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180779292 रमल से जानें अपने अभीष ट प रश नों का हल
180779292 रमल से जानें अपने अभीष ट प रश नों का हल
१॰
२ कब्जुर ३॰ कब्जुर ४॰ जभात
रह्मान
(दाखखर) (खारयज़) (साबफत)
(खारयज)
१० १२॰
९॰ फमाज ११॰ नस्रर
ु
नस्रुर अतवे
(साबफत) (दाखखर)
(खारयज़) (खारयज)
१४॰ १६॰
१३॰ नकी १५इज्जतभा
अवते तयीक
(भुॊकमरफ) (साबफत)
(दाखखर) (भुॊकमरफ)
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स्थानमत्व है ।
१६॰ तयीक (भुॊकमरफ)-दाम्ऩत्म जीवन उताय-चढावऩूर्व होगा।
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१४॰ अवते (दाखखर)-वववाह िीघ्र तथा अवश्म होगा एवॊ दाम्ऩत्म जीवन
सुखभम यहे गा।
१५॰ इज्जतभा (साबफत)-वववाह भें अबी ववरम्फ है ।
१६॰ तयीक (भॊक
ु मरफ)-अनेक वववाह प्रस्तावों के आने के फाद वववाह तम
होगा।
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अभक
ु व्मण्क्त भझ
ु से प्रेभ कयता है मा नहीॊ?
१॰ रह्मान (खारयज)-प्रेभ कभ कयता है ।
२॰ कब्जुर (दाखखर)-फहुत प्रेभ कयता है ।
३॰ कब्जरु (खारयज़)-प्रेभ ददखावा है ।
४॰ जभात (साबफत)-फहुत सभम के फाद प्रेभ कये गा।
५॰ पयहा (भुॊकमरफ)-प्रेभ स्थामी नहीॊ है ।
६॰ उ़रा (भुॊकमरफ)-प्रेभ ददखावा है ।
७॰ अॊकीस (दाखखर)-नहीॊ कयता है ।
८॰ हुभया (साबफत)-फहुत सभम के फाद प्रेभ कये गा।
९॰ फमाज (साबफत)-फहुत सभम के फाद प्रेभ कये गा।
१०॰ नस्रर
ु (खारयज़)-प्रेभ कभ कयता है ।
११॰ नस्रर
ु (दाखखर)-फहुत प्रेभ कयता है ।
१२॰ अतवे (खारयज)-प्रेभ ददखावा है ।
१३॰ नकी (भुॊकमरफ)-नहीॊ कयता है ।
१४॰ अवते (दाखखर)-फहुत प्रेभ कयता है ।
१५॰ इज्जतभा (साबफत)-फहुत सभम के फाद प्रेभ कये गा।
१६॰ तयीक (भुॊकमरफ)-प्रेभ स्थामी नहीॊ है ।
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६॰ उ़रा (भॊक
ु मरफ)-वाऩस नहीॊ मभरेगा।
७॰ अॊकीस (दाखखर)-वाऩस कुछ भारा भें ही मभरेगा।
८॰ हुभया (साबफत)-वाऩस कुछ भारा भें ही मभरेगा।
९॰ फमाज (साबफत)-वाऩस िीघ्र मभरेगा।
१०॰ नस्रर
ु (खारयज़)-वाऩस नहीॊ मभरेगा।
११॰ नस्रर
ु (दाखखर)-वाऩस िीघ्र मभरेगा।
१२॰ अतवे (खारयज)-चोय से बी दयू जा चुका है ।
१३॰ नकी (भॊक
ु मरफ)-वाऩस कुछ भारा भें ही मभरेगा।
१४॰ अवते (दाखखर)-वाऩस िीघ्र मभरेगा।
१५॰ इज्जतभा (साबफत)-वाऩस िीघ्र मभरेगा।
१६॰ तयीक (भुॊकमरफ)-वाऩस कुछ भारा भें ही मभरेगा।
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अभक
ु कैदी छूटे गा मा नहीॊ?
