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अनुबम
पानी क समःया
चुनाव गीितका:सरलाथ$
अथ ौी गणेशाय नम:
यह बंगला )फ+म
एक भूतपूव$ मंऽी से मुलाकात
शरद जोशी के कमलमुख से ‘आलोचना’
शरद जोशी के कमलमुख के कुछ पठनीय पऽ
पानी क समःया
चुनाव गीितका:सरलाथ$
(1) इस बार चुनाव ज+द3 लग गए। >या करB , िनंठु र पीएम से हमारा सुख दे खा न गया।
उसने हमB समय बीतने से पहले ह3 िनगोड़3 जनता मB पठवा )दया। हाय! अभी तो ःवाथl
के चकवा-चकवी जी-भर िमल नह3ं पाए थे। िनजी सुखC क कमल जोड़3 से ॅ^ पवन
मधुर छे ड़छाड़ कर ह3 रहा था। अभी-अभी तो यह सेवाभावी तन डनलप-8पलो के मनोहर
पाश मB िसमटा ह3 था )क समय के िनद$ यी मुगe ने बांग दे कर कहा )क चुनाव आ गए!
क8व कहते ह4 )क एक और दलबदल करने क इ5छा नेता के nदय मB शेष ह3 थी )क हाय
दे खो यह कैसी अघट घट3। बेचारे >या करB कुछ समझ नह3ं पड़ रहा।
(2) अय सखी , आज चहंु )दिश यह शोर कैसा ? बकुलC के समान Dेत पWरधान धारे
काय$कता$ जनC क पांत कहां ूयाण कर रह3 है ? रिसक जन आज रिसकता छोड़ राजनीित
क चचा$ मB काहे मगन ह4 ? >या ौृग
ं ार अब रसराज नह3ं रहा ? फेWरयां लगाकर तpIणयC के
सौHदय$ का अHदाज लगाने वाले वे ॅमरवृHद आज उHहB नॆ ःवरC मB ' बहनजी ' के
आदरसूचक श]दC मB >यC सdबोिधत कर रहे ह4 ? सदा सहमत होने वाली ूौढ़ाएं भी आज
मािननी मु धाओं के समान hठ6 हई
ु >यC लग रह3 ह4 ? मेरा ूीतम आज इतनी सुबह मुझे
सोता छोड़ नारC से मIrडत पोःटरC का बrडल बगल मB दाबे कहां चल )दया ?
क8व कहते ह4 )क दे श मB अकःमात चुनाव आ जाने से पुर क सुHदWरयां परःपर Iजsासा
कर वाःत8वकता जानने को बड़3 आकुल ह4 ।
(3) सुन सखी , आज मुझे वह )फर )दखाई )दया जो 8पछली बेर गिलयC मB आकर भाषण
दे गया ? मीठ6-मीठ6 बातC का धनी , वह चतुर नट Iजसने फुसलाकर हमारा वोट हर िलया।
आज मुझे सुबह क वेला वह )फर )दखाई )दया। म4 नहाई हई
ु आंगन मB थी। िनचोड़ने पर
मेरे बालC से जलधारा यC झर रह3 थी मानो मोती झर रहे हC। वt भीगे हए
ु थे। म4
ु
)ठठरती धूप मB बैठ6 हई
ु थी। >या कहंू , तभी उस िनल$Aज ने मुझे दे खा और म4ने उसे।
वह ललचाए नेऽC से मुझे दे ख रहा था मानो मुझसे कुछ चाह रहा हो।
क8व कहते ह4 )क कौन नह3ं जानता )क चुनाव क वेला मB सुHदWरयां वोट माऽ रह जाती
ह4 । चतुर नट उनसे बस वह3 मांगता है ।
(4) नारC ने आकाश छू रखा था , भCगे गुंजायमान थे , पदऽाण िशरtाण हो रहे थे अथा$त
जूते चल रहे थे। दे खो , चुनाव क यह3 शोभा है । नगर के गुrडे उस समय काय$कता$ बन
गए थे , ःमगलरC का :याग अित सराहनीय था। चोर-बाजार के यापार3 ूजातHऽ के
दािय:वC के ूित जागhक हो गए थे। य8u समाज का ह3 अंग है , यह इस चुनाव ने
)फर िसv कर )दया , जब लोगC ने अपनी जीपB तथा अHय वाहन राजनीितक दलC को दे
)दए। बागC , वनC , गृहC , गिलयC और चौमुहानC पर खुलेआम झूठ बका जा रहा था। स:य
>या है , अस:य >या है , इसका भेद करना गुनीजन के िलए भी क)ठन था। क8व कहते ह4
ऐसी गHदगी मB 8वचरण करना और सफल होना उसी छबीले का काम है जो हमारे गीतC
का नायक है । चुनाव hपी पंक का वह3 पंकज मेरा आराwय है ।
(5) आज तो 8विचऽ ह3 ूसंग हआ।
ु नेता ने अपने िमऽC को एक कpण कथा सुनाई। हआ
ु
यह है )क सकल )दवस चुनाव-ूसार मB यःत रहने के उपराHत चुनाव का वह उdमीदवार
एक अफसर िमऽ के आवास पर पहंु चा और यह अनुनय करने लगा )क मुझे रा8ऽ मB
अपने यहां 8वौाम करने दB , ूात: होने पर म4 चला जाऊंगा। ितस पर उस अफसर िमऽ ने
असहमत होकर जो कहा , वह अ:यHत ' िनराला ' था :
बांधो न नाव इस ठांव बHधु , चलते ह4 इधर चुनाव बंधु
उसने नेता को xार से 8बना स:कार ह3 इनकार कर )दया। नेता ने यथा भरे ःवरC मB
िमऽC को बताया )क यह वह3 अफसर था Iजसके ूमोशनाथ$ म4ने कै8बनेट पर जोर डाला
और 8वगत वषl मB तीन बार Iजसके तबादले pकवाए।
क8व कहते ह4 , चुनाव क बिलहार3 ह4 IजसमB िमऽ शऽु सम और शऽु िमऽ सम यवहार
करने लग जाते ह4 ।
(6) उस )दन वह छिलया मेरे xार भी आया था। म4 तन को अंगराग लगा नाना आभूषणC
