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-खजू र र्ें छु हारे से ज्यादा पौमिकता होती है । खजू र मर्लता भी सदी र्ें ही है । अगर पाचन
शक्ति अच्छी हो तो खजू र खाना ज्यादा फायदे र्ोंद है । छु हारे का सेवन तो सालभर मकया
जा सकता है , क्ोोंमक यह सूखा फल बाजार र्ें सालभर मर्लता है ।
- छु हारे की तासीर गर्म होने से ठों ड के मदनोों र्ें इसका सेवन नाड़ी के ददम र्ें भी आरार्
दे ता है।
- छु हारा खुश्क फलोों र्ें मगना जाता है , मजसके प्रयोग से शरीर हृि-पुि बनता है । शरीर
को शक्ति दे ने के मलए र्ेवोों के साथ छु हारे का प्रयोग खासतौर पर मकया जाता है ।
- छु हारे व खजू र मदल को शक्ति प्रदान करते हैं । यह शरीर र्ें रि वृक्ति करते हैं ।
-भूख बढ़ाने के मलए छु हारे का गूदा मनकाल कर दू ध र्ें पकाएों । उसे थोड़ी दे र पकने के
बाद ठों डा करके पीस लें । यह दू ध बहुत पौमिक होता है । इससे भूख बढ़ती है और खाना
भी पच जाता है।
-प्रदर रोग क्तियोों की बड़ी बीर्ारी है । छु आरे की गुठमलयोों को कूि कर घी र्ें तल कर,
गोपी चन्दन के साथ खाने से प्रदर रोग दू र हो जाता है।
-छु हारे को पानी र्ें मभगो दें । गल जाने पर इन्हें हाथ से र्सल दें । इस पानी का कुछ मदन
प्रयोग करें , शारीररक जलन दू र होगी।
-अगर आप पतले हैं और थोड़ा र्ोिा होना चाहते हैं तो छु हारा आपके मलए वरदान सामबत
हो सकता है , ले मकन अगर र्ोिे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूवमक करें ।
-जुकार् से परे शान रहते हैं तो एक मगलास दू ध र्ें पाों च दाने खजू र डालें । पाों च दाने काली
मर्चम, एक दाना इलायची और उसे अच्छी तरह उबाल कर उसर्ें एक चम्मच घी डाल कर
रात र्ें पी लें। सदी-जुकार् मबल्कुल ठीक हो जाएगा।
-अगर शीघ्रपतन की सर्स्या से परे शान हैं तो तीन र्हीने तक छु हारे का सेवन आपको
सर्स्या से र्ुक्ति मदला दे गा। इसके मलए प्रात: खाली पेि दो छु हारे िोपी सर्ेत दो सप्ताह
तक खूब चबा-चबाकर खाएों । तीसरे सप्ताह र्ें तीन छु हारे खाएों और चौथे सप्ताह से 12वें
सप्ताह तक चार-चार छु हारोों का रोज सेवन करें । इस सर्स्या से र्ुक्ति मर्ल जाएगी ।
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खजू र की चिनी
मवमध :
खजू र के बीच र्ें से गुठली मनकाल दें , धोकर इसर्ें एक कप पानी डाल दें । 2 घोंिे के मलए
भीगने दें ।
5 मर्नि के मलए पकाये और ब्लेंडर र्ें बारीक पीस लें । अब इसर्ें लाल मर्चम पाउडर,
जीरा पाउडर और नर्क डालकर अच्छी तरह मर्ला लें , खजू र की चिनी तै यार है ।
सार्ग्री :
200 ग्रार् खजू र, 100 ग्रार् इर्ली, 1/2 िी स्पून लाल मर्चम पाउडर, 1/2 िी स्पून भुना
जीरा पाउडर, 1/4 िी स्पून काला नर्क, नर्क स्वादानुसार।
शीतकाल र्ें खजू र सबसे अमधक लोकमप्रय र्ेवा र्ाना जाता है। घर घर र्ें प्रयोग मकया
जाने वाला यह खाद्य फल है , मजसे अर्ीरगरीब ब़डे चाव से खाते हैं। होली के पवम पर
इसकी खूब र्नुहार चलती है। खजू र रे मगस्तानी सूखे प्रदे श का फल है । प्रकृमत की यह
अनुपर् दे न खास ऐसे प्रदे शोों के मलए ही है , जहाों मजन्दगी ब़डी कमठन होती है और जहाों
बरसात या पीने के पानी की कर्ी होती है । इसके प़ेड हर्ें जीवन से ल़डना मसखाते हैं ,
इसीमलए इसके खाने का प्रचलन ज्यादातर सूखे रे मगस्तानी इलाकोों र्ें ही होता है । सूखे
खजू र को छु हारा या खारकी कहते हैं। मपोंड खजू र भी इसका दू सरा नार् है ।
खजू र ताजा व सूखे को ही खाया जाता है। अरब प्रदे शोों र्ें आर् की तरह खजू र भी रस
भरे होते हैं , पर वे हाथ लगाते ही कुम्हला जाते हैं । सूखे मकस्म की खजूर को पूरा सुखाया
