीलर ोपड़
अमल ान मार्शल न्द घोष
1,900 ई.प.ू
5- ल ोथल ए. र ह्यीलर ग
ं न मार्शल ाथ र ह्यीलर ाव 1954 4- काल ीबंगा घग्घर ह्यीलर न मार्शल दी
4- 2,800 -
अन मार्शल स्ट मैके मैके भोगवा न मार्शल दी
1,500 ई.प.ू . एन मार्शल .गोपाल 5- ल ोथल
6- चन्हूदड़ों 1931
मजूमदार ह्यीलर
5- 2,500 -
माट मैके मर ह्यीलर ह्यील र ह्यीलर 6- स ुत्कागेन मार्शल डोर ह्यीलर दाश्3 न मार्शल दी
1,500 ई.प.ू 7- स ूर ह्यीलर कोट मैके दा जगपर्वि3 जोर्शी 1964
7- वाल ाकोट मैके अर ह्यीलर ब स ागर ह्यीलर
6- 2,350 - 8- बणावल ी र ह्यीलर वीन्द्र ह्यीलर र्विस हं र्विवष्ट मैके 1973
स ी.जे. गैड 8- स ोत्काकोह अर ह्यीलर ब स ागर ह्यीलर
1,700 ई.प.ू
9- आल मगीर ह्यीलर पर ह्यीलर ु यज्ञदत्त शर्मा र्शमा 1958
7- 2,350 - डी.पी. 9- आल मगीर ह्यीलर पर ह्यीलर ु र्विहन्डन मार्शल न मार्शल दी
1,750 ई.प.ू अग्र ह्यीलर वाल माधोस्वरूप वत्स ,
10- र ह्यीलर ग
ं पुर ह्यीलर 1931.-1953 10- र ह्यीलर ग
ं पुर ह्यीलर मदर ह्यीलर न मार्शल दी
र ह्यीलर ग
ं न मार्शल ाथ र ह्यीलर ाव
8- 2,000 -
फेयर ह्यीलर स र्विवस फज़ल अहमद 10- कोट मैके दीजी ं ु न मार्शल दी
र्विस ध
1,500 ई.प.ू 10- कोट मैके दीजी 1953
ऑर ह्यीलर ेल स्ट मैके ाइन मार्शल ,
11- स ुत्कागेन मार्शल डोर ह्यीलर 1927
जाज एफ. डेल्स
कदिठन शब्दों के अथ'

मुअनजो-दड़ो – पाकिकस्तान के सिसंध प्रांत में स्थिस्थत पुरातात्त्वित्त्वक स्थान स्थान,
जहाँ सिसंधु घाटी सभ्यता बसी थी। मुअनजो-दड़ो का अथ' है – मुद. का टीला।
वत'मान समय में इसे मोहनजोदड़ो के नाम से जाना जाता है।
 हड़प्पा – पाकिकस्तान के पंजाब प्रांत का पुरातात्त्वित्त्वक स्थान , जहाँ सिसंधु

घाटी सभ्यता का दूसरा शहर बसा था।


 इलहाम – अनुभूकित
 कशीदे कारी तथा ग़ुलकारी – कपड़ों पर फूल / चिचत्र अंकिकत करने की कला


 अजायब घर – संग्रहालय
 उत्कीर्ण' – खुदी हुई
 असबाब – सामान
 पय'टक – सैलानी, भ्रमर्णकारी
 पुरातत्त्ववेत्ता – Archeologist
 उत्कृष्ट - सबसे अच्छा
निसंध ु घाट ी सभ्यता
आज स े ल गभग 158 वष पवू पार्विकस्3ान मार्शल के 'पर्विश्चमी पंजाब
पर ह्यीलर ् ां3‘के 'माण्ट मैके गोमर ह्यीलर ी र्विज़ल े' में स्थित र्विस्थ3 'हर्विर ह्यीलर याणा' के र्विन मार्शल वार्विस यों
को र्शायद इस बा3 का र्विकंर्विचत्मा3र ह्यीलर ् भी आभास न मार्शल ही ं था र्विक
वे अपन मार्शल े आस -पास की ज़मीन मार्शल में स्थित दबी र्विजन मार्शल ईट मैके ो ं का पर ह्यीलर ् योग इ3न मार्शल े
धड़ल्ल े स े अपन मार्शल े मकान मार्शल ो ं के र्विन मार्शल माण में स्थित कर ह्यीलर र ह्यीलर हे हैं, वह कोई
स ाधार ह्यीलर ण ईट मैके ें स्थित न मार्शल ही ं, बर्विल्क ल गभग 5,000 वष पर ह्यीलर ु ान मार्शल ी और ह्यीलर पर ह्यीलर ू ी
3र ह्यीलर ह र्विवकर्विस 3 स भ्य3ा के अवर्शेष हैं। इसका आभास उन्हें तब इस का आभास उन्हें स्थित 3ब
हुआ जब 1856 ई. में स्थित ‘जॉन मार्शल र्विवर्विल यम बर ह्यीलर ् न्ट मैके म' न मार्शल े कर ह्यीलर ाची स े
ल ाहौर ह्यीलर 3क र ह्यीलर ेल वे ल ाइन मार्शल र्विबछवान मार्शल े हे3 ु ईट मैके ों की आपर्विू 3 के इन मार्शल
खण्डहर ह्यीलर ों की खदु ाई पर ह्यीलर ् ार ह्यीलर म्भ कर ह्यीलर वायी। इसका आभास उन्हें तब खदु ाई के दौर ह्यीलर ान मार्शल ही इस
स भ्य3ा के पर ह्यीलर ् थम अवर्शेष पर ह्यीलर ् ाप्3 हुए,र्विजस े इस स भ्य3ा का न मार्शल ाम
‘हड़प्पा स भ्य3ा‘ का न मार्शल ाम र्विदया गया । इसका आभास उन्हें तब
ख स्थल एवं उसके खोजकर्ता ोज
इस अज्ञा3 स भ्य3ा की खोज का र्शर ह्यीलर ् ेय 'र ह्यीलर ायबहादुर ह्यीलर दयार ह्यीलर ाम स ाहन मार्शल ी' को जा3ा है। इसका आभास उन्हें तब
उन्होंन मार्शल े ही पर ह्यीलर ु ा3त्त्व स वक्षण र्विवभाग के महार्विन मार्शल दर्श े क 'स र ह्यीलर जॉन मार्शल मार्शल ' के र्विन मार्शल दर्शन मार्शल में स्थित
1921 में स्थित इस स्थान मार्शल की खदु ाई कर ह्यीलर वायी। इसका आभास उन्हें तब ल गभग एक वष बाद 1922 में स्थित
