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बालिका

ती कोमि नाजू क कलिका पु ष्पबािा


मोहक हसु नी वे धीते सकि मन्मनसािा
शृं गार साधा सररता गळी मणीरत्नमािा
बाजू बृंद कदलपि माथ्यावर रुळे स्ने हबृं धािा ॥......
अनु भूती ये ई सु हृदा स्वगीय आनृं द मु खी
बािीशपणे प्रकाशी स्वगु णकौतु के ओळखी
िु ब्ध जन सारे लवसरून अपु ल्या दुुःखल ृं ता
अिौलकक जगती मोहक लदव्य बाि स्मिता ॥
कमिाकर लवश्वनाथ आठल्ये ( ASTROLGER ) ०४-१०-२०१४

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