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स्टार्ट अप इं डिया स्टैं िअप इं डिया डिबंध 3 (200 शब्द)


युवाओं के लिए उद्यमशीिता और नए रोजगार सृजन के अवसरों पर कुछ प्रत्यक्ष प्रभाव
डािने के लिए, प्रधानमंत्री नरे न्द्र मोदी ने 16 जनवरी 2016 को एक नयी योजना शु रु करने
की घोषणा की है । इस योजना के अनुसार, कम्पलनयों को प्रोत्साहन लदया जायेगा तालक वो
अलधक रोजगार को सृजन कर सके। स्टार्ट अप इं लडया स्टैं डअप इं लडया अलभयान युवाओं
(लवशे ष रुप से मलहिाएं , दलित या आलदवासी) को शु रुआत के लिए बैंक लवत्त पोषण को
बढावा दे ने के लिए शु रू लकया जाएगा। पी.एम. ने अपने स्वतं त्रता लदवस के भाषण में इस
अलभयान को शु रु करने की घोषणा की थी।

इस पहि से दलित, आलदवासी और मलहिाओं को उद्यलमता की ओर प्रोत्सालहत करने के


लिए सरकार द्वारा योजना बनाई गयी है । रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए लवलनमाट ण
इकाइयों के प्रोत्साहन की सुलवधा भी है । इस तरह के प्रोत्साहनों का हालदट क स्वागत होता है
क्ोंलक वो आलथट क वृद्धि, िोगों के जीवन में सुधार और भारत को एक लवकलसत दे श बनाने
को बढावा दे ने के लिये आवश्यक है । स्टार्ट -अप का अथट दे श के उन युवाओं से है जो आलथट क
रुप से खडें होने की क्षमता रखते है , हां िालक सरकार से कुछ मदद की आवश्यकता है । इस
कायटक्रम से सभी नये प्रलतभाशािी उद्यलमयों के लिये बहुत बडी सहायता होगी जो भारत का
नेतृत्व करें गे। कम से कम एक दलित या आलदवासी उद्यमी और एक मलहिा उद्यमी को
भारत में प्रत्येक 125 बैंकों की शाखाओं से समलथट त लकया जायेगा।

Paryavaran ka asuntulan
मनुष्य की प्रकृलत पर लनभटरता आलद काि से ही चिी आ रही है । इसीलिए लवश्व की प्रत्येक
सभ्यता में प्रकृलत की पूजा का प्रावधान है । प्राचीन भारतीय समाज भी प्रकृलत के प्रलत बहुत ही
जागरूक था । वैलदक काि में प्रकृलत के लवलभन्न अंगों भूलम, पवटत, वृक्ष, नदी, जीव-जन्तु आलद
की पूजा की जाती थी ।
प्रकृलत के प्रलत मनुष्य की इस असीम श्रिा के कारण पयाट वरण स्वतः सुरलक्षत था । लवकास
की अंधी दौड में मनुष्य ने प्रकृलत को अत्यलधक नुकसान पहुुँ चाना शु रू कर लदया । एक सीमा
तक प्रकृलत उस नुकसान की भरपाई स्वयं कर सकती थी, िे लकन जब उसकी स्वतः पूलतट की
सीमा समाप्त हो गई तो पयाट वरण असंतुलित हो गया ।

आज का मनुष्य िािच के वशीभूत होकर प्रकृलत का कर दोहन कर रहा है । इसकी अलत-


उपभोगवादी प्रवृलत्त के कारण प्रकृलत को इतना नुकसान पहुुँ च चुका है लक प्रकृलत की मूि
संरचना ही लवकृत हो गई है । अगर हम यह लवचार करें लक लजस प्रकृलत की मनुष्य पूजा
करता था, वह उसके प्रलत इतना क्रूर कैसे हो गया ।

इसके उत्तर में हम दे खेंगे लक समय के साथ मनुष्य की सोच में पररवतट न आ गया है । प्रकृलत
के साथ सहजीवन व सह-अद्धित्व की बात करने वािा मनुष्य कािान्तर में यह सोचने िगा
लक यह पृथ्वी केवि उसके लिए ही है ; वह इस पर जै से चाहे वैसे रहे ।