जाता है। इसके िु क़डोों को र्ुखवास व खिाई र्ें पचाकर तथा साग बनाकर भी खाया
जाता है। अरब लोगोों के मलए खजू र लोकमप्रय खाद्य पदाथम है और वे रोज इसे थ़ोडा बहुत
खाते ही हैं ।
खाने के अलावा अन्य मर्ष्ठान्न व बेकरी र्ें भी इसका उपयोग मकया जाता है । इसका
र्ुरब्बा, अचार व साग भी बनता है । खजू र से बना द्रव्य शहद खूब लज्जतदार होता है और
यह शहद दस्त, कफ मर्िाकर कई शारीररक प़ीडाआेेेों को दू र करता है । श्वास की
बीर्ारी र्ें इसका शहद अत्यन्त लाभप्रद होता है । इससे पाचन शक्ति ब़ढती है तथा यह
ठों डे या शीत गुर्धर्म वाला फल र्ाना जाता है।
सौ ग्रार् खजू र र्ें ०४ ग्रार् चबी, १ २ ग्रार् प्रोिीन, ३३८ ग्रार् काबोमदत पदाथम , २२ मर्ली
ग्रार् कैक्तशशयर्, ३८ मर्लीग्रार् फास्फोरस प्राप्त होती है । मविामर्न ए बी सी, प्रोिीन, लौह
तत्व, पोिे मशयर् और सोमडयर् जै से तत्व र्ौजू द रहते हैं। बच्ोों से ले कर ब़ूढे, बीर्ार और
स्वस्थ सभी इसे खा सकते है।
खजू र खाने के पहले इसे अच्छी तरह से धो लेना चामहए, क्ोोंमक प़ेड पर खुले र्ें पकते हैं
तथा बाजार र्ें रे हडी वाले मबना ढके बेचते हैं , मजस पर र्क्खी र्च्छर बैठने का अोंदेशा
रहता है । आजकल खजू र छोिी पैमकोंगोों र्ें भी मर्लते हैं। वे दु कानदार स्वयों पोलीथीन र्ें
पैक कर अपनी दु कान का नार् लगा दे ते हैं । वे इतने साफ नहीों होते । वैज्ञामनक ढों ग से
पैक मकए खजू र ही खाने चामहए।
मवशे षज्ञोों के अनुसार १०० ग्रार् से अमधक खजूर नहीों खाने चामहए। इससे पाचन शक्ति
खराब होने का भय रहता है । अगर कोई बहुत ही दु बला पतला हो, तो खजू र खाकर दू ध
पीने से उसका वजन भी ब़ढ जाता है । यद्यमप खजू र हर प्रकार से गुर्कारक है , परन्तु
इसर्ें मवरोधाभास भी पाया जाता है । शीतकाल र्ें जो इसे खाते हैं , वे इसे गरर् र्ानते हैं ।
आयुवेद ग्रोंथोों र्ें इसे शीतल गुर् वाला र्ाना है , इसमलए गरर् तासीर वालोों को यह खूब
उपयोगी व र्ामफक आता है । ठों डा आहार मजनके शरीर के अनुरूप नहीों होता, उन्हें
खजू र नहीों खाना चामहए।
कुछ लोग घी र्ें रखकर उसका पेय बनाकर पीते हैं । ये अमत ठों डा होता है । मजन्हें खजू र न
पचता हो, उन्हें नहीों खाना चामहए। यह वायु प्रकोप को मर्िाता है , मपत्तनाशक है । मपत्त
वालोों को घी के साथ खाने से असरदायक होता है । यह र्ीठा मिग्ध होने से थ़ोडे प्रर्ार् र्ें
मपत्त करता है , परन्तु गुड, शक्कर, केले व अन्य मर्ठाइयोों से कर् मपत्त करता है । कफ के
रोगी को चने के दमलये (भुने हुए चने) के साथ खाना चामहए। धमनए के साथ खाने से कफ
का नाश होता है ।
यह औषमध का कार् तो करता ही है , व्रर्, लौह मवकार, र्ूच्छाम , नशा च़ढना, क्षय रोग,
वाधमक्, कर्जोरी, गरर्ी वगैरह के साथ कर्जोर र्क्तस्तष्क वालोों के मलए भी यह दवा का
कार् करता है । खजू र र्ाों सवधमक होने के कारर् शाकाहारी लोगोों की अच्छी खुराक र्ाना
जाता है। यह भी र्ाना जाता है मक खजू र को दू ध र्ें उबाल कर उस दू ध को पीने से
नुकसानदायक होता है , इसमलए खजू र खाने व दू ध पीने के बीच २३ घोंिोों का अोंतर रखना
चामहए।
बच्ोों को पूरा खजू र न दे कर उसकी गुठली मनकाल िु क़डे कर क्तखलाना चामहए। खजू र
एक तरह से अर्ृत के सर्ान है । यह आों खोों की ज्योमत व याददाश्त भी ब़ढाता है । दाों तोों से
लहू मनकले या र्सूडे खराब होों, तो यह दवा का कार् करता है । इसके खाने से बाल कर्
झ़डते हैं। खजू र व उसका शहद एक तरह से कुदरत की अनुपर् दे ने हैं , इसमलए खूब
खाएों व खूब क्तखलाएों ।
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खास-उल-खास खजू र
क्ा आप जानते हैं ?
