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70 साल का युवा

हमारे यहााँ होली का एक पारं पररक खेल है , रात में गां व के सारे नौजवान गां व के चौक में
इक्कठा होते है , और श्री फल को ज़मीन पे चोट कर के फोड़ ने की प्रततस्पर्ाा होती है । सब
अपनी अपनी तहम्मत आजमाते है और सभी की होड़ लगी रहती है सबसे बेहतर सातबत होने
की, कोई युवा कहता है की मैं यह 20 चोटों में फोड़ दुं गा तो कोई कहता है की 10 या 5
लेतकन इन सबसे बड़ा जोशीला तहम्मत वाला युवा मेरे तलए कोई और है ।

तजसकी बात मैं आपके सामने कर रहा हं वो है मगनचाचा जो तकरीबन 70 साल के थे, दु बला
पतला शरीर उपर से आर्ा लक वे ग्रस्त था । तदखने मैं बहत अशक्त वो रात मैं चौक से
गुज़र रहे थे तब वहां पे कुछ नौजवान यह श्री फल का खे ल खेल रहे थे, एक लड़के ने
मगनचाचा को पास से गुजरते दे खा तो उसने मज़ाक करते कह तदया की मगनचाचा यह श्री
फल 50 चोटो में फोड़ें गे ।

तो सभी लड़के हाँ सने लगे और बोले तजनसे ठीक से चला नहीं जाता वो क्या श्री फल फोड़ें गे
। मगनचाचा बहत ही स्वातभमानी और तहम्मत वाले थे, वो बोले कहा है श्री फल लाओ मुझे दो,
मैं यह कर सकता हं , मैं शरीर से हारा हवा हं मन से नहीं ।

और उन्ोंने श्री फल ले के अपनी पुरी तहम्मत के साथ ज़मीन पर चोट करने लगे, सभी को यह
पागलपन लग रहा था, सब हाँ स रहे थे चाचा एक के बाद एक तहम्मत से चोट कर रहे थे, लोगो
को असंभव लग रहा था चाचा पूरे जी जान से चोट कर रहे थे 5, 10, 20 और ऐसे करते करते
40 वी चोट पर श्री फल टू ट गया ।

मगनचाचा खु शी से जु म उठे और सारे नौजवान की आं खे फटीं रह गईं उन्ें तवश्वास नहीं हो


रहा था की यह कैसे तकया चाचा ने ।

मेरे दोस्तों यह घटना हमें सोचने पर मजबूर कर दे तीं है की सच्चा युवा कौन? जो शरीर से युवा
हो वो या जो मन से युवा हो, मगनचाचा ने सातबत कर तदया है की चाहे पररस्थथततयााँ तकतनी भी
तवपरीत क्यों न हो लेतकन अगर हम ठान ले तज़द तजतने की तो कोई रोक नहीं सकता ।
असंभव तदखता काम भी कड़ी मेहनत (Hard work) से संभव हो सकता है बस जरूरत है र्ै या,
तहम्मत और इच्छाशस्क्त की ।

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