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हज़रत अनस का बयान है िक रसूलु ाह

‫ ﷺ‬ने फ़रमाया िक मुझे ऐसे लोग के साथ


बैठना हज़रत इ माईल ؈ क औलाद म# से
चार ग़ुलाम को आज़ाद करने से 'यादा
पस)द है जो नमाज़े फ़+ से तुलए
ू आ-ताब
तक अ ाह का .ज़/ करते ह0 । और मुझे
ऐसे लोग के साथ बैठना चार (ग़ुलाम)
आज़ाद करने से 'यादा पस)द है जो नमाज़े
अ4 से ग़ु5बे आ-ताब तक अ ाह
तआला का .ज़/ कर#।
(सुनन अबी दाऊद, हदीस:3667)

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 2


‫‪सु6ह के अ'कार‬‬

‫‪सु ह के व!:‬‬
‫َ ٓ ٰ َ َّ‬ ‫ُ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫ُ‬ ‫ْ‬ ‫ُ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫ٔ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫ٔ‬ ‫َ‬
‫ﺻﺒﺤﻨﺎ و ﺻﺒﺢ اﻟﻤﻠﻚ ِ ِ واﳊﻤﺪ ِ ِ‪ ،‬ﻻ ِٕاﻟﻪ ِٕاﻻ‬
‫ﷲ َو َﺣ ْﺪ ٗﻩ َﻻ َﴍ ْﻳ َﻚ َﻟ ٗﻪ‪َ ،‬ﻟ ُﻪ ْاﻟ ُﻤ ْﻠ ُﻚ َو َﻟ ُﻪ ْاﳊَ ْﻤ ُﺪ َوﻫ َﻮُ‬ ‫ُ‬
‫َ‬ ‫ِ‬
‫ٰ َ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ُ‬ ‫ٔ‬ ‫ْ‬ ‫ٔ‬ ‫َ‬ ‫ّ‬ ‫َ‬ ‫ٌ‬ ‫َٰ ُ ّ َ ْ َ‬
‫ﰻ ﳽ ٍء ﻗ ِﺪ‪ ،,‬ر ِب ﺳ‪3‬ﻟﻚ ﺧﲑ ﻣﺎ ِﰲ ﻫﺬا‬ ‫' ِ‬
‫ْ َ َ َ ْ َ َ َ ْ َ ٗ َ َٔ ُ ْ ُ َ ْ َ ّ َ ْ َ َ‬
‫ﴍ ﻣﺎ ِﰲ ﻫﺬا‬ ‫ﻮم وﺧﲑ ﻣﺎ ﺑﻌﺪﻩ‪ ،‬و ﻋﻮذ ِﺑﻚ ِ‪ِ 9‬‬ ‫اﻟﻴ ِ‬
‫ْ َ ْ َ َ ّ َ َ ْ َ ٗ َ ّ َٔ ُ ُ َ َ ْ ََ‬
‫ﴍ ﻣﺎ ﺑﻌﺪﻩ‪ ،‬ر ِب ﻋﻮذ ِﺑﻚ ِ‪ 9‬اﻟﻜﺴ ِﻞ‪،‬‬ ‫اﻟﻴﻮ ِم و ِ‬
‫َّ‬ ‫َ ُ ْ ْ َ َ ّ َٔ ُ ْ ُ َ ْ َ َ‬
‫اب ِﰲ اﻟﻨﺎ ِر‬ ‫ٍ‬ ‫ﺬ‬ ‫ﻋ‬ ‫‪9‬‬ ‫ِ‬ ‫ﱪ‪ ،‬ر ِب ﻋﻮذ ِﺑﻚ‬ ‫وﺳﻮ ِء اﻟ ِﻜ ِ‬
‫ﱪْ‬ ‫َْ‬ ‫َ ََ‬
‫اب ِﰲ اﻟﻘ ِ‬ ‫وﻋﺬ ٍ‬
‫ु(‪अस्∙बह्∙ना व अस्∙बहल् मु$ु %ल&ािह वल् ह‬‬
‫‪%ल&ािह, ला इला∙ह इ&&ा* वह्द+ ला‬‬
‫‪शरी∙क ल+, ल*ल् मु$ु व ल*ल् ह(ु व *व‬‬
‫‪अ़ला कु .& शै∙इन क़दी1, र23 अस्∙अलुक ख़ैर‬‬
‫ु‪मा फ़6 हाज़ल् यौ:म व ख़ैर मा बअ़द् +, व अऊ़ज़‬‬
‫‪;बक :मन् श<र मा फ़6 हाज़ल् यौ:म व श<र मा‬‬
‫‪सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा‬‬ ‫‪पेज 3‬‬
बअ़द् +, र23 अऊ़ज़ु ;बक :मनल् कस∙%ल, व
सूइल् िकब∙=र, र23 अऊ़ज़ु ;बक :मन् अ़ज़ा;बन्
फ़6न् ना=र व अ़ज़ा;बन् िफ़ल् क़>
"हमने सु ह क6 और अ&ाह के सारे मु$ ने सु ह क6
और सब तारीफ़ अ&ाह ही के %लए है। अ&ाह के Cसवा
कोई माबूद नही,ं वह अके ला है, उसका कोई शरीक नही,ं
उसी क6 बादशाहत है और उसी के %लए सब तारीफ़ है और
वह हर चीज़ पर का:मल क़ु दरत रखता है। ऐ मेरे रब! मK
तुझ से इस िदन क6 बहतरी का सवाल करता +ं और उस
िदन क6 बहतरी का जो इसके बाद आने वाला है और मK
इस िदन के शर से तेरी पनाह मN आता +ं और इसके बाद
आने वाले िदन के शर से। ऐ मेरे रब! मK कािहली और
बुढ़ापे क6 ख़राबी से तेरी पनाह मN आता +ं। ऐ मेरे रब! मK
आग के अज़ाब से और क़> के अज़ाब से तेरी पनाह मN
आता +ं।"
(सहीह मुQRम, हदीस:2723)

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 4


Tजसने सु ह के व! यह दआ
ु पढ़ी तो उसने इस िदन का शुU
अदा कर िदया और Tजसने शाम के व! यह दआ ु पढ़ी तो
उसने इस रात का शुU अदा कर िदया।
َ ٔ َ ٔ َ ّ ٔ َ
َ،‫ َﺣـﺪ ِّﻣ ْـﻦ ﺧﻠـﻘﻚ‬3‫ﻠٰ ُﻬ َّـﻢ َﻣ ٓﺎ ْﺻ َﺒـ َﺢ ْﰉ ِﻣ ْـﻦ ﻧ ْﻌ َـﻤ ٍﺔ ْو ﺑ‬Cّ َ‫ا‬
ْ
ِ ٍ ِ ِ ِ
َ‫ـﻚ ْاﳊَ ْﻤ ُـﺪ َو َﻟـﻚ‬
َ َ‫ َﻓﻠ‬،‫ـﻚ‬ َ ‫َﳁِ ْـﻨ َﻚ َو ْﺣ َـﺪ َك َﻻ َﴍ ْﻳ َﻚ َﻟ‬
ِ
ُْ ُ ّ
‫اﻟﺸﻜـﺮ‬
अ&ा*V मा अस्∙बह बी :मन् ;नअ़∙् म;तन औ
;ब∙अहिदम् :मन् ख़िWक़∙क, फ़∙:मX वह्∙दक ला
शरीक लक, फ़∙लकल् ह(ु व लकश् शुU
"ऐ अ&ाह! सु ह के व! मुझ पर या तेरी मYलूक़ मN से
िकसी पर जो भी इनाम *वा है, वह तेरी ही तरफ़ से है। तू
अके ला है, तेरा कोई शरीक नही,ं पस तेरे ही %लए सब
तारीफ़ है और तेरे ही %लए शुU है।"
अस-सुननुल् कु बरा %लन् नसाई, हदीस:9835

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 5


सु ह एक बार:
َ‫ َوﺑ َﻚ َ ْﳓ َـﻴﺎ َوﺑﻚ‬، ‫ﻠٰ ُﻬ َّـﻢ ﺑ َﻚ َٔ ْﺻ َـﺒ ْﺤ َﻨﺎ َوﺑ َﻚ َٔ ْﻣ َﺴ ْـﻴ َﻨﺎ‬Cّ َ‫ا‬
ِ ِ ِ ِ
ُّ َ ْ َ َ ُ ْ ُ َ
ُ‫اﻟﻨ ُـﺸ ْﻮر‬ ‫ﳕـﻮت و ِٕاﻟـﻴﻚ‬
अ&ा*V ;बक अस्∙बह्∙ना व ;बक अम्∙सैना, व
;बक नह्∙या व ;बक नमूतु व इलैकन् नुशूर
"ऐ अ&ाह! तेरी ही िहफ़ाज़त मN हमने सु ह क6 और तेरी
ही िहफ़ाज़त मN शाम क6 और तेरे ही नाम पर हम Tज़_ा
होते और तेरे ही नाम पर हम मरते हK और तेरी ही तरफ़
लौटना है।"
CसलCसला अल-अहादीस अस-सहीहा: 1/525, हदीस:262

