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एकककांकक-सकांचय – महकभकरत कक एक सकसाँझ

प्रश्न क-i:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
कह निहहयां सकतय सयांजय ककसकचे पयपनों कय पररणयम हह , ककसककी भभलि थनी जजसकय भनीषण वविष फलि हमम लमलिय।
ओह! क्यय पपत-मकोह अपरयध हह , पयप हह ? क्यय ममनिचे कभनी भनी…कभनी भनी…
उपयक्
पर्यु त अवितरण कचे विक्तय ककौनि हह ? उनिकय पररचय दिम ।

उत्तर:
उपयक्
पर्यु त अवितरण कचे विक्तय धत
ध रयष्ट्र हम। धत
ध रयष्ट्र जन्म सचे हह निचेतहहनि थचे। विचे ककौरविनों कचे वपतय हम। दिय
प र्योधनि
उनिकय जचेष्ठ पत
प हम। इस समय विचे अपनिचे मयांतनी सयांजय कचे सयमनिचे अपनिनी व्यथय कको प्रकट कर रहचे हम।

प्रश्न क-ii:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
कह निहहयां सकतय सयांजय ककसकचे पयपनों कय पररणयम हह , ककसककी भभलि थनी जजसकय भनीषण वविष फलि हमम लमलिय।
ओह! क्यय पपत-मकोह अपरयध हह , पयप हह ? क्यय ममनिचे कभनी भनी…कभनी भनी…
यहयहाँ पर शकोतय ककौनि हह ? विह विक्तय कको क्यय सलियह दिचे तय हह और क्यनों?

उत्तर :
यहयहाँ पर शकोतय धत
ध रयष्ट्र कय मयांतनी हह । उन्हम ददिव्य दृजष्ट प्रयप्त थनी। अपनिनी ददिव्य दृजष्ट ककी सहययतय सचे विचे
धत
ध रयष्ट्र कको महयभयरत कचे यपद्ध कय विणर्युनि बतयतचे रहतचे हम। इस समय विचे धत
ध रयष्ट्र कको शययांत रहनिचे ककी सलियह दिचे तचे
हम। सयांजय कचे अनिपसयर जको हको चपकय हह उस पर शकोक करनिय व्यथर्यु हह ।

प्रश्न क-iii:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
कह निहहयां सकतय सयांजय ककसकचे पयपनों कय पररणयम हह , ककसककी भभलि थनी जजसकय भनीषण वविष फलि हमम लमलिय।
ओह! क्यय पपत-मकोह अपरयध हह , पयप हह ? क्यय ममनिचे कभनी भनी…कभनी भनी…
यहयहाँ पर भनीषण वविष फलि ककस ओर सयांकचेत करतय हह स्पष्ट ककीजजए।

उत्तर:
यहयहाँ पर धत
ध रयष्ट्र कचे अनत पत
प -मकोह सचे उपजचे महयभयरत कचे यपद्ध ककी ओर सयांकचेत ककयय गयय हह । पत
प -स्निचेह कचे
कयरण दिय
प र्योधनि ककी हर अनिपचचत मयहाँगनों और हरकतनों कको धत
ध रयष्ट्र निचे उचचत मयनिय। धत
ध रयष्ट्र निचे पपत-मकोह मम बड़नों

एकययांककी-सयांचय – महयभयरत ककी एक सयहाँझ- 1


ककी सलियह, रयजनिहनतक कतर्युव्य आददि सबकको निकयरतचे हपए अपनिचे पत
प कको सबसचे अहम म स्थयनि ददियय और जजसककी
पररखणनत महयभयरत कचे भनीषण यद्ध प मम हपई।

प्रश्न क-iv:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
कह निहहयां सकतय सयांजय ककसकचे पयपनों कय पररणयम हह , ककसककी भभलि थनी जजसकय भनीषण वविष फलि हमम लमलिय।
ओह! क्यय पपत-मकोह अपरयध हह , पयप हह ? क्यय ममनिचे कभनी भनी…कभनी भनी…
पपत-मकोह सचे क्यय तयत्पयर्यु हह ?

उत्तर:
पपत-मकोह सचे यहयहाँ तयत्पयर्यु अयांधचे प्रचेम सचे हह । धत
ध रयष्ट्र अपनिचे जचेष्ठ पपत दिय
प र्योधनि सचे अयांधय प्रचेम करतचे थचे इसललिए विचे
उसककी जययज नियजययज सभनी मयहाँगनों कको पभरय करतचे थचे। इसनी कयरणविश दिय
प र्योधनि बचपनि सचे दियां भनी और अहयां कयरह
हकोतय गयय।

प्रश्न ख-i:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
जजस कयलियजगनि कको तभनिचे विषर्षों घत
ध दिचे कर उभयरय हह , उसककी लिपटनों मम सयथनी तको स्वियहय हको गए! उसकचे घचेरचे सचे तभ
क्यनों बचनिय चयहतय हह ? अच्छछी तरह समझ लिचे, यचे तचेरह आहपनत ललिए बबनिय शययांत नि हकोगय।
दिय
प र्योधनि अपनिनी प्रयण रकय कचे ललिए क्यय करतय हह ?

