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सरल रुद्राभिषेक विधान् by santosh
सरल रुद्राभिषेक विधान् by santosh
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
ा भषे
क वधान –
ा भषे
क (१) -
ावण माह म जीवन क क ठनाइय (शमशान) के
म य भगवान का अ भषे
क अथात आनं
द ही आनं
द....
अ भषेक केव भ कार म गृ ह थ केलए कम म अ धक लाभ दे नेवालेअखं ड धारा भषे
क का मह व उ ले
खनीय ह।
इसकेलए पीतल क ृ ं
गी का योग करना उ चत ह एक बड़ी ृ
ं
गी को एक बार भर दे
ने से
वो करीब 3 मनट तक धारा
वाह करता रहता ह।
वभ से
अ भषे
क के
मह व आप पु
तक म पढ़ सकते
ह परं
तु
वो आराधना ही या जो मौ लकता को मा णत
नह कर दे
इसी म म मा शु जल से
कभी अ भषे
क करके
उसक समी ा पछले
कम से
अव य कर कु
छ नवीन अ त नवीन
चे
तना मले
गी...
औघड़ दानी को "दे
ने
केभाव" पर खू
ब हं
सी आएगा...
अने
को बार जब मू
ढ यजमान अ भषेक साधना स प करके कमर सीधा करता आ उठता है
तो उसको ऐसा भाव आता
है
मानो अनेक वष क तप अभी ही पू
ण करकेहला हो...
ा ा यायी के
शु उ चारण के
साथ ा भषे
क करने
म कम से
कम 3 लोग क आव यकता होती ही ह।
अ भषे
क केलए बहोत कम मा ा म ध के
साथ काफ अ धक मा ा म जल मलाकर सू
ती कपड़े
सेछानकर के
उस से
अ भषे
क करना चा हए।
ा भषे
क सेहमारे
कु
ंडली केसभी पाप ह क शां
त वषपयत केलए वतः स प हो जाता ह। जतने
भी कार के
य ग आ द है
वो वतः शां
त होते
ह।
यू
ं
तो तांक ा भषेक केजल म अने
क औष धय केरस को भी मलाते हैअपने मं
त को शी स केलए परं
तु
यह वषय गुग य और गु
त है
लेकन भू
ल से
भी उसम "गोरोचन" का योग करना घातक स होता ह।
ा ा यायी का पाठ अ य त क ठन और अ यास क वषय व तु
हैशव जी केयो त लग पीठो म परं
परा सेकुछ
व पीढ़ दर पीढ़ चले आ रहे ह ले
कन बाक यादातर थान केबाबा पढ़ना लखना जानते
नह के वल बे
वकू
फ बनाते
ह
1
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
जै
सेक मने सू ोक 3 का उदाहरण दया था । जो लखा है
वो सं
के
ता मक है
शु उ चारण का मा इस लए
ब त अ धक ु
ट होता ह।
सू ोक 3 –
मू
ल-
या मषु रश त ह तेबभ य तवे
। शवा र ताङ्
कु मा ह गू
म सी: पुष गत्
॥३॥
शु पाठ -
जा मखु रश त ह तेबभ य तवे
। शवा र ताङ्
कु मा ह गू
म सीही पुख गत ॥ ३ ॥
अतः मने ोक 3 क ही भांत पू
रा पा (DECODED) ा ा यायी का ले
खन आर भ कया जो क अभी ग तशील
है
। जसको थोड़ा कम संकृत का जानकार भी शु शु पढ़ सकता ह।
ले
कन जो लोग थोड़ा भी सं
कृत नह जानते
ह उनकेलए अ भषे
क का सरल और सु
सा य म लखू
ग
ंा...
