Professional Documents
Culture Documents
Azkaar-Subh Wa Shaam Hindi
Azkaar-Subh Wa Shaam Hindi
सु ह के व!:
َ ٓ ٰ َ َّ ُ ْ َ ْ َ ُ ْ ُ ْ َ َ ْ ٔ َ َ َ ْ َ ْ ٔ َ
ﺻﺒﺤﻨﺎ و ﺻﺒﺢ اﻟﻤﻠﻚ ِ ِ واﳊﻤﺪ ِ ِ ،ﻻ ِٕاﻟﻪ ِٕاﻻ
ﷲ َو َﺣ ْﺪ ٗﻩ َﻻ َﴍ ْﻳ َﻚ َﻟ ٗﻪَ ،ﻟ ُﻪ ْاﻟ ُﻤ ْﻠ ُﻚ َو َﻟ ُﻪ ْاﳊَ ْﻤ ُﺪ َوﻫ َﻮُ ُ
َ ِ
ٰ َ َ َ ْ َ َ ُ ٔ ْ ٔ َ ّ َ ٌ َٰ ُ ّ َ ْ َ
ﰻ ﳽ ٍء ﻗ ِﺪ ،,ر ِب ﺳ3ﻟﻚ ﺧﲑ ﻣﺎ ِﰲ ﻫﺬا ' ِ
ْ َ َ َ ْ َ َ َ ْ َ ٗ َ َٔ ُ ْ ُ َ ْ َ ّ َ ْ َ َ
ﴍ ﻣﺎ ِﰲ ﻫﺬا ﻮم وﺧﲑ ﻣﺎ ﺑﻌﺪﻩ ،و ﻋﻮذ ِﺑﻚ ِِ 9 اﻟﻴ ِ
ْ َ ْ َ َ ّ َ َ ْ َ ٗ َ ّ َٔ ُ ُ َ َ ْ ََ
ﴍ ﻣﺎ ﺑﻌﺪﻩ ،ر ِب ﻋﻮذ ِﺑﻚ ِ 9اﻟﻜﺴ ِﻞ، اﻟﻴﻮ ِم و ِ
َّ َ ُ ْ ْ َ َ ّ َٔ ُ ْ ُ َ ْ َ َ
اب ِﰲ اﻟﻨﺎ ِر ٍ ﺬ ﻋ 9 ِ ﱪ ،ر ِب ﻋﻮذ ِﺑﻚ وﺳﻮ ِء اﻟ ِﻜ ِ
ﱪْ َْ َ ََ
اب ِﰲ اﻟﻘ ِ وﻋﺬ ٍ
ु(अस्∙बह्∙ना व अस्∙बहल् मु$ु %ल&ािह वल् ह
%ल&ािह, ला इला∙ह इ&&ा* वह्द+ ला
शरी∙क ल+, ल*ल् मु$ु व ल*ल् ह(ु व *व
अ़ला कु .& शै∙इन क़दी1, र23 अस्∙अलुक ख़ैर
ुमा फ़6 हाज़ल् यौ:म व ख़ैर मा बअ़द् +, व अऊ़ज़
;बक :मन् श<र मा फ़6 हाज़ल् यौ:म व श<र मा
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 3
बअ़द् +, र23 अऊ़ज़ु ;बक :मनल् कस∙%ल, व
सूइल् िकब∙=र, र23 अऊ़ज़ु ;बक :मन् अ़ज़ा;बन्
फ़6न् ना=र व अ़ज़ा;बन् िफ़ल् क़>
"हमने सु ह क6 और अ&ाह के सारे मु$ ने सु ह क6
और सब तारीफ़ अ&ाह ही के %लए है। अ&ाह के Cसवा
कोई माबूद नही,ं वह अके ला है, उसका कोई शरीक नही,ं
उसी क6 बादशाहत है और उसी के %लए सब तारीफ़ है और
वह हर चीज़ पर का:मल क़ु दरत रखता है। ऐ मेरे रब! मK
तुझ से इस िदन क6 बहतरी का सवाल करता +ं और उस
िदन क6 बहतरी का जो इसके बाद आने वाला है और मK
इस िदन के शर से तेरी पनाह मN आता +ं और इसके बाद
आने वाले िदन के शर से। ऐ मेरे रब! मK कािहली और
