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केन्द्रीय विद्यालय संगठन , जम्मू संभाग

गद्य पर आधाररत पाठ ं के महत्त्वपूर्ण प्रश्न


भक्तिन
प्र.1 भक्तिन िाक्पटु ता में बहुत आगे थी – पाठ के आधार पर उदाहरर् दे कर
पुवि कीवजए।

उ. िह तक्पणटु थी। केश मुुँडाने से मना वकए जाने पर िह शास्त् ं का हिाला दे ते


हुए कहती है –तीथण गए मुुँडाए वसद्ध् । घर में इधर उधर पडे पैस ं क िह मटकी में
छु पाकर कहती है वक यह च री नही ं है ।पढाई वलखाई से बचने के वलए िह तकण
दे ती है वक अगर मैं भी पढने लगूुँ त घर का काम कौन दे खेगा?

प्र.2 भक्तिन का दु भाणग्य भी कम हठी नही था, लेक्तखका ने ऐसा क्य कहा है ?

उ. ऐसा कहने के पीछे वनम्नवलक्तखत कारर् हैं -

-बचपन में माुँ की मृत्यु

- सौतेली मां दिारा अनदे खी

- बालवििाह

-तीन तीन बेवटय क


ं जन्म दे ने पर सास तथा जेठावनय ं द्वारा भक्तिन की उपेक्षा

-पवत की मृत्यु

- दामाद का वनधन तथा पंचायत द्वारातीतबाणज युिक क जबरन उसका नया


दामाद बनाना

बाजार दशणन
प्र.1 बाजारुपन से क्या तात्पयण है ? हम इसे कैसे बढािा दे ते है? बाज़ार की साथणकता
वकस में है।

उत्तर बाजारूपन से तात्पयण है वदखािे के वलए बाजार का उपय ग करना | जब हम


अपनी क्रय शक्ति के गिण में अपने पैस ं से केिल विनाशक शक्ति , व्यंग्य की शक्ति
बाजार क दे ते हैं तब हम बाजारुपन क बढ़ािा दे ते हैं |

जब व्यक्ति अपनी आिश्यकतानुसार बाज़ार से सामान खरीदते है , उसी में बाज़ार


की साथणकता है।

प्र.2 बाज़ार के जादू के चढने और उतरने का मनुष्य पर क्या प्रभाि पडता है ?


उ. बाज़ार का जादू चढ़ने पर-

1.मन अवधक से अवधक चीजें खरीदना चाहता है ।

2.मनुष्य अपनी पचेवज़ंग पॉिर वदखाता है।

बाजार का जादू उतरने पर -

1. मनुष्य क पता चलता है की फैंसी चीजें बहुतायत आराम में मदद नही ं दे ती बक्ति
खलल ही डालती है।
2. बजट खराब ह जाता है। मन पछतािे से भर जाता है।

प्र.3 अथणशास्त् अनीवतशास्त् कब बन जाता है ?

उ.जब बाज़ार आिश्यकता क श षर्का रूप बना लेता है । व्यापारी वसफण


लाभ पर ध्यान केंवित रखते हैं तथा लूटने की वफराक में रहते हैं। िे छल-कपट
के ज़ररए ग्राहक क बेिकूफ बनाते हैं।

काले मेघा पानी दे


प्र.1 इं दर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्य ं ब लती है ? नवदय ं का
भारतीय संस्कृवत में क्या महत्त्व है ?

उ. भारत में गंगा नदी क विशेष सम्मान प्राप्त है। उसे माुँ और दे िी का दजाण
वदया जाता है। हर शुभ कायण में गंगाजल का प्रय ग वकया जाता है।इसवलए
इं दरसेना गंगा मैया की जय ब लती है।

भारतीय संस्कृवत में नवदय ं का बहुत महत्त्व है। इन्ी ं के वकनारे कई


सभ्यताओं का जन्म हुआ। कई धावमणक ि सांस्कृवतक स्थल भी नवदय ं के तट पर
विकवसत हुए हैं। नवदय ं के वकनारे पर ही मेले लगते हैं। नवदय ं क म क्षदावयनी
माना जाता है।

प्र.2 काले मेघा पानी दे पाठ में लेखक ने दे शिावसय ं की वकस मानवसकता की
ओर संकेत वकया है ?

या

कालेमेघा दल के दल उमडते है पर गगरी फूटी रह जाती है -आशय स्पि कीवजए।

उ. लेखक कहता है वक दे श में ल ग हर समय मांग करते हैं,परं तु दे श के वलए


त्याग ि समपणर् का भाि नही ं है। उन्ें वसफण अपने वहत सिोपरर लगते हैं। एक
दू सरे के भ्रिाचार की आल चना करते है।विकास के नाम पर अरब ं रुपय ं की
य जनाएुँ बनती हैं , बहुत पैसा खचण ह ता है परं तु भ्रिाचार के कारर् िह आम
आदमी तक नही ं पहुुँचता।उसकी हालत िैसी ही बनी रहती है।
प्र.3 इं दर सेना पर पानी फेंके जाने क जीजी ने वकस प्रकार सही ठहराया?

