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भारतीय महिला और वतत मान हिक्षा व्यवस्था

Name:
Priya Verma
With 65.46% female literacy rate as per the 2011 census, women’s
education in India is still a point in question. It is still
below the world average of 79.7%. What makes the numbers so low
even today when we talk about women education in India?

प्रस्तावना:

भारत मे महिला और हिक्षा को अनिवार्य रूप से जोड़िे वाली अवधारणा है । इसका एक रूप
निक्षा में स्त्रिर्ोों को पुरुषोों की ही तरह िानमल करिे से सोंबोंनधत है । दू सरे रूप में र्ह स्त्रिर्ोों
के नलए बिाई गई नविेष निक्षा पद्धनत को सोंदनभयत करता है । भारत में मध्य और पुिजाय गरण
काल के दौराि स्त्रिर्ोों को पुरुषोों से अलग तरह की निक्षा दे िे की धारणा नवकनसत हुई थी।
वतयमाि दौर में र्ह बात सवयमान्य है नक िी को भी उतिा निनक्षत होिा चानहर्े नजतिा नक
पुरुष हो। र्ह नसद्ध सत्य है नक र्नद माता निनक्षत ि होगी तो दे ि की सन्तािो का कदानप
कल्याण िहीों हो सकता।

निक्षा वर्स्क जीवि के प्रनत स्त्रिर्ोों के नवकास के नलए एक आधार के रूप में नविेष रूप से
महत्वपूणय भूनमका निभाती है । निक्षा अन्य अनधकारोों को सुरनक्षत करिे के नलए लड़नकर्ोों और
मनहलाओों को सक्षम करिे में एक महत्वपूणय भूनमका निभाती है ।
आजाद भारत में मनहलाएों नदि-प्रनतनदि अपिी लगि, मेहित एवों सराहिीर् कार्ों द्वारा राष्ट्रीर्
पटल पर अपिी पहचाि बिािे में कामर्ाब हुई हैं । मौजूदा दौर में मनहलाएों िए भारत के
आगाज की अहम कड़ी नदख रही हैं । लोंबे अरसे के अथक पररश्रम के बाद आज भारतीर्
मनहलाएों समूचे नवश्व में अपिे पदनचन्ह छोड़ रही हैं । मुझे कहिे में कोई गुरेज िहीों है नक
पुरुष प्रधाि रूऩिवादी समाज में मनहलाएों निनित रूप से आगामी स्वनणय म भारत की िीोंव और
मजबूत करिे का हर सों भव प्रर्ास कर रहीों हैं , जो सचमुच कानबले तारीफ है । हाों , र्ह जरूर
है नक कुछ जगह अब भी मनहलाएों घर की चारदीवारी में कैद होकर रूऩिवादी परों पराओों का
बोझ ढो रही हैं । वजह भी साफ है , पुरूष प्रधाि समाज का महज सोंकुनचत मािनसकता में
बोंधे होिा।
भारत में वैनदक काल से ही स्त्रिर्ोों के नलए निक्षा का व्यापक प्रचार था। मुगल काल में भी
अिेक मनहला नवदु नषर्ोों का उल्लेख नमलता है ।
पुिजाय गरण के दौर में भारत में िी निक्षा को िए नसरे से महत्व नमलिे लगा। ईस्ट इं हिया
कंपनी के द्वार सि 1854 में िी निक्षा को स्वीकार नकर्ा गर्ा था। नवनभन्न सरकारी और गैर
सरकारी प्रर्ासोों के कारण साक्षरता के दर 0.2% से बदकर 6% तक पहुुँ च गर्ा
था। कोलकाता हवश्वहवद्यालय मनहलाओों को निक्षा के नलए स्वीकार करिे वाला
पहला हवश्वहवद्यालय था। 1986 में निक्षा सोंबोंधी राष्ट्रीर् िीनत प्रत्येक राज्य को सामानजक
रूपरे खा के साथ निक्षा का पुिगयठि करिे का निणयर् नलर्ा था। स्वतन्त्रता प्रास्त्रि के पिात
सि 1947 से लेकर भारत सरकार पाठिाला में अनधक लड़नकर्ोों को प़ििे का मौका दे िे के
नलर्े, अनधक लड़नकर्ोों को पाठिाला में दास्त्रखला करिे के नलर्े और उिकी स्कूल में उपस्त्रथथनत
ब़िािे की कोनिि में अिेक र्ोजिाएुँ बिाए हैं जैसे नक नि:िुल्क पुस्तकें, दोपहर की भोजि
आनद।
सि् 1986 में राष्ट्रीर् निक्षा िीनत को पुिगयठि दे िे को सरकार िे फैसला नकर्ा। सरकार िे
राज्य नक उन्नती की नलर्े , लोकतोंत्र की नलर्े और मनहलाओों का स्त्रथथनत को सुधारिे की नलर्े