बुढ़ापे क6 ख़राबी से तेरी पनाह मN आता +ं। ऐ मेरे रब! मK
आग के अज़ाब से और क़> के अज़ाब से तेरी पनाह मN
आता +ं।"
(सहीह मुQRम, हदीस:2723)
सु ह एक बार:
َ ْ ُ ْ ْ
َ،ْﺻ َﺒ ْـﺤ َـﻨﺎ َو ْﺻ َﺒ َـﺢ اﻟ ُﻤـﻠﻚ ِ ِ َر ِّب اﻟ َﻌـﺎﻟﻤـ ِ ْﲔ ٔ َ ٔ َ
َ ْ َ
ٗ َوﻧَ ْﺼ َـﺮﻩ، ﻓ ْـﺘ َﺤ ٗﻪ،ـﲑ ٰﻫـﺬا اﻟ َـﻴ ْﻮم ْ َ َ ُ ٔ َ ٔ ٓ ّ َ ٰ ّ َ
ِ َ ْ
ﻟـﻚ ﺧ3ﻠﻬـﻢ ِٕا ِﱏ ﺳـCا ْ ّ ُ
َ
َـﻚ ِﻣ ْـﻦ ﺷ ّـﺮ ﻣﺎ ُ ٔ َ
َ َو ُﻋ ْـﻮذ ﺑ، ـﺪاﻩُ َو ُﻫ، َوﻧ ْـﻮ َر ٗﻩ َو َﺑ َـﺮ َﻛ َﺘ ٗـﻪ،
ِ ِ
ٗﻓ ْـﻴ ِﻪ َو َﺷ ّـﺮ َﻣﺎ َﺑ ْﻌ َـﺪﻩ
ِ ِ
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 6
अस्∙बह्∙ना व अस्∙बहल् मु$ु %ल&ािह र23ल्
आलमीन, अ&ा*V इcी अस्∙अलुक ख़ैर हाज़ल्
यौ:म, फ़त्∙ह+, व नस्∙र+, व नू∙र+ व बर∙कत∙+,
व *दा*, व अऊ़ज़ु ;बक :मन् श<र मा फ़6िह व श<र
मा बअ़∙् द*
"हमने सु ह क6 और अ&ाह र3ुल आलमीन के सारे
मु$ ने सु ह क6। ऐ अ&ाह! मK तुझ से इस िदन क6
बहतरी मांगता +ं, इसक6 फ़dह व नुसरत, इसका नूर,
इसक6 बरकत और इसक6 िहदायत और मK इस िदन के शर
और इसके बाद के शर से तेरी पनाह चाहता +ं।"
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5084
सु ह के व!:
َ
َ' ﳇِـﻤ ِﺔ َ ْ
ٰ َ َو،' ِﻓ ْﻄ َـﺮ ِة اﻻ ْﺳﻼ ِم ٰ َ ْﺻ َـﺒ ْﺤ َﻨﺎ ٔ َ
َّ ٰ َ َ َ ُ َ َ ْ ٰ َ ِ
ّ ّ َ ّ َ َ ْ ْ
_ ﻧ ِﺒ ِـﻴﻨﺎ ﳏـﻤ ٍﺪ و' ِﻣﻠـ ِﺔ ِ و' ِد،اﻻﺧـﻼ ِص ِ
َ َ ُ ً
َ9ِ َﻨـﺎ ٕا ْﺑ َـﺮا ِﻫ ْﻴ َـﻢ َﺣ ِﻨ ْﻴـﻔﺎ ّﻣ ْﺴ ِﻠ ًـﻤﺎ ّو َﻣـﺎ ﰷ َنaْ ِﺑ ٔ َ
ِ
ْ
َاﻟ ُﻤﺸـﺮﻛِﲔ ْ ْ
ِ
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 7
अस्∙बह्∙ना अ़ला िफ़g∙र;तल् इRा:म, व अ़ला
क%ल∙म;तल् इYलाCस, व अ़ला दी;न न;बhiना
मुहVिदंव् व अ़ला :मल्∙ल;त अबीना इ>ाहीम
हनीफ़म् मुQRमं व् व मा कान :मनल् मुश∙् =रक6न
"हमने िफतरते इRाम, क%लमए इYलास, अपने नबी
