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पु
कालय
पु Aकालय शB 'पु Aक' और 'आलाय' दो शBों का अ थ +आ
पु Aकों का घर । जहाँ पर पढ़ने के िलए अ लग-अ लग (कार की पु Aके
होता है । हर एक िवHालय म भी एक पु Aकालय होती है । िवHाथI अ पने
Jची के अ नु सार वहाँ से पु Aक ले सकते है और पढ़ सकते है ।
पु Aकालय Kान और अ Lयन का एक बड़ा कN होता है । आज कल
िविवध (कार की पु Aकों से आनंद, Kान या मनोरं जन करने के िलए िजतनी
सु िवधा (ाO हो चु की है उतनी इस से पहले नहीं थी ।
पु Aकालय अ ने क (कार के होते है । PQRगत, साव जिनक और
सरकारी पु Aकालय होते है । इन पु Aकालयों का लाभ और उपयोग उठाने
वाले िवHाथI होते है । इसिलए हम पु Aकालयों का अ वT अ िधक से
अ िधक उपयोग करना चािहए ।
म का मह
मनु U के पास Vम के अितWरR कोई वाAिवक सXिY नहीं है । यिद
यह कहा जाये िक, Vम ही जीवन है तो यह गलत न होगा । जीवन म Vम
अिनवाय है । कम करना जीवन है तो कम का न करना मृ ?ु । Vम न करने से
ही जीवन नक बनता है और कम करने से Zग । ईमानदारी से Vम करने से
मानव फWर\ा कहलाता है और Vम न करने से शै तान । जै सा िक, कहा भी
गया है खाली िदमाग शै तान का घर होता है ।
दूषण की समा
सं केत िबं दु
1. (दू षण के कारण
2. (दू षण के (कार
3. (दू षण काम करने के उपाय
(दू षण की समcा
आज के िवKान यु ग म (दू षण की समcा बड़ी हो गयी है । थरती का
डल ख़राब हो गया है । सां स ले ने म भी मु Qhल हो रहा है । (दू षण के
वायु मं
ब+त सारे (क ार है जै से जल (दू षण, वायु (दू षण iिन (दू षण । इन
(दु षणों क ाम क रने के िलए हम पे ड़ नहीं क ाटना चािहए । उपक रणों क ा
पयोग क ाम क रने से हवा Z1 रहे गा, तभी हमारे आस पास के जगह क ो
बचा सक ते है ।