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नक्षत्रों का ज्यरतिष शास्त्र

ज्योतिष शास्त्र में तितिन्न प्रकार के नक्षत्ोों का तिक्र तकया गया है । ये सिी नक्षत् तििने महत्वपूर्ण हैं
उिने ही िैयक्तिक िीिन पर िी असर डालिे हैं । आपको यकीन नहीों होगा लेतकन ये सच है तक तिस
नक्षत् में इों सान िन्म लेिा है िह नक्षत् उसके स्विाि और आगामी िीिन पर अपना असर िरूर
छोड़िा है । आइए िानें तिन्न-तिन्न नक्षत्ोों में िन्म लेने िाले लोगोों की क्या-क्या खातसयि होिी है ।

1. अतिन नक्षत्
ज्योतिष शास्त्र में सबसे प्रमुख और सबसे प्रथम अतिन नक्षत् को माना गया है । िो व्यक्ति इस
नक्षत् में िन्म लेिा है िह बहुि ऊिाण िान होने के सथ-साथ हमेशा सतक्रय रहना पसोंद करिा है ।
इनकी महत्वाकाों क्षाएों इन्हें सोंिुष्ट नहीों होने दे िीों। ये लोग रहस्यमयी प्रकृति के इों सान होने के साथ-
साथ थोड़े िल्दबाि िी होिे हैं िो पहले काम कर लेिे हैं और बाद में उस पर तिचार करिे हैं । ये
लोग अच्छे िीिनसाथी और एक आदशण तमत् सातबि होिे हैं ।

2. भरणी नक्षत्
इस नक्षत् का स्वामी शुक्र ग्रह होिा है , तिसकी ििह से इस नक्षत् में िन्में लोग आराम पसोंद और
आलीशान िीिन िीना चाहिे हैं । ये लोग काफी आकषणक और सुोंदर होिे हैं , इनका स्विाि लोगोों
को आकतषणि करिा है । इनके िीिन में प्रेम सिोपरर होिा है और िो िी ये ठान लेिे हैं उसे पूरा
करने के बाद ही चैन से बैठिे हैं । इनकी सामातिक प्रतिष्ठा और सम्मान हमेशा बना रहिा है ।

3. कृतिका नक्षत्
इस नक्षत् में िन्में िािक ना िो पहली निर में प्यार िैसी चीि पर िरोसा करिे हैं और ना ही
तकसी पर बहुि िल्दी एिबार करिे हैं । इस नक्षत् में िन्म लेने िाले व्यक्ति पर सूयण का प्रिाि
रहिा है , तिसकी ििह से ये लोग आत्म गौरि करने िाले होिे हैं । ये लोग स्वातिमानी होने के
साथ-साथ िुनक तमिािी और बहुि उत्सातहि रहने िाले होिे हैं । ये लोग तिस िी काम को
अपने हाथ में लेिे हैं उसे पूरी लगन और मेहनि के साथ पूरा करिे हैं ।

4. ररतिणी नक्षत्
रोतहर्ी नक्षत् का स्वामी चोंद्रमा होिा है और चोंद्रमा के प्रिाि की ििह से ये लोग काफी
कल्पनाशील और रोमाों तिक स्विाि के होिे हैं । ये लोग काफी चोंचल स्विाि के होिे हैं और
स्थातयत्व इन्हें रास नहीों आिा। इन लोगोों की सबसे बड़ी कमी यह होिी है तक ये किी एक ही
मुद्दे या राय पर कायम नहीों रहिे। ये लोग स्विाि से काफी तमलनसार िो होिे ही हैं लेतकन
साथ-साथ िीिन की सिी सुख-सुतिधाओों को पाने की कोतशश िी करिे रहिे हैं । तिपरीि तलोंग
के लोगोों के प्रति इनके िीिर तिशेष आकषणर् दे खा िा सकिा है ।

5. मृगतशरा नक्षत्
इस नक्षत् के िािकोों पर मोंगल का प्रिाि होने की ििह से ये लोग काफी साहसी और दृढ़
तनश्चय िाले होिे हैं । ये लोग स्थायी िीिन िीने में तििास रखिे हैं और हर काम पूरी मेहनि के
साथ पूरा करिे हैं । इनका व्यक्तित्व काफी आकषणक होिा है और ये हमेशा सचेि रहिे हैं ।
अगर कोई व्यक्ति इनके साथ धोखा करिा है िो ये तकसी िी कीमि पर उसे सबक तसखाकर
ही मानिे हैं । ये लोग काफी बुक्तिमान और मानतसक िौर पर मिबूि होिे हैं । इन्हें सोंगीि का
शौक होिा है और ये साों साररक सुखोों का उपिोग करने िाले होिे हैं ।

6. आर्द्ाा नक्षत्
इस नक्षत् में िन्म लेने िाले लोगोों पर आिीिन बुध और राहु ग्रह का प्रिाि रहिा है । राहु का
प्रिाि इन्हें रािनीति की ओर लेकर िािा है और इनके प्रति दू सरोों में आकषणर् तिकतसि करिा
है । ये लोग दू सरोों का तदमाग पढ़ लेिे हैं इसतलए इन्हें बहुि आसानी से बेिकूफ नहीों बनाया िा
सकिा। दू सरोों से काम तनकलिाने में मातहर इस नक्षत् में िन्में लोग अपने तनिी स्वाथण को पूरा
करने के तलए नैतिकिा को िी छोड़ दे िे हैं ।

7. पुनर्ासु नक्षत्
ऐसा माना िािा है तक इस नक्षत् में िन्म लेने िाले व्यक्ति के िीिर दै िीय शक्तियाों होिी हैं ।
इनका शरीर काफी िारी और याद्दाश्त बहुि मिबूि होिी है । ये लोग काफी तमलनसार और
प्रेम िािना से ओि-प्रोि होिे हैं । आप कह सकिे हैं तक िब िी इन पर कोई तिपति आिी है िो
कोई अदृश्य शक्ति इनकी सहायिा करने अिश्य आिी है । ये लोग काफी धनी िी होिे हैं ।

