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Dr.

Syama Prasad Mookerjee


Research Foundation

 
  

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Edited by
Adarsh Tiwari
Research Associate,
Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Abhay singh
Research Associate,
Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Layout by
Ajit Kumar Singh

Dr. Syama Prasad Mookerjee


Research Foundation
9, Ashoka Road, New Delhi- 110001
Web :- www.spmrf.org, E-Mail: office@spmrf.org,
Phone:011-23005850

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भूमिका
कृ दषिरु हमारे देश के विकास का प्रमख
्भाग्य से हमारे देश की पर्ववर्
ु आधार रही है और अगर हमें देश को समृद्ध करना है तो हमारे किसानों को सख
ू ती सरकारों ने किसानों को लेकर जो नीतियाँ बनाई,ं वो उनके मल
ु ी करना होगा. लेकिन
ू समस्याओ ं से विलग थी. यही कारण है
कि किसानों की स्थिति दिन–ब-दिन दयनीय होती चली गई. लेकिन किसानों को समृद्ध करने के संकल्प के साथ नरें द्र मोदी सरकार ने किसानों
की मल ू समस्याओ ं को चिन्हित करते हुए नीतियाँ निर्धारित की तथा योजनाओ ं को अमली जामा पहनाया. सरकार ने सिंचाई, बीज, खाद और
एमएसपी के बिंदओ ु ं पर बेहतरीन काम किया है. जिसका सीधा लक्ष्य है किसानों की आय को दोगनु ी करना क्योंकि अगर किसानों की आय बढ़ेगी
तथा किसान सख ु ी होंगे तो देश की सेहत भी दरुु स्त रहेगी. कृ षि के क्षेत्र में सरकार ने कई ऐसे सफ़ल प्रयास किए जिससे आज किसानों के जीवन
में अभतू पर्वू बदलाव हो रहा है. अब किसान ई-मडं ी के द्वारा अपनी फसल को सीधा व्यापरियों के हाथों बेच सकते हैं, सरकार सीधा किसानों के
खाते में सब्सिडी दे रही है जिससे किसानों को बिचौलियों से मक्ु ति मिली है. प्रधानमत्री ं फसल बीमा योजना, प्रधानमत्री ं किसान सम्मान निधि,
सॉयल हेल्थ कार्ड, प्रधानमत्री ं सिचाई ंयोजना जैसी कें द्र सरकार की योजनाओ ं से आज हमारे देश का किसान लाभान्वित हो रहा है. इसी प्रकार
कें द्र सरकार द्वारा किसानों को समृद्ध करने की दिशा में उठाए गए क़दमों पर डॉ श्यामा प्रसाद मख ु र्जी शोध अधिष्ठान ने यह पस्ति
ु का तैयार की है.
उम्मीद है कि यह पस्ति ु का पाठकों को सही और ठोस जानकारी देने में सहायक साबित होगी.
डाॅ. अनिर्बान गांगुली
निदेशक, डाॅ. श्यामा प्रसााद मुखर्जी शोध अधिष्ठान

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किसानों की आय दोगुनी करने के लिए
मोदी सरकार प्रतिबद्ध

• यपू ीए सरकार के दौरान ‘स्वामीनाथन आयोग’ ने भी न्यूनतम समर्थन • न्यूनतम समर्थन मलू ्य को लागत से डेढ़ गनु ा अधिक करने का निर्णय किया.
मलू ्य के संबंध में सिफारिशें की थीं. लेकिन किसानों के हितों से जड़ु े इस सरकार ने रबी और खरीफ की फसलों के न्यूनतम समर्थन मलू ्य में डेढ़ गनु े
महत्वपर्णू विषय पर पिछली कांग्रेस सरकार मौन साधे बैठी रही. जिसके की बढ़ोत्तरी की. सरकार के इस निर्णय के बाद लगभग सभी फसलों पर
बाद कें द्र की मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मलू ्य को लागत से डेढ़ गनु ा किसानों को 50 फीसद से ज्यादा लाभ मिल रहा. बाजरा और उड़द जैसी
अधिक करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया. फसलों पर यह सीमा 65 से 96 फीसद तक है.

