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ककाललिककाष्टकमम

गलिद्रक्तमुुण्डकावलिलीकण्ठमकालिका महकाघघोररकावका सुददंषका करकालिका ।

वववस्तका श्मशकानलियका मुक्तककेशली महकाककालिककामकाकुलिका ककाललिककेयमम ॥१॥

English: Wearing a garland of skulls drenched with blood, having a fearful form, black
in colour with externally projecting teeth, she is nude and lives in cremation ground with
fully untied hair, and she is Kali busy in love play with the great Lord Shiva.

हहिन्दद: यके भगवतली ककाललिकका, गलिकेममें रक्त टपकतके हुए मुण्डसममूहहोंककी मकालिका पहनके हुए हह , यके अत्यन्त घघोर शब्द कर रहली हह,
इनककी सुन्दर दकाढमें हह तथका स्वरुप भयकानक हह , यके वस्तरवहत हह यके श्मशकानममें वनवकास करतली हह , इनकके ककेश वबिखरके हुए हह और यके
महकाककालिकके सकाथ ककामलिलीलिकाममें वनरत हह ॥

भुजके वकामयुग्मके लशरघोऽसससिं दधकानका वरदं दक्षयुग्मकेऽभयदं वह तथहव ।

सुमध्यकाऽवप तुङ्गस्तनकाभकारनमका लिसदम रक्तससृक्कद्वयका सुसस्मतकास्यका ॥२॥

English: Carrying cut heads as well as sword in her two left hands, symbols of blessing
and protection in her right hands, having a lion like middle and bent because of heavy
breasts, and with shining blood drenched lips but smiling prettily.

हहिन्दद: यके अपनके दघोनहों दकावहनके हकाथहोंममें नरमुण्ड और खडम ग ललियके हुई हह तथका अपनके दघोनहों दकावहनके हकाथहोंममें वर और अभयमुद्रका
धकारण वकयके हुई हह । यके सुन्दर कटटप्रदके शवकालिली हह , यके उन्नत स्तनहोंकके भकारसके झुककी हुईसली हह इनकके ओष्ठ द्वयकका प्रकान्त भकाग रक्तसके
सुशघोभभत हह और इनकका मुख-मण्डलि मधुर मुस्ककानसके युक्त हह ॥

शवद्वन्द्वकणकार्णावतदंसका सुककेशली लिसत्प्रकेतपकाणणसिं प्रयुक्तहकककाञ्चली ।

शवकाककारमञ्चकाधधरूढका लशवकाभभ-श्चरदसिंक्षुशब्दकायमकानकाऽभभरकेजके ॥३॥

ववरञ्च्यकाटददके वकास्तयस्तके गुणकादंस्तलीनम समकारकाध्य ककालिलीं प्रधकानका बिभमूवु: ।

अनकाददसिं सुरकाददसिं मखकाददसिं भवकाददसिं स्वरूपदं त्वददीयदं न ववन्दनन्त दके वका: ॥४॥

जगन्मघोहनलीयदं तु वकाग्वकाटदनलीयदं सुहृत्पघोवषिणलीशतुसदंहकारणलीयमम ।

वचस्तम्भनलीयदं वकमुच्चकाटनलीयदं स्वरूपदं त्वददीयदं न ववन्दनन्त दके वका: ॥५॥

इयदं स्वगर्णादकातली पुन: कल्पवल्लिली मनघोजकादंस्तु ककामकानम यथकाथर्थं प्रकुयकार्णातम ।

तथका तके कसृतकाथकार्णा भवन्तलीवत वनत्यदं स्वरूपदं त्वददीयदं न ववन्दनन्त दके वका: ॥६॥

सुरकापकानमतका सभुक्तकानुरक्तका लिसत्पमूतधचतके सदकाववभर्णावतके ।


जपध्यकानपमूजकासुधकाधधौतपङम कका स्वरूपदं त्वददीयदं न ववन्दनन्त दके वका: ॥७॥

धचदकान्दकन्ददं हसनम मन्दमन्ददं शरच्चन्द्रकघोटटप्रभकापुञ्जवबिम्बिमम ।

मुनलीनकादं कवलीनकादं हृटद दघोतयन्तदं स्वरूपदं त्वददीयदं न ववन्दनन्त दके वका:॥८॥

महकामकेघककालिली सुरक्तकावप शुभका कदकाधचदम ववधचतकाकसृवतयर्योगमकायका ।

न बिकालिका न वसृदका न ककामकातुरकावप स्वरूपदं त्वददीयदं न ववन्दनन्त दके वका: ॥९॥

क्षमस्वकापरकाधदं महकागुप्तभकावदं मयका लिघोकमध्यके प्रककाशलीकसृत यतम ।

तव ध्यकानपमूतकेन चकापल्यभकावकातम स्वरूपदं त्वददीयदं न ववन्दनन्त दके वका: ॥१०॥

यटद ध्यकानयुक्तदं पठके दम यघो मनुष्य-स्तदका सवर्णालिघोकके ववशकालिघो भवकेच्च ।

गसृह चकाष्टलसददमसृर्णातके चकावप मुलक्त: स्वरूपदं त्वददीयदं न ववन्दनन्त दके वका: ॥११॥

॥ इवत शलीमच्छङम करकाचकायर्णाववरधचतदं शलीककाललिककाष्टकदं सम्पमूणर्णामम ॥

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