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वायुयान अिधिनयम, 1934

(1934 का अिधिनयम संख्यांक 22)


[19 अगस्त, 1934]
वायुयान के िविनमार्ण, कब्जे, उपयोग, पर्चालन, िवकर्य, आयात
और िनयार्त के िनयंतर्ण के िलए अिधक अच्छे
उपबंध करने के िलए
अिधिनयम
वायुयान के िविनमार्ण, कब्जे, उपयोग, पर्चालन, िवकर्य, आयात और िनयार्त के िनयंतर्ण के िलए अिधक अच्छे उपबन्ध करना
समीचीन है, अत: एतद् ारा िनम्नरूप म यह अिधिनयिमत िकया जाता है :—
1. संिक्षप्त नाम और िवस्तार—(1) यह अिधिनयम 1 *** वायुयान अिधिनयम, 1934 कहा जा सकता है ।
2
[(2) इसका िवस्तार 3 4 *** सम्पूणर् भारत पर है और यह—
(क) भारत के नागिरक को जहां कह वे ह ; 5 ***
(ख) भारत म रिजस्टर्ीकृ त वायुयान को और उस पर िस्थत व्यिक्तय को जहां कह वे ह ,
लागू होगा;]
[(ग) भारत से बाहर रिजस्टर्ीकृ त वायुयान को िकन्तु जो तत्समय भारत म या भारत के ऊपर ह और उस पर
6

िस्थत व्यिक्तय को; और


(घ) ऐसे व्यिक्त ारा, जो भारत का नागिरक नह है िकन्तु उसके कारबार का मुख्य स्थान या स्थायी िनवास
भारत म है, पर्चािलत िकसी वायुयान को ।]
2. पिरभाषाएं—इस अिधिनयम म जब तक िक कोई बात िवषय या संदभर् से िवरु न हो,—
(1) “वायुयान” से ऐसी कोई मशीन अिभपर्ेत है जो वातावरण से 7 [पृथ्वी की सतह पर वायु की पर्ितिकर्या से िभन्न]
वायु की पर्ितिकर्या ारा अवलम्ब पर्ाप्त कर सकती है, और इसके अन्तगर्त बेलन
ू , चाहे िस्थर हो या अिस्थर वायु-पोत, पतंग,
ग्लाइडर और उ यन मशीन आती ह;
(2) “िवमानक्षेतर्” से जल या थल का िनिश्चत या सीिमत ऐसा कोई क्षेतर् अिभपर्ेत है जो पूणर्त: या भागत: वायुयान
के उतरने या उसके पर्स्थान के िलए आशियत है और इसके अन्तगर्त उस पर और उससे जुड़े हुए सभी भवन, शेड, यान,
पर्स्तम्भ और अन्य संरचनाएं आती ह;
[(2क) िकसी िवमानक्षेतर् के संबंध म, “िवमानक्षेतर् िनदश िबन्दु” से वह अिभिहत िबन्दु अिभपर्ेत है जो वायुयान के
7

पर्स्थान या उतरने के िलए आरिक्षत िवमानक्षेतर् के भाग म ज्यािमतीय के न्दर् पर या उसके समीप क्षैितर्ज समतल म स्थािपत
िकया जाए;]
(3) “आयात” से 8 [भारत] म लाना अिभपर्ेत है; और
(4) “िनयार्त” से 8[भारत] से बाहर ले जाना अिभपर्ेत है ।
3. के न्दर्ीय सरकार की कु छ वायुयान को छू ट देने की शिक्त—के न्दर्ीय सरकार, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा िकसी
वायुयान या वायुयान के वगर् और िकसी व्यिक्त या व्यिक्तय के वगर् को 9 [इस अिधिनयम के सभी या िकन्ह उपबन्ध से] छू ट दे सके गी

1
1960 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 2 ारा “भारतीय” शब्द का लोप िकया गया ।
2
िविध अनुकूलन आदेश, 1950 ारा पूवर्वत उपधारा (2) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
3
यह अिधिनयम 1963 के िविनयम सं० 6 की धारा 2 और पहली अनुसूची ारा दादरा और नागर हवेली पर (1-7-1965 से); 1962 के िविनयम सं० 12 की धारा 3 और
अनुसूची ारा गोवा, दमण और दीव पर; और 1965 के अिधिनयम सं० 8 की धारा 3 और अनुसूची ारा (1-10-1967 से) संपूणर् संघ राज्यक्षेतर् लक्ष ीप पर, िवस्तािरत
और पर्वृ िकया गया ।
4
1951 के अिधिनयम सं० 3 की धारा 3 और अनुसूची ारा “हैदराबाद राज्य के िसवाय” शब्द को िनरिसत िकया गया ।
5
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 2 ारा लोप िकया गया ।
6
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
7
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 2 ारा (20-4-1972 से) अन्त:स्थािपत ।
8
1948 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 3 ारा “पर्ान्त ” शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
9
1939 के अिधिनयम सं० 37 की धारा 3 ारा “इस अिधिनयम के पर्ावधान और इसके अन्तगर्त बनाए गए िनयम या िकसी ऐसे उपबन्ध से” शब्द के स्थान पर
पर्ितस्थािपत ।
2

या यह िनदेश दे सके गी िक वे ऐसे वायुयान या व्यिक्तय को ऐसे उपान्तर के अध्यधीन लागू ह गे जैसे अिधसूचना म िविनिदष्ट िकए
जाएं ।
[4. 1944 के अिभसमय को िकर्यािन्वत करने के िलए िनयम बनाने की के न्दर्ीय सरकार की शिक्त— 2 [धारा 14 के उपबन्ध
1

के अधीन रहते हुए के न्दर्ीय सरकार,] शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, िनयम बना सके गी जो 7 िदसम्बर, 1944 को िशकागो म
हस्ताक्षिरत अन्तरराष्टर्ीय िसिवल िवमानन से संबिं धत, समय-समय पर यथासंशोिधत, अिभसमय को (िजसम, अन्तरराष्टर्ीय मानक
और िसफािरश की गई प ितय से संबंिधत, उसका कोई उपाबन्ध भी है) िकर्यािन्वत करने के िलए उसे आवश्यक पर्तीत ह ।]
[4क. सुरक्षा अन्वेक्षा कृ त्य—िसिवल िवमानन का महािनदेशक या के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम िवशेष रूप से सशक्त
3

िकया गया कोई अन्य अिधकारी, इस अिधिनयम या तद्धीन बनाए गए िनयम म िविनिदष्ट िवषय की बाबत सुरक्षा अन्वेक्षा कृ त्य
का पालन करे गा ।]
5. के न्दर्ीय सरकार की िनयम बनाने की शिक्त—(1) 4 [धारा 14 के उपबन्ध के अधीन रहते हुए के न्दर्ीय सरकार,] शासकीय
राजपतर् मे अिधसूचना ारा, िकसी वायुयान या वायुयान के वगर् के िविनमार्ण, कब्जे, उपयोग, पर्चालन, िवकर्य, आयात या िनयार्त का
िविनयमन करने वाले 5 [तथा वायुयान के पर्चालन की सुरक्षा सुिनिश्चत करने के िलए, िनयम 6 बना सके गी ।]
(2) पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम, िनम्निलिखत के िलए उपबन्ध कर सकगे—
(क) वे पर्ािधकारी जो इस अिधिनयम से या के अधीन पर्द शिक्तय म से िकसी का पर्योग करगे;
वायु पिरवहन सेवा की स्थापना को पर्ािधकृ त करने वाली अनुज्ञिप्त के पर्ािधकार के अधीन और तदनुसार
7 [(कक)

