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|| वयं रा े जागयाम

ृ परोिहता:
ु ||

रा एवं धमके पनु थान हतेु धािमक मािसक पि का

िसय रघबीर
ु िबबाह जे स मे गाविहं सनिह
ु ं।
ित ह कहं सदा उछाह मगलायतन
ं ु राम जसु ।।

MP/HIN/32571 वष २, अक
ं - ९, मागशीष, किलयगु वष ५१२० (नव बर - िदस बर २०१८)
उपासना काय
सू मसे ई रसे िमले स देशक थलस
ू े हई पिु
जलाई
ु २०१७ म जब िबहारके बाक ं ा
आ मके छतक ढलाई हो रही थी तो
देहली आ मम परम पू य भ राज
महाराज, परा पर गु डॉ. आठवले एवं
िशवजीके िच क माला ल बी हो रही
थी । म उस समय बाक ं ाम थी । राि नौ
बजे ढलाई ( फ काि टंग) समा होनपेर
कछ
ु ण के िलए वषा हई; । बाहर २०
बोरे सीमटके थ,े मने भगवानजीसे कहा,
“यिद वषा ती हई तो ये सीमट
अनपयोगी
ु हो जाएगी । भगवानजीने
कहा, “यह इ ारा अमतृ वषा है, कछ ु
ही ण म क जाएगी और वैसा ही हआ,
दस िमिनट रमिझम ‘बरसात’के प ात वह क गई । अगले िदवस मझे ु ात हआ िक आ मके देवघरम माला ल बी हई और आगे
भी हो रही है ! ............ आगे पढने हतेु पृ २८ पर देख ।
म य देशके इ दौरम वैिदक उपासना पीठके आ मके िनमाण कायका शभार
ु भ
ीशकराचाय
ं ारा रिचत ीकृ ण कपाकटा
ृ तो
भजे जैकम डनं सम तपापख डनं
वभ िच रज ं नं सदैव न दन दनम् ।
सिप ु छगु छम तकं सनादवे ु णुह तकं
अनगंरगंसागरं नमािम कृ णनागरम् ॥१॥
अथ : जभिमका
ू एकमा आभषण, ू सम त पाप को न करनेवाले तथा अपने भ के िच को आन द दनेेवाले
न दन दनको सदवै भजता ह,ं िजनके म तकपर मोरमकट ु ु है, हाथ म सरीली
ु बांसरी
ु है तथा जो ेम-तरगं के सागर
ह, उन नटनागर ीकृ णको नम कार करता हं ।
मनोजगवमोचनं िवशाललोललोचनं
िवधतगोपशोचन
ू ं नमािम प लोचनम् ।
करारिव दभधर ू ं ि मतावलोकसु दरं
महे मानदारणं नमािम कृ ण वारणम् ॥२॥
अथ : कामदवेका मान मदन करनेवाले, बडे-बडे सु दर चचंल ने वाले तथा ज गोप का शोक हरनेवाले कमलनयन
भगवानको मेरा नम कार है, िज ह ने अपने करकमल पर िग रराजको धारण िकया था तथा िजनक मु कान और
िचतवन अित मनोहर है, दवेराज इ का मान-मदन करनेवाले, गजराजके स श म भगवान ीकृ णको म नम कार
करता हं ।
कद बसनक ू ु डलं सचा ु ग डम डलं
जागंनैकव लभं नमािम कृ णदलभम ु ्।
यशोदया समोदया सगोपया सन दया
यतु ं सखै
ु कदायकं नमािम गोपनायकम् ॥३॥
अथ : िजनके कान म कद बपु प के कु डल ह, िजनके अ य त सु दर कपोल ह तथा जबालाओकंे जो एकमा
ाणाधार ह, उन दलभ ु भगवान कृ णको नम कार करता ह;ं जो गोपगण और न दजीके सिहत अित स न
यशोदाजीसे यु ह और एकमा आन ददायक ह, उन गोपनायक गोपालको नम कार करता हं ।
सदैव पादपक ं जं मदीय मानसे िनजं
दधानमु मालकं नमािम न दबालकम् ।
सम तदोषशोषणं सम तलोकपोषणं
सम तगोपमानसं नमािम न दलालसम् ॥४॥
अथ : िज ह ने मेरे मन पी सरोवरम अपने चरणकमल को थािपत कर रखा है, उन अित सु दर पलक वाले
न दकमारको
ु नम कार करता हं तथा सम त दोष को दरू करनेवाले, सम त लोक का पालन करनेवाले और सम त
जगोप के दय तथा न दजीक वा स य लालसाके आधार ीकृ णच को नम कार करता हं ।
भवोु भरावतारकं भवाि धकणधारकं
यशोमतीिकशोरकं नमािम िच चोरकम् ।
ग तका तभिंगनं सदा सदािलसिंगनं
िदन-ेिदने नव-ंनवं नमािम न दस भवम् ॥५॥

वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ०१
अथ : भिमका
ू भार उतारनेवाले, भवसागरसे तारनेवाले कणधार ी यशोदािकशोर िच चोरको मेरा नम कार
है । कमनीय कटा चलानेक कलाम वीण, सवदा िद य सिखय से सेिवत, िन य नतन ू तीत होनेवाले
न दलालको मेरा नम कार है ।
गणाकर
ु ं सखाकर ु ं कपाकर
ृ ं कपापर
ृ ं
सरि ु षि नक दनं नमािम गोपन दनं ।
नवीन गोपनागरं नवीनके िल-ल पटं
नमािम मघ े सु दरं तिड भालस पटम् ॥६॥
अथ : गणु क खान और आन दके िनधान, कपा ृ करनेवाले तथा कपापर ृ कपा
ृ करनेके िलए त पर, दवेताओकंे
श ,ु दै य का नाश करनेवाले गोपन दनको मेरा नम कार है । नवीन-गोप सखा नटवर, नवीन खेल खेलनेके िलए
लालाियत, घन याम अगंवाले, िबजली स श सु दर पीता बरधारी ीकृ ण भगवानको मेरा नम कार है ।
सम त गोप मोहनं द बजै ु क मोदनं
नमािमकजम ुं यगं स न भानशोभनम ु ्।
िनकामकामदायकं ग तचा सायकं
रसालवेणुगायकं नमािमकजनायकम ुं ् ।।७॥
अथ : सम त गोप को आनि दत करनेवाले, दयकमलको फिु लत करनेवाले, िनकंु जके म यम िवराजमान,
स नमन सयके ू समान काशमान ीकृ ण भगवानको मेरा नम कार है । स पणू अिभिलिषत कामनाओकंो पणू
करनेवाले, बाण के समान चोट करनेवाली िचतवनवाले, मधरु मरलीम ु गीत गानेवाले, िनकंु जनायकको मेरा
नम कार है ।
िवद ध गोिपकामनो मनो त पशाियनं
नमािम कजकानन ुं े वृ वि पाियनम् ।
िकशोरकाि त रिजत ं ं गजन ं ं सशोिभत ु ं
गजे मो का रणं नमािम ीिवहा रणम् ।।८॥
अथ : चतरगोिपकाओक
ु ं मनो त पपर शयन करनेवाले, कंु जवनम बढी हई िवरह अि नको पान करनेवाले,
िकशोराव थाक काि तसे सशोिभत ु अगंवाले, अज ं न लगे सु दर ने वाले, गजे को ाहसे मु करनेवाले,
ीजीके साथ िवहार करनेवाले ीकृ णको नम कार करता हं ।
तो पाठका फल
यदा तदा यथा तथा तथैव कृ णस कथा,
मया सदैव गीयतां तथा कपा ृ िवधीयताम् ।
मािणका क यं जप यधी य यः पमान, ु ्
भवे स न दन दने भवे भवे सभि ु मान ॥९॥
अथ : भो, मेरे ऊपर ऐसी कपा ृ हो िक जहा-ंकह जैसी भी प रि थितम रह,ं सदा आपक स कथाओकंा गान
क ं । जो पु ष इन दोन , राधा कपाकटा ृ व ीकृ ण कपाकटा
ृ , अ क का पाठ या जप करगेा, वह ज म-
ज मम न दन दन यामसु दरक भि से यु होगा और उसको सा ात ीकृ ण िमलते ह ।

वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ०२
. िवषय िववरण पृ माक
ं शा वचन
१. दवे तित
ु १ ू िनयो यमाने तु यो दोषाः महीपतेः ।
मख
२. स पादक य ४ अयश चाथनाश च नरके गमनं तथा ॥
अथ : मख
ू मानवक िनयिु करनेवाले राजाके तीन
३. ीगु उवाच ५
दोष अपयश, यनाश और नरक ाि ।
४. धमधारा
अ. सवचन
ु ६ यथा देश तथा भाषा यथा राजा तथा जाः ।
यथा भिम ू तथा तोयं यथा बीजं तथाङकरः
् ु ॥
आ. शक
ं ा समाधान ८ अथ : जैसा दशे वैसी बोली, जैसा राजा वैसी जा,
इ. सू म जगत १० जैसी भिम ू वैसा पानी एवं जैसा बीज वैसा अक
ं ुर
होता है ।
ई. उि कौ तेय १४
५. साधक क अनभितयां
ु ू २१ यथा मधु समाद े र न् पु पािण षटपदः ् ।
६. योग कर व थ रह २४
त दथान् मनु ये यः आद ात् अिविहसया ं ॥
अथ : जैसे भ रे पु प का र ण कर उनमसे मधु लेता
७. राम-सीता िववाहका वैिश ् य २७ ं ासे जाके पाससे धन (कर)
है, वैसे ही राजाने अिहस
८. आतंकवादसे सलगता
ु िव और वेद २९ लेना चािहए ।
९. िह दू रा क थापनाक िदशा ३३
सदानरु कितःृ जापालनत परः ।
१०. स त च र योगी अरिव द ३४ िवनीता मा िहनपितः
ृ भयस ू ि यम तेु ॥
११. भारतके खरे नायक ३७ अथ : जापर सदवै ेम रखनेवाला, जापालनम
त पर, िवनीत राजा बहत ल मी ा करता है ।
१२. वैिदक गु कलक
ु आव यकता ४०

वैदिक उपासना An©U _yë` - < १०


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वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ०३
स पादक य
चनाव
ु जीतनके े िलए पतनक सीमा पार करते यह कां ेस कर चक ु है । ऐसे सभी िह दू ोही दल का,
राजनीितक दल िवशेष पसे कां ेसका अि त व िमटाना अिनवाय है
वतमान कालम दशेके कछ ु रा य म चनाव
ु चल रहे अ यथा सनातन धम रा यक (िह दू रा क )
ह । वत ताके प ात हमारे रा यकताओनंे थापनाम यह दल अडचन उ प न करगेा, ऐसी इसक
लोकताि क यव थाके नामपर ऐसी अ यव था विृ है और यही इसका इतहास भी है ।
दशेपर थोप दी, िजसम के वल 'िसर 'क सं याके िह दओ,
ु जो दल मा स ाक स तािनका (मलाई)
आधारपर स ाका िनणय होता है । इस यव थाम बिु , खानेके िलए बहसं यक िह दओक ु ं े दशेम, उनका
कौश य या वैिश ् यका कोई उपयोग नह होता और उस सावजिनक पसे इतना अपमान कर सकता है और यह
समहको ू लोभन िदया जाता है, जो सामिहक
ू मतदान धृ ता वह बार-बार करता रहा है, या ऐसे दलको स ा
करे ! ऐसा एक समह, ू मसलमानी
ु मत का है और इस दनेा िह दू ोह नह है ? यिद ऐसे दलके समथक और
समहकेू मत ा करनेके िलए, किथत प थिनरपे दसर
ू े दल भी ह तो उन दल का भी सवंैधािनक मागसे
राजनीितक दल िकसी भी सीमातक जाते रहे ह, िवशेष हम िनषेध करना चािहए !
पसे मसलमानी
ु तु ीकरणक नीितक जनक, पालक भारतम आज सौ कोिट िह दओक ु ं े िव मान रहते हए
और पोषक कां ेसने तो इन मसलमानी ु मत के िलए भी हम िह दू अपने आरा य भगवान ीराम ललाका
पतनक पराका ाको पश कर िलया है । भ य मि दर नह बना पा रहे ह और इसम जो
राज थानम अभी कछ ु िदन पवू ही एक कां ेसी राजनीितक दल अडचन उ प न कर रहे ह, या वे हमारे
याशीके समथकने जब चनावी ु सभाके म य भारत मत के अिधकारी ह ? िजसके नेता भारतम चनाव ु
माताका जयघोष करनेका यास िकया तो उस जीतनेके िलए पािक तानसे सहायता मांगते ह ?
याशीने रोककर अपने दलके ' वािमय 'का उ ोष सा दाियक लि त िहस ं ा अिधिनयम लानेक कचे ु ा
करनेको कहा और इसका 'वीिडयो वायरल' हो गया । करते ह , उनका सवनाश ही िह दू िहतम है और इस हेतु
इसके पवू भी रामसेतु तोडने हेतु यायालयम शपथ प सभी िह दओक ु ं ो िस होना होगा ।
दनेा, राम मि दर िनमाणम िनर तर बाधा उ प न करना, िजस दलके नेताने मा धानम ीक आस दी
रोिहं या घसपै
ु िठय के किथत मानवािधकार का प पानेके िलए भारतका िवभाजन करवा िदया और
लेना, आतंक याकब ू मेमनक फांसी कवाने हेतु राि म विहतको, रा िहतसे ऊपर रखा, ऐसी
दो बजे यायालयके ार खटखटाना, िह दू आतंकका वशंचाटकाु रताक और वशंवादक पर पराका पोषण
झठू गढना, बाटला हाउसके आतंिकय क मठभे ु डपर करनेवाली कां ेसका अि त व सनातन िह दू धम
शोक मनाना, िह दओक ु ं े ह यारे टीपक
ू जयतंी मनाना, रा यक थापनाम एक बहत बडी बाधा है; अतः इस
वीर िशरोमिण महाराणा तापको अपश द कहना, बाधाको दरू करनेके िलए इस िवषबेलको न कर ! इसके
न सिलय को ाि तकारी बताना, सेना य को 'गु डा' िवनाशसे अ य राजनीितक प को भी यह स दशे
कहना, पािक तानपर भारतीय सेना ाराक गई जाएगा िक वयक ं ा अि त व समा होनेसे बचानेके
'सिजकल ाइक'के माण मांगना, दशेके िलए िह दओक ु ं े िहतके काय करना ही ह गे और यही
धानम ीको अपश द कहना जैसे कई अ य पाप, िह दओकु ं े िहतम होगा ।
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ०४
ीगु उवाच
घर- प रवारका याग करनी थी; इसिलए यह कम क गई, साथ ही ये उदाहरण
करनवेाल के स ब धम भावके अभावको भी दशाते ह । इससे आ याि मक लाभ
यह समझ ल ! न होकर ई रक अवकपा ृ होती है । इससे ात होता है
साधनाके िलए कटु ु बका िक िह दओक
ु ं ो िकतने छोटे-छोटे त य का धम-िश ण
याग करनेपर अनेक आव यक है ।
यि टीका करते ह पजा ू करनके यो य कितृ
परा पर गु डॉ. जयतं आठवले
िक ‘उसे घरके सद य के िन न कारसे पजा ू करनेपर लाभ अव य होता है -
सनातन सं थाके सं थापक ित ेम नह है, उसने अ :दवेताक मितू अथवा िच दोन हाथ से स भालकर
बडी चक ू क है ।’ य म कट ु ु बका याग करनेवाला म यभागसे उठाएं !
छोटा कट ु ु ब छोड िवशाल कटु ु बसे एक प होता है । आ : दवेता, स त अथवा गु को पोछते समय, वे
इससे उसक गित होती है; पर तु साधकक साधनाम सा ात ह, यह सोचकर, हम उ ह पोछ रहे ह, यह उ ह
यवधान लानेके कारण टीका करनेवाल को पाप बताकर ऊपरसे नीचेतक एक एक अगं पोछ ! मां
लगता है । ब चेको कै से नहलाती है ?, उसे बताती है िक म तझे

नहला रही ह,ं तमु ने ब द कर लो अ यथा ने म जल
कहां अनेक पि नय क (बहिववाहक ) अनमित
ु दनेेवाले चला जाएगा । इस कर उससे बोलते हए, उसक
अ य धम तो कहां चय िसखानेवाला िह दू धम ! िच ताकरते हए उसे नहलाती है, उसी कार हम भी
दवेताओकंे िच , मित
ू अथवा स त या गु के छायािच
पजा
ू करते समय होनवेाली अयो य कित
ृ : पोछने चािहए, कितृ भावपण ू होना चािहए । िच या
पजा
ू करते समय िन न अयो य कित ृ यदा-कदा छायािच पोछते समय पहले स त या गु को पोछ,
घिटत होती िदखाई देती है - प ात िच का अ य भाग पोछ !
अ : दवेताक मित ू िसर पकडकर उठाई जाती है तथा इ : ग ध या कमकम
ु ु लगाते समय उसे माथेपर यो य
हाथम लटकाई जाती है । आकारम लगाए,ं िसरपर न जाने द ! मितके ू चरण म
आ : दवेता, स त अथवा स ु के छायािच िकसी भी ु ु चढाएं !
कमकम
कार पोछे जाते ह । ई : यो य आकार एवं यो य कारके साि वक रचनावाले
इ : ग ध, कमकम,
ु ु िकसी भी कार लगा िदया जाता है । फल
ू चढाएं !
कभी दवेताके ने म तो कभी पणू मख
ु ही ढक िदया जाता है । उ : पजा
ू करते समय अ य यान न जाए, एका तासे
ई : फलू िकसी भी कार चढाए जाते ह, वे िच या ू कर !
पजा
ू अनसार
मितके ु यो य आकारके नह होते । उनसे परीू ऐसा करनेसे उन दवेता, स त या गु का त व जागतृ हो,
मित
ू या िच ढक जाता है । हम उसका लाभ िमलेगा ।
उ : पजाू करते समय यान य -त होता है, अथवा - परा पर गु डॉ. जयतं आठवले,
िकसीसे अनाव यक वातालाप क जाती ह । साभार : मराठी दैिनक सनातन भात
इन सभी उदाहरण से ात होता है िक मा पजा ू (http://sanatanprabhat.org)
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ०५
धमधारा (सवचन)