उ. 1.पानी का अर्घ्ण - कुछ पाने के वलए कुछ चढािा दे ना पडता है। इं ि क


पानी का अर्घ्ण चढाने से िे िषाण करें गे।

2. त्याग की भािना से दान-वजस िस्तु की अवधक जरूरत है उसके दान से


फल वमलता है।

3. पानी की बुिाई- पानी क गवलय ं में बीज की तरह ब एुँ गे तब जाकर ही


पानी की फसल(िषाण ) लहलहाएगी।

पहलिान की ढ लक
प्र.1 लुट्टन के जीिन में कौन-कौन से पररितणन आए?

उ. पहला म ड- बाल-वििाह,बचपन में माता वपता की मृत्यु और विधिा सास के


द्वारा पालन-प षर्। बदले की भािना से पहलिानी सीखना।

दू सरा म ड- श्यामनगर के दं गल में चाुँद वसंह नामक शेर के बच्चे क हराया


तथा राजपहलिान की उपावध प्राप्त की।

तीसरा म ड- नए राजकुमार के आने के बाद दरबार से वनकाल वदया जाना और


गाुँि िावपस लौट आना। गाुँि में पहली महामारी में पुत् ं की मृत्यु तथा कुछ समय
बीतने पर उसकी भी मृत्यु।

प्र.2 ढ लक की आिाज़ का पूरे गाुँि पर क्याअसर ह ता था?

या

ढ लक की आिाज़ पूरे गाुँि में संजीिनी शक्ति का संचार कैसे करती थी?

उ. ढ लक की आिाज़ ल ग ं क मौत से लडने की शक्ति और प्रेरर्ा दे ती थी।


उनके मृत शरीर में भी वबजली दौड जाती थी। उसे सुनकर मरते हुए प्रावर्य ं
क आुँ खें मूुँदते समय क ई तकलीफ न ह ती थी।िह ल ग ं क बताताथावक अंत
तक ज श ि उत्साह से लडते रह ।ल ग ं में नई उमंग जग जाती थी।

प्र.3 पहलिान की ढ लक कहानी का उद्दे श्य अथिा प्रवतकायण स्पि कीवजए।

उ. इस कहानी में बताया गया है वक व्यिस्था बदलने के साथ ल क कला और


इसके कलाकार भी अप्रासांवगक ह जाते है। पुराने संबंध समाप्त कर वदए जाते
हैं।राजा के मरते ही नई व्यिस्था ने जन्म ले वलया। पहलिानी जैसा ल क खेल
समाप्त कर वदया गया। ल क कलाकार भूखे मरने के वलए मज़बूर कर दे ती है।

चाली चैक्तिन यानी हम सब


प्र.1 चाली चैक्तिन की जद्द जहद (संघषण ) क स्पि कीवजए।

या

चाली क जीिन से वमलें मूल्य ज हमेशा बनें रहें

उ. चाली एक दू सरे दजे की स्टे ज अवभनेत्ी वजसे पवत ने छ ड वदया के बेटे थे।
भयंकर गरीबी और माुँ के पागलपन से संघषण करना सीखा।पूुँजीिाद तथा
सामंतसाही से मगरूर समाज का वतरस्कार सहन वकया।इसी कारर् चाली क ज
जीिन-मूल्य वमले , िे जीिन के अंत तक उनमें बने रहे।िह बताता है वक राजा भी
उतना ही नंगा है वजतनामैं हुँ ।उसने विषम पररक्तस्थवतय ं में भी वहम्मत से काम वलया

प्र.2 चाली का भारतीयकरर् से क्या आश्य है ?

उ. चाली पविम का महान कलाकार था वजसने हास्य मूक वफल्में बनाईं। भारत में
राजकपूर ने आिारा,श्री 420 वफल्में उनके अनुकरर् पर बनाई वजसमें अवभनेता स्वयं
पर हुँसता है।इसके बाद अन्य कलाकार ं ने इसका अनुकरर् वकया।गाुँधी ि नेहरू
चालीकीइस कला पर मुग्ध थे। िे भी उसकी तरह अपने पर हुँसते थे।

प्र.3 चाली ने िगण तथा िर्ण -व्यिस्था क कैसे त डा ? िह स्वयं पर सबसेज्यादाकब


हुँसता है ?