हज़रत मुहVद ﷺके दीन और अपने बाप हज़रत
इ>ाहीम ؈ जो एक 1ख़ (और) फ़रमांबरदार थे, क6
:म&त पर सु ह क6 और वह मुlmको ं मN नही ं थे।"
मुसनद अहमद: 3/406, व अमलुल यौम वल् लैलतु %ल-इnoस् सुcा, हदीस:34
सु ह के व! 3 मतpबा:
ََ َ َْ َ َ ْ َ َ َ َ َْ َ َ َُْ
و ِزﻧﺔ،ﺎن ﷲِ و ِﲝﻤ ِﺪ ٖە ﻋﺪد ﺧﻠ ِﻘ ٖﻪ و ِرﺿﺎ ﻧﻔ ِﺴ ٖﻪi
َ َ َ َ َ َْ
ﻋﺮ ِﺷ ٖﻪ و ِﻣﺪاد ﳇِﻤﺎ ِﺗ ٖﻪ
सु हानल् लािह व ;ब∙हq(ही अ़दद ख़िWक़ही व
=रज़ा नrsही, व Tज़न∙त अ़tशही व :मदाद
क%लमा∙;तही
"मK अ&ाह क6 पाक6ज़गी बयान करता +ं उसक6 तारीफ़ो ं
के साथ, उसक6 मYलूक़ क6 तादाद के बराबर, उसक6 ज़ात
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 8
के रज़ा के बराबर, उसके अशp के वज़न और उसके
क%लमात क6 रोशनाई के बराबर।"
सहीह मुQRम, हदीस: 2726
सु ह चार बार, जो शu यह दआ
ु पढ़ेगा अ&ाह तआला इसे
आग से आज़ाद कर देगा।
َ َ َ َ ُ ْ ُٔ َ َ ُ ْ ُٔ ُ ْ َ ْ َٔ ٓ ْ ّ َ ّ ُ ٰ ّ َ
و ﺷ ِـﻬﺪ ﲪﻠـﺔ،ﻠﻬـﻢ ِٕا ِﱏ ﺻﺒـﺤﺖ ﺷ ِـﻬﺪكCا
ْ ٔ َ َ َ ّ ٔ َ
َ ﻧـﻚ ﻧـﺖ،ﲨ ْـﻴﻊ ﺧﻠـ ِﻘﻚَ ْ َ َ َ َ َ َ َ ۗ َ َ َ َ ْ َ
ِ و، و ﻣﻼ ِﺋﻜﺘﻚ،ﻋـﺮ ِﺷـﻚ
َ ّ َٔ َ َ َ َ ْ َ َ َ َ ْ َ َ ْ َٔ ٓ َ ّ َ ٰ ٓ َ ُ
و ن،ﴍﻳﻚ ﻟـﻚ ِ ﷲ ﻻ ِٕاﻟﻪ ٕاﻻ ﻧـﺖ وﺣـﺪك ﻻ
َُﳏ َ َّﻤ ًـﺪا َﻋ ْﺒ ُـﺪ َك َو َر ُﺳ ْﻮ ُﻟـﻚ
अ&ा*V इcी अस्∙बह्तु उश्∙िहदक
ु , व उश्∙िहदु
हमल∙त अ़tशक, व मलाइक;त∙क, व जमी∙अ़
ख़िWक़∙क, अc∙क अvल् ला* ला इला∙ह इ&ा
अv वह्दक ला शरीक लक, व अc मुहVदन
अ़wक
ु व रसूलुक
"ऐ अ&ाह! यक़6नन मKने ऐसी हालत मN सु ह क6 िक तुझे,
तेरा अशp उठाने वाले फ़=रyो,ं तेरे (दीगर) फ़=रyो ं और
ْ َ ّ ٰ ْ َ ّ
﴾﴿ ِ†ﺴ ِﻢ ﷲِ اﻟﺮﲪ ِﻦ اﻟﺮ ِﺣﻴ ِﻢ ْ
َْ َ ْ َ ْ َ ُ َ َّ ُ َ ٌ َ َ ُ َ ُ ْ ُ
﴿ﻗﻞ ﻫﻮ ﷲ اﺣﺪ ﷲ اﻟﺼﻤﺪ ﱂ ﻳ ِﻠﺪ ڏ و ﱂ
ٌ َ َ ُ ُ ٗ َ ّ ُ َ َ َ ْ َ ُ
ً