के िसवाय ऐसी सेवा का िविनयमन और वायुयान का ऐसी सेवा म पर्योग का पर्ितषेध;]


8 [(कख)िसिवल िवमानन और वायु पिरवहन सेवा का आिथक िविनयमन, िजसके अन्तगर्त 9 [वायु पिरवहन
सेवा के पर्चालक के टैिरफ का [भारतीय िवमानप न आिथक िविनयामक पर्ािधकरण अिधिनयम, 2008 (2008 का 27)
की धारा 13 की उपधारा (1) के ख्ांड (क) म िनिदष्ट टैिरफ से िभन्न] अनुमोदन, अननुमोदन या पुनरीक्षण है] वे अिधकारी या
पर्ािधकारी जो इस िनिम शिक्तय का पर्योग कर सकगे; ऐसे अिधकािरय या पर्ािधकािरय ारा अनुसिरत की जाने वाली
पर्िकर्या और वे बात िजन्ह वे ध्यान म रखगे; ऐसे अिधकािरय या पर्ािधकािरय के आदेश के िवरु के न्दर्ीय सरकार को
अपील और ऐसे टैिरफ से संबंिधत अन्य सभी िवषय ।
स्पष्टीकरण—इस खंड के पर्योजन के िलए “टैिरफ” के अन्तगर्त याितर्य या माल के वायु पिरवहन के िलए
िकराया, रे ट मूल्यांकन पर्भार और अन्य पर्भार, ऐसे िकराए, रे ट, मूल्यांकन पर्भार और अन्य पर्भार तथा रे ट को पर्भािवत
करने वाले िनयम, िविनयम, प ितयां या सेवाएं और यातर्ी या स्थौरा िवकर्य अिभकतार् को संदय े कमीशन के िनबन्धन
और शत ह;]
[(कग) जानकारी, जो वायु पिरवहन सेवा की स्थापना को पर्ािधकृ त करने वाली अनुज्ञिप्त के आवेदक या धारक,
10

ऐसे पर्ािधकािरय को जो िनयम म िविनिदष्ट िकए जाएं, दगे;]


[(ख) िवमानक्षेतर् का अनुज्ञापन, िनरीक्षण और िविनयमन, वे श्ात िजनके अधीन िवमानक्षेतर् का अनुरक्षण िकया
4

जाएगा और अननुज्ञप्त िवमानक्षेतर् के उपयोग का पर्ितषेध या िविनयमन;


(खक) वह फीस जो उन िवमानक्षेतर् से पर्भािरत की जा सके गी िजनको भारतीय िवमानप न पर्ािधकरण
अिधिनयम, 1994 (1994 का 55) लागू नह होता है या लागू नह िकया जाता है;]
(ग) वायुयान के िविनमार्ण, मरम्मत और अनुरक्षण का और ऐसे स्थान का जहां वायुयान का िविनमार्ण या
मरम्मत की जा रही है या जहां वे रखे गए ह, िनरीक्षण और िनयंतर्ण;
(घ) वायुयान को रिजस्टर करना और िचिह्नत करना;
(ङ) वे शत िजनके अधीन वायुयान उड़ाए जा सकगे या यातर्ी, डाक या माल ले जा सकगे अथवा औ ोिगक
पर्योजन के िलए पर्योग िकए जा सकगे और वायुयान म रखे जाने वाले पर्माणपतर्, अनुज्ञिप्तयां या दस्तावेज;

1
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 3 ारा (20-4-1972 से) पूवर्वत धारा 4 के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 4 ारा अन्त:स्थािपत ।
4
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 5 ारा पर्ितस्थािपत ।
5
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 4 ारा अन्त:स्थािपत ।
6
भारत का राजपतर्, 1937, भाग 1, पृष्ठ 633-719 म पर्कािशत भारतीय वायुयान िनयम, 1937, देिखए ।
7
1944 के अिधिनयम सं० 5 की धारा 2 ारा अन्त:स्थािपत ।
8
1983 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 2 ारा अन्त:स्थािपत ।
9
2008 के अिधिनयम सं० 27 की धारा 54 और अनुसूची ारा पर्ितस्थािपत ।
10
1983 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 2 ारा खंड (कख) को ख्ांड (कग) के रुप म पुन:अक्षरांिकत िकया गया ।
3

(च) इस अिधिनयम के और तद्धीन िनयम के पर्वतर्न के पर्योजन के िलए वायुयान का िनरीक्षण और ऐसे िनरीक्षण
के िलए दी जाने वाली सुिवधाएं;
(छ) वायुयान के पर्चालन, िविनमार्ण, मरम्मत या अनुरक्षण म िनयोिजत व्यिक्तय का अनुज्ञापन;
1
[(छक) वायु याततयात िनयंतर्ण म लगे व्यिक्तय का अनुज्ञापन;
(छख) संचार, नौपिरवहन का पर्माणन, िनरीक्षण और िविनयमन तथा वायु यातायात पर्बन्ध पर्सुिवधा की
िनगरानी;
(छग) िविधिवरु हस्तक्षेप के काय के िवरु िसिवल िवमानन की सुरक्षा के उपाय;]
(ज) वे वायुमागर् िजनसे और वे श्ात िजनके अधीन वायुयान 2 [भारत] म पर्वेश या 2[भारत] से पर्स्थान कर सकगे
अथवा भारत के ऊपर उड़ सकगे और वे स्थान जहां वायुयान उतरगे;
(झ) िकसी िविनिदष्ट क्षेतर् पर, या तो पूणर्तया या िविनिदष्ट समय पर या िविनिदष्ट शत और अपवाद के
अध्यधीन वायुयान की उड़ान का पर्ितषेध;
(ञ) वायुमागर् के बीकन , िवमानक्षेतर् के पर्काश और िवमानक्षेतर् के िनकट या उन पर या वायुमाग के िनकट, या
उन पर पर्काश का पर्दाय, पयर्वेक्षण और िनयंतर्ण;
[(ञञ) िवमानक्षेतर् के िनकट की पर्ाइवेट सम्पि पर या वायुमाग के िनकट म या उन पर ऐसी सम्पि के
3

