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हिन्दू साम्राज्य हदवस

 समाज में सुधार की इच्छा, शौर्य, ऐसे अनेक गुण ों के प्रतीक रहे छत्रपतत तशवाजी
महाराज का आदशय हमें ले ना चातहए. और तशवाजी महाराज का अनुकरण कर
आदशय समाज तनतमयती के तलए प्रर्ास करना चातहए – डॉ म हन भागवत
#HinduSamarajyaDiwas
 ज्येष्ठ शु क्ल त्रर् दशी क तशवाजी महाराज का राज्यातभषेक समार ह रार्गढ़ तकले पर
सोंपन्न हुआ #HinduSamarajyaDiwas
 तशवाजी महाराज उस जमाने में एक ऐेसे र्ुगपुरुष ह गर्े, तजन् न ों े तवदे शी सल्तनत
से खुद क अलग रखा और अपना स्वतों त्र राज्य तनमाय ण तकर्ा
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 मतलब भारत भर म्लेच्छ राजा थे , उन क चुनौती दे कर तशवाजी ने अपना स्वतों त्र
राज्य तनमाय ण तकर्ा. र्ह घटना सामान्य नहीों थी #HinduSamarajyaDiwas
 छत्रपतत तशवाजी महाराज ने 340 साल पहले स्वराज्य, स्वधमय, स्वभाषा और स्वदे श के
पुनरुत्थान के तलर्े ज कार्य तकर्ा है , उस की तु लना नहीों ह सकती. उनका
राज्यातभषेक एक व्यक्ति क राजतसोंहासन पर तबठाना, इतने तक सीतमत नहीों था
#HinduSamarajyaDiwas
 तशवाजी महाराज मात्र एक व्यक्ति नहीों, वे एक तवचार और एक र्ुगप्रवतयन के
तशल्पकार थे . भारत एक सनातन दे श है, र्ह तहों दुस्थान है , तु कयस्थान नहीों, और र्हाों
पर अपना राज ह ना चातहर्े. अपने धमय का तवकास ह ना चातहर्े, अपने
जीवनमूल् ों क चररताथय करना चातहर्े #HinduSamarajyaDiwas
 तशवाजी महाराज का जीवनसोंघषय इसी स च क प्रस्थातपत करने के तलर्े था. वे बार
बार कहा करते थे तक, ‘र्ह राज्य ह , र्ह परमेश्वर की इच्छा है . मतलब स्वराज्य
सोंस्थापना र्ह ईश्वरीर् कार्य है . मैं ईश्वरीर् कार्य का केवल एक तसपाही हुुँ .
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 ईश्वरीर् कार्य की प्रेरणा उन् न
ों े अपने सभी सहकाररर् ों में तनमाय ण की. हमे लड़ना
है , लड़ाई तजतनी है , वह तकसी एक व्यक्ति के सम्मान के तलर्े नहीों, त ईश्वरीर् कार्य
की पूततय के तलर्े हमक लड़ना है #HinduSamarajyaDiwas
 छत्रपतत तशवाजी महाराज का शासन भ स ों ले घराने का शासन नहीों था. उन् न ों े
पररवार वाद क राजनीतत में स्थान नहीों तदर्ा. उनका शासन सही अथय में प्रजा
का शासन था #HinduSamarajyaDiwas
 शासन में सभी की सहभातगता रहती थी. सामान्य मछु आर ों से ले कर वेदशास्त्र
पोंतडत सभी उनके राज्यशासन में सहभागी थे . छु आछूत का क ई स्थान नहीों था
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 छु आ-छूत के ;तलए क ई जगह नही, पन्ाल गढ़ की घेराबोंदी में नकली तशवाजी
ज बने थे , उनका नाम था, तशवा कातशद. वे जातत से नाई थे. अफजलखान के
समर प्रसोंग में तशवाजी के प्राण ों की रक्षा करनेवाला जीवा महाला था. और आगरा
के तकले में कैद के दौरान उनकी सेवा करने वाला मदारी मेहतर था
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 महाराज का एक तनर्म था तक सूरज ढलने के बाद तकले के दरवाजे बोंद करने
चातहर्े और तकसी भी हालत में तकले के अोंदर प्रवेश नहीों दे ना चातहर्े. बड़ी
कड़ाई से इस तनर्म का पालन तकर्ा जाता था #HinduSamarajyaDiwas
 तशवाजी महाराज ने मुसलमानी शासनकाल में लु प्त ह रही तहों दू राजनीतत क तफर
से पुनरुज्जीतवत तकर्ा #HinduSamarajyaDiwas
 तहों दू राजनीतत की तवशे षता- पहली तवशे षता र्ह है तक वह धमय के आधार पर
चलती है र्हाों धमय का मतलब राजधमय है राजा का धमय प्रजा का पालन, प्रजा का
रक्षण और प्रजा का सोंवधयन है #HinduSamarajyaDiwas
 राजा, तहों दू राजनीतत के तसद्ाों त ों के अनुसार उपभ ग शू न्य स्वामी है . प्रजा उसके
