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ईदगाह -प्रेमचंद

ईदगाह -प्रे मचंद

लेखक मुं शी प्रेमचुंद

मूल ईदगाह
शीर्षक

मुख्य हाममद, अमीना, महमू द, मोहमिन, नू रे,


पात्र िम्मी

कथानक हाममद के मनोभावोुं और पररस्थिमियोुं


का िूक्ष्म मचत्रण

प्रकाशक मदल्ली पस्तक िदन

प्रकाशन जनवरी 01, 2008


तितथ

ISBN 978-81-88032-23

दे श भारि

पृ ष्ठ: 264

भार्ा महुं दी

शैली िरल, आदशोन्मख यिािथ वाद

तिर्य बाल मनोवैज्ञामनक

तिधा कहानी

भाग एक

तिशेर् ईदगाह, ईद की िामू महक नमाज़ पढ़ने


का मवशे ष थिान
रमज़ान के पूरे िीि रोज़ोुं के बाद ईद
तिप्पणी प्रेमचुंद बहुमखी प्रमिभा िुंपन्न
आयी है । मकिना मनोहर, मकिना
िामहत्यकार िे । प्रेमचुंद की रचनाओुं में
िहावना प्रभाव है । वृक्ोुं पर अजीब
ित्कालीन इमिहाि बोलिा है । प्रेमचुंद
हररयाली है , खेिोुं में कछ अजीब रौनक
ने कहानी और उपन्याि दोनोुं ही मलखे
है , आिमान पर कछ अजीब लामलमा
हैं । वे भारि के श्रे ष्ठिम कहानीकार
है । आज का िूयथ दे खो, मकिना प्यारा,
मकिना शीिल है , यानी िुंिार को ईद और उपन्यािकार के रूप में जाने
[1] की बधाई दे रहा है । गााँ व में जािे हैं ।
मकिनी हलचल है । ईदगाह[2] जाने की
िै याररयााँ हो रही हैं । मकिी के करिे में बटन नहीुं है , पडोि के घर में िई-धागा लेने
दौडा जा रहा है । मकिी के जूिे कडे हो गए हैं , उनमें िेल डालने के मलए िेली के घर
पर भागा जािा है । जल्दी-जल्दी बैलोुं को िानी-पानी दे दें । ईदगाह िे लौटिे -लौटिे
दोपहर हो जायगी। िीन कोि का पैदल रास्ता, मिर िैकडोुं आदममयोुं िे ममलना-भेंटना,
दोपहर के पहले लौटना अिम्भव है ।

लडके िबिे ज़्यादा प्रिन्न हैं । मकिी ने एक रोज़ा[3] रखा है , वह भी दोपहर िक, मकिी ने
वह भी नहीुं, लेमकन ईदगाह जाने की खशी उनके महस्से की चीज़ है । रोज़े बडे -बूढ़ोुं के
मलए होुंगे। इनके मलए िो ईद है । रोज ईद का नाम रटिे िे , आज वह आ गयी। अब
जल्दी पडी है मक लोग ईदगाह क्ोुं नहीुं चलिे। इन्हें गृहथिी की मचुंिाओुं िे क्ा प्रयोजन!
िेवैयोुं के मलए दू ध ओर शक्कर घर में है या नहीुं, इनकी बला िे , ये िो िेवेयााँ खायेंगे।
वह क्ा जानें मक अब्बाजान क्ोुं बदहवाि चौधरी कायमअली के घर दौडे जा रहे हैं ।
उन्हें क्ा खबर मक चौधरी आाँ खें बदल लें, िो यह िारी ईद महरथ म हो जाय। उनकी अपनी
जेबोुं में िो कबेर का धन भरा हुआ है । बार-बार जेब िे अपना ख़ज़ाना मनकालकर मगनिे
हैं और खश होकर मिर रख लेिे हैं । महमूद मगनिा है , एक-दो, दि,-बारह, उिके पाि
बारह पैिे हैं । मोहमिन के पाि एक, दो, िीन, आठ, नौ, पुंद्रह पैिे हैं । इन्हीुं अनमगनिी पैिोुं
में अनमगनिी चीज़ें लायेंगें— स्खलौने , ममठाइयााँ , मबगल, गेंद और जाने क्ा-क्ा। और िबिे
ज़्यादा प्रिन्न है हाममद। वह चार-पााँ च िाल का गरीब-िूरि, दबला-पिला लडका, मजिका
बाप गि वषथ है जे की भें ट हो गया और मााँ न जाने क्ोुं पीली होिी-होिी एक मदन मर
गयी। मकिी को पिा नहीुं क्ा बीमारी है । कहिी िो कौन िनने वाला िा? मदल पर जो
कछ बीििी िी, वह मदल में ही िहिी िी और जब न िहा गया िो िुं िार िे मवदा हो
गयी। अब हाममद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में िोिा है और उिना ही प्रिन्न है ।
उिके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं । बहुि-िी िैमलयााँ लेकर आयें गे। अम्मीजान अल्लाह
ममयााँ के घर िे उिके मलए बडी अच्छी-अच्छी चीज़ें लाने गयी हैं , इिमलए हाममद प्रिन्न है ।
आशा िो बडी चीज़ है , और मिर बच्ोुं की आशा! उनकी कल्पना िो राई का पवथि बना
लेिी है । हाममद के पााँ व में जूिे नहीुं हैं , मिर पर एक परानी-धरानी टोपी है , मजिका गोटा
काला पड गया है , मिर भी वह प्रिन्न है । जब उिके अब्बाजान िैमलयााँ और अम्मीजान
मनयामिें लेकर आयें गी, िो वह मदल िे अरमान मनकाल लेगा। िब दे खेगा, मोहमिन, नूरे और
िम्मी कहााँ िे उिने पैिे मनकालेंगे। अभामगन अमीना अपनी कोठरी में बैठी रो रही है ।
आज ईद का मदन, उिके घर में दाना नहीुं! आज आमबद होिा, िो क्ा इिी िरह ईद
आिी ओर चली जािी! इि अुंधकार और मनराशा में वह डूबी जा रही है । मकिने बलाया
िा इि मनगोडी ईद को? इि घर में उिका काम नहीुं, लेमकन हाममद! उिे मकिी के
मरने -जीने िे क्ा मिलब? उिके अन्दर प्रकाश है , बाहर आशा। मवपमि अपना िारा दल-
बल लेकर आये, हाममद की आनुंद-भरी मचिवन उिका मवध्वुंि कर दे गी।
हाममद भीिर जाकर दादी िे कहिा है — 'िम डरना नहीुं अम्मााँ , मैं िबिे पहले आऊाँगा।
मबल्कल न डरना।'

