You are on page 1of 131

Text copyright © 2016 by Chetan Bhagat

All rights reserved. No part of this book may be reproduced, or stored in a retrieval system, or transmitted in any
form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording, or otherwise, without express written
permission of the publisher.

Published by Amazon Publishing, Seattle

www.apub.com

Amazon, the Amazon logo, and Amazon Publishing are trademarks of Amazon.com, Inc., or its affiliates.

eISBN: 9781503945999

Downloaded from Ebookz.in


मेरे यारे देश को िजसने मुझे वापस बुला िलया

Downloaded from Ebookz.in


िवषय सूची
प रचय
शुभ कामनाएं अ याय
1 अ याय
2 अ याय
3 अ याय
4 अ याय
5 अ याय
6 अ याय
7 अ याय
8 अ याय
9 अ याय
10 अ याय
11 अ याय
12 अ याय
13 अ याय
14 अ याय
15 अ याय
16 अ याय
17 अ याय
18 अ याय
19 अ याय
20 अ याय
21 अ याय
उपसंहार 1
उपसंहार 2
Downloaded from Ebookz.in
प रचय

यह हर दन नह होता क तुम सुबह उठते ही क यूटर के सामने बैठ जाओ और एक शिनवार को तु ह एक ई-मेल िमलता है-
ारा - ahd_businessman@gmail.com
भेजी गई - 12.08.2005. 11.40 P.M.
को - info@chetanbhagat.com
िवषय - एक अंितम नोट
ि य चेतन,
यह ई-मेल एक आ म-ह या नोट व अपराध वीकृ ित प दोन है। मने लोग के साथ ब त बुरा कया है इसिलए मेरे पास जीिवत रहने
का कोई कारण नह है। तुम मुझे नह जानते। म अहमदाबाद का एक साधारण सा लड़का ,ँ जो तु हारी िलखी कताब पड़ता है। मुझे
ऐसा लगा क म अपनी बात तु ह बताऊँ। म कसी को नह बता सकता म अपने साथ या कर रहा ।ँ म हर वा य के बाद न द क
गोली ले रहा -ँ मने सोचा क म यह बात तु ह बताऊँगा।
मने अपना कॉफ का कप रख दया और िगनने लगा। पांच वा य समा हो चुके थे।
-मने अपने जीवन म तीन गलितयां क थ -उनके िवषय म म िव तार से नह िलखूंगा।
खुदकु शी का मेरा यह फै सला भावुकता से नह िलया गया। मेरे प रिचत जानते ह क म एक अ छा िबज़नैसमैन ँ और म थोड़ा भावुक
भी ।ँ यह एक-दम से िलया गया फै सला नह है। इसके िलए मने पूरे तीन वष इ तजार कया है। हर दन म ईश का मूक चेहरा देखता।
पर कल जब उसने मेरी पेशकश को ठु करा दया तो मेरे पास और कोई रा ता नह बचा।
मुझे इस बात का कोई अफसोस भी नह । संभव है तब म िव ा से एक बार और बात करना चाहता-पर इस व वह िवचार भी मुझे
ठीक नह लगा।
मुझे अफसोस है क म आपको परे शान कर रहा ।ँ पर मुझे महसूस आ म कसी को यह सब बताऊं। तुम लेखक हो, सुधरने के िलए
तु हारे पास काफ रा ते ह। िनःसंदह
े तुम ब त अ छी पु तक िलखते हो। अ छा शुभ-स ाहांत!

Downloaded from Ebookz.in


शुभकामनाएं

17,18,19- अहमदाबाद म कह एक साधारण सा जवान िबजनैसमैन िजसने मुझे ई-मेल करते ए 19 न द क गोिलयां िनगल ल और
वह मुझसे आशा करता है क म अपना स ाहांत खुशी से िबताऊं। कॉफ मेरे गले से नीचे नह उतर रही थी। म पसीने से तर-ब-तर हो
रहा था।
‘एक, तुम देर से उठे । दूसरे उठते ही तुम सबसे पहले क यूटर पर बैठ गए। या तुम भूल गए क तु हारा एक प रवार भी है?’ अनुषा ने
कहा। इस सूरत म उसका सािधकार यह कहना काफ नह था क अनुषा मेरी प ी है?
मने उससे वादा कया था क म उसके साथ फन चर खरीदने चलूँगा। खरीददारी का यह वादा दस ह ते पहले कया गया था?
उसने मेरा कॉफ का कप उठाया और मेरी कु स को िहलाया।’ हम कु छ डाइ नंग चेयस क ज रत है?’ ' या बात है तुम कु छ परे शान
लग रहे हो?’ उसने कहा। मने मॉनीटर क ओर इशारा कया।
मेल पढ़ते ही उसने कहा-‘िबजनैसमैन’? वह भी थोड़ा कांप गई।
‘और यह अहमदाबाद से है’, मने कहा 'वह सब हम पता है।
‘ या तु ह लगता है यह स य है?’ वह बोली, उसक आवाज म कं पन था।’यह पैम नह ’ मने कहा 'यह मुझे संबोिधत क गई है।’
मेरी प ी ने बैठने के िलए टू ल ख च िलया? मुझे लगा हम वाकई कु छ कु सय क ज रत है।
‘सोचो हम कसी और को यह बात बतानी चािहए, अ छा हो अगर उसके माता-िपता को बता पाएं 'उसने कहा’
‘कै से? मुझे पता नह यह स देश मेरे पास कहां से आया’ मने कहा 'और हम
अहमदाबाद म कसे जानते ह?’
‘हम अहमदाबाद म ही िमले थे याद है?’-अनुषा ने कहा। एक िनराधार बात मने सोची। आई आई एम-ए हाँ, हम वष पहले
आईआईएम-ए म लास मेट थे 'तो’ मने कहा।
‘सं थान को फोन करो, ो. बसंत या कसी और को’ उसने कहा और कमरे से बाहर िनकल गई यह कहते ए क दाल जल रही है?
अपने से अिधक समझदार प ी का होना कई बात म फायदेमद ह। म कभी भी जासूस नह बन सकता।
मने इं टरनेट पर इं टी ूट का नंबर ढू ढ़ा और फोन िमलाया। एक ऑपरे टर ने मुझे ो. बसंत के घर का नंबर िमला दया। मने समय
देखा, संगापुर म इस व दस बजे थे और भारत म सुबह के साढ़े सात। मुझे यह अ छा नह लगा क सुबह सुबह कसी ो. को िड टब
कया जाए।
‘हैलो’ एक न द से भरी आवाज थी। ोफे सर ही ह गे।
‘ ो. बसंत, हाय। म चेतन भगत बोल रहा ?ँ आपका पुराना िव ाथ , याद है आपको?
‘कौन?’ उनक आवाज म अप रचय का पुट था। मने सोचा बुरी शु आत।
फर मने उ ह याद दलाया जो िवजय वो हम पढ़ाते थे और कै से हमने उ ह वोट दए थे कै पस के सबसे डली ोफे सर होने का।
शंसा ने अपना रं ग दखाया।’ ओह वह चेतन भगत’, उ ह ने कहा, जैसे वो हजार को जानते ह , ‘तुम अब लेखक हो न?’
‘हां सर, वही।'-मने कहा।
‘अ छा तो तुम पु तक य िलख रहे हो?’
‘बड़ा क ठन है सर।’
‘अ छा, ठीक है, तो एक आसान सवाल है, तुम मुझे शिनवार को इतनी सुबह सुबह य फोन कर रहे हो?’
मने उ ह सारी बात बताई और ई-मेल उ ह भेज दया।
‘कोई नाम नह ’ वे बोले, जैसे ही उ ह ने ई-मेल पढ़ा।
‘वह अहमदाबाद के कसी ह पताल म हो सकता है? हो सकता है उसका चैक-अप हो रहा हो, हो सकता है वह मर गया हो। हो सकता
है वह घर पर ही हो-कु छ भी हो सकता है।’ मने कहा।
म दुिवधा म था, परे शान था। म अपने और उस लड़के के िलए मदद चाहता था। ोफे सर ने मुझसे एक अ छा सवाल कया था म
िलखता ही य -ँ ऐसी बात म पड़ने के िलए?
‘हम ह पताल म पता कर सकते ह?’ ोफे सर ने कहा, ‘म अपने टू डटस को कहता ,ँ पर अगर उसका नाम पता चल जाता तो काम
आसान हो जाता, ओह ठहरो, उस लड़के का जी-मेल म एकाउं ट होगा, हो सकता है वो ऑरकु ट पर हो।’
‘और या'? कई बार अपने से अिधक चु त लोग से बात करने पर भी सम या हो जाती है।
तुम दुिनया से अलग रहते हो चेतन। ओरकु ट एक नेटवक साइट है। जी-मेल का इ तेमाल करने वाले वहां पर अपने साइन करते ह। अगर
वह लड़का वहां का मबर होगा तो वहां उसने साइन ज र कए ह गे। और क मत अ छी ई तो हम वहां से उसके नाम का पता चल
जाएगा।
मने उसक नॉब घुमाने क आवाज सुनी। म अपने पी. सी के सामने बैठ गया। म अभी ऑरकु ट क साइट देख ही रहा था क एकदम
ोफे सर बसंत क आवाज सुनाई दी, ‘अहा, अहमदाबाद िबजनैसमैन। उसका थोड़ा सा प रचय है। नाम है जी.पटेल, दलच पी- के ट
म, िबजनैस म, मैथेमा ट स और-दो त म? या तु ह नह लगता क वह ऑरकु ट का काफ इ तेमाल करता होगा।’
‘ ो. बसंत! आप या बात कर रहे ह? म उसके सुसाईड नोट से परे शान ँ जो उसने खास तौर पर मुझे भेजा है और आप मुझे उसक
हॉबीज के बारे म बता रहे ह? आप मेरी कोई मदद कर सकते ह या.......?’
कु छ समय क चु पी के बाद, ‘म अपने कु छ टू डटस के साथ कसी जवान पेशट क तलाश करता ं िजसने न द क गोिलयां ज रत से
यादा खाली ह और िजसका नाम जी-पटेल है। अगर हम कु छ पता चला तो तु ह सूचना दे दगे, ओ.के .।’
‘ठीक है सर,’ मने िनि तता से सांस लेते ए कहा?
‘अ छा अनुषा कै सी है? तुम दोन अपनी डेट पर जाने के िलए मेरी लास से बंक मार जाते थे और अब मुझे भूल गए हो।
‘सर! वो िब कु ल ठीक है।’
‘अ छा है, म हमेशा महसूस करता था क वह तुमसे यादा माट है।’ खैर तु हारे उस लड़के क तलाश करते ह। ो. ने कहा और बंद
कर दया।
फन चर क खरीददारी के साथ, मने अपने आ फस का एक काम भी करना था, मेरा और माइ कल का बॉस यूयाक से आने वाला था।
माइ कल ने कहा था क बॉस को भािवत करने के िलए हम 50 चाटस के साथ अपने ुप क ेजटेशन कर। म िपछले ह ते से रात एक
बजे तक काम करता रहा फर भी आधा ही हो पाया। ‘मेरा एक सुझाव है अगर तुम अ यथा न लो। पर नहाने का िवचार बनाओ'। मेरी
प ी ने कहा।
मने उसे देखा।
‘एक िवक प है।’ उसने कहा।
मने सोचा वह कभी-कभी यादा ही सोचने लगती है। मने कोई जवाब नह दया। ‘हां! हां! म नहा लूंगा’, मने कहा और फर क यूटर
क तरफ देखने लगी। िवचार मेरे दमाग म घूमते रहे। या म भी अपनी तरफ से कु छ ह पताल म पता क ँ ? या होगा, अगर ो.
बसंत कु छ कर न पाए? या वे टू डटस को इक ा न कर पाए? या होगा अगर जी. पटेल मर गया हो? और म य इन बात म
उलझता जा रहा ।ँ
म शावर के नीचे खड़ा हो गया। फर आ कर मने आ फस काम करने क कोिशश क पर थ। म एक भी श द टाइप नह कर पाया।
मने ना ते के िलए भी मना कर दया बाद म मुझे इसका प ाताप आ य क भूख और उ सुकता साथ-साथ नह चल पाती।
1.33 पर मेरे फोन क घंटी बजी।
‘हैलो’ िनःसंदह े ो. बसंत क आवाज थी, ‘िसिवल हाि पटल म है? उसका नाम गोिव द पटेल है, 25 वष का है मुझे पता चला क वो
मेरा ही सै कं ड ईयर का टू डटस’ है।
‘और’
‘और वह िज दा है। पर बात नह करता, अपने प रवार से भी नह । शायद सदमे म है।’
‘डा टर या कहते ह?’ मने पूछा।
‘कु छ नह , यह सरकारी ह पताल है? तुम या उ मीद करते हो? खैर वो उसका पेट साफ कर दगे और उसे घर भेज दगे। म अब यादा
फ नह क ं गा। अपने एक टू डटस से क ग ं ा क वो शाम को जाकर एक बार फर देख आए।’
‘पर उसक कहानी या है? आ या?’
‘वो सब मुझे नह पता। सुनो तुम भी अपना दमाग यादा खराब न करो। इं िडया एक बड़ा देश है। ये सब यहां चलता है। तुम िजतना
भी इसम उलझोगे पुिलस तु ह उतना ही परे शान करे गी।’
इसके बाद मने ह पताल म फोन कया। पर ऑपरे टर इस के स के बारे म कु छ नह जानता था और संबंिधत वाड म फोन-लाईन िमलाने
क सुिवधा नह थी।
अनुषा ने भी चैन क सास ली क लड़का सेफ है। फर उसने दन का ो ाम बताया- डाई नंग चेयस खरीदने का- जो एलै जडरा रोड
पर िमलगी। हम वहां तीन बजे प चं !े हमने कम जगह घेरने वाली टेबल-चेयस देखी? एक टेबल देखी जो चार बार फो ड होकर कॉफ
टेबल बन जाती थी। बड़ी सु दर थी।
‘म जानना चाहता ँ क 25 साल के िबजनैस मैन को आिखर आ या था?’ म बुदबुदाया।
‘तु ह पता चल जाएगा, उसे जरा ठीक हो जाने दो। जवानी के कु छ कारण ह गे, ेम म धोखा, कम न बर या स वगैरह।’ म चुप रहा।
‘अब छोड़, भी, उसने तु ह ई-मेल कया। तु हारे ऑ फस का काम तु हारे आगे है। तु ह इस बात म और उलझने क ज रत नह है।
बताओ कु सयां छ : लेनी ह या आठ?’ वह शीशम के बने एक सैट क तरफ बढ़ी।
मने कहा हमारे घर इतने कौन से मेहमान आते ह? छ: ही काफ ह गी।
‘दो फालतू कु सय क ज रत मुि कल से 10 ितशत है।’ मने कहा।
‘तुम आदमी भी िबकु ल मददगार नह होते?’ वह मुड़ी और छ: कु सयां चुन ल ।
मेरा दमाग फर िबजनेसमैन क तरफ घूम गया।
हां, सभी ठीक ही कहते ह मुझे इस म इतना नह उलझना चािहए? पर फर भी दुिनया के सारे लोग को छोड़ कर उसने मुझे ही अपना
आिखरी नोट य भेजा। म कोई मदद नह कर सका पर उलझ ज र गया ।ँ
हमने आई कया के आगे फू ड कोट म अपना लंच िलया।
‘मुझे जाना पड़ेगा मने अपनी प ी को लेमन राइस खाते ए बताया।
‘कहां? ऑ फस। ओ.के . मेरा काम हो गया है तुम अब हो’ मेरी प ी ने कहा।’ नह । म अहमदाबाद जाना चाहता ।ँ म गोिव द पटेल
से िमलना चाहता ?ँ ’ मने उससे नजर चुराते ए कहा।
‘ या तुम पागल हो?’
मेरा याल है क यह के वल मेरी जैनरे शन म ही क भारतीय औरत अपने पितय को मात देती ह?
‘मेरा दमाग बार-बार वह जा रहा है।’ मने कहा।
‘तु हारी ेजटेशन का या होगा? माइकल तु ह छोड़ेगा नह ।’
‘म जानता ।ँ उसे ोमेशन नह िमलेगी अगर वह अपने बॉस को भािवत नह कर सका।’
मेरी प ी ने मेरी ओर देखा? मेरा चेहरा खुद एक वाद बना आ था। वह जानती थी क म जब तक उस लड़के को िमल नह लूंगा। म
सहज नह हो पाऊँगा।
‘अ छा, वहां के िलए एक ही सीधी लाइट है शाम छ: बजे। तुम टकट के बारे म पता कर लो।’ उसने संगापुर लाइन का न बर
िमलाया और फोन मुझे थमा दया।
नस ारा बताए गए कमरे म म गया। वहां इतनी चु पी और अंधेरा था क मेरे कदम क आहट सुनाई दे रही थी। दस डॉ टरी-
उपकरण लगे ए थे िजनक तार उस आदमी पर जा कर ख म हो जाती थ । कु छ अंतराल पर लाईट जलती-बुझती थ । हजार मील का
सफर तय कर, इस गोिव द पटेल को म देखने आया था।
सबसे पहले मने उसके घुंघराले बाल को देखा। उसका रं ग गे आ
ँ था और भरी भौह। दवाइय ने उसके होठ को खु क कर दया था।
‘हाय, चेतन भगत.. लेखक िजसे तुमने िलखा था’ मने कहा, िव वास नह था क वह मुझे पहचाने।
‘ओह, तुम ने मुझे.... कै से ढू ंढ िलया?’ उसने कहा, बोलने म उसे द त महसूस हो रही थी।
‘मने अंदाजा लगाया.... और प च
ं गया।’ मने कहा।
मने हाथ िमलाया और उसके पास बैठ गया। उसक मां कमरे म आई। वो भी न द म लग रही थी। शायद वो भी ली पंग िप स का
इ तेमाल करती होगी। मने उसका अिभन दन कया, फर वह बाहर चली गई चाय लाने के िलए।
मने फर लड़के क तरफ देखा। मेरी दो बल इ छाएं जागृत ई - पहली यह क उसे पूछूं क या आ था, दूसरी क उसे थ पड़ मा ं ।
उसने अपने िब तर से जरा उठते ए कहा, ‘ऐसे मत देखो तुम मुझ से काफ नाराज हो, सॉरी। मुझे तु ह वह मेल नह भेजनी चािहए
थी।’
‘मेल को भूल जाओ जो तुमने कया, वो तु ह नह करना चािहए था।’
उसने गहरी सांस ली। उसने मुझे पूरा और फर सब तरफ देखा।
‘मुझे कोई अफसोस नह ’ उसने कहा।
‘शटअप। इसम कोई बहादुरी नह । डरपोक गोिलयां खाते ह।’
‘तुम भी ऐसा ही करते, अगर तुम मेरी जगह पर होते?’
‘ य ? तु ह या आ था?’
‘इससे कोई फक नह पड़ता।’
हम खामोश हो गए य क उसक मां चाय लेकर आ गई थी। इतने म एक नस आई और उसने उसक मां को घर जाने को कहा पर
उसने साफ इं कार कर दया। आिखर डा टर को बीच म पड़ना पड़ा।
वह रात के 11.30 बजे चली गई। म कमरे म क गया, डॉ टर से इजाजत लेकर म ज दी ही चला जाऊँगा।
‘चलो, अब तुम मुझे अपनी कहानी सुनाओ’ मने कहा जब हम अके ले हो गए। ‘ य ? तुम मेरे िलए या करोगे? जो हो चुका है? उसे तुम
बदल नह सकते।’ उसने बड़े थके ए लहजे म कहा। ‘तुम कहानी के वल इसिलए नह सुनते क बीत चुके को बदला जा सके । कई बार
यह मह वपूण होता है क जाना जाए क या आ था।’
‘म एक िबजनैसमैन ।ँ मेरे साथ जो भी लोग संबंध रखते ह के वल अपने फायदे के िलए। तु हारा या फायदा है इसम? और फर म
अपना समय यूं बबाद क ं तु ह बताने म?’
मने उस कोमल से चेहरे को गौर से देखा और देखी उसम िछपी कठोरता को।
‘ य क म इसे दूसर तक प च
ं ाना चाहता ।ँ ’ मने कहा 'यही मेरी दलच पी है।’
‘ य कोई भी इसक परवाह करे ।’ मेरी कहानी कोई डंडी या ट ी या सै सी नह आई आई टी या कॉल-सटस क तरह।
वो िहला और उसने अपनी रजाई उतार दी जो उसके सीने को ढके ए थी। हमारे वातालाप और हीटर ने कमरे को गम रखा।
‘म सोचता ,ँ वो परवाह करगे।’ मने कहा, ‘एक जवान लड़का आ म-ह या करने क कोिशश करता है, यह बात जंचती नह ।’
‘कोई भी मेरी तरफ यान नह देता।’
मने कोिशश क , पर अपने पर संयम रखना मुि कल हो रहा था। मने उसके थ पड़ मारने क दुबारा सोची।
‘सुनो,’ मने कहा, ऊँची आवाज म िजतनी क ह पताल म जायज थी। ‘तुमने आिखरी मेल भेजने के िलए मुझे चुना। इसका मतलब है क
काफ हद तक तु ह मेरे ऊपर िव वास था? मने तु हे ढू ंढा और मेल िमलने के कु छ ही घंट म म उड़कर तु हारे पास आया ?ँ फर भी
तुम पूछ रहे हो क म तु हारी परवाह करता ?ँ और अब तु हारा यह - -नज रया, यह गु सा या तु हारे िबजनैस का िह सा है? या
तुम मेरे साथ एक दो त क तरह बात नह कर सकते? या तुम जानते भी हो क एक दो त या होता है?’
मेरी ऊंची आवाज सुन कर एक नस कमरे म आई। हम चुप हो गए। घड़ी आधी रात क सूचना दे रही थी।
वह भौच ा सा बैठा था। आज के दन सभी ने उसके साथ अ छा वहार कया था। म खड़ा हो गया और उससे थोड़ा दूर चला गया।
‘म जानता ँ क एक दो त या होता है!’ आिखर म उसने कहा।
म फर उसके पास बैठ गया।
‘म जानता ँ क दो त या होता है! य क मेरे दो दो त थे दुिनया म सबसे अ छे।
.....................

Downloaded from Ebookz.in


एक

भारत बनाम दि णी अ का
चौथा, ओ.डी.आई, वडोदरा
17 माच, 2000
45 ओवर
‘तुम वहां से िहले य ?’ ईशान क चीख टेिडयम म गूंजी, टी.वी. पर। म फश से उठ कर सोफे पर बैठ गया। ‘हां?’ मने कहा।
हम ईशान के घर पर थे - 'ईशान, ओमी और म। ईशान क मां हमारे िलए चाय और खाकरा लेकर आई। सोफे पर बैठकर ै स खाने म
यादा मजा आता है। तभी म सोफे पर बैठ गया था।
‘तदुलकर गया। ओह ऐसे समय। ओमी तुम िहलना मत। कोई भी अगले पांच ओवस म िहलेगा नह ।’
मने टी.वी. क तरफ देखा। हम जीतने के िलए 283 रन चािहए। एक बॉल से पहले इं िडया के 256-2 रन थे 45 ओवर के बाद। पांच
ओवर म 27 रन बनाने थे और हमारे पास 8 िवके ट थे और तदुलकर खेल रहा था। सब कु छ ठीक चल रहा था, भारत के प म, पर
तभी तदुलकर आऊट हो गया। उससे ईशान क यौ रयां चढ़ गई।
‘खाकरे बड़े पी ह, ओमी ने कहा। ईशान ने उसे घूर कर देखा, उसक िघघली बात पर जब क देश का मान-स मान दांव पर लगा
आ था। ओमी और मने अपने कप एक तरफ रख दए और दुखी सा मुंह बनाकर बैठ गए।
भीड़ ने तािलयां बजाई जब तदुलकर ज से बाहर आ। जड़ेजा ज पर आया और उसने छ: रन बनाए। 46 ओवर के बाद भारत क
ि थित 263-3 क थी। अब चार ओवर म 21 रन और बनाने थे, सात िवके ट बचे थे।
ओवर 46
‘उसने 122 बना िलए। उसने अपना काम कर दया। कु छ ही आिखरी शॉटस रहते ह। पर तुम इतने उतावले य हो रहे हो।’ मने टी.वी.
पर अ तराल के दौरान कहा। म अपना चाय का कप उठाने लगा पर ईशान ने न उठाने का इशारा कया। हम कसी भी तकरार म नह
पड़ना चाहते थे जब तक मैच का कोई फै सला नह हो जाता। ईशान ने कसी भी तरह हम को िहलने नह दया। मैच वडोदरा म हो रहा
था, अहमदाबाद से दो घंटे का रा ता है। पर हम वहां नह जा सके । एक तो हमारे पास पैसे नह थे,
दूसरे दो दन म मेरे प - वहार के पेपर थे। मने सारा दन मैच देखने म लगा दया इसिलए दूसरा कारण कोई अथ नह रखता।
5.25 रन एक ओवर म चािहए। ‘मने कहा म कै कृ लेट कए िबना नह रह पाया। यही कारण है क मुझे के ट पसंद है य क इसम
मै स यादा है।
‘तुम इस टीम को नह जानते। तदुलकर आऊट हो गया है। बाक टीम उखड़ गई है। बात ितशतता क नह । यह तो ऐसे है जैसे रानी
म खी मर जाती है और छ ा िबखर जाता है।’ ईशान ने कहा।
ओमी ने िसर िहलाया जैसे क वे हमेशा करता है जब भी ईशान के ट के बारे म कोई बात करता है।
‘चलो छोड़ो, मेरा याल है क तुम जानते हो क इम यहां मैच देखने के िलए इक े नह ए। हम यहां यह फै सला करने के िलए इक े
ए ह क िम. ईशान अपने भिव य म या करना चाहते ह?’ मने कहा।
ईशान हमेशा ही इस िवषय पर बात करने से कतराता है, जब से वह एन.डी.ए से भागा है एक वष पहले। उसके डैड हमेशा उस पर
ं य कसते ह क 'हर साल के क काट कर मनाया करो क एक साल तु हारा थ हो गया।’
आज म उसके िलए एक लान बना कर लाया था। म जानता था क हम सब इक े बैठ और अपने जीवन के , भिव य के िवषय म
बातचीत कर। बेशक के ट के आगे िज दगी दूसरे नंबर पर आती है।
‘बाद म,’ ईशान ने एक म क ऐड देखते ए कहा।
‘बाद म कब ईशान?’ मेरे पास एक आइिडया है जो हम सबके िलए ठीक रहेगा। हमारे पास यादा रा ते नह ह चुनने के िलए, या है?’
‘हम सब के िलए? म भी 'ओमी ने हैरानी से कहा। उस जैसे नासमझ कसी का, कह भी िह सा बनना पसंद करता है। इस बार हम
ओमी क ज रत है।
‘हां, ओमी तुम एक अ छे आलोचक हो पर ईश के बाद। जब?’
‘ओह, बस करो। देखो, मैच शु हो रहा है। ओ.के . िडनर पर बात करगे। चलो, आज गोपी के चलगे। ईश ने कहा।
’गोपी? पेमट कौन करे गा?’ मने अपना यान मैच क ओर कया, मैच शु हो चुका था।
प ...पी...प ... कार के हान ने हमारी वाता म बाधा डाली। बाहर कार खड़ी पी.पी... कर रही थी।
‘ओह या मुसीबत है, म इस बदमाश को अभी सबक िसखाता ’ं ईश ने िखड़क से बाहर झांकते ए कहा।
‘ या बात है?’
‘ या अमीर बाप क िबगड़ी औलाद, हर रोज हमारे घर के च र काटता है।’ ' य ?’ मने पूछा।
‘िव ा के िलए। वह उसके साथ को चंग लािसस म था। िव ा ने िशकायत क थी वहां पर।’ ईश ने कहा।
प ...पी...पी... कार दोबारा घर के नजदीक आ गई थी।
‘ओह मुसीबत। म मैच िमस नह करना चाहता।’ ईश ने कहा जैसे ही उसने इं िडया को चौका लगाते देखा।
ईश ने अपना बैट उठाया। हम घर से बाहर भागे। िस वर ऐ टीम ने पोल को च र काटा और दोबारा च र लगाने लगी। ईश कार के
सामने खडा हो गया और लड़के को कने के िलए कहा।
ऐ टीम एकदम ईश के सामने आकर क गई। ईश ाइवर के पास गया, जो एक माट जवान लड़का था। ‘ए स यूज मी, तु हारी
हैडलाईट बाहर लटक रही है।’
‘सच म लड़के ने कहा और लाईट ब द कर दी। वह कार से बाहर िनकला और सामने आया।
ईश ने उस लड़के को पीछे गदन से पकड़ा और जोर से उसका मुंह बोनेट पर मारा। फर ईश ने बैट से उसक हैड लाईट का शीशा तोड़
दया। ब ब बाहर लटकने लगा।
‘आप को या तकलीफ है,’ लड़के ने कहा, उसक नाक से खून बह रहा था। ‘तुम मुझे बताओ, तु ह या है, तुम यहां आकर हान बजाते
रहते हो।’ ईश ने कहा।
ईश ने उसका कालर पकड़ िलया और छ:-सात थ पड़ उसे जड़ दए। ओमी ने बैट पकड़ा और कार क िखड़ कयां तोड़ दी। शीशा
चकनाचूर हो गया। लोग इक े हो गए। ऐसा लग रहा था जैसे गली क लड़ाई देखना सबसे अिधक मनोरं जन क बात है।
लड़का पीड़ा और डर से कांप रहा था। वह अपने डैडी को या बतायेगा क उसक कार का शीशा कै से टू टा और उसके चेहरे को या
आ।
ईश के िपता ने शोर सुना और बाहर आ गए। ईश ने लड़के को बुरी तरह से अपनी बांह म जकड़ा आ था। लड़का सांस लेने के िलए
छटपटा रहा था।
‘उसे छोड़ दो।’ ईश के िपता ने कहा।
ईश ने उसे और जोर से जकड़ िलया।
‘मने तु ह कहा उसे छोड़ दो,’ ईश के िपता िच लाए, ‘यह सब या हो रहा है?’ 'यह िपछले ह ते से िव ा को तंग कर रहा है, ‘ईश ने
कहा। उसने लड़के को जोर से टांग मारी और छोड़ दया। लड़का घुटन के बल बैठ गया और जोर जोर से सांस लेने लगा। ईश के टांग
मारने से उसके नाक से और खून बहने लगा और चेहरा खून से भर गया।
‘और जो तुम कर रहे हो या वो ठीक है?’ ईश के िपता ने कहा।
‘म उसे सबक िसखा रहा ।ं ईश ने कहा और वंड- न म फं सा अपना बैट िनकाला।
‘अ छा, वैरी गुड, और तुम अपने सबक कम सीखोगे?’ ईश के िपता ने ईश को कहा।
ईश वहां से चला गया।
‘अब तुम जाओ 'ईश के िपता ने लड़के को कहा जो हाथ जोड़े खड़ा था। जब उसने देखा क उसक मा क ओर कोई यान नह दे रहा
तो वह अपनी कार क तरफ मुड़ा।
ईश के िपता अपने पड़ोिसय क ओर मुड़।े ‘पूरे एक वष से घर पर बैठा आ है। अपने ही देश क सेना से भाग आया है और अब दूसर
को सबक िसखाना चाहता है। वह और उसके लोफर दो त सारा दन घर पर धमा-चौकड़ी मचाए रखते ह। ईश ने अपने िपता को गहरी
दृि से देखा और घर के अंदर चला गया।
‘अब तुम या करने जा रहे हो?’ ईश के िपता िच लाए।
‘मैच देखने, या कोई कसर रह गई है मुझे लताड़ने क ।’ ईश ने कहा।
‘जब तुमने अपनी सारी िज दगी ही बबाद कर दी है तो एक दन से या फक पड़ता है।’ ईश के िपता ने कहा। पड़ोिसय ने भी उनक हां
म हां िमलाने के िलए िसर िहलाया।
िपछले पांच ओवर हमने िमस कर दए। इं िडया जीत गई और ईश यादा अप-सैट नह आ।
‘हां, हां, हां ईशान खुशी से उछला।’ आज गोपी के यहां मेरी तरफ से खाना रहा’ ईश ने कहा। म मूख को पसंद करता ।ं
असल म ईशान मूख नह है। कम से कम ओमी िजतना नह । दोन पढ़ाई म लगे रहते ह खास कर मै स म और म मै स म ब त अ छा
।ं यह लेबल मेरे ऊपर िचपका आ है। के वल यही लेबल। म तीन म सबसे गरीब ।ं बेशक म एक दन सबसे धनी बन जाऊंगा। फर
भी ईशान और ओमी भी यादा अमीर नह ह। ईशान के िपता टेलीफोन ए सचज म ह और बेशक उसके घर काफ फोन ह पर उनक
तन वाह ठीक ठीक ही है। ओमी के िपता वामी भि मं दर म पुजारी ह, जो असल म ओमी क निनहाल वाल का है। और वो इसके
िलए यादा तन वाह भी नह देत।े पर फर भी वह मेरे और मेरी मां के मुकाबले काफ अ छे ह, आ थक प से।
मेरी मां गुजराती ै स बनाने का काम करती है और म कु छ ूशन पढ़ाता ।ं इसी से हमारी गुजर होती है।
‘हम जीत गए, हम जीत गए 3 - 1 सीरीज से’ ओमी ने दोहराया जो उसने टी.वी. न पर देखा। उसके िलए ऐसी मौिलक बात करना
ब त बड़ी बात थी। कु छ लोग कहते ह क ओमी पैदाइशी मूख है, और कु छ कहते ह क छठी क ा म उसके िसर म काक-बाल लगने से
उसके दमाग पर असर पड़ा, तब से वह मूखतापूण बात करने लगा। मुझे कारण नह पता पर म इतना जानता ं क उसके िलए पुजारी
बन जाना ही सबसे अ छा है। उसके आगे कोई अ छा कै रयर नह है। मुि कल से उसने लस-टू कया, वो भी दो बार मै स म
क पाटमट आने के बाद। मेरा आइिडया अ छा था पर वो पुजारी बनना नह चाहता।
मने खाकरा खाया। मेरी मां ईशान क मां से अ छा बनाती है। हम इस काम म ोफै शनल ह।
‘म घर जाकर कपड़े बदल कर आता ं और फर हम गोपी के चलगे, ओ.के .?’ मने कहा जब क ईशान और ओमी अभी भी खुशी से नाच
रहे थे। भारतीय जीत के बाद नाचना हमने परं परा बना ली थी, जब हम यारह वष के थे जो तेरह तक चलती रही और अब हम 21 वष
के ह और ब क तरह नाच रहे ह। ओ.के . हम जीत गए, कसी ने तो जीतना ही था। मैथेमै टकल टम म इसक संभावना थी।
म घर आ गया।
पुराने शहर क तंग गिलयां शाम क भीड़ से भरी ई मेरे और ईशान के घर का फासला आधा क.मी. था। मेरी दुिनया म सभी चीज
का फासला इतना ही है। म नाना पाक से गुजरा। भारत के जीत जाने क खुशी म ब े वहां के ट खेल रहे थे। म भी अपने कू ल-टाईम
म म यहां रोज खेलता था।’ अब हम कभी-कभी यहां आते ह पर अिधकतर भी घर के साथ बने ए ाउं ड म ही बैठते ह।
एक टैिनस-बॉल मेरे पैर से टकराई। लगभग 12 वष का एक सुंदर सा लड़का मेरे पास आया भागता-भागता। मने गद उठाकर उसे दे
दी। नाना पाक म ही म ईशान और ओमी से पहली बार िमला था, पं ह वष पहले। जब हमारी िम ता ई तब ऐसी कोई िवशेष घटना
नह घटी थी। शायद हम छ:-छ: वष के हमउ थे, जो ाउं ड म िमले और इक े खेलना आरं भ कर दया।’
जैसे क सभी पड़ोसी-ब े होते ह, हम बलरामपुर यूिनिसपल कू ल म जाने लगे, जो नाना पाक से लगभग 100 मीटर दूर था। के वल म
ही पड़ता था, ईशान और ओमी जब भी मौका िमलता पाक म चले जाते। तंग गली म हम तीन क साई कल एक दूसरे के आगे चलने
क कोिशश म रहती। मुझे काजी रे तरां के कु छ अंदर को होना पड़ता य क उन दोन को रा ता देने के िलए। रे तरां का छोटा सा
कमरा खाने क खुशबू से भरा होता। खानसामा रात का खाना तैयार कर रहा था, आम दन से बड़ी पाट भारत क जीत क खुशी म।
ईशान और म कभी-कभी यहां आते थे (ओमी को बताए िबना) स ते खाने सौर िवशेषकर मटन के िलए।
मािलक हम पूरा भरोसा देता था क मीट बकरी का है गाय का नह । म उसका िव वास करता था, य क वह पड़ोस म नह रह सकता
था अगर वो गो-मांस देता। गोपी क बजाय म यहां खाना चाहता था। पर हमने गोपी के यहां का ो ाम बनाया था वैसे वहां भी काफ
अ छा खाना िमलता है। यहां खाना एक फै शन है, नशा है, िवशेषतौर पर य क गुजरात एक ाई- टेट है। इसीिलए लोग यहाँ खाने का
नशा करते ह।
हां, अहमदाबाद मेरा शहर है। यह हैरानी क बात है, पर तु जहां पर तुमने अपने जीवन का खुशी भरा, अ छा समय गुजारा हो वह
शहर तु ह दुिनया का सबसे अ छा शहर लगेगा। म भी अहमदाबाद के िवषय म ऐसा ही महसूस करता ।ं म जानता ं क अहमदाबाद,
द ली, ब बई या बंगलौर क तरह बड़ा शहर नह । म जानता ं क इन महानगर म रहने वाले लोग अहमदाबाद को एक छोटा टाउन
मानते ह, फर भी यह ऐसी बात नह । अहमदाबाद भारत का छठा बड़ा शहर है, िजसक आबादी 5 करोड़ के लगभग है। हां य द तुम
कसी िवशेष व तु के मह व को देखते हो तो शायद यह पहले न बर पर नह आता। म आपको बताऊंगा क अहमदाबाद देहली से
अिधक ब प ीय है और इसक सड़क ब बई क सड़क से यादा अ छी ह। बंगलौर से अिधक अ छे रे तरां ह - पर आप मेरा िव वास
नह करोगे। और आप करोगे भी, तो भी इस तरफ इतना यान नह दोगे। मुझे पता है क यहां का बेलरामपुर बां ा नह है पर म ऐसी
तुलना य कर रहा ,ं छोटे शहर म रहना या कोई बुरी बात है। हैरानी क बात यह है क छोटे शहर रहने वाले लोग कहते ह क
वा तिवक भारत यह है। मेरा अनुमान है ऐसे लोग का यह मानना है क बड़े शहर का भारत कसी िवशेष तर पर अमानवीय लगता
है। हां, म पुराने शहर अंदाबाद का रहने वाला ं और मुझे इस बात पर गव है। हमारे यहां कोई फै शन-शो नह होते और हम पसंद करते
ह क हमारे यहां क औरत उिचत कपड़े पहनती रह। म इसम कु छ गलत नह समझता। म काजी रे तरां से बाहर िनकला और घर क
राह पकड़ी, पोल के पास से ओमी के मं दर क तरफ मुड़ा। बेशक, हम इसे ओमी का मं दर ही कहते ह, य क वह वह पर रहता है, पर
उसका वा तिवक नाम है वामी भि मं दर य ही म अपनी गली का मोड़ मुड़ा, दो ि कू ड़ा पोल के पास फकने के च र म
पर पर लड़ रहे थे।
अपने छोटे से उस क बे म पड़ोिसय के वहार के िलए म कु छ बदलाव लाना चाहता ।ं कु छ बात म यह बाक के अहमदाबाद से
ब त पीछे है। पर यह पुराना शहर और अिधक साफ रह- सकता है। साबरमती के पार नया शहर बसा आ है, जहां शीशे और टील के
चमकते भवन ह, शहर साफ है जब क पुराने शहर का कू ड़ा-ककट भी समय पर साफ करवाना क ठन है।
म एक और चीज बदलना चाहता ।ं लोग जो एक दूसरे के बारे म बात बनाते ह गलत िवचार धाराएं बनाते और फै लाते ह। जैसे क
ओमी के मूख बनने क बात क के ट बॉल िसर पर लगने से दमाग पर असर हो गया। इसका कोई आधार नह पर बेलरामपुर का हर
ि यही बात कहता है और ईश के बारे म क वह एनडीए से िनकाला गया था भागा नह था। म जानता ं क यह बात सच नह है।
ईशान उन लाजवाब अिधका रय के ित जवाबदेह न हो सका। वैसे वो आम म जाने का इ छु क था ( य क उसके पास और कोई
रा ता नह था) पर वह कु छ मेजर-अिधका रय के म का पालन अगले बीस वष तक करने म वयं को असमथ पा रहा था।
इसीिलए उसने हजाना भरा और कु छ ि व सम याएं - जैसे क माता-िपता क बीमारी तथा ऐसी ही कु छ और - बता कर वहां से
बेलरामपुर वािपस आ गया था।
बेशक एक और चीज़ म समा करना चाहता था जो, सबसे ज री थी, िविध का िवधान - म उस दन भावुकताहीन हो गया था जब मेरे
िपता मुझे और मां को दस वष पहले छोड़ कर चले गए थे। और हम पता चला क उसी शहर म उनक एक और प ी भी है। जहां तक
मुझे याद है म भावुकता को पसंद नह करता। मुझे मै स अ छा लगता है, तक अ छा लगता है और इनम भावुकता का कह कोई थान
नह है। मेरा िवचार है क लोग भावुकता म ब त समय बबाद करते ह। भावुकता का सबसे बड़ा उदाहरण है, मेरी मां। िपता के चले
जाने के बाद महीन रोने-धोने का िसलिसला चलता रहा, जो भी औरत उनके पास हमदद जताने आत । मां ने एक और वष ऐसे ही
िबता दया योितिषय से ह के बारे म पूछने म। कौन सा ह उसके पित का उससे दूर ले गया और यह ि थित कब बदलेगी। फर
मासी-मािमय का तांता लगा रहा क मेरी मां अके ली नह रह सकती। यह िसलिसला तब तक चलता रहा जब तक म पं ह वष का
नह हो गया। फर मने मां को ै स का िबजनैस करने के िलए तैयार कर िलया, जीवन-िनवाह के िलए। अब तक उसके काफ आभूषण
िबक चुके थे।
उसके ै स अ छे थे पर वह अ छा िबजनैस नह कर सकती थी। भावुक लोग अ छे िबजनैसमैन नह बन सकते। वो उधार बेचती थी
और नकद सामान खरीदती थी। पहली गलती जो एक छोटा िबजनैसमैन करता है। दूसरी बात वह िहसाब नह रखती थी। घर का खचा
अ सर िबजनैस के खच म िमल जाता था। और अ सर महीन हम यह फै सला करते रहे क पहले घर के िलए चावल खरीदे जाय या
पापड के िलए काली िमच।
इसी दौरान, म िजतना पढ़ सकता था, पढ़ा। हमारा कू ल ऑ सफोड नह था जहां अ ययन पर अिधक जोर दया जाता, पढ़ने पर कम
यान था अ यापक का और िव ा थय से यादा लास को अ यापक छोड़ते थे। इस पर भी म हर वष मै स म पहले नंबर पर होता।
लोग ने सोचा क ये मुझे वरदान िमला है जब मने दसव लास म 100 नंबर िलए। पर मेरे िलए यह कोई ब त बड़ा काम नह था।
चचा का पहली बार मुझे लाभ आ। मेरे नंबर के िवषय म होने वाली लोग क चचा ने हमारी आय का साधन बढ़ा दया - ुशन।
बेलरामपुर म मा म ही मै स का ुशन पढ़ाने वाला था। ै स के साथ-साथ गनोमै ी और अ ज ा भी पटेल हाऊस हो ड म आय
का साधन बन गया। बेशक यही गरीब तबका था, वे अिधक फ स नह दे पाते थे। फर भी धीरे -धीरे हमारा जीवन तर बढ़ने लगा। पंखे
क जगह कू लर आ गया और कु सय क जगह पुराने खरीदे गए सोफे ने ले ली। िज दगी अ छी हो गई थी।
म ओमी के मं दर प चं ा। मं दर से आने वाली घं टय क आवाज ने मेरा यान भंग कया। मने समय देखा छ: बजे थे। ित दन क
आरती का समय था। मने ओमी के िपता को देखा, उनक आंख बंद थी और वो मं बोल रहे थे। बेशक म इन बात म अिधक िव वास
नह करता फर भी मने देखा क उनके चेहरे पर एक नूर था, रौशनी थी, ई र को याद करते समय, उसके ित ाथना करते समय
ऐसा होना वभािवक था। उसके िपता वहां के लोग म काफ लोकि य थे। ओमी क मां भी उनके साथ हाथ जोड़े खड़ी थी। उ ह ने
मै न रं ग क साड़ी पहनी ई थी और िसर ढका आ था। उनके साथ ही िब दु मामा- ओमी के मामा खड़े थे। जुड़े ए हाथ के कारण
उनक बाह और भी मांसल दखाई दे रही थी। उनक आंख भी भगवान कृ ण और राधा क तुित म लीन थ ।
ओमी आरती म अभी तक नह प च ं ा था। इसके िलए उसे घर वाल क नाराजगी सहनी पड़ेगी। पर ऐसा पहली बार नह आ। इस
व 6 बजे नाना पाक म होने वाले मैच क ठन दौर से गुजर रहे ह।
‘मैच कै सा रहा?’ मां ने कहा य ही म घर प च
ं ा। वह घर के बाहर ही खड़ी थी।
उसने अभी-अभी सारा सामान ऑटो म रखवाया था - एक शादी समारोह के िलए ताजा ढोकला। मेरी मां अब काफ मािहर हो गई थी
हर तरह से अपने काम म। उसने ऑटो म से एक ढोकला िनकाल कर मुझे दया। गलत बात - कसी भी ाहक के सामान म से कु छ
िनकाल लेना गलत बात है िबजनैस म।
‘ब त अ छा रहा, वाइं ट पर प च
ं गए थे, पर जीत गए। मने अंदर आते ए कहा। मने कमरे म प च
ं कर टयूब लाईट जलाई। हमारे
े म दन म भी घर म लाईट जलानी पड़ती है।
‘अगर दीवाली पर मेरा काम अ छा आ तो म तु ह लर टी.वी. ले दूग
ं ी। ’ मां ने कहा।
‘कोई ज रत नह ’ मने नहाने जाने से पहले जूते उतारते ए कहा।’ तु ह अपने काम के िलए बड़ा ाइं डर लेना चािहए, छोटे से अब
काम नह चलता।’
‘म टी.वी. तभी खरीदूग
ं ी अगर मुझे यादा आय ई हो तो।’ मां ने कहा।
‘नह अगर यादा आय ई तो उसे िबजनैस म ही लगा देना? फजूल क चीज न खरीदो। म मैच ईशान के घर कलर टी.वी पर देख लेता
।ं ’
माँ कमरे से बाहर चली गई। वह जानती थी क मेरे साथ बहस करना थ है। िपता के न होने से घर म मेरी कतनी सुनवाई है हैरानी
क बात है। और के वल म यह आशा करता ं क ईश और ओमी भी मेरे सुझाव सुनगे।
िबजनैस म मेरी दलच पी तब उ प ई जब मने ूशन पढ़ानी शु क । कतनी खुशी होती थी पैसा कमाने म। धन से न के वल
व तुएं आती थ - जैसे कू लर, सोफा आ द बि क एक और भी अ यािधक व तु ा होती थी और वह थी - इ त-स मान। दुकानदार
अब हमसे बचते नह थे, र तेदार ने हम फर से शा दय म बुलाना शु कर दया था, अब हमारा मकान-मािलक भी कोई ऊँची-
नीची बात नह करता था। और भी रोमांच यह था क कसी बॉस के नीचे या कु छ खच करके कमाई नह कर रहा था। म अपनी क मत
का फै सला वयं करता था, कतने िव ा थय को पढ़ाना है, कतने घंट के िलए लास के िहसाब से - ये मेरे वयं के फै सले होते थे।
गुजराितय क िवशेषता है - िबजनैस को यार करना और अ बावादी इसे सबसे यादा यार करते ह। भारत म गुजरात ही एक ऐसा
रा य है जहां लोग उन लोग क अिधक इ त करते ह, जो िबजनैस करते ह अिपतु उन लोग के जो नौकरी-पेशे म ह। देश के शेष
रा य के लोग अ छी आरामदायक नौकरी चाहते ह िजसम अ छी आय हो और जीवन भर के िलए िन चंतता हो। अहमदाबाद म
नौकरी कमजोर लोग करते ह। इसिलए मेरा सबसे बड़ा सपना था क एक दन म ब त बड़ा िबज़नैसमैन बनू।ं कमी थी तो के वल पूंजी
क । मने िन य कर िलया क म धीरे -धीरे धन कमाऊंगा और फर अपना सपना पूरा क ं गा। ईश अपना सपना भारतीय के ट टीम म
होने का कभी पूरा नह कर पाएगा, पर उसका यह सपना आरं भ करने के िलए मूखतापूण सपना है। अरब लोग वाले देश के पहले
यारह म होना असंभव है और बेशक ईश बेलरामपुर म ॉप पर है। वह तदुलकर नह था। मेरा सपना वा तिवकता के समीप है। म थोड़े
से चलूंगा और धीरे -धीरे अपना िबजनैस बढ़ाऊंगा। सैकड़ से हजार , हजार से लाख फर करोड़ फर और भी आगे।
म शावर के नीचे से आ गया और कपड़े पहने। ‘कु छ खाना खाना चाहते हो?’ मेरी मां क आवाज थी, कचन म से हमेशा क तरह।
‘नह , म ईश और ओमी के साथ गोपी के यहां जा रहा ।ं ’ गोपी? य म भी वह चीज बनाती ।ं गोपी के यहां ऐसा तु ह या िमलता
है, जो म तु ह घर पर नह दे सकती। शांित और अके लापन - म कहना चाहता था।
‘यह ईश क तरफ से ीट है। और म अपने नए िबज़नैस के बारे म उनसे बात करना चाहता ।ं
‘तो तुम इं जीिनय रं ग म दोबारा दािखला नह ले रहे। 'मेरी मां रसोईपर से बाहर आई। उसने आटे से सने हाथ ऊपर उठाए, तुम एक
वष अपनी तैयारी कर सकते हो। कु छ समय के िलए ूशन बंद कर दो। अब हमारे पास पैसे ह।
मेरी मां ब त सी बात के िलए श मदा महसूस करती। इनम से एक म ं क मुझे अ छे इं जीिनय रं ग कॉलेज म पढ़ा नह पाई। ूशन
पढ़ाना और मां का िबज़नैस म मदद करना - उनको लगता था क इन कारण से म देश परी ा क पूरी तैयारी के िलए समय नह
िनकाल पाता। म ये सब कु छ आई.आई.टी. या कसी टॉप सं थान म जाने के िलए नह कर रहा था। म दूर क छ म, कालेज जाना
चाहता था, पर ुश स का छोड़ना, दो त को, नाना पाक म होने वाले के ट को छोड़ना और सबसे ऊपर मां को छोड़ना- इन सबके
सामने क छ जाना कु छ अथ नह रखता था। यह बात नह थी क इन सब के ित भावुक था। पर तु ये सब मुझे ठीक िबजनैस नह
लगता था। म यह अंदावाद िव िव ालय से, अपनी ुश स जारी रखकर और िबजनैस के बारे म िवचार बनाते ए - मै स ऑनर कर
सकूं गा।’ और फर क छ कॉलेज जॉब का भरोसा नह देता।
‘मां, म इं जीिनयर नह बनना चाहता। मेरा दल िबजनैस करने को करता है। और फर म दो वष कॉलेज म लगा चुका ।ं एक वष और,
फर म ेजुएट हो जाऊँगा। ‘पर मै स के ैजुएट को नौकरी कौन देगा?’
यह सच था। मै स ऑनर होना आ थक दृि से मूखतापूण था।
‘ठीक है, ओ.के . मुझे एक िड ी क ज रत है और म इसे ा कर लूंगा अिधक पढ़े िबना भी।’ मने कहा, ‘मां म एक िबजनैसमैन ।ं म
बदल नह सकता। मेरी मां ने मेरे चेहरे को थपथपाया, उसके हाथ म सना आटा मेरे चेहरे पर लग गया।
‘जो भी बनो, पर पहले तो तुम मेरे बेटे ही हो।’ उसने मुझे अपने सीने से लगाया। मुझे इस बात से बड़ी नफरत है। म भावुकता से भी
यादा भावुकता के इजहार को नफरत करता ।ं
‘मुझे जाना चािहए।’
‘यह तु हारी दसव चपाती है।’ ईश ने ओमी को बताया।
‘नौव , पर कौन परवाह करता है? क मत क मार है। या तुम मुझे घी पकड़ा सकते हो?’
‘यह सभी खाना, यह तु हारे िलए बुरा है। ईश ने कहा।
‘दो, सौ च र काम के िलए, ओमी ने कहा, ‘दस च र नाना पाक के , एक छोटा िबट् टू मामा के घर के िजम म, अगर तु ह हर रोज मेरी
तरह ये सब करना पड़े तो तुम भी मेरी तरह पेटू बन जाओगे।’
ओमी ओमी जैसे ाहक से कोई कमाई नह होती। गोपी उससे कसी भी तरीके से धन नह कमा सकता।
‘आमरस और रस मलाई बस,, ओमी ने वेटर से कहा। ईश और मने भी उसक हां म िसर िहलाया।
‘अब बताओ, या बात है? म सुन रहा ।ं ’ ईश ने कहा आमरस समा करते ए।
‘पहले अपना खाना समा कर लो। हम चाय पर बात करगे।’ मने कहा। भरे पेट लोग तक कम करते ह।
‘म चाय क पेमट नह क ं गा। मेरी ीट थाली तक थी।’ ईशान ने िवरोध कया। ‘चाय मेरी तरफ से’ मने कहा।
‘शांत रहो, दो त। म के वल मजाक कर रहा था। िम. एकाउं टट मजाक भी नह समझता, य ओमी?’
ओमी हंसा।
‘जो भी हो दो त , आज तु ह मेरी बात सुननी ही होगी। और हां, मुझे िम. एकाउं टट कहना बंद करो।’
मने चाय का आडर दया। वेटर खाने का समान उठा कर ले गया था।
‘म गंभीर ,ं ईश। भिव य के िलए तु हारी या योजना है? अब हम ब े नह रहे।’ मने कहा।
‘बद क मती से, ‘ईश ने एक ल बी सांस लेते ए। ‘ओ.के . फर। म कसी जॉब के िलए कोिशश करता ।ं या फर पहले NIIT क यूटर
कोस कर लेता ।ं या फर म बीमा करने का काम कर लेता ?ं तुम या कहते हो?’
मने ईश का चेहरा देखा, वह हंसने क कोिशश कर रहा था, पर म उसके चेहरे पर साफ झलकता दुःख देख रहा था। बेलरामपुर का
चैि पयन ब लेबाज बीमा-एजट बनेगा। बेलरामपुर के ब को नाना पाक म बाउं ीज क वाह-वाही करते बड़े ए। पर तु अब जब
उसका कोई भिव य नह , वह दूसरे लोग के जीवन का बीमा करना चाहता था।
ओमी ने मेरी तरफ देखा, यह उ मीद करते ए क म अपनी कोई संत-वाणी क ं गा म उनको बड़ क जगह पर सलाह देते ऐसे थक
गया था।
‘म कोई िबजनैस शु करना चाहता ।ं मने वयं बात शु क ।
‘दोबारा नह 'ईश ने कहा,’ म यह नह कर सकता दो त। िपछली बार या आ? ओह। सारा दन तरबूज नह तौल सकता!। और एक
यह सनक ओमी।’
‘कार के पेयर पाटस। उसम काफ पैसा है।’ ओमी ने कहा।
‘ या? चारा दन सीट- र चढ़ाते रहो और न जाने या- या। नह ध यवाद। ये कौन सा िबजनैस है?’ ईश ने कं धा िहलाया।
‘ फर तुम या करना चाहते हो? लोग क िम त करना बीमा करवाने के िलए। या फर गिलय के मोड़ पर े िडट काड बेचना चाहते
हो? तुम ईश, एक िमले ी कू ल से िनकले ए हो,’ मने कहा और सांस रोक ली।’ और XII म तु हारी कं पाटमट आई है दो बार। ओमी
तुम तो एक पुजारी बन सकते हो। पर हमारा या होगा?’
‘म पुजारी नह बनना चाहता’ ओमी ने िबना के कहा।
‘ फर तुमने मेरा िवरोध य कया अभी तो मने शु भी नह कया? इस बार मेरे पास एक योजना है जो तु ह भी पसंद आएगी।
‘कौन सी?’ ईश ने कहा।
‘ के ट।’ मने कहा।
‘ या?’ दोन एक साथ बोले। ‘देखा, तु हारा यान एक दम मेरी तरफ हो गया। अब म बात कर सकता ।ं ’ 'ज र’ ईश ने हाथ िहलाया।
म जानबूझ कर वॉश म म चला गया।
‘पर कै से?’ ओमी ने कया जैसे ही म वािपस आया।
‘ के ट शॉप या होती है?’
‘खेल क दुकान बेशक। पर य क के ट बेलरामपुर म सबसे अिधक लोकि य गेम है इसिलए हम अपना अिधक यान इसी पर दगे?’
ईश क चु पी इस बात पर संकेत थी क यह मेरी बात यान से सुन रहा है। ‘यह एक छोटी सी रीटेल शाप होगी। दुकान के िलए पूंजी
लगाने क सम या है तो इसके िलए मुझे ओमी क मदद क ज रत है।’
‘मेरी?’ ओमी ने कहा।
‘हां, हम यह दुकान वामी मं दर के अंदर खोलगे, जहां फू ल और पूजा के समान क दुकान है उनके साथ। मने वहां एक खाली दुकान
देखी है जो मं दर क जमीन का ही िह सा है।
‘मं दर के े म के ट क दुकान?’ ईश ने कया।
‘ को! ओमी या तुम इसका ब ध कर सकते हो?
इसके िबना तो हमारा काम शु ही नह हो सकता।’
‘तु हारा मतलब कु बेर िमठाई वाले क दुकान से है, जो अभी-अभी बंद ई है? मं दर क कमेटी इसे ज दी ही कराये पर चढा देगी।
और वो कसी ऐसे ि को ही दगे जो मं दर से संबंिधत समान रखेगा।’ ओमी ने कहा।
‘म जानता ।ं पर तु ह अपने िपता को तैयार करना होगा और फर वे ही तो मं दर का सारा बंध करते ह।’
‘हां, वे करते ह पर दुकान तो मां देखती है। या हम उ ह कराया दगे?’
‘हां’ मने गहरी सांस ली।’ पर एक दम नह । हम दो महीने का समय चािहए? और यह भी क हम कोई पगड़ी भी नह दे सकते।’
‘म मां से बात क ं गा। ओमी ने कहा। मने सोचा अ छी बात है। उसका दमाग काम कर रहा है।
‘सॉरी। पर मुझे कहना पड़ रहा है क मं दर के अंदर एक के ट-शॉप, कौन समान खरीदेगा। क तन करने आने वाली स र साल क
बूढ़ी आ टयां या बैट-बाल खरीदगी?’ ईश ने मजाक कया।
वेटर ने चाय के कप उठा िलए और िबल दे गया। गोपी के िनयमानुसार अब हम दो िमनट के अंदर रे तरां छोड़ना था।
‘अ छा है। मं दर के साथ एक के ट-शॉप हैरानी क बात है। पर सोचो - या बेलरामपुर म कह भी ऐसी दुकान है?
‘सच म ही। यहां तो लैदर बाल भी नह िमलती, उसके िलए भी एिलस ि ज जाना पड़ता है।’ ईश ने कहा।
‘देखा, यह तो ई एक बात। न बर, दो ब के िलए मं दर सबसे बो रग थान है। वो यहां आकर या कर?
‘यह तो सच है’, ओमी ने कहा,’ तभी तो ब त से गु बारे वाले मं दर के बाहर घूमते रहते ह।
‘और फर यहां ईश का काम शु होता है। लोग जानते ह क वह एक अ छा लेयर था। तुम ब को खेलने के ट स िसखा सकते हो,
जो हमारे पास समान खरीदने आयगे। धीरे -धीरे हमारी िसि हो जायेगी।
‘पर ि यन और मुसलमान ब का या होगा। वो तो नह आयगे? ईश ने कहा।
‘पहले तो नह , पर दुकान मं दर के बाहर है। जैसे ही उ ह पता चलेगा वो आयगे। उनके पास और कोई चारा भी तो नह ।’
‘जो हम बेचगे उसे लायगे कहां से?’ ईश ने कहा।
‘व पुर म एक स लायर है जो खेल का सामान बेचता है, जो हम एक महीने के िलए उधार पर दे देगा। अगर हमारे पास जगह है तो
हम िबना कै श के भी जा सकते है।
‘अगर काम न चला तो?’ ईश ने संदह
े कट कया।
‘अगर ऐसा हो भी गया तो हम सारा सामान कम क मत पर बेच दगे और जो रह जायेगा उसे म ूशन करके पूरा कर दूग
ं ा।’ पर, मेरा
दो त ऐसा नह होगा, काम
ज र चलेगा अगर हम दल लगा कर करगे तो?’
दोन चुप रहे।
‘दो त , मुझे तु हारी ज रत है। इसके िलए म िबज़नैस करना चाहता ।ं भागीदार के िबना यह काम नह हो सकता। यह भी के ट
है।’ मने ईश को िवनती क । ‘म तैयार ।ं ’ ओमी हंसा, ‘म पुजारी नह बनना चाहता और म घर से ही काम करना चाहता है। इसिलए
मुझे मंजूर है।
‘म िहसाब का काम नह क ं गा। म के वल के ट पर यान लगाऊँगा।’ ईश ने कहा।
म हंसा। यह लाईन पर आ रहा है।
‘बेशक। या तुम सोचते हो क म तु ह कै श का काम करने को क ग
ं ा? तो या हम पाटनर बन गए?’ मने बाह फै ला द । हम सभी चल
पड़े।
‘हम इसे या कहगे?’ ओमी ने ऑटो म बैठते ए कहा।
‘ईश से पूछो’ मने कहा, ‘अगर ईश इसका नाम रखेगा तो वह इससे यादा लगाव महसूस करे गा।
‘टीम इिडया के ट शॉप, कै सा रहेगा’, ईश ने सुझाया।
‘अ छा नाम है’, मने ईश के चेहरे पर मु कराहट देखी पहली बार उस शाम को।
‘2 . 50 पैसे हरे क के ’ ऑटो जैसे ही मेरे पोल के पास का।
‘िम. एकाउटट ठीक है’ और उसने अपना कराया दे दया।

Downloaded from Ebookz.in


दो

‘टीम इं िडया के ट शॉप’ 29 अ ैल 2000, को खुल गई।


उद्घाटन के िलए ना रयल तोड़ा गया। हमारे तीन के प रवार इसम सि मिलत ए। ओमी का प रवार और मेरी मां खुश नजर आ रहे
थे जब क ईश का प रवार चुप रहा। वे अब भी ईश को आम अफसर के प म देख रहे थे न क बेलरामपुर म एक दुकानदार के तौर
पर।
‘ई र करे देवी क तुम पर कृ पा रहे, मेहनती ब ’ ओमी क मां ने आशीवाद दया और फर वे चले गए।
‘ज दी ही, हम और हमारी दुकान रह गई।
काउं टर को अंदर कर दो, वरना शटर बंद नह होगा’ ईश ने ओमी से कहा। ओमी पसीने से नहा गया भारी काउं टर अंदर करने म, अभी
भी एक इं च क कमी रह गई थी।
म दुकान से बाहर सड़क क तरफ गया। यह दसव बार थी क वहां दुकान का बोड देखने गया। बोड 6 फु ट चौड़ा और 2 फु ट ऊँचा था।
हमने इसे नीले रं ग से पट कया था - इं िडयन टीम का रं ग। बीच म िलखा था 'टीम इं िडया, के ट शॉप’ भारतीय झंडे वाले रं ग से।
शाहपुर के पटर ने बोड बनाया था। उसने बोड पर तदुलकर और गांगुली के चेहरे मु त म बना दए थे। इससे बोड और भी आकषक लग
रहा था। ‘बोड ब त सुंदर है’ ओमी ने कहा। वह भी मेरे साथ आकर बोड देख रहा था। हमारा पहला ाहक दोपहर 12 बजे आया। दस
वष से कम उ का एक लड़का हमारी दुकान के सामने टहलने लगा, उसक मां पूजा के िलए फू ल ले रही थी। हम सचेत होकर खड़े हो
गए।
‘ या हम उससे पूछना चािहए क वह या चाहता है’ ओमी ने धीरे से पूछा। मने िसर िहलाया।
लड़का टैिनस क बॉल देख रहा था, बाउं स भी क उसने कु छ बॉल। जब क बेलरामपुर म कोई भी टैिनस नह खेलता ब े इन बाल से
के ट ही खेलते ह।’ बॉल कतने क ह, लड़के का यान साधारण गद क ओर हो गया। साफ था क ब ा क मत के बारे म चौकस है।
उसने पांच गदे धरती पर उछाल कर देखी। ‘आठ पए। तु ह एक चािहए।’ मने कहा।
उसने िसर िहलाया।
‘तु हारे पास पैसे ह’
‘म मी के पास ह’ उसने कहा।
‘म मी कहां है?’
‘वहां’ उसने मं दर क दूसरी, दुकान क और इशारा कया। मने गदे टोकरी म डाल द जो उसने चुनी थ ।
उसक मां ज दी से हमारी दुकान क तरफ आई।
‘सोनू तुम यहां हो, बेवकू फ लड़के ’ उसने उसक बांह पकड़ी और ख च कर ले गई।
‘म मी बॉल’ वह अपनी खरीददारी के िवषय म इतना ही कह पाया।
‘ चंता न करो, हम बेचगे’ मने अपने िबजनैस पाटनस से कहा।
हमने ज दी ही अपनी पहली सेल क । दो जवानभाई, बड़े अ छे कपड़े पहने ए थे, दुकान पर आए।
‘टैिनस बॉल, कतने क है। एक ने पूछा।
‘आठ बक ऐरो के , छ: बक साधारण बाल के जो बाि कट म पड़े ह, ईश ने कहा। लड़के साधारण बाि कट क तरफ गए और जमीन पर
गद मार-मार कर देखने लगे। मेरे दल को कु छ-कु छ होने लगा।
‘तो तुम के ट कहां खेलते हो’ ईश ने उनसे पूछा।
‘सेटेलाईट’ बड़े लड़के ने कहा।
सेटेलाईट साबरमती द रया के दूसरी तरफ एक मा कट है।
‘तुम पुराने शहर म या करने आए हो?’ ईश ने कहा।
‘हम मं दर आए ह। आज हष भईया का ज म दन है। ‘छोटे लड़के ने कहा।’ मने महसूस कया क वाकई अ छी जगह ढू ंढ़ी ह। मं दर
काफ पुराना है और नई आबादी से भी लोग यहां आते ह और ज म दन भी है। जेब भी भरी ह गी।
‘तुम बैट लेना चाहोगे?’ मने काउं टर के पीछे से कहा।
लड़क ने िसर िहलाया।
ईश ने मेरी तरफ देखा और चुप रहने का संकेत दया।
‘हैपी बथ डे हष तुम बॉलर हो या बैटसमैन? ईश ने कहा।
हष ने ईशान क ओर देखा, एक बड़ा ि एक यारह वष के लड़के से पूछ रहा है क वो बॉलर है या बैटसमैन, बड़े मान क बात है।
इसका मतलब है वो अब इतना बड़ा हो गया है क खास बन सकता है, बेशक उसने यह बात पहले कभी नह सोची होगी।
‘म यादा बैटसमैन ’ं हष ने कहा।
‘िडफस म या खेलने म’ ईश ऐसे पूछ रहा था मानो ईएसपीएन पर तदुलकर को इं टर ू ले रहा हो।
‘ ?ँ ’ हष ने कहा।
‘तुम शॉट् स पसंद करते हो?’ ईश ने कहा 'जो अ सर ब े पसंद नह करते’ हष ने िसर िहलाया।
‘मुझे खेल कर दखाओ।’ ईश ने कहा। वह मेरी तरफ मुड़ा। और एक बैट देने को कहा। म िवलो वैटस वाली साईड से मुड़ा। मने इ ह सीधे
ही एक क मीरी स लायर से लॉ गाडन से खरीदा था। मने लड़के के मुतािबक बैट चुना। 6 नं. का और 200 . का। यादा क मत नह
थी बेशक, पर यहां िजतने का िबक सकता था।
हष ने एक िहट लगाई, दुकान के सामने ही। हर ब े क तरह उसने खड़े-खड़े अपना सारा बोझ बैट पर डाल दया। ईश ने आगे बढ़कर
ह के से उसक पीठ थपथपाई। उसने हष क कलाई और उसे बताया क बैट के साथ खड़े होकर कै से बोझ टांग पर डालना है।
‘और अब, जब भी तुम िहट करो आगे बढ़ने के िलए अगली टांग को आगे बढ़ाओ और िपछली टांग को न भूलो। वह तु हारी सपोट होगी।
तदुलकर को यान से देखना वह अपनी एक टांग फ स रखता है।
हष ने कु छ ो स लगाए।
‘मुझे भी कु छ तरीके िसखाओ’ छोटे ने कहा।
‘पहले मुझ,े चीनू’ हष ने कहा।
ईश चीनू क तरफ मुड़ा - 'तुम या हो चीनू?’
‘आल राउं डर’ चीनू ने तुरंत जवाब दया।
‘ ेट! मुझे अपनी गदबाजी दखाओ।’
उनके माता-िपता ने आिखर म हमारी दुकान ढू ंढ़ ली।
अब मं दर जाने का समय हो गया था।
‘म मी, म बाल लेना चाहता ।ं ’ चीनू ने कहा।
‘ कतने क है?’ उसक मां ने कहा।
‘छ: पये क ।’ ईश ने कहा।
उसने मुझे बीस का नोट दया और दो गद देने को कहा।
‘म बैट लेना चाहता ,ं म मी’ हष ने कहा।
‘तु हारे पास पहले भी बैट है।
‘ये मेरी के ट पतरे बाजी के िलए अ छी बैट है, म मी लीज, हष ने फर एक िहट मारी। उसने कु छ सुधार कर िलया था। ईश के बताने
के बाद। पर मां ने इस तरफ यान नह दया।
‘यह कतने क है?’ मां ने पूछा।
‘दो सौ पए क ’ मने कहा।
‘ब त महंगी है। नह हष हम बैट नह ले रहे।
‘मेरा बथ-डे- ेजे ट, लीज म मी।’ हष ने िवनती क ।
‘ठीक है बेटे पर, हम यहां मं दर क दुकान से य खरीद, यहां अ छी ािलटी क नह िमलेगी। हम नवरं गपुरा मा कट से ले लगे।
‘यह बड़ी अ छी ािलटी क है, आंटी। हमने क मीरी स लायर से ली है। मेरा िव वास करो।’ ईश ने कहा।
‘आंटी’ औरत ने अिव वास से देखा।
‘आंटी, म इस ए रया के सभी यूिनिसपल कू ल क टीम का क ान था। मने वयं िवशषतौर पर ये बैट खरीदे ह।’ ईश ने इतने भरोसे
और ा से बात क जैसे ओमी के िपता ाथना करते ह।
‘ लीज म मी,’ हष ने कहा और उसक साड़ी का प लू पकड़ा।
उसक म मी ने अपना पस खोला और 200 . के नोट िनकाले।
हो गया। हमने उस दन क डील समा कर दी। वह बैट हम 160 . का पड़ा था, सो चालीस . का फायदा आ। म मानिसक तौर से
स था।
‘गुड-बाय, चै प’ ईश ने हष से हाथ िमलाया।
‘म भी अपने ज म- दन पर आपक दुकान पर आऊँगा।’ चीनू ने कहा।
‘हां तुमने तो कमाल कर दया ईश,’ मने मधुरता से कहा।
‘ब ा, ज दी सीख जायेगा। अगर वह अ छी तरह से ैि टस करे तो बड़ा अ छा लेयर बन जायेगा। बेशक दसव तक प च ं ते उसक ,
मां उसे पढ़ने पर जोर देगी। उसके पास कोई रा ता नह होगा, िसवाए इसके क वह डै क पर बैठ कर अपनी कताब पढ़।’ ईश ने कहा।
‘िनराश मत होओ, मेरे दो त’ मने कहा,’ हमने बैट पर चालीस पए और दो गद पर चार पए कमाए ह। हम चालीस पए का ॉ फट
आ है।’
अगले दो घंट म हमने कु छ कडीज और दो गद और बेची। उस दन का हमारा लाभ पचास . का था। हमने बैट्स और गद क
टोक रयां अंदर रख और पूजा के बाद बजे शाम को हमने दुकान बंद कर दी। दुकान खोलने क खुशी मनाने के िलए हम चना-भठू रा
खाने के िलए गए। चार पए क एक लेट। मने यह खचा िबजनैस-खच म डाल सकता था।
‘ या म, कु छ पैसे घर ले जा सकता ।ँ सच, म अपनी पहली कमाई मां को देना चाहता ।ं ओमी ने कहा। जैसे ही उसने गम भटू रे के
साथ आधी िमच अंदर िनगली।
‘ठहरो, इं तजार करो, यह हमारा असली ा फट नह है। यह इक ी पूंजी है, पहले हम कराया िनकालना है, उसके बाद देखगे, मने
अपनी खाली लेट टॉल पर रखते ए कहा,’ बधाई हो दो त , अब हम िबजनैस म ह।
तीन महीने बाद
‘आठ हजार, तीन, चार, पांच सौ’ मने कहा जैसे ही कै श बा स खाली कया 'यह हमारा तीन महीने का ा फट है कराया देने के बाद,
कोई बुरा नह िब कु ल भी नह ।’
म खुश था। हमारी दुकान बड़ी मौके पर खुली थी। ग मय क छु यां शु हो गई थ और इं िडया ने दि णी अ का के साथ एक
दवसीय मैच के म को जीत िलया था। ब े खुले समय और देश भि के ज बे के साथ टीम इं िडया के ट शॉप पर आने लगे जैसे ही
उ ह जेब खच िमलता।
कु छ ब े िबना धन के भी आ जाते थे, ईश से के ट संबंधी ट स लेने के िलए। मुझे बुरा नह लगता था। य क हमारा समय भी अ छा
िनकल जाता था। वैसे तो दुकान खोलना बो रयत है। हम सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक दुकान खोलते थे और अगर दन म 20 ाहक
भी आएं तो इसका मतलब है एक घंटे म दो ाहक।
‘तो फर हम अब अपना िह सा ले ल।’ ओमी ने उ सुकता से कहा। मने पूंजी को चार भाग म बांटा। पहले तीन िह स म 1500-1500
. रखे थे हम लोग के घर ले जाने के िलए। बाक के 4 हजार . िबजनैस के िलए रखे जाने थे।
‘रखे जाने से तु हारा या मतलब है? हम इसे िबजनैस के िलए रखने क या ज रत है।’ ईश ने कया। जब क ओमी खुशी-खुशी
अपने नोट िगन रहा था। ‘ईश हम अपने िबजनैस को अ छा बनाने के िलए यह ज री है। या तुम नह जानते क हमारे पास अ छा
शीशे का काउं टर-टॉप? या दुकान पर अ छी लाइट लगी ह ?’ ईश ने हां म िसर िहलाया।
‘ज र, यह ज री है। और इस काम को बढ़ाने के िलए मेरे पास योजनाएं भी ह।’ मने कहा।
‘ या’?
‘नवरं गपुरा, चार रा ता पर एक नई शा पंग-माल’ बन रही है, अगर तुम ज दी बुक करवा लोगे तो तु ह कम कराए पर दुकान िमल
सकती है।
‘ कराये पर? पर हमारे पास तो पहले ही एक दुकान है।’ ईश ने कहा, : वह नवस हो रहा था साथ ही गु सा भी।
म जानता था क ईश य बुड़बुड़ा रहा है। वह दुकान के िलए एक टी.वी. खरीदना चाहता था। दुकान पर बैठे रे िडयो से मैच सुनने म
कोई लु फ नह था।
‘नह ईश, एक बाकायदा दुकान, जवान लोग मॉल पर बनी दुकान पर आना पसंद करते ह। वह हमारा भिव य है। बेशक हमारी दुकान
अ छी चल रही है फर भी आगे बढ़ने के िलए हम नए शहर क तरफ जाना पड़ेगा।’
‘मुझे यहां ही अ छा लगता है’, ओमी ने कहा, ‘यह हमारे पड़ोस म है। जो हम बेचते ह वह नाना पाक के ब ारा इ तेमाल होता है।
‘म इस अदूरदश मानिसकता को पसंद नह करता। म मॉल पर एक टोर खोलना चाहता ं और अगले वष एक और टोर। अगर तुम
िबजनैस म आगे नह बढ़ोगे तो यह के यह रह जाओगे।’
‘दूसरी दुकान? या? या हम इक े काम नह करगे? ओमी ने कहा। ‘यह छोटी सी गोिब द क दुकान है। इसे हमने अभी शु कया है
और यह अभी से अंबानी बन रहा है। या हम टी.वी. नह खरीद सकते?’ ईश ने कहा 'शाह इलै ािन स वाले क त पर दे दगे अगर
हम पहले उ ह चार हजार क पेमट कर द।’
‘कभी भी नह । हमने ये चार हजार िबजनैस के िलए रखे ह।’
‘ठीक है, टी.वी., का संबंध िबजनैस से है, या नह ’ ईश ने कहा।
‘हां है पर इसम पूंजी यह समा हो जायेगी, इससे कोई आय नह होगी। हमने अभी काफ रा ता तय करना है। महीने म तीन हजार
कु छ भी नह । और ईश तुम यहां कािपयां-पैि सल भी नह रखने देते।’
मने कहा, यह खेल का टोर है। म नह चाहता क ब े यहां आकर पढ़ाई के बारे म सोच।’
ईश और मने इस िवषय म पहले भी बातचीत क थी। मने यह अ छा मौका देखा। पर ईश हर बार िवरोध करता।
‘ठीक है, हम एक समझौता करते ह।’ ईश ने कहा, ‘के वल नोट-बु स, टै सट बु स नह । के वल कािपयां। पर हम टी.वी. ज र खरीदगे,
म मैच देखना चाहता ।ं म परवाह नह करता, यह मेरे 1500 . ले लो।’
उसने अपने 1500 . मेरे आगे फक दए।
ओमी ने भी अपने पैसे दे दए। हमेशा क तरह मुझे उन मूख के आगे झुकना पड़ा।
‘ठीक है हम अपनी कमाई बढानी- होगी। अगले तीन महीन का हमारा ल य 20,000 . का होगा।’
उ ह ने मेरी तरफ यान नह दया। वह टी.वी. के ड के बारे म बात करते रहे। मने अपना िसर िहलाया और अपने कमाई बढ़ाने के
ल य का न शा बनाने लगा। ‘तुम को चंग लािसस लोगे?’ मने ईश से पूछा।
‘ या?’
‘ब े तु हारी के ट ट स को पसंद करते ह। य न तुम को चंग लािसस शु कर लो फ स के साथ।’
‘म? म उतना अ छा नह ।ं और फर कहां? यहां मं दर म?’
‘नह , यहां नह , एसबीआई क पाउं ड म, वहां जगह खाली पड़ी है।’
‘ य ? या हम अ छा नह कमा रहे?’ ओमी ने कहा।
‘हम काफ अ छा नह कमा रहे। म पचास हजार तक प च
ं ना चाहता ।ं ओमी तुम टू डटस को फटनैस े नंग दे सकते हो।’
‘तो तु हारे िलए यादा काम? तु हारा अपने बारे म या िवचार है?’ ईश ने कहा। ‘म मै स क ूशन दोबारा शु कर रहा ।ं ’
‘यहां।’
‘हां, कु छ यहां, या एसबीआई क पाउं ड म जब तुम के ट को चंग दोगे।- ओमी और ईश मुझे ऐसे घूर रहे थे जैसे म दुिनया क सबसे
अिधक भूखी शाक ।ं
‘ फ न करो दो त , मुझे पूरा यक न है क हम एक अ छा िबजनैस कर रहे ह।’
‘ये ठीक है, के वल दुकान काफ बो रयत वाला काम है। ईश’ ओमी ने कहा। वह काफ उ ेिजत महसूस कर रहा था क वो ब को
िश ण देगा।
‘वाह र। आिखर म िपच को िहट क ं गा’ ईश ने कहा।
मने भी अपने 1500 . दे दए और हमने उसी दन टी.वी. खरीद िलया। हमने पर प े तौर पर पोटस चैनल सैट कर दया। ओमी
चटाइयां और-ग यां ले आया और टी.वी. के सामने िबछा द । मैच वाले दन हम सभी वहां टीवी, के सामने बैठे रहगे जब तक क कोई
ाहक नह आ जाता, यह हमने िन य कया। मुझे यह मानना पड़ा क इस तरह दन ज दी गुजर जाता।
मने दुकान का बोड बदल दया। ‘टीम इं िडया के ट शॉप के नीचे िलख दया गया’ टेशनरी, के ट को चंग एंड मै स ूश ज़
अवेलेबल। ‘भौगोिलक प से तो म प रवतन नह ला पाया पर ोड ट के िहसाब से कु छ तबदीली करवा ली।
तीन