१॰ रह्मान (खारयज)-कैदी फन्त्धन से भुक्त हो जामेगा।
२॰ कब्जुर (दाखखर)-कैदी भुक्त नहीॊ होगा।
३॰ कब्जुर (खारयज़)-कैदी फन्त्धन से भुक्त हो जामेगा।
४॰ जभात (साबफत)-कापी सभम तक फॊधन भें कष्ट बोगने के फाद
छूटे गा।
५॰ पयहा (भुॊकमरफ)-कैदी फॊधन भें अत्मधधक कष्ट बोगेगा तथा अधधक
ववरम्फ से छूटने की सम्बावना है ।
६॰ उ़रा (भुॊकमरफ)-कैदी फॊधन भें अत्मधधक कष्ट बोगेगा तथा अधधक
ववरम्फ से छूटने की सम्बावना है ।
७॰ अॊकीस (दाखखर)-कैदी भुक्त नहीॊ होगा।
८॰ हुभया (साबफत)-कापी सभम तक फॊधन भें कष्ट बोगने के फाद
छूटे गा।
९॰ फमाज (साबफत)-कापी सभम तक फॊधन भें कष्ट बोगने के फाद
छूटे गा।
१०॰ नस्रर
ु (खारयज़)-कैदी फन्त्धन से भक्
ु त हो जामेगा।
११॰ नस्रर
ु (दाखखर)-कैदी भुक्त नहीॊ होगा।
१२॰ अतवे (खारयज)-कैदी फन्त्धन से भुक्त हो जामेगा।
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भक
ु दभे भें हाय होगी मा जीत?
१॰ रह्मान (खारयज)-जीत अवश्म होगी।
२॰ कब्जुर (दाखखर)-जीत अवश्म होगी।
३॰ कब्जर
ु (खारयज़)-ववयोधी ऩऺ प्रफर है ।
४॰ जभात (साबफत)-ववयोधी से सभझौता कयना होगा।
५॰ पयहा (भुॊकमरफ)-जीत अवश्म होगी।
६॰ उ़रा (भुॊकमरफ)-ववयोधी ऩऺ प्रफर है ।
७॰ अॊकीस (दाखखर)-ववयोधी ऩऺ प्रफर है ।
८॰ हुभया (साबफत)-ववयोधी ऩऺ प्रफर है । जीत नहीॊ होगी।
९॰ फमाज (साबफत)-जीत अवश्म होगी।
१०॰ नस्रर
ु (खारयज़)-जीत अवश्म होगी।
११॰ नस्रर
ु (दाखखर)-जीत अवश्म होगी।
१२॰ अतवे (खारयज)-ववयोधी ऩऺ प्रफर है ।
१३॰ नकी (भुॊकमरफ)-ववयोधी ऩऺ प्रफर है ।
१४॰ अवते (दाखखर)-जीत अवश्म होगी।
१५॰ इज्जतभा (साबफत)-ववयोधी से सभझौता होगा।
१६॰ तयीक (भुॊकमरफ)-जीत अवश्म होगी।
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अॊक िकुनावरी कोष्ठक से उत्तय जानने से ऩूवव िुद्ध एवॊ ऩववर होकय
अऩने इष्ट दे व का स्भयर् कयने के उऩयान्त्त अॊक िकुनावरी के ककसी
एक कोष्ठक ऩय अऩनी अॊगुरी अथवा िराका यखें । कोष्ठक भें अॊककत
सॊख्मा के अनुसाय अऩने अबीष्ट प्रश्न का हर नीचे ददमे गमे अॊकों से
जानने का प्रमास कयें ।
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सख
ु है । एक सभम अकस्भात ् राब मभरेगा।
३११॰ मह सवार फहुत ही गयभ है । ण्जस कामव का ववचाय ककमा है , वह
ऩूर्व होगा। भुकदभा जीत जाओगे, व्माऩाय योजगाय भें राब होगा। कीनतव
फढे गी, याज्म की तयप से राब होगा। धभव के प्रबाव से सख
ु मभरा है
तथा बववष्म भें बी मभरेगा। दस
ू यों के कामव ऩरयश्रभ से ऩयू ा कयते हो,
ककन्त्तु अिुब कभव उददत होने से अऩने कभव भें उदासीन यहते हो, ववदे ि
मारा होगी औय वहाॉ राब होगा। धभव ऩय श्रद्धा यखो ण्जससे सॊकट दयू
हों। अऩने हाथ से रक्ष्भी प्राप्त कयोगे।
३१२॰ जो कामव ववचाया है उसे छोड़कय कोई दस
ू या काभ कयो अन्त्मथा िरु
रोग ववघ्न डारेंगे, दौरत की खयाफी होगी, घय के भनुष्मों तथा ऩिुओॊ
