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संडे नवभारत टाइम्स । नई दिल्ली । 3 फरवरी 2019

जस्ट िज़ंदगी facebook.com/sundaynbt 9

कैंसर ने सिखाई
एक्सपर्ट्स पैनल

क्या है कैंसर
डॉ. ललित कुमार
प्रफेसर व हेड,
डॉ. अंशमु ान कुमार
डायरेक्टर, सर्जिकल
डॉ. जी. बी. शर्मा डॉ. सुरेंद्र के. डबास डॉ. अभिषेक बंसल
सीनियर कंसल्टंट, डायरेक्टर, सर्जिकल कंसल्टंट, इंटरवेंशनल
वर्ल्ड
हमारे शरीर के सभी अंग सेल (कोशिकाओं) से बने होते
हैं। ये सेल्स लगातार डिवाइड होते रहते हैं लेकिन कई बार
ये बेकाबू होकर बंटने लगते हैं तो शरीर में गांठ (ट्यूमर) सेहत और रिश्तों
मेडिकल ऑन्कोलजी,
एम्स
ऑन्कोलजी, धर्मशिला मेडिकल ऑन्कोलजी, ऑन्कोलजी, बी. एल. रेडियॉलजी, राजीव
कैंसर हॉस्पिटल ऐक्शन कैंसर हॉस्पिटल कपूर हॉस्पिटल गांधी कैंसर हॉस्पिटल कैंसर डे (4 फरवरी)
बन जाती है। यह गांठ 2 तरह की हो सकती है: बिनाइन और
मैलिग्नेंट। बिनाइन गाठ खतरनाक नहीं होती, जबकि मैलिग्नेंट
गांठ कैंसर में बदल जाती है। की कद्रः मनीषा
कैंसर का नाम पहले कभी-कभी सुनने को मिलता था, लेकिन अब बहुतों को यह कभी जिस लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे खिलता गुलाब...
अपने शिकंजे में ले रहा है। हालांकि अच्छी बात यह है कि अब इलाज पहले से
कल
किस डॉक्टर को दिखाएं आज वही 'लड़की' मनीषा कोइराला (48 साल) कैंसर जैसी बीमारी
को मात देकर ज्यादा बिंदास अंदाज से ज़िंदगी जी रही है। बॉलिवुड
शुरुआती जांच के लिए फैमिली डॉक्टर के पास भी जा सकते हैं लेकिन
ज्यादा सटीक, आसान और सस्ता हो गया है। एक्सपर्ट्स से बात करके कैंसर कैंसर का इलाज उसी डॉक्टर से कराएं, जिसके पास डीएम ऑन्कोलजी की कामयाब हिरोइनों में शुमार मनीषा को सन 2012 में ओवेरियन
से बचाव और सही इलाज के बारे में जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह (जो एमडी के आगे की डिग्री है) या एम. सीएच. सर्जिकल ऑन्कोलजी कैंसर का पता चला था। 6 महीने तक मजबूत इच्छाशक्ति के दम
(जोकि एमएस से आगे की डिग्री है) की डिग्री हो। पर मनीषा ने कैंसर से जिंदगी की जंग जीत ली। इसी जंग के बारे में

बीमारी का इलाज
राजेश मित्तल ने मनीषा कोइराला से जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में
बात की। पेश हैं बातचीत के खास हिस्से:
यह वाली बीमारी हो जाए तो इससे निपटने
का सही तरीका क्या है?

है मुमकिन
कैंसर हो या कोई दूसरी बीमारी, जरूरी है
कि इसके बारे में आप खुद सबकुछ जानें।
मैंने ऐसा ही किया था। मुझे आखिरी स्टेज का
कैंसर था। जानती थी कि सर्जरी के दौरान मेरी मौत
भी हो सकती है, लेकिन मैंने सोचा कि मरना तो
है ही, कोशिश करने में क्या हर्ज है! गूगल की मदद
से इसकी सर्जरी के बेस्ट डॉक्टर की खोज की। इस
बीमारी के बारे में ढेर सारे लेख पढ़े। मुझे इसका बहुत
फायदा मिला। अपने इलाज के बारे में सही फैसले ले पाई।
जब डॉक्टर अपना काम कर चुके होते हैं तो
फिर खुद आपको अपने लिए काम करना
पड़ता है। इस दौरान दिमागी संतल ु न
बनाए रखें। खुद की सेहत सुधारने के
लिए जो भी कोशिश कर सकते
हैं, करें। सबसे अहम बात है जब थीं ईलू-ईलू गर्ल
खुद में हौसला बनाए रखना
और डॉक्टर की हर बात पर अमल करना। बीमारी हो जाए तो हमें यह कबूल