स्वािमय या अिधभोिगय ारा पर्काश का पर्ितष्ठापन और उनका अनुरक्षण, ऐसे पर्ितष्ठापन और अनुरक्षण के िलए के न्दर्ीय
सरकार ारा संदाय और ऐसे पर्ितष्ठापन और अनुरक्षण का पयर्वक्ष
े ण और िनयंतर्ण, िजसके अन्तगर्त ऐसे पर्योजन के िलए
सम्पि पर पर्वेश का अिधकार भी है;]
(ट) वायुयान ारा या को संसूचना के पर्योजन के िलए पर्योग िकए जाने वाले संकेत और संकेत भेजने म पर्युक्त
उपकरण;
(ठ) वायुयान म िकसी िविनिदष्ट वस्तु या पदाथर् के वहन का पर्ितषेध और िविनयमन;
(ड) जीवन की सुरक्षा सुिनिश्चत करने के पर्योजनाथर् िकए जाने वाले उपाय और ले जाए जाने वाले उपकरण;
(ढ) लाग बुक जारी करना और रखना;
(ण) अिधिनयम या िनयम के अधीन िकसी अनुज्ञिप्त या पर्माणपतर् के जारी करने या उसके नवीकरण की रीित
और शत, उससे सम्बिन्धत दी जानी वाली परीक्षाएं, और परीक्षण, ऐसी अनुज्ञिप्त या पर्माणपतर् या लाग बुक का पर्रूप,
अिभरक्षा, पेश करना, पृष्ठांकन, र करण, िनलम्बन या अभ्यपर्ण;
(त) इस अिधिनयम के अधीन िकए गए, जारी िकए गए या नवीकरण िकए गए िकसी िनरीक्षण, परीक्षा, परीक्षण,
पर्माणपतर् या अनुज्ञिप्त के सम्बन्ध म पर्भायर् फीस;
(थ) वायुयान के , या वायुयान के पर्चालन, िविनमार्ण, मरम्मत या अनुरक्षण के िलए िनयोिजत व्यिक्तय की
अहर्ता के सम्बन्ध म 2[भारत] से अन्यतर् जारी िकए गए पर्माणपतर् और अनुज्ञिप्तय को इस अिधिनयम के पर्योजनाथर्
मान्यता देना; 4 ***
[(थथ) िवमानक्षेतर् िनदश िबन्दु से दस िकलोमीटर के अधर्व्यास के भीतर पशु
5
का वध करने और खाल उतारने
का तथा कू ड़ा, गन्दगी और अन्य पर्दूिषत एवं हािनकर वस्तुएं डालने का पर्ितषेध; तथा]
(द) इस उपधारा म िनिदष्ट मामल के समनुषंगी या आनुषंिगक कोई मामला ।
6
* * * * * * *
[5क. िनदेश जारी करने की शिक्त—(1) िसिवल िवमानन का महािनदेशक या के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम िवशेषत:
7

सशक्त कोई अन्य अिधकारी, समय-समय पर, आदेश ारा, इस अिधिनयम के उपबन्ध तथा तद्धीन बनाए गए िनयम से संगत,
8 [धारा 5 की उपधारा (2) के ख्ांड (कक), (ख), (ग), (ङ), (च), (छ), (छक), (छख), (छग), (ज), (झ), (ड) और (थथ) म िविनिदष्ट िकसी

1
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 5 ारा अंत:स्थािपत ।
2
1948 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 3 ारा “पर्ान्त ” शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
3
1939 के अिधिनयम सं० 37 की धारा 4 ारा अन्त:स्थािपत ।
4
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 4 ारा (20-4-1972 से) “और” शब्द का लोप िकया गया ।
5
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 4 ारा (20-4-1972 से) अन्त:स्थािपत ।
6
1944 के अिधिनयम सं० 5 की धारा 3 ारा अन्त:स्थािपत उपधारा (3) का 1960 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 3 ारा लोप िकया गया ।
7
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 5 ारा अन्त:स्थािपत ।
8
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 6 ारा पर्ितस्थािपत ।
4

िवषय की बाबत, ऐसी िकसी दशा म जब िसिवल िवमानन के महािनदेशक या िकसी अन्य अिधकारी का समाधान हो जाता है िक भारत
की सुरक्षा के िहत म या वायुयान के पर्चालन की सुरक्षा सुिनिश्चत करने के िलए ऐसा करना आवश्यक है, िकसी िवमानक्षेतर् का उपयोग
करने वाले या वायुयान पर्चालन , वायु यातायात िनयंतर्ण, िवमानक्षेतर् का अनुरक्षण और पर्चालन, संचार, नौपिरवहन, िनगरानी और
वायु यातायात पर्बंध काय के िवरु िसिवल िवमानन की सुरक्षा म लगे िकसी व्यिक्त या व्यिक्तय को, िनदेश जारी कर सके गा । ]
(2) उपधारा (1) के अधीन जारी िकए गए पर्त्येक िनदेश का अनुपालन ऐसे व्यिक्त या व्यिक्तय ारा िकया जाएगा िजसको
या िजन्ह ऐसा िनदेश जारी िकया गया है ।]
6. के न्दर्ीय सरकार की आपात म आदेश देने की शिक्त—(1) यिद के न्दर्ीय सरकार की यह राय है िक लोक रक्षा और पर्शािन्त
के िहत म िनम्निलिखत आदेश म से सभी या िकसी का जारी िकया जाना समीचीन है तो के न्दर्ीय सरकार शासकीय राजपतर् म
अिधसूचना ारा,—
(क) इस अिधिनयम के अधीन दी गई सभी या िकसी भी अनुज्ञिप्त या पर्माणपतर् को या तो आत्यंितक रूप से या
ऐसी शत के अध्यधीन िजन्ह वह आदेश म िविनिदष्ट करना ठीक समझे, र या िनलिम्बत कर सके गी;
(ख) सम्पूणर् 1 [भारत] या उसके िकसी भाग पर सभी वायुयान , िकसी वायुयान या िकसी वगर् के वायुयान की
उड़ान का या तो आत्यंितक रूप से या ऐसी श्ात के अध्यधीन, िजन्ह वह आदेश म िविनिदष्ट करना ठीक समझे, पर्ितषेध कर
सके गी अथवा उसे ऐसी रीित म िविनयिमत कर सके गी जो आदेश म अन्तिवष्ट हो;
(ग) िकसी िवमानक्षेतर्, वायुयान कारखाना, उ यन िव ालय या क्लब या वह स्थान जहां वायुयान या उनका कोई
वगर् या पर्कार िविनिमत होते ह, मरम्मत िकए जाते ह या रखे जाते ह, आत्यंितक रूप से या सशतर् पर्ितषेध कर सके गी या
िविनयिमत कर सके गी;
(घ) यह िनदेश दे सके गी िक कोई वायुयान या वायुयान का वगर् या कोई िवमानक्षेतर्, वायुयान कारखाना, उ यन
िव ालय या क्लब, या वह स्थान जहां वायुयान िविनिमत िकए जाते ह, मरम्मत िकए जाते ह या रखे जाते ह, उस मशीन,
संयंतर्, सामगर्ी या वस्तु सिहत जो वायुयान के पर्चालन, िविनमार्ण, मरम्मत या अनुरक्षण म पर्युक्त होती ह या तो तुरन्त
या िविनिदष्ट समय के भीतर ऐसे पर्ािधकारी को और उस रीित म जैसी आदेश म िविनिदष्ट की जाए, पिरद की जाएगी
िजससे िक लोक सेवा के िलए सरकार के व्ययनधीन रहे ।
[(1क) इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िकसी िनयम म िकसी बात से असंगत होते हुए भी, उपधारा (1) के अधीन िदया
2

