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Polity Summary 1 Final Watermark - PDF 33
Polity Summary 1 Final Watermark - PDF 33
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(3) इस अधिननयम को तत्कािीन ब्रिटिश प्रिान मांत्री ववलियम वपि ने को गैर-सरकारी सद्य के रूप में नामाांककत करने के लिए उनके लिए
पेश ककया था प्राविान ककए गए। िॉर्ण कैननांग ने बनारस के राजा, पटियािा के महाराजा
और सर टदनकर राव को नामाांककत ककया।
(2) बांगाि के लिए नई वविान पररषदें (1862), उत्तरपसश्चमी सीमावती प्राांत
चाटट र अधधतनयम - 1813
(1866) और पांजाब (1897) की ्थापना हुई।
ब्रिटिश ई्ि इांडर्या कांपनी के व्यापाररक अधिकारों के एकाधिकार को
समाप्त ककया और अन्य कांपननयों को भारत के साथ व्यापाररक
भारतीय पररषद अधधतनयम 1892
गनतववधियों में भाग िेने की इजाजत दी।
(1) तत्कािीन भारत में बजि चचाण का अधिकार वविायी पररषद को टदया
गया।
चाटट र अधधतनयम - 1833 (2) बढाई गयी पररषदों और कुछ सद्यों को केंद्र क साथ साथ प्राांतीय
(1) बांगाि के गवनणर जनरि के पद के ्थान पर भारत के गवनणर जनरि वविान पररषद में नामाांककत ककया जा सकता है ।
पद बनाया गया। मद्रास और बॉम्बे की अध्यक्षताएां वविायी शसततयों के
साथ उनसे िे िी गयी और किकत्ता की अध्यक्षता के अिीन कर टदया भारतीय पररषद अधधतनयम 1909
गया। ववलियम बेंटिक भारत के पहिे गवनणर जनरि थे। (1) यह अधिननयम मॉिे-लमांिो सि
ु ार के रूप में भी जाना जाता है ।
(2) इस अधिननयम ने पूरी तरह से कांपनी की व्यावसानयक गनतववधियों (2) केन्द्रीय वविान पररषद में सद्यों की सांख्या 16 से बढ़कर 60 की
(4) साांप्रदानयक मतदाता पेश ककया गया था। मसु ्िमों को अपने 3. वविानसभा की कुि सांख्या 389 थी। हािाांकक, ववभाजन के बाद केवि
प्रनतननधियों का चुनाव करने के लिए अिग प्रनतननधित्व टदया गया। 299 ही बने रहे । यह आांलशक रूप से चुने गए और आांलशक रूप से
इसलिए, लमांिो को 'साांप्रदानयक मतदाता के वपता' के रूप में भी जाना जाता नामाांककत ननकाय थे।
है । 4. वविानसभा बनाने के लिए चन ु ाव जुिाई-अग्त 1946 में हुए और
नवांबर 1946 तक इस प्रकक्रया का कायण पूरा हो गया। वविानसभा की
भारत सरकार अधधतनयम 1919 पहिी बैठक 9 टदसांबर, 1946 को हुई और 211 सद्य उपस्थत थे।
(1) यह अधिननयम मोंिे ग-चेम्सफोर्ण सि
ु ार के नाम से भी जाना जाता है 5. र्ॉ ससच्चदानांद लसन्हा फ्रेंच अभ्यास के बाद वविानसभा के अ्थायी
और यह 1921 में िागू हुआ था। अध्यक्ष बने।
(2) यहा केन्द्रीय और प्राांतीय ववषयों या सूधचयों को पेश ककया गया जहाां 6. 11 टदसांबर, 1946 को र्ॉ राजेन्द्र प्रसाद और एच सी मुिजी को
वे अपने सांबांधित सूधचयों को कानून तैयार कर सकते थे। प्राांतीय ववषयों क्रमशः राष्ट्रपनत और उपाध्यक्ष के रूप में चन
ु ा गया था।
को ह्ताांतररत और आरक्षक्षत में ववभासजत ककया गया था। इस प्रकार, 7. सर बी एन राव को वविानसभा के सांवैिाननक सिाहकार के रूप में
इस अधिननयम ने दोहरा शासन की शरु
ु आत कक। ननयुतत ककया गया।
(3) द्ववसदन और प्रत्यक्ष चुनाव शुरू ककए गए। 8. 13 टदसांबर, 1946 को पां. नेहरू ने उद्दे श्य के सांकर्लप को आगे बढ़ाया,
जो बाद में सांवविान का प्र्तावना बन गया थोडा सांशोधित रूप प्र्ताव