ऩय सॊकट आएगा, इसमरए ववचाये हुए कामव को छोड़ दे ना ही उधचत है ।
धभव के प्रबाव से सफ कामव सपर होते हैं। ननयाधश्रतों को आश्रम दो तथा
दे वाधधदे व का स्भयर् कयो ण्जससे सुखी होंगे।
३१३॰ मह प्रश्न अच्छा है । धन तथा स्री से सहमोग एवॊ सुख मभरेगा।
सॊतान से सुख मभरेगा। सॊतान होगी, वप्रमजन का मभराऩ होगा। अभक
ु
भुद्दत की धायी हुई धायर्ा सपर होगी। धचन्त्ता के ददन अफ दयू हुए हैं।
दे व गुरु तथा धभव की सेवा कयो। दश्ु भन रोग सताते हैं, ककन्त्तु अफ
तुम्हाया प्रायब्ध फरवान ् फना है ण्जससे इन रोगों का जोय नहीॊ चरेगा।
जभीन से राब होगा। कीनतव के मरए खचव अधधक कयना ऩड़ता है । मभरों
से राब होगा।
३२१॰ जभीन, भकान अथवा फाग-फगीचे से राब होगा। धन प्राप्त कयोगे ,
स्नेही जन से मभराऩ होगा। ककसी बी भनष्ु म के साथ मभरता होगी औय
उसके द्वाया धनादद की प्राण्प्त होगी। ऩुडम के उदम से इच्छाएॉ ऩयीऩूर्व
होगी। धभव का आयाधन कयो। दश्ु भन रोग ऩग-ऩग ऩय तैमाय यहें गे,
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ककन्त्तु सन्त्भख
ु होने से उनका जोय नहीॊ चरेगा। अऩनी िण्क्त के
अनुसाय खचव कयो। भकान फनाने के भनोयथ परीबूत होंगे। धन ऩैदा
कयते हो, ककन्त्तु खचव अधधक होने से इकट्ठा नहीॊ होता है , वऩता से धन
थोड़ा मभरेगा। स्री की तयप से राब होगा। वद्ध
ृ ावस्था भें धभव के कामव
फन सकते हैं।
३२२॰ जो कामव आऩने भन भें ववचाया है , उसभे िरु रोग ववघ्न डारें गे,
ऩरयर्ाभ अच्छा नहीॊ। याज्म की तयप से नायाजगी होगी मदद सुखी होना
चाहते हो, तो ववचाया हुआ कामव छोड़कय दस
ू या कामव कयो, तम्
ु हाये सहमोगी
फदर गए हैं, उनका ववश्वास भत कयना। बजन-ऩूजन, व्रत-ननमभ भें
ध्मान दो।
३२३॰ ण्जस कामव का भन भें ववचाय ककमा है , उसभें राब होगा, इच्छा ऩूर्व
होगी, स्नेही का मभराऩ होगा, जो जो धचन्त्ताएॉ उऩण्स्थत हुई हैं, वे सफ दयू
होंगी। धभव के कामव फन सकेंगे। फहुत ददनों से ऩयदे ि भें द्ु ख प्राप्त
ककमा है , ककन्त्तु अफ द्ु ख के ददन गए। तीथवमारा होगी। अफ दे ि भें
जाकय आनन्त्द प्राप्त कयोगे। धभव के कामों भें रक्ष्म यखो, ण्जससे सफ
सुख प्राप्त कयोगे।
३३१॰ तुम्हाये भन की धचन्त्ता मभटे गी। फीभायी की परयमाद दयू होगी। भन
की धायर्ा ऩूर्व होगी। थोड़े ददनों भें ही धन की प्राण्प्त होगी। स्नेही का
मभराऩ होगा। धभव-कभव भें ऩैसा खचव कयो, ण्जससे ऩरयर्ाभ भें पामदा
होगा। अच्छे ददन आए हैं, ऩाऩकभव से इतने ददन द्ु ख प्राप्त ककमा है ,
ऩयन्त्तु अफ वे फीत गए हैं।
३३२॰ फयु े ददन गए अफ अच्छे ददन आए हैं। जभीन तथा धन-दौरत भें
जो हानन हुई है, वह मभट जाएगी तथा बववष्म भें राब होगा। ऩयभेश्वय
का ध्मान कयो। हृदम िुद्ध है , ण्जससे भन की धचन्त्ता जल्दी दयू होगी।
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स्वय ववऻान
स्वय ववऻान
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“चन्त्द्र स्वय”।
