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Electricity in Veda PDF
Electricity in Veda PDF
तावना
आज हम इ सव शता दी म जी रह ह । आज िव ान अपने चरम सीमा को
छू ने का य कर रहा है । पर तु इससे पहले यह जानना अ याव यक है क इन
सभी िव ान का मूल आधार या है ? इसका उ र है हमारे वेद और शा ।
उप म
आजकल हम िजस िव ुत से प रिचत है उसका आिव कार वै दक काल म ही हो
गया था । पर दुभा यवश हम उस तकनीक को समझ नह पाये और उसके
अभाव म जीिवत रहने लगे । पर अब हम इस बात पर गव होन चिहए क
िव ुत का आिव कार भारत म ही आ था तथा हम उस काल के िव ुत
उ पादन क तकनीक को पुनः समझना चािहए ।
फर इनम का िन पण करते ह –
“भौम द ौदायाकरजभेदात् ।”
सा िचि िभ न िह चकार म य
िव ुद ् भव ती ित वि मौहत ॥”
िव ुत का उ पादन
वेद म कई थान म िव ुत का उ लेख है । ऋ वेद म िव ुत के उ पादन के बारे
म ब त कहा गया है । ऋ वेद के थम म डल के तेईसव सू के बारहव म म
कह रह ह -
(ऋ वेद. १-२३-१२)
इस म का अथ है क कािशत ए िव ुत से उ प म ीर हमारी र ा कर ।
यहाँ ‘िव ुत से उ प ’ इ या द वा य से यह तीत होता है क ‘म त’ मेघ या
वृि क धाराय ह । पर तु इसपर य द सू म दृि डाल तो यह पता चलता है क
िव ुत का उ पादन जल से हो रहा है । आकाश म िव ुत के आगमन के बाद वृि
के आगमन का उ लेख यहाँ कया गया है । पर तु वृि पात से पहले मेघ ही जल
को धारण करता है और मेघ के घषण से ही िव ुत उ प होत है । अतः
जल भाव से ही िव ुत आकाश म उ पा दत कया जाता है ।
इसक पुि अि म म म कर रह ह –
अ त र के जल म अि का ज म िव ुत के प म होता है इस बात क
पुि ऋ वेद क अ येक म से होती है ।
(ऋ वेद. ७-३३-१०)
(ऋ वेद. ९-४१-३)
वाहन म िव ुत का योग :
“रोदसी आ वदता गणि यो नृषाचः शूराः शवसािहम यवः ।
(ऋ वेद. ५-५४-११)
िव ुत अ का वणन :
(ऋ वेद. १-७५-२)
(ऋ वेद. ५-५२-६)
अ येक म म कह रह ह –
(ऋ वेद. ८-७-२५)
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