अमीना का मदल कचोट रहा है । गााँ व के बच्े अपने -अपने बाप के िाि जा रहे हैं ।
हाममद का बाप अमीना के मिवा और कौन है ! उिे कैिे अकेले मेले जाने दे ? उि भीड-
भाड में बच्ा कहीुं खो जाय िो क्ा हो? नहीुं, अमीना उिे योुं न जाने दे गी। नन्ही-िी
जान! िीन कोि चलेगा कैिे ? पैर में छाले पड जायेंगे। जूिे भी िो नहीुं हैं । वह िोडी-
िोडी दू र पर उिे गोद में ले लेिी, लेमकन यहााँ िेवैयााँ कौन पकायेगा? पैिे होिे िो लौटिे -
लौटिे िब िामग्री जमा करके चटपट बना लेिी। यहााँ िो घुंटोुं चीज़ें जमा करिे लगेंगे।
मााँ गे का ही िो भरोिा ठहरा। उि मदन िहीमन के कपडे मिले िे। आठ आने पैिे ममले
िे। उि अठन्नी को ईमान की िरह बचािी चली आिी िी इिी ईद के मलए लेमकन कल
ग्वालन मिर पर िवार हो गयी िो क्ा करिी? हाममद के मलए कछ नहीुं है , िो दो पैिे का
दू ध िो चामहए ही। अब िो कल दो आने पैिे बच रहे हैं । िीन पैिे हाममद की जेब में,
पााँ च अमीना के बटवे में। यही िो मबिाि है और ईद का त्यौहार, अल्लाह ही बेडा पार
लगावे। धोबन, नाइन, मेहिरानी और चमडहाररन िभी िो आयेंगी। िभी को िेवैयााँ चामहए
और िोडा मकिी को आाँ खोुं नहीुं लगिा। मकि-मकि िे माँह चरायेगी? और माँह क्ोुं चराये ?
िाल भर का त्यौहार है । मज़ुंदगी ख़ैररयि िे रहे , उनकी िक़दीर भी िो उिी के िाि है ।
बच्े को खदा िलामि रखे , ये मदन भी कट जायाँगे।

गााँ व िे मेला चला और बच्ोुं के िाि हाममद भी जा रहा िा। कभी िबके िब दौडकर
आगे मनकल जािे। मिर मकिी पेड के नीचे खडे होकर िाि वालोुं का इुं िज़ार करिे। यह
लोग क्ोुं इिना धीरे -धीरे चल रहे हैं ? हाममद के पैरोुं में िो जैिे पर लग गए हैं । वह
कभी िक िकिा है ? शहर का दामन आ गया। िडक के दोनोुं ओर अमीरोुं के बगीचे हैं ।
पक्की चारदीवारी बनी हुई है । पेडोुं में आम और लीमचयााँ लगी हुई हैं । कभी-कभी कोई
लडका कुंकडी उठाकर आम पर मनशाना लगािा है । माली अुं दर िे गाली दे िा हुआ
मनकलिा है । लडके वहााँ िे एक िलाां ग पर हैं । खूब हाँ ि रहे हैं । माली को कैिा उल्लू
बनाया है ।

बडी-बडी इमारिें आने लगीुं। यह अदालि है , यह कॉलेज है , यह क्लब-घर है । इिने बडे


कॉलेज में मकिने लडके पढ़िे होुंगे? िब लडके नहीुं हैं जी! बडे -बडे आदमी हैं , िच!
उनकी बडी-बडी मूाँछे हैं । इिने बडे हो गए, अभी िक पढ़ने जािे हैं । न जाने कब िक
पढ़ें गे और क्ा करें गे इिना पढ़कर! हाममद के मदरिे में दो-िीन बडे -बडे लडके हैं ,
मबल्कल िीन कौडी के। रोज मार खािे हैं , काम िे जी चराने वाले। इि जगह भी उिी
िरह के लोग होुंगे और क्ा। क्लब-घर में जादू होिा है । िना है , यहााँ मदों की खोपमडयााँ
दौडिी हैं । और बडे -बडे िमाशे होिे हैं , पर मकिी को अुंदर नहीुं जाने दे िे और वहााँ शाम
को िाहब लोग खेलिे हैं । बडे -बडे आदमी खेलिे हैं , मूाँछोुं दाढ़ी वाले। और मेमें भी खेलिी
हैं , िच! हमारी अम्मााँ को यह दे दो, क्ा नाम है , बैट, िो उिे पकड ही न िकें। घमािे
ही लढ़क जायाँ।

