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छु हारा और खजू र ::

छु हारा और खजू र एक ही पेड़ की दे न है। इन दोनोों की तासीर गर्म होती है और ये दोनोों


शरीर को स्वस्थ रखने, र्जबूत बनाने र्ें र्हत्वपूर्म भूमर्का मनभाते
हैं । गर्म तासीर होने के कारर् समदम योों र्ें तो इसकी उपयोमगता और बढ़ जाती है। आइए,
इस बार जानें छु हारा और खजू र के फायदे के बारे र्ें-

-खजू र र्ें छु हारे से ज्यादा पौमिकता होती है । खजू र मर्लता भी सदी र्ें ही है । अगर पाचन
शक्ति अच्छी हो तो खजू र खाना ज्यादा फायदे र्ोंद है । छु हारे का सेवन तो सालभर मकया
जा सकता है , क्ोोंमक यह सूखा फल बाजार र्ें सालभर मर्लता है ।

- छु हारा यानी सूखा हुआ खजू र आर्ाशय को बल प्रदान करता है ।

- छु हारे की तासीर गर्म होने से ठों ड के मदनोों र्ें इसका सेवन नाड़ी के ददम र्ें भी आरार्
दे ता है।

- छु हारा खुश्क फलोों र्ें मगना जाता है , मजसके प्रयोग से शरीर हृि-पुि बनता है । शरीर
को शक्ति दे ने के मलए र्ेवोों के साथ छु हारे का प्रयोग खासतौर पर मकया जाता है ।

- छु हारे व खजू र मदल को शक्ति प्रदान करते हैं । यह शरीर र्ें रि वृक्ति करते हैं ।

- साइमिका रोग से पीमड़त लोगोों को इससे मवशे ष लाभ होता है ।

- खजू र के सेवन से दर्े के रोमगयोों के फेफड़ोों से बलगर् आसानी से मनकल जाता है ।

-लकवा और सीने के ददम की मशकायत को दू र करने र्ें भी खजू र सहायता करता है ।

-भूख बढ़ाने के मलए छु हारे का गूदा मनकाल कर दू ध र्ें पकाएों । उसे थोड़ी दे र पकने के
बाद ठों डा करके पीस लें । यह दू ध बहुत पौमिक होता है । इससे भूख बढ़ती है और खाना
भी पच जाता है।

-प्रदर रोग क्तियोों की बड़ी बीर्ारी है । छु आरे की गुठमलयोों को कूि कर घी र्ें तल कर,
गोपी चन्दन के साथ खाने से प्रदर रोग दू र हो जाता है।

-छु हारे को पानी र्ें मभगो दें । गल जाने पर इन्हें हाथ से र्सल दें । इस पानी का कुछ मदन
प्रयोग करें , शारीररक जलन दू र होगी।

-अगर आप पतले हैं और थोड़ा र्ोिा होना चाहते हैं तो छु हारा आपके मलए वरदान सामबत
हो सकता है , ले मकन अगर र्ोिे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूवमक करें ।

-जुकार् से परे शान रहते हैं तो एक मगलास दू ध र्ें पाों च दाने खजू र डालें । पाों च दाने काली
मर्चम, एक दाना इलायची और उसे अच्छी तरह उबाल कर उसर्ें एक चम्मच घी डाल कर
रात र्ें पी लें। सदी-जुकार् मबल्कुल ठीक हो जाएगा।

-दर्ा की मशकायत है तो दो-दो छु हारे सुबह-शार् चबा-चबा कर खाएों । इससे कफ व


सदी से र्ुक्ति मर्लती है।

-घाव है तो छु हारे की गुठली को पानी के साथ पत्थर पर मघस कर उसका ले प घाव पर


लगाएों ,घाव तु रोंत भर जाएगा।

-अगर शीघ्रपतन की सर्स्या से परे शान हैं तो तीन र्हीने तक छु हारे का सेवन आपको
सर्स्या से र्ुक्ति मदला दे गा। इसके मलए प्रात: खाली पेि दो छु हारे िोपी सर्ेत दो सप्ताह
तक खूब चबा-चबाकर खाएों । तीसरे सप्ताह र्ें तीन छु हारे खाएों और चौथे सप्ताह से 12वें
सप्ताह तक चार-चार छु हारोों का रोज सेवन करें । इस सर्स्या से र्ुक्ति मर्ल जाएगी ।

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खजू र की चिनी
मवमध :
खजू र के बीच र्ें से गुठली मनकाल दें , धोकर इसर्ें एक कप पानी डाल दें । 2 घोंिे के मलए
भीगने दें ।

5 मर्नि के मलए पकाये और ब्लेंडर र्ें बारीक पीस लें । अब इसर्ें लाल मर्चम पाउडर,
जीरा पाउडर और नर्क डालकर अच्छी तरह मर्ला लें , खजू र की चिनी तै यार है ।

सार्ग्री :
200 ग्रार् खजू र, 100 ग्रार् इर्ली, 1/2 िी स्पून लाल मर्चम पाउडर, 1/2 िी स्पून भुना
जीरा पाउडर, 1/4 िी स्पून काला नर्क, नर्क स्वादानुसार।

मकतने लोगोों के मलए : 6


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अमत लाभकारी है खजू र

शीतकाल र्ें खजू र सबसे अमधक लोकमप्रय र्ेवा र्ाना जाता है। घर घर र्ें प्रयोग मकया
जाने वाला यह खाद्य फल है , मजसे अर्ीरगरीब ब़डे चाव से खाते हैं। होली के पवम पर
इसकी खूब र्नुहार चलती है। खजू र रे मगस्तानी सूखे प्रदे श का फल है । प्रकृमत की यह
अनुपर् दे न खास ऐसे प्रदे शोों के मलए ही है , जहाों मजन्दगी ब़डी कमठन होती है और जहाों
बरसात या पीने के पानी की कर्ी होती है । इसके प़ेड हर्ें जीवन से ल़डना मसखाते हैं ,
इसीमलए इसके खाने का प्रचलन ज्यादातर सूखे रे मगस्तानी इलाकोों र्ें ही होता है । सूखे
खजू र को छु हारा या खारकी कहते हैं। मपोंड खजू र भी इसका दू सरा नार् है ।

खजू र ताजा व सूखे को ही खाया जाता है। अरब प्रदे शोों र्ें आर् की तरह खजू र भी रस
भरे होते हैं , पर वे हाथ लगाते ही कुम्हला जाते हैं । सूखे मकस्म की खजूर को पूरा सुखाया
जाता है। इसके िु क़डोों को र्ुखवास व खिाई र्ें पचाकर तथा साग बनाकर भी खाया
जाता है। अरब लोगोों के मलए खजू र लोकमप्रय खाद्य पदाथम है और वे रोज इसे थ़ोडा बहुत
खाते ही हैं ।

खाने के अलावा अन्य मर्ष्ठान्न व बेकरी र्ें भी इसका उपयोग मकया जाता है । इसका
र्ुरब्बा, अचार व साग भी बनता है । खजू र से बना द्रव्य शहद खूब लज्जतदार होता है और
यह शहद दस्त, कफ मर्िाकर कई शारीररक प़ीडाआेेेों को दू र करता है । श्वास की
बीर्ारी र्ें इसका शहद अत्यन्त लाभप्रद होता है । इससे पाचन शक्ति ब़ढती है तथा यह
ठों डे या शीत गुर्धर्म वाला फल र्ाना जाता है।

सौ ग्रार् खजू र र्ें ०४ ग्रार् चबी, १ २ ग्रार् प्रोिीन, ३३८ ग्रार् काबोमदत पदाथम , २२ मर्ली
ग्रार् कैक्तशशयर्, ३८ मर्लीग्रार् फास्फोरस प्राप्त होती है । मविामर्न ए बी सी, प्रोिीन, लौह
तत्व, पोिे मशयर् और सोमडयर् जै से तत्व र्ौजू द रहते हैं। बच्ोों से ले कर ब़ूढे, बीर्ार और
स्वस्थ सभी इसे खा सकते है।

खजू र खाने के पहले इसे अच्छी तरह से धो लेना चामहए, क्ोोंमक प़ेड पर खुले र्ें पकते हैं
तथा बाजार र्ें रे हडी वाले मबना ढके बेचते हैं , मजस पर र्क्खी र्च्छर बैठने का अोंदेशा
रहता है । आजकल खजू र छोिी पैमकोंगोों र्ें भी मर्लते हैं। वे दु कानदार स्वयों पोलीथीन र्ें
पैक कर अपनी दु कान का नार् लगा दे ते हैं । वे इतने साफ नहीों होते । वैज्ञामनक ढों ग से
पैक मकए खजू र ही खाने चामहए।

मवशे षज्ञोों के अनुसार १०० ग्रार् से अमधक खजूर नहीों खाने चामहए। इससे पाचन शक्ति
खराब होने का भय रहता है । अगर कोई बहुत ही दु बला पतला हो, तो खजू र खाकर दू ध
पीने से उसका वजन भी ब़ढ जाता है । यद्यमप खजू र हर प्रकार से गुर्कारक है , परन्तु
इसर्ें मवरोधाभास भी पाया जाता है । शीतकाल र्ें जो इसे खाते हैं , वे इसे गरर् र्ानते हैं ।
आयुवेद ग्रोंथोों र्ें इसे शीतल गुर् वाला र्ाना है , इसमलए गरर् तासीर वालोों को यह खूब
उपयोगी व र्ामफक आता है । ठों डा आहार मजनके शरीर के अनुरूप नहीों होता, उन्हें
खजू र नहीों खाना चामहए।

कुछ लोग घी र्ें रखकर उसका पेय बनाकर पीते हैं । ये अमत ठों डा होता है । मजन्हें खजू र न
पचता हो, उन्हें नहीों खाना चामहए। यह वायु प्रकोप को मर्िाता है , मपत्तनाशक है । मपत्त
वालोों को घी के साथ खाने से असरदायक होता है । यह र्ीठा मिग्ध होने से थ़ोडे प्रर्ार् र्ें
मपत्त करता है , परन्तु गुड, शक्कर, केले व अन्य मर्ठाइयोों से कर् मपत्त करता है । कफ के
रोगी को चने के दमलये (भुने हुए चने) के साथ खाना चामहए। धमनए के साथ खाने से कफ
का नाश होता है ।

यह औषमध का कार् तो करता ही है , व्रर्, लौह मवकार, र्ूच्छाम , नशा च़ढना, क्षय रोग,
वाधमक्, कर्जोरी, गरर्ी वगैरह के साथ कर्जोर र्क्तस्तष्क वालोों के मलए भी यह दवा का
कार् करता है । खजू र र्ाों सवधमक होने के कारर् शाकाहारी लोगोों की अच्छी खुराक र्ाना
जाता है। यह भी र्ाना जाता है मक खजू र को दू ध र्ें उबाल कर उस दू ध को पीने से
नुकसानदायक होता है , इसमलए खजू र खाने व दू ध पीने के बीच २३ घोंिोों का अोंतर रखना
चामहए।

बच्ोों को पूरा खजू र न दे कर उसकी गुठली मनकाल िु क़डे कर क्तखलाना चामहए। खजू र
एक तरह से अर्ृत के सर्ान है । यह आों खोों की ज्योमत व याददाश्त भी ब़ढाता है । दाों तोों से
लहू मनकले या र्सूडे खराब होों, तो यह दवा का कार् करता है । इसके खाने से बाल कर्
झ़डते हैं। खजू र व उसका शहद एक तरह से कुदरत की अनुपर् दे ने हैं , इसमलए खूब
खाएों व खूब क्तखलाएों ।
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खास-उल-खास खजू र
क्ा आप जानते हैं ?

