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बरगद (वट) वृक्ष सैकड ों र ग ों की अचूक दवा भी है।

बरगद का पेड़- ह िं दू सिं स्कृहि में वट वृ क्ष यानी बरगद का पेड़ बहुि म त्त्व रखिा ै । इस पेड़ को हिमूहिि ब्रह्मा, हवष्णु, म े श
का प्रिीक माना जािा ै । शास्त्ोिं में वटवृ क्ष के बारे में हवस्तार से बिाया गया ै । वट वृ क्ष मोक्षप्रद ै और इसे जीवन और
मृत्यु का प्रिीक माना जािा ै । जो व्यक्ति दो वटवृ क्षोिं का हवहिवि रोपण करिा ै व मृत्यु के बाद हशवलोक को प्राप्त ोिा
ै । इस पेड़ को कभी न ी िं काटना चाह ए। मान्यिा ै हक हनिःसिं िान दिं पहि बरगद के पेड़ की पूजा करें िो उन्हें सिं िान प्राक्तप्त
ो सकिी ै ।

आग से जल जाना – द ी के साथ बड़ को पीसकर बने लेप को जले हुए अिंग पर लगाने से जलन दू र ोिी ै । जले हुए
स्थान पर बरगद की कोपल या कोमल पत्ोिं को गाय के द ी में पीसकर लगाने से जलन कम ो जािी ै।

बालोिं के रोग – बरगद के पत्ोिं की 20 ग्राम राख को 100 हमलीलीटर अलसी के िे ल में हमलाकर माहलश करिे र ने से
हसर के बाल उग आिे ैं । बरगद के साफ कोमल पत्ोिं के रस में, बराबर मािा में सरसोिं के िे ल को हमलाकर आग पर
पकाकर गमि कर लें, इस िे ल को बालोिं में लगाने से बालोिं के सभी रोग दू र ो जािे ैं ।

25-25 ग्राम बरगद की जड़ और जटामािं सी का चूणि, 400 हमलीलीटर हिल का िे ल िथा 2 लीटर हगलोय का रस को एकसाथ
हमलाकर िू प में रख दें , इसमें से पानी सू ख जाने पर िे ल को छान लें। इस िे ल की माहलश से गिं जापन दू र ोकर बाल आ
जािे ैं और बाल झड़ना बिं द ो जािे ैं ।

बरगद की जटा और काले हिल को बराबर मािा में लेकर खूब बारीक पीसकर हसर पर लगायें । इसके आिा घिंटे बाद किंघी
से बालोिं को साफ कर ऊपर से भािं गरा और नाररयल की हगरी दोनोिं को पीसकर लगािे र ने से बाल कुछ हदन में ी घने
और लिंबे ो जािे ैं ।

नाक से खून ब ना – 3 ग्राम बरगद की जटा के बारीक पाउडर को दू ि की लस्सी के साथ हपलाने से नाक से खून ब ना
बिं द ो जािा ै । नाक में बरगद के दू ि की 2 बूिंदें डालने से नकसीर (नाक से खून ब ना) ठीक ो जािी ै ।

नीद
िं का अहिक आना – बरगद के कड़े रे शुष्क पत्ोिं के 10 ग्राम दरदरे चूणि को 1 लीटर पानी में पकायें , चौथाई बच
जाने पर इसमें 1 ग्राम नमक हमलाकर सु ब -शाम पीने से र समय आलस्य और नीिंद का आना कम ो जािा ै ।

जुकाम – बरगद के लाल रिं ग के कोमल पत्ोिं को छाया में सु खाकर पीसकर रख लें। हफर आिा हकलो पानी में इस पाउडर
को 1 या आिा चम्मच डालकर पकायें , पकने के बाद थोड़ा सा बचने पर इसमें 3 चम्मच शक्कर हमलाकर सु ब -शाम चाय
की िर पीने से जुकाम और नजला आहद रोग दू र ोिे ैं और हसर की कमजोरी ठीक ो जािी ै ।

हृदय रोग – 10 ग्राम बरगद के कोमल रे रिं ग के पत्ोिं को 150 हमलीलीटर पानी में खूब पीसकर छानकर उसमें थोड़ी
हमश्री हमलाकर सु ब -शाम 15 हदन िक से वन करने से हदल की घड़कन सामान्य ो जािी ै । बरगद के दू ि की 4-5 बूिं दे
बिाशे में डालकर लगभग 40 हदन िक से वन करने से हदल के रोग में लाभ हमलिा ै ।