महमूद ने कहा— 'हमारी अम्मीजान का िो हाि कााँ पने लगे, अल्ला किम।'
मोहमिन बोला— 'चलो, मनोुं आटा पीि डालिी हैं । ज़रा-िा बैट पकड लेंगी, िो हाि कााँ पने
लगेंगे! िै कडोुं घडे पानी रोज़ मनकालिी हैं । पााँ च घडे िो िेरी भैंि पी जािी है । मकिी
मेम को एक घडा पानी भरना पडे , िो आाँ खोुं िले अाँधेरा आ जाय।'
महमूद— 'लेमकन दौडिी िो नहीुं, उछल-कूद िो नहीुं िकिीुं।'
मोहमिन— 'हााँ , उछल-कूद िो नहीुं िकिीुं; लेमकन उि मदन मेरी गाय खल गयी िी और
चौधरी के खेि में जा पडी िी, अम्मााँ इिना िेज दौडीुं मक मैं उन्हें न पा िका, िच।'

आगे चले। हलवाइयोुं की दकानें शरू हुईुं। आज खूब िजी हुई िीुं। इिनी ममठाइयााँ कौन
खािा है? दे खो न, एक-एक दकान पर मनोुं होुंगी। िना है , राि को मजन्नाि[4] आकर ख़रीद
ले जािे हैं । अब्बा कहिे िे मक आधी राि को एक आदमी हर दकान पर जािा है और
मजिना माल बचा होिा है , वह िलवा लेिा है और िचमच के रुपये दे िा है , मबल्कल ऐिे
ही रुपये।
हाममद को यकीन न आया— 'ऐिे रुपये मजन्नाि को कहााँ िे ममल जायेंगे?'
मोहमिन ने कहा— 'मजन्नाि को रुपये की क्ा कमी? मजि ख़ज़ाने में चाहैं चले जायाँ। लोहे
के दरवाज़े िक उन्हें नहीुं रोक िकिे जनाब, आप हैं मकि िेर में ! हीरे -जवाहराि िक
उनके पाि रहिे हैं । मजििे खश हो गये, उिे टोकरोुं जवाहराि दे मदये। अभी यहीुं बैठे
हैं , पााँ च ममनट में कलकिा पहुाँ च जायाँ।'
हाममद ने मिर पूछा— 'मजन्नाि बहुि बडे -बडे होिे हैं ?'
मोहमिन— 'एक-एक का मिर आिमान के बराबर होिा है जी! ज़मीन पर खडा हो जाय
िो उिका मिर आिमान िे जा लगे, मगर चाहे िो एक लोटे में घि जाय।'
हाममद— 'लोग उन्हें कैिे खश करिे होुंगे? कोई मझे यह मुंिर बिा दे िो एक मजन्न को
खश कर लूाँ।'
मोहमिन— 'अब यह िो मै नहीुं जानिा, लेमकन चौधरी िाहब के काबू में बहुि-िे मजन्नाि
हैं । कोई चीज़ चोरी जाय, चौधरी िाहब उिका पिा लगा दें गे और चोर का नाम बिा दें गे।
जमरािी का बछवा उि मदन खो गया िा। िीन मदन है रान हुए, कहीुं न ममला िब झख
मारकर चौधरी के पाि गये। चौधरी ने िरन्त बिा मदया, मवेशीखाने में है और वहीुं ममला।
मजन्नाि आकर उन्हें िारे जहान की खबर दे जािे हैं ।'
अब उिकी िमझ में आ गया मक चौधरी के पाि क्ोुं इिना धन है और क्ोुं उनका
इिना िम्मान है ।

आगे चले। यह पमलि लाइन है । यहीुं िब कॉन्स्टे बल कवायद[5] करिे हैं । रै टन! िाय
िो! राि को बेचारे घूम-घूमकर पहरा दे िे हैं , नहीुं चोररयााँ हो जायाँ।
मोहमिन ने प्रमिवाद मकया— यह कॉन्स्टे बल पहरा दे िे हैं ? िभी िम बहुि जानिे हो अजी
हजरि, यह चोरी करिे हैं । शहर के मजिने चोर-डाकू हैं , िब इनिे ममले रहिे हैं । राि को
ये लोग चोरोुं िे िो कहिे हैं , चोरी करो और आप दू िरे महल्ले में जाकर 'जागिे रहो!
जागिे रहो!' पकारिे हैं । िभी इन लोगोुं के पाि इिने रुपये आिे हैं । मेरे मामू एक िाने
में कॉन्स्टे बल हैं । बीि रुपया महीना पािे हैं , लेमकन पचाि रुपये घर भेजिे हैं । अल्ला
किम! मैंने एक बार पू छा िा मक मामू, आप इिने रुपये कहााँ िे पािे हैं ? हाँ िकर कहने
लगे— 'बेटा, अल्लाह दे िा है ।' मिर आप ही बोले — 'हम लोग चाहें िो एक मदन में लाखोुं
मार लायें। हम िो इिना ही लेिे हैं , मजिमें अपनी बदनामी न हो और नौकरी न चली
जाय।'
हाममद ने पूछा— 'यह लोग चोरी करवािे हैं , िो कोई इन्हें पकडिा नहीुं?'

मोहमिन उिकी नादानी पर दया मदखाकर बोला- 'अरे , पागल! इन्हें कौन पकडे गा!
पकडने वाले िो यह लोग खद हैं , लेमकन अल्लाह, इन्हें िजा भी खूब दे िा है । हराम का
माल हराम में जािा है । िोडे ही मदन हुए, मामू के घर में आग लग गयी। िारी लेई-
पूाँजी[6] जल गयी। एक बरिन िक न बचा। कई मदन पेड के नीचे िोये , अल्ला किम, पेड
के नीचे ! मिर न जाने कहााँ िे एक िौ कज़थ लाये िो बरिन-भाुं डे आये।'
हाममद— 'एक िौ िो पचाि िे ज़्यादा होिे हैं ?'
'कहााँ पचाि, कहााँ एक िौ। पचाि एक िैली-भर होिा है । िौ िो दो िै मलयोुं में भी न
आऍुं?'