खजू र का पेड़ मवश्व के सबसे सुन्दर सजाविी पेड़ोों र्ें से एक र्ाना जाता है और इसे
सड़कोों राजर्ागो और र्ुख्य रास्तोों पर शोभा के मलए भी लगाया जाता है ।

अरबी दे शोों र्ें खजू र की व्यवक्तस्थत रूप से खेती के प्रर्ार् ईसा से ३००० वषम पूवम के हैं ।
चार खजू रोों र्ें लगभग २३० कैलोरी, २ ग्रार् प्रोिीन, ६२ ग्रार् काबोहाइडरेि, ५७० मर्ली
ग्रार् पोिे मशयर् और ६ खाद्य रे शे होते हैं साथ ही इसर्ें कोले स्ट्राल और वसा की र्ात्रा
मबलकुल नहीों होती इस कारर् यह एक आदशम फल र्ाना जाता है ।

खजू र मवश्व के सबसे पौमिक फलोों र्ें से एक है। समदयोों से यह र्ध्यपूवम एमशया और उत्तरी
अफ्रीका के रे मगस्तानी इलाकोों का प्रर्ुख भोजन बना हुआ है क्ोोंमक वहााँ इसके मसवा और
कुछ उत्पन्न नहीों होता। यह ताजा और सूखा, दोनोों तरह के फलोों र्ें मगना जा सकता है।
पेड़ पर पके खजू र ज़्यादा स्वामदि होते हैं । ले मकन जल्दी खराब हो जाने की वजह से इसे
धूप र्ें सुखाया जाता है। सूखे हुए खजू र का वजन करीब ३५ प्रमतशत कर् हो जाता है ।
ताजे खजू र के र्ुकाबले सूखे खजू र र्ें रे शोों की र्ात्रा अमधक होती है ।

खजू र र्ें पौमिक तत्व काफी र्ात्रा र्ें होते हैं । इसके सेवन से ग्लुकोज और फ्रुक्टोज के
रूप र्ें नैसमगमक शक्कर हर्ारे शरीर को मर्लती है । इस तरह की शक्कर शरीर र्ें शोषर्
के मलए तै यार रहती है , इसमलए यह आर् शक्कर से अच्छी होती है । रर्जान के पमवत्र
र्महने र्ें खजू र खा कर ही उपवास की सर्ाक्तप्त की जाती है।

खजू र अपने आप र्ें एक िॉमनक भी है । खजूर के साथ उबला हुआ दू ध पीने से ताकत
मर्लती है । खजू र को रात भर पानी र्ें भीगो कर रक्तखये। मफर इसी र्ें थोड़ा र्सल कर
उसका बीज मनकाल दीमजए। यह हफ्ते र्ें कर् से कर् दो बार सुबह ले ने से अपने मदल
को र्जबूती मर्लती है। यमद कब्ज की मशकायत है तो रात भर भीगाया हुआ खजू र सुबह
र्हीन पीस कर ले ने से यह मशकायत दू र हो सकती है । बकरी के दू ध र्ें खजू र को रात
भर भीगो कर रक्तखए। सुबह इसी र्ें पीस कर थोड़ी दालमचनी पावडर और शहद
मर्लाइए। इसके सेवन से बाों झपन दू र हो सकता है ।

खजू र के पेड़ का हर महस्सा उपयोगी होता है । इसकी पमत्तयााँ और तना घर के मलए


लकड़ी बाड़ और कपड़े बनाने के कार् आते हैं । पमत्तयोों से रस्सी, सूत और धागे बनाए
जाते हैं मजनके प्रयोग से सुोंदर िोकररयोों और फनीचरोों का मनर्ाम र् होता है । फल की
डों मडयोों और पमत्तयोों के र्ूल महस्से इों धन के कार् आते हैं ।

खजू र से अनेक खाद्यपदाथों का मनर्ाम र् होता है मजनर्ें मसरका, तरह-तरह की र्ीठी


चिमनयााँ और अचार प्रर्ुख हैं। अनेक प्रकार के बेकरी उत्पादोों के मलए इसके गूदे का
प्रयोग होता है । अरबी व्योंजन कानुआ और भुने हुए खजू र के बीज सारे अरबी सर्ाज र्ें
लोकमप्रय हैं । यहााँ तक मक इसकी कोपलोों को शाकाहारी सलाद र्ें अत्योंत स्वास्थ्यवधमक
सर्झा जाता है ।
मवश्व भोजन एवर् कृमष सोंस्थान के अनुसार मवश्व र्ें लगभग ९ करोड़ खजू र के वृक्ष हैं । हर
खजू र का जीवन एक सौ सालोों से अमधक होता है । इनर्ें से साढ़े छे करोड़ खजू र के वृक्ष
केवल अरब दे शोों र्ें हैं मजनसे प्रमतवषम २ करोड़ िन खजू र के फल हर्ें प्राप्त होते है ।
खजू र का फल चार-पााँच साल र्ें फलना प्रारों भ हो जाता है और दस बारह सार र्ें पूरी
उत्पादन क्षर्ता पा ले ता है ।

खजू र की ऊपरी सतह मचकनी होने से धूल मर्ट्टी बैठने की सोंभावना होती है । इसमलए
खजू र खरीदते सर्य सही पैमकोंग वाला ही खरीदना चामहए और प्रयोग र्ें लाने से पहले
साफ़ पानी से अच्छी तरह धो ले ना चामहए।
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समदम योों र्ें खजू र खाओ, सेहत बनाओ

समदम योों र्ें खजू र खाओ, सेहत बनाओ : खजू र र्धुर, शीतल, पौमिक व सेवन करने के
बाद तु रोंत शक्ति-स्फूमतम दे ने वाला है । यह रि, र्ाों स व वीयम की वृक्ति करता है । हृदय व
र्क्तस्तष्क को शक्ति दे ता है । वात-मपत्त व कफ इन तीनोों दोषोों का शार्क है । यह र्ल व
र्ूत्र को साफ लाता है । खजू र र्ें काबोहाईडरेिस, प्रोिीन्स, कैक्तशशयर्, पौिै मशयर्, लौह,
र्ैग्नेमशयर्, फास्फोरस आमद प्रचुर र्ात्रा र्ें पाये जाते हैं।

खजू र के उपयोग : र्क्तस्तष्क व हृदय की कर्जोरीीः रात को खजू र मभगोकर सुबह दू ध या


घी के साथ खाने से र्क्तस्तष्क व हृदय की पेमशयोों को ताकत मर्लती है । मवशे षतीः रि की
कर्ी के कारर् होने वाली हृदय की धड़कन व एकाग्रता की कर्ी र्ें यह प्रयोग लाभदायी
है ।

र्लावरोधीः रात को मभगोकर सुबह दू ध के साथ ले ने से पेि साफ हो जाता है।

कृशताीः खजू र र्ें शकमरा, वसा (फैि) व प्रोिीन्स मवपुल र्ात्रा र्ें पाये जाते हैं । इसके
मनयमर्त सेवन से र्ाों स की वृक्ति होकर शरीर पुि हो जाता है।

रिाल्पताीः खजू र रि को बढ़ाकर त्वचा र्ें मनखार लाता है ।

शु क्राल्पता : खजू र उत्तर् वीयमवधमक है । गाय के घी अथवा बकरी के दू ध के साथ ले ने से


शु क्रार्ु ओों की वृक्ति होती है । इसके अमतररि अमधक र्ामसक स्राव, क्षयरोग, खााँ सी,
भ्रर्(चक्कर), कर्र व हाथ पैरोों का ददम एवों सुन्नता तथा थायराइड सोंबोंधी रोगोों र्ें भी यह
लाभदायी है।
नशे का जहर : मकसी को नशा करने से शरीर र्ें हानी हो गयी है ... नशे का जहर शरीर
र्ै है ...हॉक्तस्पिल र्ै भती होने की नौबत आ रही हो ...ऐसे लोग भी खजू र के द्वारा जहर
कोों भगा कर स्वास्थ्य पा सकते है

5 से 7 खजू र अच्छी तरह धोकर रात को मभगोकर सुबह खायें। बच्ोों के मलए 2-4 खजू र
पयाम प्त हैं । दू ध या घी र्ें मर्लाकर खाना मवशे ष लाभदायी है।

होली के बाद खजू र खाना महतकारी नहीों है ।


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पोषक तत्वोों से भरपूर खजू र::

प्रकृमत ने र्नुष्य को यूों तो बहुत कुछ मदया है पर हर् प्रकृमत की दी हुई इस अनर्ोल
सम्पदा को ठीक प्रकार से उपयोग करना नहीों जानते । समदम योों की र्ेवा के रूप र्ें प्रकृमत
ने हर्ें बहुत सी चीजें दी हैं , मजनर्ें खजू र की मर्ठास का भी प्रर्ुख स्थान रहा है । यह
मदल, मदर्ाग, कर्र ददम तथा आों खोों की कर्जोरी के मलए बहुत गुर्कारी है । खजू र खाने
से शरीर की आवश्यक धातु ओों को बल मर्लता है । यह छाती र्ें एकमत्रत कफ को
मनकालता है।

खजू र र्ें 60 से 70 प्रमतशत तक शकमरा होती है , जो गन्ने की चीनी की अपेक्षा बहुत


पौमिक व गुर्कारी वस्तु है । खाने र्ें तो खजूर बहुत स्वामदि होती ही है , सेहत की दृमि से
भी यह बहुत गुर्कारी है । इसके अलावा मवमभन्न बीर्ाररयोों र्ें भी खजूर का सेवन बहुत
लाभ पहुों चाता है। डालते हैं , खजू र के गुर्ोों पर एक नजर :

कर्जोरी : खजू र 200 ग्रार्, मचलगोजा मगरी 60 ग्रार्, बादार् मगरी 60 ग्रार्, काले चनोों
का चूर्म 240 ग्रार्, गाय का घी 500 ग्रार्, दू ध दो लीिर और चीनी या गुड़ 500 ग्रार्। इन
सबका पाक बनाकर 50 ग्रार् प्रमतमदन गाय के दू ध के साथ खाने से हर प्रकार की
शारीररक वों र्ानमसक कर्जोरी दू र होती है।

मबस्तर पर पेशाब : छु हारे खाने से पेशाब का रोग दू र होता है । बुढ़ापे र्ें पेशाब बार-बार
आता हो तो मदन र्ें दो छु हारे खाने से लाभ होगा। छु हारे वाला दू ध भी लाभकारी है । यमद
बच्ा मबस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छु हारे वाला दू ध मपलाएों । यह र्सानोों
को शक्ति पहुों चाते हैं ।

र्ामसक धर्म : छु हारे खाने से र्ामसक धर्म खुलकर आता है और कर्र ददम र्ें भी लाभ
होता है ।

दाों तोों का गलना : छु हारे खाकर गर्म दू ध पीने से कैलमशयर् की कर्ी से होने वाले रोग,
जै से दाों तोों की कर्जोरी, हमियोों का गलना इत्यामद रूक जाते हैं ।

रिचाप : कर् रिचाप वाले रोगी 3-4 खजू र गर्म पानी र्ें धोकर गुठली मनकाल दें । इन्हें
गाय के गर्म दू ध के साथ उबाल लें । उबले हुए दू ध को सुबह-शार् पीएों । कुछ ही मदनोों र्ें
कर् रिचाप से छु िकारा मर्ल जायेगी।

कब्ज : सुबह-शार् तीन छु हारे खाकर बाद र्ें गर्म पानी पीने से कब्ज दू र होती है। खजू र
का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्म रोग नहीों होता तथा र्ुोंह का स्वाद भी
ठीक रहता है । खजू र का अचार बनाने की मवमध थोड़ी कमठन है , इसमलए बना-बनाया
अचार ही ले लेना चामहए।

र्धुर्ेह : र्धुनेह के रोगी मजनके मलए मर्ठाई, चीनी इत्यामद वमजमत है , सीमर्त र्ात्रा र्ें
खजू र का इस्तेर्ाल कर सकते हैं । खजू र र्ें वह अवगुर् नहीों है , जो गन्ने वाली चीनी र्ें पाए
जाते हैं ।

पुराने घाव : पुराने घावोों के मलए खजू र की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। घावोों पर
इस भस्म को लगाने से घाव भर जाते हैं ।

आों खोों के रोग : खजू र की गुठली का सुरर्ा आों खोों र्ें डालने से आों खोों के रोग दू र होते हैं।

खाों सी : छु हारे को घी र्ें भूनकर मदन र्ें 2-3 बार सेवन करने से खाोंसी और बलगर् र्ें
राहत मर्लती है।

जु एों : खजू र की गुठली को पानी र्ें मघसकर मसर पर लगाने से मसर की जुएों र्र जाती हैं।
१. तुलसी रि र्ें कोलेस्ट्रॉल की र्ात्रा मनयोंमत्रत करने की क्षर्ता रखती है !!

२. शरीर के वजन को मनयोंमत्रत रखने हेतु भी तुलसी अत्योंत गुर्कारी है !! इसके मनयमर्त
सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घिता है एवों पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तु लसी
शरीर का वजन आनुपामतक रूप से मनयोंमत्रत करती है !!

३. तु लसी के रस की कुछ बूाँदोों र्ें थोड़ा-सा नर्क मर्लाकर बेहोश व्यक्ति की नाक र्ें
डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है !!

४. चाय बनाते सर्य तुलसी के कुछ पत्ते साथ र्ें उबाल मलए जाएाँ तो सदी, बुखार एवों
र्ाों सपेमशयोों के ददम र्ें राहत मर्लती है !!