सु ह एक बार:
َ ْ ُ ْ ْ
َ،‫ْﺻ َﺒ ْـﺤ َـﻨﺎ َو ْﺻ َﺒ َـﺢ اﻟ ُﻤـﻠﻚ ِ ِ َر ِّب اﻟ َﻌـﺎﻟﻤـ ِ ْﲔ‬ ٔ َ ٔ َ
َ ْ َ
ٗ‫ َوﻧَ ْﺼ َـﺮﻩ‬،‫ ﻓ ْـﺘ َﺤ ٗﻪ‬،‫ـﲑ ٰﻫـﺬا اﻟ َـﻴ ْﻮم‬ ْ َ َ ُ ٔ َ ٔ ٓ ّ َ ٰ ّ َ
ِ َ ْ
‫ﻟـﻚ ﺧ‬3‫ﻠﻬـﻢ ِٕا ِﱏ ﺳـ‬C‫ا‬ ْ ّ ُ
َ
َ‫ـﻚ ِﻣ ْـﻦ ﺷ ّـﺮ ﻣﺎ‬ ُ ٔ َ
َ ‫ َو ُﻋ ْـﻮذ ﺑ‬، ‫ـﺪاﻩ‬ُ ‫ َو ُﻫ‬، ‫ َوﻧ ْـﻮ َر ٗﻩ َو َﺑ َـﺮ َﻛ َﺘ ٗـﻪ‬،
ِ ِ
ٗ‫ﻓ ْـﻴ ِﻪ َو َﺷ ّـﺮ َﻣﺎ َﺑ ْﻌ َـﺪﻩ‬
ِ ِ
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 6
अस्∙बह्∙ना व अस्∙बहल् मु$ु %ल&ािह र23ल्
आलमीन, अ&ा*V इcी अस्∙अलुक ख़ैर हाज़ल्
यौ:म, फ़त्∙ह+, व नस्∙र+, व नू∙र+ व बर∙कत∙+,
व *दा*, व अऊ़ज़ु ;बक :मन् श<र मा फ़6िह व श<र
मा बअ़∙् द*
"हमने सु ह क6 और अ&ाह र3ुल आलमीन के सारे
मु$ ने सु ह क6। ऐ अ&ाह! मK तुझ से इस िदन क6
बहतरी मांगता +ं, इसक6 फ़dह व नुसरत, इसका नूर,
इसक6 बरकत और इसक6 िहदायत और मK इस िदन के शर
और इसके बाद के शर से तेरी पनाह चाहता +ं।"
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5084

सु ह के व!:
َ
َ‫' ﳇِـﻤ ِﺔ‬ َ ْ
ٰ َ ‫ َو‬،‫' ِﻓ ْﻄ َـﺮ ِة اﻻ ْﺳﻼ ِم‬ ٰ َ ‫ْﺻ َـﺒ ْﺤ َﻨﺎ‬ ٔ َ
َّ ٰ َ َ َ ُ َ َ ْ ٰ َ ِ
ّ ّ َ ّ َ َ ْ ْ
‫_ ﻧ ِﺒ ِـﻴﻨﺎ ﳏـﻤ ٍﺪ و' ِﻣﻠـ ِﺔ‬ ِ ‫ و' ِد‬،‫اﻻﺧـﻼ ِص‬ ِ
َ َ ُ ً
َ9ِ ‫ َﻨـﺎ ٕا ْﺑ َـﺮا ِﻫ ْﻴ َـﻢ َﺣ ِﻨ ْﻴـﻔﺎ ّﻣ ْﺴ ِﻠ ًـﻤﺎ ّو َﻣـﺎ ﰷ َن‬aْ ‫ِﺑ‬ ٔ َ
ِ
ْ
َ‫اﻟ ُﻤﺸـﺮﻛِﲔ‬ ْ ْ
ِ
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 7
अस्∙बह्∙ना अ़ला िफ़g∙र;तल् इRा:म, व अ़ला
क%ल∙म;तल् इYलाCस, व अ़ला दी;न न;बhiना
मुहVिदंव् व अ़ला :मल्∙ल;त अबीना इ>ाहीम
हनीफ़म् मुQRमं व् व मा कान :मनल् मुश∙् =रक6न
"हमने िफतरते इRाम, क%लमए इYलास, अपने नबी
हज़रत मुहVद ‫ ﷺ‬के दीन और अपने बाप हज़रत
इ>ाहीम ؈ जो एक 1ख़ (और) फ़रमांबरदार थे, क6
:म&त पर सु ह क6 और वह मुlmको ं मN नही ं थे।"
मुसनद अहमद: 3/406, व अमलुल यौम वल् लैलतु %ल-इnoस् सुcा, हदीस:34

सु ह के व! 3 मतpबा:
ََ َ َْ َ َ ْ َ َ َ َ َْ َ َ َُْ
‫ و ِزﻧﺔ‬،‫ﺎن ﷲِ و ِﲝﻤ ِﺪ ٖە ﻋﺪد ﺧﻠ ِﻘ ٖﻪ و ِرﺿﺎ ﻧﻔ ِﺴ ٖﻪ‬i
َ َ َ َ َ َْ
‫ﻋﺮ ِﺷ ٖﻪ و ِﻣﺪاد ﳇِﻤﺎ ِﺗ ٖﻪ‬
सु हानल् लािह व ;ब∙हq(ही अ़दद ख़िWक़ही व
=रज़ा नrsही, व Tज़न∙त अ़tशही व :मदाद
क%लमा∙;तही
"मK अ&ाह क6 पाक6ज़गी बयान करता +ं उसक6 तारीफ़ो ं
के साथ, उसक6 मYलूक़ क6 तादाद के बराबर, उसक6 ज़ात
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 8
के रज़ा के बराबर, उसके अशp के वज़न और उसके
क%लमात क6 रोशनाई के बराबर।"
सहीह मुQRम, हदीस: 2726

सु ह चार बार, जो शu यह दआ
ु पढ़ेगा अ&ाह तआला इसे
आग से आज़ाद कर देगा।
َ َ َ َ ُ ْ ُٔ َ َ ُ ْ ُٔ ُ ْ َ ْ َٔ ٓ ْ ّ َ ّ ُ ٰ ّ َ
‫ و ﺷ ِـﻬﺪ ﲪﻠـﺔ‬،‫ﻠﻬـﻢ ِٕا ِﱏ ﺻﺒـﺤﺖ ﺷ ِـﻬﺪك‬C‫ا‬
ْ ٔ َ َ َ ّ ٔ َ
َ‫ ﻧـﻚ ﻧـﺖ‬،‫ﲨ ْـﻴﻊ ﺧﻠـ ِﻘﻚ‬َ ْ َ َ َ َ َ َ َ ۗ َ َ َ َ ْ َ
ِ ‫ و‬،‫ و ﻣﻼ ِﺋﻜﺘﻚ‬،‫ﻋـﺮ ِﺷـﻚ‬
َ ّ َٔ َ َ َ َ ْ َ َ َ َ ْ َ َ ْ َٔ ٓ َ ّ َ ٰ ٓ َ ُ
‫ و ن‬،‫ﴍﻳﻚ ﻟـﻚ‬ ِ ‫ﷲ ﻻ ِٕاﻟﻪ ٕاﻻ ﻧـﺖ وﺣـﺪك ﻻ‬
َ‫ُﳏ َ َّﻤ ًـﺪا َﻋ ْﺒ ُـﺪ َك َو َر ُﺳ ْﻮ ُﻟـﻚ‬
अ&ा*V इcी अस्∙बह्तु उश्∙िहदक
ु , व उश्∙िहदु
हमल∙त अ़tशक, व मलाइक;त∙क, व जमी∙अ़
ख़िWक़∙क, अc∙क अvल् ला* ला इला∙ह इ&ा
अv वह्दक ला शरीक लक, व अc मुहVदन
अ़wक
ु व रसूलुक
"ऐ अ&ाह! यक़6नन मKने ऐसी हालत मN सु ह क6 िक तुझे,
तेरा अशp उठाने वाले फ़=रyो,ं तेरे (दीगर) फ़=रyो ं और