अब बस्ती घनी होने लगी। ईदगाह जानेवालोुं की टोमलयााँ नज़र आने लगी। एक िे एक
भडकीले वस्त्र पहने हुए। कोई इक्के-िााँ गे पर िवार, कोई मोटर पर, िभी इत्र में बिे , िभी
के मदलोुं में उमुंग। ग्रामीणोुं का यह छोटा-िा दल अपनी मवपन्निा िे बेखबर, िन्तोष ओर
धैयथ में मगन चला जा रहा िा। बच्ोुं के मलए नगर की िभी चीज़ें अनोखी िीुं। मजि चीज़
की ओर िाकिे , िाकिे ही रह जािे और पीछे िे बार-बार हानथ की आवाज़ होने पर भी
न चेििे। हाममद िो मोटर के नीचे जािे -जािे बचा।

िहिा ईदगाह नज़र आयी। ऊपर इमली के घने वृक्ोुं की छाया है । नीचे पक्का िशथ है ,
मजि पर जाजम [7] मबछा हुआ है । और रोज़ेदारोुं की पुंस्ियााँ एक के पीछे एक न जाने
कहााँ िक चली गयी हैं , पक्की जगि के नीचे िक, जहााँ जाजम भी नहीुं है । नये आने वाले
आकर पीछे की किार में खडे हो जािे हैं । आगे जगह नहीुं है । यहााँ कोई धन और पद
नहीुं दे खिा। इस्लाम की मनगाह में िब बराबर हैं । इन ग्रामीणोुं ने भी वजू [8] मकया ओर
मपछली पुंस्ि में खडे हो गये। मकिना िन्दर िुंचालन है , मकिनी िन्दर व्यवथिा! लाखोुं
मिर एक िाि मिजदे [9] में झक जािे हैं , मिर िबके िब एक िाि खडे हो जािे हैं , एक
िाि झकिे हैं , और एक िाि घटनोुं के बल बैठ जािे हैं । कई बार यही मिया होिी है ,
जैिे मबजली की लाखोुं बमियााँ एक िाि प्रदीप्त होुं और एक िाि बझ जायाँ , और यही
िम चलिा रहा। मकिना अपूवथ दृश्य िा, मजिकी िामूमहक मियाएाँ , मवस्तार और अनुंििा
हृदय को श्रद्धा, गवथ और आत्मानुंद िे भर दे िी िीुं, मानोुं भ्रािृत्व का एक िूत्र इन िमस्त
आत्माओुं को एक लडी में मपरोये हुए है ।

नमाज़ खत्म हो गयी है । लोग आपि में गले ममल रहे हैं । िब ममठाई और स्खलौने की
दकान पर धावा होिा है । ग्रामीणोुं का यह दल इि मवषय में बालकोुं िे कम उत्साही नहीुं
है । यह दे खो, महुं डोला है एक पैिा दे कर चढ़ जाओ। कभी आिमान पर जािे हुए मालूम
होगें, कभी ज़मीन पर मगरिे हुए। यह चखी है , लकडी के हािी, घोडे , ऊाँट, छडोुं में लटके
हुए हैं । एक पैिा दे कर बैठ जाओ और पच्ीि चक्करोुं का मजा लो। महमूद और
मोहमिन ओर नूरे ओर िम्मी इन घोडोुं ओर ऊाँटोुं पर बैठिे हैं । हाममद दू र खडा है । िीन
ही पैिे िो उिके पाि हैं । अपने कोष का एक मिहाई ज़रा-िा चक्कर खाने के मलए नहीुं
दे िकिा।