﴾’ﻟﺪ وﱂ ﻳﻜﻦ ﻟﻪ ﻛﻔﻮا اﺣﺪ ْ ْ ْ
﴾;बŽ•&ािहर् र•ा;नर् रहीम﴿ ﴾क़ु ल्∙* व&ा*
अहद o अ&ा*स् समद o लम् य%लद व लम्
यूलद o व लम् यकु ल् ल+ कु फ़ू वन अहद o﴿
ْ َ ّ
﴾﴿ ِ†ﺴ ِﻢ ﷲِ اﻟﺮﲪ ِﻦ اﻟﺮ ِﺣﻴ ِﻢ ٰ ْ َ ّ ْ
َ َ َ َ
ْ9ِ ﴍ ﻣﺎ ﺧﻠﻖ و َ ّ َ ْ َ َ ْ ّ َ ُ ْ ُ َ ْ ُ
ِ 9 ِ ﻖ
ِ ﻠﻔ اﻟ ب ِ ” ِ ﴿ﻗﻞ اﻋﻮذ
َُْ ٰ ّ ٰ َّ ّ َ ْ ِ َ َ َ َ َ َ َّ
ﴍ اﻟﻨﻔﺜ ِﺖ ِﰲ اﻟﻌﻘ ِﺪ ِ 9ﺎﺳ ٍﻖ ِاذا وﻗﺐ و ِ ﴍﻏ ِ
َ َ َ َ َ ّ َ ْ َِ
﴾ﺎﺳ ٍﺪ ِاذا ﺣﺴﺪ ِ ﴍﺣ ِ 9 و
﴾;बŽ•&ािहर् र•ा;नर् रहीम﴿ ﴾क़ु ल् अऊ़ज़ु
;ब∙र23ल् फ़लक़ o :मन् श<र मा ख़लक़ o व
:मन् श<र ग़ाCसिक़न इज़ा वक़ब o व :मन् श<रन्
सु ह शाम 3 मतpबा, जो शu यह दआ
ु तीन दफ़ा सु ह और
तीन दफ़ा शाम के व! पढ़ेगा, अ&ाह तआला उसे िक़यामत के
िदन ज़Ÿर ख़ुश करेगा।
ً ّﻴﺎªَ ْﻻ ْﺳ َﻼم د ْﻳ ًﻨﺎ َّو ِﲟُ َﺤ َّﻤﺪ ّﻧ€ َّو€ً ِ َر€ ﺖ
ُ ْ َ
ِ ٍ ِ ِ ِ ِ ِ ر ِﺿﻴ
रज़ीतु ;ब&िह रबव् व ;बल् इRा:म दीनवं व ;ब-
मुहVिदन् न;बiा
"मK अ&ाह के साथ (उसके ) रब होने पर राज़ी हो गया
और इRाम के साथ (उसके ) दीन होने पर और मुहVद
( )ﷺके साथ (उनके ) नबी होने पर।"
जामेअ् अत-तरमज़ी, हदीस:3389
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 19
रसूलु&ाह ﷺने फ़रमाया:" जो शu यक़6न क6 हालत मN
शाम के व! यह दआ ु पढ़े और उसी रात फ़ौत हो जाए तो वह
शu जcत मN जाएगा और इसी तरह (हालते यक़6न मN) जो
शu सु ह के व! यह दआ ु पढ़ ले और शाम तक फ़ौत हो जाए
तो वह भी जcत मN जाएगा।"
َٔ َ َ ْ َ ْ َ َ َ ْ َٔ ٓ َّ َ ٰ ٓ َ ْ ّ َ َ ْ َٔ َّ ُ ّٰ َ
« ﺧﻠﻘﺘ ِﲎ و،ﻠﻬـﻢ ﻧﺖ ر ِﰉ ﻻ ِٕاﻟﻪ ٕاﻻ ﻧـﺖCا
َ
ُ، َـﻄ ْﻌـﺖu' َﻋ ْﻬـ ِﺪ َك َو َو ْﻋـ ِﺪ َك َﻣﺎ ْاﺳ ٔ َ
ٰ َ «َ َو، َﻋ ْﺒ ُـﺪ َك
َـﻚ ﺑﻨ ْﻌ َـﻤﺘـﻚَ َٔ ُﺑ ْـﻮ ُء َﻟ،ﺖ ُ ْ
ـﻌﻨَ َ
ﺻ ﺎ َ
ﻣ ّ
ـﺮ ﺷ
َ
9 ْ ِ َ
ﻚ ﺑ
ُ
ذ ْ
ـﻮ ُ
ﻋ
ٔ َ
ِ ِِ ِ ِ