भारत सरकार अधधतनयम 1935
22 जनवरी, 1947 को सवणसम्मनत से अपनाया गया था।
(1) इकाइयों के रूप में प्राांतों और ररयासतों के साथ अखिि भारतीय सांघ
9. सांवविान सभा ने मई, 1949 में भारत की राष्ट्रमांर्ि की सद्यता की
की ्थापना की गयी। महासांघ कभी भी अस्तत्व में नहीां आया तयोंकक
पुसष्ट्ि की। साथ ही, 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान
ररयासतों ने इसे शालमि नहीां ककया था।
्वीकार कर लिया गया। 22 जुिाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।
(2) प्राांतों में समाप्त हुई दोहरा शासन और इसके ्थान पर 'प्राांतीय
10. 11 सत्रों के लिए वविानसभा की बैठक हुई, अांनतम प्रारूप तैयार करने
्वायत्तता' पेश की। िेककन केंद्र में यह दोहरा शासन शुरू ककया; हािाांकक
के लिए 2 साि, 11 महीने और 18 टदन िगे, कुि में 141 टदन बैठे और
वह कभी भी अस्तत्व में नहीां आया था।
114 टदन के लिए प्रारूप सांवविान पर ववचार ककया गया। कुि रालश 64
(3) साथ ही साथ उदास वगों के लिए अिग-अिग मतदाताओां के साथ-
िाि रुपए के आसपास थी।
साथ प्रान्तों में द्ववसदन भी शरू
ु ककया। 11. वविानसभा में 15 मटहिा सद्य थी जो ववभाजन के बाद 9 हो
(4) केंद्र में आरबीआई और एक सांघीय अदाित की ्थापना की गयी।
गयी थी।
12. घिक सम्मेिन के कुछ महत्वपूणण सलमनतयाां अपने सांबांधित अध्यक्षों
भारतीय स्वतंत्रता अधधतनयम 1947
के साथ इस प्रकार हैं:
(1) ववभाजन योजना या माउां िबेिन योजना (3 जून 1947) दे श के
(A) केंद्रीय शसतत कमेिी:- जवाहर िाि नेहरू
ववभाजन और आथिी घोषणा (20 फरवरी 1947) को दे श को ्वतांत्रता
(B) सांघीय सांवविान सलमनत:- जवाहर िाि नेहरू
प्रदान करने के लिए प्रभाव दे ना था।
(C) प्राांतीय सांवविान सलमनत:- सरदार पिे ि
(2) भारत और पाकक्तान के दो ्वतांत्र आधिकाररक रूप से ननलमणत ककये
(D) प्रारूप सलमनत:- बी आर अांबेर्कर
गये, ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया और अपने ्वतांत्र सांवविानों को तैयार
(E) प्रककयाण ननयम समीनत:- र्ॉ. राजेन्द्र प्रसाद
करने के लिए दो ्वतांत्र राष्ट्रों के घिक वविानसभा को अधिकृत ककया।
(F) सांचािन सलमनत- र्ॉ। राजेन्द्र प्रसाद
(3) भारतीय ्वतांत्रता वविेयक को 18 जि
ु ाई, 1947 को शाही सहमनत
13. ननम्नलिखित प्रारूप सलमनत के सद्य थे
लमिी।
(A) र्ॉ. बी आर अांबेर्कर (अध्यक्ष)
(B) आिदी कृष्ट्ण्वामी अय्यर
संववधान का संववधान सभा और सववंधान का तनमाटण -
(C) र्ॉ. के एम मुांशी
महत्वपूणट ब द
ं ु
(D) एन गोपाि्वामी अय्यांगार
1. यह एम.एन. रॉय थे सजसने 1934 में भारत के लिए एक ्वतांत्र घिक
(E) सैयद मोहम्मद सादर्ल
ु िा
सांघ का ववचार प्र्ताववत ककया था।
(F) एन मािव राऊ
2. सांवविान सभा का गठन कैब्रबनेि लमशन योजना, 1946 द्वारा टदए
(G) िीिी कृष्ट्णमाचारी
गए टदशाननदे शों के अनुसार ककया गया था। लमशन का नेतत्ृ व पेटठक
14. सांवविान का अांनतम प्रारूप 26 नवांबर, 1949 को अपनाया गया था
िॉरें स ने ककया था और उनके अिावा दो अन्य सद्य शालमि थे -
और इसमें 8 कायणक्रम, 22 भाग और 395 िेि शालमि हैं।
्िै फोर्ण कक्रप्स और ए.वी अिेतजेंर्र।
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आठवें अनस
ु च