सैिनक पर पथराव करता है तो वह अिधक बडा अपराधी होता है; अतः
करनवेाले होते ह आि तकने बरु े कम करनेसे पवू उसके फलका अथात
आतिकयं समान ई र ारा िमलनेवाले द डका िवचार अव य कर लेना
रा ोही चािहए ! यान रहे, धमका ान होनेपर भी पापाचरण
रा ोहीको समथन करना अ य अपराध होता है !
तनजा
ु ठाकर ु करनेवाला रा ोही ही
वैिदक उपासना पीठक सं थािपका होता है, दजनको
ु समथन धम एवं साधनािवहीन यि य को वृ ाव थाम
करनेवाला दजन ु ही होता है, तो सैिनक पर ाणघातक स तान से िमलता है अिधक दःख ु
आ मण करने हेतु पथराव करनेवाला रा ोही कै से एक सेवािनवृ यि हमारे स सगंम आए थे ।
नह है ? आतंिकय को, सेनासे बचाने हेतु पथराव स सगं समा होनेपर वे अपने पु से कै से त ह, यह
करनेवाले, आतंक और रा ोही ही ह, ऐसे सभी बताने लगे । मने उनसे पछा,
ू “ या आप साधना करते
दु को आतंिकय समान मृ यदु ड ही िदया जाना ह ?, तो उ ह ने कहा, “मझे
ु अपनी चाकरीसे (नौकरीसे)
चािहए ! कभी समय ही नह िमला !”
जो कहते ह िक साधना करने हेतु समय नह िमला,
खर िह दु विन नतेाओकें स ासीन होनस े े िह दू व ततः ु उ ह साधनाम िच ही नह होती है या उसका
रा का होगा आगमन मह व ात नह होता है !
उ र दशेके योगी आिद यनाथके स यास क यिद कोई यि यवाव
ु थाम साधना नह कर पाता
अिधकांश िह दू भू र-भू र शस ं ा कर रहे ह, इससे ही है या उसके िलए समय नह िनकाल पाता है तो
समझम आता है िक िह दओक ु ं ो अपने रा यकताओसंे वृ ाव थाम उसे अपनी स तान से क होनेक ९०%
िकस कारक अपे ाएं ह एवं खर िह दु ववादी नेताके आशक ं ा होती ह; य िक किलयगम ु अिधकांश
स ाप म आनेसे िह दू रा का आगमन कै से हो स ब ध से दःख ु िमलनेक आशक ं ा अिधक होती ह एवं
जाएगा, इसक कछ ु झलिकयां योगीजी दे रहे ह । हम साधनाके अभावम अिन शि यां भी अिधक क दतेी
उनके ारा िह दु वके सरं ण हेतु उठाए गए यास का ह और ार धक ती ताके कारण भी दःख ु का भान
अिभन दन करते ह एवं उनसे ीरामक मितक ू अपे ा अिधक होता है । साधना व धमपालन सखी ु जीवनक
राम-मि दरके शी िनमाणका आ ह करते ह ! कंु जी है; इसिलए बा यकालसे ही साधना कर एवं अपनी
स तान से भी करवाएं !
पाप करनपेर नाि तकक अपे ा आि तकको
िमलता है अिधक कठोर द ड े पद ह
विृ हीनता होते हए भी भारतम सनेाम अनक
ई र ारा नाि तकक अपे ा आि तकको उसके र
पाप कम का अिधक कठोर द ड िदया जाता है । समाचार कािशत हआ है िक सेनाम अनेक पद
नाि तक तो अपनी अ ानतावश ई रके अि त वको र ह । िजस दशेम इतने यवक ु विृ हीनतासे
ही नह मानता ! आि तक सब जानते हए यिद पापकम ( बेरोजगारीसे) यिथत ह , उस दशेम ऐसा होना
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ०६
िकस बातका ोतक है ?, इस िवषयम शासक वग थोडा उ र बडा सरल है, वत ता प ात स ासीन
िच तन कर ! शासनकताओनंे इस िनधम लोकत म जाितको
आए िदन हमारे सैिनक, न सिलय एवं आधार बनाकर राज िकया है और इसके पोषण हेतु
आतंिकय के हाथ हता मा होते रहते ह, इस जाितगत सघंषको बढावा िदया है; इसिलए इस सघंषको
प रि थितम ऐसी रणनीितक आव यकता है िजससे इन रोकनेका एकमा पयाय है धम अिधि त िह दू रा क
अराजक त व को पणू पेण न िकया जा सके , यह नह थापना करना !
होता है; इसिलए सेनाके मह वपण ू पद र होते ह और िपछले कछ
ु शतक से धमके ासके कारण ही जात-
साथ ही यवाओमु ं दशेके ित सेवा करनेक भावनाओकंो पातका भेदभाव बल होता गया । धम-सं थापनासे
भी िव ाथ जीवनम उनके मनम अिंकत नह िकया जाता वतः ही यह जाित यव था न होकर, वण- यव थाक
है ! िह दू रा म ऐसा नह होगा, यवा
ु दशेके िलए सेवा हेतु पनु थापना होगी । इस त यका आपको माण चािहए तो
अपना सव व योछावर करने हेतु सदवै त पर रहगे ! िकसी भी उ च कोिटके स तके आ मम जाकर दख े ,
वहां आज भी आ मवािसय का जीवन वण यव थापर
िवदेशम वृ का शासन ारा यान रखनक े े कारण आधा रत है । हम मा उस यव थाको यापक प दनेे
िवदशे धमया ाके म य, यरोपम ू एक यि ने कहा हेतु आ म समान रामरा य पी िह दू रा को इस
िक यहां वृ के यान रखने हेतु बहत अ छी शासक य दशेम लाना होगा । इस हेतु यि और समि जीवनम
(सरकारी) यव था है, जहां उ ह येक कारक सख- ु अिधकसे अिधक िह दओं ु ारा धमका पालन व सार
सिवधाए
ु ं दी जाती ह ! मने उनसे कहा, “जहां धमका नाश करना एवं समाज कं टक से रा एवं िह दू धमका र ण
हो चका
ु होता है, वहांक वाथ स तान अपने वृ माता- करना होगा । जाितगत सघंष वतः ही समा हो जाएगा !
िपताका यान नह रखती ह तो शासनको
( सरकारको) कछ ु तो यव था करनी ही साधनाके साथ अहंकार, िजतना अिधक होता है,
होगी !” मने िवदशेके बा सख-साधन
ु से भािवत उन मृ यु उपरा त उस िलंगदहेको उतनी ही शि शाली
िह दू भारतीय स जनसे िवन तापवक ू पछा, ू “ या अिन योिन ा होती है । सीधा समीकरण समझ ल,
शासन ारा ायोिजत वृ ा मम वृ से कोई ेमसे बात साधना + अहक ं ार = असरु । इसीिलए िजनके घरके
करता है ?, उनक बात सनकर, ु उनक सेवा एक सपु ु िपतर ज मकालम साधनारत रहते ह एवं अपनी िकसी
समान ेमसे करता है ?”, वे लि जत हो गए और बोले, इ छाक पित ू न होनेके कारण मृ यु उपरा त यिद वे
“यहां इन सबके िलए िकसीके पास समय नह होता ।” अटक जाते ह तो ऐसे पवज ू अपनी साधनाके बलपर
यान रख, जो धम दे सकता है वह िनधम यव था अपने वशंज को अिधक माणम क दतेे ह और ऐसे
कभी नह दे सकती है ! (१३.८.२०१६) अतृ िपतर को कोई उ च कोिटके दवेता या कोई स त
ही गित दे सकते ह एवं उ ह गित दनेे हेतु उनके वशंज को
जाित आधा रत सघषस
ं े यह समाज मु कै से हो ती साधना करनी पडती है; अतः साधकको अहक ं ारके
सकता है ? ल ण को दरू करने हेतु सननेु और सीखनेक विृ को
ु िदवस पवू एक गो ीम पछा
एक यि ने कछ ू था आ मसात करना चािहए एवं सतकतासे वभावदोष
िक जाित आधा रत सघषस
ं े यह समाज मु कै से हो िनमलनू एवं अहिंनमलनक
ू ि याको ि याि वत करने
सकता है ? हेतु सात यसे यास करना चािहए !
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ०७
धमधारा
शका
ं समाधान
१. मने आपका वैिदक िववाहसे स बि धत अपहरण करके बलात (जबरद ती) िववाह कर लेना
‘धमधारा स सग’ ं सना ु े े प ात म यह
ु है । उसे सननक ‘रा स िववाह’ कहलाता है । (यह भी आज
जानना चाहता हं िक या िजनका मे िववाह हआ है अिह दओं ु ारा चलनम है ।)
अथात िजनका पण ू वैिदक रीितसे िववाह नह हआ ८. पैशाच िववाह : क याक गहन िन ा, मानिसक
हो, वे साधना कर सकते ह ? दबलता
ु आिदका लाभ उठा कर उससे शारी रक
- हष महाजन, खरगोन, म य देश स ब ध बना लेना और उससे िववाह करना ‘पैशाच
इस का उ र जाननेसे पवू हमारे धमशा म आठ िववाह’ कहलाता है । इसम क याके प रजनक
कारके जो िववाह बताए गए ह, उसे जान ल यथा - ह यातक कर दी जाती है । आज ऐसा अनेक वासना ध
१. िववाह : दोन प क सहमितसे समान वण, (नरिपशाच) करते हए िदखाई दतेे ह, धमक अधोगित
कल
ु इ यािदको दख े कर, सयो ु य वरसे क याका िववाह एवं रा यकताओकं अकम यताके कारण ही ऐसे िववाह
िनि त कर दनेा ‘ िववाह’ कहलाता है । इस िववाहम होते ह ।
वैिदक रीितका पालन कर पािण हण सं कार होता है इस कार ‘ ेम िववाह’ भी िववाहका एक कार है ।
एवं िववाहके प ात क याको आभषणय ू ु करके िवदा यहां िवशेष बात यह है िक िववाह चाहे िजस भी कारसे
िकया जाता है । आजका पवू िनधा रत “अर ड मै रज”, हआ हो, वर और वधु दोन ही सदवै साधना करनेके
' िववाह'का ही प है । यह उ म िववाह कहा जाता अिधकारी होते ह, य िक मनु य जीवनका मु य उ े य
है । ई र ाि होता है; और उसे मा साधना कर ही सा य
२. दैव िववाह : िकसी सेवा कायके (िवशेषतः धािमक िकया जा सकता है; अतः अि तम तीन कारके िनकृ
अनु ानके ) दि णाके पम अपनी क याको दानम दे िववाह करनेवाले वर एवं उसम सल ं न सभी लोग भी,
दनेा ‘दवै िववाह’ कहलाता है । साधनाके अिधकारी होते ह । कोई भी जीव, यिद साधना
३. आष िववाह : क या-प वाल को क याका मू य आर भ कर दे तो उससे जो पाप हआ है, उसका उ ह
दके र (सामा यतः गोदान करके ) क यासे िववाह कर ायि त िनि त ही करना पडता है और ई रीय िवधान
लेना ‘आष िववाह’ कहलाता है । अनसार ु द ड भी भोगना पडता है, मा भि करनेसे
४. जाप य िववाह : क याक सहमितके िबना उसका पापक ती ता सस ु हो जाती है ।
िववाह अिभजा य (धनाढय ् एवं कलीन)
ु वगके वरसे कर सामा यतः ेम िववाहम िववाह पवू या उस म य
दनेा ‘ जाप य िववाह’ कहलाता है । वयोवृ , माता-िपता, दवेता-िपतरका आशीवाद नह
५. ग धव िववाह : प रवारवाल क सहमितके िबना वर िलया जाता है; इसिलए ऐसे द पितको अपने वैवािहक
और क याका िबना िकसी रीित- रवाजके आपसम जीवनम अनेक बिु अग य (आ याि मक) अडचन का
िववाह कर लेना ‘ग धव िववाह’ कहलाता है । सामना करना पडता है; िक तु साधना कर दवेता-
६. असरु िववाह : क याको य कर (आिथक पसे) िपतरको स न िकया जा सकता है एवं माता-िपतासे
िववाह कर लेना ‘असरु िववाह’ कहलाता है । (यह रीित मा याचना कर, उनक सेवा कर, उ ह भी स न िकया
आज कछ ु अिह दू प थ म चिलत है । ) जा सकता हैऔर ऐसा करनेसे साधना ारा इन पाप को
७. रा स िववाह : क याक सहमितके िबना उसका यनू करने हेतु जो शि यय होती है, उससे बचा जा
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ०८
सकता है ! एक त य सदवै यान रख, सखी ु गहृ थ ठीक करवाएं !
जीवन एवं यश वी स तान ाि हेतु माता-िपता, दवेता ५. वहां िनयिमत पजाू होती रहे इसक भी यव था कर
एवं िपतर का आशीवाद परम आव यक होता है; या करवाएं !
इसिलए यिद िकसीने भावनाके आवेगम आकर या ६. कलदव
ु े ीसे मा याचना इस कार कर, “हे मा,ं जाने-
प रि थित अनु प ेम िववाह कर िलया हो तो उ ह ने अनजाने हमसे या हमारे कल ु और प रवारके लोग से
िववाहके प ात अभी बताए सभीको स न करनेका यिद आपक पजा-आराधनाम
ू कोई चक
ू हो गई हो तो
िनि त ही यास करना चािहए, यह उनका एक कारसे उसके िलए हम मा कर ! हमपर एवं हमारे कलकेु अय
ायि त होता है । सद य पर अपनी कपा ृ ि बनाए रख । हम साधना
पथपर अ सर रह एवं समि िहताथ अथात रा व
२. म दबईम ु चाकरी (नौकरी) करता ह,ं आपके धमके िलए भी अपना योगदान दे सक, ऐसा हमसे यास
स सगं से कलदे ु वताका मह व ात हआ, कछ ु होने द, हम आपके शरणागत ह ।
िदवस प ात भारतम अपनी पु ी और प नीके साथ ७. कलदवु े ीके दशन, पजनू उपरा त उ ह एवं द ा ेय
कलदेु वीके दशन हतेु जानवेाला ह,ं कपयाृ बताए ं िक दवेताको कत ृ ता य कर !
हम ऐसा या कर िक हम उनका अिधकािधक ८. कलदव
ु े ीके दशनके प ात अपने घरपर ितिदन पजा ू
आशीवाद ा हो । - मोद राणा, दबई
ु करते समय उनके िव ह या छायािच पर एक पु प
उ र : कलदव ु े ीके आशीवाद हेतु िन निलिखत अव य चढाएं ! आप दबईम ु रहते ह और ऐसेम यिद पु प
त य का पालन कर सकते ह - न िमल पाएं तो उ ह मरण कर धप-दीप ू िदखाएं और
१. कलदव ु े ीके दशन हेतु जानेसे पवू ाथना कर िक एक माला (१०८ बार) उनका नामजप कर !
उनका दशन, आपको एवं आपके प रवारको िनिव न ९. येक वष कलदव ु े ीके दशन हेतु अपने प रवारके
ा हो । साथ अव य जाएं ! सव कलाचार ु अपने कट
ु ु बके
२. ‘अिधकसे अिधक’ नामजप कर, साथ ही ३६ माला सद यसे अथवा ामके कलपरोिहतसे
ु ु पछ
ू एवं उ ह
ितिदन ‘ ी गु दवे द ’का जप कर; य िक आज करनेका यास कर !
अिधकांश घर म िपतदोष ृ ह, अतृ िपतर दवेकायम १०. गु के िमलनेसे पव, ू कलदव
ु े ी हमारी भौितक एवं
िव न डालते ह; अतः स पणू या ाम ितिदनम, आ याि मक गित हेतु उ रदायी त व ह; अतः उनके
जबतक कलदव ु े ीके दशन न हो जाए, यह जप िनयिमत ित ा और भि सदवै रख एवं अपनी अगली
कर एवं शेष समय अपने कलदव ु े ीका या अपने पीढीको भी िसखाएं !
गु म का या यिद कोई िविश नामजप आपको िकसी
अ या मिवदने बताया हो तो उसे कर ! शा वचन
३. कलदव ु े ीके दशनके समय कलाचार
ु अनसार
ु उनका पु इव िपतु गहे िवषये य य मानवाः ।
पजनू कर या करवाएं और सब भावपवक ू हो, यह यान िनभया िवच र यि त स राजा राजस मः ॥
रख ! अथ : पु जैसे िपताके घरपर िनभय होता है, वैसे
४. यिद कलदव ु े ीका थान जीण-शीण हो तो अपनी ही िजस रा यके लोग िनभय होकर िवचरते
आिथक मता अनसार ु उसका िनमाण करवाएं या ू ) ह, वह राजा े राजा है ।
(घमते
कलके
ु अ य लोग क सहायता लेकर उसे
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ०९
धमधारा
सू म जगत
वतमान समयके ‘होटल’ कहलानवेाले िव ाम गहृ क थी तो यह खल ु कै से गई ?, जसै े ही मने इसका
अथात भतू का मख ु थल ! सू मसे िनरी ण िकया तो ात हआ िक उस िव ाम
धम सारके म य अनक े बार हम िव ाम गहृ म गहक
ृ सभी अिन शि य ने मरेा यान आकृ करने
(होटल म) भी कना पडता है । सू म इि यां कायरत हतेु यह धृ ताक थी, मझे ु उन सबक उपि थितक भी
होनक े े कारण ऐसा कह सकती हं िक इन थान पर प पसे तीित हई । म अ यिधक थक हई थी; अतः
कना अथात कछ ु नतन ू घिटत होने हतेु िस रहना पनःु कवच लक े र एवं उ ह सावधान कर िक मझे ु पनः
ु न
होता ह,ै आजका यह लख े इसी कारक कछ ु जगाए,ं अ यथा म भगवानजीसे उनके िवषयम प रवाद
अनभितय
ु ू का सं ह है । ई रीय कपासे ृ म सदवैसे ही (िशकायत) कर दगूं ी, यह बताकर सो गई । म वहां छह
िनडर रही हं एवं अिधकाशं समय ीगु ने मझसे ु अके ले िदवस थी और वह थान नोएडाम मु य मागपर था, तब
ही धम सार हतेु या ाएं कर सवेा करवाई ह, ऐसमे जब भी जो भी मझसे
ु िमलने आनवेाले थ,े सभीको वहाक ं
भी िकसी िव ाम गहम ृ राि िबताना हो तो थम राि मरेे अिन शि यां िदशा िमत कर, उनका समय यथ
साथ कछ ु न कछ
ु िनराला घिटत होना िनि त ही होता ह,ै अव य करती थ । य िप अगली रातसे ऐसा कोई सगं
चाहे म िकतनी भी सतक होकर सारे आ याि मक उपाय नह हआ; िक तु अिन शि य क सं या इतनी
य न कर ल;ूं मा गु कपाके
ृ कारण वे मझे ु कभी िवशषे अिधक थी िक म राि म द डदीप (टयबलाइट)
् ू जलाकर
क नह दे पाए या भयभीत नह कर पाए । ही सोती थी, िजससे वे अिधक माणम उ पात न कर
ततु है ऐसी ही कछु अनभितया
ु ू ं- सक ।
* ि ता द २०११ म धमया ाके म य दहेलीम एक
साधकने को ट गाडके एक िव ाम गहम ृ कवानक े मरेी * ि ता द २००५ म म कोलकाताके दो साधक के
यव था करवाई थी । थम िदवस रल े यानसे ( ेनस)े साथ भवनेु रम लगे पु तक मल े मे सनातन सं थाक
एक िदवस या ा करके आनक े े प ात, सवरेस े े ही कोई न थ दशनीम सवेा करने हतेु गई थी । वहां भी िजस
कोई िज ासु या साधक िमलने आते रह;े अतः म राि म अितिथगहम ृ (गे ट हाउसम) हम जो क िदया गया था,
साढे दस बजतेक अ यिधक थक चक ु थी एवं म उसे दखे ते ही समझ आ रहा था िक वह भतहा ू ह;ै अतः
नामजप, ाथना कर, वा तशि ु ु क उदब ी जलाकर जब हमने यव थापकको उसे प रवितत करने हतेु कहा
सो गई । म जहां क थी, वह एक ‘सईट’ ु थी, िजसम एक तो वे कहने लगे शषे सभी क भरे हए ह, आपको यिद
शयन-क और एक बठैक-क था । म अपने क के यहां रहना है तो इसी क म रहना होगा, हम वहां दस
ारक िसटिकनी ब दकर सोई थी, यह मझे ु अ छे से िदवस रहना था और हम िकसी िहतिच तकने िनःशु क
मरण है । अक मात साढे बारह बजे रातम मरेे क के िदलवाया था; इसिलए वहां कनक े े अित र हमारे
ारके बार-बार खलनेु एवं ब द होनक े विनने मरेी पास और कोई पयाय नह था । पु तक मल े ा एक िवशाल
न दको भगं कर िदया । मने उठकर ारक िसटिकनी खले के ‘मदैान’म आयोिजत हआ करता था; अतः भीड
पनः
ु ब द क और समय दख े ा तो पाया िक अध राि का होनपेर अ यिधक धल ू उडा करती थी । तीसरे िदवस
समय था । कछ ु ण के िलए मझे ु न द नह आई और तब रिववार होनक े े कारण हम सभी धलसे
ू तो भर ही गए थे,
म सोचने लगी िक मने सोनस े े पवू इसक िसटिकनी ब द अ यिधक थक भी गए थे; अतः मने और एक सह-
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - १०
सािधकाने राि म नान करनेका िनणय िलया िजससे सू म यु के कारण पहलेसे ही क हो रहे थे, वे मा मेरी
उ णता (गम ) भरी रातम अितिथगहके ृ पख ं ेक खड- ाणशि को और भी यनू कर दतेे थे और राि म सेवासे
खड विन हमारी िन ाको बािधत न करे और नानसे आनेके प ात लगता था िक अगले िदवस म सेवाके िलए
व छ होनेपर हम थोडी फित ू भी िमले । म, जब नह उठ पाउंगी; पर तु गु कपाके
ृ कारण म ातःकाल
सामिहक ू नानगहम ृ नान करने गई और नान हेतु जब उठती थी तो वयमं फित ू (ताजगी) अनभवु करती
व उतार ही रही थी िक मझे ु भान हआ िक अनेक थी ।
अिन शि यां लाल-लाल ने से मझे ु घरू रही ह, कछ
ु र के छ टे आना तो हमारे िलए सामा य सी बात
ण के िलए मेरे र गटे खडे हो गए और लगा िक वहांसे थी; य िक सनातन सं थाके साधक के साथ तो इस
िबना नानके िकए ही अपने क म चली जाऊं; पर तु कारक घटनाएं अनेक बार हो चक ु थ । उसी समय
मने थोडा साहस िकया; य िक धल, ू गम और थकावट जब म वाराणसी आ मम रहती थी तो िजस क म म
तीन को दरू करनेका नान, एकमा उपाय था, तभी रहती उस क के भीत पर और मेरी चादर पर अिन
मझे
ु यानम आया िक मेरी मां मझे ु सदवै कहती थ िक शि यां काले रगंके छ टे डाला करती थ , यह म जब
राि म नान नह करना चािहए और उस िदवस मझे ु यव थापनने मेरा क प रवितत िकया तो वहां भी
उसका कारण ात हो गया । मने व धारण कर अपने चलता ही रहा !
दहेके चार और कवच मांगकर नान कर िलया; पर तु
थकावट अिधक होनेके कारण नानके प ात * कभी-कभी कछ
ु वचनके आयोजक िवशेषकर जो
िबछावनपर धडामसे ढेर हो गई । सू म यु के कारण राज थानसे होते ह वे ‘हे रटेज होटल’म हम अ यिधक
उस समय मेरी ाणशि भी अ प ही रहती थी; अतः म िच एवं ेमसे कवाते ह; पर तु ऐसे िव ाम गहकृ
और भी अिधक िनढाल हो गई थी । हमारी सह- आ याि मक ि थित अ यिधक भयावह होती है, इस
सािधकाने भी मझे ु जगाया नह और वह क क ब ी स दभम एक अनभित ु ू साझा कर रही हं । ि ता द
जली छोडकर सो गई ं। अगले िदवस वह मझसे ु कहने २०१२ म फे सबकक ु िम सचीके
ू मा यमसे प रिचत
लग िक कल राि मने नानगहम ृ अनेक लाल-लाल एक यि ने जोधपरु नगरम मेरे वचन करवानेक
घरती
ू आख ं दखे और मझे ु अ यिधक डर लगा; इसिलए इ छा दशाई; पर तु उनका सयंु प रवार था और
राि म म िबना ब ी बझाए ु नामजप करती रही और मझे ु उनके घरम एक तो कोई मझसे ु प रिचत नह था और
अध राि तक न द नह आई, िभ न कारक दगु ध साथ ही घरका वातावरण भी अ यिधक तनावपणू रहता
आती रही । उस राि सू म यु हआ था और उस था; अतः वे चाहकर भी मझे ु अपने घरम कवानेम
कारण ही वह दगु ध, उ ह आ रही थी । अगले िदवस हम समथ नह थे । म बडे और वैभवशाली िव ाम गहम ृ
नामजप कर और कवच लेकर सोए तो सवेरे दख े ा िक कनेक अपे ा िकसी साधकके घर कना अिधक
भीत (दीवार) एवं हमारे चादरपर र के छ टे थे । उस उिचत समझती हं, इससे दो लाभ होते ह, एक तो मझे ु
सािधकाको आठ िदवस अ यिधक क हआ, कभी उ ह िव ाम गहकृ अपे ा अ प माणम क होता है और
न द नह आती थी, तो कभी न दम भयानक व न दसरा
ू उस घरके सद य को स सगं िमल जाता है,
िदखाई दतेे थे, तो कभी अ यिधक डर लगता था; िक तु िजससे उनक वा तक ु भी शिु हो जाती है । य िप
हमारे पास और कोई उपाय नह था; अतः हम उस आज सभीके घर म अ यिधक अिन शि य के क
भतहाू अितिथगहम ृ दस िदवस रहना ही पडा । मझे ु तो होनेके कारण थम राि मेरे िलए क द ही रहता है;
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ११
िक तु मेरा सोचना है िक यिद मेरे थोडे क सहन करनेसे ‘अ छा एवं मेरे मनोनकल ु ू क ’ िदखाने हेतु कहा । तीन-
उस घरके सद य क वा तु थोडे कालके िलए शु हो चार क दख े नेके प ात एक क , िजसम सभी क क
जाए तो मझेु वह क मा य है । सू म जगतके स ब धम अपे ा थोडा अ प माणम क था, उसके िलए मने
जानकारी और आपके आ याि मक तरके अनु प ही हामी भरी । रातभरक या ासे म थक हई थी; अतः
आपको क होता है, यह अ या मशा का एक सारम जानेसे पवू उनसे थोडी दरेके िलए नान और
िस ा त है । सामा यतः मेरे ीगु का मेरे ऊपर कवच िव ामक आ ा मांगी । मने क का िनरी ण तो कर
दखे कर ही अिन शि यां, उनसे गित हेतु मझे ु क दतेी िलया था; पर तु जब नानगह, ृ िजसम शौचालय सयंु
ह और मेरे ीगु इतने दयालु ह िक मझे ु क दनेेवाली था, उसे दखे ा तो माथेपर हाथ रख िलया, वह तो जैसे
शि य को उनक विृ अनु प या तो उ ह गित दतेे ह स पणू िव ामगहक ृ सभी अिन शि य का मल ू गढ
या उ ह दि डत करते ह; इसीिलए उ ह स िषय ने भी था, म मन ही मन हस ं ने लगी, मने बिु मानी करनेका
अवतार कहा है । यातना सह रहे थल ू और सू म यास िकया था; इसिलए अिन शि य ने मझे ु उस
जगतके जीवा माओकंो गित दक े र उ ार करना अथात क क माया िदखाकर उ लू बनाया था । म उस क म
क याण करना एवं दु शि य को द ड दनेा, यह तीन िदवस रही, वहांका नानगहृ अ यिधक सु दर और
अवतार का मु य काय होता है । व छ था; िक तु वहांसे जो सू म दगु ध आ रही थी,
जोधपरके
ु आयोजकने मझे ु एक परानेु राज ासादम वह सामा यतः िपशाच से आती है, िजतने समय उस
(महलम), िजसे अब एक ‘हे रटेज होटल’का व प दे क म रहती थी, उस नानगहम ृ सनातन सं थाक
िदया गया था, उसम कवानेका ब ध िकया था । जब वा तशि
ु ु उदब ी जलाते रहती थी, तब भी वहांक
वे मझे
ु लेने रल
े यान थानक (रल े वे टेशन) आए तो अिन शि य ने मझे ु तीन बार नानगहम ृ ध का दक े र
उ ह ने अ यिधक स न होकर कहा “मने आपके िगरानेका य न िकया और ई रीय कपासे ृ म येक
कनेक यव था एक सु िस ‘हे रटेज होटल’म बार बच गई, वह नानगहृ इस कार बना था िक उसम
(परातन
ु धरोहर िजसे िव ाम गहकाृ ा प दे िदया गया तीन तर थे, थम तरपर ह त ालन हेतु बेिसन
हो) करवाया है ।” वैसे वे वयं भी एक उ नत ह, था, तीन सीिढय से नीचे उतरनेपर शौच हेतु कमोड था
आ याि मक ि से उनका आ याि मक तर ५०% से और पनःु तीन सीिढय के प ात नानके िलए ‘बाथ-टब’
ऊपर था और वे एक वा तु िवशारद एवं त माग था, बा पसे दख े नेसे वह नानगहृ अ यिधक सु दर
साधक भी ह, तथािप उनक ओरसे इस कारक लगता था; पर तु आ याि मक ि से भयावह था; यिद
कनेक यव थाको मने ई रे छा मान, उनके साथ मने उसम वा तशि ु ु क उदब ी सतत नह जलाई
उस िव ाम गहम ृ गई । उ ह ने मेरे िलए अपने भाव होती तो मेरी दघटना
ु होनी तो वहां िनि त ही थी !
अनु प एक आरामदायक क चना ु था; पर तु वह क * ि ता द २०१२ म हम नेपाल गए थे, वहां हमारे
आ याि मक ि से अ यिधक क द तीत हआ, साथ एक सािधका भी गई ं थ । जनकपरम ु हम एक
उससे एक िविच कारक सू म दगु ध आ रही थी िदवसके िलए एक िव ाम गहम ृ कना था । िव ाम गहम ृ
और उसम हवा और ाकितक ृ काश हेतु िखडक भी हमने तीन क प रवितत िकए तब जाकर एक क
नह थी तो मने अपनी अडचन, उनके एक प रिचतके िजसम सबसे अ प माणम क था, उसम अपना
मा यमसे जो उस समय हमारे साथ थ , उनसे बताई, सामान रखवाया; पर तु जब हम उसके नानगहम ृ गए
उ ह ने िव ाम गहकेृ यव थापकको बलाकर ु कोई तो पाया िक उसम अ यिधक क था । हमारे साथ जो
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - १२
सािधका थ , उ ह ने ‘उपासना’के मा यमसे साधना जा रहा ह,ं उस जपसे आज स पणू राि मेरा अिन
आर भ ही क थी; अतः मने उ ह सतक करते हए कहा शि य से र ण हो और म ातः िनधा रत समयपर उठ
िक आप जब भी नानगहृ या शौचालयका उपयोग कर पाऊं और स पणू राि मेरे चार ओर आपके अ एवं
तो नामजप अव य िकया कर; िक तु उ ह ने मेरी बात श से कवच-िनमाण हो, ऐसी आप कपा ृ कर !” यानम
उतनी ग भीरतासे नह ली; य िक वे एक िमक रख िक लेटकर इस कवच हेतु जप न कर, य िक यह
यिनयनक
ू ने ी ह व अपने काय हेतु अनेक बार िव ाम जप पणू करनेसे पहले ही अिन शि यां हम सला ु दतेी
गहृ म का करती ह । वे असतक थ , प रणाम यह हआ ह, िजससे उनके आ मणका काय राि म सरलतासे
िक अगले िदवस ातःकाल उ ह शौचालयक दो होता रहे और वे हम स पणू राि क दतेी रह ।
सीिढय से िकसीने ध का दे िदया और वे िगर पड , ४. अपने िबछावनके चार ओर दवेताओकंे साि वक
इसकारण उ ह अगले एक स ाह पांव व कमरम नामजपक प यां लगा सकते ह, इसे भी अपने साथ
अ यिधक वेदना रही । लेकर या ा कर ! (यह हमारे पास उपल ध ह)
यह तो मने कछ ु सगं का आपके सम उ लेख ५. राि म अपने लैपटॉपपर या सीडी लेयरपर,
िकया है, ऐसी अनेक अनभितयां
ु ू हम धम सारके म य साि वक नामजपक सीडी ‘ रपीट’ मोडपर लगाकर सो
हो चकु ह। सकते ह । (नामजपक विनचि का अथात CD हमारे
साधारणतः होटलके क म सभी कारके लोग आते ह पास उपल ध ह)
और कई कारके ककम ु भी होते ह; अतः साधक क ६. िकसी य क िवभित ू या मि दरसे ा िवभित ू भी
साधनाका लाभ लेकर गित पाने हेतु या साधकको साथ लेकर चल । हथेलीपर चटक ु भर िवभितू रखकर
क दनेे हेतु आस-पासक अिन शि यां साधकपर अपने िबछावनके चार ओर सोनेसे पवू फंू ककर सोएं !
आ मण करती ह और उनके िलए न दम यह करना ऐसा करनेसे िबछावनके चार ओरका काला आवरण
और भी सरल होता है । न हो जाता है ।
जब भी हम िकसी होटलम कते ह तो सोनेसे पहले ७. िवभितका
ू टीका लगाकर भी सो सकते ह ।
िन निलिखत आ याि मक उपाय कर सोना चािहए -
१. वासके समय अपने ओढने और िबछानेवाली
चादर अपने साथ अव य रख ! होटलके िबछावनपर न
सोए,ं चाहे वह िकतना भी मू यवान, नतन ू या व छ
य न हो । 0% पर तरु त फाइनस
२. िनधा रत थलपर पहचंते ही, अपने इ का या
गु का िच होटलके क म लगा द । इससे वहांके
वा तक ु शिु होने लगेगी और वा तु कछ ु सीमातक
पिव हो जाएगा । Mobile Phone, Laptop, LED, Refrigerator, Washing Machine,
AC, Home Theater, Deep Freeze, Cooler, Water Cooler,
३. सबसे मह वपण ू है िक सोनेसे पवू िबछावनपर Geyser, Kitchen Chimney, Sewing Machine,
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वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - १३
धमधारा