से ःवयं को सजा रह3 थी। लdपट ने तभी कुrड3 खटखटाई। म4ने xार पर ह3 उससे वाता$
क। उस समय तेल से सनी हई
ु उसक घुंघराली लटB तथा तdबाकू के बीड़े चबाते हए
ु
ँयाममुख मB दHत प8uयां अलग ह3 शोभा दे रह3 थीं। चुनाव को wयान मB रख उसने कुतe
मB सूराख कर िलए थे और उन पर पैबंद लगा अपनी अजब सज-धज बनाई थी। उस )दन
तो वह बड़े जनवाद3 ठाठ मB था। हे सखी , इसे भा य कहंू या दभा$
ु य )क चुनाव आया
और उस शठ के )कए 8वगत श]दC क ःमृितयां मन मB )फर ताजा हो गy , IजHहB म4
सचमुच ह3 भुला चुक थी।
क8व कहते ह4 )क राजनीित के रिसया ने गिलयC मB ऐसी धूम मचाई थी )क पुर क
विनताएं च)कत थीं अथा$त कुछ समझ नह3ं पा रह3ं थीं।
(7) बहत
ु -बहत
ु कर अनुनय , पहले भी ले गए थे वोट ओ ःवाथ$ nदय
बह8वध
ु चाटु वचन , अवसर-ूेWरत िसvाHत रचन
तब तकनीक जनमोहन , गमन करो स:वर इस बार , अHय )दशा सदय
अथा$त हे ःवाथV nदय वाले नेता , 8पछली बार भी तुम बहत
ु 8वनय कर वोट ले गए थे।
अनेक ूकार से मन को ूसHन करनेवाले वचन बोलने वाले तुम अवसर से ूेWरत
िसvाHत रचने मB ूवीण हो अथा$त जैसा मौका दे खते हो वैसी बात करते हो। तुdहार3 शैली
जनता को मो)हत करती है , पर जहां तक मेरा ूz है , तुम यहां से ज+द3 Iखसको। दया
करो , कह3ं और जाओ।
(8) अर3 सखी , इस चुनाव ने मेरे ूेिमयC क संया बढ़ा द3। दे ख नह3ं रह3 थी उन )दनC
गिलयC मB )कतने च>कर काट रहे थे। हर कोई आकर मुझसे मेरा वोट मांग रहा था। वोट
hपी कमल एक था , पर उसे पाने को उ:सुक ॅमर अनेक। उस )दन वह मुझे पोिलंग बूथ
पर आने का संकेत कर गया था। मुझे वह अपना िच{ भी दे गया था , Iजसे म4ने कलेजे
मB िछपाकर रख िलया था।
क8व कहता है )क चुनाव के लडै ़या )कतनी ह3 िचरौर3 करB , हमार3 कमलनयनC वाली
नाियका ने तो उसी छली को वोट )दया Iजसका कुंज-गिलयC मB भार3 ूचार था।
(9) रात-रात भर हई
ु जगाई , लाल-लाल भये लोचन
कैसे भरमाएं वोटर को , सखा स)हत रत सोचन
जाओ शमा$ , जाओ वमा$ , शोधो अपनी-अपनी जाित
म4 हंू जाितवाद से ऊपर , दहराओ
ु रह-रह यह याित।
ता:पय$ ःप^ है । चुनाव-काल मB रात-भर जगने से नेता क आंखB लाल हो गई ह4 अथा$त
वह बोिधत है । उस )दन िमऽC के साथ बैठा यह3 सोच रहा था )क )कस भांित जनता को
चुनाव हे तु फुसलाकर 8वजय ूा} कर ली जाए। वह काय$कता$ओं से , Iजनके नाम शमा$-वमा$
थे , कह रहा था )क तुम जाकर अपनी-अपनी जाित से मुझे वोट दे ने के िलए संपक$ साधो
और ूचार करो )क म4 जाितवाद से ऊपर हंू । पद मB नेता के चWरऽ का 8वरोधाभास दशा$या
गया है । शेष पं8uयां सरल ह4 ।
(10) अब वह अपनी बड़ा भूिम को छोड़ जा रहा है । वह चुनाव जीत गया है और यथ$ के
मोहC से उसने मु8u ूा} कर ली है । उसने जनता से )कए अपने वादे यह3ं क गHद3
नािलयC मB फBक )दए ह4 । अपने नारC क ःमृित माऽ से वह ऊब जाता है । अब अपने
पोःटरC क ओर वह हं सकर उपे9ा से अवलोकता है , उसके घोषणा-पऽ माग$ मB 8बखरे हए
ु
ह4 IजHहB र~दता हआ
ु वह राजधानी लौट रहा है ।
क8व कहते ह4 )क चुनाव तो चार )दन क चांदनी होता है , IजसमB जनता चाहे इतरा ले
मगर बाद मB तो वह3 अHधकार होता है ।
(11) हाय सखी , वह िनद$ यी चला गया। इस बार भी लगता है मानो मुझे छला गया।
मेरे हाथC पर लगा मतदान के समय का काल िच{ िमटा भी नह3ं था )क वोट के उस
लोभी ने मुझे भुला )दया। वन कानन मB उसके सरस नारC क अनुगूंज अभी शेष नह3ं हई
ु
थी )क अनेक गािलयC के साथ ःमरण )कए जाने वाले नेता ने यह ःथल छोड़ )दया।
आज म4 छAजे पर खड़3 उसक ूती9ा कर रह3 थी , पर उन िनु र ने इस ओर तिनक
भर न झांका। उसे मत दे ने के अितWरu पता नह3ं मुझे कौन-सा अपराध हआ
ु जो मुझसे
दरू हो गया।
क8व कहते ह4 )क Iजसके कम$ दे ख लAजा ःवयं लIAजत हो , उसको ओ लाजवHती तू )कस
8विध लाएगी।
(12) धूतl मB परम धूत$ , आदश$वा)दयC मB परम आदश$ के hप मB शोिभत वह चतुर
बहh8पया
ु ह3 अब मेरे ताप हरे गा। उसी बहरंु गी नेता को , Iजसके xार अपने भuC और
चमचC के िलए सदै व खुले रहते ह4 और जो सकल 8वरोिधयC को उHमूिलत करने का ूण
िलए है , म4ने ःवयं को सम8प$त कर )दया है ।