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 9


तेरी तमाम मYलूक़ को इस बात पर गवाह बनाता +ं िक तू
ही अ&ाह है, तेरे Cसवा कोई माबूद नही,ं तू अके ला है,
तेरा कोई शरीक नही ं और ;बलाशुबा मुहVद (‫ )ﷺ‬तेरे
ब_े और तेरे रसूल हK।"
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5068 व 5079

िदन भर मN िकसी भी व! सौ मरतबा। जो शu सौ मरतबा


सु ह के व! यह दआ ु पढ़ेगा, उसे दस ग़ुलाम आज़ाद करने के
बराबर सवाब :मलेगा, एक सौ नेिकयां उसके नाम %लखी जाएं गी
और उसके एक सौ गुनाह :मटा िदए जाएं गे और इन अWफ़ाज़ क6
बरकत से इस िदन शाम तक वह शैतान से महफू ज़ रहेगा और
कोई शu उससे अ{ल अमल लेकर नही ं आएगा। ताहम अगर
कोई शu |ादा दफ़ा कहे (तो वह इससे बेहतर हो सकता है।)
ُ‫ َﻟ ُﻪ ْاﻟ ُﻤ ْـﻠ ُﻚ َو َﻟﻪ‬،‫ﷲ َو ْﺣ َـﺪ ٗﻩ َﻻ َﺷـﺮ ْﻳ َﻚ َﻟ ٗﻪ‬ َ
ُ ‫ﻻ ا ٰﻟ َﻪ ا ّﻻ‬ َٓ
ِ ِٕ ِٕ
َ
ٌ,ْ ‫ﳽ ٍء ﻗ ِﺪ‬ َ
ْ ‫ﰻ‬ ّ ُ ٰ َ َ ُ َ ُ ْ َ ْ
ِ ' ‫ وﻫﻮ‬،‫اﳊﻤـﺪ‬
ला इला∙ह इ&&ा* वह्द+ ला शरीक ल+,
ल*ल् मु$ु व ल*ल् ह(,ु व *व अ़ला कु .&
शैइन क़दी1

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 10


"अ&ाह के Cसवा कोई माबूद नही,ं वह अके ला है, उसका
कोई शरीक नही,ं उसी क6 बादशाहत और उसी क6 तारीफ़
है और वह हर चीज़ पर का:मल क़ु दरत रखता है।"
सहीह अल-बुख़ारी, हदीस:3293

िदन भर मN सौ मरतबा पढ़े:


َْ ُ ْ ُ َ َ َ ُ ْ َ ْ َ
‫ب ِاﻟﻴ ِﻪ‬s‫ﻐ ِﻔﺮ ﷲ و ا‬u‫اﺳ‬
अ}ग़्∙िफ़1ल्∙लािह व अतूबु इलैह
"मK अ&ाह से ब~•श मांगता +ं और उसके *ज़ूर तौबा
करता +ं।"
सहीह अल-बुख़ारी, हदीस:6307

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 11


सु6ह व शाम के अ'कार

जो शu सु ह के व! आयतल् कु स€ पढ़े वह शाम तक


Tजcो ं से महफू ज़ हो जाता है और जो इसे शाम के व! पढ़े
वह सु ह तक इन से महफू ज़ हो जाता है।
َ َّ ٌ َ ٗ ُ ُ ْ َ َ ُ ْ ُ ّ َ ْ ُ ّ َ ْ َ َ ُ َّ َ ٰ ٓ َ ُ ّ ٰ َ
‫ﺧﺬﻩ ِﺳ{ﺔ و ﻻ‬z ‫ﷲ ﻻ ِاﻟﻪ ِاﻻ ﮬﻮ ۚ اﳊﻲ اﻟﻘﻴﻮم ڬ ﻻ‬
َ ْ َ ْ َ ْ َ َ ٰ ٰ َ ّ َ ٗ َ ٌ ْ َ
‫ ذا‬9 ◌ۭ ‫}م ۭ ﻟﻪ ﻣﺎ ِﰲ اﻟﺴﻤﻮ ِت و ﻣﺎ ِﰲ اﻻر ِض‬
ْ َ َ َ ْ َ ْ َ ّ ٓ ٗ َ ْ ُ َ ْ َ ْ َ ّ
َ‫ۭ ﻳﻌﻠ ُﻢ ﻣﺎ ﺑﲔ‬. ‫ِذ ِﻧ ٖﻪ‬€ِ ‫اﻟ ِﺬي •ﺸﻔﻊ ِﻋﻨﺪﻩ ِاﻻ‬
ْ9ِ ‫ﴙ ٍء‬ ّ َ َ ْ ُ
ْ †ِ ‫ۚ و ﻻ ﳛ ِْﻴﻄﻮن‬. ‫اﻳ ِﺪ ِﳞﻢ و ﻣﺎ ﺧﻠﻔﻬﻢ‬ ُ َ َ ْ ُ َ ْ َ َ َ ْ ْ ْ َ
َ‫اﻟﺴ ٰﻤ ٰﻮ ِت و‬ َ ُ ُ ّ ُ
ّ ‫ﻪ‬a‫ۚ َو ِﺳﻊ ﻛ ْﺮ ِﺳ‬. ‫ِﻋﻠ ِﻤ ٖﻪ ِاﻻ ِﲟَﺎ ﺷﺎ َء‬َ ۗ َ َ ّ ٓ ْ
ُ‫ﲇ‬ َ ْ َ ُ َ
ّ ِ ‫ۚو ﮬﻮ اﻟﻌ‬. ‫اﻻرض ۚ و ﻻ ﻳﺌﻮدﻩ ِﺣﻔﻈﻬﻤﺎ‬ َ ُ ُ ْ ٗ ُ ْ ُ َ َ َ َ ْ َ ْ
ُ ْ َ ْ
‫اﻟﻌ ِﻈﻴﻢ؁‬
अ&ा* ला इलाह इ&ा *-वल् हiुल् क़iूम, ला
तअ्ख़ुज़+ु Cसन∙तुव्ं वला नौमु, ल+ मा िफ़स्
समावा;त व मा िफ़ल् अज़p, मन् ज़&ज़ी य•फ़उ़
इ़_+ इ&ा ;ब∙इि‚नह. यअ़ल् मु मा बै∙न ऐदीिहम
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 12
व मा ख़Wफ़*म् . व ला युहीतू∙न ;ब∙शैइम् :मन्
इ़„…िह इ&ा ;बमा शा∙अ. वCस∙अ़ कु †सiु*स्
समावा;त वल् अज़p, व ला यऊद+ु िह{*ु मा, व
*वल् अ़%लiुल् अ़ज़ीम।
अ&ाह ही माबूदे बरहक़ है Tजसके Cसवा कोई माबूद नही,ं
जो Tज़दं ा और सबका थामने वाला है, Tजसे ना ऊँ घ आती
है ना नीदं , उसक6 :म‰$यत मN ज़मीन और आसमानो ं क6
तमाम चीज़N हK। कौन है जो उसक6 इजाज़त के बगै़र उसके
सामने शफ़ाअत कर सके , वह जानता है जो उनके सामने है
जो उनके पीछे है और वह के इ… मN से िकसी चीज़ का
इहाता नही ं कर सकते मगर Tजतना वह चाहे, उसक6 कु स€
क6 वुसअत ने ज़मीन और आसमान को घेर रखा है, वह
अ&ाह उनक6 िहफ़ाज़त से ना थकता है और ना उकताता
है, वह तो ब*त बुलंद और ब*त बड़ा है।
सहीह अत-तरग़ीब वत् तरहीब, हदीस:662

जो शu आŒख़री तीनो ं क़ु ल तीन (यानी सूरह इYलास, सूरह


फ़लक, सूरह नास) दफ़ा सु ह और तीन दफ़ा शाम के व!
पढ़े, यह अमल इसके %लए द• ु ा क6 हर चीज़ क6 िकफ़ालत
के वा}े काफ़6 हो जाता है।

