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10/25/2018----छं द (Metres Chhand)- Translation in Hindi, Kannada, Malayalam, Marathi, Punjabi, Sindhi, Sindhi, Tamil, Telgu - FlexiPrep----

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छं द- (Metres-Chhand)
छं द की प रभाषा:- अ रों की सं ा एव ◌ं म, मा ा गणना तथा यित-गित के संब िविश िनयमों से
िनयोिजत पघरचना ’छं द’ कहलाती है ।

छं द के अंग:-

1. चरण-छं द म ाय: चार चरण होते ह। पहले और तीसरे चरण को िवषम चरण तथा दू सरे और चौथे चरण को
सम चरण कहा जाता है ।

2. मा ा और वण- माि क छं द म मा ाओं को िगना जाता है । और वािणक छं द म वण को। दीघ रों के


उ ारण म र की तुलना म दु गुना समय लगता है । र की एक मा ा एवं दीघ र की दो मा ाएँ
िगनी जाती ह। वािणक छं दों म वण की िगनती की जाती ह।

3. लघु एवं गु - छं द शा म ये दोनों वण के भेद है । को लघु वण एवं दीघ को गु वण कहा जाता है ।


अ र का िच ’।’ है ! जबिक दीघ का िच ’s’ है ।

• लघु म अ, ई, उ एवं च िब दु वाले वण लघु िगने जाते ह।

• गु म आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अनु ार, िवसग यु वण गु होते ह। संयु वण के पूव का लझाु


वण भी गु िगना जाता है ।

4. सं ा म- मा ाओं एवं वण की गणना को सं ा कहते ह तथा लघु गु के थान िनधारण को म कहते


ह।

5. गण- तीन वण का एक गण होता है वािणक छं दों म गणों की गणना की जाती है । गणों की सं ा आठ है ।


इनका एक सू है -

’यमाताराजभानसलगा’

इसके आधार पर गण उसकी वण योजना, लघु-दीघ आिद की जानकारी आसानी से हो जाती है ।

गण का नाम िच उदाहरण

1. यगण यमाता

।ऽऽ

2. मगण मतारा

ऽऽऽ

3. तगण ताराज

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ऽऽ।

4. रगण राजभा

ऽ।ऽ

5. जगण जभान

।ऽ।

6. भगण भानस

ऽ।।

7. नगण नसल

।।।

8. सगण सलगा

।।ऽ

6. यित-गित तुक-यित का अथ िवराम है , गित का अथ लय है , और तुक का अथ अंितम वण की आवृि है ।


चरण के अंत म तुकबंदी के िलए समानो ा रत श ों का योग होता है । उदाहरण- क , अंत, वंत, िदगंत
आिद तुकबंदी वाले श है , िजनका योग करके छं द की रचना की जा सकती है ।

छं द के दो भेद है -

1. वािणक छं द -वणगणना के आधार पर रचा गया छं द वािणक छं द कहलाता है । ये दो कार के होते ह-

• क -साधारण- वे वािणक छं द िजनम 26 वण तक के चरण होते ह।

• ख- दं डक- 26 से अिधक वण वाले चरण िजस वािणक छं द म होते ह। उसे दं डक कहा जाता है । घना री म
31 वण होते ह अत: यह दं डक छं द का उदाहरण है ।

2. माि क छं द- मा ाओं की गणना पर आधा रत छं द माि क छं द कहलाते ह। यह गणब नहीं होता है । दोहा
और चौपाई माि क छं द ह।

मुख छं दो का प रचय-
1. चौपाई- यह माि क सम छं द है । इसम चार चरण होते है । ेक चरण म सोलह मा ाएँ होती है । पहले चरण
की तुक चौथे चरण से िमलती है । ेक चरण के अंत म यित होती है । चरण के अंत म जगण एवंत गण नहीं

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होने चािहए।

जैसे- ।। ।। ऽ। ऽ। ।। ऽ।। ।। ।ऽ । ।। ऽ। ।ऽ।।

जय हनुमान ान गुन सागर। जय कपीस ित लोक उजागर।।

राम दू त अतुिलत बलधामा। अंजिन पु पवन सुत नामा।।

2. दोहा- यह माि क अ सम छं द है । इसके थम एवं तृतीय चरण म 13 मा ाएँ होती है । यित चरण म अंत
म होती है । िवषम चरणों के अंत म जगण (।ऽ।) नहीं होना चािहए तथा सम चरणों के अंत म लघु होना चािहए।
सम चरणों म तुक भी होनी चािहए। जैसे- ऽ ।। ।।। ।ऽ। ।। ।। ।।। ।ऽ।

ी गुण चरन सरोज रज, िनज मन मुकुर सुधा र।

3. सोरठा- यह माि क अ सम छं द है इसके िवषम चरणों म 11 मा ाएं एवं सम चरणों म 13 मा ाएं होती
है । तुक थम एवं तृतीय चरण म होती है । इस कार यह दोहे का उ ा छं द है । जैसे- ऽ। ऽ। ।। ऽ। ।ऽ ।।। ।।
ऽ।।।

कुंद इं दु सम दे ह, उमा रमन क नायतन।

4. किव - वािणक समवृ छं द िजसम 31 वण होते है । 16-15 पर यित था अंितम वण गु होता है ।