क8व कहता है मुझ अबल मB इतनी साम$य कहां )क म4 उस नेता को जनमो)हनी शोभा
और फलदायी कमl का बखान कhं। मुझे तो केवल इतना sान है )क ऐसे चतुर
राजनीितsC क वHदना ह3 क8व के जीवन को सुखी बनाती है । चुनाव hपी युv के 8वजेता
, सMा hपी मकरHद के परम लोभी , जनता hपी नाियका के मन को Wरझाने मB ूवीण वह
मेरे गीतC का नायक ह3 मेरा स5चा सुखदाता है , जो मंऽी बनते ह3 मेरे क^ हरे गा और
मुझे ऊंचा पद )दलाएगा।
राधा hपी जनता को 8बलखता छोड़ , सMा hपी pI>मणी मB खोए हए
ु ओ रमणीय , तू
चमचC से िघरा रहने पर कह3ं यह न भूल जाना )क म4 सदा तेर3 ह3 मूरत wयान मB रख
कलम उठाता हंू ।
अथ ौी गणेशाय नम:
अथ ौी गणेशाय नम:, बात गणेश जी से शुh क जाए, वह धीरे -धीरे चूहे तक पहँु च
जाएगी। या चूहे से आरं भ करB और वह ौी गणेश तक पहँु चे। या पढ़ने-िलखने क चचा$
क जाए। ौी गणेश sान और बु8v के दे वता ह4 । इस कारण सदै व अ+पमत मB रहते हCगे,
पर ह4 तो दे वता। सबसे पहले वे ह3 पूजे जाते ह4 । आIख़र मB वे ह3 पानी मB उतारे जाते ह4 ।
पढ़ने-िलखने क चचा$ को छोड़ आप ौी गणेश क कथा पर आ सकते ह4 ।
राीय 8^कोण से सोिचए। पता है आपको, चूहC के कारण दे श का )कतना अनाज बरबाद
होता है । चूहा शऽु है । दे श के गोदामC मB घुसा चोर है । हमारे उ:पादन का एक बड़ा
ूितशत चूहC के पेट मB चला जाता है । चूहे से अनाज क र9ा हमार3 राीय समःया है ।
कभी 8वचार )कया अपने इस पर? बड़े गणेश-भu बनते ह4 ।
8वचार )कया। यC ह3 गणेश-भu नह3ं बन गए। समःया पर 8वचार करना हमारा पुराना
मज़$ है । हा-हा-हा, ज़रा सुिनए।
आपको पता है , दाने-दाने पर खाने वाले का नाम िलखा रहता है । यह बात िसफ़$ अनार
और पपीते को लेकर ह3 सह3 नह3ं है , अनाज के छोटे -छोटे दाने को लेकर भी सह3 है । हर
दाने पर नाम िलखा रहता है खाने वाले का। कुछ दे र पहले जो परांठा म4ने अचार से
लगाकर खाया था, उस पर जगह-जगह शरद जोशी िलखा हुआ था। छोटा-मोटा काम नह3ं
है , इतने दानC पर नाम िलखना। यह काम कौन कर सकता है ? गणेश जी, और कौन? वे ह3
िलख सकते ह4 । और )कसी के बस का नह3ं है यह काम। पWरौम, लगन और Hयाय क
ज़hरत होती है । सा)ह:य वालC को यह काम स~प दो, दाने-दाने पर नाम िलखने का। बस,
अपने यार-दोःतC के नाम िलखBगे, बाक को छोड़ दB गे भूखा मरने को। उनके नाम ह3 नह3ं
िलखBगे दानC पर। जैसे दानC पर नाम नह3ं, सा)ह:य का इितहास िलखना हो, या 8पछले
दशक के लेखन का आकलन करना हो )क Iजससे असहमत थे, उसका नाम भूल गए।
ँय यC होता है । गणेश जी बैठे ह4 ऊपर। तेज़ी से दानC पर नाम िलखने मB लगे ह4 ।
अिधाता होने के कारण उHहB पता है , कहाँ >या उ:पHन होगा। उनका काम है , दानC पर
नाम िलखना ता)क Iजसका जो दाना हो, वह उस शउस को िमल जाए। काम जार3 है ।
चूहा नीचे बैठा है । बीच-बीच मB गुहार लगाता है , हमारा भी wयान रखना ूभु, ऐसा न हो
)क चूहC को भूल जाओ। इस पर गणेश जी मन ह3 मन मुःकराते ह4 । उनके दाँत )दखाने
के और ह4 , मुःकराने के और। )फर कुछ दानC पर नाम िलखना छोड़ दे ते ह4 , भूल जाते ह4 ।
वे दाने Iजन पर )कसी का नाम नह3ं िलखा, सब चूहे के। चूहा गोदामC मB घुसता है । Iजन
दानC पर नाम नह3ं होते, उHहB कुतर कर खाता रहता है । गणेश-म)हमा।
एक )दन चूहा कहने लगा, गणेश जी महाराज! दाने-दाने पर मानव का नाम िलखने का
क^ तो आप कर ह3 रहे ह4 । थोड़3 कृ पा और करो। नेक घर का पता और डाल दो नाम के
साथ, तो बेचारC को इतनी परे शानी नह3ं उठानी पड़े गी। मारे -मारे )फरते ह4 , अपना नाम
िलखा दाना तलाशते। भोपाल से बंबई और )द+ली तलक। घर का पता िलखा होगा, तो
दाना घर पहँु च जाएगा, ऐसे जगह-जगह तो नह3ं भटकBगे।
अपने जाने चूहा बड़3 समाजवाद3 बात कह रहा था, पर घुड़क )दया गणेशजी ने। चुप रहो,
एयादा चू-ं चूं मत करो।
नाम िलख-िलख ौी गणेश यC ह3 थके रहते ह4 , ऊपर से पता भी िलखने बैठो। चूहे का
>या, लगाई जुबान ताल से और कह )दया। Hयाय ःथा8पत कIजए, दोनC का ठ6क-ठाक
पेट भर बँटवारा कIजए। नाम िलखने क भी ज़hरत नह3ं। गणेश जी कब तक बैठे-बैठे
िलखते रहB गे?