8. पुष्य नक्षत्
ज्योतिषशास्त्र के अोंिगणि शतनदे ि के प्रिाि िाले पुष्य नक्षत् को सबसे शुि माना गया है । इस
नक्षत् में िन्म लेने िाले लोग दू सरोों की िलाई के तलए सदै ि िैयार रहिे हैं और इनके िीिर सेिा
िािना िी बहुि प्रबल होिी है । ये लोग मेहनिी होिे हैं और अपनी मेहनि के बल पर धीरे -धीरे
ही सही िरक्की हातसल कर ही लेिे हैं । ये लोग कम उम्र में ही कई कतठनाइयोों का सामना कर
लेिे हैं इसतलए ये िल्दी पररपक्व िी हो िािे हैं । चोंचल मन िाले ये लोग तिपरीि तलोंग के प्रति
तिशेष आकषणर् िी रखिे हैं। इन्हें सोंयतमि और व्यिक्तस्थि िीिन िीना पसोंद होिा है ।

9. आश्लेषा नक्षत्
शास्त्रोों के अनुसार यह नक्षत् तिषैला होिा है और इस नक्षत् में िन्म लेने िाले व्यक्तियोों के िीिर
िी तिष की थोड़ी बहुि मात्ा अिश्य पाई िािी है । आश्लेषा नक्षत् में िन्में व्यक्ति ईमानदार िो
होिे हैं तकोंिु मौका तमलिे ही अपने रों ग तदखाने से िी बाि नहीों आिे। िब िक इन्हें लाि
तमलिा है बस ििी िक दोस्ती तनिाने िाले ये लोग दू सरोों पर तबल्कुल िरोसा नहीों कर पािे। ये
लोग कुशल व्यिसायी सातबि होिे हैं और दू सरोों का मन पढ़कर उनसे अपना काम तनकलिा
सकिे हैं । इस नक्षत् में िन्म लेने िाले लोगोों को अपने िाइयोों का पूरा सहयोग तमलिा है ।

10. मघा नक्षत्


इस नक्षत् को गण्डमूल नक्षत् की श्रेर्ी में रखा गया है । सूयण के स्वातमत्व के कारर् ये लोग काफी
ज्यादा प्रिािी बन िािे हैं । इनके िीिर स्वातिमान की िािना प्रबल होिी है और बहुि ही
िल्दी इनका दबदबा िी कायम हो िािा है । ये कमणठ होिे हैं और तकसी िी काम को िल्दी से
िल्दी पूरा करने की कोतशश करिे हैं । इनके िीिर ईिरीय आस्था बहुि अतधक होिी है ।

11. पूर्ााफाल्गुनी नक्षत्


इस नक्षत् में िन्म लेने िाले लोगोों में सोंगीि और कला की तिशेष समझ होिी है िो बचपन से ही
तदखाई दे ने लगिी है । ये लोग नैतिकिा और ईमानदारी के रास्ते पर चलकर ही अपना िीिन
व्यिीि करिे हैं , शाों ति पसोंद होने की ििह से तकसी िी िरह के तििाद या लड़ाई-झगड़े में
पड़ना पसोंद नहीों करिे। इनके पास धन की मात्ा अच्छी खासी होिी है तिसकी ििह से ये
िौतिक सुखोों का आनोंद उठािे हैं । ये लोग अहों कारी प्रिृति के होिे हैं ।

12. उिराफाल्गुनी नक्षत्


इस नक्षत् में िन्में लोग समझदार और बुक्तिमान होिे हैं । ये अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के तलए
िरपूर प्रयास करिे हैं । ये लोग तनिी क्षेत् में सफलिा हातसल नहीों कर सकिे इसतलए इन्हें
सरकारी क्षेत् में ही अपना कॅररयर िलाशना चातहए। ये लोग एक काम को करने में काफी समय
लगा दे िे हैं । अपने हर सोंबोंध को ये लोग लोंबे समय िक तनिािे हैं ।

13. िस्त नक्षत्


बौक्तिक, मददगार, तनर्णय लेने में अक्षम, कुशल व्यिसातयक गुर्ोों िाले ये लोग दू सरोों से अपना
काम तनकालने में मातहर माने िािे हैं । इन्हें हर प्रकार की सुख-सुतिधाएों तमलिी हैं और इनका
िीिन आनोंद में बीििा है ।

14. तित्ा नक्षत्


इस नक्षत् में िन्म लेने िाले व्यक्तियोों के स्विाि में आपको मोंगल ग्रह का प्रिाि तदखाई दे
सकिा है । ये लोग हर तकसी के साथ अच्छे सोंबोंध बनाए रखने की कोतशश करिे हैं , इन्हें आप
सामातिक तहिोों के तलए कायण करिे हुए िी दे ख सकिे हैं । ये लोग तिपरीि हालािोों से तबल्कुल
नहीों घबरािे और खुलकर मुसीबिोों का सामना करिे हैं । पररश्रम और तहम्मि ही इनकी िाकि
है ।

15. स्वाति नक्षत्


इस नक्षत् में िन्म लेने िाले िािक मोिी के समान चमकिे हैं अथाण ि इनका स्विाि और
आचरर् स्वच्छ होिा है । ऐसा माना िािा है तक इस नक्षत् में पानी की बूोंद सीप पर तगरिी है िो
िह मोिी बन िािी है । िु ला रातश में होने की ििह से स्वाति नक्षत् के िािक साक्तत्वक और
िामतसक दोनोों ही प्रिृति िाले होिे हैं । ये लोग रािनीतिक दाों ि-पेंचोों को अच्छी िरह समझिे हैं
और अपने प्रतिद्वों तदयोों पर हमेशा िीि हातसल करिे हैं ।
16. तर्शाखा नक्षत्
पठन-पाठन के कायों में उिम सातबि होिे हैं स्वाति नक्षत् में िन्में लोग। ये लोग शारीररक श्रम
िो नहीों कर पािे लेतकन अपनी बुक्ति के प्रयोग से सिी को परातिि करिे हैं । ये लोग काफी
सामातिक होिे हैं तिसकी ििह से इनका सामातिक दायरा िी बहुि तिस्तृि होिा है । ये लोग
महत्वाकाों क्षी होिे हैं और अपनी हर महत्वाकाों क्षा को पू रा करने के तलए बहुि मेहनि करिे हैं ।