कब जाएं ऐसे बचे रहेंगे कैंसर से इलाज में नया क्या


हाल के बरसों में कैंसर के इलाज में आई खास तकनीकें
करना चाहिए कि हमारी ज़िंदगी में कुछ असंतल ु न था, जिसे ठीक करने के लिए यह
बीमारी आई है। अब अपनी उस गलती को मुझे दुरुस्त करना है।

डॉक्टर के पास तंबाकू-शराब से तौबा


सर्जरी: अब बड़े अस्पतालों में रोबॉटिक सर्जरी की जाती है। यह थ्री-
डायमेंशन सर्जरी है यानी इसमें लंबाई-चौड़ाई के साथ कट की गहराई भी
कैंसर सही वक्त पर पता चल जाए, इसके लिए हमें क्या-क्या
करना चाहिए?
शरीर में कुछ गड़बड़ महसूस हो तो उसी वक्त चेकअप करा लेना चाहिए।
शरीर में कोई भी असामान्य लक्षण दिखने पर फौरन नजर आती है। इसमें खून कम निकलता है और गलती की गुज ं ाइश भी कम मसलन, ओवेरियन कैंसर में पेट फूलने लगता है, पेशाब बार-बार आता है,
डॉक्टर को दिखाएं। ये लक्षण हो सकते हैं: पुरुषों में सबसे ज्यादा कैंसर मुंह, गले और फेफड़ों का होती है। रोबॉट में लगे कैमरों की मदद से सर्जरी ज्यादा सटीक हो पाती है। कब्ज हो जाती है। ये छोटे-छोटे सिग्नल होते हैं। हम इन्हें नजरअंदाज करते रहते
n अगर सोने और जागने का वक्त बदल गया हो होता है। इन तीनों ही कैंसर की सबसे बड़ी वजह तंबाकू मरीज जल्दी घर जा सकता है। आम सर्जरी के मुकाबले इसमें एक-डेढ़ हैं और आखिरी स्टेज में जाकर कैंसर का पता चलता है। तब तक काफी देर हो
n मुहं खोलने, चबाने या निगलने में दिक्कत हो रही हो है, फिर चाहे बीड़ी-सिगरेट हो या गुटखा। स्मोकिंग से लाख रुपये ज्यादा खर्च आता है। चुकी होती है।
nलगातार कब्ज रहती हो या 3 हफ्ते या ज्यादा से एसिडिटी प्रोस्टेट, किडनी, ब्रेस्ट और सर्विक्स कैंसर के भी चांस बढ़
लगातार बनी हुई हो (हर एसिडिटी कैंसर नहीं होती, पर यह एक लक्षण हो HIPEC: हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनिअल कीमोथेरपी को पेट, ओवरी और
जाते हैं। पुरुषों में करीब 50 फीसदी और महिलाओं में 20 फीसदी कैंसर कोलोन के कैंसर में इस्तेमाल किया जाता ह। इसमें 42 डिग्री गर्म पानी के ऐसा कहा जाता है कि कैंसर के बहुत-से मरीज और उनके परिवार
सकता है) की वजह तंबाकू होता है। अगर कोई शख्स 10 साल तक रोजाना 10-12 वाले नैचरु ोपथी, होम्योपथी, आयुर्दवे , योग आदि के चक्कर में
n 3 हफ्ते से ज्यादा लंबे समय से खांसी हो साथ कीमो दी जाती है जिससे कैंसर सेल ज्यादा तेजी से मरते हैं। इसके
सिगरेट पीता है तो वह कैंसर का शिकार हो सकता है। अगर आपके जरिए दवा सीधे सीधे ट्यूमर में डाली जाती है। इसका असर ज्यादा है और अपना बेशकीमती वक्त और पैसा बर्बाद कर देते हैं, हासिल कुछ
nमहुं में या फिर शरीर में कहीं भी जख्म हो और 3 हफ्ते से ज्यादा वक्त से आसपास कोई बीड़ी-सिगरेट पीता है तो उसका नुकसान आपको भी हो नहीं होता?
भरा नहीं हो साइड इफेक्ट्स काफी कम हैं। आम कीमोथेरपी के मुकाबले इसमें एक-डेढ़
सकता है। ज्यादा शराब भी खतरनाक है। कोशिश करें कि इससे दूर रहें। रुपये तक खर्च ज्यादा आता है। मेरा मानना है कि कोई बड़ी बीमारी हो जाए तो मेनस्ट्रीम के डॉक्टर के पास ही