यह बंगला )फ+म
उस िसनेमा हाल मB, जाने >यC, हम अन)फट लग रहे थे। )फ़+म क 8वशेषता थी )क वह
बंगला मB थी और हमार3 8वशेषता थी )क हम बंगला नह3ं जानते। रहा कलाूेमी होने का
सवाल तो कलाूेमी कोई मोर का पंख नह3ं, Iजसे िसर मB खCस िलया जाए। चारC ओर
चटजV, मुखजV और भTटाचाय$ )कःम के लोग बैठे थे, धोती, कुता$ पहने। और उनके सामने
बैठे म4 और नरB ि दोनC गँवार लग रहे थे। हमB बंगला नह3ं आती। जब तक हाल मB अँधेरा
नह3ं हआ
ु यह3 हालत बनी रह3। हम चुपचाप िसर झुकाए बैठे रहे । अँधेरा हआ
ु , तो हमारा
गँवारापन 8वलीन हो गया और एक बंगला )फ़+म पूर3 गWरमा के साथ )दखाई जाने लगी।
और हम बड़3 ज+द3 समझ गए )क )फ़+म सामाHय ूेमकथा नह3ं है । ह3रोइन (आह, >या
भर3–पूर3 ह3रोइन थी!) इं टर कर चुक है और उसके बी.ए. करने क समःया है । पूरा
ताना–बाना इस छोट3–सी समःया को लेकर बुना गया था। ह3रो भी इसी समःया से मःत
था। ह3रोइन से पहली मुलाकात मB ह3 पूछा, तोमार बीए होये गे छे ?
ह3रोइन ने इस ूz पर कुछ उड़ता–उड़ता–सा जवाब )दया, आमार बीए कोरबार दोरकार
नेई।
ह3रो शायद उसी वष$ बी.ए. मB बैठ रहा था और चाहता था )क ह3रोइन भी साथ ह3 बी.ए.
कर ले, पर39ा मB बैठ जाए। झरने के पासवाले सीन मB, IजसमB काफ़ सारे बादल )दखाए
गए थे और बड़ा सुर3ला बेकमाउrड dयूIज़क बज रहा था, उसने उस भर3–पूर3 ह3रोइन का
हाथ अपने हाथ मB लेकर कहा था, आमार शCगे बीए कोरबे?
ह3रोइन लजा गई। हमB लगा, वह वाःतव, मB पढ़ना चाहती है , मगर चाहकर भी आगे पढ़
नह3ं पा रह3 है ।
हमB आय$ हआ
ु )क यह मुछंदर 8वलेन बी.ए. करने से अभी तक िसफ़$ इसीिलए pका
हआ
ु है , >यC)क यह ह3रोइन शुंदोर3 के साथ बी.ए. करना चाहता है ! इसी नज़ारे के
आसपास इं टरवल हो गया और हम समोसC क )दशा मB लपके।
हमB समझ नह3ं आ रहा था )क कमबउत ह3रोइन बी.ए. >यC नह3ं कर लेती? इतने समय
मB तो वह बी.ए. छोड़ एम.ए. कर सकती थी। और अगर वह बी.ए. नह3ं करना चाहती तो
न करे । इसमB खुद इतना परे शान होने या पI]लक को बोर करने क >या बात है ? और
वह ह3रो िसफ़$ इतनी-सी बात के िलए उस ह3रोइन के पीछे >यC लगा रहता है ! दिनया
ु मB
और भी ग़म है बी.ए. करने के िसवा।
यार मुझे तो इस ह3रोइन के इं टरमी)डएट होने मB भी शक है । नरB ि बोला, Iजस तरह यह
लड़क )दन–भर पानी भरती रहती है , कपड़े सुखाती रहती है , खाली बैठ6 रहती है , म4 नह3ं
समझता इसने कॉलेज क श>ल भी दे खी है ।
तुम समझते नह3ं, नरB ि, बंगाल क पWरIःथितयाँ हमारे मwयूदे श से 8ब+कुल िभHन ह4 ।
ु ह4 , गाँव–गाँव मB कालेज खुल गए ह4 और
वहाँ 8पछले वषl िश9ा का तेज़ी से 8वकास हआ
युवकC तथा युवितयC पर चारC तरफ़ से यह ूेशर आ रहा है )क वे बी.ए., एम.ए. करB ।
युवक–युवती यह िनण$य नह3ं ले पा रहे ह4 )क वे बी.ए. करB या न करB । चारC तरफ़ बेकार3
और असंतोष है । बंगाल क आज जो हालत है , हम अ5छ6 तरह जानते ह4 । )फ़+म इसी
पृभूिम पर तैयार क गई है )क आज )कसी युवती के िलए बी.ए. करना ज़hर3 है या
नह3ं? बंगाल क 8^ से यह एक गंभीर समःया है । म4ने नरB ि को समझाया।
इं टरवल समा} हो चुका था। हम हाल के अंदर घुस गए और उसी गंभीरता से आगे दे खने
लगे।
समझ नह3ं आ रहा था )क ह3रोइन यूिनविस$ट3 )डमी लेने के मामले मB गंभीर है , अथवा
नह3ं। वह ह3रो के सामने मान लेती )क वह बी.ए. कर लेगी, जो ज़hर3 भी है , मगर जब
8वलेन उससे कहता तो वह साफ़ इनकार कर दे ती। एक बार तो उसने 8वलेन को कसकर
डाँट )दया, जेटा आमी भावी, शेटा आमी कोरबो। अथा$त मुझे जैसा जँचेगा वैसा कhँगी।
8वलेन 8बचक गया और उसने अपने िनIत 'दे ख लूँगा, जाती कहाँ है ' वाले अंदाज़ मB
