2. साध्वी : आशािादी 3. भिप्रीता : भगिान् ग्नशि पर प्रीग्नत रखने िाली 4. भिानी : ब्रह्ाां ड की ग्ननिास 5. भिमोचनी : सांसार बांधनोां से मुक्त करने िाली 6. आर्ाा : दे िी 7. दु गाा : अपराजेर् 8. जर्ा : ग्निजर्ी 9. आद्य : शु रूआत की िास्तग्निकता 10. ग्निनेि : तीन आँ खोां िाली 11. शू लधाररणी : शूल धारण करने िाली 12. ग्नपनाकधाररणी : ग्नशि का ग्निशूल धारण करने िाली 13. ग्नचिा : सु रम्य, सुांदर 14. चण्डघण्टा : प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने िाली, घांटे की आिाज ग्ननकालने िाली 15. महातपा : भारी तपस्या करने िाली 16. मन : मनन- शक्तक्त 17. बु क्ति : सिाज्ञाता 18. अहां कारा : अग्नभमान करने िाली 19. ग्नचत्तरूपा : िह जो सोच की अिस्था में है 20. ग्नचता : मृ त्युशय्या 21. ग्नचग्नत : चे तना 22. सिामन्त्रमर्ी : सभी मांिोां का ज्ञान रखने िाली 23. सत्ता : सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है 24. सत्यानन्दस्वरूग्नपणी : अनन्त आनांद का रूप 25. अनन्ता : ग्नजनके स्वरूप का कहीां अन्त नहीां 26. भाग्निनी : सबको उत्पन्न करने िाली, खूबसूरत औरत 27. भाव्या : भािना एिां ध्यान करने र्ोग्र् 28. भव्या : कल्याणरूपा, भव्यता के साथ 29. अभव्या : ग्नजससे बढ़कर भव्य कुछ नहीां 30. सदागग्नत : हमेशा गग्नत में, मोक्ष दान 31. शाम्भिी : ग्नशिग्नप्रर्ा, शांभू की पत्नी 32. दे िमाता : दे िगण की माता 33. ग्नचन्ता : ग्नचन्ता 34. रत्नग्नप्रर्ा : गहने से प्यार 35. सिाग्निद्या : ज्ञान का ग्ननिास 36. दक्षकन्या : दक्ष की बेटी 37. दक्षर्ज्ञग्निनाग्नशनी : दक्ष के र्ज्ञ को रोकने िाली 38. अपणाा : तपस्या के समर् पत्ते को भी न खाने िाली 39. अनेकिणाा : अनेक रां गोां िाली 40. पाटला : लाल रां ग िाली 41. पाटलािती : गुलाब के फूल र्ा लाल पररधान र्ा फूल धारण करने िाली 42. पट्टाम्बरपरीधाना : रे शमी िस्त्र पहनने िाली 43. कलामांजीरारां ग्नजनी : पार्ल को धारण करके प्रसन्न रहने िाली 44. अमे र् : ग्नजसकी कोई सीमा नहीां 45. ग्निक्रमा : असीम पराक्रमी 46. क्रूरा : दै त्योां के प्रग्नत कठोर 47. सु न्दरी : सुां दर रूप िाली 48. सु रसु न्दरी : अत्यांत सुांदर 49. िनदु गाा : जां गलोां की दे िी 50. मातां गी : मतां गा की दे िी 51. मातां गमु ग्ननपू ग्नजता : बाबा मतांगा द्वारा पूजनीर् 52. ब्राह्ी : भगिान ब्रह्ा की शक्तक्त 53. माहे श्वरी : प्रभु ग्नशि की शक्तक्त 54. इां द्री : इन्द्र की शक्तक्त 55. कौमारी : ग्नकशोरी 56. िैष्णिी : अजेर् 57. चामु ण्डा : चां ड और मुांड का नाश करने िाली 58. िाराही : िराह पर सिार होने िाली 59. लक्ष्मी : सौभाग्य की दे िी 60. पु रुषाकृग्नत : िह जो पुरुष धारण कर ले 61. ग्निग्नमलौत्त्काग्नशानी : आनन्द प्रदान करने िाली 62. ज्ञाना : ज्ञान से भरी हुई 63. ग्नक्रर्ा : हर कार्ा में होने िाली 64. ग्ननत्या : अनन्त 65. बु क्तिदा : ज्ञान दे ने िाली 66. बहुला : ग्निग्नभन्न रूपोां िाली 67. बहुलप्रेमा : सिा ग्नप्रर् 68. सिािाहनिाहना : सभी िाहन पर ग्निराजमान होने िाली 69. ग्ननशु म्भशु म्भहननी : शुम्भ, ग्ननशुम्भ का िध करने िाली 70. मग्नहषासु रमग्नदाग्नन : मग्नहषासुर का िध करने िाली 71. मधु कैटभहां िी : मधु ि कैटभ का नाश करने िाली 72. चण्डमुण्ड ग्निनाग्नशग्नन : चांड और मुांड का नाश करने िाली 73. सिाा सुरग्निनाशा : सभी राक्षसोां का नाश करने िाली 74. सिादानिघाग्नतनी : सांहार के ग्नलए शक्तक्त रखने िाली 75. सिाशास्त्रमर्ी : सभी ग्नसिाां तोां में ग्ननपु ण 76. सत्या : सच्चाई 77. सिाा स्त्रधाररणी : सभी हग्नथर्ारोां धारण करने िाली 78. अनेकशस्त्रहस्ता : हाथोां में कई हग्नथर्ार धारण करने िाली 79. अनेकास्त्रधाररणी : अनेक हग्नथर्ारोां को धारण करने िाली 80. कुमारी : सुां दर ग्नकशोरी 81. एककन्या : कन्या 82. कैशोरी : जिान लड़की 83. र्ु िती : नारी 84. र्ग्नत : तपस्वी 85. अप्रौढा : जो कभी पुराना ना हो 86. प्रौढा : जो पु राना है 87. िृिमाता : ग्नशग्नथल 88. बलप्रदा : शक्तक्त दे ने िाली 89. महोदरी : ब्रह्ाां ड को सांभालने िाली 90. मु क्तकेशी : खुले बाल िाली 91. घोररूपा : एक भर्ांकर दृग्निकोण िाली 92. महाबला : अपार शक्तक्त िाली 93. अग्निज्वाला : माग्नमाक आग की तरह 94. रौद्रमु खी : ग्निध्वांसक रुद्र की तरह भर्ांकर चेहरा 95. कालराग्नि : काले रां ग िाली 96. तपक्तस्वनी : तपस्या में लगे हुए 97. नारार्णी : भगिान नारार्ण की ग्निनाशकारी रूप 98. भद्रकाली : काली का भर्ांकर रूप 99. ग्निष्णु मार्ा : भगिान ग्निष्णु का जादू 100. जलोदरी : ब्रह्ाां ड में ग्ननिास करने िाली 101. ग्नशिदू ती : भगिान ग्नशि की राजदू त 102. करली : ग्नहांसक 103. अनन्ता : ग्निनाश रग्नहत 104. परमेश्वरी : प्रथम दे िी 105. कात्यार्नी : ऋग्नष कात्यार्न द्वारा पूजनीर् 106. साग्नििी : सूर्ा की बेटी 107. प्रत्यक्षा : िास्तग्निक 108. ब्रह्िाग्नदनी : ितामान में हर जगह िास करने िाली