खजू र का पेड़ मवश्व के सबसे सुन्दर सजाविी पेड़ोों र्ें से एक र्ाना जाता है और इसे
सड़कोों राजर्ागो और र्ुख्य रास्तोों पर शोभा के मलए भी लगाया जाता है ।
अरबी दे शोों र्ें खजू र की व्यवक्तस्थत रूप से खेती के प्रर्ार् ईसा से ३००० वषम पूवम के हैं ।
चार खजू रोों र्ें लगभग २३० कैलोरी, २ ग्रार् प्रोिीन, ६२ ग्रार् काबोहाइडरेि, ५७० मर्ली
ग्रार् पोिे मशयर् और ६ खाद्य रे शे होते हैं साथ ही इसर्ें कोले स्ट्राल और वसा की र्ात्रा
मबलकुल नहीों होती इस कारर् यह एक आदशम फल र्ाना जाता है ।
खजू र मवश्व के सबसे पौमिक फलोों र्ें से एक है। समदयोों से यह र्ध्यपूवम एमशया और उत्तरी
अफ्रीका के रे मगस्तानी इलाकोों का प्रर्ुख भोजन बना हुआ है क्ोोंमक वहााँ इसके मसवा और
कुछ उत्पन्न नहीों होता। यह ताजा और सूखा, दोनोों तरह के फलोों र्ें मगना जा सकता है।
पेड़ पर पके खजू र ज़्यादा स्वामदि होते हैं । ले मकन जल्दी खराब हो जाने की वजह से इसे
धूप र्ें सुखाया जाता है। सूखे हुए खजू र का वजन करीब ३५ प्रमतशत कर् हो जाता है ।
ताजे खजू र के र्ुकाबले सूखे खजू र र्ें रे शोों की र्ात्रा अमधक होती है ।
खजू र र्ें पौमिक तत्व काफी र्ात्रा र्ें होते हैं । इसके सेवन से ग्लुकोज और फ्रुक्टोज के
रूप र्ें नैसमगमक शक्कर हर्ारे शरीर को मर्लती है । इस तरह की शक्कर शरीर र्ें शोषर्
के मलए तै यार रहती है , इसमलए यह आर् शक्कर से अच्छी होती है । रर्जान के पमवत्र
र्महने र्ें खजू र खा कर ही उपवास की सर्ाक्तप्त की जाती है।
खजू र अपने आप र्ें एक िॉमनक भी है । खजूर के साथ उबला हुआ दू ध पीने से ताकत
मर्लती है । खजू र को रात भर पानी र्ें भीगो कर रक्तखये। मफर इसी र्ें थोड़ा र्सल कर
उसका बीज मनकाल दीमजए। यह हफ्ते र्ें कर् से कर् दो बार सुबह ले ने से अपने मदल
को र्जबूती मर्लती है। यमद कब्ज की मशकायत है तो रात भर भीगाया हुआ खजू र सुबह
र्हीन पीस कर ले ने से यह मशकायत दू र हो सकती है । बकरी के दू ध र्ें खजू र को रात
भर भीगो कर रक्तखए। सुबह इसी र्ें पीस कर थोड़ी दालमचनी पावडर और शहद
मर्लाइए। इसके सेवन से बाों झपन दू र हो सकता है ।
खजू र की ऊपरी सतह मचकनी होने से धूल मर्ट्टी बैठने की सोंभावना होती है । इसमलए
खजू र खरीदते सर्य सही पैमकोंग वाला ही खरीदना चामहए और प्रयोग र्ें लाने से पहले
साफ़ पानी से अच्छी तरह धो ले ना चामहए।
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समदम योों र्ें खजू र खाओ, सेहत बनाओ
समदम योों र्ें खजू र खाओ, सेहत बनाओ : खजू र र्धुर, शीतल, पौमिक व सेवन करने के
बाद तु रोंत शक्ति-स्फूमतम दे ने वाला है । यह रि, र्ाों स व वीयम की वृक्ति करता है । हृदय व
र्क्तस्तष्क को शक्ति दे ता है । वात-मपत्त व कफ इन तीनोों दोषोों का शार्क है । यह र्ल व
र्ूत्र को साफ लाता है । खजू र र्ें काबोहाईडरेिस, प्रोिीन्स, कैक्तशशयर्, पौिै मशयर्, लौह,
र्ैग्नेमशयर्, फास्फोरस आमद प्रचुर र्ात्रा र्ें पाये जाते हैं।
कृशताीः खजू र र्ें शकमरा, वसा (फैि) व प्रोिीन्स मवपुल र्ात्रा र्ें पाये जाते हैं । इसके
मनयमर्त सेवन से र्ाों स की वृक्ति होकर शरीर पुि हो जाता है।
5 से 7 खजू र अच्छी तरह धोकर रात को मभगोकर सुबह खायें। बच्ोों के मलए 2-4 खजू र
पयाम प्त हैं । दू ध या घी र्ें मर्लाकर खाना मवशे ष लाभदायी है।
प्रकृमत ने र्नुष्य को यूों तो बहुत कुछ मदया है पर हर् प्रकृमत की दी हुई इस अनर्ोल
सम्पदा को ठीक प्रकार से उपयोग करना नहीों जानते । समदम योों की र्ेवा के रूप र्ें प्रकृमत
ने हर्ें बहुत सी चीजें दी हैं , मजनर्ें खजू र की मर्ठास का भी प्रर्ुख स्थान रहा है । यह
मदल, मदर्ाग, कर्र ददम तथा आों खोों की कर्जोरी के मलए बहुत गुर्कारी है । खजू र खाने