गया कोई आदेश पर्भावी होगा ।]


(2) यिद िकसी व्यिक्त को उपधारा (1) के ख्ाण्ड (ग) या खण्ड (घ) के अधीन जारी िकए गए िकसी आदेश के कारण कोई
पर्त्यक्ष क्षित या हािन होती है तो उसे उतना पर्ितकर िदया जाएगा जो ऐसे पर्ािधकारी ारा अवधािरत होगा जो इस िनिम के न्दर्ीय
सरकार ारा िनयुक्त िकया जाए ।
(3) के न्दर्ीय सरकार उपधारा (1) के अधीन जारी िकए गए आदेश का अनुपालन कराने के िलए ऐसे कदम उठाना पर्ािधकृ त
कर सके गी जो उसे आवश्यक पर्तीत ह ।
(4) जो कोई जानबूझकर उपधारा (1) के अधीन जारी िकए गए आदेश की अवज्ञा करे गा, या अनुपालन करने म असफल
रहेगा या उसके उल्लंघन म कोई कायर् करे गा, वह कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, या दोन से,
दण्डनीय होगा और वह न्यायालय िजसके ारा वह दोषिस िकया गया है यह िनदेश दे सके गा िक वह वायुयान या वस्तु (यिद कोई
हो) िजसकी बाबत वह अपराध िकया गया है, या ऐसी वस्तु का कोई भाग, सरकार को समपहृत हो जाएगा ।
7. के न्दर्ीय सरकार की दुघटर् ना का अन्वेषण करने के िलए िनयम बनाने की श्ािक्त—(1) 3 [के न्दर्ीय सरकार, धारा 14 के
उपबन्ध के अधीन रहते हुए—
(क) भारत म या भारत के ऊपर िकसी भी वायुयान; या
(ख) भारत म रिजस्टर्ीकृ त वायुयान के कह भी, .
िवमानचालन के दौरान या िवमानचालन से उद्भूत दुघर्टना या घटना के अन्वेषण का उपबंध करने के िलए, राजपतर् म अिधसूचना ारा
िनयम बना सके गी ।]
(2) पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना ऐसे िनयम—
(क) यह अपेक्षा कर सकगे िक ऐसी रीित म और ऐसे व्यिक्त ारा जो िविहत िकया जाए िकसी 3[दुघर्टना या
घटना] की सूचना दी जाएगी;

1
1948 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 3 ारा “पर्ान्त ” शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1976 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 6 ारा अन्त:स्थािपत ।
3
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 7 ारा पर्ितस्थािपत ।
5

(ख) अन्वेषण या 1 [दुघर्टना या घटना ] से सम्बिन्धत तत्समय पर्वृ िकसी िविध के उपबन्ध ऐसे अन्वेषण के
पर्योजनाथर् उपांतर सिहत या रिहत लागू कर सकगे;
(ग) अन्वेषण के लंिबत रहने तक 1[दुघर्टनागर्स्त या घटनागर्स्त] वायुयान तक पहुंचने और हस्तक्षेप करने का
पर्ितषेध कर सकगे और जहां तक अन्वेषण के पर्योजनाथर् आवश्यक हो िकसी व्यिक्त को यह पर्ािधकार दे सकगे िक वह ऐसे
िकसी वायुयान तक पहुंच सके गा, उसकी परीक्षा कर सके गा, उसे हटा सके गा, उसके पिररक्षण के िलए अध्युपाय कर सके गा,
या अन्य कायर्वाही कर सके गा; और
(घ) जब अन्वेषण से यह पर्तीत हो िक िकसी अनुज्ञिप्त पर कायर्वाही की जानी चािहए तब इस अिधिनयम के
अधीन अनुद या मान्यतापर्ाप्त िकसी अनुज्ञिप्त या पर्माणपतर् के र करण, िनलम्बन, पृष्ठांकन या अभ्यपर्ण को पर्ािधकृ त या
अपेिक्षत कर सकगे और ऐसे पर्योजन के िलए ऐसी अनुज्ञिप्त के पेश करने का उपबन्ध कर सकगे ।
8. वायुयान को िनरु करने की शिक्त—(1) के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम पर्ािधकृ त पर्ािधकारी िकसी वायुयान को
िनरु कर सके गा यिद ऐसे पर्ािधकारी की राय म—
(क) आशियत उड़ान की पर्कृ ित को देखते हुए ऐसे वायुयान की उड़ान से उस वायुयान म िस्थत व्यिक्तय को या
िकन्ह अन्य व्यिक्तय को या सम्पि को खतरा हो सकता है; या
(ख) ऐसा िनरोध, इस अिधिनयम या ऐसे वायुयान को लागू होने वाले िनयम के उपबन्ध का अनुपालन कराने के
िलए आवश्यक है, या धारा 5 की उपधारा (2) के ख्ाण्ड (ज) या खण्ड (झ) के अधीन बनाए गए िकसी िनयम का उल्लंघन
रोकने के िलए 2 [अथवा िकसी न्यायालय ारा िकए गए िकसी आदेश को कायार्िन्वत करने के िलए आवश्यक है] ।
(2) 3 [के न्दर्ीय सरकार, धारा 14 के उपबन्ध के अधीन रहते हुए] शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, इस शिक्त के पर्योग
के समनुषग
ं ी या आनुषंिगक सभी मामल को िविनयिमत करने के िलए िनयम 4 बना सके गी ।
5
[8क. के न्दर्ीय सकार की लोक स्वास्थ्य की रक्षा के िलए िनयम बनाने की शिक्त— 6 [के न्दर्ीय सरकार, धारा 14 के उपबन्ध के
अधीन रहते हुए] शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, िकसी िवमानक्षेतर् पर आने वाले या िस्थत होने वाले िकसी वायुयान से लोक
स्वास्थ्य को िकसी संकर्ामक या सांसिगक रोग के पर्वेश या फै लाने से होने वाले संकट को रोकने के िलए और िकसी िवमान क्षेतर् से
पर्स्थान करने वाले िकसी वायुयान के माध्यम से संकर्मण या संसगर् के पर्वहण को रोकने के िलए और िविशष्ट रूप से और इस उपबन्ध
की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, िकसी भी वायुयान या िवमानक्षेतर् या िकसी िविनिदष्ट िवमान क्षेतर् की बाबत उन िवषय
का उपबन्ध करने वाले िनयम बना सके गी िजनके िलए भारतीय प न अिधिनयम, 1908 (1908 का 15) की धारा 6 की उपधारा (1) के
खण्ड (त) के उपखण्ड (i) से लेकर (viii) तक के अधीन यान या प न के िवषय म िनयम 7 बनाए जा सकते ह ।]
8
[8ख. लोक स्वास्थ्य की रक्षा के िलए आपातकालीन शिक्तयां—(1) यिद के न्दर्ीय सरकार का समाधान हो गया है िक भारत
या उसके िकसी भाग म कोई ख्ातरनाक महामारी फै ली हुई है या फै लने की आंशका है और वायुयान ारा लोक स्वास्थ्य को उस रोग के
पर्वेश या फै लने से होने वाले संकट को रोकने के िलए तत्समय पर्वृ िविध के सामान्य उपबन्ध अपयार्प्त ह तो के न्दर्ीय सरकार ऐसे संकट
को रोकने के िलए ऐसे अध्युपाय कर सके गी जो वह आवश्यक समझे ।
(2) ऐसे िकसी मामले म के न्दर्ीय सरकार धारा 8क ारा पर्द शिक्तय पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, शासकीय राजपतर् म
अिधसूचना ारा, वायुयान और उसम यातर्ा करने वाले व्यिक्तय या ले जाई जाने वाली वस्तु और िवमानक्षेतर् की बाबत, ऐसे
अस्थायी िनयम बना सके गी जैसे वह उन पिरिस्थितय म आवश्यक समझे ।
(3) धारा 14 म अन्तिवष्ट िकसी बात के होते हुए उपधारा (2) के अधीन िनयम बनाने की शिक्त िनयम के पूवर् पर्काशन के
पश्चात् बनाने की शत के अध्यधीन न होगी, िकन्तु ऐसे िनयम अिधसूचना की तारीख से तीन मास से अिधक पर्वृ नह रहगे :
परन्तु यह िक के न्दर्ीय सरकार िवशेष आदेश से उन्ह अितिरक्त कालाविध या कालाविधय तक पर्वृ रख सके गी, जो कु ल
िमलाकर तीस मास से अिधक नह होगी ।]
[8ग. िबना दावा वाली संपि की सुरिक्षत अिभरक्षा तथा पुन: पिरदान सुिनिश्चत करने के िलए िनयम बनाने की के न्दर्ीय
9