'र्शर ह्यीलर ् ी र ह्यीलर ाखल दास बन मार्शल ज ' के न मार्शल े3त्ृ व में स्थित पार्विकस्3ान मार्शल के र्विस ध ं पर ह्यीलर ् ान्3 के 'ल र ह्यीलर कान मार्शल ा' र्विज़ल े के
मोहन मार्शल जोदाड़ो में स्थित र्विस्थ3 एक बौद्ध स्3पू की खदु ाई के स मय एक और ह्यीलर स्थान मार्शल का प3ा
चल ा। इसका आभास उन्हें तब इस न मार्शल वीन मार्शल 3म स्थान मार्शल के पर ह्यीलर ् कार्श में स्थित आन मार्शल े क उपर ह्यीलर ान्3 यह मान मार्शल र्विल या गया र्विक
स ंभव3ः यह सभ्यता यह स भ्य3ा र्विस ध ं ु न मार्शल दी की घाट मैके ी 3क ही स ीर्विम3 है, अ3ः यह सभ्यता इस स भ्य3ा
का न मार्शल ाम ‘र्विस ध ु घाट मैके ी की स भ्य3ा‘ (Indus Valley Civilization) Indus Valley Civilization) र ह्यीलर खा गया। इसका आभास उन्हें तब
स बस े पहल े 1927 में स्थित 'हड़प्पा' न मार्शल ामक स्थल पर ह्यीलर उत्खन मार्शल न मार्शल होन मार्शल े के कार ह्यीलर ण 'र्विस न्ध ु स भ्य3ा'
का न मार्शल ाम 'हड़प्पा स भ्य3ा' पड़ा। इसका आभास उन्हें तब पर ह्यीलर काल ान्3र ह्यीलर में स्थित 'र्विपग्गट मैके ' न मार्शल े हड़प्पा एवं मोहन मार्शल जोदड़ों को
‘एक र्विवस्33 ृ स ामर ह्यीलर ् ाज्य की जड़ ु वा र ह्यीलर ाजधार्विन मार्शल यां‘ ब3ल ाया। इसका आभास उन्हें तब
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में खुदाई
सन् १८५६ में कुछ अंग्रेज़ों के द्वारा वत'मान पाकिकस्तान के सिसंधु नदी
घाटी में एक रेल लाइन किबछाते समय उन्होंने प्राचीन और किवकलिसत सिसंधु
सभ्यता के कुछ अंशों को खोज किनकाला था। वे वहाँ रेल लाइन के
बगल से जल किनकासी की व्यवस्था करने हेतु कुछ पत्थर के टु कड़ों
और मलवे को किनकालने की कोलिशश कर रहे थे।
तब उन्हें कुछ प्राचीन काल के ईंट के टु कड़े चिमले। वहाँ के
स्थानीय लोगों ने इसकी पुकिष्ट की किक ये प्राचीन सभ्यता की
ईंटें हैं।
अंग्रेज़ पुरातत्त्ववेत्ताओं ने
सिसंधु नदी के किकनारे प्राचीन
सभ्यता के लगभग १५००
साक्ष्य इकट्ठे किकए; ठीक वैसे
ही जैसे मेसोपोटाचिमया, चिमश्र
की प्राचीन सभ्यताओं से
चिमले थे। नदिदयों के किकनारे
उनकी अवक्षेप में इनके दबे
होने के ज़्यादा आसार होते
हैं।
चिमट्टी पर बने चिचत्रों (Indus Valley Civilization) साक्ष्यों) से
यह प्रमाणिर्णत होता है किक सिसंधु
सभ्यता के लोगों ने अपनी एक
लिलकिप किवकलिसत कर ली थी ; बिकंतु
अब तक उन लिलकिपयों को पढ़ने में
सफलता नहीं चिमल पाई है। अत:
उनके धार्मिमंक किवश्वास, रीत-
रिरवाज़ों, संस्कृकित, उनकी शासन-
व्यवस्था के बारे अब तक कोई
पुख़्ता जानकारी नहीं हो पाई है।
सिसंधु सभ्यता की लिलकिप को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। उसके कारर्ण भी
कई गुस्थित्थयाँ अनसुलझी है। किवभाजन के बाद राजनीकितक कारर्णों से भी इन
सभ्यताओं के आगे के खोज काय' में किनरंतर बाधा आती रही है। मुअनजोदड़ो
की खुदाई बंद कर दी गई है। ऐसे में दोनों दे शों की सरकारों से यही उम्मीद की
जा सकती है किक वे अपने राजनीकितक भेदभाव को परे रखकर इकितहास के तथ्यों
की पड़ताल करने में मददगार बने न किक बाधक। जब तथ्य अपने आप में पकिवत्र
होते हैं तो यह जरुरी हो जाता है किक तथ्यों की पड़ताल पूरी किनष्ठा के साथ की
जाए। अतीत की स्मृकितयों को लेखक कैसे महसूस करता है। ‘मुअनजोदड़ो की
खूबी यह है किक इस आदिदम शहर की सड़कों और गलिलयों में आप आज भी घूम-
किफर सकते हैं। यहाँ की सभ्यता और संस्कृकित का सामान चाहे अजायबघरों की
शोभा बढ़ा रहा हो, शहर जहाँ था अब भी वहीं है। आप इसकी किकसी भी दीवार
पर पीठ दिटका कर सुस्ता सकते हैं। वह कोई खॅड़हर क्यों न हो,किकसी घर की
दे हरी पर पाँव रख कर सहसा सहम जा सकते हैं, जैसे भीतर अब भी काई रहता
हो। रसोई की खिखड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकते हैं।
‘ मुअन जो दड़ो ' लिसन्धु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख नगर अवशेर्षों, जिजसकी खोज
१९२२ ईस्वी मेंं राखाल दास बनज‹ ने की।