५. १० ग्रार् तु लसी के रस को ५ ग्रार् शहद के साथ सेवन करने से महचकी एवों अस्थर्ा के
रोगी को ठीक मकया जा सकता है !!

६. तुलसी के काढ़े र्ें थोड़ा-सा सेंधा नर्क एवों पीसी सौोंठ मर्लाकर सेवन करने से कब्ज
दू र होती है !!

७. दोपहर भोजन के पश्चात तु लसी की पमत्तयााँ चबाने से पाचन शक्ति र्जबूत होती है !!

८. १० ग्रार् तुलसी के रस के साथ ५ ग्रार् शहद एवों ५ ग्रार् मपसी कालीमर्चम का सेवन
करने से पाचन शक्ति की कर्जोरी सर्ाप्त हो जाती है !!

९. दू मषत पानी र्ें तुलसी की कुछ ताजी पमत्तयााँ डालने से पानी का शु क्तिकरर् मकया जा
सकता है !!

१०. रोजाना सुबह पानी के साथ तु लसी की ५ पमत्तयााँ मनगलने से कई प्रकार की सोंक्रार्क
बीर्ाररयोों एवों मदर्ाग की कर्जोरी से बचा जा सकता है !! इससे स्मरर् शक्ति को भी
र्जबूत मकया जा सकता है !!

११. ४-५ भुने हुए लौोंग के साथ तुलसी की पत्ती चूसने से सभी प्रकार की खााँ सी से र्ुक्ति
पाई जा सकती है !!

१२. तुलसी के रस र्ें खड़ी शक्कर मर्लाकर पीने से सीने के ददम एवों खााँ सी से र्ुक्ति पाई
जा सकती है !!

१३. तुलसी के रस को शरीर के चर्मरोग प्रभामवत अोंगोों पर र्ामलश करने से दाग, एक्तिर्ा
एवों अन्य चर्मरोगोों से र्ुक्ति पाई जा सकती है !!

१४. तुलसी की पमत्तयोों को नीोंबू के रस के साथ पीस कर पेस्ट् बनाकर लगाने से एक्तिर्ा
एवों खुजली के रोगोों से र्ुक्ति पाई जा सकती है !!

आज तु लसी मववाह है ::

आज दे वोत्थान एकादशी के मदन र्नाया जाने वाला तु लसी मववाह मवशु ि र्ाों गमलक और
आध्याक्तिक प्रसोंग है । दे वता जब जागते हैं , तो सबसे पहली प्राथम ना
हररवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं। इसीमलए तु लसी मववाह को दे व जागरर् के पमवत्र
र्ुहूतम के स्वागत का आयोजन र्ाना जाता है । तु लसी मववाह का सीधा अथम है , तु लसी के
र्ाध्यर् से भगवान का आहावान। कामतम क, शुक्ल पक्ष, एकादशी को तु लसी पूजन का
उत्सव र्नाया ज
ेाता है। वैसे तो तुलसी मववाह के मलए कामतमक, शु क्ल पक्ष, नवर्ी की मतमथ ठीक है ,
परन्तु कुछ लोग एकादशी से पूमर्मर्ा तक तुलसी पूजन कर पााँ चवें मदन तुलसी मववाह
करते हैं। आयोजन मबल्कुल वैसा ही होता है , जै से महन्दू रीमत-ररवाज से सार्ान्य वर-वधु
का मववाह मकया जाता है ।
र्ोंडप, वर पूजा, कन्यादान, हवन और मफर प्रीमतभोज, सब कुछ पारम्पररक रीमत-ररवाजोों
के साथ मनभाया जाता है । इस मववाह र्ें शामलग्रार् वर और तुलसी कन्या की भूमर्का र्ें
होती है । यह सारा आयोजन यजर्ान सपत्नीक मर्लकर करते हैं । इस मदन तुलसी के पौधे
को यानी लड़की को लाल चुनरी-ओढ़नी ओढ़ाई जाती है । तुलसी मववाह र्ें सोलह श्ृोंगार
के सभी सार्ान चढ़ावे के मलए रखे जाते हैं । शामलग्रार् को दोनोों हाथोों र्ें ले कर यजर्ान
लड़के के रूप र्ें यानी भगवान मवष्णु के रूप र्ें और यजर्ान की पत्नी तु लसी के पौधे को
दोनोों हाथोों र्ें लेकर अमग्न के फेरे लेते हैं । मववाह के पश्चात प्रीमतभोज का आयोजन मकया
जाता है। कामतमक र्ास र्ें िान करने वाले क्तियााँ भी कामतम क शु क्ल एकादशी को
शामलग्रार् और तु लसी का मववाह रचाती है । सर्स्त मवमध मवधान पूवमक गाजे बाजे के साथ
एक सुन्दर र्ण्डप के नीचे यह कायम सम्पन्न होता है मववाह के क्तियााँ गीत तथा भजन गाती
है ।
र्गन भई तु लसी रार् गुन गाइके र्गन भई तुलसी।
सब कोऊ चली डोली पालकी रथ जुडवाये के।।
साधु चले पााँ य पैया, चीिी सो बचाई के।
र्गन भई तु लसी रार् गुन गाइके।।

कैसे करें तुलसी मववाह::


कई दों पमतयोों को अपने जीवनसाथी को हर जन्म र्ें पमत-पत्नी के रूप र्ें पाने की ललक
होती है और उनकी यह इच्छा पूरी हो सकती है , यमद वे कामतम क र्ास र्ें पूरे र्न से तुलसी
मववाह करवाएों । कामतमक र्ास शु क्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी का सोलह श्ृोंगार कर
भगवान सामलग्रार् के साथ पररर्य सूत्र र्ें बाों धने की परों परा है । मजसे तुलसी मववाह के
नार् से जाना जाता है। मशव पुरार् र्ें वमर्मत है मक जो दों पमत पूरे र्न से तुलसी मववाह को
सोंपन्न करवाते हैं , वे कई जन्मोों तक जीवनसाथी बनते हैं ।

तु लसी मववाह कथा::


प्राचीन काल र्ें जालों धर नार्क राक्षस ने चारोों तरफ़ बड़ा उत्पात र्चा रखा था। वह बड़ा
वीर तथा पराक्रर्ी था। उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृोंदा का पमतव्रता धर्म।
उसी के प्रभाव से वह सवमजोंयी बना हुआ था। जालों धर के उपद्रवोों से परे शान दे वगर्
भगवान मवष्णु के पास गये तथा रक्षा की गुहार लगाई। उनकी प्राथम ना सुनकर भगवान
मवष्णु ने वृोंदा का पमतव्रता धर्म भोंग करने का मनश्चय मकया। उधर, उसका पमत जालों धर, जो
दे वताओों से युि कर रहा था, वृोंदा का सतीत्व नि होते ही र्ारा गया। जब वृोंदा को इस
बात का पता लगा तो क्रोमधत होकर उसने भगवान मवष्णु को शाप दे मदया, 'मजस प्रकार
तु र्ने छल से र्ुझे पमत मवयोग मदया है , उसी प्रकार तुर् भी अपनी िी का छलपूवमक हरर्
होने पर िी मवयोग सहने के मलए र्ृत्यु लोक र्ें जन्म लोगे।' यह कहकर वृोंदा अपने पमत
के साथ सती हो गई। मजस जगह वह सती हुई वहााँ तु लसी का पौधा उत्पन्न हुआ। एक
अन्य प्रसोंग के अनुसार वृोंदा ने मवष्णु जी को यह शाप मदया था मक तुर्ने र्ेरा सतीत्व भोंग
मकया है । अत: तुर् पत्थर के बनोगे। मवष्णु बोले , 'हे वृोंदा! यह तु म्हारे सतीत्व का ही फल है
मक तुर् तु लसी बनकर र्ेरे साथ ही रहोगी। जो र्नुष्य तु म्हारे साथ र्ेरा मववाह करे गा, वह
परर् धार् को प्राप्त होगा।' मबना तुलसी दल के शामलग्रार् या मवष्णु जी की पूजा अधूरी
र्ानी जाती है । शामलग्रार् और तुलसी का मववाह भगवान मवष्णु और र्हालक्ष्मी के मववाह
का प्रतीकािक मववाह है ।

गले र्ें मकनती भी खराब से खराब बीर्ारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अच्छी
दवा है हल्दी । जै से गले र्ें ददम है , खरास है , गले र्ें खासी है , गले र्ें कफ जर्ा ह
ेै, गले र्ें िोनसीलाईमिस हो गया ; ये सब मबर्ाररओों र्ें आधा चम्मच कच्ी हल्दी का रस
ले ना और र्ुह खोल कर गले र्ें डाल दे ना , और मफर थोड़ी दे र चुप होके बैठ जाना तो ये
हल्दी गले र्ें मनचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक र्ें ही सब बीर्ारी ठीक
होगी दु बारा डालने की जरुरत नही । ये छोिे बच्ो को तो जरुर करना ; बच्ो के िोक्तन्सल
जब बहुत तकलीफ दे ते है न तो हर् ऑपरे शन करवाके उनको किवाते है ; वो करने की
जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।

गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीर्ाररया है जै से खासी ; इसका एक इलाज तो कच्ी
हल्दी का रस है जो गले र्ें डालने से तु रन्त ठीक हो जाती है चाहे मकतनी भी जोर की
खासी हो ।

दू सरी दवा है अदरक , ये जो अदरक है इसका छोिा सा िु कड़ा र्ुह र्ें रख लो और


ि़ाफी की तरह चुसो खासी तु रन्त बोंद हो जाएगी । अगर मकसी को खासते खासते चेहरा
लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो और उसर्े थोड़ा पान का रस मर्ला लो दोनोों
एक एक चम्मच और उसर्े मर्लाना थोड़ा सा गुड या सेहद । अब इसको थोडा गरर्
करके पी ले ना तो मजसको खासते खासते चेहरा लाल पड़ा है उसकी खासी एक मर्नि र्ें
बोंध हो जाएगी ।

और एक अच्छी दवा है , अनार का रस गरर् करके मपयो तो खासी तु रन्त ठीक होती है ।
काली मर्चम है गोल मर्चम इसको र्ुह र्ें रख के चबालो , पीछे से गरर् पानी पी लो तो
खासी बोंध हो जाएगी, काली मर्चम को चुसो तो भी खासी बोंध हो जाती है ।

छाती की कुछ मबर्ाररया जै से दर्ा, अस्थर्ा, ब्ोोंमकओल अस्थर्ा, इन तीनो बीर्ारी का


सबसे अच्छा दवा है गाय र्ूत्र ; आधा कप गोर्ूत्र मपयो सबेरे का ताजा ताजा तो दर्ा ठीक
होता है , अस्थर्ा ठीक होता है , ब्ोोंमकओल अस्थर्ा ठीक होता है । और गोर्ूत्र मपने से
िीबी भी ठीक हो जाता है , लगातार पाों च छे र्हीने पीना पड़ता है । दर्ा अस्थर्ा का

और एक अमछ दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेि गुड
या सेहद मर्लाके गरर् पानी के साथ ले ने से दर्ा अस्थर्ा ठीक कर दे ती है ।
सार्ान्य पररचय : अजवायन का पौधा आर्तौर पर सारे भारतवषम र्ें पाया जाता है , ले मकन
पमश्चर् बोंगाल, दमक्षर्ी प्रदे श और पोंजाब र्ें अमधकता से पैदा होता है।
अजवायन के पौधे दो-तीन फुि ऊोंचे और पत्ते छोिे आकार र्ें कुछ कोंिीले होते हैं ।
डामलयोों पर सफेद फूल गुच्छे के रूप र्ें लगते हैं , जो पककर एवों सूख जाने पर अजवाइन
के दानोों र्ें पररवमतमत हो जाते हैं । ये दाने ही हर्ारे घरोों र्ें र्साले के रूप र्ें और औषमधयोों
र्ें उपयोग मकए जाते हैं।
रों ग : अजवाइन का रों ग भूरा काला मर्ला हुआ होता है ।