17. अनुराधा नक्षत्


इस नक्षत् में िन्में लोग अपने आदशों और तसिाों िोों पर िीिे हैं । ये लोग अपने गुस्से को तनयोंतत्ि नहीों
कर पािे इस कारर् इन्हें कई बार बड़े नुकसान उठाने पड़िे हैं । ये लोग अपने तदमाग से ज्यादा तदल से
काम लेिे हैं और अपनी िािनाओों को तछपाकर नहीों रख पािे। ये लोग िुबान से थोड़े कड़िे होिे हैं
तिसकी ििह से लोग इन्हें ज्यादा पसोंद नहीों करिे।

18. ज्येष्ठा नक्षत्


गण्डमूल नक्षत् की श्रेर्ी में होने की ििह से यह िी अशुि नक्षत् ही माना िािा है । ज्येष्ठा नक्षत् में िन्म
लेने िाले लोग िुनक तमिािी होिे है और छोिी-छोिी बािोों पर लड़ने के तलए िैयार हो िािे हैं । खुली
मानतसकिा िाले ये लोग सीमाओों में बोंधकर अपना िीिन नहीों िी पािे।

19. मूल नक्षत्


यह नक्षत् गण्डमूल नक्षत् की श्रेर्ी का सबसे अशुि नक्षत् माना गया है । इस नक्षत् में िन्म लेने िाले
व्यक्तियोों के पररिार को िी इसके दोष का सामना करना पड़िा है । लेतकन इनमें कई तिशेषिाएों िी
होिी हैं िैसे तक इनका बुक्तिमान होना, इनकी िफादारी, सामातिक रूप से तिम्मेदार, आतद। इन्हें आप
तिद्वानोों की श्रेर्ी में रख सकिे हैं ।

20. पूर्ााषाढ़ा नक्षत्


ईमानदार, प्रसन्न, खुशतमिाि, कला, सतहत्य और अतिनय प्रेमी, बेहिरीन दोस्त और आदशण
िीिनसाथी, ये सिी पूिाण षाढ़ा नक्षत् में िन्में लोगोों के खातसयि होिी है ।

21. उिराषाढ़ा नक्षत्


ये लोग काफी आशािादी और खुशतमिाि स्विाि के होिे हैं । इस नक्षत् में पैदा होने िाले लोग नौकरी
और व्यिसाय दोनोों ही में सफलिा प्राप्त करिे हैं । ये पू री िािना के साथ अपने तमत्ोों का साथ दे िे हैं
और इसी स्विाि के कारर् इन्हें अपने तमत्ोों से परस्पर सहयोग और सहायिा इन्हें तमलिी रहिी है । ये
लोग काफी धनी िी होिे हैं ।
22. श्रर्ण नक्षत्
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मािा-तपिा के तलए अपना सिणस्व त्यागने िाले श्रिर् कुमार के नाम पर ही इस
नक्षत् का नाम पड़ा है । इस नक्षत् में िन्म लेने िाले लोगोों में कई तिशेषिाएों होिी हैं िैसे तक इनका
ईमानदार होना, इनकी समझदारी, किणव्यपरायर्िा आतद। ये लोग तिस िी कायण में हाथ डालिे हैं
उसमें सफलिा हातसल करिे हैं । ये लोग किी अनािश्यक खचण नहीों करिे , तिसकी ििह से लोग इन्हें
कोंिूस िी समझ बैठिे हैं ।

23. घतनष्ठा नक्षत्


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस नक्षत् में िन्म लेने िाले लोग काफी उिाण िान होिे हैं और उन्हें खाली
बैठना तबल्कुल पसोंद नहीों होिा। ये लोग अपनी मेहनि और लगन के बल पर अपनी मोंतिल हातसल कर
ही लेिे हैं । इन्हें दू सरोों को अपने तनयोंत्र् में रखना अच्छा लगिा है और ये अतधकार िािना िी रखिे हैं ।
इन्हें शाों तिपूर्ण िरीके से अपना िीिन िीना पसोंद है ।

24. शितभषा नक्षत्


ये लोग शारीररक श्रम में तबल्कुल तििास नहीों करिे हैं और हर समय अपनी बुक्ति का पररचय दे िे हैं ।
इस नक्षत् में िन्में लोग स्वच्छों द तिचारधारा के होिे है अि: साझेदारी की अपेक्षा स्विोंत् रूप से कायण
करना पसोंद करिे हैं । ये लोग उन्मुि तिचारधारा के होिे हैं और मशीनी िौर पर िीना इन्हें किई
बरदाश्त नहीों होिा। ये अपने शत्ुओों पर हमेशा हािी रहिे हैं ।

25. पूर्ााभार्द्पद नक्षत्


गुरु ग्रह के स्वातमत्व िाले इस नक्षत् में िन्में िािक सत्य और नैतिक तनयमोों का पालन करने िाले होिे
हैं । दू सरोों की मदद करने के तलए हमेशा िैयार रहने िाले ये लोग बहुि अतधक व्यिहार कुशल और
तमलनसार कहे िा सकिे हैं । ये लोग आध्याक्तत्मक प्रिृति के िो होिे ही हैं साथ ही साथ ज्योतिष के िी
अच्छे िानकार कहे िािे हैं ।

26. उिराभार्द्पद नक्षत्


इस नक्षत् में िन्में लोग हिाई तकलोों या कल्पना की दु तनया में तििास अहीों करिे। ये लोग बेहद
यथाथणिादी और हकीकि को समझने िाले होिे हैं । व्यापार हो या नौकरी, इनका पररश्रम इन्हें हर िगह
सफलिा तदलिािा है । इनके िीिर त्याग िािना िी बहुि ज्यादा होिी है ।