िब चस्खथयोुं िे उिरिे हैं । अब स्खलौने लेंगे। इधर दकानोुं की किार लगी हुई हैं । िरह-
िरह के स्खलौने हैं — मिपाही और गजररया, राजा और वकील, मभश्ती[10] और धोमबन और
िाध। वाह! मकिने िन्दर स्खलौने हैं । अब बोला ही चाहिे हैं । महमूद मिपाही लेिा है ,
खाकी वदी और लाल पगडीवाला, कुंधे पर बुंदूक रखे हुए, मालूम होिा है , अभी कवायद
मकये चला आ रहा है । मोहमिन को मभश्ती पिुंद आया। कमर झकी हुई है , ऊपर
मशक[11] रखे हुए है । मशक का माँह एक हाि िे पकडे हुए है । मकिना प्रिन्न है !
शायद कोई गीि गा रहा है । बि, मशक िे पानी उडे लना ही चाहिा है । नूरे को वकील
िे प्रेम है । कैिी मवद्विा है उिके मख पर! काला चोगा, नीचे ििेद अचकन, अचकन के
िामने की जेब में घडी, िनहरी जुंजीर, एक हाि में क़ानून का पोिा मलये हुए। मालूम होिा
है , अभी मकिी अदालि िे मजरह या बहि मकये चले आ रहे हैं । यह िब दो-दो पैिे के
स्खलौने हैं । हाममद के पाि कल िीन पैिे हैं , इिने महाँ गे स्खलौने वह कैिे ले? स्खलौना
कहीुं हाि िे छूट पडे िो चूर-चूर हो जाय। ज़रा पानी पडे िो िारा रुं ग घल जाय। ऐिे
स्खलौने लेकर वह क्ा करे गा; मकि काम के!
मोहमिन कहिा है — 'मेरा मभश्ती रोज पानी दे जायगा िााँ झ-िबेरे।'
महमूद— 'और मेरा मिपाही घर का पहरा दे गा कोई चोर आयेगा, िो िौरन बुंदूक िे िैर
कर दे गा।'
नूरे— 'और मेरा वकील खूब मकदमा लडे गा।'
िम्मी- 'और मेरी धोमबन रोज कपडे धोयेगी।'
हाममद स्खलौनोुं की मनुंदा करिा है — 'ममट्टी ही के िो हैं , मगरें िो चकनाचूर हो जायाँ।' लेमकन
ललचाई हुई आाँ खोुं िे स्खलौनोुं को दे ख रहा है और चाहिा है मक जरा दे र के मलए उन्हें
हाि में ले िकिा। उिके हाि अनायाि ही लपकिे हैं , लेमकन लडके इिने त्यागी नहीुं
होिे हैं , मवशेषकर जब अभी नया शौक़ है । हाममद ललचािा रह जािा है ।
स्खलौने के बाद ममठाइयााँ आिी हैं । मकिी ने रे वमडयााँ ली हैं , मकिी ने गलाबजामन मकिी ने
िोहन हलवा। मजे िे खा रहे हैं । हाममद मबरादरी[12] िे पृिक है । अभागे के पाि िीन
पैिे हैं । क्ोुं नहीुं कछ लेकर खािा? ललचायी आाँ खोुं िे िबकी ओर दे खिा है ।
मोहमिन कहिा है — 'हाममद रे वडी ले जा, मकिनी खशबूदार है !'
हाममद को िुंदेह हुआ, ये केवल िूर मवनोद है , मोहमिन इिना उदार नहीुं है , लेमकन यह
जानकर भी वह उिके पाि जािा है । मोहमिन दोने िे एक रे वडी मनकालकर हाममद की
ओर बढ़ािा है । हाममद हाि िैलािा है । मोहमिन रे वडी अपने माँह में रख लेिा है ।
महमूद, नूरे और िम्मी खूब िामलयााँ बजा-बजाकर हाँ ििे हैं । हाममद स्खमिया जािा है ।
मोहमिन— 'अच्छा, अबकी ज़रूर दें गे हाममद, अल्लाह किम, ले जाओ।'
हाममद— 'रखे रहो। क्ा मेरे पाि पैिे नहीुं हैं ?'
िम्मी— 'िीन ही पैिे िो हैं । िीन पैिे में क्ा-क्ा लोगे?'
महमूद— 'हमिे गलाबजामन ले जाव हाममद। मोहममन बदमाश है ।'
हाममद— 'ममठाई कौन बडी नेमि है । मकिाब में इिकी मकिनी बराइयााँ मलखी हैं ।'
मोहमिन— 'लेमकन मदल में कह रहे होुंगे मक ममले िो खा लें। अपने पैिे क्ोुं नहीुं
मनकालिे ?'
महमूद— 'हम िमझिे हैं , इिकी चालाकी। जब हमारे िारे पैिे खचथ हो जायेंगे, िो हमें
ललचा-ललचाकर खायगा।'
ममठाइयोुं के बाद कछ दकानें लोहे की चीजोुं की, कछ मगलट और कछ नकली गहनोुं की।
लडकोुं के मलए यहााँ कोई आकषथण न िा। वे िब आगे बढ़ जािे हैं , हाममद लोहे की
दकान पर रूक जािा है । कई मचमटे रखे हुए िे। उिे ख़्याल आया, दादी के पाि मचमटा
नहीुं है । िवे िे रोमटयााँ उिारिी हैं , िो हाि जल जािा है । अगर वह मचमटा ले जाकर
दादी को दे दे िो वह मकिना प्रिन्न होुंगी! मिर उनकी उुं गमलयााँ कभी न जलेंगी। घर में
एक काम की चीज़ हो जायगी। स्खलौने िे क्ा फायदा? व्यिथ में पैिे ख़राब होिे हैं । ज़रा
दे र ही िो खशी होिी है । मिर िो स्खलौने को कोई आाँ ख उठाकर नहीुं दे खिा। यह िो
घर पहुाँ चिे -पहुाँ चिे टू ट-िूट बराबर हो जायें गे या छोटे बच्े जो मेले में नहीुं आये हैं मज़द
कर के ले लेंगे और िोड डालेंगे। मचमटा मकिने काम की चीज़ है । रोमटयााँ िवे िे उिार
लो, चूल्हे में िेंक लो। कोई आग मााँ गने आये िो चटपट चूल्हे िे आग मनकालकर उिे दे
दो। अम्मााँ बेचारी को कहााँ िरिि है मक बाज़ार आयें और इिने पैिे ही कहााँ ममलिे हैं ?
रोज हाि जला लेिी हैं ।