स्वाद : इसका स्वाद तेज और चरपरा होता है।


स्वरूप : अजवाइन एक प्रकार का बीज है जो अजर्ोद के सर्ान होता है ।
स्वभाव : यह गर्म व खुष्क प्रकृमत की होती है ।
हामनकारक : 1. अजवाइन मपत्त प्रकृमत वालोों र्ें मसर ददम पैदा करती है और दू ध कर्
करती है ।
2. अजवाइन ताजी ही ले नी चामहए क्ोोंमक पुरानी हो जाने पर इसका तै लीय अोंश नि हो
जाता है मजससे यह वीयमहीन हो जाती है । काढ़े के स्थान पर रस या फाों ि का प्रयोग बेहतर
है ।
3. अजवाइन का अमधक सेवन मसर र्ें ददम उत्पन्न करता है ।
र्ात्रा (खुराक) : अजवाइन 2 से 5 ग्रार्, तेल 1 से 3 बूोंद तक ले सकते हैं ।
गुर् :अजवाइन की प्रशोंसा र्ें आयुवेद र्ें कहा गया है -“एका यर्ानी शतर्न्न पामचका”
अथाम त इसर्ें सौ प्रकार के अन्न पचाने की ताकत होती है।
आयुवेमदक र्तानुसार- अजवाइन पाचक, तीखी, रुमचकारक (इच्छा को बढ़ाने वाली),
गर्म, कड़वी, शु क्रार्ु ओों के दोषोों को दू र करने वाली, वीयमजनक (धातु को बढ़ाने वाला),
हृदय के मलए महतकारी, कफ को हरने वाली, गभाम शय को उत्तेजना दे ने वाली,
बुखारनाशक, सूजननाशक, र्ूत्रकारक (पेशाब को लाने वाला), कृमर्नाशक (कीड़ोों को
नि करने वाला), वर्न (उल्टी), शूल, पेि के रोग, जोड़ोों के ददम र्ें, वादी बवासीर (अशम ),
प्लीहा (मतल्ली) के रोगोों का नाश करने वाली गर्म प्रकृमत की औषमध है।
यूनानी र्तानुसार : अजवाइन आर्ाशय, यकृत, वृक्क को ऊष्णता और शक्ति दे ने वाली,
आद्रम तानाशक, वातनाशक, कार्ोद्वीपक (सोंभोग शक्ति को बढ़ाने वाली), कब्ज दू र करने
वाली, पसीना, र्ूत्र, दु ग्धविम क, र्ामसक धर्म लाने वाली, तीसरे दजे की गर्म और रूक्ष
होती है ।
वैज्ञामनक र्तानुसार : अजवाइन की रासायमनक सोंरचना र्ें आद्रम ता (नर्ी) 7.4 प्रमतशत
काबोहाइडरेि 24.6, वसा 21.8, प्रोिीन 17.1, खमनज 7.9 प्रमतशत, कैक्तशशयर्,
फास्फोरस, लौह, पोिै मशयर्, सोमडयर्, ररबोफ्लेमवन, थायमर्न, मनकोमिमनक एमसड अल्प
र्ात्रा र्ें, आों मशक रूप से आयोडीन, शकमरा, सेपोमनन, िे मनन, केरोमिन और क्तस्थर तेल
14.8 प्रमतशत पाया जाता है । इसर्ें मर्लने वाला सुगोंमधत ते ल 2 से 4 प्रमतशत होता है ,
मजसर्ें 35 से 60 प्रमतशत र्ुख्य घिक थाइर्ोल पाया जाता है। र्ानक रूप से अजवाइन
के तेल र्ें थाइर्ोल 40 प्रमतशत होना चामहए।

मवमभन्न रोगोों र्ें अजवाइन से उपचार:


1 पेि र्ें कृमर् (पेि के कीड़े ) होने पर ::- *अजवाइन के लगभग आधा ग्रार् चूर्म र्ें इसी
के बराबर र्ात्रा र्ें कालानर्क मर्लाकर सोते सर्य गर्म पानी से बच्ोों को दे ना चामहए।
इससे बच्ोों के पेि के कीड़े र्र जाते हैं । कृमर्रोग र्ें पत्तोों का 5 मर्लीलीिर अजवाइन का
रस भी लाभकारी है ।
*अजवाइन को पीसकर प्राप्त हुए चूर्म की 1 से 2 ग्रार् को खुराक के रूप र्ें छाछ के
साथ पीने से पेि के कीड़े सर्ाप्त हो जाते हैं।
*अजवाइन के बारीक चूर्म 4 ग्रार् को 1 मगलास छाछ के साथ पीने या अजवाइन के तेल
की लगभग 7 बूोंदोों को प्रयोग करने से लाभ होता है ।
*अजवाइन को पीसकर प्राप्त रस की 4 से 5 बूोंदोों को पानी र्ें डालकर सेवन करने
आरार् मर्लता है।
*आधे से एक ग्रार् अजवाइन का बारीक चूर्म करके गुड़ के साथ मर्लाकर छोिी-छोिी
गोमलयाों बना लें। इसे मदन र्ें 3 बार क्तखलाने से छोिे बच्ोों (3 से लेकर 5 साल तक) के
पेि र्ें र्ौजू द कीड़े सर्ाप्त हो जाते हैं ।
*अजवाइन का आधा ग्रार् बारीक चूर्म और चुिकी भर कालानर्क मर्लाकर सोने से
पहले 2 गार् की र्ात्रा र्ें मपलाने से पेि र्ें र्ौजू द कीड़े सर्ाप्त हो जाते हैं ।
*अजवाइन का चूर्म आधा ग्रार्, 60 ग्रार् छाछ के साथ और बड़ोों को 2 ग्रार् चूर्म और
125 मर्लीलीिर छाछ र्ें मर्लाकर मपलाने से लाभ होता है । अजवाइन का ते ल 3 से 7 बूोंद
तक दे ने से है जा तथा पेि के कीड़े नि हो जाते हैं ।
*25 ग्रार् मपसी हुई अजवाइन आधा मकलो पानी र्ें डालकर रात को रख दें । सुबह इसे
उबालें । जब चौथाई पानी रह जाये तब उतार कर छान लें । ठों डा होने पर मपलायें। यह बड़ोों
के मलए एक खुराक है। बच्ोों को इसकी दो खुराक बना दें । इस तरह सुबह, शार् दो बार
पीते रहने से पेि के छोिे -छोिे कृमर् र्र जाते हैं ।
*अजवाइन के 2 ग्रार् चूर्म को बराबर र्ात्रा र्ें नर्क के साथ सुबह-सुबह सेवन करने से
अजीर्म (पुरानी कब्ज), जोड़ोों के ददम तथा पेि के कीड़ोों के कारर् उत्पन्न मवमभन्न रोग,
आध्मान (पेि का फूलना और पेि र्ें ददम आमद रोग ठीक हो जाते हैं।
*पेि र्ें जो हुकवर्म नार्क कीडे़ होते हैं , उनका नाश करने के मलए अजवाइन का बारीक
चूर्म लगभग आधा ग्रार् तक खाली पेि 1-1 घोंिे के अोंतर से 3 बार दे ने से और र्ार्ूली
जु लाब (अरों डी तै ल नही दें ) दे ने से पेि के कीड़े मनकल जाते हैं। यह प्रयोग, पीमलया के
रोगी और मनबमल पर नहीों करना चामहए।"
"2 गमठया (जोड़ोों का ददम ) : :- *जोड़ोों के ददम र्ें पीमड़त स्थानोों पर अजवाइन के ते ल की
र्ामलश करने से राहत मर्ले गी।
*गमठया के रोगी को अजवाइन के चूर्म की पोिली बनाकर सेंकने से रोगी को ददम र्ें
आरार् पहुों चता है ।
*जों गली अजावयन को अरों ड के ते ल के साथ पीसकर लगाने से गमठया का ददम ठीक होता
है ।
*अजवाइन का रस आधा कप र्ें पानी मर्लाकर आधा चम्मच मपसी सोोंठ ले कर ऊपर से
इसे पीलें । इससे गमठया का रोग ठीक हो जाता है ।
*1 ग्रार् दालचीनी मपसी हुई र्ें 3 बूोंद अजवाइन का ते ल डालकर सुबह-शार् सेवन करें ।
इससे ददम ठीक होता है।"
3 मर्ट्टी या कोयला खाने की आदत : :- एक चम्मच अजवाइन का चूर्म रात र्ें सोते सर्य
मनयमर्त रूप से 3 हफ्ते तक क्तखलाएों । इससे बच्ोों की मर्ट्टी खाने की आदत छूि जाती
है ।
4 पेि र्ें ददम ::- एक ग्रार् काला नर्क और 2 ग्रार् अजवाइन गर्म पानी के साथ सेवन
कराएों ।
5 िी रोगोों र्ें : :- प्रसूता (जो िी बच्े को जन्म दे चुकी हो) को 1 चम्मच अजवाइन और
2 चम्मच गुड़ मर्लाकर मदन र्ें 3 बार क्तखलाने से कर्र का ददम दू र हो जाता है और
गभाम शय की शु क्ति होती है । साथ ही साथ भूख लगती है व शारीररक शक्ति र्ें वृक्ति होती
है तथा र्ामसक धर्म की अनेक परे शामनयाों इसी प्रयोग से दू र हो जाती हैं । नोि : प्रसूमत
(मडलीवरी) के पश्चात योमनर्ागम र्ें अजवाइन की पोिली रखने से गभाम शय र्ें जीवार्ु ओों का
प्रवेश नहीों हो पाता और जो जीवार्ु प्रवेश कर जाते हैं वे नि हो जाते है । जीवार्ु ओों को
नि करने के मलए योमनर्ागम से अजवाइन का धुोंआ भी मदया जाता है तथा अजवाइन का
ते ल सूजन पर लगाया जाता है।
"6 खाों सी : :- *एक चम्मच अजवाइन को अच्छी तरह चबाकर गर्म पानी का सेवन करने
से लाभ होता है ।
*रात र्ें लगने वाली खाोंसी को दू र करने के मलए पान के पत्ते र्ें आधा चम्मच अजवाइन
लपेिकर चबाने और चूस-चूसकर खाने से लाभ होगा। 1 ग्रार् साफ की हुई अजवाइन को
ले कर रोजाना रात को सोते सर्य पान के बीडे़ र्ें रखकर खाने से खाों सी र्ें लाभ मर्लता
है ।
*जों गली अजवाइन का रस, मसरका तथा शहद को एक साथ मर्लाकर रोगी को रोजाना
मदन र्ें 3 बार दे ने से पुरानी खाों सी, श्वास, दर्ा एवों कुक्कुर खाों सी (हूमपोंग कफ) के रोग र्ें
लाभ होता है ।
*अजवाइन के रस र्ें एक चुिकी कालानर्क मर्लाकर सेवन करें । और ऊपर से गर्म
पानी पी लें । इससे खाोंसी बोंद हो जाती है ।
*अजवाइन के चूर्म की 2 से 3 ग्रार् र्ात्रा को गर्म पानी या गर्म दू ध के साथ मदन र्ें 2 या
3 बार ले ने से भी जुकार् मसर ददम , नजला, र्स्तकशू ल (र्ाथे र्ें ददम होना) और कृमर्
(कीड़ोों) पर लाभ होता है ।
*कफ अमधक मगरता हो, बार-बार खाों सी चलती हो, ऐसी दशा र्ें अजवाइन का बारीक
मपसा हुआ चूर्म लगभग 1 ग्रार् का चौथा भाग, घी 2 ग्रार् और शहद 5 ग्रार् र्ें मर्लाकर
मदन र्ें 3 बार खाने से कफोक्तत्पत्त कर् होकर खाों सी र्ें लाभ होता है ।
*खाों सी तथा कफ ज्वर यामन बुखार र्ें अजवाइन 2 ग्रार् और छोिी मपप्पली आधा ग्रार् का
काढ़ा बनाकर 5 से 10 मर्लीलीिर की र्ात्रा र्ें सेवन करने से लाभ होता है ।
*1 ग्रार् अजवाइन रात र्ें सोते सर्य र्ुलेठी 2 ग्रार्, मचत्रकर्ूल 1 ग्रार् से बने काढ़े को
गर्म पानी के साथ सेवन करें ।
*5 ग्रार् अजवाइन को 250 मर्लीलीिर पानी र्ें पकायें, आधा शेष रहने पर, छानकर
नर्क मर्लाकर रात को सोते सर्य पी लें।
*खाों सी पुरानी हो गई हो, पीला दु गमन्धर्य कफ मगरता हो और पाचन मक्रया र्न्द पड़ गई
हो तो अजवाइन का जूस मदन र्ें 3 बार मपलाने से लाभ होता है ।"
7 मबस्तर र्ें पेशाब करना ::- सोने से पूवम 1 ग्रार् अजवाइन का चूर्म कुछ मदनोों तक
मनयमर्त रूप से क्तखलाएों ।
"8 बहुर्ू़त्र (बार-बार पेशाब आना) ::- *2 ग्रार् अजवाइन को 2 ग्रार् गुड़ के साथ कूि-
पीसकर, 4 गोली बना लें , 3-3 घोंिे के अोंतर से 1-1 गोली पानी से लें। इससे बहुर्ूत्र रोग
दू र होता है।
*अजवाइन और मतल मर्लाकर खाने से बहुर्ूत्र रोग ठीक हो जाता है।
*गुड़ और मपसी हुई कच्ी अजवाइन सर्ान र्ात्रा र्ें मर्लाकर 1-1 चम्मच रोजाना 4 बार
खायें। इससे गुदे का ददम भी ठीक हो जाता है ।
*मजन बच्े को रात र्ें पेशाब करने की आदत होती है उन्हें रात र्ें लगभग आधा ग्रार्
अजवाइन क्तखलायें।"
9 र्ुोंहासे ::- 2 चम्मच अजवाइन को 4 चम्मच दही र्ें पीसकर रात र्ें सोते सर्य पूरे चेहरे
पर र्लकर लगाएों और सुबह गर्म पानी से साफ कर लें ।
"10 दाों त ददम ::- *पीमड़त दाों त पर अजवाइन का तेल लगाएों । 1 घोंिे बाद गर्म पानी र्ें 1-1
चम्मच मपसी अजवाइन और नर्क मर्लाकर कुल्ला करने से लाभ मर्लता है ।
*अजवाइन और बच बराबर र्ात्रा र्ें लेकर बारीक पीसकर लुगदी (पेस्ट्) बना लें। आधा
ग्रार् लु ग्दी (पेस्ट्) रात को सोते सर्य दाढ़ (जबड़े ) के नीचे दबाकर सो जाएों । इससे दाों तोों
के कीड़े र्र जाते हैं तथा ददम खि हो जाता है ।"
11 अपच, र्ोंदामग्न र्ें (पाचन शक्ति र्ें) ::- भोजन के बाद मनयमर्त रूप से 1 चम्मच
मसोंकी हुई व सेंधानर्क लगी अजवाइन चबाएों ।
12 जूों , लीख ::- 1 चम्मच मफिमकरी और 2 चम्मच अजवाइन को पीसकर 1 कप छाछ र्ें
मर्लाकर बालोों की जड़ोों र्ें सोते सर्य लगाएों और सुबह धोयें। इससे मसर र्ें होने वाली जूों
और लीखें र्रकर बाहर मनकल जाती हैं ।
13 पुराना बुखार, र्न्द ज्वर ::- 15 ग्रार् की र्ात्रा र्ें अजवाइन ले कर सुबह के सर्य
मर्ट्टी के बतमन र्ें 1 कप पानी र्ें मभगो दें । इस बतम न को मदन र्ें र्कान र्ें और रात को
खुले आसर्ान के नीचे ओस र्ें रखें। दू सरे मदन इसको सुबह के सर्य छानकर इस पानी
को पी लें । यह प्रयोग लगातार 15 मदनोों तक करें । यमद बुखार पूरी तरह से न उतरे तो यह
प्रयोग कुछ मदनोों तक और भी चालू रखा जा सकता है । इस उपचार से पुराना र्न्द ज्वर
ठीक हो जाता है और यमद यकृत और मतल्ली बढ़ी हुई हो तो वह भी ठीक हो जाते हैं साथ
ही साथ भूख खुलकर लगने लगती है।
14 बाोंझपन (गभामशय के न ठहरने) पर ::- र्ामसक-धर्म के आठवें मदन से मनत्य अजवाइन
और मर्श्ी 25-25 ग्रार् की र्ात्रा र्ें लेकर 125 ग्रार् पानी र्ें रामत्र के सर्य एक मर्ट्टी के
बतम न र्ें मभगोों दें तथा प्रात:काल के सर्य ठों डाई की भाों मत घोोंि-पीसकर सेवन करें ।
भोजन र्ें र्ूोंग की दाल और रोिी मबना नर्क की लें। इस प्रयोग से गभम धारर् होगा।
15 खिर्ल : :- चारपाई के चारोों पायोों पर अजवाइन की 4 पोिली बाों धने से खिर्ल भाग
जाते हैं ।
16 र्च्छर ::- अजवाइन पीसकर बराबर र्ात्रा र्ें सरसोों के तेल र्ें मर्लाकर उसर्ें गत्ते के
िु कड़ोों को तर (मभगो) करके कर्रे र्ें चारोों कोनोों र्ें लिका दे ने से र्च्छर कर्रे से भाग
जाते हैं ।
17 भोज्य पदाथों के मलए ::- पूरी, पराों ठे आमद कोई भी पकवान हो, उसको अजवाइन
डालकर बनाएों । इस प्रकार के भोजन को खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है और खाई गई
चीजें आसानी से पच जाती हैं । पेि के पाचन सम्बन्धी रोगोों र्ें अजवाइन लाभदायक है ।
18 पाचक चूर्म ::- अजवाइन और हरम को बराबर र्ात्रा र्ें लेकर हीोंग और सेंधानर्क
स्वादानुसार मर्लाकर अच्छी तरह से पीसकर सुरमक्षत रख लें। भोजन के पश्चात् 1-1
चम्मच गर्म पानी से लें।
"19 मसर र्ें ददम होने पर ::- *200 से 250 ग्रार् अजवाइन को गर्म कर र्लर्ल के कपड़े
र्ें बाों धकर पोिली बनाकर तवे पर गर्म करके सूोंघने से छीोंके आकर जु कार् व मसर का
ददम कर् होता है ।
*अजवाइन को साफ कर र्हीन चूर्म बना लें , इस चूर्म को 2 से 5 ग्रार् की र्ात्रा र्ें नस्वार
की तरह सूोंघने से जुकार्, मसर का ददम , कफ का नामसका र्ें रुक जाना एवों र्क्तस्तष्क के
कीड़ोों र्ें लाभ होता है। अजवाइन और अरों ड की जड़ को पीसकर र्ाथे पर ले प करने से
मसर का ददम खि हो जाता है।
*अजवाइन के पत्तोों को पीसकर मसर पर ले प की तरह लगाने से मसर का ददम दू र हो जाता
है ।"
20 कर्मशूल (कान ददम ) ::- 10 ग्रार् अजवाइन को 50 मर्लीलीिर मतल के तेल र्ें
पकाकर सहने योग्य गर्म ते ल को 2-2 बूोंद कान र्ें डालने से कान का ददम मर्ि जाता है ।
"21 पेि र्ें पानी की अमधकता होना (जलोदर) ::- *गाय के 1 लीिर पेशाब र्ें अजवाइन
लगभग 200 ग्रार् को मभगोकर सुखा लें , इसको थोड़ी-थोड़ी र्ात्रा र्ें गौर्ूत्र के साथ खाने
से जलोदर मर्िता है। यही अजवाइन जल के साथ खाने से पेि की गुड़गुड़ाहि और खट्टी
डकारें आना बोंद हो जाती हैं ।
*अजवाइन को बारीक पीसकर उसर्ें थोड़ी र्ात्रा र्ें हीोंग मर्लाकर ले प बनाकर पेि पर
लगाने से जलोदर एवों पेि के अफारे र्ें लाभ होता है ।
*अजवाइन, सेंधानर्क, जीरा, चीता और हाऊबेर को बराबर र्ात्रा र्ें मर्लाकर छाछ पीने
से जलोदर र्ें लाभ होता है ।
*अजवाइन, हाऊबेर, मत्रफला, सोोंफ, कालाजीरा, पीपरार्ूल, बनतुलसी, कचूर, सोया,
बच, जीरा, मत्रकुिा, चोक, चीता, जवाखार, सज्जी, पोहकरर्ूल, कूठ, पाों चोों नर्क और
बायमबण्डग को 10-10 ग्रार् की बराबर र्ात्रा र्ें, दन्ती 30 ग्रार्, मनशोथ और इन्द्रायर्
20-20 ग्रार् और सातला 40 ग्रार् को मर्लाकर अच्छी तरह बारीक पीसकर चूर्म बनाकर
बनाकर रख लें। यह चूर्म सभी प्रकार के पेि की बीर्ाररयोों र्ें जै से अजीर्म , र्ल, गुल्म
(पेि र्ें वायु का रुकना), वातरोग, सोंग्रहर्ी (पेमचश), र्ोंदामग्न, ज्वर (बुखार) और सभी
प्रकार के जहरोों की बीर्ाररयोों को सर्ाप्त करती है । इस बने चूर्म को 3 से 4 गर्म की र्ात्रा
र्ें मनम्न रोगोों र्ें इस प्रकार से लें , जै से- पेि की बीर्ाररयोों र्ें- छाछ के साथ, र्ल की
बीर्ारी र्ें- दही के साथ, गुल्म की बीर्ाररयोों र्ें- बेर के काढ़े के साथ, अजीर्म और पेि के
फूलने पर- गर्म पानी के साथ तथा बवासीर र्ें- अनार के साथ ले सकते हैं।"
22 सदी-जुकार् : :- पुदीने का चूर्म 10 ग्रार्, अजवाइन 10 ग्रार्, दे शी कपूर 10 ग्रार्
तीनोों को एक साफ शीशी र्ें डालकर अच्छी प्रकार से डॉि लगाकर धूप र्ें रखें। थोड़ी दे र
र्ें तीनोों चीज गलकर पानी बन जायेगी। इसकी 3-4 बूोंद रूर्ाल र्ें डालकर सूोंघने से या
8-10 बूोंद गर्म पानी र्ें डालकर भाप ले ने से तुरोंत लाभ होता है ।
23 उल्टी-दस्त ::- पुदीने का चूर्म 10 ग्रार्, अजवाइन का चूर्म 10 ग्रार्, दे शी कपूर 10
ग्रार् तीनोों को एक साफ शीशी र्ें डालकर अच्छी प्रकार से डॉि लगाकर धूप र्ें रखें।
थोड़ी दे र र्ें तीनोों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 4-5 बूोंदें बताशे र्ें या गर्म पानी
र्ें डालकर आवश्यकतानुसार दे ने से तु रोंत लाभ होता है। एक बार र्ें लाभ न हो तो थोड़ी-
थोड़ी दे र र्ें दो-तीन बार दे सकते हैं ।
24 अमतसार ::- पुदीने का चूर्म 10 ग्रार्, अजवाइन का चूर्म 10 ग्रार्, दे शी कपूर 10 ग्रार्
तीनोों को एक साफ शीशी र्ें डालकर अच्छी प्रकार से डॉि लगाकर धूप र्ें रखें। थोड़ी दे र
र्ें तीनोों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 5 से 7 बूोंद बताशे र्ें दे ने से र्रोड़, पेि र्ें
ददम , श्वास, गोला, उल्टी आमद बीर्ाररयोों र्ें तु रोंत लाभ होता है ।
25 कीि दों श ::- पुदीने का चूर्म 10 ग्रार्, अजवाइन का चूर्म 10 ग्रार्, दे शी कपूर 10
ग्रार् तीनोों को एक साफ शीशी र्ें डालकर अच्छी प्रकार से डाि लगाकर धूप र्ें रखें।
थोड़ी दे र र्ें तीनोों चीजें गलकर पानी बन जायेंगी। इसको मबच्छू, ततैया, भोंवरी, र्धुर्क्खी
इत्यामद जहरीले कीिोों के दों श पर भी लगाने से शाों मत मर्लती है।
"26 पेि की गड़बड़, पेि र्ें ददम , र्ोंदामग्न, अम्लमपत्त ::- *3 ग्रार् अजवाइन र्ें आधा ग्रार्
कालानर्क मर्लाकर गर्म पानी के साथ फोंकी ले ने से पेि की गैस, पेि का ददम ठीक हो
जाता है।
*अजवायन, सेंधानर्क, हरड़ और सोोंठ के चूर्म को बराबर र्ात्रा र्ें मर्लाकर एकत्र कर
लें । इसे 1 से 2 ग्रार् की र्ात्रा र्ें गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेि का ददम नि होता
है । इस चूर्म के साथ वचा, सोोंठ, कालीमर्चम, मपप्पली का काढ़ा गर्म-गर्म ही रात र्ें पीने से
कफ व गुल्म नि होता है ।
*प्रसूता क्तियोों (बच्े को जन्म दे ने वाली र्महला) को अजवाइन के लड् डू और भोजन के
बाद अजवाइन 2 ग्रार् की फोंकी दे नी चामहए, इससे आों तोों के कीड़े र्रते हैं । पाचन होता
है और भूख अच्छी लगती है एवों प्रसूत रोगोों से बचाव होता है ।
*भोजन के बाद यमद छाती र्ें जलन हो तो एक ग्रार् अजवाइन और बादार् की 1 मगरी
दोनोों को खूब चबा-चबाकर या कूि-पीस कर खायें।
*अजवाइन के रस की 2-2 बूोंदे पान के बीड़े र्ें लगाकर खायें।
*अजवाइन 10 ग्रार्, कालीमर्चम और सेंधानर्क 5-5 ग्रार् गर्म पानी के साथ 3-4 ग्रार्
तक सुबह-शार् सेवन करें ।
*अजवाइन 80 ग्रार्, सेंधानर्क 40 ग्रार्, कालीमर्चम 40 ग्रार्, कालानर्क 40 ग्रार्,
जवाखार 40 ग्रार्, कच्े पपीते का दू ध (पापेन) 10 ग्रार्, इन सबको र्हीन पीसकर काों च