अपनी इस नवीन सोच के कारण वह प्रकृलत को पूजा व सम्मान की नहीं अलपतु उपभोग की
एक विु के रूप में दे खने िगा । उसके लवचारो में आया यह पररवतट न ही पयाट वरण असंतुिन
का आधार तै या लकया । पयाट वरण के असंतुिन के लिए अनेक कारण उत्तरदायी हैं । िे लकन
वे सभी कही न कहीं हमारी अलनयोलजत व अदू रदशी अथट नीलत से जुडे हुये हैं ।

आज का मनुष्य अपनी आलथट क उन्नलत के लिए ”कोई भी कीमत” दे ने को तै यार है । उस


”कोई भी कीमत” की सबसे बडी कीमत प्रकृलत को ही दे नी पडती है । भारी औद्योगीकरण
आज लवकास का पयाट यवाची बन गया है । इन बडे उद्योगों की स्थापना से िे कर इनके
संचािन तक प्रत्येक िर पर पयाट वरण को नुकसान पहुुँ चता है । इन औद्योलगक इकाइयों के
लनमाट ण के लिए वनों की कर्ाई की जाती है ।

उत्पादन के प्रक्रम में इनसे लवलभन्न हालनकारक अपलशष्ों का उत्सजट न होता है । ये पयाट वरण
को नुकसान पहुुँ चाने वािे सबसे प्रमुख कारक हैं । पररवहन के लवकास एक ने खलनज ते िों
उपभोग को बहुत बढा लदया है । इनके ज्विन से SO2, CO2, CO आलद जै सी हालनकरण गैसें
लनकिती है जो वायु प्रदू षण को फैिा रही हैं ।

कृलष में भी रासायलनक उवटरकों, कीर्नाशको का उपयोग बढता जा रहा है । ये सब


तात्कालिक रूप से िाभप्रद लदखते हैं । िे लकन दीघटकाि में इनके दु ष्पररणाम बहुत ही
भयानक होते हैं । इसी प्रकार अन्य लवकासात्मक कायट जै से-सडक लनमाट ण बाुँ ध रे िवे खनन
आलद भी पयाट वरणीय नुकसान में अपना योगदान करते हैं ।

साथ ही कुछ परम्परागत कारण, जै से- वनों का दोहन, अवैध कर्ाई आलद, भी पयाट वरण
संतुिन को लबगाडते हैं । वतटमान में आलथट क लवकास की होड में लवश्व के सभी राष्र अपने
औद्योलगक लवकास को हर कीमत पर जारी रखना चाहते हैं । इसके लिए वे पयाट वरण के लिए
अपनी लजम्मेदाररयों की उपेक्षा करने िगे हैं ।

लवकलसत राष्र अपने दालयत्वों को स्वीकार न करते हुये सारा दोष लवकासशीि राष्रों पर डाि
दे ते हैं । वहीं लवकासशीि दे श अपनी लवकास की मजबूररयों का हवािा दे ते है । इन कारणों
से पयाट वरण संरक्षण के लिए अन्तराट ष्रीय लचन्ताएुँ तो व्यक्त की जाती हैं िे लकन कोई ठोस
पहि नहीं हो पाती है ।

इसके उदाहरण के रूप में दे खा जा सकता है लक अमेररका क्ोर्ो संलध में शालमि नहीं हुआ
है । यलद लवश्व का सबसे सम्पन्न राष्र ही लकसी ऐसे प्रयास का लहस्सा नहीं है तो उसकी
सफिता स्वतः संलदग्ध हो जाती है ।