nबार-बार बुखार हो रहा हो या सभी इलाज के बाद भी बुखार 3 हफ्ते तक कुछ स्टडी रोजाना एक पेग से ज्यादा तो खतरनाक मानती हैं तो कुछ जाना चाहिए, लेकिन हमारा सदियों पुराना ज्ञान भी काफी कारगर है। संतलि ु त
ठीक न हो रहा हो जरा-सी मात्रा में शराब लेने को नुकसानदेह कहती हैं। ऐसे में तंबाकू और टारगेटिड थेरपी: आम कीमो सारे सेल्स को मारती है जबकि टारगेटिड नजरिया यह है कि मुख्य इलाज मॉडर्न मेडिसिन का हो और साथ में इनका सहारा
n हीमोग्लोबिन यानी एचबी बेहद कम हो जाना शराब से दूरी ही बेहतर है। थेरपी में दवा सिर्फ कैंसर सेल्स को ही टारगेट करती है। लंग्स, किडनी और ले लिया जाए। ऐसे में सेहत में सुधार तेजी से होता है। यह बात मैं अपने अनुभव
nशरीर में कहीं भी गांठ हो और वह बढ़ रही हो (दर्द न हो तो भी दिखाएं कोलोन कैंसर में यह खासकर असरदार है। यह टैब्लेट और इंजके ्शन, दोनों से कह रही हू।ं बीमारी न हो, इसके लिए योग, नैचरु ोपथी,
क्योंकि कैंसर में दर्द बहुत बाद की स्टेज में होता है) तरीकों से दी जाती है। कैंसर के प्रकार और स्टेज के अनुसार इसकी कीमत आयुर्वेद में बताई गई बातें बेहद काम की हैं। इन्हीं
nब
nआ
लगम, पेशाब, शौच, इंटरकोर्स या पीरियड्स के बीच में खून आना
वाज़ में बदलाव आ रहा हो, आवाज़ भारी हो रही हो
तनाव को टाटा 5000 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये प्रति महीना तक हो सकती है। बातों के आधार पर अब मैंने हेल्दी लाइफस्टाइल
अपनाया है।
अगर आप तनाव में रहते हैं या फिर नाखुश रहते हैं तो शरीर इम्यूनोथेरपी: इसमें दवा की मदद से कैंसर एंटीजन के खिलाफ एंटी-
नोट: ये लक्षण दिखने के बाद भी 90 फीसदी चांस हैं कि कैंसर न हो से ऐसे केमिकल निकलते हैं, जो कैंसर की वजह बन सकते बॉडीज़ तैयार की जाती हैं। यह टारगेटिड थेरपी का ही एक हिस्सा है और इस हेल्दी लाइफस्टाइल के बारे
लेकिन अगर कैंसर होगा तो शुरुआती स्टेज में बीमारी की जानकारी हैं। जिंदगी में पॉजिटिव सोच बनाए रखना बहुत जरूरी। एक- स्टेज 4 के कैंसर में मरीज की उम्र बढ़ाने में मददगार है। एक बार कैंसर में बताएंगी?
मिल जाए तो बेहतर इलाज मुमकिन है। दो दिन के लिए दुखी रहने से फर्क नहीं पड़ता लेकिन अगर कुछ होने के बाद दोबारा होने से रोकने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता सबको मालूम ही है कि हेल्दी
महीने या बरसों तक दुखी रहें या तनाव में रहें तो कैंसर की आशंका बढ़ती है। है। कैंसर के प्रकार और स्टेज के अनुसार इसका एक महीने का खर्च 20 लाइफस्टाइल क्या है? इसलिए
कितनी होती हैं स्टेज खुश रहने के अलावा रोजाना 6-7 घंटे की अच्छी नींद भी बहुत जरूरी है।
ऐसा करने से शरीर कैंसर से लड़ने की क्षमता हासिल करता है।
हजार से लेकर 5 लाख रुपये तक हो सकता है।
पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट: पहले एक तरह के कैंसर के सभी मरीजों का एक
जानना ही काफी नहीं, उसे अपनी ज़िदगी
में संकल्प के साथ अपनाना ज्यादा अहम
कैंसर की 4 स्टेज होती हैं जैसा इलाज किया जाता था, जबकि अब मरीज की स्थिति, दूसरी बीमारियों है। साथ ही तंदरुु स्त रहना है तो इंसान की
पलूशन का ढूंढें सलूशन और किसी दवा के उस पर असर के अनुसार पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट भी कुछ रचनात्मक अभिव्यक्ति जरूर होनी