गरदन )हलाता, डं डा घुमाता पगडं ड3 से चला गया।
एक ंय मB 8वलेन ने गाँव के कितपय ःनेह3 िमऽ टाइप के गुंडC को एकऽ )कया और
शराब 8पलाकर यह शै9Iणक समःया सामने रखी थी )क ह3रोइन बी.ए. करने को तैयार
नह3ं, बोलो >या करB । गुंडC को आय$ हआ
ु )क 8वलेन के इतने आमह के बावजूद वह
लड़क बी.ए. करने से इनकार करती है । उHहCने शराब पी और ूz क गंभीरता को
ु और फरसे चमकाकर यह कसम खाई )क उनके
समझा। बाद मB उHहCने लपलपाते छरे
होते यह संभव नह3ं होगा )क ह3रोइन बी.ए. न करे । उHहCने 8वलेन को वचन )दया और
पैर पटकते चले गए।
बाहर आकर नरB ि ने कहा, मेरे ख़याल से मूलत: यह )फ़+म दो ूाइवेट कालेजC क लड़ाई
पर बनी है । एक कालेज से ह3रो संबv है और दसरे
ू से 8वलेन। ूितयोिगता इस बात क
है )क वह सुंदर3 कहाँ से बी.ए. करे गी। वह 8वलेन के कालेज से बी.ए. करना नह3ं चाहती,
>यC)क वहाँ गुंडागदa एयादा है , इसिलए वह अःवीकार कर दे ती है । ह3रो का 8वापीठ
शायद बेहतर है ।
'बंगालवाले भी कमाल कर रहे ह4 । )कतनी नई थीम उठाकर )फ़+मB बना रहे ह4 ।' म4ने कहा।
पान क दकान
ु पर भTटाचाय$ बाबू िमल गए।
'>यC जोशी साहब, इधर कैसा आया?'
')फ़+म दे खने आया था, दादा, बंगाली )फ़+म।'
'अरे तुमको बंगाली समझता?'
'समझता तो नह3ं, दादा, )फर भी हमने सोचा, अ5छा )फ़+म है , दे खना चा)हए।'
'अ5छा है , अ5छा है ।'
'एंड समझ नह3ं आया, दादा!'
'>या नह3ं समझा?'
'ह3रोइन ने मेजुएशन कर िलया )क नह3ं, दादा?'
'कैसा मेजुएशन?' भTटाचाय$ आय$ से बोले।
'ह3रोइन कहती थी ना )क म4 बी.ए. कhँगी, मुझे कोई रोक नह3ं सकता।'
भTटाचाय$ 'हो–हो' कर ज़ोर से हँ से और बोले, खूब समझा तुम लोग। अरे , बीए मतलब
बैचलर ऑफ आट$ स ् नह3ं। बीए यानी ]याह, शाद3, मैरेज। – और वे )फर ज़ोर–ज़ोर से हँ सने
लगे।
मंऽी थे तब उनके दरवाज़े कार बँधी रहती थी। आजकल >वाट$ र मB रहते ह4 और दरवाज़े
भ4स बँधी रहती है । म4 जब उनके यहाँ पहँु चा वे अपने लड़के को दध
ू दहना
ु िसखा रहे थे
और अफ़सोस कर रहे थे )क कैसी नई पीढ़3 आ गई है Iजसे भ4सB दहना
ु भी नह3ं आता।
मुझे दे खा तो बोले – 'जले पर नमक िछड़कने आए हो!'
'नमक इतना सःता नह3ं है )क न^ )कया जाए। कांमेस राज मB नमक भी सःता नह3ं
रहा।'
'कांमेस को >यC दोष दे ते हो! हमने तो नमक–आंदोलन चलाया।' – )फर बड़बड़ाने लगे, 'जो
आता है कांमेस को दोष दे ता है । आप भी >या 8वरोधी दल के ह4 ?'
'आजकल तो कांमेस ह3 8वरोधी दल है ।'
वे चुप रहे । )फर बोले, 'कांमेस 8वरोधी दल हो ह3 नह3ं सकती। वह तो राज करे गी। अंमेज़
हमB राज स~प गए ह4 । बीस साल से चला रहे ह4 और सारे गुर जानते ह4 । 8वरोिधयC को
>या आता है , फ़ाइलB भी तो नह3ं जमा सकते ठ6क से। हम थे तो अफ़सरC को डाँट लगाते
थे, जैसा चाहते थे करवा लेते थे। )हdमत से काम लेते थे। WरँतेदारC को नौकWरयाँ
)दलवाy और अपनेवालC को ठे के )दलवाए। अफ़सरC क एक नह3ं चलने द3। करके )दखाए
8वरोधी दल! एक ज़माना था अफ़सर खुद WरDत लेते थे और खा जाते थे। हमने सवाल
खड़ा )कया )क हमारा >या होगा, पाटa का >या होगा?'
'हमने अफ़सरC को WरDत लेने से रोका और खुद ली। कांमेस को चंदा )दलवाया, हमार3
बराबर3 ये >या करB ग?े '
'पर आपक नीितयाँ ग़लत थीं और इसिलए जनता आपके Iख़लाफ़ हो गई!'
'कांमेस से यह िशकायत कर ह3 नह3ं सकते आप। हमने जो भी नीितयाँ बनाy उनके
Iख़लाफ़ काम )कया है । )फर )कस बात क िशकायत? जो उस नीित को पसंद करते थे, वे
हमारे समथ$क थे, और जो उस नीित के Iख़लाफ़ थे वे भी हमारे समथ$क थे, >यC)क हम
उस नीित पर चलते ह3 नह3ं थे।'
म4 िनpMर हो गया।
'आपको उdमीद है )क कांमेस )फर इस राAय मB 8वजयी होगी?'
