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MD de 11
MD de 11
कैंसर ने सिखाई
एक्सपर्ट्स पैनल
क्या है कैंसर
डॉ. ललित कुमार
प्रफेसर व हेड,
डॉ. अंशमु ान कुमार
डायरेक्टर, सर्जिकल
डॉ. जी. बी. शर्मा डॉ. सुरेंद्र के. डबास डॉ. अभिषेक बंसल
सीनियर कंसल्टंट, डायरेक्टर, सर्जिकल कंसल्टंट, इंटरवेंशनल
वर्ल्ड
हमारे शरीर के सभी अंग सेल (कोशिकाओं) से बने होते
हैं। ये सेल्स लगातार डिवाइड होते रहते हैं लेकिन कई बार
ये बेकाबू होकर बंटने लगते हैं तो शरीर में गांठ (ट्यूमर) सेहत और रिश्तों
मेडिकल ऑन्कोलजी,
एम्स
ऑन्कोलजी, धर्मशिला मेडिकल ऑन्कोलजी, ऑन्कोलजी, बी. एल. रेडियॉलजी, राजीव
कैंसर हॉस्पिटल ऐक्शन कैंसर हॉस्पिटल कपूर हॉस्पिटल गांधी कैंसर हॉस्पिटल कैंसर डे (4 फरवरी)
बन जाती है। यह गांठ 2 तरह की हो सकती है: बिनाइन और
मैलिग्नेंट। बिनाइन गाठ खतरनाक नहीं होती, जबकि मैलिग्नेंट
गांठ कैंसर में बदल जाती है। की कद्रः मनीषा
कैंसर का नाम पहले कभी-कभी सुनने को मिलता था, लेकिन अब बहुतों को यह कभी जिस लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे खिलता गुलाब...
अपने शिकंजे में ले रहा है। हालांकि अच्छी बात यह है कि अब इलाज पहले से
कल
किस डॉक्टर को दिखाएं आज वही 'लड़की' मनीषा कोइराला (48 साल) कैंसर जैसी बीमारी
को मात देकर ज्यादा बिंदास अंदाज से ज़िंदगी जी रही है। बॉलिवुड
शुरुआती जांच के लिए फैमिली डॉक्टर के पास भी जा सकते हैं लेकिन
ज्यादा सटीक, आसान और सस्ता हो गया है। एक्सपर्ट्स से बात करके कैंसर कैंसर का इलाज उसी डॉक्टर से कराएं, जिसके पास डीएम ऑन्कोलजी की कामयाब हिरोइनों में शुमार मनीषा को सन 2012 में ओवेरियन
से बचाव और सही इलाज के बारे में जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह (जो एमडी के आगे की डिग्री है) या एम. सीएच. सर्जिकल ऑन्कोलजी कैंसर का पता चला था। 6 महीने तक मजबूत इच्छाशक्ति के दम
(जोकि एमएस से आगे की डिग्री है) की डिग्री हो। पर मनीषा ने कैंसर से जिंदगी की जंग जीत ली। इसी जंग के बारे में
बीमारी का इलाज
राजेश मित्तल ने मनीषा कोइराला से जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में
बात की। पेश हैं बातचीत के खास हिस्से:
यह वाली बीमारी हो जाए तो इससे निपटने
का सही तरीका क्या है?
है मुमकिन
कैंसर हो या कोई दूसरी बीमारी, जरूरी है
कि इसके बारे में आप खुद सबकुछ जानें।
मैंने ऐसा ही किया था। मुझे आखिरी स्टेज का
कैंसर था। जानती थी कि सर्जरी के दौरान मेरी मौत
भी हो सकती है, लेकिन मैंने सोचा कि मरना तो
है ही, कोशिश करने में क्या हर्ज है! गूगल की मदद
से इसकी सर्जरी के बेस्ट डॉक्टर की खोज की। इस
बीमारी के बारे में ढेर सारे लेख पढ़े। मुझे इसका बहुत
फायदा मिला। अपने इलाज के बारे में सही फैसले ले पाई।
जब डॉक्टर अपना काम कर चुके होते हैं तो
फिर खुद आपको अपने लिए काम करना
पड़ता है। इस दौरान दिमागी संतल ु न
बनाए रखें। खुद की सेहत सुधारने के
लिए जो भी कोशिश कर सकते
हैं, करें। सबसे अहम बात है जब थीं ईलू-ईलू गर्ल
खुद में हौसला बनाए रखना
और डॉक्टर की हर बात पर अमल करना। बीमारी हो जाए तो हमें यह कबूल
लिक्विड बायोप्सी: अगर कैंसर सेल ब्लड में आ रहे हैं तो लिक्विड बायोप्सी
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सुख हो या दुख, ज़िंदगी के हर पहलू का लुत्फ उठाती हू।ं ज़िंदगी फूलों
की सेज नहीं होती। हर किसी की ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं। हमें याद
रखना चाहिए कि आज बुरा वक्त है तो कल अच्छा वक्त भी आएगा।