स्टेज 1 स्टेज 3 तैयार किया जाता है। इसकी कीमत 30-60 हजार रुपये महीने पड़ती है। चाहिए। जैसे आप लेखक हैं तो जिस दिन
यह शुरुआती स्टेज है और कैंसर इसे इंटरमीडिएट स्टेज कहते 2018 में दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में हुई एक स्टडी आप लिखना बंद कर देंगे तो लगेगा कि
जिस अंग का है, उसी में रहता है। हैं। इसमें कैंसर अंग विशेष से के मुताबिक मार्च 2012 से जून 2018 के बीच अस्पताल में जीन प्रोफाइलिंग: इसे जीन मैपिगं भी कहा जाता है। इसमें जीन्स की दिन बर्बाद जा रहे हैं। कुल मिलाकर
साइज करीब 2 इंच तक होता है। निकलकर आसपास के अंगों तक आने वाले लंग कैंसर के कुल 150 मरीजों में से 74 मरीज स्टडी की जाती है और देखा जाता है कि उस जीन हमें ऐसी आदतें, ऐसा रुटीन अपनाना
फैल जाता है। इलाज मुश्किल होता ऐसे थे, जो बीड़ी-सिगरेट नहीं पीते थे। इसकी एक बड़ी वजह की खराबी की आशंका कितनी है। ब्रेस्ट कैंसर कैंसर से जंग के दौरान चाहिए कि तन-मन दोनों दुरुस्त रहें।
स्टेज 2 है लेकिन संभावनाएं रहती हैं। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे एयर पलूशन को भी माना जा रहा है। ऐसे में होने की आंशका का पता लगाने के लिए किया
शुरुआती स्टेज। कैंसर अगर उसी कोशिश करें कि उन इलाकों से न गुजरें, जहां हेवी ट्रैफिक रहता है। सर्दियों में जाने वाला ब्करे ा टेस्ट जीन मैपिगं ही है। दूसरे अपने रुटीन के बारे में बताएं कि आप खाती-पीती क्या हैं, कौन-
अंग में हो लेकिन साइज 5 इंच तक स्टेज 4 ज्यादा स्मॉग के समय बाहर निकलना हो तो N95 मास्क लगाएं। घर में हवा कैंसरों के लिए जीन मैपिगं के अभी खास सी एक्सरसाइज करती हैं, कितनी नींद लेती हैं?
हो गया हो तो स्टेज 2 का कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल चुका को साफ करने वाले पौधे जैसे कि मनी प्लांट, मदर-इन-लॉ टंग आदि लगाएं। नतीजे नहीं आए हैं। रात को 9-10 बजे तक सोती हू।ं सुबह 5 बजे तक उठ जाती हू।ं सबसे
कहलाएगा। स्टेज 1 व 2 में इलाज है। ऐसे में आमतौर पर इलाज प्लास्टिक के बर्तनों में खाने-पीने की चीजें गर्म करने से बचें, क्योंकि गर्म करने पहले गर्म पानी पीती हू।ं कुछ देर बाद ग्रीन टी। फिर 2 घंटे के लिए
के बहुत अच्छे आसार होते हैं। मुमकिन नहीं होता। से प्लास्टिक कंटेनर्स के केमिकल्स टूटकर खाने-पीने की चीजों में मिलने फिजिकल ट्रेनिंग पर चली जाती हू।ं इससे पहले गुड़-चना या केला जैसा कोई एक
लगते हैं जो आगे जाकर कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। फल लेती हू।ं ट्रेनिंग से वापस आकर 15 से 30 मिनट प्राणायाम करती हू।ं सूर्यभेदी
कब कौन-सी थेरपी और चंद्रभेदी प्राणायाम के 21-21 सेट, फिर नाड़ीशोधन और प्लावनी प्राणायाम।
आमतौर पर कैंसर
की स्टेज 1 और
स्टेज 3 और स्टेज 4 में सर्जरी,
कीमो और रेडिएशन में से किन्हीं ऐक्टिव रहें, फिट रहें इसके बाद मेडिटेशन। मेडिटेशन से मुझे अपनी सोच को सही दिशा देने में मदद
मिलती है। फिर नाश्ता। दिन भर में दूध की चाय दो कप लेती हू।ं ऑर्गेनिक फूड