के ट के अित र बैडिम टन भी बेलरामपुर म लोकि य खेल था। असल म लड़ कयां के वल बैडिम टन खेलती थ । िबज़नैस म यह एक
अ छा मोड़ था। शटल, कॉकस तो बदलनी ही पड़ती थी, रै कट् ज़ क भी मर मत-होती और बैडिम टन रै कं ट् स के ट बैट्स क तरह
यादा देर तक नह चलते थे।
आने वाले दन म कू ल टेशनरी का काम भी ब त चला। के वल कु छ ही ब े खेलते ह पर हर ब े को कापी, पैन, पिसल तो सब ब
को चािहए और माता-िपता इसके िलए मना भी नह करते। कई बार ब े गद लेने आते तो साथ पिसल या और सामान भी खरीद लेत।े
हमने पूरा हल सोच िलया ज दी ही स लायर वयं हमारे पास आने लगे। वो हम सामान उधार देने लगे और जो न िबके उसको वािपस
लेने क शत भी रखी। चाट-पेपर, गम ुबज़, भारत के न शे, पानी क बोतल, और ट फन-बॉ स वगैरह। यह दुकान खोलने के बाद ही
पता चलता है ब को या चािहए, उनक या- या आव यकताएं ह।
हमने के ट-को चंग, ूश स - सब का एक ही रे ट रखा, 250 महीना। मै स ूशनस वाले काफ आसानी से िमल जाते थे।
म एसबीआई क पाउं ड भवन म सुबह क लास लेता। ईश दो ब के िलए, जो उससे के ट ूशन के िलए आए थे, एसबीआई
क पाउं ड का इ तेमाल करता। वे बेलरामपुर के यूिनिसपल कू ल के सबसे अ छे िखलाड़ी थे। और तीन महीने के िलए को चंग लेने के
िलए उ ह ने अपने माता-िपता को मना िलया।
बेशक हम अब भी अपना अिधक समय दुकान पर ही िबताते। या हम ी टंग का स भी रख ल जैसे ही मने एक स लायर ारा छोड़े
गए पैकेट को खोला। खरीद दो . और बेच पांच पए, काफ मा जन था इसम। वैसे बेलरामपुर म लोग इनका योग कम हाँ करते थे।
‘यह इन- व गर है और यह ऑफ व गर है। वैसे भी दो ह त म तु हारी यह तीसरी बॉल है। या बात है तपन?’ ईश ने एक प े ाहक
से कहा। बेलरामपुर के यूिनिसपल कू ल का 13 वष य तपन अ छे गदबाज म से एक है।
ईश ने के ट बॉल को मजबूती से पकड़ा और उसे कलाई क गितशीलता बताई। ‘यह वह अली का ब ा है। उसके शॉटस से गद गुम हो
जाती है। पता नह वह हमारे कू ल म य आ गया है। तपन बुड़बुड़ाया जैसे ही उसने गद को अपनी िन र पर रगडा।
‘अली? नया िव ाथ उसे मने यहां कभी नह देखा। ईश ने कहा। सभी अ छे िखलाड़ी यहां हमारी दुकान पर आते ह और ईश उन
सबको अ छी तरह से जानता है।
‘हां, ब लेबाज है। अभी हमारे कू ल म आया है। तुम वहां आकर उसे देखो। वो यहां नह आयेगा।’ तपन ने कहा।
ईश ने िसर िहलाया। हमारे थोड़े से ाहक मुसलमान ह। अिधकतर मुि लम िखलाड़ी िह दु लड़क ारा हमारे यहां से समान खरीदवाते
ह।
‘तुम के ट ूशन लेना पसंद करोगे। ईश तु ह िसखाएगा, वह िजला- तर पर खेलता रहा है।’ म अपनी दूसरी सेवा के बारे म बताने
से न रह पाया।
‘म मी इजाजत नह देगी। वह कहती है क म के वल पढ़ाई के िलए ूशन लगा सकता ।ं खेल-को चंग नह ।’ तपन ने कहा।
‘ठीक है, ओ.के . गुड गेम।’ ईश ने कहा लड़के के बाल को सहलाते ए। ‘तुम देखते हो। इसीिलए भारत हर मैच नह जीतता’ तपन के
जाने के बाद ईश ने कहा।
‘हां, ईश क यह बेतुक सोच है क भारत हर मैच जीते।’ ठीक है, ऐसा नह होता, नह तो यह गेम नह होगी।’ मने कहा और कै श-
बॉ स बंद कर दया।
‘हमारे देश म अरब लोग ह। हम हमेशा जीतना चािहए।’ ईश ने जोर दया। ‘गिणत के िहसाब से असंभव’
‘ य ?’ आ ेिलया म 20 करोड़ लोग ह। तब भी वे तकरीबन हर मैच बीतते ह। हम उनसे पचास गुणा यादा लोग ह तो पचास गुणा
यादा यो यता हमारे पास है। और एक बात भारत म के वल एक के ट ही है जब क आ ेिलया म और गे स भी ह जैसे फु टबाल और न
जाने कौन-कौन सी। हम कसी भी तरह उनसे हारना नह चािहए। सांि यक य तौर पर, मेरे दो त, आ ेिलया एक.....
‘ फर य ?’ मने कहा।
‘ठीक है, तुमने इस ब े को देखा? माता-िपता ब को ट ोमै ी और कै लकु लस पढ़ाते पर हजार पया खच कर दगे, िजसका वो
िज दगी म कभी योग नह करगे। पर अगर खेल क िसखलाई के िलए कहगे तो उ ह ये सब फजूल- खचा लगेगी।’
‘ चंता न कर, हम घाटा पूरा कर लगे। हमारी दुकान अब आफस दे रही है।’ यह िबजनैस क बात नह गोिव द। असल म तु हारे िलए
यह सब पैसे के िलए है।
धन अ छी चीज़ है।’
‘ये ब !े गोिव द, तेरह वष के ब े कै से अपने हाथ म बैट्स िलए फू ले नह समा रहे। और वे अ छा खेल खेलना सीखना चाहते ह।
उनक आंख म एक चमक होती है नाना पाक म होने वाले हरे क, छोटे से छोटे मैच से पहले। जब इं िडया जीत जाता है तो ये नाचते ह।
कह वो लोग ह िजनके िलए मेरे मन म भावुकता है, आवेग है। म उनके साथ रहना पसंद करता ।ं
‘जो भी हो।’ मने अपने कं धे िहलाए।
‘बेशक दो वष म वो दसव लास म हो जायगे। इनके हाथ म बैट्स क जगह फिज स क कताब ले लगी और फर उनक आंख क
चमक समा हो जाएगी। वे एक िनराश युवा के प म बड़े ह गे।
‘यह सच नह है ईश। हर ि उ साह चाहता है, मेरी तरह का उ साह, पैशन है।
‘ फर यादा युवक बदिमजाज य होते ह? उनके चेहर पर हंसी, उ ेजना य नह आती जो नाना पाक म खेलने वाल के चेहरे पर
आती है?’
‘ या तुम अब अपना िमजाज ठीक करोगे और मेरे साथ दुकान साफ करने म मदद करोगे?’
‘ठीक है, ओ.के . आज हम क
ं पाट करगे’ म हंसा। ओमी और ईश ने मुझे दोन तरफ से बांह म जकड़े रखा जब तक म ढीला नह पड़
गया।
‘मेरा बेटा ओमी कहां है।’ िबट् टू मामा दुकान के अंदर आए जब दुकान बंद करने का समय था और अपने भा जे को बांह म ले िलया।
उनके पास लाल मखमल के कपड़े म िलपटा िमठाई का िड बा था।
‘मामा आप कहां थे।’ ओमी ने कहा। जब से दुकान खुली है वो हमारी दुकान पर कभी नह आए।
‘म सारा गुजरात घूम कर आया ं पारे ख जी के साथ। अ छी या ा रही। लो बेसन के लड् डू खाओ। ताजे ह बड़ौदा से लाया ।ं ’ िबट् टू
मामा ने कहा। मने एक ू टी को कहा। ईश ने टू ल िनकाले और हम बाहर बैठ गए। मने एक लड् डू िलया।
‘यह या ओमी? जूते पहन रखे ह।’ िबट् टू मामा के माथे पर लाल टीका लगा था।, आंख म अंजन था।
‘मामा’ ओमी थोड़ा संकुचाया। मने अपने पैर क ओर देखा। मने रीबोक के लीपर पहन रखे थे। ईश ने अपने पुराने ि कज़ (बे आवाज
जूते) पहने ए थे।
‘तु हारी दुकान मं दर म है और तुम जूते पहने ए हो? एक ा ण का पुजारी बेटा?’
‘छोड़ो भी मामा’, यह मं दर के बाहर है। दूसरे दुकानदार भी..........’
‘दूसरे दुकानदार बेकार के बिनये ह य तुम भी उनके जैसे बनोगे? या तुम दुकान खोलने से पहले पूजा करते हो?
‘हां, मामा’, ओमी ने सफे द झूठ बोला।
‘तुम भी’ मामा ने मेरे और ईश क ओर देखा।’ तुम िह दु लड़के हो। तु हारी दुकान इतने पिव थान पर है। कम से कम जूते उतारो और
एक जोत जलाओ। ‘हम यहां काम करने के िलए आते ह न क रीित- रवाज पूरे करने।’ मने कहा। म-अब दुकान का पूरा कराया देता
था। कसी को ज रत नह मुझे बताने क क म अपना िबजनैस कै से क ं ।
मामा हैरान हो गए। ‘तु हारा नाम या है?
‘गोिव द।’
‘गोिव द, या?’
‘गोिव द पटेल।’
‘िह दु नह ।’ ए ॉि टक (संदह
े वादी)
‘म नाि तक ।ं ’
म ोिधत हो रहा था। म दुकान बंद कर घर जाना चाहता था।’
एक------
‘उसे पूरा िव वास नह क ई र है या नह ’ ईश ने बताया।
‘भगवान म िव वास नह करता? ओमी तु हारे दो त कै से ह?’
मामा बुड़बुड़ाए।
‘नह , वह नाि तक है। मने प कया।’ ए ॉि टक वे होते ह जो कहते है क पता नह परमा मा है या नह । म नह जानता।’
‘तुम जवान लड़क , शम क बात है। म तो तु ह िनमं ण देने आया था और तुम लोग तो...........’
ओमी ने मेरी तरफ देखा, मने अपनी नजर दूसरी तरफ कर ल ।
‘मामा गोिव द क िच ता न करो वह उलझन म है। मुझे वे लोग कतई पसंद नह जो मेरे धा मक िव वास को उलझन या अ प ता का
नाम द। य लोग ह या- नह ह म िव वास करते ह?
ईश ने िबट् टू मामा को ू टी दी। इससे वे कु छ ढीले पड़े।
‘तु हारा या िवचार है?’ मामा ने ईश से पूछा।
‘िह दु मामा, म पूजा और सब कु छ करता ।ं ’ ईश ने कहा। यह ठीक है जब मैच म के वल छ: बॉल रह गए थे।
मामा ने एक बड़ा सा घूंट िपया और ओमी और ईश क तरफ नजर घुमाई उनके िलए मेरी मौजूदगी कोई मायने नह रखती थी।
‘मामा, आप हम कसिलए बुलाना चाहते थे?’ ओमी ने कहा।
उसने लाल मखमली कपड़ा हटाया और उसम लपेटा आ तीन फु ट लंबा कांसे का ि शुल िनकाला। इसके तेज लेड दुकान क
ूबलाइट म चमक रहे थे।
‘यह तो ब त सुंदर है। आपने इसे कहां से िलया?’ ईश ने टटोला।
‘यह पारे ख जी क तरफ से भट है’ मामा ने कहा, ‘उ ह मेरे अंदर पाट का भिव य नजर आता है। मने रात दन काम कया। हम
गुजरात के हर िजले म गए और उसने कहा,’ अगर िबट् टू जैसे और लोग हमारे साथ ह तो लोग दोबारा िह दु बनने म गव महसूस
करगे?’ उसने मुझे नई भत करने का काय भार संभाला है, अहमदाबाद म। ईश और मने ओमी क तरफ देखा फु टनोट् स के िलए।
‘पारे ख जी सीिनयर िह दु पाट लीडर ह। और उनके अधीन बड़ौदा का सबसे बड़ा मं दर- ट है।’ ओमी ने कहा, ‘ या, या वे सी.एम.
या कसी और बड़े लीडर को जानते ह, मामा।’
‘पारे ख जी सी.एम. को न के वल जानते ह बि क दन म दो बार उनसे बातचीत भी करते ह।’ िबट् टू मामा ने कहा,’ और मने तु हारे बारे
म भी उनसे बात क है ओमी। मने तु हारे म वो यो यता देखी है क तुम जवान लोग म िह दु धम का चार कर सकते हो? उ ह
िश ण दे सकते हो।’
‘पर मामा म तो यहां पूरा समय काम करता ।ं ’
‘म तु ह यह नह कह रहा क तुम सब कु छ छोड़ दो। पर जो भारी िज मेदा रयां हमारे ऊपर ह उनके साथ भी जुड़े रहो। हम वो पुजारी
नह जो के वल आयोजन म मं का उ ारण करते ह। म यह िव सनीय बनाना है क भारत क भावी पीढ़ी िह दु व को भली- कार
समझ। म तु ह पारे ख जी के घर होने वाली एक बड़ी पाट म बुलाने आया था। ईश तुम भी आना। अगले सोमवार को गांधीनगर म।’
बेशक, ितर कृ त आ, मुझे िनमं ण नह दया गया।
‘ध यवाद मामा, यह ब त बड़ी बात लगती है, पर म नह जानता क हम इसे कर पायगे।’ ईश ने कहा। मने देखा क कु छ लोग मीठा
बोलने से कतने अ छे लगते ह।
‘ य ? चंता न करो, वहां के वल पुजारी नह ह गे। और भी जवान लोग वहां आयगे।’
‘म राजनीित नह पसंद करता।’ ईश ने कहा।
‘ओह? यह राजनीित नह है मेरे बेटे। यह जीवन का एक रा ता है।’
‘म आऊँगा’ ओमी ने कहा।
‘पर तुम भी ज र आना ईश, हम जवान क ज रत है।’
ईश िझझका।
‘ओह, शायद तुम सोच रहे हो क पारे ख जी कोई पारं प रक ि ह गे जो तु ह पढ़ने के िलए दबाव डालगे।
तुम जानते हो क पारे ख जी कस कॉलेज म पढ़े ह? कि ज और फर हावड। उनका अमे रका म एक बड़ा होटल िबज़नैस था, िजसे बेच
कर वे यहां वािपस आ गए। वे तु हारी भाषा बोलते ह। ओह, और वे के ट भी खेलते थे कै ि ज कालेज टीम क तरफ से।’
‘म आऊंगा,
अगर गो वंद आएगा तो 'ईश ने मूखता पूण कहा। मामा ने मेरी तरफ देखा। उनक नज़र म िह दु धम के पतन का कारण म ।ं ’ असल म
पहले म तुम तीन को ही बुलाने आया था। के वल इसने कहा क वह भगवान म िव वास नह करता।
‘मने ऐसा नह कहा।’ मने कहा। ओह भूल जाओ, मने सोचा।
‘ फर तुम तीन आ जाना’ मामा ने खड़े होते ए कहा। ‘म ओमी को पता दे दूग
ं ा। गांधी नगर म उनका सबसे शानदार घर है।
लोग मुझे िम. एकाउं टट कहते ह, लालची, कं जूस और न जाने या- या।
पर म जानता ं क म खूब खच ली क ं पाट ज भी करता ,ं अपनी दुकान क भागीदारी पाटनरिशप बनाए रखने के िलए
अहमदाबाद म ब त मुि कल है। शराब लेना के वल बीयर क बड़ी बोतल के मेरे एक जानकार ने एक हजार पए म कु छ अिधक तेज
बीयर क एक े ट देने का वायदा कया था।
पाट वाले- दन ठीक शाम को 7 बजे रोमी भाई बीयर क बोतल, फटे कपड़े म लपेटी ई, एसबीआई क पाउं ड के बाहर छोड़ गया। म
गेट पर आया और रोमी भाई को उस दन का समाचार-प दया। मने एक हजार के नोट उसम टैपल कर दए थे। उसने िसर िहलाया
और चला गया।
मने वो पैकेट उठाया और अंदर जाकर और बीयर क बोतल तीन बफ क बाि टय म रख द । जो मने रसोईघर म रखी ई थी। फर
मने शै फ पर से बोतल खोलने वाला उठाया, वह पर हम अपना सारा सामान रखते थे। मैगी नूड स, ै स बा स जो हम खोलते थे
जब इं िडया मैच जीत जाता था।
कोई और ि एसबीआई ांच जो उजड़ी सी पड़ी थी, को रह यमयी थान के तौर पर देख सकता था। यहां पर वृ क पुरानी हवेली
थी। हवेली का मािलक बक अदायगी नह कर पाया। इसिलए बक ने संपि अपने पास रख ली। कु छ समय प ात् बक ने हवेली म
अपनी एक शाखा खोल दी। मािलक क मृ यु के प ात् उसके प रवार ने बक पर दावे का मुक मा कर दया। झगड़ा अभी भी चल रहा
है। प रवार ने यह भी दावा कया क बक रहने वाली संपि को अपने फायदे के िलए योग नह कर सकता। इसी समय के दौरान
एसबीआई ने महसूस कया क बेलरामपुर क इस तंग गली म ांच खोलना ब त क ठन है। इसिलए बक ने वो थान खाली कर दया
और चािबयां कोट को दे द । कोट ने एक चाबी बाकायदा ओमी के िपता के पास रख दी, उस े के िव सनीय ि के पास। यह सब
बाकायदा आ कोट क ओर से, फर उसके बाद कोट बंद हो गया। और फर उसके बाद कोई वहां कभी नह आया और ओमी ने वे
चािबयां अपने पास रख ल ।
वह संपि छ: सौ वग गज लाट क थी, बेलरामपुर के िहसाब से काफ बड़ी। सामने का दरवाजा सीधा बैठने वाले कमरे म खुलता था
और अब बक ारा जोड़ा गया था। वहां ाहक-सेवा का काय होता था। पहली मंिजल पर तीन सोने के कमरे थे, जहां पर ांच मैनेजर
का आ फस, डाटा- म और एक लॉकर- म था। ांच मैनेजर के आ फस म एक छ: फु ट ल बा महराबदार थान था। हमने वहां अपनी
के ट कट रखी ई थी, खाली और सुरि त थान पर।
अिधकतर हम हवेली क िपछली तरफ ही बैठते थे। अपने अ छे दन म यहां एक धनी प रवार का बगीचा होता था। बक- ांच का
िह सा होने के कारण तब इसे पा कग के िलए योग कया जाता था और अब हम यहां अपने के ट के अ यास के िलए िपच के तौर पर
इ तेमाल करते ह।
बाि टय म रखी बीयर क बोतल क मने जगह बदली ताक वे सारी एक जैसी ठं डी हो जाए। ईश बक म आया।
‘इतनी देर से, साढे आठ बजे गए ह।’
सॉरी, के ट हाईलाइट् स देख रहा था। ओह ांग बीयर।’ ईश ने कु छ जैसे ही
उसने बीयर-बोतल उठाई। हम िनचले िह से म जहां ाहक का ती ालय था वहां सोफे पर बैठ गए। फर म सोफे पर लेट गया और
ईश रसोई-घर म चला गया भुिजया लेन।े
‘ओमी आ गया है’ ईश ने पैकेट खोलते ए कहा।
‘नह , एक म ही मूख यहां ।ं मने िडलीवरी ली, फर सारी सफाई क और अपने बादशाह के आने तक इं तजार कया।
‘पाटनर, दो त, पाटनर, ईश ने सुधार कया।’ या हम एक बोतल खोल ल। ‘नह , वेट।’
ओमी दस िमनट म आ गया। वह आकर माफ मांगने लगा य क उसके िपता ने मं दर साफ करने के िलए उसे रोक िलया था। ओमी ने
शराब पीने से पहले ई र से माफ मांगी और ाथना क ।
‘चीयस’ हमने पहला घूंट भरते ए पर पर कहा। यह कड़वी थी पर फनॉयल से टे ट कु छ अ छा था।
‘यह या है? या यह ठीक माल है?’ ईश ने कहा।
‘हम कु छ देर के िलए के । अ छी ािलटी क शराब िमलना अहमदाबाद म मुि कल है।
‘ओह, कोई भी नकली बीयर नह बनायेगा। यह जरा तेज है।’ मने कहा।
अगर तुम इसके साथ भुिजया खाओगे तो यह उतनी कड़वी नह लगेगी। असल
म आधी बोतल पीने के बाद ही इसका टे ट बनता है। इससे सबका मूड ठीक हो गया। ‘म इस अली को देखना चाहता ।ँ तीन ाहक ने
उसका हवाला दया था।’ ईश ने कहा।
‘मुि लम लड़का?’ ओमी ने कहा।
‘अपने मामा क तरह बोलना बंद करो।’ ईश ने गु से म कहा। ‘ या फजूल म बोल रहे हो। वो कहते ह वह बड़ा अ छा खेलता है।’
‘वह कहां खेलता है?’ मने भुिजया मुंह म डालते ए पूछा।
‘हमारे कू ल म ब े कहते ह। उसका कॉमन शॉट छ: है।’ चलो हम चलते ह। देखते ह कू ल म तु हारी जगह कसने ली है।’ मने कहा।
ईश चुप रहा। यह िवषय उसक दुखती रग थी और अगर बीयर का भाव न होता तो शायद म यह नह कहता।
‘ईश उ रािधकारी होना मुि कल है।’ ओमी ने कहा, ‘याद करो यहां यूिनिसपल कू ल के मुकाबले 63 गद म 100 रन बनाए थे। कोई
भी इस इं िनग को भूला नह ।
ओमी खड़ा हो गया और ईश क पीठ थपथपाई, मानो दस वष पहले खेला गया मैच दस िमनट पहले ख म आ हो।
‘उस सेले शन म उन दो िखलािड़य को भी कोई भूला नह होगा जो चुने गए थे।’ ईश ने कहा फर चुप हो गया।
‘पर वो मैच थे जो अब कोई मायने नह रखते। ठीक? अब हम इस िवषय को ब द कर द तो ठीक रहेगा।’
ओमी पीछे हट गया और मने खुश हो कर िवजय बदला। ‘म सोचता ँ क हम अपने सर त का ध यवाद करना चािहए - द टीम
इं िडया के ट शॉप। सात महीन म, हमारा लाभ रहा है 42600 पए। िजनम से हमने 18,000 भागीदार म बाट, 22000 पये
नवरं गपुरा म दुकान के िलए जमा करवाए और बाक के 2,600 पये मनोरं जन के िलए जैसा आज रात का रहा। इसिलए यारे दो त
और पाटनर ब त ब त ध यवाद और अब हम दूसरी बोतल खोलते ह।
मने सबके िलए एक बोतल और िनकाली। ‘जवान लड़के ’ ईश बुदबुदाया, खड़े होते ए, ‘यह िबज़नैस, और इसका यह सारा ा फट इस
टड-बवाय, िम. गोिव द पटेल क वजह से है। थ यू बड़ी। तु हारी वजह से ही यह िम ी से िनकाले गए। इस कै िडट का भिव य बन
गया है। और इस बेवकू फ का भी नह तो अब तक यह मं दर म घं टयां ही बजाता रहता। िगव मी ए हग, टड बॉय।’
वह मुझे आ लंगन म लेने के िलए आगे बढ़ा। यह सब नशे का भाव था, उिचत था।
‘ या तुम मेरा एक काम और करोगे दो त’ ईश ने कहा, ‘ या?’
‘कोई है जो मै स क ूशन लेना चाहता है।’ ईश ने कहा, ‘नह ’, मेरे पास पहले ही सात.........’ म कह ही रहा था क ईश बीच म ही
बोल पड़ा।
‘िव ा है’
‘तु हारी बहन?’
‘उसने लस टू कर ली है और अब वो मैिडकल के िलए वेश-परी ा क तैयारी कर रही है।’
‘तु ह डा टर बनने के िलए मै स क ज रत नह पड़ती।’
‘पर वेश-परी ा म इस क ज रत है। इसके िलए तु हारे अलावा म कस पर भरोसा कर सकता ?ँ ’
‘अगर तु हारी िस टर है तो मेरा मतलब है........। मने क कर सांस ली। ‘वाह िव ा मैिडकल म जा रही है। या वह इतनी बडी हो गई
है।’
‘लगभग 18 वष क ’
‘म छोटे ब को पढ़ाता ,ं पांचव से आठव ’ तक। उसका कोस काफ एडवांस होगा और म इन-टच नह ।’
‘तुम तो इस िवषय म मािहर हो। कोिशश करो उसे सहायता क ज रत है। ‘म कु छ देर चुप रहा। याद कर रहा था जो थोड़ा ब त म
िव ा के बारे म जानता था।
‘तुम या सोच रहे हो। ओह, हां, म जानता ँ क एकाउटट, फ न करो, हम तु ह फ स दगे।’ ईश ने कहा और एक बड़ा सा घूंट
िनगला।
‘शट-अप, वह तु हारी बहन है। ठीक है, म पढ़ाऊंगा। कब से शु कर।’
‘ या तुम सोमवार से शु कर सकते हो.......पर सोमवार को नह , पारे ख जी क पाट है उस दन, ओमी का ब ा, हम वहां जा कर
या करगे।’
‘हम जो कु छ करने जा रहे ह, तु हारे मामा को खुश करने के िलए। म नवरं गपुरा जाने क इं तजार नह कर सका।’
‘म हमेशा तु हारी बात मानता ।ँ इस बार मेरे िलए तुम वहां चलो।’
‘ठीक है, फर मंगलवार ठीक है’ मने ईश से कहा’,
‘ या वो, बक म आएगी?’
‘डैड उसे घर से बाहर अके ले नह आने दगे। तुम घर पर आ जाना।’
‘ या?’ मने कहा। मने सोचा फर तो म फ स मांग ही लेता। ‘ठीक है, म कु छ लास का टाईम बदल दूग
ं ा। शाम को सात बजे ठीक
रहेगा?’
‘िब कु ल, अब या तुम मै स के एक सवाल का जवाब दे सकते हो िम. एकाउं ट’ ईश ने कहा।
‘ या?’
‘तुमने 10 बोतल के एक े ट का आडर दया। हम तीन ने तीन-तीन पी, एक कहां गई?’
ईश झूमता आ उठा।
म भी खड़ा हो गया। ‘सवाल ये नह है क दसव बोतल कहां है, पर ये है कसक ’ म दसव बोतल ढू ंढने लगा। ईश भी देखने लगा। सारा
ठं डा पानी फश पर िबखर गया। दस सैकंड के बाद हमने वो बोतल ढू ंढ ली और उसे खोला।
‘दो त , िपयो। तुम लोग के िबना म या कर सकता ।ँ ’

Downloaded from Ebookz.in


चार

हम पारे ख जी के घर शाम आठ बजे प च


ँ गए। दो सश आदमी गेट पर खड़े थे। हमारा नाम वगैरह चैक करके उ ह ने हम अंदर जाने
दया। घर के वेश ार पर एक शानदार रं गोली बनी ई थी, दजन लाइट और ताजे फू ल थे।
‘देखा कतने लोग ह’ िबट् टू मामा हम बाहर दरवाजे पर ही िमल गए। भाषण से पहले खाना खा लो। ‘आरती क एक थाली म से
उ ह ने हम लाल टीके लगाए। फर हम बताया क खाने के बाद पारे ख जी अपना भाषण दगे।
हम खाने क तरफ मुड़।े गुजराती पाट िजस म हर शाकाहारी पकवान था। ं स नह थ , पर हर कार का जूस था जो आदमी
क पना कर सकता है। ऐसी पा टय म तु ह अफसोस होता है क तु हारा एक ही पेट है। मने एक जैन िपज़ा उठाया और शानदार कमरे
को देखने लगा। वहां पर लगभग पचास मेहमान ने सफे द या के स रया-रं ग के कपड़े पहने ए थे। पारे ख जी ने के स रया धोती और
सफे द कमीज पहन रखी थी।
ईश कु छ असुिवधा महसूस कर रहा था, अपनी काली मैटािलका टी-शट के साथ िजस पर खोपड़ी और ॉस-बोनस बनी ई थ । हमारे
अलावा वहां िजतने लोग थे उनके या तो सफे द बाल थे या बाल थे ही नह । यह एक िववाह-समारोह जैसा लग रहा था जहां के वल
पुजा रय को बुलाया गया था। अिधकतर लोग के पास-ि शूल, ा या कोई धा मक पु तक जैसी कोई न कोई चीज थी।
ईश और मेरी नजर िमल , जैसे कह रही ह - हम यहां या कर रहे ह?
ओमी के स रया कपड़े पहने ए दो ि य को िमलने गया एक सफे द बाल वाले, एक गंजे। उसके पैर को हाथ लगाया और दोन ने
उसे आशीवाद दया। ओमी ऐसे लोग से अ सर िमलता रहता है। इसिलए उसके पास आशीवाद क एक बड़ी पूंजी है भारतीय-दशन
के िहसाब से।
‘खाना ब त अ छा है, नह ?’ ओमी ने कहा। गुजरात म खाना सदा अ छा होता है। फर भी लोग ऐसा कहते ह। ईश ने अपना जैन-
िडमसम ओमी को दया। ‘ये सब लोग कौन ह?’ मने वैसे ही पूछा।
‘सो संपल’ ओमी ने कहा, ‘के स रया रं ग के कपड़े पहने पुजारी ह या अ य धा मक लोग ह शहर के । सफे द कपड़ वाले राजनीितक पाट
के ह। तुम िडमसम य नह खा रहे?’
‘म चाइनीज पसंद नह करता’ ईश ने कहा। और ये पारे ख जी कौन ह?’
‘अ छा, वो एक गाइड ह’, ओमी ने कहा; 'और वे अपनी न ता दखाने के िलए ऐसा कहते ह, असल म वे मं दर- ब धन के अ य ह।
वे राजनीित को भी अ छी तरह जानते ह।’
‘अ छा तो वे वण-संकर ह, एक राजनीितक-पुजारी’ मने िन कष िनकाला। ‘ या तुम उनके ित आदरणीय नह हो सकते?’ और ईश
तुमने ये कै सी टी-शट पहन रखी ह?’
य ही पारे ख जी कै मरे म प चँ े सभी चुप हो गए। उनके पास लाल मखमली कु शन था, जो बड़ा अ छा लग रहा था। उ ह ने सभी को
कालीन पर बैठने का संकेत कया। मछिलय के झुंड क तरह के स रया रं ग के लोग सफे द रं ग वाल से अलग, दो बात म बैठ ए। ‘हम
कहां बैठे?’ ईश ने कहा मेरी ओर मुड़ते ए। मने काली टी-शट पहनी ई थी और म अपना कलर-जोन नह खोज पा रहा था। िबट् टू
मामा ने ओमी को कोहनी से पकड़ते ए हम के स रया-रं ग के साथ बैठने को कहा। हम वहां बैठ गए। पुरानी अगली ड संग क
कहािनय क तरह हम अपने समथन म होने वाले िमसमैच के साथ। उनम हम हीरो लग रहे थे। िबट् टू मामा तीन के स रया काफ ले
आए और हम दे दए।
‘ या? म नह ....’ मने ओमी से िवरोध जताया।
‘चुप....... जरा इसे पहन लो।’ ओमी ने कहा और हम बताया क कै से इसे गले पर लपेटना है।
पारे ख जी अपने उस शानदार जादुई कु शन पर बैठ गए। वहां पूरी त धता थी। ईश ने अपनी अंगुिलय के पोर को दबाया। ओमी ने उसे
घूर कर देखा। मेरे अित र सब ने आख, ब द कर ल । म चार तरफ देख रहा था जब क दूसरे सभी लोग सं कृ त-मं का उ ारण कर
रहे थे। एक िमनट बाद जब व का उ ारण समा आ तो पारे ख जी ने अपना भाषण आर भ कर दया।
‘ वागत है, भगत ! मेरे घर म आपका वागत है। मेरे दाय प म बैठे दल का जो संडीपुर मं दर से आया है िवशेष तौर पर वागत है।
वो अयो या म एक महीने से भी अिधक कार-सेवा करके आए ह। आइए हम उ ह णाम कर और उनका आशीवाद ल।
सभी उन छ: ि शूल-धारी के स रया बाल वाल के आगे नतम तक ए।
पारे ख जी का- भाषण जारी रहा, ‘हमारे पास आज कु छ युवा भी आए ह। हम उनक बड़ी ज रत है। िबट् टू मामा का ध यवाद जो उ ह
लेकर आए ह।
िबट् टू पाट के िलए ब त काम कर रहे ह। हम अपने उ मीदवार हसमुख जी को अगले साल चुनाव म अपना समथन दगे।
सभी हमारी तरफ देखने लगे और सहमित म िसर िहलाया। हमने भी ऐसा ही कया।
भगत हंद ू धम हम सहनशीलता िसखाता है और हमने ब त सहन कया भी है। अत: आज का है ' कतनी सहनशीलता पया है?
आिखर िह दु कब तक सहन करता रहेगा?’
सबने िसर िहलाया। चौकड़ी मारे ए मेरे घूटने दुखने लग गए थे, मने सोचा या मुझे भी अब और पीड़ा सहन नह करनी चािहए और
पैर ल बे कर लूं।
‘हमारे थ कहते ह क हम दूसर को हािन नह प च ं ानी चािहए।’ पारे ख जी ने कहा, ‘वे हम िसखाते ह क हम सभी धम को
वीकार, चाहे वो हम न भी वीकार तो भी।’ वो हम धीरज रखना िसखाते ह। हजार वष पहले, हमारे ितभाशाली, बुि मान लोग
ऐसे शानदार जीवन मू य के िवषय म सोचते थे जो आज भी उतने ही मह वपूण ह। और आज तुम जैसे महान् ि इन जीवन-मू य
को समाज तक प च ँ ाने का काम करते हो। पारे ख जी ने कहा, पुजा रय क ओर संकेत करते ए। पुजा रय ने सहमित म िसर िहलाया।
‘साथ ही हमारे धा मक-अ य यह िश ा भी देते ह क अ याय नह सहना चािहए। गीता म अजुन से कहा गया क वह सदाचार का यु
कर, स ाई के िलए लड़े। इसका अथ है क कु छ बात म हम यु का सामना यु से ही करना चािहए। जब ऐसी बात है तो इस िवषय
पर कु छ सोचना चािहए।
लोग ने उ साह से िसर िहलाया। यहां तक क मुझे भी लगा क ये लोग और जादुई लाल कु रान जमीन से कु छ ऊंचे उठ गए ह। पारे ख
जी के त य म वाह था।
‘और म फर देख रहा ँ अ याय को। िह दु को अब फर समझौता करने, वीकार करने और सहन करने के िलए कहा जा रहा है।
िह दु ने एक मं दर को पुन: बनाने के िलए कहा। मं दर भी कोई साधारण मं दर नह , वह मं दर जहां हमारे परम परमे र भगवान ने
ज म िलया था। पर वो हम इसे नह दगे। हमने कहा हम मि जद को वह एक तरफ स मानपूवक थािपत कर दगे। पर नह , इस पर
कोई यान नह दया गया। हमने माण भी दए राम-मं दर के पर सब थ। म आपसे पूछता ँ या यह अ याय नह है? या हम इसे
सहन करते रह? म एक बूढ़ा ि ,ँ मेरे पास इन सवाल के जवाब नह ।’
ईश मेरे कान म फु सफु साया, ‘ये राजनीित है दो त, शु साधारण राजनीित।’
पारे ख जी का भाषण जारी था, ‘म यह नह क ग
ं ा क ये देश कसका है। य क बेचारे िह दु िचरकाल से ही कसी न कसी ारा
शािसत रहे ह - 700 वष तक मुसलमान ारा, 250 वष तक अं ेज ारा। अब हम आजाद ह, पर िह दु म अब भी आ म-िव वास
नह है, आ म-स मान नह है। मुझे िजस बात का दुःख हो रहा है वो यह है क हम अब भी समानता नह दी जाती। वो अपने को
िनरपे कहते ह पर अभी भी मुसलमान को अिधमा यता दी जाती है। हम समानता क बात करते ह तो हम सा दाियक कहा जाता
है य ? मुसलमान ब त ही िनदयी आतंकवादी ह, पर वो हम कहते ह क हम कठोर ह।
मुसलमान से अिधक हंद-ू ब े रात को भूखे सोते ह, पर वे कहते ह क मुसलमान पीिड़त ह-दिलत ह।
पारे ख जी पानी पीने के िलए के फर बोले, ‘वे मुझसे पूछते ह, पारे ख जी आप इतने राजनीित को कै से और य जानते ह? मने कहा
म ई र को सेवक ।ं म राजनीित म शािमल होना नह चाहता था पर म एक िह दु होने के नाते इं साफ चाहता ं तो मुझे जानना
चािहए क देश कै से चलता है। और दूसरा ऐसा कौन सा रा ता है िजससे म राजनीित म शािमल भी न हो: और इसम जुड़ा भी र ं
इसीिलए यहां। मने आधा के स रया और आधा सफे द धारण कया आ है और आप लोग क सेना म तुत ।ं ’
ोता ने साधुवाद म तािलयां बजाई, ओमी ने भी। म और ईश कसी भी ित या के असमथ थे।
‘पर एक आशा है, आप जानते ह क यह आशा क करण कहां से आई है - गुजरात से। हमारा रा य िबजनैसमैन का रा य है। आप
िबजनैसमैन के िव म चाहे सैकड़ बात कह द पर आप इस बात को नह झुठला सकते क िबजनैसमैन वा तिवकता को देखता है। वह
जानता है कहां। या करना है, दुिनया कै से चलती है। हम िम यापार अथवा गलत तरीक को नह अपनाएंग।े इसीिलए हम नकली
सैकुलर पा टय का चुनाव नह करते। हम सा दाियक नह ह, हम ईमानदार ह। और अगर हम ित या करते ह तो इसका अथ है क
ब त समय से सहन करते आ रहे ह।
हॉल तािलय से गूंज उठा। इसी मौके पर म बाहर िनकल कर पारे ख जी के घर के बाग म टहलने लगा। अंदर पारे ख जी दस िमनट तक
और बोलते रहे, जो मुझे सुनाई नह दया। मने ऊपर तार क तरफ देखा और मखमली ग ी पर बैठे ि के िवषय म सोचा। यह
ब त अजीब लग रहा था। म उस ि के ित आक षत भी हो रहा था और िवरोधी भी। उसम आकषण और पागलपन एक ही समय
म दखाई दे रहे थे।
उनके भाषण के प ात् कु छ समापन मं का उ ारण कया गया, उसके प ात् दो भजन, भुज से आए कु छ पुजा रय ारा गाए गए।
ईश बाहर आया। ‘तुम यहां?’
‘ या हम घर चल सकते ह?’ मने कहा।
मंगलवार सायं, 7 बजे म ईशान के घर प च
ं ा। वह अपनी पढ़ने क मेज पर बैठी थी। उसका कमरा लड़क -नुमा लग रहा था- िवशेषतया
साफ, िवशेष आकषक और खुशनुमा। िखलौने और पो टस - िजन पर बड़े मोहक आकषक संदश े िलखे ए थे जैसे - 'म बाँस ’ँ दीवार
को अलंकृत कए ए थे। म कु स पर बैठ गया। उस क भूरी आंख ने मुझे गौर से देखा। म यह देखे िबना न रह सका क उसका ब
जैसा भोला चेहरा एक सु दर लड़क बनने जा रहा है।
‘अ छा मै स के कौन से तरीके अ छी तरह से आते ह तु ह।’
‘असल म, कोई भी नह ।’ उसने कहा।
‘एलज ा?’
‘नह ।
‘ ोमै ी?’
‘थोड़ी सी।’
‘कै लकु लस?’
उसने अपनी भौह ऐसे चढ़ा ल मानो मने कसी डरावनी फ म का नाम ले िलया हो?’
‘सच म?’ अपने मनपसंद स जै ट के िलए उसक बे खी देख कर मुझे बुरा लगा।’ .ं .. मने कहा और एक िववेकशील ोफे सर बनने क
कोिशश क , या तुम
इसे पसंद ही नह करत या तु ह इसम कु छ बात समझ म नह आत और शायद इसीिलए तु ह यह अभी तक पसंद नह ? मै स एक फन
बन सकता है, तुम जानती हो?’
‘फन?’ उसने कहा, कु छ िनराशाजनक हाव-भाव के साथ।
‘हां।’
वह सीधी बैठ गई और उसने अपना िसर िहलाया।
‘मुझे आप को साफ-साफ बताना होगा क म मै स से नफरत करती ।ं मेरे िलए मै स क ठीक जगह कॉ ोच और िछपकिलय के साथ
है। म इससे िख , उदासीन और िनराश हो जाती है। िबजली के झटके या मै स टै ट म से कसी एक को चुनना पड़े 'तो म पहले को पसंद
क ं गी।
मने सुना है क राज थान म लोग पानी लाने के िलए दो मील तक जाते ह।मै स ि ारा ईजाद सबसे बुरी चीज है। पर या वे यह
सब सोचते थे?भाषा ब त सरल है।
‘ओह, यह कु छ ित या ई है।’ मने कहा। मेरा मुंह अभी भी खुला था। ‘और फन? अगर मै स फन है तो दांत िनकलवाना भी फन है,
वायरल इ फै शन भी फन है। रै बीस शॉटस भी फन है।’
‘मेरा याल है तुम कु छ गलत ढंग से ले रही हो इस बात को।’
‘ओह नह , वैसा कु छ भी नह । म ले नह रही। म इस के साथ रही ,ँ लड़ी ,ँ समझौता भी कया है। यह हमारी परे शानी का र ता
रहा है जो हमने वष तक झेला है। पहली से लेकर बारहव तक, पर यह स जै ट ख म नह आ। लोग को रा स के सपने आते ह पर
मुझे मै स टै ट के भयानक सपने आते ह। मुझे पता है तु हारे सैट-परसट मा स आते ह, तभी तु ह इससे ेम है। पर याद रखो दुिनया के
ब त सारे िह स म मै स टू डट् स के िलए एक व तु है, एक स जै ट है।’
वह सांस लेने के िलए क । मेरा मन कया क उठ खड़ा होऊँ और भाग जाऊँ। मने सोचा 'म एक जंगली जानवर को कै से पालतू बना
सकता ।ँ ’
‘ या?’
‘दाने! देखो अब भी ह’ उसने िवषय बदला। अपनी कमीज क बाह ऊपर चढ़ाते ए। मने सोचा उसक ि कन पर पंक दाग मै स से
यादा उसके मन क भड़ास है। गुलाबी मने उसक पतली बांह को भी देखा। बांह इतनी गुलाबी थी क आप उसक तीन नािड़य को
आराम से देख सकते हो। उसके हाथ क रे खाएं ल बी और गहरी थ और लाईफ- लाईन तो िवशेष तौर पर ल बी थी। उसक अंगुिलयां
ल बी और पतली थ । उसने अपने नाखून के कनार पर िस वर नेल-पािलश लगाई ई थी। म सोच रहा था लड़ कय को ऐसे िवचार
कै से सूझते ह?
‘ या?’ उसने कहा, जब क म उसक बांह कु छ यादा देर तक ही देखता रहा। मने त काल एक टे सट-बुक खोली।
‘कु छ नह , मेरा काम तु ह मै स पढ़ाना है न क इसे तु ह पसंद करवाना। मने सुना है तुम डॉ टर बनना चाहती हो।’
‘म मुंबई म कसी भी कॉलेज म जाना चाहती ।ं ’
‘माफ करना।’
‘म अहमदाबाद से बाहर जाना चाहती ।ँ पर मामा, पापा मुझे ऐसा नह करने दगे - जब तक क कोई अ छा कोस जैसे डॉ टरी या
इं जीिनय रग न हो। इं जीिनय रग म मै स है, मै स मतलब िमतली, सो यह बात नह बनी। रह गई मैिडकल लाईन, सो मेरा पास हो
गया। पर ये मैिडकल ए ैस टै ट और.....
मने महसूस कया क िव ा कने वाली नह । और मेरे पास ूशन के िलए बस एक घंटा है और ूशन लेना ऐवरे ट क चोटी पर नंगे
पांव चढ़ने के समान है। म असली मु े पर आना चाहता था।
‘सो, तुम कस िवषय से शु आत करना चाहोगी?’
‘इ वेशन के इलावा कु छ भी।’
‘मने तु हारा ऐ स ऐ जाम का िसलेबस देखा है। उसम कु छ ऐसे ह िजनम मा स यादा आ सकते ह और आसान भी ह।
मने मैिडकल, ऐ जाम क गाइड खोली और उसके आगे रख दी।
‘देखो, यह ोबैिबिलटी (संभावना)’ मने कहा, यह और पर यूटेशनल मै स ऐ जाम म 25 ितशत होगी। टै ट स 10 ितशत। इ े शन
कोई नह । तो या हम यहां से शु कर सकते ह?’
‘ठीक है’ उसने कहा और एक िबलकु ल नई कॉपी खोली। कापी के साथ ही उसके पास दो पैन थे।
उसने संभावना के पहले अ याय का पहला प ा खोला - जैसे क वो भारत क सबसे अिधक मेहनती िव ाथ हो और शायद िजसे
जानना मुि कल हो।
‘संभावना’ मने कहा, ‘ब त आसान है। मने ऐसा इसिलए कहा क संभावना म तुम अपने िवचार का इ तेमाल कर सकती हो, अपनी
रोज क सम या को हल करने के िलए।
‘जैसे, या?’
‘रोजाना क कौन सी सम याएं तुम हल कर सकते हो’ उसने कहा, अपनी बाल क लट को पीछे करते ए।
‘अ छा, ठीक है, तुम कु छ यादा ही आगे चल रही हो, आओ हम देखते ह। मने चार तरफ कोई आसान सा उदाहरण खोजने के िलए
नजर दौड़ाई। मने उसके सुचा ढंग से सजाए गए कमरे को देखा, पंक चादर एक दीवार पर टांक गई थी। दूसरी दीवार पर पा ा य
स यता के बैक ीत वायज के , ऋितक रोशन के पो टर लगे ए थे। अगली दीवार ी टंग का स क थी। ‘वो काडस देखो।’
‘वो मेरे बथ-डे का स ह जो मेरी कू ल डस ारा भेजे गए ह। दो महीने पहले मेरा बथ-डे था।’
मने इस सूचना पर यान नह दया। ‘देखो वहां 20 का स ह, यादा सफे द ह, कु छ रं गदार ह। कतने ह?’
‘पांच रं गदार ह’ उसने कहा का स को यान से देखते ए उसने सवािलया नजर से मेरी ओर देखा।
‘पांच। अब म कहता ं क मने सारे का स ले िलए और उ ह एक बैग म डाल दए। फर मने उसम से एक काड िनकाला, या संभावना
है क काड रं गदार है?’ 'तुम उ ह बैग म य डालोगे?’ उसने कहा।
‘िहपोथै ट ल। या संयोग है?’
‘मुझे नह मालूम।’
‘ओ.के . हम यही उदाहरण लेते ह संभावना के मूल िस ांत के िलए। ाबेिबिलटी को इस कार प रभािषत कया जा सकता है’ मने
कहा और िलखा-
ोबेिबिलटी - कु छ जो तुम चाहते हो कतनी बार हो। कु छ जो कतनी बार हो सकता है।
‘कै से होगा, जब कोई संकेत नह ?’ उसने कहा।
‘देखो, मने तु ह कहा था संभावना दलच प है। अब हम डीनोमीनेटर को देखते ह। अगर म बैग म से बीस म से एक काड िनकालूं तो
कतने काड अलग-अलग काड बाहर िनकल सकते ह?’
‘ए... बीस?’
‘हां, िबलकु ल ठीक।’
‘धत्!’ उसने कहा।
मने खुद को संयम म रखा। म उसको समझाने के िलए उदाहरण दे रहा ँ और वह मुझे ही धता बता रही है। उसका अपना ही नज रया
है।
‘और अब यूमीरे टर को देखते ह। म एक रं गदार काड चाहता ।ँ अगर म इनम से एक काड िनकालूं तो इसम से कतने अलग-अलग रं ग
के काड िनकल सकते है?’ 'पांच?’
‘ठीक है, अब हम अपना फामूला श द म िलखते ह’ मने कहा और िलखने लगा। संभावना = कोई भी वो सं या जो तुम चाहते हो (5)
वो सं या जो हो सकती है (20)।
अत: संभावना = 5/20 = 0.25
‘अब देखो संभावना है 0.25 अथात 25 ितशत। मने कहा और पैन मेज पर रख दया। उसने वो सब दोबारा पढ़ा जो मने िलखा था।
‘ये तो िस पल है। पर ए जाम क सम या यादा कॉ पलीके टेड है।’ उसने अंत म कहा।
‘धीरज रखो हम वहां भी प च
ं गे। पर मूल बात यह है क इसे समझा जाए और तुम इसे उ टोगी नह ।’
उसक दो सैल-कॉ स से मेरा यान बंट गया था। वह भागी अपना फोन उठाने के िलए। वह िब तर पर बैठ गई और मैसेज पढ़ने लगी।
‘मेरी कू ल ड, टू िपड।’ वह फोन पर खुश लग रही थी।
म चुप रहा और उसके वािपस आने का इं तजार करने लगा। ‘ओ.के . अब हम एक और करते ह’ मने कहा, ‘फज करो हमारे पास एक जार
है िजसम चार लाल रं ग के और छ: नीले रं ग के प थर ह।’
मने अगले आधे घंटे म तीन और हल िनकाले। ‘देखो यह मुि कल नह है अगर तुम पूरा क स ेट करो। दलच प ह।’ मने उसक शंसा
क जब उसने एक हल िनकाला।
‘आप चाय िपएंगे?’ मेरी शंसा को दर- कनार करते ए उसने कहा।
‘नह , शु या! म यादा चाय पीनी पसंद नह करता।’
‘ओह म भी। मुझे कॉफ पसंद है। तु ह भी ऐसा ही करना चािहए। या हम अगली ॉ लम हल कर?’
उसका सैल फर बजा। उसने पैन रख दया और फोन क तरफ झुक ।
‘इसे छोड़ दो, मेरी लास म मैसेिजस नह ।’ मने कहा।
‘यही बस....’ उसने कहा। उसने अपना हाथ बीच म ही रोक िलया।
‘म चला जाऊँगा, अगर तुमने यान न दया। मने तु हारी लास के िलए कई टू डट् स को वािपस कया है।’
वह मेरी कठोरता से झप गई। पर म कोई िम. नाईस नह । म उन लोग से नफरत करता ं जो काम पर पूरा यान नह देते। िवशेष प
से उ ह जो मै स से नफरत करते ह।
‘सॉरी’ उसने कहा।
‘हमारे पास के वल एक ही घंटा है। तुम अपने काम बाद म करना।’
‘मने कहा न सॉरी।’ उसने अपना पैन उठाया और थोड़े अनमने भाव से उसे खोला।
पांच

‘तुम। ज र आना अब।’ ब े ने हर श द के बाद सांस अंदर ख चते ए कहा। ‘अली.....है’


‘आराम से पारस’ ईश ने हांफते ए लड़के से कहा। वह बेलरामपुर यूिनिसपल कू ल से भागा भागा आया था और हम जोर लगा रहा
था क हम उसके साथ चल। ‘अब? अभी चार ही बजे ह, म दुकान कै से ब द कर सकता ।ँ ’
‘वह यादा के ट नह खेलता, वह हमेशा कं च से खेलता है। ईश भैया, लीज आज ज र आना।
‘आओ हम चल, आज दन वैसे भी कु छ ढीला है।’
ईश ने कहा, च पल पहनते ए।
ओमी पहले ही बाहर िनकल चुका था। मने कै श-बॉ स बंद कया और फू ल वाली दुकान के मािलक को दुकान का यान रखने के िलए
कहा। फू ल क दुकान हमारी दुकान से अगली दुकान थी।
हम अपने कू ल के िचरप रिचत मैदान म प च
ँ े। 20 लड़क ने अली को घेरा डाला आ था।
‘म अब नह खेलना चाहता’ भीड़ के बीच म से एक आवाज आई।
एक दुबला-पतला लड़का - शायद भोजन क कमी के कारण - हाथ से मुंह ढके जमीन पर बैठा था।
‘नह , ईश भैया तु ह खेलते ए देखना चाहते ह।’
पारस ने खुशामदी भीड़ का साथ दया और अली क कोहनी पकड़ कर िहलाया। ‘म के ट पसंद नह करता। यह मुझे िसर-दद लगती
है।’ अली ने कहा। उसने अपना मुंह अभी भी हाथ से ढका आ था।
‘मने तु हारे बारे म ब त सुना है’, ईश ने कहा घुटने के बल बैठते ए।
अली ने अपने हाथ हटाये ईश को देखने के िलए।
उसक आख चमकदार हरे रं ग क थ ।
‘हैलो, म ईश ं और म इस कू ल म तेरह वष तक पढ़ा ।ँ और म के ट भी िसखाता ।ँ ’ ईश ने कहा और हाथ िमलाने के िलए अपना
हाथ अली क तरफ बढ़ाया। अली ने ईश के चेहरे को पड़ा। उसने िझझकते ए अपना हाथ आगे बढ़ाया। अली के ल बे बाल बड़ी सफाई
से दो िह स म बंटे ए थे। उसका जवान पतला दुबला शरीर लड़ कय जैसा लग रहा था। वह कला और संगीत म ितभा रखने वाला
लगता था न क के ट म।
‘वह कतने वष का है?’ मने एक लड़के क ओर ईशारा कया िजसने ऐनक लगाई ई थी।
‘वह VII सी म है।’ लड़का जुकाम क वजह से छ क रहा था।
‘मने िहसाब लगाया वह बारह से अिधक का नह हो सकता।
‘उसने अभी वाइन कया है नह ? कहां से है?’
मने पूछा।
‘वह पहले शाहपुर मदरसे म था। उसके पापा ने उसे यहां दािखल करवा दया। तब से सारे गदबाज अपना िव वास खो बैठे ह।’ वह
छ का। म मुि कल से बचा उसके छ ट से।
‘ईश और ओमी चौकड़ी मार कर अली के पास ही बैठ गए जमीन पर।
‘म यादा देर तक नह खेल सकता। मेरे िसर म दद-होने लगता है।
‘ठीक है अगर तुम नह खेलना चाहते’ ईश ने कहा, ‘आओ ओमी खड़े हो गए और अपनी पट झाड़ने लगे।
‘म एक ओवर खेल सकता ,ं अगर तुम बा लंग करो’ अली ने कहा जैसे ही हम जाने को मुड़।े
‘प ा’ ईश ने कहा। एक ब े ने उसके हाथ म बॉल पकड़ा दी।
भीड़ पीछे हट गई। कु छ ब े फ डंग के िलए आगे आए। ओमी िवके ट-क पर बना। म बॉलर के पीछे खड़ा हो गया, ए पायर के पास।
अली ज पर आ गया। वह गदबाज को गौर से देख रहा था। भीड़ ने तािलयां बजाई य ही ईश गद फकने के िलए थोड़ा भागा। इस
नाजुक से, िहरणी-जैसी आंख वाले लड़के को खेलते देखने म या तुक है, म समझ नह पाया। बैट उसक दो-ितहाई ल बाई का था।
ईश का रन-अप फे क था नकली था। वह मेरे पास आ कर का। एक बड़ा आदमी एक बारह वष के 'छोटे लड़के को बो लंग कर रहा है,
मूखतापूण है। ईश ने लड़के को देखा और एक िस पल सी ब वाली गद उछाली। धीमी बॉल बीच म ट पा खा गई और कु छ समय
िलया उसने ज तक प च
ँ ने म। धवाक, अली ने बड़े धीरे से
बैट को गद से टकराया। बॉल ऊपर को उठा, मने और ईश ने देखा तीन सेकंड तक उसक उछाल - वो मारा छ ा।
ईश ने अली को देखा और शंसा म िसर िहलाया। अली ने एक पल म ही अपना चेहरा दूसरी तरफ कर िलया एक तो सूरज के कारण
और दूसरे असली बॉल न आने के कारण।
अगली बॉल के िलए ईश ने आठ कदम रन-अप के िलए उठाए। लड़ कय जैसे नैन-नकश वाले लड़के ने शानदार िहट मारा। मीिडयम
पीड वाली बॉल ऊपर उठी और िहट ई - एक और, छ ा।
ईश थोड़ा मु कराया। अली के बैट ने नह उसके गव ने बिल को मारा। भीड़ ने तािलय बजाई।
ईश ने अगली बॉल पर यारह कदम िलए रन-अप के िलए। उसे पूरा यक न था क बॉल जब उसके हाथ से छू टेगी तो सीधे अली के क धे
से टकराएगी। अली एक टांग पर घूमा जैसे नाच रहा हो और बैट घूमाया - लो एक और िस सर।
तीन गद और तीन छ े - ईश कु छ त ध था। ओमी का मुँह खुला था, पर उसका यान िवके ट-क पंग पर था। मेरा याल है क वह ईश
के ित कसी भी ित या को रोकना चाहता था।
‘वह सनक है, अली सनक है, सनक अली’ फ डंग करता आ एक ब ा िच लाया और अली को दूर हटा दया।
‘चलो खेलो’ ईश ने अली से कहा और फ डर को घूरा।
ईश ने बॉल को अपनी पट से तीन बार रगड़ा। उसने बॉल पर अपनी पकड़ क ि थित बदली और शरीर को घुमाया। उसने अपनी सबसे
ल बी रन-अप ली और पूरी शि से आगे क तरफ भागा। बॉल ब त तेज थी और पूरे झटके के साथ। इस बॉल को फकने म ईश क कुं ठा
दखाई दे रही थी। यह सजा देने जैसा है। अली दो कदम आगे बढ़ा और जोर से बैट बॉल पर मारा। बॉल ब त ऊपर चली गई और
ाउं ड के बाहर प च
ँ गई लास- म क िखड़क को लगती ई।
म हंसा। मुझे पता था क मुझे हंसना नह चािहए था फर भी म हँसा। मेरे कू ल बैच के के ट चैि पयन को मा बारह वष य लड़के
देखना बड़ा फनी लग रहा था। कम से कम मुझे। असल म के वल मुझे ही।
‘ या?’ ईश ने िनराशा म कहा।
‘कु छ नह ।’ मने कहा।
‘वह लडी बॉल कहाँ है?’
‘वे उसे ढू ंढ रहे ह या तुम मेरी दुकान से एक और खरीदना चाहोगे िम. कोच?’ मने मजाक म कहा।
‘शटअप’ ईश झ लाया..तभी बॉल उछलती ई उसके पास प च
ं गई।
ईश एक और रनअप लेने जा रहा था जब अली ज पर बैठ गया।
‘ या आ?’ ओमी सबसे पहले उसके पास प च
ँ ा।
‘मने तु ह बताया था। मुझे िसर-दद हो जाता है। या म अब वािपस जा सकता ।ँ ’ अली ने कहा। उसक आवाज िबलकु ल ब जैसी
थी, लग रहा था वो रो पड़ेगा। ओमी ने ईश और मेरी तरफ देखा। मने हामी भर दी। मने तु ह कहा था, नह ? सनक !’ पारस भागता
आ हमारे पास आया।
अली खड़ा ओ गया। ‘ या म जा सकता ?ँ ’
हमने इजाजत दे दी। अली ने अपनी जेब से कु छ कं चे िनकाले जो उसक आंख से िमलते-जुलते थे। अपने हाथ म उ ह घुमाते ए, वह
ाउं ड छोड़ कर चला गया। ‘म िव वास नह कर सकता।’ ईश ने घोषणा क । वह अपनी सुबह क 50 बैठक पूरी कर चुका था। फर वह
मेरे पास आकर बैठ गया, बक के िपछले याड म। ओमी अपनी सौ पूरी करने म लगा आ था।
‘चाय’ मने कहा और ईश का कप उसे थमा दया। मेरे सबसे अ छे दो त को कल एक गहरा सदमा लगा है। मने उसका मूड ठीक करने के
िलए बक क कचन से अदरक क अ छी सी चाय बना कर उसको दी। इससे यादा म कु छ नह कर पाया। ‘यह के वल क मत नह हो
सकती, ठीक? कसी भी तरह नह ।’ ईश अपने सवाल के जवाब खुद ही दे रहा था।
मने अपना िसर िहलाया और िब कु ट क लेट उसके आगे क , पर थ। म हैरान था क अली वाली घटना कह हमेशा के िलए ईश क
भूख न ख म कर दे। ईश अपने आप से बात करता रहा, म बाहर आ गया। ओमी कसरत के बाद हनुमान-चालीसा भी पढ़ता है। सुबह का
यह थोड़ा सा समय मुझे ब त पसंद है, टू डट् स को पड़ाने और दुकान खोलने के बीच का समय। यह समय कु छ सोचने के िलए अ छा
होता है। और इस समय म म आजकल के वल नई दुकान के िवषय म ही सोचता ।ँ ‘25 हजार पए अब तक बचा कर रखे गए ह और
दस बर तक 15000 और हो जाएंगे।’ म बुड़बुड़ाया, ‘अगर िब डर चालीस हजार के िडपािजट पर मान गया तो म नवरं गपुरा क लीज
इस वष के अ त तक ले लूंगा।
मने अपने िलए एक कप चाय का और डाला। ‘लो मामा, अपनी दुकान क चािबयां। हम नवरं गपुरा वाली दुकान पर जा रहे ह, जो
ए.एस. मॉल म ह।’ मने अपना सपनीला डॉयलाग कम से कम सौ बार बोला होगा अपने दमाग के अ दर। तीन महीने और मने खुद को
िव वास दलाया।
‘तुम लोग ने सारे िब कु ट खा िलए ह।’ ओमी ने कहा जैसे ही वो अपनी कसरत ख म करके हमारे पास आया।
‘सॉरी! चाय।’ मने उसे दी।
उसने मना कया और दूध का एक पै कट खोल कर मुंह को लगा िलया। मेरी तरह वो भी चाय यादा नह लेता। कै फ न ईश के प रवार
म ब त चलती है। मुझे याद आया िव ा ने भी मुझे चाय के िलए पूछा था। मूख लड़क ।
‘अभी भी तुम अली के बारे म ही सोच रहे हो?’
ओमी ने ईश से कहा, दूध क मूछ को साफ करते ए।
‘वह बड़ा इमै जंग है। मने अ छी बा लंग नह क थी पर इतनी बुरी भी नह थी। पर वो...वो....’ ईश को श द नह िमल रहे थे।
‘चार छ े , हैरानी क बात है’ ओमी ने कहा,
‘बड़ी बात नह जो लोग उसे सनक कहते ह।’
‘नह जानता क वह सनक है, पर वो अ छा है।’ ईश ने कहा।
‘मुसलमान के ये ब ।े तुम नह जानते थे कब या’ ओमी ने कहा और बाक का दूध भी पी गया।
‘शट-अप। वह अ छा िखलाड़ी है। मने ऐसा खेलते कभी कसी को नह देखा। म उसे को चंग देना चाहता ।ँ
‘प ा, जब तक वह तु ह पे करता है। वह चार गद से यादा नह खेल सकता। तुम उसक मदद कर सकते हो।’ मने ईश को बताया।
‘ या? या उस मु ला के ब े को िसखाओगे?’
ओमी के चेहरे पर िच ता थी।
‘म बेलरामपुर के बै ट लेयर को िसखाऊँगा। उस ब े म मता है िजसे बाहर लाना होगा। तुम जानते हो जैसे....’
‘टीम इं िडया?’ मने सुझाया।
‘ईश... क मत न कहो, पर हां। म उसे िसखलाना चाहता ।ँ कू ल म वे उसे बबाद कर दगे।
कू ल म वे उसे पढ़ाएंगे और वह खेल भूल जाएगा।
‘हम मुि लम ब े को नह िसखलाएंग।े ’ ओमी, ने अपना मत दया। मामा मुझे काट डालगे।’
‘ यादा नाटक न करो। उ ह पता नह चलेगा। हम उसे बक म िसखाएंग।े ’ ईश ने कहा। शेष वातालाप के िलए ईश और ओमी ने नजर
िमलाई। अंत म, सदा क तरह, ओमी झुक गया।
‘तु हारी मज । पूरा यान रखना क वो मं दर के आस पास न फटके । अगर िबट् टू
मामा को पता चल गया तो वो हम दुकान से बाहर िनकाल दगे।’
‘ओमी ठीक कह रहा है। हम दुकान कु छ महीन के िलए और चािहए।’ मने कहा। ‘हम डॉ टर के पास भी जाना पड़ेगा।’ ईश ने कहा।
‘डॉ टर?’ मने पूछा।
‘उसका िसर चार गद के बाद दुखने लगा था। म चाहता ँ ेि टस शु करने से पहले हम उसे डॉ टर को दखाएं।
‘अगर तुम उससे फ स चाहते हो तो तु ह पहले उसके पेरट् स से बात करनी होगी।’ मने कहा।
‘म उसे िसखाऊंगा’ ईश ने कहा।
‘पर फर भी, भारतीय माता-िपता के िलए के ट समय क बबादी है।’
‘ फर हम उसके घर चलगे’ ईश ने कहा।
‘म कसी मुसलमान के घर नह जा रहा। ओमी ने कहा, ‘म नह जा रहा।’ वह उ ेिजत था।
‘चलो, पहले हम दुकान खोलते ह। अब िबजनैस का समय है।’ मने कहा।
*****

‘ के ट नह , म कं चे खेलना पसंद करता ।ँ ’ अली ने पांचव बारी पर कहा। ईश ने चार चॉकलेट ल (दुकान के खच म से) अली के हर
छ े के िलए। अली ने चॉकलेट ले ल पर के ट-को चंग लेने से मना कर दया और डॉ टर के पास जाने को भी राजी नह आ।
‘हमारी दुकान पर कं चे भी ह’ मने खुशामदी लहजे म कहा। ‘जयपुर के खास, नीले कं चे। एक दजन तु ह िमलगे अगर तुम डॉ टर के पास
चलो। डॉ टर पास ही गली म है।’
अली ने मेरी तरफ देखा अपने दो हरे कं च के साथ।
‘दो दजन, अगर तुम सुबह क को चंग के िलए आओ तो। मने कहा।
‘डॉ टर तो ठीक है पर को चंग के िलए अ बा को कहना पड़ेगा।’
‘अपने अ बा का नाम पता हम दे दो।’ मने कहा।
‘नसीर आलम, सातवां पोल, ाउं ड लोर पर तीसरा घर’
‘तुमने या नाम बताया?’ ओमी ने कहा।
‘नसीर आलम’ अली ने दोहराया।
‘मने यह नाम कह सुना है। पर मुझे याद नह आ रहा।’ ओमी बुड़बुड़ाया। ईश
ने उसे अनसुना कर दया।
‘डॉ वमा का लीिनक अगले पोल पर है चलो हम चलते ह।’ ईश ने कहा।
*****