उ. चाली की वफल्में बच्चे बूढे ,जिान सबमें ल कवप्रय है। पागलखाने के मरीज से
लेकर आइं स्टाइन जैसे प्रवतभाशाली व्यक्ति भी उसकी वफल्म ं का आनंद उठाते हैं ।
इनक हर दशणक दे खता है।िह वकसीभी संस्कृवत क विदे शीनही ं लगता ।

चाली खुद पर सबसे ज्यादा तब हुँसता है जब िह खुद क आत्मविश्वास से


लबरे ज,सफलता,सभ्यता,संस्कृवत और समृक्तद्ध की प्रवतमूवतण दू सर ं से ज्यादा
शक्तिशाली क्षर् में दे खता है।

नमक
प्र.1 नमक कहानी में भारत ि पाक की जनता के आर वपत भेदभाि ं के बीच
मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है , कैसे ?

या

मानवचत् पर लकीर खी ंच दे ने से जमीन ि जनता बुँट नही ं जाती- स्पि कीवजए।

या

नमक कहानी का संदेश


उ. राजनीवतक कारर् ं से मानवचत् पर लकीर खी ंचकर दे श क द भाग ं में बाुँट
वदयाजाताहै।जनता पर अलग अलग दे श का लेिल वमल जाता है परं तु यह सब
उनकी भािनाओं क नही ं बाुँट पाता। उनका मन अपनी जन्मभूवम से जुडा रहता है।
लेक्तखका का अपने भाइय ं से वमलने पावकस्तान जाना,द स्त ं से स्नेह, वसख बीबी का
लौहार से लगाि,कस्टम अवधकाररय ं का अपनीजन्मभूवम वदल्ली ि ढाका से जुडाि ये
सब द न ं दे श की जनताके बीच प्रेम क दशाणता है। िे नौकरी अलग दे श ं में कर
रहे हैं पर सभी का अपनी जन्मभूवम से लगाि है।

प्र.2 जब सवफया अमृतसर पुल पर चढ रही थी त कस्ट् म अवधकारी नीचली सीढी


के पास चुपचाप वसर झुकाए क्य ं खडे थे?

उ. वसख बीबी का प्रसंग वछड जाने पर उन्ें अपने ितन की याद आ रही थी। िे
उसकी भािना क समझ रहे थे। उन्ें लगता रहा वक दू सरी जगह आकर भी अपने
ितन की चीज़े बहुत याद आती हैं।

वशरीष के फूल
प्र.1 वशरीष क कालजयी अिधूत क्य ं कहा गया है? इसे दे खकर लेखक क वकस
महात्मा की याद आती है ?

उ. 1. िह संन्यासी की तरह कठ र मौसम में वजंदा रहता है।

2. िह भीषर् गमी में भी फूल ं से लदा रहता है।

3. िह संन्यासी की तरह हर क्तस्थवत में मस्त रहता है।

इसे दे खकर लेखक क महात्मा गाुँधी की याद आती है क्य वं क महात्मा गाुँधी भी
मार काट ,लूट-पाट खून-खराबा के बीच क्तस्थर रह सके।उनमें भी आत्मबल था ।िह
भी बाहर से कठ र तथा अंदर से क मल थे।

प्र.2 वद्विेदी जी ने वशरीष के माध्यम से क लाहल ि संघषण से भरी जीिन क्तस्थवतय ं


में अविचल रहकर वजजीविषु (वजंदा रहने) बने रहने की सीख दी है।स्पि कीवजए।

उ. वशरीष कवठन पररक्तस्थवतय ं मे भी वजंदा रहने की प्रेरर्ा दे ता है।िहा भयंकर गमी


,लू में भी सरस और फूल ं से लदा रहता है। इसी तरह जीिनमें चाहे वजतनी
कवठनाइयाुँ आएुँ ,मनुष्य क सदै ि संघषण करना चावहए।उसे हार नही ं माननी
चावहए। कवठन से कवठन पररक्तस्थवतय ं में भी प्रगवत की वदशा में कदम बढाने
चावहए।
श्रम विभाजन और जावत प्रथा
प्र. 1 जावत – प्रथा भारतीय समाज में बेर जगारी ि भुखमरी का भी एक कारर्
कैसे बनती रही है ? क्य यह क्तस्थवत आज भी है ?

या

जावत प्रथा क श्रम विभाजन का ही एक रूप ना मानने के पीछे आं बेडकर के क्या


तकण है?

उ.1.जावत प्रथा श्रम विभाजन के साथ साथ श्रवमक ं का भी विभाजन करती है ।

2.भारत में मनुष्य के जन्म के आधार पर उसे एक पेशे से बाुँध वदया जाता है।
काम का विभाजन मनुष्य की रूवच पर आधाररत नही ं ह ता।

3.उसे काम बदलने की अनुमवत भी नही ं दी जाती। इस पर भी विचार नही ं वकया


जाता वक इस काम से उसका गुजारा ह गा या नही ं ।

इसी कारर् यह बेर जगारी एिं भुखमरी का कारर् बन रही है क्य वं क तकनीवक
विकास के कारर् कुछ व्यिसाय र जगारहीन ह ते जा रहे हैं।जबरदस्ती

थ पे गए पेशे (काम) में मनुष्य की रुवच नही ं ह ती। इसवलए ि कामच रीकरतें हैं।

आज भारत की क्तस्थवत बदल चुकी है। जावत प्रथा के बंधन ढीले हुए हैं। आज
ल ग अपनी जावत से अलग पेशाअपनारहेहैं।

प्र.2 लेखक के मत से दासता की व्यापक पररभाषा क्या है ?