ा भषे
क (2) -
वधान अ ल खत है
। ज ह सं
कृत पढने
म सम या हो वो सभी नीले
कलर म लखे ोक को ॐ नमः शवाय से
र ले
स कर द ।
परं
तु
यथा सं
भव य द पाठ कर सके
तो बहोत उ म होगा ।
काले
कलर म लखे ोक मंआ द पढ़ना ही पढ़ना है
। न वक प ह।
नाग पं
चमी/महा शवरा / ावण क माष शवरा / पूरेावण माह /पुषो म माह म कभी भी अ भषे
क कया जा
सकता ह। फर भी नागपं
चमी और महा शवरा का मह व बहोत अ धक ह।
जय गुदे
व।ε
हर हर महादे
व।
2
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
3
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
ज बूपे भरतख डे भारतवष, काशी ेे - - - - - - - नगरे
, वरोधीकृ त स व सरे
, मासो मे मासे
ावण मासे, शुल प े , पु
यायां
प चमी तथौ, - - - - वासरे , ना प चमी महापव , - - - - - - - -
गो ो प : - - - - - - - नाम गु
ता/शमा/वमा अहं , ु त मृ त पुराणो , फलावा तकामनया,
ाता ात का यक वा चक मान सक सकल पाप नवृ पू वकं , सकल आ थक भौ तक
आ या मक उ त ा यथ ी सदा शव ी यथ ी शव सश , सपुान्, सगणान् पू जनं
च ा भषे कं क र ये ।
4
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
गौरी पू
जन -
ॐ नमो देै
महादेै शवायै सततं नम: । नम: कृयै
भ ायै
नयता: णता: मताम् ॥
ॐ अ बे
अ बके अ बा लकेन मा नय त क न । सस य क: सुभ कांका पील वा सनीम् ॥
हे
मा तनयांदे
व वरदां
शंकर याम् । ल बोदर य जनन गौरीमावाहया यहम् ॥
नं
द र पूजन -
ॐ आयं गौ: पृर मीद सदन् मातरं पु
र: । पतरं च य व: ॥
ॐ ै
तु
वाजी क न द ा नद ासभ: प वा । भर नं पु
री यंमा पा ायु
ष: पु
रा ॥
वीरभ पूजन -
ॐभ ं
कण भ: ृणुय ाम दे
वा भ ं
प येमा भयज ा: । थरै र ै तुुवा गू
ं
स तनू
भ शे
मह
देव हतं
यदायु
:॥
ॐ भ ो नो अ नरा तो भ ा रा त: सु
भग भ ो अ वर: । भ ा उत श तय: ॥
का तकेय पूजन -
ॐ यद ं
द: थमं जायमान उ समुा त वा पु रीषात् । ये न य प ा ह रण य बा उप तुयं
म ह जातंतेअवन् ॥
ॐ य बाणा: स पतंत कु
मारा व शखा इव । त इंो बृ ह प तर द त: शम य छतुव ाहा शम
य छतु ॥
कु
बेर पू
जन -
ॐ कु
वद यवमं
तो यवंच था दा यनुपू
व वयूय । इहे
हष
ैां
कृणु
ह भोजना न ये
ब हषो नम उ
यजं त॥
ॐ वय गू
ंसोम ते तव मन तनूषुब त: । जावंत: सचे
मह॥
सप पूजन -
जलहरी म सप का आकार हो तो सप का पू
जन कर प ात शव पू
जन कर ।
ॐ नमो तु
सप यो येके
च पृ थवीमनु। ये
अं तर ेयेद व ते
य: सप यो नम: ॥
अनं
ता ान् महा कायान् नाना म ण वरा जतान् । आवाहया यहम् सपान् फणा
स तक म डतान् ॥
गं
गा पू
जन -
उ फुलामल पु
डरीक चरा कृणे
श व या मका, कुभो ा भय तोयजा वदधती
े
ता बरालंकृता ।
ा या श श शे
खरा खल नद शोणा द भ: सेवता, येय ा पाप वना शनी मकरगा भागीरथी साधकै
:
॥
ॐ इमं म गं
गेुधी हवम ा च मृ
डय वामव यु राचके । अध य करे देव चंचूड़ ये नघे।
नज प समासा ाग छ मम् स धो भव ॥
चंपूजन -
द ध शं
ख तु
ष ाराभंीरो दाणव स भवम् । यो ना प त नशा नाथं
सोममावाहया यहम् ॥
5
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
क तमुख पूजन -
ॐ असवेवाहा वसवेवाहा वभु वेवाहा वव वतेवाहा गण येवाहा गणपतयेवाहा
अ भभु
वेवाहा अ धपतयेवाहा शूष ाय वाहा स गू
ं
सपाय वाहा चंाय वाहा यो तषेवाहा
म ल लु चाय वाहा दवा पतयतेवाहा ॥
ॐ ओज मे सह म आ मा च मे तनूमे शम च मे वम च मे
अङा न च मे
अ थी न च मे
प गू ं
ष च मे
शरीरा ण च म आयुमे जरा च मेय े
न क प ताम् ।
ये
कव था केलए शव लग पर एक एक व व प अभाव म गं
धा त चढाएं
।
स ोजात थापन -
प मं
पू
ण चंाभं
जगत्
सृ करो वलम् । स ोजातं