उि कौ तेय
दि णक वीरागना ं वीरमा देवीक भिमकाकाू सनी िचिक सालयम िव करवाया, यहां जयेशक मृ यु हो
िलयोनी ारा िकया जाना ल जा पद ु जयेश व आरोिपय के म य
गई ! जानकारीके अनसार
सनी िलयोनीको कनाटकम िवरोधका सामना नवरा म कहा-सनी ु हई थी, इसी कारण ह याका
करना पड रहा है । वह दि णक महान ाणी वीरमा अनमान
ु है ।
दवेीके इितहासपर आधा रत चलिच म मु य भिमका ू भाजपा शािसत रा यम िह दु विन क ह या
िनभा रह ह, िजसका कछ ु सगंठन िवरोध कर रहे ह । ु ं मनम िनमाण करता
ल जाजनक है व िह दओके
वीरमादवेी दि णक ि य रानी थी, िजनके नामपर है िक जब िह दवादी
ू सगठन
ं िव िह दू प रषद
कई दवेालय बने ह । िवरोध कर रहे सगंठन का कहना है अ य ही सरि ु त नह , तब शेष िह दू कै से सरि
ु त
िक 'पोन टार' सनीको इसम लेकर वीरमा दवेीका ह गे ? शासन इसपर व रत कायवाही कर,े ऐसी
अपमान िकया गया है; इसिलए इसपर तरु त ितब ध सभी िह दु विन क मागं है ।
लगना चािहए । िवरोध कर रहे कछ ु सगंठन के
कायकताओनंे तो अपने हाथ भी काट कर र रिंजत अयो याके प ात अब अहमदाबादका नामकरण
कर िलए िजससे शासन इस करणको ग भीरतासे ले कणावती होनक े े सकें त
और चलिच पर ितब ध लगाए । उ र दशेके मु यम ी योगी आिद यनाथ ारा
एक महान ाणीके भिमकाकेू मंचन हेतु एक फै जाबाद जनपदका नाम अयो या करनेक घोषणा
न नता परोसने वाली नटीको रखना या एक महान करनेके कछ ु घ टे प ात गजरातके
ु भाजपा शासनने
इितहासको िवकतृ करना नह है ? , इससे ही िनमाता व मंगलवार, ६ नव बरको कहा िक वह यिद कोई
िनदशकक विृ समझम आती है ! इन कलाकार से ‘वैधािनक बाधा नह आए तो वे अहमदाबादका नाम
आनेवाली पीढी या िश ा लेगी ?; अतःके शासन कणावती करनेको इ छक ु ह ! उपमु यम ी पटेलने
इसपर सं ान लेकर इसे ितबि धत कर,े ऐसी स वाददाताओसंे कहा, “लोग म अब भी ऐसी भावना है
िह दु विन क मांग है ।” िक अहमदाबादका नाम कणावती िकया जाना चािहए ।
वैधािनक बाधाओकंो पार करनेम हम आव यक समथन
िह दू बहल भारतम एक और िह दु ववादीक िमलता है तो हम महानगरका नाम प रवितत करनेके
धमा ध ारा ह या िलए सदवै त पर ह और इसके साथ ही उ र दशेम
भावनगर जनपदके महवाम चार लोग ने मंगलवार, आगरा नगरका नाम, महाराजा अ सेनका े होनेसे,
२३ अ ू बरको राि को छरु े व पाइपसे ाणघातक प रवतन कर ‘अ वन’ करनेक मांग क गई है ।
आ मण कर ‘िव िह दू प रषद’के अ य क ह या कर िह दू रा के पवू आगमन हतेु शनै-शनैः
दी ! सू के अनसार
ु महवाम गांधीबागके समीप बैठे प रवतनक धारा बहकर आ रही है और अपने साथ
िविहपके अ य जयेश िकशन गज ु रया व िम महेशपर ु के तीक को भी बहाकर ले जा रही है !
लटेु रे मगल
मोटरसाइिकलसे आए बापडी,ु असलम, इमरान व एक व तत: ु यह आनवेाले आन ददायी िह दू रा क
अ ात यि ने िसरपर छरु े व पाइपसे आ मण िकया झाक ं मा है ।
और भाग गए ! दोन को महवाके प ात भावनगरके िनजी
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - १४
िह दु ववादी कायकताओनं े धमा तरण कर रहे थनीय लोग म अ यिधक रोष है । यह परा ू य
पादरीको कटा ू ! आजमगढ जनपदके फलपर ू ु उपम डल े के माहल
उ र दशेके आगराम मंगलवार, ३० अ ू बरको पिलस
ु चौक के िनकटका है, जहां रामलीलाका
कछ ु िह दु ववादी कायकताओं ारा ७ पाद रय पर आयोजन िकया गया था और रामलीलाके मंचपर बार-
धमा तरणका आरोप लगाते हए उनक िपटाई करनेका बालाएं नाचती हई िदख !
करण सामने आया था, िजसके प ात पिलसने ु दो रामलीलाम वष से भु ी रामजीके आदश
स दाय के म य श ताको ु बढावा दनेेके आरोपम जीवनका नाटय ् पा तरण िकया जाता रहा है,
पाद रय को ही ब दी बना िलया था । य िप उ ह सं याम िजससे समाजके लोग उनके जैसा आदश आचरण
'िनजी बॉ ड'पर मु कर िदया गया था ! अब इस सीख सके । या ऐसे पिव थानपर फहडू नृ य कर
घटनाके एक िदवस प ात पाद रय ने उनके साथ अधम करनवेाल का अपराध य है ? शासनको
मारपीट करनेवाले िह दवादी ू कायकताओकंे िव इसपर कडीसे कडी कायवाही करनी चािहए !
पिलसमु प रवाद िव कराया है । एक पादरी रिव
कमारने
ु अपनी प रवादम ‘दावा’ िकया है िक उ ह ने अ बेडकरके पोतेका िवष वमन, जो लोग 'व दे
उनपर अनिचत ु दोषारोपण करते हए उनक िपटाई क । मातरम' गाते ह, वे रा िवरोधीसे कम नह
इसके साथ ही आरोिपय ने उनके व फाड िदए और बाबा साहेब अ बेडकरके पोते काश अ बेडकरने
उनके सगंीत य तोड िदए । 'व दे मातरम'को लेकर िवष तु य व य िदया है ।
िनधन िह दओको ु ं अपने जालम फसाकर ं अ बेडकरने कहा है िक जो लोग ‘व दे मातरम’ गाते ह, वो
धमा तरण करनवेाले, धमा यतु कर वयं पापके रा िवरोधीसे कम नह ह ! उ ह वने कहा, “जन गण मन
भागी बन, उ ह महापापक अि नम झ कनवेाले, रा गान है, न िक व दे मातरम ! जब आिधका रक रा
धमके नामपर रा ीय सरु ाके िलए सकट ं व रा को गान है तो िकसी दसर ू े गीतक या“ आव यकता ?”
खोखला करनवेाले ऐसे पाद रय को शासन कठोरसे अ बेडकरके इस व यको उस िववादसे जोडकर
कठोर द ड दे, ऐसी सभी रा वािदय क शासनसे दखे ा जा रहा है, िजसम ये बात सामने आती रहती है
अपे ा है । ऐसे पाद रय को पाठ पढाने हतेु िक दशेके अ पसं यक समदायको ु व दे मातरम
िह दु ववादी कायकता अिभन दनके पा ह और गानेसे िवरोध है !
पिलसन ु े ऐसे पाद रय के प रवादपर भी जाचं करना काश अ बेडकरको हम बताना चाहते ह िक
चािहए य िक ये भेडक खालम ‘भेिडये’ होते ह ! ‘व दे मातरम’, िजस गीतने वत ताका शखनाद ं
कर अनक े यवाओम
ु ं देशभि क रेणा जगाई, उस
रामलीलाके िवकतीकरणका
ृ एक और करण, गीतके िलए इस कारके िनकृ िवचार य करने
रामलीलाके मचपर
ं बार-बालाओ ं ारा करवाया गया हतेु हम उनका िनषेध करते ह ! अपनी राजनीित
फहड
ू नृ य चमकानक े े िलए पहलेसे ही िवभािजत रा क और
आजमगढम रामलीलाके मंचपर बार-बालाओसंे ित करना अ य अपराध है एवं साथम ऐसे व य
अथात नतिकय से नृ य करवानेका करण सामने आया अपने पवज ू ारा अिजत क ितको भी धिमल ू
है । आरोप है िक आयोजक ने बार-बालाओकंे साथ करता है !
हाथम म क बोतल भी लहराई ! इस घटनाको लेकर
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - १५
ी. सशील
ु मोदी ारा ब च को हनमानु चालीसा म डलके िव ालय िश ा िनदशेकको ये धािमक पु तक
पढनक े ा परामश देनपेर िवप को हआ उदरशल ू य करनेका िनदश िदया था । इस आदशेका िविभ न
िबहारके उपमु यम ी सशील ु मोदीने सोमवार, समदाय
ु ने िवरोध िकया था ।
२२ अ ू बरको सैिनक िव ालयके छा को स बोिधत इस आदेशका िवरोध कौन कर सकते ह ?, यह
करते हए कहा था िक येक छा को दस िमिनट समय इस देशके िह दओको ु ं बतानक े आव यकता है,
िनकालकर हनमान ु चालीसा, गीता, रामच रतमानस िज ह रामज मभिमम ू राम मि दरके िनमाणका
अव य पढना चािहए । उनके ारा िदया यह परामश िवचार भी रास नह आता, वे रामायण और गीता कै से
िवप को रास नह आ रहा है । िबहार कां ेस अ य बटन
ं े दगे ? यिद इनम इतनी यापकता होती तो आज
मदन मोहन झाने कहा है िक पजा ू पाठ करनेक िश ा इस देशक यह दगित ु नह होती ?
ब च को अपने घरसे िमल जाती है, इसके िलए
परामशक आव यकता नह है ।साथ ही उ ह ने कहा िक पेनक मा रयाने अपने पु के मो क कामनासे
सशीलु मोदीको यिद ब च को परामश दनेा ही था तो उसक अि थयां गगाम ं क िवसिजत
ब धु व अथात भाईचारे और दशे ेमका दतेे ! पेनके बािसलोना िनवासी मा रया टेरसे ाने अपने
हम सशीलु मोदीजीके परामशका समथन करते पु खोरदीके मो क कामनासे उसक अि थय को
ह । िबना आ याि मक बलके न शि का मह व है न शिनवार, १० नव बरको मिणकिणका घाटपर गगंाम
िश ाका, अतः सभी ब च को िनयिमत हनमान ु वािहत िकया ! बािसलोना िनवासी खोरदीक मृ यु ३६
चालीसाके तो का पठन करना ही चािहए । वषक आयमु १५ माच २०१८ को हो गई थी ।
भाईचारक े ा स देश मा िह दओको ु ं ही य िदया उसका दाह सं कार भी िह दू रीित रवाजसे पेनके
जाता है ? ी झा ारा क मीरम जाकर भी टेरसाम िकया गया था । मा रयाने बताया िक खोरदीने
मसलमान
ु को भाईचारके ा स देश िसखा कर आना मरनेसे पवू अपने िपतासे अपनी अि थय को महादवेक
चािहए ! नगरी काशीम मां गगंाम वािहत करनेक अि तम इ छा
कट क थी; इसिलए खोरदीक अि थय को लेकर
‘भगव ीता’ और ‘कोशरु रामायण’ के उदू वे काशी पहचं । मा रयाने कहा िक पु क इतनी आ था
सं करणको शै िणक सं थान म उपल ध करानक ेे थी तो भगवान िशव भी मेरे पु को अव य मो
आदेशको ज म-क ू मीर शासनने वापस िलया दान करगे ।
ज म-क ू मीर शासनने उस आदशेको वापस ले भारतम रहते हए मैकॉले िशि त तथाकिथत
िलया है, िजसम िश ा िवभागसे रा यके िव ालय और बिु वादी अि तम सं कारको दषण ू बताकर
अ य शै िणक सं थान म ‘भगव ीता’ और ‘कोशरु ‘इलैि क व सीएजीसे अि तम सं कार’क बात
रामायण’का उदू सं करण उपल ध करानेको कहा गया करते ह और गगा ं नदीक मह ा भी उ ह समझम नह
था । इस स ब धम एक अिधकारीने मंगलवार, २३ आती है; इसिलए आज अनक े सा यवादी िह दू अपने
अ ू बरको कहा, “मु य सिचवके आदशेके अनसार
ु कछु मतृ देहको दफनाने लगे ह, वह िवदेशी इसके
धािमक पु तक को सि मिलत िकए जानेके स ब धम मह वको समझ पालन करते ह, िह दओका ु ं गत
आदशेको वापस ले िलया गया है !” रा य शासनने दशक म िकतना मानिसक पतन हआ है, इसीसे ात
सोमवार, २२ अ ू बरको आदशे जारी कर ज म-क ू मीर होता है !
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - १६
िह दू बहल भारतम धमा ध के दु साहसम ितिदन गोशाला बनानक े ा वचन दे रही है
हो रही है विृ , देवताओकं मितयू क तोडफोड कां ेसने म य दशेके िलए अपना घोषणाप जारी
दशेक राजधानीसे कछ ु िकलोमीटरक दरीपर ू कर िदया है । कां ेसने इसे अपना 'वचन प ' बताया है
ि थत ेटर नोएडाके जेवरम दीपावलीक राि और इसम जनताके िलए मनलभावन ु वचन क झडी
ीरामक ितमा तोड दी गई ! उ लेखनीय है िक ७ लगा दी है । भोपालम घोषणाप जारी करते हए दशे
नव बरको जेवरके नगला गणेशी गांवके सीताराम कां ेस अ य कमलनाथने कहा िक कां ेसका वचन
मि दरम असामािजक त व ने भगवान राम, माता सीता प िभ न-िभ न िवषय पर आधा रत है । अ य
और हनमानजीक
ु ितमाएं तोड द ह ! यह दवेालय उस घोषणाओकंे साथ रा य शासनने स ाम आनेपर
भिमपर
ू ि थत है, जो जेवर िवमानतलके (एयरपोट) िलए रा यक सभी पचंायत म एक गोशाला बनानेका वचन
अिधगिहत ृ है । असामािजक त व ने भगवान रामक िदया है । इसके अित र िकसान के ऋण माफ/ मा
ितमाके हाथ पैर और िसर तोड िदए ! हनमानजीकु करना, िव तु शु क (िबजली िबल) आधी करना,
ितमाक ीवा (गदन) तोडनेके साथ ही माता सीताक ाचारके िव जन आयोगका गठन आिद सि मिलत
ितमाके हाथ भी तोड िदए गए ! ह।
गौह याका िवरोध करने हतेु एकि त सैकड
दसर
ू े करणम धौलपरु जनपदम धमा ध के 'गोपीके साधओपर
ु ं गोली चलवाकर, गौह याको बढावा
बाग' नामक थानपर एक दवेालयम घसकर ु भगवानक देनवेाली कां स े आज गौसरं णक बात कर रही है
ितमाएं तोडनेका करण सामने आया है ! ातः जब और घोषणाप को वचनप बताना तो अित
ामीण दवेालय पहचंे तो खि डत ितमाओकंो दख े कर हा या पद है; य िक वचनपालक रघकल ु ु न दन
िवि मत हो गए ! सचना
ू िमलनेपर गांव और आसपासके ीरामके अि त वको नह माननवेाले, भला
लोग वहां जटने ु लगे । इस म य लोग म भारी आ ोश वचन का मोल या जानगे ?
दख े नेको िमला । बताया जा रहा है िक जब पजारी
ु ातः
दवेालय पहचंे तो य दख े कर अचि भत हो गए ! अपनी ाचीन धरोहरतकको यवि थत सजोकर ं
भगवानक ितमाएं दवेालयके आस-पास टटी ू पडी थ , नह रख सकनवेाला देशका अकायकशल ु परात
ु व
जबिक भगवान िशवक ितमा अपने थानपर नह थी । िवभाग !
िह दओकु ं भी विृ , धमके ित ओिडशाके एक दिैनक समाचारप म कािशत
उदासीनता, लोभी विृ न,े आज धमा ध व िववरणका वणन करते हए मु यम ी नवीन पटनायकने
उप िवय का साहस इतना बढा िदया है िक आज वे के ीय सं कितृ म ी महेश शमाको प िलखा है,
देवालयम घसकर ु ितमाओकों तोडने लगे ह और िजसम उ ह ने इस बातका उ लेख िकया है िक
धमर ण हतेु भी शासनके सम हाथ फैलाने पडते कोणाकके सयू मि दरम भारतीय परात
ु व सव णने
है; इस ि थितको प रवितत करने हतेु अब के वल और िश प उके रे गए वा तिवक पाषाण को (प थर को)
के वल िह दू रा क आव यकता है ! हटाकर सपाट प थर लगाए ह ! मु यम ीका यह प
रिववार, ११ नव बरको समाचार मा यम को उपल ध
गो ह याको आजतक ितबि धत नह कर पानवेाली कराया गया । प म मु यम ीने िलखा, “समाचार प म
े अब जनताको चनावस
कां स ु ु े हतेु
े पवू लभान उ लेख िकया गया है िक कोणाकके सयू मि दरम
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - १७
िश प उके रे गए ४० ितशत प थर को एएसआई ारा िदवस यह बात सनकर ु चपु रह गए थे ।
हटाकर सपाट प थर लगाए गए ह !” उ ह ने कहा, “यह इसके लगभग चार वष प ात ११ नव बर, २०१२
िववरण हम सबके िलए िच ताका िवषय है ।” को िवशेष यायालयने कसाबको मृ यदु ड िदया । इस
मु यम ीने कहा िक सक ं पना और तित ु दोन म स दभम १९ नव बरक राि जब थाना त रत करनेके
रचना मक ितभाक उ कृ कलाकित ृ इस मि दरम िलए महाले, कसाबके कारावासम (जेलम) पहचंे तो
सयके
ू रथको दशाया गया है और यह यनेू को ारा उ ह ने कसाबसे कहा िक मरण है ?, चार वष भी नह
घोिषत िव धरोहर म सि मिलत है । हए (जब कसाबने कहा था िक उसे भारतम फांसी नह
परात
ु व िवभागका मु य काय है ाचीन होगी) ! उस समय कसाबने उ र िदया था, “आप जीत
धरोहरका सरं ण करना, यिद वे इसे ही नह कर गए, म हार गया !”
सकते ह तो उनके िवभागका अि त वम रहनक े ा या भारतके शासन त व यायत के िवषयम
औिच य है ? िजस सयू मि दरके कलाकितय ृ को ऐसा कहना यह प करता है िक हमारी यव थाका
देखने िवदेश तकसे लोग आते ह, उनक मल ू उपहास एक िनकृ आतकवादीतकं करता है ! या
िशलाओको ं हटाकर उसम सपाट प थर लगाना, या यह सब इस िनधम लोकत क देन नह ? या
इस देशक धरोहरको समा करना तो नह है, इसपर यायम देरी अ याय नह ? या हमारे पास एक ऐसा
ं है ? शासन इसपर जाचका
हम सशय ं आदेश दे ! िवधान नह होना चािहए जो आतिकय ं को कछ ु
िदवस म मृ यदु ड दे सके !
आतकवादी
ं भी करते ह हमारी याियक यव थाका
उपहास मु यम ी योगी आिद यनाथने दीपावलीसे एक
२६ नव बर, २००८ को दशेम हए अबतकके िदवस पवू उ र देशके फैजाबाद जनपदका नाम
सबसे भीषण आतंक आ मणम १६६ लोग के ाण प रवतन कर अयो या कर िदया । नाम प रवतन हो
चले गए थे । इसी माह इस घटनाके १० वष होने जा रहे ह जानेके प ात अब अयो याम शासन म और मांसपर
‘द िहदंु तान टाइ स’के िववरणके अनसार
ु २०१३ ितब ध लगानेक िस ताम (तैयारीम) है । शासन मांस
म सेवािनवृ हए महालेने बताया िक जबतक कसाबको और मिदराको १४ कोसी प र मातक विजत करनेपर
यायालय ारा मृ यका ु िनणय नह िदया गया, तबतक िवचार कर रही है । फै जाबादका नाम अयो या िकए
उसको िव ास था िक वह भारतीय िवधानसे बच जानेके प ात साध-सु त क ओरसे परू े अयो याम मांस
जाएगा ! इस स ब धम एक घटनाका वणन करते हए और मिदराको ितबि धत करनेक मांग उठ रही थी ।
महालेने कहा, ''जब कसाबको पकडा गया तो उसके डेढ बता द िक पचंकोसी प र मा अथात लगभग ५
माह प ात एकिदवस म उससे पछताछ ू कर रहा था तो िकलोमीटरके अयो या नगर े म मांस और मिदरा
उसने कहा था िक उसको उसके दोष के िलए फांसी दी पहलेसे विजत है । स त के अनसार,
ु मांस और मिदरासे
जा सकती है; िक तु भारतीय याियक यव थाम िहसं ा और दषणको
ू बढावा िमलता है, जो िक रामक
फांसीका द ड दनेा सरल नह है । कसाबने सस ं द नगरीम ठीक नह है; इसिलए इसपर ितब ध लगना
आ मणके दोषी अफजल गु का उदाहरण दतेे हए कहा चािहए ।
था, यायालय ारा उसको फांसीका द ड दनेेके आठ योगी शासन ारा स त के िदए हए सझावपर ु
वष प ात भी लटकाया नह जा सका है । “ महाले उस िवचार करना तित ु यो य है । िह दू धमम
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - १८
साि वकताका मह वपण ू थान है और वै णव के इसपर कडी कायवाही कर !
तीथ े को िवकत ृ करनवेाले इन पदाथ पर बहत
समय पवू ही ितब ध लग जाना चािहए था; पर तु वारगलम