‘वै कम, अपने लीिनक पर जवान लड़क को देख कर अ छा लगा-फॉर-ए-चज।’ डॉ. वमा ने अपना च मा उतारा। और पचास वष क
अपनी आंख को रगड़ा। तीन वष पहले जब म उनसे िमला था, तब से अब तक उनके चेहरे क झु रय म काफ इजाफा आ है। उनके
काले बाल सफे द हो चुके ह। बुढ़ापा आ गया था।
‘और यह छोटा टाईगर कौन है? अपना मुंह खोलो बाबा’ डॉ वमा ने वभावानुसार अपनी टाच जलाई और पूछा, ‘ या आ?’
‘कोई गड़बड़ नह है। हम कु छ पूछना चाहते ह।’ ईश ने कहा।
‘ ?’ डॉ टर ने टाच बंद करते ए कहा।
‘इस लड़के को भगवान ने िग ट दया है, के ट का। म जानना चाहता ं क यह कै से करे '। ईश ने कहा।
‘कै से करे ?’ डॉ टर वमा ने कहा,
‘कु छ लोग वैसे टैलटेड होते ह।’
‘मने इसे 4 बॉल खेलने को द और इसने सब पर िस सर लगाया।’ ईश ने कहा। ‘ या?’ डॉ वमा ने कहा। वह जानता था क ईश वहां
का सबसे अ छा िखलाड़ी है।
‘अिव सनीय है पर सच है।’ म बीच म टपक पड़ा, यह भी है क ये चार बॉल के बाद बैठ गया। और कहा क उसका िसर दुःख रहा है।’
‘डॉ वमा अली क तरफ मुड़,े ’ तुम के ट पसंद करते हो बाबा?’
‘नह ।’ अली ने कहा।
‘ये आम वायरल फ वर से यादा क लीके टड है। चार बल के बाद या हो जाता है बाबा?’
‘म जो कु छ भी पूरी क स ेशन से करता ।ं मेरा िसर दुखने लग जाता है।’ उसने अपनी जेब म हाथ डाला। मने कं च क आवाज सुनी।
‘चलो तु हारी आंख चैक करते ह।’ डॉ वमा ने कहा और टै टंग म क ओर चल पड़े।
‘आख िबलकु ल ठीक ह आई-साईट इज फटाि टक'। डॉ वमा ने बाहर आते ए कहा,’ मेरे एक दो त ह, डॉ मु तानी िसटी हॉि पटल म।
वह आई- पेशिल ट ह और
यू.एस.ए म वह बेसबॉल के टीम-डा टर थे। म िपछले एक वष से उसे नह िमला। अगर तुम चाहो तो म तु ह उसके पास ले जा सकता
,ं कल।’
हमने िसर िहलाया। म अपना पस िनकालने लगा। डॉ. वमा ने ऐसा करने से-मना कर दया।
‘फे िसने टंग’, डॉ मु तानी ने के वल एक ही श द बोला अली के एम.आर.आई. कै न के बाद। उसने अली के साथ दो घंटे लगाए। उसने
अली का हर टै ट जो हो सकता था, कया, फटनेस टै ट, लड टै ट, रै टीनल कै न, क यूटराई ड हड-आई का डनाइजेशन ऐ जाम।
मै ि स टाइल क एम.आर.आई. म अली को पहले अपना िसर एक चै बर के अंदर करना पड़ा, जो ब त फायदेमंद सािबत आ।
‘म अपने पोट-डॉ टरी के दन को बड़ा िमस करता ,ं डॉ. वमा। अंबदाबाद के यार ने मुझ से काफ कु छ छु ड़वा दया।’ डॉ. मु तानी
ने कहा। उ ह ने चाय और खाकरा का आडर हम सब के िलए दया।
‘ या हमारा काम हो गया है'। अली ने कहा और उबासी ली।
‘तकरीबन। अगर तुम चाहो तो बाहर बाग म कं चे खेल सकते हो।’ डॉ मु तानी ने कहा। वह चुप रहे जब तक अली चला नह गया।
‘यह थोड़ा सा िसर-दद का काम है मु तानी’ डॉ. वमा ने कहा।
‘ये के वल एक िसर दद नह ’ डॉ. मु तानी ने कहा और एक खाकरा मुंह म डाला।’ यह ठीक है क लड़का पैिशअली िगि टड है।’
‘कै से?’ म उ ेिजत हो गया। उन टै ट म ऐसा या िनकला िजससे यह पता चला क अली कसी भी गदबाज को हरा सकता है।
‘लड़के को हाईपर-री लै स है। यह एक मैिडकल ट स म मानने यो य नह । फर भी के ट के िलए िग ट लग रही है।’
‘हाईपर, या?’ ओमी ने पूछा।
‘हाईपर री लै स?’ डॉ. मु तानी ने वहां पड़ा शीशे का एक पेपर उठाया और ऐसे दखाया जैसे उसे ओमी क ओर जोर से फक रहे ह ।
ओमी ने अपना बचाव कया। ‘मने जब इसे तु हारी तरफ फका तो तुमने या कया? तुमने बड़ी फु त से िबना कु छ सोचे इस हमले से
बचने क कोिशश क । मने पहले तु ह वॉन नह कया था और सब कु छ पलक झपकते हो गया। इसिलए तुम इस बारे म सचेत नह थे
क बचने के िलए कु छ सोचो। यह बस हो गया।
डॉ. मु तानी पानी का घूंट पीने के िलए के और फर बोले, ‘ये रोजाना क जंदगी म इतना काऊंट नह करता, जब तक क तुम कसी
ब त ही ठं डी या ब त ही गम चीज को न छु ओ। फर भी, खेल म यह बात ब त मह व रखती है। ‘डॉ. मु तानी कु छ रपोट देखने के
िलए के और एक और खाकरा उठाया।
मने िखड़क म से अली को देखा। वह गुलेल से एक कं चे को दूसरे कं चे का िनशाना बना रहा था। ‘तो अली के पास अ छे र लैि सस ह।
यह बात है’ ईश ने कहा। ‘उसक र लैि सस हमारे से दस गुना अिधक ह। पर एक बात और है। र लैि सस ( ित या) के अलावा,
मानव का दमाग और दो तरीक से भी अपने फै सले लेता है। एक है ल बा तरीका - िव ेिषत ढंग - मतलब सम या का हमारे दमाग म
बड़ी बारीक से अ ययन होता है और हम काम करने के तरीके का फै सला करते ह। और, और एक अ य ढंग है, दूसरा तरीका ज दी का
है पर कम सही होता है।
साधारणतया तो पहला ढंग ही अपनाया जाता है, दूसरा तरीका ज दी का है पर कम अपनाया जाता है और इसके ित सचेत होते ह।
पर कई बार, िवकट प रि थितय म, दमाग छोटा रा ता चुनता है। इसे हम क- थंक-मोड (ज दी- ज दी सोचने का तरीका) कहते
ह।’
हमने सहमित म िसर िहलाया और डॉ. मु तानी ने अपनी बात जारी रखी।
‘ र लै स-ए शन म दमाग सोचने क शि और या को ख म कर देता है। वह के वल बचाव कर सकता है, उसे पकड़ने क कोिशश
को भूल कर। इसीिलए ित उ र का समय ब त तेज होता है। खेल म ऐसे ण आते ह जब तु ह हर संभव तरीका सोचना पड़ता है -
िव ेषण 'फु त ली-सोच या र लै स।’
‘और अली?’ ईश ने कहा।
डॉ. मु तानी ने एम.आर.आई. कै न फर िनकाला। अली का दमाग स मोहन शि रखता है। उसका पहला, दूसरा और यहां तक क
तीसरा र लै स - सोच का तरीका भी उसका िनणय लेने का काम भी उतना ही सही है िजतना उसक िव ेषण या का। तुम यह
सोच सकते हो क तु हारी उस तेज बॉल को िहट करना एक चांस था, नह , पर उसके दमाग ने अपना रा ता आराम से देखा और उसके
िलए यह एक सो ट ो था।’
‘पर मने ब त फा ट बा लंग क थी।’
‘हां, पर उसके दमाग ने इसे पहचाना और उसक गित अनुसार काम कया। अगर यह बात समझनी क ठन है तो क पना करो क अली
ने बॉल को धीमी गित म देखा। एक आम िखलाड़ी दूसरा और तीसरा सोचने का ढंग अपनाएगा और तेज बॉल को मारे गा। अली पहला
तरीका अपनाता है। एक साधारण िखलाड़ी को वष तक अ यास करने क ज रत पड़ती है इतनी सही खेलने के िलए। अली को इसक
ज रत नह ।
यही उसके िलए ई र क देन है'।
हम कु छ समय लगा डॉ. मु तानी क बात पचाने म। इसे समझने के िलए हम पहले रा ते को ही अपनाना पड़ेगा।
उसके िलए पेस िडलीवरी धीमी गित है।’ ईश ने फर समझने क कोिशश क । के वल उसके दमाग के िलए य क उसका दमाग ज दी
िव ेषण करता है। यह भी ठीक है क अगर तुम उसे तेज बॉल दोगे तो चोट प च
ं ेगी।
‘पर वह इतनी दूर तक कै से मार देता है?’ ईश ने कहा।
‘वो यादा जोर से िहट नह करता। वो पहले से ही आ रही तेज बॉल क दशा बदल देता है। बॉल म जो दूर जाने क शि है वह
यादा तु हारी होती है।’ ' या आपने ऐसा िगि टड लेयर कोई और देखा है?’ म जानना चाहता था।’ इस कोण से तो नह , इस लड़के के
दमाग क नस आम इं सान से कु छ अलग ह। कु छ इसे नु स बताएंगे। इसिलए म तु ह सुझाव देता ं क इस -बात को अिधक तूल न
दो।’
‘वह इं िडयन टीम के िलए या मायने रखता है’, ईश ने कहा,’ डॉ. मु तानी आप जानते ह।’
डॉ मु तानी ने गहरी सांस ली। ‘जानता ँ पर इस व नह जैसे क उसके िसर-दद क सम या है। जब क उसका दमाग यह काम
उतनी ही ज दी कर लेता है। उसे गेम म कु छ कने क ज रत है। इस िग ट को दोबारा इ तेमाल करने के िलए उसे अपने दमाग को
फर से ताजा करना पड़ता है।’
‘ या ऐसा हो सकता है?’ ईश ने कहा।
‘हां, िश ण लेने पर। उसे के ट के और पहलू भी सीखने पड़गे। मेरे याल म वह िवके ट के बीच शायद ही भागता हो, रन लेने के
िलए। लड़के म ताकत नह है। वह कमजोर है। शायद कु पोषण के कारण। डॉ. ने कहा।
‘म उसे को चंग देने जा रहा ’ँ ईश ने कहा,’ और ओमी इसम मेरी मदद करे गा इसे िखलाएगा और फट रखेगा।’
‘नह , म ऐसा नह क ं गा’ ओमी ने सुनते ही इनकार कर दया, सब उसक तरफ देखने लगे।
‘डॉ. वमा इ ह बताएं क य म नह कर सकता'।
‘ य क यह मुसलमान है।’ मु तानी को याद करो नसीर-मुि लम िव िव ालय से? अली उसका बेटा है।’
‘ओह! वह नसीर? हां वह यूिनव सटी इल शंस म बढ़चढ़ कर भाग लेता था।
कभी वह बड़ा जोशीला था पर फर मने सुना वह काफ ढीला पड़ गया है।’
‘हां, अब वह पूरा समय राजनीित म लगा रहता है। अब वह शु मुसलमान से सैकुलर पाट का बन गया है। ‘डॉ. वमा ने कहा।
ईश ने बड़ी हैरानी से डॉ. वमा को देखा।
‘कल तुम लोग के जाने के बाद मुझे पता चला। कभी-कभी मुझे लगता है क म लीिनक क जगह गािसप-सै टर खोल लूं’ डॉ. वमा ने
दबी हंसी म कहा। ‘खैर, यह तब क बात है। एक पुजारी का लड़का मुि लम लड़के को िसखा रहा है।’
‘म उसे िसखाना नह चाहता’ ओमी झट से बोला।
‘शट-अप। ओमी, तुम देखते नह हम यहां या कर रहे ह?’ ईश ने कहा। ओमी खड़ा हो गया। उसने ईश को असहमित क नजर से देखा
और कमरे से बाहर िनकल गया।
‘ टेट अके डमी के िवषय म या िवचार है।’ डॉ. वमा ने कहा।
‘वो उसे बबाद कर दगे।’ ईश ने कहा।
‘म सहमत ।ँ ’ डॉ मु तानी कु छ पल के ,’ वह अभी ब त छोटा है, मुसलमान है और गरीब है। और िशि त भी है। म तु ह सुझाव दूग
ं ा
क इस लड़के और इसक ितभा को अभी ढका रहने दो। समय आने पर हम देख लगे।’
हम लीिनक से बाहर आ गए। मने अपनी जेब से चार कं चे िनकाले और अली को आवाज लगाई।
‘अली, आओ चल। इ ह पकड़ो’
मने, उन चार कं च को ब त ऊँचे उसक ओर उछाला। मने जानबूझ कर उ ह काफ ऊपर अलग-अलग उछाला था।
अली ने अपनी गेम से हट कर देखा और हवा म कं च को देखा। वह अपनी उकडू ं ि थित म ही रहा और फर उसने अपना बायां हाथ
ऊपर उठाया। एक, दो, तीन, चार, - जादुई छड़ी क तरह उसका बायाँ हाथ िहला। उसने एक-एक कर सारे कं चे पकड़ िलए।

Downloaded from Ebookz.in


छ:

‘वो नह मानेगा, म पहले भी उससे बात कर चुका ँ ‘अली ने हांफते ए कहा। हम बेलरामपुर के अंितम िह से म प च
ँ गए। उसका घर
ढू ंढने के िलए। वह ब त ही गंदे पोल म रहता था। अली ने घंटी बजाई।
मने उसके अ बा क नेम- लेट देखी, उस पर बने िनशान से पता चलता था क वो एक सैकुलर राजनीित पाट से संबंध रखता है।
‘जैसे ही अली के िपता ने दरवाजा खोला और कहा’ अली आज फर देर से आए?’ एक काली अचकन पहन रखी थी जो उसक सफे द
शाही का क ा ट लग रही थी और िसर पर टाईट टोपी पहन रखी थी जो ोिशए से बुनी ई थी। वह साठ वष का लग रहा था। उसक
बात से ऐसा लगा क अली उसक िज दगी म लेट आया है।
‘और तुम लोग कौन हो?’ उसने कहा।
‘म ईशान ।ँ ’ ईश ने कहा : और ये गोिव द और ओमी ह। हम अली के दो त ह।’
‘दो त?’ अली के िपता ने हैरानी से कहा, हमारी उ और अली क उस के अंतर को देखते ए।
‘हां अ बा, ये कू ल म के ट खेलने आए थे। उनक पोट-शॉप है। मने आप को बतलाया था याद होगा।’
‘अंदर आ जाओ।’ अली के िपता ने कहा।
हम बैठक म बैठ गए। अली क मां ह-अफजा के िगलास लेकर आई, उसने ाउन रं ग क सलवार-कमीज पहन रखी थी। उसने दुप े से
अपना यादा चेहरा ढका आ था। मुझे लगा क वह अपने पित से कम से कम बीस वष छोटी होगी। वह अली को गु सा कर रही थी क
वो कल के टै ट के िलए तैयारी नह कर रहा। मेरे याल म इं िडयन मदस के पास अपने ब से बात करने के दो ही िवषय होते ह - और
खाओ, और पढ़ो।
‘हम अली को को चंग देने के बारे म आप से बात करने आए ह।’ ईश ने बात शु क जब अली अपनी मां के साथ अंदर चला गया था।
‘ के ट को चंग?’, नह ध यवाद। हम इसम कोई दलच पी नह है।’अली के िपता ने कु छ इस अंदाज से बात क मानो उसक बात
िनणायक थी, बातचीत शु करने से।
‘पर अंकल?’ ईश ने िवरोध कया।
‘ऊपर देखो’ अली के िपता ने छत क तरफ इशारा कया, ‘देखो छत म दरार पड़ गई ह। यही एक कमरा है और एक छोटा सा कमरा
और है, जो हमने कराए पर िलया आ है। या यह मकान ऐसे ि का लगता है जो के ट को चंग क फ स भर सकता हो?
‘हम फ स नह लगे।?’ ईश ने कहा।
‘मने ईश को घूरा। मुझे बुरा लगता है जब वो दुकान पर िड काउं ट देता है और िबकु ल ही छोड़ देना पागलपन है।
‘वह के ट को चंग से या करे गा। मदरसे बाद कू ल ही उसको मुि कल लगता है। वह पहली बार मै स पढ़ रहा है। और उसे मै स क
ूश स नह लगा सकता।’ ‘गोिव द मै स पढ़ाता है।’ ईश ने कहा।
‘ या?’ अली के िपता और म इक े बोले।
‘सच म। वह बेलरामपुर का बै ट है। उसने लस टू म बोड क परी ा म सट-पर-सट मा स िलए ह।’
मने ईश को दोबारा पूरा। मेरी ूश स पहले ही पूरी हो चुक ह। और जोकर जैसी उसक बहन को पहले ही पढ़ा रहा ।ँ ’पर ईश म
ऐसा नह कर सकता।’
‘चलो हम एक समझौता करते ह। अगर आप उसे हमारे पास के ट को चंग क इजाजत द तो हम उसे मै स म पढ़ायगे।’ईश ने मेरी
बात अनसुनी करते ए कहा।’ म कै से पढ़ा सकता ।ँ मने फ स देने वाल को भी अभी वे टंग म रखा आ है।’मने कहा।’
ईश ने ितर कृ त नजर से मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे मने उसके मास पर जाने के िमशन को फे ल कर दया हो।
‘ के िलए?’ मने चेहरा उसक तरफ कया।
‘िजतना हो सके गा म अदा कर दूग
ँ ा।’ अली के िपता ने दबी आवाज म कहा।
‘मुझे खेद है पर यह मेरी रोजी है। म नह ...’ मने अपने ित उनक धारणा को बदलने के िलए एक िनराश कोिशश क ।
‘तुम मेरी सैलरी म से ले लेना, ओ.के . या तुम मुझे बात करने दोगे?’ ईश ने बड़ी न ता से कहा।
म वहां से उठकर चला जाना चाहता था।
‘मेरी थोड़ी सी पे दान है। तुम कतना लेते हो?’
‘चार स...’, म कहने ही जा रहा था क ईश ने बीच म रोकते ए कहा ‘ य हम शु नह करते और देखते ह यह कै से चलता है?’ हर
कसी ने हां म िसर िहलाया, यहां तक क ओमी ने भी। य क वह हमेशा वही करता है जो दूसरे करते ह।
‘ठीक है गोिव द?’ उसने बाद म मुझसे पूछा।
मने उसे ह क सी सहमित दी, पाँच िड ी तक झुक ई।
‘खाने के िलए कए,’ लीज।’अली के िपता ने िवनती क जैसे ही हम जाने के िलए खड़े ए।
‘नह , नह ’, ओमी ने कहा, एक मुसलमान के घर खाना खाने क क पना से ही वह भयभीत हो उठा था।
‘ लीज, ऐसा न किहए, हमारे िलए मेजबानी ब त मायने रखती है। आप हमारे मेहमान ह।’
म मना कर देता। पर म -मै स और के ट-को चंग के बदले कु छ लेना चाहता था।
हम कमरे म फश पर बैठ गए। अली क मां दो कु छ यादा ही बड़ी लेट ले आई। एक हम तीन के िलए और एक अली के िपता के िलए।
लेट म सादा भोजन था - चपाती, दाल और गोभी-आलू क स जी।
ओमी बैठ गया पर उसने भोजन को हाथ नह लगाया।
‘सर,’ म आपको मीट नह परोस सका। आज यही बना है।’
‘म मीट नह खाता। म एक पुजारी का बेटा ’ँ ओमी ने कहा।
एक अजीब सा अ तराल आया। फर ई ा टपक पड़ा,’ खाना अ छा लगता है। दो त शु करो। एक ही ेट म खाना नजदी कयां बढ़ाता
है। मने भी वही चपाती तोड़ी। उसक ल बी अंगुिलय ने मुझे उसक बहन क याद दला दी। ओह.. मुझे उसे कल फर पढ़ाना है।
‘ या वे मदरसे म मै स नह पढ़ाते?’ मने बातचीत के इरादे से पूछा।
‘इसी म नह ’ । अली के पापा ने दाल का च मच मुंह म डालते ए कहा।’मै स और साइं स क यहाँ मनाही है।’
‘बड़ी हैरानी क बात है, आज कल और इस जमाने म’ मने कहा। मने िबजनैस का मौका सोचा। भारी िगनती म मदरस के बाहर मै स
क ूश स।
‘असल म,’ अली के पापा ने कहा, ‘मदरस को कू ल ही नह समझा जाता था। उनका काम के वल इ ताम क िश ा देने तक ही सीिमत
है। आप और चपाती ल।’ ‘तभी आप ने उसे मदरसे से कू ल म भत करा दया?’ ईश ने कहा।
‘हां। म तो उसे पहले ही भेज देता पर मेरे िपता इसे मदरसा भेजने पर ही अड़े रहे थे। छ: महीने पहले उनक डैथ हो गई है।’
‘ओह, सॉरी’ ईश ने कहा।
‘वे काफ समय से बीमार थे। म उ ह ब त िमस करता ।ँ पर इसिलए नह क वष क बीमारी के खच ने हम धो डाला। अली के िपता
ने कहा और एक िगलास पानी पीया।’ जब म यूिनव सटी से रटायर आ तो मुझे वहां का काटर खाली करना पड़ा। पाट चाहती थी क
म यहां आ जाऊँ। बेलरामपुर यूिनिसपल कू ल नजदीक था इसिलए मने इसे वहां दािखल करवा दया। कू ल तो अ छा है न?’
‘हां। हम वहां बारह साल पड़े ह।’ मने कहा।
‘ओमी तुमने कु छ नह खाया। कम से कम फल खा लो।’ अली के िपता ने उसे के ले पेश करते ए कहा। ओमी ने एक के ला ले िलया, फर
उसका िनरी ण कया, और फर तीन ास म ही िनगल गया।
‘तुम अली को के ट िसखाने के िलए इतने उ सुक य हो।’ अली के िपता ने कहा।
पया था ईश के चेहरे पर चमक लाने के िलए। उसने बड़े जोश से कहा, ‘अली म ितभा है। आप देख रहे ह मेरी को चंग से उसम
कतना िनखार आया है।’ ‘तुम के ट खेलते हो?’ अली के िपता ने पूछा।
‘ कू ल म और अब हमारे पास पोटस- टोर भी है। मने ब त से िखलाड़ी देखे ह पर अली जैसा नह ।’ ईश ने भावुकता से कहा।
‘पर यह तो बस एक गेम है। एक लड़का बैट से बॉल को मारता है, और बाक के लड़के उसे पकड़ने के िलए दौड़ते ह ‘यह उससे यादा है,
‘ईश ने परे शानी से कहा।’ अगर आप ने इसे कभी खेला नह तो आप इसे कभी भी समझ नह सकते।’
अली के िपता ने कहा, ‘आप लोग जानते ह म सैकुलर पाट का मबर ?ँ ’ ‘हमने बाहर देख िलया था।’ मने कहा।’ या आप आना पसंद
करोगे और हमारी पाट को आकर देखगे कभी?’
ओमी सहसा उठ खड़ा आ। ‘आप जानते ह आप कससे बात कर रहे ह? म पंिडत शा ी का बेटा ।ँ आप ने बेलरामपुर म वामी मं दर
देखा है या नह ?’ उसक आवाज थोड़ी त स थी।
ईश ने ओमी क कोहनी पकड़ कर बैठने का इशारा कया।
‘उससे या फक पड़ता है, बेटे?’ अली के िपता ने कहा।
‘आप मुझे अपनी पाट देखने के िलए आने को कह रहे ह। म एक िह दु ।ँ ’
‘वो हमने तु हारे िवरोध के िलए नह बनाई ‘अली के िपता क आवाज म उदासीनता थी, ‘हमारी पाट सैकुलर है। इसका कसी धम
िवशेष से स ब ध नह ।’ ‘यह सैकुलर नह । यह सक-उलर पाट है। यह पािल ट स को सक-अप कर लेती है, ये आप सब जानते ह।
हैरानी क बात नह आप जैसे मुसलमान वहां इक े होते ह। ईश बताओ हम जा रहे ह या नह ।
‘ओमी, िबहेव सूअर से फ, हम यहां अली के िलए आए ह।’
‘म परवाह नह करता। उसे कं चे खेलने दो और मै स म फे ल होने दो अगर िब दु मामा को पता चला क म यहां ँ तो’
‘िब दु तु हारा मामा है?’ अली के िपता ने कहा।
‘वो तु हारे िवरोधी ह। और एक सक-अप पाट कभी नह जीतेगी बेलराममुर म’ ‘शांत हो जाओ बेटे। बैठ जाओ।’ अली के िपता ने
कहा।
ओमी बैठ गया। ईश ने उसके कं धे दबाए। ओमी गु से म कम ही आता है, पर अगर वो भड़क जाए जो उसे शांत करने के कई ढंग अपनाने
पड़ते ह।
‘लो, के ला खाओ। मुझे पता है तु ह भूख लगी है।’ ईश ने उसे शांत करने क कोिशश क । ओमी ने पहले मना कया, फर के ला ले िलया।
‘म भी सैकुलर पािल ट स म नया ँ बेटे। पहले म एक हाडलाईन पाट म था।’ अली के िपता थोड़ी देर के िलए के , फर बोले, ‘हां,
मने भी कु छ गलितयां क ह।’ ‘जो भी है। कभी कोिशश न करना हमारी पाट के लोग को अपनी पाट म करने क ।’ ओमी ने आवेश म
कहा।
‘म ऐसा नह क ं गा। पर तुम हमारे िव इतने य हो? पाट ने चालीस वष देश पर शासन कया है, हमने कु छ तो ठीक कया
होगा।’
‘तुम, आप गुजरात पर और शासन नह करोगे। य क हम तु हारी िहपो े सी दखाई दे रही है।’ओमी ने कहा।’ ओमी चुप हो जाओ’
ईश ने कहा।
‘ईश कोई बात नह । मुझे कभी ही मौका िमलता है नौजवान से बात करने का। उसे अपने मन क कह लेने दो।’ अली के िपता ने कहा।
‘मेरे पास अब कहने को कु छ नह । आओ चल।’ ओमी ने कहा।
‘सा दाियक पा टयां भी परफै ट नह होत ।’ अली के िपता ने कहा। मने अंदाज लगाया क अली के िपता भी इस बहस म दलच पी
ले रहे ह।
‘तुम हम सा दाियक कहते हो। तु हारी पाट मुसलमान को ेफरस देती है। फर भी यह सैकुलर है। य ; ‘ओमी ने कहा।’
‘हमने उ ह या फ े रस दी है।’ अली के िपता ने कहा।‘तुम हम अयो या म मं दर य नह बनवाने देते?’ ओमी ने कहा।‘ य क वहां
पर पहले ही मि जद है।’
‘पर उससे पहले वहां मं दर था।’
‘यह िस नह हो पाया।’
‘यह हो चुका है। पर सरकार उन रपोट को िछपा रही है।’
‘गलत।’
‘जो भी हो। पर यह एक साधारण थान नह है। हमारा िव वास है क यह हमारे भगवान का ज म- थान है। हमने कहा ‘हम वह थान
दे दो? और हम मि जद को इसके आगे स मानपूवक बना दगे।’ पर तुम ऐसा नह कर सकते और हम जो ब सं या म ह, अपनी यह
छोटी सी िवनती पूरी नह करवा सकते। पारे ख जी ठीक ह, हम िह दु को इस देश से या आशा हो सकती है?’
‘ओह! तो ये पारे ख जी ह िज ह ने तु ह यह सब िसखाया है।’ अली के िपता ने एक बड़ी सी मु कान दी।
‘वे हम िसखाते नह । हमारे सवाल पर सा दाियकता का लेबल िचपका दया गया है। इस िवषय म बात करना संगत नह । िह दु बात
नह करते तो आप लोग समझते हो वे कु छ महसूस नह करते। आप को या लगता है क लोग पारे ख जी को य सुनते ह? य क कह
न कह वे ब त गहराई म लोग को जोड़ते ह। रोज क एक रे खा बढ़ती जाती है, िम. नसीर, चाहे इसके बारे म बात हो या न हो।’
‘ब त से िह दु हम वोट देते है, तु ह पता होना चािहए।’ अली के िपता ने कहा।’ पर धीरे - धीरे वो स ाई जान जाएंग।े
‘बेटे, िह दो तान एक आजाद मु क है। यहां िवचार क आजादी है। म मानता ँ क िह दु धम एक महान धम है, पर अित न करो।’
‘ओह! मुझे न बताओ क अित या होती है। हम जानते ह क कौन सा धम अितवादी हो चुका है।’
मुझे िव वास नह था क ओमी जो कु छ कह रहा था उसम िव वास करता है या वह पारे ख जी ारा दए गए पाठ को दोहरा रहा है।
उसने ईश या मेरे, साथ ऐसी कभी कोई बात नह क । पर या कह गहराई म वह िबट् टू मामा क तरह ही महसूस करता है? जैसे ईश
क के ट म और मेरी िबजनैस म िच है तो या ओमी का झुकाव धम क ओर है? या फर, यादातर लोग क तरह वह भी अ प है
अपने िवचार के ित और अपनी सही िच को पहचानने क कोिशश कर रहा हो। और हमने, जो उसे कभी सी रयसली नह िलया,
शायद पारे ख जी ने उसम िज मेदारी क भावना पैदा क है। उसके िवचार को कोई दशा दी हो।
‘ या हम राजनीित के इस वातालाप को ब द कर सकते ह।’ ईश ने जाने का संकेत दया।
‘आप अपने लड़के को भेजने के िलए तैयार ह न?’ मने अली के िपता से पूछा क कह ओमी क भड़ास को सुन कर उ ह ने अपना इरादा
न बदल िलया हो।
‘ऐसी कोई बात नह । हम अपने िवचार का आदान- दान कर रहे ह।’
हमारे देश म इसी बात क कमी है। इट् स ओके . म आप लोग पर पूरा भरोसा रखता ँ अली के िलए।’
हम जाने के िलए उठ खड़े ए। दरवाजे तक प च
ँ ।े ईश ने ैि टस का टाईम प ा कया - 7 बजे सुबह।
‘चलो म आप के साथ सड़क तक चलता ।ँ म रात के खाने के बाद सैर करता ।ँ ’ अली के िपता ने कहा। हम अली के घर से बाहर आ
गए।
ओमी ने िसर झुकाया आ था, शायद ऊँची आवाज म बोलने के कारण श मदा महसूस कर रहा था। अली के िपता ने फर कहा,
‘दरअसल म अपनी ही पाट को यादा पसंद नह करता।’
सच म? मने कहा, जब क बाक कोई कु छ नह बोला।
‘हां, य क कु छ हद तक वे भी और राजनीितक पा टय क तरह राजनीित यादा खेलते ह बजाय देश के िलए काम करने के । भेद-भाव
पैदा करना, प पात करना बंटवारा करने - आ द बात म लगे रहते ह और वे इन सब बात को अ छी तरह से जानते ह।
हम सब ने गुड-नाईट कहने के िलए िसर िहलाया। पर उनक बात ख म नह ई थी।’यह तो ऐसे है जैसे दो ाहक रे तरां म जाते ह और
मैनेजर उनको खाने क एक ही ेट देता है और अगर तुम खाना खाना चाहते हो तो तुम दूसरे ि से लड़ोगे। दोन लड़ने म त हो
गए, फर कु छ लोग ने उ ह समझाया क वो दोन आधी-आधी ेट बांट ल। इस सारे झगड़े म वो मूल-कारण को भूल गए - क मािलक
ने उ ह खाने क दो अलग-अलग लेट य नह दी?’
मने अली के िपता का चेहरा यान से देखा।
दाढ़ी और मूछ के भीतर कह एक बुि मान ि िछपा बैठा था।
‘अ छा नु ा था, लड़ाई पैदा क गई। इसीिलए म धम या राजनीित को अिधक तूल नह देता।’ मने कहा।
‘एक बार अगर एक लड़ाई शु हो जाए तो, उससे दूसरी और फर एक के बाद एक िसलिसला शु हो जाता है। फर तुम इसे रोक नह
सकते।’ ईश ने कहा।
‘म पहले कॉलेज म जुलॉजी पढ़ाता था।’ अली के िपता ने कहा, ‘और एक बार मने चंपैिजय क लड़ाइय के िवषय म पढ़ा था, वो
शायद यहां ठीक बैठता है।’
‘ चंपिजय क लड़ाइयां?’
‘हां, नरिचपजी एक ही दल के - पर पर घातक लड़ाइय लड़ते है खाने के िलए या मादा- चंपैजी के िलए, जो भी हो। जैसे भी हो लड़ाई
के बाद वो एक अजीब था को िनभाते ह। वो एक-दूसरे को होठ पर कस करते ह।’
यहां तक क ओमी को भी हंसना पड़ा।
‘इसिलए िह दु और मुसलमान को भी आपस म कस करना चािहए।’ मने कहा।
‘नह , खाइं ट यह है क यह था कृ ित ारा बनाई गई थी।’ यह प ा करने के िलए क लड़ाई ख म और वे फर इक े हो गए। असल म,
कसी भी ल बे चलने वाले र ते क यही ज रत होती है।’
‘ कसी भी?’ ईश ने कहा।
‘हां, कसी पित-प ी को ले लो। वो झगड़गे और एक दूसरे को मानिसक-चोट भी प चँ ाएंग।े बाद म कसी भी तरह वे समझौता कर लगे
- एक दूसरे को बाह म भर कर, भट देकर या मीठे श द ारा। ये समझौते ब त ज री ह। भारत म िह दुमुि तम श ुता क सम या
यह नह क एक ठीक है और दूसरा गलत। ये तो....’ ‘यहां वो समझौता-वाद नह है।’ ईश ने कहा।
‘हां, इसका मतलब है क अगर राजनीितश आग भड़काते ह तो उसे बुझाने के िलए कोई फायर-ि गेड नह ह ये सुनने म बुरा लगता है,
पर ओमी िबलकु ल ठीक है। लोग अंदर से महसूस करते ह। पर आपस म बातचीत न होने के कारण ये दू रयां दूर नह होत । िवरोध
बढ़ता ही जाता है, जब तक बाहर आता है तो ब त देर हो चुक होती है।
हम मु य सड़क पर आ गए थे और एक पान क दुकान के आगे खड़े हो गए। अब म समझा क अली के िपता हमारे साथ य आए ह,
रात के खाने के बाद अपना पान खाने।
ईश ने कहा जैसे ही हमने जाने के िलए हाथ िहलाए ‘अली को किहएगा क समय पर आ जाए।’
चंपैिजय का कस करने का का पिनक िच पूरी रात मेरी आंखो के सामने रहा। अली समय पर आ गया। उसने
सफे द कु ता-पाजामा पहना आ था। उसने एक हाथ म मै स क कताब और दूसरे म के ट-बैट पकड़ा आ था।’ कताब एक तरफ रख
दो। पहले के ट ‘ईश ने कहा।
लड़का अचंिभत सा हो गया अचानक दए गए िनदश से, म उसे ऊपर ले गया और बाल लॉकर म खोल दया। अली ने एक खाली
लॉकर चुना और उसम अपनी कताब रख द । परे श और नवीन दो और लड़के भी के ट- ैि टस के िलए आ चुके थे। वे दोन अली क
उ के ही थे पर अिधक व थ लग रहे थे।
‘लड़क िपछले याड के बारह च र काट कर आओ।’
ईश ने ि ल-सरजट वाली आवाज म कहा। यह के वल उसका मनमाना फै सला होता था क लड़के कतने च र काटगे। म सोचता ँ क
वो अपनी ताकत क पहली डोज, जो उसे हर सुबह िमलती है, का पूरा आन द उठाता है।’ म ऊपर चला गया वाल म पड़ी अली क
कताब देखने के िलए। कािपयां खाली थ । मै स क कताब सातव क ा क थी, पर उसे अभी तक खोला नह गया था। म पहली
मंिजल क बालकनी म आकर खड़ा हो गया। िव ाथ सुबह क जा गंग कर रहे थे।
‘ या आ?’ ईश ने कहा जब अली पांच च र के बाद क गया।’
‘म... नह .... दौड़ सकता, ‘अली को सांस चढ़ा आ था।
ओमी भ ी हंसी हंसा, ‘लड़के , यहां लोग सौ च र लगाते ह। तुम िवकट के बीच कै से दौड़ोगे ‘फ डंग कै से करोगे?’
‘यही कारण है. .म के ट... पसंद नह करता।’ अली ने कहा, वह अपनी उखड़ी सांस ठीक करने क कोिशश कर रहा था।’ या हम
के वल खेल नह सकते?’ अली ने कहा।
अली वॉमअप से कु छ यादा ही था। उसका चेहरा तमतमा रहा था।
कसरत के बाद ईश ने लड़क को कै चंग और फ डंग का अ यास करवाया। ईश बैट के साथ बीच म खड़ा हो गया। सभी ने बारी-बारी
से गद दी ईश को। उसने बॉल को ऊपर उछाला और सभी को मैच करने का अवसर दया। अली अपनी ि थित से िहला नह । वह गद को
तभी पकड़ सकता था जब गद उसके िनकट प च ँ ेगी।’ ठीक है, चलो अब हम खेलते ह।’
ईश ने ताली बजाई, ‘परे श तुम मेरे साथ रहोगे। पहले हम बा लंग करगे। नवीन तुम अली क टीम म चले जाओ और पहले बै टंग करो।’
नवीन ज पर आ गया और अली रनर बना। नवीन ने परे श क चौथी गद को जोर से मारा। ईश गद लेने के िलए दौड़ा। दो रन आसानी
से बन सकते थे। पर अली क सु ती ने के वल एक रन बनने दया। परे श ने तीन कदम भाग कर गद फक । अली ने इसे िहट कया। गद
जोर से उछली और पहली मंिजल तक प च ँ ी। म पहली मंिजल क बालकनी म खड़ा था। गद मेरे ऊपर से िनकल गई और जांच-मैनेजर
के कमरे क िखड़क म जा लगी।
परे श को जैसे सदमा लगा हो, जैसे ईश को लगा था - जब अली ने पहली बॉल पर ही छ ा लगा दया था।
‘हे, यह या? तुम हीरो हो या कु छ और?’ ईश अली क तरफ भागा।
अली घबरा गया था।
‘यह कोई के ट- ाउं ड नह है। हम एक बक म खेल रहे ह। अगर बॉल बाहर चली जाती है और कसी को लग जाती है तो इसका
िज मेवार कौन होगा? अगर कु छ टू ट-फू ट जाता है तो उसका हजाना कौन भरे गा?’ ईश िच लाया। अली अब भी हैरत म था।
‘वह एक अ छा शॉट था परे श ने कहा।
‘शटअप। हाय अली, म जानता ं तुम ऐसा कर सकते हो। खेल के दूसरे पहलू भी सीखो।’ अली रोने को हो रहा था ‘ओके . सुनो, सॉरी,
मेरा मतलब तु ह... ‘ईश ने कहा।
‘यही है जो म जानता ।ँ म और कु छ नह कर सकता।’ अली क आवाज क- क आ रही थी।
‘हम तु ह िसखाएंग।े तुम बाउ लंग य नह करते?’
अली ने उस दन और बै टंग भी नह क ।
ईश ने आधा घंटा और साधारण अ यास करवाया और कोिशश क क वह िच लाए न। िपछली बात थोड़ी क ठन थी य क जहां
के ट का सवाल होता वहां वह जानवर बन जाता।
‘अपनी कताब ऊपर से लेकर आओ। हम िपछले याड म पढ़गे।’ मने पसीने से भीगे अली को कहा।
वह ऊपर से अपनी कताब ले आया और मै स क कताब का पहला अ याय खोला। यह यान और डैिसमल का अ याय था।
ओमी दूध के दो पै कट ले आया। एक उसने ईश को दया।
‘ध यवाद ‘। ईश ने कहा और मुंह से ही िलफाफा खोला।
‘एक और है।’ ओमी ने कहा।
‘ कसिलए?’ ईश ने दूध का एक बड़ा सा छ लेते ए कहा।
‘अपने उस चूजे को दो।’ ओमी ने कहा तुमने उसक बांह देखी ह? वे िवकट से भी पतली ह। तुम उसे िखलाड़ी बनाना चाहते हो या
नह ?’
‘तुम खुद उसे दे दो।’ ईश मु कराया।
ओमी ने अली के पास दूध का पै कट रखा और चला गया।
‘तुमने कभी पहले या स क ह?’ मने कहा।
उसने हां म िसर िहलाया।
मने उसे 24/64 को सरल करने के िलए कहा। उसने दोन सं या को 2 से बार-बार िवभािजत करना शु कर दया।
बेशक मै स म उसक वह इं टसूशन काम नह करती जो िस सर मारने म करती है। फर भी उसके िपता ने काफ कोिशश क थी।
‘दुकान पर िमलगे।’ ईश ने मुझे बताया और फर अली क तरफ मुड़ते ए कहा, ‘ के ट के बारे म कोई सवाल, चप?‘
‘लोग िवके ट के बीच य भागते ह रन लेने के िलए?’ अली ने कहा अपना पैन चबाते ए।
‘ऐसे ही कोर बनता है। यह िनयम है।’ ईश ने कहा।
‘नह , वह बात नह । मेरा मतलब है, एक या दो रन लेने के िलए वो भाग कर र क लेते ह अगर एक ही िहट म उ ह छ रन िमल जाते ह
तो?’
ईश ने अपना िसर खुजलाया, ‘अपने सवाल मै स तक ही रखो।’ ईश ने कहा और चला गया।
*****

ये तीस वष भारत के िलए बड़ी परे शानी वाले ह। ईश ने कहा जैसे ही हम दुकान म लेटे। हमने फश पर एक चटाई िबछा ली थी। झपक
लेना अ छा तरीका सु त दोपहर िबताने को आजकल परी ा के दन थे। दुकान का काम भी ढीला ही था। ओमी ऊंघने लगा जब क म
और ईश हमेशा क तरह दाशिनकता पर बहस करने लगे।’ वो सारे बुरे नह ।’ मने कहा, ‘हमने 1983 म व डकप जीता था।’
‘ठीक है, हम अ छा के ट खेलते ह, इसीिलए। पर दूसरी तरफ हम गरीब रहे, यु लड़ते रहे, उ ह लोग को वोट देते रहे जो संचािलत
क रवादी ह और जो देश के िलए कु छ नह करते। लोग क सपन क नौकरी सरकारी नौकरी है। कोई भी बाहर िनकल कर खतरा
मोल नह लेना चाहता।’
ooo

‘अंदाजा लगाओ, टॉप पर कौन था? कौन सी पाट ? वही सैकुलर, नॉन सै स।’ ओमी भी हमारी बातचीत म शािमल हो गया था, अपनी
एक आख खोलते ए।’ हां, तु हारे दि ण-पंथी टाईप भी इक े कोई काम नह करते।’ ईश ने कहा।’ हम करगे, दो त। हम तैयार ह। तुम
इं तजार करो और देखो, अगले वष के चुनाव म गुजरात हमारा होगा।’ ओमी ने कहा।
‘कै से भी हो। ये सब राजनीित के दाव-पेच ह।’
‘मेरा मु ा यह है ये साठ और अ सी के बीच क पीढ़ी है िजसे समझना मुि कल है - अब बूढ़ी हो चुक है और ये देश को चला रही है। पर
न बे क और फर उसके आगे या कहते ह... ‘
‘जीरो’।
‘हां, जो भी हो। जीरो कतई अलग ढंग से सोचते ह। और इसी बूढ़ी पीढ़ी ारा शािसत ह िज ह ने अपनी जवानी म भी कु छ साथक काम
नह कया। दूरदशन क पीढ़ी के पीछे टार टी.वी. क पीढ़ी चल रही है।’ ईश ने कहा।
मने ताली बजाई, ‘वाह-भई-वाह, टीम इं िडया शॉट। पर अ ल मु त म िमलती है।’
‘बस करो, या हम यहां िड कशन नह कर सकते। या तुम सोचते हो या के वल तुम ही यहां बुि जीवी हो। म के वल एक के ट कोच
।ं ’ ईश बुड़बुड़ाया।’ नह तुम ही बुि जीवी हो म तो सु त-टाईप ।ं अब या हम कु छ देर आराम कर सकते ह जब तक क अगला बैच
नह आ जाता।’ मने आंखे बंद करते ए कहा। हमारी झपक म ज दी ही बाधा पड़ गई।
‘आराम फरमा रहे हो, ब त अ छे। जब कराया थोड़ा होगा तो दुकानदार सोएगा ही।’ िब दु मामा क आवाज ने हम सब को िबठा
दया। पता नह ये यहां या कर रहे है?
‘दोपहर को काम कु छ ढीला होता है, मामा।’ ओमी ने कहा और एक टू ल उनक ओर बढ़ा दया। उसने मुझे चाय लाने का इशारा
कया। मने कै श बॉ स खोला और कु छ िस े िनकाले।
‘कु छ खाने के िलए भी ले आना ‘मामा ने कहा। मने िसर िहलाया। अब मामा के सै स के पैसे कौन देगा? कराया इतना भी कम नह ह
मने सोचा और दुकान से बाहर िनकला, एक फ क सी मु कान के साथ। म सब के िलए चाय ले आया। मामा ओमी को बता रहे थे,
‘अगर दोपहर को काम कम होता हो तो तुम मेरी मदद के िलए आ जाया करो। तु हारे दो त भी आ सकते ह। चुनाव-सीट जीतना इतना
आसान काम नह होता। ये सैकुलर लड़के अ छे ह।’
‘आप मेरे से या करवाना चाहते ह मामा?’ ओमी ने कहा, सब को चाय देते ए।
‘हमने जवान को संग ठत करना है। तुम उ ह हमारी िवचार-धारा समझाओ। ढोिगय से उ ह सावधान करो। चुनाव- अिभयान के
दौरान हम चार और रै िलय का ब ध करने के िलए लोग क ज रत है। काफ काम है करने को।’ ‘म अगली बार आऊँगा, मामा।’
‘दूसर को भी कहना। मं दर म आने वाले जवान लड़क को हमारी पाट के बारे म बताना, मेरे बारे म बताना।’
म उठ खड़ा आ, खीझता आ। अब मेरी समझ म आया क उनका ल य मं दर म आने वाल म पाट का चार करना है पर या जो
मं दर म पूजा के िलए आता है वो पाट क िवचारधारा के बारे म सुनेगा या राजनीित म शािमल होने क सोचेगा। मने अपना यान
बंटाने के िलए अपना एकाउं ट-रिज टर खोला।
‘तुम आओगे?’ मामा ने ईश क ओर मुड़ते ए उससे पूछा।
‘दुकान पर भी कसी ने बैठना है चाहे काम कम भी हो।’ ईश ने कहा। या होिशयारी दखाई है, यही ए स यूज तो मने मांगनी थी।
‘और तुम गोिव द?’ मामा ने कहा।
‘म वैसा नह ं म संशयवादी ।ं याद है?’ मने कहा और रिज टर देखता रहा।’ पर यह धम से स बि धत नह । यह याय से संबंिधत है।
तु हारे बारे म सोच कर ही हमने तु ह यह दुकान थोड़े से कराए पर दे दी थी। तु हारा भी तो हमारे िलए कोई फज बनता है।
‘यह आप क दुकान नह ह। ओमी क मां ने हम यह दी है। और लोके शन को देखते ए कराया भी वािजब है।’ मने कहा।
‘म अके ला ही काफ ं मामा। मेरे साथ धीरज भी आ जाएगा, ठीक है?’ मेरे और मामा के बीच बढ़ते तनाव को रोकने के िलए ओमी ने
कहा। धीरज मामा का बेटा था, चौदह वष का, और ओमी का ममेरा भाई।
‘इसक हेकड़ी तो देखो। यह छोटी सी दुकान और इतना अहं।’ मामा ने कहा, ‘अगर ओमी यहां न होता तो म तु ह ध े मार कर यहां से
िनकाल देता।’
‘इसक ज रत नह पड़ेगी। हम इसे ज द ही छोड़ने वाले ह।’ मने सोचे-समझे िबना कह दया। म मजबूर था। म उ ह उसी समय
बताना चाहता था, जब हम इसे छोड़ कर नवरं गपुरा मॉल पर जाते। पर म उनक दया करने वाले लहजे से दुखी हो गया था।
‘ओह, अ छा? या तुम इन बैट-बल क रे डी लगाओगे?’ मामा ने कहा।
‘हम नवरं गपुरा मील पर िश ट कर रहे ह। आप तब अपनी दुकान वािपस ले सकते
‘ या...?’ मामा हैरान हो गए।
‘हम अगले महीने रकम जमा करवा दगे। तीन महीने म हम उसका क जा िमल जाएगा। यह छोटी सी दुकान अब टॉप क लोके शन म
पोट टोर बन जाएगी।
‘वा तव म?’ मामा ओमी क तरफ मुड़।े
ओमी ने िसर िहलाया।
‘ कतनी रकम जमा करवानी पड़ेगी?’ मामा ने कहा।
‘तुम इस दुकान के िलए हजार पए महीना दे रहे हो। अगर तुम मा कट के िहसाब से दो हजार देते तो तुम इतना नह बचा पाते।’
मामा ने कहा।
म चुप रहा।
‘ य ? अब तुम चुप य हो?’ मामा खड़े हो गए।
मुझे या करना चािहए था? आगे बढ़ कर उनके पैर पकड़ लेता। मने भी उनके भानजे को काम पर लगाया आ था और अपने िबजनैस
म बराबर का भागीदार भी। ठीक है, ओमी मेरा दो त था। उसक यो यता को देखते ए वो इससे अ छा काम नह ढू ंढ सकता था। कम
कराये क दुकान के वल यही वो कर सकता था।
‘मामा, मुझे बताओ क मेरी ज रत कब है?’ ओमी ने कहा।
‘ठीक है, म बता दूग
ं ा।’ मामा ने कहा, ‘तुम लोग आराम करो।’
ईश ने अपनी बीच क अंगुली उठाई जब मामा चले गए। हम फर लेट गए और सो गए।

*****
सात

‘तुमने सवाल कर िलए ह जो मने दए थे।’


िव ा ने िसर िहलाया। म उसका चेहरा नह देख सकता था य क हम साथ-साथ बैठे थे। पर म जानता था क वो अभी रोकर हटी है।
उसने अपने हाथ से-अपनी आख प छी।
मने उसक नोट-बुक खोली। म ूटर था, हमदद नह ।
‘तुमने सब कर िलए ह?’
उसने अपना िसर िहलाया।
‘तुमने कतने कए ह?’
उसने मुझे सात अंगुिलयां दखाई। अ छा है दस म से सात बुरे नह थे। पर वो बोल य नह रही थी।
‘ या आ?’ मने कहा, बात-चीत शु करने के इरादे से बजाए उसक सूजी ई आंखे देखने के ।
‘कु छ नह ।’ उसने लड़खड़ाती आवाज म कहा।
एक लड़क का ‘कु छ नह ’ ब त कु छ होता है। वा तव म, यह ब त कु छ भी और म पढ़ाना शु नह कर पा रहा था। मने उसके बनावटी
‘कु छ नह ’ का एक सटीक यु र सोच िलया था।
‘तुम अपना मुंह धोने के िलए जाना चाहती हो।’
‘म ठीक ।ं पढ़ना शु करते ह।’
मने उसक आंखो क तरफ देखा वो भीगी ई थ । उसक आंखे अपने भाई क आंखो जैसी थ ।
उसके दूिधया चेहरे पर ाउन आंखे अिधक चमक रही थ ।
‘तु हारा दूसरा सवाल भी ठीक है।’ और मने उसक नोट-बुक पर याही लगा दी। म वभावानुसार ‘गुड’ िलख देता ।ँ म अ सर छोटे
ब को ही पढ़ाता ं और अगर उनक नोट-बुक पर ‘गुड’, ‘वैल डन’ या ‘ टार’ बना दो तो उ ह बड़ा अ छा लगता है पर िव ा ब ी
नह थी।
‘तुम ने बड़ा अ छा काम कया है।’ उसक नोट-बुक का िनरी ण करते ए मने कहा।
‘माफ-करना ‘उसने कहा और बाथ म क तरफ भाग गई। शायद वो अपने आसु को रोक नह पाई थी। थोड़ी देर म वह वािपस आ
गई। इस बार उसका आई-लाइनर धुल चुका था और चेहरा भीगा आ था।
‘सुनो, इस लास का कोई फायदा नह अगर तुम यूं ही अशांत रही तो। हमने आज और भी क ठन करने थे पर तुम…
‘पर म अशांत नह ।ं यह तो ग रमा और वह। खैर छोिड़ए। हम शु करते ह। ‘ग रमा?’
‘हां मेरी किजन और बै ट ड। ब बई म रहती ह। मने िपछली बार आपको बताया था।’
‘मुझे याद नह ।’ मने कहा।
‘उसने मुझे कहा था क कल रात वो मुझे सुबह सुबह एस.एम.एस. करे गी और अब दोपहर हो गई है पर उसने नह कया। वो हमेशा ही
ऐसा करती है।
‘तुम उसे य नह कर देत ?’
‘म नह करती, उसने कहा था वो ही कया करे गी, तो उसे ही करना चािहए। ठीक है न?’
‘मने उसके भाव-शू य और ित याहीन चेहरे को देखा।
‘वह अपनी हाई-फाई पीआर क जॉब पर है और वो इतनी िबजी है क उसे एक लाइन टाईप करने क फु सत नह ह।
मेरी इ छा हो रही थी क वो लड़क इसे एस.एम.एस. कर दे ता क हम अपनी लास शु कर।
‘म अगली बार उसे बता दूग
ं ी क वो मुझे दो दन तक फोन न करे , मुझे ‘कु छ ‘ब त ज री काम है।’ उसने कहा। ‘कु छ’ मने दोहराया,
कु छ लड़ कयां अपनी िम ता का माप-दंड उन गे स को बनाती ह जो वो पर पर खेलती ह और जो उ ह भावुकतापूवक मािणत करती
ह।
‘ या हम शु कर?’
हां! म अब अ छा महसूस कर रही ।ं सुनने के िलए ध यवाद।’
‘नो ाबलम। तो आठव म या आ था?’ मने कहा।
हम अगला आधा घंटा संभावना पर िववाद करते रहे थे। फर जब उसने अपना दमाग लगाया तो मने अनुभव कया क वो मै स म
इतनी कमजोर नह िजतनी पहली बार म लगी थी। पर वह मुि कल वे पांच िमनट ही ऐसा कर पाती थी। एक बार, उसे अपना पैन
बदलना था। फर उसे अपने बाल के ि लप खोलने और फर उ ह ख च कर दोबारा लगाने होते। प ह िमनट उसे चािहए पीठ के पीछे
कु शन सैट करने के िलए। उसके बाद उसक मां, ने चाय और िब कु ट भेज दए और वह हर तीस सेकंड म एक छ लेती। फर भी हम
गाड़ी ख चते रहे। चालीस िमनट क लास के बाद उसने अपनी कु स पीछे ख च ली।
‘मेरा िसर दुःखने लगा है। मने इतनी देर लगातार मै स नह कया अपनी जंदगी म। या हम एक ेक ले सकते ह।’ िव ा हमारे पास
के वल बीस िमनट और ह।’ मने कहा।
वह उठ खड़ी ई और अपनी आंखे झपकाई।’ या हम लास म पांच िमनट के ेक का समझौता कर सकते ह? इतनी देर तक मै स नह
करना चािहए। यह तु हारे िलए भी बुरा है।’
उसने अपना पैन एक तरफ रखा और अपने बाल खोल दए। बाल क एक लट मेरी बांह पर िगरी। मने झट से अपना हाथ ख च िलया।
‘बाक िवषय क तु हारी तैयारी कै सी है? मेरा याल है साइं स से तुम नफरत नह करती?’ मने कहा, ेक का फायदा उठाते ए।
‘मुझे साइं स पसंद है। पर िजस ढंग से वो पढ़ाते ह, वह परे शानी है।’ िव ा ने कहा।’ जैसे?’
‘जैसे क मैिडकल ऐ ैस गाईडज। उनम हजार चॉयस के िलए हजार ह। तुम उ ह िसले ट कर लो तो तु हारे डॉ टर बनने के िलए
काफ ह। पर म साइं स को ऐसे नह देखती।’
‘खैर हमारे पास कोई चॉयस नह , कोई िवक प नह ।’
‘अ छे कॉलेज थोड़े ही ह और क पीटीशन काफ टफ है।’
‘म जानती ।ं पर जो लोग ऐ जाम-पेपर बनाते ह, या वो कै िम ी के बारे म कु छ और आगे जानने क िज ासा रखते ह। या वो कभी
अचंिभत होते ह इससे?’ या वो कभी प थर क ितमा को देखते ह और हैरान होते ह क यह सब िब कु ल ि थर लगता है, पर ितमा
के अंदर ोपेन िभनिभना रहे होते ह और इलै ॉन बुरी तरह से िहल-जुल मचा रहे ह।’
मने उसक चमकदार आंखो म देखा। मने इ छा क क उसक आंखो म ऐसी ही चमक हो जब म उसे संभावना के िवषय म पढ़ाके ।
‘यह काफ स मोहक है, है न?’ मने कहा।
‘या फर हम बायोलाजी क बात करते ह। इस के बारे म सोचो।’ उसने कहा और मेरी बांह पकड़ ली।’यह या है?’ ‘ या?’ मने कहा,
अपनी बांह छु ड़ाते ए।
‘यह तु हारी वचा है। तु ह पता है इसके अंदर कतने बै टी रया रह रहे ह। वहां अरब क सं या म जीव पैदा होते ह, खाते ह, और
अ य जीव को ज म देते ह। और फर मर जाते ह। फर भी, हम नह सोचते क ऐसा य होता है। पर हम के वल इसक बाहरी तह के
बारे म ही सोचते ह य क इसके िवषय म हर साल ऐ जाम म पूछा जाता है।
म नह जानता था क इस लड़क को या क ।ँ मुझे लगता है क मुझे सात-साल के ब को पड़ाने तक ही सीिमत रहना चािहए।’
‘तु हारी टै सट- ु स के अलावा भी साइं स क कु छ अ छी रे फरस बु स ह।’ मने उससे कहा।
‘ या वाकई ह?’
‘हां, तुम इ ह ला-गाडन बुक-मा कट से ले सकती हो। अगर तु ह चािहए तो म ला सकता ।ँ अपने म मी-पापा से पूछ लो अगर वो पे
कर दगे तो ‘।
‘म डल वो पे कर दगे। अगर पढ़ाई क बात हो तो िजतना चाहो खच कर दगे। पर या म तु हारे साथ चल सकती .
‘नह तु ह जाने क ज रत नह । म िबल ला दूग
ँ ा।
‘ या..?’
‘अगर तुम सोचती हो क म कतना खच कर दूग
ं ा।’
‘ऐसी बात नह । यह एक अ छा ेक रहेगा। हम दोन इक े चलगे।’
‘ठीक है। चलो अब हम बाक के सवाल कर। हमने पं ह िमनट का ेक ले िलया है।
मने अ यास क एक सीरीज पूरी कर दी थी और दस सवाल उसे होम-वक के िलए दे दए थे। य ही म जाने के िलए उठा उसका फोन
बज उठा। वो उसे उठाने के िलए भागी।
‘ग रमा...’ उसने कहा और मने दरवाजा ब द कर दया बाहर िनकल कर। म जब घर से बाहर िनकला तो ईश घर आ रहा था।
‘कै सी रही लास? वो डफर है, मुि कल होगी।’ ईश ने कहा। ैि टस के कारण उसका शरीर पसीने से तर-ब-तर था।’ बुरी नह , वो
ज दी सीखने वाली है ‘मने कहा। य कहा यह म नह जानता। पर उस समय ईश को देखने से मेरे दल क धड़कन बढ़ गई। म उसे
बताऊँ क िव ा के साथ लॉगाडन मा कट म कताब खरीदने जाने क हमारी योजना है। पर यह मूखता होगी, मने सोचा। हर चीज उसे
बताना ज री नह ।
‘अली को िशि त करने का मने एक ढंग सोचा है।’ ईश ने कहा।
‘कै से?’
‘म उसे पहले उसके चार छ े बनाने देता ।ँ फर वह हमारे जैसा ही एक होगा।’ मने िसर िहलाया।
‘दूसरे लड़के िनराश हो जाते ह। वो सोचते ह क अली के िलए मेरे दल म िवशेष थान है।’ ईश ने फर कहा।
‘वो ब े ह। फ न करो।’ मने कहा और सोचा क म और कतनी देर उसके साथ र ग
ं ा और म इतना िग टी य महसूस कर रहा ?ँ ’
‘हां, कु छ िव ाथ खास होते ह, ठीक है न?’ ईश दबी हंसी हंसा।
कु छ पल के िलए मुझे लगा क वो मुझे लेकर यह बात कर रहा है। नह , मेरा कोई िव ाथ खास नह ।
‘मुझे ज दी घर जाना है। मां को शादी का एक बड़ा आडर िमला आ है। मुझे उनक मदद करनी है।
इसके साथ ही मने ज दी-ज दी कदम बढ़ाए और उसक आंखो से ओझल हो गया। मेरे िसर म घं टया बज रही थी जैसे ओमी के मं दर
म प थर क मू तय के सामने बजती ह।
ooo

िजस दन हमने लॉगाडन मा कट जाना था उस दन उसने िचकन क सफे द कमीज पहन रखी थी। उसने बंिधनी का के सरी और लाल
रं ग का दुप ा िलया आ था दुप े के िसर पर तांबे क छोटी-छोटी घं टयां बज उठत । मेक-अप भी कु छ यादा ही कया आ था।
उसके ह ठ चमक रहे थे। और म उ ह देखे िबना नह रह सका।’ ‘ये िलप लॉस है। या यादा चमक रहा है?’ वह कु छ सतक ई और
उसने अपनी अंगुिलय से ह ठ को रगड़ा। उसके ऊपर वाले ह ठ पर दाय तरफ एक ह का सा ितल था, जो मुि कल से दखाई देता था।
मने अपनी नजर उस पर से हटा ली और गली म ऑटो को देखने लगा। अब उसके चेहरे क तरफ नह देखूंगा, म िग टी फ ल कर रहा
था।
‘वो कताब क दुकान है।’ मने-कहा, जैसे ही हम टोर पर प च
ँ े।
नवरं गपुरा क िव िव ालय का यह पु तक-भंडार शहर के सभी िव ा थय के िलये एक मं दर के समान था। वहां िजतने भी ाहक
थे, ऐसा लग रहा था जैसे उनम से कु छ रात को अ छी न द नह ले पाए थे या कु छ िव ाथ ई यालु वभाव के लगते थे जो फिज स
क नाम-मा भी जानकारी रखते ह या उसका आकलन कर पाते ह । वो कड़े भी नह दे पाते। पर फर भी मुझे पूरा िव वास है क जो
भी इं जीिनय रग या मैिडकल क वेश-परी ा पास कर लेता है वो यहां अव य आ चुका होता है। अधेड़ उ के दुकानदार ने अपनी
ऐनक म से िव ा को देखा। शायद सबसे सु दर क। टमर वही थी। िव ाथ जो मैिडकल क वेश-परी ा क तैयारी करते है वो ह ठ
पर रं गदार िलप लॉस नह लगाते ‘ए स यूज मी’ मने कहा, वो िव ा को ऊपर से नीचे तक गौर से देख रहा था।’गोिव द बेटा, बड़ी
खुशी ई तु ह देख कर।’ उसने कहा। बुजुग के िलए अ छा ढंग होता है अपने बचाव का कसी को बेटा या बेटी कह कर बुलाने का। वो
मेरा नाम पहले से ही जानता था जब मने बोड म शत ितशत अंक ा कए थे। समाचार-प वाल के साथ
सा ा कार के दौरान मने इसी दुकान क िसफा रश क थी और दो साल तक वह उस क टंग को सबको दखाता रहा था। म अब भी 25
ितशत का िड काउं ट उससे लेता ँ खरीददारी पर।
‘आप के पास एलजीवेड क ऑरगैिनक के िम ी है?’ मने कहा।
म और भी छोटी बात कर सकता था, पर म िव ा के िवषय म बात करने को टालना चाहता था। असल म म नह चाहता था क वो
िव ा क तरफ देखे।
‘ठीक, हां’ दुकानदार ने कहा, मेरे लहजे से वो जरा परे शान था।
‘कै िम टईरा-बुक, सफे द और लाल रं ग क बल वाले कवर वाली’ वह अपने पांच सहायक म से एक को जोर से बोला।’ यह अ छी
पु तक है।’ मने कहा, कताब िव ा को पकड़ाते ए।’ आरगैिनक कै िम ी क दूसरी कताब म याद करने को ब त कु छ होता है। यह
िनयम का उ लेख करती है।’
िव ा ने कताब अपने हाथ म ले ली।
उसक लाल नेल-पा लश कताब के कवर से मेल खाती थी।
‘इस पर नजर दौड़ा, देखे शायद तु ह पसंद आ जाए।’ मने कहा।
उसने कु छ प े उलटाए। दुकानदार ने एक भ हे ऊपर चढ़ाई। वह मुझे लड़क के बारे म पूछ रहा था। यही कारण है लोग अहमदाबाद को
छोटा शहर कहते ह, हर चीज क ब लता होने के बावजूद। यहां क मानिसकता ही ऐसी है ‘ टू डट, म ूश स लेता ,ं ‘म फु सफु साया
उसक तस ली के िलए अ यथा वो रात भर सो नह पाता।
उसने सहमित म अपना िसर िहलाया। पता नह ये बूढ़े लोग हमारे मामल म टांग य अड़ाते ह। जैसे, या हम परवाह करगे चाहे वो
तीन ड-मामा के साथ रहे। अगर तुम कहते हो क कताब अ छी है तो ठीक है।’ उसने कहा, कताब को अ छी तरह से देखते ए।
‘गुड, और फिज स म तुमने रिसक और हेिलडे को पड़ा है?’
‘ओह, मने वो कताब एक बार अपनी ड के यहाँ देखी थी। पर उसक िवषय-व तु ने ही मुझे िनराश कर दया था मेरे िलए बड़ी
हाईफाई है
‘ये हाई-फाई या होता है?’ यह तु हारे कोस म है। तु ह इसे पढ़ना है।’ मने कहा, मेरी आवाज म कु छ कठोरता थी।’ या उनके पास
कोई गाइड या ऐसी ही कोई है य-बुक नह है?’ उसने कहा, मेरी बात को अनसुना करते ए।
‘गाइड शट-कू ट होती ह। उनम कु छ ही सवाल के हल होते ह। तु ह इसके मूल िस ा त का अ ययन करना है।’ दुकानदार के सरी और
काले रं ग के कवर वाली रे िसक और हैिलडे क कताब ले आया। हां, कवर कु छ भूतहा लग रहा था, साथ म डल लग रहा था। यह के वल
फिज स क कताब म ही संभव है।
‘म इसे नह समझ पाऊंगी। पर अगर तुम कहते हो, तो ठीक है, खरीद लेते ह।’ वह मान गई।
‘नह , तुम इसे समझ पाओगी। और अंकल या आप के पास एमएल. ख ा क मै स क कताब है?’
मेरे अंकल कहने से उसे बुरा लगा, पर यह ज री था उसे याद दलाना उसक उ के बारे म।
‘मै स ख ा, दुकानदार िच लाया। उसका सहायक काली और पीली बुक ले आया। अब अगर रे िसक और हैिलडे भूतहे ह तो एमएल
ख ा भूत-िनवारक है।’ मने इससे मोटी कताब और कह नह देखी और इसका हर प ा दुिनया म सबसे यादा मुि कल मै स क
सम या से भरा आ है।
यह हा यकर है क एक ि एम.एल. ख ा जाना पहचाना नाम - ने हमारे देश के िव ा थय के िलए ऐसी कताब िलखी है।
‘यह या है?’ िव ा ने कहा और कताब को अपने बाएं हाथ से उठाने क कोिशश क । पर नह उठा पाई। फर उसने दोन हाथ से
उठाई और मुि कल से छ: इं च ऊपर उठा सक ।
‘नह , वाकई, यह या है? यह कौन सा हिथयार है हमले का?’
‘इसम यह िवषय है।’ मने कहा, और कताब क मोटाई को नापने के िलए अपने दाएं हाथ क अंगुिलय का इ तेमाल कया पर चार
अंगुिलयां भी कम रह गई।
उसने अपना हाथ मेरे हाथ के साथ लगा दया मदद के िलए।
‘छ: यह छ: अंगुिलय िजतनी मोटी है।’ उसने बड़ी मधुरता से कहा।
मने अपना हाथ ख च िलया, कह अंकल फर भ हे न चढ़ा ले या इससे भी बुरा कर, हमारे हाथ के साथ अपना हाथ रख द कताब क
मोटाई जानने के िलए।’ िच ता न करो, मैिडकल- वेश के िलए तु ह कु छ ही टािप स पढ़ने पढ़गे।’ मने उसे िव वास दलाया।
हमने कताब क क मत चुकाई और दुकान से बाहर आ गए।
हम नवरं गपुरा क मु य सड़क पर आ गए थे। मेरी नई दुकान यहां से दो सौ मीटर दूर थी। मुझे उसे देखने क लालसा ई।
‘अब या?’ उसने कहा।
‘कु छ नह , घर चलते ह।’ मने कहा, और ऑटो देखने लगा।
‘तुम काफ बो रग हो, नह ?’ उसने कहा।
‘ऐ स यूज मी?’ मने कहा।
‘डेरी डैन नजदीक ही है। मुझे भूख लगी है।’ उसने कहा।
‘म भूख से बेहाल ँ सी रयसली। म ब त भूखी ।ं उसने अपना एक हाथ पाट पर रखा। उसने तीन अं इठयां पहन रखी थ । अलग-
अलग िडजाइन क , उनम छोटे-छोटे रं गदार नग जड़े थे।
मने डेरी डैन म ऐसी सीट ली जहां से हम कम से कम दखाई द।’ यहां पर वैसे हमारे ग पी-पोल से कोई कम ही आता था। पर फर भी
यान रखना चािहए। अगर मेरा कोई भी स लायर मुझे यहां डेरी डैन म देख ले तो म भी अहमदाबाद के छोकर म शािमल हो जाऊँगा।
फर म के टबॉ स क अ छी क मत नह ले सकूं गा। मुझे भी भूख लग रही थी। म उस िह टो रकल ामा-क न का मुकाबला नह कर
सकता था। उसने डेरी-डैन का िवशेष-िपजा मंगवाया, उस पर वो सभी चीज लगी होती ह जो डेरी-डैन के रसोईघर म होती थी। सभी
िडिशल शाकाहारी थ , िज ह अखावादी अिधक पसंद करते ह।
‘ये कताब वाकई ऐडवांसड ह। उसने कताब के लाि टक-बैग क तरफ इशारा करते ए कहा।
‘ये मैिडकल साइं स क कताब ह।’ मने कहा। उसने ऊपरी भ ह चढ़ाई।’ या मुझे कोई यह समझाएगा क
मैिडकल-साइं स क ये कताब स ह वष वाल को य पढ़ने को कहा जाता है, इस देश म?’
मने कं धे िहलाए। मेरे पास सु त िव ा थय के िलए इस बात का कोई जवाब नह था।
िपजा आ गया था। हम चुप हो गए और खाना शु कया। मने उसक तरफ देखा। उसने अपने बाल बांध िलए ता क िपला म न िगर
और चीज पर िचपक न जाएं। उसने अपना दुप ा मेज दूर कु स क तरफ कर िलया। लड़ कय म बड़ी खूबी यह होती है क बातचीत के
दौरान कावट आने पर भी अगर तुम उ ह देखो तो तुम बोर नह ह गे। उसने अपनी साईड क तरफ देखा। वो उन दो लड़क के ित
सचेत हो गई जो दूर टेबल पर बैठे उसे घूर रहे थे। यह कोई अच भे क बात नह थी य क डेयरी डैन म बैठे काफ लोग म वो ही
सबसे सु दर लग रही थी। सु दर लड़ कयां कम य होती ह? कृ ित को यह य पता नह चला क आदमी के वल सु दर ि तय को ही
पसंद करते ह और उसने सबको ही सु दर य नह बनाया?
उसने अपने कसी नए एमएमएस. को चैक करने के िलए फोन देखा। उसे ऐसा करने क ज रत नह थी य क हर बार एमएमएस.
आने पर उसका फोन अलाम से भी यादा आवाज करता था। उसने अपनी बांह पीछे क और िपजा क एक पीस उठाया इस
उठाया। उसने बाहर िनकल गए चीज के टु कड़ को अपनी अंगुिलय से उठाया और ताइस पर रख दया। फर उसने एक बाईट ली
ताइस क ।
ओह या है?’ उसने चु पी तोड़ी, ‘ या हम साइं स-िवषय को छोड़कर कोई और बात कर सकते ह।
‘बेशक।’ मने कहा। मने उन लड़क क तरफ जो दूसरी टेबल पर बैठे थे। उ ह ने मेरी तरफ यान नह दया।
‘हमारी उ के कोई यादा फक नह है, तुम जानते हो हम दो त भी बन सकते ह?’ उसने कहा।
‘अ छा ‘मने कहा, ‘मुि कल है, है न?’
‘मुि कल? य ? मुझे एक कारण तो बताओ।’
‘म तु ह चार बताता ं - पहला म तु हारा टीचर ।ं दूसरा तुम मेरे बे ट-फं ड क बहन हो। तीसरे तुम मेरे से छोटी हो। चौथे तुम लड़क
हो।’ मुझे अपने दए कारण अपनी मूखता लग रहे थे। कोई कारण है क उबाऊ लड़के लड़ कय को भािवत नह कर पाते। वो नह
जानते लड़ कय से कै से बात करनी है।
वो मेरे साथ हंसने क बजाए मेरे ऊपर हंसी।’ िगनती के िलए सॉरी। म अपने ही िस टम से न बर नह ले पाया।’ मने कहा। वह हंसी -
‘इससे मुझे कु छ पता चला। तुमने इसके बारे म सोचा है। इसका मतलब है, तुमने एक संभा
दो ती के बारे म सोचा है।
म चुप रहा।
‘म मजाक कर रही थी।’ उसने कहा और मेरा हाथ थपथपाया। लोग को छू कर उ ह राहत प च ँ ाना उसका वभाव था। सामा य ि
के िलए यह ठीक था। पर मेरे जैसे बीमार लोग के िलए नारी- पश राहत देने क बजाए उ ेिजत कर देता है। म उसका चेहरा फर
देखने का इ क आ। पर म दृढ़तापूवक िपजा क तरफ मुड़ा।’ गंभीरता से सोचो तु ह एक बैक-अप दो त क स त ज रत है।’ उसने
कहा।’ बैक-अप या?’
‘तुम, ईश और ओमी नजदीक दो त हो।
ऐसा लगता है जैसे तुम एक दूसरे को तब से जानते हो जब तुम पम (शु ाणु) थे।’ उसका अंितम श द सुन कर मेरा मुंह खुला का खुला
रह गया। िव ा, ईश क छोटी बहन थी, लगता था वो गुिड़य से खेलती होगी। उसने ऐसी बात करना कहां से सीखा?
‘सॉरी मेरा मतलब है ईश, तुम और ओमी प े दो त हो। अगर तु ह एक दूसरे के ित कोई िशकायत हो तो तुम या करोगे?’
‘म अपने दो त क नंदा नह क ं गा ‘मने कहा।
‘कम-ऑन, या वे परफै ट ह?’
‘कोई भी परफै ट नह होता।’
‘जैसे ग रमा और म ब त नजदीक ह। हम दन म दो बार बात करते ह। पर कई बार वो मुझे इ ोर करती है और मेरे साथ ऐसे बात
करती है जैसे म कोई भोली- भाली करई लड़क ।ँ मुझे उसक इस बात से नफरत है, पर फर भी वह मेरी बै ट ड है।’
‘और?’ मने कहा। लड़ कयां घुमा- फर कर बात करती ह। आज क सम या क तरह उ ह सही नुकते पर लाने के िलए कु छ कदम उठाने
पड़ते ह।
‘और तु हारे साथ इस स ब ध म बात करने से मेरे मन का गुबार िनकल जाता है और म अ छा महसूस करती ।ँ और म उस को माफ
कर सकती ।ँ चाहे वो मेरी ब त नजदीक दो त है पर तुम मेरे बैक-अप ड हो।’
अगर वो अपना इतना दमाग मै स म लगाए तो उसे सजन बनने से कोई नह रोक सकता।
पर िव ा जो घंट तक िनर तर स ब ध का इतनी बारीक से िनरी ण करती है कभी भी एमएल. ख ा को नह पड़ेगी अपने भिव य
के िलए।
‘सो, कम-ऑन, तुम अपने दो त क एक िशकायत तो बताओ, जो तु हारे दल म हो।
‘मेरे दो त मेरे िबजनैस-पाटनर भी ह, इसिलए यह मुि कल है।’ म कु छ का, फर ‘कई बार म सोचता ं वे िबजनैस को नह समझते
और हो सकता है वो समझते भी ह पर वो मेरी उस भावुकता को नह समझ पाते जो म उ ह समझाना चाहता ।ं ’ उसने हां म िसर
िहलाया, मुझे अ छा लगा। एक बार कसी ने मेरी कसी बात पर ऐसे िसर िहलाया, यह मुझे गहराई तक छू गया।
‘कै से?’ उसने मुझे उकसाया।
िपजा कु छ बाक रह गया था, उसे खाने के दौरान मने उसे सब पता दया। मने उसे अपनी दुकान के बारे म बताया, मने ये सब कै से
मैनेज कया। कै से मने अपना िबजनैस बढ़ाने के िलए टसूशंस और को चंग शु क । मने उसे बताया क ईश का ब को िड काउं ट देना
मुझे उसक इरीटे टंग हैिबट लगती है। और ओमी क मंद-बुि के बारे म क वो कै से रमोट क तरह न बर तक ही सीिमत रहता है।
और आिखर म मने उसे अपने सपने के बारे म बताया - पुराने शहर से िनकल कर एयर-कं डीशन-मॉल पर एक नई दुकान लेना।’
नवरं गपुरा म’ उसने कहा, ‘यहां नजदीक ही?’ ‘हां’ मने कहा और मेरा आंखो म देख रहा था।
‘अ छा है तुम ने सीना चार इं च बढ़ गया। उसने मेरी आंखे म चमक देखी िजसका ितिब ब म उसक इं जीिनय रग नह क । बेशक मुझे
प ा िव वास है क तुम कर जाते।’ उसने कहा।
‘म खुद को ऑ फस म नह देखना चाहता। और मां को उसके काम के साथ अके ला नह छोड़ना चाहता।’
म उसके साथ और भी खुल गया; इतना म आज तक कसी के आगे दल खोल कर नह बोला था। यह? ठीक नह , मने अपने आप से
कहा। मने अपने चार कारण को दोहराया और कताब का बैग उठाया।
‘मुझे यादा, तु ह इन कताब से दो ती करनी है।’ फर मने िबल के िलए कहा।