जैसे- सहज िवलास हास िपयकी लास तिज,=16 मा ाएं । दु ख के िनवास ेम वास पा रयत है । =15 मा ाएं ।
किव को घना री भी कहा जाता है । कुछ लोग इसे मनहरण भी कहते ह।

5. गीितका-माि क सम छं द है िजसम 16 मा ाएं होती है । 14 और 12 पर यित होती है तथा अंत म लघु-गु


का योग है ।

जैसे- मातृ भू सी मातृ भू है , अ से तुलना नहीं।

6. ू त िबल त- वािणक समवृ छं द म कुल 12 वण होते ह। नगण, भगण, भगण, रगण का म रखा जाता
है ।

जैसे- न िजसम कुछ पौ ष हो यहां सफलता वह पा सकता कहां ।

7. इ व ा- वािणक समवृ , वण की सं ा 11 ेक चरण म दो तगण, एक जगण और दो गु वण।

जैसे- होता उ केवल धम ारा, स म ही जीवन का सहारा।

8. उपे व ा- वािणक समवृ छं द है इसम वण की सं ा ेक चरण म 11 होती है । गणों का म है -


जगण, तगण, जगण और दो गु । जैसे- िबना िवचारे जब काम होगा, कभी न अ ा प रणाम होगा।

9. मािलनी-वािणक समवृ है िजसम 15 वण होते है । 7 और 8 वण के बाद यित होती है । गणों का म


नगण, नगण, भगण, यगण, यगण। जैसे- पल-पल िजसके म पंथ को दे खती थी। िनिशिदन िजसके ही ान म
थी िबताती।।

10. म ा ा ा- वािणक समवृ छं द म 17 वण भगण, भगण, नगण, तगण, तगण और दो गु वण के म


म होते ह। यित 10 एवं 7 वण पर होती है ।

जैसे - कोई प ा नवल त का पीता जो हो रहा हो। तो ारे के ग युगल के सामने ला उसे ही। धीरे -धीरे संभल
रखना और उ यों बताना।

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11. रोला- माि क सम छं द है , िजसके ेक चरण म 24 मा ाएं होती ह तथा 11 और 13 पर यित होती है ।
ेक चरण के अंत म दो ग या दो लघु वण होते है । दो-दों चरणों म तुक आव क है ।

जैसे- ।। ।। ऽऽ ।।। ऽ। ऽऽ। ।।। ऽ िनत नव लीला लिलत ठािन गोलोक अिजर म।

12. बरवै- यह माि क अ सम छं द है िजसके िवषम चरणों म 12 और सम चरणों म 7 मा ाएं होती ह। यित
ेक चरण के अंत म होती है । सम चरणों के अंत म जगण या तगण होने से बरवै की िमठास बढ़ जाती है ।

जैसे- ऽ। ऽ। ।। ऽ।। ।ऽ ।ऽ। वाम अंग िशव शोिभत, िशवा उदार।

13. ह रगीितका- यह माि क सम छं द है । ेक चरण म 28 मा ाएं होती ह। यित 16 और 12 पर होती है


तथा अंत म लघु और गु का योग होता है ।

जैसे -कहते ए यों उ रा के ने जल से भर गए।

14. छ य- यह माि क िवषम छं द है । इसम छ: चरण होती है । थम चारण रोला के अंित दो चरण उ ाला
के। छ य म उ ाला के सम-िवषम चरणों का यह योग 15+13 =28 मा ाओं वाला अिधक चिलत है

जैसे- ।ऽ ।ऽ। ।ऽ। । ।।ऽ ।। ऽ ।। ऽ

रोला की पं (ऐसे चरण चरण)

जहां तं िवचार न बदल मन म मुख म उ ाला की पं (ऐसे दो चरण)-

सब भां ित सुशािसत हो जहां , समता के सुखकर िनयम।

।। ऽ। ।ऽ।। ऽ ।ऽ ।।ऽ ऽ । ।।। ।।।

15. सवैया- वािणक समवृ छं द है । एक चरण म 22 से लेकर 26 तक वण होते ह। इसके कई भेद है ।

जैसे- म गयंद, सु ी सवैया, मिदरा सवैया, दु िमल सवैया, सुमु ख सवैया, िकरीट सवैया, मु हरा सवैया, बाम
सवैया, सुखी सवैया, महाभुजंग योम

16. कु ा-माि का िवषम संयु छं द है िजसम छ: चरण होते है । इसम एक दोहा और एक रोला होता है ।
दोहे का चौथा चरण रोजा के थम चरण म दु हराया जाता है तथा दोहे का थम श ही रोला के अंत म आता
है । इस कार कु िलया का ारं भ िजस श से होता है उसी से इसका अंत भी होता है ।

जैसे-ऽऽ ।।ऽ ऽ।ऽ ।।ऽ । ऽऽ ऽ।

सां ई अपने ात को, कब ं न दीजै ास।

पलक दू र निहं कीिजए, सदा रा खए पास।।

सदा रा खए पास, ास कब ं निहं दीजै।

ास िदयौ लंकेश तािह की गित सुिन लीजै।।

कह िग रधर किवराय राम सौं िमिलगौं जाई।

पाय िवभीषण राज लंकपित बा ौ सां ई।◌ं

ऽ। ।ऽ।। ऽ। ऽ।।। ऽऽ ऽऽ

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