यह नगर अवशेर्षों लिसन्धु नदी के किकनारे सक्खर जिज़ले में स्थिस्थत है।
मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारर्ण है 'मुअन जो दड़ो'।
लिसन्धी भार्षोंा में इसका अथ' है - मृतकोंं का टीला।
मो.न जोदड़ो- (Indus Valley Civilization) सिसंधी:‫ موئن جو دوڙو‬और उदू' में अमोमअ मोहनजोदउड़ो भी)वादी
सिसंध की आर्विदम स ंस्कृर्वि3 का एक स्थल था।
यह लड़काना से बीस किकलोमीटर दूर और सक्खर से 80 किकलोमीटर
दर्विक्षण-पवू में स्थित र्विस्थ3 है। यह नगर क़रीब 5 किक.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
यह वादी सिसंध के एक और अहम स भ्य3ा हड़प्पा से 400 मील दूर है। यह शहर 3300
ईस ा पवू में स्थित मौजूद था और 1700 ईस ा पवू में अन मार्शल जान मार्शल कार ह्यीलर णों स े ख़त्म हो गया।
पर ह्यीलर ु ा3त्त्ववेत्त शर्मा ाओं के ख़्याल में सिसंध ु न मार्शल दी में स्थित आई बाढ़ के कार ह्यीलर ण या बाहर ह्यीलर ी हमल ों या भक ू ंप
आर्विद स े न मार्शल ष्ट मैके हुआ मान मार्शल ा जा3ा है। इसका आभास उन्हें तब स न मार्शल ् 1922 में भार ह्यीलर 3 के 3त्काल ीन मार्शल पर ह्यीलर ु ा3त्त्ववेत्त शर्मा ा र्विवभाग
के र्विन मार्शल दर्श
े क सर जान माश'ल ने मुअनजो दड़ो का प3ा ल गाया था और इन की गाड़ी
आज भी मुअनजो दड़ो- के अजायब ख़ाने की र्शोभा बढ़ा र ह्यीलर ही है।
सिसंधु घाटी सभ्यता(Indus Valley Civilization) ३३००-१७०० ई.पू.) किवश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से
एक प्रमुख सभ्यता थी। यह हड़प्पा सभ्यता और सिसंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी
जानी जाती है। इसका किवकास सिसंधु और घघ्घर/हकड़ा (Indus Valley Civilization) प्राचीन सरस्वती) के किकनारे
हुआ। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र
थें। कि’दिटश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इकितहासकारों का
अनुमान है किक यह अत्यंत किवकलिसत सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े
हैं। चार्ल्सस' मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कबिनंघम ने १८७२ में इस
सभ्यता के बारे मे सव”क्षर्ण किकया। फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे मे एक लेख
लिलखा। १९२१ में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किकया। इस प्रकार इस सभ्यता
का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया। यह सभ्यता लिसन्धु नदी घाटी मे फैली हुई थी इसलिलए
इसका नाम लिसन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। प्रथम बार नगरों के उदय के कारर्ण इसे प्रथम
नगरीकरर्ण भी कहा जाता है प्रथम बार कांस्य के प्रयोग के कारर्ण इसे कांस्य सभ्यता भी
कहा जाता है। लिसन्धु घाटी सभ्यता के १४०० केन्द्रों को खोजा जा सका है जिजसमें से ९२५
केन्द्र भारत में है। ८० प्रकितशत्त स्थल सरस्वती नदी और उसकी सहायक नदिदयो के आस-
पास है। अभी तक कुल खोजों में से ३ प्रकितशत स्थलों का ही उत्खनन हो पाया है।
क के ुल निर्धारण 6 नगर
अब 3क भार ह्यीलर 3ीय उपमहाद्वीप में स्थित इस स भ्य3ा के ल गभग
1000 स्थान मार्शल ों का प3ा चल ा है र्विजन मार्शल में स्थित कुछ ही पर्विर ह्यीलर पक्व
अवस्था में स्थित पर ह्यीलर ् ाप्3 हुए हैं। इसका आभास उन्हें तब इन मार्शल स्थान मार्शल ों के केवल 6 को ही न मार्शल गर ह्यीलर
की स ंज्ञा दी जा3ी है। इसका आभास उन्हें तब ये हैं -
हड़प्पा मोहन मार्शल जोदाड़ो चन्हूदड़ों ल ोथल काल ीबंगा र्विहस ार ह्यीलर
बणावल ी
निवशे र्ष इम थानवी ारते ं
र्विस ध ं ु घाट मैके ी पर ह्यीलर ् दर्श
े में स्थित हुई खदु ाई कुछ महत्त्वपण ू
ध्वंस ावर्शेष ों के पर ह्यीलर ् माण र्विमल े हैं। इसका आभास उन्हें तब हड़प्पा की खदु ाई
में स्थित र्विमल े अवर्शेष ों में स्थित महत्त्वपण ू थे -
1.दुग
् ाचीर ह्यीलर
2.र ह्यीलर क्षा-पर ह्यीलर

3.र्विन मार्शल वास गह
ू र ह्यीलर े
4.चब3
5.अन्न मार्शल ागार ह्यीलर आर्विद । इसका आभास उन्हें तब
ु !
