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प्रतिदर्श प्रश्न पत्र

(2017-2018)
हिन्दी अ
कक्षा दसव ीं
उत्तर सींकेि

खींड – ‘क’ अींक-15

1 अपहिि अींर् 8
(i) बोलने का वििेक और कला-पटुता को व्यक्तत की शोभा और आकर्षण कहा गया है । 2
इसी के कारण िह मित्रों के बीच सम्िान और प्रेि का केन्द्र-बबिंद ु बन जाता है ।
(ii) विर्य से हटकर बोलने िालों से, अपनी बात को अकारण खीिंचते चले जाने िालों से 2
लोग ऊब जाते है ।
(iii) अनुशामसत, सिंयमित, सिंतुमलत, सार्षक और हहतकर बोलना िाणी का तप है ? 2
(iv) बहुत कि बोलना हिारी प्रततभा और तेज को किंु द कर दे ता है । 1
(v) ‘राई का पहाड़ बनाना’ – बढा-चढाकर बात करना। 1
2 अपहिि काव्ाींर् 7
(i) भीर्ण बाधाओिं और सिंकटों के प्रतीक हैं। कवि ने इनका सिंयोजन सिंघर्षशीलता और 2
हहम्ित को हदखाने के मलए ककया है ।
(ii) कवि ने हिेशा सिंघर्ो और चन
ु ौततयों का कहिन िागष चन
ु ा। उन्द्होनें कभी फूलों का 2
अर्ाषत सुख-सुविधा का िागष नहीिं चन
ु ा।
(iii) ‘युग की प्राचीर’ का आशय है – सिंसार की बाधाएँ। 1
(iv) साहस और सिंघर्षशीलता। 1
(v) उत्र्ान-पतन, उत्र्ान और पतन िें द्ििंद सिास है । 1
खींड – ख अिंक 15
(व्ाविाररक व्ाकरण)
3 रचना के आधार पर िातय भेद 1x3=3
क) जब अध्यावपका ने छात्रा की प्रशिंसा की तो उसका उत्साह बढ गया।
ख) ईिानदार ही सम्िान का सच्चा अधधकारी है ।
ग) मिश्र िातय।
4. िाच्य 1x4=4
क) हिसे रात भर कैसे जागा जाएगा।
ख) तानसेन को सिंगीत सम्राट कहा जाता है ।
ग) उन्द्होंने कैप्टन की दे शभक्तत का सम्िान ककया।
घ) िाँ द्िारा अितन को पढाया गया।
5. पद पररचय 1x4=4
क) विभीर्णों – जाततिाचक सिंज्ञा, बहुिचन, पुक््लिंग, सिंबिंधकारक।
ख) दे र तक – कालिाचक किया विशेर्ण, ‘होती रही’ किया की विशेर्ता बता रहा है ।
ग) मलख रही है – सकिषक किया, स्त्त्रीमलिंग, एकिचन, ितषिान काल, कतष त िाच्य
घ) अनेक – अतनमशचत सिंख्यािाचक विशेर्ण, पक्ु ्लिंग, बहुिचन, ‘धचत्र’ विशेष्य का
विशेर्ण
6 रस 1x4=4
क) श्रग
िंत ार रस के भेद – सिंयोग श्रग
िं त ार रस, वियोग श्रग
िं त ार रस।
ख) करूण रस का स्त्र्ायी भाि शोक है ।
ग) अद्भुत रस का अनुभाि – रोिािंच, आँखे फाडकर दे खना, काँपना, गदगद होना।
घ) हास्त्य रस
हार्ी जैसी दे ह है , गैंडे जैसी खाल।
तरबज
ू े सी खोपड़ी, खरबज
ू े से गाल।।
खींड – ‘ग’ अींक 30
(पाठ्् पुस्िक एवीं पूरक पाठ्् पुस्िक)
7. क) स्त्त्री मशक्षा के विरोध िें यह तकष दे ते हैं कक पुराने जिाने िें यहाँ क्स्त्त्रयाँ पढती न र्ीिं 2
और उनके पढने पर रोक र्ी। ऐसा िे इसमलए कहते है तयोंकक िे इततहास से
अनमभज्ञ हैं।
ख) अनर्ष का िूल स्रोत ककसी व्यक्तत के चररत्र िें होता है । कुसिंस्त्कार, कुसिंगतत, कुक्त्सत 2
विचार उसे अनर्ष करने के मलए प्रेररत करते हैं।
ग) ऐसे लोग क्स्त्त्रयों को तनरक्षर रखकर सिाज का अपकार करते हैं तर्ा सािाक्जक 1
उन्द्नतत िें बाधा ड़ालते हैं।
8 क) दे िदार की छाया शीतल और िन को शािंत करने िाली होती है । फादर लेखक और 2x4=8
उसके साधर्यों के सार् हँ सी िजाक िें तनमलषप्त शामिल रहते, गोक्ष्ियों िें गिंभीर
बहस करते तर्ा उनकी रचनाओिं पर बेबाक राय दे ते। घरे लू उत्सिों और सिंस्त्कार िें
बड़े भाई और पुरोहहत जैसे खडे होकर आशीर्ों से भर दे ते। इसी कारण लेखक को
फादर की उपक्स्त्र्तत दे िदार की छाया जैसी लगती र्ी।
ख) मशष्या ने बबक्स्त्ि्ला खाँ को फटी लुिंगी पहने हुए दे खकर डरते हुए कहा कक आपकी
इतनी प्रततष्िा है , अब तो भारत रत्न भी मिल चक ु ा है और आप फटी लुिंगी पहने
रहते हैं। मशष्या के ऐसा कहने पर उस्त्ताद बबक्स्त्ि्ला खाँ साहब ने उसे सिझाते हुए
कहा कक िीक है आगे से नहीिं पहनें गे, ककिंतु बनाि मसिंगार िें लगे रहते तो शहनाई
कैसे होती।
ग) बालगोबबन भगत की पत्र
ु िधू की इच्छा र्ी कक िह अपने पतत की ित्त यु के बाद
बालगोबबन भगत के पास ही रहे तयोंकक िह बढ
ु ापे िें अपने ससरु की सेिा करना
चाहती र्ी, ककिंतु भगत अपनी पुत्रिधु का पुनविषिाह कराने के पक्ष िें र्े।
घ) हहन्द्दी की प्राध्यावपका शीला अग्रिाल के सिंपकष िें आने के बाद िन्द्नू भिंड़ारी का
साहहत्य की अच्छी पुस्त्तकों से पररचय हुआ। शीला अग्रिाल ने िात्र पढने को, चन
ु ाि
करके पढने िें बदला।
9. क) दे िता, ब्राहण, भगिान के भतत और गाय इन सभी पर रघुकुल के व्यक्तत अपनी 2
िीरता का प्रदशषन नहीिं करते हैं।
ख) लक्ष्िण ने कहा हिें कुम्हड़े के छोटे पौधे की तरह ित सिझझए, जो तजषनी के 2
हदखाने से िुरझा जाता है । इस प्रकार लक्ष्िण ने अपनी तनभीकता और िीरता को
प्रदमशषत ककया।
ग) प्रस्त्तत
ु काव्यािंश िें यह शब्द बहुत किजोर और तनबषल व्यक्ततयों के मलए प्रयोग 1
ककया गया है ।
10 क) ‘आत्िकथ्य’ कविता िें कवि ने जीिन के यर्ार्ष और अभाि पक्ष का िणषन ककया है । 2x4=8
उसका िन खाली गागर के सिान है ।
ख) कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ इसमलए रखा गया है तयोंकक बादल िर्ाष करके पीडडत
प्यासे जन की आकािंक्षा को पूरा करके उनके जीिन िें आशा, उत्साह तर्ा नई चेतना
का सिंचार करते हैं।
ग) शब्दों के भ्रि की तरह नारी जीिन भर िस्त्त्र और आभूर्णों के िोहपाश िें बिंघी रहती
हैं। इसमलए कवि ने िस्त्त्राभूर्णों को ‘शाक्ब्दक भ्रि’ कहकर उन्द्हें नारी जीिन का बिंधन
िाना है ।
घ) अगर कड़ी टूट गई तो िख्
ु य गायक का गायन सफलतापि
ू क
ष पण
ू ष नहीिं हो पाएगा।
जब िख्
ु य गायक अपने सरु ों से भटकने लगेगा तो कोई स्त्र्ायी को सिंभालने िाला
नहीिं होगा।
11 ‘कटाओ’ को अपनी स्त्िच्छता और नैसधगषक सौंदयष के कारण हहिंदस्त्
ु तान का 4
क्स्त्िट्जरलैंड कहा जाता है । यह सुिंदरता आज इसमलए विद्यिान है तयोंकक यहाँ कोई
दक
ु ान आहद नहीिं है , इस स्त्र्ान का व्यिसायीकरण नहीिं हुआ है । ‘कटाओ’ अभी तक
पयषटक स्त्र्ल नहीिं बना है । प्रकततत अपने पूणष िैभि के सार् यहाँ हदखाई दे ती है ।

