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भारतीय महिला एवम वर्तमान शिक्षा व्यवस्था
भारतीय महिला एवम वर्तमान शिक्षा व्यवस्था
Name:
Priya Verma
With 65.46% female literacy rate as per the 2011 census, women’s
education in India is still a point in question. It is still
below the world average of 79.7%. What makes the numbers so low
even today when we talk about women education in India?
प्रस्तावना:
भारत मे महिला और हिक्षा को अनिवार्य रूप से जोड़िे वाली अवधारणा है । इसका एक रूप
निक्षा में स्त्रिर्ोों को पुरुषोों की ही तरह िानमल करिे से सोंबोंनधत है । दू सरे रूप में र्ह स्त्रिर्ोों
के नलए बिाई गई नविेष निक्षा पद्धनत को सोंदनभयत करता है । भारत में मध्य और पुिजाय गरण
काल के दौराि स्त्रिर्ोों को पुरुषोों से अलग तरह की निक्षा दे िे की धारणा नवकनसत हुई थी।
वतयमाि दौर में र्ह बात सवयमान्य है नक िी को भी उतिा निनक्षत होिा चानहर्े नजतिा नक
पुरुष हो। र्ह नसद्ध सत्य है नक र्नद माता निनक्षत ि होगी तो दे ि की सन्तािो का कदानप
कल्याण िहीों हो सकता।
निक्षा वर्स्क जीवि के प्रनत स्त्रिर्ोों के नवकास के नलए एक आधार के रूप में नविेष रूप से
महत्वपूणय भूनमका निभाती है । निक्षा अन्य अनधकारोों को सुरनक्षत करिे के नलए लड़नकर्ोों और
मनहलाओों को सक्षम करिे में एक महत्वपूणय भूनमका निभाती है ।
आजाद भारत में मनहलाएों नदि-प्रनतनदि अपिी लगि, मेहित एवों सराहिीर् कार्ों द्वारा राष्ट्रीर्
पटल पर अपिी पहचाि बिािे में कामर्ाब हुई हैं । मौजूदा दौर में मनहलाएों िए भारत के
आगाज की अहम कड़ी नदख रही हैं । लोंबे अरसे के अथक पररश्रम के बाद आज भारतीर्
मनहलाएों समूचे नवश्व में अपिे पदनचन्ह छोड़ रही हैं । मुझे कहिे में कोई गुरेज िहीों है नक
पुरुष प्रधाि रूऩिवादी समाज में मनहलाएों निनित रूप से आगामी स्वनणय म भारत की िीोंव और
मजबूत करिे का हर सों भव प्रर्ास कर रहीों हैं , जो सचमुच कानबले तारीफ है । हाों , र्ह जरूर
है नक कुछ जगह अब भी मनहलाएों घर की चारदीवारी में कैद होकर रूऩिवादी परों पराओों का
बोझ ढो रही हैं । वजह भी साफ है , पुरूष प्रधाि समाज का महज सोंकुनचत मािनसकता में
बोंधे होिा।
भारत में वैनदक काल से ही स्त्रिर्ोों के नलए निक्षा का व्यापक प्रचार था। मुगल काल में भी
अिेक मनहला नवदु नषर्ोों का उल्लेख नमलता है ।
पुिजाय गरण के दौर में भारत में िी निक्षा को िए नसरे से महत्व नमलिे लगा। ईस्ट इं हिया
कंपनी के द्वार सि 1854 में िी निक्षा को स्वीकार नकर्ा गर्ा था। नवनभन्न सरकारी और गैर
सरकारी प्रर्ासोों के कारण साक्षरता के दर 0.2% से बदकर 6% तक पहुुँ च गर्ा
था। कोलकाता हवश्वहवद्यालय मनहलाओों को निक्षा के नलए स्वीकार करिे वाला
पहला हवश्वहवद्यालय था। 1986 में निक्षा सोंबोंधी राष्ट्रीर् िीनत प्रत्येक राज्य को सामानजक
रूपरे खा के साथ निक्षा का पुिगयठि करिे का निणयर् नलर्ा था। स्वतन्त्रता प्रास्त्रि के पिात
सि 1947 से लेकर भारत सरकार पाठिाला में अनधक लड़नकर्ोों को प़ििे का मौका दे िे के
नलर्े, अनधक लड़नकर्ोों को पाठिाला में दास्त्रखला करिे के नलर्े और उिकी स्कूल में उपस्त्रथथनत
ब़िािे की कोनिि में अिेक र्ोजिाएुँ बिाए हैं जैसे नक नि:िुल्क पुस्तकें, दोपहर की भोजि