‘भीतर आ जाइए’ एक लड़क ने कहा जैसे ही ईशान ने अपने स लायर के घर क घंटी बजाई। हम वहां नए बैट
खरीदने और पुनाने बैट ठीक करवाने आए थे। पंिडत जी - हमारे स लायर क अ ारह वष य बेटी सायरा ने दरवाजा खोला।
‘पापा तैयार हो रहे ह। तब तक आप गैरेज म उनका इं तजार कर। उसने टोर क
चाबी हम पकड़ते ए कहा। हम गैरेज म आकर लकड़ी के टू ल पर बैठ गए। और ईश ने मर मत वाले बैट फश पर रख दए। पंिडत
पोटस गुड स लायरज्, ऐिलसि ज े म ि थत था। मािलक िग र राजपंिडत का घर एक कमरे का घर गोदाम साथ ही था। पांच वष
पहले क मीर म उसक बैट बनाने क ब त बड़ी फै ी थी। यह पहले क बात है जब उसे आतंकवा दय ारा उसके अपने शहर से, घर
से, खदेड़ दया गया था। उससे पूछा गया था फै ी या
िज दगी। आज वो खुश है अहमदाबाद म एक छोटा स लायर बन कर, अपने प रवार के साथ।
‘क मीरी कतने गोरे होते ह।’ मने समय िबताने के िलए बात शु क ।
‘तु ह वो पसंद आई?’ ईश फु सफु साया।
‘पागल हो?’
‘गोरा रं ग, वाह’, ईश हंसा।
‘गोिव द भाई, मेरा अ छा ाहक,’ पंिडत जी ने कहा, य ही वो वहां गोदाम म आए। नहा धोकर, वे बड़े तरो-ताजा लग रहे थे।
उ ह ने हम हरे बादाम पेश कए। िबजनैस म खरीदार होना बड़ा स मानजनक होता है। सभी आप का वागत करते ह। ‘हम छ: बैट
चािहए, और इनक मर मत होनी है।’ मने कहा।
‘गोिव द भाई एक दजन ले लो।’ उसने कहा और अपना लकड़ी का संदक
ू खोला। इं िडया-आ ेिलया क सीरीज शु होने वाली है मांग
बढ़ेगी।
‘पुराने इलाके म नह ।’ मने कहा।
उसने लकड़ी का संदकू खोला और लाि टक म से िलपटा एक बैट िनकाला। उसने बैट खोला। इसम से ताजा बत क खुशबू आ रही थी।
कई बार बैट बनाने वाले नकली खुशबू का इ तेमाल करते ह ता क नए बैट म अ छी खुशबू आए। पर पंिडत जी ऐसे नह थे।
ईश ने बैट को भली-भांित परखा। वो संदक
ू के पास गया और बाक बैट्स भी चैक कए क कह क या िछला न पड़ा हो।
‘गोिव द भाई तु हारे िलए सबसे अ छा लॉट है।’ पंिडत जी मु कराए
‘ कतने?’ मने कहा।
‘तीन सौ।’
‘मजाक कर रहे ह?’
‘िबकु ल नह ।’ उ ह ने कसम खाई।
‘दो सौ पचास’, मने कहा ‘फाइनल।’
‘गोिव द भाई, आज कल मुि कल चल रही है।’ मेरे किजन का प रवार भी यहां आ गया है। क मीर म उसका सब लुट गया। मने पांच
लोग को और िखलाना है जब तक उनका कोई काम शु नह होता और अपना घर नह ले लेते।’
‘ या, वे सभी उसी कमरे म रह रहे ह?’ ईश हैरान हो रहा था।
‘ या, कया जा सकता है? क मीर म उसके पास अपना बंगला था और पचास साल से हरे बादाम का कारोबार चला रहा था। देखो,
कै सा समय आ गया है। अपने ही घर से िनकाल दए गए ह। ‘पंिडत जी ने गहरी सास ली और बैग म से मर मत वाले बैट िनकाल िलए।
म िबजनैस म हमदद पसंद नह करता। कु छ और मोल-भाव करने के बाद दो सौ स र पर प ा हो गया। ‘हो गया’ मने कहा और रकम
िनकाली। म अब हजार क लेन-देन करता था। क पना करो लाख और करोड़ का कारोबार कै सा लगेगा। इससे कतना अलग होगा।
पंिडत जी ने रकम ली और छोटे से मं दर के आगे रखी फर जेब म डाल ली। ई र ने जीवन म उसे कतना दुःख दया फर भी वह
उसके ित ा रखता है। म ऐसे पूण िव वास को समझ नह पाया जो िव वास करने वाले रखते ह।
शायद म ऐगोिन ट होने के कारण इसे समझ नह पाता।

Downloaded from Ebookz.in


आठ

अली अ यास के िलए बीस िमनट देर से आया। देरी का हर िमनट ईश के िलए असहनीय था।
‘तुमने कु ता पाजामा पहन रखा है, तु हारी कट कहां है।’ ईश िच लाया जैसे ही अली सात बीस पर प च
ँ ा।
‘सॉरी, म देर से उठा, था, मुझे टाईम नह िमला और..’
‘चलो अपने राउं ड लगाओ।’ ईश ने कहा और बक के कोटयाड के म य म खड़ा हो गया। जब अली अपने राउं ड पूरे कर के आया तो ईश ने
नया बैट उसके िलए खोला। ‘तु हारे िलए क मीर से नया बैट। पसंद आया?’
अली ने कोई दलच पी नह दखाई और कहा, ‘ या म आज ज दी जा सकता ?ं ’
‘ य ?’ ईश गुराया।
‘मेरे पोल म आज कं च का क पीटीशन है।’
‘और के ट के बारे म या िवचार है?’
अली ने कं धे िहलाए।
‘पहले तो तुम लेट आए हो और अब ज दी जाने को कह रहे हो। कं च का या सवाल है?’ ईश ने कहा और उसे ज क तरफ जाने का
इशारा कया। तीन म से एक बाउलर बन गया।
‘हम मैच करने क ैि टस करगे। अली शॉट नह मारना, उ ह कै च दो।’
अली अपने ऊपर काबू रखने म काफ सफल आ, कु छ महीन के अ यास से। ईश ने उसे िडफिसव साइड खेलना िसखा दया था और
बाहर िनकलने से भी बचाव कया। अ छी खुराक और कसरत से अली क मता काफ बढ़ गई थी। अब बॉल को बोर से मारने क
ताकत उसम आ गई थी बजाए अपनी गितशीलता पर िनभर करने के । एक बार अली ने पांच बल को िनयंि त ढंग से फे स कया इससे
उसक ितभा और चमक उठी।
चाल ये थी क अपनी यो यता को वह उसी हद तक इ तेमाल करता था क कोर बना सके अपने को ज तक ही सिमत रख कर। एक
ओवर म एक बॉल ने अ छा काम कया। अब ईश चाहता था क एक ओवर म वह दो बोल खेले।
तीन ओवर के बाद ईश ने कहा, ‘पारस को बैट दे दो, अली को फ डंग।’
अली ने कोई बड़े शॉट नह मारे । वह िनराश हो गया और उसने बैट ज पर फक दया।
‘देखो, यह नया बैट है।’ ईश ने कहा।
पारस ने बै टंग क और बॉल अली क तरफ फका कै च के िलए, पर अली के हाथ अपने पाजामे का नाडा कसने म लगे ए थे। बॉल
ज़मीन पर िगरी।
‘तुम सो रहे हो या....’ ईश ने कहा, पर अली ने यान नह दया।
तीन बॉल के बाद पारस ने फर अली को कै च दया।
‘अली, कै च करो’ ईश अपनी अ पायर क जगह से िच लाया।
अली का एक हाथ उसक जेब म था। उसने देखा क ईश उसे घूर रहा है उसने अपना हाथ बड़े सामा य ढंग से ऊपर उठाया। वो कदम
और, वह बॉल कै च कर सकता था, पर उसने नह कया। बॉल ज़मीन पर िगर गई।
‘ऐ’, ईश ने अली का कं धा िहलाया।
‘ या तुम सपने म हो?’
‘म ज दी जाना चाहता ।ं ’ अली ने अपना कं धा झाड़ते ए कहा।
‘पहले ैि टस ख म कर लो।’
‘अली, बैट पकड़’ पारस ने कहा, अली के पास आते ए।
‘नह वो फ डंग करे गा।’’
‘ईश भैया, कोई बात नह । म जानता ं वह बै टंग करना चाहता है।’ पारस ने कहा और अली को बैट दे दया।
‘म कै िचस क और ैि टस करना चाहता ।ँ म कू ल-मैच शु होने से पहले काफ अ छा खेलना चाहता ।ँ
अली ने बैट पकड़ िलया और ज क तरफ बढ़ा, िबना ऊपर देख।े उसके इस गु ताखी से भरे वहार से ईश
िव ु ध हो गया। उसे वयं पर गु सा आया क उसने इस लड़के को कभी कटस और कभी बैट क िग स दे दे कर िबगाड़ दया है।
पारस के जोर देने पर ईश ने अली को बै टंग क इजाजत दे दी। ‘पारस क तरफ फको धीमे से थोड़ा बाएं को।’
बॉल आई -अली ने पूरे जोर से मारा और बॉल बक के बाहर जा िगरी। ‘म जाना चाहता ’ं । अली ने अपनी हरी आंखे से ईश को घूरा।
‘म तु हारे इस मूखतापूण कं च के क पीटीशन क परवाह नह करता। कोई भी कं चे खेलने वाला कभी महान् नह बन सकता।’ ईश
िच लाया।
‘ठीक है, तुम भी कभी महान नह बन सकते।’ अली ने कहा।
ओह, ये ब े और इतना कड़वा सच।
ईश सकते म आ गया, उसक बांह कांपी। जैसे अली का बैट बॉल पर ठीक समय पर लगता है उसी कार ईश का हाथ उठा और अली के
चेहरे पर जोर से थ पड़ लगा। जोर और सदम ने अली को ज़मीन पर िगरा दया।
सभी एक दम सीधे हो गए। सबने थ पड़ क आवाज सुनी।
अली बैठ गया। और आंसू रोकने के िलए उसने अपनी सांस रोक ली।
‘जाओ अपने कं चे ही खेलो।’ ईश ने कहा और दोबारा मारने के िलए हाथ उठाया। म भागा उसक बांह पकड़ने के िलए। अली रो पड़ा।
म अली को उठाने के िलए झुका। मने उसे उठाने क कोिशश क , म उसका कम-स त मै स- टीचर था। उसने मुझे धके ल दया।
‘चले जाओ’ अली ने कहा। रोते-रोते अपनी पतली टांगो से मुझे मारने लगा। ‘मुझे तु हारी ज रत नह ।’
अली, ब े चुप हो जाओ। आओ, हम ऊपर चलते ह और कु छ मजेदार सवाल करते ह। मने कहा। ओ प! मने यह या कह दया। गलत
समय पर, इस ब े को, िजसे अभी-अभी जोर के थ पड़ लगे ह।
‘म सवाल नह करना चाहता’ अली ने मुझे घूरा।
‘बेकार का, सु त लड़का। न फ डंग करना चाहता है और न मै स, बस इसे तो कं चे चािहए सारा दन, अ
ं ।’ ईश फर भड़क उठा।
मुझे यह ईश क मूखता लगी क वो एक बारह-वष के लड़के के साथ तक कर रहा है।
‘सब घर चले जाओ, हम कल ैि टस करगे।’ मने कहा।
‘नह , हम करनी है...’ ईश ने कहा।
‘ईश, अंदर बक म चले जाओ।’ मने कहा।
‘म इसे िब कु ल पसंद नह करता’ अली ने कहा, उसक आंखे अभी भी आंसु से भरी थ ।
‘अली, तमीज से बात करो, अपने कोच से बात करने का यह कोई ढंग नह । अब घर जाओ’ मने कहा।
जब सब चले गए तो मने चैन क सांस ली। शायद परमा मा ने मुझे इनके पेरट् स बना कर भेजा था।
‘तु ह या आ है? वह ब ा है।’ मने ईश से कहा जब सब चल गए। मने िशकं जी बनाई ईश को शांत करने के िलए। वह मेरे साथ ही
खड़ा था।
‘सोचो, उसके पास एक ितभा है।’ ईश ने कहा।
‘हां है।’ मने कहा और िशकं जी उसे दी।
‘ या तुम एक िस लंडर का इं तजाम कर सकते हो। यह तकरीबन ख म होने वाला है।’ मने कहा हमारे पास टोव भी था, पर उस पर
बनाना मुि कल लगता है।
हम कै िशयर के वे टंग म म आ गए और सोफे पर बैठ गए।
ईश चुप हो गया। वो कु छ िछपा रहा था। प ा नह था क ये आंसू थे य क मने कभी भी उसे रोते ए नह देखा।
‘मुझे उसे मारना नह चािहए था।’ ईश ने कहा आधा िगलास पीने के बाद। मने िसर िहलाया।
‘पर तुम ने उसका बताव देखा।’ तुम कभी महान नह बन सकते, तुम सोच सकते हो अगर मने ऐसा अपने कोच से कहा होता’
‘वो के वल बारह वष का है, उसक बात को गंभीरता से न लो।’
‘वह उस आदमी क परवाह नह करता जो उसे नैशनल टीम तक प च
ँ ाना चाहता है। पर उसे तो कं च का झगड़ा पड़ा रहता है।’
ईश ने अपना िगलास खाली कया और रख आया। हमने बक के मु य दरवाजे पर ताला लगाया और अपनी दुकान क तरफ कदम
बढ़ाए।
‘यह ब त गलत है।’ ईश ने कहा,’ मने इतने वष लगा दए इस गेम के िलए मने अपना भिव य दाँव पर लगा दया। पर कु छ हािसल
नह आ। और इस लड़के को देखो, बेवकू फ , इसे ई र ने ज म से यह ितभा दी है पर उसे इसक कोई परवाह नह ।’ ‘इससे तु हारा
या मतलब है’ कु छ हािसल नह आ?’ तुम साल तक कू ल के बै ट लेयर रहे हो।’
‘हां!। के वल बेलरामपुर यूिनिसपल कू ल म। यह तो ऐसा आ जैसे हम कह क िव ा हमारे पोल क ीित जंटा है। कौन परवाह
करता है।’
‘ या?’ मने कहा और अपनी हंसी पर काबू नह कर सका।
‘कु छ नह । एक बार हमारी आंटी ने उसे ऐसा कहा था और म उसे इस बात पर छेड़ता रहता था।’ ईश ने कहा।
उसका मूड कु छ ठीक आ। हम अपनी दुकान के पास प च
ँ गए थे। मं दर का गुंबद दखाई देने लगा था।
‘गो वंद, ई र ऐसा यूं करता है।’ ईश ने कहा।
‘ या करता है, मतलब?’
‘वो कु छ लोग को इतनी ितभा देता है। और मेरे जैसे लोग को कु छ भी नह ।’ ‘तुम ितभाशाली हो।’
‘काफ नह । उतना नह िजतना अली है। म इस गेम को ब त यार करता ,ं पर मेरे पास कोई िग ट नह ई र क और से। मने इतनी
मेहनत क , रोज सुबह 4 बजे उठना, घंट िश ण लेना, अ यास करना और करते जाना। मने अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी, अब म यह सब
सोचता ं और मेरा भिव य? फर यह कं च का िखलाड़ी आया। म बॉल को ऐसे नह देख पाता और न िहट कर पाता है जैसे क अली।
य गोिव द, ऐसा य है?’
अपने दो त क तरफ बुजुगाना वहार करते रहने के कारण मुझे अब उनके हर मूखखाना सवाल के जवाब भी देने पड़ते ह। ‘म नह
जानता। ई र ितभा देता है साधारण ि को ता क वो असाधारण बन जाए। ितभा गरीब के िलए दौलत के समान है। ितभा के
बल पर ही गरीब अमीर बन सकता है। अगर यह न हो तो अमीर अमीर बने रहगे और गरीब सदा गरीब रह जाएंग।े असल म ितभा
संसार म बैलस बनाती है। ता क दुिनया सामा य रहे।’ मने कहा।
मने अपनी बात को वयं ही मन म दोहराया।
‘ फर यह लड़का य यान नह देता। कं चे? या तुम िव वास कर सकते हो क उसे कं च से खेलना यादा पसंद है?’
‘उसे वह अभी यह नह देख सकता क के ट से उसे या कु छ िमल सकता है। अब देखो न, अपने पोल म वो कं चा- चप है और वो अपने
इस, तबे से खुश है। एक बार य द वो के ट म सफलता ा करने का तजुबा कर लेगा, तब उसे इस गेम का मह व और अपनी ितभा
समझ म आएगी। अब तक तो वो चार बल का शेर है। तु ह उसे िखलाड़ी बनाना है, ईश।’ मने कहा।
हम दुकान पर प चँ गए। ओमी पहले ही प च
ँ चुका था और उसने दुकान क सफाई कर दी थी। वह को चंग पर नह । आया था। उसने
अपने मामा से वादा कया था क वह ह ते म सुबह क दो रै िलय म शािमल होगा। आज उसका एक दन था।’ अ छा अ यास आ’
ओमी ने पूछा और चाय का आडर दे दया।
ईश भीतर चला गया। मने ओमी को चुप रहने का इशारा कया।
एक दस वष य लड़का तीस िस े लेकर आया के ट बॉल खरीदने के िलए।’ नैयर क एक बॉल प ीस पए क है और तु हारे पास
इ स ह।’ मने कहा, उसके िस े िगनते ए।
‘मने अपना िपगी बक तोड़ कर ये पैसे िनकाले ह, मेरे पास और नह ह।’ लड़के ने गंभीरता से कहा।
‘ फर बाद म आना,’ मने कहा। ईश ने बीच म रोक दया।
‘ले लो।’ ईश ने कहा और लड़के को बॉल दे दी।
लड़के ने गद पकड़ी और भाग गया।
‘यह तुम या करते हो ईश?’ मने कहा।
‘ओ प तुम िबजनैसमैन।’ ईश ने कहा और अली के िलए खीझता रहा, कोने म बैठ कर।
ईश ने अली के िलए एक िड बा चॉकलेट, दो दजन के ले और एक नई पोट कै प ली अली को वािपस लाने के िलए। अली भी हम िमस
कर रहा था। उसक मां ने हम बताया क उस दन वो दो घंटे तक रोता रहा और उसने कं च के टू नामट म भी भाग नह िलया। वो
अगले दो दन ैि टस के िलए भी नह आया। अली अपराध-बोध से त था। वह माफ के िलए तैयार था शायद उसक मां उसे इस
ि थित पर लाई थी। उसने ईश के पैर को हाथ लगाया और गु का अपमान करने के िलए माफ मांगी। ईश ने उसे गले से लगा िलया
और सारा सामान उसको दे दया। ईश ने कहा उसे मारने के थान पर वह अपने हाथ कु छ देना पसंद करे गा। अगर कोई मुझे पूछे तो
मुझे यह सब मैलो ामा लग रहा था। बात या - अली वािपस आ गया, इस बार अिधक गंभीरता से और ईश भी कु छ नरमाई पर आया।
अली क
के ट म सुधार आ और दूसरे िव ा थय ने सुझाव दया क वो अली को िजला- तर पर खेलने के िलए ले जाएंगे। ईश ने अपना इक-
तरफा िवचार बताया,’ नह चुनाव करने वाले इसे बबाद कर दगे। अगर वो इसे रजै ट कर दगे तो यह हमेशा के िलए िनराश हो
जाएगा। और अगर वो इसे सलै ट करते ह तो वो इसे फजूल के मैच म लगाए रखगे। वष तक वह एक ही बार सले यान के िलए
जाएगा नैशनल-टीम म।’
‘सच म? तु ह भरोसा है क वो ऐसा कर पाएगा।’ ओमी ने कहा हम ैि टस के बाद टील के िगलास म ल सी पकड़ते ए। ‘वो ऐसा
िखलाड़ी बनेगा, जैसा आज तक इं िडया के पास नह था। यह कु छ पागलपन सा लग रहा था। पर फर हमने देखा अली ने कु छ ही बल
म अ छे गदबाज को खदेड़ दया। दो वष और ईश का कहना सच होगा।
‘अली क ितभा के िवषय म कसी से बात न करना।’ ईश ने अपनी ल सी वाली मूछ को साफ कया।
‘बहानेबाजी से परी ा म पास नह आ जा सकता िव ा। इसके िलए तु ह पढ़ना पड़ेगा पढ़ाई ही तु हारी मदद करे गी।’ मने कै िम ी
क कताब फर खोली।’ मने कोिशश क थी।’ उसने कहा और अपने खुले बाल को पीछे कया। वो नहाई नह लगती थी। उसने ैक-पैट
पहन रखी थी मेरा याल है जब वो तेरह वष क रही होगी तभी से पहनती आ रही है और पंक टी-शट, और वो फे यरी-क न जैसी लग
रही थी। एक युवती ऐसी स ै कै से पहन सकती है िजससे उसे ‘फे यरी क न’ कहना पड़े या कोई भी ऐसा कु छ य पहनेगा िजसे ‘फे यरी
क न’ कहते ह।
‘म हर रोज ाथना करती ँ क वो मेरी मदद करे ।’ उसने कहा।
मुझे समझ नह आ रहा था क म उसक इन बचकानी हरकत पर हँसू या रोऊं। अगर वह उन कपड़ म गुिड़या जैसी न लग रही होती
तो मेरा गु सा सातव आसमान पर होता।
‘इसे परमा मा पर न छोड़ो, ऑरगैिनक कै िम ी को खुद पढ़ने से अ छी कोई बात नह । मने कहा।
उसने िसर िहलाया और अपनी कु स पीछे िखसकाई, एक बोतल नीचे िगर गई थी।
‘ओ प।’ उसने कहा और नीचे झुक ।
‘ या आ?’ म उठ खड़ा आ। यह ना रयल के तेल क बोतल थी। शु था क ब द थी।
‘कु छ नह । मने सोचा था क बाल को तेल लगाऊँगी।’ उसने कहा और नीले रं ग क बोतल उठा कर ऊपर रख दी।
म उसके चेहरे क तरफ टकटक लगाकर। ज रत के कु छ पल से अिधक उसे िनहारता रहा। लड़ कय को देखने के िलए सीिमत समय
होता है अ यथा इसे घूरना समझा जाएगा। मने वो सीमा लांघ ली थी। कु स पर बैठते ही उसने जानबूझ कर अपनी टी-शट को ख चा।
यह ख चना के वल मेरे कारण था। मने इस तरफ िब कु ल नह देखा, पर उसने सोचा मने देखा है। म श म दा सा आ।
‘ना रयल का तेल।’ मने कहा िवषय बदलने के िलए।
‘हां, ऑरगैिनक कै िम ी, ओ प मेरे िसर के िलए। शायद यह कु छ मदद करे ।’ मने कताब के प े खोले क बै वीन कै से ऑ साइड
बनाती है।
‘तु हारा ज म- दन कब है?’ उसने कहा।
‘14 माच,’ मने उ र दया।
‘कौन सा दन?’
‘पी डे।’
‘इस दन आइन टेन का ज म- दन भी है।’ ‘शा त या ठीक है?’
‘एक दन पी के िलए? कै से हो सकता है एक दन कसी चीज के िलए, ब त डरावना?’
‘ मा क िजए? मै स ेिमय के िलए यह एक मह वपूण दन ह य िप हमने इसे कभी पि लक नह बनाया। तुम कह सकते हो तु ह
िलटरे चर पसंद है, यूिजक पसंद है पर तुम इसी भाव के िलए नह कर सकते।’
‘ या तुम बाल म तेल लगाने म मेरी मदद करोगे? मेरा हाथ पीछे तक नह जाता।’ मेरी जीभ ऐसे ितलक जैसे उसे तेल क परत वहां
जम गई हो, मने कहा,’ िव ा हम अब पढ़ना चािहए।’
‘हां, हां, तकरीबन हो गया है, बस मेरी गदन से पीछे, लीज।’
उसने अपनी कु स िहलाई और उसक पीठ मेरी तरफ हो गई। उसने तेल क बोतल का ढ न हाथ म पकड़ा आ था। या मुसीबत है,
मने सोचा। मने अपनी बीच क अंगुली तेल म डु बोई और उसक गदन तक ले आया।
‘यहां नह ’ वह दोबारा हंसी। यहां गुदगुदी होती है। थोड़ा ऊपर, हां जड़ म।’ उसने मुझे बताया क एक नह तीन उं गिलय से तेल
लगाओ और ज़रा जोर से दबाओ। मने उसके िनदश का फौरन पालन कया। शहर का बै ट मै स टीचर आज चंपी करने वाला बन गया
है।
‘नई दुकान कै से िमल रही है?’
‘ज दी ही। मने तीन महीने का एडवांस कराया और िडपोिजट जमा करवा दया है।’ मने कहा, ‘पचास हजार कै श। मॉल पर हमारी
लोके शन सब से अ छी होगी।’ म इं तजार नह कर सकती।’ उसने कहा।
‘दो महीने और,’ मने कहा। ‘ओके . अब ब त हो गया।’
तुम अपना काम खुद करो। म बोतल पकड़ता ।ं
वो मेरी तरफ देखने को मुड़ी। उसने तेल म अंगुिलयां डु बोई और िसर पर मलने लगी।
‘काश, म लड़का होती,’ उसने कहा और जोर -जोर से िसर क मािलश करने लगी।
‘ य ? िसर क मािलश आसानी से हो जाती है? मने कहा, बोतल हाथ म पकड़े ए, य िप इससे मेरी कलाई दुःखने लगी थी।
‘अपने िहसाब से अपना जीवन जीने के िलए। मुझे ऐसी दुकान खोलने क इजाजत नह , िमल सकती।’ उसने कहा। म चुप हो गया।
‘चलो हो गया, हो सकता है मेरा दमाग अब यादा काम करने लगे।’ उसने कहा, बाल बांधते ए और कै िम ी क कताब मेज पर
रखी।
‘म इसे पढ़ना नह चाहती।’ उसने कहा।
‘िव ा, तु हारा टीचर होने के नाते मेरा फज...’
‘ या, तु हारा फज या है टीचर होने के नाते? मुझे मेरे सपन तक प च
ँ ने के िलए मेरी मदद करना या िभनिभनाते रहना?’
म चुप रहा। उसने अपना बायां पैर अपनी गोद म रखा।
मने यान दया क उसके पाजामे पर छोटे-छोटे टैडी-िबयर बने ए थे।
‘म तु हारा टीचर नह , ूटर ँ मै स ूटर। और जहां तक म जानता ं कोई ीम- ूटरस नह होते।’ ‘ या तुम मेरे दो त नह हो?’
‘हां, कु छ-कु छ,’
म चुप रहा।
‘कु छ कहो। म ये सब पाठ याद क ं चाहे इनम मुझे कोई दलच पी न हो, जैसा क िह दु तान के सब अ छे िव ाथ करते ह?’
म चुप रहा।
‘ य ?’ उसने मुझे फर उकसाया।
‘सम या यह है क तुम या यह समझती हो क म इन संभावना क सम या के समाधान अपनी खुशी के िलए करता ।ं ठीक है
यह भी हो सकता है, पर मेरे बारे म यही सब कु छ नह है। म ूटर ँ और यह मेरा काम है। पर
मेरे ऊपर यह तोहमत कभी न लगाना क म तु हारी िचय को न कर रहा ।ँ मुझे लगा क म कु छ ठीक नह बोला,
‘सॉरी, मेरी भाषा के िलए।’
‘तोहमत लगाना भी एक आवेश है।’
म मु कराया और चल दया।
‘तो, तुम जा रहे हो’ उसने कहा, ‘मेरे ूटर-दो त, म तु हारे आगे वीकार करती -ँ म ब बई जाना चाहती ँ पर लाश का
पोट टमाटम करने नह । म पी. आर. का अ ययन करना चाहती ।ँ ’
मने मेज पर मु ा मारा।‘ फर करो। मेरे सामने ऐसी बेवजूफ क बात न कया करो-काश म लड़का होती, म पंजरे म बंद ।ँ ठीक है,
तुम पंजरे म हो, पर तु हारे पास अ छा बड़ा और तेल लगा दमाग है। यह प ी क तरह छोटा सा नह । इस का इ तेमाल करो और
पंजरे क चाबी ढू ढ़ो।’
‘मेिडकल कॉलेज भी एक चाबी है, पर मेरे िलए नह ’ उसने कहा।
‘उस ि थित म पंजरा तोड़ दो।’ मने कहा।
‘कै से?’
‘ पंजरा कै से बनता है? तु हारे माता-िपता, ठीक? तु ह, हर व उ ह सुनना पड़ता है?’
‘नह , िब कु ल नह । जब म पांच साल क थी तभी से म उनसे झूठ बोलती आई ।ं ’
‘सच म, वोव।’ मने कहा और अपने को समेटा, ‘आवेग बनाम माता-िपता-मुि कल मुकाबला है। पर अगर तु ह इनम से एक को चुनना
पड़े तो िनि त है आवेग क जीत होगी। मानवता कभी िवकिसत न हो पाती अगर लोग हर व
अपने माता-िपता क सुनते रहते।
ठीक कहा तुमने। हमारे पेरट् स इतने भोले भी नह । या एक पल के पैशन म ही हम उ ह ने क सीव नह कर िलया था?’ म उसके
मासूम से लगने वाले चेहरे को देख रहा था, मुझे सदमा लगा। यह लड़क तो काबू से बाहर होती जा रही है। उसे पंजरे से बाहर
िनकलने का िवचार देना इतना ठीक नह है।
नौ

26 जनवरी भारतीय के िलए खुशी का दन होता है।


इस दन तुम देश- भि क भावना का अनुभव करो या न करो पर वष के पहले महीने म यह छु ी िनि शत होती है। मुझे याद है मने
सोचा था क मं दर वाली दुकान म यह हमारी आिखरी छु ी होगी य क वैलनटाइन डे पर मॉल वाली अपनी नई दुकान म िश ट
करने क हमारी योजना थी। िडपोिजट के पचास हजार के अित र हमने इसक भीतरी सै टंग के िलए साठ हजार खच कर दए थे।
मने अपनी मां से दस हजार उधार िलए थे। ईश के पापा ने कु छ भी देने से इनकार कर दया था। मेरे मना करने पर भी ओमी ने बाक
क रकम अपने िब टू मामा से ऋण के प म ले ली थी।
गणत दवस से एक रात पहले क बात है, म अपने िवचार म खोया अपने िब तर पर लेटा था। मने दस हजार एक सौ अपने िबजनैस
म लगाए थे। मेरा िबजनैस अब लाख तक प च ँ गया है। या हम कालीन िबछवा ल। खेल क दुकान के िलए यह आरामदायक रहेगा।
म सारी रात दुकान क चीज के सपने लेता रहा।
‘माँ मुझे न उठाओ, म अभी सोना चाहता ।ँ ’ म िच लाया। या दुिनया एक िबजनैसमैन को िवशेष छु ी वाले दन भी सोने नह देती।
पर मां ने मुझे नह िहलाया था। म अपने िब तर पर िहल रहा था। मने अपनी आंख खोल । मेरा बैड उ टा हो रहा था और ऐसे ही बाक
चीज। मने दीवार-घड़ी क तरफ देखा, वह नीचे फश पर िगर गई थी। कमरे का सारा सामान, पंखे, िखड़ कयां सब बुरी तरह से िहल रहे
थे।
मने अपनी आंखे रगड़ी, या आ?
भयानक सपना?
म खड़ा हो गया और िखड़क क तरफ गया। गली म लोग इधर-उधर चार ओर भाग रहे थे। अफरा-तफरी मची ई थी।
‘गोिव द’ मेरी मां क जोरदार आवाज आई। मेज के नीचे बैठ जाओ। भूचाल आ रहा है।’
नीचे बैठ जाओ। भूचाल आ रहा है।’
‘ या?’ मने कहा और िखड़क के पास पड़ी मेज के नीचे बैठ गया िबना कु छ सोचे। वहां से म बाहर का िवनाश देख सकता था। सामने
वाली इमारत के तीन टी.वी. एनटीना िगर गए थे। टेलीफोन का एक पोल टू ट गया था और नीचे िगर गया था। यह क पन 45 सेकंड तक
रहा। मेरी िज दगी के सबसे अिधक िवनाशकारी ल बे 45 सेकंड। बेशक उस व म यह नह जानता था। भूचाल के बाद एक अजीब सी
चु पी छा गई।
‘मां’ म िच लाया।
‘गोिव द िहलो न’ उसने जोर से कहा।
‘यह ख म हो गया है।’ मने कहा, दस िमनट और गुजरने के बाद, ‘तुम ठीक हो, न, मां?’
म बाहर वाले कमरे म आ गया था। दीवार पर लगे सभी कै ले डर, प टं स, लै पशेड नीचे फश पर पड़े थे।
‘गोिव द,’ मेरी मां मेरे पास आई और मुझसे िलपट गई। हाँ म ठीक था, मेरी मां भी ठीक थी।
‘आओ हम बाहर चलते ह।’ उसने कहा।
‘ य ?’
‘इमारत िगर सकती है।’
‘मुझे ऐसा नह लगता।’ मने कहा पर मेरी मां मुझे पजामे म ही ख चती ई बाहर ले गई।
गली लोग से भरी ई थी।
‘ या यह ब ब था?’ एक ि दूसरे से फु सफु साया।
‘भूचाल। टी.वी. बता रहे ह। यह भुज से शु आ है।’ गली म एक ि कह रहा था।
‘ब त बुरा आ।’ दूसरे ि ने कहा।
‘हमने यहां सैकड़ मीटर दूर उसके कं पन महसूस कए, सोचो भुज क या ि थित होगी।’ एक और वृ ने कहा।
हम एक घंटा बाहर खड़े रहे। न हमारी इमारत और न ही हमारे पोल क कोई इमारत िहली। इस समय के दौरान अफवाह और ग पे
तेजी से फै ल ग । कु छ कहने लगे और भूचाल आ सकता है। कु छ कहते क भारत यूकलर ब ब का कोई परी ण कर रहा है। अहमदाबाद
म स पि का नुकसान आ है, ऐसे समाचार आए। चचाएं गली म धीरे -धीरे फै लने लग ।
दो घंटे के बाद म अपने घर के भीतर आया टी.वी. चलाया। हर चैनल पर भूचाल क चचा थी। यह पूरी तरह भुज म आया था, बेशक
गुजरात के ब त से िह से इससे भािवत ए थे।
‘ रपोटस कहती ह क इस दौरान अहमदाबाद का अिधक भाग सुरि त रहा पर िनमाणाधीन इमारत को काफ ित प च
ं ी है।.....
रपोटर ने कहा और मेरी रीढ़ क ह ी तक क पन प च
ँ गया।
‘नह ....नह ....नह ’ म अपने आप से बुड़बुड़ाया।
‘ या आ?’ मेरी मां ने कहा जैसे ही वो मेरे िलए चाय और टो ट ले कर आई।’ ‘मने बाहर जाना है।’
‘कहा?’
‘नवरं गपुरा.... अभी।’ मने कहा और अपने लीपर पहने।
‘ या तुम पागल हो?’ उसने कहा।
‘मेरी दुकान मां, मेरी दुकान,’ मने के वल इतना ही कहा और घर से बाहर भाग गया।
सारा शहर ब द था। मुझे कोई बस या ऑटो नह िमला।
मने सात कलोमीटर तक पैदल ही जाने का फै सला कया। मने अपने नए टोर को देखना था क या वो ठीक है। हां, म चाहता था क
वो सुरि त हो। मुझे एक घंटा लग गया वहां जाने म। सारे रा ते मने तबाही देखी। नए इलाके म तो भारी नुकसान आ था। लगभग
सभी इमारत क िखड़ कयां टू ट गई थ । जो इमारत िनमाणाधीन थ वो मलवे म प रव तत हो चुक थ । म महंगी और आरामदायक
दुकान सड़क पर िबछी ई थ । मने वयं से तक कया मेरी नई, अ याधुिनक इमारत म भूचाल सहने क कोई तकनीक अव य होगी।
मने तेज-तेज सांस ली सौ मीटर और दौड़ने के िलए। मेरा शरीर पसीने से तर-ब-तर था। या मुझे अपनी इमारत िमल नह रही? मने
कहा, जैसे ही म अपनी गली म प च ँ ा। गली म पड़ा मलवा और टू ट-फू ट के कारण कसी को भी पहचान करना असंभव था।
म वािपस मुड़ा, अपनी सांस ठीक करते ए।
‘ईमारत कहां गई?’ मने अपने आप से कहा, अपनी गली के च र काटते ए। आिखर म मने इसे ढू ंढ िलया। कल तक जो छ: मंिजल बनी
ई ी वो मलबे के ढेर म तबदील हो चुक थ । म यान के ि त नह कर पा रहा था। मुझे ब त यास लगी। मने पानी के िलए नजर
दौड़ाई पर वहां सब ओर प थर ही प थर थे। मेरे पेट म शूल उठा। म पेट पकड़ कर टू टे ए कसी बैच पर बैठ गया अपना होश कायम
रखने के िलए।
पुिलस ने एक मजदूर को बाहर िनकाला उसके सारे शरीर पर चोट के िनशान थे। सीमट के थैले उस पर िगर गए थे िजससे उसक टांग
कु चली गई थ । ल ही ल देख कर मुझे िमतली आने लगी। भीड़ म कसी ने मेरी, तरफ यान नह दया। एक लाख दस हजार क
सं या बार-बार मेरे दमाग म घूम रही थी। मेरे िपता जब हम छोड़ कर गए उस दन के चेहरे िजनका हमारे साथ कोई र ता नह था,
मेरी आंखो के सामने घूम गए।
ये चेहरे वष तक कभी भी मेरे याल म नह आए। िपता के चेहरे का वह भाव जब वो बैठक म से बाहर िनकले और िनकलते ही
दरवाजा ब द कर दया। मेरी मां के वो मौन आंसू जो कु छ घंटे तक चलते रहे थे, आगे कु छ वष तक चलते रहे। म नह जानता क यह
अतीत मेरी आंखो के आगे घूम गया। मेरा िवचार है क दमाग म एक ऐसा खाना होता है िजसम मृितयां सुरि त हो जाती ह। यह
खाना ब द रहता है। पर तु जब भी कसी नई याद ने इसम वेश करना होता है तो यह खुल जाता है और तब इसके अंदर जो ब द पड़ा
है उसे तुम देख सकते हो। मुझे अपने िपता पर गु सा आया, िब कु ल गलत इस समय मुझे भूचाल पर गु सा आना चािहए था। या फर
अपने ऊपर, इतना धन यहां लगाने पर। गु सा, अपने जीवन क पहली बड़ी गलती पर। मेरा शरीर गु से से कांप गया।
‘िच ता न करो, परमा मा हम बचाएगा।’ कसी ने मेरा कं धा थपथपाया।
‘ओह! सचमुच, तो फर कस शैतान ने इसे पहले यहां भेजा?’ मने कहा और अजनबी को पीछे हटा दया। मुझे
हमदद नह , अपनी दुकान चािहए थी।
दो वष क मेहनत और बचत, बीस वष के सपने-सब बीस सेकंड म धराशायी हो गए।’ नवरं गपुरा मॉल’ क छ: मंिजला इमारत जो
कभी िसर उठाए शान से खड़ी थी, धूल चाट रही थी। हो सकता है परमा मा इस ढंग से कु छ कहना चाहता हो-शायद यह नह चाहता
था क हम यहां आएं। हम अपने छोटे से पुराने शहर म ही रहना है, हम बड़े शहर म आने क कोिशश भी नह करनी चािहए। म नह
जानता क मने ई र के बारे म कै से सोचा, म तो नाि तक था। पर इस भूचाल के िलए तुम और कस को दोषी मानोगे?
बेशक म नवरं गपुरा मॉल के िनमाता को इसका दोषी मान सकता ।ं पुराने शहर पोल जो सौ साल पहले क इमारत के ह अभी तक
खड़े ह। ओमी का दो सौ साल पुराना मं दर सुरि त है। फर मेरी ही मॉल य ढह गई? इसका उसने या कर दया? राख?
मुझे कोई चािहए था िजसे म दोषी ठहराता, म कसी को, कसी चीज को चोट प च
ँ ाना चाहता था। मने एक ट उठाई और जोर से एक
िखड़क पर फक जो पहले ही टू टी ई थी। उसका बचा आ शीशा भी चूर-चूर हो गया।
‘तुम यहां या कर रहे हो? या इतनी तबाही देखनी काफ नह ।’ मेरे साथ वाले ने कहा।
मुझे चेहरे क पहचान नह ई, न ही कसी और क । मेरे दल क धड़कन बढ़ गई थी। हां, हम िनमाता से बात करनी होगी, मेरे दल ने
कहा। पर मेरे दमाग ने कहा, वो भाग गया होगा। कसी को भी उनका पैसा वािपस नह िमलेगा।
‘गोिव द, गोिव द’ ईश ने कहा, वो तब तक मेरे कान के पास िच लाता रहा जब तक मने उसे पहचान नह िलया।
‘भई, तुम यहां या कर रहे हो? खुले म रहना खतरनाक है, चलो घर चल।’ ईश ने कहा।
म उस मलबे को देखता रहा िजसे म िपछले चार घंट से देख रहा था!
‘गोिव द हम कु छ नह कर सकते। आओ चल।’
‘सब ख म हो गया ईश! मने कहा। मेरी आंखो के आगे धुंधलका सा था, जो िपछले दस साल म पहली बार आया था।
‘दो त, सब ठीक है, हम चलना चािहए।’ ईश ने कहा।
‘हमने सब कु छ खो दया है। देखो हमारा िबजनैस खुलने से पहले ही ख म हो गया...।’
म फू ट-फू ट कर रो पड़ा। मेरे िपता जब से हम छोड़ कर गए थे म कभी नह रोया था। तब भी नह रोया था जब एक बार दीवाली वाले
दन मेरा हाथ जल गया था और डॉ वमा ने मुझे दवाइयां दी थ ता क म सो जाऊं। तब भी नह रोया था जब भारत मैच हार गया था।
तब भी नह जब मुझे इं जीिनय रं ग कालेज म दािखला नह िमला था। तब भी नह जब पहले तीन महीने िबजनैस म कोई पैसा नह
कमाया था। पर उस दन जब परमा मा ने िबना कारण मेरे शहर को िगरा दया, म रोया था, खूब रोया था। ईश ने मुझे पकड़ा आ था
और उसक कमीज से म अपने आसू प छ रहा था।
‘गोिव, आओ घर चल।’ ईश ने कहा। उसने कभी छोटे नाम से मुझे नह बुलाया था। न ही उसने मुझे ऐसे पहले कभी देखा था।
‘हम बबाद हो गए। म बच गया, म बच गया, बस म ही बचा। हमने कज िलए, फर या आ, यह सब। ईश म उस िबट् टू मामा के चेहरे
पर ंग नह देख सकता। म सड़क- कनारे काम कर लूंगा।’ मने ईश से कहा जैसे ही उसने मुझे ख च कर ऑटो म िबठाया।
लोग ने सोचा होगा क शायद मने अपना ब ा खो दया है। पर जब कोई िबजनैसमैन अपना िबजनैस खो देता है, यह िब कु ल वैसा ही
है। पर यह एक अलग बात है क तुम िबजनैस के िलए जोिखम उठाते हो और हािन उठाते हो, पर यह ठीक नह । वहां कसी को यह
महसूस करना चािहए क जो आ है ठीक नह आ। ईश मुझे शांत करने के िलए ू टी लाया। इससे मुझे कु छ राहत िमली। अ छा ही
आ य क मने अगले दो दन कु छ नह खाया। मेरा याल है बाक के अखावा दय ने भी नह खाया होगा।
बाद म मुझे पता चला क इस हादसे म तीस हजार लोग क जान चली गई थ । मैदान लोग से भरा आ था। भुज म न बे ितशत
लोग के घर ढह गए थे। कू ल और ह पताल िम ी बन गए थे। पूरे गुजरात म अरब इमारत ित त ई थ । उन अरब इमारत म
मेरी दुकान, मेरा भिव य भी था। इतनी बड़ी बबादी के आगे मेरा नु सान तो कु छ भी नह था। पर तु सीमा और वाथ के िहसाब से
मुझे काफ नुकसान आ था। नए शहर से पुराना शहर अिधक लस मािणत आ। कै से भी हो हमारे बुजुग ने इमारत पर अ छा
मसाला लगवाया था नए मॉल-मािलक से।
गुजरात के मुकाबले अहमदाबाद भा यशाली था, ऐसा टी.वी. चैनल ने कहा। नए शहर ने के वल पचास-कई मंिजल वाली-इमारत का
नुकसान आ था। उ ह ने कहा अहमदाबाद म कु छ सैकड़ लोग क जाने गई ह जब क और थान पर यह सं या लाख म थी। या
हंसी क बात है जहां सैकड़ म लोग मरे उनके िलए ‘के वल’ श द का योग कया गया, जब क इन लोग के भी प रवार ह गे, आशाएं
ह गी और ह गे भिव य के सपने-जो के वल पतालीस सेकड म िबखर गए। पर मै स का यही कायदा ह-तीस हजार के मुकाबले ये सैकड़
जीरो के बराबर है।
म एक स ाह अपने घर से बाहर नह िनकला। पहले तीन दन मुझे तेज बुखार रहा और अगले चार दन मुझे खूब जाड़ा लगा।
‘तु हारा बुखार उतर गया है।’ डॉ वमा ने मेरी प स चैक करते ए कहा। म िब तर पर लेटा था, छत क ओर देख रहा था।
‘तुम दुकान पर, नह गए?’
‘मने अपना िसर िहलाया और वैसे ही पड़ा रहा।
‘मुझे तुमसे ऐसी उ मीद नह थी तुम ने नवलधा रय के बारे म सुना है?’ डॉ वमा ने कहा।
म चुप रहा।
‘तुम बोल सकते हो, मने तु हारे मुंह म थमामीटर नह लगाया आ।’
‘नह , वो कौन ह?’
‘गुजरात म एक स य उ मी समुदाय है नवलधारी। वहां हर कोई ापार करता है। और वे कहते ह क एक स ा नवलधारी ापारी
वो है जो नौ बार ापार िम ी म िमल जाने के बाद हर बार उ थान कर सकता है।’
‘म कज म ँ डॉ टर। मने एक ही ध े म इतना धन गंवा दया है, जो-मने अपने िबजनैस से अभी तक नह कमाया।
‘दुिनया म ऐसा कोई िबजनैस नह िजसने कभी धन न गंवाया हो। ऐसा कोई ि नह िजसने साई कल िबना िगरे सीखी हो। ऐसा
कोई ि नह िजसने चोट खाए िबना ेम कया हो। यह सब कु छ िज दगी क गेम का िह सा है।’ डॉ वमा ने कं धे उचकाए।’ म डरा
आ ।ं ’ मने कहा, और मुंह दीवार क ओर कर िलया।
‘म य-वग य पेरटस क तरह बात करना बंद करो। धन क हािन से इतने डर गए हो। पेरट् स अपने ब को दूसर के िलए काम करने
पर लगा देते ह ता-उ के वल एक प े वेतन के िलए।’
‘मने ब त कु छ खो दया है।’
‘हां, पर तु हारी उ तु हारे साथ है। तुम जवान हो, तुम ये सब फर कमा लोगे। तु हारे अभी ब े नह िज ह तु ह पालना है, घर के
िलए भी तु हारी अभी कोई िज मेवारी नह है। और एक बात और है क तुमने कम पैसा देखा है। तुम इसके िबना रह सकते हो।’
‘म कु छ भी नह करना चाहता। यह भूचाल, यह य आया? आपको पता है हमारा कू ल र यूजी कै प बना आ है।’
‘हां, और र यूजी या कर रहे ह? िब तर पर पड़े ह या ठीक होने क कोिशश कर रहे ह।’
मने डॉ टर को बाहर भेज दया। जो भी मेरे पास आता, मुझे िश ा देने लगता, िन संदह
े अ छी िश ा। पर म सुनने के मूड म नह था।
म कु छ भी करने के मूड म नह था। दुकान? यह एक ह ता और ब द रहेगी। भूचाल के बाद कौन खेल का सामान खरीदेगा?
‘आशा है, कल तुम िब तर से उठ जाओगे,’
डॉ. वमा ने कहा और चले गए। घड़ी म तीन बज रहे थे और म चार बजे तक लगातार इसको देखता रहा था।’ या म अंदर आ सकती ँ
सर!’ िव ा क थोड़ी खी सी आवाज आई। उसक आवाज अपने घर म सुनना इतना अजीब लगा क म उछलकर बैड पर बैठ गया।
और ‘सर’ कहने का या मतलब?
उसके हाथ म एम.एल. ख ा क मोटी कताब और नोट-बुक थी।
‘तुम यहां या कर रही हो?’ मने अपना पायजामा और बिनयान िछपाने के िलए रजाई ऊपर ख च ली।
वो अपनी मै न और आरज रं ग क सलवार-कमीज और शीशे वाले दुप े के साथ परफै ट स
ै म थी।
‘मुझे कु छ सवाल समझ म नह आ रहे थे। सोचा म यहां आ कर समझ लूं य क आप क तबीयत ठीक नह ’ उसने कहा और बैड के पास
पड़ी कु स पर बैठ गई। मेरी मां कमरे म आई, दो कप चाय लेकर। मने उनसे इशारे म कहना चाहा क मुझे शट पकड़ा दे।
‘आपको शट चािहए’ मेरी सारी कोिशश को नकारते ए उसने कहा।
‘कौन से सवाल?’ मने कहा, मां के जाने के बाद।
‘मने मां से कहा है क म मै स पढ़ने जा रही ।ं असल म म आपको यह देना चाहती थी।’
और उसने एम. एल. ख ा क मोटी कताब मेरी तरफ बढ़ा दी।
यह सब कस िलए था? सम या का समाधान िनकालना, जब क म िब तर पर पड़ा था?
मेरी मां शट देकर चली गई थी। मने एक हाथ म शट और एक हाथ म कताब पकड़ी ई थी।
शालीनता बनाम िज ासा। मने कमीज एक तरफ रख दी और कताब खोली। हाथ से बना गुलाबी रं ग का एक ी टंग काड नीचे िगरा।
काड पर हाथ से एक लड़के का काटू न बनाया आ था जो िब तर पर लेटा आ था। यह उसने गोिव द का बनाया आ था, बेशक यह
साफ पता नह चल रहा था। अंदर िलखा था ‘ज दी ठीक हो जाओ’
िब कु ल ब जैसी हरकत थी। नीचे एक अं ेजी क किवता थी-
‘टू माई मै स ूटर/पैशन गाईड’ सोट-ऑफ- ड,
आई कै ननाँट कु ली अंडर टड यूअर लॉस, बट आई कै न ाई।
सम टाइ स लाईफ ो कव-बॉलस एंड यू कै न वाए।
देयर मे बी नो आनसस, बट आई एशोयर टाइम िवल हील द वाउं ड।
यूअर इज िव शंग यू एक हाट-फै ट ‘गैट वैल सून।’
यू आर पुअरै ट परफौर मंग टू डट िव ा ‘यह यादा अ छी नह ।’ वह बुड़बुड़ाई।
‘मुझे अ छी लगी है। मुझे अफसोस है क मने कहा ‘सॉट-ऑफ ड। म वाकई तु हारा....’ मने कहा, ‘ओ.के . मुझे यह फकरा पसंद आया।
यह ठीक है क पढ़ाई सबसे ज री है। ठीक?’
मने िसर िहलाया।
‘तुम कै से चल रहे हो!’
मने दीवार क तरफ अपना मुंह मोड़ने क इ छा को रोका, ‘िज दगी चलती जाती है। इसे चलना ही है। हो सकता है एयर-कं डीश ह
मॉल मेरे िलए न हो।’
बेशक है, पर इसम तु हारा कोई दोष नह । मुझे पूरी उ मीद ह तुम एक दन ज र वहां खरीदोगे। यह सोचो क तुम कतने लक हो,
जब यह सब आ तो तुम वहां नह थे। क पना करो अगर मॉल खुला होता तो िज दिगय का या होता?’
उसका एक चुकता था। मुझे भी ऐसा सोचना चािहए था। मुझे िबट् टू मामा के दंभी चेहरे को फर से वीकार करना होगा।
मने उसक कताब वािपस कर दी और काड त कए के नीचे रख िलया।
‘ईश कह रहा था क तुम दुकान पर नह जा रहे।’
‘दुकान खुली है?’ मने पूछा। ओमी और ईश मुझे हर शाम िमलने आते ह पर उ ह ने इस बात का िज नह कया था।
‘हां, और देखो भइया एकाउं ट् स रखने के िलए कतना काम करते ह घर आ कर। उसके िलए ूश स भी ले रहे ह।’ उसने कहा, ‘म अब
जा रही ।ँ मेरी लास क फ न करना।’
‘अगले बुधवार से।’ मने कहा।
‘अ छी लड़क है’ मेरी मां ने बड़े यार से कहा
‘तु ह पसंद है?’
‘नह , बड़ी खतरनाक टू डट है।’
ईश और ओमी शाम को घर आए। म अपनी उबली ई सि जय का खाना ख म कर चुका था।
‘दुकान कै सी चले रही है?’ मेरी तंद ु त आवाज सुन कर वे हैरान रह गए।’ तुम ठीक लग रहे हो।’ ईश ने कहा।
‘एकाउं ट् स का काम कौन कर रहा है? मने उठकर बैठते ए कहा।
ओमी ने ईश क तरफ इशारा कया।
‘और?’ यह या है? ए टू फॉर वन सेल?’
‘हमने पूरा ह ता कोई िडसकाउं ट नह दया ‘मेरे िब तर पर मेरे पास बैठते ए ईश ने कहा। आराम से बैठने के िलए ईश ने मेरा
त कया िखसकाया।’ ठहरो,’ मने कहा, अपनी कोहनी से त कए को दबाते ए।
‘वो या है?’ ईश ने कहा और मु कु राया। उसने त कए के नीचे गुलाबी कागज का थोड़ा सा िह सा देख िलया था।
‘कु छ नह , तु हारे मतलब क बात नह ।’ मने कहा। बेशक यह उसके मतलब क बात थी, य क वह उसक बहन से स ब ध रखती
थी।
‘काड?’ ओमी ने कहा
‘हां, मेरी किजन ने दया है।’ मने कहा
‘तुम ठीक कह रहे हो,’ ईश ने मुझे गुदगुदाया ता क त कए से म अपनी कोहनी हटा लूं।
‘छोड़ दो’ मने थोड़ा मु कु राते ए कहा। मेरा दल जोर से धड़क रहा था जैसे ही मने त कए को दबाया आ था।
‘पंिडत क लड़क , है न?’ ओमी दबी हंसी हंसा।
‘जो भी हो।’ मने कहा, त कए पर म िनराश सा बैठा था।’ िबजनैस को मनोरं जन म िम स कर रहे हो?’
ईश ने हंसते ए कहा।
उनको धोखे म रखने के िलए म भी हंसा।
‘वािपस आ जाओ।’ ईश ने कहा।
‘कज.. .यह मेरी गलती है,’ मने दीवार क तरफ मुंह करते ए कहा।
‘मामा ने कहा है क हम दुकान अभी रख सकते ह।’ ओमी ने कहा।
‘िबना कसी शत के ?’ हैरानी से मने कहा।
‘नह ऐसा नह ।’ ओमी ने कहा।
‘ या मतलब?’
‘इसके बदले म हम उनके अिभयान म सहयोग देना होगा।’ ईश ने कहा,’ फ न करो, तु ह कु छ नह करना होगा। ओमी और म मदद
कर दगे।’
‘हम उनका कज ज दी चुकाना होगा, हम ऐसा करना ही होगा।’ मने कहा। ‘हम इससे बाहर िनकल आएंगे।’ ईश ने मेरी आंखो म देखा।
िव सनीय श द, पर जीवन म पहली बार।
‘मुझे अफसोस है क मने इतना इ वै ट कर दया!’ मुझे लगा क मुझे खेद करना चािहए, पर ओमी बीच म ही बोल पड़ा।
‘हमने िबजनैस क भागीदारी म ऐसा कया। और तुम हम सबसे माट हो।’ मुझे िव वास नह हो रहा था क उसक अंितम लाइन ठीक
थी। म िबजनैसमैन के प म फे ल हो गया था।
‘ठीक है, कल िमलते ह, ‘मने कहा। इसके बाद वो चले गए। मने काड बाहर िनकाला और सलवट ठीक क । सोने से पहले मने आठ बार
काड पढ़ा।
दुकान पर कु छ दन न जाने से मेरे दो त म िछपे गुण बाहर आए। एकाउं टस कु छ छोटी-मोटी गलितय को छोड़कर सब ठीक था। सेल
का रिज टर भी मुक मल था, कोई िड काउं ट नह दया गया था। दुकान साफ थी और येक व तु सुिवधाजनक थान पर ा य थी।
शायद म एक दन अ छा ापार चलाऊं या इससे दूर र ।ं म फर सपने लेने लगा था, म चौक ा हो गया। भारत सपन का देश नह
है। िवशेषतया जब तुम एक बार असफल हो चुके हो। अंत म मने िह दु-दशन के िवषय म सोचा संतु रहो जो तु हारे पास है उससे,
बजाय और के िलए ललचाओ। यह कोई िचकर दशन नह जो ाचीन संत -ऋिषय ने बनाया ह-पर तु यह अि त व बनाए रखने का
म है, इस देश म जहां इ छाएं ाय: कु चली जाती ह।
मं दर क यह दुकान मेरी है िनयित है, इसक थोड़ी सी आय ही मेरे कम ह।
अिधक मेरे िलए नह था। मने गहरी सांस ली, कु छ बेहतर महसूस कया और तब मने कै श- ॉयर खोला।
‘दो ह तो के िहसाब से कम ही है। पर पहले भूचाल, और फर अब आ ेिलया- भारत सीरीज ‘ईश ने दूसरे कोने से कहा।
‘लोग के पास, वा तव म ही और खेलने का कोई कारण नह है।’ ओमी ने कहा। ‘नह , नह । सब ठीक है। सीरीज म या चल रहा है?’
मने कहा। म के ट िश ूल से बेखबर था।
‘इं िडया पहला टै ट हार गया है। दो और ह। अगला कलक ा म हो रहा है।’ ईश ने कहा।
‘बेकार, एक- दवसीय?’
‘उनम से पांच, अभी शु होने ह।’ ओमी ने कहा।’मुझे यादा अशाय नह ह।
ये ऑ ेिलयाई कु छ और ही िम ी के बने ए ह।
‘म देखना चा ग
ँ ा क ऑ ेिलयनस कै से खेलते ह।’ ईश ने कहा।
...मामा के आने से हमारी बातचीत क गई। ‘गम-गम समोसे, यान से’ उसने कहा, एक ाउन िलफाफा काउं टर पर रखते ए। पहले
वाला गोिव द होता तो इस बात पर यौ रयां चढ़ा लेता, काउं टर तेल से गंदा हो रहा था। इस बात पर बोलता। पर भूचाल के बाद वाले
गोिव द ने मामा को कभी इतना अित य-पूण नह देखा। हम बाहर धूप म चाय और समोस का आन द लेने लगे। समोसे बड़े वाद थे,
मेरे याल म समोसे सबसे अ छे ै स थे िजतने मनु य जानता है। ‘जो गया उसे भूल जाओ,’ ‘मामा ने गहरी सांस लेते आ कहा।’ मने
ऐसी तबाही अपनी िज दगी म पहले कभी नह देखी।
‘आपका प कै सा रहा?’ ओमी ने पूछा। मामा अभी अभी भुज से लौटे थे। ‘सब तरफ दुःख ही दुःख, तबाही ही
तबाही, गुजरात म हम सब तरफ कप क आव यकता है। पर पारे ख जी कतना और कहां तक कर सकते ह?’
मामा ने बेलरामपुर कू ल को रीलीफ कै प बनाने म कई रात लगा दी, लोग को वहां िश ट कया। पारे ख जी ने टू क भर- भर कर
अनाज, दाल तथा और खाने-पीने का, ज रत का सामान भेजा। फर धीरे -धीरे लोग बाहर आने लगे और िज दगी को नए िसरे से जीने
के िलए जुट गए।
‘हम तीन ह त म कै प ब द कर दगे।’ मामा ने ओमी से कहा। ‘और म अपने मु य उ े य- अयो याके िलए वािपस चला जाऊंगा।’
कै प के कारण पड़ोस म मामा के काफ शंसक बन गए। व था के अनुसार हर कोई कै प म शरण ले सकता है। फर भी मुसलमान-
प रवार कम ही वहां मदद के िलए जाते थे। अगर वो ऐसा कर भी लेत,े तो कै प मैनेजर बाहर से ही उ ह राशन दे देते और इस बात पर
जोर देते क कै प म सारे िह दु ह। इस थोड़े-ब त प पात के होते ए भी म सोच रहा था क यह व था नेक काम के िलए है।
‘मामा आप का लोन,’ म उनक तरफ मुड़ा। पर उ ह ने मेरी बात क तरफ यान नह दया।
‘मेरा लड़का मेरे साथ अयो या चल रहा है। तुम लोग भी चलो हमारे साथ।’ उ ह ने कहा। हमारे अिन छु क चेहरे देखे और फर बोले;
मेरा मतलब है अपना िबजनैस फर खड़ा करने के बाद।’
‘हम यह मदद कर सकते ह,’ ओमी ने कहा, ‘ या कै प के बाद और कोई योजना भी है?’
‘हाँ च मचपर क चड़-अिभयान?’ मामा ने कहा।
हम ह े -ब े नजर आ रहे थे।
‘हम अयो या म कसी कारण से जा रहे ह।’
हम वहां से बोर म गीली िम ी भर कर लाएंग।े बेलरामपुर के हर िह दू घर म हम जाएंगे और उनसे पूछगे क या वे रामच जी क
ज म- थली क च मच- भर गीली िम ी लेनी पसंद करगे और अपने घर म रखगे। वो इस िम ी को अपने िपछले आंगन म रख सकते ह
इसे अपने पौध क िम ी म िमला सकते ह या कु छ भी। पारे ख जी का मह वपूण िवचार। मने देखा पारे ख जी का बदलाव पर उनका
त य ु टहीन है। कोई भी अयो या से आई एक च मच िम ी लेने को इनकार नह करे गा। इस ढंग से वो अनजाने म लोग को अपने
मकसद के िलए खरीद रहे ह। अयो या के िलए लड़ रहे लोग के िलए उनके दल म हमदद पैदा होना वाभािवक है। और हमदद
अपने आप वोट म बदल जाएगी। मामा ने प देखा क मुझे उनक बात से वाथ क बू आ रही है। यह छोटा सा अिभयान उनक
रणनीित का िव ापन था। दूसरी पाट ने इसे और भी ापक ढंग से कया था।
मने दूसरा समोसा उठाया।
‘यह ठीक है मामा, पर राजनीित मुझे दुिवधा म डाल देती है।’ मने कहा। म कोई ट पणी नह दे सकता। हम आप क मदद करगे।
आपने हमारी रोजी-रोटी बचा दी। हम आपके सदा ऋणी रहगे।’
‘तुम मेरे ब े हो। ब े िपता के ऋणी कै से हो सकते ह?’
‘िबजनैस घाटे म चला गया है, पर हम आपके लोन क क त...। पर मामा ने बीच म ही टोक दया।
‘ब ो भूल जाओ। तुमने एक आपदा को झेला है। जब हो सके गी दे देना। और अब तुम हमारी पाट के सद य हो’
‘ठीक?’
मामा हम गले लगाने के िलए उठे । म भी बे-मन से िमला। लोग के पास इतना पैसा होता है यह बात मुझे दु:खदायी लगती थी। ‘मामा,
सॉरी, म उस दन आपसे बुरी तरह बोला, आपको अपमानजनक श द कहे। म जान गया ं क मेरी िनयित यही दुकान है। शायद
भगवान मुझे इस ढंग से समझाना चाहता था और मने यह बात वीकार कर ली है।’ मने कहा।
‘जब हम जवान होते ह तो ऐसे ही होते ह। पर तुमने भगवान म िव वास करना शु कर दया है।’ मामा ने कहा और मेरी तरफ देखा।
‘म अब कम नाि तक ।ं ’
‘बेटे, यह सबसे अ छी खबर है जो आज मने सुनी है!’ मामा ने कहा ‘इस सारे नुकसान म से कु छ अ छा ही िनकला है।’
एक ि ने एक भारी भरकम संदक
ू हमारी दुकान के अंदर रखा! ‘कौन है, ओह पंिडत जी?’ मने कहा।
पंिडत जी हांफ रहे थे, उनका चेहरा लाल हो गया था। उ ह ने संदक
ू फश पर रख दया। ‘खेल क एक दुकान बंद हो गई है, वो मुझे
क मत नह दे पाया। उसने सामान से भरा यह संदक ू मुझे दे दया है। मुझे कै श चािहए इसिलए म यह सारा सामान यहां ले आया ।ं ’
‘मेरे पास भी कै श नह है।’ मने कहा, समोसा उसे पकड़ाते ए।’ पंिडत जी िबजनैस अब काफ मुि कल हो गया है।
‘तुमसे पैसे कौन मांग रहा है? इसे अपनी दुकान पर रखो। म एक संदक
ू और भेजूंगा। जो भी िबके गा आधा तुम रख लेना, आधा मुझे दे
देना। इस एक संदक ू म कम से कम दस हजार का सामान है।
‘मेरे पास छ: और पड़े ह घर पर। या कहते हो?’
मने संदक
ू अंदर रखवा िलया, इसम कोई द त नह थी। हम कसी क र मे क ही ज रत थी इतने सामान के िलए। बेशक, मुझे नह
पता था क आ ेिलया-इं िडया सीरीज का दूसरा टै ट मैच, एक ही होगा।
मामा ने। अपना प रचय पंिडत जी से करवाया। वो बड़ जैसी बात करने लगे, जैसे अपने पैतृक शहर, जाित, उप-
जाित, घर प रवार के बारे म।
‘हम लेट हो रहे ह।’ ईश फु सफु साया कु छ इस तरह क मामा और पंिडत जी सुन ल।
‘तुमने ही जाना है?’ मामा ने कहा।
‘हां, के ट मैच म। हमारा एक टू डट िजसे हम को चंग देते ह, इसम खेल रहा है।’ ईश ने कहा। अली का नाम उसने जान-बूझ कर नह
िलया।
ओमी ने दुकान के शटर बंद कर दए। ओमी ने इशारा कया और हम सब ने मामा के पैर को हाथ लगाया।
‘खुश रहो मेरे ब ो मामा ने कहा और हमारे िसर पर हाथ रखा और आशीवाद दया।
‘तुम उस बेवकू फ टीम के उस मूख क िच ता न करो। तुम ने उनको म कर दया है।’ ईश ने अली से कहा।
हम पड़ोस के मैच से वािपस आ गए। अली वाली टीम जीत गई थी और अली ने सबसे अिधक कोर बनाए थे। अली ने आठ ओवर खेल।े
ईश खुश था क उसक े नंग ने अ छे नतीजे दए ह। बेशक, हमारा खुश मूड कु छ इसिलए खराब था क दूसरी टीम के क ान ने अली
के घुटने पर मारा था जब वो भागने लगा था।
‘ या वो मुझे फर चोट प च
ं ाएगा?’ अली ने कहा।
‘नह , म उससे पहले उ ह चोट प च
ं ाऊंगा अगर उ ह ने तु ह छू ने क भी कोिशश क ।’ ईश ने कहा, अली का माथा चूमते ए। ईश एक
अ छा िपता बनेगा। उसके िपता क तरह नह जो कभी भी थोड़े से खुशनुमा श द नह बोलते। ओमी ने लंगड़ाते अली को उठाया।’ म
उसे दुकान पर ले जाता ।ं मां से कहना उसे ह दी वाला दूध ला दे। तुम लोग कु छ खाना ले आओ, जो उसे पसंद है।’
‘मुझे कबाब चािहए।’ अली ने एकदम कहा।
‘कबाब? दुकान पर?’ मने थोड़ा िझझकते ए कहा।
‘ठीक ह, पर कसी को बताना मत।’ ओमी ने कहा।
‘वह तैयार है।’ ईश ने कहा काजी ढाबे पर कबाब भूनने से उठे धुएं के पीछे उसका चमकता चेहरा दखाई दे रहा था।
‘तुमने उसे खेलते देखा है? वह इं तजार कर सकता है, भाग सकता है और दूसर को पोट कर सकता है, वह तब तक खेलता रहता है जब
तक बड़ा िहट मारने का समय नह आ जाता। फ डंग को छोड़ कर बाक सब म वह परफै ट हो गया है। वो अब पूरी तरह से तैयार
है।’ िचकन टी ा क खुशबू मेरे नथुन म घुस रही थी। ओमी वाकई िज दगी क एक अ छी चीज िमस कर रहा है। ‘ कस िलए?’ मने
कहा।
‘आ ेिलया भारत का टू र कर रहा है, इस व , ठीक?’
ईश ने कहा। तब तक वेटर ने हमारा खाना- माली रोटी, मीट और िचकन ट ा-पैक कर दया था, साथ म याज और पुदीने क चटनी
भी।
‘तो’ मने कहा। ‘वह आ ेिलयाई टीम से िमलने को तैयार है।’