दग
न मार्शल गर ह्यीलर की पर्विश्चमी ट मैके ील े पर ह्यीलर स म्भव3ः यह सभ्यता स ुर ह्यीलर क्षा हे3 ु एक 'दुग' का र्विन मार्शल माण हुआ था र्विजस की उत्त शर्मा र ह्यीलर स े दर्विक्षण की
ओर ह्यीलर ल म्बाई 460 गज एवं पवू स े पर्विश्चम की ओर ह्यीलर ल म्बाई 215 गज थी। इसका आभास उन्हें तब ह्वील र ह्यीलर द्वार ह्यीलर ा इस ट मैके ील े को
'माउन्ट मैके ए-बी' न मार्शल ाम प्र ह्यीलर दान मार्शल र्विकया गया है। इसका आभास उन्हें तब दुग के चार ह्यीलर ो ं ओर ह्यीलर क़र ह्यीलर ीब 45 फीट मैके चौड़ी एक स ुर ह्यीलर क्षा प्र ह्यीलर ाचीर ह्यीलर का
र्विन मार्शल माण र्विकया गया था र्विजस में स्थित जगह-जगह पर ह्यीलर फाट मैके कों एव र ह्यीलर क्षक गहृ ों का र्विन मार्शल माण र्विकया गया था। इसका आभास उन्हें तब दुग का
मुख्य प्र ह्यीलर वेर्श माग उत्त शर्मा र ह्यीलर एवं दर्विक्षण र्विदर्शा में स्थित था। इसका आभास उन्हें तब दुग के बाहर ह्यीलर उत्त शर्मा र ह्यीलर की ओर ह्यीलर 6 मीट मैके र ह्यीलर ऊंचे 'एफ' न मार्शल ामक
ट मैके ील े पर ह्यीलर पकी ईट मैके ो ं स े र्विन मार्शल र्विम3 अठार ह्यीलर ह वत्त शर्मा ृ ाकार ह्यीलर चब3 ू र ह्यीलर े र्विमल े हैं र्विजस में स्थित प्र ह्यीलर त्येक चब3
ू र ह्यीलर े का व्यास क़र ह्यीलर ीब
3.2 मीट मैके र ह्यीलर है चब3 ू र ह्यीलर े के मध्य में स्थित एक बड़ा छे द हैं, र्विजस में स्थित ल कड़ी की ओखल ी ल गी थी, इन मार्शल छे दों स े जौ,
जल े गेहूँ एवं भस ू ी के अवर्शेष र्विमल 3े हैं। इसका आभास उन्हें तब इस क्षे3र ह्यीलर ् में स्थित र्श्र ह्यीलर र्विमक आवास के रूप में स्थित पन्द्र ह्यीलर ह मकान मार्शल ो ं की दो
पंर्विक्3यां र्विमल ी हैं र्विजन मार्शल में स्थित स ा3 मकान मार्शल उत्त शर्मा र ह्यीलर ी पंर्विक्3 आठ मकान मार्शल दर्विक्षणी पंर्विक्3 में स्थित र्विमल े हैं। इसका आभास उन्हें तब प्र ह्यीलर त्येक मकान मार्शल में स्थित
एक आंगन मार्शल एवं क़र ह्यीलर ीब दो कमर ह्यीलर े अवर्शेष प्र ह्यीलर ाप्3 हुए हैं। इसका आभास उन्हें तब ये मकान मार्शल आकार ह्यीलर में स्थित 17x7.5 मीट मैके र ह्यीलर के थे। इसका आभास उन्हें तब चब3 ू र ह्यीलर ों
के उत्त शर्मा र ह्यीलर की ओर ह्यीलर र्विन मार्शल र्विम3 अन्न मार्शल ागार ह्यीलर ो ं को दो पंर्विक्3यांर्विमल ी हैं, र्विजन मार्शल में स्थित प्र ह्यीलर त्येक पंर्विक्3 में स्थित 6-6 कमर ह्यीलर े र्विन मार्शल र्विम3 हैं,
दोन मार्शल ो ं पंर्विक्3यों के मध्य क़र ह्यीलर ीब 7 मीट मैके र ह्यीलर चौड़ा एक र ह्यीलर ास्3ा बन मार्शल ा था। इसका आभास उन्हें तब प्र ह्यीलर त्येक अन्न मार्शल ागार ह्यीलर क़र ह्यीलर ीब 15.24 मीट मैके र ह्यीलर
ल म्बा एवं 6.10 मीट मैके र ह्यीलर चौड़ा है। इसका आभास उन्हें तब
नगर तिनमा*ण योजना

इस सभ्यता की सबसे किवशेर्षों बात थी यहां की किवकलिसत नगर किनमा'र्ण योजना। हड़प्पा तथा मोहन् जोदड़ो दोनो नगरों के अपने दुग' थे जहां
शासक वग' का परिरवार रहता था। प्रत्येक नगर में दुग' के बाहर एक एक उससे किनम्न स्तर का शहर था जहां ईंटों के मकानों में सामान्य लोग
रहते थे। इन नगर भवनों के बारे में किवशेर्षों बात ये थी किक ये जाल की तरह किवन्यस्त थे। याकिन सड़के एक दूसरे को समकोर्ण पर काटती थीं
और नगर अनेक आयताकार खंडों में किवभक्त हो जाता था। ये बात सभी लिसन्धु बत्त्विस्तयों पर लागू होती थीं चाहे वे छोटी हों या बड़ी। हड़प्पा
तथा मोहन् जोदड़ो के भवन बड़े होते थे। वहां के स्मारक इस बात के प्रमार्ण हैं किक वहां के शासक मजदूर जुटाने और कर-संग्रह में परम
कुशल थे। ईंटों की बड़ी-बड़ी इमारत दे ख कर सामान्य लोगों को भी यह लगेगा किक ये शासक किकतने प्रतापी और प्रकितष्ठावान थे। मोहन जोदड़ो
का अब तक का सबसे प्रलिसद्ध स्थल है किवशाल साव'जकिनक स्नानागार, जिजसका जलाशय दुग' के टीले में है। यह ईंटो के स्थापत्य का एक सुन्दर
उदाहरर्ण है। यब 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है। दोनो लिसरों पर तल तक जाने की सीदिढ़यां लगी हैं। बगल में
कपड़े बदलने के कमरे हैं। स्नानागार का फश' पकी ईंटों का बना है। पास के कमरे में एक बड़ा सा कुंआ है जिजसका पानी किनकाल कर होज़ में