आनद।
सि् 1986 में राष्ट्रीर् निक्षा िीनत को पुिगयठि दे िे को सरकार िे फैसला नकर्ा। सरकार िे
राज्य नक उन्नती की नलर्े , लोकतोंत्र की नलर्े और मनहलाओों का स्त्रथथनत को सुधारिे की नलर्े
मनहलाओों को निक्षा दे िा ज़रूरी समझा था। भारत की स्वतों त्रता के बाद सि् 1947 में
नवश्वनवद्यालर् निक्षा आर्ोग को बिार्ा गर्ा। आर्ोग िे नसफाररि नकर्ा नक मनहलाओों नक
निक्षा में गुणवता में सु धार नलर्ा जाए। भारत सरकार िे तुरन्त ही मनहला साक्षारता की नलर्े
साक्षर भारत नमिि की िुरूआत नकर्ा था।
इस नमिि में मनहलाओों की अनिक्षा की दर को िीचे लािे की कोनिि की गई है । बुनिर्ादी
निक्षा उन्हें अनिवार्य है और अपिे स्वर्ों के जीवि और िरीर पर फैसला करिे का अनधकार
दे िे, बुनिर्ादी स्वास्थ्य, पोषण और पररवार निर्ोजि की समझ के साथ लड़नकर्ोों और मनहलाओों
को निक्षा प्रदाि हो रही है ।
लड़नकर्ोों और मनहलाओों की निक्षा गरीबी पर काबू पािे में एक महत्वपूणय कदम है । कुछ
पररवारोों का काम कर रहे पुरुष दु भाय ग्यपूणय दु घयटिाओों में नवकलाों ग हो जाते हैं । उस स्त्रथथनत में,
पररवार का पूरा बोझ पररवारोों की मनहलाओों पर नटका रहता है । मनहलाओों की ऐसी ज़रूरतोों
को पूरा करिे के नलए उन्हे निनक्षत नकर्ा जािा चानहए। वे नवनभन्न क्षेत्रोों में प्रवेि कर सकती
हैं । मनहलाएुँ निक्षकोों, डॉक्टरोों, वकीलोों और प्रिासक के रूप में काम कर रही हैं । निनक्षत
मनहलाएुँ अच्छी माुँ बि सकती हैं । मनहलाओों की निक्षा से दहे ज समस्या, बेरोज़गारी की
समस्या, आनद सामानजक िाों नत से जुड़े मामलोों को आसािी से हल नकर्ा जा सकता है ।
महिला हिक्षा की भूहमका
सोंस्कृत में र्ह उस्त्रि प्रनसद्ध है - ‘नास्तस्त हवद्यासमं चक्षुनात स्तस्त मातृ समोगुरु: इसका मतलब
र्ह है नक इस दु निर्ा में नवद्या के समाि क्षेत्र िहीों है और माता के समाि गुरु िहीों है ।’ र्ह
बात पूरी तरह सच है । बालक के नवकास पर प्रथम और सबसे अनधक प्रभाव उसकी माता
का ही पड़ता है । माता ही अपिे बच्चे को पाठ प़िाती है । बालक का र्ह प्रारों नभक ज्ञाि
पत्थर पर बिी अनमट लकीर के समाि जीवि का थथार्ी आधार बि जाता है । लेनकि आज
पूरे भारतवषय में इतिे असामानजक तत्व उभर आए हैं नजन्होोंिे माों -बहिोों का ररश्ता खत्म कर
नदर्ा है और जो भोग-नवलास की नजोंदगी जीिा अनधक उपर्ोगी समझिे लगे हैं । र्ही कारण
है नक कस्ोों से लेकर िहरोों की माों -बहिें असु रनक्षत हैं ।
असुरक्षा के कारण ही बलात्कार और सामूनहक बलात्कार जैसी अिेक घटिाओों के जाल में
फुँसकर मनहलाओों का जीवि िकय बि चुका है । वास्तव में कहा जाता है नक मनहलाओों की
निक्षा, नकसी भी पुरुष की निक्षा से कम महत्वपूणय िहीों है । समाज की िई रूपरे खा तैर्ार
करिे में मनहलाओों की निक्षा पुरुषोों से सौ गुिा अनधक उपर्ोगी है । इसनलए िी निक्षा के
नलए सरकार को प्रर्ासरत होिा चानहए। तभी अत्याचार जैसी घटिाओों पर काबू पार्ा जा
सकता है ।
भारत में महिला हिक्षा को प्रभाहवत करने वाले हनम्नहलस्तित कारण िै :
रूऩिवादी साों स्कृनतक िज़ररए के कारण लड़नकर्ोों को अक्सर पाठिाला जािे की अिुमनत िहीों
दी जाती है । इसका एक कारण गरीबी भी दे खा जा सकता है क्ोोंनक घर की आनथयक स्त्रथथनत