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 13


सुनन अबी दाऊद, हदीस:5082

ْ َ ّ ٰ ْ َ ّ
﴾‫﴿ ِ†ﺴ ِﻢ ﷲِ اﻟﺮﲪ ِﻦ اﻟﺮ ِﺣﻴ ِﻢ‬ ْ
َْ َ ْ َ ْ َ ُ َ َّ ُ َ ٌ َ َ ُ َ ُ ْ ُ
‫﴿ﻗﻞ ﻫﻮ ﷲ اﺣﺪ ۝ ﷲ اﻟﺼﻤﺪ ۝ ﱂ ﻳ ِﻠﺪ ڏ و ﱂ‬
ٌ َ َ ُ ُ ٗ َ ّ ُ َ َ َ ْ َ ُ
ً
﴾‫’ﻟﺪ ۝ وﱂ ﻳﻜﻦ ﻟﻪ ﻛﻔﻮا اﺣﺪ ۝‬ ْ ْ ْ
﴾;बŽ•&ािहर् र•ा;नर् रहीम﴿ ﴾क़ु ल्∙* व&ा*
अहद o अ&ा*स् समद o लम् य%लद व लम्
यूलद o व लम् यकु ल् ल+ कु फ़ू वन अहद o﴿
ْ َ ّ
﴾‫﴿ ِ†ﺴ ِﻢ ﷲِ اﻟﺮﲪ ِﻦ اﻟﺮ ِﺣﻴ ِﻢ‬ ٰ ْ َ ّ ْ
َ َ َ َ
ْ9ِ ‫ﴍ ﻣﺎ ﺧﻠﻖ ۝ و‬ َ ّ َ ْ َ َ ْ ّ َ ُ ْ ُ َ ْ ُ
ِ 9 ِ ‫۝‬ ‫ﻖ‬
ِ ‫ﻠ‬‫ﻔ‬ ‫اﻟ‬ ‫ب‬ ِ ” ِ ‫﴿ﻗﻞ اﻋﻮذ‬
َُْ ٰ ّ ٰ َّ ّ َ ْ ِ َ َ َ َ َ َ َّ
‫ﴍ اﻟﻨﻔﺜ ِﺖ ِﰲ اﻟﻌﻘ ِﺪ‬ ِ 9‫ﺎﺳ ٍﻖ ِاذا وﻗﺐ ۝ و‬ ِ ‫ﴍﻏ‬ ِ
َ َ َ َ َ ّ َ ْ َِ
﴾‫ﺎﺳ ٍﺪ ِاذا ﺣﺴﺪ ۝‬ ِ ‫ﴍﺣ‬ ِ 9‫۝ و‬
﴾;बŽ•&ािहर् र•ा;नर् रहीम﴿ ﴾क़ु ल् अऊ़ज़ु
;ब∙र23ल् फ़लक़ o :मन् श<र मा ख़लक़ o व
:मन् श<र ग़ाCसिक़न इज़ा वक़ब o व :मन् श<रन्

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 14


न‘ासा;त िफ़ल् उ़ क़द o व :मन् श<र हाCसिदन
इज़ा हसद o﴿
ْ َ ّ ٰ ْ َ ّ ِ ْ
﴾‫﴿ ِ†ﺴ ِﻢ ﷲ اﻟﺮﲪ ِﻦ اﻟﺮ ِﺣﻴ ِﻢ‬
ٰ‫ﺎس ۝ اﻟ ِﻪ‬ َ ّ َ َ ّ ّ ُ ْ ُ َ ْ ُ
ِ ِ ‫ﺎس ۝ ﻣ ِﻠ ِﻚ اﻟﻨ‬ ِ ‫﴿ﻗﻞ اﻋﻮذ ِ َ” ِب اﻟﻨ‬
َ ّ َ
ْ‫ﺎس ۝ اﻟ ِﺬي‬ َ ّ َ ْ ْ ْ َّ ْ َ ّ
ِ ‫ﴍ اﻟﻮﺳﻮ ِاس اﳋﻨ‬ َ َ ِ 9ِ ‫اﻟﻨﺎس ۝‬ ِ
َ ّ َ َ ّ ْ َ َ ّ ْ ُ ُ ْ ُ ْ َ ُ
ِ
﴾‫اﳉﻨ ِﺔ و اﻟﻨﺎس ۝‬ ِ ِ
ِ 9 ‫’ﺳ ِﻮس ِﰲ ﺻﺪو ِر اﻟﻨﺎس ۝‬
﴾;बŽ•&ािहर् र•ा;नर् रहीम﴿ ﴾क़ु ल् अऊ़ज़ु
;ब∙र23न् नास o म%लिकन् नास o इलािहन् नास o
:मन् श<रल् व’ाCसल् ख़cास o अ&ज़ी यु∙वŽ’सु
फ़6 सुदू=रन् नास o :मनल् Tजc;त वन् नास﴿
आप कह दीTजए िक वह अ&ाह एक (ही) है। अ&ाह
बे;नयाज़ है। ना उससे कोई पैदा *आ, ना वह िकसी से पैदा
*आ। और ना कोई उसका हमसर है।
112. सूरतुल इYलास

आप कह दीTजए िक मK सु ह के रब क6 पनाह मN आता +ँ ।


हर उस चीज़ के शर से जो उसने पैदा क6 है। और अंधरे ी
रात क6 तारीक6 के शर से जब उसका अंधरे ा फै ल
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 15
जाए।और :गरह (लगा कर उन) मN फूं कने वा%लयो ं के शर
से भी। और हसद करने वाले क6 बुराई से भी जब वह
हसद करे।
सूरतुल फ़लक़

आप कह दीTजए! िक मK लोगो ं के परवरिदगार क6 पनाह मN


आता +ँ । लोगो ं के मा%लक क6। और लोगो ं के माबूद क6
(पनाह मN)। वसवसा डालने वाले, पीछे हट जाने वाले के
शर से। जो लोगो ं के सीनो ं मN वसवसे डालता है। (•ाह)
वह Tजनो ं मN से हो या इ–ानो ं मN से।
सूरतुल नास

सु ह व शाम सात मरतबा:


ْ َ َ َ
ُ ‫ﳇ‬sَ ‫ﻻ ِا ٰﻟ َﻪ ِا ّﻻ ُﮬ َﻮ َﻋﻠ ْﻴ ِﻪ‬
ُ‫ﺖ َو ُﮬ َﻮ َر ّب‬ ّ َ َُٓ َ ْ َ
‫ﺣﺴ ِﱮ ﷲ‬
َ ْ َ ْ
‫اﻟﻌ ْﺮ ِش اﻟﻌ ِﻈ ْﻴ ِﻢ‬
हŽ—य&ा* ला इलाह इ&ा *व अ़लैिह तव˜™ु
व *व र3ुल् अ़tशल् अ़ज़ीम
मुझे अ&ाह ही काफ़6 है,उसके Cसवा कोई माबूद नही,ं उसी
पर मKने भरोसा िकया और वह अशš अज़ीम का रब है।
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5081
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 16
सु ह व शाम एक मरतबा:
ْ َ ْ ْ ْ َ ُ َ ْ َ َ
ْ‫ ِﻐ ْﻴﺚ اﺻ ِﻠﺢ ِﱄ ﺷﺎ ِﱏ‬u‫¡ َ ﻗ ّﻴ ْﻮم ِ َ”ﲪ ِﺘﮏ اﺳ‬َ ْ ُ ُ َ ُّ َ َ
ْ َ َ َ َ ْ َ ٓ ْ َ َ َ ٗ َ ّ ُ
‫ﲔ‬ ٍ ‫ﻋ‬ ‫ﺔ‬ ‫ﻓ‬ ْ
‫ﺮ‬ ‫ﻃ‬ ْ
‫ﴗ‬ ِ ‫ﻔ‬ ‫ﻧ‬ ‫ﱄ‬ ٰ ‫ا‬
ِ ‫ﲎ‬ ْ ِ ‫ وﻻ ﺗ ِﳫ‬،‫ﳇﻪ‬
या हiू या क़iूमु ;ब-र•;तक अ}ग़ीसु अQRह्
ली शअ्नी कु &+, व ला तिकWनी इला नsी
तफ़p -त ऐयन
"ऐ Tज़_ए जावेद! ऐ क़ाइम व दाइम! मK तेरी ही रहमत के
ज़=रए से मदद तलब करता +ं, तू मेरा हर काम सं वार दे
और आँख झपकने के बराबर भी मुझे मेरे नs के सुपदु p
ना करना।"
अल-मु}दरक %लल-हािकम, हदीस:2000