ं एक धमा धने पजारी
ु ारा ऊचें वरम
िह दिवरोधी
ू व तथाकिथत धमिनरपे शासन सदैव विनिव तारक य पर भजन बनानक े े कारण कर दी
ही धम ोही कृ य करती आई ह !” ह या
आं दशेके वारगंलम एक धमा ध मसलमान ु ारा
िह दू बहल देशम अब धमा ध पजारी ु और साधओक ु ं पीटे गए पजारीक
ु िचिक साके समय मृ यु हो गई है,
करने लगे ह नशस ृ ं ह या िजसके प ात भाजपा और िव िह दू प रषदके सद य
ह रयाणाके रोहतक जनपदम बाबा गोरखनाथ 'सडक 'पर उतर आए ह और आरोपीके िव कडी
मि दरके मह तक िनममताके साथ अ ात ह यार ने कायवाही करनेक मांग क है । २६ अ ू बरको वारगंल
ह या कर दी ! उनका र रिंजत शव एक गांवके िनजन जनपदम ि थत एक साई मंि दरके पजारी ु और मि दरके
े से िमला है । सोमवार, १२ नव बरक दोपहर एक िनकट रहनेवाले एक मिु लम यवक ु सािदक हसैनके
यि झ जर-बादली मागपर गांव एमपी माजराके म य िववाद हो गया था । यह िववाद मि दरके
िनकटसे जा रहा था । तभी उसने दख े ा िक 'सडक'से कछ ु विनिव तारक य क (लाउड पीकरक ) विनको
दरू िनजन थानपर एक र रिंजत शव पडा है । उस लेकर हआ, िजससे बजाए गए भजनसे सािदकक मांको
यि ने इस बातक सचना ू पिलसकोु दी । सचना
ू क हो रहा था । सािदकने मि दरके पजारीु स यनारायण
िमलनेके प ात पिलस ु पहचंी और शवक जांच करनेपर शमाको विन कम करनेको कहा, िजसे लेकर दोन के
ात हआ िक मतक ृ बाबा गोरखनाथ मि दरके मह त म य िववाद हो गया ! इसीम सािदकने पजारी ु
िवजय थे, िज ह ती धारवाले श से (हिथयारसे) स यनारायण शमाको िनममतासे पीट िदया ! िजसम
मारा गया था । एक अ य करणम बहादरगढम ु एक गु वार, ३१ अ ू बरको िचिक साके म य पजारीक ु
दवेालयम वृ साधक ु ह याका करण सामने मृ यु हो गई !
आया है । साधक ु ह या िसरम चोट मारकर क गई है ! मसलमान
ु दशक से पांच-पांच बार भ पपर ू नमाज
करण बादलीके एमपी माजरा गांव ि थत एक िशव पढते ह, िजसे अनेक कोिट िह दू ितिदन सहन
मि दरका है । पिलस ु अिधकारी हस ं राजने बताया िक करते ह !
मतक ृ साधका ु अिभ ान अभी नह हो सका है । दख े नेम या धमा ध सािदक ारा पजारीक ु ह या
ऐसा तीत हो रहा है िक रातके समय साधक ु िसरम वार उसक माको ं होनवेाले क का प रणाम है ? या वह
करके ह या क गई है ! पिलसने ु मतकृ साधकेु उस िवषका प रणाम नह , जो उसके मनम
शवको जांचके िलए झ जरके सामा य बा यकालसे ही बोया गया था ?, अ यथा ऐसे ह या
िचिक सालय िभजवाया है । कौन करता है ?, वयं िवचार कर !
पहले मि दर, उसके प ात मितया ू ं और अब
पजारी
ु और साधू धमा धके हाथ बिल चढ रहे ह; िह दू बहल देशम धड लेसे सव हो रहा है
इसे रोकने हतेु िह दू रा क अ यिधक आव यकता ईसाइय ारा धमप रवतन
है और ‘कमसे कम’ िह दवादी ू कही जानवेाली लहरीकाशीके दशाकिधक (दजन ) गांव म अ यधम
‘सरकार’ इन ह याओको ं ग भीरतासे ल व चारक के आनेसे गत लगभग १५ माहसे येक
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - १९
रिववार चल रही ाथना सभाओकंे प ात गत कछ ु है । सोमवार, १२ नव बरको ‘पॉ सो ए ट कोट’ने
िदवस म लगभग ४२ प रवार सनातन धम यागकर मौलानाको दोषी बताया और द डके साथ ५० सह का
ईसाई बन गए ! आरोप है िक खानपरु के ज दीपर, ु अथद ड दनेेको भी कहा । धनरािशमसे २०-२०
नेवादा ओर िबझवलम तीससे अिधक िह दू प रवार का सह दोन पीिडत ब च को दनेेका आदशे िदया
लोभन दक े र धम प रवतन कराया गया ! (यह वा य दो गया है । ‘पॉ सो ए ट कोट’के िवशेष शासक य
बार है) वह बह रयाबादम १२ प रवार से डेढ 'दजन' अिधव ा रणवीर िसहं डागरने बताया िक सािहबाबाद
लोग के धम प रवतनसे हडक प मच गया है । े के एक गांवम रहने वाले यि के दो पु (व र (९)
जनपदके िभ न-िभ न े म गत लगभग १५ और किन (७)) सािहबाबाद ि थत मदरसेम रहकर
माहसे येक रिववार चल रही ाथना सभाओकंे प ात िश ा हण कर रहे थे । आरोप है िक मदरसेके मौलाना
गत कछ ु िदवस म लगभग ४२ प रवार का धम प रवतन नदीमने दोन भाईके साथ कई बार ककम ु िकया ! ९
कराया गया !(पहला वा य) ु २०१५ को भी मौलानाने दोन भाइय के साथ
जलाई
वह एक अ य करणम गाजीपरु जनपदके खानपरु ककम
ु िकया था !
े म धमा तरणका करण सामने आया है । खानपरु मदरस म मौलानाओ ं ारा दु कृ य व आतक ं
े के ज दीपर, ु नेवादा और बझवलु गांवम लगभग िश णके करण उजागर होते रहते ह तो शासन
तीस िह दू प रवार के ईसाई धम अपनानेका समाचार अ य रा क भाित ं इनपर पणतयाू ितब ध य
सामने आ रहा है । य िप ईसाई प थ अपनानेवाले नह लगाता है ? या आतक ं व दु कमके इन के को
िह दू प रवार इस बातका िनषेध कर रहे ह और इसपर एक िदवस भी रहने देना रा के िलए सकट ं नह है ?
कछ
ु भी बोलनेको िस नह ह; िक तु इन प रवारके अतः इ ह व रत अवैध घोिषत कर मु य धाराके
ब च ने ईसाई धमक ाथना सभाम जाने और ईसा िव ालय से जोडना रा िहतम अित आव यक है ।
मसीहक पजाक ू बात वीकारी है । इन गांव के
कई घर पर ईसाइय का तीक िच ‘ ॉस’ धमा ध सैिनक श ु रा को गु सचनाए ू ं देता पकडा
िदखाई दे रहा है ! गया
धमिश ण न होनस े े िह दओक
ु ं विृ िकसी भी सीमापर लगी बाड और सडक के िच जैसी गु
कारसे वाथिसि म होती है और इसीका लाभ धतू सचनाए
ू ं पािक तानके साथ किथत पसे साझा
ईसाई िमशनरी उठाती ह जो आज धमा ध से भी करनेको लेकर सीमा सरु ा बलके (बीएसएफ) एक
बहद
ृ सकटके ं पम उभर कर सामने आ रही ह ! इस सैिनकको ब दी बनाया गया है । पिलसने
ु रिववार, ४
देशम, इससे पहले िक िह दू बहलसे अिह दू बहल हो नव बरको बताया िक सीमा सरु ा बलक (बीएसएफ)
जाए, धमा तरण रोकने स ब धी कठोर िवधान गु चर शाखा गत कछ ु माहसे शेख रज ै ु ीनक सिंद ध
बनाना अित आव यक है ! गितिविधय पर ि रख रही थी ।
जैसे इस देशम मसलमान
ु सैिनक बलका पथक ृ
वासना ध मौलानाको दो भाइय के साथ ककम ु दल नह है, तो या ऐसे धमा ध रा ोही हम यह
करनके े अपराधम िमला १० वषका कारावास सकें त दे रहे ह िक उ ह भारतक सरु ा यव थाम भी
मदरसेम पढनेवाले दो भाइय के साथ ककम ु िनयु नह िकया जाना चािहए ?
करनेवाले मौलानाको १० वष कारावासका द ड िमला - तनजाु ठाकर ु
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २०
साधक क अनभितयां
ु ू
देहलीक ीमती कमलेश रावतक अनभितयां ु ू मेरा शरीर अश (कमजोर) है एवं म घरके काय भी परू े
नामजपके म य च दनक नह कर पाती थी तो आ मम कै से सेवा कर पाऊंगी ?
सगु धका भान होना इसके िलए थम बार आ मम जानेसे पवू म राि से ही
िसत बर २०१७ म जब परा पर गु दवेजी डॉ. आठवलेजीसे ाथना करनी
उपासनासे जडी ु और दहेली आर भ कर दी । म सदवै दहेली आ म जानेसे पवू उनसे
आ मम गई तो तनजा ु मांने ‘ॐ म ाथना अव य करती थी ।
ीगु दवे द ॐ’ का जाप सवेरे आ मम जानेके िलए जब जनकपरी ु मे ोक
करनेको कहा । जापके दसर ू े िदन जैसे ही जाप आर भ सीिढयां चढती थी तो शरीरम इतनी थकान होती थी िक
िकया तभी मझे
ु च दनक सगु ध आई । यह कछ ु ही ु पितका हाथ पकडकर चलना
सीिढयां चढनेके िलए मझे
समयके िलए हआ । पडता था । सेवा कर जब घर वापस आ रही होती थी तो
* नामजप करते हए उदब ीक सगु ध आना मेरे शरीरम इतनी ऊजा होती थी िक कौशा बी मे ोसे
िसत बर २०१७ नवरा म दोपहरम नामजप करते हए टेशनक सीिढयां म लगभग दौडते हए जाती थी । यह
मझे
ु उदब ीक सगु ध आई । पहले यान नह िदया सब आ मके चैत यका ही भाव था िक घरसे
सोचा िक कोई पजाू कर रहा होगा । कछ ु समय प ात आ मको जाते हए मझे ु सीिढयां चढनेके िलए सहारा
यान आया िक दोपहरम तो कोई पजा ू नह करता । मने लेना पडता था और आ मसे लौटते हए म दौडते हए
घरके आगे पीछे जाकर जांच क तो कह कोई सीिढयां चढती थी। जब भी म आ म जाया करती थी
उदब ीक सगु ध नह आ रही थी । सवदा ऐसा ही होता था । (यह सेवाका प रणाम है,
* वैिदक उपासना पि कासे च दनक सगु ध सेवासे ई रीय कपा
ृ ा होती है ।)
आना
८ अ ू बर, २०१७ को दहेली आ मसे हम पित- हाटसऐ ् प स सगं पढते हए माकें वर सनाई ु पडना
प नी, मािसक पि का, ‘वैिदक उपासना’ लेकर आए थे । अ ू बर,२०१७ म ितिदनका िनयम था िक सवेरे
दो िदवस प ात अ पाहार करनेके प ात जब थ गहकाय
ृ करके जलपानके प ात िनयम था िक 'वैिदक
खोलकर पढने लगी तो मझे ु च दनक सगु ध आई । मझे ु उपासना पीठ' ारा ेिषत धमधारा य स सगं जो
लगा थसे सगु ध आ रही है । थ सघूं कर दख े े तो हाटसऐ् प ारा सा रत िकया जाता है, उसे स सगं
उसमसे कोई सगु ध नह आ रही थी । मझे ु च दनक सनतीु थी एवं उसके लेख को पढती थी । एक िदन
सगु ध प अनभव ु हई थी । (ये सव अनभितयांु ू पृ वी हाटसऐ
् प स सगं पढते हए, जो लेख म पढ रही थी,
त वसे स बि धत है । - स पादक) मझेु मांके वरम जो लेख म पढ रही थी,वह उ ह के
वरम प विनम सनाई ु दे रहा था । अक मात ारक
आ मक सवेाके म य हई अनभित
ु ू घ टी बजी और दख े कर वापस आई एवं पनः
ु पढने लगी
अ ू बर, २०१७ माहम जब तनजा ु मांने आ म तो मांके वर सनाई ु नह पडे । (यह आकाश त वसे
आकर सेवा करनेको कहा तो मझे ु सशंय था िक म स बि धत अनभित ु ू है - स पादक)
आ म जाकर सेवा कर भी पाऊंगी या नह ? य िक
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २१
भगवान िशवके िच म मरेी ाथना अनु प प रवतन मां कभी हमारे घर आएं ? अगले िदन जब आ म गई तो
होना मांने आकर वातालाप करते हए कहा,िक “कमलेश
अ ू बर २०१७ म माला लेकर आख ं खोलकर दीदी, हम आपके घर आएगंे । या आपने सोचा था िक
नामजप करते हए जब म भगवान िशवके बारमेसोच रही हम आपके घर आएगंे ?”, तो मने कहा,िक “कल ही म
थी तभी मझे ु सनातन सं था ारा िनिमत भगवान ऐसा सोच रही थी ।”औरवे अग त २०१८ म मां
िशवका िच सामनेवाली भीतपर (दीवारपर) िदखाई य म हमारे घर आकर एक रात क थ और
िदया । मने मन ही मन कहा, भगवन,आप पांव नीचे उ ह ने मेरी इ छाको पणू िकया ।
ु भान हआ िक भगवान
ु उ ह छनेू ह । मझे
क िजये,मझे २०.०८.२०१८ क अनभित ु ू
िशव, अपने पांव नीचे रखनेके िलए खोल ही रहे थे और जबसे मांने सिचत
ू िकया िक वे हमारे घर आएगंी तभीसे
एक पांव नीचे रखा ही था तो म बोल पडी िक शरीरम िबना कारण पीडा होने लगी जो िक अगले िदन
भगवन,आप रहने दीिजए,आप मेरे िलए अपना यान बढ गई थी । राि म भोजन करते हए जैसे मांको मेरी
भगं न कर । म ऐसे ही आपके चरण छू िलया क ं गी । पीडाका भान हो गया और उ ह ने कहा, “आपको बहत
इसके प ात वे वापस यानक अव थाम बैठ गए । यह क हो रहा है न ?” राि म वातालाप पी स सगं
दखे कर मझे
ु थोडा अचरज हआ । करनेके प ात जब उठी तो मने अनभव ु िकया िक मेरे
शरीरक पीडा पणत:ू समा हो चक ु थी !
माकों दगा
ु माकें पमे देखना
१ जनवरी, २०१८ क अनभित ु ू है । मने उस व नम पू या माकें ारा क दरू करना
िदवस दो क म सनातन सं था िनिमत नामजपक जब भी म रले यानसे अपनी मांके घर जाती हं तो
प यां लगाई थं । इसके प ात म शौचालय गई । वहां रल
े यानम सावजिनक शौचालय उपयोग नह करती हं ।
ऐसा लगा िक म गगंा नानके प ात बाहर आई तो िपछले दो-तीन बारसे रले के िवलि बत होनेसे आठ दस
ठ डसे अ यिधक अकड गई और वही जडवत हो गई । घ टेक या ाके म य शौचालय न जानेसे मेरे
इतनेम या दख े ती हं िक तनजा ु दगा
ु मां मझे ु मांके पेटके िनचले िह सेम पीडा होने लगी । कई बार
व म लाल साडीम िदखाई द और मेरा हाथ पकड एटंीबायोिट सका कोस कर चक ु थी और
कर कहने लग , “चलो दीदी !”उनके हाथ पकडते ही होिमयोपैथीक औषिधयां भी ले चक ु थी; िक तु िवशेष
मेरी सद छमू तर हो गई और शरीरम गमाहट आ गई । अ तर नह आया । जब पीडा होती थी तो िदनभर
(मझे
ु ठ ड सहन नह होती थी । जब मांने एक बार कहा िबछावनम लेटी रहती थी ।
था िक हम ह र ार जाकर गगंा नान करगे तो म आज दोपहरम जब आख ं लग तो मने व नम दख े ा
भयभीत हो गई थी । गिमय म भी वहां पानी बहत ठ डा िक तनजाु मां आगे बढकर मेरे पेटक जांच करते हए
होता है और सिदय म वहां नान करना सोचना ही मेरे कह रही ह, िक “कमलेश दीदी,बताएं कहां पीडा हो रही
िलए िकसी य णासे कम नह था ।) है ?”,इसके प ात म िन ासे जग गई । इस घटनाके कछु
समय प ात मू का वाह ठीक हआ और स या तक
जनवरी २०१८ क एक सं याको नामजप करते मेरे क बहत यनू हो गए । इस कार मांने व नम मेरी
हए िवचार आया िक या ऐसा हो सकता है िक तनजा
ु पीडाको ठीक िकया । कतृ ता मां ! (१८.५.२०१८)
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २२
२१.८.२०१८ क राि म मोटा तिकया लेनेसे मझे ु गदन वहां ये भजन गाए जाते थे । दो िदवस पवू पित कपािटकासे
और क ध म बहत पीडा हो रही थी । इसके िलए मने (अलमारीसे) पु तक क छं टनी कर रहे थे । उनपु तक म
पीडानाशक वटी भी ली; िक तु कछ ु अ तर नह आया । भजनक पु तकम यह भजन भी था,अतः मझे ु यह
िकसी कायसे शीतक (ि ज) खोला तो गजरे रखे थे,जो भजनकाअ यिधक शी तासे मरण होने लगा और सोच
मांने वयं मझे
ु लगाने हेतु िदए थे जबमां जब िपछले िदवस रही थी िक यह साि वक वरम िमल जाता तो िकतना
वो हमारे घर आईथं । तो मझे ु उ ह ने गजरे लगाने हेतु िदए अ छा होता । आज ही पू यामांके ारा भेजे गए िलं सम वे
थे जो ये गजरिेकसी साधकने उ ह लगानेके िलए िदया था । भजन दख े े तो बहत स नता हई । मां, आप हमारे दयक
पू या मांने उसे मझे
ु दतेे हए कहा था िक इसे लगानेसे बात कै से जान लेती ह ? (१३.१०.२०१८)
आ याि मक उपाय होगा । मने गजरा लगाया और अनभव ु
िकया िक उसे लगानेसे पीडाम अ यिधक कमी आयी और गहृ थ साधना य कर ?
अगले िदन तक पीडा पणत:ू समा हो गई । साधक-माता-िपताके घरम ज म लेने हेतु
जीवा माओकं होड लगी रहती है । वह जो माता-िपता
भजन साि वक वरम सननक ु े इ छा होनपेर मां ारा साधना नह करते ह, उनके घरम जीवा माएं ज म ही
ू ् ू िलं स िबना बताए साझा करना
उनके यटयबके नह लेना चाहती ह, उ ह ात होता है िक ऐसे घर म
* कछ ु समयसे सवेरे भजन सनने ु का मन करता था । जो ज म लेनेका अथ है, दःख ु भोगना और अनेक बार उ ह
भजन मने चलभाषम सं िहत िकए थे, उ ह सनने ु का मन ई रीय िवधान अनसार ु बलात (जबरद ती) िबना
नह करता था । अब थोडी दिवधा ु थी िक सनु या ?; अपनी इ छाके , मा अपने ार धको भोगने हेतु ज म
य िक मांने बताया था िक आजकल अिधकांश भजन लेना पडता है ! पवकालम
ू ि यां जब गभवती होती थ
यावसाियक ि से बनाए जाते ह; अतः वे साि वक नह तो घरके सभी वयोवृ उ ह साधना करने हेतु कहते थे
होते ह और मझे ु यह भी समझम नह आ रहा था िक और उनक साधना हो, इस हेतु वे यास भी करते थे;
साि वक भजन कौन-सा है, यह िकससे पछ ू ? तभी वैिदक इसिलए तेज वी जीव का ज म होता था । तेज वी
उपासना पीठ ारा, हम साधक को मह वपण ू सचनाए
ू ं दनेे जीव, सख-समि
ु ृ , कलके
ु िलए स मान अपने साथ
हेतु हाटसऐ ् पपर जो गटु बनाया गया है उसम मां ारा लाते ह एवं माता-िपताको साधना हेतु वृ भी अपने
साि वक तो एवं भजनके िलं स साझा िकए गए तो ऐसा गभकालसे ही करते ह । अपने आ याि मक शोधम मने
लगा जैसे मांने हमारी बात सनु ली हो । ऐसे अनेक करण दख े े ह जब उ च कोिटके जीवने
सं कत ृ भाषाम कछु समझ तोकछनह ु आया; िक तु अपने माता-िपताको साधना करने हेतु वृ िकए ह या
ीगु पादका ु तो और मिहषासरमिदनी ु तो सनकर
ु उ ह उ च कोिटके अ या मिवद से जोड दतेे ह िजससे
सकारा मक प दन अनभव ु िकए । फल व प िदनभर न उसक साधना बा यकालसे ही आर भ हो, इन सबका
तो िन ा आई और न ही अनाव यक व नकारा मक िवचार सकं लन म सू म जगत नामक थम कर रही हं ! यान
आए । नामजप करते हए जो िन ाके झ के आते थे,वह भी रहे, जब तक कोई िशशु प पसे बोलता नह है एवं
नह आए और यहां तक िक उबासी भी नह आई । यिद वह उ च कोिटका साधक हो तो उसक सू म
नान करते हए ाथना करना भली; ू िक तु मखु धोते इि यां १०० ितशत कायरत रहती ह । ब चा जब
समय मझे ु िविडयोम िनिहत दगा ु मांक छिव दो बार िदखाई बोलने लगता है तो अहक ं े जागतृ होनेपर ही सू म
दी । (१.९.२०१८) इि य पर आवरण आता है और वह अपे ाकत ृ अप
* उपासनासे जडने ु से पवू म िजस स सगं गटसे ु जडी ु थी माणम काय करती ह ! - तनजा
ु ठाकर ु

वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २३
योग कर व थ रह
योगा यास करनेसे पवू कशल
ु योग िनदशकसे अव य ही
ु लेना चािहए ।
सझाव
योगासन के गणु एवं लाभ
१. योगासन का सबसे बडा गणु यह है िक वे सहज
सा य और सवसलभ ु ह । योगासन ऐसी यायाम प ित
योगके करनेक ि याओ ं व आसन को योगासन कहते है िजसम न तो कछ ु िवशेष यय होता है और न बहत
है । ससं ारक थम पु तक ऋ वेदम कई थान पर साधन-साम ीक आव यकता होती है ।
यौिगक ि याओकंे िवषयम उ लेख िमलता है । २. योगासन रोगी-नीरोगी, वृ -यवा,
ु सबल-िनबल
य िप योगक उ पि हमारे दशेम हई है; िक तु सभी ी-पु ष कर सकते ह ।
वत ता प ात सं कत ृ एवं आयवद ु समान इस
३. आसन म जहां मांसपेिशय को तानने, िसकोडने
िव ाके ित िनधम रा यकताओनंे सौतेला यवहार
और ऐठंनेवाली ि याएं करनी पडती ह, वह दसरी ू
िकया है, य िप भाजपा शासन आनेपर इसे कछ ु
माणम मा यता िमली; िक तु इसका चार- सार ओर साथ-साथ तनाव-िखंचाव दरू करनेवाली ि याएं
िवदिेशय ने िवदशेम अिधक िकया है, इसिलए पा ा य भी होती रहती ह, िजससे शरीरक थकान िमट
स यताका अनकरण ु करनेवाले ‘योग’ श दको 'योगा' जाती है और आसन से यय शि वापस िमल जाती है ।
बोलनेम गौरवाि वत अनभवु करते ह । शरीर और मनको फितवान ू (तरोताजा) करने,
पु ष , वृ एवं बालक के के साथ ही मिहलाओकंे उनक खोई हई शि क पित ू कर दनेे और
िलए भी योग बहत ही लाभ द है । योगम मखपर
ु लाव य आ याि मक लाभक ि से भी योगासन का अपना
बनाए रखनेके िलए बहतसे आसन और कम ह । कंु जल, िविश मह व है ।
सू नेित, जलनेित, दु धनेित, व धौित कम भी बहत ४. योगासन से भीतरी ि थयां अपना काय अ छे से
लाभ द होते ह । कपोल शि िवकासक, सवाग पिु , कर सकती ह और यवाव ु था बनाए रखने एवं वीय र ाम
सवाग आसन, शीषासन आिद मखपर ु चमक और सहायक होती ह ।
काि त दान करते ह । ५. योगासन ारा पेटक भली-भांित सचा ु पसे
ने को सु दर और व थ रखने, ल बाई बढाने, व छता होती है और पाचन अगं पु होते ह, इससे
बाल घने करने, पेट कम करने, हाथ-पांव सु दर-सडौल
ु पाचन-सं थान नीरोगी रहते ह ।
बनाने, बिु ती करने, कमर और जघंाएं सु दर बनाने, ६. योगासन मे द ड, अथात रीढक हड् डीको लचीला
ोध घटाने, कपोल को सु दर बनाने, आ मबल बढाने, बनाता है और यय हई नाडी शि क पितू करता है ।
गु रोग दरू करने, गदन ल बी और सराहीदार
ु बनाने, ७. योगासन पेिशय को शि दान करता है, इससे
हाथ-पांव क थकान दरू करने, पाचन शि सधारने ु , मोटापा घटता है और दबल-पतला
ु यि व थ
अ छी न द, वचा स ब धी रोग को दरू करने व अ य होता है ।
कई कारके क का िनवारण करनेके िलए योगम ८. योगासन ि य क शरीर रचनाके िलए िवशेष
यायाम, आसन और कम सि मिलत ह; िक तु अनकलु ू है, उनम सु दरता, स यक-िवकास,
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २४
सघडता
ु और गित, सौ दय आिदके गणु उ प न प ात ही िकया जाना चािहए तथा यिद नान करना ही
होते ह । हो तो एक घ टे प ात नान कर !
९. योगासन से बिु क विृ होती है और धारणा २. योगासन समतल भिमपर ू आसन िबछाकर करना
शि को नतन ू फित ू एवं ‘ताजगी’ िमलती है । उ वगामी चािहए एवं ऋतु अनकल ु ू ढीले व पहनना चािहए ।
विृ यां जागतृ होती ह और आ मसधारके ु य न बढ ३. योगासन खले ु एवं ‘हवा’यु क म करना चािहए,
जाते ह । िजससे ासके साथ आप वत पसे शु वायु ले
१०. योगासन ि य और पु ष को सयंमी एवं आहार- सक । इसका अ यास आप बाहर भी कर सकते ह;
िवहारम म यम माग का अनकरण ु करनेवाला बनाता ह, पर तु आस-पास वातावरण शु तथा ‘ कित ृ सरु य’
अतः मन और शरीरको थाई तथा स पणू वा य हो ।
िमलता है । ४. आसन करते समय अनाव यक बल न लगाएं !
११. योगासन ास-ि याका िनयमन करता है, दय य िप ार भम आप अपनी मांसपेिशय को कडी पाएगंे;
और फे फड को बल दतेा है, र को शु करता है और िक तु कछ ु ही स ाहके िनयिमत अ याससे शरीर
मनम ि थरता उ प न कर सक ं प शि को बढाता है । लचीला हो जाता है । आसन को सहजतासे कर,
१२. योगासन शारी रक वा यके िलए वरदान किठनाईसे नह । उनके साथ हठ न कर !
व प ह; य िक इनम शरीरके सम त भाग पर भाव ५. मािसक धम, गभाव था, वर, ग भीर रोग आिदके
पडता है और वह अपने काय सचा ु पसे करते ह । म य आसन न कर !
१३. आसन रोग िवकार को न करते ह, रोग से र ा ६. योगा यासीको स यक आहार अथात भोजन
करते ह, शरीरको नीरोग, व थ एवं बिल बनाए रखते ाकितक
ृ और उतना ही लेना चािहए िजतना पचनेम
ह। सहजता हो । व ासनको छोडकर सभी आसन खाली
१४. आसन से ने क योित बढती है । आसन का पेट कर !
िनर तर अ यास करनेवालेको उपने क (च मक ) ७. आसनके ार भ और अ तम िव ाम कर ! आसन
आव यकता समा हो जाती है । िविधपवकू ही कर ! येक आसन दोन ओरसे कर एवं
१५. योगासनसे शरीरके येक अगंका यायाम होता उसका परक ू अ यास कर !
है, िजससे शरीर पु , व थ एवं सु ढ बनता है । ८. यिद आसनको करनेके म य िकसी अगंम
शरीरके पांच मु यांग , नायु त , र ािभगमन त , अ यिधक पीडा होती है तो िकसी योग िचिक सकसे
ासो छवास त क ि याओ ं का यवि थत पसे सझाव
ु लेकर ही आसन कर !
सचंालन करते ह िजससे शरीर पणतः ू व थ बना रहता ९. यिद आत म वाय,ु अ यिधक उ णता या र
है और कोई रोग नह हो पाता है । शारी रक, मानिसक, अ यिधक अशु हो तो िसरके बल िकए जानेवाले
बौि क और आि मक सभी े के िवकासम आसन न िकए जाएं ! िवषैले त व मि त कम पहचंकर
आसन का मह व है । अ य यायाम प ितयां के वल उसे ित न पहचंा सक, इसके िलए सावधानी बहत
वा शरीरको ही भािवत करनेक मता रखती ह, मह वपण ू है ।
जब िक योगासन मानवका चहमंखी ु िवकास करते ह । १०. योग ार भ करनेके पवू अगं-सचंालन करना
आसन आर भ करनस े े पवू यान यो य बात - आव यक है । इससे अगं क जकडन समा होती है
१. योगासन शौच ि या एवं नानसे िनवृ होनेके तथा आसन के िलए शरीर िस होता है । अगं-सचंालन
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २५
कै से कर सकते ह ?, यह हम इस पि काके िकसी और रह । पज ं को आरामदायक ि थितम एक-दसरस ू े े थोडा
अक ं म जानगे । पथकृ कर ल और ने को ब द कर ! िसर और मे द ड
११. अ ततः आसन को िकसी यो य योग एक सीधम रह । यान रख िक िसर एक ओर या दसरी ू
िचिक सकक दख े -रख
े म कर तो अिधक अ छा होगा । ओर न झकेु । स पणू शरीरको िशिथल कर और
इस अक ं से हम कछु मु य आसन के िवषयम जानगे एवं शरीरक सारी हलचल ब द कर द । वाभािवक ासके
उससे वा य र ाम कै से सहायता िमलेगी यह भी ित सजग हो जाएं और उसे लयपणू एवं सहज होने द ।
जानगे । ास क उ टी िगनती २७ से आर भ कर और
शू यतक ले जाएं !
शवासन मानिसक पसे दहराए,
ु ं “म ास ले रहा हं २७, म
इस आसनको मतासन
ृ भी कहा जाता है । ‘शव’का ास छोड रहा हं २७, म ास ले रहा हं २६, म ास
अथ होता है मतृ अथात अपने शरीरको शवके समान छोड रहा हं २६” इस कार शू यतक ।
बना लेनेके कारण ही इस आसनको शवासन कहा जाता यिद मन भटक जाता है और अगली सं या भल ू
है । यह दो श द के योगसे बना है, शव + आसन = शव जाते ह तो िगनती पनःु २७ से ार भ कर ! यिद मनको
आसन या शवासन । इस आसनका उपयोग ायः कछु िमिनट तक ासपर िटकाया जा सके तो शरीर
योगस को समा करनेके िलए िकया जाता है । यह एक तनावमु हो जाएगा ।
िशिथल करनेवाला आसन है और शरीर, मन और अविध : समयक उपल धताके अनसार ु । यिद सन के
आ माको नव फित ू दान करता है । इसम आसनका म य इसे कर रहे ह तो एक और दो िमनटका शवासन
म ि याशीलताके साथ आर भ होता है और पया है । यिद इसे योग िन ाके समय करते ह तो १५ से
िव ामम समा होता है । यह वह ि थित है जब आपके ४५ िमिनटतक इस ि थितम रहा जा सकता है ।
शरीरको पणू िव ाम िमलता है । आरि भक अव थाके सजगता : शारी रक - पहले परू े शरीरको िशिथल
साधक ने इसे यान लगानेके िलए उपयोग नह करना करनेपर और पनः ु ास और गणनापर ।
चािहए; य िक इससे न द आ सकती है; िक तु आ याि मक : आ ा च पर ।
शवासनके िन य कछ ु िमिनटका अ यास करनेसे यान लाभ : यह आसन स पणू मनोकाियक सं थानको
लगानेक ि याक विृ िनमाण होने लगती है अथात तनावमु करता है, इससे उ च र चाप सामा य होता
ाथिमक तरके साधकको यानके समय िकस कार है । इसके िनयिमत अ याससे अिन ाको भी दरू िकया
अनभव ु होता होगा इसक तीित िमलती है ! इसके जा सकता है । इसका अ यास मु य पसे सोनेके पव, ू
िनयिमत अ याससे यानक गहराइय म सहज ही आसन-अ यासके पव, ू म य और अ तम, िवशेषकर
जाया जा सकता है । सयू नम कार जैसे ग या मक आसन के पवू एवं जब
कै से कर ? अ यासी शारी रक और मानिसक थकानका अनभव ु
पीठके बल सीधा लेटकर भजाओक
ु ं ो शरीरसे १५ कर,े तब िकया जाना चािहए । इससे शरीरके ित
‘सटीमीटर’ दरू रख । दोन पांव म एकसे डेढ फटका ु सजगता बढती है । जब शरीर पणू पसे िव ामक
अ तर रख, हथेिलयां ऊपरक ओर खली ु रह । ि थितम आ जाता है, तब मनक सजगताम विृ
िव ामके िलए िसरके नीचे पतला तिकया या क बलको होती है,
मोडकर रख सकते ह । हाथक अगंिलयां ु थोडी मडी
ु (शेष भाग पृ ३० पर देख)
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २६
िविवध रामायण एवं सीता-राम िववाहका वैिश ् य
मा यता है िक येक क पम राम-अवतार हए ह, है । इसम सीताको आिदशि और आिदमाया कहा गया
िजनक गाथाम भी िभ नता रही है । यही िभ नता है । कई अ तु अ तकथाओकंा िववरण है । वा मीिक
कथाओमं कट हई है । यिद मानव स यताक रामायणके प ात गो वामी तलसीदासक
ु ‘रामच रत
ाचीनतम एवं थम थ ऋ वेदसे आर भ कर, तो मानस’ लोकि यताम सबसे आगे है । लोकभाषाम
उसम ीरामका उ लेख हआ है । एक उ लेखके होनेके कारण इसने रामकथाको जन-जनम लोकि य
अनसार,स
ु पण
ू रामकथा सं ेपम ऋ वेदके इस ऋचाम बना िदया । रामलीलाओकंा मंचन भी ‘ रामच रत
समािहत है - मानस’के प ात ही आर भ हआ।
भ ो भ या सचमान: आगात य िप मंचनक ि से राधे याम कत ृ ‘रामायण’का
वसारं जारो अ येित प ात् । िवशेष थान है । नौव शता दीम तिमल किव क बनक
सु के तै ुिभरि निवित न ‘क ब रामायण’, आ दशे म ‘रगंनाथ रामायण’ और
शि वणरिभ रामम थात ।। - ऋ वेद १०:३:३ १६व शता दीम कविय ी मो डाक ‘मो डा रामायण’,
अथ - (भ :) रामभ (भ या) भजनीय सीता ारा भि भावके कारण िवशेष थान रखती ह । िनि त ही
(सचमान:) सेिवत होते हए (आगात) वनम आए । िव म रामकथापर िजतने थ क रचना हई, उतनी
( वसारम)् सीताको चराने
ु के िलए (जार) रावण (प ात) रचनाएं एक कथापर िकसी भी भाषाम नह हई । िव क
राम और ल मणके परो म (अ येित) आया। रावणके िविभ न भाषाओमं लगभग पांच सौ िभ न-िभ न
मारे जानेपर (अि न:) अि न दवेता (सु के तै: िभ) ु कारक रामायण कािशत क जा चक ु ह।
सीताके साथ (रामं अिभ) रामके सामने ( शि वण:) मगल
ु कालम रामायणका फारसी अनवाद ु (मसीही
उ ी तेजके साथ (अ थात)् उपि थत हए एवं रामायण) भी कािशत हआ था । १६२३ ई० म
वा तिवक सीताको उ ह स प िदया । फारसीके िस किव शेख साद मसीहाने भी ‘दा ताने
इसके प ात जो राम कथाएं िलखी गई,ं उनम राम व सीता’ शीषकसे रामकथा िलखी थी । उदमू भी
वा मीिक रामायण सबसे परानी ु है । कहते ह िक राम कथा पर एक थ रघवश ु ं ी उदू रामायण ि ता द
वा मीिकजीने परा ू घटनाच वयं दख े ा एवं नारदजीसे १९९६ म कािशत हआ, िजसके लेखक ी. बाबू िसहं
सनाु था, वे रामके समकालीन थे । वा मीिक रामायणके बा यान ह । यह एक कारका शोध थ है, िजसम
अित र अ या म रामायण, आन द रामायण,अ तु सभी कारक उपल ध रामकथाओ ं तथा उनके
रामायण तथा तलसीकत ु ृ रामच रत मानस आिद लेखक का िववरण िदया गया है ।
उ लेखनीय ह । इस थम रामके िव पको अिभ य करते हए
वा मीिक रामायणके उपरा त रामकथाम दसरा ू कहा गया है िक रामने ईसा मसीह, पैग बर मोह मद, गु
ाचीन थ है ‘अ या म रामायण’। ‘वा मीिक रामायण' नानक तथा गौतम बु के समान कोई नया मत,
इितहासक ि से भी मह वपण ू थान रखता है, तो स दाय या धम नह चलाया, इसिलए वे िव यापी
‘अ या म रामायण’म रामका ई र व उभरता है । इसे और महान ह । वे सभी धम के अपने ह ।
ा ड-पराणका
ु उ र-ख ड भी मानते ह ।’ अ तु इस कार यिद िभ न रामायण क चचा कर तो
रामायण’ कथा- सगं और वणन शैलीम व ततः ु अ तु सचीू बहत ल बी हो सकती है, जो तलसीदासके
ु इह
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २७
को मािणत करती है िक 'रामायण सतकोिट अपारा’ । इ छा एक-दसरकू े ो वरण करनेक (दख े नेक ) हई, पु प
सीता-राम िववाहक िवशेषता : सीता-रामका िववाह वािटकाम एक कारसे इ छा वयवंर हो जाता है। धनषु
सगं पढने सनने
ु और भि रसका आ वाद लेनेम तो तोडकर ण वयवंर परा ू िकया गया “टटत
ू ही धनु भयेउ
अ य त मधरु है ही, साथ ही उसम एक आ ासन भी िबबाह” और तीसरा िववाह शा ीय िविध िवधानसे
िनिहत है । आ ासन यह िक जो इस मांगिलक सगंका लौिकक रीितसे िकया गया । दशेके अनेक भाग म नर-
गायन, वण करते ह, उनके जीवनम आन द एवं नारी अपने जीवनम आन द व मंगलक कामनाके िलए
उ साहक ाि होती है । िववाह स ब धी आज भी ी सीताराम िववाहका गायन करते ह ।
किठनाइय को दरू करनेके िलए ालु इस सगंका इसिलए स त िशरोमिण तलसीदासजीने
ु कहा है -
पाठ करते-कराते ह । िसय रघबीर
ु िबबाह जे स मे गाविहं सनिह ु ं।
सीता मैयाके अवतरणसे िववाहतकके सगं म ित ह कहं सदा उछाह मगलायतन
ं ु राम जसु ।।
आ याि मकता, भावना मकता एवं आधिनकताके ु यही नह , पा रवा रक जीवनम कोई सम याएं
रगं का जो समावेश गो वामी तलसीदासने
ु रामच रत आती ह तो उसका समाधान भी रामजानक िववाहके
मानसम िकया है, वह अ य त ही ानवधक और मरणसे ढंू ढते ह ।इस कार अवतारी रामके येक
मनमोहक है । िजसे पढकर सहज ही दयगंम िकया जा कृ य आदश होनेके कारण जनमानसके िलए सदवैसे
सकता है। ी राम शि , शील और सौ दयक ितमित ू क याणकारी रहा है ।
ह । अयो याको ीरामने शीलसे जीता, जनकपरीको ु रगंीन पृ का ...शेष भाग
सौ दय और लंकाको शि से जीता था । नर लीलाक मने भगवानजीसे उसका कारण पछा, ू तो उ ह ने
पणताके
ू िलए अिभ न ी सीताराम लौिकक ि से कछ ु कहा, “अब जब तक तु हारा दहे है तु हारे ारा िनमाण
समयके िलए िभ न भी हो जाते ह । काय मानव क याण िनिम होता रहेगा ।” मने इसे
रामजीने सीता मातासे तीन कारसे िववाह िलखकर रख िलया िक तु इस सगंको भल ू गई ।
िकया था : वतमानम ीराम अवध नरशे महाराज आपातकाल हेतु म उपासनाके काय एवं साधक के
दशरथके सयो िलए एक छोटा-सा आ म बांकाम िनमाण कर रही
ु य पु ह, राजकमार ु ह तो सीताजी
थी ! िक तु फरवरी २०१८ म भगवानजीने कहा,
जनकपरके ु राजा जनकक लाडली सकमारी ु ु ह।इ ह आगे काय बहत तु गितसे बढ जाएगा इसिलए तु ह
जनकसताके ु िववाहके िलए महाराज जनक वयवंरका बडा आ म बनाना होगा और ई र आ ा अनु प हम
आयोजन करते ह। वयवंरका या प रणाम हआ ?, साधक के साथ इ दौर आ गए । जब उपासनाके
िभ न कै से अिभ न हए और ी सीतारामका िववाह आ मके छायािच पि काम लगाने जा रही थी तब
लोक नीितसे स प न हआ, इसम इ छा वयवंर, ण यानम आया िक अभी तो बांका आ मका काय पणू
वयवंर, लौिकक व शा ीय िविध िवधानका अ तु भी नह हआ और इ दौर आ मका काय आर भ हो
सम वय है । महाराज जनकने सीता िववाहके ण गया । सू मसे िमले ई रीय स दशेका थल ू माण
वयवंरका आयोजन िकया । िमलनेपर मन कत ृ ताके भावसे भर उठा । पवके