सरकार की शिक्त— 10 [के न्दर्ीय सरकार, धारा 14 के उपबन्ध के अधीन रहते हुए] शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, ऐसे िनयम
बना सके गी िजनम उस सम्पि की सुरिक्षत अिभरक्षा तथा पुन: पिरदान सुिनिश्चत करने के िलए उपबन्ध िकए जा सकगे जो िकसी

1
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 7 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 7 ारा (20-4-1972 से) अन्त:स्थािपत ।
3
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 8 ारा पर्ितस्थािपत ।
4
उदाहरण के िलए देिखए भारतीय वायुयान िनयम, 1937 का 18 (भारत का राजपतर् 1937, भाग 1, पृष्ठ 640.
5
1936 के अिधिनयम सं० 7 की धारा 2 ारा अन्त:स्थािपत ।
6
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 9 ारा पर्ितस्थािपत ।
7
भारतीय वायुयान (लोक स्वास्थ्य) िनयम, 1946 के िलए देिखए भारत का राजपतर् असाधारण, 1946, पृ० 775.
8
1938 के अिधिनयम सं० 22 की धारा 2 ारा अन्त:स्थािपत ।
9
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 8 ारा (20-4-1972 से) अन्त:स्थािपत ।
10
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 10 ारा पर्ितस्थािपत ।
6

िवमानक्षेतर् पर अथवा िकसी िवमानक्षेतर् पर िकसी वायुयान म उिचत अिभरक्षािवहीन पाई जाए । ऐसे िकन्ह िनयम म िविशष्टत:
िनम्निलिखत के िलए उपबन्ध िकया जा सके गा—
(क) ऐसी िकसी सम्पि को उसके हकदार व्यिक्त को पुन: पिरदान करने से पूवर्, उस सम्पि की बाबत पर्भार का
संदाय; तथा
(ख) जहां ऐसी सम्पि उसके हकदार व्यिक्त को, िनयम म िविनिदष्ट कालाविध के अवसान के पूवर्, पुन: पिरद
न की गई हो, उस दशा म सम्पि का िनपटान ।]
9. ध्वंस और उ ारण—(1) ध्वंस और उ ारण से सम्बिन्धत 1 [वािणज्य पोत पिरवहन अिधिनयम, 1958 (1958 का 44) के
भाग 13 के उपबन्ध] समुदर् या ज्वारीय जल पर या उनके ऊपर के वायुयान को वैसे ही लागू ह गे जैसे पोत को लागू होते ह, और
वायुयान का स्वामी वायुयान ारा की गई उ ारण सेवा के िलए युिक्तयुक्त इनाम का वैसे ही हकदार होगा जैसे पोत का स्वामी
होता है ।
(2) के न्दर्ीय सरकार, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, उक्त उपबन्ध के वायुयान को लागू होने म ऐसे उपान्तरण कर
सके गी जैसे आवश्यक या समीचीन पर्तीत ह ।
[9क. भवन िनमार्ण, वृक्षारोपण आिद के पर्ितषेध या िविनयमन की के न्दर्ीय सरकार की शिक्त—(1) यिद के न्दर्ीय सरकार की
2