मनहलाओों को निक्षा दे िा ज़रूरी समझा था। भारत की स्वतों त्रता के बाद सि् 1947 में
नवश्वनवद्यालर् निक्षा आर्ोग को बिार्ा गर्ा। आर्ोग िे नसफाररि नकर्ा नक मनहलाओों नक
निक्षा में गुणवता में सु धार नलर्ा जाए। भारत सरकार िे तुरन्त ही मनहला साक्षारता की नलर्े
साक्षर भारत नमिि की िुरूआत नकर्ा था।
इस नमिि में मनहलाओों की अनिक्षा की दर को िीचे लािे की कोनिि की गई है । बुनिर्ादी
निक्षा उन्हें अनिवार्य है और अपिे स्वर्ों के जीवि और िरीर पर फैसला करिे का अनधकार
दे िे, बुनिर्ादी स्वास्थ्य, पोषण और पररवार निर्ोजि की समझ के साथ लड़नकर्ोों और मनहलाओों
को निक्षा प्रदाि हो रही है ।
लड़नकर्ोों और मनहलाओों की निक्षा गरीबी पर काबू पािे में एक महत्वपूणय कदम है । कुछ
पररवारोों का काम कर रहे पुरुष दु भाय ग्यपूणय दु घयटिाओों में नवकलाों ग हो जाते हैं । उस स्त्रथथनत में,
पररवार का पूरा बोझ पररवारोों की मनहलाओों पर नटका रहता है । मनहलाओों की ऐसी ज़रूरतोों
को पूरा करिे के नलए उन्हे निनक्षत नकर्ा जािा चानहए। वे नवनभन्न क्षेत्रोों में प्रवेि कर सकती
हैं । मनहलाएुँ निक्षकोों, डॉक्टरोों, वकीलोों और प्रिासक के रूप में काम कर रही हैं । निनक्षत
मनहलाएुँ अच्छी माुँ बि सकती हैं । मनहलाओों की निक्षा से दहे ज समस्या, बेरोज़गारी की
समस्या, आनद सामानजक िाों नत से जुड़े मामलोों को आसािी से हल नकर्ा जा सकता है ।
महिला हिक्षा की भूहमका
सोंस्कृत में र्ह उस्त्रि प्रनसद्ध है - ‘नास्तस्त हवद्यासमं चक्षुनात स्तस्त मातृ समोगुरु: इसका मतलब
र्ह है नक इस दु निर्ा में नवद्या के समाि क्षेत्र िहीों है और माता के समाि गुरु िहीों है ।’ र्ह
बात पूरी तरह सच है । बालक के नवकास पर प्रथम और सबसे अनधक प्रभाव उसकी माता
का ही पड़ता है । माता ही अपिे बच्चे को पाठ प़िाती है । बालक का र्ह प्रारों नभक ज्ञाि
पत्थर पर बिी अनमट लकीर के समाि जीवि का थथार्ी आधार बि जाता है । लेनकि आज
पूरे भारतवषय में इतिे असामानजक तत्व उभर आए हैं नजन्होोंिे माों -बहिोों का ररश्ता खत्म कर
नदर्ा है और जो भोग-नवलास की नजोंदगी जीिा अनधक उपर्ोगी समझिे लगे हैं । र्ही कारण
है नक कस्ोों से लेकर िहरोों की माों -बहिें असु रनक्षत हैं ।
असुरक्षा के कारण ही बलात्कार और सामूनहक बलात्कार जैसी अिेक घटिाओों के जाल में
फुँसकर मनहलाओों का जीवि िकय बि चुका है । वास्तव में कहा जाता है नक मनहलाओों की
निक्षा, नकसी भी पुरुष की निक्षा से कम महत्वपूणय िहीों है । समाज की िई रूपरे खा तैर्ार
करिे में मनहलाओों की निक्षा पुरुषोों से सौ गुिा अनधक उपर्ोगी है । इसनलए िी निक्षा के
नलए सरकार को प्रर्ासरत होिा चानहए। तभी अत्याचार जैसी घटिाओों पर काबू पार्ा जा
सकता है ।
भारत में महिला हिक्षा को प्रभाहवत करने वाले हनम्नहलस्तित कारण िै :
रूऩिवादी साों स्कृनतक िज़ररए के कारण लड़नकर्ोों को अक्सर पाठिाला जािे की अिुमनत िहीों
दी जाती है । इसका एक कारण गरीबी भी दे खा जा सकता है क्ोोंनक घर की आनथयक स्त्रथथनत
ठीक ि होिे के कारण भी माता-नपता अपिे सभी बच्चोों को निक्षा दे िे में असमथय होते हैं
नजसके कारण वे अपिे बच्चोों को स्कूल िहीों भेज पाते और लड़नकर्ोों को भी अपिे साथ
मजदू री पर ले जािा पड़ता है ।
 कुपोषण तथा भरपेट खािा ि नमलिा
 िाबानलक उम्र में र्ोि उत्पीड़ि
 माता नपता की ख़राब आनथयक स्त्रथथनत
 कई तरह की सामानजक पाबन्दी
 ऊुँची निक्षा हानसल करिे की अिुमनत िा होिा