'>यC नह3ं? उdमीद पर तो हर पाटa कायम है । जब 8वरोधी दल असफल हCगे और बेकार
सा8बत हCगे, जब दो ग़लत और असफल दलC मB से ह3 चुनाव करना होगा, तो कांमेस >या
बुर3? बस तब हम )फर 'पावर' मB आ जाएँगे। ये 8वरोधी दल उसी राःते पर जा रहे ह4
Iजस पर हम चले थे और इनका िनIत पतन होगा।'
'जैसे आपका हआ।
ु '
'8ब+कुल।'
'जब से मंऽी पद छोड़ा आपके >या हाल ह4 ?'
'उसी तरह मःत ह4 , जैसे पहले थे। हम पर कोई फ़क$ नह3ं पड़ा। हमने पहले से ह3
िसलिसला जमा िलया था। मकान, ज़मीन, बंगला सब कर िलया। )कराया आता है । लड़के
को भैस दहना
ु आ जाए, तो डे र3 खोलBगे और दध
ू बेचBगे, राजनीित मB भी रहB गे और
8बज़नेस भी करB गे। हम तो नेहh–गांधी के चेले ह4 ।'
'नेहh जी क तरह ठाठ से भी रह सकते ह4 और गांधी जी क तरह झCपड़3 मB भी रह
सकते ह4 । ख़ैर, झCपड़3 का तो सवाल ह3 नह3ं उठता। दे श के भ8वंय क सोचते थे, तो
>या अपने भ8वंय क नह3ं सोचते! छोटे भाई को शक )दलवा )दया था। शक का नाम
रखा है दे श–सेवक। पWरवहन क समःया हल करे गा।'
'कृ 8ष–मंऽी था, तब जो खुद का फ़ाम$ बनाया था, अब अ5छ6 फसल दे ता है । जब तक मंऽी
रहा, एक िमनट खाली नह3ं बैठा, पWरौम )कया, इसी कारण आज सुखी और संतु^ हँू । हम
तो कम$ मB 8वDास करते ह4 । धंधा कभी नह3ं छोड़ा, मंऽी थे तब भी )कया।'
'आप अगला चुनाव लड़B गे?'
'>यC नह3ं लड़B गे। हमेशा लड़ते ह4 , अब भी लड़B गे। कांमेस )टकट नह3ं दे गी तो ःवतंऽ
लड़B गे।'
'पर यह तो कांमेस के Iख़लाफ़ होगा।'
'हम कांमेस के ह4 और कांमेस हमार3 है । कांमेस ने हमB मंऽी बनने को कहा तो बने। सेवा
क है । हमB )टकट दे ना पड़े गा। नह3ं दB गे तो इसका मतलब है कांमेस हमB अपना नह3ं
मानती। न माने। पहले ूेम, अ)हं सा से काम लBगे, नह3ं चला तो असहयोग आंदोलन
चलाएँगे। दसर3
ू पाटa से खड़े हो जाएँगे।'
'जब आप मंऽी थे, जाित–WरँतेवालC को बड़ा फ़ायदा पहँु चाया आपने।'
'उसका भी भैया इितहास है । जब हम कांमेस मB आए और हमारे बारे मB उड़ गई )क हम
हWरजनC के साथ उठते–बैठते और थाली मB खाना खाते ह4 , जाितवालC ने हमB अलग कर
)दया और हमसे संबंध नह3ं रखे। हम भी जाितवाद के Iख़लाफ़ रहे और जब मंऽी बने, तो
शुh–शुh मB हमने जाितवाद को कसकर गािलयाँ द3ं।'
'दरअसल हमने अपने पहलेवाले मं8ऽमंडल को जाितवाद के नाम से उखाड़ा था। सो शुh मB
तो हम जाितवाद के Iख़लाफ़ रहे । पर बाद मB जब जाितवालC को अपनी ग़लती पता लगी
तो वे हमारे बंगले के च>कर काटने लगे। जाित क सभा हई
ु और हमको मानपऽ )दया
गया और हमको जाित – कुलभूषण क उपािध द3। हमने सोचा )क चलो सुबह का भूला
शाम को घर आया। जब जाित के लोग हमसे ूेम करते ह4 , तो कुछ हमारा भी फज़$ हो
जाता है । हम भी जाित के लड़कC को नौकWरयाँ )दलवाने, तबादले pकवाने, लोन )दलवाने मB
मदद करते और इस तरह जाित क उHनित और 8वकास मB योग दे ते। आज हमार3 जाित
के लोग बड़े –बड़े पदC पर बैठे ह4 और हमारे आभार3 ह4 )क हमने उHहB दे श क सेवा का
अवसर )दया। म4ने लड़कC से कह )दया )क एम.ए. करके आओ चाहे थड$ )डवीजन मB सह3,
सबको लै>चरर बना दँ ग
ू ा। अपनी जाित बु8vमान य8uयC क जाित होनी चा)हए। और
भैया अपने चुनाव–9ेऽ मB जाित के घर सबसे एयादा ह4 । सब सॉिलड वोट ह4 । सो उसका
wयान रखना पड़ता है । यC दिनया
ु जानती है , हम जाितवाद के Iख़लाफ़ ह4 । जब तक हम
रहे हमेशा मं8ऽमंडल मB राजपूत और हWरजनC क संया नह3ं बढ़ने द3। हम जाितवाद से
संघष$ करते रहे और इसी कारण अपनी जाित क हमेशा मेजॉWरट3 रह3।'
लड़का भ4स दहु चुका था और अंदर जा रहा था। भूतपूव$ मंऽी महोदय ने उसके हाथ से
दध
ू क बा+ट3 ले ली।
'अभी दो )कलो दध
ू और होगा जनाब। पूर3 दह3
ु नह3ं है तुमने। लाओ हम दहBु ।' – )फर मेर3
ओर दे खकर बोले, एक तरफ़ तो दे श के ब5चC को दध
ू नह3ं िमल रहा, दसर3
ू ओर भ4सB पूर3
ु नह3ं जा रह3ं। और जब तक आप अपने ॐोतC का पूर3 तरह दोहन नह3ं करते, दे श का
दह3
8वकास असंभव ह4 ।'
वे अपने ॐोत का दोहन करने लगे। लड़का अंदर जाकर Wरकाड$ बजाने लगा और 'चा चा
चा' का संगीत इस आदश$वाद3 वातावरण मB गूँजने लगा। म4ने नमःकार )कया और चला
आया।
“लेखक 8वxान हो न हो, आलोचक सदै व 8वxान होता है . 8वxान ूायः भ~ड3 बेतुक बात
कह बैठता है . ऐसी बातC से सा)ह:य मB ःथापनाएँ होती ह4 . उस ःथापना क सड़ाँध से
वातावरण बनता है IजसमB क8वताएँ पनपती ह4 . सो, कुछ भी कहो, आलोचक आदमी काम
का है .” आज से आठ वष$ पूव$ आलोचना पर अपने िमऽC के समूह मB बोलते हए
ु यह
8वचार म4ने ूकट )कए थे. वे प:थर क लकर ह4 . लेखक का सा)ह:य के 8वकास मB
मह:व है या नह3ं है यह 8ववादाःपद 8वषय हो सकता है पर )कसी सा)हI:यक के 8वकास
मB )कसी आलोचक का मह:व सव$ःवीकृ त है . सा)ह:य क वैतरणी तरना हो तो )कसी
आलोचक गैया क पूंछ पकड़ो, )फर सींग चलाने का काम उसका और यश बटोरने का
काम कमलमुख का.