स्वय का सम्फन्त्ध नाडड़मों से है । मद्मवऩ ियीय भें ७२,००० नाडड़माॉ हैं
तथावऩ इनभें से २४ प्रधान है औय इन २४ भें से १० अनत प्रधान तथा
इन १० भें से बी ३ नाडड़माॉ अनतिम प्रधान भानी गई है , ण्जनके नाभ
इड़ा, वऩॊगरा तथा सर्
ु म्र्ा है ।
ियीय भें भेरु-दडड के दक्षऺर् (दादहने) ददिा की तयप वऩॊगरा (सूम)व
नाड़ी, वाभ (फाॉईं) तयप इड़ा (चन्त्द्र) नाड़ी तथा दोनों के भध्म सुर्म्र्ा
नाड़ी है । सर्
ु म्र्ा नाड़ी के प्रकाि से दोनों नथन
ु ों से स्वय चरता है ।
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जफ एक स्वय को फदर कय दस
ू या स्वय आ यहा हो, तो उस सभम “स्वय-
सॊक्राण्न्त्त” होती है । ण्जतने सभम दोनों स्वय चरें , वह सभम “ववर्ुवत ्-
कार” कहराता है ।
स्वयों की अवस्था
जफ श्वास फाहय ननकर यही हो, तो स्वय की ननगर्
ुव अवस्था होती है औय
स्वय को ननगर्
ुव स्वय कहा जाता है । जफ श्वास नामसका के बीतय जा यही
हो, उस सभम स्वय की सगुर् अवस्था होती है तथा स्वय को सगुर् स्वय
कहते हैं। जो स्वय चर यहा हो, उसे उददत स्वय कहा जाता है औय फन्त्द
स्वय को अस्त स्वय कहते हैं। इन्त्हें क्रभि् ऩूर्व तथा रयक्त स्वय बी कहते
हैं।
स्वय सगुर् औय उददत हो, तो कामव मसद्ध हो। इसके ववऩयीत हो, तो कामव
की हानन होती है ।
दादहने स्वय (सूम-व स्वय, वऩॊगरा नाड़ी)- इस श्वास के चरते क्रूय कभव, चय
कामव, उग्र कभव, अस्र-िस्र-अभ्मास, िास्राभ्मास, स्री के साथ सॊसगव
(सम्बोग), मन्त्र-तन्त्र-ननभावर्, याज-ऩुरुर्-दिवन, मुद्ध (वाद-वववाद मा
भुकदभा-न्त्मामारम), स्नान एवॊ िौच, नदी/सभुद्र ऩाय की मारा,
धचककत्सकीम कामव, ववधायम्ब, वाहन खयीदना, वाहन ऩय चढना,
ऩववतायोहर्, नौकायोहर्, तैयाकी, भद्म-ऩान, द्मत
ू -क्रीड़ा, मिकाय, उग्र भन्त्र-
साधना, मोगाभ्मास, अध्ममन, बोजन, िमन, िेमय इत्मादद खयीदना,
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भिीनयी, गह
ृ ोऩमोगी साभान खयीदना, क्रम, ववक्रम, नमा फही-खाता मरखना-
मरखवाना, ऩर-रेखन, ईंट-ऩत्थय, रकड़ी औय यत्न आदद का काटना-छाॉटना,
िरु के घय जाना, नौकयी जैसे कामव सदै व मसद्ध होते हैं।
दादहने स्वय से सम्फण्न्त्धत भहत्त्वऩर्
ू व कामों को मदद कृष्र्-ऩऺ भें यवव,
भॊगर मा िननवाय को दादहने स्वय के उदम के सभम ककमा जाए, तो
सपरता मभरती है ।
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बववष्म-ऻान-प्रश्नावरी
बववष्म-ऻान-प्रश्नावरी
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सन्त्तान सख
ु होगा भेयी धचॊता दयू होगी
१ गर्ेि १८ िनन
मा नहीॊ? मा नहीॊ?
भुकदभे भें हाय होगी मभर के साथ कैसी
२ ब्रह्भा १९ याहु
मा जीत? फनेगी?
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कयती है मा नहीॊ?
तफादरा होगा मा तीथव मारा को जाना
१६ फह
ृ स्ऩनत ३३ कार
नहीॊ? होगा मा नहीॊ?
