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शनिदे व से सारी सृ नि डरती है पर वास्तव में शनि बडे ही न्यायनिय है !

शनिदे व कभी भी सत्पु रुषो को िही ीं सताते और दु ि


पुरुषो को दीं ड दे ते है ! शनि महाराज को ६वे ८वे १०वे और १२वे भाव का पक्का करक मािा जाता है और यनद शनि इन्ही भावोीं
में अकेले आ जाए तो सोिे पर सु हागा क्ोींनक ज्योनतष का एक नियम है कारक कभी अपिे भाव का िाश िही ीं करता पर उसके
साथ कोई दू सरा ग्रह िा हो ! यनद आप मजदू रोीं और निम्न जानत के लोगोीं का सम्माि करते हो तो शनि आपको बु रा फल दें गे ही
िही ीं ! शनि यनद ७वे भाव में िीच के भी हो तब भी बु रा फल िही ीं दे ते क्ोींनक ७वे भाव को पनिम नदशा मािा गया है और यनद
इस भाव में शनि िीच के भी हो तो उन्हें नदशा बल नमल जाता है ! शनि यनद लग्न में उच्च के भी हो तब भी दे खिे में आया है नक
शनिदे व का िभाव अशुभ ही रहता है क्ोींनक यह उिके शत्रु सू यय की नदशा है !

यनद आपकी कुींडली िा हो तो यह कैसे पता चले नक आपके शनि बु रा फल दे रहे है ? इस का एक आसाि उपाए है , यनद मींनदर
से आपके जुते या चप्पल चोरी हो जाएँ तो समनिये नक आपके शनि बु रा फल दे रहे है , इसी िकार यनद आपकी छत अचािक
टू ट जाए या आपकी भै स अचािक मर जाए तो समिे शनि बुरा फल दे रहे है ! इसी िकार यनद आप के घर की वृ द्ध स्त्रिओ के
घुटिे में ददय हो तो समि लीनजये नक शनि आपकी कुींडली में चन्द्र को परे शाि कर रहा है ! कई बार यह योग यनद गोचर में बि
जाए तब भी आपके घर की स्त्रिओ को घुटिोीं में ददय हो सकता है !

कुछ लोगोीं को ओपरी कसर की नशकायत रहती है , उिपर जादू -टोिे बडी जल्दी असर करते है , ऐसे लोगो की जन्म कुींडली में
शनि राहू का सम्बन्ध होता है ! ऐसे लोगोीं को अपिे घर में बाीं स की सीढ़ी िही ीं रखिी चानहए और ऐसे लोग अपिे घर का मुख्य
द्वार पनिम नदशा की तरफ िा रखे ! ऐसे लोग यनद अपिे घर में लोहे की सीढ़ी रखे तो उसे भी लाल रीं ग करवाकर रखे तानक
शनि पर उसके शत्रु मींगल का िभाव आ जाए ! ऐसे लोग अपिी घर की सीढीओ की अच्छी तरह सफाई करे और भू ल कर भी
सीढ़ी के िीचे शौचालय िा बिाये ! इस साधिा से शनिदे व जी का कैसा भी दोष हो , चाहे शनिदे व आपकी कुींडली में कैसे भी
ढै या का अशु भ िभाव भी तो उसे शुभ
हो... शुभ फल दे ते है ! यह साधिा इतिी अद् भु त है नक यनद आप पर साढ़े सती या
िभाव में बदल दे ती है ! जीवि में एक बार साधिा को करिे से आप शनिदे व की अिेक पीडाओ से मुक्त
रहते है और शुभ फल पाते है !

|| मं त्र ||
सत नमो आदे श ! गु रूजी को आदे श !
शनन राजा शनन राजा
नसमरु तोए शनन राजा
जल में नसमरु, थल में नसमरु
रण में नसमरु, वन में नसमरु
यहााँ नसमरु तहााँ होए सहाई
तुझे ग्रहपनत सू यय की दु हाई !
यम यमु ना की दु हाई !
ब्रह्मा नवष्णु महादे व की दु हाई !!
|| नवनि ||
नकसी भी शनिवार से इसका जाप िारीं भ करे , यनद शनिवारी अमावस्या हो तो अनधक उत्तम है ! आप को इस मींत्र का ९६००० (
96000 ) जप ते ल का दीपक जलाकर करिा है और मींत्र जाप सूयाय दय से पहले या सू याय स्त के बाद ही करे ! साधिा के नदिोीं में
ब्रह्मचयय रखे और साधिा करते वक्त काले वि एवीं काले आसि का ही ियोग करे ! माला काले हकीक की होिी चानहए और
पनिम नदशा की ओर मुख होिा चानहए ! ९६००० जप आपको ५१ नदिोीं में पूर्य करिे है !

|| प्रयोग नवनि ||
जब भी आप नकसी मुसीबत में हो तो आप इस मन्त्र का ११ बार जप करे , आपकी मुसीबत दू र हो जाएगी और यनद शुभ काम पर
जाते समय भी इस मींत्र का ११ बार जप कर नलया जाए तो निनित तौर पर कायय नसद्ध होता है !

भगवाि् शनिदे व आप सब पर कृपा करे !

जय सदगुरुदे व !!

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