आज के नियुिक विशेर् अमभयान चलाकर प्राकतततक स्त्र्ानों को गिंदगी-िुतत करके


अपना योगदान दे सकते हैं। िे पयषटकों तर्ा अन्द्य लोगों को प्राकतततक िातािरण की
सुरक्षा के प्रतत जागरूक करने िें िहत्िपूणष भूमिका तनभा सकते हैं।
अर्िा
‘िाता का अिंचल’ पाि िें क्जस विद्यालय का िणषन है िहाँ अध्यापक बच्चों की वपटाई
करके, उन्द्हें शारीररक दिं ड दे कर अनुशासन िें रखते र्े। आज के विद्यालयों िें
शारीररक दिं ड दे ना िक्जषत है । आजकल विद्याधर्षयों को सिझा बुझा कर अनुशासन िें
रखा जाता है । विद्यालय िें परािशषदाता की तनयुक्तत की जाती है । परािशषदाता
शैक्षक्षक िागषदशषन दे कर छात्रों को आत्ि-सिायोजन तर्ा सिाक्जक सिायोजन िें
सहायता प्रदान करते हैं।
आज के विद्यालयों िें जो अनश
ु ासन व्यिस्त्र्ा है िह परु ाने तरीके से अधधक अच्छी
है ।
खींड़ घ अींक 20
(लेखन)
12 10
क) तनबिंध लेखन
 प्रस्त्तुतत 1 अिंक
 भार्ा शुद्धता 2 अिंक
 िातय-विन्द्यास 1 अिंक
 विर्यिस्त्तु(सिंकेत बबिंदओ
ु िं के आधार पर) 4 अिंक
 सिग्र प्रभाि 2 अिंक
13 पत्र लेखन 5
प्रारिं भ और अिंत की औपचाररकताएँ 1+1=2
विर्यिस्त्तु 2 अिंक़
भार्ा शुद्धता 1 अिंक
14 विज्ञापन लेखन 5
प्रारूप 2 अिंक
विर्यिस्त्तु 2 अिंक़
भार्ा 1 अिंक

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