महिला हिक्षा से िोने वाले लाभ


निक्षा प्राि करके आनथयक रूप से आत्मनिभयर होिे का अथय र्ह िहीों है नक िारी निनक्षत
होकर पुरुष को अपिा प्रनतद्वन्द्द्वी मािते हुए उसके सामिे ही मोचाय लेकर खड़ी हो जाए।
बस्त्रल्क वह आनथयक क्षेत्र में भी पुरुष के बराबर समािता का अनधकार प्राि करके उसके साथ
मैत्रीपूणय सम्बन्ध के समीकणय बिािे में सक्षम बिे। नजस प्रकार िरीर को भोजि की
आवश्यकता होती है , उसी प्रकार मािनसक नवकास के नलए निक्षा आवश्यक है । अगर िारी ही
निनक्षत िहीों होगी तो वह ि तो सफल गृनहणी बि सकेगी और ि कुिल माता। समाज में
बाल-अपराध ब़ििे का कारण बालक का मािनसक रूप से नवकनसत ि होिा है । अगर एक
माुँ ही अनिनक्षत होगी तो वह अपिे बच्चोों का सही मागयदियि करके उिका मािनसक नवकास
कैसे कर पाएगी और एक स्वथथ समाज का निमाय ण एवों नवकास सम्भव िहीों हो सकेगा। अतः
र्ह कहा जा सकता है नक निनक्षत िारी ही भनवष्य में निरािा एवों िोषण के अन्धकार से
निकलकर पररवार को सही राह नदखा सकती है । इसका एक रूप निक्षा में स्त्रिर्ोों को पुरुषोों
की ही तरह िानमल करिे से सोंबोंनधत है । दू सरे रूप में र्ह स्त्रिर्ोों के नलए बिाई गई नविेष
निक्षा पद्धनत को सोंदनभयत करता है । भारत में मध्य और पुिजाय गरण काल के दौराि स्त्रिर्ोों को
पुरुषोों से अलग तरह की निक्षा दे िे की धारणा नवकनसत हुई थी। वतयमाि दौर में र्ह बात
सवय मान्य है नक िी को भी उतिा निनक्षत होिा चानहर्े नजतिा नक पुरुष हो। र्ह नसद्ध सत्य
है नक र्नद माता निनक्षत ि होगी तो दे ि की सन्तािो का कदानप कल्याण िहीों हो सकता।
वततमान भारत में हिक्षा व्यवस्था
भारत हजारोों वषों तक दासता की बेनड़र्ोों में जकड़ा रहा। इसनलए ि हमारी निक्षा भारतीर्
सोंस्कृनत पर ही आधाररत रही और ि ही हमारी निक्षा का कोई राष्ट्रीर् उद्दे श्य रह सका। 15
अगस्त सि 1947 को हमारे र्हाुँ नवदे िी निर्ोंत्रण समाि हुआ। उसी नदि से भारत एक
सवयसत्ता लोकतोंत्रात्मक गणराज्य बि गर्ा है । ध्याि दे िे की बात है नक जितोंत्र की बागडोर
उि िागररकोों के हाथ में होती है जो आज के स्कूलोों में प़ि रहे हैं । दु सरे िब्ोों में जितोंत्र
की आत्मा निक्षा होती है । अत: हमारी जितों त्रीर् सरकार, निक्षािास्त्रिर्ोों दाियनिकोों तथा समाज
सुधारकोों िे निक्षा को भारतीर् सोंस्कृनत पर आधाररत करिे तथा िर्े जिताों नत्रक समाज को