उत्तर:
महयभयरत कचे यपद्ध मम सभनी मयरचे जयतचे हम कचेविलि एक अकचेलिय दिय
प र्योधनि बचतय हह । यपद्ध तब तक समयप्त निहहयां
मयनिय जय सकतय थय जब तक कक दिय
प र्योधनि मयरय निहहयां जयतय। इस समय दिय
प र्योधनि घययलि अविस्थय मम हह और
अपनिचे प्रयण बचयनिचे कचे ललिए द्विहतविनि कचे सरकोविर मम नछप जयतय हह ।

प्रश्न ख-ii:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
जजस कयलियजगनि कको तभनिचे विषर्षों घत
ध दिचे कर उभयरय हह , उसककी लिपटनों मम सयथनी तको स्वियहय हको गए! उसकचे घचेरचे सचे तभ
क्यनों बचनिय चयहतय हह ? अच्छछी तरह समझ लिचे, यचे तचेरह आहपनत ललिए बबनिय शययांत नि हकोगय।
उपयक् पर्यु त कथनि ककसकय कय हह ? कथनि कय सयांदिभर्यु स्पष्ट करम ।

उत्तर:
उपयक्
पर्यु त कथनि भनीम कय हह । प्रस्तपत कथनि कय सयांदिभर्यु दिय
प र्योधनि कको सरकोविर सचे बयहर ननिकयलिनिचे कय हह । दिय
प र्योधनि
महयभयरत कचे यद्ध
प मम घययलि हको जयतय हह और भयगकर द्विहतविनि कचे सरकोविर मम नछप जयतय हह । विह उसमम सचे

एकययांककी-सयांचय – महयभयरत ककी एक सयहाँझ- 2


बयहर निहहयां ननिकलितय हह । तब उसचे सरकोविर सचे बयहर ननिकयलिनिचे कचे ललिए भनीम उसचे उपयक्
पर्यु त कथनि कहकर
लिलिकयरतय हह ।

प्रश्न ख-iii:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
जजस कयलियजगनि कको तभनिचे विषर्षों घत
ध दिचे कर उभयरय हह , उसककी लिपटनों मम सयथनी तको स्वियहय हको गए! उसकचे घचेरचे सचे तभ
क्यनों बचनिय चयहतय हह ? अच्छछी तरह समझ लिचे, यचे तचेरह आहपनत ललिए बबनिय शययांत नि हकोगय।
उपयक् पर्यु त कथनि कय दिय
प र्योधनि निचे यचप धजष्ठर कको क्यय उत्तर ददियय?

उत्तर:
उपयक्
पर्यु त कथनि कय दिय
प र्योधनि निचे उत्तर ददियय कक विह सभनी बयतनों कको भलिह-भयहाँनत जयनितय हह लिचेककनि विह थककर
चभर हको चपकय हह । उसककी सचेनिय भनी नततर-बबतर हको गई हह , उसकय कविच फट गयय हह और उसकचे सयरचे शस्तयस्त
चभक गए हम। उसचे समय चयदहए और उसनिचे भनी पययांडविनों कको तचेरह विषर्यु कय समय ददियय थय।

प्रश्न ख-iv:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
जजस कयलियजगनि कको तभनिचे विषर्षों घत
ध दिचे कर उभयरय हह , उसककी लिपटनों मम सयथनी तको स्वियहय हको गए! उसकचे घचेरचे सचे तभ
क्यनों बचनिय चयहतय हह ? अच्छछी तरह समझ लिचे, यचे तचेरह आहपनत ललिए बबनिय शययांत नि हकोगय।
‘घतध दिचे कर उभयरय हह ’ सचे क्यय तयत्पयर्यु हह स्पष्ट करम ।

उत्तर:
घत
ध उभयरय हह सचे तयत्पयर्यु दिय
प र्योधनि ककी ईष्ययर्यु सचे हह । भनीम दिय
प र्योधनि सचे कहतय हह कक विषर्षों सचे तपमनिचे इस ईष्ययर्यु कय
बनीज बकोयय हह तको अब फसलि तको तपम्हम हह कयटनिनी हकोगनी। ककतनिनों कको उसनिचे इस ईष्ययर्यु रूपनी अजगनि मम जलिययय हह
लिचेककनि आज स्विययां उनि आग ककी लिपटनों सचे बचनिय चयहतय हह ।

प्रश्न ग-i:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
जजस रयज्य पर रत्तनी भर भनी अचधकयर निहहयां थय, उसनी कको पयनिचे कचे ललिए तपमनिचे यपद्ध ठयनिय, यह स्वियथर्यु कय तययांडवि
नित्ध य निहहयां तको और क्यय हह ? भलिय ककस न्ययय सचे तपम रयज्ययचधकयर ककी मयहाँग करतचे थचे?
उपयक्
पर्यु त अवितरण कचे विक्तय तथय शकोतय कचे बयरचे मम बतयइए।