उ. दासता केिल कानूनीपराधीनता नही ं है। दासता की व्यापक पररभाषा यह है


वजसमें वकसी क अपना व्यिसाय चुनने की स्वतंत्ता ना दे ना। इसमें कुछ व्यक्तिय ं
क दू सरे ल ग ं द्वारा वनधाणररत व्यिहार ि कत्तणव्य ं का पालन करने के वलए वििश
ह ना पडता है।

प्र.3 अंबेडकर की कल्पना का समाज क्या है ? क्या उन् नें अपने आदशण समाज में
क्तस्त्य ं क भी सक्तम्मवलत वकया है ?

उ. अंबेडकर का आदशण समाज स्वतंत्ता,समता ि भ्रातृता( भाईचारे ) पर आधाररत


ह गा। सभी क विकास के समान अिसर वमलेंगे तथा वकसी प्रकार का क ई
भेदभाि नही ं ह गा।समाजमें कायण करने िाले क सम्मान वमलेगा।काम के आधार पर
भी क ई भेदभाि नही ं ह गा।
लेखक ने अपने आदशण समाज में क्तस्त्य ं क भी सक्तम्मवलत वकया
है।समाज स्त्ी और पुरुष द न ं से वमलकर बना है। स्त्ी और पुरुष द न ं क ही
आगे बढने के समान अिसर और समान व्यिहार वमलेगा।

पद्य भाग पर आधाररत महत्त्वपूर्ण प्रश्न


1. कविता :– आत्म पररचय

हररिंश राय बच्चन


प्रश्न i] :- विर ध ं के बीच कवि का जीिन वकस प्रकार व्यतीत ह ता है ?

उत्तर:-दु वनया के साथ संघषणपूर्ण संबंध के चलते कवि का जीिन अंतविणर ध के बीच
सामंजस्य करते हुए व्यतीत ह ता है।

प्रश्नii] :- ”मैं फूट पड़ा तुम कहते छं द बनाना” का अथण स्पि कीवजए।

उत्तर:- कवि की श्रेष्ठ रचनाएुँ िास्ति में उसके मन की पीड़ा की ही अवभव्यक्ति


हैं, वजनकी सराहना संसार गीत - रचना कहकर वकया करता है।

2.पतंग

आल क धन्वा

प्रश्नi] :- ‘जन्म से ही लाते हैं अपने साथ कपास’-

‘वदशाओं क मृदंग की तरह बजाते हुए’

इन पंक्तिय की भाषा संबंधी विशेषता वलक्तखए |

उत्तर :- इन पंक्तिय की भाषा संबंधी विशेषता वनम्नवलक्तखत हैं :-

सावहत्यक खड़ी ब ली,कपास-क मलता में नया प्रतीक,वदशाओं क मृदंगमें श्रव्य-


वबंब ।

प्रश्नii] :- :- सुनहले सूरज के सामने प्रतीक का अथण वलखें |

उत्तर :- सुनहले सूरज के सामने: – वनडर ,उत्साह से भरे ह ना ।

3. कविता के बहाने

कुँु िर नारायर्
प्रश्नi] :- ‘कविता के पंख’वकसका प्रतीक हैं ?

उत्तर :-कवि की कल्पना शक्ति का |

प्रश्नii]:-वचवड़या की उड़ान एिं कविता की उड़ान में क्या समानता है ?

उत्तर :-उपकरर् ं की समानता :- वचवड़या एक घ स ं ले का सृजन वतनके एकत्


करके करती है | कवि भी उसी प्रकार अनेक भाि ं एिं विचार ं का संग्रह करके
काव्य रचना करता है।

क्षमता की समानता :- वचवड़या की उड़ान और कवि की कल्पना की उड़ान द न ं


दू र तक जाती हैं |

4. कैमरे में बंद अपावहज

रघुिीर सहाय

प्रश्नi] :- रघुिीर सहाय की काव्य कला की विशेषताएुँ वलक्तखए |

उत्तर :- रघुिीर सहाय की काव्य कला की विशेषताएुँ वनम्नवलक्तखत हैं –

• कहानीपन और नाटकीयता

• ब लचाल की भाषा के शब्दः– बनाने के िास्ते‚ संग रुलाने हैं।

• सांकेवतकता– परदे पर िि की कीमत है।

• वबंब :–फूली हुई आुँ ख की एक बड़ी तस्वीर

प्रश्नii]:-कविता में यह मन िृवत वकस प्रकार उद् घावटत हुई है?