स्टेज 2 में सर्जरी दो का कॉम्बिनेशन इस्तेमाल रोजाना कम-से-कम 30-45 मिनट एक्सरसाइज जरूर खाती हू।ं मेरा 90 फीसदी खाना वेजिटेरियन होता है। रोज़ 15 किमी चलती हू।ं
की जाती है। किया जाता है। करें। कुछ और नहीं कर सकते तो तेज रफ्तार से सैर ही
करें लेकिन ऐक्टिव रहें। हो सके तो घर से बाहर जाकर आप इतना सब कर कैसे लेती हैं? क्या आलस नहीं घेरता? बेस्वाद
रोजाना 1 घंटा खेलें। दरअसल, अगर शरीर में फैट ज्यादा होता
इलाज के तरीके
TACE और TARE थेरपी: ट्रांसआर्टिरियल कीमोएंबोलाइजेशन और ग्रीन टी कोई कब तक झेल?े सेहत के लिए जो अच्छा है, वह मन
है तो फैट में मौजूद एंजाइम मेल हॉर्मोन को फीमेल हॉर्मोन एस्ट्रोजिन में बदल ट्रांसआर्टिरियल रेडियोएंबोलाइजेशन, इंटरवेंशनल ऑन्कॉलजी ट्रीटमेंट की को नहीं भाता और जो मन को भाता है, वह सेहत के लिए खराब है।
देते हैं। फीमेल हॉर्मोन ज्यादा बढ़ने पर ब्लड कैंसर, प्रोस्टेट, ब्रेस्ट कैंसर और कैटिगरी में आते हैं। इन्हें खासतौर पर लिवर के कैंसर के लिए इस्तेमाल आलस ज्यादा हो तो बाद में आपका अफसोस करना तय है। वजह यह कि
सर्विक्स (यूटरस) कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। हाई कैलरी, प्रीजर्व्ड किया जाता है। 3 सेंटीमीटर से बड़े ट्यूमर के लिए TACE और TARE देर-सवेर शरीर और मन को बीमारियां घेर लेंगी। खुद को रिलैक्स करना जितना
कैंसर के इलाज में आमतौर पर 3 तरीके इस्तेमाल होते हैं: या जंक फूड, नॉन-वेज ज्यादा लेने से समस्या और बढ़ जाती है। बेहतर है तकनीक इस्तेमाल की जाती है। इसमें एंजियोग्राफी करके सीधे ट्यूमर के जरूरी है, उतना ही जरूरी है अनुशासन में रहना। मैं दोनों संतल ु न बनाने में यकीन
सर्जरी, कीमोथेरपी और रेडियोथेरपी लेकिन अब इंटरवेंशनल ऑन्कॉलजी का कि ज्यादा-से-ज्यादा हरी सब्जियां और फल लें। इनमें फाइबर और एंटी- अंदर दवा डाली जाती है। इस तरह बिना सर्जरी के ट्यूमर खत्म हो जाता है। करती हू।ं इसमें मेरी संकल्प शक्ति मददगार बनती है। साथ ही मैं अपने साथ बहुत
भी असर काफी अच्छा देखा जा रहा है। ऑक्सिडेंट होते हैं। एंटी-ऑक्सिडेंट बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा कर कैंसर इसके साइड इफेक्ट्स भी काफी कम हैं। एक सीटिंग का खर्च करीब 1 लाख ज्यादा सख्ती बरतने के हक में भी नहीं हू।ं मैंने खुद को किसी सख्त नियम से बांधा
1. सर्जरी: यह कैंसर का बेस्ट इलाज है। यह गलतफहमी है कि चाकू लगने से सेल्स को मारने में मदद करते हैं। रुपये पड़ता है। आमतौर पर 1 या 2 सिटिंग की जरूरत होती है। नहीं है। बीच में कई दिन तक मेरा मेडिटेशन छूट जाता है। दोबारा शुरू कर देती
कैंसर फैलता है। सर्जरी में कामयाबी के आसार बहुत ज्यादा होते हैं। हू।ं कभी 15 मिनट ही करती हूं और कभी 1-1 घंटे तक भी। कभी-कभी नहीं भी
ट्यूमर एब्लेशन थेरपी: इसमें सूई डालकर रेडियोफ्रिक्वेंस या माइक्रोवेव
2. कीमोथेरपी: इसमें मरीज को कैंसर सेल को मारने वाली दवाएं दी जाती हैं। इन्फेक्शन से बचें किरणों की मदद से सीधे कैंसर को जला दिया जाता है। लंग्स, लिवर और
कर पाती। महीने में 4-5 दिन मेडिटेशन मिस हो ही जाता है। ऐसे ही वॉकिंग में 15
किमी रोज का टारगेट रखती हू।ं कभी कम हो पाता है, कभी ज्यादा। कभी नहीं भी।
