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अब जब क साल 2018 ख़ म हो चुका है हम इस बात पर ग़ौर करने जा रहे ह क बीता साल कैसे-कैसे
क़ानूनी फ़ैसल का साल रहा है।
सबरीमाला
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भ म ल गक भेदभाव नह हो सकता है। सबरीमाला म कोट ने सभी उ क म हला के वेश क
अनुम त 4:1 से द । इस पीठ क एकमा म हला जज इ म हो ा ने ब मत के इस फ़ैसले के
ख़लाफ़ अपना फ़ैसला दया। इस फ़ैसले क काफ दन से ती ा क जा रही थी।
[Indian Young Lawyer's Association & Ors. V. State of Kerala & Ors.]
समल गकता
आधार
भचार
इस फ़ैसले से भी सु ीम कोट ने 158 साल पुराने इस क़ानून को समा त कर दया। पीठ ने आईपीसी क
धारा 497 को ग़ैरक़ानूनी क़रार दया।इस क़ानून के ारा प त को कसी म हला का मा लक समझा
जाता था। यह क़ानून भचार को ग़ैरक़ानूनी मानता था। हालाँ क, कोट ने कहा है क भचार को
तलाक़ का आधार माना जाएगा। फ़ैसलेम यह भी कहा गया क अगर भचार के कारण प त या
प नी आ मह या करने को उ त होते ह तो भचार करने वाले पाटनर को ह या के लए उकसाने के
जुम म आईपीसी क धारा 306 के तहत सज़ा हो सकती है।
इ छामृ यु
पदो त म एससी/एसट के लए आर ण
हा दया
रफ़ाल
सु ीम कोट ने 2015 म ए रफ़ाल लड़ाकू वमान सौदे क जाँच क अपील क या चका अ वीकार कर
द । अदालत ने इस सौदे से स बं धत कसी भी प जैस,े नणय लेने क या, मू य नधारण और
ख़रीद क या क जाँच क अपील वीकार नह क ।कोट ने कहा क कस एक क सोच के
आधार पर कोट कोई नणय नह ले सकता। कोट ने यह भी कहा क कसी गत त य या
प र थ तय के आलोक म र ा ख़रीद के बारे म या यक पुनरी ण का नधारण करना होगा।
सु ीम कोट ने इसरो के पूव वै ा नक नांबी नारायण को ₹50 लाख का मुआवज़ा दे ने का आदे श दया।
कोट ने सु ीम कोट के पूव जज यायमू त डीके जैन क अ य ता म एक क मट का भी गठन कर
दया जसे उनके ख़लाफ़ सा ज़श म पु लस क भू मका क जाँच का ज़ मा स पा गया। तीन जज
क पीठ ने उनक या चका परयह फ़ैसला सुनाया ज ह ने अपने ख़लाफ़ केरल पु लस के शीष
अ धका रय क सा ज़श के व कारवाई करने क माँग क थी। उ ह ने आरोप लगाया था क
पु लस ने उनको यातना भी द थी और उ ह ग़ैर क़ानूनी ढं ग से जेल म बंद कर दया था।
छह माह से अ धक का थगन नह
[Asian Resurfacing of Road Agency Pvt. Ltd.& Anr. VS. Central Bureau of
Investigation]
जीएसट क वैधता
यायमू त एके सीकरी और अशोक भूषण क सु ीम कोट क पीठ ने व तु एवं सेवा कर (रा य को
मुआवज़ा) अ ध नयम, 2017 को वैध ठहराया। कोट ने व तु एवं सेवा कर मुआवज़ा शु क नयम,
2017 को भी सही ठहराया।
मु य यायाधीश रो टर का मा टर
कठु आ
भीमा कोरेगाँव
वदे शी व ध फ़म
कर छू ट म अ प ता
वतः ज़मानत
अगर कसी भी आरोपी के ख़लाफ़ पु लस ारा दायर आरोप प म ज े ने कसी तकनीक कारण
से वापस कर दया है तो उस थ त म आरोपी को वतः ज़मानत का अ धकार ा त है। सु ीम कोट
के दो सद य क पीठ ने कहा क कोई भी अदालत सीआरपीसी क धारा 167(2) के तहत रमांड क
अव ध को 90 दन से आगेनह बढ़ा सकता है। कोट ने कहा क कसी भी कोट को कसी भी
को 90 दन से अ धक समय तक बना आरोपप के जेल म बंद नह रख सकता।
[All India Judges Association & Ors. V. Union of India & Ors.]
यायमू त एके सीकरी, अशोक भूषण और इं दरा बनज क सु ीम कोट क पीठ ने कहा क जन
मामल म अ भयु को मौत क सज़ा द गई है उन मामल म वशेष अनुम त या चका को बना
कारण बताए ख़ा रज नह कया जा सकता।
कम ता वाले एमबीबीएस
कावेरी
Topics : 2018 के अहम फ़ैसले | सबरीमाला | समल गकता | आधार | भचार | इ छामृ यु