आलोचना के ूित अपनी ूाइवेट राय जा)हर करने के पूव$ म4 आपको यह बताऊं )क
आलोचना है >या? यह ूz मुझसे अकसर पूछा जाता है . सा)ह:यर क छाऽाएँ चू)ं क
आलोचना समझने को सबसे Aयादा उ:सुक )दखाई दे ती ह4 इसिलए यह मानना गलत न
होगा )क आलोचना सा)ह:य क सबसे टे ढ़3 खीर है . टे ढ़3 खीर इसिलए )क म4 कभी इसका
ठ6क उMर नह3ं दे पाता. म4 मुःकराकर उन लड़)कयC को कनIखयC से दे खकर कह दे ता हँू ,
“यह )कसी आलोचक से पूिछए, म4 तो कलाकार हँू .”
खैर, 8वषय पर आ जाऊँ. आलोचना श]द लुच ् धातु से बना है Iजसका अथ$ है दे खना.
लुच ् धातु से ह3 बना है लु5चा. आलोचक के ःथान पर आलु5चा या िसफ$ लु5चा श]द
)हHद3 मB खप सकता है . म4ने एक बार खपाने क कोिशश भी क थी, एक सुूिसv
आलोचक महोदय को सभा मB पWरिचत कराते समय 8पछली जनवर3 मB वातावरण बहत
ु
8बगड़ा. मुझे इस श]द के प9 मB भयंकर संघष$ करना पड़ा. आलोचक महोदय ने कहा )क
आप श]द वापस लीIजए. जनता ने भी मुझे चारC ओर से घेर िलया. मुझे पहली बार यह
अनुभव हआ
ु )क )हं द3 भाषा मB नया श]द दे ना )कतना खतरा मोल लेना है . म4ने कहा, म4
श]द वापस लेता हँू . पर आप यह भूिलए नह3ं )क आलोचना श]द ‘लुच’ धातु से बना है .
म4ने अपने आलोचक जीवन के शैशव काल मB कितपय ूचिलत श]दावली, मुहावरावली
और वा>यावली का अनूठा संकलन )कया था Iजसे आज भी जब-तब उपयोग करता रहता
हँू . )कसी पुःतक के समथ$न तथा 8वरोध मB )कस ूकार के वा>य िलखे जाने चा)हए,
उसके कितपय थड$ >लास नमूने उदाहरणाथ$ यहां दे रहा हँू . अ5छे उदाहरण इस कारण
नह3ं दे रहा हँू )क हमारे अनेक समी9क उसका उपयोग शुh कर दB गे.
समथ$न क बातB
ु
इस 8^ से रचना बेजोड़ है (8^ कोई भी हो). रचना मB छपा हआ
ु िनंकलुष वा:स+य,
ू
िनँछल अिभय8u मन को छती है .
छपाई, सफाई 8वशेष आकष$क है .
hप और भावC के साथ जो 8वचारC के ूतीक उभरते ह4 , उससे क8व क श8u व
संभावनाओं के ूित आःथा बनती है .
कमलमुख क कलम चूम लेने को जी चाहता है . (दMू पानवाला क, यह मेरे 8वषय मB
यu राय दे ते हए
ु संकोच उ:पHन हो रहा है परं तु उनके 8वशेष आमह को टाल भी तो
नह3ं सकता).
मनोगुdफ़C क तहC मB इतना गहरा घुसने वाला कलाकार )हHद3 उपHयास ने दसरा
ू पैदा
नह3ं )कया.
आपने ूेमचंद क परं परा को बढ़ाया है . म4 य)द यह कहंू )क आप दसरे
ू ूेमचंद ह4 तो
गलती नह3ं करता.
कहानी मB संगीता:मकता के कारण उसी आनंद क मधुर सृ8^ होती है जो गीतC मB
पऽकाWरता से हो सकती है .
8वरोध क बातB
क8वता न कहकर इसे असमथ$ ग कहना ठ6क होगा. भावांकन मB शूHयता है और भाषा
8बखर गई है .
छपाई, सफाई तथा ूूफ संबंधी इतनी भूलB खटकने वाली ह4 .
लेख कोस$ के िलए िलखा लगता है .
रचना इस यशिसv लेखक के ूित हमB िनराश करती है . ऐसी पुःतक का अभाव Iजतना
खटकता था, ूकाशन उससे अिधक अखरता है .
संतुलन और संगठन के अभाव ने अ5छ6 भाषा के बावजूद रचना को घ)टया बना )दया है .