27. रे र्िी नक्षत्


रे ििी नक्षत् में िन्में िािक बहुि ईमानदार होिे है और इस कारर् ये तकसी िी रूप में धोखा नहीों दे
सकिे। परों पराओों और मान्यिाओों को लेकर ये लोग काफी रूतढ़िादी होने के बाििूद अपने व्यिहार में
लचीलापन रखिे हैं । इनकी तशक्षा का स्तर काफी ऊोंचा होिा है और अपनी सूझबूझ से ये बहुि सी
मुक्तिलोों को हल कर लेिे हैं ।
नक्षत् एर्ों उनके प्रकार
नक्षत्र :
आकाश में कई लघु तारा समूह आकृतत में अश्व, स्वान, सर्प, मृग, हाथी, जैसे तिखाई िे ते हैं उन्हें नक्षत्र कहते
हैं | ये नक्षत्र र्ृ थ्वी मागप में चन्द्र द्वारा तय की गयी िू री प्रकट करते हैं | एक नक्षत्र १३ अंश २०’ कला का
होता है | प्रत्येक नक्षत्र चार चरण का होता है अतः नक्षत्र के एक चरण की िू री १३ अंश २०’ कला /४ = ३
अंश २०’कला होती है | सवा िो नक्षत्र अथाप तप ९ चरण की एक रातश होती है | चन्द्र २.२५ तिन में एक रातश
र्ार कर लेता है यानी ३० अंश र्ार कर लेता है | सत्ताईस तिन में सभी १२ रातशयााँ और २७ नक्षत्र र्ार कर
लेता है | चन्द्र यात्रा मागप में कुल २७ नक्षत्र हैं मगर ज्योततषाचायों का मत है तक उत्तरा-आषाढ़ नक्षत्र
की अंततम १५ घटी और श्रवण नक्षत्र की प्रथम ४ घटी कुल १९ घटी का अतभजीत नामक एक २८ वां नक्षत्र
भी है | यह सभी शुभ कायों के तलए अच्छा रहता है
स्वभाव के आधार पर नक्षत्ररों कर सात श्रेणियरों में बााँ टा गया है :
१. स्थिर नक्षत्र : रोतहणी, उत्तर-फाल्गु नी,उत्तरा-आषाढ़, उत्तरा-भाद्रर्ि,(४,१२,२१,२६) ये चार नक्षत्र स्थथर होते
हैं | भवन तनमाप ण,कृतष कायप , ग्रह प्रवे श, नौकरी ज्वायन करना, उर्नयन सं स्कार आति के तलए शुभ होते हैं |
२. चर(चोंचल) नक्षत्र : र्ु नवप शु, स्वातत, श्रवण, धतनष्ठा, शततभषा,(७,१५,२२,२३,२४,) ये र्ां च नक्षत्र चर अथवा
चंचल प्रकृतत के होते हैं | मोटरकार चलाना या खरीिना, घुड़सवारी करना, यात्रा करना आति गततशील कायों के
तलए शुभ रहते हैं |
३. क्रूर(उग्र) नक्षत्र : भरनी, मघा, र्ूवाप -फाल्गु नी, र्ूवाप -आषाढ़, र्ूवाप -भाद्रर्ि, (२,१०,११,२०,२५) ये र्ां च नक्षत्र
क्रूर अथवा उग्र प्रकृतत के होते हैं | सजपरी करना, भट्टे लगाना, अस्त्र-शस्त्र चलाना व्यार्ार करना, खोज कायप
करना, शोध कायप करना, मारर्ीट करना,आग जलाना, आति के तलए शुभ रहते हैं |
४. णमश्र (साधारि) नक्षत्र : कृततका, तवशाखा,(३,१६) ये िो नक्षत्र तमश्र अथवा साधारण प्रकृतत के होते
हैं | तिजली सम्बन्धी कायप , िवाई िनाने का कायप , लोहा भट्टी, गै स भट्टी, भार् इं जन आति के कायप करने शुभ
रहते हैं |
५. लघु नक्षत्र : अतश्वनी, र्ु ष्य, हस्त,(१,८,१३,) ये तीन नक्षत्र लघु प्रकृतत के होते
हैं | नाटक, नौटं की,रूर्सज्जा,गायन, िू कान,तशक्षा,लेखन,प्रकाशन, आभू षण, आति के कायों को करने के तलए शुभ
रहते हैं |
६. मृ दु (णमत्रवत) नक्षत्र : मृगतशरा,तचत्रा, अनुराधा, रे वती,(५,१४,१७,२७) ये चार नक्षत्र मृिु अथवा तमत्रवत
प्रकृतत के होते हैं |कर्डे िनाना, तसलाई कायप ,खेल, आभू षण िनवाना, से वा कायप ,व्यार्ार,सत्संग आति कायप करना
शुभ रहते हैं |
७. तीक्ष्ि (दारुि) नक्षत्र : आद्रा,आश्लेषा,ज्ये ष्ठा, मूल,(६,९,१८,१९) ये चार नक्षत्र तीक्ष्ण अथवा िु खिायी
प्रकृतत के होते हैं |लड़ाई-झगड़े करना, जानवरों को वश में करना, कोई हातनकारक कायप करना, जािू -टोना
करना आति कायप शुभ रहते हैं |
शुभाशुभ फल के आधार पर नक्षत्ररों कर तीन श्रेणियरों में बााँ टा गया है |
१. शु भ फलदायी नक्षत्र : १,४,८,१२,१३,१४,१७,२१,२२,२३,२४,२६,२७, कुल १३ नक्षत्र शु भ फलिायी होते हैं |
२. मध्यम फलदायी नक्षत्र : ५,७,१०,१६, कुल चार नक्षत्र मध्यम फलिायी होते हैं |
३. अशु भ फलदायी नक्षत्र : २,३,६,९,११,१५,१८,१९,२०,२५, कुल १० नक्षत्र अशुभ फलिायी होते हैं |
चररी गयी वस्तु प्रास्ि अिवा अप्रास्ि के आधार पर नक्षत्ररों कर चार भागरों में बााँ टा गया है :
१. अों ध लरचन नक्षत्र : ४,७,१२,१६,२०,२३,२७, ये सात अं ध लोचन नक्षत्र कहलाते हैं | इन नक्षत्रों में खोई या
चोरी गई वस्तु र्ूवप तिशा में जाती या होती है एवं शीघ्र/ जल्दी तमल जाती है |
२. मों द लरचन नक्षत्र :१,५,९,१३,१७,२१,२४, ये सातनक्षत्र मंि लोचन नक्षत्र कहलाते हैं | खोई हुई वस्तु या
चोरी गई वस्तु र्तिम तिशा में जाती या होती है एवं प्रयत्न करने र्र तमल जाती है |
३. मध्य लरचन नक्षत्र :२,६,१०,१४,१८,२५, ये छः नक्षत्र मध्य लोचन नक्षत्र कहलाते हैं | इन नक्षत्रों में चोरी
गई या खोई वस्तु ितक्षण तिशा में जाती या होती है तथा सू चना तमलने या मालूम होने र्र भी नही ं तमलती
है |
४. सुलरचन नक्षत्र :३,८,११,१५,१९,२२,२६, ये सात नक्षत्र सु लोचन नक्षत्र कहलाते हैं | इन नक्षत्रों में चोरी गई
या खोई वस्तु उत्तर तिशा में जाती या होती है | उत्तर तिशा में जाने वाली वस्तु की न तो कोई जानकारी या
सू चना तमलती है और न ही वो वस्तु वातर्स तमलती है |
नक्षत्र एवों उसमें जन्मे बालक का नक्षत्र फल
नक्षत्र जन्म फल :-
अश्वनी नक्षत्र :धनी, हं समु ख, सुं िर, िु तिमान, अच्छी र्ोशाक, आभू षण र्हनने का शौकीन, गठीला