डाला जाता था। हौज़ के कोने में एक किनग'म (Outlet) Outlet) है जिजससे पानी बहकर नाले में जाता था। ऐसा माना जाता है किक यह किवशाल स्नानागर
धमा'नुष्ठान सम्बंधी स्नान के लिलए बना होगा जो भारत में पारंपरिरक रूप से धार्मिमंक काय. के लिलए आवश्यक रहा है। मोहन जोदड़ो की सबसे
बड़ा संरचना है - अनाज रखने का कोठार, जो 45.71 मीटर लंबा और 15.23 मीटर चौड़ा है।
नगर किनमा'र्ण योजना
महु र ह्यीलर ें स्थित
स ैन्धव स भ्य3ा की कल ा में स्थित महु र ह्यीलर ों का अपन मार्शल ा र्विवर्विर्शष्ट मैके स्थान मार्शल था। इसका आभास उन्हें तब अब 3क क़र ह्यीलर ीब
2000 महु र ह्यीलर ें स्थित पर ह्यीलर ् ाप्3 की जा चक ु ी हैं। इसका आभास उन्हें तब इस में स्थित ल गभग 1200 अकेल े मोहन मार्शल जोदड़ो स े
ृ ाकार ह्यीलर रूप में स्थित र्विमल ी हैं। इसका आभास उन्हें तब
पर ह्यीलर ् ाप्3 हुई हैं। इसका आभास उन्हें तब ये महु र ह्यीलर े बेल न मार्शल ाकार ह्यीलर , वगाकार ह्यीलर , आय3ाकार ह्यीलर एवं वत्त शर्मा
महु र ह्यीलर ों का र्विन मार्शल माण अर्विधक3र ह्यीलर स ेल खड़ी स े हुआ है। इसका आभास उन्हें तब इस पकी र्विमट्ट मैके ी की मर्विू 3यों
का र्विन मार्शल माण 'र्विचकोट मैके ी पद्धर्वि3' स े र्विकया गया है। इसका आभास उन्हें तब पर ह्यीलर कुछ महु र ह्यीलर ें स्थित 'काचल र्विमट्ट मैके ी', गोमेद,
चट मैके और ह्यीलर र्विमट्ट मैके ी की बन मार्शल ी हुई भी पर ह्यीलर ् ाप्3 हुई हैं। इसका आभास उन्हें तब अर्विधकांर्श महु र ह्यीलर ों पर ह्यीलर स ंर्विक्षप्3 ल ेख, एक
ं ृ ी, स ांड, भैंस , बाघ, गैडा, र्विहर ह्यीलर न मार्शल , बकर ह्यीलर ी एवं हाथी के र्विच3र ह्यीलर ् उकेर ह्यीलर े गये हैं। इसका आभास उन्हें तब इन मार्शल में स्थित स े
र्शर ह्यीलर ् ग
स वार्विधक आकृर्वि3याँ एक र्शर ह्यीलर ् ग ं ृ ी, स ांड की र्विमल ी हैं। इसका आभास उन्हें तब ल ोथल ओर ह्यीलर देर्शल पर ह्यीलर ु स े 3ांबे की
महु र ह्यीलर े र्विमल ी हैं। इसका आभास उन्हें तब
गहने एवं मुहरें
कृतिर्षों ए&ं पशुपालन
आज के मुकाबले लिसन्धु प्रदे श पूव' में बहुत ऊपजाऊ था।
लिसन्धु की उव'रता का एक कारर्ण लिसन्धु नदी से प्रकितवर्षों' आने वाली बाढ़ भी थी।
लिसन्धु घाटी सभ्यता के लोग गेंहू, जौ, राई, मटर, ज्वार आदिद अनाज पैदा करते थे।
वे दो किकस्म की गेँहू पैदा करते थे। बनावली में चिमला जौ उन्नत किकस्म का है।
इसके अलावा वे कितल और सरसों भी उपजाते थे। सबसे पहले कपास भी यहीं पैदा
की गई।
इसी के नाम पर यूनान के लोग इस लिसन्डन (Indus Valley Civilization) Sindon) कहने लगे।

हड़प्पा यों तो एक कृकिर्षों प्रधान संस्कृकित थी पर यहां के लोग पशुपालन भी करते


थे। बैल-गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और सूअर पाला जाता था . हड़प्पाई लोगों को
हाथी तथा गैंडे का ज्ञान था।
औज़ार
धार्मिमंक जीवन
अभी तक लिसन्धु घाटी की खुदाई में कोई मजिन्दर या पूजा
स्थान नहीं चिमला, अत: इस सभ्यता के धार्मिमंक जीवन का
एकमात्र स्रोत यहाँ पाई गई चिमट्टी और पत्थर की मूर्तितंयों तथा
मुहरें हैं। इनसे यह ज्ञात होता है किक यहाँ मातृदेवी की,
पशुपतित लिश& की तथा उसके सिलंग की पूजा और पीपल,
नीम आदिद पेड़ों एवं नागादिद जीव जंतुओं की उपासना
प्रचलिलत थी। सूय' पूजा तथा स्वत्त्विस्तक के भी चिचह्न यहाँ पाये
गए हैं। मोहनजोदड़ो की नत'की की प्रलिसद्ध काँस्य मूर्तितं
सम्भवत: उस समय दे वता के सम्मुख नाचने वाली किकसी
दे वदासी की प्रकितमा है।
व्यापार
यहां के लोग आपस में पत्थर, धातु शर्ल्सक (Outlet) हड्डी) आदिद का व्यापार करते थे। एक बड़े
भूभाग में ढे र सारी सील (Outlet) मृन्मुद्रा), एकरूप लिलकिप और मानकीकृत माप तौल के
प्रमार्ण चिमले हैं। वे चक्के से परिरचिचत थे और संभवतः आजकल के इक्के (Outlet) रथ) जैसा
कोई वाहन प्रयोग करते थे। ये अफ़ग़ाकिनस्तान और ईरान (Outlet) फ़ारस) से व्यापार करते
थे। उन्होंं ने उत्तरी अफ़ग़ाकिनस्तान में एक वाणिर्णस्थिज्यक उपकिनवेश स्थाकिपत किकया
जिजससे उन्हें व्यापार में सहूलिलयत होती थी। बहुत सी हड़प्पाई सील मेसोपोटाचिमया में