Downloaded from Ebookz.in


दस

भारत बनाम ऑ ेिलया टै ट मैच


कोलकाता, 11-15 माच 2001
पहला दन
िज दगी म ब त बार हादसे होते ह। और कई बार क र मे भी होते ह। भारत-ऑ ेिलया सीरीज का दूसरा टै ट मैच हमारे िलए भूचाल
के बाद जादुई-उपचार मािणत आ। मुझे उस मैच का हर दन याद है। ईश अपने िविच और असंभािवत िवचार म िनर तर डू बा
रहा क कै से अली को ऑ ेिलयन टीम से िमलाया जाए। ‘आ ेिलयन से िमलना है?’ ‘ओमी ने पूछा है?’ ओमी ने पूछा काउं टर क
झाडू प छ करते ए। ईश और म नीचे फश पर टी.वी. के सामने बैठे थे।
‘वो भारत म ह।’ ईश ने कहा,’ उसने टी.वी. क न पर ऑ ेिलयन टीम, जो बै टंग कर रही थी, क तरफ इशारा कया। ‘हम ऐसा
मौका कब िमलेगा?’
‘ या वो पागल है?’ ओमी ने मुझसे पूछा,
‘बेशक, वो है। तुम उनसे िमलकर या करोगे?
ठीक ठीक बता द?’ म भी उसके साथ िमल गया था।
‘म उनसे अली के बारे म उनक राय जानना चाहता ।ं ’
‘कै से?’ ओमी ने कहा और हमारे साथ आकर बैठ गया।
‘हम एक मैच देखने जाएंग।े हो सकता है एक- दवसीय।’
‘ पस के िलए हमारे पास पैसे नह है।’ मने कहा’
‘एक- दवसीय मैच अगले दो महीने तक चलगे। अगर हमारा काम ठीक रहा तो हम चलगे’ ईश ने कहा।
‘वो हम बेकार, म कह रहे ह। िबजनैस कभी ठीक नह होगा।’ मने कहा कोर देखते ए। पहले दन चाय के समय ऑ ेिलया का कोर
193/1 था।
‘अगर ये होगा’ मने कहा ‘अगर’ ईश मेरे से भी यादा अप-सैट था कोर देखने के बाद।
‘तो हम चलते ह एक मैच देखने। फर या आ? हम िहडन का दरवाजा खटखटाएंगे और उसे कहगे, हेय इस लड़के को चैक करो ‘तुम
या सोच रहे हो उ ह कै से िमला जाए?’ मने मजाक कया।
‘म नह जानता’ ईश ने टी. वी. क , तरफ मुंह करते ए कहा, ‘अ छी बा लंग चल रही है।’
‘ए स यूज मी, या आप इं िडया- ऑ ेिलया मैच देख रहे ह?’ एक मिहला क आवाज आई। एक बुजुग मिहला हाथ म पूजा क थाली
िलए काउं टर के पास खड़ी थी।‘जी?’
‘ या मेरा पोता आप के साथ थोड़ी देर मैच देख सकता है?’ उसने कहा।
म ज़मीन पर से उठ खड़ा आ। एक छोटा लड़का मिहला के साथ था। म ऐसे बेढंगे लोग को यादा पसंद नह करता
जो दुकान पर समय िबताने के िलए आते ह। उसने मेरी िझझक को सम िलया था। ‘हमने कु छ खरीदना भी है। म मं दर म भजन
सुनना चाहती ं और बबलू, मैच देखना चाहता है।’
‘हां, हां, वो अंदर आ सकता है’ ईश ने दरवाजा यादा खोल दया। लड़का भीतर आ गया और टी.वी. के सामने बैठ गया। ईश और मने
पर पर नजर िमलाई।
‘बबलू इतनी नजदीक से न देखो। हैलो, म िमिसज गांगुली ।ं म अपने कू ल के िलए के ट का सामान खरीदना चाहती ।ं उसके िलए
म आपक राय लेना चाहती ।ं या आप कभी समय िनकालकर मुझसे िमल सकते ह?’
‘ कू ल?’ मने कहा।
‘हां, म एिलसाि ज म के ीय िव ालय क ंिसपल ।ं हम पोटस के िलए कभी अ छे स लायर नह िमले। सभी सोचते ह क
सरकारी कू ल है इसिलए वो हम अ छा सामान नह देते। या आप कू ल म सामान स लाई कर सकते ह?’
जवाब था नह । हम कू ल म माल स लाई नह करते। ‘जी’ मने कहा, ‘असल म हमारा अपना एडवाईजर है िम. ईशान। वो िजला- तर
का िखलाड़ी रह चुका है।’
‘ ेट, म फर आप से िमलूंगी।’ ीमती गांगुली ने कहा और हम छोड़ गई उसके सुझाव पर िवचार करने के िलए,।
‘तु ह कडी चािहए बबलू ‘ओमी ने कहा। हम सब पूरी कोिशश कर रहे थे उस ि को खुश करने के िलए जो ीमती गांगुली से
स बि धत हो।
‘पर हम स लायरस नह ह’ ईश ने बाद म कहा।‘तो या आ? तु ह मेरे िलए यह करना होगा ईश।यह रे गुलर इनकम का साधन है।’
‘अगर म तु ह ऐसा करने दूं तो या तुम मेरे साथ गोवा चलोगे?’
‘गोवा!’ मने अपनी भ ऊपर चढ़ाई।
‘यह अंितम एक- दवसीय है। म इसे जहां तक हो सके फै लाना चाहता ।ं अगर हमने काफ बचत कर ली तो हम अली को लेकर चलगे।’
‘मगर’
‘बस, हां कह दो।’
‘हां’, मने कहा। मॉल क िवफलता के प ात म ईश को खुश रखना चाहता था। म दन का िहसाब चैक करने के िलए उठा।
‘िच ता न करो, आ कर मैच देखो।’ ईश ने कहा, ‘पासा पलट गया है।’
मने टी.वी. क ओर देखा। शायद ई र ने अंदर ही अंदर ीमती गांगुली क ाथना वीकार कर ली थी। एक छोटा सा सरदार लड़का,
हरभजन संह, चाय के बाद उसने बाउ लंग क । िवके ट िगरे और मैच ख म होने तक ऑ ेिलया का कोर 193/1 से 291/8 हो गया था।
‘भाजी, आप ेट हो’ ईश आगे झुका टी.वी. को चूमने के िलए।
‘टी.वी. इतनी नजदीक से न देखो।’ बबलू बोला।
‘हर टाइम बड़ क न सुनो। इतनी नजदीक से टी.वी. देखने पर कोई अ धा नह हो जाता। या लोग क यूटस पर काम नह करते?’
ईश खुशी के मारे छलांग मार रहा था।
ीमती गांगुली दो घंटे के बाद आई बबलू को लेने के िलए। उसने उसके िलए दो टैिनस-बॉलस ल । मुझे लगा क म दोन बॉल उसे म
दे दू।ं पर पता नह वे या सोच।
‘यह मेरा काड है’ उसने कहा, काड पकड़ाते ए, ‘हर सोमवार को हमारे कू ल क बोड-मी टंग होती है। आप मी टंग म आ जाओ और
हम बताएं क आप हमारी कै से मदद कर सकते ह।’
हमारे पास अभी चार दन ह तैयारी के िलए। और अगर भारत जीत गया तो बोड और भी अ छे मूड म होगा।
‘ठीक है, हम आप से तभी िमलगे।’ मने कहा और एक कडी बबलू को दे दी।
दूसरा दन
मैच के दूसरे दन के िलए इतना ही कहना है क िडपरै संग था, िनराशा भरा।
291/8 से ऑ ेिलया ने अपनी पहली पारी म 445, ऑल आउट, पर मैच ख म कया। अब बै टंग क बारी भारत क थी। खेल का
शु आती िखलाड़ी रमेश िबना कोई रन बनाए आउट हो गया।
‘यह क ब त रमेश कौन है? ैकशन कोटा : ‘ईश ने कहा।
पर रमेश ही नह , तदुलकर ने भी के वल दस रन बनाए, और ने इससे भी कम। िवड़ ने सबसे यादा प ीस रन
बनाए। दूसरे दन भारत ने 128/8 पर समा कया। रात के खाने पर ईश ने गु से से चपाती को तोड़ा। ‘ये
ऑ ेिलयाई ज र सोच रहे ह गे क भारत म आकर खेलने क परे शानी य उठाएं।’
‘ ा के िलए ाथना करो। ा होने से सेल क आशा बढ़ती है। या फर हम अपना िबजनैस बदल ल। हमारे देश म पोटस क काम गलत
चुनाव है।’
मने ओमी को दाल पकड़ाते ए कहा। उनके यहां बीस अरब लोग ह। हमारे यहां एक खरब, जो दो ितशत ित वष के िहसाब से बढ़
रहे ह। मतलब हम एक ऑ ेिलया हर साल बना रहे ह। फर भी वे हम हरा रहे ह। ज र कोई गड़बड़ है।’
‘ या हम एक और फू ल क दुकान खोल ल? मं दर म इसक हमेशा मांग रहेगी’ मने कहा।
ईश ने मुझे अनसुना कर दया। वो आने वाले हालात को बदलना, चाहता था, जो काफ मुि कल था।
तीसरा दन
अगले दन पता नह य हमने टी.वी. चला िलया। भारत संघष कर रहा था अपनी पहली पारी ख चने के िलए, पर
दोपहर के खाने से पहले ही 171, ऑल आउट पर मैच ख म हो गया। और ऑ ेिलया वाल ने भारत को फौलोऑन करने के िलए कहा
‘कॉमै टेटर बता रहा था और मने अपने माथे पर हाथ मारा। एक टै ट मैच म हार एक बात थी पर पारी म हार का मतलब था ह त
तक पाक का खाली रहना। ब े के ट खेलने क बजाय पढ़ना पसंद करगे और वो भारत के इस अपमान को बार-बार याद करगे। मने
य यह िबजनैस शु कया? म कतना मूख ?ं इसके थान पर मने िमठाई क दुकान य न खोल ली? भारतीय हमेशा िमठाई खाते
रहगे। पोटस ही य ? के ट ही य ?
‘ये कमब त फॉलोऑन, या बात है?’ ईश बुड़बुड़ाता रहा, अपने ही मुहावरे बना बना कर उस व के । उसने अपनी मु यां भ च ल
और नई, खतरनाक ढंग से टी.वी. के िबकु ल पास आया।’ हमने उनके बल पर 291/8 कए, और अब वे
हम फॉलो-ऑन के िलए कह रहे ह।’
‘ या हम ट वी. ब द कर द।’ मने कहा। या हम हमेशा के िलए दुकान बंद कर द? मने सोचा।
‘ठहरो, म इसे देखना चाहता ।ं म देखना चाहता ं क ‘हमारी टीम इतनी बुरी हार के बाद कै से आख िमलाती है।’ ईश ने कहा।
‘वो आख नह िमला रही। तुम उ ह के वल टी.वी. पर देख रहे हो।’ ओमी ने कहा। ‘अगर यह मैच ा रहा तो म तुम सब को िडनर दूग
ं ा।
ओके . दो िडनर।’ ईश ने कहा।
दूसरी पारी म भारत ने एक प रवतन कया। उ ह ने शु आती ब लेबाज रमेश क जगह एक नए लड़के ल मण को भेजा।
टीम के सभी लोग पर पर कॉनटै ट म थे। आज हर कोई अपनी बारी से खेल रहा है। ‘ईश ने कहा, जैसे ही भारतीय- िखलािड़य ने
दूसरी फॉलोऑन क पारी के िलए ज संभाली।
पर ल मण ने बैट और बॉल का अ छा सामंज य थािपत कया और चौके पर चौके लगाए। तीसरे दन के अ त तक, भारत एक
स मानजनक ि थित पर प च ं चुका था, 254/4 पर। इससे भी बढ़ कर यह क पहली पारी के 171 रन म भारत को के वल बीस रन और
चािहए थे आ ेिलया क 445 वाली हार वाली बात ख म हो चुक थी। अब मैच ा हो सकता है।
‘देखो इं िडयन टीम या करती है। जब तुम सारी उ मीद छोड़ चुके थे, उ ह ने फर उ मीद जगा दी है।’ ईश ने िडनर पर कहा।
‘तुमने कसी भी तरह हर दन मैच देखना था। लीज अब सोमवार क मी टंग के बारे म भी कु छ सोचो। मने कहा।’ ल मण का काम
अभी ख म नह आ। अगर हम ा चाहते ह तो उसे खेलना होगा।
मने िव वास िलया। मुझे खुद को तैयार करना होगा, कू ल-मी टंग के िलए।
चौथा दन
अगर भारत को व ड के ट पर अपना दािय व रखना था, तो वह था मैच का चौथा दन। हां, भारत ने 25 जून 1983 को व ड कप
जीत िलया था, वह भी काउं ट करता है। पर म िजस दन क बात कर रहा ,ं उस दन दो भारतीय ब लेबाज ने यारह आ ेिलयन
के ट िखलािड़य को नचा दया था अपने िहसाब से। यह सब उ ह ने जनता के सामने कया और पूरा दन लगा दया। यह ठीक है।
टै ट के चौथे दन, ईश टी.वी. के सामने से िब कु ल नह हटा। जो आ वो ऐसे था। ल मण और िवड़ लगातार खेलते रहे और उ ह ने
पांचव िवकट पर 357 रन और अपने खाते म जोड़ दए। चौथा दन 274/4 से शु आ था और 589/4 पर ख म आ।
आ ेिलयन टीम के यारह म से नौ िखलाड़ी बारी-बारी से बाउ लंग करते रहे पर कोई भी िवकट लेने म कामयाब नह आ। इडन
गाडन म भीड़ भािवत थी, इस मैच से। वो ल मण का नाम बार-बार ले कर टीव वेग को दरअसल बद-िमजाज बना रही थी। टीम,
िजसने हम फॉलो- ऑन के िलए कहा था, एक भी ब लेबाज को आउट नह कर पाई थी।
ल मण ने 275 रन बनाए िबना आउट ए सारी टीम ने पहली पारी म िजतने रन बनाए थे, उससे कह यादा अके ले ल मण ने बनाए।
िवड़ ने िबना आउट ए 155 रन बनाए। हमारे पास काफ िवके ट बाक थे, आ ेिलया से 337 रन यादा चािहए थे और हमारे पास
मैच का के वल एक दन बचा था।
‘म अब शांित से सो सकता ।ं मने िडनर भी खरीद कर लाना है।’ ईश ने कहा जैसे ही हमने दुकान का शटर ब द कया।
‘शायद कु छ ब े पाक म फर आ गए ह ’, मने कहा।
पांचवा दन
मानव क आशा क कोई सीमा नह । मैच के चौथे दन जब क हम मैच ा होने क ाथनाएं कर रहे थे। दो दन पहले, पांचव दन ने
हम और आशाएं द । ल मण ने 281 रन बना कर छोड़ दया। टेिडयम म हर कसी ने ल मण क यारह घंटे क पारी से खुशी म
तािलयां बजा और उसका अनुमोदन कया।
भारतीय क ान गांगुली ने एक च कत कर देने वाला िनणय िलया। एक घंटा खेलने के बाद उसने 657/7 पर भारतीय पारी क घोषणा
कर दी। इस का मतलब था क अब आ ेिलया ब लेबाजी करे गा। और उ ह मैच जीतने के िलए समय ख म होने तक 384 रन बनाने थे।
‘ या गांगुली पागल है? यह र क है। हम खेल जारी रखना चािहए था। ा हो जाना चािहए था और बात ख म थी।’ मने कहा।
‘शायद उसके मन म कु छ और बात हो।’ ईश ने कहा। ‘ या?’ ओमी ने अंगड़ाई ली।
मुझे गांगुली के नज रए पर शक था। ठीक है फर भी हमारी क मत अ छी है और ा तक गेम को ले जाएं। पर क ान ने पारी ख म
करने क घोषणा य कर दी जब क वो समय ख म होने तक खेल सकते थे। शायद वो कोई िनणय चाहता था। वह एक भारतीय जीत
थी।
‘वह गंभीर नह हो सकता। हम फॉलोऑन िमला था। हम एक पारी क हार िमलती। अब, गांगुली सच म सोचता है क उसने
ऑ ेिलयन टीम को बॉउ लंग करके आउट करने का चांस िलया है।
मने कहा।
ईश ने िसर िहलाया जैसे ही ऑ ेिलयन ब लेबाज ज पर वािपस आए। गांगुली के पास जीत का कोर 384 था, जो ऑ ेिलयनस ने
बनाना था-क ठन था पर था संभव। ऑ ेिलयन सेफ खेलते तो वे खेल को ा तक ले जाते। पर ऑ ेिलयन ऐसे नह खेलते। ‘ए, िम टर
मैथेमै टिशयन ऐसा कभी आ है? या कभी ऐसा देखा है क फॉलो-ऑन करने वाली टीम मैच जीत गई हो?’ ईश ने कहा और ओमी से
िवशेष, ज री ाथना करने को कहा।
मने ऊपरी खाने से के ट क डाटा-बुक िनकाली। हमने इनम से शायद ही कोई बेची हो, पर काशक ने हम जोर दया था क हम इस
क कु छ कािपयां रख ल। ‘ओ.के . ऐसा पहले भी हो चुका है।’ मने कहा। दस िमनट तक डाटा- बुक म खोजने के बाद।
‘ कतनी बार?’ ईश ने कहा, आंखे क न पर गड़ाए ए।
‘दो बार’ मने कहा, ‘और मने देखा क ओमी क आंखे ब द ह और वो ाथना कर रहा है।
‘देखो, जो यह आ, दो बार कतनी अविध म? ईश ने कहा।’ िपछले एक सौ दस वष म दो बार।’
ईश मेरी तरफ आ। ‘के वल दो बार?’
‘एक बार 1894 म और दोबारा 1981 म,’ मने जोर से पढ़ कर सुनाया। दोन बार इं लड जीता अंदाजा लगाओ कससे, आ ेिलया से।
सॉरी दो त, पर गणना के िहसाब से क ं तो, यह मैच ओवर है।’
ईश ने िसर िहलाया।
‘बेशक संभावना ब त कम है, फर भी म कहता ं क अगर इं िडया जीत गया तो गोवा के प का खचा म क ं गा।’ मने मजाक कया।
‘या अगर इं िडया जीत गया तो म भगवान म िव वास करना शु कर दूग
ं ा?’ ओमी ने अपना खेल खेला।
‘हां’, मने कहा।
‘मने ओमी से कहा अिधक ाथना न करे । ा से भी काम चल जाएगा। गांगुली शायद िवषमता को नह जानता था। सबसे बुरा होगा
य द ऑ ेिलया कोर बना गया।
161/3 ओमी ने ऑ ेिलया का कोर देखा। चाय के समय संयोग से हमारा भी ेक का समय हो गया था।
‘चलो भई दुकान साफ कर ल। मैच कु छ घंट म ख म हो जाएगा। हमारे पास शायद कु छ ाहक आ जाएं इसी बीच,’ मने कहा।
‘ ा ही ठीक रहेगा। हम ऑ ेिलयनस को फर कभी हरा दगे।’ ईश ने कहा और अिन छा से प छा लगाने वाला डंडा उठा िलया।
पांचवां दन-चाय के बाद
भारतीय टीम ने अव य ही अपनी चाय म कु छ िवशेष िमला िलया होगा। ऑ ेिलया वािपस आ गया और 166/3 पर ही टका रहा।
फर पांच जबरद त ओवर ए िजनम हरभजन संह अके ला ही था। अगला ठहराव ऑ ेिलया का 174/8 पर आया। 8 रन म लगभग
आधी ऑ ेिलयन टीम आउट हो चुक थी।
‘ईश टी.वी. के सामने न खड़े होओ।’ मने कहा पर ईश खड़ा कहां था, वह तो छलांग मार रहा था।
‘बेकार है तु हारे आंकड़े और संभावनाएं।’ ईश हषाितरे क से िच लाया। म पसंद नह करता क कोई मै स का अपमान करे , पर मने ईश
को कु छ नह कहा। इितहास गवाह है कु छ खुिशय के आगे कु छ बुराइय को भूलना पड़ता है।
ज दी ही अंितम दो ब लेबाज भी आउट हो गए। ईश ने क न पर भजन संह को चूमा। (उसका थूक टी.वी. क न पर लग गया) छ :
िवके ट िलए और भारत मैच जीत गया शानदार ढंग से।
इडन गाडन म हर सावजिनक थान पर लगे सूचना-प , इि तहार और जो कु छ भी वलनशील था, सबको आग लगा दी, लोग को
छोड़ कर।
कामै ी सुनना मुि कल हो गया था य क जब भी कसी भारतीय िखलाड़ी का नाम िलया जाता जनता शोर मचा देती थी।
ईश खड़ा हो गया, उसके हाथ जांघ पर थे और वह टी.वी. देख रहा था। उसक आंखो म म संतुि भरा यार देख रहा था। म देख रहा
था क वो खुशी से पागल ए जा रहे लोग को कै से देख रहा था-काश वो भी उनम से एक होता। पर आज उसे अपने ित कोई िगला-
िशकवा या अफसोस नह था। वह चाहता था क वो जीत जाएं। उसने देखा भजन छलांग पर छलांगे लगाए जा रहा है। उसने तािलयां
बजाई जब गांगुली ॉफ लेने आगे आया।
‘दो बॉल ज दी से, हमारा मैच है। एक लड़के ने पचास का नोट काउं टर पर रखते ए कहा। ेट इं िडयन के ट सीजन का पहला ाहक।
मने अपने हाथ जोड़े और ऊपर आकाश क ओर देखा। भगवान का ध यवाद है, उसने ऐसे क र मे हमारे ऊपर कए।
‘हम आप को सुझाव देने आए ह, न क अपना सामान बेचने।’ मने आर भ कया। मने अपनी पहली लाइन बड़ी स पूणता से कही।
िपछले दो दन के अ यास को देखते ए म काफ अ छा बोला था, मने वयं से कहा। हम के ीय िव ालय के ंिसपल के आ फस म
थे। ऑ फस क ि थित कु छ यादा अ छी नह थी। जजर फन चर और धूल से सनी ा फयां। अिधकतर सरकारी भवन और द तर क
तरह पुरानी फाइल अ मा रय के ऊपर पड़ी थ । मिहला- ंिसपल तथा छ: अ य अ यापक अधाकार म लकड़ी क मेज के िगद बैठे थे।
मने सोचा यहां काम करना कतना क ठन होता होगा। कसी और के िलए करता तो और भी क ठन है, मने फर सोचा।
‘आगे किहए। ंिसपल सािहबा ने कहा, य क अपना भाव देखने के िलए मेरा मौन काफ ल बा हो गया था।
‘हमारे साथ िजला- तर के चैि पयन लेयर आए ए ह। वे आपको आपक आव यकता और बजट को यान म रखते ए आपके िलए
पैकेज बनाएंगे। मने ईश क तरफ इशारा कया और सभी अ यापक उसक ओर देखने लगे। कू ल के आठ सौ िव ा थय के म े-नजर
आव यकता क मािसक-सूची बनाई गई थी। मने क यूटर क दुकान से उसके लेजर ंट िनकलवा िलए थे, तीन पए ित कापी क
दर से। चपरासी सबके िलए समोसे और चाय ले आया था।
‘इस पर कतना खचा आएगा’ मु य शासक ने पूछा।
‘हमने कु छ कै कु लेशनस क है। आपका औसत खचा दस हजार पए मािसक होगा।’ मने कहा।
‘यह ब त यादा है। यह के ीय िव ालय है। ाईवेट कू ल नह ।’ शासक ने कहा। उसने नोट बुक ब द कर और मेरी तरफ बढ़ा दी।
मने एक गहरी सांस ली। मुझे इस बात क आशंका थी और उ र मेरे पास तैयार था
‘सर हम कु छ कम कर सकते ह इसे।’
ईश ने ह त ेप कया, ‘यह बारह पए ित िव ाथ ित मास होगा। या आप नह सोचते एक ब ा जो पढ़ रहा है, खेल के िलए
इतना भी हकदार नह क एक पैन क क मत िजतना उस पर खच कया जा सके ।’
अ यापक ने नोट-बुक से अपनी नजर उठा और एक-दूसरे क तरफ देखा।’ प कह तो नह । हम अपने कू ल के प रणाम से िनणय
करते ह। पास ितशतता और पहले दज के िहसाब से।’ शासक ने कहा।
‘अगर सभी ऐसा सोचने लगे तो भारत के िखलाड़ी कहां से आएंग?े ’ ईश ने कहा। ‘अमीर प रवार से।’ उ ह ने अपनी ऐनक उतार कर
शीशे साफ करते ए बड़ी गंभीरता से कहा।
‘पर तु, ितभा के वल धनवान के िह से म नह बांटी गई। हम इसका े बढ़ाना होगा।’
‘आपको पता है हमारे कू ल के आधे कमरे बा रश के दन म लीक करते ह।’ मु य ने कहा। ‘ या हम चमक ली बॉल ल और उ ह लीक
होने वाले थान पर फ स कर द?’ वे जाने के िलए उठ खड़े ए।
मने मानिसक तौर पर कु छ बार एक श द दोहराया चलो गोिव द, इसे बचाओ। तुमने िबजनैस करना है, कोई भी िबजनैस।
यारह

‘गोवा, वाओ। ‘गुडलाइफ’। ‘िव ा ने कहा, िपन मुंह म डालते ए। वह टू ल पर खड़ी थी अपने कमरे म, और ‘ दल चाहता है’ फ म
का आिमर खां का पो टर दीवार पर िचपका रही थी। म, उसका ूटर िपन क े हाथ म िलए खड़ा था। यह मेरी हैिसयत के िलए
काफ था।
‘गोवा जाने का आइिडया तु हारे भाई का है। म काम म ेक करने क ज रत नह समझता। “बेशक, तु ह करना चािहए’ वह टू ल से
नीचे उतर गई थी, इससे तुम भूचाल वाली ासदी से उभर पाओगे।’
‘मुझे इससे कोई िनकाल सकता है तो वह है मेरा काम। और पैसा ता क म अपने लोन वािपस कर सकूं । यह प हम तीन हजार का
पड़ेगा।’ म उसक डै क पर आ गया।
वो अपनी सीट पर आकर बैठ गई, अपनी कताब खोली और प े उलटने पलटने लगी।
‘ या तुम और दलच पी ले सकती हो?’
‘म अ छी ए टर नह ।ं ’ उसने कहा।
‘फनी, या तुमने कै लकु लस का चेहर अपने सो-को ड वयं पढ़ने वाले मूड म कर िलया है।’
‘मने खुद ही पढ़ाई क है, य क तु हारे पास मेरे िलए टाइम नह है।’ उसने कहा। ‘पर कसी तरह भी ये मेरी समझ म नह आया
हमेशा क तरह मने इसे रट िलया है। ये सब “डीए स डीटी” या होते ह। और ये टोरी िस बल इतने सारे कसिलए है?’
‘िव ा तुम मैडीकल म वेश ले रही हो, ऐसी बात...’ मने वा य आधा छोड़ दया। मने कै लकु लस का अ याय खोला। कु छ िबगड़े ब
को जबरद ती च मच से िखलाना पड़ता है।
‘ऐसी बात न करो, कै सी?’ िव ा ने कहा।
‘डफर जैसी। अब पढ़ाई क तरफ यान दो।’
‘म डफर नह ।ं तुम गोवा जाओ, अपना िबजनैस मैनेज करो, धन कमाओ, उन लोग का अपमान करो जो मै स नह जानते और दो त
बनाने के िलए कोई समय न िनकालो। म अ छे ढंग से मैनेज कर लूंगी।’
‘अ छा ढंग’ काफ जोर से बोला गया था।
‘माफ करना, तु ह कोई ो लम है?’ मने कु छ देर ककर कहा।
‘हां, कै लकु लस क ा लम। लीज या हम शु कर सकते ह।’
म एक घंटा उसे कै लकु लस पर पढ़ाता रहा।
‘पीछे दी ई ऐ सरसाइज कर लेना। और जबतक म वािपस आऊं अगला चै टर पढ़ लेना।’
मने कहा जैसे ही मने लास ख म क ।
वह चुप रही।
‘िव ा ऐसा य लगता है क कभी कभी तु हारे अंदर से बात िनकलवानी कतनी मुि कल होती है।’
‘म ऐसी ही ,ं तु ह कोई, ो लम है? या के वल तु ह ही हक है क तुम लोग को नजर अंदाज कर सकते हो?’ वह पीछे क तरफ िगरने
जैसी हो गई। उसक आँख धुंधला गई थ । उसक ल बी ल बी अंगुिलयां कांप रही थ । इससे पहले क बादल बरस जाते म वहां से
िनकल गया।
‘म चार दन म वािपस आ जाऊंगा?’ दरवाजा ब द करते ए मने कहा।
‘कौन परवाह करता है?’ उसने मेरे पीछे कहा।
‘खाना समय पर खा लेना और देर तक जागते न रहना।’ गाड़ी चलने लगी थी तो अली के िपता ने अली से कहा।
अली इतना उतावला हो रहा था क उसे अपने िपता के िनदश सुनने का समय नह था। उसने ऊपर वाली बथ चुन ली अपने िलए और
छलांग लगा कर ऊपर चढ़ गया। ओमी ने सफर से पहले क अपनी ाथना पढ़ी।
‘अली क अ मी इसका इतना यान नह रखती पर वह मेरे दल का टु कड़ा है!’ अली के िपता ने कहा और उसक आंख भीग ग ,
‘कभी-कभी म सोचता ं क मुझे दोबारा शादी नह करनी चािहए थी।
मने कै श और टकट लाि टक के िलफाफे म डाले और जुराब के अंदर रख िलए। एक बारह वष य लड़के और दो और जवान के साथ
सफर करते यह िज मेवारी मेरी बनती थी।
‘चाचा, सब ठीक है, आप फ न कर। अब आप आराम से अपनी चुनाव-रै ली म बड़ौदा जा सकते ह।
मने कहा।
‘यह ठीक है। म अली को चार दन के िलए उसक अ मी के पास नह छोड़ सकता।’
‘ या इस वष आप को टकट िमल रहा है।’
मने कहा और अपना सामान बथ के नीचे रख दया।
ेन चल पड़ी थी।
‘नह , नह , म इतना सीिनयर नह ं पाट म।’
म बेलरामपुर वाले ितयोगी क मदद क ं गा। अली बेटे सीट के बीच न कू दो। अली....’
उसक आवाज गुम हो गई य क गाड़ी ने गित पकड़ ली थी।
ईश ने अली क बांह पकड़ी और उसे अपनी गोद म िबठा िलया। ‘अ छी तरह से बॉय करो’ ईश ने कहा।
‘खुदा हा फज, अ बा’ अली ने कहा जैसे ही गाड़ी तेज ई।
‘ऑरगेनाइजस। हम ऑरगेनाइजस से िमलना है। हम अंदर चलते ह।’ मने कहा। एक हाथ ने रोका हाथ िस यो रटी गाड का था जो
बाहर वी. आई. पी. टड पर खड़ा था।
‘यहां तीस हजार लोग अंदर जाना चाहते ह। तुम कौन हो? ऑटो ाफ लेने वाले?’
‘इसे कहो,’ ईश ने कहा धीमे से मुझे कहा।
‘अपने सीिनयर को बुलाओ, म उससे बात करना चाहता ।ं ’
‘ य ?’ गाड ने कहा।
मने एक काड उसे पकड़ाया। उस पर िलखा था ‘जुबेन संह, चेयरमैन, िव सन पोट।’
पंिडत जी एक बार भारत क सबसे बड़ी पोटस क पनी के अ य से िमले थे। यह काड मने उनके संदक
ू से िनकाल िलया था।
‘मेरे पास िव सन पोटस है। हम इस संबंध म कसी डील के बारे म उनसे कु छ बात करना चाहते ह। या आप हमारा काम करगे
या....।’
गाड को पसीना आ गया और उसने अपने मैनेजर को बुलाया। मने वही कहानी उसके सामने दोहराई। उसने सबसे सीिनयर िस यू रटी
पसन को बुलाया। उसने सूट पहना आ था। मने उसके सामने एक झूठी कॉल फोन पर क , कसी दस करोड़ पये के आडर के बारे म
वह सीधा खड़ा रहा। एक कॉल मने गुजराती म क और उसका चेहरा थोड़ा न आ।
‘गुजराती?’ उसने कहा।
‘मने उसक ओर देखा, कु छ अ छा सा जवाब देने के िलए! भारत म यह कु छ नह पता चलता क तुम कसी थान िवशेष से स ब ध
रखते हो। यह जानकर कोई तु ह पसंद करे गा या नफरत करे गा।
‘हां’ मने धीरे से कहा।
‘ओह! आप कै से ह? उसने गुजराती म कहा। शु है भारत म इतने रा य ह। सब ठीक हो गया मने सोचा 'म अभी अहमदाबाद से आ रहा
।ँ ’ मने कहा।
‘आप िबना ए वांइटमै ट िलए कै से आ गए?’ उसने कहा।
‘म यहां मैच देखने आया ।ँ मने ऑ ेिलयनस को खेलते देखा और सोचा क शायद हम कसी ांड ए बैसेडर से िमल पाएं।’
‘ऑ ेिलयन य ? तुम कसी इं िडयन को य नह लेत?े ’
कतई अ ासंिगक था, पर यह संकेत करता था क उनका िव वास हमम बढ़ रहा है।
इं िडयन टीम को एफोड नह कर सकते। अ छे िखलाड़ी काफ महंगे भी पड़ते ह। बुरे िखलाड़ी, खैर, मुझे बताएं, या आप अजीत
अगरकर ारा सम थत बैट खरीदगे?’
गाड ने िसर िहलाया। वो कान म लगे माई ोफोन पर कसी से बात कर रहा था। फर हमारी तरफ मुड़ा।
‘आपम से एक हमारे साथ रह सकता है।’
िस यो रटी हैड ने कहा।
‘वह रहेगा,’ मने ओमी क ओर संकेत करते ए कहा। ‘एक गाड आपके -साथ रहेगा। इस ब े का या करगे। उसे भी जाना होगा?’
‘ओह’ हां, वो इस कै पेन म है। हम कोच और टू डट थीम पर कु छ काम कर रहे ह।’
गेट चरमराता सा खुला। गाड ने हमारी अ छी तरह से तलाशी ली। आिखर म हम वेश कर ही गए। हम वहां एक खाली कतार म 6
फाइबर लास क बनी लाल रं ग क सु दर सी बनी कु सय पर बैठ गए। वहां से हम टेिडयम को सबसे अ छा नजारा दखाई दे रहा
था। जब हम वहां प च
ं े तो भारतीय टीम ने अपनी पारी समा कर दी थी। अब ऑ ेिलया बै टंग करे गा। ज पर आने वाले
ब लेबाज को छोड़कर शेष सभी िखलाड़ी ज दी ही अपने थान पर आ जाएंग।े
‘ओमी ठीक रहेगा?’ ईश फु सफु साया।
मने िसर िहलाया।
‘हम ऑ ेिलयन टीम के आने का इं तजार करगे, ठीक है?’ मने िस यो रटी गाड से कहा, इसके पहले वो हम पर फर कोई शक करे ।
उसने िसर िहलाया। ‘ या तुम गुजरात से हो?’ ईश ने उससे कहा।
‘नह ’, गाड ने कहा। वह कु छ परे शान सा लग रहा था, जैसे कसी गुजराती लड़क ने उसका दल तोड़ा हो।
‘हे, पीछे क पांच लाइने देखो धीरे से।’ ईश ने कहा
म मुड़ा। वहां एक िसख युवक बैठा था। गहरे लाल रं ग क पगड़ी और भारतीय टीम क स
ै पहने ए।
‘शरणदीप संह, बारहवां आदमी हो सकता है वो ज दी ही टीम म शािमल हो जाए। या म जाकर उससे हाथ िमलाऊं?’
‘ऐसी बेवकू फ न करना। अगर उ ह जरा भी शक हो गया तो हम यहां से िनकाल दगे।’ मने कहा।
‘ या म वह ले सकता ?ं ’ अली ने कहा। वेटर अपनी वद म ठं डा िलए घूम रहे थे।
‘ऐसा दखाओ क तुम दो सौ करोड़ क क पनी के मािलक हो। जाओ अली ले लो।’ मने कहा।
ज दी ही हम सभी फटा पी रहे थे ल बे िगलास म। हे भगवान मदद करने के िलए ध यवाद।
मरमर क आवाज आई। हर कोई पीछे मुड़ कर देखने लगा, पीले पहनावे म कु छ ि आ रहे थे। ईश ने मेरा हाथ जोर से पकड़ा य
ही उसने ऑ ेिलयन टीम को आते देखा। वे हमारे आगे दो लाइन छोड़कर बैठ गए।
‘वह टीव वांग है, ऑ ेिलयन क ान’ ईश मेरे कान म फु सफु साया। म उसके दल क धड़कन उसके मुख से सुन रहा था।
मने िसर िहलाया और गहरी सांस ली। हां, हर एक वहां था-बैवन, लैहमन, साइमंड, और यहां तक मैक ाथ भी। पर हम यहां
ऑ ेिलयन को देखने नह आए थे, शंसक क तरह। यहां आने का हमारा एक मकसद था।
‘ईश भैया वो देखो।’
अली क ऊंची आवाज ने हमारी शांत रहने क अदाकारी को असफल कर दया कु छ लोग ने हमारी ओर देखा पर अली छोटा ब ा है,
देख कर उ ह ने यान हटा िलया।
स े वी. आई. पी. कभी भी िच लाते नह टास को देख कर चाहे वो उनके इद-िगद रहना कतना ही पसंद करते ह ।
एक गोरा-िच ा युवक, िजसे म पहचान नह पाया, आया और हमारी अगली लाइन म बैठ गया। उसने ऑ ेिलयन टीम क कमीज
पहनी ई थी पर उसके साथ म खाक िन र थी।
उसके बाल घुंघराले थे और आंख नीली, मुि कल से वह बीस का होगा।
य ही एडम िगल ट ने छ ा मारा, सारे वी. आई. पी. ने तािलयां बजा । जनता क तरफ पीड़ा भरी चु पी थी। ईश बाउलर को
गाली देना चाहता था, पर उसे अ ल आ गई और वह चुप रहा।
ऑ ेिलयन टीम छ ा लगने पर हाथ से जीत क खुशी जताई। घुंघराले बाल वाले लड़के क मु याँ भंच ग ।
अली ने अपना तीसरा फटा ख म कया।
‘जाओ बात करो। मने अपना काम कर दया है।
मने ईश को कहा।
‘कु छ ओवर के बाद, मैच को कु छ सैटल होने दो।’ ईश ने कहा।
ऑ ेिलया ने अपनी पहली िवके ट हेडन को खो दया, 70 रन पर। वी. आई. पी. क से बड़े स य ढंग से तािलय क आवाज आ रही
थी।
प टंग जब ज पर जाने के िलए उठा तो उसक टीम वाल ने उसक पीठ थपथपाई। ीनाथ ने तीन बल म ही प टंग को आउट कर
दया।
अब ईश आपे म नह रहा।
‘ ीनाथ, चलते रहो।’ ईश खुश था। मने उसे कु स पर खड़े होने से रोका।
‘गो इं िडया गो, हम यह कर सकते ह। सीरीज जीती गई, कम ऑन, हम 2-2 है।’
ईश ने अपने आप से कहा।
वो लड़का हम देखने लगा। ईश कु छ सतक आ।
‘इट इज ओ. के . अ छा है, साथी?’ उसने कहा।
‘सॉरी, हम...’ मने कहा।
‘अगर मेरी टीम होती तो म भी ऐसा ही करता।’
उसने कहा।
मौका था बात करने का। हो सकता है क वह टीम के कसी सद य का भाई या कु छ और हो।
मने ईश क कोहनी िहलाई।
‘हाय,’ ईश ने कहा, ‘म ईशान ,ं हम गुजरात के अहमदाबाद से आए ह। और वह जुबीन है, वह िव सन पोटस का मािलक है। और यह
अली है।’
‘आप से िमल कर अ छा लगा। हाय, म ै ड ,ँ ै ड ली।’
‘आप टीम म खेल रहे ह?’ मने ै ड से पूछा।
‘अभी नह , मेरी पीठ म तकलीफ है। पर हाँ, एक वष पहले ऑ ेिलया के िलए खेलना शु कया था।
‘बैटसमैन?’
‘बाउं लर, पस,’ ै ड ने उ र दया।
‘ ै ड, हम आप से बात करना चाहते ह। इस लड़के के बारे म। हम ज री बात करनी है।’
उ ेजना से उसक सांस उखड़ रही थी।
‘ज र, म वह पर आ जाता ।ं ’ ै ड ने कहा और ईश के साथ आकर बैठ गया। िस यू रटी गाड ने राहत महसूस क जब उसने एक गोरे
को हमारे साथ देखा। िन संदह
े वहां हम काफ मह वपूण थे।
ईश ने एक घंटे म अपनी सारी कहानी सुना दी।
‘आप चाहते ह क म उसका टै ट लूं। सािथयो, आप लोग उसे अपने सलै टर या कसी और को दखाओ।’
‘िव वास क िजए, अगर इं िडयन सलै टर इतने लायक होते तो हम इतने मैच ऐसे देश से न हारते िजसक जनसं या हमारे देश का
पांचवां िह सा है। इसम कोई अपराध नह ।’
‘हमारी टीम को हराना मुि कल है। इसके कई कारण ह,’ ै ड ने धीरे से कहा। ‘ठीक है, इसीिलए म चाहता ं क आप इसका टै ट ल।
मने अभी एक वष से इसे िसखाना शु कया है, और आगे भी जारी रखूंगा। हम चौबीस घंटे का सफर कर के आए ह, आपक टीम म से
कसी को िमलने य क म आप म िव वास करता ।ं ’
‘और उससे या होगा? या होगा अगर म कह दूग
ं ा क वो अ छा है?’
‘अगर आप कहगे क लड़के म िवधु- तर क यो यता है तो म अपनी सारी िज दगी लगा दूग
ं ा इसे वहां तक प च
ं ाने म। म कसम खाता
।ं लीज उसे कु छ बॉल द।’
‘साथी, अगर मने हर एक आने वाले के िलए ऐसा करना शु कर दया तो....’
‘ ै ड, म आपसे िवनती करता ,ं एक पोटसमैन दूसरे पोटसमैन से। या फर छोटा पोटसमैन बड़े पोटसमैन से।’ ै ड ने अपनी नीली
आंख िबना झपकाए ईश क तरफ देखा।
‘मने िजला- तर तक खेला, मुझे कोई गाईडस नह िमली इसीिलए म आगे नह बढ़ पाया।’ ईश ने बोलना जारी रखा, ‘मने अपनी
टडीज खराब क , अपने माता-िपता से लड़ा, इस गेम के िलए मने अपना कै रयर दांव पर लगा दया। यह गेम ही मेरे िलए सब कु छ है।
आपके पास आने वाला हर कोई ऐसा नह हो सकता।’
ै ड हंसा 'साथी, तुम भारतीय भावुक होने म मािहर हो। िव वास करो, मने भी इस गेम के िलए ब त कु छ खोया है।’ ' फर आप मान
गए?’
‘चार बॉल, इससे यादा नह । मैच के बाद। यहां नजदीक ही रहना।’ ै ड ने कहा और अपनी जगह पर वािपस चला गया। ‘और आप
ाथना कर क ऑ ेिलया जीत जाए ता क म अ छे मूड म र ं और अपना वादा िनभा सकूं ।’
ईश क हंसी क गई। ‘म ऐसा नह कर सकता। म भारत के िव नह सोच सकता।’
‘मजाक न करो िम तुम लोग भावुक हो। पर हम ऐसे नह है।’ ै ड ने आंख दबाते ए कहा। बात अधूरी रह गई थी। फर भी हम हंसे।
‘हमारे दो त को बुलाओ, हम उससे काम है।’ मने गाड के रौबीली आवाज म कहा।
दो िमनट बाद ही ओमी हमारे साथ था। वो इतना यासा था क उसने अली का फटा झपट िलया।
‘तुम लोग या कर रहे थे? म दो घंटे से इं तजार कर रहा ।ं ’
‘िम बना रहे थे।’ मने कहा और ड क तरफ देख कर मु कराया। तभी आ ेिलया ने एक चौका मारा। आ ेिलया मैच जीत गया। ईश
के पास दुःखी होने का समय नह था। उसे अली को तैयार करना था।
मैच समा होने के आधा घंटा बाद हम ाउं ड म प च
ं ।े
‘वह पेस बाउलर है।’ ईश अली क तरफ मुड़ा।
‘तु ह हैलमेट चािहए?’
अली ने िसर िहलाया।
‘इसे पहन लो,’ ईश ने अली के िसर पर हैलमेट बांध दी।
‘रै डी मेट’ ै ड ने बॉलर वाले थान से पूछा। अली ने िसर िहलाया। ईश िवके ट-क पर के थान पर खड़ा हो गया। ै ड ने दस कदम िलए
और बड़े जोर से बॉल मारी। बॉल अली के ऊपर से चली गई। ईश आगे बढ़ा इसे पकड़ने के िलए। ‘िगि टड?’ ै ड ने मुझसे कहा, य ही
वह दूसरा रन-अप लेने के िलए।
‘हे, अली या आ?’ ईश ने कहा।
‘म देख नह सकता, बॉल सफे द है। और िवदेशी अपने चेहरे भयानक बना लेत।े ’
‘चेहरे को अनदेखा करो और बॉल क तरफ यान दो।’ ईश ने कहा और हैलमेट उतार दी। ओमी बाउं डरी पर काली शीट लगाने के िलए
भागा।
ै ड ने दूसरी परफै ट बॉल दी। इस बार अली ने मारा। बैट ने बॉल को 45 िड. पर मार कर उसक दशा बदल दी, बॉल नीची ही रही
पर जमीन पर नह लगी जब तक वो बाउं डरी पार नह कर गई। छ ा।
‘ लडी हैल! वह कहां से आया था?’ ै ड ने कहा। ‘दो बॉल और’ मने कहा। म जानता था क ै ड के दमाग म या चल रहा है। उसे
ऐसा लग रहा होगा जैसे उसे र द दया गया हो अंग- भंग कर दया गया हो, या उसे पूणतया परा त कर दया गया हो और उसे वह भी
एक छोटे से लड़के ारा िजसने अभी शु ही कया है।
ै ड क तीसरी बॉल पर चौका और चौथी पर छ ा बना। ै ड का चेहरा अब भयानक क जगह अपमािनत सा लग रहा था। उसने बाद
म भी कई बार 'मेट’ (साथी)
श द का योग कया पर अब उसका लहजा बदल गया था शांित ने चंता का थान ले िलया था। वो ऐसे ि जैसा लग रहा था
िजसक के ट के बारे म सारी आ थाएं िहल गई ह ।
‘उसने ऐसा कै से कया?’ ै ड बुड़बुड़ाया अपने घुंघराले बाल को छेड़ते ए। हमने अली को देखा। वह फश पर बैठा था, अपना िसर
हाथ म िलए ए। ‘तुम ठीक हो?’ ईश ने कहा। अली के ऊपर दबाव बढ़ा आ था।
‘ या आ?’ ै ड ने कहा।
‘िवशेष फोकस करने से उसका भीतर िहल जाता है। कु छ बड़ी िहट् स के बाद उसे जैसे री-चाज करने क ज रत पड़ती है। मने उसे
पड़ोस म पूरी पारी खेलना िसखाया है पर आज....’
‘ ैस, दबाव, मेट यह चलता है और तुमने उसे एक भयानक सफे द चेहरे के आगे धके ल दया।
‘उसे यह सब फे स करना है। ईश ने कहा। वह झुका और उसने अली के पैड खोले। ‘हां, उसे दम-खम और िश ण क आव यकता है। वह
कई जगह पर जाएगा। ‘ ै ड ने कहा।
‘ या आप ऐसा सोचते ह?’
‘यह ै ड का अिभमत है।’
‘हां, तो तुम लोग थोड़ा इं तजार कर सकते हो। मने एक फोन करना है। ै ड ने कहा और थोड़ा दूर जा कर उसने अपने सैलफोन का
न बर डायल कया। म सुन तो नह पाया, ै ड दस िमनट तक कसी से कोई जोश भरी बात-चीत करता रहा। फर हमारे पास आया।
‘थ स ै ड’ ईश ने कहा। मने ईश के चेहरे पर गव के भाव देख।े
‘गुडोिनया, आप इसे कु छ समय के िलए आ ेिलया य नह लाते? मेरी एकै डमी म रहेगा और ेिनग लेगा।’ ै ड ने ऐसे िनमं ण दया
मानो आ ेिलया जाना इतना आसान है जैसे नवरं गपुरा के िलए ऑटो लेना।
‘सच म?’ ईश ने कहा।
‘ या यह ठीक है। हमने गोवा आने के िलए कतनी मुि कल से सेकंड लास क टकट खरीदी ह। और पैसे बचाने के िलए उसी रात
वािपस जा रहे थे। फर भी ईश आ ेिलया जाना चाहता है।
‘हम नह जा सकते ै ड,’ मने दखल दया।
‘ य ?’ ै ड ने कहा।
‘हम अफोड नह कर सकते। मेरा कोई के ट िबजनैस नह है।’
‘ या....?’
‘मेरी एक छोटी सी के ट क दुकान है। हमने आप तक प च
ं ने के िलए झूठ बोला था।’ वातावरण म तनाव था।
‘होली-मोली’ ै ड मु कराया, ‘तुम लोग! काफ साहसी हो। खैर छोड़ो। म भी कोई यादा अमीर नह ं तु हारी भारतीय टीम के
िखलािड़य क तरह। मेरी तरफ से तु ह कोई डर नह । पर अगर तुम पकड़े जाते तो काफ मुसीबत म फं स जाते।’ 'मने प ा सोच रखा
था क कसी बै ट से ही अली का टै ट करवाना है।’ ईश ने कहा।
‘तब उसे ऑ ेिलया ले जाओ। म कल भारत से जा रहा ।ं तु हारा िबजनैस कतना बड़ा है?’
‘यह छोटा सा ही है।’ ईश ने कहा।’ और टकट काफ महंगे ह।’
‘ठीक मेरी एक पहले क गल- ड कवटास के साथ काम करती है। म देखता ं म या कर सकता ।ं ‘ ै ड ने कहा, जैसे ही हम वािपस
जाने को ए। ‘यह के वल ईश और अली ठीक है?’
‘वह ठीक रहेगा।’ मने ज दी से कहा।
‘नह ै ड, हम पाटनस ह। या तो हम सारे आएंगे या कोई भी नह । हम चार टकट चािहए।’
‘ठहरो’ ै ड ने कहा और मुड़ा एक और फोन करने के िलए।
‘ठीक है।’ ै ड ने कहा जैसे ही वो वािपस आया,
‘म चार टकट के िलए कर सकता ।ं ’
‘ र’, ईश खुशी से िच लाया, ‘अली देखो यह सब तु हारी वजह से हो रहा है।’ अली मु कु राया।
‘पर जुलाई यादा ठीक है। ‘ ै ड ने कहा,
‘इस व ऑ ेिलया म सद है, और टकट स ते ह।’
‘जुलाई म काम होता है।’ मने कहा, ‘हम ग मय क छु य म नह आ सकते, सेल का सीजन होता है।’
म सोच रहा था टकट के अित र भी पासपोट, िवजा, प के दौरान रहने का खचा, इन सबके िलए पैसा कमाना होगा और उसके
िलए थोड़ा व चािहए। पर अ तरा ीय तर पर जाने का मौका भी हर रोज नह िमलता।

Downloaded from Ebookz.in


बारह

‘यहां कु छ कबाड़ पड़ा है। पर तु हारी दुकान के िलए यह एक अ छा गोदाम बनेगा। ‘मामा ने कहा, एक पुराने टू टे-फू टे गोदाम का
दरवाजा खोलते ए।
वष के बाद जैसे धूप ने भीतर वेश कया हो, दो चूहे भाग कर दूसरी तरफ गए। हमने बड़ी मुि कल से बो रय , शैल , ट और कबाड़
म से रा ता बनाया भीतर जाने के िलए।
इसे ठीक करने म ह त लग जाएंगे। ओमी छत पर छ: लाइट क ज रत पड़ेगी।’ मने कहा।
‘यह पचास बाई पचास का है, अ छा साइज है,’ मामा ने कहा।
‘मामा इसका आप या कराया लोगे?’ मने कहा। मने होल-सेल िबजनैस करने का िवचार बना िलया था। म िनि त था क इस बार
क े ट सीरीज अ छा िबजनैस देगी। अगर मुझे े िडट पर सामान िमल गया तो म काफ धन कमा लूंगा।’
‘बेवकू फ, एक िपता या अपने बेटे से कराया लेगा।’ मामा ने कहा।
मुझे ऐसे परोपकार से स त नफरत थी। मने गोदाम का कराया दुकान के कराए से आधा सोचा था। इसे रीटेल के िलए योग नह
कया जा सकता था य क इसका आगे का भाग रीटेल के उपयु नह था।
‘बेट क बात पर, म तु ह अपने बेटे से िमलवाता ।ं धीरज! धीरज! मामा के चौदह वष का बेटा मं दर-प रसर से भागता आ आया।
पाईडर मैन क टी. शट, और जीन पहने, हाथ म नारं गी और संदरू ी रं ग क लेट िलए, दोन बात एक दूसरे के िवपरीत लग रही थ ।
‘बाबा, आइए, आप के ितलक लगा दू।ं ’
धीरज ने मामा के माथे पर ितलक लगा दया।
‘अपने भाइय से िमलो।’ मामा ने कहा, ‘गोिव द, ईशान और ओमी भी।’
‘हाय’ मने कहा।
‘ के ट क दुकान के मािलक। मुझे के ट ब त अ छा लगता है।’ लड़के ने कशोराव था क आवाज म कहा।
‘ब ा है अभी, फर भी वो कू ल के बाद मेरे काम म मेरी मदद करता है।’ मामा क आवाज म गव था। अयो या दो बार जा चुका है।
बेटे, अपने भाइय को भी ितलक लगाओ।’
धीरज ने हम सबको ितलक लगाया। ‘ईश भैया मने अभी पूजा करनी है। आप कसी दन मुझे के ट- ट स देना।’ 'ज र, अब जाओ,’
मामा ने कहा।
हम गोदाम से बाहर आ गए और मामा ने दरवाजा ब द कर दया।
‘मामा सब कै सा चल रहा है? आप को मेरी ज रत है?’
ओमी ने कहा।
‘चुनाव छ: महीने के बाद ह। कु छ महीन म रै िलयां शु हो जाएंगी। मने पारे ख जी को दखलाना है क म कतना अ छा काम कर
सकता ।ं
मने सौ-सौ के दस नोट मामा के हाथ म थमा दए।
‘गोदाम का कराया, मामा,’ मने कहा।
‘नह , इसे छोड़ दो।’ उ ह ने कहा।
‘मामा, ना मत करना। आपके पहले ही हमारे ऊपर ब त अहसान ह िबजनैस ठीक चल रहा है। हम आपका लोन भी ज दी ही चुका
दगे।’ मने कहा।
‘हैलो पंिडतजी? या आप मेरी आवाज सुन रहे ह।’ मने कहा। गोदाम खोलने के एक महीने बाद पंिडत जी का फोन आया था। दुकान
पर मं दर क घं टय क आवाज के कारण बात करनी मुि कल थी। मुझे अपने कान पर ब त जोर डालना पड़ता था सुनने के िलए।
‘गोिव द, मेरे पास काफ सामान पड़ा है। म अपनी लड़ कय क शादी करना चाहता ँ और फर वािपस क मीर चला जाऊंगा।’
‘म जानता ं पंिडत जी।’ मने कहा। यह कहानी वे मुझे कई बार सुना चुके थे। ‘हां, िपछले ह ते एक अ छा प रवार हमारे यहां आया
था। उनके दो लड़के ह, जो लंदन म रहते ह। वे मेरी दोन लड़ कय को ले जाएंग।े वे ज दी से ज दी करना चाहते ह।’
‘एक ही फं शन म?’
‘हां, सोचो कतनी बचत होगी। अगर एक ही फं शन करना होगा, तो वे चाहते ह क अ छा हो। मने गोदाम बेच दया है। पर अपने
सामान के िलए मुझे खरीददार क ज रत है।’
‘आपके पास सामान कतने का है?’
‘दो लाख क सेल वै यू है। िजसम से आप जैसे रीटेलर को 20 ितशत कटौती और म 10 ितशत क और दूग
ं ा तु ह। असली रकम
बनेगी एक लाख चालीस हजार। ‘म एक लाख दे सकता ।ँ ’ मने भावुकता म कह दया। ईश और ओमी हैरानी से मेरी तरफ देखने लगे
क अब म कौन सी पागलपन क क म बना रहा ।ं
‘एक लाख चालीस हजार क लागत है और तुम मुझे इसे घाटे म बेचने को कह रहे हो?’
‘म हर चीज खरीद रहा ।ं ’
‘अगले महीने मुझे रकम दे देना। तुम एक लाख दस हजार दे देना।’
‘मने कहा एक लाख। यादा नह ।’ मने दृढ़ आवाज़ म कहा।
‘तुम सामान कब ले कर जाओगे। गोदाम वाला इसे ज दी खाली करने को कह रहा है। ‘पंिडत जी ने कहा।
‘आज’ मने कहा।
बाद म जब मने ईश और ओमी को इस सौदे के बारे म बताया तो उनके माथे पर यौ रयां पड़ ग । मुझे यह सौदा सोने क खान लगा।
भारत ने इस सीरीज म अ छा खेला है। कु छ ह त म ग मय क छु यां शु हो जाएंगी। अगर मने ये सारा सामान बेच दया तो म
दुगुनी कमाई कर लूंगा।
‘तुम जानते हो तुम जो करने जा रहे हो या वो ठीक है?’ ईश को संदह
े था। मने उसक ओर देखा। मेरे एक कदम से वह िनराश था। पर
तुम िबजनैस नह कर सकते खतरा मोल िलए िबना।
‘हां, मुझे ठीक लगता है। तु ह मुझ पर िव वास है?’
‘बेशक है।’ उसने कहा। ‘पर उसक लड़क चली गई ह।’
‘ या....?’ म ाकु ल हो गया।
‘तु हारे पास उसके िलए कु छ था।’ ईश ने मुझे याद दलाया।
‘ओह!’ मने कहा और दूसरी तरफ देखने लगा। तु ह कोई अंदाजा नह कसके िलए या था।
मने सोचा।
अगले तीन महीने िबजनैस बड़ा अ छा चला। भारत का हर ब ा मई-जून म के ट खेलता है। मािहर ने भारत-ऑ ेिलया सीरीज को
ऐितहािसक बताया। असली मैच परी ा के दन म होने िनयत ए। छु य म ही के ट भली-भांित खेला जाता है।
‘ या ऐसे हरभजन अपनी बॉल पर पकड़ रखता है?’ एक सात-वष य लड़का के ट बॉल को अपनी छोटी सी मु ी म पकड़ने का यल
कर रहा था।
‘ल मण और मेरा बै टंग टाईल एक जैसा है।’ पाक म खड़े एक दूसरे लड़के ने कहा।
मं दर वाली दुकान पर ाहक तीन गुना हो गए। दूसरी तरफ हमारा होल-सेल का काम और भी अ छा चल रहा था। रीटेलर कभी भी
बुलाना ब द नह करते।
‘ या? पंिडत जी क मीर वािपस जा रहे ह?’
अ छा, गद के दो बॉ स िसटी मॉल पोट शॉप म भेज दगे?’ एक ने कहा। ‘मने पंिडत जी का िबजनैस ले िलया है। हम किहए हम दो
घंटे म िडिलवरी भेज दगे।’
मने सैटेलाइट म एक और बड़ी दुकान को बताया।
‘नह , के वल नकद। अहमदाबाद म अ छा टॉक नह है। आप को अभी चािहए तो पेमट भी अभी।’ मने एक उधार मांगने वाले को कहा।
म कै श का िहसाब रखता था। ओमी िडिलवरी देता था, जब क ईश दुकान पर बैठता था। जब कू ल खुल गए तो वह महीने क स लाई
का काम करता था। हमने चार कू ल को स लाई भेज दी थी। 15 अग त को नैशनल छु ी वाले दन हमने दुकान पर शांित से दन
िबताया। हम पतंगे भी रखनी चािहए, आकाश क ओर देखो, आसानी से धन कमाया जा सकता है।’
मने कहा जैसे ही म कै श िगन रहा था।
‘ज दी से अकाउं ट् स का काम ख म करो।’
ओमी ने कहा। ‘हम चार बजे तक मामा के पास प च
ं ना है।’
मामा ने वत ता दवस पर अपनी रै ली रखी थी, उसी दन िजस दन अली के अ बा का भाषण था अपनी पाट के ितयोगी के िलए।
और यह भी दोन पा टय का आयोजन भी एक ही थान पर था नाना पाक के दो कनार पर।
‘हम वहां चार बजे प च
ं जाएंगे। अ छा अंदाजा लगाओ क हमारा िपछले चार महीन का कतना लाभ है, ‘मने दोन क तरफ देखा।
दोन ने कं धे िहलाए।
‘स र हजार।’ मने कहा।
‘स र या?’ ईश ने कहा।
‘ठीक है। इसम से हम 40 हजार लोन वािपस करने म लगाएंगे। बाक के तीस हमारे ह।’
मने कहा और नोट का एक-एक बंडल उ ह दया।
‘ कसने फै सला कया क रकम को ऐसे इ तेमाल करना है?’ ईश ने कहा। ‘मने, कोई ो लम?’ मने कहा और फर मने महसूस कया क
मने कु छ यादा ही दृढ़ता से यह बात कह दी।
‘नह । फर भी हमारे लोन और कतने रह गए ह।’
‘के वल बीस हजार और, अगर तुम याज भी लगा लो। हम इस वष के अ त तक सारा लोन चुका दगे।’ मने कहा और सेफ को ताला
लगाया। मने चाबी अपनी शट क जेब म डाल ली। म खड़ा हो गया और गोदाम म टॉक चैक करने लगा।
‘ऐ गोिव द,’ ईश ने मेरी बांह पकड़ी।
‘ या?’
‘ऑ ेिलया।’ उसने कहा।
‘कम-ऑन,’ हमने इसे िड कस कर िलया है।
‘हां, ै ड से मुलाकात अ छी रही और अली भी ठीक है। पर वीजा के िलए तीन-तीन हजार भी ज रत है।’
‘ ै ड टकट दे रहा है।’ ईश ने कहा।
‘पर फर भी हम काफ खच करना पड़ेगा। मेरे िहसाब से दस हजार ित ि हम चािहए। चार के िलए चालीस हजार।’ मने कहा।
म भी जाना तो चाहता था, ‘पर म इस झंझट पर इतना खच नह कर सकता था। ‘यह मेरे दस ह’ ईश ने कहा और बंडल मुझे वािपस
कर दया। ‘ऑ ेिलया फं ड के िलए मेरा योगदान।’
मने ईश और ओमी क तरफ देखा। ये लड़के पागल ह, सुपर पागल।
‘ये पैसे घर ले जाओ और अपने डैड को दे दो। तु ह इसक ज रत है।’
‘डैड फर कसी और बात को लेकर झगड़ा कर लगे।’ ईश ने कहा।
‘यह मेरे ह,’ ओमी ने भी अपना बंडल मुझे पकड़ा दया।
‘कम-ऑन ओमी,’ मने कहा।
‘म पैस के िलए यहां काम नह करता। म तुम लोग के साथ ं और पुजारी भी नह बनना चाहता। मेरे िलए यही काफ है।’
‘ठीक है फर हम इसे िबजनैस के िलए बचा लेते ह और...’ मेरी बात म एकदम दखल दया गया।
‘नह यह धन के वल ऑ ेिलया के िलए है।’
‘हमारा िबजनैस ठीक है।’ मने कहा और मने भी अपना बंडल रख दया।
‘ठीक है।’ ईश ने कहा 'अब हमारे पास तीस हजार हो गए। अब अगर तुम इस बार लोन न दो तो।’
‘नह कसी तरह भी नह ईश, लोन तो वािपस करना ही होगा।’
‘हम इसे बाद म दे दगे।’ ईश ने कहा।
‘ईश तुम सुनते नह हो। अगर दूसरे खच बढ़ गए तो या होगा?’
‘िजतना कम हो सके गा हम खच करगे।
हम देपला और खकरा खा कर ही गुजारा कर लगे। ै ड रहने का इं तजाम कर देगा। इस बारे म सोचो दो त,
ऑ ेिलयन के ट टीम’ ईश ने कहा। म बैठ गया और गहरी सांस ली। मेरे दो त, जो आ थक दृि से नह देखते थे, मेरी तरफ ऐसे देख
रहे थे जैसे ब े कडी का इं तजार कर रहे ह ।
‘ठीक है। अ छा यह लडी ैवल एजट कौन है, मुझे उससे बात करने दो।’ मने कहा।
‘हां, चलो हम चलते ह।’ ईश ने कहा और ऐजट का न बर िमलाया।
‘एक ह ता, म अपना िबजनैस और नह छोड़ सकता और वहां रोजाना का खचा भी काफ होगा। मने कहा जैसे ही मने फोन पकड़ा।
ओमी ने फोन काट दया। और कहा 'बाद म, आओ अभी हमने नाना पाक जाना है।’
‘दो बार। उ ह ने दो बार अयो या क भूिम को खोदा। दो बार’, मामा ने दो उं गिलयां उठा ।
उनक आवाज गूंज रही थी, लाऊड पीकर अ छे न होने के कारण, उनक आवाज का भाव अ छा नह पड़ रहा था। म और ईश पहली
पंि के एक िसरे पर बैठे थे। ओमी टेज। पर खड़ा था। पाट बैज लगाए वह अपने को िवशेष समझ रहा था। बेशक वो छोटी-मोटी चीज
पकड़ाने के िलए ही खड़ा था। उसक िज मेदारी थी टेज पर बैठे लोग तक िमनरल वॉटर क बोतल प च ं ाने क ।
‘मामा ने पि लिसटी के िलए अ छा काम कया था। दो सौ लोग थे। जब क दूसरी पाट सामने काम कर रही थी
उसके िहसाब से। उ मीदवार हसमुख जी बड़े अनुभवी राजनीित थे और पारे ख जी के पुराने सहयोगी। वे मंच के बीच म बैठे थे। मामा
हसमुख जी के िलए पांच िमनट के भाषण का आन द ले रहे थे, माईक के सामने।
‘ब त पीछे 1978 म अयो या म सरकार ने अपने तर पर काम करवाया और मं दर के सबूत हािसल कए। पर हमारी सैकूलर सरकार
ने उ ह दबा दया। फर 1992 म हमारे कार सेवक को काम करने के िलए भेजा गया और उ ह वहां कु छ ा आ।’
ईश ने अपनी उं गिलयां चटकाई और मामा के भाषण म िवराम िच ह लगाने लगा।
‘वहां उ ह हरी-िव णु के लेख िमले िजनसे मािणत होता था क ाचीन काल म वहां मं दर था इसम कोई संदह
े नह । पर सैकुलर पाट
ने इस समाचार को भी दबा दया। उ ह ने कार सेवक को अपना ल य बनाया और उ ह िव वंसक घोिषत कर दया। पर उस ऐवीडस
का या आ उस माण का या आ। या एक िह दु भारत म अपने िलए याय मांग सकता है या नह ? हम कहां जाएं? अमरीका म?’
सबने करतल धि क जैसे ही मामा टेज से नीचे उतरे , सबने साधुवाद कया। मामा म उ मीदवार होने क यो यता है, मने सोचा।
अब हसमुख जी माइक पर आए। उ ह ने जनता से िवनती क क वे सब आंख बंद कर गाय ी मं का तीन बार जाप कर। यह सदैव
वाथ िस करता है। जनता पर इसका भाव पड़ा। हसमुख जी के एक भी श द बोलने से पहले जनता उनक ालु हो गई।
ओमी टेज से नीचे उतरा और मेरे पास आया। ‘गोिव द मामा चाहते ह क तुम अली के डैड क रै ली म जाओ और कु छ समाचार लाओ।
और ईश या तुम मेरे साथ टेज के पीछे आ सकते हो, ै स सव करनी ह।
‘पर य ?’ म हड़बड़ाया।
‘तुम ने वादा कया था क तुम मामा क मदद करोगे। याद है?’ ओमी ने कहा। उसका रे शमी बैज हवा म फहरा रहा था।
म पाक के दूसरी तरफ चला गया था दूसरी रै ली म। यहां नारं गी रं ग कम और सफे द यादा था।
‘गुजरात बुि मान का रा य है।’ अली के अ बा कह रहे थे, ‘राजनीित और धम अलग-अलग े ह, वे इस बात को जानते ह।’
म अंितम पंि म बैठ गया और आँख घुमा कर भीड़ को देखा। मामा क रै ली म जहां के वल िह दु थे, इसके उ द वहां िभ -िभ धम ,
जाितय के लोग थे। जैसा क मामा कहते ह अगर सैकुलर पाट इतनी प मुि लम है तो फर यहां इतने िह दु य बैठे ह?
‘देवता िजनक हम पूजा करते ह, अपने समय म वे राजनीित से दूर रहते थे। अगर हम वा तव म उ ह भगवान मानते ह तो हम अपने
धम को राजनीित से अलग रखना चािहए। धम िनजी है, जब क राजनीित जनता क ।’
अली के िपता ने कहा।
‘तुम पाट के सद य हो?’ कसी ने मुझसे पूछा। मने िसर न म िहलाया। मने अंदाजा लगाया, वह िह दु था।
‘तु हारे बारे म?’ मने कहा।
‘हां, पी ढ़य से।’ उसने कहा।
अली के िपता ने मु य उ मीदवार गुलाम िजयार को मंच पर आमंि त कया। य ही वे बोलने लगे, माईक बंद हो गया, पैड टल फै न
क घघराहट क गई। भीड़ म फु सफु साहट होने लगी। या िबजली चली गई है? नह यहां इनके जैनरे टर लगे ए ह।
‘यह तोड़ फोड़ का मामला है, िह दु ने यह सब कया है। वातावरण म तनाव पैदा हो गया था। लोग िह दु रै ली पर हमला करने क
बात करने लगे।’
‘हम उन लोग को सबक िसखाना चािहए।’ एक ह ा-क ा ि बोला और उसने कु स उठा ली। मुझे समझ नह आ रहा था क म
मामा के पास जाऊं और चेतावनी दू।ं
‘िबजली आ गई है, लेडीज ड जटलमैन लीज बैठ जाइए।’ अली के िपता मंच पर हाथ जोड़े आए। पंखे फर चलने लगे
मुझे वो क संग िच पज स क बात याद आ गई, समझौतावाद क । पर यहां कोई चु बन नह थे। के वल कु सयां फक जाती ह जब भी
िबजली बंद होती है।
म बाहर आ गया। मने एक ैवल एजट को बुलाया। हम ऑ ेिलया के िलए चार पासपोट और िवजा के िलए स लाई करना चाहते ह।
और हां मुझे खचा ठीक बताना।’
म गुलाम िजयां के भाषण म वािपस आ गया। अली के िपता ने मुझे देख िलया था। वे मेरे पास आए। ‘गोिव द भाई, आपक बड़ी
इनायत है। आप यहां कै से आए? आपका वागत है।
‘आपने ब त अ छा बोला। आप जानते ह ईश का अली को ऑ ेिलया ले जाने क लान है?’ मने कहा।
‘उसने मुझे बताया था, इं शाअ लाह, आप जाओगे। अली ईशान भाई का नाम दन म कम से कम दस बार लेता है। कभी-कभी मुझे
लगता है क ईशान भाई मेरे से यादा उसका िपता है। गोवा, ऑ ेिलया, मने कभी उसको इं कार नह कया। या वह यहां नह है?’
‘वह और ओमी...’
‘दूसरी रै ली म ह, यही न? फ न करो। म समझता ।ं तु हारी पसंद।’
‘म िबजनैसमैन ।ं मुझे राजनीित म कोई दलच पी नह ।’ मने कहा 'अब म जाना चा ग
ं ा।’
वे मेरे साथ चलने लगे। ‘म भी आपके साथ चलता ,ं ईशान भाई को िमलने।’ म उ ह बताना चाहता था क मामा क रै ली म उनका
जाना खतरे से खाली नह । राजनीित बेशक टाईम-पास हो सकता है पर मामा के िलए तो यह िज दगी और मौत है। म चुप रहा जैसे ही
वे मामा क रै ली क तरफ चले। हसमुख भाई अभी भी जारी थे, तािलय क गूंज म। ‘अपना हाथ अपने दल पर रखो। तु ह नह लगता
तुम िह दु के साथ गलत हो रहा है? और अगर हजार साल पहले हमारी स यता और हमारा शासन सबसे अ छा था, तो अब य
नह हो सकता?’
मामा ने हम देख िलया था और अंगुली से संकेत कया। भीड़ म से कु छ लोग ने मुझे और अली के िपता को देखा।
‘ओए! यह कौन है?’ एक पाट काय-कता ने कहा।
भीड़ ककश धि से हम पर िच लाई।
अली के िपता को दाढ़ी िबलकु ल अलग लग रही थी।
‘यहां से चले जाओ, देश ोही,।’ भीड़ म से एक ि बोला।
‘हम इसे सबक िसखाना चािहए।’ एक और ि ने कहा।
हसमुख जी ने बोलना बंद कर दया।
क मत से वे चुप रहे।
अली के िपता ने मामा और हसमुख जी को हाथ िहलाया।
‘आप चले जाइए अली के अ बा।’ म िबना उनक ओर देखे फु सफु साया।
ओमी भागता आ मेरे पास आया और मेरा हाथ पकड़ िलया। ‘तुम यह या झगड़ा कर रहे हो? मने तु ह जासूसी करने के िलए भेजा था
और तुम दूसरे जासूस को लेकर आ गए?’
अली के िपता ने ओमी क बात सुनी और मेरी तरफ देखा। मने अपना िसर िहलाया। उ ह ने मुझे माईल दी जैसे वे सब जानते ह और
वािपस जाने के िलए मुड़।े
‘मने इसका अंदश
े ा भी नह होने दया।’
म वािपस िच लाया। मुझे शक है उ ह ने सुन िलया था।
तेरह