शरीर, जनतप्रय | हर काम में होतशयार | र्रोर्कारी, यशस्वी, वाहन एवं नौकर यु क्त| भाग्योिय २० वषप
िाि , यशस्वी, एश्वयप सं र्न्न, नम्र स्पष्ट वक्ता अस्थथर चररत्रवान | स्वाथपर्ूततप के तलए तवश्वासघात भी कर ले | क्रूर
गृ ह की िशा में सू यप, मंगल व् गु रु के अंतर में शत्रु कष्ट, चोरी का भय |
भरिी नक्षत्र :सत्यवािी, स्वाथ्य अच्छा, िीमार कम रहे | सु मागप र्र चले, सु खी स्स्त्रयों में आशक्त, अस्थथर
मनोवृ तत्त,अस्थथर तवचार, तविे श गमन की इच्छा, िीघाप यु, शत्रु तवजयी, भाग्योिय २५ वषप िाि | कभी चोट लगकर
अंग भं ग होना सं भव |कम िोलने वाला, क्रूर व् कृतघ्न, नीच कमप रत, क्रूर गृ ह की महािशा तथा चन्द्र – राहू –
शतन की अंतर िशा में शत्रु – कष्ट,चोरी भय |
कृणतका नक्षत्र :कामी चररत्र हीन, कंजूस, कृतघ्न, तमत्र एवं सम्बस्न्धयों से तिगाड़ हो | तजस काम में हाथ डाले
उसे र्ूरा करके छोड़े | अच्छे भोजन आति का शौकीन | स्स्त्रयों से तमत्रता िढाने में तसद्धहस्त | तकसी तवशेष
तवषय में िक्ष | स्वे च्छानुसार कायप करने वाला | िु तिमान लोभी, प्रतसद्ध, ते जस्वी, आशावािी, िाह्य व्यस्क्तत्व
शानिार, तवद्वान िे खने में भव्य | मुकिमेिाजी में रूतच रखने वाला चालाक | भाग्योिय २९ वषप िाि , क्रूर गृ ह
की िशा तथा मंगल, गु रु, िु ध, की अन्तिप शा में शत्रु कष्ट चोरी का भय |
ररणहिी नक्षत्र :सुं िर आकषप क लुभावना व्यस्क्तत्व, सत्य एवं मधु र भाषी जनतप्रय कायप र्टु कलाकार सां साररक
कायप िु स्द्ध से सं र्न्न करे दृढ प्रततज्ञ | रात का जन्म होतो झूठ िोलने वाला | कठोर मन वासना अतधक वासना
र्ूती के तलए कुछ भी कर सकता है | भोगी धन व् स्मरण शस्क्त तीव्र , नेत्र िड़े ललाट चौड़ा आलसी भाग्योिय
३० वषप के र्िात | क्रूर गृ ह की िशा में राहू शतन व् केतु के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी का भय |
मृ गणशरा नक्षत्र :शोख ततियत स्स्त्रयों से सं र्कप रखे | कामी तीव्र गतत से चले घमंडी छोटी छोटी िात र्र
तिगड़े क्रोधी चालाक काम तनकालने में तनर्ुण | लड़ाई फसाि के कामों में रूतच रखे, तप्रयजन के अनािर में
खुश रहे , डरर्ोक तवद्वान् तववेकशील यात्रा में रूतच, धन सं तान व् तमत्रों से यु क्त, तवद्वान होते हुए भी चंचल
वृ तत्त, अतभमान की मात्रा तवशेष रहे |भाग्योिय २८ वषप र्िात क्रूर गृ ह की िशा गु रु – िु ध, शुक्र के अंतर में
शत्रु – कष्ट चोरी का भय |
आद्रा नक्षत्र :नम्र स्वभाव मजिू त तिल िु तिमान कोई कष्ट आये तो घिराये नही ं | जो कमाए खचप हो
जाए | अन्नाति का भी सं ग्रह न हो र्ाए | धन िौलत के सु ख से वं तचत रहे | अच्छे कामों में रूतच
रखे | तवचतलत मन मस्स्तष्क वाला, िलवान क्षु द्र व् ओछे तवचार यु क्त कम तशतक्षत आडम्बरी धातमपक कामों में
व्यथप प्रिशपन करने वाला | ये प्राय: तफटर ओवे रतसएर,फोरमैन, इं जनीयर इत्याति होते हैं | भाग्योिय २५ वषप
िाि में होता है | क्रूर गृ ह की िशा में शतन – केतु – सू यप के अंतर में शत्रु – कष्ट चोरी का भय |
पुनववसु नक्षत्र :िु तिमानतवद्वान् शीतल स्वभाव िहु तमत्रों वाला सं तान सु ख यु क्त, श्वे त वस्तु ओं में रूतच, सफर
िहुत करे |काव्य प्रेमी माता तर्ता का भक्त | आनंिमय जीवन | अर्ने कायों में प्रतसद्धी प्राप्त करे | र्रोर्कारी
होते हुए भी स्वस्वाथप में कमी नही ं आने िे ता, प्यास खूि लगती है | अहं कारी िु ष्ट, िु िुपिी – िु ष्कमी , मुखप
र्ररजन को िु ःख व् कष्ट िे ने वाला गरीि |भाग्योिय २४ वषप के र्िात, क्रूर गृ ह की िशा में िु ध – शुक्र –
चन्द्र के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी का भय |
पुष्य नक्षत्र :िु तिमान, सु शील होतशयार धमप में आथथा रखे | कामी िु सरे का काम सं वारने का प्रयत्न करे , जो
तमले सो खा लेवे| िु सरे की िात शीघ्र समझने वाला | चतु र कायप िक्ष सु न्दर मेधावी सत्यवािी कुटुं ि प्रेमी
तवशाल ह्रिय माना प्रेमी ईश्वर भक्त राज्य र्क्ष से सम्मातनत वाक् र्टु कायप कुशल िे व – गु रु – अतततथ
प्रेमी | द्रढ़ िे तह करुण मन | कतव लेखक र्त्रकार वकील अध्यन – अध्यार्न में रूतच लेने वाला | प्रशासतनक
कायों में िक्ष वस्त्राभू षण नौकर वाहन यु क्त होता है | भाग्योिय ३५ वषप र्िात | समाज में प्रततष्ठा प्राप्त, क्रूर
गृ ह की िशा में केतु , सू यप व् मंगल के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी का भय |
आश्ले षा नक्षत्र : नेक कामों की नकल करे कुटुं ि िड़ा हो साधू सं तों की से वा करे | अर्नी अकड में रहे
तकसी को भी खाततर में नही ं लाये | सिै व अर्ना फायिा सोचे नेकी िु राई की र्रवाह नही ं करे , ररश्ते िारों से
अनिन रहे शराि आति में ज्यािा रूतच रखे, झूठा, कृतघ्न धू तप लम्पट अत्यंत क्रोधी िु राचारी तनलपज्ज शत्रु
तवजयी औषधी व्यार्ार में लाभ, र्रस्त्रीगामी वासना की र्ूती के तलए तनम्नतम काम करने के तलए तै यार हो
जाता है | अतवश्वास की चरम सीमा को र्ार करने वाला होता है |भाग्योिय ३० वषप र्िात होता है क्रूर गृ ह की
महािशा में शुक्र चन्द्र राहु के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी का भय होता है |