उत्तर :- दू रदशण न पर एक अपावहज व्यक्ति क प्रदशणन की िस्तु मान कर उसके


मन की पीड़ा क कुरे दा जाता है ‚ साक्षात्कारकताणक उसके वनजी सु खदु ख से कुछ
लेनादे ना नही ं ह ता है।

5. सहषण स्वीकारा है

गजानन माधि मुक्तिब ध


प्रश्नi]:- कविता की भाषा संबंधी द विशेषताएुँ वलक्तखए |

उत्तर:- १-सटीक प्रतीक ,



२- नये उपमान ं का प्रय ग

प्रश्नii] :-“वदल में क्या झरना है?

मीठे पानी का स ता है ?”- -के लाक्षवर्क अथण क स्पि कीवजए |

उत्तर :- “वदल में क्या झरना है ?-हृदय के अथाह प्रेम का पररचायक

मीठे पानी का स ता है ?”-अविरल, कभी समाप्त ह ने िाला प्रेम

6. उषा

शमशेर बहादु र वसंह


प्रश्नi] :-उषा कविता में सूयोदय के वकस रूप क वचवत्त वकया गया है ?

उत्तर :-कवि ने प्रातःकालीन, पररितणनशील सौद


ं यण का दृश्य वबंब मानिीय
वक्रयाकलाप ं के माध्यम से व्यि वकया है।

प्रश्नii] :-भ र के नभ और राख से लीपे गए चौके में क्या समानता है ?

उत्तर :-भ र के नभ और राख से लीपे गए चौके में यह समानता है वक द न ं ही


गहरे सलेटी रं ग के हैं ,पवित् हैं।नमी से युि हैं।

7. बादल राग

सूयणकांत वत्पाठी वनराला


प्रश्नi]:- पूंजीपवतय ं की अट्टावलकाओं क आतंक भिन क्य ं कहा गया है ?

उत्तर :-बादल ं की गजणना और मूसलाधार िषाण में बड़े -बड़े पिणत िृक्ष घबरा जाते
हैं।उनक उखड़कर वगर जाने का भय ह ता है |उसी प्रकार क्रावत की हुंकार से
पूुँजीपवत घबरा उठते हैं , िे वदल थाम कर रह जाते हैं।उन्ें अपनी संपवत्त एिं सत्ता
के वछन जाने का भय ह ता है | उनकी अट्टावलकाएुँ मजबूती का भ्रम उत्पन्न करती
हैं पर िास्ति में िे अपने भिन ं में आतंवकत ह कर रहते हैं |

प्रश्नii]:- पृथ्वी में स ये अंकुर वकस आशा से ताक रहे हैं ?

उत्तर :- बादल के बरसने से बीज अंकुररत ह लहलहाने लगते हैं | अत: बादल
की गजणन उनमें आशाएुँ उत्पन्न करती है |िे वसर ऊुँचा कर बादल के आने की राह
वनहारते हैं |ठीक उसी प्रकार वनधणन व्यक्ति श षक के अत्याचार से मुक्ति पाने और
अपने जीिन की खुशहाली की आशा में क्रांवत रूपी बादल की प्रतीक्षा करते हैं |
8.कवितािली

तु लसीदास
प्रश्नi]:- राम ने लक्ष्मर् के वकन गुर् ं का िर्णन वकया है?

उत्तर :-राम ने लक्ष्मर् के इन गुर् ं का िर्णन वकया है-

1. लक्ष्मर् राम से बहुत स्नेह करते हैं |

2. उन् न
ं े भाई के वलए अपने माता –वपता का भी त्याग कर वदया |

3. िे िन में िषाण ,वहम, धूप आवद कि ं क सहन कर रहे हैं |

4. उनका स्वभाि बहुत मृदुल है |िे भाई के दु ःख क नही ं दे ख सकते |

लक्ष्मर्- मूर्च्ाण और राम का विलाप


प्रश्नi]:- ब ले िचन मनुज अनुसारी से कवि का क्या तात्पयण है ?

उत्तर :-भगिान राम एक साधारर् मनुष्य की तरह विलाप कर रहे हैं वकसी
अितारी मनुष्य की तरह नही ं। भ्रातृ प्रेम का वचत्र् वकया गया है।तुलसीदास की
मानिीय भाि ं पर सशि पकड़ है।दै िीय व्यक्तित्व का लीला रूप ईश्वर राम क
मानिीय भाि ं से समक्तन्वत कर दे ता है।

9. रूबाइयाुँ

विराक ग रखपु री
प्रश्नi] :-काव्य में प्रयुि वबंब ं का िर्णन अपने शब्द ं में कीवजए?