लेखक 8ऽशंकु-सा लगता है – आबोशजHय 8ववेकशूHयता मB हाथ पैर मारता हआ
ु .
इन िनंूाण रचनाओं मB क8व का िनरा ृःशे शन उभरकर आ गया है .
पूवम
$ ह मिसत 8^कोण, पःत)हdमत, ूित)बयामःत क तड़पन व घृणा, श]द चम:कार
से कागज काला करने क िछछली श8u का थोथा ूदश$न ह3 होता है इन क8वताओं मB.
ःवयं लेखक क दिमत, कुं)ठत वासना क भCड3 अिभय8u यऽ तऽ ह3 नह3ं, सव$ऽ है .
सामाIजकता से यह अनाःथा लेखक को कहाँ ले जाएगी. जब)क मू+य अिधक है पुःतक
का.
वह- “सच कहB सर, आपको मेरे गले क कसम, झूठ बोलB तो मेरा मरा मुंह दे ख.B
आलोचना का मापदं ड >या है ? समी9क का उMरदािय:व आप कैसे िनभाते ह4 ?”
उस रात सुलोचना के कोमल हाथ अपने हाथC मB ले पाए 8बना भी म4ने सच-सच कह
)दया- “सुलोचना! आलोचना का मापदं ड पWरIःथितयC के साथ बदलता है . समूचा )हHद3
जगत तीन भागC मB बंटा है . मेरे िमऽ, मेरे शऽु और तीसरा वह भाग जो मेरे से
अपWरिचत है . सबसे बड़ा यह3, तीसरा भाग है . य)द िमऽ क पुःतक हो तो उसके गुण
गाने होते ह4 . सुर9ा करता हँू . शऽु क पुःतक के िलए छ6छालेदर क श]दावली लेकर
िगरा दे ता हँू . और तीसरे वग$ क पुःतक 8बना पढ़े ह3, 8बना आलोचना के िनबटा दे ता हँू
या कभी-कभी कुछ सफे पढ़ लेता हँू . अपने ूकाशक ने य)द )कसी लेखक क पुःतक
छापी हो तो उसक ूशंसा करनी होती है ता)क कुछ 8बक 8वक जाए. Iजस प8ऽका मB
आलोचना दे नी हो उसके गुट का खयाल करना पड़ता है . रे )डयो के ूोयूसर, पऽC के
संपादक तथा )हHद3 8वभाग के अwय9 आलोचना के पाऽ नह3ं होते. सुलोचना, सच कहता
हँू , ूयोगवाद3 धारा का अदना-सा उdमीदवार हँू . अतः हर ूगितशील बनने वाले लेखक के
Iखलाफ िलखना धम$ समझता हँू . )फर भी म4 कुछ नह3ं हँू . मुIँकल से एक-दो पुःतक
साल मB समी9ाथ$ मेरे पास आती है बस... बस इतना ह3.”
पऽ 1
8ूय भाई,
सुना है )दसंबर मB क8व सdमेलन आयोIजत करवा रहे हो अपने नगर मB. तब तो िमलना
ु
हो सकेगा. बुलवाओगे ना? यC तुम से >या छपा है ? माग$ यय और ऊपर से कुछ िमल
जाए काफ है . आsा िसर आँखC पर रख दौड़ा आऊंगा. हालां)क अभी तुdहारा पऽ इस
संबंध मB आया नह3ं है पर म4 यथ$ क औपचाWरकताओं पर 8वDास नह3ं करता. मेर3
ःवीकृ ित समझो. पऽ डालना. भाभी को ूणाम-बेबी को Lयार. 8ववाह तो हो ह3 गया होगा
ना!
तुdहारा अपना
कमलमुख
*************-************
पऽ 2
8ूय भाई,
इस अिभनव प8ऽका के ूकाशन के िलए मेर3 लाख-लाख बधाइयाँ लो. सच कहंू – कैसी
लगी? )हHद3 मB प8ऽका का जो आदश$ hप मेर3 आंखC मB है वह पूरा हो गया. )कतनी
सुंदर सAजा, कैसा वःतु चयन, >या ह3 अ5छे 8वचार. भई वाह!
तुdहारा ह3 सदा
कमलमुख
पुन- रचना भेज रहा हँू . जरा wयान रखना.
*************-************
पऽ 3
8ूय भाई,
‘धम$शाला’ मB तुdहार3 कहानी पढ़3. >या कहने ह4 . बरसC बाद अ5छ6 कहानी पढ़ पाया.
)हHद3 मB Iजसे नई कहानी कहते ह4 उसका सव$ौ
े hप तुdहार3 रचना मB है . ‘सा)ह:य-धम$’
के अगले अंक मB मेरा गीत आ रहा है . कैसा लगा बताना. बाक सब कुशल! आशा है
ःवःथ हCगे.
तुdहारा सदै व,
कमु
*************-************
पऽ 4
8ूय महोदय,
जब से आप आकाशवाणी के ूोयूसर बनकर आए ह4 , दे ख रहा हंू काय$बम का ःतर
िनरं तर उठ रहा है . बधाई लीIजए. बड़ा ौम करते ह4 . ःवाःय का wयान रIखए. एक
िशकायत भी है - रे )डयो मुझे भूल सा गया है . दो माह से कोई कांशै>ट नह3ं आया. उधर
आना चाहता हँू . िमऽC से िमलने क बड़3 इ5छा है . ज+द3 जवाब दो. दे खता हँू )क
डा)कया कब कांशै>ट लाता है . और सब ठ6क. पुःतक कब आ रह3 है छपकर- पहली ूित
म4 पढ़ंू गा. ब)ढ़या सी आलोचना िलखने को बेताब हंू . भाभी को ूणाम, बेबी को Lयार!
आपका,
कमलमुख
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पऽ 5
जनाब,
आपके ूकाशन को पांडुिल8प भेजे दस माह हो गए. अभी तक ःवीकृ ित नह3ं िमली. खेद
है . कब ूकािशत कर रहे ह4 , शीय िलIखए. इस संबंध मB मेरा यह पांचवां पऽ है .
भवद3य,
कमलमुख