व्माऩाय से राब भण्न्त्दय फनेगा मा
१७ िुक्र ३४ अनन्त्त
यहे गा मा हानन? नहीॊ?
गर्ेि-प्रश्न-पर ब्रह्भा-प्रश्न-पर
१॰ सन्त्तान का सख
ु मभरेगा। १॰ भक
ु दभे भें जीत होगी।
२॰ ककसी की सहामता से भण्न्त्दय २॰ सन्त्तान हे तु गह
ृ -दे वता की ऩूजा
फनेगा। कयो।
३॰ तीथव मारा भें ववघ्न ऩड़ेगा। ३॰ भण्न्त्दय अबी नहीॊ फनेगा।
४॰ िुद्ध प्रेभ कयती है । ४॰ तीथव मारा की आिा ऩूयी होगी।
५॰ सम्फन्त्धी धोखा दे सकता है । ५॰ इस सभम वह प्रेभ नहीॊ कयती
६॰ स्री का स्वबाव गयभ यहे गा। है ।
७॰ इच्छा ऩयू ी होने भें दे यी है । ६॰ सम्फन्त्धी धोखा दे सकता है ।
८॰ कन्त्मा होगी। ७॰ स्री का स्वबाव सयर यहे गा।
९॰ ददन भध्मभ यहे गा। ८॰ इच्छा ऩूयी नहीॊ हो सकेगी।
१०॰ मह वर्व उत्तभ है । ९॰ ऩर
ु होगा।
११॰ कूऩ-ननभावर् नहीॊ होगा। १०॰ ददन िुब यहे गा।
१२॰ बाइमों भें अच्छी फन ११॰ मह वर्व उत्तभ नहीॊ है ।
जाएगी। १२॰ कूऩ-ननभावर् की आिा ऩूयी
१३॰ मारा से राब मभरना कदठन होगा।
है । १३॰ बाइमों भें फननी फहुत कदठन
१४॰ ऩयदे िी िीघ्र ही आमेगा। है ।
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इन्त्द्र-प्रश्न-पर
१॰ तयक्की के मोग अच्छे हैं।
अण्ग्न-प्रश्न-पर
२॰ नौकयी प्रमत्न से मभरेगी।
१॰ खेती से राब होगा।
३॰ बाग्मोदम अबी नहीॊ हो
२॰ तयक्की के मोग भें दे य है ।
सकेगा।
३॰ नौकयी नहीॊ मभरेगी।
४॰ भुकदभे भें जीत होगी।
४॰ बाग्मोदम िीघ्र ही होगा।
५॰ सॊतान-सुख उऩाम से मभरेगा।
५॰ भुकदभे की जीत भें सन्त्दे ह है ।
६॰ भण्न्त्दय की आिा ऩयू ी होगी।
६॰ सन्त्तान-सुख दे य से होगा।
७॰ तीथव-मारा कय सकोगे।
७॰ भण्न्त्दय मभर की सहामता से
८॰ प्रेभ नहीॊ कयती, ददखावटी प्रेभ
फनेगा।
है ।
८॰ तीथव-मारा होने भें सन्त्दे ह है ।
९॰ सम्फन्त्धी गप्ु त चार चरेगा।
९॰ प्रेभ का ददखावा ही अच्छा है ।
१०॰ स्री का स्वबाव अच्छा
१०॰ सम्फन्त्धी धोखा नहीॊ दे गा।
यहे गा।
११॰ स्री का स्वबाव अच्छा नहीॊ
११॰ इच्छा ऩयू ी होने भें सन्त्दे ह
होगा।
है ।
१२॰ इच्छा ऩयू ी नहीॊ हो सकेगी।
१२॰ कन्त्मा होगी।
१३॰ ऩुर होगा।
१३॰ ददन भध्मभ है ।
१४॰ ददन उत्तभ है ।
१४॰ मह वर्व कदठनाई के साथ
१५॰ मह वर्व उत्तभ है ।
फीतेगा।
१६॰ कूऩ-ननभावर् की आिा ऩयू ी
१५॰ कूऩ-ननभावर् दे यी से होगा।
होगी।
१६॰ बाइमों से अच्छा भेर
यहे गा।
वामु-प्रश्न-पर सूम-व प्रश्न-पर
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यभर प्रश्नावरी
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