हाममद के िािी आगे बढ़ गये हैं । िबील[13] पर िब-के-िब शबथि पी रहे हैं । दे खो, िब
मकिने लालची हैं । इिनी ममठाइयााँ लीुं, मझे मकिी ने एक भी न दी। उि पर कहिे है , मेरे
िाि खेलो। मेरा यह काम करो। अब अगर मकिी ने कोई काम करने को कहा, िो
पूछूाँगा। खायें ममठाइयााँ , आप माँह िडे गा, िोडे -िस्ियााँ मनकलेंगी, आप ही जबान चटोरी हो
जायगी। िब घर िे पै िे चरायेंगे और मार खायेंगे। मकिाब में झूठी बािें िोडे ही मलखी हैं ।
मेरी जबान क्ोुं ख़राब होगी? अम्मााँ मचमटा दे खिे ही दौडकर मेरे हाि िे ले लेंगी और
कहें गी— मेरा बच्ा अम्मााँ के मलए मचमटा लाया है । मकिना अच्छा लडका है । इन लोगोुं के
स्खलौने पर कौन इन्हें दआयें दे गा? बडोुं की दआयें िीधे अल्लाह के दरबार में पहुाँ चिी हैं ,
और िरुं ि िनी जािी हैं । मेरे पाि पैिे नहीुं है िभी िो मोहमिन और महमूद योुं ममज़ाज
मदखािे हैं । मैं भी इनिे ममज़ाज मदखाऊाँगा। खेलें स्खलौने और खायें ममठाइयााँ । मै नहीुं
खेलिा स्खलौने , मकिी का ममज़ाज क्ोुं िहाँ ? मैं गरीब िही, मकिी िे कछ मााँ गने िो नहीुं
जािा। आस्खर अब्बाजान कभी ुं न कभी आयेंगे। अम्मा भी आयेंगी ही। मिर इन लोगोुं िे
पूछूाँगा, मकिने स्खलौने लोगे? एक-एक को टोकररयोुं स्खलौने दू ाँ और मदखा दू ाँ मक दोस्तोुं के
िाि इि िरह का िलूक मकया जािा है । यह नहीुं मक एक पैिे की रे वमडयााँ लीुं, िो
मचढ़ा-मचढ़ाकर खाने लगे। िबके िब खूब हाँ िेंगे मक हाममद ने मचमटा मलया है । हाँ िें! मेरी
बला िे। उिने दकानदार िे पूछा— यह मचमटा मकिने का है ?
दकानदार ने उिकी ओर दे खा और कोई आदमी िाि न दे खकर कहा— 'िम्हारे काम का
नहीुं है जी!'
‘मबकाऊ है मक नहीुं?’
‘मबकाऊ क्ोुं नहीुं है ? और यहााँ क्ोुं लाद लाये हैं ?’
िो बिािे क्ोुं नहीुं, कै पैिे का है ?’
‘छ: पैिे लगेंगे।‘
हाममद का मदल बैठ गया।
‘ठीक-ठीक पााँ च पैिे लगेंगे, लेना हो लो, नहीुं चलिे बनो।‘
हाममद ने कलेजा मज़बूि करके कहा- 'िीन पैिे लोगे?'
यह कहिा हुआ वह आगे बढ़ गया मक दकानदार की घडमकयााँ न िने। लेमकन दकानदार
ने घडमकयााँ नहीुं दी। बलाकर मचमटा दे मदया। हाममद ने उिे इि िरह कुंधे पर रखा,
मानो बुंदूक है और शान िे अकडिा हुआ िुंमगयोुं के पाि आया। जरा िनें , िबके िब
क्ा-क्ा आलोचनाएाँ करिे हैं !
मोहमिन ने हाँ िकर कहा— 'यह मचमटा क्ोुं लाया पगले, इिे क्ा करे गा?'
हाममद ने मचमटे को ज़मीन पर पटककर कहा— 'जरा अपना मभश्ती ज़मीन पर मगरा दो।
िारी पिमलयााँ चूर-चूर हो जायाँ बच्ू की।'
महमूद बोला— 'िो यह मचमटा कोई स्खलौना है?'
हाममद— 'स्खलौना क्ोुं नहीुं है ! अभी कुंधे पर रखा, बुंदूक हो गयी। हाि में ले मलया,
फकीरोुं का मचमटा हो गया। चाहाँ िो इििे मजीरे का काम ले िकिा हाँ । एक मचमटा
जमा दू ाँ , िो िम लोगोुं के िारे स्खलौनोुं की जान मनकल जाय। िम्हारे स्खलौने मकिना ही
ज़ोर लगायें, मेरे मचमटे का बाल भी बााँ का नहीुं कर िकिे। मेरा बहादर शेर है मचमटा।'
िम्मी ने खाँजरी ली िी। प्रभामवि होकर बोला— 'मेरी खाँजरी िे बदलोगे? दो आने की है ।'
हाममद ने खाँजरी की ओर उपेक्ा िे दे खा- 'मेरा मचमटा चाहे िो िम्हारी खाँजरी का पेट
िाड डाले। बि, एक चमडे की मझल्ली लगा दी, ढब-ढब बोलने लगी। जरा-िा पानी लग
जाय िो खत्म हो जाय। मेरा बहादर मचमटा आग में, पानी में, आाँ धी में, िू फान में बराबर
डटा खडा रहे गा।'
मचमटे ने िभी को मोमहि कर मलया, अब पैिे मकिके पाि धरे हैं ? मिर मेले िे दू र मनकल
आये हैं , नौ कब के बज गये, धूप िेज हो रही है । घर पहुाँ चने की जल्दी हो रही है । बाप
िे मज़द भी करें , िो मचमटा नहीुं ममल िकिा। हाममद है बडा चालाक। इिीमलए बदमाश ने
अपने पैिे बचा रखे िे।