से शरीर की आवश्यक धातु ओों को बल मर्लता है । यह छाती र्ें एकमत्रत कफ को
मनकालता है।
कर्जोरी : खजू र 200 ग्रार्, मचलगोजा मगरी 60 ग्रार्, बादार् मगरी 60 ग्रार्, काले चनोों
का चूर्म 240 ग्रार्, गाय का घी 500 ग्रार्, दू ध दो लीिर और चीनी या गुड़ 500 ग्रार्। इन
सबका पाक बनाकर 50 ग्रार् प्रमतमदन गाय के दू ध के साथ खाने से हर प्रकार की
शारीररक वों र्ानमसक कर्जोरी दू र होती है।
मबस्तर पर पेशाब : छु हारे खाने से पेशाब का रोग दू र होता है । बुढ़ापे र्ें पेशाब बार-बार
आता हो तो मदन र्ें दो छु हारे खाने से लाभ होगा। छु हारे वाला दू ध भी लाभकारी है । यमद
बच्ा मबस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छु हारे वाला दू ध मपलाएों । यह र्सानोों
को शक्ति पहुों चाते हैं ।
र्ामसक धर्म : छु हारे खाने से र्ामसक धर्म खुलकर आता है और कर्र ददम र्ें भी लाभ
होता है ।
दाों तोों का गलना : छु हारे खाकर गर्म दू ध पीने से कैलमशयर् की कर्ी से होने वाले रोग,
जै से दाों तोों की कर्जोरी, हमियोों का गलना इत्यामद रूक जाते हैं ।
रिचाप : कर् रिचाप वाले रोगी 3-4 खजू र गर्म पानी र्ें धोकर गुठली मनकाल दें । इन्हें
गाय के गर्म दू ध के साथ उबाल लें । उबले हुए दू ध को सुबह-शार् पीएों । कुछ ही मदनोों र्ें
कर् रिचाप से छु िकारा मर्ल जायेगी।
कब्ज : सुबह-शार् तीन छु हारे खाकर बाद र्ें गर्म पानी पीने से कब्ज दू र होती है। खजू र
का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्म रोग नहीों होता तथा र्ुोंह का स्वाद भी
ठीक रहता है । खजू र का अचार बनाने की मवमध थोड़ी कमठन है , इसमलए बना-बनाया
अचार ही ले लेना चामहए।
र्धुर्ेह : र्धुनेह के रोगी मजनके मलए मर्ठाई, चीनी इत्यामद वमजमत है , सीमर्त र्ात्रा र्ें
खजू र का इस्तेर्ाल कर सकते हैं । खजू र र्ें वह अवगुर् नहीों है , जो गन्ने वाली चीनी र्ें पाए
जाते हैं ।
पुराने घाव : पुराने घावोों के मलए खजू र की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। घावोों पर
इस भस्म को लगाने से घाव भर जाते हैं ।
आों खोों के रोग : खजू र की गुठली का सुरर्ा आों खोों र्ें डालने से आों खोों के रोग दू र होते हैं।
खाों सी : छु हारे को घी र्ें भूनकर मदन र्ें 2-3 बार सेवन करने से खाोंसी और बलगर् र्ें
राहत मर्लती है।
जु एों : खजू र की गुठली को पानी र्ें मघसकर मसर पर लगाने से मसर की जुएों र्र जाती हैं।
१. तुलसी रि र्ें कोलेस्ट्रॉल की र्ात्रा मनयोंमत्रत करने की क्षर्ता रखती है !!
२. शरीर के वजन को मनयोंमत्रत रखने हेतु भी तुलसी अत्योंत गुर्कारी है !! इसके मनयमर्त
सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घिता है एवों पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तु लसी
शरीर का वजन आनुपामतक रूप से मनयोंमत्रत करती है !!
३. तु लसी के रस की कुछ बूाँदोों र्ें थोड़ा-सा नर्क मर्लाकर बेहोश व्यक्ति की नाक र्ें
डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है !!
४. चाय बनाते सर्य तुलसी के कुछ पत्ते साथ र्ें उबाल मलए जाएाँ तो सदी, बुखार एवों
र्ाों सपेमशयोों के ददम र्ें राहत मर्लती है !!
५. १० ग्रार् तु लसी के रस को ५ ग्रार् शहद के साथ सेवन करने से महचकी एवों अस्थर्ा के
रोगी को ठीक मकया जा सकता है !!
६. तुलसी के काढ़े र्ें थोड़ा-सा सेंधा नर्क एवों पीसी सौोंठ मर्लाकर सेवन करने से कब्ज
दू र होती है !!
७. दोपहर भोजन के पश्चात तु लसी की पमत्तयााँ चबाने से पाचन शक्ति र्जबूत होती है !!
८. १० ग्रार् तुलसी के रस के साथ ५ ग्रार् शहद एवों ५ ग्रार् मपसी कालीमर्चम का सेवन
करने से पाचन शक्ति की कर्जोरी सर्ाप्त हो जाती है !!