यह राय है िक वायुयान के पर्चालन की सुरक्षा के िलए ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो वह, राजपतर् म अिधसूचना ारा,—
(i) िनदेश दे सके गी िक िवमानक्षेतर् िनदश िबन्दु से बीस िकलोमीटर से अनिधक ऐसे अधर्व्यास के भीतर जो
अिधसूचना म िविनिदष्ट िकया जाए, िकसी भूिम पर िकसी भवन या संरचना का िनमार्ण अथवा पिरिनमार्ण नह िकया
जाएगा, या वृक्ष रोपण नह िकया जाएगा तथा यिद ऐसा कोई भवन, संरचना या वृक्ष ऐसी भूिम पर हो तो वह ऐसे भवन,
संरचना या वृक्ष के स्वामी या उस पर िनयन्तर्ण रखने वाले व्यिक्त को, ऐसी कालाविध के भीतर जो अिधसूचना म िविनिदष्ट
की जाए, यथािस्थित, ऐसे भवन या संरचना को तुड़वाने अथवा ऐसे वृक्ष को कटवाने का िनदेश भी दे सके गी;
(ii) िनदेश दे सके गी िक िवमानक्षेतर् िनदेश िबन्दु से बीस िकलोमीटर से अनिधक अधर्व्यास के भीतर िकसी भूिम पर
उतनी ऊंचाई से, जो अिधसूचना म िविनिदष्ट की जाए, अिधक ऊंचे िकसी भवन या संरचना का िनमार्ण या पिरिनमार्ण नह
िकया जाएगा, अथवा ऐसा कोई वृक्षारोपण नह िकया जाएगा िजसकी अिधसूचना म िविनिदष्ट ऊचांई से अिधक ऊंचा उगने
की संभाव्यता है या जो साधारणतया ऐसी ऊंचाई से अिधक ऊंचा उगता है, और यिद ऐसी भूिम पर िकसी भवन या संरचना
या वृक्ष की ऊंचाई िविनिदष्ट ऊंचाई से अिधक हो तो वह ऐसे भवन, संरचना या वृ्क्ष के स्वामी या उस पर िनयंतर्ण रखने
वाले व्यिक्त को ऐसी कालाविध के भीतर जो अिधसूचना म िविनिदष्ट की जाए, उसकी ऊंचाई कम करने का िनदेश दे सके गी
तािक वह िविनिदष्ट ऊंचाई से अिधक न रहे ।
(2) उपधारा (1) के खण्ड (i) या खण्ड (ii) के अधीन अधर्व्यास िविनिदष्ट करते समय तथा उक्त खण्ड (ii) के अधीन िकसी
भवन, संरचना या वृक्ष की ऊंचाई िविनिदष्ट करते समय, के न्दर्ीय सरकार िनम्निलिखत का ध्यान रखेगी,—
(क) िवमानक्षेतर् म पर्चािलत या पर्चालन के िलए आशियत वायुयान का पर्कार; अथवा
(ख) वायुयान का पर्चालन शािसत करने वाले अन्तरराष्टर्ीय मानक और िसफािरश की गई प ितयां ।
(3) जहां उपधारा (1) के अधीन िकसी भवन, संरचना या वृक्ष के स्वामी को अथवा उस पर िनयंतर्ण रखने वाले व्यिक्त को
ऐसे भवन या संरचना को तुड़वाने या ऐसे वृक्ष को कटवाने का अथवा िकसी भवन, संरचना या वृक्ष की ऊंचाई कम करने का िनदेश देने
वाली कोई अिधसूचना जारी कर दी गई हो, वहां ऐसे िनदेशयुक्त अिधसूचना की एक पर्ित भवन, संरचना या वृक्ष के स्वामी पर अथवा
उस पर िनयंतर्ण रखने वाले व्यिक्त पर, यथािस्थित,—
(i) ऐसे स्वामी या व्यिक्त को पिरद या िनिवद करके ; अथवा
(ii) यिद वह इस पर्कार पिरद या िनिवद नह की जा सकती हो तो, ऐसे स्वामी या व्यिक्त के िकसी अिधकारी
को अथवा ऐसे स्वामी या व्यिक्त के पिरवार के िकसी वयस्क पुरुष सदस्य को पिरद या िनिवद करके अथवा अिधसूचना
की एक पर्ित उस पिरसर के , िजसम ऐसे स्वामी या व्यिक्त का अिन्तम बार िनवास िकया जाना अथवा कारबार चलाना
अथवा अिभलाभ के िलए स्वयं काम करना ज्ञात है, बाहरी ार पर अथवा सहजदृश्य िकसी भाग पर लगाकर; अथवा इन
साधन ारा तामील करने म असफल रहने की दशा म,
(iii) डाक ारा,
तामील की जाएगी ।

1
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 9 ारा (20-4-1972 से) कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 10 ारा अन्त:स्थािपत ।
7

(4) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई िकसी अिधसूचना म िकसी िनदेश का अनुपालन करना पर्त्येक व्यिक्त के िलए
बाध्यकर होगा ।
9ख. पर्ितकर का संदाय—(1) यिद धारा 9क की उपधारा (1) के अधीन जारी की गई िकसी अिधसूचना म िकसी िनदेश के
पिरणामस्वरूप िकसी व्यिक्त को कोई हािन या नुकसान होता है तो ऐसे व्यिक्त को पर्ितकर िदया जाएगा । पर्ितकर की रकम, इसम
इसके पश्चात् उपविणत रीित से और िस ांत के अनुसार अवधािरत की जाएगी, अथार्त् :—
(क) जहां पर्ितकर की रकम सहमित से िनयत की जा सकती हो, वहां वह ऐसी सहमित के अनुसार संद की
जाएगी;
(ख) जहां ऐसी सहमित न हो सके , वहां के न्दर्ीय सरकार, ऐसे व्यिक्त को, जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश है
अथवा इस रूप म िनयुक्त होने के िलए अिहत है, मध्यस्थ के रूप म िनयुक्त कर सके गी;
(ग) िकसी िविशष्ट मामले म, के न्दर्ीय सरकार िकसी ऐसे व्यिक्त को, िजसे पर्ितकर के हकदार व्यिक्त को हुई हािन
या नुकसान की पर्कृ ित की बाबत िवशेष ज्ञान हो, नामिनदशन कर सके गी और जहां ऐसा नामिनदशन िकया जाता है वहां
पर्ितकर का हकदार व्यिक्त भी उसी पर्योजनाथर् एक असेसर नामिनिदष्ट कर सके गा;
(घ) मध्यस्थ के समक्ष कायर्वािहय के पर्ारम्भ पर, के न्दर्ीय सरकार और पर्ितकर का हकदार व्यिक्त यह कथन करगे
िक उनकी अपनी-अपनी राय म पर्ितकर की उिचत रकम क्या है;
(ङ) िववाद की सुनवाई के पश्चात् मध्यस्थ पर्ितकर की रकम, जो उसे न्यायसंगत पर्तीत हो, अवधािरत करते हुए
पंचाट करे गा और उस व्यिक्त या उन व्यिक्तय को िविनिदष्ट करे गा िजसे या िजन्ह ऐसा पर्ितकर संद िकया जाएगा, और
पंचाट करते समय वह पर्त्येक मामले की पिरिस्थितय का तथा िनम्निलिखत बात का ध्यान रखेगा—
(i) पर्ितकर के हकदार व्यिक्त को उसके उपाजर्न म हुआ नुकसान;
(ii) यिद धारा 9क की उपधारा (1) के अधीन जारी की गई िकसी अिधसूचना म िकसी िनदेश के
पिरणामस्वरूप, ऐसी अिधसूचना के जारी होने के ठीक पश्चात् भूिम का बाजार मूल्य कम हो जाता है, तो ऐसे
बाजार मूल्य म हुई कमी;
(iii) यिद िकसी िनदेश के अनुसरण म कोई भवन या संरचना तुड़वा दी गई हो या कोई वृक्ष कटवा िदया
गया हो अथवा िकसी भवन, संरचना या वृक्ष की ऊंचाई कम कर दी गई हो तो ऐसे तुड़वाने, कटवाने या कम करने
के पिरणामस्वरूप पर्ितकर के हकदार व्यिक्त को हुआ नुकसान तथा ऐसे तुड़वाने, कटवाने या कम करने के िलए
ऐसे व्यिक्त ारा उपगत व्यय;
(iv) यिद पर्ितकर के हकदार व्यिक्त को अपना िनवास-स्थान या कारबार का स्थान पिरवतर्न करने के
िलए बाध्य होना पड़े तो वह युिक्तयुक्त व्यय जो उसे ऐसे पिरवतर्न के कारण उपगत करना पड़े ;
(च) यिद पर्ितकर के हकदार व्यिक्त या व्यिक्तय की बाबत कोई िववाद है तो मध्यस्थ ऐसे िववाद का िविनश्चय
करे गा और यिद मध्यस्थ इस िनष्कषर् पर पहुंचे िक एक से अिधक व्यिक्त पर्ितकर के हकदार ह तो वह पर्ितकर की रकम को
ऐसे व्यिक्तय के बीच पर्भािजत करे गा;
(छ) माध्यस्थम् अिधिनयम, 1940 (1940 का 10) की कोई बात इस धारा के अधीन माध्यस्थम को लागू नह
होगी ।
(2) उपधारा (1) के ख्ाण्ड (ङ) के अधीन मध्यस्थ ारा िकए गए पर्त्येक पंचाट म, मध्यस्थ के समक्ष कायर्वािहय म उपगत
खच की रकम, और खच िकन व्यिक्तय ारा और िकस अनुपात म संद िकए जाएंगे यह भी, किथत होगा ।
9ग. पर्ितकर की बाबत पंचाट की अपील—कोई व्यिक्त जो मध्यस्थ ारा धारा 9ख के अधीन िकए गए पंचाट से व्यिथत है
ऐसे पंचाट की तारीख से तीस िदन के भीतर उस उच्च न्यायालय म, िजसकी अिधकािरता म िवमानक्षेतर् िस्थत हो, अपील कर सके गा :
परन्तु यिद उच्च न्यायालय का समाधान हो जाता है िक अपीलाथ पयार्प्त कारण से समय पर अपील फाइल नह कर सका
था तो वह उक्त तीस िदन की कालाविध के अवसान के पश्चात् भी अपील गर्हण कर सके गा ।
9घ. मध्यस्थ को िसिवल न्यायालय की कितपय शिक्तयां ह गी—धारा 9ख के अधीन िनयुक्त मध्यस्थ को, इस अिधिनयम के
अधीन माध्यस्थम् कायर्वािहयां करते समय, िनम्निलिखत िवषय की बाबत, वे सभी शिक्तयां ह गी जो िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908
(1908 का 5) के अधीन वाद का िवचारण करने म िसिवल न्यायालय को पर्ाप्त ह, अथार्त् :—
(क) िकसी व्यिक्त को समन करना और उसे हािजर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना;
(ख) िकसी दस्तावेज के पर्कटीकरण और पेश करने की अपेक्षा करना;
(ग) शपथपतर् पर सा य लेना;
8