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• देश के अन्नदाताओ ं को बदहाली से निकलाने और इसकी बनिय ु ाद को होने पर ही फसल बीमा का लाभ मिलता था लेकिन अब 33 प्रतिशत
सदृु ढ़ करने के लिए बड़े आर्थिक प्रबन्धन की आवश्यकता थी. जिसे क्षति पर भी वे फसल बीमा का फायदा उठा सकते हैं. वर्ष 2014 से पहले
देखते हुए कृ षि क्षेत्र के निम्नवत कार्यों के लिए सरकार द्वारा अधिक बजट बीमाधारक गैर-ऋणी एवं ऋणी किसानों की संख्या क्रमश: 29 लाख और
आवंटित किया गया. मोदी सरकार के 2014 से 2019 तक के पांच वर्षों 6.37 करोड़ थी, जो भाजपा सरकार आने के बाद बढ़कर क्रमश: 2.75
में कृ षि क्षेत्र के बजट का आकार 2,11,694 करोड़ है, जो कि कांग्रेसनीत करोड़ और 8.16 करोड़ हो गयी. पहले किसानों को इसके अतं र्गत 4,718
यपू ीए के 2009 से 2014 तक के पांच वर्षों के कार्यकाल में दिए गए रूपये मिलते थे जो वर्तमान में बढ़कर 7,500 रूपये हो गए हैं. आज देश की
1,21,082 करोड़ की तल ु ना में लगभग दो गनु ा है. 10.78 करोड़ हेक्टेयर भमिू बीमा क्षेत्र के अतं र्गत आ चक
ु ी है.
• प्राकृ तिक आपदाओ ं की स्थिति में राष्ट्रीय आपदा अनक्ु रिया कोष से कृ षि • भाजपा सरकार ने कृ षि क्षेत्र को अधिक समृद्ध, उपयोगी और उत्पादकता
क्षेत्र को गत साढ़े चार वर्षों में सरकार ने 32,208 करोड़ से ज्यादा की राशि की दृष्टि से लाभाकारी बनाने के लिए यांत्रिकी को प्रोत्साहन देने एवं मृदा
प्रदान की है, जो पिछली सरकार के पांच वर्षों की तल ु ना में लगभग ढाई पहचान की तकनीक को सदृु ढ़ करने का कार्य किया है. सॉयल हेल्थ कार्ड
गनु ा अधिक है. के बजट में लगभग 12 गनु े से ज्यादा की वृद्धि तथा यांत्रिकी के बजटीय
• मोदी सरकार नेहर खेत पानी पहुचं ाने के लिए प्रधानमत्री आवंटन को यपू ीए सरकार के 58 करोड़ की तल ु ना में 1165 करोड़ का
ं कृ षि सिचं ाई
योजना के तहत ‘पर ड्राप मोर क्रॉप’ को अभियान की तरह चलाया. इस आवंटन किया गया है. अभी तक 17.53 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित
योजना ने देश की सक्ू ष्म सिच किये जा चक ु े हैं ताकि किसान अपने खेतों में सही उर्वरक का प्रयोग कर
ं ाई व्यवस्था को एक नया आकार देने का
कार्य किया है. सख पाए.ं यरू िया की नीम कोटिंग ने यरू िया की कालाबाजारी को भी समाप्त कर
ू े से पीड़ित कृ षि क्षेत्र को राहत देते हुए मोदी सरकार ने
50,000 करोड़ की फंडिंग के साथ सिच दिया है.
ं ाई के लिए तय बजट को दगु नु ा
कर दिया. जिससे 76.03 लाख हेक्टेयर भमि ू को सिंचाई के दायरे में लाया • सरकार की पारदर्शी एवं कृ षि हितों के लिए बनाई गयी प्राइस सपोर्ट स्कीम
जा सकता है. के तहत किसानों की ऊपज की खरीद प्रक्रिया में अभतू पर्वू बढ़ोत्तरी हुई है.
• हर खेत को पानी पहुचँ ाने के लक्ष्य के साथ शरू तलु नात्मक दृष्टि से अगर फसलों की खरीद का मलू ्यांकन करें तो 2010-14
ु हुई इस योजना ने नए
कीर्तिमान रचे हैं. सितम्बर 2018 तक सिंचाई संबंधित 93 प्रमख के बीच 7.24 लाख मीट्रिक टन दलहन-तिलहन की खरीद की तल ु ना में
ु प्रोजेक्ट्स
के लिए सरकार ने 65,000 करोड़ से भी अधिक के फण्ड जारी किए. 75 भाजपा सरकार के 2014-15 से दिसंबर 2018 तक 78.61 लाख मीट्रिक
प्रोजेक्ट्स को परू ा किया व अन्य पर काम चल रहा है. टन की खरीद की गयी. यह आक ं ड़े यपू ीए सरकार के दौरान हुई खरीद से
लगभग ग्यारह गनु ा ज्यादा हैं. इसके लिए सरकार ने यपू ीए सरकार द्वारा खर्च
• बीमा के माध्यम से नक ु सान अथवा जोखिम की स्थिति में किसानों की 300 करोड़ की तल ु ना में के वल दो वर्षों 15,093 करोड़ रूपये खर्च किये हैं.
आर्थिक सरु क्षा सबं ंधी नीतियों की अनेक खामियों को मोदी सरकार ने आने
के तरु ं त बाद चिन्हित किया. कांग्रेसनीत यपू ीए के कार्यकाल के अति • किसानों को अपने उत्पादों के लिए कभी अच्छे दाम नहीं मिलते थे. इस
ं म वर्ष
2013-14 में फसल बीमा योजना के तहत 2,151 करोड़ राशि खर्च हुई जो समस्या का हल करने के लिए सरकार ने ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्के ट या
कि मोदी सरकार के 2018-19 के 6 गनु े की वृद्धि के साथ 13,000 करोड़ ई-नाम की शरुु आत की. जिसके अतं र्गत देश के सभी 585 कृ षि बाज़ारों को
रूपए से कम है. एक प्लेटफार्म पर जोड़ दिया गया है. इस ऑनलाइन कृ षि बाज़ार पर 1.41
करोड़ पज ं ीकृ त क्रे ता और विक्रे ता उपलब्ध हैं तथा 58,930 करोड़ रूपए
• नई फसल बीमा योजना से पहले किसानों को सिर्फ 50 प्रतिशत क्षति मलू ्य के 2.25 करोड़ टन कृ षि उत्पादों की खरीद बिक्री की जा चक ु ी है.