तलर्े अपनी सोंतान के समान है . राज्य में क ई भूखा न रहे , तकसी पर अन्यार् न
ह , इसकी तचोंता उसे करनी चातहर्े #HinduSamarajyaDiwas
 छत्रपतत तशवाजी महाराज ने तहों दू राजनीतत के तसद्ाों त ों का अपने राजव्यवहार में
कड़ाई से अनुप्रर् ग तकर्ा #HinduSamarajyaDiwas
 उनके मामाजी ने भ्रष्टाचार तकर्ा, तशवाजी महाराज ने उनक पद से मुि तकर्ा और
अपने दे श के बाहर तनकाल तदर्ा #HinduSamarajyaDiwas
 छत्रपतत तशवाजी महाराज अपने क ग -ब्राह्मण प्रततपालक कहा करते थे इसका
मतलब र्ह नहीों तक ब्राह्मण जातत के प्रततपालक थे . र्हाों ब्राह्मण शब्द का अथय
ह ता है , धमय का अवलों ब करनेवाला, तवतध क जाननेवाला. आज की पररभाषा में
कहना है त , महाराज र्ह कहते हैं तक र्ह राज्य कानून के अनुसार चले गा
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 छत्रपतत तशवाजी महाराज ने तहों दू धमय की रक्षा का बीड़ा उठार्ा था इसका मतलब
र्ह नहीों की वे इस्लाम धमय के दु श्मन थे. उन् न ों े कभी भी कुरान की अवमानना
नहीों की, ना क ई मक्तिद तगरार्ी, ना तकसी फकीर क फाुँ सी के फोंदे चढ़ार्ा उनका
नौदल प्रमुख मुसलमान था #HinduSamarajyaDiwas
 धमय की आड़ में अगर क ई तहों दू धमय पर आघात करता तदखार्ी दे ता, त तशवाजी
उसे नहीों छ डते थे #HinduSamarajyaDiwas
 हम सब तशवाजी महाराज द्वारा लड़े र्ुद् ों के बारे में जानते हैं , ले तकन र्ह नहीों
जानते हैं तक लगभग 36 साल तक उन् न ों े राजकाज तकर्ा और उसमें से केवल 6
साल तभन्न-तभन्न लड़ाइओों में उन् न
ों े तबतार्े. तीस साल तक वे एक आदशय शासन
की नीोंव रखने में कार्यरत रहे #HinduSamarajyaDiwas
 अपना स्वराज्य आतथय क दृतष्ट से स्वावलों बी और सशि बने, इसकी ओर तशवाजी
महाराज का हमेशा ध्यान रहता था #HinduSamarajyaDiwas
 महाराज का सख्त आदे श था तक सेनादल क अपने तलर्े आवश्यक वस्तुओ,ों धान्य
आतद बाजार में जाकर खरीदना चातहर्े. तकसान ों से जबरदस्ती वसूल नहीों करना
चातहर्े. र्तद क ई ऐसा करने का दु स्साहस तदखाता त उसे कड़ी सजा तमलती थी
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 आज हम दे खते हैं तक चौराहे पर खड़ा पुतलसकमी पानवाले , पटरीवाले , चार्वाले , और
ह टे लवाले से मुफ्त में माल ले ता है . तशवाजी महाराज ऐसी लू ट क सहन नहीों
करते थे #HinduSamarajyaDiwas
 अपना सेनादल स्वर्ोंपूणय रहे , इस पर छत्रपतत तशवाजी महाराज काफी ध्यान तदर्ा
करते थे . त पें बनाने का कारखाना उन् न ों े बनवार्ा था. ग ला-बारूद बनाने का
उपक्रम उन् न ों े शु रू करार्ा था. अच्छे घ ड़ ों की सोंततत तनमाय ण पर उनका ध्यान
रहता था #HinduSamarajyaDiwas
 छत्रपतत तशवाजी ने फ़ारसी के स्थान पर मराठी एवों सोंस्कृत भाषा क बढ़ावा तदर्ा
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 अोंग्रेज ों ने उनक अच्छे तसक्के बनाने का सुझाव तदर्ा था.(मेटॅतलक क इन्स)
महाराज ने र्ह सुझाव ठु करा तदर्ा और कहा तक हमारे दे सी कारीगर ही तसक्के
तै र्ार करें गे. राज व्यवहार भाषा का क ष उन् नों े तै र्ार तकर्ा और राज व्यवहार से
पारसी, अरबी भाषा क तनकाल तदर्ा #HinduSamarajyaDiwas
 छत्रपतत तशवाजी क पतिम भारत में शक्तिशाली मराठा राज्य स्थापना का श्रेर् तदर्ा
जाता है | मुग़लशासक औरों गजे ब से लम्बे समर् तक सोंघषय के बाद 1674 में
रार्गढ़ में उनका राज्यार हण हुआ और उने छत्रपतत की उपातध तमली
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 छत्रपतत तशवाजी क दे शभक्ति व धमय सोंस्कृतत का ज्ञान प्रथम गुरु माता जीजाबाई से
प्राप्त हुआ, उन् न
ों े बचपन में ही रामार्ण व महाभारत जै से महाकाव्य ों का पठन-
पाठन कर तलर्ा था #HinduSamarajyaDiwas