अब बालकोुं के दो दल हो गये हैं । मोहमिन, महमूद, िम्मी और नूरे एक िरि हैं , हाममद
अकेला दू िरी िरि। शास्त्रािथ [14] हो रहा है । िम्मी िो मवधमी हो गया! दू िरे पक् िे जा
ममला, लेमकन मोहमिन, महमूद और नूरे भी हाममद िे एक-एक, दो-दो िाल बडे होने पर
भी हाममद के आघािोुं िे आिुंमकि हो उठे हैं । उिके पाि न्याय का बल है और नीमि
की शस्ि। एक ओर ममट्टी है , दू िरी ओर लोहा, जो इि वि अपने को फौलाद कह रहा
है । वह अजेय है , घािक है । अगर कोई शेर आ जाय िो ममयााँ मभश्ती के छक्के छूट जायाँ ,
ममयााँ मिपाही ममट्टी की बुंदूक छोडकर भागें, वकील िाहब की नानी मर जाय, चोगे में माँह
मछपाकर ज़मीन पर लेट जायाँ। मगर यह मचमटा, यह बहादर, यह रूस्तमे-महुं द[15] लपककर
शेर की गरदन पर िवार हो जायगा और उिकी आाँ खें मनकाल लेगा।
मोहमिन ने एडी—चोटी का ज़ोर लगाकर कहा— 'अच्छा, पानी िो नहीुं भर िकिा?'
हाममद ने मचमटे को िीधा खडा करके कहा— 'मभश्ती को एक डााँ ट बिायेगा, िो दौडा
हुआ पानी लाकर उिके द्वार पर मछडकने लगेगा।'
मोहमिन परास्त हो गया, पर महमूद ने कमक पहुाँ चाई— 'अगर बच्ा पकड जायाँ िो
अदालि में बाँधे-बाँधे मिरें गे। िब िो वकील िाहब के पैरोुं पडें गे।'
हाममद इि प्रबल िकथ का जवाब न दे िका। उिने पूछा— 'हमें पकडने कौन आयेगा?'
नूरे ने अकडकर कहा— 'यह मिपाही बुंदूकवाला।'
हाममद ने माँह मचढ़ाकर कहा— 'यह बेचारे हम बहादर रूस्तमे—महुं द को पकडें गे! अच्छा
लाओ, अभी जरा कश्ती हो जाय। इिकी िूरि दे खकर दू र िे भागेंगे। पकडें गे क्ा बेचारे !'
मोहमिन को एक नयी चोट िूझ गयी— 'िम्हारे मचमटे का माँह रोज आग में जलेगा।'
उिने िमझा िा मक हाममद लाजवाब हो जायगा, लेमकन यह बाि न हुई। हाममद ने िरुं ि
जवाब मदया— 'आग में बहादर ही कूदिे हैं जनाब, िम्हारे यह वकील, मिपाही और मभश्ती
लौुंमडयोुं की िरह घर में घि जायेंगे। आग में कूदना वह काम है , जो यह रूस्तमे-महन्द ही
कर िकिा है ।'
महमूद ने एक ज़ोर लगाया— 'वकील िाहब करिी-मेज पर बैठेंगे, िम्हारा मचमटा िो
बावचीख़ाना[16] में ज़मीन पर पडा रहे गा।'
इि िकथ ने िम्मी और नूरे को भी िजीव कर मदया! मकिने मठकाने की बाि कही है पट्ठे
ने ! मचमटा बावचीख़ाना में पडा रहने के मिवा और क्ा कर िकिा है ?

हाममद को कोई िडकिा हुआ जवाब न िूझा, िो उिने धााँ धली शरू की— मेरा मचमटा
बावचीख़ाने में नहीुं रहे गा। वकील िाहब किी पर बैठेंगे, िो जाकर उन्हें ज़मीन पर पटक
दे गा और उनका क़ानून उनके पेट में डाल दे गा।
बाि कछ बनी नहीुं। ख़ािी गाली-गलौज िी; लेमकन क़ानून को पेट में डालने वाली बाि
छा गयी। ऐिी छा गयी मक िीनोुं िूरमा माँह िाकिे रह गये मानो कोई धेलचा
कनकौआ[17] मकिी गुंडेवाले कनकौए को काट गया हो। क़ानून माँह िे बाहर मनकलने
वाली चीज़ है । उिको पे ट के अुंदर डाल मदया जाना बेिकी-िी बाि होने पर भी कछ
नयापन रखिी है । हाममद ने मैदान मार मलया। उिका मचमटा रूस्तमे-महन्द है । अब इिमें
मोहमिन, महमूद नूरे, िम्मी मकिी को भी आपमि नहीुं हो िकिी।
मवजेिा को हारनेवालोुं िे जो ित्कार ममलना स्वाभमवक है , वह हाममद को भी ममला। औरोुं
ने िीन-िीन, चार-चार आने पैिे खचथ मकए, पर कोई काम की चीज़ न ले िके। हाममद ने
िीन पैिे में रुं ग जमा मलया। िच ही िो है , स्खलौनोुं का क्ा भरोिा? टू ट-िूट जायाँगे।
हाममद का मचमटा िो बना रहे गा बरिोुं?
िुंमध की शिें िय होने लगीुं। मोहमिन ने कहा— 'जरा अपना मचमटा दो, हम भी दे खें। िम
हमारा मभश्ती लेकर दे खो।'
महमूद और नूरे ने भी अपने -अपने स्खलौने पेश मकये।
हाममद को इन शिों को मानने में कोई आपमि न िी। मचमटा बारी-बारी िे िबके हाि में
गया, और उनके स्खलौने बारी-बारी िे हाममद के हाि में आये। मकिने ख़ूबिूरि स्खलौने
हैं ।
हाममद ने हारने वालोुं के आाँ िू पोुंछे— 'मैं िम्हे मचढ़ा रहा िा, िच! यह मचमटा भला, इन
स्खलौनोुं की क्ा बराबरी करे गा, मालूम होिा है , अब बोले, अब बोले।'
लेमकन मोहमिन की पाटी को इि मदलािे िे िुंिोष नहीुं होिा। मचमटे का मिक्का खूब
बैठ गया है । मचपका हुआ मटकट अब पानी िे नहीुं छूट रहा है ।
मोहमिन— 'लेमकन इन स्खलौनोुं के मलए कोई हमें दआ िो न दे गा?'
महमूद— 'दआ को मलये मिरिे हो। उल्टे मार न पडे । अम्मााँ ज़रूर कहें गी मक मेले में
यही ममट्टी के स्खलौने ममले?'
हाममद को स्वीकार करना पडा मक स्खलौनोुं को दे खकर मकिी की मााँ इिनी खश न
होुंगी, मजिनी दादी मचमटे को दे खकर होुंगी। िीन पैिोुं ही में िो उिे िब कछ करना िा
ओर उन पैिोुं के इि उपयोग पर पछिावे की मबल्कल जरूरि न िी। मिर अब िो
मचमटा रूस्तमें-महन्द है ओर िभी स्खलौनोुं का बादशाह।
रास्ते में महमूद को भूख लगी। उिके बाप ने केले खाने को मदये। महमूद ने केवल
हाममद को िाझी बनाया। उिके अन्य ममत्र माँह िाकिे रह गये । यह उि मचमटे का प्रिाद
िा।