ُ ُّ ْ َ ٗ َ ّ َ ْ َ ْ َ ٔ َ َّ َ َ
َ' َو ﺑـ ُ ْﻮ ُء ِﺑﺬﻧ ِۢ ْـﱮ ﻓﺎﻏ ِﻔ ْـﺮ ِ ْﱄ ﻓ ٕﺎﻧـﻪ ﻻ ﻳَﻐـ ِﻔ ُﺮ اﻟﺬﻧ ْـﻮب
ِ َ َ
َٕا ّﻻ ﻧﺖ ْ ٔ ٓ
ِ
अ&ा*V अv र3ी ला इलाह इ&ा अv,
ख़लक़तनी व अना अ़wक ु , व अना अ़ला अ़ह्िदक
व वअ़ि् दक मा इŽ}-तअ़त् ,ु अऊ़ज़;ु बक :मन् श<र
मा सनअ़त् ु, अबू उ लक ;ब-;नअ़म् ;तक अ़लैi व
अबू उ ;ब-ज़ ी फ़-ि¡फ़ल€ फ़-इc+ ला यि¡फ़1ज़्
ज़नु ूब इ&ा अv
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 20
"ऐ अ&ाह! तू ही मेरा रब है, और तेरे Cसवा कोई माबूद
नही,ं तूने मुझे पैदा फ़रमाया और मK तेरा ब_ा +ं और मK
अपनी ताक़त के मुता;बक़ तेरे अहेद और वादे पर क़ाइम
+ं, मK तुझ से उस चीज़ के शर से पनाह मांगता +ं Tजसका
मKने इ¢तकाब िकया, मK तेरे सामने तेरे इनाम का इक़रार
करता +ं जो मुझ पर *वा और मK अपने गुनाहो ं का इक़रार
करता +ं, %लहाज़ा तू मुझे माफ़ कर दे। वािक़या यह है िक
तेरे Cसवा कोई गुनाहो ं को माफ़ नही ं कर सकता।"
सहीह अल-बुख़ारी, हदीस:6306। यह दआ
ु सiदल
ु ् इŽ}¡फ़ार कहलाती है।
सु ह व शाम:
َْ ُ ّ َ َ َ ْ َ َ ْ َ ْ َ ُ َ ْ ٔ ْٓ ّ َ ّ ُ ٰ ّ َ
ﻠﻬـﻢ ِٕا ِﱏ ﺳـﺌﻠـﻚ اﻟﻌـﻔﻮ واﻟﻌـﺎ ِﻓـﻴﺔ ِﰲ اﻟﺪﻧـﻴﺎCا
َ َ َ ْ َ َ ْ َ ْ َ ُ َٔ ْ ٔ ٓ ْ ّ َ ّ ُ ٰ ّ َ َ ٓ ْ َ
ﻟـﻚ اﻟﻌـﻔﻮ واﻟﻌـﺎ ِﻓـﻴﺔ ِﰲ3ﻠﻬـﻢ ِٕا ِﱏ ﺳـC ا، وا¨ ِﺧـﺮ ِة
ُ َ ٰ ّ َ ٔ َ ْ
َ ْ َ ْ ْ
ْـﺮ ﻋـﻮر ِاﰏuﻠﻬـﻢ اﺳC ا، ـﲇ وﻣ ِﺎﱄ ّ ُ ْ َ َ ْ ِ ِد ْﻳ ِ ْﲎ َو ُدﻧـﻴﺎي و ﻫ
ْ َ َ َ
َ
ْ9ِ ـﲔ ﻳﺪ ّي َوَ َ ْ َ ﺑ9 ْ ْ َ ْ َ ّ ُ ٰ ّ َ ْ َ ْ َ ّ ْ ٰ َ
ِ ِ ْ
ۢ ﻠﻬـﻢ اﺣﻔﻈ ِـﲎC ا، وا ِﻣـﻦ روﻋ ِﺎﰏ
ُ ْ ُ َٔ َ ْ ْ َ ْ ِ َ ْ َ ْ َ َ ْ ْ َ ْ َ َ ْ ْ َ
و ﻋﻮذ، ﻓﻮ ِﰶ9 و، ـﺎﱄ ِ ِﴰ° ﳝِـﻴ ِﲎ و° و²ِ ﺧﻠ
َ َ َ ْ ٔ ُ ٔ َ َ َ
ْ ﲢ ِﱴ9ِ ِﺑ َﻌﻈﻤـ ِﺘﻚ ن ﻏـﺘﺎل
ْ ْ ْ َ
शाम के व!:
َ ّ َ ٰ ٓ َ