ू ी: C. सांवविान के उद्दे श्य: भारत के नागररकों को न्याय, ्वतांत्रता,
सांवविान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएां, मि
ू रूप से इसकी 14 भाषाए थी समानता और भाईचारा प्रदान करने के लिए है ।
िेककन वतणमान में 22 भाषाए हैं। D. सांवविान को अपनाने की तारीि: 26 नवांबर, 1949।
नोि: मैधथिी और सांथािी को 2003 के 92 वें सांशोिन अधिननयम द्वारा 7. बरुभाडी सांघ मामिा (1960) - सुप्रीम कोिण ने कहा है कक प्र्तावना
जोडा गया था। सांवविान का एक टह्सा नहीां है ।
नौवीं अनुसूची: 8. केशवानांद भारती मामिा (1973) - सवोच्च न्यायािय ने पहिे की
भलू म सि
ु ारों और जमीांदारी प्रणािी के उन्मि
ू न और रायय के वविायकों राय को िाररज कर टदया और कहा कक प्र्तावना सांवविान का एक
के अधिननयमों और ववननयम (मि
ू रूप से 13, िेककन वतणमान में 282), टह्सा है ।
सांसद दस
ू रे मामिे से ननपिने क लिए, पहिे सांशोिन (1951) द्वारा 9. प्र्तावना न तो वविानमांर्ि की शसतत का स्रोत है और न ही
जोडा गया वविानयका के अधिकारों पर प्रनतबांि है । प्र्तावना में प्राविान कानन
ू
दसवीं अनुसूची: के अदाित में िागू नहीां होते हैं, अथाणत यह गैर-न्यायसांगत है ।
उर्लिांघन क आिार पर सांसद और रायय वविान मांर्िों के सद्यों की
अयोग्यता 1985 के 52 वें सांशोिन अधिननयम द्वारा जोडा गया, सजसे संघ और इसका िेत्र
ववरोिी चरमपांथी कानून भी कहा जाता है ।
1. सांवविान के भाग -1 में 1 से 4 के तहत सांघ और उसके क्षेत्र के
ग्यारहवी अनुसूची:
साथ काम करता है ।
पांचायतों की शसततयाां, अधिकार और सजम्मेदाररयों को ननटदण ष्ट्ि करता है
इसमें 29 मामिे हैं यह अनुसूची 1993 के 73 वें सांशोिन अधिननयम 2. अनुच्छे द 1- भारत, अथाणत ्, 'राययों के सांघ' के रूप में भारत।
करती है इसमें 18 मामिे हैं यह कायणक्रम 1992 के 74 वें सांशोिन में दो शसततयाां दे ता है :
अधिननयम द्वारा जोडा गया था। A. भारत सांघ के नए राययों में प्रवेश करने की शसतत; और
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2. सांवविान भारत के नागररकों पर ननम्नलिखित अधिकारों और 13. अब दोनों योजनाएां 9 जनवरी 2015 से प्रभावी हो गई हैं।
भारत के नागररक होने को मानना या जो भी व्यसतत माना जाता (b) िमण, जानत, जानत, लिांग या जन्म ्थान (अनुच्छे द 15) के
(E) भारतीय सांघ में ककसी अन्य क्षेत्र का अधिग्रहण करके (vi) व्यवसाय (अनुच्छे द 19)
(b) अपरािों के लिए सजा के सांबि
ां में सांरक्षण (अनच्
ु छे द 20)।
9. नागररकता की हानन - समासप्त, त्याग और स्थरता है ।
(c) जीवन और व्यसततगत ्वतांत्रता का सांरक्षण (अनुच्छे द 21)
10. भारत एकि नागररकता प्रदान करता है
(d) प्राथलमक लशक्षा का अधिकार (अनुच्छे द 21 ए)
11. पीआईओ- गह
ृ मांत्रािय के तहत पीआईओ कार्ण िारक के रूप में (e) कुछ मामिों में धगरफ्तारी और ननरोि के खििाफ सांरक्षण
पांजीकृत व्यसतत 1 9-08-2002 के टदनाांककत योजना
(अनुच्छे द 22)
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E. शोषण के ववरुद्ि अधिकार (आिेि 23-24) 4. भारत सरकार अधिननयम, 1935 में उसर्लिखित ननदे शों के सािनों के
(a) इांसानों और मजबूर श्रलमकों में यातायात का ननषेि समान।
(अनच्