सु ह व शाम तीन बार


ْ َ ْ َ َ ّ ُ ٰ ّ َ َ َ ْ َ َ ّ ُ ٰ ّ َ
،¦‫ـ‬ْ ِ ‫ـﲎ ِﰲ ﲰ‬ ْ ِ ‫ﻠﻬـﻢ ﻋﺎ ِﻓ‬C‫ ا‬،‫ـﲎ ِﰲ ﺑﺪ ِ ْﱏ‬ ْ ِ ‫ﻠﻬـﻢ ﻋﺎ ِﻓ‬C‫ا‬
ّْٓ َّ ُ ّٰ َ َ ْ َٔ ٓ َّ َ ٰ ٓ َ ْ َ َ ْ ْ َ َّ ُ ّٰ َ
‫ﻠﻬـﻢ ِٕاﱏ‬C‫ ا‬، ‫ ﻻ ِٕاﻟﻪ ٕاﻻ ﻧـﺖ‬، ‫ﻠﻬـﻢ ﻋﺎ ِﻓ ِـﲎ ِﰲ ﺑﺼ ِـﺮي‬C‫ا‬
َ ُ ُ ٔ َ ْ َ
ْ9ِ ‫ َو ﻋ ْـﻮذ ِﺑﻚ‬، ‫ َواﻟﻔـﻘﺮ‬، ‫ اﻟﻜـﻔﺮ‬9 ْ ْ ُ ْ َ
َ ِ ‫ﻋ ْـﻮذ ِﺑﻚ‬ ُ ُ ٔ َ
ِ ِ
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 17
َ َ َٓ َْْ ََ
َ‫ﻻ ٕا ٰﻟ َﻪ ٕا ّﻻ ﻧـﺖ‬
ْ ٔ ٓ
ِ ، ‫ـﱪ‬
ِ ‫اب اﻟﻘ‬
ِ ‫ﻋﺬ‬
अ&ा*V आ़िफ़नी फ़6 बदनी, अ&ा*V
आ़िफ़नी फ़6 सम्ई, अ&ा*V आ़िफ़नी फ़6 बसरी,
ला इलाह इ&ा अv, अ&ा*V इcी अऊ़ज़;ु बक
:मनल् कु ि›, वल् फ़क़=र, व अऊ़ज़;ु बक :मन्
अ़ज़ा;बल् क़n>, ला इलाह इ&ा अv
"ऐ अ&ाह! मुझे मेरे बदन मN आिफ़यत दे। ऐ अ&ाह!
मुझे मेरे कानो ं मN आिफ़यत दे। ऐ अ&ाह! मुझे मेरी
आँखो ं मN आिफ़यत दे, तेरे Cसवा कोई माबूद नही।ं ऐ
अ&ाह! यक़6नन मK कु › और ग़ुरबत से तेरी पनाह मN
आता +ं और ऐ अ&ाह! यक़6नन मK अज़ाबे क़> से तेरी
पनाह मN आता +ं, तेरे Cसवा कोई माबूद नही।ं "
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5090

सु ह शाम 3 मतpबा, जो शu यह दआ ु सु ह और शाम


पढ़ेगा, उसे कोई चीज़ तकलीफ़ नही ं देगी।
َْ ْ
ٔ َ ْ َ َ ُ ُ َ َ ْ َ ّ
ْ ‫اﲰ ٖﻪ‬
‫ﳽ ٌء ِﰲ ا¨ر ِض‬ ِ ‫ﻊ‬ ‫ﻣ‬ ‫ﴬ‬ ّ ‫ﻳ‬ ‫ﻻ‬ ‫ي‬ ‫ﺬ‬
ِ ‫اﻟ‬ ِ ‫ﷲ‬ ‫ﻢ‬ ْ
ِ †ِ
‫ﺴ‬
َ ْ
ُ‫اﻟﺴ ِﻤ ْﻴ ِﻊ اﻟﻌ ِﻠ ْﻴﻢ‬ َ ُ َ ۗ
ّ ‫اﻟﺴ َﻤﺎ ِء وﻫ َﻮ‬ َّ ََ
‫وﻻ ِﰲ‬
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 18
;बŽ•&ािहल् लज़ी ला यज़1ु p मअ़् अŽ•ही शैउन
िफ़ल् अœज़ व ला फ़6स् समाइ व *वस् समीइ़ल्
अ़लीम
"उस अ&ाह के नाम के साथ Tजसके नाम क6 बरकत से
कोई चीज़ नु•सान नही ं प*ंचा सžी, ज़मीन क6 हो या
आ•ानो ं क6 और वह ख़ूब सुनने वाला, ख़ूब जानने वाला
है।"
जामेअ् अत-तरमज़ी, हदीस:3388

सु ह शाम 3 मतpबा, जो शu यह दआ
ु तीन दफ़ा सु ह और
तीन दफ़ा शाम के व! पढ़ेगा, अ&ाह तआला उसे िक़यामत के
िदन ज़Ÿर ख़ुश करेगा।
ً‫ ّﻴﺎ‬ªَ‫ ْﻻ ْﺳ َﻼم د ْﻳ ًﻨﺎ َّو ِﲟُ َﺤ َّﻤﺪ ّﻧ‬€ ‫ َّو‬€ً ‫ ِ َر‬€ ‫ﺖ‬
ُ ْ َ
ِ ٍ ِ ِ ِ ِ ِ ‫ر ِﺿﻴ‬
रज़ीतु ;ब&िह रबव् व ;बल् इRा:म दीनवं व ;ब-
मुहVिदन् न;बiा
"मK अ&ाह के साथ (उसके ) रब होने पर राज़ी हो गया
और इRाम के साथ (उसके ) दीन होने पर और मुहVद
(‫ )ﷺ‬के साथ (उनके ) नबी होने पर।"
जामेअ् अत-तरमज़ी, हदीस:3389
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 19
रसूलु&ाह ‫ ﷺ‬ने फ़रमाया:" जो शu यक़6न क6 हालत मN
शाम के व! यह दआ ु पढ़े और उसी रात फ़ौत हो जाए तो वह
शu जcत मN जाएगा और इसी तरह (हालते यक़6न मN) जो
शu सु ह के व! यह दआ ु पढ़ ले और शाम तक फ़ौत हो जाए
तो वह भी जcत मN जाएगा।"
َٔ َ َ ْ َ ْ َ َ َ ْ َٔ ٓ َّ َ ٰ ٓ َ ْ ّ َ َ ْ َٔ َّ ُ ّٰ َ
« ‫ ﺧﻠﻘﺘ ِﲎ و‬،‫ﻠﻬـﻢ ﻧﺖ ر ِﰉ ﻻ ِٕاﻟﻪ ٕاﻻ ﻧـﺖ‬C‫ا‬
َ
ُ،‫ َـﻄ ْﻌـﺖ‬u‫' َﻋ ْﻬـ ِﺪ َك َو َو ْﻋـ ِﺪ َك َﻣﺎ ْاﺳ‬ ٔ َ
ٰ َ «َ ‫ َو‬، ‫َﻋ ْﺒ ُـﺪ َك‬
َ‫ـﻚ ﺑﻨ ْﻌ َـﻤﺘـﻚ‬َ ‫ َٔ ُﺑ ْـﻮ ُء َﻟ‬،‫ﺖ‬ ُ ْ
‫ـﻌ‬‫ﻨ‬َ َ
‫ﺻ‬ ‫ﺎ‬ َ
‫ﻣ‬ ّ
‫ـﺮ‬ ‫ﺷ‬
َ
9 ْ ِ َ
‫ﻚ‬ ‫ﺑ‬
ُ
‫ذ‬ ْ
‫ـﻮ‬ ُ
‫ﻋ‬
ٔ َ
ِ ِِ ِ ِ
ُ ُّ ْ َ ٗ َ ّ َ ْ َ ْ َ ٔ َ َّ َ َ
َ‫' َو ﺑـ ُ ْﻮ ُء ِﺑﺬﻧ ِۢ ْـﱮ ﻓﺎﻏ ِﻔ ْـﺮ ِ ْﱄ ﻓ ٕﺎﻧـﻪ ﻻ ﻳَﻐـ ِﻔ ُﺮ اﻟﺬﻧ ْـﻮب‬
ِ َ َ
َ‫ٕا ّﻻ ﻧﺖ‬ ْ ٔ ٓ
ِ
अ&ा*V अv र3ी ला इलाह इ&ा अv,
ख़लक़तनी व अना अ़wक ु , व अना अ़ला अ़ह्िदक
व वअ़ि् दक मा इŽ}-तअ़त् ,ु अऊ़ज़;ु बक :मन् श<र
मा सनअ़त् ु, अबू उ लक ;ब-;नअ़म् ;तक अ़लैi व
अबू उ ;ब-ज़ ी फ़-ि¡फ़ल€ फ़-इc+ ला यि¡फ़1ज़्
ज़नु ूब इ&ा अv
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 20
"ऐ अ&ाह! तू ही मेरा रब है, और तेरे Cसवा कोई माबूद
नही,ं तूने मुझे पैदा फ़रमाया और मK तेरा ब_ा +ं और मK
अपनी ताक़त के मुता;बक़ तेरे अहेद और वादे पर क़ाइम
+ं, मK तुझ से उस चीज़ के शर से पनाह मांगता +ं Tजसका
मKने इ¢तकाब िकया, मK तेरे सामने तेरे इनाम का इक़रार
करता +ं जो मुझ पर *वा और मK अपने गुनाहो ं का इक़रार
करता +ं, %लहाज़ा तू मुझे माफ़ कर दे। वािक़या यह है िक
तेरे Cसवा कोई गुनाहो ं को माफ़ नही ं कर सकता।"
सहीह अल-बुख़ारी, हदीस:6306। यह दआ
ु सiदल
ु ् इŽ}¡फ़ार कहलाती है।

