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1.

सती : अग्नि में जल कर भी जीग्नित होने िाली


2. साध्वी : आशािादी
3. भिप्रीता : भगिान् ग्नशि पर प्रीग्नत रखने िाली
4. भिानी : ब्रह्ाां ड की ग्ननिास
5. भिमोचनी : सांसार बांधनोां से मुक्त करने िाली
6. आर्ाा : दे िी
7. दु गाा : अपराजेर्
8. जर्ा : ग्निजर्ी
9. आद्य : शु रूआत की िास्तग्निकता
10. ग्निनेि : तीन आँ खोां िाली
11. शू लधाररणी : शूल धारण करने िाली
12. ग्नपनाकधाररणी : ग्नशि का ग्निशूल धारण करने िाली
13. ग्नचिा : सु रम्य, सुांदर
14. चण्डघण्टा : प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने िाली, घांटे की आिाज ग्ननकालने िाली
15. महातपा : भारी तपस्या करने िाली
16. मन : मनन- शक्तक्त
17. बु क्ति : सिाज्ञाता
18. अहां कारा : अग्नभमान करने िाली
19. ग्नचत्तरूपा : िह जो सोच की अिस्था में है
20. ग्नचता : मृ त्युशय्या
21. ग्नचग्नत : चे तना
22. सिामन्त्रमर्ी : सभी मांिोां का ज्ञान रखने िाली
23. सत्ता : सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है
24. सत्यानन्दस्वरूग्नपणी : अनन्त आनांद का रूप
25. अनन्ता : ग्नजनके स्वरूप का कहीां अन्त नहीां
26. भाग्निनी : सबको उत्पन्न करने िाली, खूबसूरत औरत
27. भाव्या : भािना एिां ध्यान करने र्ोग्र्
28. भव्या : कल्याणरूपा, भव्यता के साथ
29. अभव्या : ग्नजससे बढ़कर भव्य कुछ नहीां
30. सदागग्नत : हमेशा गग्नत में, मोक्ष दान
31. शाम्भिी : ग्नशिग्नप्रर्ा, शांभू की पत्नी
32. दे िमाता : दे िगण की माता
33. ग्नचन्ता : ग्नचन्ता
34. रत्नग्नप्रर्ा : गहने से प्यार
35. सिाग्निद्या : ज्ञान का ग्ननिास
36. दक्षकन्या : दक्ष की बेटी
37. दक्षर्ज्ञग्निनाग्नशनी : दक्ष के र्ज्ञ को रोकने िाली
38. अपणाा : तपस्या के समर् पत्ते को भी न खाने िाली
39. अनेकिणाा : अनेक रां गोां िाली
40. पाटला : लाल रां ग िाली
41. पाटलािती : गुलाब के फूल र्ा लाल पररधान र्ा फूल धारण करने िाली
42. पट्टाम्बरपरीधाना : रे शमी िस्त्र पहनने िाली
43. कलामांजीरारां ग्नजनी : पार्ल को धारण करके प्रसन्न रहने िाली
44. अमे र् : ग्नजसकी कोई सीमा नहीां
45. ग्निक्रमा : असीम पराक्रमी
46. क्रूरा : दै त्योां के प्रग्नत कठोर
47. सु न्दरी : सुां दर रूप िाली
48. सु रसु न्दरी : अत्यांत सुांदर
49. िनदु गाा : जां गलोां की दे िी
50. मातां गी : मतां गा की दे िी
51. मातां गमु ग्ननपू ग्नजता : बाबा मतांगा द्वारा पूजनीर्
52. ब्राह्ी : भगिान ब्रह्ा की शक्तक्त
53. माहे श्वरी : प्रभु ग्नशि की शक्तक्त
54. इां द्री : इन्द्र की शक्तक्त
55. कौमारी : ग्नकशोरी
56. िैष्णिी : अजेर्
57. चामु ण्डा : चां ड और मुांड का नाश करने िाली
58. िाराही : िराह पर सिार होने िाली
59. लक्ष्मी : सौभाग्य की दे िी
60. पु रुषाकृग्नत : िह जो पुरुष धारण कर ले
61. ग्निग्नमलौत्त्काग्नशानी : आनन्द प्रदान करने िाली
62. ज्ञाना : ज्ञान से भरी हुई
63. ग्नक्रर्ा : हर कार्ा में होने िाली
64. ग्ननत्या : अनन्त
65. बु क्तिदा : ज्ञान दे ने िाली
66. बहुला : ग्निग्नभन्न रूपोां िाली
67. बहुलप्रेमा : सिा ग्नप्रर्
68. सिािाहनिाहना : सभी िाहन पर ग्निराजमान होने िाली
69. ग्ननशु म्भशु म्भहननी : शुम्भ, ग्ननशुम्भ का िध करने िाली
70. मग्नहषासु रमग्नदाग्नन : मग्नहषासुर का िध करने िाली
71. मधु कैटभहां िी : मधु ि कैटभ का नाश करने िाली
72. चण्डमुण्ड ग्निनाग्नशग्नन : चांड और मुांड का नाश करने िाली
73. सिाा सुरग्निनाशा : सभी राक्षसोां का नाश करने िाली
74. सिादानिघाग्नतनी : सांहार के ग्नलए शक्तक्त रखने िाली
75. सिाशास्त्रमर्ी : सभी ग्नसिाां तोां में ग्ननपु ण
76. सत्या : सच्चाई
77. सिाा स्त्रधाररणी : सभी हग्नथर्ारोां धारण करने िाली
78. अनेकशस्त्रहस्ता : हाथोां में कई हग्नथर्ार धारण करने िाली
79. अनेकास्त्रधाररणी : अनेक हग्नथर्ारोां को धारण करने िाली
80. कुमारी : सुां दर ग्नकशोरी
81. एककन्या : कन्या
82. कैशोरी : जिान लड़की
83. र्ु िती : नारी
84. र्ग्नत : तपस्वी
85. अप्रौढा : जो कभी पुराना ना हो
86. प्रौढा : जो पु राना है
87. िृिमाता : ग्नशग्नथल
88. बलप्रदा : शक्तक्त दे ने िाली
89. महोदरी : ब्रह्ाां ड को सांभालने िाली
90. मु क्तकेशी : खुले बाल िाली
91. घोररूपा : एक भर्ांकर दृग्निकोण िाली
92. महाबला : अपार शक्तक्त िाली
93. अग्निज्वाला : माग्नमाक आग की तरह
94. रौद्रमु खी : ग्निध्वांसक रुद्र की तरह भर्ांकर चेहरा
95. कालराग्नि : काले रां ग िाली
96. तपक्तस्वनी : तपस्या में लगे हुए
97. नारार्णी : भगिान नारार्ण की ग्निनाशकारी रूप
98. भद्रकाली : काली का भर्ांकर रूप
99. ग्निष्णु मार्ा : भगिान ग्निष्णु का जादू
100. जलोदरी : ब्रह्ाां ड में ग्ननिास करने िाली
101. ग्नशिदू ती : भगिान ग्नशि की राजदू त
102. करली : ग्नहांसक
103. अनन्ता : ग्निनाश रग्नहत
104. परमेश्वरी : प्रथम दे िी
105. कात्यार्नी : ऋग्नष कात्यार्न द्वारा पूजनीर्
106. साग्नििी : सूर्ा की बेटी
107. प्रत्यक्षा : िास्तग्निक
108. ब्रह्िाग्नदनी : ितामान में हर जगह िास करने िाली

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