ठीक ि होिे के कारण भी माता-नपता अपिे सभी बच्चोों को निक्षा दे िे में असमथय होते हैं
नजसके कारण वे अपिे बच्चोों को स्कूल िहीों भेज पाते और लड़नकर्ोों को भी अपिे साथ
मजदू री पर ले जािा पड़ता है ।
कुपोषण तथा भरपेट खािा ि नमलिा
िाबानलक उम्र में र्ोि उत्पीड़ि
माता नपता की ख़राब आनथयक स्त्रथथनत
कई तरह की सामानजक पाबन्दी
ऊुँची निक्षा हानसल करिे की अिुमनत िा होिा
समर् समर् पर मनहलाएों अपिी बेहतरीकरण हे तु सनिर्ता से आवाज उठाती रही हैं नजसकी
पदाय प्रथा नवधवा नववाह तीि तलाक हलाला व अन्य इसकी बािगी है । आज समूचा भारत हर
सोंभव तरीके से समाज की सभी बहि, बेनटर्ोों की नहफाजत चाहता है । एक कदम आगे
ब़िकर भारत सरकार िे सि् 2001 को मनहला सििीकरण वषय घोनषत नकर्ा था और
सििीकरण की राष्ट्रीर् िीनत भी सि 2001 में ही पाररत की थी।
ऐहतिासक स्वणातक्षर-
1 आजाद भारत में सरोनजिी िार्डू सोंर्ुि प्रदे ि की पहली मनहला राज्यपाल बिी।
2 सि् 1951 में डे क्कि एर्रवेज की प्रेम माथुर प्रथम भारतीर् मनहला व्यवसानर्क पार्लट
बिी।
3 सि् 1959 में अन्ना चाण्डी केरल उच्च न्यार्लर् की पहली मनहला जज बिी।
4 सि् 1963 में सुचेता कृपलािी पहली मनहला मुख्यमोंत्री (उत्तर प्रदे ि) बिी।
5 सि् 1966 में कमलादे वी चट्टोपाध्यार् को समुदार् िेतृत्व के नलए रे मि मैग्सेसे अवाडय
नदर्ा गर्ा।
6 सि् 1966 में इों नदरा गाों धी भारत की पहली मनहला प्रधािमोंत्री बिी।
7 वषय 1972 में नकरण वेदी भारतीर् पुनलस सेवा में भती होिे वाली पहली मनहला बिी.
8 वषय 1979 में मदर टे रेिा िोबेल िाों नत पुरस्कार पािे वाली पहली मनहला थी।
9 साल 1997 में कल्पिा चावला पहली मनहला अोंतररक्ष र्ात्री बिी।
10 वषय 2007 में प्रनतभा दे वी नसोंह पानटल की प्रथम मनहला राष्ट्रपनत बिीों।
11 साल 2009 में मीरा कुमार लोकसभा की पहली मनहला अध्यक्ष बिीों।
12 साल 2017 में निमयला सीतारमि पहली पूणयकानलक मनहला रक्षामोंत्री बिी
महिलाओं के हवरूद्ध अपराध - पुनलस ररकाडय को दे खें तो मनहलाओों के नवरूद्ध भारत में
एक बड़ा आकड़ा नमलता है , जो हम सबको नचोंति करिे पर मजबूर करता है । र्ौि उत्पीड़ि,
दहे ज प्रताड़िा, बाल नववाह, कन्या भ्रूण हत्या, गभयपात, मनहला तस्करी व अन्य उत्पीड़ि के
आकड़े नदि प्रनतनदि ब़िते हुए नदखाई दे रहे हैं । वषय 1997 में सवोच्य न्यार्ालर् िे यौन
उत्पीडन के स्त्रखलाफ एक नवस्तृत नदिा निदे ष जारी नकर्ा। एक ररपोटय के मुतानबक दु निर्ा भर
में होिे वाले बाल नववाहोों का 40 प्रनतित अकेले भारत में होता है । भ्रूण हत्या के मद्दे िजर
इस पर प्रनतबोंध लगािे का सराहिीर् कार्य भारत सरकार िे नकर्ा और घरे लू नहों सा पर
रोकथाम के नलए 26 अक्टू बर 2006 में मनहला सरक्षण एक्ट भी लार्ा। अभी हाल में ही 22
अगस्त 2017 में सवोच्य न्यार्ालर् की पाों च जजोों वाली बेंच िे तीि तलाक जैसी कुरीनतर्ोों पर
प्रनतबोंध लगाकर मुस्त्रिम समाज को एक िई नदिा प्रदाि की।
The data of Indian census 2011 covers Male and Female literacy
percentage as well. Here is a list on census of 2011 data of
India.
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ऍम.नफल प्रथम वषय - समाज कार्य नवभाग, डॉ राम मिोहर लोनहर्ा नवश्वनवधालर्, अर्ोध्या