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Birth Of Maharshi Vedvyas Story From


Mahabharata In Hindi | मह�ष वेद�यास क
े ज� क�
कथा ~ महाभारत
 22

�ाचीन काल म� सुध�वा नाम क


े एक राजा थे। वे एक �दन आखेट क
े �लये वन
गये। उनक
े जाने क
े बाद ही उनक� प�नी रज�वला हो गई। उसने इस समाचार को
अपने �शकारी प�ी क
े मा�यम से राजा क
े पास �भजवाया।

समाचार पाकर महाराज सुध�वा ने एक दोने म� अपना वीय� �नकाल कर प�ी को


दे �दया। प�ी उस दोने को राजा क� प�नी क
े पास प�ँचाने आकाश म� उड़ चला।
माग� म� उस �शकारी प�ी पर �सरे �शकारी प�ी ने हमला कर �दया। दोन� प��य�
म� यु� होने लगा। यु� क
े दौरान वह दोना प�ी क
े पंजे से छूट कर यमुना म� जा
�गरा। यमुना म� ��ा क
े शाप से मछली बनी एक अ�सरा रहती थी। मछली �पी
अ�सरा
26 दोने म� बहते �ए वीय� को �नगल गई तथा उसक
े �भाव से वह गभ�वती हो
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गई।

महाभारत क� स�पूण� कथा पढ़� :


Complete Mahabharata Katha In Hindi | स�पूण� महाभारत क� कथा!

एक �नषाद ने गभ� पूण� होने पर उस मछली को अपने जाल म� फ


ँ सा �लया। �नषाद
ने जब मछली का पेट चीरा तो उसक
े पेट से एक बालक तथा एक बा�लका
�नकली। वह �नषाद उन �शशुओं को लेकर महाराज सुध�वा क
े पास गया।
महाराज सुध�वा क
े पु� न होने क
े कारण उ�ह�ने बालक को अपने पास रख �लया,
�जसका नाम 'म��यराज' �आ। बा�लका �नषाद क
े पास ही रह गई और उसका
नाम 'म��यगंधा' रखा गया, �य��क उसक
े अंग� से मछली क� गंध �नकलती थी।
उस क�या को 'स�यवती' क
े नाम से भी जाना जाता था।

बड़ी होने पर वह बा�लका नाव खेने का काय� करने लगी। एक बार पाराशर मु�न
को उसक� नाव पर बैठ कर यमुना पार करनी पड़ी। पाराशर मु�न स�यवती क
े �प-
सौ�दय� पर आस�त हो गये और बोले- "दे�व! हम तु�हारे साथ सहवास क
े इ�छुक
ह�।" स�यवती ने कहा- "मु�नवर! आप ���ानी ह� और म� �नषाद क�या। हमारा
सहवास स�भव नहीं है।" तब पाराशर मु�न बोले- "तुम �च�ता मत करो। �सू�त होने
पर भी तुम क
ु मारी ही रहोगी।" इतना कह कर उ�ह�ने अपने योगबल से चार� ओर
घने क
ु हरे का जाल रच �दया और स�यवती क
े साथ भोग �कया। त�प�ात उसे
आशीवा�द देते �ए कहा- "तु�हारे शरीर से जो मछली क� गंध �नकलती है, वह
सुग�ध म� प�रव�तत हो जायेगी।"

समय आने पर स�यवती क


े गभ� से वेद-वेदांग� म� पारंगत एक पु� �आ। ज� होते
ही वह बालक बड़ा हो गया और अपनी माता से बोला- "माता! तू जब कभी भी
�वप�� म� मुझे �मरण करेगी, म� उप��त हो जाउँगा।" इतना कह कर वे तप�या
करने क
े �लये �ैपायन �ीप चले गये। �ैपायन �ीप म� तप�या करने तथा उनक

शरीर का रंग काला होने क
े कारण उ�हे "क
ृ �ण �ैपायन" कहा जाने लगा। आगे
चल कर वेद� का भा�य करने क
े कारण वे वेद�यास क
े नाम से �व�यात �ए।

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