९. दू मषत पानी र्ें तुलसी की कुछ ताजी पमत्तयााँ डालने से पानी का शु क्तिकरर् मकया जा
सकता है !!
१०. रोजाना सुबह पानी के साथ तु लसी की ५ पमत्तयााँ मनगलने से कई प्रकार की सोंक्रार्क
बीर्ाररयोों एवों मदर्ाग की कर्जोरी से बचा जा सकता है !! इससे स्मरर् शक्ति को भी
र्जबूत मकया जा सकता है !!
११. ४-५ भुने हुए लौोंग के साथ तुलसी की पत्ती चूसने से सभी प्रकार की खााँ सी से र्ुक्ति
पाई जा सकती है !!
१२. तुलसी के रस र्ें खड़ी शक्कर मर्लाकर पीने से सीने के ददम एवों खााँ सी से र्ुक्ति पाई
जा सकती है !!
१३. तुलसी के रस को शरीर के चर्मरोग प्रभामवत अोंगोों पर र्ामलश करने से दाग, एक्तिर्ा
एवों अन्य चर्मरोगोों से र्ुक्ति पाई जा सकती है !!
१४. तुलसी की पमत्तयोों को नीोंबू के रस के साथ पीस कर पेस्ट् बनाकर लगाने से एक्तिर्ा
एवों खुजली के रोगोों से र्ुक्ति पाई जा सकती है !!
आज तु लसी मववाह है ::
आज दे वोत्थान एकादशी के मदन र्नाया जाने वाला तु लसी मववाह मवशु ि र्ाों गमलक और
आध्याक्तिक प्रसोंग है । दे वता जब जागते हैं , तो सबसे पहली प्राथम ना
हररवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं। इसीमलए तु लसी मववाह को दे व जागरर् के पमवत्र
र्ुहूतम के स्वागत का आयोजन र्ाना जाता है । तु लसी मववाह का सीधा अथम है , तु लसी के
र्ाध्यर् से भगवान का आहावान। कामतम क, शुक्ल पक्ष, एकादशी को तु लसी पूजन का
उत्सव र्नाया ज
ेाता है। वैसे तो तुलसी मववाह के मलए कामतमक, शु क्ल पक्ष, नवर्ी की मतमथ ठीक है ,
परन्तु कुछ लोग एकादशी से पूमर्मर्ा तक तुलसी पूजन कर पााँ चवें मदन तुलसी मववाह
करते हैं। आयोजन मबल्कुल वैसा ही होता है , जै से महन्दू रीमत-ररवाज से सार्ान्य वर-वधु
का मववाह मकया जाता है ।
र्ोंडप, वर पूजा, कन्यादान, हवन और मफर प्रीमतभोज, सब कुछ पारम्पररक रीमत-ररवाजोों
के साथ मनभाया जाता है । इस मववाह र्ें शामलग्रार् वर और तुलसी कन्या की भूमर्का र्ें
होती है । यह सारा आयोजन यजर्ान सपत्नीक मर्लकर करते हैं । इस मदन तुलसी के पौधे
को यानी लड़की को लाल चुनरी-ओढ़नी ओढ़ाई जाती है । तुलसी मववाह र्ें सोलह श्ृोंगार
के सभी सार्ान चढ़ावे के मलए रखे जाते हैं । शामलग्रार् को दोनोों हाथोों र्ें ले कर यजर्ान
लड़के के रूप र्ें यानी भगवान मवष्णु के रूप र्ें और यजर्ान की पत्नी तु लसी के पौधे को
दोनोों हाथोों र्ें लेकर अमग्न के फेरे लेते हैं । मववाह के पश्चात प्रीमतभोज का आयोजन मकया
जाता है। कामतमक र्ास र्ें िान करने वाले क्तियााँ भी कामतम क शु क्ल एकादशी को
शामलग्रार् और तु लसी का मववाह रचाती है । सर्स्त मवमध मवधान पूवमक गाजे बाजे के साथ
एक सुन्दर र्ण्डप के नीचे यह कायम सम्पन्न होता है मववाह के क्तियााँ गीत तथा भजन गाती
है ।
र्गन भई तु लसी रार् गुन गाइके र्गन भई तुलसी।
सब कोऊ चली डोली पालकी रथ जुडवाये के।।
साधु चले पााँ य पैया, चीिी सो बचाई के।
र्गन भई तु लसी रार् गुन गाइके।।
गले र्ें मकनती भी खराब से खराब बीर्ारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अच्छी
दवा है हल्दी । जै से गले र्ें ददम है , खरास है , गले र्ें खासी है , गले र्ें कफ जर्ा ह
ेै, गले र्ें िोनसीलाईमिस हो गया ; ये सब मबर्ाररओों र्ें आधा चम्मच कच्ी हल्दी का रस
ले ना और र्ुह खोल कर गले र्ें डाल दे ना , और मफर थोड़ी दे र चुप होके बैठ जाना तो ये
हल्दी गले र्ें मनचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक र्ें ही सब बीर्ारी ठीक