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• कें द्र में आने के बाद भाजपा सरकार ने कृ षि शिक्षा के क्षेत्र में आधारभतू टन की खरीद की गयी. यह आक ं ड़े यपू ीए सरकार के दौरान हुई खरीद से
सरं चना के विकास और देश के हर हिस्से तक इसकी पहुचँ को सनिश् ु चित लगभग ग्यारह गनु ा ज्यादा हैं
. इसके लिए सरकार ने यपू ीए सरकार द्वारा
करने के लिए ठोस कदम उठाये हैं. सरकार ने 2018-19 के बजट में 2013- 300 करोड़ रूपये के आवंटन की तल ु ना में के वल दो वर्षों में लगभग
14 की तल ु ना में 55 फीसद से ज्यादा की बढ़ोत्तरी की है
. कु ल 1100 करोड़ 15,000 करोड़ रूपये आव टि
ं त किये हैं. वही ँ कपास की खरीद में भी 325
रूपये के खर्च से ‘राष्ट्रीय कृ षि उच्चतर शिक्षा परियोजना’ शरू ु की गयी फीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
तथा चार नए डिग्री कार्यक्रम शरू ु किये गये हैं
. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सात
• अगर तल ु नात्मक दृष्टि से दे
ख ें तो खाद्यानों के उत्पादन के मामले में 2010- स त्ू री कार्यनीति
15 के औसत उत्पादन की तल ु ना में 2017-18 में चौथे अनमु ान के हिसाब • प्रति बंदू अधिक फसल प्राप्त करने के उद्देश्य से प्राप्त बजट के साथ सिच ं ाई
से 11.44 फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी. इस दौरान हमारा खाद्यान्न उत्पादन पर विशेष जोर देना.
284.83 मिलियन टन रहा.
• प्रत्येक खेत की मिटटी के स्वास्थ्य पर आधारित गणु वत्तायक्त ु बीजों एवं
• वर्ष 2017-18 के अनसु ार बागवानी उत्पादन 306.82 मिलियन टन रहा पोषणिक तत्वों का प्रावधान करना.
था. अगर तल ु नात्मक दृष्टि से देखें तो 2010-15 के औसत उत्पादन से
यह 17.55 फीसद अधिक है. वही ँ दलहन के उत्पादन में 2017-18 में • फसल पश्चात हानियों को रोकने के लिए भडं ारणों एवं कोल्ड चेन के निर्माण
तल ु नात्मक रूप से 40.09 फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी है. में निवेश करना.
• डेयरी और मछली पालन को लेकर सरकार के प्रयासों की बदौलत इस • खाद प्रसंस्करण के जरिए मलू ्यवर्धन को बढ़ावा देना.
क्षेत्र में भी देश की उत्पादन क्षमता बढ़ी है. दगु ्ध उत्पादन की वार्षिक दर में • राष्ट्रीय कृ षि मडं ी का सृजन, विसगं तियों का निराकरण और 585 मडिय
ं ों
2014-18 के बीच लगभग 49 फीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है. डेयरी में ई-मच ं की स्थापना.
उद्योग से जड़ु े किसानों की आय में 30.5 फीसद (2014-18) तथा प्रति
व्यक्ति दधू उपलब्धता में 22.5 फीसद (2017-18) की बढ़ोत्तरी दर्ज की • उचित कीमत पर जोखिमों को कम करने के लिए नई फसल बीमा स्कीम
गयी है. को शरू
ु करना.