मघा नक्षत्र :धनवान र्त्नी से प्यार करने वाला खुशहाल माता तर्ता की से वा करने वाला चतु र व्यवहार
कुशल व्यार्ार में लाभ कमाने वाला, योजनाकार काम तर्र्ासु अस्थथर तचत्तवृ तत्त तकन्तु अत्यंत साहसी | स्वास्थ्य
तनिप ल रहना घमंडी तकन्तु र्ररश्रमी अर्ने अहं र्ूततप के तलए कुछ भी करने वाला | धनाड्य तकन्तु स्स्त्रयों में
आशक्त रहने वाला व्यथप वाि तववाि में समय व्यतीत होना | तकसी भी िात की जड़ तक र्हुाँ चने की क्षमता
रखना | भाग्योिय २५ वषप के िाि होना | क्रूर गृ ह की िशा में सू यप मंगल व् गु रु के अंतर िशा में शत्रु कष्ट
एवं चोरी का भय |
पूवाव – फाल्गु नी :इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला शत्रु तवजयी, होतशयार हर काम में तनर्ुण मृिु भाषी तिलखुश
िड़े लोगों से सम्बन्ध रखने वाला | स्स्त्रयों के लीये आकषपक तवधावान तकसी सरकारी काम से सम्बन्ध रखने
वाला एवं राजकीय सम्मान र्ाने वाला | शफर का शौकीन व् िानी होता है | वस्त्राभू षण वाहन धनवान व्
सं तान यु क्त व् नृत्य – सं गीत प्रेमी होता है | हं सी मजाक व् चार्लूसी करने में माहीर होता है | अतधक
तमत्रवान होता है तथा सुं िर सु गतठत शरीर वाला उग्र स्वभाव वाला नेतृत्व प्रधान जीवन जीने वाला | भाग्योिय
२८ – ३२ वषप के िीच में होगा, क्रूर गृ ह की महािशा में चन्द्र राहु शतन के अंतर िशा में शत्रु कष्ट व् चोरी
का भय हो सकता है |
उत्तर – फाल्गु नी : धनी व् धन इकठ्ठा करने वाला तवलासी व् र्हलवानी का शौक करने वाला तथा कुशाग्र
िु स्द्ध वाला एवं मृिुभाषी सत्य िोलने वाला, िू सरों का काम तिल से करने वाला अतधक सं तान वाला अर्नी
मेहनत के िल र्र धनी िनने वाला | र्त्नी से मनमुटाव व् घर में कलेश रहना गृ हथथ जीवन में भाग्योिय
३० – ३२ वषप की उम्र में होना | क्रूर गृ ह की महािशा में मंगल गु रु व् िु ध के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी
का भय हो सकता है |
हस्त नक्षत्र :अर्नी जातत तिरािरी में मुस्खया िन सकता है | तवरोतधयों से लड़ना झगड़ना, झूठ व् धोखेिाजी
की आित होना भाई िं धुओं से िू र रहना चररत्र हीन क्रोधी शरािी होना र्त्नी रोगी होना व् सं तान का गलत
आितों में र्ड़ना | अशां त मन रहना भाग्यशाली सम्मातनत व् सु खी होना तनिप यी होना | आजीवन कलह वाला
वातावरण िनाये रखना स्वभाव से क्रूर होना| िु रे कायप करना डकैती डालना व् तहं सा करना आति | भाग्योिय
३०- ३२ वषप में होना | क्रूर गृ ह की महािशा में राहु – शतन - केतु के अन्तिप शा में शत्रु कष्ट व् चोरी का
भय िना रहना |

णचत्रा नक्षत्र : तचत्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाला िु स्द्धमान साहसी धनवान िानी सु शील शरीर सु न्दर स्त्री व्
सं तान का सु ख र्ाने वाला होता है | धमप में आथथा रखने वाला व् आयु वेि को जानने वाला, भवन तनमाप ण में
रूतच रखने वाला होता है |सौंियप प्रसाधन प्रेमी तचत्रकला व् अतभनय का जानकार िहुमूल्य वस्तु ओं का व्यार्ार
करने वाला तथा प्रभावशाली व्यस्क्तत्व वाला, गायन गतणत व् औषतधयों तथा लेखनकला से धनोर्ाजपन करने
वाला होगा | भाग्योिय ३३ से ३८ वषप में होगा | क्रूर गृ ह की महािशा में गु रु, िु ध, शुक्र, के अंतर में शत्रु कष्ट
व् चोरी का भय रहे गा|