‘पहले गोवा, अब ऑ ेिलया। तुम या िबजनैस करोगे?’ िव ा ने कहा। उसक आंख एक पए के नए िस े िजतनी बड़ी।
‘ ै ड ने अपना वादा िनभाया जब ईश ने उसे दोबारा िलखा। हम मेल से टकट िमल गए।’
मने कहा। हमारी लास ख म हो गई थी और म उसे अपने जाने के बारे म बताना चाहता था।
‘सो, कौन से दो लोग जा रहे ह?’ उसने कहा।
‘दो नह चार। अली और हम तीन जा रहे ह।'’
मने कहा।
‘लक , ब बसा’, वह हंसी।
‘इसीिलए म दस दन के िलए जा रहा ।ं पर तु हारी कताब नह । िव ा मेरे सभी टू डट् स अ छा काम करते ह। लीज मुझे नीचा न
दखाना।’
‘तुम भी न करना।’ उसने कहा।
‘कै से?’
‘छोड़ो, बताओ ऑ ेिलया म तुम कहां जाओगे?’
‘िसडनी, ै ड वहां का रहने वाला है। अली उसक ऐके डमी म एक ह ता ैि टस करे गा। तु हारा भाई जब कसी बात पर अपना मन
बना लेता है तो उसके िलए वह कसी भी हद तक जा सकता है।’
‘िबकु ल मेरे से उलट। म कसी बात पर फोकस नह कर सकती। मुझे लगता है म वेश परी ा पास नह कर पाऊँगी। और मुझे कालेज
म भी इसी नरक जैसे घर म रहना होगा और फर मेरी शादी गुजरात के कसी बैकवड पाट म कसी ऐसे ही नरक-घर म हो जाएगी।’
‘गुजरात बैकवड नह है।’ मने िवरोध कया।
‘हो सकता है म ब त फारवड ह ऊं?’
हमने फर आंख ब द कर ल । वेश-परी ा म िव ा ज र पास हो जाएगी। मने उसक गाईड क कताब खोली।
‘पढ़ाई इतनी बो रं ग य होती है? तु ह वो अब य करना पड़ता है िजसम तु हारी कोई दलच पी नह होती िज दगी म कु छ बनने के
िलए?’
‘िव ा, कोई दाशिनक नह । मै स के सवाल के वल, हां।’ मने कहा और जाने के िलए खड़ा हो गया।
‘ या तुम ऑ ेिलया से मेरे िलए कु छ लाओगे?’
‘अपने भाई से कहना! वह ला देगा जो तुम चाहती हो।’ मने कताब ठीक क । कसी भी तरह नह । म ज रत से यादा खच नह
क ं गा। ‘बात यह है क हमारा बजट थोड़ा है।’ मने प ीकरण दया।
उसने िसर िहलाया जैसे वह समझती है यह बात।
‘तो, या तुम मुझे िमस करोगे?’
म नीचे देखता रहा।
‘ या इसम भी तु हारा बजट है क तुम कतने लोग को िमस कर सकते हो?’ उसने कहा।
‘िव ा अपना काम कर लेना मै स का, फोकस।’
मने कहा और बाहर िनकल आया।
‘आप लोग थक गए ह गे या ैि टस करना चाहते हो?’ ै ड के पहले श द थे जब वह एक हवाई अ े पर हम लेने आया था।
‘मेरा बैड कहां है?’ म पूछना चाहता था।
हमने अहमदाबाद से ब बई तक पूरी रात सफर कया था ैन म। फर छ: घंटे ती ा क , फर चौदह घंटे क लाईट ली िसडनी के
िलए संगापुर होते ए। तीस घंटे के सफर ने बुरा हाल कर दया था और अब म सोना चाहता था।
‘ओह, हमारा ैि टस का टाइम फ स हो गया है।’ ईश िसडनी क गिलयां देख रहा था! सुबह सात बजे जॉगस जॉग गंग कर रहे थे।
कॉफ क दुकान थी, साथ म खाने क चीज।
मने बैग म रखे अपने खकरा को टटोला। हम यहां इस शहर म के क खाना अफोड नह कर सकते।
‘म सुबह एके डमी- ाउं ड म चला जाता ।ं ’ ै ड ने कहा, गैस जलाते ए। ‘मने हॉ टल म तु हारा इं तजाम कर दया है। कु छ ना ता कर
लो। शाम को फलीप तु ह ैि टस के िलए ले जाएगा।’
‘लड़को, यह अली है। वह एक बैट्स मैन है।’ ै ड ने दूसरे िखलािड़य को बताया जो ैि टस के िलए आए ए थे। फिलप के अित र
वहां एक थोड़ा मोटा सा लड़का था, पीटर और एक च माधारी लड़का टीव। बाक लड़क के नाम मुझे याद नह । ै ड ने कहा; पांच
च र सबके ।
बाउं डरी लाइन के साथ-साथ, कोई शाट-कट नह ।’
ऑ ेिलयन ैि टस के पहले दो घंटे मौत क ैि टस जैसे थे। एके डमी के पांच च र का मतलब था नाना पाक के बीस और बक के
िपछले ाउं ड के पचास च र। दौड़ के बाद हमने अनिगनत डंड-बैठक तथा और कसरत क । तीन-तीन िश क पांच-पांच ब क
िनगरानी कर रहे थे। पहली बार म दद से कराहा। एक भागता आ मेरे पास आया। उसने कहा 'अगली बार यह ामा न करना दो त।’
इतने क ठन अ यास के बाद हम िपच पर आए। मने उ ह बताया क म िखलाड़ी नह ।ं पर मने फ ड करना है कसी भी तरह।
‘यहां बॉल है।’ ै ड ने अली को बॉल दी।
‘वह बाउ लंग नह करता,’ ईश ने कहा।
‘म जानता ँ उसे बल करने दो।’
ै ड ने ताली बजाई।
फिलप बाउं डरी पर मेरे साथ ही खड़ा हो गया फ डंग के िलए।
‘यह बल या होता है?’ मने उससे पूछा।
फिलप हंसा, ‘इसका मतलब है उसे कोिशश करने दो।’
ईश को िवके ट-क पर बनने को कहा गया, पर ै ड ने उसे ि लप पर रहने को ही कहा। इन टेट-लेवल के िखलािड़य के िलए अली क
बाउ लंग कोई मैच नह रखती थी। रोजर ने कई बार बॉल को बाउं डरी क तरफ जोर से मारा। एक बार बॉल मेरे और फिलप के बीच
म आ गई। और हमारे िलए क ठन हो गया इसे पकड़ना। ‘रै टल सूअर डैगज, मेट’ एक और फ डर मुझ पर िच लाया। कोई भी मुझे
बताने वाला नह था क इस का अथ है 'ज दी करो'।
मने बॉल वािपस फक दी। म यहां इस ऑ ेिलयन ाउं ड के बीच या कर रहा ।ं
य य दन बीतता गया मुझे ऑ ेिलयन श द का शान होता रहा’ 'ओ या’ का मतलब था’ तुमने अ छा कया। ‘मतलब अ छा
खेला। एक आसान बॉल के िलए 'पीस ऑफ िपस’ जब क अ छी के िलए ‘पैकड ए वैलोप'। म छर के िलए ‘मूजीज’ और सॉ ट क
ं के
िलए ‘को डीज'। जब मने एक ेक िलया तो फिलप फर आ ेिलयन म बोला 'यू गॉट टू िसफोन द िपथौन, इज इट?’
अंधेरा होने लगा था।
‘पैक-अप टाईम है’ ै ड ने कहा जब क अली ने अभी तक बै टंग नह क थी। ै ड आया, ईश के पास कमरे म और आंख से ही पूछा, कै से
हो?
‘म ठीक ’ं ईश ने कहा। ओमी और अली लब से बाहर सैर करने गए ए थे।
‘फे यर िडनकम?’
ईश लकड़ी के कू ल पर बैठ गया था, उसे देखने लगा।
‘वह कह रहा है क तुम सच कह रहे हो’ मने नई भाषा को समझने क कला दखाई।
‘कल ैि टस कतने बजे है, ै ड, हो सके तो इं ि लश म बताना। ‘ईश ने कहा। ‘यू ए वंगर?’ ै ड ने कहा।
‘ वंग का मतलब....’ मने कहा जैसे ही ईश ने दखल दया।
‘म जानता ं क िव ज का मतलब या होता है, या मुझे कोई बता सकता है क एक ब लेबाज को हजार मील दूर से बुलाकर फर
भी उससे ब लेबाजी न करवाना। ै ड मु कु राया 'ओह तो तुम चाहते थे क तु हारी छोटी खोज ब लेबाजी करे । कसिलये ता क वह
कोई जड़ सके । तुम चाहते हो क ब ा पहले दन से ही चमकने लगे।’
‘नह , मेरा यह....,’ दो त म ब त सी यो यता देखता ं इसम। हर ए. आई. एस. वजीफा लेने वाला ब ा अपने आप पर टकट रखता है।
अगर म उनका अहं नह तोड़ता तो वे सारा जीवन नस ही रहते। िखलाड़ी फ मी िसतारे नह होते। हालां क तु हारा देश उनसे ऐसा
ही वहार करता है।’
‘ले कन फं ड.....।’
‘तुम भारतीय के पास अ छा कौशल है ले कन िश ण. .. ..उस पर मेरा िव वास करो दो त।’
‘हम यहां के वल एक स ाह के िलये ह।’ ईश असहाय सा बोला।
‘म इस स ाह को उ पादक बना दूग
ं ा। ले कन आज का अ याय ब त मह वपूण था। अगर वह न नह है तो, वो यादा दन नह
चलेगा। ै ड ने अपनी घड़ी क तरफ देखते ए कहा। ‘कभी मुझे िमस अस का वायदा करो तो म दु हन क नाईटी क तरह खुला ।ं ’
‘िचयस’ सब िच लाय हमने अपनी फोर ए स बीयर क भूरे रं ग क बोतल जो क फोर ए स के प म भी जानी जाती ह, को
ठनठनाया।
‘हाय’ हैजल ने जो क हमारी शराब परोसने वाली थी ै ड से िलपटते ए कहा। ‘ओह'... ै ड के िव ा थय ने उसे देखते ए कहा।
‘कोई फायदा नह दो त िमसअस मुझे कसी और क तरफ देखने क आशा नह देगी। ले कन तुम सभी कुं वारे हो। भारत म तुम सब के
आस-पास सु दर लड़ कयां ह गी।’
हर ि हमारी तरफ देखने लगा। ‘हमारी कोई मिहला िम नह है’ ओमी बोला।
‘ले कन य ? भारतीय ि यां हॉट ह?’’ िमशैल ने अपनी आंख को मटकाते ए कहा।
‘काम म त रहता ,ं ’ मने कहा।
‘ त’ कभी ऐसी आ यजनक बात नह सुनी। ‘रोजर ने कहा। सभी हंसने लगे।
उन चार सु द रय को देखो िमशैल बोला जैसे ही चार लड़ कयाँ अ दर दािखल ई। ाउन रं ग के कपड़े पहने वह लड़क बुरी नह लग
रही। िमशैल ने कहा ''एन. सी. आर -5
‘एन. सी. आर. - 10’ रोजर ने कहा
‘और नीले रं ग वाली’ फिलप बोला
वह एन. सी. आर. है रोजर बोला।
सभी हंस पड़े।
‘यह एन. सी. आर या है?’ मने पूछा।
एन. सी. आर. है आपको कतने कै न क आव यकता है। आपको कतने बीयर शराब क आव यकता है एक लड़क के साथ के िलये ै ड
ने कहा।
िमशैल एक बार एक बदसूरत लड़क को डेट पर ले गया। उसने माना यह एनसीआर 40 था। रोजर ने कहा। सभी िखलिखलाए।
‘यह लो, भूखे लड़क ’ हैसल ने- लेट पकड़ते ए छेड़खानी के अ दाज म कहा। ऑ ेिलयन यादा मीट खाते ह। हम िपजा पर ही स तोष
करना पड़ा य क यह के वल जानी पहचानी िडश थी।
‘तुम लोग को यादा ोटीन खाने चािहये।’ िमशैल ने खाते ए कहा।
‘म हर रोज दो लीटर दूध पीता ।ं ’ ओमी बोला।
ईश, ै ड के साथ बैठा था। म दोन क बात-चीत नह सुन सकता था ले कन मने ईश को कई बार िसर िहलाते देखा। मने ऑ ेिलयनस
क कहािनय को छोड़कर ईश क तरफ ख कया।
‘अगर तुम बॉउलर हो और बॉल तु हारे हाथ म है तब तुम खेल का िनय ण कर रहे हो। तु ह ब लेबाज को यह अहसास करवाना
चािहये क बॉस कौन है।’ ै ड कह रहा था। ‘'अली के िलये भी यही बात है उसे शॉट मारने क आव यकता नह है, आव यकता इस
बात क है क दूसरी टीम को बताय क बॉस कौन है।’
‘सही बात’ ईश बोला।
‘मेरे, िखलाड़ी अली को गद करने के नये तरीके ढू ंढ लगे एक िन यी मन, एक उपहार को िनयि त कर सकता है। एक िवजेता के पास
दोन ही होते ह, ‘ईश ने गदन िहलाई।
‘हाय गोिव द’ ै ड ने मुझे पहचान कर बोला। ‘'तुम मूल टप नह चाहते हम यहां कोच के बारे म बो रयत बात कर रहे ह।’
ईश का सीना गव से फू ल गया जब ै ड ने उसे बराबरी का तर दया।
मने कु छ याद करते ए कहा, ‘तुमने कल कसी वजीफे के बारे म बताया था, वो या था? स ाई म ऑ ेिलया म खेल म कस तरह के
काय होते ह।’
तुम जानना चाहते हो ऑ ेिलयनस हमेशा य जीतते ह?
‘ले कन हमेशा नह जीतते।’ ईश बोला हमेशा नह , हम ित िं य पर धाक जमाना अ छा लगता है पर साथ ही समानता का खेल
पसंद है। और फर यह जब एक चुनौती हो तो यह आप म से सव म िनकाल कर लाता है।
‘हाँ चाहे हर बार नह पर फर भी ऑ ेिलया काफ जीतता है। हर ओलंिप स म ऑ ेिलया ब त से मैडल जीतता है। के ट म भी
उन का वच व कायम है। यह य है, ै ड मने पूछा।
‘दो त, इसके ब त से कारण ह। ले कन यह हमेशा इस तरह नह होता।’ फै ड ने पानी का घूंट पीते ए कहा।
स ाई यह है क 1976 म मौि यल क ओलंिपक खेल म ऑ ेिलया ने एक भी पदक नह जीता था।
‘ले कन िपछले साल तु हारा दशन अ छा था।’ ईश बोला।
‘हां’ िसडनी, 2000 म ऑ ेिलया ने 56 पदक जीते थे और वह के वल अमे रका, स और चीन से ही पीछे था। इन सभी देश क
जनसं या दस गुणा यादा थी।’ वह कु छ देर चुप रहा फर बोला, ‘आ ेिलयनस ने मैि यल क असफलता को एक रा ीय-अपमान के
प म िलया। इसिलये सरकार ने ऑ ेिलयन पोट सं थान अथवा ए. आई. एस. क थापना क और दुिनया के बेहतरीन सकॉलरिशप
काय म क शु आत क ।’
ै ड ने िगलास खाली कया और फर कहने लगा, ‘आज ए. आई. एस. के पास सैकड़ कमचारी ह िजन म कोच, डा टर और फजी
शािमल है। उ ह 200 िमिलयन डॉलर का फं ड िमलता है और उनके पास शानदार सुिवधाएं भी ह। वे एक वष म 700 वजीफे देते ह।’
ै ड ने पेगेटी क लेट मेरी तरफ बढ़ाई।
मने यह सब रबन जैसे पा ता के साथ उलझते ए सुना। मने िहसाब लगाया अगर आ ेिलया म 700 वजीफे दो करोड़ लोग के िलये ह
तो भारत म इसके बराबर कतने वजीफे ह गे। यह एक वष म 35 हजार के बराबर था।
‘यह वजीफा या है? पैसा?’ ईश ने जानना चाहा।
‘के वल पैसा नह , दो त यहां हर चीज का वजीफा है। द को चंग, रहने क व था, खेल क पधा म जाने का वजीफा, खेल, िव ान,
दवाइयां, आप नाम लीिजये। सबसे बेहतर भाग उस समुदाय के िलये यह है क उनक एक ही खेल के ित वचनब ता है। म इस
भावना को ान नह कर सकता।’ ड चमकती आंख के साथ बोला।
‘म इस भावना को जानता ।ं ’ ईश ने कहा। हालां क ईश क आंख नीली नह थ पर वे उसक आंख के समान ही चमक रही थ ।
प रवेिशका ने हमारी लेट उठाई जैसे ही हमने अपना खाना ख म कया।
‘वजीफा के काय म से आने वाले कोई िस िखलाड़ी।’
हीपस, माईकल बेवन, एडम िगल ट, जि टन लेगर, डेिमन मा टन, लैन मैक ैथ, रक प टंग, एंड़ीव समड् स, शेनवान'।
‘ या बात कर रहे हो? यह सब महान के ट िखलाड़ी ह।’ ईश ने कहा।
‘महान-अ छा श द है।’ फै ड ने हंसकर कहा, ‘आशा करता ं म भी एक दन वहां प च
ं ूंगा।’
‘तु हारे पास भी वजीफा है।’ मने कहा।
ै ड ने गदन िहलाई।
‘ ै ड तब तुम महान हो।’ ईश ने कहा।
‘नह , म के वल आर भ कर रहा ।ँ और लड़को, म तु ह बताना चाहता ं क सारी महानता क बात दूरगामी ह। तुम थोड़ी सी यो यता
दखाओ, इसे लागू करो और अ छा अपने आप होता चला जाता है। इस आशय से ऑ ेिलया महान लोग को पैदा कर रहा है।’
‘और या हम नह कर पा रहे?’ ईश ने पूछा।
‘बेशक, तुम कर सकते हो, य िप वतमान म तुम िश ण क अपे ा यो यता पर िव वास कर रहे हो। तु हारे पास अिधक जनसं या है
और उन म से कु छ पैदाइशी यो य है जैसे क ते दुलकर और कह सकते ह अली जैस।े ’
‘हां,’ ईश ने अपनी हथेिलय को मसलते ए कहा, ‘सोचकर देखो क या हो अगर इस तरह का िश ण भारत म िमल सकता हो?’
‘ के ट ख म हो जायेगी। भारत का वच व होगा और हम जैसे कह दखाई नह दगे। कम से कम हम अभी अपने आपको ''महान'’ कह
सकते ह। ै ड ने आिखरी श द पर अपनी अंगुिलयां घुमाते ए कहा।
अगले दन अली ने ब लेबाजी कई।। हर गद-बाज को उसके छ का सामना करना पड़ा। हालां क अली ने अपने आप को संयत रखा
और सही खेल खेला। उसने अध शतक कई बार बनाया। शु वार क सुबह, अली ने एक र ा मक शॉट खेला। गद अिधक दूर नह गई,
अली ने ज पर ही रहने का िनणय िलया।
‘भागो, यहां एक रन िमल सकता है।’ अली सीमारे खा से िच लाया।
‘भागो अली’ ईश फर बोला अली िनदश िमलने पर हैरान हो गया, फर भी भागा।
‘तेजी से’ ईश िच लाया, ‘'सोते न रहो।'’
अली और तेज भागा जैसे ही मैदान र क ने बॉल गदबाज को वािपस क । “कू द '’ ईश ने कहा। अली ने छलांग लगाई वह ज म आ
गया, पर अपने पूण शरीर के वजन के साथ अपनी दािहनी एड़ी के भार पर िगर गया। हर कोई उसक तरफ भागा। वह मैदान म पड़ा
अपने दांत को कट कटा रहा था और अपने आसु को रोकने क कोिशश रहा था।
‘ओह, उठो। नाटक के िलये कोई समय नह ।’ ईश ने कहा।
‘आराम से दो त’, ै ड ने ईश को कहा और फिजओ को इशारा कया। कु छ ही िमनट म डा टर के सहयोगी प च ं गए और अली को
सूजी ई एड़ी पर बफ रखी। ‘ क मत वाले हो, ह ी नह टू टी, न ही इधर-उधर ई है’, लगता है ायु इधर उधर हो गये ह।’ फिजय
ने दद िनवारक गोिलयां देते व प यां बांधते ए कहा। अली फिज पर झुक गया जब उसने खड़े होने क कोिशश क । ‘दो दन के
िलये आराम करो, तुम अ छे हो जाओगे।’
‘िच ता न करो, यह कु छ ही घ ट म ठीक हो जायेगा। ‘'ईश ने एक िखिसयाना सा भाव िलये ये कहा। लािन उस क आंख म दख
रही थी।
‘'सभी यहां आओ और बैठो,’ ै ड ने ताली बजाई।
हम ै ड के आस-पास च र बना कर बैठ गये।
‘'तुम बड़े लड़के हो और सश िखलाड़ी हो। तुम अपना सम त देना चाहते हो। ले कन म यह नह चाहता क तुम अपने शरीर क
सीमा का भी यान रखो। ‘म देता ,ं ईश ने बोलने क कोिशश करते ए कहा। ले कन वहां एक रन था और यही है जो हम भारतीय
खो देते ह। हम छलांग लगाना नह चाहते। हम खतरा लेना नह चाहते।'’
‘खेल मदाना ताकत दखाने के िलये नह है तुम एक ण म यह बात नह भूल सकते।'’
‘भूलना, या।’ मने कहा।
‘भूलना यह क तु हारा एक नाजुक शरीर है, इसे खो दोगे तो कही के नह रहोगे। तु ह इसक स भाल रखनी चािहये। और ईश, तु ह
अपने िव ा थय का याल रखना चािहए।’
ईश ने अपना िसर शम से झुका िलया।
‘मने अपना कै रयर शु ही कया था जब मेरी कमर दद ने मेरे खेल को ख म तक कर दया था।'’
ै ड ने कहा म कसी दुकान म अपना बाक का जीवन सूट बेचते ए गुजारता य क वही काय था जो मुझे िमल सकता था।’
उसने अपनी बात जारी रखी ''मने भी यही गलती क थी म खेल के िलए अपने आप को मारना चाहता था, म उस दन खेलूंगा। ले कन
अगर तुम ल बा कै रयर चाहते हो तो दूर क सोचो। हां, जोश मह वपूण है ले कन मैच के समय अपने आप को संयत रखो।’
ईश ने बाद म ै ड से माफ मांगी।
‘म नह चाहता था क अली को चोट लगे।’
‘ब ा अ छा है, मेरे पास तु हारे िलये एक अ छा समाचार है, तुम शिनवार शाम को जा रहे हो।’
ईश ने कहा,’ 'हां दो दन के भीतर, िव वास नह होता एक स ाह इतनी ज दी बीत गया।’
‘रिववार का ना ता मेरे साथ करना म तु ह कसी िविश ि से िमलवाना चाहता ।ं ’
बो डी बीच इतना सु दर है क इसे अपनी वयं क एक कॉफ मेज पु तक क आव यकता है। ऑ ेिलया के आसमान का रं ग, भारतीय
आसमान से िभ है। यह वा तव म उस कार लगता है जैसा क हम रं ग क दुकान पर नीले आसमानी रं ग को देखते ह। यह इतना
कड़क है क आपक आंख दद करने लगती ह। यहां कोई दूषण नह है और मील तक समु को देखा जा सकता है। कनार पर शांत
महासागर रे त के साथ िमल कर लहर पैदा करता है। ये इतनी मजबूत होती है क आप इन पर चल सकते ह फर भी इतनी नरम क
आपको आराम प च ं ा दे।
ले कन उन ग मय म बीच का सबसे अ छा भाग वहां के लोग थे जो क पु ष नह थे। हां ये वे औरत थ जो शानदार और ऊपरी व
के िबना थी। और अगर आप ने जीवन म इससे पहले कभी टॉपलैस औरत को नह देखा तो यह थान आपके िलये सव म है।
ईश ने सीटी बजाई। ‘'यहां सैकड़ क तादाद म औरते ह और एक से बढ़ कर एक।’
यह सच था, ऐसा महसूस हो रहा था मानो दुिनया क सभी औरत ने बो डी म िमलने का िनणय िलया था।
‘तुम छाता चाहते हो,’ मने कहा जैसे हो हम उस शानदार दृ य क जगह पर प च
ं ।े छ : टॉपलैस औरत सबी खेल रही थ ।
ओमी ने इशारा करते ए कहा 'तुम उनके िन.. .देख सकते हो।’
‘यहां सौ के करीब औरत ह।’ इसिलये हम देखने के िलये सौ तन ह। मने कहा,
‘और मुझे हर थान पर िहसाब- कताब लगाने के िलये उ ह ने छेड़ा।’
उस थान पर बड़ा होना जहां िबना बाबू का लाउज एक दृ य खड़ा कर देता था। ‘टॉप ऑफ’ एक एम. बी. ए. के श द म एक
श द पावली है।
‘म उनके साथ नह खेल सकता, य क म कभी भी सबी क तरफ नह देखता।’ ईश ने कहा।
मने कहा’ उस भूरे बाल वाली को देखो वह भारी भरकम है।’
ओमी ने कहा, ‘यह वह है जैसा वग है मेरी आंख झपकने के अभाव म दुखने लग है।’
यह हा या पद था क कु छ ही िमनट म नंगे तन दनचया जैसे लगने लगे। मेरा मानना है क आपको अ छी व तु क ज दी आदत
पड़ जाती है। म एक समय म सौ टॉपलैस मिहला को देखने क अपे ा एक िनव औरत को ित दन सौ दन तक देखना चा ग ं ा। म
रे त पर बैठ गया। ईश और ओमी ज दी समु म तैरने चले गये और अगर देखना है क िनव औरत और कतनी शानदार लग सकती ह
तो गीले हो जाइये। हां, हम बीमार वृि के लोग ह।
मने एक शानदार औरत को अपने करीब एक छतरी के नीचे बैठे देखा। उसने अपनी िबकनी के ऊपर एक कमीज डाल रखी थी और
उसक पीठ मेरी तरफ थी। उसके ल बे काले बाल उसक कमर पर िगरे ए थे। उसने अपने बाल म कु छ लगाया। शायद तेल अथवा
लोशन जो अ सर लड़ कयां अपनी मौजूदगी को दखाने के िलये योग करती ह।
मेरे अ दर कु छ होने लगा। मने ऐसा महसूस कया जैसे कोई मेरी छाती दबा रहा है। वह औरत िव ा क तरह अपने बाल म मािलश
कर रही थी। मने देखा ओमी और ईश कु छ दूरी पर पानी म खेल रहे थे। वे एक दूसरे को ध ा मार कर हंस रहे थे। तरह-तरह के िवचार
मेरे मन म आने लगे जैसे उसके बाल म हाथ फे रना। या यह अ छा नह होता क िव ा यहां होती। या ये वह नह है जो वह सबसे
यादा चाहती। आजादी सब चीज से। या उसे बो डी भावना नह आ सकती थी, य िप म उसे मार देता, अगर वह िबकनी म घूमती।
एक िमनट ठहरो, या म मार देता या उसका भाई ईश उसे मार देता। म य िच ता क ं ! ले कन म क ग ं ा क म मार देता और म उसके
बारे म य सोच रहा ं जब क यहां अनिगनत िनव औरत मुझ आक षत करने के िलये ह और य म सोने से पहले उसके बारे म
सोचता ं और म अपने मन को इस कार के बेवफकू फाना सवाल को पूछने से रोक य नह सकता। अगर आप हजार मील दूर न
तन के बीच म होते ये भी कसी लड़क को याद कर रहे ह तो कु छ न कु छ गलत है। मने अपनी डायरी िनकाली जो म हर समय अपने
साथ लेकर चलता था। म अगले तीन महीन का बजट बनाना चाहता था। मुझे एक ल बा बाल िमला जो ना मेरा, ना ओमी का और ना
ईश का था। म के वल एक ही ि को जानता ं िजसके ल बे बाल ह। मने डायरी उसे भुलाने के िलये खोली थी ले कन इससे वो और
भी यादा याद आने लगी।
ओमी भागता आ मेरे पास आया। पानी उसके शरीर से मेरी टांग पर िगरा, मने अपनी डायरी ब द कर दी।
उसने अपनी सांस पर काबू पाते ए कहा, ‘पानी मजेदार है, इसके अ दर आओ।’
मने कहा’ मुझे काम है मने एक फोन करना है।’
‘ कसे?’
मने-उससे आंख िमलाय िबना कहा, “पू तकता को'।
‘यहां से या महंगा नह होगा।’
‘छोटी बात क ं गा, मुझे कु छ िस क आव यकता है। ‘मने िस को लेते ए कहा।
‘तुम बो डी पर काय कर रहे हो, ‘कु छ भी हो म छलांग लगाने के िलये दोबारा जा रहा ।ँ ’ ओमी ने वापस समु क ओर भागते ए
कहा।
मने अपना सामान इक ा कया और बीच क दुकान क तरफ चल पड़ा, मने वहां एक सावजिनक फोन पाया।’ मने उसका न बर
िमलाया।

Downloaded from Ebookz.in


चौदह

फोन दो बार बजा। मने उसे काट दया। म बूथ से बाहर आने के बारे म सोच रहा था, मने िस ा फर डाला और न बर िमलाया।
‘हैलो! ईशान भैया'’ िव ा ने फोन उठाकर कहा।
फोन दो डालर के बराबर के िस े खा गया। मने फोन फर काट दया।
ले कन म कर या रहा था!
मने नये िस के साथ फर न बर िमलाया। उसने फोन तुर त उठाया।
‘भै या, या आप मुझे सुन सकते हो?’
मने एक कमाल क चीज क । मने ल बी सांस ली। म एक असंगत बात कर रहा था ले कन म इससे कु छ अ छा कह भी नह सकता था।
‘गोिव द!'’, उसने सावधानीपूवक कहा।
या उसने मुझे मेरी सांस ारा पहचान िलया। ‘'इस ब े के साथ यह या है। ‘हैलो’ म अपने आपको यादा देर नह रोक सकता था।
‘गोिव द’ मने अ तरा ीय न बर देखा। तो बताओ?
टेलीफोन पर कहे जाने वाले सभी वा य म से म, मुझे बताइये को सबसे यादा नफ़रत करता ।ं या मुझे कु छ कहना पड़ेगा य क
मने टेिलफोन िमलाया है। ‘अ छा म....’
‘आ ेिलया कै सा है? मजे कर रहे हो? मुझे बताओ?’
म उसे मार सकता था अगर वो ‘मुझे बताओ’ फर योग म लाती। ले कन शायद मुझे उसे कु छ बताना चािहये मने सोचा।
मने कहा, ‘हां, यह अ छा है, तुम इस थान को पस द करोगी।’
‘कौन सा थान? मुझे और बताओ, तुम अब कहां हो?’
‘बो डी बीच। यह एक मनमोहक थान है। मने कहा, बेशक मने मूखतापूण ा या क । ले कन आप उस लड़क को फोन करने क
कोिशश कर रहे ह िजसे आपको पहली बार ही फोन नह करना चािहये था।
मेरी घबराहट को बढ़ाते ए फोन ती गित से िस े ख म कर रहा था और िस को डालना जारी रखा, य क फोन हर, तीस सेके ड
म एक डॉलर ले रहा था। ‘'वह! मने अपने जीवन म सचमुच का बीच नह देखा यह कै सा है। या पानी कभी ख म नह होता? या आप
ि ितज तक देख सकते ह?’’
‘'हां आसमान क कोई सीमा नह । बेवकू फ उसके कहे वा य को दोहराने के अित र भी कु छ कहो।'’
‘ईश और ओमी कहां है?’
मने कहा 'वे पानी म ह, और म बूथ म ।ं ’
उसने फर ऐसा सवाल कया जो म नह चाहता था क वो पूछे।
‘तो, तुमने कै से फोन कया।’
‘कु छ खास नह । तैयारी कै सी चल रही है? संगठन ब त मह वपूण है।’
‘तुमने मुझे संगठन के बारे म पूछने के िलये फोन कया है।’
‘हां ठीक है और दूसरे ....’
‘ या तुम मुझे याद करते हो।’
‘िव ा’
‘ या?’
‘बेवकू फ के सवाल मत करो’
‘म तु ह ब त याद करती ।ँ ब त यादा।’
उसने कहा। उसक आवाज ब त भारी हो गई थी।
मने कहा, ओह. .. अ छा ठीक है। ‘कु छ और भी बोलो िनरथक, एका र के चैि पयन।’
‘हां, ले कन एक िश क के प म नह , एक अ छे दो त के प म।’ एक 'ब त अ छा िम ’ भारतीय लड़ कय के िलए एक खतरनाक
वग है। यहां से आप ती गित से उ ित कर सकते ह, और अगर आप ने गलत तरीके से कया तो आप िन वग जो क भारतीय औरत
ने खोजा है राखी भाई। राखी भाई का असल म मतलब है 'तू मेरे साथ बात कर सकते हो ले कन बोर आदमी, इससे यादा कु छ करने
क सोचना भी मत। मेरे मन के कोने से आवाज उठी मूख आदमी उसे बताओ क तुम उसे याद करते हो अ यथा सारा जीवन रािखयां
लेते रह जाओगे।’
‘अगर तुम यहां होती िसडनी म और भी आन द आता।’
‘वाह, यह तुमने मुझसे सबसे ब ढ़या बात कही है।’
म चुप रहा। य क जब आप कु छ अ छा कहते ह तो ज दबाजी म और बोल कर उस अ छी लाइन को बबाद न कर।
मने कहा, ‘ या म तु हारे िलये यहां से कु छ लेकर आ सकता ।ं ’
उसने कहा, ‘बजट कम है, या नह ।’
‘हां, ले कन थोड़ा ब त लाने म कु छ फक नह पड़ेगा’ मने कहा।
‘मुझे एक िवचार आया है। तुम िजस बीच पर अभी हो वहां से थोड़ी रे त उठा लाना।’
‘इस ढंग से मुझे िसडनी का कु छ भाग िमल जायेगा।’
‘रे त'। यह एक सनक अनुरोध था। कम से कम यह कम क मत क , वा तव म मु त थी।
मने पूछा, ‘सचमुच।’
‘हां, मेरे िलये एक मािचस क िड बी म रे त भर कर ले आना और अगर जगह खाली हो तो उसम जरा सी भावनाय डाल देना।
फोन ने मुझे इशारा कया क और पैसे डालो, अ यथा मेरी पहली रोमाि टक बातचीत ख म हो जायेगी। ले कन मेरे पास िस े नह बचे
थे। मने कहा, ‘'सुनो, मुझे अब जाना पड़ेगा य क मेरे पास और िस े नह है। ‘अ छा ज दी वािपस आना। यहां तु ह कोई याद करता
है।’
‘म तीन दन के भीतर वािपस आ जाऊंगा, म भी तु ह िमस करता ।ं '’ मने अपना गला साफ करते ए कहा, ‘वाह,’ मने वा तव म वह
कह दया जो म महसूस करता ।ं
उसने कहा, ‘'म तु ह कु छ और बताना चाहती ।ं ’
‘ या’
बीप - बीप - बीप एक मूख टेल नामक आ ेिलयन क पनी ने मेरे पहले रोमां टक ण को ख म कर दया।
म वापस आ गया, म उस लड़क के बारे म सोचता रहा जो के वल रे त चाहती है। मने उस पैसे के बारे म भी सोचा जो उस संचार क पनी
ने मेरी छोटी सी टेलीफोन कॉल से बनाये थे।
मने एक यू रज कै फे नाम के बाहरी रे तरां को पार कया। ऑ ेिलया वािसय ने लड बक को एक नया अथ दे दया है। लोग एक
िगलास बीयर के साथ घ ट बैठे रहते ह। पसी प रचा रकाय इधर-उधर घूमते ए लोग के िलये बगर और सडिवच लाती ह।
मने बाहर से एक मािचस ली और उसक तीिलय को कू ड़ेदान म फक दया। म कनारे क तरफ वािपस आया जबतक पानी मेरे पैर को
छू ने न लग गया, मने इधर-उधर देखा और झुक कर कु छ रे त मािचस क िड बी म डाल कर, िड बी अपनी जेब म रख ली।
‘अरे , तुम या कर रहे हो?’ ओमी ने कहा वो मुझे दुिनया क सबसे बदसूरत जलपरी क तरह महसूस आ।
‘कु छ नह ’ 'नह , तुम इस तरफ या कर रहे हो। लहर दूसरी तरफ यादा अ छी है।’ मने कहा।
‘म तुमसे िमलने आया था। या तुम मुझे कोक के िलये कु छ िस े दोगे, मुझे यास लगी है।’
‘िस े ख म हो गये ह। आज के िलये कु छ कै श बचा है ले कन इस क ज रत हम दोपहर के भोजन के समय पड़ेगी।’
ओमी ने कहा, ‘ख म हो गये?’
‘हां’ मने झुंझलाते ए कहा। मुझे यह पसंद नह है क जब मुझसे कम यो य ि मुझसे सवाल करे ।
ओमी ने कहा, तुमने कसे कॉल क है।’
‘उपभो ा’
‘कौन से वाले को?’
‘छोड़ो ओमी, आओ खाना खाने चल, या पहले तुम कु छ सूखा लोगे?’ 'िव ा’
मने मूखतापूण उसे देखा। या अ दाज है और यह इसका काय नह है।
‘ या’, मने हैरानी से पूछा।
‘मुझसे झूठ मत बोलो’
‘ या बात करते हो ओमी, म य िव ा को फोन क ं गा।’
‘म उतना मूख नह ’ं
मने कहा, ‘'तुम हो।’
‘हम रे तरां क ओर बढ़े, म उससे कु छ कदम आगे चल रहा था।
उसने मेरे पास आते ए कहा,
‘मने देखा है तुम एक दूसरे को कै से देखते हो।’
‘दफा हो'’ मने तेजी से चलते ए कहा।
हम बीच के नजदीक कै पवैल पेरेड जहां कई शराब-घर और कै फे , थे, वहां प च
ं े।
‘और मने इस ओर भी यान दया है क जब से तूने उसे पढ़ाना आर भ कया है तुम उसके बारे म बातचीत नह करते।’
म हॉगस ीथ कै फे म दािखल आ। पांच दन इस देश म िबताने के बाद यह नाम मुझे अब सनक भरा नह लगता था।
हम एक दूसरे के सामने बैठ गये। मने अपना चेहरा मै यू काड से ढक िलया और बातचीत से बचना चाहा।
‘तुम छु पा सकते हो, अगर तुम चाहो। ले कन म जानता ।ं ’
मने मे यू को नीचे रख दया।
‘ऐसा कु छ नह है। चलो मान िलया कु छ है ले कन िच ता करने जैसी कोई बात नह है।’ मने कहा।
मने अपना मुंह मै यू काड के पीछे फर छु पा िलया।
भारतीय पु ष म एक अनबोला िनयम है जो क तुम ने तोड़ा है।
‘कौन सा, िनयम’ मने मै यू को मेज पर पटकते ए कहा।
‘तुम अपने सबसे अ छे िम के साथ कु छ नह करोगे, कु छ भी नह । यह यायाचार के िव है।’
‘ यायाचार, यह या है, एक सेना। मने उसे नह उकसाया, उसने ही मुझे उकसाया।’ मने कहा।
‘ले कन तुमने उसे उकसाने पर य मजबूर कया।’
‘अ छा यह इस तरह िहट होने जैसी’ कोई बात नह थी। य क यह अ छा लगता था।’ मने कहा।
मने दांत कु रे दना शु कया ता क उसक आंख से आंख िमलाने से बच सकूं । ‘'तुम कतनी दूर तक चले गये हो।’ या?, ओमी जाओ ईश
को दोपहर के खाने के िलये बुला लाओ। हमारे यहां होने का उसे पता नह है।
‘'हां उसे वाकई ही कोई अ दाजा नह है।’ ओमी ने कहा और चला गया। एक शोर मचाने वाला समूह हमारी साथ क मेज पर पूल खेल
रहा था। मेरे पास पांच िमनट थे जब तक ईश वािपस आता। िवचार मेरे मन मे आने लगे। या ओमी उसे मूखतापूण बात तो नह कह
देगा। नह , ओमी इतना मूख नह है।
ओमी और ईश हंसते ए अ दर आये। ठीक है, सब अ छा है।
हॉगस बैथ, ‘' या तुम एक रे तरां के िलए इससे ग दा नाम सोच सकते हो!’ ईश ने हंसते ए कहा।
ओमी ने कहा, ‘'म सोच सकता ।ं ’
‘इसे मत कहो, फर भी टॉयलट कहां है? म इ तेमाल करना चाहता ।ं म वहां....।’ ईश ने कहा।
मने उसे बीच म टोकते ए एक तरफ इशारा करते ए कहा, ‘'वहां है।’
मेरे पास ऑ ेिलया वाले जीवन भर के िलए ह।
‘ या तुम उसके साथ घिन स ब ध रखते हो'। ओमी ने आगे बात चलाई। मने कहा '' या तुमने उसे कु छ कहा है।’ 'तुम समझते हो क म
मूख ।ं ’
‘ ।ं ’
‘मने उसे कु छ नह बताया। अब तुम बताओ तु हारे स ब ध कस हद तक प च
ं गये ह।’ ओमी ने कहा।
मने कहा, ‘हद?’
‘हां, एक िसफ हम देखते ह क हद होती है, जो क पुराने शहर म सबसे आम है। उसके बाद, ‘हम के वल बात करते ह क हद है। उस के
बाद 'हाथ पकड़ने क हद’ उसके बाद....’
‘ऐसा कु छ नह है। हमारे स ब ध िभ ह।’ 'ओह, यह एक आगे क अव था है जब तुम सोचते हो क तु हारे स ब ध सब से िभ ह।
कोई मूखतापूण बात न कर बैठना। ठीक है।’
‘मूखता...’
ओमी फु सफु साने के िलये आगे झुका।
‘मूख ि , तुम जानते हो ईश या उसके िपता तु ह मार डालगे। या कोई भी ि जो क उससे स ब ध रखता है, ऐसा कर देगा। तु ह
वह कार वाला ि याद है! मेरा िव वास करो, तुम वह लड़का या वह कार नह बनना चाहोगे।’
‘ऐसा सच म कु छ नह है, हम के वल अ छे िम ह।’ मने टॉयलेट क ओर देखते ए कहा।
‘के वल अ छे िम जैसे वा य पर पाब दी लगनी चािहये। इससे अिधक गुमराह करने वाली बात कोई नह है। शम करो, तुम उसके
िश क हो। कतने साल क है वो। स ह।’
‘कु छ महीन म अठारह क हो जायेगी।’ ओमी बोला ब ढ़या है।’
ईश टॉयलट से बाहर आया और उस ने पूल खेलने वाले ि य के साथ कु छ हंसी क बात क ।
म ओमी क तरफ मुड़ा।
‘म इसके बारे म कोई बात नह करना चाहता। िच ता मत करो, म कोई मूखतापूण बात नह क ं गा। वो गिणत म कमजोर थी, मुझे
नह मालूम मने उसे पढ़ाना य मान िलया।’
‘तब उसे पढ़ाना ब द कर दो।’ ओमी ने कहा।
‘ या...? अब हम खाना मंगवा सकते ह। मने मे यू-काड को पढ़ते ए कहा। ‘म के वल इतना कह रहा :ं ..।’
‘ईश, मने िच ला कर कहा, ‘तुम या खाना चाहोगे। लहसन क डबल रोटी सब से कम क मत क है।’
‘कु छ भी, म तुम पर िव वास करता ।ं ’
उसने िच ला कर उ र दया। और उन ऑ ेिलयन लड़क के साथ पूल खेलना जारी रखा। उसके अंितम श द ने मेरे दमाग म तूफान
खड़ा कर दया।
‘यहां घर ब त बड़े ह। मने कहा जैसे ही हमने डबल वे कहलाने वाले े को पार कया।
ै ड हम रिववार को ना ते के िलये ले जा रहा था। ईश, ओमी और अली ै ड क साब क वट वल कार क िपछली सीट पर बैठे थे और
म आगे।
िसडनी क सुबह-सुबह क ठ डी हवा के झ के आने लगे।
ै ड ने कहा, ले कन अिधकतर यहां ठीक-ठाक जगह है, आ ेिलया म हम पैसे या कार के बारे म शेखी नह बघारते। यहां तक क लोग
आप क नौकरी के बारे म भी नह पूछते। या तुम जानते हो क लोग सब से यादा या पूछते ह?’
‘ या?’ ईश बोला।
‘तुम या खेलते हो? यह पूछते ह।’ ड ने कहा।
ईश ने आगे झुकते ए कहा, म ऑ ेिलया को पस द करता ।ं म आशा करता ं क भारत म भी खेल के ित ऐसी भावना आये।
‘यहां खेल एक रा ीय धुन है।’ ै ड ने कहा।
‘तु हारे देश म कस बात क धुन रहती है?’
‘वहां ब त अिधक लोग है इसिलये धुन भी ब त ह। यही सम या है। ‘ईश ने कहा।
मने जोड़ते ए कहा, ‘ले कन धम और राजनीित वहां मु य ह और अगर उनको जोड़ दो तो और भी बड़ी हो जाती ह।’ 'म इस झंझट से
दूर रहता ं और फर ऑ ेिलया, क राजनीित एक मजाक है।’ ड ने कार का इं जन ब द करते ए कहा।
हमने अपनी कार परमअ ा-पाक नामक थान पर खड़ी क । ै ड हम ओ ड लोनीअल हाऊस के लचन रे तरां म लाया था। जब हम
रे तरां के अ दर गये तो दो ि य को अपने इ तजार म पाया।
‘गुड-मा नग ी मान कटलर और ी मान ीनर ' ड ने दोन ि य को हमसे िमलवाते ए कहा।
ीनर ने अली क पीठ थपथपाते ए कहा, ये एक यो य लड़का है।
‘हां, उतना ही यो य जैसा क ऊपर वाले ि भेजते ह।’ ै ड ने एक जगह बैठते ए कहा।
‘यह वह दोन भ पु ष ह िज ह ने आप क टकट म मदद क थी मेरी बीते दन क मिहला िम नह ।’ फै ड ने आख मारते ए
कहा।
‘ या’ ईश ने बात को समझते ए कहा।
‘एक स ाह के वल खेलने के िलये नह था।’ ै ड ने कहा 'तु ह याद है मने गोवा से इ ह भ पु ष को फोन कया था।’
ीमान ीनर, ऑ ेिलया खेल सं था के सभापित ह और ीमान कटलर ए, आई, एस वजीफा कायकारी के अ य ह।’ ै ड ने बैड पर
म खन लगाते ए कहा, ‘मने अली के बारे म बताया क यह सचमुच म कतना अ छा िखलाड़ी है और सही िश ण के साथ यह कह
का कह प च
ं सकता है।’
मने देखा ईश का चेहरा कसी आने वाली बात को सोच कर स त हो गया। या वे अली को ायोिजत करगे।
‘अगर यह वा तव म उतना अ छा है जैसा क ै ड ने कहा और उन लड़क ने जो तु हारे साथ खेल चुके ह। तो ीमान् ीनर ने कहा,
हमसे जो बन पड़ेगा हम तु हारी मदद कर सकते ह। ’
‘ध यवाद’ ईश ने कहा। अिधक उ सािहत होना ईश क एक सम या रहती थी। उसक बहन क भी यही सम या है। शायद यह
वंशानुगत सम या थी।
ीमान् कटलर ने अपना गला साफ करते ए कहा, ‘देिखए ए.आई.एस. िविभ रा य के सं थान से आने वाले नामांकनो म से चुनाव
करता है। म अली का चुनाव करवा सकता ,ं ले कन अली कसी भी आ ेिलयन रा य म नह रहता।
ईश ने कहा, ‘तो।’
ए. आई.एस. िनयम के अनुसार वजीफा ा करने वाले ि का एक आ ेिलयन नाग रक होना आव यक है या कम से कम वह
नाग रक बनने क या म हो।
‘ या हम यहां िवशेष स िलयत नह दे सकते?’ मने कहा। ओमी खाने म त था। ओमी और अली ने सम त मण म कु छ ही वा य
बोले थे। ऑ ेिलया के बोलने के ढंग को वे समझ नह पा रहे थे।
ीमान कटलर ने एक फाइल म से कु छ कागज मेज पर फै लाते ए कहा, ‘इसका एक रा ता िनकल सकता है।’
ीमान् ीनर ने हंसते ए मजा कया अ दाज म कहा, ‘कटलर को वासी िवभाग म सू बनाने आते ह।’
कटलर ने कु छ कागज आगे करते ए कहा, ‘यह आ ेिलया क नाग रकता लेने के कागज ह जैसा क आप जानते ह िवधु म ब त से लोग
यह चाहते ह ले कन अली क शानदार यो यता को देखते ए हम इसे ऑ ेिलया क नाग रकता देने क पेशकश करते ह
अली और ओमी ने जैसे ही मेज पर रखे कागज को देखा उ ह ने खाना ब द कर दया।
ओमी ने कहा, ‘ये ऑ ेिलया का वासी बन जायेगा।’
‘यह चैि पयन बन जायेगा। ‘फै ड ने कहा 'इसके माता-िपता को भी नाग रकता िमल जायेगी और ईश तुम और तु हारे दो त भी अज दे
सकते ह। हम तु ह हर स भव मदद कर दगे। अवसर अ छा है। ‘ ीमान कटलर ने कहा। ‘तु ह ऑ ेिलया पस द है। ‘ ै ड ने ईश को
आख मारते ए कहा।
‘ब े के भिव य के बारे म सोचो, जहां तक मने सुना है, उसके तोत ब त सीिमत ह।’ ीमान कटलर ने कहा।
उनका मतलब गरीबी से था। मने हां म गदन िहलाई। अली के जीवन म ब त बड़ा बदलाव आयेगा, ‘उन क बात म वजन है।’ मने ईश
को बताया जो क अभी तक त ध था।
ीमान् ीनर बोले, ‘तुम सबसे पहले अली से य नह पूछते। यह उसका जीवन व उसका िनणय है।’
‘हां, कोई, दबाव नह ।’ फै ड ने अपनी दोन हथेिलयां मसलते ए कहा। हमने अली को प श द म इस ताव के बारे म बताया।
‘अली....तुम या चाहते हो?’ ईश ने कहा।
‘अगर म टीम म आ जाता ँ तो म कसके िलये खेलूंगा।’ अली ने पूछा। ीमान कटलर ने उ र दया, ’ आ ेिलया के िलए।’
‘ले कन म भारतीय ।ं ’ अली ने कहा।
‘ले कन तुम एक ऑ ेिलयन नाग रक भी बन सकते हो। हमारा एक ब -सां कृ ितक समाज है। ‘ ीमान ीनर बोले। ‘नह ’ अली ने
कहा।
‘ या?’
म भारतीय ,ं म भारत के िलये ही खेलना चाहता ,ं कसी और देश के िलये नह ।’
‘ले कन बेटे, हम तु ह तु हारे अपने देश जैसा ही स मान दगे और अ छा िश ण भी।’ ीमान् ीनर ने कहा।
‘मेरे पास अ छा कोच है। ‘अली ने ईश क तरफ देखते ए कहा। ईश का सीना गव से भर गया।
‘तु ह अपने देश म ब त मुि कल आयेगी। तु हारा कोच यह सब जानता है। ‘ ीमान् कटलर ने कहा।
अली ने कु छ क कर बोलना आर भ कया, ‘अगर म एक िखलाड़ी नह बन पाता तो सब कु छ ठीक है, ले कन अगर म भारतीय नह रह
जाता तो यह िबकु ल ठीक नह है।’ शायद वो इतनी गहन बात नह कहना चाहता था ले कन यह उसका सबसे ग भीर कथन था।
‘ या?’ ीमान कटलर ने कहा। वह थोड़ा आगे को झुके और उ ह ने अली के कं धे पर हाथ रखा।
अली ईश के पास िखसका और उसके पीछे िछप गया।
अफसर ने आधा घंटा और कोिशश क । उ ह ने पूछा क हम अली के माता-िपता से बात कर सकते ह पर उ ह महसूस आ क ऐसे बात
नह बनेगी। मने न तापूण बातचीत जारी रखी।
‘हम माफ कर द, हम मालूम है यह हमारे िलये ब त बड़ा स मान है। ‘मने कहा, ‘ ै ड हम माफ करे । जो कु छ तुमने हमारे िलये कया
वह बड़ी बात है।’
‘कोई िच ता क बात नह दो त। तु हारा ब ा अ छा है और वह यह बात जानता है। अगर तुम लाख लोग को खुश रख सकते हो तो
हमारे जैसे लोग क िच ता य करते हो।’ ै ड ने हंस कर कहा। उसने अपनी उदासी कट नह होने दी। खेल क भावना, मने अ दाज
लगाया।
हमने अफसर को उनक कार तक छोड़ा।
‘दो त, बुरा मत मानना, शायद कु छ समय बाद, इस के स म, अगले ज म म कौन जानता है तुम ऑ ेिलयन नाग रक हो सकते हो।’ ी
मान ीनर ने अपनी ह डा एक ड म बैठते ए कहा।
‘म नह चाहता।’ अली ने अपना चेहरा ईश के पीछे से िनकाल कर कहा।
‘ या?’
‘म अगले ज म म भी ऑ ेिलयन नह बनना चाहता। अगर मेरे पास अगले सौ ज म होते ह तो म सब म भारतीय ही बनना चा ग
ं ा।’
अली ने कहा।
एक हवाई जहाज ऊपर उड़ कर गया। मने आसमान क तरफ देखा। मुझे खुशी थी क आजरात म घर क तरफ जा रहा था।
प ह

िव ा-िव ा-िव ा, उसका नाम मेरे मन म एक अलाम क तरह बजने लगा। म उसके घर समय से प च
ं ने के िलये टमाटर बेचने वाले व
कं चे खेलने वाले ब के ऊपर से होता आ दौड़ा।
मेरे पास ब त यादा काम था। पू तकता इ तजार कर रहे थे। माल का अ बार लग गया था और माल भेजना बाक पड़ा था। ले कन
फर भी िव ा का याल इन सबसे ऊपर था। हालां क िनयमानुसार, यह एक अ छा िवचार नह था। ापा रय को मिहला जैसी
मूखतापूण बात पर अपना समय बबाद नह करना चािहये। ले कन मेरे मन का दूसरा कोना उसे यार कर रहा था और यही भाग मेरा
समय िनयि तत कर रहा था। िव ा कहां है? मने उसक िखड़क क तरफ देखा और घर क घंटी बजा दी। ‘गोिव द 'िव ा के िपता ने
दरवाजा खोलते ए कहा। म सु रह गया। ऐसा य होता है क िजस लड़क को आप यार करते ह उसके प रवार का हर पु ष सद य
आप म डर क भावना पैदा कर देता है।
मने कहा, ‘अंकल, िव ा.. ूशन'।
‘वह ऊपर के कमरे म है।’ उ ह ने मुझे अ दर आने के िलए कहते ए कहा। उ ह ने मेज पर से अखबार उठा िलया। बूढ़े लोग अखबार को
इतना पस द य करते ह? उ ह समाचार पढ़ना अ छा लगता है, ले कन वे इसका करते या ह। म ऊपर के कमरे म जाने के िलये
सी ढ़य क ओर बढ़ गया।
जैसे ही म सी ढ़य पर चढ़ने लगा वे फर बोले, ‘वह कै सी है या वह मैिडकल परी ा पास कर जाएगी?’
मने धीमे तर म कहा, ‘वह एक होिशयार िव ाथ है।’
अंकल ने फर से अखबार उठाते ए कहा, ‘ये अपने बेकार भाई क तरह नह है।’
म सी ढ़यां चढ़ कर ऊपर प च
ं ा, िव ा वहां िवमान-प रचा रका वाली मु कराहट िलये खड़ी थी, ‘ ूशन पर आपका वागत है।’
वह सफे द कु स पर बैठ गई। म उसके सामने वाली कु स पर बैठ गया। ‘परी ा के िलये मेरे मन म ब त से स देह ह।’ उसने कापी के प े
पलटते ए कहा।
मेज के नीचे से धुआ िनकलने लगा।
मने कहा, ‘यह या है?’
‘म छर भगाने वाली।’ उसने बताया।
म मेज के नीचे झुका और मुझे म छर भगाने वाली हरी च राकार सुलगती कॉयल के साथ उसके पैर भी दखाई दये। उसने अपने अंगूठे
के नाखून पर अपनी खास पल-सफे द नेलपािलश लगाई ई थी। ‘च राकार कॉयल बुझी ई ह, ‘मने कहा, ‘म तु हारे िसर पर 'मोजी’
को डांस करते देख सकता ।ं
‘'मोजी'’
‘आ ेिलया म म छर को इसी नाम से पुकारते ह, मने बताया। ‘आह! तो तुम िवदेश, हो आये हो, ऑ ेिलया कै सा था?’
‘ब त अ छा’ मने उसक तरफ देखते ए कहा। म अपने आपको संयत रखने क कोिशश कर रहा था जो क म उस काल को करने के
बाद नह था। म अपने प े खोल चुका था। अब कोई फक नह पड़ता क म इसे छु पा के रखूं य क वह सब देख चुक थी।
मने उसके कपड़ क तरफ यान दया। आज उसने जामुनी और सफे द रं ग क सलवार कमीज पहन रखी थी। उसने जामुनी रं ग का ही
हार और उससे ही िमलते जुलते कांटे पहन रखे थे। वह अभी-अभी नहा कर आई थी। उसके बाल से डेटोल साबुन क खुशबू आ रही थी।
हर लड़क जब वह नहा कर आती है, तो उसम से शानदार भीनी-भीनी सी खुशबू आती है। म सोचता ं उ ह इस खुशबू को बोतल म
ब द कर बेचना चािहए।
‘तुम मेरा तोहफा लाये हो।’ उसने चु पी तोड़ते ए कहा।
‘हां, ‘मने जवाब दया।
मने खड़े होकर अपनी ज न क जेब से मािचस क िड बी िनकाली।
‘ यू रज कै फे । या बात है!’ उसने कहा उसने मािचस क िड बी ली और अपनी नाजुक अंगुिलय के साथ खोला। ‘वाह, ऑ ेिलया का
बीच मेरे हाथ म है।’ उसने कहा। उसने इसे इतने यार से पकड़ा आ था जैसे क मने कसी रानी के चुराये ए हीर को उसे उपहार म
दया हो।
‘म भी कै सा मूख ।ं मुझे तु हारे िलये कु छ अ छा लाना चािहये था।’ मने कहा। ‘नह , यह ठीक है, देखो इसके अ दर छोटी सी सीपी भी
है।’ उसने आगे झुकते ए इशारा कया। हमारे िसर आपस म टकराये। जैसे ही हमने मािचस क िड बी क अ दर क चीज को देखने
क कोिशश क ।
उस के पांव मेरे पांव से टकराये।
‘आउच’ उसने अपने पैर अलग करते ए कहा।
‘ या आ?’ मने पूछा।
‘कु छ नह , म छर वाली च री मेरे पैर को लग गई थी उसने मुझे बताया। म सीधा होकर बैठ गया। पानी क बूंद उसके बाल से मेरे
बाल म िगर गई थ । उसके िसर पर मंडराने वाले म छर मेरे िसर पर भी मंडराने लगे थे।
‘ या म इतना भी खच कर सकता?’ मने पूछा।
‘नह ठीक है, तुम ने कॉल पर भी काफ खच कया होगा।’
‘'हां पांच डालर और 60 सै टस। ‘मने कहा और अगले ण ही मुझे एक मुनीम क तरह बोलने पर अफसोस आ। ‘यह ठीक है य क
जीवन के सबसे बेहतरीन तोहफे मु त ह।’ उसने अपने बाल को रबर से बांधते ए कहा।
मने गदन िहलाई। मेरे अ तरमन ने कहा अब ब त आ, अब पढ़ाई शु क जाये।
‘मने तु ह बताया था।’, मने फु सफु साते ए कहा।
‘ या तुम मुझे सच म याद करते थे, उसने मेरे हाथ पर अपनी हथेिलयां रखते ए कहा।
मने अपना हाथ ख च िलया। वो हैरान ई।
‘मुझे अफसोस है िव ा, मुझे यह नह करना चािहये था। मुझे अपना यान ापार पर रखना चािहए। यह चीज मेरे, िलये नह ह
ले कन.... 'मने यह कहा और अपना मुंह मोड़ िलया। म उसक तरफ देखते ए बात नह कर सकता था और या कह सकते ह क म बात
नह कर सकता जब वह मेरी ओर देख रही हो।
‘ठीक है, ‘आपको अफसोस करने क आव यकता नह ।’ उसने कहा।
‘नह यह ठीक नह है, मेरे पास इन भावना के िलये समय नह ।’ मने मजबूत आवाज म कहा, ‘और यह ठीक भी नह है य क तुम
मेरे सबसे अ छे दो त क बहन हो कतनी बुरी बात है.... 'वो हंसी।
‘ग भीर रहो, िव ा। यह ठीक नह है।’
‘म तु हारा अ यापक ,ं तु हारा भाई मुझ पर एक िम क तरह िव वास करता है। मेरी अपनी िज मेदा रयां ह जैसे कज, ापार और
मेरी मां। तुम अभी अ ारह क भी नह ई हो।’
‘दो महीने,’ उसने दो अंगुिलयां दखाई और कहा, ‘और म अ ारह क हो जाऊंगी। और तब तु ह मुझे एक अ छा सा तोहफा देना
पड़ेगा। चलो छोड़ो, आगे बोलो।’
‘चलो ठीक है, िब दु, कु छ भी हो मेरे िलये सही यही है क मुझे इस तरह क बेकार क भावना म नह बहना चािहए। और म चाहता
.ं ..।’
वो उठी और मेरे बराबर आकर खड़ी हो गई। वो मेरी कु स क बाजू पर बैठ गई। उसने मेरे मुंह पर अंगुली रख दी और मेरा चेहरा
अपनी हथेिलय म छु पा िलया। ‘तुम रोज शेव नह करते?’ उसने कहा ‘ऊंह’, उसने कु छ थूका।
‘ या आ?’ मने उसक तरफ देखते ए पूछा। मेरा याल है म छर मेरे मुंह म चला गया उसने दोबारा धूकते ए कहा।
‘ या यह अभी भी मेरे मुंह म है?’
उसने अपना मुंह खोला और मेरे करीब ले आई। उसके ह ठ मेरे ह ठ से के वल आठ िमलीमीटर दूर थे।
ज द ही यह दूरी शू य म बदल गई। म नह जानता क म उसक तरफ बढ़ा या वो मेरी तरफ। दूरी इतनी कम थी क यह बताना
मुि कल है क कसने पहल क । मने अपने होठ पर गम सा महसूस करते ए सोचा क हम कतना करीब आ गये ह या शायद ब त
दूर।
हमने फर चु बन िलया। हमारे दोन के िसर पर मंडराते म छर एक हो गये। मुझे कहने म बड़ा अ छा लगता है क मेरे पहले चु बन
के दौरान मुझे तारे दखाई दये और मीठा संगीत सुनने को िमला। ले कन पा व से आती ई आवाज कु छ अलग थ (अ) िव ा क म मी
क ेशर कु कर क नीचे से आती ई आवाज (आ) आने वाले चुनाव म िविभ पा टय के िलये शोर मचाता ऑटो (इ)। और मोजीय
क िभनीिभनाती आवाज। ले कन जब आप एक चु बन के बीच म होते हो तो आवाज और दृ य ब द हो जाते ह। मने इधर-उधर देखा
यह जानने के िलये क बाक छत खाली थ ।
उसके बाद मने अपनी आंख ब द कर द ।
‘िव ा, हम या कर रहे ह?’ मने उसे छोड़े िबना कहा। म क नह सकता था। अलजबरा, ोमै ी सबको जोश ने ढक िलया था।
‘यह ठीक है, यह ठीक है।’ उसने मुझे िव वास दलाते ए चु बन िलया।
हम एक दूसरे से अलग ए य क जोश भरे लोग को भी आ सीजन क आव यकता होती है। उसने मुझे एक बड़ी मु कु राहट के साथ
देखा।
मने अपने पैन और कताब इक ी कर ल । आज कोई िहसाब नह पढ़ाया जायेगा।
‘तुम मुझ से आंख य नह िमला रहे हो?’ उसने अपनी आवाज म शरारत भरते ए कहा।
म चुप रहा।
‘तुम मेरे से बड़े हो और िहसाब म मुझसे कई गुना यादा अ छे हो ले कन कई चीज म म तुमसे ब त समझदार ।ं ’
‘अ छा! मने अपनी पा पु तक को इक ा करते ए कमजोर से श द म चुनौती थे।
उसने मेरी उड़ी ऊपर उठाई।
म अ ारह क होने जा रही ं और जो मेरे मन म है वह कर सकती ।ं उसने कहा। कसी पाट का भ पू पास म ही बज रहा था। ‘म
चुनाव म वोट डाल सकती ’ं , उसने आगे बोलते ए कहा’ मबक म खाता खोल सकती ?ं म शादी कर सकती ,ं म कर सकती .ं ....।
मने उसे रोकते ए कहा, ‘पढ़ाई, तुम एक अ छे महािव ालय म दािखला लेने क कोिशश कर सकती हो।’
वो हंसी। हम खड़े ए और छत पर बनी ई पानी क टंक के पास चले गये। हमने टक के पास खड़े होकर सूय अ त होते देखा। हमने
िहसाब के अित र हर चीज पर बात क । मने उसे अकादमी के बारे म, ै ड के साथ खाने के बारे म, नीले ऑ ेिलया के आसमान के
बारे म और ब डी बीच के झागदार पानी के बारे म बताया। उसने यह सभी बात उ साह पूण सुन । उसने कहा क वो चाहती है क
उसका भी बीच पर एक घर हो और घर क दीवार को पीले और गुलाबी रं ग म रं ग देगी। यह हैरानी क बात है क कै से कु छ िवशेष
लड़ कयां सारांशीय दृ य को ले आती ह।’ कॉफ िपओगे?’ उसने पूछा।
‘तु ह नीचे जाना पड़ेगा’, मने उसका हाथ पकड़ते ए कहा। मेरे अ तमन क आवाज ने िवरोध जताया पर अब इस आवाज म कोई दम
नह था।
‘नह , मने पानी क टंक के नीचे एक गु जगह बना रखी है, ‘उसने मेरा हाथ ख चते ए कहा।
पांच फु ट सीमट क टंक जमीन से लगभग चार फु ट ऊपर त भ पर खड़ी थी। हम टंक के नीचे जमीन पर बैठ सकते थे।
यह बचपन से मेरी पस द क जगह रही है। मने घुटने मोडे और उसके पीछे-2 बैठ गया। उसने एक िपकिनक पर ले जाने वाली टोकरी
िनकाली, उसम थमस, लाल लाि टक के कप और मैरी के िब कु ट थे।
‘िव ा के ’ फ-टॉप कै फे ’ म आपका वागत है ीमान्।’ उसने मुझे कप पकड़ाते ए कहा।
मने उसक तरफ देखा। वह िहसाब पढ़ने के िलहाज से ब त सु दर थी। िहसाब, मेरे जैसे हारे ए ि य के िलए है
मने एक घूंट भरा। मेरे ह ठ अभी तक उसके ह ठ क गमाहट को महसूस कर रहे थे। मने अपनी कोहनी के बल लेटने क कोिशश क
ले कन स त फश ने मुझे क प च ं ाया।
‘म अगली बार कु शन लेकर आऊंगी। ‘उसने हंसते ए कहा।
‘यह ठीक रहेगा। ‘मने उ र दया।
हमने अपनी काफ ख म क और बाहर आ गये। हमने छत के ब व को ब द कया। मने चु बन व काफ को भूलने के िलये पा पु तक
को पलटा। संगठन के िनशान जीवन म पहली बार मुझे फ के लगे। एक तर पर िहसाब बेकार लगता है। ‘ध यवाद’, ‘मने कहा।
‘ कसिलये? उसने पूछा।
‘काफ और... तुम जानती हो।’
उसने आगे झुक कर मेरे गाल पर चु बन िलया, ‘उपहार के िलए ध यवाद, यह स ी और प दो त का उपहार। ‘स ी-प दो ती
एक-दूसरा िच न िजसका अथ है उ ित।
म बाहर जाने के िलये नीचे आया। जब मने अपने पीछे दरवाजा ब द कया तो िव ा के िपताजी अपनी पली को कह रहे थे, ‘ कतना
अ छा िज मेदार लड़का है। ईश ने इससे कु छ नह सीखा।’
म अपना िहसाब- कताब का काम कह यादा तेजी से कर सकता था अगर म एस.एम.एस. के ारा साथ-साथ बातचीत न कर रहा
होता। मेरे फोन ने पांचवी बार बीप कया।
ओमी ने गु से से काउं टर पर से पूछा,’ यह कौन बेवकू फ तु ह एस.एम.एस. कर रहा है।’
शाम के छ : बजे थे और दुकान को ब द करने का समय था। ईश एक के .वी. के पास गया आ था और ओमी शाम क आरती के िलये
जाने वाला था। दो दजन िबल, कािपयां, पैन और कै लकु लेटर मेरे आस-पास पड़े थे।
‘कु छ नह म एक पू तकता से मोल भाव कर रहा था।’ मने फोन क आवाज को ब द करते ए कहा।
‘उसे फोन िमलाओ।’ ओमी ने कहा।
इससे म यादा उ सुक लगूंगा, इसिलए म चाहता ं क वो मुझे पहले फोन करे । ‘गोिव द पहले िहसाब कताब करो, इतना माल भेजने
को पड़ा है, सब काम खराब हो रहा है।,’ ओमी ने एक टॉफ मुंह म डालते ए कहा। म कु छ नह बोला।
म एस.एम.एस. से उसका यान कसी भी तरह हटाना चाहता था।
मेरा फोन फर चमका और एक स देश नजर आया।
मेरा ज म दन है।
म इसे अपने लोग से मनाना चाहती ं
तुम के क लाओगे क नह ???
मने िव ा का न बर िव ानाथ के नाम से 'सेव’ कया आ था। मने उस स देश को पढ़कर साथ ही साथ िमटा दया।
‘मेरा याल है तुम ईश क बहन से िमल नह रहे हो।’ ओमी ने कहा। मेरे हाथ ठ डे पड़ गये ले कन मने अपने आप को आ व त कया
क यह.....है ओमी को नह पता क म कस को स देश भेज रहा ।ं
मने स देश का उ र दया।
अ छा तुम जीती
एक छोटा ले कर आऊंगा
तुम पढ़ो और मुझे काम करने दो।
मने फोन को एक तरफ रख दया। मु कु राते चेहरे मेरे जीवन म आ गये थे। मने काम म त होते ए कहा, ‘म उसे के वल पढ़ाता ,ं
ओमी उसक वेश परी ा म कु छ ही महीने रह गये ह।’
‘ या वह..... 'ओमी ने बात-चीत दोबारा आर भ करने क कोिशश क ।
‘ या म अपना काम कर सकता ं या तुम मेरे िव ा थय के बारे म बातचीत करना चाहोगे।’ मने ओमी क तरफ देखते ए कहा।
मामा मेरी दुकान पर भागते ए आया, ‘टी.वी. लगाओ।’
बी.बी.सी के समाचार पढ़ने वाले ने कहा, ‘दो हवाई जहाज यूयाक के व ड ेड’ से टर से टकरा गये ह।’
घटना क त वीर को गुणव ा एक अ छी फ म से भी बेहतर थी। सौ मंिजला इमारत बीच म से इस तरह कट गई थ जैसे कसी ने
डबलरोटी को बीच म से काट दया हो।
टी.वी. पर एक िमल ी िवशेषश कह रहा था क दो हवाई जहाज िजसका मतलब है योजनाब आतंकवादी हमला।
‘इस घटना के बाद दुिनया ऐसी नह रहेगी।’ इजरायली धान म ी ने कहा।
हमने शटर को आधा ब द कर दया। हर ि मि दर म टी.वी. के आसपास खड़ा था जहां मीनार का िगरना बार-बार दखाया जा
रहा था। धुआ, िम ी और, कं करीट यूयाक क सड़क पर िबखरी पड़ी थी। रपोट ने हजार के मरने क बात कही।
‘ या....’ ईश ने दुकान के अ दर आते ए कहा, ‘मुि तम आतंकवादी म िव वास से कह सकता ।ं ’ मामा बोला जैसे ही उसका फोन
बजा। उ ह ने न बर देखा और खड़े हो गए।
‘पारे ख जी,’ मामा ने अपनी आवाज म न ता लाते ए कहा।
म पारे ख जी के श द नह सुन सकता था।
मामा ने कहा, ‘जी हां, म देख रहा ,ं वे पागल हो गये ह। जी जनाब हम चुनाव के िलए तैयार ह, जी हां, पारे ख जी’ मामा अपनी छाती
पर से पसीना प छते ए बोले बेलरामपुर सम या नह है, ले कन आप जानते ह, आस-पास काम करना पड़ेगा; ले कन आप जानते ह
हसमुख उतना काय नह कर रहे।’
िबट् टू मामा हमसे दूर जा कर खड़े हो गये। पारे ख जी उसे अगले ह ते म होने वाले चुनाव क जानकारी दे रहे थे।
शाम के समय पहले स देह पद का िच दखाया गया। चार मुि लम लड़क ने कु छ महीने पहले हवाई जहाज सीखने वाले कू ल म
दािखला िलया था। उ ह ने एक आम चालू क सहायता से एक हवाई जहाज चोरी कया और दुिनया म आदमी ारा िन मत िवपि
खड़ी कर दी। एक िबनलादेन नाम के म रयल से ि ने इसे अपना िवचार बताया।
‘ या आ’ ओमी ने मामा से पूछा जैसे ही उ ह ने अपनी बातचीत ब द क 'हसमुख जी, हर चीज िनि त मान कर चल रहे ह वे अपने
इलाके म काम नह कर रहे।’
‘ या पारे ख जी, खुश नह है?’ ओमी ने पूछा 'वो मेरे साथ ठीक है, वह यादा िचि तत नह है। गुजरात म के वल दो सीट के िलए हो
रहा है। असली चुनाव तो अगले वष है।’
‘मामा तो अगले साल,’ ओमी ने मामा क पीठ थपथपाते ए कहा, ‘हमारे प रवार म एक एम.एल.ए. होगा'।
मि दर क घं टयां आरती के िलये बजने लगी। ओमी और मामा जाने के िलये खड़े हो गये।
‘मुझे पा रख जी को दखाना होगा क म कािबल ।ं यह सीट जीतने से मदद िमलेगी।’ मामा ने कहा।
‘तु ह और भी कसी मदद क आव यकता है?’ ओमी ने पूछा, ‘तुम इतना कु छ कर चुके हो मामा ने ओमी का चुंबन लेते ए कहा, ले कन
अगले स ाह हम थोड़ी अिधक मेहनत करनी पड़ेगी। पारे ख जी बता रहे थे क यह हमले हमारी मदद कर सकते ह। आओ यह बात हम
सबको पूजा म बताय।’
वे दुकान से िनकल मि दर म चले गये।
तु हारा फोन चमक रहा है या इसक आवाज ब द है?’ ईश ने पूछा उसने जमीन पर पड़े सभी िबल को इक ा कया। हम दुकान को
ब द करने जा रहे थे।
‘ओह, शायद गलती से, ‘मने फोन उठाते ए कहा, ‘एक पू तकता स देश भेज रहा है।’
मने पू तकता िव ानाथ का एस.एम.एस. पढ़ा।
जब म पड़ती ,ं म चु बन के बारे म सोचती ,ं
तुम और के वल तुम याद आते हो।
मने फोन अपनी जेब म रख िलया।
‘ या बात है तु ह कु छ बेचने क कोिशश कर रहा है।, ‘ईश ने पूछा।
‘हां, ब त स त कोिशश कर रहा है, ‘मने कै श बॉ स को ताला लगाते कहा।
‘म जानता था, वो बूढ़ा आदमी नह सुनेगा। ‘मामा बोला।
उसका मन गु से और आंसु के बीच म था। उस जैसे मजबूत बड़े आदमी के िलये रोना बड़ा मुि कल था और इससे भी यादा मुि कल
था महीन काम करके चुनाव हारना। हम िगनती करने वाले बूथ के बाहर खड़े थे, अफसर आिखरी कु छ वोटे िगन रहे थे हालां क धम-
िनरपे दल ने ढोल बजाने शु कर दये थे।
‘बलरामपुर क वोट क तरफ देखो।, ‘मामा ने मतपेटी क तरफ इशारा करते ए कहा, ‘िह दु पाट को जबरद त जीत िमली है, यह
मेरा े था। जो दो अ य े मुझे दये गये थे, वहां भी हमने अिधक मत पाये है।’ उसके बीस के करीब समथक अपना सर झुकाये खड़े
थे। और दूसरे े क तरफ देखो, उस मुि लम ोफे सर के पास सारा दन करने को कु छ न था। वह बूढ़ ि य को भी िमलता था,
ले कन हसमुख जी, उ ह उ जाित का होने का रौब था, गलीच म घूम नह सकते थे और सोचते थे कार म बैठकर हाथ िहलाने से
चुनाव जीता जा सकता है। और देखो, वह िगनती शु होने के 2 घ टे के अ दर भाग गये।’
मामा ने अपने हाथ से अपना चेहरा साफ कर फर बोलना शु कया, ‘ या म पुजारी का बेटा नह ?ं या म िनचले इलाक म नह
जाता? या वहां िह दु मत नह है? वो य नह गया?’
धमिनरपे पाट के कायकता ने मामा के कायकता का मजाक उड़ाया। दोन तरफ से गु सा बढ़ने लगा, जैसे ही मामा के समूह के
सद य ने एक ढोल बजाने वाले को हड़काया। ‘यहां ि थित खराब होने वाली है। ‘मने ओमी को उसक कार म कहा, ‘आओ यहां से
िनकले।’
‘म नह जा सकता, मामा को मेरी आव यकता है।’ ओमी का उ र था।
एक सफे द रं ग क मसडीज मतगणना के के बाहर आ कर क । अंगर क क एक जीप साथ थी। अगंर क ने े को घेर िलया जैसे
ही पा रख जी ने बाहर कदम रखा।
मामा, पा रख जी क तरफ भागा। वह जमीन पर िगर गया और पा रख जी के पैर को हाथ लगाया।
‘म आप का गुनहगार ,ं मुझे सजा दीिजये, ‘मामा ने भारी आवाज म कहा। पा रख जी ने अपने दोन हाथ मामा के िसर पर रखते ए
कहा,’ िब दु उठो।’ 'नह -नह म यही मरना चाहता ।ं मने आप जैसे महान् आदमी को नीचा दखाया है, ‘मामा िगड़िगड़ाया।
पा रख जी ने नौजवान पर एक स त िनगाह डाली। हर कोई पीछे हट गया पा रख जी ने मामा को क ध पर से उठाया, आओ िवशला
म खाने के िलये चलते ह, मुझे तुमसे कोई बात करनी है।
मामा सर झुकाये, पा रख जी क कार क तरफ बढ़ गया।
‘आओ बेटे, ‘पा रख जी ने ओमी को कहा। ईश और मने एक दूसरे क तरफ देखा शायद यह मेरे और ईश के चले जाने का समय था।
‘ या ईश और गोिव द हमारे साथ आ सकते ह? वे गांधी नगर भी आये थे। ‘अ ा बोला मेरा याल था वो हम िवशला म खाना
िखलाना चाहता था जो क आमतौर पर हमारे िलए महंगा था।
पा रख जी ने हमारी ओर देखा और पहचानने क कोिशश क । मुझे नह लगता क वो हम पहचान सकते थे। ‘जीप म बैठो, ‘उ ह ने
कहा!
िवशला िवलेज रे तरां और यूटैिनिसल सं हालय अहमदाबाद के बाहर सरखेज नामक गांव म ि थत था िजसम हथकरघा सं हालय
और चौपाल के अित र एक िभ देशी रे तरां था जो गुजराती पकवान को परोसता था।
हमने एक अध िनजी कमरा िलया िजसम िम ी के फश पर बैठने क व था थी। पा रख जी के अंगर क बैठ गये। उनक बंदक ू ने
वेटर को मेहमान क मह ा बता दी िजससे हमारी अ छी सेवा सुिनि चत हो गई। कु छ ही िमनट म हमारे सामने दो दजन पकवान
थे।
‘खाओ, और राजनीित के बारे म अिधक भावना मक होने क आव यकता नह । भावना मक उपदेश अ छे ह ले कन अपना मन साफ
और प रखो। ‘पा रख जी ने मामा को शान देते ए कहा।
हमने ढोकला, खांडवी, घुघरा, गोटा, दालबड़ा और अ य गुजराती ंजन को चखा। मेरा पेट मु य खाना आने से पहले ही भर गया।
‘अब देखो’, पा रख जी ने अपना चाय का िगलास ख म करते ए कहा, ‘चीज उतनी आसान नह िजतनी लगती है। हसमुख जी क हार
एक िपछली कहानी है। हम इसक आशा करते थे।’
‘ या!’ मामा ने आ चयच कत तर म कहा जब क ओमी, ईश और म मजे से खाना खाने म लगे ए थे।
‘हसमुख जी सीिनयर थे इसिलये उ ह टकट िमल गई, ले कन उनक सोच पुरानी है जो क वतमान मु यम ी क भी है। द ली म
हमारे उ -पदािधकारी उनसे खुश नह है।’
‘वे नह है।,’ मामा ने मूखतापूण ढंग से बात को दोहराया।
‘नह , हम एक िह दु पाट है ले कन इसका यह मतलब नह क हम सारा दन उपदेश देते रह और कु छ काम न कर। गुजरात एक
ापा रक े है यह सु त े नह है। द ली म बैठे लोग उनके भूचाल के राहत काय के ब ध को पस द नह कया। लोग ने उसम
ब त कु छ खोया। म जानता ं तुम लड़क ने भी ब त कु छ खोया होगा।’ उ ह ने मुड़कर हमारी ओर देखते ए कहा।
हमने हामी भरी। भूचाल के नाम से ही क होने लगा था, ‘इन सीट पर उपचुनाव हमारे िलये वरदान थे। पुराने िवचार वाल ने अपने
उ मीदवार खड़े कर दये, हम जानते थे वे कमजोर ह। बेशक िबट् टू जैसे मेहनती लोग ने ब त काम कया ले कन एक िनरथक
उ मीदवार िनरथक है। इस कारण हम दोन सीट हार गये। मु य चुनाव अगले बारह महीन म होने वाले ह, सारी पाट मशीनरी िहल
गई है और द ली म बैठे लोग को बदलाव का मौका िमल गया है।’
‘कौन सा बदलाव?’ मामा ने पूछा। ‘वे मु यमं ी को बदल रहे ह।’
‘ या?’ के वल दो सीट हारने पर! मामा बोला, ‘कु ल सीटे ह......।’
‘182’ पा रख जी ने बाजरे क रोटी चबाते ए कहा, जैसा क मने पहले कहा क उ ह बदलाव के िलये कारण िमल गया है। गुजरात
हमारी पाट के िलये मह वपूण है। हम यहां हारने के बारे म सोच भी नह सकते।’
‘नया मु यमं ी कौन होगा?’ मामा ने पूछा।
‘वो कु छ दन म नाम क घोषणा करगे, वो मेरा पुराना िम है। वह मजबूत सश और ईमानदार है। अगले वष चुनाव म उसके साथ
पूरे िव वास के साथ जाया जा सकता है।’
‘हम जो कु छ भी बन पड़ेगा करगे पा रख जी, मेरा जीवन आपका है।’
पा रख जी बोले जैसे ही वेटर ने हमारे िलये दाल व स जी को तीसरी बार भरा, ‘म तु ह पस द करता ं िब ो।’ पा रख जी ने हमारी
तरफ देखते ए कहा।
‘पा रख जी या मुझे अगले चुनाव म टकट िमल सकता है? आप मेरी ितब ता जानते ह।’ मामा ने कहा।
पा रख जी का चेहरा स त हो गया।
‘म माफ चाहता ं अगर मने अपनी सीमा पार क है।’ मामा बोले।
पा रख जी मु कु राते ए बोले, ‘नह । हम पाट म तु हारे जैसे मह वकां ी कायकता क आव यकता है। िब टू ले कन तुम जानते हो
टकट कम है और कायकता हजार क सं या म है। तुम अ छे ितब कायकता हो, म तु हारी मदद करना चाहता ं ले कन....।’
‘ले कन या, पा रख जी? मुझे रा ता दखाइए।’
‘ऊपर के तर पर आने के िलये तु ह अ छा काय करने के साथ-साथ वह काय भी करना पड़ेगा जो तु ह पहचान दलाये।’
मामा ने धीरे से गदन िहलाई। ‘म तु हारी आलोचना नह कर रहा। म तु ह सलाह दे रहा ं ता क तुम अगले तर तक प च
ं सको
य क तुम म यो यता है। के वल पीछे मत चलो शु आत करो वो तु ह नेता बनायेगा, ठीक है। ’
‘म हर महीने नौजवान को अयो या ले कर जाता ।ं म उ ह अपनी स यता व सं कृ ित समझाने क कोिशश करता ं और इससे हमारी
पाट क मदद करने वाल क सं या बढ़ती है।’
‘अ छा, काय करते रहो, जब तुम और काय कर लोगे तो म द ली तु ह ले चलूंगा। और इसके बाद म तु ह एक अलग से ो साहन दूग
ं ा।
यह वायदा है।’
पा रख जी ने हाथ िमलाने के िलए अपना हाथ आगे िनकाला ले कन मामा ने पा रख जी के पैर क तरफ हाथ बढ़ाया। यह शरीर का वो
भाग है जो राजनीित म बड़ से पर पर काय के िलये अहिमयत दे?
‘ या बात है, कु छ मीठा नह आ रहा?’ पा रख जी ने कहा। य क मु य खाना खाने के बाद देर हो रही थी।
‘साहब के िलये आमरस कौन लायेगा, ‘मामा वेटर पर िच लाया।