सफल बिािे के नलए निक्षा के उनचत उद्दे श्योों के निमाय ण की आवश्यकता अिुभव की। अत:
भारत सरकार िे
 नवश्वनवधालर् निक्षा आर्ोग
 माध्यनमक निक्षा आर्ोग तथा
 कोठारी आर्ोग की निर्ुस्त्रि की।
इि आर्ोगोों िे समाज तथा व्यस्त्रि की आवश्यकताओों को दृनष्ट् में रखते हुए भारतीर् निक्षा के
निम्ननलस्त्रखत उद्दे श्योों को निधाय ररत नकर्ा है
(A) हवश्वहवद्यालय आयोग के अनुसार हिक्षा के उद्दे श्य
नवश्वनवद्यालर् आर्ोग िे भारतीर् निक्षा के अगनलस्त्रखत उद्दे श्य निधाय ररत नकर्े हैं –
 नववेक का नवस्तार करिा।
 िर्े ज्ञाि के नलए इच्छा जागृत करिा।
 जीवि का अथय समझिे के नलए प्रर्त्न करिा।
 व्यवसानर्क निक्षा की व्यवथथा करिा।
(B) माध्यहमक आयोग के अनुसार हिक्षा का उद्दे श्य
माध्यनमक निक्षा आर्ोग िे व्यस्त्रि तथा भारतीर् समाज की आवश्यकताओों को दृनष्ट् में रखते
हुए निक्षा के निम्नलस्त्रखत उद्दे श्य निधाय ररत नकर्े हैं -
 जिताों नत्रक िागररकता का नवकास
 कुिल जीवि-र्ापि कला की दीक्षा
 व्यवसानर्क कुिलता की उन्ननत
 व्यस्त्रित्व का नवकास
 िेतृत्व के नलए निक्षा
(C) कोठारी आयोग के अनुसार हिक्षा के उद्दे श्य
कोठारी कमीिि िे भारतीर् निक्षा के निम्ननलस्त्रखत उद्दे श्य निधाय ररत नकर्े हैं -
 उत्पादि में वृस्त्रद्ध करिा –
 सामानजक एवों राष्ट्रीर् एकता का नवकास
 जितोंत्र के सुद्ऱि बिािा-
 दे ि का आधुनिकीकरण करिा
 सामानजक, िैनतक तथा अध्यास्त्रत्मक मूल्योों का नवकास करिा
महिला हिक्षा की बेितरी के हलए हनम्नहलस्तित योजनाये भारत सरकार द्वारा चलाई जा
रिी िै:
 सवय निक्षा अनभर्ाि
 इों नदरा मनहला र्ोजिा
 बानलका सम्रनध र्ोजिा
 राष्ट्रीर् मनहला कोष
 मनहला सम्रनध र्ोजिा
 रोजगार तथा आमदिी हे तु प्रनिक्षण केंद्र
 मनहलाओ तथा लडनकर्ोों की प्रगनत के नलए नवनभन्न कार्यकमय
सवत हिक्षा अहभयान क्या िै - सवय निक्षा अनभर्ाि एक राष्ट्रीर् र्ोजिा है नजसे भारत सरकार
द्वारा चलार्ा जा रहा है इसका उद्दे श्य 8 साल तक 6 से 14 वषय के बच्चो को उतम निक्षा
दे िे का है पूवय प्रधािमोंत्री श्री अटल नबहारी बाजपेर्ी द्वारा िुरू की गई इस र्ोजिा का मुख्य
लक्ष्य है
 2002 तक दे ि के सभी नजलो में निक्षा को पहुचािा
 2003 तक सभी बच्चो का स्कूल में दास्त्रखला करवािा
 2007 तक सभी बच्चो की न्यूितम 5साल की निक्षा अनिवार्य करिा
 2010 तक सभी बच्चे अपिी 8 साल की निक्षा पूरी कर चुके हो इसको सुनिनित
करिा

