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समु द्र किनारा

सू र्ाा स्ता समु द्राच्या अकिनव कमलना नाही अं त

सू र्ाकबं ब मनोहर अस्ताचली सोने री सु ख स्वान्त

तरुण तरुणी सार्ं िाळी किनारी कमलन प्रकतकबं ब

किपू न घे तू अलगद हृदर्ी स्वगीर् क्षण अनु कबम्ब

पु न्हा िधीतरी पु नः प्रत्यर् घे ऊ असाच अचानि

त्या समर्ाला िडा रुपे री जरां कदसे वृ द्धास िौतु ि ।।

िमलािर कवश्वनाथ आठल्ये (Asrologer)०६-१०-२०१७

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