होगी दु बारा डालने की जरुरत नही । ये छोिे बच्ो को तो जरुर करना ; बच्ो के िोक्तन्सल
जब बहुत तकलीफ दे ते है न तो हर् ऑपरे शन करवाके उनको किवाते है ; वो करने की
जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।
गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीर्ाररया है जै से खासी ; इसका एक इलाज तो कच्ी
हल्दी का रस है जो गले र्ें डालने से तु रन्त ठीक हो जाती है चाहे मकतनी भी जोर की
खासी हो ।
और एक अच्छी दवा है , अनार का रस गरर् करके मपयो तो खासी तु रन्त ठीक होती है ।
काली मर्चम है गोल मर्चम इसको र्ुह र्ें रख के चबालो , पीछे से गरर् पानी पी लो तो
खासी बोंध हो जाएगी, काली मर्चम को चुसो तो भी खासी बोंध हो जाती है ।
और एक अमछ दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेि गुड
या सेहद मर्लाके गरर् पानी के साथ ले ने से दर्ा अस्थर्ा ठीक कर दे ती है ।
सार्ान्य पररचय : अजवायन का पौधा आर्तौर पर सारे भारतवषम र्ें पाया जाता है , ले मकन
पमश्चर् बोंगाल, दमक्षर्ी प्रदे श और पोंजाब र्ें अमधकता से पैदा होता है।
अजवायन के पौधे दो-तीन फुि ऊोंचे और पत्ते छोिे आकार र्ें कुछ कोंिीले होते हैं ।
डामलयोों पर सफेद फूल गुच्छे के रूप र्ें लगते हैं , जो पककर एवों सूख जाने पर अजवाइन
के दानोों र्ें पररवमतमत हो जाते हैं । ये दाने ही हर्ारे घरोों र्ें र्साले के रूप र्ें और औषमधयोों
र्ें उपयोग मकए जाते हैं।
रों ग : अजवाइन का रों ग भूरा काला मर्ला हुआ होता है ।
1. मफिकरी : भूनी हुई मफिकरी 10 ग्रार्, भूना हुआ सुहागा 10 ग्रार्, नौसादर ठीकरी
10 ग्रार्, कालानर्क 10 ग्रा
र् और भूनी हुई हीोंग 5 ग्रार् को अच्छी तरह पीसकर चूर्म बना लें । यह 2-2 ग्रार् चूर्म
सुबह-शार् भोजन के साथ सेवन करने से पेि का सभी रोग सर्ाप्त होता है ।
2. असोंगध : 100 ग्रार् असोंगध को बारीक पीसकर 5-5 ग्रार् की र्ात्रा र्ें दे शी घी व चीनी
मर्लाकर गर्म द
ेूध के साथ मदन र्ें 2 बार सेवन करने से प्रसूता (मडलीवरी) का ददम और पेि का ददम
ठीक होता है ।
3. मत्रफला : मत्रफला का 100 ग्रार् चूर्म र्ें 65 ग्रार् चीनी मर्लाकर रख लें और यह चूर्म 5
ग्रार् की र्ात्रा र्ें मदन र्ें 2 बार पानी के साथ सेवन करें । इसके उपयोग से पेि की सभी
बीर्ाररयाों सर्ाप्त होती हैं ।
4. तुलसी :
5. जार्ुन : पेि की बीर्ाररयोों र्ें जार्ुन लाभदायक होता है । जार्ुन खाने से दस्त का बार-
बार आना बोंद होता है। यह पेि ददम , दस्त रोग, अमग्नर्ाों द्य आमद र्ें जार्ुन के रस र्ें
सेंधानर्क मर्लाकर पीना चामहए।
6. केला :
* मकसी भी कारर् से उत्पन्न पेि ददम र्ें केला खाना लाभकारी होता है । केला बच्े व
कर्जोर रोगी के मलए पोषक आहार होता है । केले का सेवन से पेि ददम , आों तोों की सूजन
और आर्ाशय का जख्म ठीक होता है ।
7. अनार : अधपका अनार खाने से र्ेदा, मतल्ली, यकृत की कर्जोरी, सोंग्रहर्ी (पेमचश),
दस्त, उल्टी और पेि का ददम ठीक होता है। यह पाचनशक्ति को बढ़ता है और पेशाब की
रुकावि को दू र करता है ।
8. गाजर : गाजर खाने या इसका रस पीने से भोजन न पचना, पेि र्ें वायु बनना, ऐोंठन,
सूजन एवों घाव ठीक होता है । गाजर का रस पीने से पेि र्ें पानी भरना, एपेण्डीसाइमिस,
वृहादाों त्र शोथ (कोलाइमिस), दस्त की बदबू, र्ुोंह की बदबू और खराश ठीक होती है ।
9. र्ूली : खाना खाते सर्य र्ूली की चिनी, अचार और सब्जी या र्ूली पर नर्क,
कालीमर्चम का चूर्म डालकर खाने से पेि के सभी रोग जै से- पाचनमक्रया का र्ोंदा होना,
अरुमच, पुरानी कब्ज और गैस आमद दू र होती है ।
10. ग्वारपाठा :