Downloaded from Ebookz.in


सोलह

‘तु हारा सबसे छोटा चॉकलेट का के क कौन सा है?’ मने अहमदाबाद क सबसे बड़ी के क क दुकान नवरं गपुरा टेन, पर पूछा।
िव ा 19 नव बर 2001 को 18 क होने जा रही थी। अब वह अिधका रक तौर पर अपने िनणय वयं ले सकती थी। अनािधका रक प
से वह यह िनणय अपने पैदा होने से ले रही थी।
‘कृ पया कर कोई बैग नह । ’ मने कहा जैसे ही मने के क का िड बा कताब वाले बैग म रखा। मने बैग को सीधा अपनी गोदी म रखा जब
तक क म िव ा के घर नह प च ं गया।
िव ा के घर म के क को छु पा कर ले जाना ब त मुि कल था। ईश के घर म होने के कारण यह और भी मुि कल हो गया था। भारत और
इं लड का दन-रात का मैच ईडन गाडन कलक ा म चल रहा था। ईश सडिवच, दूध, िच स और िब कु ट और अ य चीज जो उसे अगले
आठ घ टे चािहये थ , लेकर सोफे पर बैठा था। ईश के डैड खाने क मेज पर अखबार लेकर बैठे थे और अपनी पी.एच.डी. को जारी रखे
ए थे। जैसा क अ सर होता था जब ईश आस-पास होता था अंकल के चेहरे पर बुरे-भाव होते थे।
मने बैग को अपनी बाजू के बीच म रखकर टांग िलया।
भारत खेल रहा ह-गांगुली और ते दुलकर 10 ओवर के बाद िबना खोये 70 रन बना चुके ह।’ ईश ने कहा और िच लाया, ‘मोम सॅास।’
अंकल ने खाने क मेज से साँस क बोतल उठाई और कॉफ क मेज पर अपने बेटे के आगे जोर से रख दी।
‘ध यवाद डैड’ ईश ने कहा, ‘ या आप हट सकते ह, मुझे टी.वी.नह दखाई दे रहा।
ईश के डैड ने अपने बेटे को ग दी नजर से देखा और हट गये।
‘बैठो’ ईश ने मुझे कहा।
‘ ूशन’ मने िव ा के कमरे क ओर इशारा करते ए कहा।
‘अहा, तुम इस बात के िलए आये हो, वह अपने ज म दन वाले दन पढ़ रही है या पढ़ाकू है।’
‘कु छ लोग अपने जीवन के बारे म ग भीर होते ह। ’ ईश के डैड ने अखबार पढ़ते ए कहा।
ईश ने टी.वी. रमोट से िवरोध व प िजतनी आवाज बढ़ा सकता था बढ़ा दी।
‘इसक मां ने इसे एक दानव बना दया है, ‘ईश के डैड ने अपने सोने के कमरे म जाते ए कहा। ते दुलकर ने चौका मारा और दानव ने
तािलयां बजा ।
‘िच ता मत करो, डैड ठीक है।’ ईश ने मेरे घबराए ए भाव को देखते ए कहा, ‘उसे शुभकामनाय देना, वो इसे पस द करे गी। म सुबह
यह भूल गया था।’
ईश ने एक सडिवच का टु कड़ा उठाया और ब त से िच स व साँस डाल कर एक बड़ा सा टु कड़ा काटा। मेरे दो त ने अपना यार पा िलया
था। मुझे अपना ढू ंढना था। म सी ढ़यां चढ़ा। मेरा दल तेजी से धड़क रहा था।
‘ज म दन मुबारक िमस, अ ारह।’ मने उसे छत का दरवाजा ब द करते ए शुभकामनाएं द ।
उसने चमकती लाल कु त के साथ सफे द पट पहन रखी थी। कपड़ क पस द थोड़ी सी शोख थी पर मेरा याल है क ज म- दन के दन
ठीक थी।
‘ या तुम जानते हो अ ारह, के वल वह अंक है जो अपने अंक के जोड़ से दुगना है।’ उसने कहा।
मने के क िनकाला और सफे द लाि टक क मेज पर रख दया। टैन से के क कोई उ तर का हो रहा है। उसने छेड़ा
‘तु ह चॉकलेट पस द है, उनके पास सबसे ब ढ़या है।’ मने िड बा खोलते ए पूछा। वो अपनी कु स से खड़ी ई और के क को देखने के
िलये मेरे पास आकर खड़ी हो गई।
‘तुम बदल गये हो जबसे हम वह चीज िमली है।’
‘कौन सी चीज?’ मने उस क बड़ी आंख म झांकते ए कहा।
‘यह चीज’ उसने कहा और मेरा चु बन लेने के िलए आगे बढ़ी। िपछले महीने से हम लगभग हर क ा म चु बन लेते थे। इसिलए यह
कोई बड़ी बात नह थी। कई बार हम चु बन लेते थे जब वह सम या का समाधान कर लेती थी और अ य समय पर हम हर प ह िमनट
के बाद हम चु बन ेक लेते। एक बार हमने एक भी चु बन नह िलया य क उसने म क टे ट दया था। ले कन हमने इसक कसर
अगली क ा म पहले दस िमनट चु बन ले कर िनकाल दी। और
अगले दस िमनट म हमने उसक गिलय पर िवचार िवमश कया। हमारी जब इ छा होती हम चु बन लेते, ले कन जब हम श म दगी
महसूस होती हम पढ़ते। ले कन फर भी हमने िहसाब और रोमांस को एक घ टे म मापना सीख िलया।
हम छत के कोने क तरफ चले गये सूय क आिखरी करण भी लु हो गई और आसमान गहरा संतरी हो गया। शाम क हवा थोड़ी सी
ठ डी थी। थोड़ी सी दूरी पर हमने ओमी के मि दर का गु बद देखा।
उसने अपने हाथ मेरे हाथ से बांध िलये और मेरी तरफ देखा, ‘तुम मुझे बताओ।’ उसने अपने चेहरे से बाल हटाते ए कहा, ‘ या मुझे
डॉ टर बनना चािहए। ’
मने गदन िहलाई।
‘म कै से बाहर िनकल सकती ?ं ’
‘ कसी भी कॉलेज म दािखला लो और जाओ।’ मने कहा,
‘कै से?’ उसने मेरा हाथ थपथपाते ए कहा, मुझे दािखला लेने के िलये दािखला फ स कै से िमलेगी? म मु बई म कै से रह पाऊंगी?’
‘तु हारे माता-िपता स भवत: आगे आयगे। वे तु हारी पढ़ाई के िलये खच करगे, तब के िलए...।’
एक जोरदार आवाज चार तरफ गूंजी िजसने हम झकझोर दया। भारत ने छ ा मारा था।
‘तब तक या? उसने शोर थम जाने पर पूछा।
‘तब तक म तु हारी मदद क ं गा।’ मने कहा, हमने एक दूसरे क आंख म देखा। वह मु करायी। हमने छत का एक च र लगाया।
‘तो मेरा िश क यह िव वास करता है क मुझे िहसाब क सम या को हल करने क आव यकता नह ।’
‘जीवन के िहसाब का हल िनकालना यादा मह वपूण है।’ मने कहा।
‘वो या है?’
‘तुम या हो, तुम या चाहते हो, इसके िवपरीत लोग तुमसे या चाहते ह। और लोग को यादा तंग कये िबना तुम वो कै से रख सकते
हो जो तुम चाहते हो।’ ' या यह संभव है, क म भाग भी जाऊं और मेरे माता-िपता नाराज भी न हो।’ 'तुम नराजगी क अव था को
कम कर सकती हो ले कन इसे िबलकु ल ख म नह कर सकती। हम जीवन म उ मीद......कर सकते ह पर इसे सुलझा नह सकते।’ मने
कहा जैसे ही हम छत के कोने के करीब आ गए।
‘ या म तु ह सनक बात बता सकती ।ं ’
‘ या?’
‘जब तुम पूण िहसाब क बात कर रहे होते हो, और जब तुम उन फामूल को बोल रहे होते हो जो मेरे िसर के ऊपर से िनकल जाते ह’
उसने अपने िसर के ऊपर से हाथ का इशारा करते ए कहा।
‘हां, तो या?’
‘यह मुझे उ ेिजत कर देता है। ’
‘िव ा, तु हारा खुलापन...'मने हैरान होते ए कहा।
‘तु ह शरमा देता है, ठीक है न’, उसने हंसते ए कहा।
मने िवषय को बदलते ए कहा, ‘हम के क काट रहे ह या नह ।’
‘बेशक, आओ कै फे िव ा म चल। ’
हम पानी क टंक के नीचे िखसक कर बैठ गये। वह छ : पंक कु शन और एक चटाई ले आई थी।
म इ ह अपने कमरे से यहां ले आई थी ता क हम पाट कर सक! उसने मुझे दो कु शन पकड़ाते ए कहा। कु शन के नीचे एक टी रयो भी
पड़ा था।
‘संगीत’ उसने कहा, उसका चेहरा एक गाने क तरह सु दर लग रहा था। मने हां म गदन िहलाई। ‘म बायजोन लगाऊंगी य क यह
मेरा पस दीदा है,’ उसने कहा।
मने अपनी जेब से अ ारह मोमबि याँ िनकाल जो क के क के साथ आई थी। ‘आओ हम सब को जलाय’ उसने कहा
म छत क बि याँ जलाना चाहता था य क अंधेरा होने वाला था।
‘रहने दो,’ उसने अ ारहव मोमब ी जलाते ए मेरा हाथ ख चते ए कहा। ‘ले कन अगर कोई आ गया।’
‘मेरे माता-िपता के घुटन म दद है। वह कभी छत पर नह आते और ईश, भी नह आ सकता य क नीचे मैच चल रहा है।’
हमने नीचे से आता आ जबरद त शोर सुना। भारतीय पारी अि तम ओवर म प च
ं चुक थी।
जैसे ही म फर से बैठा उसने मेरा हाथ छोड़ दया। वह मोमब ी क रोशनी म ब त सु दर लग रही थी। ‘नो मैटर वैट’ गाना बजने
लगा। हर रोमाि टक गाने क तरह इसके श द भी हमारे िलये ही बने थे।
कोई फक नह पड़ता, वे हम या कहते ह
कोई फक नह पड़ता के वे या करते ह,
कोई फक नह पड़ता के वे या िसखाते ह,
हम िजस पे िव वास करते ह वह ही सच है।
मोमब ी क लपट संगीत क धुन पर इधर-उधर होती लग रही थ । उसने लाि टक के चाकू से के क को काटा। मने फर से उसे
मुबारकबाद दी और के क का एक टु कड़ा उसके मुंह म डाल दया। वह मेरी ओर झुक , उसने मुझे कु शन पर िगराते ए मेरा मुंह अपने
मुंह के करीब कर दया ता क म अपना के क का िह सा ले सकूं । उसने मुझे ऐसा चु बन दया जैसा उसने मुझे कभी नह दया था। ऐसा
नह था क उसने कु छ िभ कया ले कन उसके पीछे भावना ब त अिधक थी। उसके हाथ मेरे क धे से होते ए मेरी कमीज के नीचे
चले गये।
संगीत जारी था।
‘म उसे झुठला नह सकता िजसम म िव वास करता ं
म वो नह हो सकता जो म नह ं
म जानता ं यार हमेशा के िलये है
और इसके इलावा कसी चीज से फक नह पडता।’
म नह जानता क यह मोमब ी क रोशनी थी या ज म दन का मूड या कु शन या कु छ भी। ले कन मने यहां तब अपने जीवन क दूसरी
गलती क ।
मने उसक कु त के ऊपर के बटन को खोला और अपनी अंगुिलयां कु त के अ दर डाल द । मेरी अ दर क आवाज ने मुझे रोकने क
कोिशश क , मने अपना हाथ बाहर िनकाल िलया,ले कन उसने मुझे चूमने को जारी रखने के साथ अपनी कु त के बाक के बटन भी खोल
दये। उसने मुझे अपनी तरफ ख च िलया।
‘िव ा..... 'उस समय तक मेरे हाथ उस जगह प चं गये थे जहां पर कसी ि के िलये हटाने मुि कल थे। इसिलये म भावना, परवाह,
इ छा या जो कु छ भी लोग इसे कहते ह, जो मानव क समझ को उड़ा देती है, उसम बह गया।
उसने अपनी कु त उतार दी। ‘अपने हाथ हटाओ वे भाग नह जायगे।’ 'हां 'मने कहा। उसने अपनी ा क तरफ इशारा करते ए कहा,
‘म इसे कै से उता ?’
मने अपने हाथ उस के पेट पर रखे और वह ा उतार कर मेरे ऊपर लेट गई। उसने मेरी कमीज को पकड़ते ए कहा, ‘इसे उतारो, ‘उस
समय अगर वह मुझे छत से छलांग लगाने को भी कहती तो म करता। इसिलये मने उस के िनदश का पालन कया।
ना संगीत का, ना हम। हम आगे और आगे बढ़ते गये जैसे-जैसे के क क मोमबि यां एक के बाद-एक जलती रह । हमारा शरीर पसीने
क बूंद से चमकने लगा। िव ा ने बीच म एक बार को छोड़कर कु छ नह बोली।
‘ या तुम मेरे ऊपर से नीचे आओगे। ‘उसने ऐसा करने के बाद ही कहा।
म नीचे गया और ऊपर आ गया। हम जैसे ही एक ए, हमने एक दूसरे क आंख म देखा। नीचे से चीख जारी थी य क इं लड कु छ
िवकट खो चुका था।
के वल चार मोमबि यां बची थ , जब तक हमने ख म कया। हमने छ: कु शन को जोड़ कर एक ग ा बनाया और उस पर लेट गये। हम
तब पता चला क उस समय कतनी सद और ठ डी हवा चल रही थी। हमने अपने आप को मेरी जैकेट से ढक िलया और अपने ठ डे
पांव कु शन के नीचे कर िलये।
‘वाह, म क हो गई ं और कुं आरी भी नह रही ,ं या बात है, ध यवाद भगवान,’ उसने मु कु राते ए कहा। वह मेरे साथ िसमट
गई। एक स ाई क भावना, जोश के कम होते ही दखाई देने लगी। ‘तुम ने या कर दया, गोिव द पटेल।’
‘देखो, मेरे अभी भी गूस ब बस है’ उसने अपनी बाजू उठाते ये कहा। छोटे पंक ब पैस उसक साफ मुलायम बाजू पर दखाई दे रहे थे।
मने अपने आप को गाली देते ए कहा, तुम या पर या कर रहे हो उस के गुंस ब पंस को छू रहे हो?’ मेरे अ दर क आवाज मजबूत हो
गई।
‘म खुश ं क यह कु छ आ। या तुम नह हो?’ उसने कहा।
म चुप रहा।
‘कु छ कहो।’
‘मुझे जाना चािहए।’
‘ या तु ह यहां अ छा नह लग रहा?’
‘यहां,’ तुम जानती हो हम तु हारे डैड, म मी और भाई के ऊपर है।’
‘बेमतलब क बात न करो।’ उसने कहा।
‘मुझे अफसोस है, पर म घबराया आ ।ं ’
‘न घबराओ’ उसने मुझे बांह म लेते ये कहा। उसने मेरे शरीर को कांपते ए महसूस कया। ‘ या तुम ठीक हो?’ म नह जानता य ,
पर मेरी आंखो म आसू थे। शायद म डर गया था। शायद कसी ने इससे पहले मुझे इस तरह पकड़ कर नह पूछा था क म ठीक ,ं शायद
म नह जानता था क मुझे इस तरह महसूस करना स भव है। शायद मने अपने सबसे अ छे दो त को धोखा दया है। म आमतौर पर
रोता नह ं ले कन एक ही समय म इतने कारण के कारण ऐसा न होना अस भव था।
‘अरे , म लड़क ,ं मुझे रोने वाला िह सा करने दो।’ उसने कहा। मने उसक भीगी ई आंखो म देखा।
म उठा और अपने कपड़े पहने। जैसे ही हम बाहर आये चांद छत पर आ चुका था। मने अपनी घड़ी देखी। मने अपनी लास पड़ाने से
तीस िमनट यादा ले िलये थे!
‘म तुमसे यार करती ।ँ ’ उसने पीछे से कहा, जैसे ही मने छत का दरवाजा खोला।
‘ज म दन मुबारक’ मने कहा और नीचे उतर आया।
मेरे नीचे उतरते ही ईश बोला, ‘अरे , तुमने खेल का अ छा भाग खो दया। हम इसे जीत जायगे, तुम को।’
‘नह , म थक गया ं म इसे घर जाकर देखूंगा।’, मने मु य ार पर प च
ं ते ए कहा।’ खाना खाकर जाना बेटे’, ईश क मां ने खाने क
मेज सजाते ए कहा। ‘मने, िव ा के ज म दन के िलये खास पकवान बनाये ह।’
‘नह , आंटी, मेरी म मी ने घर पर खाना बनाया आ है।’, मने कहा।
मने उनक बेटी का ज म दन मना िलया था।
‘ कतना अ छा लडका ह’, उसने यार से कहा, जैसे ही म घर से िनकला।
स ह

‘इसे ठीक से पकड़ कर रखो, यह िहल रहा है,’ ओमी ने कहा। वो एक टू ल


पर खड़ा था ता क एक छत पर प च ं सके । हम पंखे पर ितरं गे रबन को टांगने क कोिशश कर रहे थे। मने टू ल क टांगे पकड़ रखी
थी। ईश ग द और सैलो टेप के साथ हमारे साथ खड़ा था।
‘म िगर जाऊंगा,’ ओमी ने टू ल से अपने दािहने पैर को िहलाते ए चेतावनी दी।
‘यह मेरी गलती नह है, कू ल क टांगे थोड़ी ढीली ह’, मने कहा।
म कभी भी गणत दवस मनाना नह चाहता था जो क एक ह ते म आ रहा था। ले कन हम भूचाल के एक साल बाद अपनी
पुनज वन को मनाना चाहते थे। हालां क उस दन के िवचार से ही म कं पकं पाने लगता था। ले कन मुझे स तुि थी क हमने अपने सभी
कज उतार दये थे। हमारा ापार एक वष म तीन गुना हो गया था और यह सभी कु छ इसी दुकान म से ही आ था।
‘26 जनवरी क तैया रयाँ, लगे रहो’, मामा के आने से हम बिधत ये। ओमी टू ल से उछला और फश पर आ िगरा। रबन उसके िसर
पर आ िगरे ।
‘तुमने इसे जाने दया’, उसने मुझे दोषी ठहराया, ले कन हर कोई हंसने लगा। मामा ने समोसे का भूरे रं ग का बैग और कु छ पीले रं ग के
पच मेज पर रखे। हमने एक-एक समोसा उठा िलया।
‘एक साल िनकल गया उस दुःखदपूण घटना को’, मामा ने ठ डी सांस भरते ए कहा,’ मुझे गव है क तुम मेहनत कर फर से अपने पैर
पर खड़े हो गये हो। कु छ और भी बदला था।’ गोिव द या तु ह याद है? इसे कभी मत छोड़ना, ठीक ह।’ मने गदन िहलाई, ‘हां’, मेरे
भगवान के िव वास ने मेरी िपछले साल मदद क थी। और म इसे जारी रखना चाहता था।
‘जब आप भगवान म िव वास करते ह तो अ यंत चीज होती ह और इसीिलये म यहां लेकर आया ’ं , मामा ने पीले पच देते ए कहा।
‘मने शीषक पढ़ा।’
चेतावनी या ा,
राम के सभी यार को अयो या आने का िनम ण।
मने आगे पढ़ना आर भ कया। िह दू पाट अयो या मं दर म हजार क िगनती
म लोग को अयो या भेजना चाहती थी। यह धम िनरपे सरकार को मि दर मामले क याद दलवायगी। पच म मामा से िमलने का
न बर, दूसरे कायकता का न बर, जाने के िलये िभ -िभ ितिथयां और कै से जाया जाय आ द का
िव तारपूवक वणन था।’ हमारी एक समय-सीमा ये पच म बताया गया था ले कन कोई तारीख नह बताई गई थी।’
‘अ छा है न’, मामा ने मुझसे पूछा ‘जी पा रख जी ने भी कहा था, आगे बढ़ो, तुम लोग के यान म आओगे,’ मने उ र दया।
‘तुम लड़क को आना चािहये। मामा ने कहा,’ सच म फरवरी क या ा के वल नौजवान के िलये है, यहां तक क म भी नह जा रहा।
मेरा बेटा इस बार जा रहा है। तु ह अ छा साथ िमलेगा।’
म चुप रहा।
‘वहां जाना आसान है। अहमदाबाद टेशन से साबरमती ए स ैस सीधी गाड़ी है’, मामा ने ता से मेरी और देखते ए कहा। मुझे
दलच पी दखानी पड़ी हालां क म जाना नह चाहता था।
‘ कतना समय लगता है,’ मने पूछा।
‘एक तरफ के 32 घ टे।’
‘तीन दन के वल या ा म, मामा हम कै से जा सकते ह?’ मने ल बा चेहरा बना कर कहा, ‘नये साल म कतना काम पड़ा है।’
‘यहां ापार के अित र और भी जीवन है।’ मामा ने कहा। वे जाने के िलये उठ खड़े ये।
मने ग ला खोला और कु छ नोट िनकाले, ‘ये लीिजये अगले तीन महीने का कराया।’
‘पैस के िलये कसने कहा है’, मामा ने कु त क जेब म नोट रखते ए कहा ‘इस बार अपने छोटे भाई के साथ आना, वो तु ह ब त पस द
करता है।’
‘मामा, बुरा मत मािनए, हम तब चलगे, जब ापार थोड़ा कम होगा शायद माच, पेपर के दन म,’ मने कहा।
‘तो अब पीछे मत हटना, माच तय आ’, मामा ने कहा।
हमने गदन िहलाई मने झाडू उठाई और समोस के टु कड़ को साफ कर दया। ‘ठीक है, म चलता ,ं मुझे फरवरी क या ा के टकट बुक
करवाने ह’, मामा ने कहा और खड़े हो गए।
‘मामा। म आपके िलये टकट बुक करवा सकता ’ं , ओमी बोला।
‘ या तुम सचमुच करवा दोगे, ब त-ब त ध यवाद बेटे। मुझे गांधीनगर जाना था और कोई समय नह है।’ उसने अपनी दूसरी जेब से
एक िलफाफा िनकाला।
‘इसम सभी के नाम और पैसे ह, धीरज और आठ अ य क 20 फरवरी को जाने क एक ह ते बाद आने क लीपर लास क टकट
करवानी है,’ मामा ने कहा। ओमी ने अपनी कमीज क जेब म वह िलफाफा रख िलया।
‘छ:, सात, आठ नह सच म वह समय िगनती म नह आता य क हमने वा तव म नह कया।’ िव ा खुद से बुदबुदायी जब वह मेरे
पास लेटी थी।
ओमी अपने कजन को रे लवे टेशन पर छोड़ने गया था, ईश दुकान पर बैठा था, म मचय और सि मलन को दोहराने के बहाने से उस
क बहन के साथ नंगा लेटा था।
‘तुम कस चीज क िगनती कर रही थी,’ मने पूछा।
‘हमने कतनी बार स भोग कया है’, उसने उ र दया,’ वाह हमारा आंकड़ा आठ हो भी गया।
‘तुम िहसाब रखती हो।’ मने पूछा।
‘म ब त सी चीज का िहसाब रखती ?ं उसने कहा।
‘जैसे या?’
‘जैसे आज 21 फरवरी है, मेरे पी रयड को पांच दन है, इसिलए यह सुरि त दन है।’
‘यह वैसे भी सुरि त है मने कं डोम का योग कया है,’ मने कु शन को आराम से रखते ए कहा।
‘वाह, तो अब तुम िहसाब से यादा भौितक िव ान पर िव वास करते हो’, उसने हंसते ए कहा।
वह मुड़ कर कोहिनय के बल लेट गई और अपने पैरो को िप डिलय पर रख दया।
‘ या तुम अभी भी कं डोम खरीदते ए शमाते हो।’
‘म इ ह कसी अ जान ि से खरीदता ं और अभी के िलये मेरे पास काफ है।’
‘अ छा’ उसने मेरे ऊपर चढ़ते ये कहा, ‘तो अगर एक, दो और योग म ले आय तो कोई सम या नह है।’
इसके साथ हमारा आंकड़ा 9 पर प च
ं गया।
‘शुभ-राि , आंटी ‘मने िव ा क म मी से कहा। मुझे इस िह से से नफरत थी जब आंटी मुझे खाने के िलये कहती या कहती क म इतना
काम य करता ।ं म अपने िवचार म खोया, अपने घर प च ं ा। दो महीन म नौ बार हमने एक स ाह म कम से कम एक बार संभोग
कया है। नौ बार का मतलब है मने शंका के सभी लाभ खो दये ह। म नह कह सकता था क मने एक िणक भावना म बहकर उससे
यार कया था। तुम कोई चीज नौ बार दुघटनावश नह करते। हालां क कई बार दूसरे कार क दुघटना हो सकती है और यह मने पांच
दन के बाद पाया।
‘कु छ है जो तु ह जानना चािहये, उसने कहा हम अहमदाबाद कपड़ा उ ोग शोध सं थान के बागीचे म थे। उसने मुझे एस.एम.एस. भेजा
था क हम एक ‘अित आव यक सैर’, इसका जो भी मतलब हो, पर जाने क आव यकता है। हमने घर यह कहा था क हमने एक अ छी
िहसाब क कुं जी खरीदने जाना है। इसके बाद हमसे कोई सवाल नह कया गया। व पुर के कै पस लॉन शाम क सैर करने वाले लोग
से भरा पड़ा था। कु छ जोड़े हाथ म हाथ डाले घूम रहे थे। म भी चाहता था ले कन कया नह । हमने अपनी नजर जमीन पर रखी और
धीरे -धीरे सैर करने लगे। मोटी आं टयां जो साड़ी और भागने वाले जूते पहने थ , और िजनम वजन घटाने का प ा इरादा था हमारे पास
से गुजरी।
‘ या बात है’, मने मूंगफली का एक पै कट लेते ए कहा।
‘कु छ चीज को आने म देर हो गई है’ उसने कहा।
मने सोचने क कोिशश क क वह कस बारे म बात कर रही है ले कन म अ दाजा नह लगा सका।
‘ या?’ मने पूछा।
‘मेरे पी रयड’ उसने कहा।
पु ष पी श द सुनने के बाद कु छ कहने क ि थित म नह होते। यादातर मामल म वो सु रह जाते ह।
‘स ी?’ ‘कै से?’ मने श द को ढू ंढते ए कहा।
‘तु हारा या मतलब है कै से?’ इ ह कल प ीस को आना था ले कन नह आये।’
‘ या तु ह प ा िव वास है?’ ‘माफ करना, अगर यह आते तो या मुझे पता न लगता’, उसने मेरी ओर देखते ए कहा।
‘नह , मेरा मतलब है क या तु ह प ा िव वास है क प ीस फरवरी ही तारीख थी।’
‘म िहसाब म इतनी भी खराब नह ’ं ‘ठीक है ले कन.... ‘मने कहा मने सम या खड़ी कर दी थी। म िवचार-िवमश म कु छ भी सही बात
नह कह सकता था। मने उसे मूंगफली देनी चाही, उसने मना कर दया, ‘ले कन या?’ उसने पूछा।’ पर हमने सावधानी बरती थी ‘और
यह लड़ कय म कै से होता है या वे हमेशा समय पर आते ह?’ मने पूछा।
संसार म कु छ भी एकदम समय पर नह होता।
‘आमतौर पर मेरे समय पर होते ह ले कन मने कभी याल नह कया। ले कन अब जब म तु हारे साथ ं थोड़ी सी देरी भी मुझे डराती
है और उ सुकता और देर कर देती है।’
‘ या तुम डॉ टर को दखाना चाहोगी’ म समाधान बताने के िलये उतावला था। ‘और या कहगे? कृ पया जांच क िजए क या म
गभवती ।ं ’
एक और पी श द पु ष को सु करने के िलये नह उसने ऐसा नह कहा। तुम गभवती नह हो सकती’, मने कहा। मेरे माथे पर इतना
पसीना आया जैसे मने मैदान के तीन च र भाग कर लगाये ह। मने अपने हाथ को मला और गहरी सांस ल । ‘ य नह हो सकती?
उसने ऊंची आवाज म कहा। उसका चेहरा िचि तत लग रहा था। ‘और या तुम अित आलोचना मक क अपे ा सहायक हो सकते हो?’
‘आओ यहां बैठो’, मने एक बैच क ओर इशारा करते ए कहा। मने मूंगफली को कू ड़ेदान म फका। वो मेरे पास बैठ गई। मने सोचा क
या मुझे अपनी बाह उस के क धे पर रखनी चािहए। म उसके इतना करीब था क यह वैसे भी हो गया था। वो चुप रही। उसक आंखो
से दो आसू टपके । हे, भगवान् मुझे कोई रा ता िनकालना होगा। मेरे मन ने ती गित से िवक प सोचने शु कये। ( क) उसे हसाऊं.
बुरा िवचार (ख) एक तरफ हट जा.... नह (ग) कु छ सश समाधान जैसे ए श द..... िबकु ल नह ‘डी’, उसे पकडू .ँ . शायद ठीक है पकडू ँ
और उसे बताऊं क तुम उसके िलये वहां होगे। बेवकू फ आदमी इसे तुर त करो।
म बैच पर इसके और करीब हो गया और उसे आ लंगनब कर िलया। उसने अपना चेहरा मेरे कं ध पर रख दया और रोने लगी। उसके
हाथ मेरी कमीज़ पकड़े ए थे।
‘िच ता मत करो, म तु हारे पास ।ं ’
‘ य , य , यह ठीक नह है’ ‘ य , मुझे ही यह सब देखना पड़ेगा, उसने रोते ए कहा और य तुम इसी समय गभवती नह हो
सकते।’
ले कन म पु ष ,ं मने कहना चाहा ले कन वह यह जानती थी।
‘सुनो िव ा, हमने र म ढंग का योग कया। हमने सावधानी बरती, म जानता ं यह 100 ितशत नह है ले कन संभावना काफ
कम...।’
िव ा ने रोते ए अपना िसर िहलाया िहसाब हमेशा से-सां वना देने के िलये भयानक है। कोई भी भावना मक ण म स भावना म
िव वास नह करता।
एक प रवार साथ से गुजरा, एक आदमी ने एक मोटे ब े को अपने कं ध म उठा रखा था। मने इसे अपने जीवन म बोझ के प म देखा।
िवचार क गाड़ी फर से शु हो गई। म 22 वष का ।ं मेरे अपने ापार के िलए बड़े व है। मुझे अपनी मां क सहायता करनी है।
इसके बारे म भी सोचो क मुझे अपने दो त के ल य के बारे म भी सोचना है और िव ा? वह के वल अ ारह वष क है उसने अभी और
आगे पढ़ना है। लोक-स पक ि या जो भी वह बनना चाहती है वह एक जेल से दूसरी जेल क तरफ नह जा सकती। ठीक है खराब
हालत म मुझे ‘ए’ श द के बारे म कहना पड़ेगा
वह मेरे से दूर ई, रोने ने उसक आंखो गीली और चेहरे को गुलाबी कर दया था वह और भी सु दर लग रही थी। या बात है क पु ष
कभी भी सु दरता को यान म लाये िबना नह रह सकते कभी भी? हम कु छ िमनट के बाद वापस जाने के िलये उठे । ‘एक या दो दन
इ तजार करते ह तब हम देखगे क हम या कर?’ मने ऑटो टड पर प च ं ते ए कहा, ‘यह शायद गलत अलाम है।’ ‘म शायद’ यादा
ित या दे रही ,ं मुझे शायद तु ह बताने से पहले एक-दो दन इ तजार करना चािहये था,’ उसने ऑटो म मेरी अंगुिलय को मरोड़ा।
उसका चेहरा शा त से िचि तत हो गया था। हम ऑटो म पांच िमनट चुप बैठे, तब मुझे कहना पड़ा, िव ा इस मामले म अगर यह गलत
अलाम नह है तब हम या करना चािहये? या हम इस बारे म बाद म बात करनी चािहये।’
‘तुम मुझे बताओ, तुम या करना चाहते हो?’
जब मिहलाय आपको आपक पस द के बारे म पूछती है तो उनके मन म पहले से ही एक पस द होती है। अगर तुम सब कु छ ठीकठाक
रखना चाहते हो, तो तुम उसी को चुनो। मने उसक आंखो म देखा यह जानने के िलये क वो मेरे से कौन सा उ र चाहती है। म यह
मालूम नह कर सकता था।
‘मुझे नह पता यह मेरे िलये एक ब त बड़ा समाचार है। म नह कह सकता क हम या करगे, गभवती और गभपात मुझे नह पता यह
सब कै से होता है।’
‘तुम चाहते हो म गभपात करवाऊं?’
‘नह -नह ’ मने कहा ‘नह म जानता ँ दूसरा िवक प या है शादी।’
‘माफ करना, म अ ारह साल क ,ं मने अभी कू ल ख म कया है।’ उसने कहा।
‘तब या?’
‘म नह जानती।’
‘म सोचना भी नह चाहती। कृ पया, इस बारे म कोई बात न करो।’
हम शेष या ा म चुप रह ‘यह लो एक िहसाब क कुं जी घर म दखाने के िलये,’ मने उसे एक पु तक देते ए कहा जब हम घर प च
ं े।
िव ा और मने उस रात ‘ या तुम सो गये’ ‘अभी नह ’ जैसे स देश का आदान- दान कर रात िबताई।
‘ या आ?’ ईश ने पूछा जब म अगली सुबह अपना िसर ग ले पर टकाया। ‘कु छ नह , रात अ छी तरह सो नह सका।’ ‘ य ?’ पंिडत
जी क बेटी के बारे म सोच रहे हो, ईश ने हंसते ए कहा।
मने उसक बात को अनसुना कया। हर घ टे म िव ा को ‘कु छ- आ’ का स देश भेजना चाहता था। ले कन वह मुझे बता देगी अगर कु छ
होगा। मने एक कै ल डर िनकाला और सभी पुरानी तारीख को खोजा जब-जब हमने स ब ध बनाये। कई महीन पहले पहली बार को
छोड़ कर मने हमेशा सावधानी बरती थी। या वे कसी और वजह से देर से थे? म नह जानता और न ही म कसी से पूछ सकता था।
ईश और ओमी शायद ‘पी’ श द के बारे म जानते भी न हो। और िव ा के अित र कोई ऐसी औरत न थी िजसे म जानता था। और म
अपनी म मी से भी इस बारे म नह पूछ सकता था। मने अपना फोन दोबारा उठाया, ‘कै सा चल रहा है?’ मने एक साधारण सा स देश
भेजा, ‘अभी तक कु छ नह ’ उसने जवाब भेजा।
अगली रात मुझे थोड़ी न द आई। अगली सुबह म ज द अपने िब तर से िनकला और दोबारा उसे एस.एम.एस. कया। मेरे पास उसक
तरफ से पहले ही एक एस.एम.एस. था’ थोड़ी सी दद है और कु छ नह ।’ मने फोन को एक तरफ फका। मुझे ज दी दुकान पर प च
ं ना था
ता क म सामान ले सकूं । फर भी और देर से जाना नह चाहता था।

Downloaded from Ebookz.in


अ ारह

‘ या गािड़यां कभी समय पर आती है, ‘मामा क तेज आवाज ने हम काम करते ए रोका। ईश एक िवकट का िड बा ख च कर ला रहा
था।
‘मामा आप यहां इतनी ज दी’, ओमी ने पूछा।
मामा ने िवके ट के िड बे पर दो पंक पेपर रखे। उ ह ने अपने माथे पर सुबह क आरती का टीका लगा रखा था।
‘म अपने बेटे और सेवक के िलए गम-गम कचौ रयां लेकर आया था, उनक गाड़ी सुबह पांच बजे आनी थी पर यह पांच घ टे देरी से
चल रही है, अब या करे , मने सोचा, अब म यह तु हारे साथ खा सकता ,ं ’ मामा ने कहा और कचौ रयां बाहर िनकाल ल ।
‘हमारे िलये बचा आ ना ता’ ओमी ने हंसते ए कहा।
‘ये िब कु ल ताजी ह, म उनके िलये और ले आऊंगा जब वे आ जायगे। गम-गम ही खा लो, आओ ईश, आओ गौिव द,’ मामा ने कहा ‘म-
नह जानता था क तुम इतनी ज दी आ जाते हो, ‘दुकान क घड़ी ने आठ बजाये।
‘गोदाम म कु छ काम था,’ मने कचौड़ी का एक टु कड़ा काटते ए कहा। कचौिड़यां बड़ी वा द थ , हमने चाय, मंगवाई और दुकान के
बाहर कू ल पर बैठ गए
मामा ने ओमी से उसके र तेदार के बारे म बात करना शु कया। ईश और मने सारे दन कसे- कसे माल देना था, इस बारे म िवचार
कया। दुकान नौ बजे तक नह खुलनी थी, हम आराम से खा सकते थे। ‘चाय का तीसरा दौर ठीक, िब कु ल ठीक,’ मामा को कहा और
चाय वाले लड़के को फर से बुलाया। मेरा दो कचौ रयां खाकर पेट भर गया था।
मामा-साढ़े नौ बजे जाने के िलये खड़ा आ। मने िड ब को दोबारा बांध कर उसे दे दया। ‘इसे रखो म और ले लूंगा।’
‘नह मामा, हमने काफ खा िलया....।’ मामा क फोन क घ टी ने मुझे बीच म-रोका। मामा ने फोन उठाया, उसका चेहरा िचि तत हो
गया, उस का मुंह खुला और उसक आंखे इधर-उधर घूमने लग ।
‘म कोच का न बर नह ! जानता। तुम मेरे से य पूछ रहे हो।’
‘ या बात है मामा?’ ओमी ने मामा से पूछा
मामा ने अपना हाथ फोन पर रखा और ओमी क ओर घूमा।
‘अयो या से एक िन पाट का कायकता बोल रहा है। उसने कार सेवक को िपछले दन गाड़ी म बैठाया था, अब वह कोच का न बर
मांग रहा है और वह यह नह , बता रहा क वो य मांग रहा है।’ मामा ने कहा।
‘ को, ओमी ने दुकान के अ दर जाते ए कहा वह एक कापी लेकर बाहर आया। मने कोच का न बर व दूसरी जानका रयां बु कं ग
करवाते समय नोट कर ली थी।’ ओमी ने कहा।
मामा ने कापी ली और फोन पर बोलने लगा, ‘ठीक है सुनो, वह एस 6 म थे हां एस 6 हां सौ ितशत एस 6, हैलो, सुनो तुम मुझसे बात
करते समय भगवान को य याद कर रहे हो हैलो.....।’
दूसरी तरफ से फोन काट दया गया। मामा ने दोबारा न बर िमलाने क कोिशश क पर कसी ने न बर नह िमलाया।
‘ या हो रहा है?’ मने पूछा। ‘म नह जानता, मुझे जाना चािहए-म टेशन जाऊंगा’, मामा ने कहा।
‘म आपके साथ आता ।ं ’ ओमी ने कहा।
‘नह , सब ठीक है, मने वैसे भी जाना था, म ढू ंढ लूंगा ‘मामा ने कहा और चल दया।
दो घ टे बाद, सारे देश को पता चल चुका था।
‘चैनल को बदलना ब द करो’ मने िच ला कर कहा,’ वे सब एक ही चीज दखा रहे ह।’
हम एन.डी.टी.वी, पर के । समाचार पढ़ने वाले ने दसव बार उस समाचार को दोहराया।
‘पचास से यादा लोग मारे गये ह और दजन के करीब लोग को चोट आ जब शरारती त व ने बुधवार क सुबह गुजरात के गोधरा
टेशन पर साबरमती के िड बे को आग लगा दी। ‘चैनल वाल ने गोधरा के एक रे लवे अिधकारी का न बर िमलाया ‘ या आप बता
सकते ह क वा तव म या आ है?’ समाचार वाचक ने पूछा।
‘हम अभी िव तृत जानकारी ले रहे ह करीब सुबह साढ़े आठ बजे साबरमती ए स ेस गोधरा टेशन पर क ।’
अिधकारी ने बताया और साथ ही उसक आवाज चली गई।
‘हैलो, या आप मुझे सुन सकते ह’, समाचार वाचक ने कई बार पूछा।
‘हां, अब म सुन सकता ’ं , अिधकारी ने अपनी कहानी आगे बढ़ाते ए कहा। इस समय जो बात चैनल वाल को पता चली, उसके
अनुसार एक समूह ने साबरमती ए स ेस के िड बे पर पथराव कया। उसम अयो या से आ रहे कार
से।वक थे। याि य ने प थर से बचने के िलये िखड़ कयां ब द कर ल । समूह ने िड बे पर पे ोल फक कर आग लगा दी।
‘यह समूह कस कार का था, या यह पूव िनयोिजत लग रहा था?’ समाचार वाचक ने पूछा।
रे लवे अिधकारी िववादा पद बात से बचा।
‘पुिलस आ गई है, जांच पड़ताल जारी है, के वल वह ही िव तृत जानकारी दे सकते ह।’
ईश, ओमी और मने लगातार टी.वी. देखना जारी रखा। हमने उस दन के सारे काय थिगत कर दये।
‘मामा फोन नह उठा रहे ह, मने दस बार कोिशश क ’ ओमी ने फोन एक तरफ िगराते ए कहा।
िविभ टीवी चैनल गोधरा टेशन प च ं गये थे। हमने जले ए िड बे को देखा। बाक क गाड़ी अहमदाबाद के िलए रवाना हो चुक
थी। एक चाय बेचने वाले ने रे लवे अिधकारी से अिधक बताया।
‘समूह म मुसलमान थे, उनक िह दु कार सेवक के साथ बहस ई और उ ह ने औरत , ब व सबको जला दया।’
‘58 लोग मारे गये ह और 20 से अिधक घायल ए ह,’ समाचार वाचक ने कहा, और अभी-अभी हम इस बात क पुि ई है क जलने
वाला िड बा एस 6 था।’
‘ या उसने एस 6 कहा था, ओमी ने मेरी ओर मुड़ते ए कहा। म चुप रहा। म एक बुरी खबर को प ा नह करना चाहता था।’
‘ या उसने कहा था? मेरा भाई उस िड बे म है, ओमी ने बाहर भागते ए कहा। हम दुकान से बाहर आये। हर दुकानदार के ग भीर
भाव थे।
‘उ ह ने छोटे ब को जला दया, कस तरह का समुदाय है यह।’ एक फू ल बेचने वाले ने अपने एक पड़ोसी िमठाई वाले को कहा।
‘रे लवे टेशन पर सुबह-सुबह यह सब आ, उनके हौसले देखो,’ एक अ य दुकानदार बोला।
‘उ ह ने दन दहाड़े अमरीका पर हमला कया था, और अब हरामजादे गुजरात प च ं गये ह और द ली वाले कु छ नह करगे,’ फू लवाले
ने कहा। मि दर म शायद ही कभी गािलयां सुनाई देती ह, ले कन आज का दन िभ था। मेरे जीवन के सारे दन से आज का दन िभ
था।
ओमी अपने िपता, माता और मामा क प ी के साथ मि दर से बाहर आया। सारे दुकानदार, ईश और म उन के आस-पास इक े हो गए।
‘मेरे धीरज को लाओ, म कह रही ं मेरे धीरज को लाओ।’ मामा क प ी क चीख मि दर क दीवार से टकरा रही थी
‘म टेशन जाकर देखता ’ं , ओमी ने कहा। उसने मामा का न बर फर से िमलाया, पर कसी ने नह उठाया।
‘ना जाओ, कह न जाओ, शहर सुरि त नह है’, फू ल वाले ने कहा। ओमी क मां ने ओमी का हाथ कसकर पकड़ा।
‘ज दी क यू लग सकता है। दुकान ब द करनी चािहए और घर जाना चािहये’, एक फू लवाले ने कहा।
दुकानदार िबखर गये। धीरज क मां के आसू क नह रहे थे।’ फ मत करो न मामा दोबारा फोन करगे। खबर अधूरी है। हम नह पता
या आ, मने कहा।
‘घर आ जाओ, बेटा’ ओमी के िपता ने ओमी से कहा।
‘म उनक दुकान ब द करने म मदद क ं गा’, ओमी ने कहा।
हम दुकान पर वापस गये।
उस सुबह हमारे पास कोई ाहक नह था, और हम कसी और के आने क आस भी न थी।
‘ या आपके पास द ताने ह’, ईश भैया?
‘मेरे द ताने िघस गये है’, अली क आवाज ने हम च का दया। हमने एक बजे तक दुकान ब द कर दी थी।
‘तुम यहां या कर रहे?’ ईश ने कहा।
अली आ य च कत रह गया। उसने पीले रं ग क टी-शट और पुरानी जीन पहनी थी। खुश क मती से उसने मुि लम टोपी नह पहनी ई
थी।
‘म अ यास के िलये जा रहा ।ं आज हमारा अ यास शाम साढ़े चार बजे ह।’ ‘तुमने समाचार नह देख’े , मने पूछा।
‘हमारे पास टी.वी. नह है।’
‘और तु हारे अ बा।’
‘वह अ मी को साथ लेकर, उनके माता-िपता से िमलने सूरत गये ह वह शाम छ: बजे आयगे।
‘और तुम नह गये?’ ईश ने पूछा ‘म कै से जा सकता था, हमारा अ यास था। अ यास छोड़कर म सौ उठक-बैठक क सजा नह पाना
चाहता था।’ अली ने हंसते ए कहा।’ आप दुकान य ब द कर रहे हो मेरे द ताने....।’
‘कु छ नह तुम हमारे साथ आओ, घर म अके ले मत रहना,’ ईश ने शटर िगराते ए कहा।
‘हम’ ओमी ने ठोस आवाज म कहा, ‘तुम जाओ ओमी तु हारे माता-िपता और आंटी को तु हारी आव यकता होगी’, ईश ने कहा।
‘और तुम’, ओमी ने पूछा।
‘म अली को घर ले जा रहा ,ं म उसे उसके घर प च
ं ा दूग
ं ा, जब उसके माता-िपता वापस आ जाएंग।े ’
ओमी ने कु छ कहने के िलये मेरी मेरी तरफ देखा। मने अपने क धे उचकाये। ‘तुम मेरे घर आना चाहते हो’ ईश ने मि दर से बाहर
िनकलते ए मुझसे पूछा।
म िव ा से िमलना चाहता था ले कन यह उिचत समय नह था और िव ा भी अ छे मूड म नह होगी। मने सोचा मुझे उसे
एस.एम.एस. करना चािहए या नह । ‘नह , मेरी मां को िच ता हो रही होगी’, मने कहा। वह शायद इस समय शाम के ढोकले के िलये
रसोई म सामान तैयार कर रही होगी।
म दोपहर के खाने के समय घर प च
ं ा। मने गोधरा के बारे म अपनी मां को बताया। मेरी मां ने मुझे कसम खाने को कहा क म कभी भी
कसी मुि लम लड़क के यार म नह पड़ेगा। दो अिन ा भरी रात और टी.वी. पर दखाई देने वाली घटना ने मुझे थका दया था।
मने दोपहर क झपक लेने के िलये सोचा। ओमी के फोन ने मुझे जगाया।
‘ या खबर है ओमी, मामा के साथ स पक आ’, मने अपनी आंखे मलते ए पूछा। फोन क घड़ी ने शाम के साढ़े पांच बजाए।
‘गोिव द, मने अपना भाई खो दया, वह घटना थल पर मारा गया,’ ओमी ने बताया और उसका गला भर आया। उसने रोना शु कर
दया। म िब तर से उठकर खड़ा हो गया।
‘मामा ने फोन कया था, वह ब त भड़के ए थे,’ ओमी ने बताया।
‘ या वह घर पर है?’, मने पूछा ‘नह वह पाट कायालय म गये ह, सारे कायकता उन के साथ ह। उ ह ने मुझे कहा है क उनक प ी
और कसी अ य को कु छ नह कहना जैसे कसी ने अ दाजा नह लगाया होगा।’
‘यह ब त दुखदायी है, ओमी, ब त यादा दुखदायी’, मने कहा। म यह सोच कर ही कांप गया क हम उस या ा पर जाने वाले थे।
‘म घर म चुपचाप नह रह सकता, इसिलये मुझे बाहर ही रहना होगा’ ओमी ने कहा।
‘तुम मेरे घर आ जाओ’, मने कहा।
‘ईश कहाँ है?’ ओमी ने पूछा।
‘मुझे नह मालूम, या तुम लाइन पर रह सकते हो’, मने कहा। मने ओमी का न बर रोक कर ईश का न बर िमलाया। उसने दस घ टयां
बजने के बाद फोन उठाया।
‘ईश, तुम कहां हो? तुमने फोन उठाने म इतनी देरी य क ? म बक म ।ं म अली के साथ अ यास पर आया था।
‘ या यह अ यास का समय है?’
‘ या क ं ’ म सारा दन घर बैठे-बैठे तंग आ गया था और डैड मुझे अली के साथ होने को कारण बुरी तरह से देख रहे थे।’
‘इसिलए मने कहा’, छोड़ो इसे कु छ और करते ह।
‘ईश बुरी खबर है धीरज.....।’ मने वा य को बीच म छोड़ते ए कहा।
‘अरे नह या यह सच है?’ हां, ओमी ने मुझे बताया है। मामा ने उसे घर पर चुप रहने को कहा है। वह घर से बाहर रहना चाहता है।’
‘तुम सब यहां आ जाओ’, ईशा-ने कहा।
‘ठीक है’ मने कहा और ईश का न बर ब द कर ओमी से बात करने लगा। ‘बक आ जाओ अ धेरा होने से पहले चल पड़ो’ मने ओमी को
कहा।
‘मां, मेरे िलये खाना मत बनाना, हम बक म कु छ बना लगे,’ मने कहा- और घर से िनकल पड़ा।
‘शहर म दंगे शु हो गये ह, मने सुना है जमालपुर म एक समूह के लोग ने दो घर को आग लगा दी थी’, ओमी ने कहा।
हम अपना रात का खाना खाने के िलये घर के िपछवाड़े आ गये थे। ओमी ने आलू और चावल बना िलये थे।
‘यह अफवाह है या सच है,’ मने पूछा ‘िबकु ल सच, एक थानीय टी.वी., चैनल यह दखा रहा था’, ओमी ने कहा, घर म अजीब सा
स ाटा था, मामी अभी भी धीरज क र ा के िलये ाथना कर रही है।
ओमी का रोना फू ट पड़ा, मने उसे उसका हाथ पकड़ कर अपने साथ िलपटा िलया।
अली ने हमारी तरफ देखा, मने इसका उ र मु कु राहट से दया, म उस कमरे म गया जहां हम पु तक रखा करते थे, और वहां से तीन
फटम कािम स अली को ला कर द । और अली ने खाने के साथ-साथ उसे पढ़ना आर भ कया।
हम अली से कु छ दूर बैठ गये ता क वह कु छ सुन न सके ।
‘समूह ने िजस जमालपुर बस को जलाया है उसम िह दु थे क मुसलमान’ मने पूछा।
‘म सचमुच डर गया था’ ओमी ने उ र दया।
हमने खाना ख म कया और आठ बजे तक रसोईघर साफ कर दया। हम जाने क सोच ही रहे थे तभी ईश का फोन बजा यह उसके
िपता जी का फोन था। ईश ने फोन उठाने म िहच कचाहट दखाई पर एक िमनट के बाद उठा िलया।
‘मने खाना खा िलया है, म आधे घंटे तक वािपस आ जाऊंगा.... ’
ईश बोला ‘ या?’
हम ईश क तरफ देखने लगे य क हम के वल ईश क ही बात सुन सकते थे। ‘ठीक है....ठीक है. ....सुनो। म बक म ,ं और हम यहां
सुरि त ह। हां म वायदा करता ं क हम बाहर गिलय म नह िनकलगे.....हां, हमारे पास यहां िब तर है। डरो मत।’
मने ईश को उलझन भरी नजर से देखा।
‘हमारे े म एक इमारत को आग लग गई है’, ईश ने बताया।
‘कौन सी वाली’, मने पूछा।
‘मुसलमान वाला कोने का घर’ ईश ने बताया।
‘इसे अपने आप आग लग गई’, मने पूछा।
‘यह शायद िपताजी सोच रहे ह, ले कन यह िह दु समूह ारा भी कया जा सकता है, िपता जी ने कहा है वह रहो जहां हो।’
मेरी और गोिव द दोन क मां िचि तत होगी, ओमी ने कहा।
‘उ ह फोन िमलाओ’, ईश ने कहा, म अब अली को उसके घर नह ले जा सकता, उस के माता-िपता के पास तो फोन भी नह है’, ईश ने
बताया।
मने अपनी मां का न बर िमलाया और बताया क म बक म सुरि त ।ं हम पहले भी बक म रात गुजार चुके थे।
हमारी कई शराब पा टयां शाखा ब धक क पहली मंिजल के कमरे म हो चुक थी।
हम खाना खाने के बाद, ती ा करने वाले े म बैठ गये और ताश खेलने लगे। अली ज दी सो गया। ईश ने ब धक के कायालय से
एक रजाई उठाई और उसे अलग सोफे पर िलटा दया।
ओमी ने तीन प े िगराते ए कहा’, तीन इ े ।
मने प को फटा, तभी ती जय घोष ने मेरे िवचार को तोड़ा।
‘यह या है?’ म घड़ी देखते ए बोला। उस समय दस बज रहे थे। ‘यह िह दु जयघोष है’, ओमी ने कहा ‘गु से वाले जयघोष ह’, ईश ने
कहा। ढोल क आवाज पर िशव और राम के जय-घोष लग रहे थे। हम दो मंिजल ऊपर चढ़कर बक क छत पर चले गये। शहर सद रात
के संतरी रं ग का लग रहा था। मने सड़क के पार तीन जलते ए आग के गोले देख।े सबसे नजदीक क आग के वल पचास गज दूर एक
इमारत म थी। लोग का समूह उस इमारत के बाहर खड़ा था। वे इमारत पर प थर मार रहे थे। म ठीक कार से नह देख सकता था
ले कन वहां से लोग के िच लाने क आवाज आ रही थी। िच लाने के साथ-साथ िवजय जयघोष भी लग रहे थे। हो सकता है आपने दंग
के बारे म सुना हो या टी.वी., म देखा हो ले कन इ ह अपने सामने देखना आपको झकझोर कर रख देता है। मेरे साथ का पड़ोस कोई
आपदा फ म का सैट लग रहा था। एक जलता आ आदमी सड़क क दूसरी ओर भागा। िह दु समूह ने उसका पीछा कया। वह हमसे
के वल 20 गज आगे, प थर से टकराकर िगर पड़ा। समूह ने उसे घेर िलया। दो िमनट के बाद भीड़ चली गई ले कन वह आदमी वह पड़ा
रहा। मने अपने जीवन म पहली बार कोई मौत देखी थी। मेरे हाथ, चेहरा, गदन, टांगे सब कु छ ठ डी पड़ने लगी। मेरा दल उसी
अनजाने भय से धड़कने लगा िजस तरह भूचाल वाले दन धड़का था। कृ ित ने वो आपदा रची थी, आदमी ने यह रच दी। म नह
जानता कौन सी यादा खतरनाक ह।
‘अ दर आओ’ ईश ने मेरी बाजू मजबूती से ख चते ए कहा।
हम नीचे आ गये। मेरा शरीर कांप रहा था।
‘सब ठीक है, आओ सोने चलते ह, पुिलस ज द ही आ जायेगी। सुबह तक सब ठीक हो जायेगा’, ईश ने कहा और मेरे क धे पर हाथ रखा।
‘ या हम इक े सो सकते ह?’ मने पूछा। हां म मानता ,ं म बुरी तरह डर गया था।
ईश ने हां म गदन िहलाई, उसने अली को सोफे पर से गोदी म उठाया। हम पहली मंिजल पर शाखा ब धक के कमरे म प च
ं े और
अ दर से दरवाजा ब द कर िलया। मने सोने से पहले अपना फोन देखा, िव ा ने मुझे एक ‘िम ट कॉल’ दी ई थी। मेरी उस समय ऐसी
अव था नह थी क म उसे कॉल करता या एस.एम.एस. करता वैसे भी ईश मेरे साथ था। मने फोन अपनी जेब म रख िलया।
मने तीन रजाइयां ल और अली के साथ बीच म सो गया। ओमी और ईश हमारे आस-पास लेट गये। हमने रात साढ़े दस बजे बि याँ
बुझा दी।
लगभग साढ़े यारह बजे म एक दम जागा। हमने जबरद त आवाज सुन । कोई बक का मु य गेट िहला रहा था।
‘कौन हो सकता है, मने पूछा। ईश खड़ा हो गया और अपनी कमीज पहन ली। ‘आओ देखते ह’, ईश बोला और ओमी क टांग िहलाकर
बोला, आओ ओमी।’ हम नीचे आये, मने मु य बरामदे क बि यां जला द । ईश ने चाबी वाले िछ म से झांका। यह भीड़ है उसने चाबी
वाली िछ से आख हटाये िबना कहा। मामा समूह का नेतृ व कर रहा है। हमने एक दूसरे क तरफ देखा, ईश ने िचटखनी खोली और
दरवाजा खोल दया।
उ ीस

‘मेरे बेट ’ मामा ने िच ला कर कहा। हमने बक का मु य दरवाजा थोड़ा सा खोल दया। मामा ने अपनी दोन बाह फै ला दी। उसके हाथ
म मशाल व दूसरे म ि शूल पकड़ा आ था। म सोच रहा था क वह ओमी को देख कर रोयेगा ले कन ऐसा कु छ नह आ। वो हमसे गले
िमलने के िलये हमारे पास आया और हम तीन को बांह म भर िलया। ‘मेरे बेट , उन हरामजाद ने मेरे बेटे को मार दया है’, मामा
बोला। और तब भी उसने हम अपनी बांह म से जाने न दया।
मने उसक िनज व आंखो म देखा वह ऐसा बाप नह लग रहा था िजसने अभी-अभी अपना बेटा खोया है। शराब और मैराजुआना क
खुशबू उसके मुंह म से आ रही थी। मामा दुखी से यादा पथराया आ लग रहा था।
‘मेरा भाई, मामा’ ओमी ने अपने आसु को रोकते ए कहा।
‘रो मत आज कोई नह रोयेगा’ मामा हम छोड़ते ए िच लाया। वह पीछे मुड़कर भीड़ से बात करने लगा, ‘हम िह दु के वल रो सकते ह
जब क यह बदमाश स दय से आकर हम मार रहे ह। एक िह दु देश म, एक िह दु रा य म यह
बदमाश दन दहाड़े आ सकते ह और हमारे ब को जलाते ह और हम रोने के अित र कु छ नह करते। वे सोचते है इनका बला कार
करो, इ ह लूटो, इ ह जलाओ, यह कु छ नह कहगे। वे सोचते ह क वे सारे संसार को आतं कत कर सकते ह और कसी म इतना दम नह
क कोई कु छ कर सके ।’
‘इ ह मार डालो’, भीड़ िच लाई। भीड़ क िहलती लती याय उनका नशे म होने का संकेत थी। यह नशा खून का था या शराब का म
नह कर सकता था। ‘ले कन इन हरामजाद ने बड़ी गलती क है। आज उ ह ने गुजरात का
बला कार करने क कोिशश क है। इन बदमाश ने सोचा क यह शाकाहारी लोग या करगे? आओ, हम इ ह दखाय क हम या कर
सकते ह!’
मामा ने अपनी कमर म से छोटी बोतल िनकाली और घुंट भरा। हमने बक क ओर पीछे को कदम कये, ‘ या वे यह तो नह सोच रहे
क हम उन का साथ दगे, म नह देने वाला,’ मने ईश के कान म फु सफु साया।
‘और न ही म जाने वाला ं और आओ ओमी को भी ले चलते ह’ ईश बोला। हमने ओमी को हमारे पीछे छु पने को कहा। इस संवेदनशील
घड़ी म ईश ने बक का मु य दरवाजा ब द कया और ताला लगा दया।
‘तुम या फु सफु सा रहे हो’ मामा ने पूछा। वह लगभग फश पर िगरने वाला था। उसक मशाल फश पर िगर गई। भीड़ साफ-साफ
दखाई देने लगी। उसने मशाल को वािपस उठाया, ‘मेरा दूसरा बेटा कहां है? इस दरवाजे को खोलो,’ मामा ने कहा य क वह ओमी
को नह देख सकता था।
‘तुम या चाहते हो, मामा। या हम कल बात कर सकते ह’ मने पूछा। ‘नह , कल नह ’ मुझे आज ही कु छ चािहये।
‘मामा आप जानते ह, ओमी को घर जाना है..।’ मने कहा। मामा ने मुझे एक तरफ ध े से हटाया।
‘मुझे ओमी नह चािहये, मुझे तुम म से कोई नह चािहये, मेरे पास काफ आदमी है जो मेरे साथ उन हरामजाद को मारने म मेरी मदद
कर सकते ह।’
ईश मेरे पास आकर खड़ा हो गया और स ती से मेरा हाथ पकड़ कर खड़ा हो गया।
‘हम छोड़ो मामा’, ईश बोला।
‘मुझे वो लड़का चािहये’ मामा ने कहा।
‘ या?’ ईश ने कहा
आंख के बदले आंख। म उस का यह गला काट दूगं ा। उस के बाद म अपने बेटे के िलये रोऊंगा। उस बदमाश लड़के को पकड़ कर लाओ।’
मामा ने ईश क छाती को ठोकते ए कहा। ईश बड़ी मुि कल से खड़ा रह सका। जलती ई मशाल ने बक के मु य दरवाजे क सूखी
घास को जला दया। एक बड़े ताले ने दरवाजे को ब द रखा और भीड़ को बाहर।
‘मामा, तुमने शराबी पी रखी है, यहां कोई नह है’ ओमी ने कहा।
‘तुम पहले अपना बेटा खोकर देखो, तब तु ह, पता चलेगा क शराबी या होता है’, मामा ने कहा,’ और म जानता ं क वह यह है
य क वह अपने घर पर नह है।’ ‘मामा, तु हारी लड़ाई उसके बाप के साथ है।’ मने कहा।
‘मने उसके बाप का, और उसक वै य सौतेली मां का ब ध कर दया है। मने उन दोन को इससे मार दया।’
मामा ने अपना ि शूल ऊपर उठा कर दखाते ए कहा। ि शूल के कोन पर खून था। मने ईश और ओमी क तरफ देखा। हम ने एकदम
िनणय िलया। हम बक क ओर भागे। मने मु य ार को ब द कया और कु डी चढ़ा दी।
मने ल बी ठ डी सांस भरी।
‘शांत, शांत.... हम कु छ सोचना है,’ ईश ने कहा।
‘म उनके साथ िमल जाता ं और उ ह यहां से ले जाता ’ं ओमी बोला।
‘नह , यह बात नह चलेगी’ ईश ने कहा।
‘उ ह ने उसके माता-िपता को मार दया’, मने कहा। मेरी सांस तब भी तेजी से चल रही थ । भीड़ ने दरवाजे पर फर से चोट प च
ं ाई।
उ ह हमारा वहां से गायब होना पसंद नह आया था। म हैरान था क ताला कतनी देर टू टने से बच सकता था। म सोफे पर बैठ गया।
मुझे इन भारी आवाज के बीच भी कु छ सोचना था। ‘हमारे पास और या रा ते ह?’ मने पूछा।
‘हम उनके साथ बातचीत कर सकते ह’, मने फर से सलाह दी। कसी ने उ र नह दया।
‘उनक आंखो म पागलपन है, वे बात नह करगे’, ओमी ने कहा।
‘हम भागने क कोिशश कर सकते ह या लड़ सकते ह’, ईश बोला।
‘तुम उन 40 लोग के साथ लड़ना चाहते हो िजन पर मारने का भूत सवार है।’ ‘तो फर या करे ?’ ईश ने पूछा। मने ईश क तरफ देखा
और जीवन म पहली बार वह मुझे डरा आ लगा। म उसक तरफ देखता रहा, इस आशा म क वह सारे रा त के बारे म सोचेगा। यहां
तक क सबसे खतरनाक रा ता भी।
‘अली को देने के बारे म सोचना भी ना’, ईश ने मेरी छाती पर अपनी अंगुली मारते ए कहा।
‘तब हम उ ह और या दे सकते ह, मने पूछा।
‘पैसा!’ ईश ने कांपते शरीर के साथ कहा, ‘तुम कहा करते हो अगर पैसा बीच म डालो तो लोग हमेशा बात करते ह।’
‘ले कन, हमारे पास उतना पैसा नह है’, मने कहा।
‘ले कन हम जमा कर लगे, और उ ह दे दगे’, ईश ने कहा।
‘ले कन मामा, यह सब पैस के िलये नह कर रहा’, ओमी ने कहा।
‘यह सच है’, ईश ने कहा, ‘ले कन अगर हम बा कय को खरीद लेते ह तो अके ला मामा कु छ नह कर सके गा। हम भीड़ को िबखराने क
आव यकता है।’ मने कमरे म च र लगाने शु कये। हमारे पास पैसा नह था ले कन दंगाई पड़ोस के गरीब लोग थे िजनके पास खोने
को कु छ नह था। ‘ले कन फर भी उन से कौन और कै से बात करे गा?’
‘तुम पये क भाषा सब से अ छी बोल सकते हो’, ईश ने कहा।
‘यह बात उ टी भी पड़ सकती है। ले कन म मामा को उनसे अलग कै से क ं ?’ मने कहा।
‘म यह क ं गा’, ओमी ने कहा।
हमने मु य ार को खोला। भीड़ ने मु य दरवाजे के ताले पर अपने ि शूल मारने ब द कर दये।
‘आओ बेटा। आओ, दरवाजे को खोलो, तुम तीन लड़के यहां से जा सकते हो, बाक हम देख लगे’ मामा बोला।
‘मामा, म तुमसे, के वल तुमसे बात करना चाहता ,ं ‘ओमी ने सहानुभूित भरे तर म कहा।
‘ठीक है, बेटे अब दरवाजा खोलो’, मामा ने कहा। मने आगे बढ़कर दरवाजा खोल दया। मने हाथ िहला कर भीड़ को शांत करने क
कोिशश क । मुझे िव वास से भरपूर लगना था।
‘पीछे हटो, मामा अपने दूसरे बेटे से बात करना चाहते ह’, मने कहा।
ओमी ने मामा को बांह म िलया और एक तरफ ले गया। मामा ने उसे ढांढस बंधाया। मने भीड़ म कसी भावशाली ि को खोजने
क कोिशश क । एक पगड़ी पहने ए ि िजसे ने सोने क चेन पहन रखी थी और उस के पीछे छ: आदमी खड़े थे। मने उसे बुलाया।
‘ या म तुमसे बात कर सकता ?ं ’, मने कहा।
वो ि मेरे करीब आया। उसने अपने हाथ म मशाल उठा रखी थी मेरे गाल ने उसक गम महसूस क ।
‘जनाब, म आपको एक ताव देना चाहता ।ं ’
‘ या?’
‘इनम से आपके कतने आदमी ह?’
‘दस’ उसने िहच कचाते ए कहा।
‘अगर म आप को दस हजार पये देने का वायदा क ं तो या तुम यहां से चले जाओगे?’ मने पूछा।
‘ य ?’ उसने पूछा?
‘कृ पया कु छ मत पूिछये। इस ताव के बारे म सोिचये और इसे अपने पास ही रिखये य क मेरे पास सबको देने के िलये पैसा नह है।’
‘तुम लड़के को य बचाना चाहते हो’ उसने पूछा
‘प ह हजार, बस इससे अिधक नह । मेरी दुकान मि दर म है। अगर म पैसा न दूं तो तुम उसे तोड़-फोड़ सकते हो।’
सोने क चेन वाला आदमी अपने समूह के पास गया। उसने पीछे मुड़ कर उनसे बात क । वह मेरी तरफ मुड़ा और हां म गदन िहलाई।
मेरी सम या का 25 ितशत हल हो गया था।
मामा, ओमी को छोड़ मेरे पास आया। ‘यहां या हो रहा है’, मामा ने कहा। उसने अपनी शराबी हालत म यह याल नह कया क 40
म से दस आदमी कम हो गये ह।
‘मामा, फर से सोच लो, आपका पाट म एक भिव य है। पा रख जी, इस बात को नह मानगे’, मने कहा।
मामा ने हंसते ए अपना फोन िनकाला और एक न बर िमलाया।
‘पा रख जी नह मानगे’, मामा ने कहा और फोन के उठाने का इ तजार करने लगा।
‘हां, पा रख जी, हां म ठीक ,ं िच ता मत करो, म बेटे का दुख बाद म कर लूंगा। अभी यह यु का समय है और कोई सोचता है क आप
मेरे से खुश नह है, ...उस से बात क िजए।’
मामा ने फोन मुझे पकड़ा दया। भीड़ पीछे इ तजार करने लगी।
‘हैलो, कौन बोल रहा है’, पा रख जी क आवाज दूसरी तरफ से आई।
‘पा रख जी, गोिव द बोल रहा ,ं ओमी का दो त। हम आपके साथ िवशला आये थे.....’ मने कहा।
‘हां.....हां बेटे, यह हम िह दु के िलये संकट क घड़ी है तो या तुम हम मदद कर रहे हो।’
‘ले कन यह गलत है, ीमान्’ मने कहा। मुझे नह मालूम मने उ ह ीमान य कहा। मने फर कहा, यह गलत है।’
‘ या रे लगाड़ी जलने क बात कर रहे हो ना?’
‘नह , पा रख जी, वह एक लड़के को मारना चाहते ह।’
‘तो म या कर सकता ’ं उसने कहा। ‘उ ह रो कये’।
‘हमारा काय लोग क बात सुनना है, वही करना है जो वह हम कहते ह, न क इसका उलटा।’
‘लोग यह नह चाहते’, मने कहा।
‘वे ऐसा ही चाहते ह, मुझ पर िव वास करो। आज, कु कर को ेशर छोड़ने के िलये एक सीटी क आव यकता है।
‘ले कन ब ।े औरत?’ मने पूछा।
‘इससे कोई फक नह पड़ता क चोट खाई ई भावना को कस तरह मलहम लगती है। दुखी लोग अ छा महसूस करना चाहते ह।
दुभा यवश आज म इससे अ छा ढंग नह सोच सकता।’
‘ले कन यह ब त खतरनाक ढंग है’, मने कहा।
यह एक दो दन म ख म हो जायेगा, ले कन अगर हम इसे दबाने क कोिशश करगे तो यह एक बड़े गृह यु म बदल सकता है।
‘आपक पाट को इसके िलये दोषी ठहराया जायेगा’, मने कहा।
‘कौन दोषी ठहरायेगा, कु छ नकली धम िनरपे लोग। न क गुजरात के लोग। हम लोग को अ छा महसूस करने क ताकत दे रहे ह। वे
हम बार-बार चुन कर लायगे। तुम इ तजार करो और देखो।’
‘ ीमान, यह लड़का कसी दन रा ीय टीम म जगह बना सकता है’
मामा ने मेरे हाथ से फोन छीन िलया। ‘पा रख जी, िच ता मत करो। म हर चीज का याल रखता ।ं आप को कल मेरे पर गव होगा।’
मामा ने कहा और फोन काट दया। मने भीड़ म एक अ य छोटे नेता क तलाश क । म उस के पास गया और उसे एक ओर ले गया।
‘प ह हजार लो, और अपने लोग को साथ लेकर चले जाओ, मने कहा। इस बार मेरा लालच नह चला।
‘मामा, यह मुझे खरीदना चाहता है,’ उस छोटे नेता ने तेज आवाज म चीख कर कहा।
‘नह , नह , तुमने मुझे गलत सुना है। या तुम पागल हो गये हो,’ मने कहा और बक क ओर चल दया।
‘ओमी या हो रहा है? ज दी से लड़के को यहां लाओ।’ मामा िच लाया। ओमी ने मामा को गदन िहलाई। वह मु य ार क ओर गया।
भीड़ ार पर जमा थी और के वल बरामदा हमारे बीच था ले कन ार पर अब कोई ताला नह था। ओमी ने मु य ार को खटखटाया
ईश ने ि क पहचान कर दरवाजा खोला। दोन अ दर चले गये।
म दंगाइय के पास अके ला खड़ा था। वे मुझे र त देने का आरोपी मान रहे थे। म भी अ दर भागना चाहता था ले कन कसी को
दंगाइय को बाहर रखने के िलये बाहर खड़े होना था।
‘ या वे उसे ला रहे ह?’ मामा ने मुझसे पूछा।
‘म ऐसा ही सोचता ’ं मने कहा।
जब मामा ने दोबारा पूछा तो मने अ दर जाकर देख आने को कहा। म दरवाजे के पास गया और खटखटाया। ईश ने सेकंड के हजारव
िह से से उसे खोला और म अ दर चला गया। मने ल बी सांस ली। ईश ने दरवाजे क कु डी चढ़ाई और ती ा वाले क से सोफा
लाकर दरवाजे का रा ता रोक दया।
‘वो इ तजार कर रहे ह। अगर हमम से कोई दो िमनट के अ दर बाहर न गया तो वह हमला कर दगे’, मने कहा।
‘अली उठ गया था’, ओमी ने कहा
‘वह या है? मने पूछा। मने उसे ब धक के कमरे म ब द कर दया। बाहर कतने लोग ह?’
‘तीस’ मने कहा।
‘हम लड़ना पड़ेगा’, ईश ने कहा।

