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||साथथशिवताण्डवस्तोत्रभ ् ||

||श्रीगणेिाम नभ् ||

जटाटवीगरज्जरप्रवाहऩाववतस्थरे , गरेऽवरम्ब्म रम्म्बफताां बुजङ्गतुङ्गभाशरकाभ ् |


डभड्डभड्डभड्डभम्नननादवड्डभवथमां, चकाय चण्डताण्डवां तनोतु न् शिव् शिवभ ् ||१||
जटाकटाहसांभ्रभभ्रभम्ननशरम्बऩननर्थयी- ववरोरवीचचवल्रयीववयाजभानभूधनथ न |
धगद्धगद्धगज्ज्वरल्रराटऩट्टऩावके , ककिोयचनरिेखये यनत् प्रनतऺणां भभ ||२||
धयाधये नरनांददनीववरासफनधफ
ु नधयु , स्पुयदिगनतसनतनतप्रभोदभानभानसे |
कृऩाकटाऺधोयणीननरुद्धदध
ु यथ ाऩदद, क्वचचदिगम्बफये ( क्वचचम्चचदां फये ) भनो ववनोदभेतु वस्तुनन ||३||
रताबज
ु ङ्गवऩङ्गरस्पुयत्पणाभणणप्रबा, कदम्बफकुङ्कुभरवप्रशरप्तददग्वधभ
ू ुखे |
भदानधशसनधयु स्पुयत्त्वगुत्तयीमभेदयु े , भनो ववनोदभद्भत
ु ां बफबतुथ बूतबतथरय ||४||
सहस्ररोचनप्रबत्ृ मिेषरेखिेखय, प्रसूनधशू रधोयणी ववधस
ू याङ्निऩीठबू् |
बुजङ्गयाजभारमा ननफद्धजाटजूटक, चश्रमै चचयाम जामताां चकोयफनधि
ु ख
े य् ||५||
रराटचत्वयज्वरद्धनञ्जमस्पुशरङ्गबा- ननऩीतऩञ्चसामकां नभम्ननशरम्बऩनामकभ ् |
सुधाभमूखरेखमा ववयाजभानिेखयां , भहाकऩाशरसम्बऩदे शियोजटारभस्तु न् ||६||
कयारबारऩदट्टकाधगद्धगद्धगज्ज्वर-द्धनञ्जमाहुतीकृतप्रचण्डऩञ्चसामके |
धयाधये नरनम्नदनीकुचाग्रचचत्रऩत्रक- प्रकल्ऩनैकशिम्ल्ऩनन बत्ररोचने यनतभथभ |||७||
नवीनभेघभण्डरी ननरुद्धदध
ु यथ स्पुयत ्-कुहूननिीचथनीतभ् प्रफनधफद्धकनधय् |
ननशरम्बऩननर्थयीधयस्तनोतु कृम्त्तशसनधयु ्, कराननधानफनधयु ् चश्रमां जगद्धुयांधय् ||८||
प्रपुल्रनीरऩङ्कजप्रऩञ्चकाशरभप्रबा- वरम्म्बफकण्ठकनदरीरुचचप्रफद्धकनधयभ ् |
स्भयम्चिदां ऩुयम्चिदां बवम्चिदां भखम्चिदां , गजम्चिदाांधकम्चिदां तभांतकम्चिदां बजे ||९||
अखवथ (अगवथ) सवथभङ्गराकराकदां फभञ्जयी, यसप्रवाहभाधयु ी ववजांब
ृ णाभधव्र
ु तभ ् |
स्भयानतकां ऩुयानतकां बवानतकां भखानतकां, गजानतकानधकानतकां तभनतकानतकां बजे ||१०||
जमत्वदभ्रववभ्रभभ्रभद्भज
ु ङ्गभश्वस- द्ववननगथभत्रभस्पुयत्कयारबारहव्मवाट् |
चधशभवद्धशभवद्धशभध्वननभद
ृ ङ्गतुङ्गभङ्गर, ध्वननरभप्रवनतथत प्रचण्डताण्डव् शिव् ||११||
स्ऩष
ृ द्ववचचत्रतल्ऩमोबज
ुथ ङ्गभौम्क्तकस्रजोय्- गरयष्ठयत्नरोष्ठमो् सुहृद्ववऩऺऩऺमो् |
तष्ृ णायववनदचऺुषो् प्रजाभहीभहे नरमो्, सभप्रवम्ृ त्तक्(सभां प्रवतथमनभन्) कदा सदाशिवां बजे ||१२|
कदा ननशरम्बऩननर्थयीननकुञ्जकोटये वसन ्, ववभुक्तदभ
ु नथ त् सदा शिय् स्थभञ्जशरां वहन ् |
ववभुक्तरोररोचनो रराभबाररग्नक्, शिवेनत भांत्रभुचचयन ् कदा सुखी बवाम्बमहभ ् ||१३||
इदभ ् दह ननत्मभेवभक्
ु तभत्ु तभोत्तभां स्तवां, ऩठनस्भयनरव
ु ननयो वविवु द्धभेनतसांततभ ् |
हये गयु ौ सब
ु म्क्तभािु मानत नानमथा गनतां, ववभोहनां दह दे दहनाां सि
ु ङ्कयस्म चचांतनभ ् ||१४||
ऩज
ू ावसानसभमे दिवक्त्रगीतां, म् िांबऩ
ु ज
ू नऩयां ऩठनत प्रदोषे |
तस्म म्स्थयाां यथगजेनरतुयङ्गमक्
ु ताां, रक्षभीां सदै व सभ
ु णु खां प्रददानत िांब्ु ||१५||

इनत श्रीयावण- कृतभ ् शिव- ताण्डव- स्तोत्रभ ् सम्बऩण


ू भ
थ ्

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