* ग्वारपाठा के गूदे को पेि पर ले प करने से पेि नर्म होकर आों तोों र्ें जर्ा र्ल ढीला
होकर मनकल जाता है । इसके सेवन से पेि की गाों ठे गल जाती हैं।
* 5 चम्मच ग्वारपाठे का ताजा रस, 2 चम्मच शहद और आधे नीोंबू का रस मर्लाकर
सुबह-शार् पीने से सभी प्रकार के पेि के रोग ठीक होते हैं ।
11. चौलाई : चौलाई की सब्जी बनाकर खाने से पेि की बीर्ाररयाों सर्ाप्त होती है ।
12. बथु आ : बथु आ की सब्जी र्ौसर् के अनुसार खाने से पेि, मजगर एवों मतल्ली का रोग
ठीक होता है । इसके सेवन से गैस का बनना, कब्ज, पेि के कीड़े और बवासीर ठीक
होती है ।
13. र्सूर : र्सूर की दाल को खाने से पेि की पाचनमक्रया ठीक होती है और कब्ज नहीों
बनती।
14. सौोंठ :
* मपसी हुई सौोंठ एक ग्रार्, थोड़ी सी हीोंग और सेंधानर्क पीसकर चूर्म बनाकर गर्म पानी
के साथ खाने से पेि का ददम दू र होता है ।
* सौोंठ का 1 चम्मच चूर्म और सेंधानर्क को एक मगलास पानी र्ें गर्म करके पीने से पेि
की पीड़ा सर्ाप्त होती है ।
* सौोंठ, हरीतकी, बहेड़ा और आों वला बराबर र्ात्रा र्ें ले कर पेस्ट् बना लें और इसे गाय
का घी, मतल का तेल ढाई मकलो, दही का पानी ढाई मकलो के साथ मर्लाकर मवमधपूवमक
घी का पाक बना लें। इसके बाद इसे छानकर 10 से 20 ग्रार् की र्ात्रा र्ें सुबह-शार्
सेवन करने से पेि के सभी रोग दू र होते हैं।
15. अदरक : अदरक के िु कड़े को दे शी घी र्ें सेंककर इसर्ें नर्क मर्लाकर सुबह शार्
सेवन करने से पेि का ददम शाों त होता है ।
16. आक : 10 ग्रार् आक की जड़ की छाल कूिकर 400 ग्रार् पानी र्ें डालकर काढ़ा
बनाएों और जब यह काढ़ा 50 ग्रार् बच जाए तो छानकर पीएों । इसका उपयोग पेि के
सभी रोग के मलए बेहतर होता है ।
17. मगलोय : ताजी मगलोय 18 ग्रार्, अजर्ोद, छोिी पीपल 2-2 ग्रार्, नीर् की 2 सीोंकोों
को पीसकर रात को 250 पानी के साथ मर्ट्टी के बतम न र्ें रख दें और सुबह इसे छानकर
सेवन करें । इसका सेवन 15 से 30 मदनोों तक करने से पेि के सभी रोग ठीक होते हैं ।
18. प्याज :
* प्याज खाने से भूख का न लगना ठीक होता है , मजगर (यकृत), मतल्ली तथा मपत्त का रोग
ठीक होता है । इसके सेवन से पेि की गैस बाहर मनकाल जाती है और जलवायु के बदलाव
के कारर् होने वाला रोग ठीक होता है।
* प्याज को आग र्ें गर्म करके रस मनकाल लें और इस रस र्ें नर्क मर्लाकर पीएों ।
इससे अम्लमपत्त और पेि का ददम ठीक होता है।
* नीोंबू का रस, प्याज का रस और नर्क मर्लाकर 1-2 चम्मच की र्ात्रा र्ें पीने से पेि के
सभी रोग दू र होते हैं।
19. अकरकरा :
* छोिी पीपल और अकरकरा की जड़ का चूर्म बराबर र्ात्रा र्ें पीसकर आधा चम्मच
शहद के साथ सुबह-शार् भोजन करने के बाद सेवन करने से पेि सम्बोंधी सभी सर्ाप्त
होते हैं ।
* पेि रोग से पीमड़त रोगी को अकरकरा की जड़ का चूर्म और छोिी मपप्पली का चूर्म
बराबर र्ात्रा र्ें मर्लाकर आधे चम्मच की र्ात्रा र्ें भोजन करने के बाद सुबह-शार् करना
चामहए।
20. अर्लतास : 4 से 12 वषम के बच्े को यमद पेि र्ें जलन हो रही हो और दस्त बोंद हो
गया हो तो अर्लतास के बीच के भाग को 2-4 र्ुनक्के के साथ सेवन करना चामहए।
21. अर्रबेल :
* अर्रबेल के बीजोों को पानी र्ें पीसकर पेि पर ले प करके कपड़े से बाों धने से पेि की
गैस, डकारें , र्रोड़ व ददम ठीक होता है ।
* अर्रबेल को उबालकर पेि पर बाों धने से डकारें व अपच दू र होता है ।
* अर्रबेल के आधे मकलो रस र्ें एक मकलो मर्श्ी मर्लाकर धीर्ी आग पर पका लें। यह
2 ग्रार् की र्ात्रा र्ें 2 ग्रार् पानी मर्लाकर सेवन करने से शीघ्र ही गुल्म (वायु का गोला)