उत्तर :-

• दृश्य वबंब :-बच्चे क ग द में लेना , हिा में उछालना ,स्नान कराना ,घुटन ं में
लेकर कपड़े पहनाना|

• श्रव्यवबंब :- बच्चे का क्तखलक्तखला कर हुँस पड़ना।

• स्पशण वबंब :-बच्चे क स्नान कराते हुए स्पशण करना |


प्रश्नii]:-“आुँ गन में ठु नक रहा है वज़दयाया है ,बालक त हई चाुँद पै ललचाया
है’- में बालक की कौन सी विशेषता अवभव्यि हुई है ?

उत्तर :- इन पंक्तिय ं में बालक की हठ करने की विशेषता अवभव्यि हुई है। बच्चे
जब वजद पर आ जाते हैं त अपनी इर्च्ा पूरी करिाने के वलए नाना प्रकार की
हरकतें वकया करते हैं | वज़दयाया शब्द ल क भाषा का विलक्षर् प्रय ग है इसमें बच्चे
का ठु नकना , तुनकना ,पाुँि पटकना, र ना आवद सभी वक्रयाएुँ शावमल हैं |

9. गज़ल

विराक ग रखपु री
प्रश्नi]:- ‘रं ग - बू गुलशन में पर तौले हैं ’ – का अथण स्पि कीवजए|

उत्तर :-रं ग और सुगंध द पक्षी हैं ज कवलय ं में बंद हैं तथा उड़ जाने के वलए
अपने पंख फड़फड़ा रहे हैं |यह क्तस्थवत कवलय ं के फूल बन जाने से पूिण की है ज
फूल बन जाने की प्रतीक्षा में हैं |’पर तौलना’ एक मुहािरा है ज उड़ान की क्षमता
आुँ कने के वलए प्रय ग वकया जाता है |

10. कविता–बगुल ं के पं ख

उमाशंकर ज शी
प्रश्नi]:- ‘चुराए वलए जाती िे मेरी आुँ खें’ से कवि का क्या तात्पयण है ?

उत्तर :-वचत्ात्मक िर्णन द्वारा कवि ने एक ओर काले बादल ं पर उड़ती बगुल ं की


श्वेत पंक्ति का वचत् अंवकत वकया है तथा इस अप्रवतम दृश्य के हृदय पर पड़ने िाले
प्रभाि क वचवत्त वकया है। कवि के अनुसार यह दृश्य उनकी आुँ खें चुराए वलए जा
रहा है |मंत् मुग्ध कवि इस दृश्य के प्रभाि से आत्म विस्मृवत की क्तस्थवत तक पहुुँच
जाता है।

प्रश्न२ii] :-कवि वकस माया से बचने की बात कहता है ?

उत्तर :- माया विश्व क अपने आकषणर् में बाुँध लेने के वलए प्रवसद्ध है | कबीर ने
भी ‘माया महा ठवगनी हम जानी’ कहकर माया की शक्ति क प्रवतपावदत वकया है
| काले बादल ं में बगुल ं की सुंदरता अपना माया जाल फैला कर कवि क अपने
िश में कर रही है |

वितान में वदए पाठ ं पर आधाररत महत्वपूर्ण प्रश्न


वसल्वर िैवडं ग
प्र. यश धर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में समथण ह ती हैं
,लेवकन यश धर बाबू असफल रहते हैं ,ऐसा क्य ं ?

उ. यश धर बाबू अपने आदशण वकशनदा से अवधक प्रभावित हैं और


आधुवनक पररिेश में बदलते हुए जीिन- मूल्य ं और संस्कार ं के विरुद्ध हैं।
जबवक उनकी पत्नी बच्च ं के साथ खड़ी वदखाई दे ती हैं। िह अपने बच्च ं
के आधुवनक डराविक र् से प्रभावित हैं इसवलए यश धर बाबू की पत्नी
समय के साथ पररिवतणत ह ती हैं ,लेवकन यश धर बाबू अभी भी वकशनदा
के संस्कार ं और परम्पराओं पर वटके हैं।

प्र. वसल्वर िैवडं ग पाठ में ‘ज हुआ ह गा’ िाक्य की वकतनी अथण छवियाुँ
आप ख ज सकते हैं ?

उ. यश धर बाबू यही विचार करते हैं की वजनका अपना पररिार नही ं


ह ता , उनकी तरफ बाद में क ई ध्यान नही ं न ही सहारा दे ता है क्य वं क
वकशनदा ने वकतने ही ल ग ं की सहायता की परं तु बाद में वकसी ने
उनका साथ नही ं वदया क्य वं क सब अपनी पाररिाररक वजम्मेदाररय ं मे
व्यस्त ह गए।अकेलेपन के कारर् िे स च- स च कर मुरझाते चले गए
और एक वदन उनकी मृत्यु ह गई। वकशनदा वक मृत्यु के सही कारर् ं
का पता नही ं चल सका। बस यश धर बाबू यही स चते रह गए वक
वजनका घर पररिार नही ं ह ता उनकी मृत्यु शायद ज हुआ ह गा से भी ह
जाती ह गी।

प्र. ितणमान समय में पररिार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभि
इस कहानी से कहाुँ तक सामंजस्य वबठा पाते हैं ?