के बरतन र्ें भरकर 1 मकलो नीोंबू का रस डालकर धूप र्ें रख दें और बीच-बीच र्ें महलाते
रहें । 1 र्हीने बाद जब मबल्कुल सूख जाये, तो सूखे चूर्म को 2 से 4 ग्रार् की र्ात्रा र्ें पानी
के साथ सेवन करने से र्ोंदामग्न शीघ्र दू र होती है । इससे पाचन शक्ति बढ़ती है तथा अजीर्म
(अपच), सोंग्रहर्ी, अम्लमपत्त इत्यामद रोगोों र्ें लाभ होता है ।
*मशशु के पेि र्ें यमद ददम हो और सफर (यात्रा) र्ें हो तो बारीक स्वच्छ कपड़े के अोंदर
अजवाइन को रखकर, मशशु की र्ाों यमद उसके र्ुोंह र्ें चिायें तो मशशु का पेि ददम तु रोंत
मर्ि जाता है ।"
"27 दस्त::- *जब र्ूत्र बोंद होकर पतले-पतले दस्त हो, तब अजवाइन तीन ग्रार् और
नर्क लगभग 500 मर्लीलीिर ताजे पानी के साथ फोंकी ले ने से तु रोंत लाभ होता है । अगर
एक बार र्ें आरार् न हो तो 15-15 मर्नि के अोंतर पर 2-3 बार लें ।
*अजवाइन को पीसकर चूर्म बनाकर लगभग 1 ग्रार् का चौथा भाग से ले कर लगभग
आधा ग्रार् की र्ात्रा र्ें ले कर र्ाों के दू ध के साथ मपलाने से उल्टी और दस्त का आना बोंद
हो जाता है।
*अजवाइन, कालीमर्चम, सेंधानर्क, सूखा पुदीना और बड़ी इलायची आमद को पीसकर
चूर्म बना लें , मफर इसे एक चम्मच के रूप र्ें पानी के साथ ले ने से खाना खाने के ठीक से
न पचने के कारर् होने वाले दस्त यानी पतले ट्टिी को बोंद हो जाता है।"
"28 पेि के रोगोों पर::- *एक मकलोग्रार् अजवाइन र्ें एक लीिर नीोंबू का रस तथा पाों चोों
नर्क 50-50 ग्रार्, काों च के बरतन र्ें भरकर रख दें , व मदन र्ें धूप र्ें रख मदया करें ,
जब रस सूख जाये तब मदन र्ें सुबह और शार् 1 से 4 ग्रार् तक सेवन करने से पेि
सम्बन्धी सब मवकार दू र होते हैं ।
*1 ग्रार् अजवाइन को इन्द्रायर् के फलोों र्ें भरकर रख दें , जब वह सूख जाये तब उसे
बारीक पीसकर इच्छानुसार काला नर्क मर्लाकर रख लें , इसे गर्म पानी से सेवन करने से
लाभ मर्लता हैं ।
*अजवाइन चूर्म तीन ग्रार् सुबह-शार् गर्म पानी से लें।
*1.5 लीिर पानी को आों च पर रखें, जब वह खूब उबलकर 1 लीिर रह जाये तब नीचे
उतारकर आधा मकलोग्रार् मपसी हुई अजवाइन डालकर ढक्कन बोंद कर दें । जब ठों डा हो
जाये तो छानकर बोतल र्ें भरकर रख लें। इसे 50-50 ग्रार् मदन र्ें सुबह, दोपहर और
शार् को सेवन करें ।
*पेि र्ें वायु गैस बनने की अवस्था र्ें भोजन के बाद 125 मर्लीलीिर र्ट्ठे र्ें 2 ग्रार्
अजवाइन और आधा ग्रार् कालानर्क मर्लाकर आवश्यकतानुसार सेवन करें ।"
"29 बवासीर (अशम) ::- *अजवाइन दे शी, अजवाइन जों गली और अजवाइन खुरासानी को
बराबर र्ात्रा र्ें ले कर र्हीन पीस लें और र्क्खन र्ें मर्लाकर र्स्सोों पर लगायें। इसको
लगाने से कुछ मदनोों र्ें ही र्स्से सूख जाते हैं ।
*अजवाइन और पुराना गुड़ कूिकर 4 ग्रार् रोज सुबह गर्म पानी के साथ लें । अजवाइन के
चूर्म र्ें सेंधानर्क और छाछ (र्ट्ठा) मर्लाकर पीने से कोष्ठबिकता (कब्ज) दू र होती है ।
*दोपहर के भोजन के बाद एक मगलास छाछ र्ें डे ढ़ ग्रार् (चौथाई चम्मच) मपसी हुई
अजवाइन और एक ग्रार् सैंधानर्क मर्लाकर पीने से बवासीर के र्स्से दोबारा नहीों होते
हैं ।"
30 प्रर्ेह (वीयम मवकार) ::- अजवाइन 3 ग्रार् को 10 मर्लीलीिर मतल के तेल के साथ मदन
र्ें सुबह, दोपहर और शार् सेवन करने से लाभ होता है।
31 गुदे का ददम ::- 3 ग्रार् अजवाइन का चूर्म सुबह-शार् गर्म दू ध के साथ ले ने से गुदे के
ददम र्ें लाभ होता है ।
"32 दाद, खाज-खुजली ::- *त्वचा के रोगोों और घावोों पर इसका गाढ़ा ले प करने से दाद,
खुजली, कीडे़ युि घाव एवों जले हुए स्थान र्ें लाभ होता है ।
*अजवाइन को उबलते हुए पानी र्ें डालकर घावोों को धोने से दाद, फुन्सी, गीली खुजली
आमद त्वचा के रोगोों र्ें लाभ होता है ।"
"33 र्ामसक-धर्म सम्बोंधी मवकार : :- *अजवाइन 10 ग्रार् और पुराना गुड़ 50 ग्रार् को
200 मर्लीलीिर पानी र्ें पकाकर सुबह-शार् सेवन करने से गभामशय का र्ल साफ होता
है और रुका हुआ र्ामसक-धर्म मफर से जारी हो जाता है।
*अजवाइन, पोदीना, इलायची व सौोंफ इन चारोों का रस सर्ान र्ात्रा र्ें ले कर लगभग 50
मर्लीलीिर की र्ात्रा र्ें र्ामसक-धर्म के सर्य पीने से आतमव (र्ाहवारी) की पीड़ा नि हो
जाती है।
*3 ग्रार् अजवाइन चूर्म को सुबह-शार् गर्म दू ध के साथ सेवन करने से र्ामसक धर्म की
रुकावि दू र होती है और र्ामसकस्राव खुलकर आता है ।"
34 नपुोंसकता (नार्दी) ::- 3 ग्रार् अजवाइन को सफेद प्याज के 10 मर्लीलीिर रस र्ें
तीन बार 10-10 ग्रार् शक्कर मर्लाकर सेवन करें । 21 मदन र्ें पूर्म लाभ होता है । इस
प्रयोग से नपुोंसकता, शीघ्रपतन व शुक्रार्ु की कर्ी के रोग र्ें भी लाभ होता है।
35 सुजाक (मगनोररया) के रोग र्ें ::- अजवाइन के तेल की 3 बूोंदे 5 ग्रार् शक्कर र्ें
मर्लाकर सुबह-शार् सेवन करते रहने से तथा मनयर्पूवमक रहने से सुजाक र्ें लाभ होता
है ।
"36 शराब की आदत ::- *शरामबयोों को जब शराब पीने की इच्छा हो तथा रहा न जाये
तब अजवाइन 10-10 ग्रार् की र्ात्रा र्ें 2 या 3 बार चबायें।
*आधा मकलो अजवाइन 400 मर्लीलीिर पानी र्ें पकायें, जब आधा से भी कर् शे ष रहे
तब छानकर शीशी र्ें भरकर मफ्रज र्ें रखें, भोजन से पहले एक कप काढ़े को शराबी को
मपलायें जो शराब छोड़ना चाहते हैं और छोड़ नहीों पाते , उनके मलए यह प्रयोग एक वरदान
के सर्ान है ।"
"37 र्ूत्रकृच्छ (पेशाब करने र्ें कि) होना ::- *3 से 6 ग्रार् अजवाइन की फोंकी गर्म पानी
के साथ ले ने से र्ूत्र की रुकावि मर्िती है ।
*10 ग्रार् अजवाइन को पीसकर ले प बनाकर पेडू पर लगाने से अफारा मर्िता है , शोथ
कर् होता है तथा खुलकर पेशाब होता है ।"
"38 बुखार ::- *अजीर्म की वजह से उत्पन्न हुए बुखार र्ें 10 ग्रार् अजवाइन, रात को
125 मर्लीलीिर पानी र्ें मभगोों दें , प्रात:काल र्सल-छानकर मपलाने से बुखार आना बोंद
हो जाता है।
*शीतज्वर र्ें 2 ग्रार् अजवाइन सुबह-शार् क्तखलायें।
*बुखार की दशा र्ें यमद पसीना अमधक मनकले तब 100 से 200 ग्रार् अजवाइन को
भूनकर और र्हीन पीसकर पूरे शरीर पर लगायें।
*अजवाइन को भूनकर बारीक पीसकर शरीर पर र्लने से अमधक पसीना आकर बुखार
र्ें बहुत लाभ मर्लता है।
*10 ग्रार् अजवाइन रात को 100 मर्लीलीिर पानी र्ें मभगोकर रख दें । सुबह उठकर
पानी को छानकर पीने से बुखार मर्िता जाता है ।
*5 ग्रार् अजवाइन को 50 मर्लीलीिर पानी र्ें उबालकर, छानकर 25-25 ग्रार् पानी 2
घण्टे के अतों राल से पीने पर बुखार और घबराहि भी कर् होती है ।"
"39 इन्फ्लुएन्जा : :- *10 ग्रार् अजवाइन को 200 मर्लीलीिर गुनगुने पानी र्ें पकाकर या
फाों ि तै यार कर प्रत्येक 2 घोंिे के बाद 25-25 मर्लीलीिर मपलाने से रोगी की बैचेनी शीघ्र
दू र हो जाती है । 24 घोंिे र्ें ही लाभ हो जाता है ।
*अजवाइन, दालचीनी की 2-2 ग्रार् र्ात्रा को 50 मर्लीलीिर पानी र्ें उबालें । इसके बाद
इसे ठों डाकर-छानकर सुबह और शार् पीने से लाभ होता है ।
*12 ग्रार् अजवाइन 2 कप पानी र्ें उबालें , जब पानी आधा बच जायें तब ठों डा करके
छान लें और रोजाना 4 बार पीने से लाभ होता है ।"
40 चोि लगने से उत्पन्न सूजन ::- मकसी भी प्रकार की चोि पर 50 ग्रार् गर्म अजवाइन
को दोहरे कपड़े की पोिली र्ें डालकर सेंक करने से आरार् आ जाता है । जरूरत हो तो
जख्म पर कपड़ा डाल दें तामक जले नहीों। मकसी भी प्रकार की चोि पर अजवाइन का
सेंक बहुत ही लाभकारी होती है ।
41 र्ले ररया बुखार ::- र्ले ररया बुखार के बाद हल्का-हल्का बुखार रहने लगता है। इसके
मलए 10 ग्रार् अजवाइन को रात र्ें 100 मर्लीलीिर पानी र्ें मभगो दें और सुबह पानी
गुनगुना कर जरा सा नर्क डालकर कुछ मदन तक सेवन करें ।
42 बच्ोों के पैरोों र्ें काोंिा चुभने पर ::- काों िा चुभने के स्थान पर मपघले हुए गुड़ र्ें मपसी
हुई अजवाइन 10 ग्रार् मर्लाकर थोड़ा गर्म कर बाों ध दे ने से काों िा अपने आप मनकल
जायेगा।
43 मपत्ती उछलना : :- 50 ग्रार् अजवाइन को 50 ग्रार् गुड के साथ अच्छी प्रकार कूिकर
5-6 ग्रार् की गोली बना लें। 1-1 गोली सुबह-शार् ताजे पानी के साथ ले ने से 1 सप्ताह र्ें
ही तर्ार् शरीर पर फैली हुई मपत्ती दू र हो जायेगी।
"44 फ्लू (जु कार्-बुखार) ::- *3 ग्रार् अजवाइन और 3 ग्रार् दालचीनी दोनोों को
उबालकर इनका पानी मपलायें।
*12 ग्रार् अजवाइन 2 कप पानी र्ें उबालें , आधा रहने पर ठों डा करके छानकर पीयें।
इसी प्रकार रोज 4 बार पीने से फ्लू शीघ्र ठीक हो जाता है।"
"45 जु कार् ::- *अजवाइन की बीड़ी या मसगरे ि बनाकर पीने से जु कार् र्ें लाभ होता है।
अजवाइन को पीसकर एक पोिली बना लें , उसे मदन र्ें कई बार सूोंघे, इससे बोंद नाक
खुल जाएगी।
*6 ग्रार् अजवाइन पतले कपड़े र्ें बाों धकर हथे ली पर रगड़कर बार-बार सूोंघें। इससे
जु कार् दू र हो जायेगा।
*एक चम्मच अजवाइन और इसका चौगुना गुड़ एक मगलास पानी र्ें डालकर उबालें।
आधा पानी रहने पर छान लें तथा गर्म-गर्म पीकर ओढ़ कर सो जायें। जु कार् र्ें लाभ
होगा।"
46 आर्वात : :- अजवाइन का रस जोड़ोों पर र्ामलश करने से ददम दू र हो जाता है ।
47 शक्तिवधमक चूर्म : :- अजवाइन, इलायची, कालीमर्चम और सौोंठ सर्ान र्ात्रा र्ें पी लें ।
आधा चम्मच सुबह, शार् पानी के साथ फोंकी लें ।
48 हृदय (मदल) शूल ::- हृदय के ददम र्ें अजवाइन दे ने से ददम बोंद होकर हृदय उत्तेमजत
होता है ।
49 फोडे़ , फुन्सी की सूजन ::- अजवाइन को नीोंबू के रस र्ें पीसकर फोड़े और फुन्सी की
सूजन र्ें ले प करने से लाभ मर्लता है ।
50 सभी प्रकार का दाोंत ददम ::- हर प्रकार का दाों त ददम अजवाइन के प्रयोग से ठीक होता
है । आग पर अजवाइन डालकर ददम करते हुए दाों तोों पर धूनी दें । उबलते हुए पानी र्ें
नर्क और एक चम्मच मपसी हुई अजवाइन डाल कर रख दें । पानी जब गुनगुना रहें तो
इस पानी को र्ुोंह र्ें लेकर कुछ दे र रोके, मफर कुल्ला करके थूक दें । इस प्रकार कुल्ले
करें । अजवाइन की धुआों और कुल्ले करने के बीच 2 घण्टे का अोंतर रखें। इस प्रकार मदन
र्ें तीन बार करने से दाोंत ददम ठीक हो जाता है। गले र्ें ददम हो तो इसी प्रकार के पानी से
गरारे करने लाभ होता है ।
"51 गभमधारर् कराना ::- *र्ामसक-धर्म के प्रारम्भ से 8 मदन तक मनत्य 25 ग्रार् अजवाइन
और 25 ग्रार् मर्श्ी, 125 मर्लीलीिर पानी र्ें रात को मर्ट्टी के बतम न र्ें मभगोों दें । सुबह
ठों डाई की तरह पीसकर पीयें। भोजन र्ें र्ूोंग की दाल और रोिी (मबना नर्क की) लें। इस
प्रयोग के दौरान सोंभोग करने से गभम धारर् होगा।
*र्ामसक-धर्म खि होने के बाद 10 ग्रार् अजवाइन पानी से 3-4 मदनोों तक सेवन करने से
गभम की स्थापना र्ें लाभ मर्लता है ।"
52 आन्त्रवृक्ति ::- अजवाइन का रस 20 बूोंद और पोदीने का रस 20 बूोंद पानी र्ें मर्लाकर
पीने से आन्त्रवृक्ति र्ें लाभ होता है ।
"53 श्वास या दर्ा रोग ::- *खुरासानी अजवाइन लगभग 1 ग्रार् का चौथा भाग सुबह-शार्
सेवन करने से श्वास नमलकाओों का मसकुड़ना बोंद हो जाता है और श्वास ले ने र्ें कोई भी
परे शानी नहीों होती है ।
*अजवाइन का रस आधा कप इसर्ें इतना ही पानी मर्लाकर दोनोों सर्य (सुबह और
शार्) भोजन के बाद लेने से दर्ा का रोग नि हो जाता है।
*दर्ा होने पर अजवाइन की गर्म पुक्तल्टश से रोगी के सीने को सेंकना चामहए।
*50 ग्रार् अजवाइन तथा र्ोिी सौोंफ 50 ग्रार् की र्ात्रा र्ें लेते हैं तथा इसर्ें स्वादानुसार
कालानर्क मर्लाकर नीोंबू के रस र्ें मभगोकर आपस र्ें चम्मच से मर्लाते हैं। मफर छाया
र्ें सुखाकर इसे तवे पर सेंक लेते हैं जब भी बीड़ी, मसगरे ि या जदाम खाने की इच्छा हो तो
इस चूर्म की आधा चम्मच र्ात्रा का सेवन (चबाना) करें । इससे धूम्रपान की आदत छूि
जाती है। इसके साथ-साथ पेि की गैस (वायु) नि होती है , पाचन शक्ति बढ़ती है तथा
भूख भी बढ़ जाती है । पेि की गैस, वायु मनकालने के मलए यह बहुत ही सफल नुस्का
(मवमध, तरीका) है । "
54 वात-मपत्त का बुखार ::- अजवाइन 6 ग्रार्, छोिी पीपल 6 ग्रार्, अडूसा 6 ग्रार् और
पोस्त का डोडा 6 ग्रार् ले कर काढ़ा बना लें , इस काढ़े को पीने से कफ का बुखार, श्वास
(दर्ा) और खाों सी दू र हो जाती है।
55 जु कार् के साथ हल्का बुखार ::- दे शी अजवाइन 5 ग्रार्, सतमगलोए 1 ग्रार् को रात र्ें
150 मर्लीलीिर पानी र्ें मभगोकर, सुबह र्सल-छान लें। मफर इसर्ें नर्क मर्लाकर मदन
र्ें 3 बार मपलाने से लाभ मर्लता है ।
56 फेफड़ोों की सूजन ::- लगभग आधा ग्रार् से लगभग 1 ग्रार् खुरासानी अजवायन का
चूर्म शहद के साथ सुबह-शार् सेवन करने से फेफड़ोों के ददम व सूजन र्ें लाभ मर्लता है ।
57 काली खाों सी (हूमपोंग कफ) ::- जों गली अजवाइन का रस, मसरका और शहद तीनोों को
बराबर र्ात्रा र्ें मर्लाकर 1 चम्मच रोजाना 2-3 बार सेवन करने से पूरा लाभ मर्लता है ।
58 अोंजनहारी, गुहेरी ::- अजवाइन का रस पानी र्ें घोलकर उस पानी से गुहैरी को धोने
से गुहेरी जल्दी ठीक हो जाती है ।
59 बालोों को हिाना ::- खुरासानी अजवाइन और अफीर् आधा-आधा ग्रार् ले कर मसरके
र्ें घोि लें। इसे बालोों र्ें लगाने से बाल उड़ जाते हैं ।
"60 वायु मवकार ::- *5 ग्रार् मपसी हुई अजवाइन को 20 ग्रार् गुड़ र्ें मर्लाकर छाछ
(र्ट्ठे ) के साथ ले ने से लाभ होता है ।
*एक चम्मच अजवाइन और थोड़ा कालानर्क एक साथ पीसकर इसर्ें छाछ मर्लाकर
पीने से पेि की गैस की मशकायत दू र होती है ।"
61 खट्टी डकारें आना ::- अजवाइन, सेंधानर्क, सेंचर नर्क, यवाक्षार, हीोंग और सूखे
आों वले का चूर्म आमद को बराबर र्ात्रा र्ें लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्म बना लें। इस
चूर्म को 1 ग्रार् की र्ात्रा र्ें सुबह और शार् शहद के साथ चािने से खट्टी डकारें आना
बोंद हो जाती हैं।
62 आों खोों की दृमि के मलए : :- आों खोों की रोशनी तेज करने के मलए जों गली अजवाइन की
चिनी बनाकर खाना चामहए।
"63 कब्ज ::- *अजवाइन 10 ग्रार्, मत्रफला 10 ग्रार् और सेंधानर्क 10 ग्रार् को बराबर
र्ात्रा र्ें ले कर कूिकर चूर्म बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्रार् की र्ात्रा र्ें इस चूर्म को हल्के
गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज सर्ाप्त हो जाती है ।
*5 ग्रार् अजवाइन, 10 कालीमर्चम और 2 ग्रार् पीपल को रात र्ें पानी र्ें डाल दें । सुबह
उठकर शहद र्ें मर्लाकर 250 मर्लीलीिर पानी के साथ पीने से वायु गोले का ददम ठीक
होता है ।
*अजवाइन 20 ग्रार्, सेंधानर्क 10 ग्रार्, कालानर्क 10 ग्रार् आमद को पुदीना के
लगभग 1 ग्रार् का चौथा भाग रस र्ें कूि लें मफर छानकर 5-5 ग्रार् सुबह और शार्
खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ लें ।
*लगभग 1 ग्रार् का चौथा भाग अजवाइन के बारीक चूर्म को गुनगुने पानी के साथ पीने से
कब्ज सर्ाप्त होती जाती है ।
*अजवाइन और कालानर्क को पीसकर चूर्म बना लें । इस चूर्म को पानी के साथ पीने से
पेि के ददम र्ें आरार् दे ता है ।"
64 र्सूढ़ोों का रोग ::- अजवाइन को भून व पीसकर र्ोंजन बना लें । इससे र्ोंजन करने से
र्सूढ़ोों के रोग मर्ि जाते हैं ।
65 अमधक भूख लगना(अमतझुधा)::- 20-20 ग्रार् अजवाइन और सोोंठ, 5 ग्रार् नौसादर
एक साथ पीस-छानकर नीोंबू के रस र्ें र्िर की तरह गोली बनाकर छाया र्ें सुखा लें। 2-
2 गोली सुबह-शार् पानी के साथ प्रयोग करें ।
"66 पेि की गैस बनना ::- *अजवाइन और कालानर्क को छाछ के साथ मर्लाकर सेवन
करने से लाभ होता है ।