पैरोिं की हबवाई – हबवाई की फटी हुई दरारोिं पर बरगद का दू ि भरकर माहलश करिे र ने से कुछ ी हदनोिं में व ठीक
ो जािी ै ।

कमर ददि – कमर ददि में बरगद़ के दू ि की माहलश हदन में 3 बार कुछ हदन करने से कमर ददि में आराम आिा ै।
बरगद का दू ि अलसी के िेल में हमलाकर माहलश करने से कमर ददि से छु टकरा हमलिा ै ।

शक्तिवर्द्ि क – बरगद के पेड़ के फल को सु खाकर बारीक पाउडर लेकर हमश्री के बारीक पाउडर हमला लें। रोजाना सु ब
इस पाउडर को 6 ग्राम की मािा में दू ि के साथ से वन से वीयि का पिलापन, शीघ्रपिन आहद रोग दू र ोिे ैं ।

शीघ्रपिन – सू योदय से प ले बरगद़ के पत्े िोड़कर टपकने वाले दू ि को एक बिाशे में 3-4 बूिं द टपकाकर खा लें। एक
बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बिाशे खाकर पूरा करें । र फ्ते 2-2 बूिं द की मािा बढािे हुए 5-6 फ्ते िक य प्रयोग जारी रखें।
इसके हनयहमि से वन से शीघ्रपिन, वीयि का पिलापन, स्वप्नदोष, प्रमे , खूनी बवासीर, रि प्रदर आहद रोग ठीक ो जािे ैं और
य प्रयोग बलवीयि वृ क्तर्द् के हलए भी बहुि लाभकारी ै ।

यौनशक्ति बढाने े िु – बरगद के पके फल को छाया में सु खाकर पीसकर चूणि बना लें। इस चूणि को बराबर मािा की
हमश्री के साथ हमलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच की मािा में सु ब खाली पेट और सोने से प ले एक कप दू ि से हनयहमि
रूप से से वन करिे र ने से कुछ फ्तोिं में यौन शक्ति में बहुि लाभ हमलिा ै ।

नपुिंसकिा – बिाशे में बरगद के दू ि की 5-10 बूिं दे डालकर रोजाना सु ब -शाम खाने से नपुिंसकिा दू र ोिी ै । 3-3 ग्राम
बरगद के पेड़ की कोिंपले (मुलायम पहत्यािं ) और गू लर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम हमश्री को पीसकर लुगदी सी बना लें
हफर इसे िीन बार मुिं में रखकर चबा लें और ऊपर से 250 ग्राम दू ि पी लें। 40 हदन िक खाने से वीयि बढिा ै और
सिं भोग से खत्म हुई शक्ति लौट आिी ै ।

प्रमे – बरगद के दू ि की प ले हदन 1 बूिं द 1 बिासे डालकर खायें , दू सरे हदन 2 बिासोिं पर 2 बूिं दे, िीसरे हदन 3 बिासोिं
पर 3 बूिं द ऐसे 21 हदनोिं िक बढािे हुए घटाना शुरू करें । इससे प्रमे और स्वप्न दोष दू र ोकर वीयि बढने लगिा ै ।

वीयि रोग में – बरगद के फल छाया में सु खाकर चूणि बना लें। गाय के दू ि के साथ य 1 चम्मच चूणि खाने से वीयि गाढा व
बलवान बनिा ै ।

25 ग्राम बरगद की कोपलें (मुलायम पहत्यािं ) लेकर 250 हमलीलीटर पानी में पकायें । जब एक चौथाई पानी बचे िो इसे
छानकर आिा हकलो दू ि में डालकर पकायें । इसमें 6 ग्राम ईसबगोल की भू सी और 6 ग्राम चीनी हमलाकर हसफि 7 हदन िक
पीने से वीयि गाढा ो जािा ै । बरगद के दू ि की 5-7 बूिं दे बिाशे में भरकर खाने से वीयि के शुक्राणु बढिे ै ।