ٔ ْﻣ َﺴ َْ aـﻨﺎ َو ْﻣ َﴗ اﻟ ُﻤﻠﻚ ِ ِ َواﳊَ ْﻤﺪ ِ ِ ،ﻻ اﻟﻪ اﻻ ﷲُ ُ ْ ُ ْ ْ َ ٔ َ
ٕ ٕ
ٰ َ َ ُ َ ُ ْ َ ْ ُ َ َ ُ ْ ُ ْ ُ ٗ َ َ ْ َْ َٗ َ َ
ﴍﻳﻚ ﻟﻪ ،ﻟﻪ اﻟﻤـﻠﻚ وﻟﻪ اﳊﻤـﺪ ،وﻫﻮ ﻋºﺲ ِ وﺣﺪﻩ ﻻ
َّ ْ َ ٰ ْ َ َ ُ َ ٔ َ ُ ّ َ ْ َ ٌْ َ ّ ٔ
ْ
ﰻ ﳽ ٍء ﻗ ِﺪ ، ,ر ِب ﺳـ3ﻟـﻚ ﺧـﲑ ﻣﺎ ِﰲ ﻫـ ِﺬ ِﻩ اCﻠـﻴﻠ ِﺔ َ َ ْ ِ
َّ ْ َ َ َّ ٰ َ َ ْ َ َ َ ْ َ َ َ َٔ ُ ْ ُ َ ِ ْ َّ
ﴍ وﺧـﲑ ﻣﺎ ﺑﻌـﺪﻫـﺎ ،و ﻋـﻮذ ِﺑﻚ 9ﺷ ِـﺮ ﻫ ِﺬ ِﻩ اCﻠـﻴﻠ ِﺔ و ِ
َ ْ ْ ُ َ َ َ ْ َ َ ُ ْ ُ َ ٔ ّ َ َ َ ْ َ َ
ـﱪ ،ﻣﺎ ﺑﻌـﺪﻫـﺎ ،ر ِب ﻋﻮذ ِﺑﻚ 9اﻟﻜﺴ ِـﻞ وﺳﻮ ِء اﻟ ِﻜ ِ ِ
ْ َْ َّ َ َ َ َ ّ َٔ ُ ْ ُ َ ْ َ َ
ـﱪ
اب ِﰲ اﻟﻘ ِ اب ِﰲ اﻟﻨـﺎ ِر وﻋـﺬ ٍ ر ِب ﻋـﻮذ ِﺑﻚ ِ 9ﻋـﺬ ٍ
ु(अम्∙सैना व अम्∙सल् मु$ु %ल&ािह वल् ह
%ल&ािह, ला इला∙ह इ&&ा* वह्द+ ला
शरी∙क ल+, ल*ल् मु$ु व ल*ल् ह(ु व *व
अ़ला कु .& शै∙इन क़दी1, र23 अस्∙अलुक ख़ैर
मा फ़6 हाTज़िहल् लैल;त व ख़ैर मा बअ़द् हा, व
अऊ़ज़ु ;बक :मन् श<र मा हाTज़िहल् लैल;त व श<र
मा बअ़द् हा, र23 अऊ़ज़ु ;बक :मनल् कस∙%ल, व
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 26
सूइल् िकब∙=र, र23 अऊ़ज़ु ;बक :मन् अ़ज़ा;बन्
फ़6न् ना=र व अ़ज़ा;बन् िफ़ल् क़>
"हमने शाम क6 और अ&ाह के सारे मु$ ने शाम क6 और सब
तारीफ़ अ&ाह ही के %लए है। अ&ाह के Cसवा कोई माबूद नही,ं
वह अके ला है, उसका कोई शरीक नही,ं उसी क6 बादशाहत है
और उसी के %लए सब तारीफ़ है और वह हर चीज़ पर का:मल
क़ु दरत रखता है। ऐ मेरे रब! मK तुझ से इस रात क6 बहतरी का
सवाल करता +ं और उस रात क6 बहतरी का जो इसके बाद आने
वाली है और मK इस रात के शर से तेरी पनाह मN आता +ं और
इसके बाद आने वाली रात के शर से, ऐ मेरे रब! मK कािहली और
बुढ़ापे क6 ख़राबी से तेरी पनाह मN आता +ं। ऐ मेरे रब! मK आग के
अज़ाब से और क़> के अज़ाब से तेरी पनाह मN आता +ं।"