उ. यश धर बाबू और उनके बच्च ं की स च में पीढ़ीजन्य अंतराल आ गया


है। यश धर बाबू संस्कार ं से जुड़ना चाहते हैं और संयुि पररिार की
संिेदनाओ क अनुभि करते हैं जबवक उनके बच्चे अपने आप में जीना
चाहते हैं। इसवलए संयुि पररिार में रहकर भी िे अकेलापन अनुभि
करते हैं । ितणमान समय में भी हम दे खते हैं वक वकतने ही ल ग पररिार में
रहकर भी उपेवक्षत जीिन जीने पर मजबूर हैं क्य वं क समय के साथ
प्रत्येक पीढ़ी की जीिन शैली बदलती रहती है। इसवलए पररिार ं में आपसी
तलमेल नही ं रह पाता।

प्र. ऐसा माना जाता है वक वसल्वर िैवडं ग कहानी में पीढ़ीय ं का अंतराल
कहानी वक मूल संिेदना है जबवक यश धर बाबू के द्वारा उठाई गई
समस्या (समहाि इं प्र पर )पाररिाररक विघटन और वगरते नैवतक मू ल्य ं के
बहाने दे श के विकास के बाधक तत्व ं वक और भी संकेत वकया गया है
इस कथन पर विचार कीवजये ?

उ. समीक्षक ं के अनुसार वसल्वर िैवडं ग कहानी वक मूल संिेदना पीढ़ीय न


के अंतराल क माना गया है । कहानी के घटनाक्रम भी यह संकेत करते
हैं वक वकशनदा के प्रभाि के कारर् यश धर बाबू बदलती हुई जीिनशैली
के अनुसार खुद क ढलने में असमथण रहते हैं लेवकन यह दे खने का प्रयास
ही नही ं वकया गया वक यश धर बाबू के बहाने स्वयं लेखक अपने मन वक
पीड़ा क व्यि करता है समह इं प्र पर इसी वक अवभव्यक्ति करता है वक
आधुवनकता का अंध समथणन और नेवतकताविहीन जीिन क स्वीकार करने
का अथण है पररिार समाज और दे श क एक ऐसी वदशा में धकेल दे ना ज
भयािह भविष्य वक और संकेत है क्या दे श के विकास वक आधुवनक
कहानी समहाि इं प्र पर नही ं है ?

जूझ

प्र. जूझ कहानी के शीषणक के औवचत्य पर विचार कीवजये यह शीषणक


कथा नायक की मुख्य चाररवत्क विशेषताओं क उजागर करता है ?

उ. जूझ का अथण ह ता है संघषण। इसमे नायक के जीिन में आने िाली


कवठनाईय ं ि उन समस्याओं से नायक के संघषण क बताया गया है।
बचपन से ही विपरीत पररक्तस्थवतय ं में रहकर भी अपने जीिन क सुँिारने
का प्रयास करता है। अपनी पढ़ाई छूट जाने पर िह द बारा प्रयास करके
पाठशाला जाने में सफल ह ता है। पाठशाला में आने िाली कवठनाइय का
भी िह वहम्मत से सामना करता है तथा पढ़ाई में अर्च्ा प्रदशणन करता है।
अतः पाठ में शुरू से अंत तक उसके पररश्रम क दशाणया गया है।

प्र. कविता के प्रवत लगाि से पहले , और उसके बाद अकेलेपन के प्रवत


लेखक की धारर्ा में क्या बदलाि आया?क्या ररचनात्मक कौशल के
विकास से एकाकीपन और अिसाद से बचा जा सकता है ?तकण सवहत
उत्तर दीवजये।

उ. कविता के प्रवत लगाि से पहले लेखक क अकेलापन बहुत खटकता


था। उसे लगता था वक हमेशा क ई न क ई साथ ह ना चावहए लेवकन
कविता करते िि उसे अकेलेपन से ऊब नही ं ह ती थी| अकेले में िह
ऊंची आिाज़ में कवितायें गा सकता था वकसी भी तरह का अवभनय कर
सकता था। इसवलए अब उसे अकेला रहना ज्यादा अर्च्ा लगता था।

रचनात्मक कौशल के विषय मेन छात् अपनी अनुभूवत स्वयम वलखे।

अतीत में दबे पाुँि

प्र. ‘वसंधु सभ्यता वक खूबी उसका सौन्दयण-ब ध है ज राज प वषत या


धमण प वषत न ह कर समाज-प वषत था।’ ऐसा क्य ं कहा गया?