ीरामने धनषु भगं कर जनकजीके णको पणू कर, अकं म आपको बता ही चकेु ह िक उपासनाके दहेली
सीताजीको ा कर िलया । सीताराम िववाहक आ मम २१ बार बाबा, िशव और परम पू य
िवल णता यह है िक इसम इ छा वयवंर भी हआ । वह गु दवेपर चढाई गई मालाएं ल बी हो चक ु ह ! वह
इ छाक िवल णता है िक दोन क ( ीराम-सीता) िविश अवसर पर हआ करती थ ।

वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २८
आतकवादस
ं े सलगता
ु िव और वेद
असतो मा स मय अथवा मानव वा यको सक ं टम डालनेवाला था ।
तमसो मा योितगमय बहत बडे तरपर स पि को हािन पहचंानेवाला काय
मृ योमामतृ ं गमय । करके जानबझकर ू भयका वातावरण उ प न करना है ।’
अथ : हे परमा मन् ! मझे ु अस यसे स यक ओर ले 'द इ टरनेशनल इनसाई लोपीिडया ऑफ सोशल
चिलए, मझे ु अ धकारसे काश क ओर ले चिलए, मझे ु साइ सेज'के अनसार, ु िहस
ं ाके यवि थत योग ारा
अपणतासे
ू (मृ य)ु पणताक
ू (अमतक
ृ ) ओर ले चिलए । एक सगंिठत समहू या दल ारा अपने ल य क ाि ही
आतंकवादका भय, धमाक के कारण मृ यका ु नंगा आतंकवाद है ।’ इस कार आतंकवाद कोई िवचारधारा
नाच, हर पल यु क आहट ..... या िस ा त नह ; अिपतु एक प ित, एक ि या या एक
यह है िक आजके िव का वीभ स िच । आतंकवाद उपकरण या मा यम है िजसका योग कर कोई भी रा य
पी िवकराल दै यके पज ं े क मीरक वािदय से लेकर राजनीितक सगंठन, वत ता समह, ू पथकवादी

िफिल तीन, पािक तान, अफगािन तान, ीलंका, (अलगाववादी) सगंठन, जातीय या धािमक उ मादी
अ जी रया, सउदी अरब, िम , टयिनिशया, ् ू लीिबया, अपने उ ेश को ा करना चाहते ह ।
लेबनान, जोडन, तक ु , मैि सको, इजराइल, ांस, आतकवादकं चनौती
ु एवं वेद
इटली, उ री आयरलड, क पिचया ू आिद स पणू आतंकवादपर िनय ण वैि क एवं राि य तरपर
िव म फै ले ह । ११ िसत बर २००१ को िव के एक मख ु चनौती
ु है । आतंकवादसे िवनाशके आकडे
सवािधक शि शाली बहतलीय भवन पर हार, आए भयावह है । ‘ लोबल टेर र म इंडे स’ २०१५ के
िदन नाइजी रया, अफगािन तानम होनेवाले आतंक यौरक े े अनसारु २०१३ क तलनाम ु २०१४ म
आ मण एवं हाल ही पज ं ाबम व पािक तान ारा आतंक आ मण म मारे गए लोग क सं या ८०
क मीरम आतंकवादी आ मण ने िजस कारसे ितशततक बढी है । २०१४ म ३२६५८ लोग मारे गए
हाहाकार बरसाया है उससे स पणू िव म भयका जबिक २०१३ म आतंकवादी हमल म १८१११ लोग
वातावरण है । मारे गए थे । अ का नाइजी रयाम आतंक गितिविधय
सकल महीपर देखो, कै सा दानवताका ता डव नृ य म, २०१३ क तलनाम ु २०१४ म ३०० ितशतक
रौरव, दन, पाप, अधमका कै सा यह िवतान तना है । बढो री हई है । वहां ७५१२ लोग मारे गए ह । इन
मानिच बदले जगतका, पावन हो प र य हमारा आतंकवादी आ मण के कारण अ यिधक आिथक
िखले मनजता ु चहिदिशमं य लगे सब ही को यारा । हािन भी हई है । अमे रक गहृ म ालयके द तावेज के
आतकवादका
ं िनिहताथ : अनसार
ु इस समय िव म ७५ से अिधक
आतंकवाद एक िहस ं क नीित है, िजससे िहस ं ाके आतंकवादी सगंठन िव मान ह, िजनके
मा यमसे समाजम आतंक फै लाया जाता है । शाि दक पास मानव बम ह । इनम इ लािमक
ि से आतंकवाद श दका योग ूसे सम द ड टेट (आईएसआईएस), अलकायदा, तािलबान,
िवधानको समेिकत करनेके िलए १९३१ म बलाए ु गए तहरीक- ए- तािलबान पािक तान, बोको हराम,
तीसरे स मेलनम िकया था । िजसके अनसार ु अल नु ा ट, हमास मख ु है । ऐसे
आतंकवादका अिभ ाय ‘जीवन, भौितक अख डता िवकट समयम िव ब धु वका उपदशे दनेेवाला वेद हम
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - २९
समिचतु माग िदखा सकता है । वेद सावजिनक िहत, योग कर व थ रह ...शेष भाग
माधयु एवं शाि तक भावनाओसंे ओत ोत थ है जहां िजससे याहारक अव था आती है । शरीर जब
सं ान, सा मन य, एकता, सगठन, परोपकार आिदक िशिथल होता है, मन शा त हो जाता है तो आप
ेरणाएं थान- थानपर उपल ध होती ह । अपनी चेतनाके ित सजग हो जाते ह । इस कार
पमान
ु ् पमासु ं ं प र पातु िव तः आप अपनी ाण ऊजाको पनः ु थािपत कर पाते
आज मनु यका अि त व सक ं ट त है, कोई कह ह । इससे आपके शरीर क ऊजा पनः ु ा हो
सरि ु त नह । मनु यका भिव य या होगा ? कौन करगेा जाएगी ।
मनु यका उ ार ? मनु यताको कौन बचाएगा ? इन
अ यास िट पणी : यास रहे िक अ यासके
सबका उ र एक ही है - मनु य बचाएगा ।
म य शरीरम कोई हलचल न हो; य िक हलक
वेदका आदशे है - पमान ु ् पमास
ु ं ं प र पातु िव तः
हलचलसे भी पेशीय सक ं ु चन उ प न होगा । येक
अथात मनु य मा का धम है, वह सभी मनु य क र ा
ास- ासके साथ यि गत म का जप कर
करे ।
अपने भीतरके मनु य वको सकम ु करके कट कर, सकते ह ।
सु दर भाव के मा यमसे कट कर और सु ानके पम कारा तर : शवासनम लेटे हए, दािहने हाथके
कट कर ! मनु यता िछप गई है इसिलए सक ं ट ित सजग हो जाएं और उसे िशिथल कर !
है । मनु यता ा रत हो रही है इसिलए सक ं ट है । आज धीर-ेधीरे दािहनी कलाई, कोहनी, कांख,
मनु यताके रणको रोकनेक आव यकता है । कमरका दािहना भाग, दािहना िनत ब, दािहनी
वेद कहता है ‘मनभव’ ु । मनु अथात मननशील मनु य जांघ, दािहना घटना,
ु िप डली, टखना, एडी और
बन अपने भिव यको सरि ु त रखना है तो मनु य बनना तलवेके ित मशः सजग हो जाएं और एक-एक
होगा और अपने िद य व पको कट करना होगा । करके उ ह िशिथल कर !
िद य कम और भावका, िनत ित बना हिव य शरीरके बाएं भागके साथ िसर, और धडके सभी
करो सरि ु त धरापर, सबका सखद ु भिव य । अगं के साथ भी इस ि याक पनरावि ु ृ कर !
अपना देव िवराजता, अपने भीतर देख ु त कर िक शरीरका येक अगं
यह सिनि
कट करो उस िनिखलको, िमटे पापका लेख िशिथल हो गया है और अनभव ु कर िक येक अगं
िम य च षा ु सवािण भतािन ू समी े भिमम
ू िवलीन हो रहा है ।
एक यि या ाणीके अ य यि या ाणीके साथ इस ि या को २-४ बार दोहराएं ! आपके
ीित, मै ी या िम ता कही जाती है । िव ब धु वका सभी तनाव दरू हो जाएगंे ।
उपदशे दनेेवाला वेद हम आदशे दतेा है - ‘म िम क अिधकतम लाभ ा करने के िलए, िदन भरके
ि से सबको दख े ूं । सब मझे
ु िम क ि से दख े । इसी काय से थकानके बाद अथवा सोनेके ठीक पहले
भावनाको पु करनेके िलए वेद कहता है - ‘सवा आशा इस तकनीकका उपयोग करना चािहए ।
मम िम ं भव त’ु अथात पव, ू पि म, उ र, दि ण सभी शवासनको करनेके कोई भी अ तिवरोध
िदशाओकंे मनु य हमारे िम ह । नही ह । यिद आपको िकसी िचिक सकने भिमपर ू
जब सारा सस ं ार िम बन जाएगा तो छल, किटलता, ु सीधा लेटनेके िलए मना िकया हो तो यह आसन
आतंकके िलए अवसर ही कहां रह जाएगा ? न कर !
- डॉ. अिनता खराना

वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ३०
िव के दस कु यात आतक
ं सगठन