सु ह व शाम:
َْ ُ ّ َ َ َ ْ َ َ ْ َ ْ َ ُ َ ْ ٔ ْٓ ّ َ ّ ُ ٰ ّ َ
‫ﻠﻬـﻢ ِٕا ِﱏ ﺳـﺌﻠـﻚ اﻟﻌـﻔﻮ واﻟﻌـﺎ ِﻓـﻴﺔ ِﰲ اﻟﺪﻧـﻴﺎ‬C‫ا‬
َ َ َ ْ َ َ ْ َ ْ َ ُ َٔ ْ ٔ ٓ ْ ّ َ ّ ُ ٰ ّ َ َ ٓ ْ َ
‫ﻟـﻚ اﻟﻌـﻔﻮ واﻟﻌـﺎ ِﻓـﻴﺔ ِﰲ‬3‫ﻠﻬـﻢ ِٕا ِﱏ ﺳـ‬C‫ ا‬، ‫وا¨ ِﺧـﺮ ِة‬
ُ َ ٰ ّ َ ٔ َ ْ
َ ْ َ ْ ْ
ْ‫ـﺮ ﻋـﻮر ِاﰏ‬u‫ﻠﻬـﻢ اﺳ‬C‫ ا‬، ‫ـﲇ وﻣ ِﺎﱄ‬ ّ ُ ْ َ َ ْ ِ ‫ِد ْﻳ ِ ْﲎ َو ُدﻧـﻴﺎي و ﻫ‬
ْ َ َ َ
َ
ْ9ِ ‫ـﲔ ﻳﺪ ّي َو‬َ َ ْ َ‫ ﺑ‬9 ْ ْ َ ْ َ ّ ُ ٰ ّ َ ْ َ ْ َ ّ ْ ٰ َ
ِ ِ ْ
ۢ ‫ﻠﻬـﻢ اﺣﻔﻈ ِـﲎ‬C‫ ا‬، ‫وا ِﻣـﻦ روﻋ ِﺎﰏ‬
ُ ْ ُ َٔ َ ْ ْ َ ْ ِ َ ْ َ ْ َ َ ْ ْ َ ْ َ َ ْ ْ َ
‫ و ﻋﻮذ‬، ‫ ﻓﻮ ِﰶ‬9‫ و‬، ‫ـﺎﱄ‬ ِ ‫ ِﴰ‬°‫ ﳝِـﻴ ِﲎ و‬°‫ و‬²ِ ‫ﺧﻠ‬
َ َ َ ْ ٔ ُ ٔ َ َ َ
ْ‫ ﲢ ِﱴ‬9ِ ‫ِﺑ َﻌﻈﻤـ ِﺘﻚ ن ﻏـﺘﺎل‬
ْ ْ ْ َ

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 21


अ&ा*V इcी अस्अलुकल् अ़फ़् ∙व वल्
आिफ़∙यत िफ़द् द• ु ा वल् आŒख़र∙;त, अ&ा*V
इcी अस्अलुकल् अ़फ़् ∙व वल् आिफ़∙यत िफ़द्
दीनी वद् द•
ु ा व अ£ी व माली, अ&ा*V अ}ुर
औराती व आ:मर् रौआ़ती, अ&ा*V अह्फ़‚नी
:मम् बैनी यदैi व :मन् ख़Wफ़6 व अ़य्ं यमीनी व
अ़न् lशमाली, व :मन् फ़ौक़6, व अऊ़ज़ु ;ब
अ़ज़म;तक अन् उ¡ताल :मन् तह्ती
"ऐ अ&ाह! बेशक मK तुझ से द• ु ा और आŒख़रत मN माफ़6 और
आिफ़यत का सवाल करता +ं, ऐ अ&ाह! बेशक मK तुझ से अपने
दीन, अपनी द• ु ा और अपने अहल व माल मN माफ़6 और
आिफ़यत का सवाल करता +ं। ऐ अ&ाह! मेरे ऐबो ं पर पदाp डाल
दे और मेरी घबराहटो ं मN अमन दे। ऐ अ&ाह! तू मेरी िहफ़ाज़त
फ़रमा मेरे सामने से, मेरे पीछे से, मेरे दाएं तरफ़ से, मेरे बाएं तरफ़
से और मेरे ऊपर से। और मK तेरी अज़मत के साथ इस बात से
पनाह मांगता +ं िक नागहां अपने नीचे से हलाक िकया जाऊं।"
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5074 व सुनन इo माजह, हदीस:3871

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 22


सु ह व शाम:
َ َ َّ َ َ َ َ َّ َ َْ ْ َ َ ّ ُ ّٰ َ
‫ات‬ِ ‫ﻠﻬـﻢ ﻋﺎ ِﻟـﻢ اﻟﻐـﻴ ِﺐ واﻟﺸـﻬﺎد ِة ﻓﺎ ِﻃـﺮ اﻟﺴﻤﺎو‬C‫ا‬
ْ َ ٔ َ ّ َ ٰ ٓ َ ّ
َ‫ ﺷ َﻬـﺪ ْن ﻻ ٕاﻟـﻪ ٕاﻻ ﻧﺖ‬، ‫ﳽ ٍء ّو َﻣ ِﻠﻴـْﻜﻪ‬ َ ٔ ُ ْ َ ٔ ٗ َ َ ْ َ ّ ُ َ ّ َ ْ َ ٔ ْ َ
ِ ِ ‫ﰻ‬ ِ ‫وا¨رض رب‬ ِ
ْ َ َ ْ َ ّ ّ َ ْ َ ْ َ ّ َ ْ َ ُ ْ ُ َ ٔ
، ‫ﺎن و ِﺷـﺮﻛِ ٖﻪ‬ ِ ‫ـﻄ‬a‫ ﺷ ِـﺮ اﻟﺸ‬9ِ ‫ ﺷ ِـﺮ ﻧﻔ ِﴗ و‬9ِ ‫ ﻋـﻮذ ِﺑﻚ‬، ْ
ْ ُ ٰ ٗ َ ّ ُ َ ٔ ْ َ ْ ُ ْ َ ٰ َ َ َ ْ َ ٔ ْ َ َٔ
‫و ن ﻗﺘ ِـﺮف ' ﻧﻔ ِﴗ ﺳﻮءا او ﺟـﺮﻩ ِٕاﱃ ﻣﺴـ ِﻠ ٍﻢ‬ ً ْ
अ&ा*V आ़%लमल् ग़ै;ब वश् शहाद∙;त फ़ा;तरस्
समावा;त वल् अœज़ र3 कु .& शैइवं व मलीक+,
अश्∙हदु अल् ला इलाह इ&ा अv, अऊज़ु ;बक :मन्
श<र नsी व :मन् श<रश् शैता;न व lश¤कही, व अन्
अक़त=रफ़ अ़ला नsी सू∙अन औ अजुरp+ इला मुQR:मन्
"ऐ अ&ाह! ग़ैब और हाTज़र के जानने वाले! आ•ानो ं और
ज़मीन के पैदा करने वाले! हर चीज़ के रब और उसके मा%लक! मK
गवाही देता +ं िक तेरे Cसवा कोई माबूद नही।ं मK तेरी पनाह मN
आता +ं अपने नs के शर से और शैतान के शर से और उसके
lशकp से और इस बात से िक अपने ही Œख़लाफ़ िकसी बुराई का
इ¢तकाब कŸं या उसे िकसी मुसलमान क6 तरफ़ खीचं लाऊँ ।"
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5083, जामेअ् अत-तर:मज़ी, हदीस:3392, 3529