उ. उस काल के ल ग मे कला या सुरुवच बहुत अवधक थी |ज उस


काल के मनुष्य की दै वनक प्रय ग की िस्तुओ मे स्पि वदखाई दे ती है
|यथा िहाुँ वक िास्तु कला तथा वनय जन धातु ि पत्थर वक मूवतणयाुँ ,वमट्टी
के बरतन और उन पर बने वचत् िनस्पवत और पशु –पवक्षय वक छवियाुँ
म हरे उन पर उत्कीर्ण आकृवतयाुँ क्तखलौने केश – विन्यास आभूषर् सुघड़
वलवपयाुँ इस सभ्यता के सौदं यण ब ध क विकत करती है ज पुरी तरह राज
प वषत ,धमण प वषत न ह कर समाज प वषत है |

प्र. टू टे फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृवत के इवतहास केसाथ धड़कती


वजंदवगय ं के अनछूए समय ं का भी दस्तािेज़ ह ते हैं –इस कथन का भाि
स्पि कीवजए |

उ.1।पूरा अिशेष उस संस्कृवत वक रहन सहन व्यिस्था केसाथ ही उन


पूिणज के जीिन स्ंि्भ से पररवचत कराती है |

2 हम कल्पना केसहारे उस समय मे प्रिेश कर उस काल खंड वक


अनुभूवत प्राप्त करते है |

3. खंडहर ं से उस सभ्यता की प्रामावर्कता वसद्ध ह ती है |

प्र . अतीत मे दबे पाुँि में िवर्णत महाकंु ड का िर्णन कीवजए –

उ .1म हन –ज दड़ मे प्राप्त महाकंु ड वक लंबाई 40 फुट ,चौड़ाई 25


फुट तथा गहराई 7 फुट है |कंु ड मे उत्तर –दवक्षर् से सीवढ़याुँ उतरती है
| इसमे आठ स्नानागार हैं यह वसंधु गवत सभ्यता के अदवितया िासतौ
कौशल का अनुपम उदाहरर् है कंु ड के तीन तरफ साधुओ ं के कक्ष कंु ड
के ताल और दीिार ं पर पक्की ईंट ं के बीच में छूने और वचर डी के गारे
का इस्तेमाल हुआ है कंु ड में पानी ले जाने और वनकालने की व्यिस्था है।
इस कंु ड क पवित् मानते हुए आनुष्ठावनक कायों में इसके जल का
इस्तेमाल ह ता था।
ऐन फ्रैंक की डायरी

प्र . ऐन फ्रैंक ने अपनी डाइरर में क्तस्त्य के बारे में क्या कहा है ?
उसकी समीक्षा करते हुए बताइए क्तस्थवतय में वकतना पररितणन आया है ?

उ. ऐन यह मानती है वक पुरुष अपनी शारीररक क्षमता के कारर् नाररय ं


पर शासन करते है नारी क िह समान और अवधकार प्रपट नही ं ह ता
वजसकी िह अवधकाररर्ी है प्रसि के समय नारी वजस पीड़ा से गुजरती है
िह पीड़ा युद्ध में घायल सैवनक से कम नही ं।

प्रकृवत प्रदत्त प्रजनन शक्ति का अवधकार स्त्ी क ही प्रपट है , वकन्तु यह


अवधकार और सम्मान पुरुष ं ने छीन वलया है वजससे संसार जनावधक्य
और उससे उत्पन्न समस्या से जूझ रहा है। ऐन मानती है की संसार में
खूबसूरत और सौद ं यणमयी औरत ं का बहुत यागदान है। ऐन अपने समय से
बहुत आगे दे खती है और िह समस्या का गहराई से विश्लेषर् करती है।

ितणमान क्तस्थवत की प्रष्ठभूवम में छात् अपना विचार व्यि करें

प्र. ऐन की डाइरर अगर एक ऐवतहावसक दस्तािेज़ है त साथ ही उसके


वनजी जीिन के भािनात्मक उथल-पुथल का भी लेवकन द न ं का फकण
वदखाई नही ं पड़ता वद्वतया विश्व युद्ध की प्रष्ठभूवम में इस कथन की समीक्षा
कीवजये ?

उ. वद्वतय विश्व युद्ध के समय वहटलर और उसकी नाजी सेना के द्वारा


यहवदय ं पर भयािह अत्याचार वकए गए थे। फ्रैंक पररिार अपनी प्रार् रक्षा
के वलए अज्ञात िास में रहने के वलए वििश ह गया था लगभग तीन साल
के मानवसक यातना से गुजरने िाली फ्रैंक की छ टी बेटी ऐन ने वकतती
नामक गुवड़या क संब वधत करते हुए वलखी गई है। इस डाइरर में भय
,आतंक, भूख, प्यार, मानिीय संिेदनाएं , प्रेम, घृर्ा,बढ़ती उम्र की
तकलीिें, हिाई हमले का डर, तेरह साल की उम्र के सपने, कल्पनाएं ,
बाहरी दु वनया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा, मानवसक और
शारीररक जरूरतें,हंसी मज़ाक,युद्ध की पीड़ा, अकेलापन सब कुछ है।
इस प्रकार द न ं में भेद करना संभि नही ं है।
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