ु छे द 23) 5. मौलिक अधिकारों के साथ-साथ उन्हें सांवविान के वववेक के रूप में
G. साां्कृनतक और शैक्षक्षक अधिकार (अनुच्छे द 29-30) द्वारा उनके उर्लिांघन के लिए कानन
ू ी रूप से िागू करने योग्य नहीां
हैं। इसलिए, सरकार (केंद्रीय, रायय और ्थानीय)को उन्हें िागू करने
(a) अर्लपसांख्यकों की भाषा, लिवप और सां्कृनत का सांरक्षण
के लिए मजबूर नहीां ककया जा सकता है । कफर भी, सांवविान (अनुच्छे द
(अनुच्छे द 29)
37) ्वयां ही कहता है कक ये लसद्िाांत दे श के शासन में मूिभूत हैं
(b) शैक्षक्षक सां्था ्थावपत और प्रशासन के लिए अर्लपसांख्यकों
और कानन
ू बनाने में इन लसद्िाांतों को िागू करने के लिए रायय का
का अधिकार सां्थाएां (अनुच्छे द 30)
कतणव्य होगा।
H. सांवैिाननक उपचार का अधिकार (अनुच्छे द 32) - टदि और आत्मा 9. र्ीपीएसपी में कुछ महत्वपूणण िेि हैं:
का सांवविान। A. न्याय-सामासजक, आधथणक और राजनीनतक-द्वारा सामासजक
उच्चतम न्यायािय को मौलिक अधिकारों को िागू करने के अधिकार क्रमबद्िता हालसि करके िोगों के कर्लयाण को बढ़ावा दे ना- और
को हिाने के अधिकार आय, स्थनत, सवु विाएां और अवसरों में असमानताओां को कम करने
(I) बन्दी प्रत्यक्षीकरण,, (ii) परमादे श, (iii) ननषेि, (iv) प्रमाखणकता, और के लिए (अनुच्छे द 38)।
(v) पच्
ृ छा (अनुच्छे द 32)। B. सुरक्षक्षत करने के लिए:- (a) सभी नागररकों के लिए आजीववका
7. अनुच्छे द 33, मौलिक अधिकारों को सांशोधित करने के लिए सांसद के के पयाणप्त सािनों का अधिकार; (b) आम व्तुयों के लिए समुदाय
अधिकार से सांबांधित है । के भौनतक सांसािनों का न्यायसांगत ववतरण; (c) िन और उत्पादन
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G. ग्राम पांचायतों को व्यवस्थत करने के लिए और उन्हें आवश्यक 4. 1976 में , नागररकों के मौलिक कतणव्यों को सांवविान में जोडा गया
शसततयों और अधिकार प्रदान करने के लिए उन्हें आत्म-सरकार था। 2002 में, एक और मौलिक कतणव्य जोडा गया था।
की इकाइयों के रूप में कायण करने के लिए सक्षम करने के लिए 5. उन्हें 1975 में इांटदरा गाांिी द्वारा गटठत की गई ्वणण लसांह सलमनत
(अनुच्छे द 40) की लसफाररशों पर जोडा गया था। इसमें केवि 8 मूिभत
ू कतणव्यों की
H. ग्रामीण क्षेत्रों में ककसी व्यसतत या सहयोग के आिार पर कुिीर लसफाररश की गई थी, साथ ही साथ आधथणक दां र् भी। हािाांकक, सरकार
उद्योगों को बढ़ावा दे ना (अनुच्छे द 43)। ने सजा का टह्सा ्वीकार नहीां ककया।
I. नशीिी दवाओां और दवाओां की िपत को प्रनतबांधित करने के लिए 6. एक नया टह्सा – चोथा ए, एक नया िेि 51 ए को 42 वाां सांवैिाननक
जो ्वा्थ्य के लिए हाननकारक हैं (अनुच्छे द 47)। सांशोिन अधिननयम, 1976 के आिार पर जोडा गया था। दस कतणव्यों
J. गायों, बछडों और अन्य दग्ु िों के मारे जाने और मवेशी मवेलशयों को 51 ए में जोडा गया था। वतणमान में ग्यारह कतणव्य हैं
को मारने और उनकी न्िों (अनच्
ु छे द 48) में सि
ु ार करने के 7. 11वीां मौलिक कतणव्यों को 86 वें सांशोिन अधिननयम, 2002 द्वारा
लिए। जोडा गया था।
K. सभी नागररकों के लिए पूरे दे श में एक समान नागररक सांटहता 8. सूची ननम्न है
सुरक्षक्षत करने के लिए (अनुच्छे द 44) (a) सांवविान का पािन करना और उसके आदशों और सां्थानों,