(घ) िकसी न्यायालय या कायार्लय से िकसी लोक अिभलेख की अध्यपेक्षा करना;


(ङ) सािक्षय की परीक्षाके िलए कमीशन िनकालना ।]
[10. इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम के उल्लंघन म कायर् की शािस्त—(1) यिद कोई व्यिक्त धारा 5 की
1

उपधारा (2) के खण्ड (ठ) के अधीन बनाए गए, वायुयान म आयुध, िवस्फोटक या अन्य संकटकारी माल के वहन का िविनयमन या
पर्ितषेध करने वाले िकसी िनयम के िकसी उपबन्ध का उल्लंघन करे गा या जब उस खण्ड के अधीन बनाए गए िनयम के अधीन ऐसे
मामले के बारे म सूचना देने की अपेक्षा की जाए ऐसी सूचना देगा जो िमथ्या है और िजसके िमथ्या होने का उसे ज्ञान या िवश्वास है, या
िजसके सत्य होने का उसे िवश्वास नह है, और यिद वह स्वामी नह है तो स्वामी भी (यिद वह यह सािबत नह कर देता है िक अपराध
िबना उसकी जानकारी, सहमित या मौनानुकूलता से िकया गया है) कारावास से जो दो वषर् तक का हो सके गा, दण्डनीय होगा और
2 [जुमार्ने का भी जो दस लाख रुपए तक का हो सके गा] दायी होगा ।

[(1क) यिद कोई व्यिक्त िवमानक्षेतर् िनदश िबदु से दस िकलोमीटर के अधर्व्यास के भीतर पशु का वध करने और खाल
3

उतारने का तथा कू ड़ा, गंदगी और अन्य पर्दूिषत तथा घृणाजनक वस्तुएं डालने का पर्ितषेध करने वाले, धारा 5 की उपधारा (2) के ख्ांड
(थथ) के अधीन बनाए गए िकसी िनयम के िकसी उपबंध का उल्लंघन करे गा तो वह 2[कारावास से, जो तीन वषर् तक का हो सके गा, या
जुमार्ने से, जो दस लाख रुपए तक का हो सके गा,] या दोन से, दंडनीय होगा ।
(1ख) दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) म िकसी बात के होते हुए भी, उपधारा (1क) म िनिदष्ट अपराध
संज्ञेय होगा ।]
(2) धारा 5 के अधीन कोई िनयम बनाने म या 2[धारा 4, धारा 7] धारा 8, धारा 8क या धारा 8ख के अधीन िनयम बनाने म
के न्दर्ीय सरकार यह िनदेश दे सके गी िक उसका भंग 2[कारावास से, िजसकी अविध दो वषर् तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो दस
लाख रुपए तक का हो सके गा,] या दोन से, दण्डनीय होगा ।]
11. संकटकारी उड़ान के िलए शािस्त—जो कोई िकसी वायुयान को जानबूझकर ऐसी रीित से उड़ाएगा िजससे जल या थल
या वायु म िकसी व्यिक्त या िकसी सम्पि को संकट कािरत हो, वह 4 [कारावास से, िजसकी अविध दो वषर् तक की हो सके गी, या
जुमार्ने से, जो दस लाख रुपए तक का हो सके गा,] या दोन से, दण्डनीय होगा ।
[11क. धारा 5क के अधीन िदए गए िनदेश के अनुपालन न करने के िलए शािस्त—यिद कोई व्यिक्त धारा 5क के अधीन
5

िदए गए िकसी िनदेश के अनुपालन म जानबूझकर चूक करे गा तो वह कारावास से, िजसकी कालाविध 6 [दो वषर्] तक की हो सके गी
अथवा 7 [जुमार्ने से, जो दस लाख रुपए तक का हो सके गा,] अथवा दोन से, दण्डनीय होगा ।
11ख. धारा 9क के अधीन िदए गए िनदेश के अनुपालन न करने के िलए शािस्त—(1) यिद कोई व्यिक्त धारा 9क के अधीन
जारी की गई िकसी अिधसूचना म िकसी िनदेश के अनुपालन म जानबूझकर चूक करे गा तो वह 8 [कारावास से, िजसकी अविध दो वषर्
तक की हो सके गी, या जुमार्ने से, जो दस लाख रुपए तक का हो सके गा,] अथवा दोन से, दण्डनीय होगा ।
(2) उपधारा (1) के उपबन्ध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, यिद कोई व्यिक्त धारा 9क की उपधारा (1) के अधीन जारी की
गई िकसी अिधसूचना म के िकसी िनदेश के अनुसरण म, अिधसूचना म िविनिदष्ट कालाविध म, िकसी भवन या संरचना को तुड़वाने म
या िकसी वृक्ष को कटवाने म अथवा िकसी भवन, संरचना या वृक्ष की ऊंचाई कम करने म, चूक करे गा तो, ऐसे िनयम के अधीन रहते
हुए जो के न्दर्ीय सरकार इस िनिम बनाए, के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम पर्ािधकृ त कोई अिधकारी ऐसे भवन या संरचना को
तुड़वाने या ऐसे वृक्ष को कटवाने अथवा ऐसे भवन, संरचना या वृक्ष की ऊंचाई कम करने के िलए सक्षम होगा :]
9
[परन्तु इस उपधारा के अधीन िनयम बनाने की श्ािक्त, धारा 14 के उपबन्ध के अधीन रहते हुए होगी ।]
12. अपराध के दुष्पर्ेरण और पर्यितत अपराध के िलए शािस्त—जो कोई इस अिधिनयम या िनयम के अधीन िकसी अपराध
को करने का दुष्पर्ेरण करे गा या ऐसा अपराध करने का पर्यत्न करे गा और ऐसे पर्यत्न म अपराध करने की दशा म कोई काम करे गा वह
अपराध के िलए उपबिन्धत दण्ड का दायी होगा ।
13. न्यायालय की समपहरण का आदेश देने के शिक्त— 10 [जहां कोई व्यिक्त धारा 10 की उपधारा (1) के अधीन या धारा 5
की उपधारा (2) के खण्ड (झ) के अधीन बनाए गए िकसी िनयम के अधीन दण्डनीय िकसी अपराध के िलए िस दोष है] वहां वह