ग्यारह बजे गााँ व में हलचल मच गयी। मेलेवाले आ गये। मोहमिन की छोटी बहन ने
दौडकर मभश्ती उिके हाि िे छीन मलया और मारे खशी के जा उछली, िो ममयााँ मभश्ती
नीचे आ रहे और िरलोक मिधारे । इि पर भाई-बहन में मार-पीट हुई। दानोुं खब रोये।
उनकी अम्मााँ यह शोर िनकर मबगडीुं और दोनोुं को ऊपर िे दो-दो चााँ टे और लगाये।
ममयााँ नूरे के वकील का अुंि उनके प्रमिष्ठानकूल इििे ज़्यादा गौरवमय हुआ। वकील
ज़मीन पर या िाक पर िो नहीुं बैठ िकिा। उिकी मयाथ दा का मवचार िो करना ही
होगा। दीवार में खूाँमटयााँ गाडी गयी। उन पर लकडी का एक पटरा रखा गया। पटरे पर
काग़ज़ का कालीन मबछाया गया। वकील िाहब राजा भोज की भााँ मि मिुंहािन पर मवराजे।
नूरे ने उन्हें पुंखा झलना शरू मकया। अदालिोुं में खि की टमट्टयााँ और मबजली के पुंखे
रहिे हैं । क्ा यहााँ मामूली पुंखा भी न हो! क़ानून की गमी मदमाग पर चढ़ जायगी मक
नहीुं? बााँ ि का पुंखा आया और नूरे हवा करने लगे। मालूम नहीुं, पुंखे की हवा िे या पुंखे
की चोट िे वकील िाहब स्वगथलोक िे मृत्यलोक में आ रहे और उनका माटी का चोला
माटी में ममल गया! मिर बडे जोर-शोर िे मािम हुआ और वकील िाहब की अस्थि घूरे
पर डाल दी गयी।
अब रहा महमू द का मिपाही। उिे चटपट गााँ व का पहरा दे ने का चाजथ ममल गया, लेमकन
पमलि का मिपाही कोई िाधारण व्यस्ि िो नहीुं, जो अपने पैरोुं चलें। वह पालकी पर
चलेगा। एक टोकरी आयी, उिमें कछ लाल रुं ग के िटे -पराने मचिडे मबछाये गये , मजिमें
मिपाही िाहब आराम िे लेटे। नूरे ने यह टोकरी उठायी और अपने द्वार का चक्कर
लगाने लगे। उनके दोनोुं छोटे भाई मिपाही की िरह ‘छोनेवाले, जागिे लहो’ पकारिे चलिे
हैं । मगर राि िो अाँ धेरी ही होनी चामहये। महमूद को ठोकर लग जािी है । टोकरी उिके
हाि िे छूटकर मगर पडिी है और ममयााँ मिपाही अपनी बन्दू क मलये ज़मीन पर आ जािे
हैं और उनकी एक टााँ ग में मवकार आ जािा है ।
महमूद को आज ज्ञाि हुआ मक वह अच्छा डॉक्टर है । उिको ऐिा मरहम ममला गया है
मजििे वह टू टी टााँ ग को आनन-िानन जोड िकिा है । केवल गूलर का दू ध चामहए। गूलर
का दू ध आिा है । टााँ ग जवाब दे दे िी है । शल्य-मिया अििल हुई, िब उिकी दू िरी टााँ ग
भी िोड दी जािी है । अब कम-िे -कम एक जगह आराम िे बैठ िो िकिा है । एक टााँ ग
िे िो न चल िकिा िा, न बैठ िकिा िा। अब वह मिपाही िन्न्यािी हो गया है । अपनी
जगह पर बैठा-बैठा पहरा दे िा है । कभी-कभी दे विा भी बन जािा है । उिके मिर का
झालरदार िाफा खरच मदया गया है । अब उिका मजिना रूपाुं िर चाहो, कर िकिे हो।
कभी-कभी िो उििे बाट का काम भी मलया जािा है ।
अब ममयााँ हाममद का हाल िमनए। अमीना उिकी आवाज़ िनिे ही दौडी और उिे गोद
में उठाकर प्यार करने लगी। िहिा उिके हाि में मचमटा दे खकर वह चौुंकी।
‘यह मचमटा कहााँ िा?’
‘मैंने मोल मलया है ।
‘कै पैिे में?’
‘िीन पैिे मदये।‘
अमीना ने छािी पीट ली। यह कैिा बेिमझ लडका है मक दोपहर हुआ, कछ खाया न
मपया। लाया क्ा, मचमटा! ‘िारे मेले में िझे और कोई चीज़ न ममली, जो यह लोहे का
मचमटा उठा लाया।
हाममद ने अपराधी भाव िे कहा— 'िम्हारी उाँ गमलयााँ िवे िे जल जािी िीुं, इिमलए मैने इिे
मलया।'
बमढ़या का िोध िरन्त स्नेह में बदल गया, और स्नेह भी वह नहीुं, जो प्रगल्भ होिा है और
अपनी िारी किक शब्ोुं में मबखेर दे िा है । यह मूक स्नेह िा, खूब ठोि, रि और स्वाद िे
भरा हुआ। बच्े में मकिना त्याग, मकिना िद् भाव और मकिना मववेक है ! दू िरोुं को
स्खलौने लेिे और ममठाई खािे दे खकर इिका मन मकिना ललचाया होगा? इिना जब्त इििे
हुआ कैिे ? वहााँ भी इिे अपनी बमढ़या दादी की याद बनी रही। अमीना का मन गद् गद् हो
गया।
और अब एक बडी मवमचत्र बाि हुई। हाममद के इि मचमटे िे भी मवमचत्र। बच्े हाममद ने
बूढ़े हाममद का पाटथ खेला िा। बमढ़या अमीना बामलका अमीना बन गयी। वह रोने लगी।
दामन िैलाकर हाममद को दआएुं दे िी जािी िी और आाँ िू की बडी-बडी बूाँदें मगरािी
जािी िी। हाममद इिका रहस्य क्ा िमझिा!

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