 1664 में तशवाजी ने औरों गजे ब के प्रमुख व्यापाररक केंद्र सूरत बोंदरगाह पर पूरी
तरह से कब्ज़ा कर तलर्ा था तजससे औरों गजे ब बहुत नाराज हुआ
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 औरों गजे ब ने आगरा में 5000 सैतनक ों के पहरे में तशवाजी क नजरबन्द कर तदर्ा
ले तकन अपने पराक्रम,ते ज बुक्तद् और अचूक रणनीतत से तशवाजी बेटे शम्भाजी के
साथ वहाों से सुरतक्षत भाग तनकले . #HinduSamarajyaDiwas
 तहन्दू पद पादशाही' के सोंस्थापक तशवाजी के गुरु रामदासजी का नाम भारत के
साधु-सोंत ों व तवद्वत समाज में सुतवख्यात है । उन् न
ों े 'दासब ध' नामक एक ग्रन्थ की
रचना भी की थी, ज मराठी भाषा में है । सम्पूणय भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी
तक उन् न ों े 1100 मठ तथा अखाड़े स्थातपत कर स्वराज्य स्थापना के तलए जनता क
तै र्ार करने का प्रर्त्न तकर्ा #HinduSamarajyaDiwas
 तशवाजी महाराज ने जमीोंदार ों क , वेतनदारी क रदद कर तदर्ा| समाज के सोंपति
पर हम ल ग टर स्टी रह सकते है | हम ल ग अतधकारी नहीों बन सकते |
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 तशवाजी महाराज ने सेना क स्वराज्य के केंद्रीर् प्रशासन से वेतन दे ना प्राों रभ कर
सैतनक ों की व्यक्तिपरक तनष्ठाओों क राष्टर परक बनार्ा|
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 गरीब तकसान ों क उनके ज़मीन का स्तर व फसल के उत्पादन के आधार पर
राहत दे ने वाली तद्वस्तरीर् तविीर् कर प्रणाली उन् न
ों े लागू की|
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 छत्रपतत तशवाजी महाराज के कतय व्य, गुण और चररत्र के द्वारा तमलनेवाला तदग्दशयन
आज की वैसी ही पररक्तस्थतत में मागयदशय क है |आज भी अपने तलए अनुकरणीर् है|
- डॉ. म हन भागवत #HinduSamarajyaDiwas
 कठ र, न्यार्ी, प्रजातहतदक्ष, प्रजातभमुख और तफर भी सहृदर् शासन उनका था|
स्वर्ों तशवाजी महाराज नेतृत्व के आदशय थे | #HinduSamarajyaDiwas
 तशवाजी तहन्दू सोंकृतत का प्रचार तकर्ा करते थे। वह अक्सर दशहरा पर अपने
अतभर्ान ों का आरम्भ तकर्ा करते थे । #HinduSamarajyaDiwas
 तशवाजी एक कट्टर तहन्दू थे , वह सभी धमों का सम्मान करते थे । उनके राज्य में
मुसलमान ों क धातमयक स्वतों त्रता थी। तशवाजी ने कई मक्तिद ों के तनमाय ण के तलए
दान भी तदए था #HinduSamarajyaDiwas
 छत्रपतत तशवाजी ने सोंस्कृत भाषा क बढ़ावा तदर्ा| तशवाजी ने इसी परों परा क आगे
बढ़ाते हुए अपने तकल ों के नाम सोंस्कृत में रखे जै से तक- तसोंधुदुगय, प्रचोंडगढ़, तथा
सुवणय दुगय। #HinduSamarajyaDiwas
 तशवाजी महाराज एक बहादु र, बुक्तद्मान और तनडर शासक थे । धातमयक कार्य में
उनकी काफी रूतच थी। रामार्ण और महाभारत का अभ्यास वह बड़े ध्यान से
करते थे । #HinduSamarajyaDiwas
 र्ह केवल तशवाजी महाराज की तवजर् नहीों है । अतपतु लडने वाले तहों दू राष्टर की
अपने शत्रुओों पर तवजर् है । नए प्रकार का ज पराचक्र आर्ा है , ज मात्र सिा और
सोंपति लू टता नहीों है , ज मनुष्य क ही बदल दे ने की चेष्टा करता है ,
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 छत्रपतत तशवाजी महाराज ने 340 साल पहले स्वराज्य, स्वधमय, स्वभाषा और स्वदे श के
पुनरुत्थान के तलर्े ज कार्य तकर्ा है , उस की तु लना नहीों ह सकती.
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 उनका राज्यातभषेक एक व्यक्ति क राजतसोंहासन पर तबठाना, इतने तक सीतमत नहीों
था. तशवाजी महाराज मात्र एक व्यक्ति नहीों, वे एक तवचार और एक र्ुगप्रवतय न के
तशल्पकार थे #HinduSamarajyaDiwas

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