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साखी

साखी का सार
ततु पाठ कबीर क कुछ चु नंदा सा खय का सं ह है । येक साखी म कबीरजी मनु य को
कुछ-न-कुछ आव यक बात बताते ह। कबीर ने इनम वाणी क मठास, ई वर के नवास, ान के मह व,
कबीर के दखु , राम के वयोगी क मनोदशा, नंदक के मह व, ेम के मह व, समाज-सध
ु ार इ या द के
बारे म बताया है ।

साखी का भाव
➽ मीठ वाणी वाले यि त वयं को और दस ू र को सख
ु दे ते ह।
➽ ई वर हमारे दय म नवास करते ह।
➽ ई वर या ान के मलते ह सारे संदेह समा त हो जाते ह।
➽ कबीरदास दखु ी ह य क उ ह स य का सा ा कार हो गया है और अब यह संसार उ ह यथ लगने
लगा है ।
➽ अपने ई वर राम से मलने के लए कबीर छटपटा रहे ह।
➽ नंदक का जीवन म मह व होता है । उसके मा यम से हम वयं के अवगुण को मटा सकते ह।
➽ ेम करने वाला मनु य स चा ानी है ।
➽ जो मनु य ान को ा त करना चाहता है । कबीर उसका साथ दे ने के लए तैयार ह।

साखी का उ दे य
➽ मनु य म वचार व लेषण क मता बढ़ाना तथा मानव मू य के त आ था जागत
ृ करना।
➽ सधु कड़ी भाषा (पंचमेल भाषा) के बारे म ान दे ना।
➽ व या थय क वैचा रक मता को बढ़ाना।
➽ व या थय के सा ह य ान को बढ़ाना।
➽ नगुण भि त का व प समझाना

साखी का संदेश
➽ जीवन के त सकारा मक रवैया अपनाकर जीवनयापन कर। अपने जीवन म ेम, ान, भि त को
अपनाएँ। अाडंबर से वयं को मु त कर तथा अवगुण को मटाते हुए वयं को नमल बनाएँ।

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