उत्तर:
उपयक्
पर्यु त अवितरण कचे विक्तय यपचधजष्ठर और शकोतय दिय
प र्योधनि हह । इस समय विक्तय यचप धजष्ठर मरणयसन्नि शकोतय

एकययांककी-सयांचय – महयभयरत ककी एक सयहाँझ- 3


दिय
प र्योधनि कको शययांनत प्रदियनि करनिचे कचे उदचेश्य सचे आए हम। इस समय दिकोनिनों कचे मध्य उचचत अनिचप चत वविचयरनों पर
वियतयर्युलियप चलि रहय हह ।

एकययांककी-सयांचय – महयभयरत ककी एक सयहाँझ- 4


प्रश्न ग-ii:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
जजस रयज्य पर रत्तनी भर भनी अचधकयर निहहयां थय, उसनी कको पयनिचे कचे ललिए तपमनिचे यपद्ध ठयनिय, यह स्वियथर्यु कय तययांडवि
नित्ध य निहहयां तको और क्यय हह ? भलिय ककस न्ययय सचे तपम रयज्ययचधकयर ककी मयहाँग करतचे थचे?
उपयक्
पर्यु त अवितरण मम ककस अचधकयर ककी बयत ककी जय रहह हह ?

उत्तर:
उपयक्
पर्यु त अवितरण मम रयज्य कचे वियस्तवविक उत्तरयचधकयरह कचे सयांदिभर्यु मम बयत ककी जय रहह हह । यहयहाँ पर यचप धजष्ठर
कय कहनिय हह कक रयज्य पर उनिकय वियस्तवविक अचधकयर थय यह जयनितचे हपए भनी दिय
प र्योधनि यह मयनिनिचे कचे ललिए
कभनी तहययर निहहयां हपआ और इस कयरण पररवियर मम ईष्ययर्यु और और झगड़चे बढ़कर अयांत मम महयभयरत कचे यपद्ध मम
तब्दिहलि हको गए।

प्रश्न ग-iii:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
जजस रयज्य पर रत्तनी भर भनी अचधकयर निहहयां थय, उसनी कको पयनिचे कचे ललिए तपमनिचे यपद्ध ठयनिय, यह स्वियथर्यु कय तययांडवि
नित्ध य निहहयां तको और क्यय हह ? भलिय ककस न्ययय सचे तपम रयज्ययचधकयर ककी मयहाँग करतचे थचे?
प्रस्तपत एकययांककी कय उदचेश्य ललिखखिए।

उत्तर:
प्रस्तपत एकययांककी कय उदचेश्य यह हह कक आप चयहचे ककतनिचे भनी कभटनिनीनतज, बलिवियनि और बपवद्धमयनि क्यनों नि हको परयां तप
यददि आप कय रयस्तय धमर्यु कय निहहयां हह तको आपकय अयांत हकोनिय ननिजश्चत हह । सयथ यह एकययांककी मनिपष्य कको त्ययग
और सहनिशनीलितय कय पयठ भनी पढ़यतनी हह । यहह विचे दिको मपख्य कयरण थचे जजसकचे अभयवि मम महयभयरत कय यपद्ध
लिड़य गयय। इसकचे अनतररक्त इस एकययांककी कय एक और उदचेश्य यह भनी ददिखियनिय थय कक इस यपद्ध कचे ललिए ककौरवि
और पययांडवि दिकोनिनों हह पक बरयबर जजम्मचेदियर थचे।

प्रश्न ग-iv:
ननिम्निललिखखित गद्यययांश कको पढ़कर निनीचचे ददिए गए प्रश्निनों कचे उत्तर ललिखखिए :
जजस रयज्य पर रत्तनी भर भनी अचधकयर निहहयां थय, उसनी कको पयनिचे कचे ललिए तपमनिचे यपद्ध ठयनिय, यह स्वियथर्यु कय तययांडवि
नित्ध य निहहयां तको और क्यय हह ? भलिय ककस न्ययय सचे तपम रयज्ययचधकयर ककी मयहाँग करतचे थचे?
महयभयरत कचे यपद्ध सचे हमम ककौनि-सनी सनीखि लमलितनी हह ?

उत्तर:
महयभयरत कय यद्ध
प तको शरू
प सचे लिचेकर अयांत तक सनीखिनों सचे हह भरय पड़य हम परयां तप मपख्य रूप सचे यह यद्ध
प हमम यह

एकययांककी-सयांचय – महयभयरत ककी एक सयहाँझ- 5


सनीखि दिचे तय हह कक कभनी भनी पयररवियररक धनि-सयांपजत्त कचे ललिए अपनिचे हह भयईयनों सचे ईष्ययर्यु और विहमनिस्य निहहयां
रखिनिय चयदहए क्यनोंकक इस प्रकयर कचे लिड़यई-झगड़चे मम जनीत कर भनी हयर हह हकोतनी हह ।

एकययांककी-सयांचय – महयभयरत ककी एक सयहाँझ- 6

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