L. छह साि की उम्र पूरी होने तक सभी बच्चों के लिए बचपन की राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान; का सम्मान करना,
दे िभाि और लशक्षा प्रदान करना। इसके अिावा, 86 वीां सांवैिाननक (b) ्वतांत्रता के लिए राष्ट्रीय सांघषण को प्रेररत करने वािे महान आदशों
सांशोिन अधिननयम, 2002 द्वारा सांशोधित (अनुच्छे द 45) । का पािन करना;
M. रायय की सावणजननक सेवाओां में न्यायपालिका से कायणकारी को (c) भारत की सांप्रभुता, एकता और अिांर्ता को बनाए रिने और
अिग करने के लिए (अनुच्छे द 50) सांरक्षक्षत करना;
N. अांतरराष्ट्रीय शाांनत और सरु क्षा को बढ़ावा दे ने और राष्ट्रों के बीच (d) दे श की रक्षा करने और राष्ट्रीय सेवा प्रदान करने के लिए जब
लसफण और सम्माननीय सांबांि बनाए रिने के लिए; अांतरराष्ट्रीय ऐसा करने के लिए कहा जाये;
कानून और सांधि दानयत्वों के प्रनत सम्मान करने और मध्य्थता (e) िालमणक, भाषाई और क्षेत्रीय या आांलशक वववविता से आगे बढ़कर
(अनुच्छे द 51) द्वारा अांतराणष्ट्रीय वववादों के ननपिान को प्रोत्साटहत और मटहिाओां की गररमा के लिए अपमानजनक प्रथाओां को
करने के लिए। त्यागने के लिए भारत के सभी िोगों के बीच सामांज्य और
10. 2002 के 86 वें सांशोिन कानन
ू ने अनच्
ु छे द 45 के ववषय को बदि समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा दे ना;
टदया और प्राथलमक लशक्षा को िारा 21 ए के तहत एक मौलिक (f) दे श की समग्र सां्कृनत की समद्
ृ ि ववरासत को महत्व और
अधिकार बनाया। सांशोधित ननदे शानुसार रायय को सभी बच्चों के लिए सांरक्षक्षत करने के लिए;
बचपन की दे िभाि और लशक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है , जब (g) जांगिों, झीिों, नटदयों और वन्य जीवन सटहत प्राकृनतक पयाणवरण
तक कक वे छह साि की आयु परू ी नहीां करते है । की रक्षा और सि
ु ार करने के लिए और जीववत प्राखणयों के लिए
11. 97 वें सांशोिन कानून 2011 ने सहकारी सलमनतयों से सांबांधित एक करुणा रिना;
नया ननदे शक लसद्िाांत जोडा है । इसके लिए रायय को ्वैसच्छक गठन, (h) वैज्ञाननक गु्सा, मानवतावाद और जाांच और सि
ु ार की भावना
्वायत्त कायण, िोकताांब्रत्रक ननयांत्रण और सहकारी सलमनतयों के पेशेवर ववकलसत करने के लिए;
प्रबांिन को बढ़ावा दे ने की आवश्यकता है (अनुच्छे द 43 बी) (i) सावणजननक सांपवत्त की रक्षा करना और टहांसा को रोकना;
12. र्ीपीएसपी रायय के लिए ननदे श हैं। (j) व्यसततगत और सामटू हक गनतववधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट्िता
की टदशा में प्रयास करना ताकक राष्ट्र ननरां तर प्रयास और उपिसब्ि
मूलभूत कतटव्य के उच्च ्तर पर बढ़े ; तथा
(k) छह और चौदह वषण की उम्र के बीच अपने बच्चे या वार्ण के लिए
1. वे नागररकों के लिए 11 टदशाननदे श तैयार कर रहे हैं।
लशक्षा के अवसर प्रदान करना। यह कतणव्य 86 वीां सांवैिाननक
2. मूि सांवविान में एफर्ी के बारे में उर्लिेि नहीां ककया गया।
सांशोिन अधिननयम, 2002 द्वारा जोडा गया था।
3. यह ववचार पव
ू ण सोववयत सांवविान से लिया गया है और अब भी रूस
के पास नहीां है । शायद केवि जापान ही ऐसी एक बडा दे श है , सजसमें
बुननयादी कतणव्यों पर एक ववशेष अध्याय है ।
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