दिक्कत यह है कि ये कैंसर के साथ-साथ नॉर्मल सेल को भी मार देती हैं। इसके हेपटाइटिस बी, हेपटाइटिस सी, एचपीवी जैसे इन्फेक्शन किडनी के कैंसर में यह तकनीक ज्यादा असरदार है। एक सिटिंग की कीमत असल में हम अपने टारगेट का 80 फीसदी भी कर लें तो काफी है।
बाल झड़ना, उलटी होना, कमजोरी होना जैसे साइड इफेक्टस भी होते हैं। कितनी कैंसर की वजह सकते हैं। हेपटाइटिस सी के इन्फेक्शन करीब 1 लाख रुपये होती है और अक्सर एक सिटिंग काफी होती है।
कीमो दी जाएंगी, यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। से लिवर का कैंसर और एचपीवी से महिलाओं में सर्वाइकल प्रोटॉन थेरपी: कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए किए जाने वाले कैंसर ने आपको कौन-से 5 बड़े सबक सिखाए?
3. रेडियोथेरपी: कैंसर के सेल मारने के लिए मशीन की मदद से ट्यूमर पर और पुरुषों में मुहं का कैंसर हो सकता है। इनकी रोकथाम के रेडिएशन में अब प्रोटॉन का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है, जिसे प्रोटॉन कैंसर ने मुझे बेहतर इंसान बनने में मदद की है। इसने मुझे सिखाया किः
लिए वैक्सीन भी लगवा सकते हैं। हेपटाइटिस बी की रोकथाम के लिए हेप्ट बी थेरपी का नाम दिया गया है। यह तरीका ज्यादा सटीक तरीके से कैंसर सेल्स मौत एक सचाई है। समय आता है तो सभी को जाना ही पड़ता है,
कंट्रोल्ड रेडिएशन डाला जाता है। एक दिन में करीब 15-20 मिनट लगते हैं
वैक्सीन और सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए एचपीवी वैक्सीन लगाई को खत्म करता है और साइड इफेक्ट भी कम हैं लेकिन इस पर करीब 20
1 लेकिन कैंसर सजा-ए-मौत नहीं है। इसलिए हिम्मत रखें और अपनी
और हफ्ते में 5 दिन तक रेडियोथेरपी की जाती है। इस थेरपी में कई बार मुहं का
सूखना, डायरिया, स्किन का काला होना जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जाती है। हेपटाइटिस बी का टीका किसी भी उम्र में लगवा सकते हैं जबकि लाख रुपये का खर्च आता है। अपने देश में यह तकनीक फिलहाल सिर्फ तरफ से हर मुमकिन कोशिश जरूर करें।
सर्वाइकल कैंसर का टीका सेक्स शुरू करने से पहले यानी करीब 8-18 साल चेन्नै में अपोलो प्रोटोन कैंसर सेंटर में इस्तेमाल हो रही है। इस धरती पर हम बहुत कम समय के लिए आए हैं इसलिए जो कुछ भी
4. इंटरवेंशनल ऑन्कॉलजी: इसमें बिना चीरा लगाए सूई की मदद से सीधे की लड़कियों में लगवाना बेहतर है। हालांकि बाद में भी लगवा सकती हैं लेकिन 2
कैंसर वाली कोशिकाओं में दवा डाली जाती है या उन्हें जला दिया जाता है। लिवर
से जुड़े कैंसर में यह ज्यादा असरदार है।
अगर महिला सेक्सुअली ऐक्टिव है और वायरस पहले ही लपेटे में ले चुका हो
तो वैक्सीन असर नहीं करेगी।
टेस्ट हमारे पास है, हमें उसकी कद्र करनी चाहिए। हम अपने और दूसरों के
लिए जो भी अच्छा कर सकते हैं, वह जरूर करें। हम सब लोग आपस में
टोमोसिंथसि
े स: कैंसर की पहचान के लिए टोमोसिंथसि
े स (Tomosynthesis) एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। दूसरों का भला करके हम असल में अपना ही भला कर
तकनीक का सहारा लिया जाता है। इसमें थ्री-डी पिक्चर आती है और कैंसर का रहे होते हैं।