• मछली उत्पादन में पिछले वित्त वर्ष में 42.22 फीसद की वृद्धि दर्ज की • कुक्कु ट पालन, मधमु क्खी पालन और मत्स्य पालन जैसे सहायक
गयी थी. सरकार द्वारा मत्स्य उद्योग को प्रोत्साहन देने का परिणाम रहा कि गतिविधियों का प्रचार एवं प्रसार.
एक कार्यकाल में इस दिशा में भारत की निर्यात क्षमता में 180 फीसद की सॉयल हेल्थ कार्ड
बढ़ोत्तरी दर्ज करने में हमें कामयाबी मिली है. देशभर के किसानों को उनकी मृदा की पोषक स्थिति और मृदा स्वास्थ्य तथा
• सरकार की पारदर्शी एवं कृ षि हितों के लिए बनाई गयी प्राइस सपोर्ट स्कीम इसकी उर्वरता में सधु ार के लिए प्रयक्तु की जाने वाली पोषक तत्वों की उपयक्त ु
के तहत किसानों की ऊपज की खरीद प्रक्रिया में अभतू पर्वू बढ़ोत्तरी हुई है. जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से फरवरी, 2018 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
तलु नात्मक दृष्टि से अगर फसलों की खरीद का मलू ्यांकन करें तो 2010-14 शरू ु की गई.
के बीच 7.24 लाख मीट्रिक टन दलहन-तिलहन की खरीद की तल ु ना में प्रधानमत्री कृषि सिचाई योजना
ं ं
भाजपा सरकार के 2014-15 से दिसंबर 2018 तक 78.61 लाख मीट्रिक
सिंचाई आपर्ति
ू शख ्रृं ला तथा जल स्रोत, वितरण नेटवर्क और फार्म स्तर
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पर समाधान के लिए ‘हर खेत को पानी’ उद्देश्य के साथ 01, जल
ु ाई, 2015 से योजना आरंभ करने का निर्णय लिया है. ताकि छोटे और सीमांत किसान, जिनके
प्रधानमत्री
ं कृ षि सिंचाई योजना शरू
ु की गई. पास राज्य तथा कें द्र शासित प्रदेशों के भ-ू अभिलेखों में सम्मिलित रूप से दो
राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ई-नाम) हेक्टेयर तक की कृ षि योग्य भमि
ू का स्वामित्व है, को उनके निवेश और अन्य
जरूरतों को परू ा करने के लिए एक सनिश्ु चित आय सहायता प्रदान की जा सके .
14, अप्रैल, 2016 को प्रधानमत्री
ं श्री नरे न्द्र मोदी ने बाबा साहब डॉ. भीमराव जिससे वो अपनी उभरती जरूरतों को तथा विशेष रूप से फसल चक्र के पश्चात
अम्बेडकर की 125वीं जयंती पर राष्ट्रीय कृ षि बाज़ार (ई-नाम) की शरुु आत की. तथा संभावित आय प्राप्त होने से पहले की स्थिति में होने वाले व्ययों की आपर्ति

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कर सके . इस योजना के अतं र्गत, लघु व सीमांत परिवारों को प्रति वर्ष 6000 रु.
की सहायता सीधे चार-चार माह की तीन किश्तों में उपलब्ध कराई जाएगी ताकि
किसानों को प्राकृ तिक आपदाओ ं से पर्णू रूप से संरक्षण करने हेतु प्रधानमत्री
ं किसानों को अपने छोटे छोटे खर्चों की आपर्ति ू के लिए साहूकारों के चगं ल
ु में
फसल बीमा योजना को खरीफ, 2016 में अनमु ोदित किया गया. इसमें किसानों पड़ने से भी बचाया जा सके और खेती के कार्यकलापों में उनकी निरंतरता भी
द्वारा भगु तान की जाने वाली प्रीमियम दरें बहुत कम हैं और शेष प्रीमियम का सनिश्
ु चित की जा सके .
भगु तान सरकार द्वारा किया जाएगा. जिसे राज्य और कें द्र सरकार द्वारा समान रूप
से वहन किया जायेगा. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि गऊ संसाधनों आनवु ंशिक उन्नयन को स्थायी रूप से बढ़ाने और गायों
के उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने हेतु राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन.
देश में छोटे और सीमांत किसानों को प्रत्‍यक्षता आय संबंधी सहायता यह आयोग गायों के विषय में क़ाननों को प्रभावी ढग से लाग करे गा और
ू ं ू
दिए जाने के प्रयोजनार्थ एवं एक सव्‍यव
ु स्‍थित कार्य व्‍यवसथा ्‍ कायम करने के कल्याणकारी योजनाओ ं को भी लागू करे गा. इसके अलावा आयोग देश में डेयरी
लिए सरकार ने शत प्रतिशत कें द्रीय सहायता के साथ 75 हजार करोड़ रुपए सहकारिताओ, पश विकास ऐजेंसियों, किसान उत्पादक कपनियों और डेयरी
ं ु ं
के प्रस्तावित बजट से प्रधानमत्री
ं किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) नामक उद्योगों के साथ समन्वय स्थापित कर डेयरी किसानों के हितों को सरु क्षित करे गा.