स्वाणत नक्षत्र : समझिार शीतल स्वभाव तमत्रवत होतशयार व् व्यार्ार में तनर्ुण होगा | कुशल व्यवसायी व्
व्यार्ार तथा िौस्द्धक कायों द्वारा मनचाहा लाभ अतजपत करना व् यस प्राप्त करना | तशक्षा अधू री छोड़नी र्ि
सकती है , आतथपक द्रतष्ट से सं र्न्न व् ऐश्वयप शाली होगा | अर्ने समाज में र्ूणप सम्मान प्राप्त करे गा | इं जीतनयर व्
टे क्नीकल कायप करे गा र्रोर्कारी व् साधू सं तों की से वा करने वाला िनेगा | भाग्योिय ३० से ३६ वषप में
होगा | क्रूर गृ ह के महािशा में शतन, केतु , सू यप के अंतर में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहे गा |

णवशाखा नक्षत्र :इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला सुं िर धनवान मगर खोटे कामों में रूतच रखने वाला व् लड़ाई
झगडा करने वाला,कृर्न लोभी वाक्पटु सामान्य िु स्द्ध वाला क्रोधी अहं कारी िम्भी कामासक्त शरािी जुआरी स्त्री
के वशीभू त होने वाला र्ार् र्ुण्य से िू र रहने वाला मतलिी अचानक धन प्राप्त करने वाला शत्रु
तवजयी |भाग्योिय २१-२८-३४ वषप में होगा | कलह र्ूणप जीवन यार्न करना | क्रूर गृ ह के महािशा में
िु ध, शुक्र, चन्द्र, के अंतर में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहे गा |

अनुराधा नक्षत्र : शस्क्तशाली व् थथूल शरीर वाला धनवान मान,सम्मान, र्ाने वाला, तवधा कला व् काम धं धे में
तनर्ुण ज्यािा शफर करने वाला होगा | अस्थथर मनोवृ तत्त साहसी र्राक्रमी तमलनसार यशस्वी स्वालंिी
रौिीला सु न्दर व्यततत्व का धनी िहुत खाने वाला धातमपक अध्ययनशील एकां त तप्रय िानी सतहष्णु होगा | सरकारी
नौकरी र्ाने वाल स्वाथप र्ूती हे तु छल प्रर्ंच करने वाला मृ िुभाषी स्स्त्रयों के तिलों में राज करने वाला
होगा | भाग्योिय ३९ वषप र्िात होगा | क्रूर गृ ह की महािशा में केतु सू यप मंगल के अंतर में शत्रु कष्ट व्
चोरी का भय रहे गा

ज्येष्ठा नक्षत्र :चतु र सभी कायों में होतशयार िहुतमत्र सं तोषी शीतल स्वभाव कला की शौकीन क्रोधी धमप के
अनुरूर् चलने वाली र्राई स्त्री र्र आशक्त होने वाला | सम्पूणप तवधा का ज्ञान प्राप्त करना सु न्दर व्यततत्व
वाला अर्ने कायप में िक्ष अच्छी सं तान प्राप्त करने वाला, गृ हथथ जीवन का अधू रा सु ख प्राप्त करने वाला कतव
लेखक र्त्रकार सातहत्यकार प्रशाशक तनरीक्षक वकील चाटप डप एकाउं टेंट आति हो सकते हैं | उम्र के २७,३१,४९
वषप स्वास्थ्य की द्रतष्ट ठीक नही ं रहें गे| क्रूर गृ ह की महािशा में शुक्र,चन्द्र,राहु,की अन्तिप शा में शत्रु कष्ट व्
चोरी का भय रहे गा |

मू ल नक्षत्र :तवशाल ह्रिय िानी गं भीर धनी अर्ने समाज में सम्मान र्ाने वाला कमजोर स्वास्थ्य प्रायः िीमार
रहने वाला वाकर्टु चतु र कृतघ्न िु ष्ट धू तप तवश्वासघाती स्वाथी वाचाल लोकतप्रय तहं सक क्रोध करने वाला होता है
व् उसके जीवन में िार - िार िु घपटनाएाँ होती हैं | भाग्योिय २७ या ३१ वें वषप में होता है | क्रूर गृ ह
की महािशा में सू यप मंगल गु रु की अंतर िशाओं में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहे गा |

पूवाव -आषाढ़ नक्षत्र :िु स्द्धमान उर्कारी सिका तमत्र सभी कामों में होतशयार सं तान के प्रतत सु खी, उिार
स्वातभमानी, शत्रु हंता, श्रेष्ठ तमत्रों वाला अतधक धन नही ं होने र्र भी कोई काम नही ं रुकना, भाग्यशाली, कायप
कुशल, यशस्वी, र्त्नी का भी र्ूणप सु ख रहता है | भाग्योिय २८ वें वषप में होता है | क्रूर गृ ह की महािशा में
चन्द्र, राहू, शतन, की अन्तिप शा में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय होता है |

उत्तरा-आषाढ़ नक्षत्र : र्रोर्कारी,मान सम्मान र्ाने वाला, होतशयार, चतु र, िहािु र,सं गीत प्रेमी, तवनम्र शां त
स्वभाव वाला, धातमपक सु खी, सवप तप्रय, तवद्वान, िु स्द्धमान, मेहनती धनी, सट्टे िाजी आति का शौक र्ालना, तश्करी
एवं अन्य कुसं गतत में र्ड़ना, कामुक व् वे श्यागामी होना, जीवन में अनायास ही धन की प्रास्प्त होना | भाग्योिय
३१ वें वषप में होगा, क्रूर गृ ह की महािशा में मंगल,गु रु, िु ध, के अंतरिशा में शत्रु -कष्ट व् चोरी का भय रहता
है |

श्रवि नक्षत्र : धनी िहुत िोलने वाला, गं भीर िु स्द्धमान साहसी प्रतसि नेकनाम व् र्त्नी सु न्दर हो | राग तवधा
गतणत ज्योततष में लगाव रखे, असं कुतचत तवचार िु सरे के तिल से भे ि र्ाए | १९ – २४ वा वषप खराि रह
सकता है | तववे की तवद्वान उच्च तवचार धातमपक शोभायमान व्यस्क्तत्व, उच्च र्िातधकारी िन सकता है काव्य
सं गीत में रूतच रखने वाला तसनेमा प्रेमी होगा | क्रूर गृ ह की महािशा में राहु – शतन – केतु के अन्तिप शा में
शत्रु कष्ट व् चोरी का भय हो सकता है |