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 23


जो शu इसे सु ह के व! पढ़ेगा, उसके %लए दस
नेिकयां %लखी जाएं गी, दस गुनाह माफ़ कर िदए जाएं गे, दस
दरजात बुल_ िकए जाएं गे और यह दआ ु बनी इ•ाईल मN से दस
गदpन आज़ाद करने के बराबर है, नीज़ अ&ाह तआला यह दआ ु
पढ़ने वाले को शैतान से महफू ज़ रखेगा। और जो इसे शाम के
व! पढ़ेगा, उसके %लए भी यही अ¥ है। सु ह व शाम दस बार
अगर कािहली का lशकार हो तो एक बार पढ़ ले:
َُ َ ُ ْ ُ ْ ُ َ ٗ َ َ ْ َ َ ٗ َ ْ َ ُ َّ َ ٰ ٓ َ
‫ ﻟﻪ اﻟﻤـﻠﻚ وﻟﻪ‬،‫ﻻ ِٕاﻟﻪ ِٕاﻻ ﷲ وﺣـﺪﻩ ﻻ ﺷ ِـﺮﻳﻚ ﻟﻪ‬
َ
ٌ,ْ ‫ﳽ ٍء ﻗ ِﺪ‬ َ
ْ ‫ﰻ‬ ّ ُ ٰ َ َ ُ َ ُ ْ َ ْ
ِ ' ‫ وﻫﻮ‬،‫اﳊﻤـﺪ‬
ला इलाह इ&&ा* वह्द+ ला शरीक ल+, ल*ल्
मु$ु व ल*ल् ह(,ु व *व अ़ला कु .& शैइन क़दी1
"अ&ाह के Cसवा कोई माबूद नही,ं वह अके ला है, उसका
कोई शरीक नही,ं उसी क6 बादशाहत और उसी क6 तारीफ़
है और वह हर चीज़ पर का:मल क़ु दरत रखता है।"
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5077

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 24


जो शu यह दआ ु सौ मरतबा सु ह और सौ मरतबा शाम
को पढ़ेगा, िक़यामत के िदन कोई शu उसके अमल से अ{ल
अमल लेकर नही ं आएगा। ताहम अगर कोई शu इसके बराबर
या इससे |ादा दफ़ा कहे तो वह इससे बेहतर हो सकता है।
ْ َ َ َ َ
‫ـﺎن ﷲِ و ِﲝﻤـ ِﺪ ٖﻩ‬iْ ُ
सु हानल्∙लािह व ;ब∙हq(िह
"मK अ&ाह क6 पाक6ज़गी बयान करता +ं उसक6 तारीफ़ के साथ।"
सहीह मुQRम, हदीस:2692

सुबह, शाम दस मरतबा कोई म¦ून दŸद पढ़े, जैसे:


َ ّ َ ُ ٰ ٰ ٓ َ َ ّ َ ّ َ ُ ٰ َ ّ َ َ ّ ُ ّٰ َ
‫ﻠﻬﻢ ﺻ ِﻞ ' ﳏﻤ ٍﺪ و ' ا ِل ﳏﻤ ٍﺪ‬C‫ا‬
अ&ा*V स.& अ़ला मुहVिदवं व अ़ला आ%ल
मुहVद
"ऐ अ&ाह! रहमत नाTज़ल फ़रमा मुहVद (‫ )ﷺ‬पर और आले
मुहVद (‫ )ﷺ‬पर।"
सुनन अन-नसाई, हदीस:1293, व म§उज़् ज़वाइद, हदीस:17022

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 25


‫‪शाम के अ'कार‬‬

‫‪शाम के व!:‬‬
‫َ‬ ‫ّ‬ ‫َ‬ ‫ٰ‬ ‫ٓ‬ ‫َ‬
‫ٔ ْﻣ َﺴ ْ‪َ a‬ـﻨﺎ َو ْﻣ َﴗ اﻟ ُﻤﻠﻚ ِ ِ َواﳊَ ْﻤﺪ ِ ِ ‪ ،‬ﻻ اﻟﻪ اﻻ ﷲُ‬ ‫ُ‬ ‫ْ‬ ‫ُ‬ ‫ْ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫ٔ‬ ‫َ‬
‫ٕ ٕ‬
‫ٰ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ُ‬ ‫َ‬ ‫ُ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫ُ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ُ‬ ‫ْ‬ ‫ُ‬ ‫ْ‬ ‫ُ‬ ‫ٗ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫َْ َٗ َ َ‬
‫ﴍﻳﻚ ﻟﻪ‪ ،‬ﻟﻪ اﻟﻤـﻠﻚ وﻟﻪ اﳊﻤـﺪ‪ ،‬وﻫﻮ ﻋ‪º‬ﺲ‬ ‫ِ‬ ‫وﺣﺪﻩ ﻻ‬
‫َّ ْ َ‬ ‫ٰ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ُ‬ ‫َ‬ ‫ٔ‬ ‫َ‬ ‫ُ ّ َ ْ َ ٌْ َ ّ ٔ‬
‫ْ‬
‫ﰻ ﳽ ٍء ﻗ ِﺪ‪ ، ,‬ر ِب ﺳـ‪3‬ﻟـﻚ ﺧـﲑ ﻣﺎ ِﰲ ﻫـ ِﺬ ِﻩ ا‪C‬ﻠـﻴﻠ ِﺔ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫ِ‬
‫َّ ْ َ َ َّ‬ ‫ٰ‬ ‫َ َ ْ َ َ َ ْ َ َ َ َٔ ُ ْ ُ َ ِ ْ َّ‬
‫ﴍ‬ ‫وﺧـﲑ ﻣﺎ ﺑﻌـﺪﻫـﺎ ‪ ،‬و ﻋـﻮذ ِﺑﻚ ‪ 9‬ﺷ ِـﺮ ﻫ ِﺬ ِﻩ ا‪C‬ﻠـﻴﻠ ِﺔ و ِ‬
‫َ‬ ‫ْ‬ ‫ْ‬ ‫ُ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ُ‬ ‫ْ‬ ‫ُ‬ ‫َ‬ ‫ٔ‬ ‫ّ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫َ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫َ‬
‫ـﱪ ‪،‬‬‫ﻣﺎ ﺑﻌـﺪﻫـﺎ ‪ ،‬ر ِب ﻋﻮذ ِﺑﻚ ‪ 9‬اﻟﻜﺴ ِـﻞ وﺳﻮ ِء اﻟ ِﻜ ِ‬ ‫ِ‬
‫ْ َْ‬ ‫َّ َ َ َ‬ ‫َ ّ َٔ ُ ْ ُ َ ْ َ َ‬
‫ـﱪ‬
‫اب ِﰲ اﻟﻘ ِ‬ ‫اب ِﰲ اﻟﻨـﺎ ِر وﻋـﺬ ٍ‬ ‫ر ِب ﻋـﻮذ ِﺑﻚ ِ‪ 9‬ﻋـﺬ ٍ‬
‫ु(‪अम्∙सैना व अम्∙सल् मु$ु %ल&ािह वल् ह‬‬
‫‪%ल&ािह, ला इला∙ह इ&&ा* वह्द+ ला‬‬
‫‪शरी∙क ल+, ल*ल् मु$ु व ल*ल् ह(ु व *व‬‬
‫‪अ़ला कु .& शै∙इन क़दी1, र23 अस्∙अलुक ख़ैर‬‬
‫‪मा फ़6 हाTज़िहल् लैल;त व ख़ैर मा बअ़द् हा, व‬‬
‫‪अऊ़ज़ु ;बक :मन् श<र मा हाTज़िहल् लैल;त व श<र‬‬
‫‪मा बअ़द् हा, र23 अऊ़ज़ु ;बक :मनल् कस∙%ल, व‬‬
‫‪सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा‬‬ ‫‪पेज 26‬‬
सूइल् िकब∙=र, र23 अऊ़ज़ु ;बक :मन् अ़ज़ा;बन्
फ़6न् ना=र व अ़ज़ा;बन् िफ़ल् क़>
"हमने शाम क6 और अ&ाह के सारे मु$ ने शाम क6 और सब
तारीफ़ अ&ाह ही के %लए है। अ&ाह के Cसवा कोई माबूद नही,ं
वह अके ला है, उसका कोई शरीक नही,ं उसी क6 बादशाहत है
और उसी के %लए सब तारीफ़ है और वह हर चीज़ पर का:मल
क़ु दरत रखता है। ऐ मेरे रब! मK तुझ से इस रात क6 बहतरी का
सवाल करता +ं और उस रात क6 बहतरी का जो इसके बाद आने
वाली है और मK इस रात के शर से तेरी पनाह मN आता +ं और
इसके बाद आने वाली रात के शर से, ऐ मेरे रब! मK कािहली और
बुढ़ापे क6 ख़राबी से तेरी पनाह मN आता +ं। ऐ मेरे रब! मK आग के
अज़ाब से और क़> के अज़ाब से तेरी पनाह मN आता +ं।"
सहीह मुQRम, हदीस:2723