तुलनात्मक उपलब्धियां
मोदी सरकार बनाम यूपीए सरकार
योजना वर्ष 2013-14 (बजट) वर्ष 2018-19 (बजट) वद्ृ धि
फसल बीमा योजना 2,151 करोड़ 13,000 करोड़ 6 गनु ा
सॉयल हेल्थ कार्ड 30 करोड़ 400 करोड़ 13.5 गनु ा
कृषि यंत्रीकरण 58 करोड़ 1,165 करोड़ 20 गनु ा
ड्रिप तथा स्प्रिंकलर- कृषि सिच ं ाई योजना 1,693 करोड़ 4,000 करोड़ 2.5 गनु ा
एग्रीकल्चर मार्के ट पर इटं ीग्रेटेड स्कीम 720 करोड़ 1,050 करोड़ 1.5 गनु ा
बीज प्रक्षेत्र 239 करोड़ 332 करोड़ 1.5 गनु ा
डेयरी प्रक्षेत्र 1,031 करोड़ 1,420 करोड़ 1.5 गनु ा
मात्स्यिकी प्रक्षेत्र 176 करोड़ 642 करोड़ 3.5 गनु ा

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क्षेत्र यूपीए सरकार मोदी सरकार वद्ृ धि
खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2010-15 का औसत वार्षिक 2017-18 में चौथे अग्रिम अनमु ान के अनसु ार उत्पादन 284.83 11.44%
उत्पादन 255.59 मिलियन टन मिलियन टन
बागवानी उत्पादन वर्ष 2010-14 के औसत वार्षिक 2017-18 के तीसरे अग्रिम अनमु ान के अनसु ार उत्पादन 306.82 17.55%
उत्पादन 261 मिलियन टन मिलियन टन
दलहन का उत्पादन वर्ष 2010-15 का औसत उत्पादन 2017-18 में चौथे अग्रिम अनमु ान के अनसु ार उत्पादन 25.23 40.09%
18.01 मिलियन टन मिलियन टन
सॉयल हेल्थ कार्ड 0 सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित एक मानक के आधार पर प्रथम चरण (2015-17) में 10.73 करोड़
द्वितीय चरण (2017-19) में 6.27 करोड़
सक्ू ष्म सिचं ाई के लिए 2010-11 से 2013-14 में रूपए 2014-15 से 2017-18 में 7330.6 करोड़ रूपए विमक्त ु किए गए 56.01%
विमुक्त राशि 4698.64 करोड़ विमक्त ु किए गए
सक्ू ष्म सिच
ं ाई के अंतर्गत 2010-11 से 2013-14 में 23.03 2014-15 से 2017-18 में 28.84 लाख हेक्टेयर 20.14%
कवर क्षेत्र लाख हेक्टेयर
जैविक खेती का विकास कोई राष्ट्रव्यापी योजना नहीं 2015 में परंपरागत कृ षि विकास योजना एवं उत्तर पर्वी
ू क्षेत्रों के लिए
जैविक वैल्यू चैन विकास मिशन का प्रारंभ
राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ई- 2014 से पर्वू राष्ट्रीय कृ षि बाज़ार (ई- 2014 के बाद 585 विनियमित मडिय ं ां ई-नाम से जोड़ी गई.ं
नाम) नाम) की दिशा में कोई कदम नहीं
कृषि ऋण के लिए ब्याज 2013-14 में कृ षि ब्याज सहायता 2018-19 में कृ षि ब्याज सहायता 15,000 करोड़ 150%
सहायता 6,000 करोड़
राष्ट्रीय बीज निगम का 2004-14 यपू ीए सरकार के 10 वर्षों में पिछले 4 वर्षों 2014-18 में औसतन कारोबार 842.25 करोड़ रूपए 108.45%
औसतन कारोबार औसतन कारोबार 403.99 करोड़ रूपए
दूध उत्पादन वर्ष 2010-14 के औसत वार्षिक 2017-18 का दधू उत्पादन 176.35 मिलियन टन 35.70%
उत्पादन 129.95 मिलियन टन
डेयरी किसानों की आय वर्ष 2010-14 में डेयरी किसानों को जबकि मोदी सरकार में वर्ष 2014-18 में डेयरी किसानों को औसतन 30.45%
मात्र औसतन 22 रूपए प्रति लीटर
में वद्ृ धि भगु तान किया जाता था 28.7 रूपए प्रति लीटर भगु तान किया गया

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मछली उत्पादन वर्ष 2010-14 का औसत वार्षिक वर्ष 2017-18 का मछली उत्पादन 126.14 मिलियन टन 42.22%
उत्पादन 88.69 मिलियन टन