चिमली हैं जिजनसे लगता है किक मेसोपोटाचिमया से भी उनका व्यापार सम्बंध था।
मेसोपोटाचिमया के अणिभलेखों में मेलुहा के साथ व्यापार के प्रमार्ण चिमले हैं।
लिशल्प और तकनीकी ज्ञान
इस युग के लोग पत्थरों के बहुत सारे औजार तथा उपकरर्ण प्रयोग करते थे पर वे कांसे के किनमा'र्ण
से भली भींकित परिरचिचत थे। तांबे तथा दिटन चिमलाकर धातुलिशर्ल्सपी कांस्य का किनमा'र्ण करते थे। हंलांकिक
यहां दोनो में से कोई भी खकिनज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं था। सूती कपड़े भी बुने जाते थे। लोग
नाव भी बनाते थे।मुद्रा किनमा'र्ण, मूर्तितंका किनमा'र्ण के सात बरतन बनाना भी प्रमुख लिशर्ल्सप था।प्राचीन
मेसोपोटाचिमया की तरह यहां के लोगों ने भी लेखन
कला का आकिवष्कार किकया था। हड़प्पाई लिलकिप का पहला नमूना 1853 ईस्वी में चिमला था और
1923 में पूरी लिलकिप प्रकाश में आई परन्तु अब तक पढ़ी नहीं जा सकी है। लिलकिप का ज्ञान हो जाने के
कारर्ण किनजी सम्पलित्त का लेखा-जोखा आसान हो गया। व्यापार के लिलए उन्हें माप तौल की
आवश्यकता हुई और उन्होने इसका प्रयोग भी किकया। बाट के तरह की कई वस्तुए चिमली हैं। उनसे
पता चलता है किक तौल में 16 या उसके आवत'कों (Indus Valley Civilization) जैसे - 16, 32, 48, 64, 160, 320, 640,
1280 इत्यादिद) का उपयोग होता था। दिदलचस्प बात ये है किक आधुकिनक काल तक भारत में 1
रूपया 16 आने का होता था। 1 किकलो में 4 पाव होते थे और हर पाव में 4 कनवां याकिन एक किकलो
में कुल 16 कनवां।
महाजलकुंड
चिचत्रकला
खिखलौने एवं बत'न
वास्तुकला
कुएँ
अ&सान
यह सभ्यता मुख्यतः 2500 ई.पू. से 1800 ई. पू. तक रही। ऐसा आभास होता है किक यह सभ्य3ा
अपने अंकितम चरर्ण में ह्र ह्यीलर ासोन्मुख थी। इस समय मकानों में पुरानी ईंटों के प्रयोग की जानकारी चिमलती
है। इसके किवनाश के कारर्णों पर किवद्वान एकमत नहीं हैं। सिसंधु घाटी सभ्यता के अवसान के पीछे
किवणिभन्न तक' दिदये जाते हैं जैसे: बब'र आक्रमर्ण, जलवायु परिरवत'न एवं पारिरस्थिस्थकितक असंतुलन, बाढ
तथा भू-तात्वित्वक परिरवत'न, महामारी, आर्थिथंक कारर्ण। ऐसा लगता है किक इस सभ्यता के पतन का कोइ
एक कारर्ण नहीं था बस्थिर्ल्सक किवणिभन्न कारर्णों के मेल से ऐसा हुआ। जो अलग अलग समय में या एक
साथ होने की सम्भावना है। मोहेनजोदड़ो मेंं नगर और जल किनकास की व्यवस्था से महामारी की
सम्भावन मार्शल ा कम लग3ी है। भीष ण अत्वि§नकाण्ड के भी प्रमाण प्राप्त हुए हैंं । मोहेनजोदड़ो के एक कमरे से
१४ नर कंंकाल चिमले हैंं जो आक्रमर्ण, आगजन मार्शल ी, महामारी के संकेत हैंं ।
साम थानवी ान्य जानक के ारी (निनष्क के र्ष !)
र्विस न्धु घाट मैके ी स भ्य3ा (Indus Valley Civilization) Indus valley civilization )भार ह्यीलर 3 की स बस े प्र ह्यीलर ाचीन मार्शल स भ्य3ा है | इस े स ैन्धव स भ्य3ा भी कहा जा3ा है |
र्विस न्धु स भ्य3ा र्विमस ्र ह्यीलर 3था मेस ोपोट मैके ार्विमया जैस ी प्र ह्यीलर ाचीन मार्शल स भ्य3ाओं के स मकक्ष मान मार्शल ी जा3ी है |
इस स भ्य3ा की खोज दयार ह्यीलर ाम स हन मार्शल ी द्वार ह्यीलर ा 1921 ई. में स्थित की गयी |
र्विस न्धु स भ्य3ा की प्र ह्यीलर थम खोज हड़प्पा न मार्शल ामक स्थान मार्शल पर ह्यीलर हुई इस र्विल ए इस े हड़प्पा स भ्य3ा के न मार्शल ाम स े भी जान मार्शल ा जा3ा है |
1922 ई. में स्थित र ह्यीलर ाखल दस बन मार्शल ज द्वार ह्यीलर ा मोहन मार्शल जोदड़ो की खोज की गयी |
र्विस न्धु स भ्य3ा का स बस े अंर्वि3म खोजा गया स्थान मार्शल बन मार्शल वाल ी है जो र्विक हर्विर ह्यीलर याणा के र्विहस ार ह्यीलर र्विजल े में स्थित घग्गर ह्यीलर न मार्शल दी के र्विकन मार्शल ार ह्यीलर े र्विस्थ3 है |
र्विस न्धु स भ्य3ा का स्थल बहावल पुर ह्यीलर (Indus Valley Civilization) पार्विकस्3ान मार्शल ) स ख ू ी न मार्शल दी के र्विकन मार्शल ार ह्यीलर े र्विस्थ3 है |
र ह्यीलर ेर्विडओ काबन मार्शल पद्धर्वि3 स े इस स भ्य3ा का कल 2300 -1750 ई. मान मार्शल ा गया है |