संवैधाहनक अहधकार एवं आधार -


भारतीर् सोंनवधाि सभी भारतीर् मनहलाओों को समाि अनधकार (अिुच्छेद 14 राज्य द्वारा कोई
भेदभाव िही करिे (अिुच्छेद 15 अवसर की समािता (अिुच्छेद 16 समाि कार्य के नलए
समाि वेति (अिुच्छेद 39 घ)) की गारों टी दे ता है । इसके अलावा र्ह मनहलाओों एवों बच्चोों
के पक्ष में राज्य द्वारा नविेष प्रावधाि बिाए जािे की अिुमनत दे ता है (अिुच्छेद 15 मनहलाओों
की गररमा के नलए अपमािजिक प्रथाओों का पररत्याग करिे (अिुच्छेद 15 )ई) और साथ ही
काम की उनचत एवों मािवीर् पररस्त्रथथनतर्ाों सुरनक्षत करिे प्रसूनत सहार्ता के नलए राज्य द्वारा
प्रावधािोों को तैर्ार करिे की अिुमनत दे ता है (अिुच्छेद)।

समर् समर् पर मनहलाएों अपिी बेहतरीकरण हे तु सनिर्ता से आवाज उठाती रही हैं नजसकी
पदाय प्रथा नवधवा नववाह तीि तलाक हलाला व अन्य इसकी बािगी है । आज समूचा भारत हर
सोंभव तरीके से समाज की सभी बहि, बेनटर्ोों की नहफाजत चाहता है । एक कदम आगे
ब़िकर भारत सरकार िे सि् 2001 को मनहला सििीकरण वषय घोनषत नकर्ा था और
सििीकरण की राष्ट्रीर् िीनत भी सि 2001 में ही पाररत की थी।

ऐहतिासक स्वणातक्षर-

1 आजाद भारत में सरोनजिी िार्डू सोंर्ुि प्रदे ि की पहली मनहला राज्यपाल बिी।
2 सि् 1951 में डे क्कि एर्रवेज की प्रेम माथुर प्रथम भारतीर् मनहला व्यवसानर्क पार्लट
बिी।
3 सि् 1959 में अन्ना चाण्डी केरल उच्च न्यार्लर् की पहली मनहला जज बिी।
4 सि् 1963 में सुचेता कृपलािी पहली मनहला मुख्यमोंत्री (उत्तर प्रदे ि) बिी।
5 सि् 1966 में कमलादे वी चट्टोपाध्यार् को समुदार् िेतृत्व के नलए रे मि मैग्सेसे अवाडय
नदर्ा गर्ा।
6 सि् 1966 में इों नदरा गाों धी भारत की पहली मनहला प्रधािमोंत्री बिी।
7 वषय 1972 में नकरण वेदी भारतीर् पुनलस सेवा में भती होिे वाली पहली मनहला बिी.
8 वषय 1979 में मदर टे रेिा िोबेल िाों नत पुरस्कार पािे वाली पहली मनहला थी।
9 साल 1997 में कल्पिा चावला पहली मनहला अोंतररक्ष र्ात्री बिी।
10 वषय 2007 में प्रनतभा दे वी नसोंह पानटल की प्रथम मनहला राष्ट्रपनत बिीों।
11 साल 2009 में मीरा कुमार लोकसभा की पहली मनहला अध्यक्ष बिीों।
12 साल 2017 में निमयला सीतारमि पहली पूणयकानलक मनहला रक्षामोंत्री बिी

िैहक्षक आं कडा - समानजक सोंबलता हे तु बदलते भारत में मनहलाओों की साक्षरता दर


लगातार ब़िती जा रही है , परों तु पुरूष साक्षरता दर से अब भी कम ही है । लड़कोों की तुलिा
में बहुत कम लड़नकर्ाों ही स्कूल में दास्त्रखला लेतीों हैं और उिमें से कई बीच से ही अपिी
प़िाई छोड़ दे ती हैं । दू सरी तरफ िहरी भारत में र्ह आों कड़ा सोंतोषजिक है ।
लड़नकर्ाों निक्षा के मामले में लड़कोों के लगभग बराबर चल रही हैं । एक सबल राष्ट्र बिािे
के नलए मनहलाओों की निक्षा एवों उिकी सनिर् भागीदारी अनत आवश्यक है , इसनलए हम
सबको मनहला निक्षा पर नविेष ध्याि दे िा चानहए

