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बहुत सारे क्षुद्र देवी देवता से घघरे रहते हैं .

और जो हमेशा से हमारे द्वारा ककये जाने वाले मंत्र जप को


हमसे छीनते जाते हैं , तो तीन बार सीधे हााँथ की हथेली को घसर के चारो ओर चक्कर लगाये / घसर के
चारो तरफ वृत्ताकार में घुमाये , आसे पहले यह देख ले की ककस नाघसका द्वारा हमारा स्वर चल रहा हैं
, यकद सीधे हााँथ की और वाला स्वर चल रहा हैं तब ताली बजाते समय उलटे हााँथ को नीचे रख
कर सीधे हााँथ से ताली बजाये . ओर यकद नाघसका स्वर उलटे हाथ की और/ लेफ्ट साआड का चल
रहा हैं तो सीधे हााँथ की हथेली को नीचे रख कर उलटे/लेफ्ट हााँथ से ताली उस पर बजाये .) आस
तरीके से करने पर हमारा मन्त्त्र जप सुरघक्षत रहा हैं ,सभी साधको को आस तथ्य ओर चौयय न्त्यास पर
तो ध्यान देना ही चाघहए ही

कर न्त्यास :
आस कर न्त्यास की प्रकिया को समझने से पहले हमें यह समझना हो गा की हम भारतीय ककस तरीके से
नमस्कार करते हैं आसमें हमारे दोनों हााँथ की हथेली अपस में जुडी रहती हैं साथ घह साथ दोनों हांथो
की हर ऄंगुली ,ठीक ऄपने कमांक की दुसरे हााँथ ऄंगुली से जुडी होतीहैं
ठीक आसी तरह से यह न्त्यास की प्रकिया भी....
यहााँ पर हमें जो प्रककयाय करना हैं वह कम से धीरे धीरे एक पूणय नमस्कार तक जाना हैं .
मेरा तात्पयय ये हैं की जव् अप पहली लाआन के मन्त्त्र का उच्चारण करेंगे तब के बल दोनों हांथो के ऄंगूठे
को अपस में जोड़ देंगे , जब तजयनीभ्याम वाली लाआन का उच्चारण हो गा तब दोनों हांथी की
तजयनी ऄंगुली को अपस में जोड़ ले (यहााँ पर ध्यान रखे की ऄभी भी दोनों ऄंगूठे के ऄंघतम घसरे अपस
में जुड़े ही रहेंगे , आसके बाद मध्यमाभ्यम वाली लाआन के दौरान हम दोनों हांथो की मध्यमा ऄंगुली
को जोड़ दे , पर यहा भी पहले जुडी हुए ऄंगुली ऄभी भी जुडी ही रहेंगी. .. आसी तरह से अगे की
लाआन के बारे में िमशः करते जाये , ओर ऄंत में करतल कर वाली लाआन के समय एक हााँथ की
हथेली की पृष्ठ भाग को दुसरे हााँथ से स्पशय करे ओर कफर दूसरी हााँथ के घलए भी यही प्रककयाय करे .

 ॎ ऄंगुष्ठ भ्याम नमः ---- दोनों ऄंगूठो के ऄंघतम घसरे को अपस में स्पशय कराये .
 परम तत्वाय तजयनी भ्याम नमः ----
दोनों तजयनी ऄंगुली के ऄंघतम घसरे को अपस में घमलाये (यहााँ पर ऄंगूठे घमले ही रहेंगे ),
 नारायणाय मध्यमाभ्याम नमः ---
दोनों मध्यमा ऄंगुली के ऄंघतम घसरे को अपस में घमलाये (यहााँ पर ऄंगूठे, तजयनी घमले
ही रहेंगे ),
 गुरुभ्यो ऄनाघमकाभ्याम नमः ----
दोनों ऄनाघमका ऄंगुली के ऄंघतम घसरे को अपस में घमलाये (यहााँ पर ऄंगूठे, तजयनी, मध्य
मा घमले हीरहेंगे ),
 नमः कघनघष्ठकाभ्याम नमः ---
दोनों कघनघष्ठका ऄंगुली के ऄंघतम घसरे को अपस में घमलाये (यहााँ पर ऄंगूठे, तजयनी, मध्य
मा, ऄनाघमकाघमले ही रहेंगे ),
 ॎ करतल कर प्रष्टाभ्याम नमः ---
दोनों हांथो की हथेली के घपछले भाग को दूसरी हथेली से स्पशय करे.

ऄब अप समझ गए होंगे की सही तरीका आन दोनों न्त्यास को करने का क्या तरीका हैं . (हम यह
जानते हैं अप मेंसे ऄघधकांस आन दोनों न्त्यास करने की प्रकिया से ऄवगत होंगे हो , कफर भी नए
गुरु भाआयों / बघहनों को दृष्टी गत रखते हुए यह पोस्ट हैं...)हम सभी उस रस्ते पर
अगे वाढते जाये घजस पथ पर सदगुरु का अशीवायद सदैव हैं ओर

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