ऐसे तो िव म कई छोटे-बडे आतंक सगंठन ह; िक तु सगंठनने अफगािन तानम १९९६ से २००१ तक
ये १० सगंठन ऐसे ह, जो लगभग एक अरब लोग के स ा स भाली थी । इस सगंठनक थापना मु ला
िलए सक ं ट बने हए ह । िवशेष बात यह है िक इ ह मोह मद उमरने क थी । तािलबानने अफगािन तानम
िव के लगभग सभी दशे ने ितबि धत-सचीम ू ( लैक श रअत और इ लािमक िवधान (कानन) ू लागू कर
िल टम) डाला हआ है । इसे शताि दय पीछे धके ल िदया था ! इसे
१. इ लािमक टेट (आईएसआईएस) अलकायदाका समथन भी ा था, पर तु अमे रक
‘अलकायदा’ आतंकके सस ं ारका बडा नाम है; आ मणने इसे अफगािन तानसे उखाड फका ।
िक तु ‘इ लािमक टेट’ तो दानव बन गया है ! इस ४. तहरीक-ए-तािलबान पािक तान
सगंठनको ‘आईएसआईएस’के नामसे भी जाना जाता इस आतंक सगंठनका िनवास पािक तान-
है । इस आतंक सगंठनने उ री इराक और पि मी अफगािन तान सीमापर िव मान आिदवासी े म है ।
सी रयापर अिधकार कर वहां अपना शासन थािपत यह सगंठन कई इ लािमक आतंक सगंठन से िमलकर
कर िलया है । अबु ब अलबगदादीका बनाया हआ बना है ! ‘पािक तानी तािलबान’के नामसे कु यात इस
यह सगंठन इतना बबर और िहस ं क है िक सगंठनक थापना पािक तानके कु यात
अलकायदाने भी इसक िन दा क है । इस आतंक आतंकवादी बैतु ला महसदने ू क थी, िजसक २३
सगंठनम िव भरके आतंक लडाके सि मिलत ह, अग त, २००९ को मृ यु हो गई थी । पािक तानी
िजनम ि िटश मसलमान
ु क सं या सबसे अिधक है । तािलबान ायः पािक तानी रा य को अपना ल य
२. अलकायदा बनाता रहा है; पर तु कई गु चर िवभाग का मानना है
अलकायदा िव भरके आतंक सगंठन म सबसे िक इस सगंठनका वा तिवक उ े य अमे रकाके कई
बडा नाम माना जाता है । इस उ वादी सगंठनक बडे नगर को अपना ल य बनाना है । इसी सगंठनने
थापना १९८९ म ओसामा िबन लादनेने क थी । पािक तानके पेशावरम िव ालयपर आ मण कर कई
ओसामाके नेतृ वम ही अलकायदाने अमे रकाम बालक के ाण िलए थे ।
‘९/११’का आ मण िकया था । इसके प ात अफगान ५. बोको हराम
यु का आर भ हआ, जो मई २०१२ म लादनेक ‘बोको हराम’ नाइजी रयाका एक आतंक सगंठन
मृ यकेु साथ समा हआ । अब यह सगंठन अल- है, जो अपनी बबरताके िलए जाना जाता है । यह
जवाहरीके नेतृ वम अपना जाल (नेटवक) पनः ु सश सगंठन उस समय िव म उजागर हआ, जब इसने
करनेम लगा है । नाइजी रयाके एक िव ालयसे २५० छा ाओकंो
३. तािलबान अप त (अगवा) कर िलया था । अं ेजीम बोको
तािलबान एक ‘प तो (आफगािन तानम बोली हरामका अथ ‘पि मी िश ा पाप’ है । यह आतंक
जाने वाली भाषा)’ श द है, िजसका अथ ‘छा ’ है । सगंठन अपना काय सामािजक-आिथक करण से
तािलबान िव के उन कछ ु आतंक सगंठन म से एक िनपटनेम िवफल नाइजी रयाई शासनके ितब ध व
है, िज ह ने िकसी दशेपर शासन िकया हो । इस कावटके िबना, सरलतासे कर रहा है ।
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ३१
६. अल नु ा ट जाता है । इस आतंकवादी सगंठनको इजरायली
अल नु ा ट अथात जमात अल नु ा, अरबी शासन और नाग रक के िव अपने अिभयानम
भाषाम िजसका अथ, ‘अल-शामके लोग के समथनम िहजबु लाहका समथन भी ा है ! यरोपीय ू सघंके
मोचा’ है । यह सगंठन सी रया और लेबनानम 'अल- एक शीष यायालयने गत िदवस म हमासको यरोपीय ू
कायदा’क शाखाके पम कायरत है । इस सगंठनका दशे क आतंक सचीसे ू हटा िदए जानेका आदशे
मखु अबु मोह मद अल जलानीु था, जो सी रयाई िदया है ।
िव ोिहय का सश समथक होनेके नाते बशर अल- ९. किद ु तान वकस पाट (पीके के )
असद शासनके िव सी रयाई नाग रक यु म इस सगंठनको ‘ पीके के ’ के नामसे ही जाना
सि मिलत हआ था । िवशेष के अनसार ु यह जाता है । इसका गठन २७ नव बर १९७८ को
सी रयाम ‘एक सबसे भावशाली िव ोही बल’ था । तक ु म िकया गया था और काला तरम यह एक
इस सगंठनको सयंु रा , ऑ ेिलया, वत कद ु रा यके िलए लडने लगा । आिधका रक
कनाडा, यजीलैू ड, सऊदी अरब, यनाइटे ू ड पसे एक अ तरा ीय आतंकवादी सगंठनके पम
िकं गडम, सयंु रा य अमे रका और टक ने अपने नािमत िकया जा चका ु ‘पीके के ’ अब तकु , ईरान,
यहां आतंकवादी सगंठन घोिषत कर िदया गया था । सी रया और इराकम सि य है ! य िप ‘इ लािमक
७. िहजबु लाह टेट’ के िव िव म चल रहे यु म पीके के
यह एक ईरान और सी रया समिथत लेबनानी भी सि मिलत है । यही नह , उसे इस कायके िलए
आतंकवादी सगंठन है, जो १९८२ के लेबनानी गहृ पि मी दशे का समथन भी िमल रहा है, तथािप
यु से उभरा है । इस सगंठनको इजराइल और सु नी तक ु शासनक ि म उसक आतंक छिव कम
अरब दशे का सबसे बडा श ु माना जाता है । नह होती है ।
अमे रकाके के ीय गु चर िवभागके (सीआईएके ) १०. रवो यशनरी ू आ ड फोसस ऑफ
िववरणके अनसार ु यह सगंठन लेबनानक ४१ कोलि बया
ितशत जनसं याके समथनका ‘दावा’ करता है । कोलि बयाके इस मा सवादी-लेिननवादी
यही नह , िहजबु लाह दशेम कई मानवीय और आतंकवादी सगंठनको ‘एफएआरसी’के नामसे जाना
सामािजक गितिविधय म सि मिलत भी होता है । जाता है । ‘एफएआरसी’ िव म अवैध स यापारके
८. हमास मख ु और लैिटन अमे रक दशेम आतंकवादी
हमासका अथ ‘हरकत उल मकवामा ु अल गितिविधय के िलए जाना जाता है । इस सगंठनक
इ लािमया’ है । यह िफिल तीनका सामािजक- थापना १९६४ म क गई थी । अब यह
राजनीितक आतंकवादी सगंठन है, जो 'मिु लम सगंठन ामीण े म अपने सह समथक
दरहड'क एक शाखाके पम १९८७ म थािपत और लगभग १२ सह आतंक लडाक के साथ
िकया गया था । इस सगंठनका िजहाद इजराइलके सि य है। ' एफएआरसी' बहरा ीय क पिनय
िव है और इसका उ े य इजराइलसे और धनाढय-वगसे् िमलने वाले ‘ िफरौती’ के
िफिल तीनक वत ताको सरि ु त रखना है । पैस का योग िनधनलोग क सहायताके िलए
इसे आ मघाती आ मणके िलए जाना करता है ।
वैिदक उपासना वष - २/ अक
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िह दू रा क थापनाक िदशा
िह दू रा क थापना करनक े े िलए सा दाियक िह दओक ु ं े शिु करणको शा ानमित ु दनेेवाली मित ृ
एकताक आव यकता िलखकर, धमसं थापना ही क । परू े सस ं ारम जब िह दू
सभी स दाय के िन: वाथ और अहकार ं रिहत धमक िन दा हो रही थी, तब वामी िववेकान दने
अनयाियय
ु ारा िह दू रा क थापना स भव ! सातसमु पार, िह दू धमक पताका फहराई । इस कार
‘ वाथ और अहक ं ारी राजनीितक दल गठब धन गु पर पराने धमसं थापनाके िलए अपवू योगदान िदया
कर रा य चला सकते ह, तो ई र ाि क इ छा है ।
रखनेवाले सभी स दाय के िन: वाथ तथा वतमानम भारतम िनधम (धमिनरपे )
अहक ं ाररिहत अनयायी ु िमलकर, िह दू रा क थापना रा य यव था है । ‘िनगतः धम: य मात् तत् रा यं
िनि त ही कर सकते ह !’ (वष २००२) िनधम ।’ अथात ‘िजसमसे धम िनकल गया हो’, ऐसा
िह दू रा क थापनाम स त और स दाय का रा य िनधम कहलाता है ।’ इस िस ा तके अनसार ु
मह व ! वतमानम सनातन धम भारतम लु होनेवाला है; इसिलए
‘ वाथ धमिनरपे राजनीितक दल नह , अिपतु यहां अधम और धम ोही लोग का बल बढ गया है । ऐसी
िन: वाथ स त और स दाय ही ई रीय आशीवादके
िवकट प रि थितम भारतम सनातन धमक पन: ु
बलपर िह दू रा क थापना कर सकते है ।’
थापना करनेके िलए धमािधि त िह दू रा क
(१३.१२.२०१२)
थापना करना, गु त वको कालानु प अपेि त काय
िविवध स दाय के साधको, गु त वको अपेि त
है । धमसं थापनाके इस कायम आजक गु -िश य
धमसं थापनाका, अथात िह दू रा क थापनाका
काय करो ! पर परा, िविवध स दाय के अनयायी, ु साधक और
‘गु एक त व है, जो स त और आ याि मक ि से धम ेमी िह दओक ु ं े तन-मन-धनका योगदान ही इस
उ नत साधक के मा यमसे काय करता है । िश यक गु पिणमापर
ू खरी गु दि णा होगी !’ (१.४.२०१५)
आ याि मक गित करवाना तथा धम लािन होनेपर रा मेी एवं धम मेी सवेािनवृ सनेािधकारी और
धमको पनु थािपत करना, गु त वका काय है । आिदगु पिलसु अिधका रय को सगिठत ं कर !
महिष यासने किलयगु आर भ होनेके पहले वेद को ४ ‘िह दू रा क थापनाके िलए िविभ न े के
भाग म िवभािजत कर, धमको यवि थत िकया था । िवशेष यि य को सगंिठत करना आव यक है । इसीके
जग ु भगवान ीकृ णने दु कौरव का िवनाश कर एक भागके पम रा ेमी एवं धम ेमी सेवािनवृ
यिधिु रके नेतृ वम ‘धमरा य’ थािपत िकया था । पिलसकम
ु एवं सैिनक को सगंिठत करना आव यक है ।
जग ु आिदशक ं राचायने अवैिदक मत का ख डन सेवािनवृ सेनािधकारी और पिलस ु अिधका रय मसे
करनेके िलए शा ाथके मा यमसे शांकरिदि वजय कर, अनेक कोसमाज, रा एवं धमक ददशा ु सहन नह होती
चार पीठ क थापना क तथा सनातन धमक पनरचना ु तथा ाचार एवं िह दओप ु ं र हो रहे अ याचार सहन नह
क । स ाट च गु ने आचाय चाण यके नेतृ वम होते ह । ऐसे रा ेमी और धम ेमी सेवािनवृ पिलस ु
दराचारी
ु नंदवशंका नाश एवं स भु भारत रा क एवं सैिनक को िह दू रा क थापनाके वैचा रक
थापना क थी । मोह मद गजनी ारा िसधंके सं ामम सि य बनानेके िलए उ ह सगंिठत
िह दओक ु ं ो धमा त रत करनेपर, दवेल ऋिषने करना होगा ।’ ( मश:)
वैिदक उपासना वष - २/ अक
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स तचर
महिष अरिव द घोष रा यक सेवा अगंीकार कर ि ता द १८९३ म वे
यगु -यगु से अनेक िद य योितयां वदशे लौट आए ।
भारतभिमकू इस पिव धरापर भारत आनपेर अनभित ु ू : भारत आते ही ी
आती रही ह और अपने काशसे अरिव दको अवणनीय अनभित ु ू हई । उ ह तीत हआ,
इस पिव व यौिगक धराको और मानो एक महान योित उनके अ तः करणम वेश कर
काशमान करती रही ह । इन गई हो । भारतका एक िद य आ याि मक व प उनके
िद य िवभितय ू का काय समाजम ने के सम ठहर गया और उनम वेश कर गया,
फै ली करीितय
ु को दरू करना ही नह वरन जन िजससे उ ह िचर शाि त ा हई । िवदशेम रहकर
साधारणम आ याि मक काशको जगाकर उ ह उ ह ने अनभव ु िकया था िक वे अब ‘अ धकार’का
आ म ानक ओर वृ करना है । ऐसी ही एक योित पयाय होते जा रहे ह ! इस विणम अनभितसे ु ू वह ितिमर
१५ अग त १८७२ को कोलकाता-महानगरम णोपरा त छं ट गया और वे काश, ान, शाि तसे
कृ णधन घोष एवं दवेी वणलता घोषके यहां अरिव द पणतः
ू उदभािषत ् हो उठे । भारतक मिहमा है ही ऐसी !
घोषके पम अवत रत हई । महिष अरिव द एक योगी इसिलए हमारे मनीिषय ने कहा है िक इसके कण-कणम
एवं दाशिनक थे । इ ह ने यवा ु अव थाम वत ता पािव य भरा हआ है !
सं ामम ाि तकारीके पम भाग िलया; िक तु वही अनभितु ू उनम समा गई और उस अनभितक ु ू
काला तरम वे एक योगी बन गए और इ ह ने पदु ु चेरीम साथकता रख े ांिकत करनेके िलए ी अरिव दने
(पांिडचेरीम) एक आ म थािपत िकया और वेद, भारतमाताको कत ृ ताके साथ णाम िकया एवं आते
उपिनषद, थ आिदपर टीका िलखी, योग साधनापर ही वे भारतक सं कितके ृ गहन अ ययनम लीन हो गए,
मौिलक थ िलखे । उनका समचेू िव म ‘दशन िजसम उ ह ने सं कत, ृ बगंला, मराठी, गजराती,
ु िह दी
शा ’पर बहत भाव रहा है और उनक साधना आिद भारतीय वा यका गहन अ ययन िकया ।
प ितके अनयायीु अनेक दशे म फै ले हए ह । वे किव सामािजक काय : दशेभि से े रत इस यवाने ु सब
और गु दोन थे । कछ
ु छोडकर रा -सेवा करनेक ठान ली । इनक
िश ा : ी अरिव दके िपता डॉ टर कृ णधन घोष ितभासे बडौदा नरशे अ यिधक भािवत थे; अतः
उ ह उ च िश ा िदला कर उ च शासक य (सरकारी) उ ह ने इ ह अपनी रयासतम िश ा शा ीके पम
पद िदलाना चाहते थे, अतः मा ७ वषक आयमु ही िनयु कर िलया । बडौदाम ये ा यापक, उप-
िपताने उ ह इं लै ड भेज िदया । उ ह ने मा १८ वषक ा यापक, िनजी सिचव आिद काय यो यतापवक ू करते
आयमु ही ‘आईसीएस’क परी ा उ ीण कर ली थी । रहे और इस म य सह छा को च र वान दशेभ
इसके साथ ही उ ह ने अं ेजी, जमन, च, ीक एवं बनाया । १८९६ से १९०५ तक उ ह ने बडौदा ा तम
इटैिलयन भाषाओमं भी िनपणताु ा क थी । कि जके राज व अिधकारीसे लेकर बडौदा महािव ालयके च
िकं स-महािव ालयक ‘ ाइपोस’क किठन परी ाम अ यापक और उपाचाय रहनेतक रयासतक सेनाम
िवशेष यो यताके साथ उ ीण हए; पर तु वे शासक य ाि तका रय को िश ण भी िदलाया था । सह
दास (सरकारी नौकर) बननेको िस नह हए । बडौदा यवकु को उ ह ने ाि तक दी ा दी थी । वे िनजी
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ं ९ पृ - ३४
पये-पैसेका लेखा-जोखा नह रखते थे; पर तु राज व गया । अलीपरु कारावासम ही उ ह िह दू धम एवं िह द-ू
िवभागम काय करते समय उ ह ने जो िव क थम रा िवषयक अ तु आ याि मक अनभित ु ू हई । इस
आिथक िवकास योजना बनाई, उसका काया वयन षडय ् म अरिव दको सि मिलत करनेके िलए
करके बडौदा-रा य दशेी-रा य म अ यतम बन गया शासनक ओरसे जो सा य िस िकया था, उसक एक
था ! महाराजा मु बईक वािषक औ ोिगक दशनीके िदन कारावासम ही ह या कर दी गई । घोषके प म
उ ाटन हेतु आमि त िकए जाने लगे थे । िस िविधव ा (बै र टर) िचतरज ं न दासने
वत ता सं ामम योगदान : १९०५ म लाड कजनके अिभयोगक ‘पैरवी’ क थी । उ ह ने अपने बल तक के
‘बगं-भगं’क योजना रखनेपर सारा दशे ितलिमला उठा । आधारपर अरिव दको सारे अिभयोग से मु घोिषत
बगं-भगंक घोषणा होते ही उ ह ने अपना ‘पा चज य’ करा िदया । इससे स बि धत यायालयके िनणय ६ मई
फंू का और वे कोलकता लौट आए । बगंालम इसके १९०९ को जनताके सम आए । ३० मई १९०९ को
िवरोधके िलए जब उ आ दोलन हआ तो अरिव द उ रपाडाम एक सवंधन सभाक गई, वहां अरिव दका
घोषने इसम सि य पसे भाग िलया । ‘नेशनल लॉ एक भावशाली या यान हआ, जो इितहासम
कॉलेज’क थापनाम भी इनका मह वपण ू योगदान रहा । ‘उ रपाडा अिभभाषण’के नामसे िस हआ । उ ह ने
मा ७५ पये मािसकपर इ ह ने वहां अ यापन-काय अपने इस अिभभाषणम धम एवं रा िवषयक कारावास-
िकया । पैसेक आव यकता होनेके प ात भी उ ह ने अनभितका
ु ू िव ततृ िववेचन करते हए कहा था, “जब मझे