कृर्विष और ह्यीलर पर्शुपाल न मार्शल इस स भ्य3ा के ल ोगो के मुख्या पेर्शे थे | वे गेहूं जाऊ, कपास , र ह्यीलर ाइ, मट मैके र ह्यीलर , खजर ह्यीलर ू और ह्यीलर अन मार्शल ार ह्यीलर की खे3ी कर ह्यीलर 3े थे |
र्विस न्धु स भ्य3ा की र्विल र्विप दायें स्थित स े बाएं र्विल खी जा3ी थी |
इस र्विल र्विप में स्थित 700 र्विचन्ह अक्षर ह्यीलर ों में स्थित स े 400 के बार ह्यीलर े में स्थित जान मार्शल कार ह्यीलर ी प्र ह्यीलर ाप्3 हुई है |
ल ेखन मार्शल स ेल खड़ी की आय3ाकार ह्यीलर मुहर ह्यीलर ों पर ह्यीलर र्विकया जा3ा था |
न मार्शल गर ह्यीलर र्विन मार्शल माण योजन मार्शल ा की दृर्विष्ट मैके स े र्विस न्धु स भ्य3ा अपन मार्शल े स मकाल ीन मार्शल स भ्य3ों स े र्श्र ह्यीलर ेष्ठ मान मार्शल ी गयी है |
मोहन मार्शल जोदड़ो में स्थित र्विमल े स्न मार्शल ान मार्शल ागार ह्यीलर की ल म्बाई 54 .85 मीट मैके र ह्यीलर और ह्यीलर चौड़ाई 32 .90 मीट मैके र ह्यीलर है |
इस में स्थित बन मार्शल े स्न मार्शल ान मार्शल कुं ड की ल म्बाई 11 .88 मीट मैके र ह्यीलर और ह्यीलर चौड़ाई 7.01 मीट मैके र ह्यीलर है |
मोहन मार्शल जोदड़ो के उत्खन मार्शल न मार्शल में स्थित प्र ह्यीलर ाप्3 मा3दृ ेवी की मर्विू 3 र्विस न्धु स माज में स्थित र्विस्3्र ह्यीलर यों के स म्मान मार्शल जन मार्शल क स्थान मार्शल का प्र ह्यीलर माण है |
मोहन मार्शल जोदड़ो स े एक पुजार ह्यीलर ी का र्विस र ह्यीलर और ह्यीलर कांस्य न मार्शल 3की की मर्विू 3याँ प्र ह्यीलर ाप्3 हुई है |
र्विस न्धु र्विन मार्शल वास ी आवागमन मार्शल के र्विल ए बेल्गार्विदयों और ह्यीलर इक्के के प्र ह्यीलर योग कर ह्यीलर 3े थे |
काल ी बंगा का अथ हो3ा है – कांच की चर्विू ड़याँ
र्विस न्धु स भ्य3ा के स्थल र ह्यीलर ाणा गुड ं ई के र्विन मार्शल म्न मार्शल स्3र ह्यीलर ीय धर ह्यीलर ा3ल की खुदाई में स्थित घोड़ो के दां3ों के अवर्शेष प्र ह्यीलर ाप्3 हुए है |
हड़प्पा के पवू ट मैके ील े को न मार्शल गर ह्यीलर ट मैके ील ा और ह्यीलर पर्विश्चमी ट मैके ील े को दुग ट मैके ील े की स ंज्ञा दी गयी है |
र ह्यीलर गं पुर ह्यीलर और ह्यीलर ल ोथल स े चावल के दान मार्शल े र्विमल े है |
स्व3ं3र ह्यीलर ् 3ा के पश्चा3् र्विस न्धु स भ्य3ा के स वार्विधक स्थल ों की खोज वाल ा र ह्यीलर ाज्य गुजर ह्यीलर ा3 है |
निसंध ु घाट ी सभ्यता | प्राची न ारत क के ा इनितहास
● इर्वि3हास का र्विप3ा र्विकस े स मझा जा3ा है— हे रोडोट स
● र्विजस काल में स्थित मान मार्शल व की घट मैके न मार्शल ाओं का कोई र्विल र्विख3 वणन मार्शल न मार्शल ही ं हो3ा, उस काल को क्या कहा जा3ा है— प्रागैनितहानिसक के क के ाल निर्धारण
● मान मार्शल व जीवन मार्शल की घट मैके न मार्शल ाओं का र्विल र्विख3 वणन मार्शल क्या कहल ा3ा है— इनितहास
● आग का अर्विवष्कार ह्यीलर र्विकस युग में स्थित हुआ— पुरापार्ष ण युग म थानवी े ं
● पुर ह्यीलर ापाष ण युग में स्थित मान मार्शल व की जीर्विवका का मुख्य आधार ह्यीलर क्या था— निशक के ार क के रना
● पर्विहए का अर्विवष्कार ह्यीलर र्विकस युग में स्थित हुआ— नवपार्ष ण युग म थानवी े ं
● हड़प्पा स भ्य3ा का प्र ह्यीलर चर्विल 3 न मार्शल ाम कौन मार्शल -स ा है— निसंध ु घाट ी क के ी सभ्यता
● र्विस ध ं ु की स भ्य3ा का काल क्या मान मार्शल ा जा3ा है— 2500 ई. पू. से 1750 ई.पू.
● र्विस ध ं ु की घाट मैके ी स भ्य3ा में स्थित स वप्र ह्यीलर थम घोड़े के अवर्शेष कहाँ र्विमल े— सुरक के ोट दा
● र्विस ध ं ु की घाट मैके ी स भ्य3ा के ल ोगों का मुख्य व्यवस ाय क्या था— व्यापार
● हड़प्पा की स भ्य3ा र्विकस युग की स भ्य3ा थी— क के ांस्य युग
● र्विस ध ं ु की घाट मैके ी स भ्य3ा में स्थित घर ह्यीलर र्विकस स े बन मार्शल े थे— ईट
ं ों से
● हड़प्पा के ल ोग कौन मार्शल -स ी फस ल में स्थित स बस े आगे थे— क के पास
● हड़प्पा की स भ्य3ा की खोज स वप्र ह्यीलर थम र्विकस न मार्शल े की— दयाराम थानवी साहनी
● र्विस ध ं ु स भ्य3ा का प्र ह्यीलर मख ु बंदर ह्यीलर गाह कौन मार्शल -स ा था— ल निर्धारण ोथल निर्धारण (गुजरात)
● सिसंधु की घाटी सभ्यता का स्थल ‘कालीबंगा’ किकस प्रदे श में है— राजस्थान में
● हड़प्पा की सभ्यता की खोज किकस वर्षों' हुई थी— 1921 ई.
