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क्लासिक झरोका -2
क्लासिक झरोका -2
ɓђąşķąŗ
ąɱŗųţwąŗ
इसापू
व ५००० से
इसापू
व १००० तक का कालखं
ड , यह ' वै
दक सं
गीत ' का माना जाता है
I
वे
दकाल म धा मक काय / वधीय का बडा चलन था I य के
समय ऋषीमु नी गण , दे
वी दे
वता का तु
तीगान
( तोमगान ) कया करते
थे
, जो का पं य म ब द आ करता था | उन का पं य को 'ऋचा ' कहाँजाता |
चार वे
द म ऋचाएं
र च गयी थी | मगर, उनम स ' सामवे
द ' को सं
गीत का मू
लाधार माना जाता है
|
वे
द म सेपहला वे
द ' ऋ वे
द ' था, जनम (१ ) उदा (२ ) अनु
दा (३ ) व रत ; इन तीन वर का उ ले
ख मलता है
I
सामवे
द केकाल तक ये तीन वर का वकसन होकर, स तसू र बन गए |
२ ) अनु
दा = ऋषभ, धै
वत, एवं
३ ) व रत = षड्
ज, म यम, पं
चम I
इस तरह *ऋ वे
द म के
तीन वर के ारा , सामवे
द म - सात सु
र का नमाण आ |*
यही स त सु
र का सं
सार, आजतक मानवी मन को रझाते
आ रहा है
|
( इस झरोके
केमा यम से
हम, सं
गीत के
कुछ रोचक त य पर नजर डालगे
I)