जल्दी पता ब्रेस्ट कैंसर के लिए


nस
भी महिलाएं 30 साल की उम्र के बाद हर महीने खुद
ब्सरे ्ट की अच्छी तरह जांच करें। बेहतर है कि इसके
सर्वाइकल कैंसर के लिए
शादी के तीन साल के बाद पेप स्मियर टेस्ट कराएं। 3 साल
लगातार कराने के बाद हर 3 साल में एक बार कराएं।
बेहतर अनुमान लगाया जा सकता है। इसकी कीमत 10-12 हजार रुपये होती है।

लिक्विड बायोप्सी: अगर कैंसर सेल ब्लड में आ रहे हैं तो लिक्विड बायोप्सी
3
सुख हो या दुख, ज़िंदगी के हर पहलू का लुत्फ उठाती हू।ं ज़िंदगी फूलों
की सेज नहीं होती। हर किसी की ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं। हमें याद
रखना चाहिए कि आज बुरा वक्त है तो कल अच्छा वक्त भी आएगा।

लगाने के लिए पीरियड्स शुरू होने से 7वां दिन तय करें। 40


साल की उम्र में डॉक्टर से जांच कराएं या मेमोग्राफी
कराएं। गड़बड़ी नहीं है तो 2 साल में फिर कराएं।
मुहं -गले के कैंसर के लिए
पान-गुटखा खाते हैं या शराब-सिगरेट पीते हैं तो 30 साल
से पता लग सकता है। लंग कैंसर में ज्यादा फायदेमदं है। इसकी कीमत करीब
30 से 40 हजार रुपये होती है।
4
जब भी ज़िंदगी में कोई बड़ी समस्या आती है तो डर
जाना स्वाभाविक है, लेकिन उस डर से लड़ना बड़ी