यहाुँ यह समझने की आवश्यकता है लक मनुष्य को पयाट वरण की रक्षा के लिए अपनी


लवकासात्मक गलतलवलधयों को रोकना जरूरी नहीं है । िे लकन इतना जरूर है लक हमें
पयाट वरण की कीमत पर लवकास नहीं करना चालहए क्ोंलक लवकास से अलभप्राय समग्र
लवकास होता है केवि आलथट क उन्नलत नहीं । यलद हम मात्र इतना ध्यान रखे लक ये पेड-पौधे
नलदया-तािाब. वन्य-जीव हमसे लपछिी पीढी ने हम तक सुरलक्षत पहुुँ चाया है ।
अतः हमारा दालयत्व है लक हम इसे अपनी आने वािी पीढी तक सुरलक्षत पहुुँ चाये । केवि
इतना करने से ही लवकास के नाम पर पयाट वरण को होने वािी क्षलत समाप्त हो जायेगी । यही
सतत लवकास की संकल्पना का आधार है । लपछिे कुछ दशकों से पयाट वरण असंतुिन की
द्धस्थलत बहुत ही भयावह हो गई है । प्रकृलत के साथ सलदयों से चिी आ रही कुरता के
दु ष्पररणाम अब सामने आने िगे हैं ।

ग्लेलशयरों का लपघिना, अरब के रे लगिानों में भारी वषाट , ओजोन परत में लछद्र, बाढ, भूकम्प,
अम्ल वषाट , सदानीरा नलदयों का सूखना फसि चक्र का प्रभालवत होना जै व-लवलवधता में तीव्र
गलत से हास होना आलद असंतुलित पयाट वरण की ही अलभव्यद्धक्त है । इं र्र गवनटमेन्टि पैनि
ऑन क्लाइमेर् चेंज ने अपनी ररपोर्ट में बहुत ही गंभीर आशं कायें व्यक्त की हैं ।

डिद्यालय की डिज्ञाि प्रयोगशाला को अत्याधुडिक बिािे की आिश्यकता


समझााते हुए अपिे डिधालय के प्रधािाचायट को पत्र डलखिए।

सेवा में
प्रधानाचायट महोदय
राजलकय बुलनयादी लवधािय
गोलवंदपुर,धनबाद

लवषय: लवज्ञान प्रयोगशािा का आधुलनकारण

श्रीमान जी
सलवनय लनवेदन है लक मै दशम कक्षा की छात्र हूॅॅं। मेरी लवाान में बहुत रूलच है । मैं
लवद्यािय की प्रयोगशािा में कुशि प्रलशक्षण पाना चाहता हूॅॅं। परं तु प्रयोगशािा में हमें न तो
अलधक समय रहने लदया जाता है और न ही पयाट प्त उपकरण और साधन हैं लजनके आधार
पर मैं कुछ प्रयोग कर सकूॅॅं और लवाान लवषय में लनपुणता पा सकूॅॅं।
आपसे प्राथ्रना है लक हमारी प्रयोगशािा को अत्याधुलनक बनाएॅॅं और उत्सु क छात्र—
छात्राओं को उलचत प्रलशक्षण् प्रदान करने की व्यवस्था करें । आपकी अती कृपा होगी।
धन्यवाद सलहत!

भवदीय
आकाश वमाट
कक्षा दशम 'ए'
लदनाक: 13—05—20014

Aap ke ilaake mein chemist ki dukan pe nakli dawai bheji ja rahi hai
Jila Swasthya Adhikari ko Patra likhe
सेवा में ,

स्वास्थ्य अलधकारी ,लदल्ली

लवषय :- नकिी दवा बेचने के संबंध में

महाशय

सलवनय लनवेदन है लक हमारे बाजार में आजकि बहुत सारी नकिी दवाइयां भेजी जा रही है
लजससे मनुष्य में बहुत प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हुई है तथा उत्पन्न समस्या के कारण उनकी
तबीयत बहुत ज्यादा ही लबगडती जा रही है उनका जीलवत रहना असंभव सा हो चुका है ।

अतः श्रीमान से लनवेदन है लक लजतनी जल्दी हो सके बाजार में नकिी दवाइयों को बंद की
जाए तथा उस पर रोक िगाई जाए एवं लजतनी भी कंपलनयां ऐसी कर रही हैं उन पर सब लदन
के लिए तािा िगाया जाए इसके लिए मैं श्रीमान का सदा आभारी रहूं गा।।
सच्चा नागररक

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