उपदिं श (हसफहलस) – बरगद की जटा के साथ अजुिन की छाल, रड़, लोध्र व ल्दी को समान मािा में लेकर पानी में
पीसकर लेप लगाने से उपदिं श के घाव भर जािे ैं । बरगद का दू ि उपदिं श के फोड़े पर लगा दे ने से व बै ठ जािी ै । बड़
के पत्ोिं की भस्म (राख) को पान में डालकर खाने से उपदिं श रोग में लाभ ोिा ै ।

पेशाब की जलन – बरगद के पत्ोिं से बना काढा 50 हमलीलीटर की मािा में 2-3 बार से वन करने से पेशाब की जलन दू र
ो जािी ै । य काढा हसर के भारीपन, नजला, जुकाम आहद में भी फायदा करिा ै ।

स्तनोिं का ढीलापन – बरगद की जटाओिं के बारीक रे शोिं को पीसकर बने लेप को रोजाना सोिे समय स्तनोिं पर माहलश करके
लगािे र ने से कुछ फ्तोिं में स्तनोिं का ढीलापन दू र ो जािा ै । बरगद की जटा के बारीक अग्रभाग के पीले व लाल
िन्तुओिं को पीसकर लेप करने से स्तनोिं के ढीलेपन में फायदा ोिा ै ।

गभि पाि ोने पर – 4 ग्राम बरगद की छाया में सु खाई हुई छाल के चूणि को दू ि की लस्सी के साथ खाने से गभि पाि न ी िं
ोिा ै । बरगद की छाल के काढे में 3 से 5 ग्राम लोध्र की लुगदी और थोड़ा सा श द हमलाकर हदन में 2 बार से वन करने
से गभि पाि में जल्द ी लाभ ोिा ै । योहन से रि का स्राव यहद अहिक ो िो बरगद की छाल के काढा में छोटे कपड़े
को हभगोकर योहन में रखें। इन दोनोिं प्रयोग से श्वे ि प्रदर में भी फायदा ोिा ै ।

योहन का ढीलापन – बरगद की कोपलोिं के रस में फोया हभगोकर योहन में रोज 1 से 15 हदन िक रखने से योहन का
ढीलापन दू र ोकर योहन टाईट ो जािी ै ।

गभि िारण करने े िु – पुष्य नक्षि और शुक्ल पक्ष में लाये हुए बरगद की कोपलोिं का चूणि 6 ग्राम की मािा में माहसक-स्राव
काल में प्राि: पानी के साथ 4-6 हदन खाने से स्त्ी अवश्य गभि िारण करिी ै , या बरगद की कोिंपलोिं को पीसकर बे र के
हजिनी 21 गोहलयािं बनाकर 3 गोली रोज घी के साथ खाने से भी गभि िारण करने में आसानी ोिी ै ।

गभि काल की उल्टी – बड़ की जटा के अिंकुर को घोटकर गभि विी स्त्ी को हपलाने से सभी प्रकार की उल्टी बिं द ो जािी ै।

रिप्रदर – 20 ग्राम बरगद के कोमल पत्ोिं को 100 से 200 हमलीलीटर पानी में घोटकर रिप्रदर वाली स्त्ी को सु ब -शाम
हपलाने से लाभ ोिा ै । स्त्ी या पुरुष के पेशाब में खू न आिा ो िो व भी बिं द ो जािा ै ।

भगन्दर – बरगद के पत्े, सौिंठ, पुरानी ईिंट के पाउडर, हगलोय िथा पुननिवा की जड़ का चूणि समान मािा में लेकर पानी के
साथ पीसकर लेप करने से भगन्दर के रोग में फायदा ोिा ै ।

बादी बवासीर – 20 ग्राम बरगद की छाल को 400 हमलीलीटर पानी में पकायें , पकने पर आिा पानी र ने पर छानकर उसमें
10-10 ग्राम गाय का घी और चीनी हमलाकर गमि ी खाने से कुछ ी हदनोिं में बादी बवासीर में लाभ ोिा ै ।

खूनी बवासीर – बरगद के 25 ग्राम कोमल पत्ोिं को 200 हमलीलीटर पानी में घोटकर खूनी बवासीर के रोगी को हपलाने से
2-3 हदन में ी खून का ब ना बिं द ोिा ै । बवासीर के मस्सोिं पर बरगद के पीले पत्ोिं की राख को बराबर मािा में सरसोिं
के िे ल में हमलाकर लेप करिे र ने से कुछ ी समय में बवासीर ठीक ो जािी ै ।