सहीह मुQRम, हदीस:2723
शाम के व!:
ْ َ ٔ َ ٔ َ
َ، َﺣـﺪ ِّﻣ ْـﻦ ﺧﻠـﻘﻚ3ﻠٰ ُﻬ َّـﻢ َﻣ ٓﺎ اَ ْﻣ ٰﴗ ْﰉ ِﻣ ْـﻦ ّﻧ ْﻌ َـﻤ ٍﺔ ْو ﺑCّ َا
ِ ٍ ِ ِ ِ
َـﻚ ْاﳊَ ْﻤ ُـﺪ َو َﻟـﻚ
َ َ َﻓﻠ، ـﻚ َ َﳁِ ْـﻨ َﻚ َو ْﺣ َـﺪ َك َﻻ َﴍ ْﻳ َﻚ َﻟ
ِ
ُْ ُ ّ
اﻟﺸﻜـﺮ
शाम के व!:
َ َ َ َ ٔ َ
َ، َو ِﺑﻚ ْﳓـﻴﺎ، َو ِﺑﻚ ْﺻ َـﺒ ْﺤ َﻨﺎ،ﻠ ُﻬ ّـﻢ ِﺑﻚ ْﻣ َﺴ ْـﻴ َﻨﺎCَا
ٔ َ َ ٰ ّ
ْ َ
ُ َو ِﺑ َﻚ َﳕُ ْﻮ ُت َو ٕاﻟ ْـﻴﻚ اﻟ َﻤ ِﺼ
ْﲑ َ
ِ
अ&ा*V ;बक अम्∙सैना व ;बक अस्∙बह्∙ना, व
;बक नह्∙या व ;बक नमूतु व इलैकल् मसीर
"ऐ अ&ाह! तेरी ही िहफ़ाज़त मN हमने शाम क6 और तेरी ही
िहफ़ाज़त मN सु ह क6 और तेरे ही नाम के साथ हम Tज़_ा होते
और तेरे ही नाम के साथ हम मरते हK और तेरी ही तरफ़ उठ कर
जाना है।"
CसलCसलातुल् अहादी¨ुस् सहीहा: 1/525, हदीस:262
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 28
शाम के व!:
َ ّ ُ ٰ ّ َ َ ْ َ َ ْ ّ َ ِ ُ ْ ُ ْ َ ْ َٔ َ َ ْ َ ْ َٔ
ﻠﻬﻢCﻨﺎ و ﻣﴗ اﻟﻤﻠﻚ ِ ر ِب اﻟﻌﺎﻟ ِﻤﲔ اaﻣﺴ
َﴫﻫﺎ َ َ ْ َ َ َ ّ ٰ ْ َ َ ُ َ ٔ َ ٓ ّ
َ ْ ﻠ ْﻴﻠ ِﺔ ﻓﺘ َﺤﻬﺎ َوﻧCﲑ ﻫ ِﺬ ِﻩ ا َ ٕا ِ ْﱏ ْﺳﺎﻟﻚ ﺧ
ِ
َﴍ ﻣﺎ ّ 9َ ْ َ ُ ْ ُ ٔ َ َ َ َ ُ َ َ َ َ َ َ َ َ َ ْ ُ َ
ِ ِ و}رﻫﺎ و”ﻛﳤﺎ وﻫﺪاﻫﺎ و ﻋﻮذ ِﺑﻚ
َوﴍ َﻣﺎ َﺑ ْﻌ َﺪﻫﺎ ّ َ ِﻓ ْﳱَﺎ
ِ
अम्∙सैना व अम्∙सल् मु$ु %ल&ािह र23ल्
आलमीन, अ&ा*V इcी अस्∙अलुक ख़ैर
हाTज़िहल् लैल;त, फ़त्∙हहा, व नस्∙रहा, व नू∙रहा
व बर∙कत∙हा, व *दाहा, व अऊ़ज़ु ;बक :मन् श<र
मा फ़6हा व श<र मा बअ़∙् दहा
"हमने शाम क6 और अ&ाह र3ुल आलमीन के सारे मु$ ने
शाम क6। ऐ अ&ाह! मK तुझ से इस रात क6 बहतरी मांगता +ं,
इसक6 फ़dह व नुसरत, इसका नूर, इसक6 बरकत और इसक6
िहदायत और मK तुझ से इस रात के शर और इसके बाद के शर से
पनाह चाहता +ं।"
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5084