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना


क्षेत्र यूपीए सरकार (2012-13) और (2013-14) मोदी सरकार (2016-17 और 2017-18) वद्ृ धि
बीमित गैर ऋणी किसान 0.29 करोड़ 2.75 करोड़ 837%
बीमित ऋणी किसान 6.37 करोड़ 8.16 करोड़ 28%
कुल बीमित किसान 6.66 करोड़ 10.91 करोड़ 64%
बीमित राशि 1.53 लाख करोड़ रूपए 4.15 लाख करोड़ रूपए 172%
कुल बीमा दावों का भुगतान 15.27 हज़ार करोड़ रूपए 33.25 हज़ार करोड़ रूपए 118%
लाभान्वित किसान 3.24 करोड़ किसान 4.43 करोड़ किसान 37%
बीज की बिक्री, बुवाई और फसलों के उत्पादन के सबं ंध में तुलनात्मक स्थिति:
बीज बिक्री की मात्रा (लाख क्विंटल में)
फसल 2015-16 2016-17 2017-18
गेहूं 95.83 124.87 139.3
सभी फसलें 304.04* 348.58* 352.01*

रबी सीजन में की गई बुवाई (लाख हेक्टेयर में)


फसल 2015-16 2016-17 2017-18
गेहूं 304.178 307.852 295.758
सभी फसलें 612.28** 635.29** 628.25**

उत्पादन (लाख टन में)


फसल 2015-16 2016-17 2017-18
गेहूं 922.9 985.1 997.0
सभी फसलें 2767.9** 3063.87** 3161.36**
*कपास, जटू , मेस्ता, आलू एवं फोर्ड्स सहित
**के वल खाद्यान एवं तिलहन सहित

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स्वामीनाथन के बाद अब नाबार्ड ने भी माना
कि मोदी राज में बढ़ी है किसानों की खुशहाली !

• रमेश कुमार दुबे गठबंधन सरकार की मजबरू ियों, भ्रष्टाचार की व्यापकता और जाति-धर्म की
राजनीति के चलते रिसन का सिद्धांत, वाष्पन में बदल गया और भारतीयों के बैंक
ष्टाचार , तष्टी
ु करण, धनबल-बाहुबल और जाति-धर्म की राजनीति कर सत्ता
भ्र हासिल करने वाली सरकारों ने कृ षि क्षेत्र के दरू गामी विकास की ओर कभी
खाते विदेशी बैंकों में खल
ु ने लगे।
ध्यान ही नहीं दिया। यही कारण है कि खेती-किसानी की बदहाली बढ़ती गई। खेती-किसानी की बदहाली की दसू री बड़ी वजह यह रही कि उदारीकरण का
1991 में शरू ु हुई उदारीकरण की नीतियों में खेती-किसानी की घोर उपेक्षा हुई। रथ हाईवे से उतरकर गांव की पगडंडी पर चला ही नहीं। इसका परिणाम यह हुआ
कि बिजली, पानी, सड़क, सिंचाई,उर्वरक, भडं ारण-विपणन जैसी सवु िधाएं जस की
इस दौरान यह मान लिया गया कि सेवा क्षेत्र में हो रही समृद्धि जब रिसकर नीचे तस बनी रहीं। समय के साथ कदमताल न कर पाने के कारण खेती घाटे का सौदा
पहुचं गे ी तब खेती-किसानी की बदहाली अपने आप दरू हो जाएगी। दरु ्भाग्यवश बन गई और महानगरों की ओर पलायन में तेजी आई। वोट बैंक की राजनीति करने