और पेि का ददम ठीक होता है ।
23. अनन्नास :
* पके अनन्नास का 10 ग्रार् रस, भुनी हुई हीोंग एक चौथाई ग्रार्, अदरक का रस आधा
ग्रार् और सेंधानर्क मर्लाकर सुबह-शार् सेवन करने से पेि का ददम और पेि र्ें गैस का
गोला बनना ठीक होता है ।
* अनन्नास के सेवन से पेि की पीड़ा नश्ट होती है । अनन्नास र्ें जीरा, नर्क और चीनी
डालकर खाने से अरुमच दू र होती है , मतल्ली की सूजन एवों पीमलया सर्ाप्त होता है ।
* अनानास के रस र्ें यवक्षार, पीपल और हल्दी का चूर्म आधा-आधा ग्रार् मर्लाकर सेवन
करने से प्लीहा (मतल्ली), पेि के रोग रोग ठीक होता है ।
24. पपीता : कब्ज, भोजन का न पचना व खूनी बवासीर आमद रोगोों र्ें पका हुआ पपीता
खाना बेहद लाभकारी होता है ।
25. अोंगूर :
* 10-20 बीज मनकाले हुए र्ुनक्के को 200 ग्रार् दू ध र्ें अच्छी तरह उबालकर सेवन
करने से दस्त खुलकर आता है ।
* 10-20 र्ुनक्का, 5 अोंजीर और सौोंफ, सनाय, अर्लतास का गूदा व गुलाब का फूल 3-
3 ग्रार् को मर्लाकर काढ़ा बनाकर गुलकन्द मर्लाकर पीने से कब्ज और गैस सर्ाप्त
होती है ।
* रात र्ें सोने से पहले 10-20 र्ुनक्के को घी र्ें भूनकर सेंधानर्क मर्लाकर खाने से पेि
का रोग ठीक होता है ।
* 7 र्ुनक्का, 5 कालीमर्चम, 10 ग्रार् भुना हुआ जीरा, 6 ग्रार् सेंधानर्क, आधा ग्रार् िािरी
को मर्लाकर चिनी बनाकर खाने से कब्ज व अरुमच दू र होती है ।
26. पोंचकोल : पोंचकोल को पीसकर 5 ग्रार् की र्ात्रा र्ें एक मगलास छाछ र्ें मर्लाकर
भोजन करते हुए घूोंि-घूोंि करके पीने से पेि के सभी रोग सर्ाप्त होते हैं ।
27. बबूल : बबूल के पेि के अोंदर की छाल का काढ़ा बनाकर 1-2 ग्रार् की र्ात्रा र्ें
छाछ के साथ पीने से जलोदर और अन्य पेि का रोग सर्ाप्त होता है।
28. ताड़ : ताड़ के जिा का एक ग्रार् भस्म गुड़ के साथ मदन र्ें 2 बार सेवन करने से
उदर रोग नि होता है ।
29. अरनी :
* अरनी की 100 ग्रार् जड़ को आधा मकलो पानी र्ें 15 मर्नि तक उबालकर मदन र्ें 2
बार पीने से पाचनशक्ति की कर्जोरी दू र होती है ।
* अरनी के पत्तोों का काढ़ा बनाकर सुबह-शार् पीने से पेि का फूलना और पाचनशक्ति
की गड़बड़ी दू र होती है । इससे आर्ाशय का ददम ठीक होता है ।
30. गुलाब : भोजन करने के बाद 2 चम्मच गुलकोंद लेने से पेि का रोग सर्ाप्त होता है।
31. सौोंफ :
* सौोंफ को नीोंबू के रस र्ें मर्लाकर खाना खाने के बाद खाने से भूख का न लगना दू र
होता है और र्ल साफ होता है ।
* सौोंफ को शहद के साथ मर्लाकर हल्के गुनगुने पानी के साथ ले ने से वायु के कारर् होने
वाले रोग ठीक होता है।
अन्य उपचार :
* खाना खाते सर्य और र्ल त्याग के सर्य दाईों नाक से साों स ले ना चामहए और पेशाब
करते सर्य बाईों नाक से साों स ले ना चामहए। इससे कब्ज और पेि की बीर्ारी नहीों होती
है ।
* खाना खूब चबा-चबाकर और भूख से कर् और मनयमर्त सर्य पर खाना चामहए।
१. शहद : यह त्वचा की झुररम याों मर्िाने र्ें बड़ा सहायक है। यह खुश्क त्वचा को र्ुलायर्
कर रे शर्ी व चर्कदार बनाता है ।
मवमध : चेहरे पर शहद की एक पतली तह चढ़ा लें । इसे 15-20 मर्नि लगा रहने दें , मफर
कॉिनवूल मभगोकर इसे पोोंछ लें । तै लीय त्वचा वाले शहद र्ें चार-पाों च बूोंद नीोंबू का रस
डालकर उपयोग करें ।
२. नीर् : यह त्वचा र्ें रोग प्रमतरोधी क्षर्ता बढ़ाता है । इसके प्रयोग से र्ुोंहासे र्ें जादू जै सा
लाभ होता है ।
मवमध : चार-पाों च नीर् की पमत्तयोों को पीसकर र्ुल्तानी मर्ट्टी र्ें मर्लाकर लगाएों , सूखने पर
गरर् पानी से धो लें।