पेि के सभी रोग

मवमभन्न औषमधयोों के द्वारा रोग का उपचार :

1. मफिकरी : भूनी हुई मफिकरी 10 ग्रार्, भूना हुआ सुहागा 10 ग्रार्, नौसादर ठीकरी
10 ग्रार्, कालानर्क 10 ग्रा
र् और भूनी हुई हीोंग 5 ग्रार् को अच्छी तरह पीसकर चूर्म बना लें । यह 2-2 ग्रार् चूर्म
सुबह-शार् भोजन के साथ सेवन करने से पेि का सभी रोग सर्ाप्त होता है ।

2. असोंगध : 100 ग्रार् असोंगध को बारीक पीसकर 5-5 ग्रार् की र्ात्रा र्ें दे शी घी व चीनी
मर्लाकर गर्म द
ेूध के साथ मदन र्ें 2 बार सेवन करने से प्रसूता (मडलीवरी) का ददम और पेि का ददम
ठीक होता है ।

3. मत्रफला : मत्रफला का 100 ग्रार् चूर्म र्ें 65 ग्रार् चीनी मर्लाकर रख लें और यह चूर्म 5
ग्रार् की र्ात्रा र्ें मदन र्ें 2 बार पानी के साथ सेवन करें । इसके उपयोग से पेि की सभी
बीर्ाररयाों सर्ाप्त होती हैं ।

4. तुलसी :

* 10 ग्रार् तु लसी का रस पीने से पेि की र्रोड़ व ददम ठीक होता है ।


* तुलसी के पत्तोों का काढ़ा बनाकर पीने से दस्त रोग ठीक होता है। तु लसी के पत्तोों का
10 ग्रार् रस प्रमतमदन पीने से पेि की र्रोड़ और कब्ज दू र होती है ।
* तुलसी के 4 ताजे पत्ते प्रमतमदन पानी के साथ खाने से पेि की बीर्ारीयाों दू र होती है ।
इससे हृदय, फेफड़ोों, रि एवों कैंसर र्ें लाभ मर्लता है ।