Downloaded from Ebookz.in


बीस

‘ईश म तुमसे बात करना चाहता ’ं मने कहा। ‘हमारे पास समय नह है’, ईश ने उ र दया।
‘ओमी’, मामा क चीखने क आवाज मु य ार पर से आई।
‘आ रहा ं मामा’, ओमी ने िच ला कर कहा, ‘हम पांच िमनट दीिजये।’ ‘उसे ज दी लेकर आओ’, मामा ने कहा।
मने ईश को सोफे पर िबठाया और कहा,’ ईश, या म इस वतमान झगड़े म, सही त व क बात कर सकता ।ं ’
‘ या! हमारे पास समय नह है’, ईश ने कहा। ‘म जानता ,ं ले कन म यह भी जानता ं क अगर हम तीस लोग से लड़गे तो या
होगा। हम सभी मारे जाएंगे। और इसके बाद वह अली को ले जाकर मार डालगे’, मने कहा।
‘तो तुम या कहने क कोिशश कर रहे हो’ ईश ने खड़े होते ए कहा। ‘एक जीवन को बचाने के िलये तीन िज दिगयां देना, या यह
िहसाब ठीक है।’ ‘तुम और तु हारा बकवास िहसाब। यह तु हारा ापार नह ह।’
‘तब यह सब या है, हम सब य मरे ? िसफ इसिलये क तुम उस ब े से यार करते हो।’
‘नह , ऐसा नह है’ उसने कहा और अपनी पीठ मेरी ओर कर ली।
‘तब या है, य क वह एक रा ीय धरोहर है’ ईश ने कहा।
‘वाह, और हम रा ीय ग दगी?’ ऐसा इसिलये क एक दन वह ब ा कु छ छ े मारे गा और हम भारतीय सारा दन टी.वी. देखते ए
अपना समय बबाद करगे और मजे लेना। या बकवास है। मेरी मां का या होगा? ओमी के माता-िपता का या होगा और. ...मने कहा
और चुप हो गया। म िव ा का नाम लेने ही वाला था।
‘म उसे नह छोडू ग
ं ा, तुम भागना चाहते हो तो दरवाजा खोलो, और भाग जाओ। ओमी, तुम भी जाना चाहते हो तो जाओ’, ईश ने कहा
‘म कह नह जा रहा, ले कन ईश बताओ हम उनसे लड़गे कै से?’ ओमी ने ईश से पूछा।
ईश ने हम अपने पीछे आने को कहा। वो हम रसोई घर म ले गया। उसने हम एक िम ी के तेल का कन तर उठाने के िलये कहा। उसने
उन तीन बाि टय को भी उठा िलया जो हम बीयर को ठ डा करने के िलये योग म लाते थे। हम उससे दो कदम पीछे छत क ओर चल
दये।
‘ये ब त भारी है’, मने कहा।
‘हर कन तर 20 लीटर का है, भारी तो होगा ही’, ईश ने छत पर प च
ं ते ए कहा।
पड़ोस के आसमान म आग दखाई दे रही थी। मौसम म इतनी ठं डक नह थी िजतनी एक फरवरी क रात म होनी चािहए।
‘हम आ रहे ह’, मामा ने कहा और उसके समूह ने बक के जंग लगे लोहे के दरवाजे को खोला। वे बरामदे म आ गये और मु य ार पर
चोट करने लगे।
‘शोर मचाना ब द करो मामा,’ ईश ने कहा। मामा ने ऊपर छत क तरफ देखा। ‘तुम या िछपे ए हो, बदमाश ,’ मामा ने कहा। भीड़
ने हम पर आग के गोले फके य क हम दो मंिजल ऊपर खड़े थे कु छ भी हमारे करीब नह आया। एक आग का गोला एक दंगाई पर िगर
गया और वह दद से चीखने लगा। दंगाई, हो सकता है शेष से भरे हो पर इसके साथ वह मूख भी हो सकते ह। उ ह ने इसके बाद आग के
गोले फकने ब द कर दये।
ईश ने मामा से बातचीत जारी रखी।
‘मामा, म िबना डर के पैदा आ था, देखो’ ईश ने छत के कनारे पर खड़े होते ए कहा।
भीड़ का यान बंट गया था अगर ऐसा न होता तो उ ह ने मु य ार पर हमला कर दया होता। तीन कु ि डय और एक सोफे के आगे
होने के बावजूद भी वह इसे दस िमनट म तोड़ लगे। उसके बाद वे पहली मंिजल के आने वाले दरवाजे को तोड़गे और फर के म रयल से
दरवाजे क बारी है। और अगले 15 िमनट म हम आग म जल रहे ह गे। अ छा होगा अगर ईश क योजना चल जाए।
‘जय ी राम कहो’ ईश िच लाया। यह बात काम कर गई य क भीड़ को इसम साथ देना पड़ा। भीड़ म अिधकतर लोग को यह नह
मालूम था क या हम उनको मदद कर रहे ह या नह कम से कम अभी तक तो नह पता था।
इसी दौरान ओमी और मने िम ी के तेल को कन तर से बाि टय म भर िलया। कन तर क गदन छोटी है इसिलये िम ी का तेल वहां
से तेजी से नह िनकलेगा हम बड़ी चोट क आव यकता थी।
ईश ने छत के कोने पर खड़े होकर भगवान िशव क तरह प बनाया। कु छ शराबी लोग ने उसके आगे िसर भी झुका दया। शायद आज
रात भगवान िशव दंगाइय को आशीवाद देने आये थे। एक, दो, तीन और यह गया, म,
फु सफु साया जैसे ही ओमी और मने बाि टय को उ टा कया। हमने िम ी के तेल को आगे फका ता क यह बक क इमारत से दूर िगरे ।
दंगाइय क हाथ क मशाल ने मािचस का काम कया। आग के गोले बक ये बरामदे म िगरे । भीड़ म डर फै ल गया। उ ह यह बात
समझने म कु छ ण लगे क तुमने उन पर हमला कर दया है। ईश छत के कोने से उतर आया। हमने अपने आप को दीवार क ओट म
िछपा िलया। मने अपने िसर को ऊपर उठा कर देखा क नीचे या हो रहा है। कु छ दंगाई बक के दरवाजे से बाहर भाग रहे थे य क
उनके कपड़ ने आग पकड़ ली थी। मेरा याल है अपने आप को जलाने से अिधक लोग को जलाने म अिधक मजा आता है।
‘ कतने लोग भाग गये?’ ईश ने पूछा। ‘काफ लोग भाग गये ह, नीचे अफरा-तफरी मची ई है। बचे ए लोग ने मु य ार पर ि शूल
से हमला बोल दया। मने लोग को िगनने के िलये अपने शरीर को ऊपर उठाया। मेरा अ दाजा था दस से यादा ले कन बीस से कम।’
हम अब नीचे जाना होगा ‘ईश ने कहा।’ या तुम पागल हो गये हो ‘मने कहा।
‘नह , आओ हम लोग को और कम कर’, ईश ने कहा।
‘ईश, हम लोग को चोट प च
ं ा रहे ह, इनम से कु छ मर भी सकते ह। हमने ब त सा िम ी का तेल फका है’, मने कहा।
‘मुझे कोई परवाह नह है’, ईश ने कहा, हम कु छ और लोग को चोट प च
ं ानी पड़ेगी।
हम नीचे पहली मंिजल पर आ गये। ईश ने कायालय ब धक का कमरा अपनी जेब से चािबयां िनकाल कर खोला। अली अ दर उसका
इ तजार कर रहा था। वो भाग कर आया और उससे िलपट गया।
‘मुझे ब त डर लग रहा है’, अली ने रोते ए कहा।
‘िच ता मत करो, सब कु छ ठीक हो जायेगा’, ईश ने कहा।
‘मेरे अ बा के पास घर जाना चाहता ।ं
मने अली के बाल म अपनी अंगुिलयां फे री, घर अब िवक प नह था।
‘अली, स कु छ ठीक होगा अगर तुम मेरी बात मानोगे। या तुम मेरी बात मानोगे?’ ईश ने कहा।
अली ने हां म गदन िहलाई।
‘कु छ भयानक लोग तु ह ले जाना चाहते ह, म तु ह वो ट म ब द करना चाहता ं य क वहां से कोई तु ह ले जा नह सके गा ‘ईश ने
कहा। उसने 6x6 के एकदम घुटने वाले कमरे क तरफ इशारा कया।
‘वहां?, ब त अंधेरा है’, अली ने कहा। यह लो मेरा फोन, इसक लाइट जला कर रखना। म ज द ही वापस आऊंगा। ईश ने अपना
मोबाइल उसे देते ए कहा।
ईश ने अली को वो ट म बैठा दया। उसने उसे कु छ त कये दये। अली ने फोन क लाईट जला ली। ईश ने दरवाजा ब द कया और ताला
लगा दया। उसने चाबी को अपनी जुराब म रख िलया। या तुम ठीक हो, ईश ने िच ला कर पूछा।
‘यहां ब त अंधेरा है’, अली ने कहा।
‘धैय रखो, ठीक है’, ईश ने कहा।
‘देखो हम रसोई म एक और िडश बनानी पड़ेगी। ज दी से आओ,’ ईश ने कहा। हम अली को वो ट म छोड़कर रसोई घर क तरफ भागे।
मु य ार पर िनर तर ध े पड़ रहे थे। मने अनुमान लगाया हमारे पास के वल पांच िमनट थे, उसके बाद दरवाजा टू ट जाना था।
ईश ने िसले डर उतारा, ‘इसे मु य ार क तरफ ले जाओ’, ईश ने कहा। ओमी और म गैस का िसले डर ले गये। हमने इसे मु य ार पर
पड़े सोफे के नीचे रख दया।
‘ओमी, हमने पटाखे या रखे थे’, ओमी ने पूछा।
‘ऊपर क शै फ पर’, ईश दीवाली के बचे ए पटाख के साथ वापस आया। हम इसे आमतौर पर भारत के जीतने पर जलाया करते ह।
ईश ने बम का िड बा िसले के ऊपर खाली कया। उस ने दो बम िलये और उसे बड़े करने के िलये उसका धागा िनकाल दया। भीड़
दरवाजे पर ध े लगा रही थी। मु य ार क एक कुं डी ढीली पड़ गई थी।
‘म दरवाजा खोलता ,ं तुम इसे जलाओ और इसके बाद हम भागना है’, ‘ईश ने ओमी को कहा।
ओमी ने हां म गदन िहलाई। ईश सोफे पर चढ़ गया और कु डी को पकड़ने क कोिशश करने लगा। यह भीड़ के ध से िहल रही थी।
ओमी ने मािचस जलाई और यूज के पास ले गया। जैसे ही यूज को कोना स तरी रं ग का आ ईश ने कु डी खोल दी। सोफा कु छ और
देर दरवाजे को खोल कर रख सकता था। हमारे पास अपना जीवन बचाने का इतना ही समय था।
‘भागो’, ईश ने सोफे पर से छलांग लगाते ए कहा।
हम सी ढ़य क और भागे। म छत से के वल चार कदम दूर था जब दरवाजा खुल गया।
‘बदमाश , हम तु ह नह छोड़गे। अपने ही लोग को मार रहे हो।’ उस छोटे नेता िजसे मने र त देने क कोिशश क थी, िच लाया।
वह और तीन अ य ि य ने कमरे के अ दर कदम रखा।
‘ए, को,’ उ ह ने िच ला कर कहा जैसे ही उ ह ने मुझे सी ढ़यां चढ़ते ए देखा।
मने पीछे मुड़ कर देखा आठ ि अ दर दािखल हो चुके थे।
म के वल छत से एक कदम दूर था जब मेरे कान म जोरदार आवाज पड़ी। धमाक ने िनचली मंिजल क अलमा रय को तोड़ दया था
और मु य ार को उड़ा दया था। मेरा याल है क उस छोटे नेता को िसले डर से सबसे यादा चोट लगी और अ य आठ लोग का भी
हाल कु छ यादा अ छा नह था।
म नह जानता था क हम या कर रहे थे। कसी को बदला लेने से रोकने के िलये हम खुद हमला कर रहे थे। मने कभी शरीर के भाग
को हवा म उड़ते नह देखा था। म नह जानता था कोई दंगाई बचा क नह । मने ऊपर से िनचली मंिजल क ूब को जलाया। धुंआ
और पुरानी फाइल के कागज से कमरा भरा पड़ा था। ईश और ओमी मेरे पीछे आये।
‘सब मारे गये?’ ईश ने ओमी से पूछा। धुंआ लगभग 30 सेकंड म साफ आ। कु छ आदमी कमरे म पड़े थे। म नह बता सकता था क वे
ज मी ह या मरे ए थे। पहले वाले मु य दरवाजे क जगह अब एक खाली जगह थी। मामा ने पांच अ य ि य के साथ कमरे म
कदम रखा। शायद वह खुश क मत था। उसे पहले ही अ दाजा हो गया था इसिलए उसने दूसर को पहले दरवाजा खोलने को भेजा।
पांच ि कमरे म पड़े घायल क तरफ भागे। मामा ने ऊपर देखा उसक आंखे हमारी आंखो से िमल ।
इ स

‘िव वासघाितय , हराम-जाद ’ मामा िच लाया। मने देखा मामा के दाय हाथ से खून िनकल रहा था और िम ी के तेल ने उसके कु त क
बाजूके कु छ िह से को जला दया था।
‘उ ह पकड़ो’ मामा िच लाया। वह और पांच अ य ि सी ढ़य म हमारे पीछे भागे। ईश, ओमी और म ब ध के कायालय क और
भागे और दरवाजा ब द कर िलया। ‘इ ह पकड़ो’ ईश ने कहा। उसके हाथ कांप रहे थे जैसे ही
उसने के ट के सामान को, जो क हमने ब धक के कायालय म रखा था, इधर-उधर कया। ईश ने एक बैट उठा िलया। मामा और
उसका समूह ब धक के कायालय के दरवाजे पर प चं गया था।
‘दरवाजा खोला, नह तो हम इसे तोड़ दगे’ मामा ने कहा। हालां क उ ह ने दरवाजा खटखटाने क कोिशश नह क । वो हम लगातार
धमकाते रहे ले कन कया कु छ नह । शायद उ ह डर था क पता नह इस समय हम या उड़ा दगे। मेरी दय गित उनक चीख िजतनी
ही तेजी से सुनाई दे रही थी।
‘मेरे पास फोन नह है, अपना फोन दो, ‘ईश ने मुझसे कहा।
‘हम यहां से जाने वाले नह है’, मामा क आवाज दरवाजे के उस ओर से आती सुनाई दी। मने अपना फोन ईश को पकड़ाया और ईश ने
पुिलस का न बर िमलाया।’ कोई नह उठा रहा ईश ने दोबारा िमलाते ए कहा। कसी ने उ र नह दया। ईश ने फोन ब द कर दया
और बेचैनी से उसे िहलाने लगा।
बीप... बीप...मेरे फोन ने एसएमएस आने का स देश दया।
‘एस.एम.एस. आ रहा है, ईश ने कहा और उसे पढ़ना शु कया।
हैलो, आज रात सुरि त रहना, एक बात और मुझे अभी-अभी पी रयड आ गये ह।
िन ंत? ज द िमलगे, मेरे ह ठ अ यापक। यार....म।
स देश कसी पू तकता िव ानांध क तरफ से आया था। ईश ने मुझे उलझन भरी नजर से देखा। मने अपने कं धे उचकाये और अपना
फोन उठाने लगा। ईश ने फोन मुझसे दूर कर दया। उसने मुझे अजीब हैरान नजर से देखा। उसने स देश को दोबारा पढ़ा और न बर क
जानकारी लेने लगा। उसने न बर देखा। उसने न बर िमलाया।
मुझे लगभग दल का दौरा ही पड़ने वाला था।
‘वाह या बात है? मने कभी नह सोचा था क म पी रयड को उ सव के प म मना रही होऊंगी।’ िव ा का बोलना शु हो गया जैसे
ही उसने मेरा न बर देखा। म उसक ह षत आवाज सुन सकता था चाहे फोन ईश ने ही पकड़ रखा था।
‘िव ा?’ ईश ने गु से म अपनी भ ह िसकोड़ते ए कहा।
‘ईश भैया’, उसने कहा।
ईश ने मेरी तरफ देखा और न बर काट कर फोन अपनी जेब म रख िलया। एक ण के िलये हम भूल गये क ह यारे हमारे िसर पर खड़े
थे। ईश मेरी तरफ आगे बढ़ा और म पीछे हटते-हटते दीवार के साथ लग गया।
‘ईश’ म सारी बात बता सकता .ं .. ‘मने कहा, चाहे म कु छ भी नह बता सकता था।
ईश ने अपना बैट फश पर फक दया। उसने अपना हाथ उठाया और मेरे चेहरे पर दो थ पड़ रसीद कर दये। इसके बाद उसने अपने हाथ
क मु ी बनाई और मेरे पेट म जोरदार मु ा मारा।
म फश पर िगर पड़ा। मुझे ब त यादा दद हो रहा था। ले कन मने महसूस कया क म कु छ भी कहने का हक खो चुका था िजस म दद
म चीखना भी शािमल था। मने अपने दांत भ चकर, अपनी आंखे ब द कर ल । म इसी कािबल था। मुझे अपनी दूसरी गलती क क मत
चुकानी पड़ी।
तुम या बेवकू फ कर रहे हो?’ ओमी ने कहा, चाहे उसने सारी ि थित को अ छी तरह समझ िलया था।
‘कु छ नह कर रहा, यह हरामजादा मतलबी है, यह एक सांप है आव यकता पड़ने पर यह हम बेच भी सकता है, हरामजादा ापारी।’
ईश ने कहा और मेरी जांघ म एक ठोकर मारी।
‘ या कर रहे हो ईश, तुम मरना चाहते हो’ ओमी बोला।
‘मामा, िह मत है तो अ दर आओ, ईश ने दरवाजे क ओर बढ़ते ए कहा। ओमी ने हाथ पकड़ कर मुझे उठाया। और ओमी के ऊपर लटक
गया। म हैरान था क कह मेरी अ तिड़यां जल तो नह गई।
‘मने, तु ह ऐसा न करने के िलये कहा था,’ ओमी ने कहा।
‘मने कु छ गलत नह कया,’ मने कहा। म नह जानता था क मने ऐसा या कहा। मने अभी-अभी बािलग ई िव ाथ के साथ
असुरि त स भोग कया है। यह अव य पहली दस नैितक गलत चीज म है जो कोई कर सकता था।
मामा का धीरज पांच िमनट म ख म हो गया। उसने अपने च मच को दरवाजा तोड़ने को कहा। उ ह ने अपने ि शूल को दरवाजे पर
गड़ा दया पर दूरी बनाये रखी। ‘यह समय आपसी झगड़ का नह बि क अपने आप को बचाने का है’, ओमी ने कहा।
ओमी ने ईश को बैट दोबारा पकड़ा दया और मने िवके ट को मजबूती से पकड़ िलया। हमने दरवाजे को जांचा तो पाया क कु छ और
ध पर दरवाजा खुल जायेगा। म उ ह वैसे ही अ दर आने देता ,ं ‘िचटखनी खोलते ए कहा ओमी ने कहा ‘तुम मुझे मारना चाहते
हो? आओ इ तजार कस बात का है मामा, मुझे मार डालो, ‘ओमी ने कहा और दरवाजा खोल दया।
‘एक तरफ हट जाओ ओमी, मुझे के वल इतना बताओ लड़का कहां है? ‘मामा ने कहा।
‘तु ह यहां कोई लड़का नह िमलेगा’, ईश गुराया।
मामा के पांच आदिमय ने अपने ि शूल ऊपर उठाये, हमने अपने के ट हिथयार उठा िलये। एक आदमी ने ईश पर हमला कया। ईश
ने उसे अपने बैट से रोका। ईश ने उसक बाजू, टांग, जांघ और पेट पर मारा। वह ि फश पर िगर पड़ा।
मेरे हाथ कांप रहे थे जब मने एक मोटे आदमी का सामना कया। मेरी िवके ट उस के ि शूल म फं स गई। हमारे दोन के जुड़े ए हिथयार
हवा म उछले जैसे ही हमने उ ह अलग करने क कोिशश क । उसने मेरे दाएं घुटने पर ठोकर मारी और मेरा स तुलन िबगडू गया। वो
आगे आया और मुझे दीवार के साथ लगा दया।
तीसरे आदमी ने ि शूल के दूसरे छोर से ईश क गदन पर हमला कया। ईश आगे िगर पड़ा। उस आदमी ने ईश को क जे म िलया और
दीवार के साथ ध ा दया। ओमी ने चौथे आदमी के पैर को अपने बैट के साथ कु चल दया। वह ि दद से िच लाते ए फश पर िगर
पड़ा। ओमी ने उसके पेट म ठोकर मारी ले कन पांचव ि ने ओमी क पीठ पर जबरद त हार कया। उस आदमी ने ओमी को पीछे
से पकड़ िलया।
‘भसे, तुम अब अपने आप को नह छु ड़ा सकते; उस ि ने कहा। ‘च... च बेवकू फ हरामजाद , आग से खेलने क कोिशश कर रहे थे’
मामा ने शाखा ब धक क मेज पर बैठते ए कहा। उ ह ने हम तीन को दीवार के साथ िचपका दया था। तीन बाक बचे ए ि य
ने हमारे शरीर को ि शूल से घेरा आ था।
मामा शाखा ब धक क मेज पर बैठा और हमारी तरफ देखा।
‘मुझे खून चािहये, या तो मुझे वो लड़का दो अथवा म तु हारा खून कर दूग
ं ा, ‘मामा ने कहा। उसने अपनी कमर से बोतल िनकाली और
िवह क का एक बड़ा घूंट िपया।
‘यहां कोई लड़का नह है,’ ईश ने कहा, ‘तुम देख सकते हो।’
‘मने देख िलया है, तुम िव वास यो य नह हो’, मामा ने कहा। उसने खाली बोतल ईश क तरफ फक जो उसक छाती म लगी।
दो घायल ि फश पर पड़े थे। मामा ने उ ह ठोकर मारी।
‘जाओ उसे ढू ंढो’, मामा ने कहा। दोन ि खड़े ए और कमरे से िनकल गए।
‘यहां कोई नह है’, उ ह ने बक के िविभ कमर को जांच कर िच ला कर कहा। उन क आवाज म दद था। इससे पता चलता था क
उ ह अ छी मार पड़ी थी। मामा ईश के करीब गया और उसके बाल पकड़ कर ख चे’ हरामजादे, मुझे बताओ ‘मामा ने कहा।
‘वो यहां नह है’, ईश बोला।
म तु ह....’, मामा क बात को एक फोन क घंटी ने कावट डाली।
फोन न मेरा न ही ओमी का बजा था। यह आवाज मामा और उसके फोन से भी नह आई थी।
मामा ने आवाज का पीछा कया। आवाज ब धक क मेज के करीब से आ रही थी। मामा ब धक क मेज के पीछे दीवार के पास गया।
यहां वो ट लगा आ था। आवाज वो ट के अ दर से आ रही थी।
‘इसे खोलो’, मामा ने च र जैसे ताले क ओर इशारा करते ए कहा। हम चुप रहे। ईश के फोन क घ टी बजी। मने अ दाजा लगाया
िव ा ने अपने भाई को सारी ि थित प करने के िलये फोन कया था।
‘मने कहा इसे खोलो’, मामा ने कहा, ‘यह बक का वो ट इस क चािबयां हमारे पास नह है ‘मने कहा म हर तरीके से ईश क मदद
करना चाहता था। म कु छ भी करना चाहता था िजससे मुझे अपराध बोध कम हो।
‘अरे वाह’, होिशयार ब ा बोल रहा है, कोई चािबयां नह है।’ मने अपना िसर ईश क तरफ घुमाया, ईश दूसरी तरफ देखने लगा।
मामा ने मेरी ठु ी से पकड़ कर मेरा चेहरा अपनी तरफ कया ‘तु हारा याल है हम बेवकू फ ह। तुम कह रहे हो चािबयां तु हारे पास
नह ह ले कन यह फोन इसके अ दर कै से चला गया। इन सब क तलाशी लो।’
मामा के छु ट भ य ने खूनी तलाश शु क । जो आदमी मेरी तलाशी ले रहा था उसने मेरी कमीज क जेब फाड़ दी। उसने मुझे थ पड़
मारते ए मुड़ने को कहा। उसके नाखून मुझे चुभ रहे थे जब वह मेरी ऊपर से नीचे तलाशी ले रहा था। मने दस बार उसे बताया क
चािबयां मेरे पास नह है पर उसने नह सुना। उसने दो बार मेरी पट क जेब क तलाशी ली। जब भी म कु छ कहने क कोिशश करता
वो अपनी मु ी से मेरा मुंह ब द कर देता।
यही सब कु छ ओमी और ईश को कया। जो ि ईश क तलाशी ले रहा था उसने ईश क शट फाड़ डाली। उसने ि शूल िनकाला और
उसक पसिलय म गड़ा दया।
‘इस हरामजादे के पास चािबयां नह है’ और मुझे छोड़ दया। उसने मुझे फर दीवार के साथ िचपका दया। इसके पास भी नह है’
ओमी क तलाशी लेने वाले ने कहा।
‘इसे काबू म करने क आव यकता’ जो ि ईश क तलाशी ले रहा था उसने ईश क पट को उतारने क कोिशश करते ए कहा। ईश
ने उस आदमी क जांघ पर जोर से से ठोकर मारी। मुझे ईश क छाती पर खून दखाई दया।
‘ या म कु छ मदद क ं ?’ मामा ने शाखा ब धक क मेज पर बैठे ए कहा।’ िच ता न करो, म इसे स भाल लूंगा।’ उस ि ने कहा।
चाहे ईश ने उसक बाजू पर काट िलया था। मामा ईश के पास आया उसने ि शूल का दूसरा िह सा छाती पर बने घाव पर मारा।
ईश दद के मारे िच लाया और िगर गया जो ि ईश क तलाशी ले रहा था उसने ईश को कई बार थ पड़ मारा। ईश ने अपने दांत
भ च िलये और लगातार ठोकर मारता रहा। मामा ने ईश क जेब पर हाथ डाले उसने कु छ महसूस आ। ईश ने अपनी पट के नीचे
अ यास करने वाली िन र पहनी ई थी। मामा ने अपना हाथ पट से िनकाला और फर से उस क िन र म दे दया। उस ने एक चूड़ी
िजतनी आकार का चाबी का छ ला िनकाला। इसम दो छ: इं च ल बी चािबयां लटक रही थी।
ईश फश पर लेटा था और अपने मुंह से भारी सांस ले रहा था। उसक आंखे बात को मानने से इं कार कर रही थ । ले कन उसका शरीर
साथ नह दे रहा था।
मामा ने अपने हाथ म चाबी का छ ला घुमाया। ‘मैने कभी कोई बक नह लूटा। ले कन देखो आज या इनाम िमल रहा है। बाप और
बेटा, म इनक जड़ को ही ख म कर दूग
ं ा।’ मामा ने एक ही िमनट म वो ट क चाबी का पता लगा िलया।
‘मामा नह , वह ब ा है, मेरी खाितर उस ब े को मत मारो।’ ओमी ने कहा। मामा ने ठ डी सांस भरी और मुड़ कर हमारी ओर देखा।
‘मेरा धीरज भी एक ब ा था, ‘मामा ने कहा और वो ट क तरफ चला गया।
ईश फश पर बैठ गया। उस ि ने ईश क गदन पर ि शूल का दबाव बढ़ा दया।
‘उसे हाथ मत लगाओ, वह रा ीय धरोहर है’, ईश गुराया। उस ि ने दबाव और बढ़ा दया।
‘म तु ह उतनी क मत दूग
ं ा िजतनी तुम चाहते हो’ मने कहा।
‘ब त बड़े ापारी हो, जाओ अपनी मां को बेच दो ‘मामा ने वाल का च र घुमाते ए मुझे कहा।
‘यहां बैठा है हरामजादा ‘मामा ने कहा मामा ने वो ट म बैठे अली क तरफ देखा। सफे द कु त पजामे म उसका पतला शरीर बुरी तरह
कांप रहा था। उसके आंसु भरे चेहरे ने मुझे बता दया क वह अ दर रोता रहा है।
मामा ने अली को गदन से पकड़ा और ऊपर लटका दया।
‘ईश भैया’, अली ने कहा जब उसक टांगे हवा म लटक रही थ ।
‘तुम अब िजतने भोले दखते हो दस साल बाद उतने ही रा स बन जाओगे’, मामा ने अली को नीचे लाते ए कहा। उसने अपना बंधन
अली क गदन से छोड़ दया। ‘ क जाओ मामा’ ओमी ने कहा, जैसे ही मामा ने अपना ि शूल, ऊपर उठाया। ‘तुम नह समझोगे ‘मामा
ने अपने हाथ पूजा करने के िलए जोड़ िलये।
‘भागो अली भागो’ ईश ने िच ला कर कहा। अली ने कमरे से बाहर भागने क कोिशश क । मामा ने अपनी आंखे खोल । वह अली के
पीछे भागा और ि शूल को उसक कलाई म घुसेड़ दया। अली दद से िच लाया और िगर पड़ा।
मामा, अली के पास घुटने के बल बैठ गया, ‘भागने क कोिशश न करना, कु ितया के ब े, म तु ह एक झटके म मार सकता ।ं अगर
तुमने होिशयारी करने क कोिशश क तो म तु हारी येक अंगल ु ी को बारी-बारी से काटूंगा, समझ गये।’ मामा गुराया।
उसक आंखे पूरी तरह लाल थ और आंखो क सफे द भाग कु छ ही दखाई दे रहा था।
मामा ने अपनी आंखे फर ब द क व ोक पढ़ने लगा। उसने अपने जुड़े ये हाथ को िसर और दल पर तीन बार लगाया उसने अपनी
आंखे खोल और ि शूल उठा िलया। अली खड़ा हो गया और लंगडा कर जाने क कोिशश क । मामा ने ि शूल का वार करने के िलये
ऊपर उठाया।
‘नह मामा’, ओमी ने चीखते ए कहा। ओमी ने पास खड़े आदमी को ध ा दया। वह मामा और अली के बीच म भागा। मामा ने
िच ला कर एक ोक पढ़ा और वार कर दया।
‘ को मामा,’ ओमी ने कहा।
अगर मामा कना चाहता भी तो क नह सकता था। वार म गित आ चुक थी। ि शूल ओमी के पेट म सीधा जा घुसा।
‘अहा’, ओमी ने कहा। जैसे क उसने दद बाद म महसूस क पर या आ है यह पहले देख िलया। एक सेक ड के अ दर फश खून का
द रया बन गया। मामा ने और उसके आदिमय ने एक दूसरे क तरफ देखा क या हो गया।
‘मामा, ऐसा कु छ न करो,’ ओमी ने कहा, उसे यह मालूम नह था क ि शूल पांच इं च उसके अ दर घुस चुका है।
‘ओमी मेरे बेटे’, मामा ने कहा।
ओमी दद से िच लाया जैसे ही मामा ने ि शूल को बाहर िनकाला।
मने कभी इतना खून नह देखा था। म उ टी करना चाहता था। मेरा मन सु हो गया था। उस ि ने िजसने ओमी को पकड़ रखा था।
अब उसने अली को स ती से पकड़ िलया था।
मामा ने ओमी को अपनी गोद म िलटा िलया। ‘देखो, जानवर देखो, तुमने या कर दया है,’ ईश िच लाया। ईश ने यह सारा दृ य पीछे
से देखा था। उसने ि शूल को ओमी के अ दर जाते ए नह देखा। के वल मने देखा था और वष बाद भी वह आकृ ित मुझे डराती रही।
‘कु , अखूलस बुलाओ, ‘ईश िच लाया उस ि ने अभी भी ईश को मजबूती से पकड़ रखा था। अली ने अपना खाली हाथ ओमी क
छाती पर रख दया। वह अजीब ढंग से ऊपर नीचे हो रही थी।
ओमी ने अली का हाथ पकड़ा और मेरी ओर देखा। उसक आंखे कमजोर लग रही थ । आसू मेरे गाल पर बह िनकले। मेरे पास लड़ने क
कोई ताकत नह बची थी। मेरे पास कु छ भी करने क ताकत नह बची थी।
‘हम छोड़ दो हरामजादो’ म एक ब े क तरह रोने लगा।
‘तुम ठीक हो जाओगे मेरे बेटे’, मेरा यह मतलब नह था। मामा ने ओमी के बाल सहलाते ए कहा।
‘यह अ छा लड़का है मामा, इसने तु हारे बेटे को नह मारा। सारे मुसलमान खराब नह होते’, ओमी ने अपनी कमजोर आवाज और
सांस लेने क कोिशश करते ए कहा।
‘म तुमसे ब त यार करता ं दो त’, ओमी ने मेरी और देखते ए कहा। यह वा य ब त मजेदार हो सकता था, अगर यह उसका
अि तम वा य न होता। उसक आंखे ब द हो ग ।
‘ओमी मेरे बेटे, मामा उसके शरीर म दोबारा जीवन लाने के िलये िहलाने लगा। ‘ या, या आ? ‘ईश ने पूछा। ईश ने यह सारा ामा
पीछे से देखा था। मामा ने अपना िसर ओमी क छाती पर रख दया। ईश ने अपने बंदीकता को ठोकर मारनी शु क । उस ि ने
अपनी कोहिनय म ईश को दबा िलया। ईश ने उसका ि शूल पकड़ा और तब तक दबाता रहा जब तक क वह छू ट नह गया। उसने उस
ि क जांघ म एक जोरदार ठोकर मारी। वह ि नीचे िगर गया और ईश ने उसे उसी जगह तीन बार ठोकर मारी। ईश उसका
िसर, उसके पैर पर तब तक मारता रहा जब तक क वह बेहोश नह हो गया। ईश, ओमी क तरफ भागा।
मामा ओमी के शरीर को फश पर छोड़ कर खड़ा हो गया। ईश ने ओमी के चेहरे को छु आ। उसने कभी भी एक मृतक शरीर को हाथ नह
लगाया था, अपने िम क बात तो छोड़ दो। मने ईश को पहली बार रोते ए देखा। उसने ब त कोिशश क पर आसू कने का नाम नह
ले रहे थे।
‘देखो, हरामजाद , तुमने मुझसे या करवा दया। मेरा दूसरा बेटा भी मरवा दया। ले कन म कमजोर नह ।ं म अभी तक रोया नह
,ं देखो।’ ईश ने मामा को अनदेखा कया वह उसी तरह से सु था िजस तरह क कु छ ण पहले म था। वह ओमी के शरीर को बार-
बार हाथ लगा रहा था।
‘िह दू कमजोर नह है, या म कमजोर ?ं ’ मामा ने अपने आदिमय क ओर मुड़ते ए कहा। आदमी घबराये ए लग रहे थे य क
बात योजनानुसार नह ई थी। िजस ि ने अली क बांह पकड़ी ई थी, उसने अगला कदम उठाने के िलए मामा क तरफ देखा।
‘इसे इसक मां के दलाल के पास खड़ा कर दो’ वो ि अली को मेरे पास ले आया और ि शूल से उसे रोके रखा।’ ईश के बंदीकता को
होश आने लगा था। वह उठा और ईश क तरफ भागा। उसने उस ि शूल का साफ िह सा ईश के िसर पर मारा। ईश दद म कराहा और
िगर गया। उस ि ने ईश को दोबारा दीवार के साथ धके ल दया।
ईश का चेहरा अली और मेरे सामने था। ‘अब और मौके नह ’, मामा ने अली के सामने आते ए कहा। मामा ने ब दीकता को अली को
छोड़ने के िलये कहा। मने ईश क तरफ देखा वह लगभग प ह फु ट दूर था उस का ब दीकता ब त चु त दख रहा था। ईश ने मेरी तरफ
देखा। उसक आंखे मुझे कु छ बताना चाह रही थ ।
या? मने अपने से सवाल, कया। वो या कहने क कोिशश कर रहा है। मने टेढ़ी िनगाह से ईश क तरफ देखा। उसने ज दी-ज दी
अपनी आंखो क पुतिलयां म य से बाय ओर घुमाई। वह चाहता था क म ओमी क तरफ भागकर मामा का रा ता रोकूं ।
मने अपने ब दीकता को जांचा। उसने मेरा रा ता रोक रखा था, पर उसक आंखे मामा और अली क ओर थ । एक जीिवत क पर से
अपनी आंखे हटाना मुि कल काम था। म िनकल सकता था ले कन मरने का या फायदा?
‘सुअर के ब े तैयार हो जाओ’, मामा ने पांच कदम पीछे हटकर ि शूल उठाते ए कहा।
शायद म कोिशश कर सकता था, अली को अपनी तरफ ख च सकता था। उस ढंग से मामा का वार दीवार पर लग सकता था। ईश अपने
बंदीकता को ध ा देकर हम बचा सकता था। या यह वह था जो ईश कहना चाहता था। मेरे पास आंखो को िहलडु ल का सीिमत
आंकड़ा था। मेरे पास सीिमत समय था। म िव ेषण नह कर सकता था। मने पहले करना था फर सोचना था िबकु ल इसके िवपरीत जब
म िव ा के साथ सोता था तब मुझे पहले सोचना चािहए था फर करना चािहए था।
मामा अली क तरफ भागा। म जानता था क मुझे ब दीकता क पकड़ से छू टना है, अली को पकड़ना है और अपनी ओर ख चना है। म
यह सब करने के िलए तैयार था, ले कन फर भी मने मामा क तरफ देखा। उसका भारी भरकम शरीर और तीखा हिथयार देखकर एक
डर क लहर मेरे अ दर चली गई और मने क मती समय सोचने म गुजार दया जब क मुझे काय करना चािहये था। ईश और मने फर
एक बार अपनी आंखे िमलाई और उस ने मेरा डर, और वाथ का िमला जुला प देखा। या होगा, अगर ि शूल मेरे पेट म घुस गया?
या और अगर ने मुझे िहच कचाने को मजबूर कर दया था ले कन म इन सबसे िनकला और अपनी दाय ओर छलांग लगा दी। मने
अली को पकड़ा और अपनी ओर ख च िलया। मामा ने वार कया पर अली के शरीर को नह लगा। ि शूल का एक लेड अली क कलाई
म घुस गया। अली को िब कु ल चोट नह आनी थी अगर म कु छ ण पहले छलांग लगा देता और यहां यह था, कु छ जो मने तब नह
जाना था क यह कु छ ण क देरी मेरे जीवन क तीसरी बड़ी गलती बन जायेगी।
बेशक म यह नह जानता था क मने तब एक गलती कर दी है। ईश ने वही कया जैसा मने सोचा था। उसने अपने आप छु ड़ाने के िलये
ब दी कता को अपने िसर से मारा। इससे ईश को चोट लग सकती थी पर म सोचता ं तब ईश दद से परे था। ईश ने ब दीकता का
ि शूल िलया और आदमी के दल म घुसेड़ दया। वो ि एक बार िच लाया और शांत हो गया। ईश हमारी ओर भागा। वह ठीक है-
वह ठीक है, मने ईश क ओर मुड़ते ए कहा। मने अली को अपने पास स ती से पकड रखा था।
अब वहां दो ब दीकता और मामा रह गये थे। हम कसी को मारना नह चाहते थे।
‘हम यहां से जाना चाहते ह’, ईश ने मामा क तरफ ि शूल तानते ए कहा। मामा के पास भी ि शूल था। उनक आंखे िमल । मामा के
आदमी आने वाली ं को देख रहे थे। म अली के साथ कमरे के दूसरी ओर भागा। वे आदमी हमारे पीछे भागने लगे।
‘ क जाओ हरामजादो’ आदिमय ने कहा जैसे ही हम कमरे के आिखर म प च
ं े। एक आदमी आगे बढ़ा और दरवाजे क िचटखनी चढ़ा
दी।
अली ने फश पर पड़ा बैट उठा िलया। मने भी उठाया हालां क मुझे िव वास नह था क म इस समय लड़ सकता ।ं अली दद के मारे
कराहा जब उसने बैट उठाया था।
‘वाह, लड़ना चाहते हो’ दो ब दीकता ने कहा। एक आदमी मामा क तरफ मुड़ा।
‘म इस का याल रखता ं तुम लड़के को ख म कर दो, मामा।’
‘ठीक है’ मामा ने कहा और वह दूर हट गया। जैसे ही वह हटा मामा ने ि शूल से ईश के पंज पर वार कया। ईश को इस बात क आशा
नह थी। उसने अपना स तुलन खो दया और ब धन के मेज के पास िगर गया।
‘तुम कमजोर आदमी हो, तुम यह बात जानते हो;’ ईश ने कहा।
‘म तु ह अभी ख म कर सकता ,ं अपने िसतार को ध यवाद दो क हमने िह दु घर म ज म िलया है।’ मामा ने ईश के चेहरे पर भूलते
ए कहा।
मामा अली के पास आया। ‘वाह, तुम खेलना चाहते हो! तुम मेरे साथ गद, ब ला खेलना चाहते हो।’ मामा ने हंसते ए कहा। जैसे ही
अली ने अपना बैट ऊपर उठाया। ‘पीछे हट जाओ’, मामा ने अपने आदिमय से कहा, ‘लड़का खेलना चाहता है। तुम वै या के ब े, मेरे
साथ खेलना चाहते हो’, मामा ने अली के आस-पास नाचते ए कहा। वह अली के बैट से कु छ ही दूर था।
‘वाह तुम मुझसे गदबाजी करवाना चाहते हो। गदब ला खेलना चाहते हो’, मामा ने हंसते ए कहा।
‘चलो, तु हारे मरने से पहले आिखरी गद’, मामा ने अपने हाथ म गद उछाली। ‘हां, मुझे गद फको’, अली ने कहा।’ या सच म’, मामा
ने हंसते ए कहा। एक दूसरी गद अली के पैर म पड़ी थी। अली ने वह गद ईश क तरफ अपने पैर से िखसका दी। गद ईश के पास चली
गई। ईश फश पर ब धक क मेज के पास बैठा था। उसके पैर से खून िनकल रहा था और वह खड़ा नह हो सकता था।
‘मेरे पास मत आना’, अली ने मामा से कहा।
‘अ छा, म बैट-बॉल से ब त डरता ’ं मामा ने डरने का नाटक करते ए कहा। उसने एक हाथ म गद उछाली और दूसरे हाथ म ि शूल
पकड़ िलया।
ईश ने धीरे से गद उठाई। अली क आंखे ईश से िमली। अली ने धीरे से गदन िहलाई।
ईश ने अपने हाथ म गद उठाई। ब दीकता ने इसे देखा पर कु छ नह कया। ईश ने पूरी ताकत से गद अली क तरफ फक ।
‘धड़ाक’, अली ने ब ले से गद को मारा। उसके पास के वल एक शॉट था। और उसने इसे नह छोड़ा। गद मामा क कनपटी पर लगी।
मामा ने अपनी हाथ म पकड़ी गद को छोड़ दया और अपना िसर पकड़ िलया। बॉल ज़मीन पर िगर गई। अली ने ठोकर मार कर गद
ईश क तरफ कर दी। ईश ने दोबारा फका। अली ने ब ले से गद को जोड़ा और ‘धड़ाक’। गद मामा के माथे के बीच म लगी। अली के
शॉट इतने शि शाली थे क वह गद को मैदान से बाहर ले जाते। पांच फु ट क दूरी से उ ह ने मामा पर ट क तरह हार कया।
मामा नीचे िगर पड़ा। ईश ने उठने के िलये उसे लाठी क तरह योग कया। ब दीकता मामा क तरफ दौड़ा और ईश पीछे से आया और
ि शूल को उसक गदन म घुसेड़ दया। दूसरे ब दीकता ने खून का फ वारा छू टते ए देखा। खूनी ने ईश क आंखो म देखा। उसने
िचटखनी हटाई और दस सेकंड म नजर से ओझल हो गया।
अली फश पर घुटन के बल बैठ गया उसने अपनी दांयी कलाई बांये हाथ से पकड़ रखी थी।
‘या मेरे अ ला ‘अली ने कहा। उसम हैरानी से अिधक दद था क उसने या कर दया।
मामा फश पर लेटा आ था। उसक कनपटी फट गई थी। आ त रक र आने से, उसका माथा गहरा और सूज गया था। वह िहल नह
रहा था, ले कन कोई भी उसके करीब नह जाना चाहता था। उसक आंखे पांच िमनट के बाद ब द हो गई और मने उसक न ज को
देखा।
‘यह क गई है, मेरे याल से यह मर गया है। म मृतक शरीर का िवशेषश बन गया था।’
ईश ने अली को अपनी बांह म ले िलया।
‘ब त दद हो रहा है, ईश भैया, मुझे घर ले चलो’, अली ने कहा। उसका शरीर अभी तक डर के मारे कांप रहा था।
‘अली उस कलाई को िहलाओ, तु ह उस कलाई क आव यकता है। इसे ठीक रखो। ‘ईश ने कहा।
वह जाने के िलये दरवाजे क तरफ बढ़ा। उसने ि शूल को लाठी क तरह िलया आ था।
‘हम ने उसे बचा िलया, ईश हमने उसे बचा िलया’, मने पीछे से ईश के कं ध को िहलाते ए कहा।
ईश का। वह मेरी ओर मुड़ा उसने मुझे बुरी नजर से नह देखा ले कन िजससे देखा वो उससे भी बुरी थी। उसने मुझे भावरिहत आंखो से
देखा ठीक है, मने उसे इसके िलये कई कारण दये थे, ले कन वो मुझसे इस तरह का वहार य कर रहा है। म कौन था? जैसे क उसे
मेरे से कु छ लेना देना नह था। ईश मुड़ा और चलने लगा।
‘ठहरो ईश, मेरा इ तजार करो, म दरवाजा खोलने म तु हारी मदद क ं गा’, मने दरवाजे के करीब प च
ं ते ए कहा। ईश ने हाथ के
इशारे से मुझे एक तरफ होने को कहा।
‘देखो ईश, देखो, ‘वह िज दा है, हमने यह कर दखाया।’
ईश कु छ नह बोला। उसने मुझे इस कार छोड़ दया जैसे म मृतक शरीर म से एक ।ं वह बहार िनकल गया।

Downloaded from Ebookz.in


उपसंहार-एक

दल जांचने वाला य तेजी से बोला, गोिव द क न ज 130 ित िमनट चल रही थी। नस भागती ई अ दर आई। तुम या कर रहे थे
उसने पूछा ‘म ठीक ं थोड़ी सी बातचीत कर रहा था, वह थोड़ा- सा ऊपर उठ कर बैठ गया।
‘उसे यादा परे शान मत करो’, नस ने मेरी और अंगुली करते ए कहा। मने गदन िहलायी और वह बाहर चली गई? उस दन के बाद से
ठीक तीन साल, 2 महीने और 1 ह ते पहले ईश ने मुझसे कोई बात नह क । हर बार म उससे बात करने क कोिशश करता पर वह मुझे
िझड़क देता, गोिव द ने अपनी बात ख म क ?
मने उसे पानी का िगलास दया, य क उसक आवाज दब रही थी। इन तीन साल म और या आ दुकान का, िव ा का, अली का
मने पूछा। उसने अपनी िनगाह नीची कर ली और अपनी छाती पर बंधी दल जांचने वाली मशीन क तार से खेलने लगा। उसने अपने
आप को िनय ण म रखने के िलए ब त कोिशश क । मने आगे कु छ नह पूछा। अगर वह बताना चाहता है तो बतायेगा मने अपनी घड़ी
देखी, सुबह के पांच बज रहे थे। म कमरे से बाहर आया सुबह क पहली धूप ह पताल के बरामदे म भरी पड़ी थी। मने कसी से चाय के
बारे म पूछा। उसने कै टीन क तरफ इशारा कर दया। म दो कप लेकर वापस आया। गोिव द ने मना कर दया, य क पेट साफ होने
के बाद उसे यह आ ा नह थी। उसने आंखे नह िमलाई।
‘मुझे संगापुर हवाई सेवा के फोन न बर क आव यकता है ता क म वापसी टकट करा सकूं ’, मने उसका मन बदलने के िलये कहा।
‘ओमी के माता- िपता’, गोिव द ने अपनी कमजोर आवाज म बताया, ‘म तु ह अभी नह बता सकता, वे बबाद हो गये थे। ह त तक
मि दर म पड़ोस से लोग आते रहे और के वल मामा और धीरज के िलये ाथनाएं करते रहे।’
‘सं कार के समय सारे अहमदाबाद से पांच हजार लोग शािमल ए? तब ओमी के िपता रोने लगे थे। ओमी क मां कई ह त से न खाने
के कारण बीमार पड गई थी। उसे कई ह त तक ह पताल म रहना पडा।’
म सोचने लगा या मुझे गोिव द के पीले पड़े ए हाथ पर अपना हाथ रखना चािहए?
‘म अगले दो महीने दुकान पर नह गया? मने ईश को िमलने क कोिशश क ? अगर म उससे िमलने जाता तो वह अव य ही मेरा चेहरा
देखकर दरवाजा ब द कर देगा।’ ‘ या तुमने िव ा से बात क ?’ गोिव द ने न म गदन िहलाई।
‘िव ा से बात करने का सवाल ही पैदा नह होता था, उ ह ने उसे घर म ब द कर दया था। उसके िपता ने उसके मोबाइल फोन के
टु कड़े-टु कड़े कर दये। टी.वी. चैनल, गोधरा के समाचार दंग से आगे बढ़ गये थे ले कन मेरा जीवन ख म हो गया था। म तब सब कु छ
झेलता रहा। मने तब गोिलयां नह खा । यह मत सोचो क म मजबूत नह ,ं के वल इसीिलए क म यहां ’ं , वह आगे बोलने से पहले
कु छ देर का, ‘घटना के तीन महीने बाद, ओमी क मां घर आई। उसने मुझे दुकान फर से खोलने को कहा। ओमी ने उसे बताया था क
यह संसार म सबसे पसंदीदा जगह है। मामा के जाने के बाद, दुकान अब ओमी क मां क थी और वह अपने बेटे क याद को िज दा रखने
के िलये, यह दुकान हम देना चाहती थी।’
‘ या तुम मान गये?’
‘शु म म उनसे आंखे नह िमला सकता था, ‘ओमी के मरने क मामा क मौत म मेरा िह सा और मामा क मौत का उ सव मनाना मेरे
म श मदगी पैदा करता था। ले कन वो मेरे बुरे त के बारे म कु छ नह जानती थी और मुझे भी जीवन-यापन करना था। कारोबार
मंदा था। हमने कई पू त स ब ध खो दये थे इसिलये म दुकान पर वािपस आया, ईश ने ओमी क मां को बताया था क वह वािपस
आयेगा ले कन उसे मुझसे कोई लेना-देना नह था। ओमी क मां हम दोन को चाहती थी इसिलए इसका के वल एक ही समाधान था।’
‘ या?’
‘हमने दुकान को दो िह स म बांट दया। हमने दुकान के म य म एक लकड़ी क दीवार खड़ी कर दी। ईश ने दायां िह सा िलया और
खेल क दुकान जारी रखी। मने बायां भाग िलया और अपने िह से के िव ा थय क टेशनरी और पा पु तक क दुकान म बदल
िलया। उसके ाहक कभी-कभी मेरी दुकान म आते और कभी इसका उ टा भी हो जाता। हम पढाई और खेल एक ही जगह दे रहे थे
ले कन हम एक बार भी आपस म नह बोले। तब भी नह जब भारत 2003 के िव कप के फाइनल म प च ं ा था। ईश, मैच को अके ले
बैठ कर देखता है और छ ा लगने पर कभी भी उछलता नह है।
‘ या तुम ने कभी िव ा को फर से िमलने क कोिशश क ? और अली का या आ?’ मने महसूस कया क म उसे मदद देने क अपे ा
अिधक सवाल पूछ रहा ं ले कन मुझे जानना था।
उ ह ने िव ा को पी. आर. कोस के िलये मु बई भेज दया। वह उसके िलये एक सकारा मक चीज थी। मैडीकल कॉलेज या कु छ और वह
उसे मुझसे दूर भेजना चाहते थे। इसिलये िव ा को अपने पंजरे से उड़ने का मौका िमल गया। उसे मुझसे न िमलने के िनदश दये गये।
ले कन उसे िनयम तोड़ना अ छा लगता था इसिलये उसने कई कर मुझसे स पक करने क कोिशश क । ले कन इस बार मने कभी उ र
नह कया। म उसे दे नह सकता था...। म उसके भाई को रोज देखता था। इतना करना चाहता था क अिधक से अिधक पैसा बनाऊं
और अली के िलये बचाऊं, उसे बड़ा करने के िलये।’
मने अपने कप से एक घूट भरते ए पूछा। ‘होि पटल क चाय डीटोल क तरह य लगती है?’
‘अली, ईश के घर म रहता है इसिलये उसका पालन हर हाल म अ छा होगा। हम ब त सा पैसा अली क कलाई के ऑपरे शन के िलये
चािहए था।’
नस सुबह क जांच के िलये कमरे म आई। गो वंद ने उसे ाथना क क वह शौचालय जाना चाहता है। नस मान गई और उसने उसक
तारे वगैरा उतार दया। मने दस िमनट ता से गुजारे । मेरा मन उसक ि थरता के बारे म शंका को ले कर था।
‘ कस कार का ऑपरे शन’, मने पूछा ‘अली क कलाई चो टल हो गई है इसका मतलब है उसक सही समय पर बैट को मोड़ने क
यो यता चली गई। मने उसका जीवन बचा िलया ले कन मेरी एक सेकंड क देरी ने उसक यो यता छीन ली। मने तु ह बताया था क
देरी मेरे जीवन क तीसरी गलती थी।’
‘तुमने अपनी तरफ से अ छा कया, यह के वल ण भर क देरी थी, ‘मने उसे सां वना दी। यह एक जाग क ण था ले कन म वाथ
था िबकु ल उसी तरह जब म गोल बनाना चाहता था या जब म िव ा के साथ था। वे ठीक कहते ह, म एक ापारी नह ।ं म एक
वाथ हरामजादा ,ं ‘उसने कहा और आगे बोलने से पहले कु छ का। ‘उसे दोबारा ऑपरे शन क आव यकता है। ि शूल ने उसक
कलाई से कु छ कोिशका को िनकाल दया था, इसिलये डा टर ने उसक जांघ से कु छ कोिशका का भाग लेकर उसक कलाई से
जोड़ना है? उसके बाद वे देखगे क या वे काम करता है। यह के वल चमड़ी का बदलाव नह है बि क कोिशका का बदलाव है। यह
ऑपरे शन के वल िवदेश म होता है और इसम ब त से पैसे लगते ह।’
‘ कतने?’
‘पूरी क मत क तो बात ही मत करो। ईश ने पैसे कम करने के िलए कई ह पताल को िलखा है जो क इं लड व
यू.एस.ए. म है। उसे सब से अ छा सौदा इं लड के ह पताल से िमला जो पांच लाख पये म ऑपरे शन के िलये तैयार हो गये थे। बेशक
ईश ने कभी इस बारे म मुझे कु छ नह बताया ले कन म लकड़ी क पतली दीवार से सुन सकता था।
‘तु हारे पास पैसे ह?’
‘ईश ने िपछले तीन साल म दो लाख पये जोड़े ह। मने तीन लाख पये जोड़े ह? िपछले ह ते म पैसे लेकर उसके पास गया था। मने
कहा, अली के ऑपरे शन के िलए आओ हम अपने ोत को इक ा कर ल। मने कहा, हम अभी
काय करना किहए य क उस अ पताल म ितिथ लेने के िलये नौ महीन क आव यकता है। और तब उसने..’
गोिव द क आवाज भरा गई।
‘तुम ठीक हो?’ मने पूछा।
गोिव द ने गदन िहलाई, ‘तुम जानते हो उसने या कया? उसने मेरे पैस को हाथ लगाने से मना कर दया और मेरा िलफाफा वापस
करने से पहले के ट के द ताने पहन िलये। वा तव म, उसने मुझे पैस वाला िड बा देने क पेशकश क और कहा, क वह मेरे लालच
को पूरा करने के िलये पैसा दे सकता है। उसने कहा क अली का ऑपरे शन वह एक बेईमान आदमी के पैस से नह करायेगा।’ गोिव द
जी आवाज टू टने लगी थी। ‘म बेईमान नह ।ं म वाथ ं और मने कई गलितयां क है पर म बेईमान नह ं और म पैसे क परवाह
करता पर अली क भी परवाह करता ।ं
म उसके िब तरे परे बैठ गया और अपना हाथ उसक बाजू पर रख दया। उसने
इसे ख च िलया। ‘तीन साल तक एक एक पया बचा कर मने पैसे इक े कये और ईश मेरी इस मेहनत को बेईमानी कहता है। म इसे
और नह ले सकता। डॉ टर वमा ने मुझे कु छ गोिलयां दी थी य क रात म मुझे सोने म कु छ मुि कल आती थी। उस दन मने महसूस
कया क य न हमेशा के िलये सोया जाये। शायद मने जीवन क गणना गलत क थी और यह सवाल को छोड़ने का समय था।’ वह
धीरे से हंसा। डॉ टर गोिव द के वाड म साथ आया था। गोिलय का रसान गोिव द क णाली से बाहर िनकाल दया गया था। ‘म
चाहता ं क मरीज कम से कम छ: घ टे सोये’ : डॉ टर ने मुझे बताया और उसने कमरे के पद कर दये।
म कमरे से बाहर चला गया। गोिव द क मां बाहर बरामदे म बच पर बैठी थी। वह िचि तत दखाई दे रही थी।
‘वह ठीक है उसे के वल थोड़े से आराम क आव यकता है’, म उसके साथ बच पर बैठ गया।
‘वो जानता था क वह बहादुर था’ मने कहा, ‘ या ईश जानता है?’
वह इधर उधर देखने लगी। ‘वह आपस म बात नह करते।’
‘ या आप उसे बता सकती है क या आ है उसे ह पताल आने के िलये मजबूर मत करना।’
गोिव द क मां ने हां म िसर िहलाया। हम एक साथ ह पताल से बाहर िनकल आये। वह ऑटो म बैठ चुक थी जब म फर से बोला
‘ या आप जानती ह क मु बई म िव ा कस कॉलेज म जाती है?’
‘इतने सारे िमलने वाले, यह ह पताल है या कोई लब ‘नस ने शाम को गोिव द क चादर बदलते ए बुड़बुड़ाया।
गोिव द का ह पताल का कमरा लोग से भरा पड़ा था। नस के अित र वहां ईश, िव ा, गोिव द क मां और म मौजूद थे। हम वहां
‘सोने के सरदार का’ जागने का इ तजार कर रहे थे। ब त से लोग क उसक न द क गोिलय के कारण न द चली गई थी।
गोिव द ने पलक झपकाई और हर कोई उस के िब तर के पास प च
ं गयाह पताल
‘ईश?’
‘िव ा’ गोिव द ने आंखे झपकाई।
‘यहां यान आक षत करने के और भी ब त से ढंग ह’, िव ा ने कहा
‘तुम कब आई?’ गोिव द ने पूछा, वह बा कय को भूल गया था।
‘मुझे अपनी माक टंग क क ा बीच म ही छोड़नी पड़ी ले कन इसका यह मतलब नह क म तु ह, मुझे उ र न देने या यह गोिलयां
खाने के िलये माफ कर दू।ं मने तब भी गोिलयां नह खाई, जब म सब से यादा डरी ई थी, तुम जानते हो।’ ‘तु हारे माता-िपता ने
मुझसे कहा था क म तुम से बात न क ं । ईश भी ऐसा ही चाहता था।’
‘तो’ िव ा ने अपना कािलज का बैग अपने कं धे पर से उतारा और मेरे पास िब तर पर रख दया ‘तु हारा दल या चाहता था?’
ईश गोिव द क तरफ देखता आ चुपचाप खड़ा था। गोिव द क मां घबराई ई सी दखाई दे रही थी, शायद िव ा जैसी पु वधू को
पाकर।
‘म माफ चाहता ं ईश। म कसी को दुख नह प च
ं ाना चाहता था। म... उससे यार करता ।ं ’ गोिव द ने कहा।
ईश कमरे से बाहर जाने लगा। गोिव द क मां ने पीछे से उसक बाजू पकड़ ली। उसने ईश का हाथ गोिव द के हाथ पर रख दया। ‘तु ह
अपने मां-बाप क बात सुनने क आव यकता नह , ले कन म चाहती ं तुम फर से दो त बन जाओ।’ गोिव द क मां ने कहा।
ईश फर भी चुप रहा। गोिव द ने ईश को थपथपाया। गोिव द क मां ने बोलना जारी रखा, ‘जीवन म ब त सी क ठनाइयां आएगी।
तु हारे िनकट रहते लोग, तु ह दुख प च ं ाएंगे, ले कन तुम उनसे नाता मत तोड़ना, इससे तुम उ ह और यादा दुख प च
ं ाओगे। तुम
मलहम लगाने क कोिशश करो। यह एक पाठ है जो न के वल तुम को बि क सारे देश को सीखने क आव यकता है।’ ‘तु ह चूमने वाला
चंपाजी याद है’, गोिव द ने पीछे से पुकारा।
ईश का और मुड़ कर गोिव द को देखा,
‘अली के िलये पैसे ले लो। मेरे िलये अब यह के वल पैसे के िलए नह है, पैसा इसके िलये है, अली को िब कु ल ठीक कर दो। यह मेरे िलये
भी उतना ही मह वपूण है।’
ईश ने अपने आंसू रोकने क ब त कोिशश क ‘ या तुम मुझे माफ कर सकते हो?’, गोिव द ने कहा।
गोिव द व ईश दोन क आंखे भर आई थी।
‘आंटी, या यह हैरानी क बात नह है क इस वाड के सभी पु ष रो रहे ह जब क औरत सबके साथ इक ी ह िव ा ने कहा। गोिव द
क मां डरी ई लगी। िव वास से पूण औरत खराब पु वधुएं होती है।
म अगली सुबह हवाई अ े जाने से पहले गोिव द को िमला। गोिव द को उसी शाम ह पताल से छु ी िमलने वाली थी।
‘ध यवाद’ उसने भावना मक तर म कहा।
‘ कसिलए?’
‘आने के िलये, म नह जानता, म तु हारा ऋण कै से चुकाऊंगा।’
‘वा तव म इसका एक तरीका है।’ गोिव द इ ताजर करने लगा।
‘तु हारी कहानी को बाक लोग को भी जानना चािहए’
एक कताब क श ल म
‘हां’ िबकु ल एक कताब क श ल म मेरी तीसरी पु तक। या तुम इसम मेरी मदद करोगे?’
म नह जानता य क म के वल सुखद अंत क कहािनयां ही पस द करता ।ं ’
उसने कहा।
‘तु हारी कहानी का सुखद अ त है।’
‘म अभी अली के बारे म नह जानता हम आपरे शन करवाने जा रहे ह ले कन सफलता क आशा 100 ितशत नह है। 5०-5० जैसे क
उ ह ने बताया है।’
‘तु ह िव वास होना चािहये,’ ोबेिब टी ‘को पु तक के िलये छोड़ देना चािहये’, मने कहा उसने गदन िहलाई।
‘तब अब म वापस जाता ं और हम एक दूसरे के स पक म ई-मेल के ारा रहगे’, मने कहा।
‘िबकु ल ठीक, हम इस पर काम कर सकते ह ले कन अली के बारे म जानने से पहले तुम पु तक कािशत मत करवाना ठीक है।
‘इसका मतलब, शायद तु हारी कोिशश बेकार न चली जाये’, उसने कहा।
‘मुझे मंजूर है’, मने कहा और हाथ िमलाए।
जब म जा रहा था तो मुझे ह पताल के मु य ार पर िव ा िमली। वह हरे रं ग का लहंगा पहने ए थी। शायद उसके सबसे खुशनुमा
कपड़े, ता क गोिव द क मन-ि थित ऊपर उठे । उसके हाथ म गुलद ता था।
‘ब त अ छे गुलाब ह’, मने कहा। ‘लॉ बगीचे म ब ढ़या गुलाब है। म अहमदाबाद को ब त याद करती ं और मुझे अपने कोस के ख म
होने का इ तजार है,’ उसने कहा।
‘म यह सोचता था तुम एक बु बइया लड़क हो जो क एक छोटे शहर म फं स गई है या कु छ भी।’
‘उसने, तु ह सब कु छ बता दया-जैसे सब कु छ’, वह हैरान दखी।
‘काफ कु छ।’
‘सब अ छा है, मु बई ठीक है ले कन मेरा अपना, मेरा अपना है। पाँव भाजी अहमदाबाद म यादा वा द होती है।’
म उससे और बात करना चाहता था पर मुझे जाना था। उ ह ने मुझे अपने संसार म आने क आशा दी है ले कन म यादा नह ठहर
सकता।

Downloaded from Ebookz.in


उपसंहार-दो

म संगापुर म अपने कं यूटर पर बैठा था। मेरी प ी आधी रात को मेरे पास आई, ‘ या तुम इस कहानी को थोड़ी देर के िलये छोड़ सकते
हो। तुमने कया जो कु छ तुम कर सकते थे। वो तु ह बता देगा। अगर कु छ आ, उसने कहा। ‘ठीक है, पर इस समय वे लंदन म है।
ऑपरे शन लंदन म आ है। अली फ जीओ अ यास हर समय कर रहा है। वो अपनी ब लेबाजी क परी ा कसी भी दन देने को तैयार
हो सकता है।
‘तुम यही बात बार- बार िपछले एक महीने से कई बार दोहरा चुके हो। अब कृ पा करके या तुम बि यां ब द कर दोगे।’
म लेट गया और उनके बारे म सोचने लगा। इस समय लंदन म दन था। या डॉ टर उसे आज के ट के मैदान म टे ट देने क आ ा
देगा? या होगा जब वह इतने ल बे समय के बाद गद का सामना करे गा? या उस क नयी कलाई खेलने के िलये यादा नाजुक तो नह
होगी? मेरे न द म जाने तक िवचार मेरे मन म आते रहे।
अगली सुबह, म ज दी जाग गया। गोिव द ने एक एस. एम. एस. भेजा था।
डॉ टर ने अली को खेलने क आशा दी है फं गर ोस,
कृ पया ाथना करो, हम कल
िपच पर जायगे।
म अगले दन अपने द तर गया। लंदन का समय संगापुर के समय से आठ घ टे पीछे है और मने शाम को चार बजे कॉफ पीते ए
अपना फोन देखा। मुझे कोई स देश नह आया था। म आठ बजे द तर से िनकला म टै सी म था जब मेरे फोन पर बीप सुनाई दी,
ईश ने अली को गद फक ,
अली आगे बढ़ा और मुड़ा,
सीधा छ:....’

Downloaded from Ebookz.in

You might also like