श्रमिस्ति में भागीदारी - आम धारणा के नवपरीत मनहलाओों का एक बड़ा तबका कामकाजी


है । िहरी भारत में मनहला श्रनमकोों की एक बड़ी तादात मौजूद है । साफ्टवेर्र उद्योग में 30
फीसदी मनहला कमयचारी हैं । पाररश्रनमक एवों कार्यथथल के मामले में पु रूष सहकनमयर्ोों के साथ
बराबरी पर हैं । कृनष एवों सोंबोंनधत क्षेत्रोों में कुल मनहला श्रनमकोों को अनधकतम 89.50 फीसदी
रोजगार नदर्ा है । फोर्ब्य मैगजीि की सूची में जगह बिािे वाली दो भारतीर् मनहला लनलता
गुिे और कल्पिा मोरपाररर्ा भारत के दू सरे सबसे बड़े बैंक ICICI को सोंचानलत करती हैं ।

महिलाओं के हवरूद्ध अपराध - पुनलस ररकाडय को दे खें तो मनहलाओों के नवरूद्ध भारत में
एक बड़ा आकड़ा नमलता है , जो हम सबको नचोंति करिे पर मजबूर करता है । र्ौि उत्पीड़ि,
दहे ज प्रताड़िा, बाल नववाह, कन्या भ्रूण हत्या, गभयपात, मनहला तस्करी व अन्य उत्पीड़ि के
आकड़े नदि प्रनतनदि ब़िते हुए नदखाई दे रहे हैं । वषय 1997 में सवोच्य न्यार्ालर् िे यौन
उत्पीडन के स्त्रखलाफ एक नवस्तृत नदिा निदे ष जारी नकर्ा। एक ररपोटय के मुतानबक दु निर्ा भर
में होिे वाले बाल नववाहोों का 40 प्रनतित अकेले भारत में होता है । भ्रूण हत्या के मद्दे िजर
इस पर प्रनतबोंध लगािे का सराहिीर् कार्य भारत सरकार िे नकर्ा और घरे लू नहों सा पर
रोकथाम के नलए 26 अक्टू बर 2006 में मनहला सरक्षण एक्ट भी लार्ा। अभी हाल में ही 22
अगस्त 2017 में सवोच्य न्यार्ालर् की पाों च जजोों वाली बेंच िे तीि तलाक जैसी कुरीनतर्ोों पर
प्रनतबोंध लगाकर मुस्त्रिम समाज को एक िई नदिा प्रदाि की।

राज्य स्तर में महिला हिक्षा का अनुपात:

The data of Indian census 2011 covers Male and Female literacy
percentage as well. Here is a list on census of 2011 data of
India.

Rank State/ Union Total Male Female


Territory Literacy Literacy literacy Rate
Rate (%) Rate (%) (%)