● हड़प्पा के लोगों की सामाजिजक पद्धकित कैसी थी— उडिZत समता&ादी
● नखलिलस्तान सिसंधु सभ्यता के किकस स्थल को कहा गया है— मो.नजोदड़ो
● हड़प्पा की सभ्यता में हल से खेत जोतने का साक्ष्य कहाँ चिमला— कालीबंगा
● सैंधव सभ्यता की ईंटों का अलंकरर्ण किकस स्थान से प्राप्त हुआ— कालीबंगा
● सिसंधु की सभ्यता में एक बड़ा स्नानघर कहाँ चिमला— मो.नजोदड़ो में
● सिसंधु सभ्यता की मुद्रा पर किकस दे वता का चिचत्र अंकिकत था— आघलिश&
● भारत में चाँदी की उपलब्धता के साक्ष्य कहाँ चिमले— .ड़प्पा की संस्कृतित में
● मांडा किकस नदी पर स्थिस्थत था— डिZनाब पर
● हड़प्पा की सभ्यता का प्रमुख स्थल रोपड़ किकस नदी पर स्थिस्थत था— सतलज नदी
● हड़प्पा में एक अच्छा जलप्रबंधन का पता किकस स्थान से चलता है— धोला&ीरा से
● सिसंधु सभ्यता के लोग चिमट्टी के बत'नों पर किकस रंग का प्रयोग करते थे— लाल रंग
● सिसंधु घाटी की सभ्यता किकस युग में थी— आद्य-ऐतित.ालिसक युग में
● सिसंधु घाटी का सभ्यता की खोज में जिजन दो भारतीय लोगों के नाम जुड़े हैं, वे कौन हैं— दयाराम सा.नी और
आर.8ी. बनज_
● सिसंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख फसल कौन-सी थी— जौ ए&ं गेहूँ
● हड़प्पा की समकालीन सभ्यता रंगपुर कहाँ है— सौराष्ट्र में
● हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई किकसने कराई— सर जॉन माश*ल
● सिसंधु सभ्यता के लोग सबसे अचिधक किकस दे वता में किवश्वास रखते थे— मातृशलिd
● हड़प्पा की सभ्यता में मोहरे किकससे बनी थी— सेलखड़ी से
● किकस स्थान से नृत्य मुद्रा वाली स्त्री की कांस्य मूर्तितं प्राप्त हुई— मो.नजोदड़ो से
● मोहनजोदड़ो इस समय कहाँ स्थिस्थत है— सिसंध, पातिकस्तान
● मोहनजोदड़ो को एक अन्य किकस नाम से जाना जाता है— मृतकों का टीला
● सैंधव स्थलों के उत्खन्न से प्राप्त मोहरों पर किकस पशु का प्रकीर्ण'न सवा'चिधक हुआ— बैल
● लिसन्धु सभ्यता का कौन-सा स्थान भारत में स्थिस्थत है— लोथल
● भारत में खोजा गया सबसे पहला पुराना शहर कौन-सा था— .ड़प्पा
● हड़प्पावार्विस यों न मार्शल े स वप्र ह्यीलर थम र्विकस धा3ु का प्र ह्यीलर योग र्विकया— ताँबे क के ा
● स्व3ं3र ह्यीलर ् 3ा के बाद भार ह्यीलर 3 में स्थित हड़प्पा के युग के स्थान मार्शल ों की खोज स बस े अर्विधक र्विकस र ह्यीलर ाज्य में स्थित हुई— गुजरात
● हड़प्पा के र्विन मार्शल वास ी र्विकस धा3ु स े पर्विर ह्यीलर र्विच3 न मार्शल ही ं थे— ल निर्धारण ोह से
● हड़प्पा की स भ्य3ा र्विकस युग की स भ्य3ा थी— ताम थानवी र् युग
● हड़प्पा का प्र ह्यीलर मख ु न मार्शल गर ह्यीलर काल ीबंगन मार्शल र्विकस र ह्यीलर ाज्य में स्थित है— राजस्थान म थानवी े ं
● हड़प्पा के र्विन मार्शल वास ी र्विकस खेल में स्थित रूर्विच र ह्यीलर ख3े थे— शतरंज
● हड़प्पा के र्विकस न मार्शल गर ह्यीलर को ‘र्विस ध ं का बाग’ कहा जा3ा था— म थानवी ोहनजोदड़ो क के ो
● मोहन मार्शल जोदड़ो का र्शार्वि]दक अथ क्या है— म थानवी त ृ क के ों क के ा ट ी ल निर्धारण ा
● हड़प्पा के र्विन मार्शल वास ी घर ह्यीलर ो ं एवं न मार्शल गर ह्यीलर ों के र्विवन्यास के र्विल ए र्विकस पद्धर्वि3 को अपन मार्शल ा3े थे— ग्री ड पद्धनित क के ो
बोध -प्रश्न
a. हड़प्पा की स भ्य3ा की खोज स वपर ह्यीलर ् थम र्विकस न मार्शल े की— दयाराम थानवी साहनी
b.. सिसंधु की सभ्यता में एक बड़ा स्नानघर कहाँ चिमला— मो.नजोदड़ो में
c. ं ु की घाट मैके ी स भ्य3ा में स्थित घर ह्यीलर र्विकस स े बन मार्शल े थे— ईट
र्विस ध ं ों से
d. हड़प्पा की सभ्यता की खोज किकस वर्षों' हुई थी— 1921 ई.
e.. हड़प्पा के ल ोग कौन मार्शल -स ी फस ल में स्थित स बस े आगे थे— क के पास
f. हड़प्पा स भ्य3ा का पर ह्यीलर ् चर्विल 3 न मार्शल ाम कौन मार्शल -स ा है— निसंध ु घाट ी क के ी सभ्यता
g. सिसंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख फसल कौन-सी थी— जौ ए&ं गेहूँ
h.. किकस स्थान से नृत्य मुद्रा वाली स्त्री की कांस्य मूर्तितं प्राप्त हुई—
मो.नजोदड़ो से
i.. मोहन मार्शल जोदड़ो का र्शार्वि]दक अथ क्या है— म थानवी त ृ क के ों क के ा ट ी ल निर्धारण ा
j. मोहनजोदड़ो इस समय कहाँ स्थिस्थत है— सिसंध, पातिकस्तान

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