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उoप्रo की राजनीति का देश पर प्रभाव

ठीक दो महीने बाद देश में अगली सरकार ककसकी होगी, ककसकी नहीं होगी, मकु िया कौन होगा इन सब सवालों का जवाब प्रथम
दृष्ट्या कमल ही चक ु ा होगा । हााँ, अगर वर्तमान सरकार सत्ता से ककसी भी कारणवश दरू रह जार्ी है र्ब ‘मकु िया’ चनु ने में असली
माथापच्ची जरुर होगी, बहरहाल इस लेि का उद्देश्य है कक चनु ावपवू त उपरोक्त प्रश्नों के सबसे सभं ाकवर् जवाब िोजे जाये, भावनात्मक
से ज्यादा र्थ्यों के आधार पर! इस कडी मेंी़ देश के राजनैकर्क रूप से महत्वपणू त राज्य ‘उत्तर प्रदेश’ पर कवशेष ध्यान कदया गया है,
क्योंकक अगर ककसी भी दल का प्रदशतन यहााँ ‘उम्दा’ रहर्ा है, वह प्रधानमत्रं ी की कुसी को 25 से 30 फीसदी अपने कनयत्रं ण में करने का
मादा रिर्ा है । मैं अक्सर उoप्रo के मख्ु यमत्रं ी देश को देश के ‘गैर-आकधकररक उपप्रधानमत्रं ी’ र्क भी मानर्ा हाँ िासकर जब र्ब
प्रदेश मे ककसी क्षेकत्रय दल की सरकार हो, मेरा यह धारणा 40 सदस्य गोवा कवधानसभा में 3-3 कवधायक वाले दो दलों के मकु ियाओ
को उपमख्ु यमत्रं ी पद से सशु ोकभर् ककये जाने पर ओर सदृु ढ़ हो गया है ।
यह कहना अकर्शयोकक्त नहीं होगा कक इसी प्रदेश के एक बडे राजनैकर्क फै सले (सपा-बसपा-रालोद गठबधं न) के बाद ही यह चनु ाव
वास्र्व मे ‘रोचक’ बना है, हालााँकक इसका पररणाम कनकिर् र्ो 23 मई को ही पर्ा चलेगा, मगर एक मोटे आाँकडे के अनसु ार यह
‘महागठबंधन’ लगभग 55-60 सीटों पर जीर्ने में सक्षम लग रहा है, कांग्रेस का इस बार भी 2 से उपर ना जा पाना आस्चयतजनक नही
होना चाकहये बशर्े अगर गठबंधन कांग्रेस के साथ कुछ चकु नंदा सीटों पर र्ालमेल नहीं करर्ी है, हालााँकक शाकददक रूप से सपा अध्यक्ष
अकिलेश यादव और बसपा सप्रु ीमो मायावर्ी, दोनों ने ऐसी ककसी भी संभावना को कसरे से नकार कदया है कफर भी राजनीकर् में पदे के
पीछे बहुर् कुछ चलर्ा है । कजन लोगों ने ‘टॉम वडक्कन’ घटनाक्रम ‘ट्कवटर’ से जोडकर समझा है वह इसे बेहर्र समझ पायेंगे ।
जहााँ र्क वर्तमान मे देश के सबसे बडे दल भारर्ीय जनर्ा पाटी की बार् है उनका पररणाम अगर उoप्रo में 20 से ऊपर जार्ा है र्ब
यह उत्तर प्रदेश के दोनों मख्ु य क्षेकत्रय दलों के कलये दीघतकाकलक ‘िर्रे की घटं ी’ साकबर् हो सकर्ा है । अगर भाजपा 20 या बीस से
कम में कसमट जार्ी है र्ब यह भाजपा के कलये भी घार्क होगा क्योंकक भाजपा ने उप्र से ही 71 सांसद जीर् राजीव गााँधी सरकार के
उपरांर् पहली बहुमर् वाली सरकार बनाई थी । 50 सांसदों की भरपाई करना आसान नहीं है, हालााँकक पकिम बंगाल, उडीसा, के रल,
र्कमलनाड़ु के सहारे कुछ मीकडया ररपोटत व भाजपा संकेर् दे रहे है की इन राज्यों की बदौलर् पाटी कफर से सत्ता हाकसल करने की ओर
अग्रसर है, हालााँकक इस सब का उद्देश्य इन राज्यों में भाजपा का सगं ठन िडा करना है व इसकी बदौलर् कुछ सीटें भीं भाजपा जीर्ने में
कामयाब रहेगी इसमें कोई संदहे नहीं है ।
भाजपा के सामने उत्तर भारर् के दसू रे राज्यों में 2014 के अपने अप्रत्याकशर् प्रदशतन को बरकरार रिने की एक बडी ची़ नु ौर्ी है, याद रि
कक पाटी को कपछले आम चनु ावो में इन राज्यों 80 प्रकर्शर् र्क व राजस्थान, गजु रार्, कहमाचल प्रदेश, कदल्ली व उत्तरािंड जैसे राज्यों
मे शर्-प्रकर्शर् सीटें हाकसल हुई थीं, इस बार ऐसी जीर् की पनु राव्रर्ी होना काफी चनु ौर्ीपणू त लगर्ा है िासकर जब र्ब हाल ही में
इनमें से र्ीन बडे उत्तर भारर्ीय राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी हो । उत्तर भारर् मे जहााँ भाजपा के कलये पजं ाब में बरु े सक
ं े र् कदि रहे है
वहीं पाटी हररयाणा, कबहार व सम्भव्र्: कदल्ली (अगर आप-कांग्रेस गठबंधन नही हुआ) मे अच्छे संकेर् है । हालााँकक इन सब चनु ौकर्यों
के बावजदू भाजपा की सीटें लगभग 200 के आसपास रहेगी जबकक कांग्रेस के कलये 100 र्क पहुचाँ पाना काफी चनु ौर्ीपणू त लगर्ा है ।
भारर्ीय लोकर्ांकत्रक प्रणाली; जहााँ बहुदलीय व्यवस्था है, दो मख्ु य दलो के बीच ऐसा बडा सभं ाकवर् फासला कनकिर् ही राजनैकर्क
अकस्थरर्ा को जन्म देगा, िासकर जब र्ब क्षेकत्रय दल मजबर्ू हो । क्षेकत्रय दल, भारर् जैसे कवकवधर्ा वाले देश में उन लोगों को
प्रकर्कनकधकर्त्व देर्े है जो बडे दलों से ककसी भी कारणवश अपने आप को नहीं जोड पार्े है । लोकर्न्त्र को ‘कवकल्पहीन’ बनाने की
उoप्रo की राजनीति का देश पर प्रभाव
कोकशश दल कवशेष के कलये अच्छा सक ं े र् हो सकर्ा लोकर्ांकत्रक देश के कलये नहीं! देश की समग्र उन्नकर् के कलये ‘मजबर्ू ’ सरकार
के साथ-साथ ‘मजबर्ू ’ व रचनात्मक कवपक्ष की भी आवश्यकर्ा होर्ी है ।

अगला लेि लोकसभा चनु ाव के ‘देशव्यापी सभं ाकवर् पररणाम’ व ‘सभं ाकवर् प्रधानमत्रं ी’ पर होगा।

द कबाडी

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