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Birth of Maharshi Vedvyas Story Mahabharat - HTML 1
Birth of Maharshi Vedvyas Story Mahabharat - HTML 1
बड़ी होने पर वह बा�लका नाव खेने का काय� करने लगी। एक बार पाराशर मु�न
को उसक� नाव पर बैठ कर यमुना पार करनी पड़ी। पाराशर मु�न स�यवती क
े �प-
सौ�दय� पर आस�त हो गये और बोले- "दे�व! हम तु�हारे साथ सहवास क
े इ�छुक
ह�।" स�यवती ने कहा- "मु�नवर! आप ���ानी ह� और म� �नषाद क�या। हमारा
सहवास स�भव नहीं है।" तब पाराशर मु�न बोले- "तुम �च�ता मत करो। �सू�त होने
पर भी तुम क
ु मारी ही रहोगी।" इतना कह कर उ�ह�ने अपने योगबल से चार� ओर
घने क
ु हरे का जाल रच �दया और स�यवती क
े साथ भोग �कया। त�प�ात उसे
आशीवा�द देते �ए कहा- "तु�हारे शरीर से जो मछली क� गंध �नकलती है, वह
सुग�ध म� प�रव�तत हो जायेगी।"
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