किठनाईका माग चना ु । अरिव द कलक ा आए तो राजा आप लोग के ारा आपक सभाम कछ ु कहनेके िलए कहा
सबोधु मिलकक अ ािलकाम ठहराए गए; पर तु जन- गया तो म आज एक िवषय िह दू धमपर कहगंा । मझे ु नह
साधारणको िमलनेम सक ं ोच होता था; अतः वे सभीको ात है िक म अपना आशय पणू कर पाऊंगा या नह । जब
िवि मत करते हए ‘१९/८ छ कू खानसामा’ गलीम आ म यहां बैठा था तो मेरे मनम आया िक मझे ु आपसे बात
गए । उ ह ने िकशोरगज ं म (वतमानम बां लादशेम) करनी चािहए । एक श द परू े भारतसे कहना चािहए । यही
वदशेी आ दोलन ार भ कर िदया । अब वे के वल श द मझसे ु सबसे पहले कारावासम कहा गया और अब
धोती, कता ु और चादर ही पहनते थे । उसके प ात यह आपको कहनेके िलए म कारावाससे बाहर आया हं ।
उ ह ने रा ीय िव ालयसे भी िभ न होकर ‘अि नवष एक वष हो गया है मझे ु यहां आए हए । िपछली बार आया
पि का व दमेातरम’का ् काशन ार भ िकया । था तो यहां रा ीयताके बडे-बडे वतक मेरे साथ बैठे
ि ता द १९०७ म वे जनमानसके स मख ु थे । यह तो वह सब था, जो एका तसे बाहर आया, िजसे
ि तकारी प कारके पम उभर,े जब उ ह ने ‘वदंे ई रने भेजा था तािक कारावासके एका तम वह ई रके
मातरम’् नामक सा ािहक समाचार-प का स पादन श द को सनु सक ।”
आर भ िकया और वही ‘वदंे मातरम’् तरु त ि िटश योग एवं दशन क अिभ िच : कारावासक अविधम
शासनके िलए िशरःशल ू (िसरदद) बन गया । ‘ि िटश ी अरिव दने आ याि मक साधना क तथा उ ह
शासन इनके ि तकारी िवचार और काय से अ यिधक ई रीय ान ा हआ । इसके पवू वे ि ता द १९०७
आतंिकत थी; अतः २ मई १९०८ को चालीस यवक ु के म जब बडौदाम थे तो एक िस योगी िव णु भा कर
साथ उ ह ब दी बना िलया गया । इितहासम इसे लेलेके स पकम आए और योग-साधनाम वृ हए ।
‘अलीपरु षडय ् के स’के नामसे जाना जाता है । उ ह कारावाससे मु होकर वे ४ अ ैल १९१० को
एक वषतक अलीपरु कारावासम ब दी बनाकर रखा ‘पांिडचेरी’ चले गए और उ ह ने अपना जीवन अन त
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ३५
स यक अनसध ु ं ानम लगा िदया । सतत साधना ारा सजना
ृ मकता तथा बिु म ाका ास दख े ते थे ।
उ ह ने अपनी आ यािमक दाशिनक िवचारधाराका अ या मिवहीन िश ाको ही वे इसके पतनका कारण
िवकास िकया । मानते थे ।
ी अरिव द आ म - १९१० के अ ैलम वह जीवनका अरिव दक िश ा प ितक सक ं पना : अरिव द इस
नवीन आर भ करनेके िलए ‘पांिडचेरी’ चले गए । उ ह ने कारक िश ाप ित चाहते थे, जो िव ाथ य के ान-
वहां ‘योगा म’ बनाया । लोग उ ह महिष कहने लगे और े का िव तार कर,े जो िव ािथय क मित, ृ िनणय
उनके इस आ मक क ित परू े िव म फै ली; अनेक शि एवं सजना मक मताका िवकास करे तथा
िज ासु और साधक उनके अनयायी ु बने । १९१४ से िजसका मा यम मातभाषा ृ हो । ी अरिव द रा ीय
१९२१, इस समयम उ ह ने ‘आय’ नामक आ याि मक िवचार के थे; अतः वे िश ा-प ितको भारतीय
मािसक चलाया ।१९२६ म, उनक िश या, िमरा पर परानसार ु ढालना चाहते थे । अरिव दके अनसार ु
अ फ साक (माता) सहायतासे ‘ ी औरोिब दो िश ण एक िव ान है, िजसके ारा िव ािथय के
आ म’क थापना क । यवहारम प रवतन आना अिनवाय है । उनके श द म,
महिष अरिव दक मख ु रचनाए ं एवं थ स पदा ह : “वा तिवक िश णका थम िस ा त है िक कछ ु भी
द मदर, लेटस ऑन योगा, सािव ी, योग सम वय, िद य पढाना स भव नह अथात बाहरसे िश ाथ के
जीवन यचर ू पोय ी, यौिगक साधन, कारा कािहनी, मि त कपर कछ ु भी थोपा न जाए ! िश ण ि या ारा
अिहस ं ा मक ितकारका िस ा त, भारतीय नवजीवन िश ाथ के मि त कक ि याको ठीक िदशा दनेी
वेद - रह य । इसके अित र वे दशनशा ी, किव, चािहए । “अरिव द ‘मानस’ अथात मि त कको छठी
अनवादक,
ु वेद, उपिनषद और भगव ीतापर टीका ानेि य मानते थे, िजसके िवकासपर वे अिधक बल
िलखनेका काय भी करते थे । दतेे थे । िवकिसत मानससे 'सू म ि ' उ प न होती है,
शैि क योग : रा ीय आ दोलनम लगे हए िजससे िन प ि कोण िवकिसत होता है । योग ारा
िव ािथय को शैि क सिवधाए ु ं दान करने हेतु ‘िच शिु ’, िश णका ल य होना चािहए ।
कोलकाताम एक रा ीय महािव ालय थािपत िकया महासमािध : सन् १९४५ म वे ‘ि स िमशन’के
गया । ी अरिव दको १५० ित माहके वेतनपर ताव को मान लेनेके प म थे; य िक भारत-िवभाजन
इसका धानाचाय िनयु िकया गया । इस अवसरका उ ह वीकार नह था । उ ह ने कहा था िक अख ड,
लाभ उठाते हए ी अरिव दने ‘ रा ीय िश ा’ क समथ तथा सश भारत ही िव का पथ- दशन करगेा ।
सक ं पनाका िवकास िकया तथा अपने िश ा-दशनक ५ िदस बर, १९५० को महिष अरिव दने महासमािध ले
आधारिशला रखी । यही आगे चलकर जादवपरु ली । मांकेसरं ण म उनका काय ितफल गित-पथपर
िव िव ालयके पम िवकिसत हआ । अ सर था । ि ता द १९७३ म मांने भी महा याण
वतमान िश ा-प ितसे अस तोष : वे वतमान िश ा- िकया था । इस महान िवभितकेू ीचरण म हम नमन
प ितसे अस तु थे । उनका कहना था, “सचना ू मक करते ह िज ह ने अपने जीवनकालम अनेक यवाओम ु ं
ान कशा ु बिु का आधार नह हो सकता” । यह ान रा भि का बीजारोपण िकया एवं आ याि मक जीवनम
तो नवीन अनसध ु ं ान तथा भावी ि याकलाप का आर भ जानेके प ात अनेक साधक को साधनापथपर अ सर
मा होता है । वे आजक िश ा-प ितम भारतीय िकया और समाजको बहमू य थ स पदा दी जो सदवै
ितभाक तीन िवशेषताओ,ं आ याि मकता, मानव समाजका मागदशन करती रहेगी !
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ३६
भारतके खरे नायक
महाराजा रणजीत िसहं यमनाके
ु म य फलिकय ु िम लके शासक रा य कर रहे
प रचय - भारत माताने अपनी िम ीसे अनेकानेक वीर थे । सन् १८०६ ई. म रणजीत िसहंने इनको भी अपने
सपतू ज मे ह, इनम िसहं-सा दहाडनेवाले मराठा, अिधकारम करना चाहा; पर तु सफल न हए । महाराजा
राजपतू आिद शासक मु य ह । इ ह के समान एक रणजीत िसहंने अफगान के िव कई यु लडे और
खर यो ा, िसख सा ा यके सं थापक, पज ं ाबके उ ह पि मी पज ं ाबक ओर खदडे िदया । अब पेशावर
महाराजा, जमन शाहको धल ू चटानेवाले महाराजा सिहत प तनू े पर उ ह का अिधकार हो गया । यह
रणजीत िसहंका, जो ‘शेर-ए पज ं ाब’के नामसे िस ह, थम अवसर था जब प तनू पर िकसी अमसलमानने ु
ज म १३ नव बर १७८० को गजरां ु वालाम (अब राज िकया । उसके प ात उ ह ने पेशावर, ज मू क मीर
पािक तान) सधंावािलया जाट महाराजा महां िसहंके और आनंदपरपर ु भी अिधकार कर िलया । थम
घर हआ था । वे ऐसे शासक थे, िज ह ने न के वल आधिनकु भारतीय सेना “िसख खालसा सेना” गिठत
पज ं ाबको एक सश रा यके पम एकजटु रखा; करनेका ेय भी उ ह को जाता है । उनके रहते पज ं ाब
अिपतु अपने जीिवत रहते अं ेज को अपने सा ा यके बहत शि शाली रा य था । इसी शि शाली सेनाने
पास भी नह भटकने िदया ! उन िदन पज ं ाबपर िसख दीघ समयतक ‘ि टेनको’ पज ं ाब हडपनेसे रोके रखा ।
और अफगान का राज चलता था, िज ह ने समचेू एक ऐसा अवसर भी आया, जब पज ं ाब ही एकमा ऐसा
े को कई ‘िमसल ’म िवभािजत कर रखा था । रणजीत रा य था, िजसपर अं ेज का अिधकार नह था ! उनके
िसहंके िपता महा िसहं, सकरचिकयाु ‘िम ल ’के समय अं ेज का रा य यमनातक ु पहचं गया था और
अिधकारी थे । पि मी पज ं ाबम ि थत इस े का फलिकयां
ु िम लके राजा अं ेजी रा यके भु वको
मु यालय गजरां ु वालाम था । छोटी सी आयमु चेचकके मानने लगे थे । अं ेज ने रणजीतिसहंको इस कायसे
कारण महाराजा रणजीत िसहंक एक आख ं क योित मना िकया । रणजीत िसहंने अं ेज से यु करना उिचत
चली गई ! जब वे १२ वषके थे तो उनके िपताका िनधन न समझा और सि ध कर ली िक सतलजके ु आगे हम
हो गया और राजपाटका सारा बोझ इ ह के क ध पर आ अपना रा य नह बढाएगंे । रणजीत िसहंने ांसीसी
गया । सैिनक को बलाकर,
ु सेनाको आधिनक ु यु कौशलसे
यि व - रणजीत िसहंम सैिनक नेतृ वके बहत सारे िस िकया ।
गणु थे । वे दरदश
ू थे, यामवण (सांवले रगंके ) थे । वे महाराजा रणजीत िसहंक मृ यकेु प ात अं ेज ने
तेज वी थे; इसिलए जबतक वे जीिवत थे, सभी ‘िम ल’ ि ता द १८४५ म िसख पर आ मण कर िदया ।
दबी थ । िफरोजपरु े म िसख सेना वीरतापवक ू अं ेज का
यु कौशल, शासन िव तार व पतन - बारह वषक सामना कर रही थी; िक तु िसख सेनाके ही सेनापित
अव थाम ये ‘िम ल’ सकरचिकयाके
ु नेता हए । १७९८ लाल िसहंने िव ासघात िकया और मोचा छोडकर
म जमान शाहके पज ं ाबसे लौट जानेपर उ ह ने लाहौर पलायन कर गया ! इस कारण िवजयके िनकट
लाहौरपर अिधकार कर िलया । धीर-ेधीरे सतलजसे ु पहचंकर भी िसख सेना परािजत हो गई ! अं ेज ने
िस धतक ु िजतनी िम ल शासन कर रही थ , सबको िसख से कोिहनरू हीरा ले िलया । साथ ही क मीर और
उसने अपने अिधकारम कर िलया । सतलज ु और हजारा भी िसख से छीन िलए । लाड हािडगने
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ३७
इं लै डक रानी िव टो रयाको स न करनेके िलए क मीरक वत ता और कोिहनरक ू ाि व
कोिहनरू हीरा लंदन पहचंा िदया, जो ‘ई ट इंिडया मि दर को वण दान - ि ता द १८१२ म पज ं ाबपर
क पनी’ ारा रानी िव टो रयाको स प िदया गया । उन महाराजा रणजीतिसहंका एकछ रा य था । उस समय
िदन महाराजा रणजीत िसहंके पु िदलीप िसहं वह थे । महाराजा रणजीत िसहंने क मीरके ‘सबेू दार’ अता
कछु लोग का कथन है िक िदलीप िसहंसे ही अं ेज ने मोह मदके अिधकारसे क मीरको मु करानेका
लंदनम कोिहनरू हडपा था । कोिहनरको ू १ माह ८ अिभयान आर भ िकया था । इस अिभयानसे भयभीत
िदवसतक ‘जौह रय ने तराशा’ त प ात उसे रानी होकर अता मोह मद क मीर छोडकर भाग गया ।
िव टो रयाने अपने मकटम ु ु जडवा िलया । क मीर अिभयानके पीछे एक अ य कारण भी था । अता
आधिनक ु सनेाके प धर - रणजीत िसहं आधिनक ु मोह मदने महमदू शाह ारा परािजत शाहशजाको ु
सेना बनाना चाहते थे । इसके िलए उनको पि मी यु शेरगढके िकलेम ब दी बनाकर रखा था । उसे
कौशल और ढंगको अपनानेसे भी प य नह था । उ ह ने कारावाससे मु करानेके िलए उसक प नी वफा
अपनी सेनाम कई यरोपीय ू अिधका रय को भी िनयु बेगमने लाहौर आकर महाराजा रणजीतिसहंसे ाथना
िकया । उनक सेनाको ‘खालसा आम ’के नामसे जाना क और कहा िक कपा ृ कर आप मेरे पितको अता
जाता था । उनक सेनाम जहां ह र िसहं नलवा, ाण मोह मदसे मु करवा द, इसके मू य व प कोिहनरू
सख ु यादव, गरमखिसह
ु ु ं लांबा, दीवान मोखम च द और हीरा आपको भट कर दगूं ी । वफा बेगम ही उन िदन
वीर िसहं िढ लो जैसे भारतीय सेनािधकारी थे तो अफगािन तानक शािसका थ । इसी कोिहनरको ू
ांसके जीन कोइस अलाड और लाउड ऑग ट हडपनेके लालचम भारतपर आ मण करनेवाले अहमद
कोट, इटलीके जीन बापित ते वचरा ु और पाओलो डी शाह अ दालीके पौ जमान शाहको वयं उसीके भाई
एिवटेबाइल, अमे रकाके जोिसया हरलान और कॉट- महमदू शाहने कारावासम भयक ं र यातनाएं दक
े र उसक
आय रश मलके ू अले जडर गाडनर जैसे सै य आख ं िनकलवा ली थ !
अिधकारी भी सि मिलत थे । जमान शाह, अहमद शाह अ दालीके पु तैमूर
रणजीत नाम कै से पडा - आर भम उनका नाम बु शाहका पु था, िजसका भाई महमदू शाह था । महाराजा
िसहं था । कहा जाता है िक उनके िपता महा िसहंने एक रणजीितिसहं वयं चाहते थे िक वे क मीरको अता
यु म छ र सरदारको हराया था । महा िसहंने इस यु म मोह मदसे मु करवाए;ं अतः सयोग ु आनेपर महाराजा
अपनी िवजयके प ात पु का नाम ‘रणजीत’ रख िदया, रणजीत िसहंने क मीरको वत करा िलया । उनके
िजसका अथ िवजेता होता है । दीवान मोहकमचदंने शेरगढके िकलेको घेर कर वफा
राजकाय - महाराजा रणजीत वयं अिशि त थे, पर तु बेगमके पित शाहशजाकोु वत कर वफा बेगमके पास
उ ह ने अपने रा यम िश ा और कलाको बहत लाहौर पहचंा िदया । राजकमार ु खडग् िसहंने उ ह
ो साहन िदया । उ ह ने पज ं ाबम िविध- यव था 'मबारक
ु हवेली'म ठहराया; पर तु वफा बेगम अपने
थािपत क और कभी भी िकसीको मृ यदु ड नह िदया । वचनके अनसार ु कोिहनरू हीरा महाराजा रणजीत
कभी भी िकसीको िसख प थ अपनानेके िलए िववश िसहंको भट करनेम िवल ब करती रही ! यहांतक िक
नह िकया । उ ह ने अमतसरके ृ ह रमि दर सािहब कई माह बीत गए । जब महाराजाने शाहशजासे
ु कोिहनरू
गु ारमे ेत शैल (सगंमरमर) लगवाया और सोना हीरक े े बारमे पछा
ू तो वह और उसक बेगम दोन ही
मढवाया, तभीसे उसे वण मि दर कहा जाने लगा । बहाने बनाने लगे । जब अिधक बल िदया गया तो उ ह ने
वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ३८
एक नकली हीरा महाराजा रणजीत िसहंको स प िदया, िस थे । काशीके िव नाथ मि दरम भी उ ह ने
जो ‘जौह रय ’के परी णपर अयो य िस हआ । रणजीत अ यिधक सोना अिपत िकया था; पर तु जग नाथ
िसहं ोधसे भर उठे और ‘मबारक
ु हवेली’ घेर ली गई । दो भगवानतक पहचंनेक उनक इ छा कोषा य
िदवसतक वहां भोजन नह िदया गया । वष १८१३ क बेलीरामक कनीितके
ु कारण परी
ू न हो सक ।
थम जनू थी, जब महाराजा रणजीत िसहं शाहशजाकेु अि तम या ा - १८३८ म महाराजाको प ाघात
पास आए और पनः ु कोिहनरके
ू िवषयम पछा ू । धतू (लकवा) हो गया, उपचार िकया गया और अं ेज
शाहशजाने
ु कोिहनरू अपनी पगडीम िछपा रखा था । िचिक सक ने भी उपचार िकया; िक तु ि ता द
िकसी कार महाराजाको यह ात हो गया; अतः उ ह ने १८३९ म महाराजा रणजीत िसहंका दहेावसान हो गया ।
शाहशजाको
ु काबलक
ु राजग ी िदलानेके िलए “गु थ उनक समािध लाहौरम बनवाई गई, जो आज भी वहां है ।
साहब”पर हाथ रखकर ित ा क , उसके प ात उसे उनक मृ यकेु साथ ही अं ेज का पज ं ाबपर अिधकार
“पगडी-बदल भाई” बनानेके िलए उससे पगडी ‘बदल होना आर भ हो गया । अं ेज-िसख यु के प ात ३०
कर’ कोिहनरू ा कर िलया । पदक ओटम बैठी वफा माच १९४९ म पज ं ाब ि िटश सा ा यका अगं बना
बेगम महाराजाक चतराई ु समझ गई ं । अब कोिहनरू िलया गया और कोिहनरू महारानी िव टो रयाको ततु
महाराजा रणजीत िसहंके पास पहचं गया था और वे कर िदया गया ।
स तु थे िक उ ह ने क मीरको वत करा िलया था । ऐसी िद य िवभितया
ू ं िह दओकु ं ो सदवै ेरणा दतेी
उनक इ छा थी िक वे कोिहनरू हीरके ो जग नाथपरीकेु रही ह व अपने पीछे अपने यि वक अिमट छाप छोड
दवेालयम िति त भगवान जग नाथको अिपत कर ! जाती ह । ऐसे खर यि वके धनी ‘शेर-ए-पज ं ाब,’
महाराजा, िह दू मि दर को सोना भट करनेके िलए महाराजको हम नमन करते ह । - चैत य देव

वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ३९
िवन िनवेदन
1 उपासनाके आ म हतेु अपण का िव ापन
बक थाना तरण अथवा अपण रािश जमा नीचे िदए गए िववरणके अनसार
ु क जा सकती है :
खाता नाम : वैिदक उपासना पीठ
बक : आईसीआईसीआई बक
खाता माक ं : 194505000050
खातेक कित ृ : चालू
आईएफएससी कोड : ICIC0001945
शाखा पता : डी 22, िडफस कॉलोनी, नई िद ली -110024
# धनादशे (चेक) अथवा िडमा ड ा ट ‘वैिदक उपासना पीठ’के खातेम नई िद लीम दये
# दान, आयकर अिधिनयम, 1961 क धारा ‘80 जी’के अ तगत छट ू ा है ।
दानरािश जमा करानेके प ात ाि प (रसीद) ा करने हेतु -
कपया
ृ हमारे सगंणक य पते (इ-मेल आईडी) vedicupasana@gmail.com पर अथवा
स पक मांक + 91-9717492523 / +91-9999670915 पर WhatsApp स दश े भेजकर सिचत
ू कर !

भारतम वैिदक गु कलक


ु आव यकता य ? (भाग – १)
आजक िश ण प ित िदशाहीन है ! वह कै से ?, इसके कछ ु कारण बताती हं -
अग त २००२ म म वाराणसीम धम सारक सेवा करती थी, एक िदवस िव ािथय के िलए, नगर तरीय एक
ित पधाम जो छा उ ीण हए थे, उनका परु कार िवतरण समारोह था और इसी िनिम एक सां कितक ृ काय म
था, मझे
ु वहां छा को उ ोधन दनेे हेतु आमि त िकया गया था । उस सभागहम ृ स पणू नगरके तेज वी छा िजनक
आयु १४ से १८ वषक थी, वे उपि थत थे । जब उनसे पछाू गया िक वे भिव यम या बनना चाहते ह तो वहां उपि थत
सभी छा ने बताया िक वे िचिक सक, सगंीत , ि के ट िखलाडी, इ यािद बनना चाहते ह, मा एक छा ने कहा िक म
एक अ छा यि बनना चाहता हं ! इसीसे आप आजक िश ा णालीक िदशा या है ?, यह समझ सकते ह !
िव ाका मल ू उ े य मिु दान करना होता है; िक तु आजक िनधम िश ण णालीम यह श द तो लु है ही,
यहांतक िक हम अपने ब च को या बनना चािहए ?, यह सं कारतक नह दे पाते ह, इसिलए कोई ा यापक हो तो भी
वह दशे ोही काय करता है (जवाहर लाल नेह िव िव ालय इसका सबसे अ छा उदाहरण है), पिलस ु अिधकारी हो
तो ाचार करता है, नेता हो तो तो जनताक सेवा करनेक अपे ा अपनी ‘ितजोरी’ भरता है और ाचार कर सीना
तानकर चलता है या पकडे जानेपर रोगका बहाना बनाकर िचिक सालयम भत हो जाता है, ि के ट िखलाडी हो तो पैसे
लेकर ‘मैच िफि सगं’ करता है और िचिक सक हो तो रोिगय से पैसे कै से ऐठं ?, इसका िवचार करता है ! यह सब य
हो रहा है ?; य िक आजक िश ण णाली हम एक कत यिन एवं धमिन यि बननेक िश ा दतेी ही नह है, मा
या बन सकते ह िक अिधकसे अिधक धन अिजत कर सक, यह िसखाती है; इसिलए धन अिजत करने हेतु आजके
अिधकांश िशि त वग अपनी नैितकताको ताकपर रख दतेे ह !
लोग िव ा अिजत कर धन अिजत करनेवाले िववेकशू य बिु जीवी नह ; अिपतु मनु य बन, ससं ु कतृ बन, रा िन
बन; इसिलए वैिदक गु कलक
ु आज भारतम अ यिधक आव यकता है !

वैिदक उपासना वष - २/ अक
ं ९ पृ - ४०
वैिदक उपासना पीठ ारा कछ
ु आव यक सचनाएं

दो िदवसीय िनवासीय एवं अिनवासीय िशिवर

िवषय : ‘नाम-साधना एवं थमोपचार िशिवर’


थान : इ दौर
िदनाक
ं : ८ एवं ९ िदस बर २०१८

सह ार च
दो िदवसीय िनवासीय एवं अिनवासीय िशिवर आ ाच
वशु च
अनाहत च
िवषय : ‘स च शिु एवं ह त मु ा िचिक सा िशिवर’ म णपुर च
थान : इ दौर ा ध ान च
िदनाक
ं : १२ एवं १३ जनवरी २०१९ मल
ू ाधार च

१४ से १८ िदस बर २०१८ को वैिदक उपासना पीठ ारा


इ दौरम पाचं िदवसीय ‘आइए सं कत ृ सीख’ इस नामसे
िनवासीय एवं अिनवासीय िशिवरका आयोजन िकया जा रहा ‘आइए सं कत ृ सीख’
है, यह िशिवर येक तीन माह प ात होगा, इस िशिवरका
ृ भाषाको इस कार सीखना है, िजससे
मु य उ े य है, सं कत
हम अपने धम थ को िबना अनवाद ु समझ सक ! इस
िशिवरम सभी आयु वगके लोग सहभागी हो सकते ह । इस
िशिवरम यह भाषा, इस िवषयके िव ान एवं आचाय ारा
िसखाई जाएगी । इस िवषयको िसखाने हतेु यिद कोई आचाय
या सं था इ छक ू भारतम
ु ह तो वे भी हम स पक कर सकती ह; य िक िनकट भिव यम ऐसे िशिवर स पण
लेनके योजना बना रहे ह ।
यिद आप ऊपर बताए गए िशिवरम सहभागी होने हतेु इ छक ु ह तो नीचे िदए गए चलभाष माक
ं पर हम स पक कर अपना
पज
ं ीकरण अव य कराए ं ! थान सीिमत होनक े े कारण जो पहले अपना थान आरि त करग,े उ ह ही ाथिमकता दी
जाएगी । ये सभी िशिवर िनःशु क ह गे ।
स पक माक ं : ९७१७४९२५२३, ९९९९६७०९१५
साधना व धमाचरणका मह व अिकत
ं करनवेाला उप म
वैिदक उपासना पीठ ारा whatsapp के मा यमसे
य (ऑिडयो) स सगं आर भ िकया गया है ! इस उप म धमधारा स संग
अ तगत whatsapp के मा यमसे येक िदवस धमिश णके जागृत भव गुट
साथ ही िह दू रा क थापना हतेु िह दू समाज िस हो, इस हतेु
सामियक िवषय पर भी स सगं एवं या यान सा रत िकए जाते
ह । इनका लाभ लेने हतेु अपना और आपके जनपदका नाम
िलखकर, चलभाष (मोबाइल) माक ं +९१ ९७१७४९२५२३,
अथवा ९९९९६७०९१५ (+919717492523, 9999670915) पर ‘मझे ु जागतृ भव गटमु जोड’
यह स देश िलखकर भेज एवं घर बैठे इस उप मका लाभ ल !

उपासना ाकितक िचिक सा एवं शोध क


िब ददाब म
िचिक सा िचिक सा
प गय स च शुि
िचिक सा िचिक सा

मु ा संगीत
िचिक सा िचिक सा

ए यूपं चर वरयोग
िचिक सा िचिक सा

आयुव दक योितष
िचिक सा िचिक सा

क अनेक......समाधान एक

उपासना
अपनी सम या से स ब धत मागदशन हेतु इस क क सद य बन!
gånH©$ : + 91 9717492523, + 91 9999670915
website : www.vedicupasanapeeth.org, e-mail : upasanawsp@gmail.com

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