धणनष्ठा नक्षत्र : राग तवधा में अतधक रूतच रखने वाला होगा | भाई िं धुओं से िहुत प्यार रखे | धनी नेकनाम
साहसी अच्छे काम करने वाला व् स्त्री का प्यारा होगा | सरकारी कायप से सम्बन्ध रहे गा व् जवाहरात र्हनने
का शौकीन होगा तथा लोगों में इज्जत व् मान सम्मान प्राप्त करे गा | १५, १९, २३, वषप शुभ नही ं होंगे | धमं कमप
में तलप्त रहने वाला एश्वयाप सं र्न्न उिार व् समाज में सम्मान र्ाने वाला होगा | वासना ग्रस्त कामुक व्
र्रस्त्रीरत हो सकता है | र्त्नी व् र्त्नी र्क्ष से हमेशा ििा रहे गा लोभी तथा स्स्त्रयों से लुटने वाला होगा | क्रूर
गृ ह की महािशा में गु रु, िु ध, शुक्र, की अंतर िशा में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय हो सकता है |

शतणभषा नक्षत्र : धनी सत्यवािी िानी प्रतसि अच्छे काम करने वाला िु स्द्धमान होतशयार सफल शत्रु तवजेता
इज्जत प्राप्त करने वाला होता है | सरकार से सम्मान प्राप्त करने वाला िू सरी स्त्री से लगाव रखने वाला तथा
२८ वााँ वषप तवशे ष महत्वर्ूणप हो सकता है | सत्य भाषी र्रन्तु जुआरी, व्यसनी सट्टे िाज साहसी र्रन्तु शां त
स्वभाव में कठोरता तनडर ज्योततष प्रेमी साधारण धन एवं िु सरे के माल को हड़र्ने की इच्छा हमेशा िनी
रहती है | क्रूर गृ ह के महािशा में शतन केतु सू यप की अन्तिप शा में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहे गा |

पूवाव -भाद्रपद नक्षत्र : धनी सुं िर िहुत िोलने वाला, तवधावान कला कुशल एवं अतधक सोने वाला कई र्तत्नयों
वाला, सं तान से सु ख प्राप्त करने वाला छोटी छोटी िातों में गु स्सा होने वाला होता है | भाग्योिय १९ से २१ वषप
में होता है | अर्ने कायप में िक्ष व् चतु र तथा धू तप व् डरर्ोक धनवान होते हुए भी तनधप न हो जाता है | कम
सहन शस्क्त वाला तवचारों में कामुकता वाला, स्स्त्रयों से धोखे खाना वाला, र्त्नी स्वभाव से चंचंल व् उग्र होती
है , गृ हथथ जीवन सामान्य रहे गा | क्रूर गृ ह के महािशा में िु ध,शुक्र, चन्द्र, के अंतर में शत्रु कष्ट व् चोरी का
भय रहे गा |
उत्तरा-भाद्रपद नक्षत्र : सु न्दर र्राक्रमी साहसी िु स्द्धमान रं ग गोरा वाचाल िानी शत्रु तवजेता धमाप त्मा धनवान
होता है |उिार र्रोर्कारी, सु खी, धन-धान्य व् सं तान यु क्त जीवन | अध्ययनशील, शास्त्रों के ज्ञाता वाक्पटु
तजम्मेिार, लेखक,र्त्रकार, सं गीतज्ञ, सफल गृ हथथ जीवन, म्रिु भाषी र्त्नी वाला होता है | भाग्योिय २७ से ३१ वषप
में सं भव है | क्रूर गृ ह की महािशा में केतु , सू यप, मंगल, की अन्तिप शा में शत्रु कष्ट एवं चोरी का भय रहता है |

रे वती नक्षत्र : माता तर्ता की से वा करने वाला, िु स्द्धमान साधू स्वभाव ते ज वाणी व् तमत्रों से खुश रहने वाला
होता है | शरीर र्ुष्ट तनरोगी काया साहसी एवं सवप तप्रय धनवान सु र्ुत्रवान कामातु र सु न्दर चतु र
मेधावी, कुशाग्रिु स्द्ध, सलाह िे ने में होतशयार,अच्छा व्यार्ारी, कतव लेखक, र्त्रकार, तनिं धकार, उर्न्यासकार आति
होता है | स्वभाव शौम्य दृढ तनिय वाला, प्रततभाशाली सवप गुण सं म्पन्न सु न्दर र्त्नी वाला चररत्रवान गृ ह कायप में
िक्ष मधु र भाषी होता है | १७ वें , २१ वें , २४ वें वषप ठीक नही ं होंगे | क्रूर गृ ह की महािशा में शुक्र- चन्द्र –
राहु की अन्तिप शा में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय हो सकता |

अणभजीत नक्षत्र : अतभजीत नक्षत्र में जन्म ले ने वाला सु न्दर होतशयार अर्रातजत दृढ तनियी व् भाग्यवान
धनवान सवप गुण सं र्न्न मेहनत करने वाला शस्क्तशाली व्यस्क्त होता है |उर्रोक्त नक्षत्र िहुत कम उर्योग में
लाया जाता है , इसतलए ज्यािातर लोग इसका वणप न कम ही करते हैं

Nakshtr & their Months


िोंर्द् मिीनरों के नाम पूतणामा के तदन िोंर्द्मा तिस नक्षत् में रििा िै :-
1.चैत् : तचत्ा, स्वाति।
2.िैशाख : तिशाखा, अनुराधा।
3.ज्येष्ठ : ज्येष्ठा, मूल।4.आषाढ़ : पूिाण षाढ़, उिराषाढ़, सितिषा।
5.श्रािर् : श्रिर्, धतनष्ठा।
6.िाद्रपद : पूिणिाद्र, उिरिाद्र।
7.आतिन : अतिन, रे ििी, िरर्ी।
8.कातिणक : कृतिका, रोहर्ी।
9.मागणशीषण : मृगतशरा, उिरा।
10.पौष : पुनिणसु, पुष्य।
11.माघ : मघा, अश्लेशा।12.फाल्गुन : पूिाण फाल्गुन, उिराफाल्गुन, हस्त।

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