बरगद की सू खी लकड़ी को जलाकर इसके कोयलोिं को बारीक पीसकर सुब -शाम 3 ग्राम की मािा में िाजे पानी के साथ
रोगी को दे िे र ने से खूनी बवासीर में फायदा ोिा ै । कोयलोिं के पाउडर को 21 बार िोये हुए मक्खन में हमलाकर मर म
बनाकर बवासीर के मस्सोिं पर लगाने से मस्से हबना हकसी ददि के दू र ो जािे ैं ।
खूनी दस्त – दस्त के साथ या प ले खून हनकलिा ै । उसे खूनी दस्त क िे ैं । इसे रोकने के हलए 20 ग्राम बरगद की
कोपलें लेकर पीस लें और राि को पानी में हभगोिंकर सुब छान लें हफर इसमें 100 ग्राम घी हमलाकर पकायें , पकने पर घी
बचने पर 20-25 ग्राम िक घी में श द व शक्कर हमलाकर खाने से खू नी दस्त में लाभ ोिा ै ।

दस्त – बरगद के दू ि को नाहभ के छे द में भरने और उसके आसपास लगाने से अहिसार (दस्त) में लाभ ोिा ै। 6 ग्राम
बरगद की कोिंपलोिं को 100 हमलीलीटर पानी में घोटकर और छानकर उसमें थोड़ी हमश्री हमलाकर रोगी को हपलाने से और
ऊपर से मट्ठा हपलाने से दस्त बिं द ो जािे ैं ।

बरगद की छाया मे सु खाई गई 3 ग्राम छाल को लेकर पाउड़र बना लें और हदन मे 3 बार चावलोिं के पानी के साथ या
िाजे पानी के साथ लेने से दस्तोिं में फायदा हमलिा ै । बरगद की 8-10 कोिंपलोिं को द ी के साथ खाने से दस्त बिं द ो जािे
ैं ।

आिं व – लगभग 5 ग्राम की मािा में बड़ के दू ि को सु ब -सु ब पीने से आिं व का दस्त समाप्त ो जािा ै।

मिु मे – 20 ग्राम बरगद की छाल और इसकी जटा को बारीक पीसकर बनाये गये चूणि को आिा हकलो पानी में पकायें ,
पकने पर अष्टमािं श से भी कम बचे र ने पर इसे उिारकर ठिं डा ोने पर छानकर खाने से मिु मे के रोग में लाभ ोिा ै ।
लगभग 24 ग्राम बरगद के पेड़ की छाल लेकर जौकूट करें और उसे आिा लीटर पानी के साथ काढा बना लें। जब चौथाई
पानी शेष र जाए िब उसे आग से उिारकर छाने और ठिं डा ोने पर पीयें । रोजाना 4-5 हदन िक से वन से मिु मे रोग
कम ो जािा ै । इसका प्रयोग सु ब -शाम करें ।

उल्टी – लगभग 3 ग्राम से 6 ग्राम बरगद की जटा का से वन करने से उल्टी आने का रोग दू र ो जािा ै।

मुिं के छाले – 30 ग्राम वट की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर गरारे करने से मुिं के छाले खत्म ो जािे ैं ।

घाव – घाव में कीड़े ो गये ो, बदबू आिी ो िो बरगद की छाल के काढे से घाव को रोज िोने से इसके दू ि की कुछ
बूिं दे हदन में 3-4 बार डालने से कीड़े खत्म ोकर घाव भर जािे ैं । सािारण घाव पर बरगद के दू ि को लगाने से घाव जल्दी
अच्छे ो जािे ैं । अगर घाव ऐसा ो हजसमें हक टािं के लगाने की जरूरि पड़ जािी ै । िो ऐसे में घाव के मुिं को
हपचकाकर बरगद के पत्े गमि करके घाव पर रखकर ऊपर से कसकर पट्टी बािं िे, इससे 3 हदन में घाव भर जाये गा, ध्यान र े
इस पट्टी को 3 हदन िक न खोलें। फोड़े -फुक्तियोिं पर इसके पत्ोिं को गमिकर बािं िने से वे शीघ्र ी पककर फूट जािे ैं ।।

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