1 Kerala 93.91 96.02 91.98

2 Lakshadweep 92.28 96.11 88.25

3 Mizoram 91.58 93.72 89.40

4 Tripura 87.75 92.18 83.15

5 Goa 87.40 92.81 81.84

6 Daman & Diu 87.07 91.48 79.59


7 Pondicherry 86.55 92.12 81.22

8 Chandigarh 86.43 90.54 81.38

9 Delhi 86.34 91.03 80.93

10 Andaman & 86.27 90.11 81.84


Nicobar

11 Himachal 83.78 90.83 76.60


Pradesh

12 Maharashtra 82.91 89.82 75.48

13 Sikkim 82.20 87.29 76.43

14 Tamil Nadu 80.33 86.81 73.86

15 Nagaland 79.85 83.29 76.89

16 Manipur 79.63 86.49 73.17

17 Uttarakhand 79.31 88.33 70.70

18 Gujarat 77.65 87.23 70.73

19 Dadra & 77.08 86.46 65.93


Nagar Haveli

20 West Bengal 76.68 82.67 71.16

21 Panjab 76.64 81.48 71.34

22 Haryana 76.60 85.38 66.77

23 Karnataka 75.48 82.85 68.13

24 Meghalaya 73.45 77.17 73.78

25 Odisha 73.45 82.40 64.36

26 Assam 73.18 78.81 67.27

27 Chhattishgar 71.04 81.45 60.59


h

28 Madhya 70.63 80.53 60.02


Pradesh
29 Uttar 69.72 79.24 59.26
Pradesh

30 Jammu & 68.74 78.26 58.01


Kashmir

31 Jharkhand 67.63 78.45 56.21

32 Andhra 67.04 75.56 59.74


Pradesh

33 Rajasthan 67.06 80.51 52.66

34 Arunachal 66.95 73.69 59.57


Pradesh

35 Telangana 66.05 - -

36 Bihar 63.82 73.39 53.33

चलो बदलाव करें (सुझाव)–

निष्कषय र्ह है नक मनहलाओों के बेहतरीकरण के नलए हम सबको अपिी कुस्त्रित एवों


रूऩिवादी मािनस कता से बाहर निकलिा होगा। उन्हें सम्माि के साथ-साथ निक्षा, व्यवसार्,
िौकरी व अन्य सभी थथािोों पर बराबरी दे िा होगा। गौरतलब है नक भारतीर् मनहलाओों िे राष्ट्र
की प्रगनत में अपिा अनधकानधक र्ोगदाि दे कर राष्ट्र को निखर पर पहुों चािे हे तु सदै व तत्पर
रही हैं । सच पूछो तो िारी िस्त्रि ही समानजक धुरी और हम सबकी वास्तनवक आधार हैं ।
मनहलाओों के उत्थाि के नलए सरकार द्वारा चलाई जा रही िीनतर्ोों में पूणय सहर्ोग दे कर
उसको पररणाम तक पहुों चािा होगा। र्ुगिार्क एवों राष्ट्र निमाय ता स्वामी नववेकािोंद जी िे कहा
था - " जो जानत िाररर्ोों का सम्माि करिा िहीों जािती, वह ि तो अतीत में उन्ननत कर
सकी, ि आगे उन्ननत कर सकेगी।" हमें भारतीर् सिाति सोंस्कृनत के "यत्र नायतस्तु पूज्यन्ते
रमन्ते तत्र दे वता" धारणा को साकार करते हुए मनहलाओों को आगे ब़ििें में सदै व सहर्ोग
करिा चानहए आज के समर् में भारत मनहला साक्षारता के मामले में लगातार प्रगनत कर रहा
है नहों दुस्ताि के इनतहास में बहादु र मनहलाओ का नजि नकर्ा गर्ा है मीराबाई, दु गाय वती,
अनहल्याबाई, लक्ष्मीबाई जैसी कुछ मिहुर मनहलाओ के साथ साथ वेदोों के समर् की मनहला
दियि िािी गागी, नवस्वाम्ब्रा, मैत्रीर् आनद का उदाहरि इनतहास के पन्नो में दजय है

र्े सब मनहलार्े प्रेरणा का स्रोत थी समाज और दे ि के नलए नदए गए उिके र्ोगदाि को


हम कभी िही भूल सकते है िहरी तथा ग्रामीण इलाको में मनहला निक्षा का स्तर काफी ब़ि
रहा है हालानक ग्रामीण थथािोों की मनहलाओ के लर्े अलग से नविेस र्ोजिार्े चलाई जा रही
है गावों में मनहलाओ को निनक्षत करिे के साथ साथ उिके नलए रोजगार सम्बन्धी अवसर भी
ब़िार्े जािे लगे है नजससे वे अच्छी आमदिी अनजय त कर अपिे पररवार का पालि पोषण कर
रही है
सन्दभत:

 जे सी अग्रवाल (1 January 2009). भारत में िारी निक्षा. प्रभात


प्रकािि. आई॰ऍस॰बी॰ऍि॰
 सुमि कृष्ण काों त (1 नसतम्बर 2001). इक्कीसवी ों सदी की ओर. राजकमल प्रकािि.
 डाुँ . जे. पी. नसोंह, (1 April 2016). आधुनिक भारत में सामानजक पररवतय ि.
आई॰ऍस॰बी॰ऍि॰
 आर . वी नसोंह , वीमेि एजुकेिि इि इों नडर्ा . श्री पस्त्रिससय
 सेन्सस 2011, चैप्टर 6 स्टे ट ऑफ़ नलटर े सी ( PDF), govt of India.

ऍम.नफल प्रथम वषय - समाज कार्य नवभाग, डॉ राम मिोहर लोनहर्ा नवश्वनवधालर्, अर्ोध्या

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