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एक्िट
ू एन्सेफलाइटटस ससंड्रोम (AES)
• इसकेलक्षणतीव्रिख
ु ारकीशरु
ु आत और तंबत्रकासंिध
ं ी नैदातनकववकार हैं क्जसमें मानमसक
भ्रम, आत्
मववस्
मतृ त, अचेतना, या कोमा शाममल है ।
• यह कईं ववमभन्न ववषाणओ
ु ं, िैटीररया, कवक, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रासायतनक/ववषा
त
पदाथों आदद के कारण होता है ।
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• यह मख्
ु य रूप से 15 वषव से कम आयु केलोग़ों को प्रभाववत करता है ।
• भारत में (उत्
तर और पव
ू ी भारत) में AES के प्रकोप कोखाली पेट कच्चीलीची खानेवालेिच्च़ों
से जोडा गया है ।
• कच्चे फल में हाइपोग्लाइसीन A और मेथेलीनसाइलोप्रोवपलग्
लाइमसन (MCPG) ववषैलेतत्व
होते हैं, क्जनका अधधक मात्रा में सेवनकरने पर येउल्टी का कारण िनते हैं।
• हाइपोग्लाइसीन A एक प्राकृततक रूप से पाया जाने वाला अमीनो अम्
ल है जो कच्ची लीची में
पाया जाता है ,यह अत्
यधधक उल्टी (जमैकाई उल्टी की िीमारी) का कारण िनता है ।
• मेथेलीन साइक्लो प्रोपपल ग्लाइससन लीची के िीज़ों में पाया जाने वाला एक जहरीला यौधगक है
जो र
त शकवरा में अचानक कमी, उल्टी, पररवततवत मानमसक अवस्था का कारण िनता है ,
क्जसके फलस्वरूपसस्
ु ती, िेहोशी, कोमा कीमशकायतहोतीहै औररोगीकी मत्ृ यु होजाती है ।
• भारतमें जापानी एन्सेफलाइदटस वायरस (JEV) AES का प्रमख
ु कारण है (5%सेलेकर35%
तक)।
• तनपाह वायरस, जीका वायरस भी AES के कारक हैं।