शाम के व!:
ْ َ ٔ َ ٔ َ
َ،‫ َﺣـﺪ ِّﻣ ْـﻦ ﺧﻠـﻘﻚ‬3‫ﻠٰ ُﻬ َّـﻢ َﻣ ٓﺎ اَ ْﻣ ٰﴗ ْﰉ ِﻣ ْـﻦ ّﻧ ْﻌ َـﻤ ٍﺔ ْو ﺑ‬Cّ َ‫ا‬
ِ ٍ ِ ِ ِ
َ‫ـﻚ ْاﳊَ ْﻤ ُـﺪ َو َﻟـﻚ‬
َ َ‫ َﻓﻠ‬، ‫ـﻚ‬ َ ‫َﳁِ ْـﻨ َﻚ َو ْﺣ َـﺪ َك َﻻ َﴍ ْﻳ َﻚ َﻟ‬
ِ
ُْ ُ ّ
‫اﻟﺸﻜـﺮ‬

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 27


अ&ा*V मा अम्∙स बी :मन् ;नअ़∙् म;तन औ
;ब∙अहिदम् :मन् ख़िWक़∙क, फ़∙:मX वह्∙दक ला
शरीक लक, फ़∙लकल् ह(ु व लकश् शुU
"ऐ अ&ाह! शाम के व! मुझ पर या तेरी मYलूक़ मN से िकसी
पर जो भी इनाम *वा है, वह तेरी ही तरफ़ से है। तू अके ला है,
तेरा कोई शरीक नही,ं पस तेरे ही %लए सब तारीफ़ है और तेरे ही
%लए शुU है।"
अस-सुननुल् कु बरा %लन् नसाई, हदीस:9835

शाम के व!:
َ َ َ َ ٔ َ
َ،‫ َو ِﺑﻚ ْﳓـﻴﺎ‬،‫ َو ِﺑﻚ ْﺻ َـﺒ ْﺤ َﻨﺎ‬،‫ﻠ ُﻬ ّـﻢ ِﺑﻚ ْﻣ َﺴ ْـﻴ َﻨﺎ‬Cَ‫ا‬
ٔ َ َ ٰ ّ
ْ َ
ُ ‫َو ِﺑ َﻚ َﳕُ ْﻮ ُت َو ٕاﻟ ْـﻴﻚ اﻟ َﻤ ِﺼ‬
ْ‫ﲑ‬ َ
ِ
अ&ा*V ;बक अम्∙सैना व ;बक अस्∙बह्∙ना, व
;बक नह्∙या व ;बक नमूतु व इलैकल् मसीर
"ऐ अ&ाह! तेरी ही िहफ़ाज़त मN हमने शाम क6 और तेरी ही
िहफ़ाज़त मN सु ह क6 और तेरे ही नाम के साथ हम Tज़_ा होते
और तेरे ही नाम के साथ हम मरते हK और तेरी ही तरफ़ उठ कर
जाना है।"
CसलCसलातुल् अहादी¨ुस् सहीहा: 1/525, हदीस:262
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 28
शाम के व!:
َ ّ ُ ٰ ّ َ َ ْ َ َ ْ ّ َ ِ ُ ْ ُ ْ َ ْ َٔ َ َ ْ َ ْ َٔ
‫ﻠﻬﻢ‬C‫ﻨﺎ و ﻣﴗ اﻟﻤﻠﻚ ِ ر ِب اﻟﻌﺎﻟ ِﻤﲔ ا‬a‫ﻣﺴ‬
َ‫ﴫﻫﺎ‬ َ َ ْ َ َ َ ّ ٰ ْ َ َ ُ َ ٔ َ ٓ ّ
َ ْ ‫ﻠ ْﻴﻠ ِﺔ ﻓﺘ َﺤﻬﺎ َوﻧ‬C‫ﲑ ﻫ ِﺬ ِﻩ ا‬ َ ‫ٕا ِ ْﱏ ْﺳﺎﻟﻚ ﺧ‬
ِ
َ‫ﴍ ﻣﺎ‬ ّ 9َ ْ َ ُ ْ ُ ٔ َ َ َ َ ُ َ َ َ َ َ َ َ َ َ ْ ُ َ
ِ ِ ‫و}رﻫﺎ و”ﻛﳤﺎ وﻫﺪاﻫﺎ و ﻋﻮذ ِﺑﻚ‬
َ‫وﴍ َﻣﺎ َﺑ ْﻌ َﺪﻫﺎ‬ ّ َ ‫ِﻓ ْﳱَﺎ‬
ِ
अम्∙सैना व अम्∙सल् मु$ु %ल&ािह र23ल्
आलमीन, अ&ा*V इcी अस्∙अलुक ख़ैर
हाTज़िहल् लैल;त, फ़त्∙हहा, व नस्∙रहा, व नू∙रहा
व बर∙कत∙हा, व *दाहा, व अऊ़ज़ु ;बक :मन् श<र
मा फ़6हा व श<र मा बअ़∙् दहा
"हमने शाम क6 और अ&ाह र3ुल आलमीन के सारे मु$ ने
शाम क6। ऐ अ&ाह! मK तुझ से इस रात क6 बहतरी मांगता +ं,
इसक6 फ़dह व नुसरत, इसका नूर, इसक6 बरकत और इसक6
िहदायत और मK तुझ से इस रात के शर और इसके बाद के शर से
पनाह चाहता +ं।"
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5084

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 29


शाम के व! तीन मरतबा:
َ‫ َﺷ ّـﺮ َﻣﺎ َﺧﻠَـﻖ‬9
ْ ِ ‫ﺎت‬ َ ّ ۗ َ ّ َ َ ُ ْ ُ ٔ َ
ِ ِ ‫ﻣ‬ ‫ـﺎ‬‫اﻟﺘ‬ ِ ‫ﷲ‬ ‫ﺎت‬
ِ ‫ﻤ‬ ‫ﳫ‬
ِ ‫ﺑ‬
ِ ‫ﻋـ‬
‫ذ‬ ‫ﻮ‬
अऊ़ज़ु ;ब-क%लमा;तल् लािहत् ताVा;त :मन् श<र
मा ख़लक़
"मK अ&ाह के मुकVल क%लमात क6 पनाह मN आता +ं, उसक6
मYलूक़ के शर से।"
सहीह मुQRम, हदीस: 2709

शाम के व! चार मरतबा, जो शu यह दआ


ु पढ़ेगा अ&ाह
तआला उसे आग से आज़ाद कर देगा।
َ َ َ َ ُ ْ ُٔ َ َ ُ ْ ُٔ ُ ْ َ ْ َٔ ٓ ْ ّ َ ّ ُ ٰ ّ َ
‫ و ﺷ ِـﻬﺪ ﲪﻠـﺔ‬،‫ﺖ ﺷ ِـﻬﺪك‬a‫ﻠﻬـﻢ ِٕا ِﱏ ﻣﺴ‬C‫ا‬
ْ ٔ َ َ َ ّ ٔ َ
َ‫ ﻧـﻚ ﻧـﺖ‬،‫ﲨ ْـﻴﻊ ﺧﻠـ ِﻘﻚ‬ َ ْ َ َ َ َ َ َ َ ۗ َ َ َ َ ْ َ
ِ ‫ و‬،‫ وﻣﻼ ِﺋﻜﺘﻚ‬، ‫ﻋـﺮ ِﺷـﻚ‬
َ ّ َٔ َ َ َ َ ْ َ َ َ َ ْ َ َ ْ َٔ ٓ َ ّ َ ٰ ٓ َ ُ
‫ و ن‬،‫ﴍﻳﻚ ﻟـﻚ‬ ِ ‫ﷲ ﻻ ِٕاﻟﻪ ٕاﻻ ﻧـﺖ وﺣـﺪك ﻻ‬
َ‫ُﳏ َ َّﻤ ًـﺪا َﻋ ْﺒ ُـﺪ َك َو َر ُﺳ ْﻮ ُﻟـﻚ‬
अ&ा*V इcी अम्∙सैतु उश्∙िहद∙ु क, व उश्∙िहदु
हमल∙त अ़tश∙क, व मलाइक;त∙क, व जमी∙अ़
सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 30
ख़िWक़∙क, अc∙क अvल् ला* ला इला∙ह इ&ा
अv वह्दक ला शरीक लक, व अc मुहVदन
अ़wक
ु व रसूलुक
"ऐ अ&ाह! यक़6नन मKने ऐसी हालत मN शाम क6 िक तुझे, तेरा
अशp उठाने वाले फ़=रyो,ं तेरे (दीगर) फ़=रyो ं और तेरी तमाम
मYलूक़ को इस बात पर गवाह बनाता +ं िक तू ही अ&ाह है, तेरे
Cसवा कोई माबूद नही,ं तू अके ला है, तेरा कोई शरीक नही ं और
;बलाशुबा मुहVद (‫ )ﷺ‬तेरे ब_े और रसूल हK।"
सुनन अबी दाऊद, हदीस:5069 व 5078

सूबाई जमीअत अहले हदीस, महारा पेज 31

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