लिए कराएं फैमिली हिस्ट्री है तो 20 साल की उम्र से ही खुद जांच


करनी शुरू करें और 35 साल की उम्र में एमआरआई
के बाद हर साल एक बार ईएनटी स्पेशलिस्ट या फिर हेड/
नेक सर्जन से अपने मुहं और गले की जांच करा लें। यह हक भी जरूरी
डॉ. ललित कुमार और डॉ. अंशमु ान का कहना है कि अगर
बात होती है। हमें उसे चैलेंज के तौर पर देखना चाहिए
और पूरी जिंदादिली से अपने डर पर जीत हासिल
करनी चाहिए। अपने मन को ठीक रखना बेहद
करा लें। लंग्स के कैंसर के लिए
ये टेस्ट
हमारे देश में कैंसर के करीब 75-80 फीसदी
nअ
गर नानी, मां या बहन को ब्सरे ्ट कैंसर हुआ है तो ब्रेस्ट
कैंसर जीन टेस्ट (BRCA) करा लेना चाहिए। इसे
किसी भी उम्र में करा सकते हैं। ब्रेका-1 में गड़बड़ी होने
अगर कोई 15-20 साल से स्मोक कर रहा है और खांसी
भी है तो उसे फेफड़ों का सीटी स्कैन करा लेना चाहिए।
प्रोस्टेट कैंसर के लिए
किसी मरीज का कैंसर चौथी स्टेज में पहुचं जाए और उसके
ठीक होने की उम्मीद लगभग न हो तो जबरन कीमोथेरपी या
दूसरे इलाज कराने के बजाय मरीज को आखिरी दिन शांति
जरूरी है। मन अगर दुखी हो, टेंशन में रहे तो
उसका असर शरीर पर जरूर आता है।

5 सबसे पहले हमें खुद को प्यार करना चाहिए,


पर कैंसर की आशंका 80 फीसदी तक और ब्रेका-2 में और सुकून से बिताने दें। यह अहम है कि उसके जितने दिन अपना ध्यान रखना चाहिए। हम तंदरुु स्त
मामले अडवांस स्टेज के होते हैं। इसकी दो गड़बड़ी होने पर आशंका 50 फीसदी तक बढ़ जाती है। 50 साल की उम्र में पुरुषों को पीएसए टेस्ट कराना चाहिए।
बड़ी वजहें हैः पहली, लोगों को जानकारी हर 2 साल या डॉक्टर के बताए अनुसार रिपीट कराएं।
बचे हैं, वे अच्छे गुजरें। जबरन दवा देने के बजाय डॉक्टर मरीज होंग,े तभी परिवार की भी देखभाल कर पाएंग।े
ये दोनों टेस्ट करीब 26 हजार रुपये में हो जाते हैं और के दर्द को कम करने की कोशिश करें। घरवाले भी मरीज की अपनी सेहत की जिम्मेदारी हमें खुद लेनी होगी।
कम होना और यह मानना कि उन्हें कैंसर जिंदगी में एक ही बार कराने होते हैं। टेस्ट पॉजिटिव प्रोस्टेट कैंसर की फैमिली हिस्ट्री है तो 40 की उम्र में ही अब मैं वही सब करती हू,ं जो मेरी आत्मा को
नहीं हो सकता। दूसरी, डॉक्टरों का पूरी टेस्ट करा लें। खुशी का ख्याल रखें। इससे मरीज के आखिरी दिन सुकनू से
आता है तो डॉक्टर की सलाह से लाइफस्टाइल सुधार बीतेंगे और घरवालों पर भी पैसे का फिजूल बोझ नहीं पड़ेगा। संतषु ्ट करता है। दूसरों के सामने खुद को साबित
जांच किए बिना, दूसरी बीमारी समझ इलाज
करते रहना। शुरुआती स्टेज में पता लग
कर कैंसर की आशंका को कम किया जा सकता है। कोलोन (आंत) कैंसर के लिए करने की जरूरत नहीं रही। अब मैं अपनी मर्जी
जाए तो कैंसर का इलाज मुमकिन है। इसके
इसी टेस्ट से हॉलिवुड एक्ट्रेस एंजलिना जोली को कैंसर अगर पॉटी में खून आ रहा है तो स्टूल ऑकल्ट ब्लड ये भी पढ़ें की ज़िंदगी जीने के लिए खुद को
की आशंका का पता चला और उन्होंने अपने ब्रेस्ट को टेस्ट कराएं। गड़बड़ी निकलने पर कोलोनोस्कोपी करा कैंसर के इलाज को किफायती कैसे बनाएं: nbt.in/cancer-affordable आजाद महसूस करती हू।ं
लिए कुछ बातों का ख्याल रखें: सर्जरी कर हटवा दिया। सकते हैं। लाइलाज नहीं है कैंसर: nbt.in/cancer-treatable चमक नई ज़िदगी की

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