10
वाली पार्टियां व सरकारें इससे चितिं त हुई ं क्योंकि उन्हें सत्ता जाने का डर सताने
लगा। इसकी तोड़ में उन्होंने मनरे गा, कर्जमाफी जैसी दान-दक्षिणा वाली और वोट
बटोरू योजनाएं शरूु की।
किसानों की बढ़ती बदहाली और आत्महत्या को मद्ु दा बनाकर 2004 में सत्ता
में आई कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने नवंबर, 2004 में प्रसिद्ध कृ षि वैज्ञानिक एमएस
स्वामिनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया। आयोग
ने अपनी रिपोर्ट अक्टूबर, 2006 में सौंप दिया लेकिन सवु िधा टैक्स वसल ू ने में
जटु ी संप्रग सरकार ने रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने में कोई दिलचस्पी नहीं
दिखाई। इसका नतीजा यह हुआ कि किसानों की बदहाली और बढ़ी।
जब सरकार को लगने लगा कि 2009 के आम चनु ावों में किसानों के असतं ोष
की भारी कीमत चक ु ानी पड़ेगी तब उसने किसानों को कर्जमाफी का लालीपाप
दिया जिसके बल पर वह दबु ारा सत्ता हासिल करने में कामयाब रही। इसके बावजदू कृ षि से इतर गतिविधियों को बढ़ावा देने की बात कही है। मोदी सरकार पशपु ालन,
स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशें धल ू फांकती रहीं। मछली पालन, जल जीवों के विकास, मधमु क्खी पालन, मशरूम उत्पादन, कृ षि
वाणिकी और बांस उत्पादन जैसी आयपरक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है।
किसानों को लागत का डेढ़ गनु ा एमएसपी देने के वादे के साथ सत्ता में आने
वाले नरें द्र मोदी ने प्रधानमत्री
ं पद की शपथ लेने के बाद स्वामिनाथन आयोग की अब मोदी सरकार ने बायोफ्यूल इस्तेमाल से किसानों की आमदनी बढ़ाने की
सिफारिशों पर अमल करना शरू ु कर दिया। चकि ंू आयोग की सिफारिशें दरू गामी दिशा में काम शरूु किया है। बायोफ्यूल से न सिर्फ कृ षि अपशिष्टों का निपटान होगा
महत्व की थीं, इसलिए इनके नतीजे आने में समय लगा। मोदी सरकार ने खेती से बल्कि रोजगार व आमदनी के मौके भी निकलेंगे और पर्यावरण का संरक्षण भी
संबंधित आधारभतू ढाँचे को सदृु ढ़ बनाने की पहल की। होगा। सरकार बायोमास को बायोफ्यूल में बदलने के लिए देश भर में 12 रिफाइनरी
स्थापित कर रही है। इसी तरह मोदी सरकार ने गन्ने से इथेनाल बनाने का रोडमैप
सभी गांवों तक बिजली पहुचं ाने, ग्रामीण सड़कों को प्राथमिकता, सिंचाई, मृदा
तैयार किया है।
स्वास्थय कार्ड, बीज विकास, नीम कोटेड यरू िया, भडं ारण सवु िधा का विस्तार,
राष्ट्रीय इलेक्ट्राॅनिक ई-मार्के ट (ई-नाम) स्कीम जैसे उपायों से खेती की लागत में इथेनाल से न के वल किसानों की आमदनी बढ़ रही है बल्कि पेट्रोलियम पदार्थों
कमी आई और किसानों की खश ु हाली बढ़ी। इस खश ु हाली को ट्रैक्टरों की बिक्री के आयात में कमी से देश की दर्लभु विदेशी मद्राु भी बच रही है। इथेनाल के पेट्रोल
के आक ं ड़ों से परखा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में 2015-16 में 4.93 लाख ट्रैक्टरों के साथ मिश्रण से साल 2017 में 4000 करोड़ रूपये के बराबर की विदेशी मद्रा

की बिक्री हुई थी जो कि 2016-17 में 5.81 लाख और 2017-18 में बढ़कर 7.11 बचाई गई। सरकार ने 2022 तक इथेनाल के मिश्रण से 12000 करोड़ रूपये की
लाख हो गई। विदेशी मद्रा
ु बचाने का लक्ष्य रखा है। समग्रत: दशकों से उपेक्षा का शिकार रही
खेती-किसानी अब बदलते वक्त के साथ कदमताल करने लगी है। यही उपलब्धि
इसी को देखकर अब जाकर एमएस स्वामिनाथन ने माना कि पिछले साढ़े चार
मोदी विरोधियों को पच नहीं रही है, क्योंकि इससे उनकी दान-दक्षिणा वाली
वर्षों में इस दिशा में काफी काम हुआ है। सबसे बढ़कर जो नीतियां बनी वे जमीन पर
राजनीति खत्म हो जाएगी।
उतरी। उत्पादन लागत में कमी लाने व उपज की लाभकरी कीमत दिलाने के मामले
(लेखक के न्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)
में काफी प्रगति हुई है। स्वामिनाथन आयोग ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए

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बहुआयामी नीतियों से किसानों की आय
दोगुनी करने की ओर बढ़ रही मोदी सरकार

• सतीश सिहं साफ है कृ षि ऋण माफी से किसानों का भला नहीं हो सकता है। लिहाजा, कृ षि
कर्ज माफी के नकारात्मक परिणामों को दृष्टिगत करके सरकार कृ षि कर्ज माफी जैसी
दी सरकार का मकसद किसानों की समस्या का निदान करना है, न कि योजनाओ ं को लागू करने से परहेज कर रही है। सरकार चाहती है कि किसानों की
मो लोकलभु ावन योजनाओ ं के माध्यम से उन्हें लभु ाना। उदाहरण के तौर वर्ष आय बढ़ाने के लिये ठोस पहल की जाये।
2008 में कृ षि कर्ज माफी का नारा दिया गया था, लेकिन 5 से 6 लाख करोड़ रुपये
के कर्ज में से के वल 72,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने की घोषणा की गई और कें द्रीय कृ षि मत्री
ं राधा मोहन सिंह के अनसु ार मोदी सरकार विगत साढ़े 4 सालों
के वल 52,500 करोड़ रुपये माफ किया गया, जिसका वास्तविक फायदा कुछ ही से किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश कर रही है। सरकार ऐसे विकल्पों पर विचार
किसानों को मिल सका। अधिकांश फायदा वैसे अमीर किसानों को मिला, जिनका कर रही है, जिनसे न्यूनतम समर्थन मलू ्य (एमएसपी) और बाजार मलू ्य के बीच के
खेती-किसानी से कोई सरोकार नहीं था। अतं र को सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजा जा सके ।