1
1960 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 4 ारा पूवर्वत धारा 10 के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 11 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
1988 के अिधिनयम सं० 50 की धारा 2 ारा अन्त:स्थािपत ।
4
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 12 ारा पर्ितस्थािपत ।
5
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 11 ारा (20-4-1972 से) अन्त:स्थािपत ।
6
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 13 ारा पर्ितस्थािपत ।
7
2000 के अिधिनयम सं० 51 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत ।
8
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 14 ारा पर्ितस्थािपत ।
9
2007 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 14 ारा अंत:स्थािपत ।
10
1960 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 5 ारा कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
9

न्यायालय िजसके ारा वह िस दोष ठहराया गया है, यह िनदेश दे सके गा िक, यथािस्थित, वायुयान या वस्तु या पदाथर्, िजसकी बाबत
अपराध िकया गया है, सरकार को समपहृत हो जाएगा ।
[14. िनयम का पर्काशन के पश्चात् बनाया जाना—इस अिधिनयम ारा पर्द िनयम बनाने की शिक्त इस शतर् के अधीन है
1

िक िनयम पूवर् पर्काशन के पश्चात् बनाए जाएंगे :


परन्तु के न्दर्ीय सरकार, लोकिहत म, िलिखत आदेश ारा, िकसी मामले म पूवर् पर्कशन की शतर् से छू ट दे सके गी ।]
2
[14क. िनयम का संसद् के समक्ष रखा जाना—इस अिधिनयम के अधीन बनाया गया पर्त्येक िनयम, बनाए जाने के पश्चात्
यथाशीघर्, संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष, जब वह सतर् म हो, कु ल तीस िदन की अविध के िलए रखा जाएगा । यह अविध एक सतर् म
अथवा दो या अिधक आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो सके गी । यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान
के पूवर् दोन सदन उस िनयम म कोई पिरवतर्न करने के िलए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा ।
यिद उक्त अवसान के पूवर् दोन सदन सहमत हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जाना चािहए तो तत्पश्चात् वह िनष्पर्भाव हो
जाएगा । िकन्तु िनयम के ऐसे पिरवितत या िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल
पर्भाव नह पड़ेगा ।]
15. उन वायुयान पर जो भारत म रिजस्टर्ीकृ त नह ह पेटेन्टकृ त आिवष्कार का उपयोग—भारतीय पेटट और िडजाइन
अिधिनयम, 1911 (1911 का 2) की धारा 42 के उपबन्ध िकसी वायुयान पर, जो 3 [भारत] म रिजस्टर्ीकृ त नह है, पर्युक्त आिवष्कार
उसी रीित से लागू ह गे जैसे वे िवदेशी यान म पर्युक्त आिवष्कार को लागू होते ह ।
16. [सीमाशुल्क लागू करने की शिक्त] सीमाशुल्क अिधिनयम, 1962 (1962 का 52) की धारा 160 और अनुसच
ू ी ारा
(1-2-1963 से) िनरिसत ।
17. कितपय वाद का वजर्न—िकसी भी िसिवल न्यायालय म अितचार या न्यूसेन्स की बाबत कोई वाद िकसी वायुयान की
िकसी सम्पि के ऊपर भूिम से इतनी ऊंचाई के उड़ान के ही आधार पर, जो वायु, मौसम और मामले की सभी पिरिस्थितय को देखते
हुए युिक्तयुक्त है, या के वल ऐसी उड़ान से होने वाली सामान्य घटना के आधार पर नह लाया जाएगा ।
18. अिधिनयम के अधीन सद्भावनापूवक
र् िकए गए काय की व्यावृि —इस अिधिनयम के अधीन स ावपूवर्क की गई या
की जाने के िलए आशियत िकसी बात के िलए िकसी व्यिक्त के िवरु कोई वाद, अिभयोजन या अन्य िविधक कायर्वाही नह होगी ।
19. इस अिधिनयम के लागू होने की व्यावृि —इस अिधिनयम या तद्धीन बनाए गए िकसी आदेश या 4 [धारा 8क या धारा
8ख के अधीन बनाए गए िनयम से िभन्न, िकसी] िनयम की कोई बात 5 [संघ की नौसेना, सेना या वायुसेना] के स्वािमत्व म या के ारा
अनन्यत: िनयोिजत वायुयान को या की बाबत अथवा ऐसे वायुयान के संबंध म िनयोिजत ऐसे बल के िकसी व्यिक्त को लागू
नह होगी ।
(2) इस अिधिनयम या तद्धीन बनाए गए िकसी आदेश या िनयम की कोई बात िकसी भी पर्काशस्तम्भ को िजसे भारतीय
पर्काशस्तम्भ अिधिनयम, 1927 (1927 का 17) लागू होता है, लागू नह होगी अथवा उस अिधिनयम के अधीन िकसी पर्ािधकारी ारा
पर्योक्तव्य िकसी अिधकार अथवा शिक्त पर पर्ितकू ल पर्भाव या असर नह डालेगी ।
20. [िनरिसत ।]—िनरसन अिधिनयम, 1938 (1938 का 1) की धारा 2 और अनुसच
ू ी ारा िनरिसत ।

_____

1
1985 के अिधिनयम सं० 69 की धारा 2 ारा (16-10-1985 से) धारा 14 के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1960 के अिधिनयम सं० 44 की धारा 6 ारा अंत:स्थािपत धारा 14क, 1983 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
1948 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 3 ारा “पर्ान्त ” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
4
1972 के अिधिनयम सं० 12 की धारा 12 ारा (20-4-1972 से) अंत:स्थािपत ।
5
िविध अनुकूलन आदेश, 1950 ारा “िहज मजेस्टीज की नौसेना, सेना या वायुसेना” शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।

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