5. जार्ुन : पेि की बीर्ाररयोों र्ें जार्ुन लाभदायक होता है । जार्ुन खाने से दस्त का बार-
बार आना बोंद होता है। यह पेि ददम , दस्त रोग, अमग्नर्ाों द्य आमद र्ें जार्ुन के रस र्ें
सेंधानर्क मर्लाकर पीना चामहए।
6. केला :

* मकसी भी कारर् से उत्पन्न पेि ददम र्ें केला खाना लाभकारी होता है । केला बच्े व
कर्जोर रोगी के मलए पोषक आहार होता है । केले का सेवन से पेि ददम , आों तोों की सूजन
और आर्ाशय का जख्म ठीक होता है ।

7. अनार : अधपका अनार खाने से र्ेदा, मतल्ली, यकृत की कर्जोरी, सोंग्रहर्ी (पेमचश),
दस्त, उल्टी और पेि का ददम ठीक होता है। यह पाचनशक्ति को बढ़ता है और पेशाब की
रुकावि को दू र करता है ।

8. गाजर : गाजर खाने या इसका रस पीने से भोजन न पचना, पेि र्ें वायु बनना, ऐोंठन,
सूजन एवों घाव ठीक होता है । गाजर का रस पीने से पेि र्ें पानी भरना, एपेण्डीसाइमिस,
वृहादाों त्र शोथ (कोलाइमिस), दस्त की बदबू, र्ुोंह की बदबू और खराश ठीक होती है ।

9. र्ूली : खाना खाते सर्य र्ूली की चिनी, अचार और सब्जी या र्ूली पर नर्क,
कालीमर्चम का चूर्म डालकर खाने से पेि के सभी रोग जै से- पाचनमक्रया का र्ोंदा होना,
अरुमच, पुरानी कब्ज और गैस आमद दू र होती है ।

10. ग्वारपाठा :

* ग्वारपाठा के गूदे को पेि पर ले प करने से पेि नर्म होकर आों तोों र्ें जर्ा र्ल ढीला
होकर मनकल जाता है । इसके सेवन से पेि की गाों ठे गल जाती हैं।
* 5 चम्मच ग्वारपाठे का ताजा रस, 2 चम्मच शहद और आधे नीोंबू का रस मर्लाकर
सुबह-शार् पीने से सभी प्रकार के पेि के रोग ठीक होते हैं ।

11. चौलाई : चौलाई की सब्जी बनाकर खाने से पेि की बीर्ाररयाों सर्ाप्त होती है ।

12. बथु आ : बथु आ की सब्जी र्ौसर् के अनुसार खाने से पेि, मजगर एवों मतल्ली का रोग
ठीक होता है । इसके सेवन से गैस का बनना, कब्ज, पेि के कीड़े और बवासीर ठीक
होती है ।

13. र्सूर : र्सूर की दाल को खाने से पेि की पाचनमक्रया ठीक होती है और कब्ज नहीों
बनती।
14. सौोंठ :

* मपसी हुई सौोंठ एक ग्रार्, थोड़ी सी हीोंग और सेंधानर्क पीसकर चूर्म बनाकर गर्म पानी
के साथ खाने से पेि का ददम दू र होता है ।
* सौोंठ का 1 चम्मच चूर्म और सेंधानर्क को एक मगलास पानी र्ें गर्म करके पीने से पेि
की पीड़ा सर्ाप्त होती है ।
* सौोंठ, हरीतकी, बहेड़ा और आों वला बराबर र्ात्रा र्ें ले कर पेस्ट् बना लें और इसे गाय
का घी, मतल का तेल ढाई मकलो, दही का पानी ढाई मकलो के साथ मर्लाकर मवमधपूवमक
घी का पाक बना लें। इसके बाद इसे छानकर 10 से 20 ग्रार् की र्ात्रा र्ें सुबह-शार्
सेवन करने से पेि के सभी रोग दू र होते हैं।

15. अदरक : अदरक के िु कड़े को दे शी घी र्ें सेंककर इसर्ें नर्क मर्लाकर सुबह शार्
सेवन करने से पेि का ददम शाों त होता है ।

16. आक : 10 ग्रार् आक की जड़ की छाल कूिकर 400 ग्रार् पानी र्ें डालकर काढ़ा
बनाएों और जब यह काढ़ा 50 ग्रार् बच जाए तो छानकर पीएों । इसका उपयोग पेि के
सभी रोग के मलए बेहतर होता है ।

17. मगलोय : ताजी मगलोय 18 ग्रार्, अजर्ोद, छोिी पीपल 2-2 ग्रार्, नीर् की 2 सीोंकोों
को पीसकर रात को 250 पानी के साथ मर्ट्टी के बतम न र्ें रख दें और सुबह इसे छानकर
सेवन करें । इसका सेवन 15 से 30 मदनोों तक करने से पेि के सभी रोग ठीक होते हैं ।

18. प्याज :

* प्याज खाने से भूख का न लगना ठीक होता है , मजगर (यकृत), मतल्ली तथा मपत्त का रोग
ठीक होता है । इसके सेवन से पेि की गैस बाहर मनकाल जाती है और जलवायु के बदलाव
के कारर् होने वाला रोग ठीक होता है।
* प्याज को आग र्ें गर्म करके रस मनकाल लें और इस रस र्ें नर्क मर्लाकर पीएों ।
इससे अम्लमपत्त और पेि का ददम ठीक होता है।
* नीोंबू का रस, प्याज का रस और नर्क मर्लाकर 1-2 चम्मच की र्ात्रा र्ें पीने से पेि के
सभी रोग दू र होते हैं।

19. अकरकरा :

* छोिी पीपल और अकरकरा की जड़ का चूर्म बराबर र्ात्रा र्ें पीसकर आधा चम्मच
शहद के साथ सुबह-शार् भोजन करने के बाद सेवन करने से पेि सम्बोंधी सभी सर्ाप्त
होते हैं ।
* पेि रोग से पीमड़त रोगी को अकरकरा की जड़ का चूर्म और छोिी मपप्पली का चूर्म
बराबर र्ात्रा र्ें मर्लाकर आधे चम्मच की र्ात्रा र्ें भोजन करने के बाद सुबह-शार् करना
चामहए।

20. अर्लतास : 4 से 12 वषम के बच्े को यमद पेि र्ें जलन हो रही हो और दस्त बोंद हो
गया हो तो अर्लतास के बीच के भाग को 2-4 र्ुनक्के के साथ सेवन करना चामहए।

21. अर्रबेल :

* अर्रबेल के बीजोों को पानी र्ें पीसकर पेि पर ले प करके कपड़े से बाों धने से पेि की
गैस, डकारें , र्रोड़ व ददम ठीक होता है ।
* अर्रबेल को उबालकर पेि पर बाों धने से डकारें व अपच दू र होता है ।
* अर्रबेल के आधे मकलो रस र्ें एक मकलो मर्श्ी मर्लाकर धीर्ी आग पर पका लें। यह
2 ग्रार् की र्ात्रा र्ें 2 ग्रार् पानी मर्लाकर सेवन करने से शीघ्र ही गुल्म (वायु का गोला)
और पेि का ददम ठीक होता है ।

22. पोदीना : 2 चम्मच पुदीने का रस, 1 चम्मच नीोंबू का रस और 2 चम्मच शहद


मर्लाकर सेवन करने से पेि के सभी रोग दू र होते हैं ।

23. अनन्नास :

* पके अनन्नास का 10 ग्रार् रस, भुनी हुई हीोंग एक चौथाई ग्रार्, अदरक का रस आधा
ग्रार् और सेंधानर्क मर्लाकर सुबह-शार् सेवन करने से पेि का ददम और पेि र्ें गैस का
गोला बनना ठीक होता है ।
* अनन्नास के सेवन से पेि की पीड़ा नश्ट होती है । अनन्नास र्ें जीरा, नर्क और चीनी
डालकर खाने से अरुमच दू र होती है , मतल्ली की सूजन एवों पीमलया सर्ाप्त होता है ।
* अनानास के रस र्ें यवक्षार, पीपल और हल्दी का चूर्म आधा-आधा ग्रार् मर्लाकर सेवन
करने से प्लीहा (मतल्ली), पेि के रोग रोग ठीक होता है ।

24. पपीता : कब्ज, भोजन का न पचना व खूनी बवासीर आमद रोगोों र्ें पका हुआ पपीता
खाना बेहद लाभकारी होता है ।

25. अोंगूर :
* 10-20 बीज मनकाले हुए र्ुनक्के को 200 ग्रार् दू ध र्ें अच्छी तरह उबालकर सेवन
करने से दस्त खुलकर आता है ।
* 10-20 र्ुनक्का, 5 अोंजीर और सौोंफ, सनाय, अर्लतास का गूदा व गुलाब का फूल 3-
3 ग्रार् को मर्लाकर काढ़ा बनाकर गुलकन्द मर्लाकर पीने से कब्ज और गैस सर्ाप्त
होती है ।
* रात र्ें सोने से पहले 10-20 र्ुनक्के को घी र्ें भूनकर सेंधानर्क मर्लाकर खाने से पेि
का रोग ठीक होता है ।
* 7 र्ुनक्का, 5 कालीमर्चम, 10 ग्रार् भुना हुआ जीरा, 6 ग्रार् सेंधानर्क, आधा ग्रार् िािरी
को मर्लाकर चिनी बनाकर खाने से कब्ज व अरुमच दू र होती है ।

26. पोंचकोल : पोंचकोल को पीसकर 5 ग्रार् की र्ात्रा र्ें एक मगलास छाछ र्ें मर्लाकर
भोजन करते हुए घूोंि-घूोंि करके पीने से पेि के सभी रोग सर्ाप्त होते हैं ।

27. बबूल : बबूल के पेि के अोंदर की छाल का काढ़ा बनाकर 1-2 ग्रार् की र्ात्रा र्ें
छाछ के साथ पीने से जलोदर और अन्य पेि का रोग सर्ाप्त होता है।

28. ताड़ : ताड़ के जिा का एक ग्रार् भस्म गुड़ के साथ मदन र्ें 2 बार सेवन करने से
उदर रोग नि होता है ।

29. अरनी :

* अरनी की 100 ग्रार् जड़ को आधा मकलो पानी र्ें 15 मर्नि तक उबालकर मदन र्ें 2
बार पीने से पाचनशक्ति की कर्जोरी दू र होती है ।
* अरनी के पत्तोों का काढ़ा बनाकर सुबह-शार् पीने से पेि का फूलना और पाचनशक्ति
की गड़बड़ी दू र होती है । इससे आर्ाशय का ददम ठीक होता है ।

30. गुलाब : भोजन करने के बाद 2 चम्मच गुलकोंद लेने से पेि का रोग सर्ाप्त होता है।

31. सौोंफ :

* सौोंफ को नीोंबू के रस र्ें मर्लाकर खाना खाने के बाद खाने से भूख का न लगना दू र
होता है और र्ल साफ होता है ।
* सौोंफ को शहद के साथ मर्लाकर हल्के गुनगुने पानी के साथ ले ने से वायु के कारर् होने
वाले रोग ठीक होता है।
अन्य उपचार :

* खाना खाते सर्य और र्ल त्याग के सर्य दाईों नाक से साों स ले ना चामहए और पेशाब
करते सर्य बाईों नाक से साों स ले ना चामहए। इससे कब्ज और पेि की बीर्ारी नहीों होती
है ।
* खाना खूब चबा-चबाकर और भूख से कर् और मनयमर्त सर्य पर खाना चामहए।

सुोंदरता के सरल घरे लू नुस्खे:

१. शहद : यह त्वचा की झुररम याों मर्िाने र्ें बड़ा सहायक है। यह खुश्क त्वचा को र्ुलायर्
कर रे शर्ी व चर्कदार बनाता है ।
मवमध : चेहरे पर शहद की एक पतली तह चढ़ा लें । इसे 15-20 मर्नि लगा रहने दें , मफर
कॉिनवूल मभगोकर इसे पोोंछ लें । तै लीय त्वचा वाले शहद र्ें चार-पाों च बूोंद नीोंबू का रस
डालकर उपयोग करें ।

२. नीर् : यह त्वचा र्ें रोग प्रमतरोधी क्षर्ता बढ़ाता है । इसके प्रयोग से र्ुोंहासे र्ें जादू जै सा
लाभ होता है ।
मवमध : चार-पाों च नीर् की पमत्तयोों को पीसकर र्ुल्तानी मर्ट्टी र्ें मर्लाकर लगाएों , सूखने पर
गरर् पानी से धो लें।

३. केला : यह त्वचा र्ें कसाव लाता है तथा झुररम योों को मर्िाता है ।


मवमध : पका केला र्ैश कर चेहरे पर लगाएों । आधा घोंिे बाद ठों डे पानी से धो लें ।

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