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कृ षि मत्री
ं राधामोहन सिंह के मतु ाबिक वर्ष 2014 से पहले कई फसलों के मनु ाफा कमा रहा है। राजग सरकार पिछले साढ़े 4 सालों में किसानों से 95 लाख टन
एमएसपी उनके उत्पादन पर आने वाली लागत से लगभग 10 से 15 प्रतिशत कम थे, दलहन तथा तिलहन खरीद चक ु ी है। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिये सरकार वर्ष
लेकिन वित्तीय बोझ बढऩे के डर से इसे बढ़ाने की तरफ ध्यान नहीं दिया, जबकि मोदी 2014 से जैविक खेती को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। कृ षि वैज्ञानिक श्री
सरकार ने एमएसपी में इजाफा करने के साथ-साथ उपज की खरीद बढ़ाने के लिये भी स्वामीनाथन ने सतत एवं लाभदायक कृ षि के लिये इसे जरूरी बताया है।
ठोस कदम उठाया है। मोदी सरकार ने बड़ी सिंचाई परियोजनाओ ं के लिये 40,000 करोड़ रुपये का
वर्ष 2014 से पहले नेफेड के जरिये के वल 7 लाख टन तिलहन और दलहन कोष महु यै ा कराया है, जिसकी वजह से कुछ परियोजनाये ँ दिसंबर, 2019 तक परू े हो
खरीदी गई थी। इतना ही नहीं नेफेड दिवालिया होने के कगार पर पहुचँ गया था, जाएगं ी। वर्तमान सरकार किसानों के कल्याण वाली योजनाओ ं के बारे में जागरूकता
लेकिन मोदी सरकार ने इसे पनु र्जीवित करके इतना मजबतू बना दिया कि अब यह फै ला रही है, ताकि किसान सरकारी योजनाओ ं का लाभ ले सकें । किसानों को आपदा
से फौरी राहत महु यै ा कराने के लिये सरकार ने मआ
ु वजा राशि में इजाफा किया है।
सरकार नई फसल बीमा योजना लेकर आई है, जिसमें कटाई के बाद और उससे पहले
के नकु सान का समावेश किया गया है।
भारत में पशु आबादी दनिय ु ा में पशओ ु ं की कुल आबादी का 15% है। अगर
भारत में पशपु ालन पेशवे र तरीके से किया जाता है तो किसानों की आय में वृद्धि हो
सकती है। साथ ही, कृ षि से जड़ु ी जोखिमें भी कम हो सकती हैं। किसानों को हर साल
मानसनू की अनिश्चितता से होने वाली परे शानियों से भी छुटकारा मिल सकता है।
पशधु न से आय बढ़ाने के लिये जरूरी है कि देसी नस्ल की गायों एवं भैंसों को
पालने की प्रवृति को बढ़ावा दिया जाये, क्योंकि इनके दधू में ए-2 ज्यादा मात्रा में पाया
जाता है, जो दधू को स्वस्थ और पौष्टिक बनाता है। दनियु ा भर में ए-2 दधू की मांग में
तेजी से इजाफा हो रहा है। दधू में ए-2 जीन भारत के किसानों के लिये अधिक आय
अर्जित करने के अवसरों का सृजन करता है। उदाहरण के तौर पर भारतीय गिर नस्ल
की गायें प्रति दिन 70 लीटर से अधिक दधू दे रही हैं।
लब्बोलबु ाब यह है कि सरकार का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है, जिसके
लिये एमएसपी बढ़ाने, पेशवे र तरीके से पशपु ालन करने, आधनि ु क तकनीक से खेती-
किसानी करने, जैविक तकनीक का अनपु ालन करने, किसानों को एक निश्चित राशि
सहायता के तौर पर उपलब्ध कराने, फसलों का बीमा करने, किसानों को मआ ु वजा
देने की व्यवस्था करने आदि उपायों को मर्तू रूप देने की कोशिश सरकार कर रही है।
उम्मीद है कि सरकार की कोशिशों का परिणाम जल्द सामने आने लगेंगे।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट कें द्र मुंबई के आर्थिक
अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

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सदं र्भ :
www.agriculture.gov.in
www.transformingindia.mygov.in
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“The dream, of an Indian nationhood which would comprise within
itself men and women professing different religion, who regard India as their common
motherland, had fired the imagination of generations of political thinkers and workers
in this country. I believe that its consummation, if ever be achieved, will be all to the
good of our country.”

-Dr. Syama Prasad Mookerjee


Mahakosala Provincial Hindu Sabha Conference,
Raipur, 7th December, 1940

Published By:
Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation
9, Ashoka Road New Delhi - 110001
E-mail: office@spmrf.org, Phone: 011-23005850
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