यजे
त सौ यं
मं
द मत मनोहरम्
॥
वामदे
व थापन -
उ रंव म यं
व थ त करंवभु
म्। स वलासं नयनं
वामदे
वंपू
जये
त्
॥
अघोर थापन -
द णं
नील जीमू
त भं
सं
हार कारकम्
। वक ूकुटलं
घोरम घोरा यं
तमचये
त्
॥
त पुष थापन -
यजे
त पू
व मु
खंसौ यं
बालाक स श भम् । तरोधान कृयपरं ं
त पुषा भधम्
॥
ईशान थापन -
ईशानंफ टक यं
सव भू
तानु
कंपतम् । अतीव सौ यम कार - पं
ऊ वमु
खंयजे
त्
॥
ॐ उमा महेरा यांनम: यानंसमपया म ।
आवाहन -
अ त छड़क द ।
ॐ नम ते म यच उतो त इखवे नम: । बा यामुत तेनम: ॥
ए ेह गौरीश पनाक पाणे शशांक मौले वृ
षभा ध ढ़ ।
दे
वा ध दे
वेश महेश न यंगृ
हाण पू
जां भगवन्नम ते ॥
आवा ा म दे
वे
शमा द म या त व जतम्। आधारंसव लोकानामा ताथ दा यनम्
॥
ॐ उमा महेरा यां नम: आवाहनं समपया म ।
आसन -
कमल ( या गु
लाब या व वप )पु
प चढ़ाय ।
6
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
ॐ या ते शवा तनूरघोरा Sपापका शनी । तया न त वा श तमया ग रश ता भ
चाकशी ह ॥
व ा मनेनम तु
यंचद बर नवा सने । र न सहासनंचा ददा म क णा नधे ॥
ॐ उमा महेरा यांनम: आसनाथ पु पंसमपया म ।
अ भषे
क–
सू –
7
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
मा नो वधीही पतरम् मोत मातरम् मा नह या त वो री रखह ॥
मा न तोकेतनयेमा न आयु ख मा नो गोखुमा नो अ े
खु री रखह ।
मा नो वीरान् भा मनो वधीह व म तह सद मत् वा हवामहे ॥
ॐ उमामहेरा यांनम: अ भषे कंसमपया म ।
शां
या भषे
क-
ॐ ौहौ शा तर त र गूं
शां
त ह पृथवी शा तरापह शां
तरोखधयह शांत ह । वन पतयह
शां
तव े दे
वाहा शां
त ा शांत ह सव गूं
शांत ह शां
तरे
व शां
त ह सा मा शां
तरे
ध।
अब भगवान को व , उपव , गं
ध , सु
गं
ध , अ त , एवं
पुप अ पत कर ।
भ म-
अ नहो समुत
ूंवरजाहोमपा वतम्। गृ
हाण भ म हेवा मन्भ ानां
भूतदायक ॥
ॐ उमा महेरा यां नम: भ म समपया म ।
भ म अ पत कर ।
व वप –
यथासंया उपल ध व वप शव जी को चढाएं ।
ॐ नमो ब मने च कव चने च नमो व मणे च व थने च।
नम: ुताय च ुतसेनाय च नमो याय चाहन याय च ।
दलं गु
णाकारं नेंच धायु धम् । ज मपाप सं हारंमे
क ब वं शवापणम्
॥
दशनं
ब वप य पशनं पापनाशनम् । अघोर पाप संहारं
मेक ब वं शवापणम्॥
अंगपूजा -
ये
क बार गं
धा तपु प से शव जी केव भ स बं धत अंग को पूजत कर ।
ॐ भवाय नम: पादौ पूजया म । ॐ जग प े नम: जं
घेपूजया म ।
ॐ मृ डाय नम: जानु
न पूजया म । ॐ ाय नम: ऊ पू जया म ।
ॐ काला तकाय नम: क ट पूजया म । ॐ नाग ाभरणाय नम: ना भ पू
जया म ।
ॐ त ाय नम: तनौ पू जया म । ॐ भवनाशनाय नम: भुजान् पू
जया म ।
ॐ कालकं ठाय नम: कंठंपू
जया म । ॐ महे
शाय नम: मु
खं पूजया म ।
ॐ ला य याय नम: ललाटं पू
जया म । ॐ शवाय नम: शर: पू जया म ।
ॐ णता तहराय नम: सवा य ा न पूजया म ।
अ मू त पू
जा -
ये
क बार मंजप कर गं
धा त, पुप, ब वप अ पत कर ।
ॐ शवाय तमूये नम: । ॐ भवाय जलमूये नम: ।
ॐ ाय अ नमूये नम: । ॐ उ ाय वायु
मूयेनम: ।
ॐ भीमाय आकाशमूये नम: । ॐ ईशानाय सू
यमूयेनम: ।
ॐ महादे
वाय सोममूये
नम: । ॐ पशुपतयेयजमानमूये नम: ।
प रवार पू
जन -
8
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
भगवती पू जन -
ये
क बार मंजप कर शव लग पर गं धा त, पुप, अ पत कर ।
ॐ उमायैनम: । ॐ शंकर यायै नम: । ॐ पाव यैनम: ।
ॐ गौय नम: । ॐ का यै नम: । ॐ का ल ै नम: ।
ॐ को टदेै नम: । ॐ व धा र यै नम: । ॐ गं
गा देै नम: ।
नवश न् पू
जया म, सव पचाराथ गंधा तपु पा ण समपया म ।
गण पूजन -
ये
क बार मंजप कर शव लग पर गं धा त, पुप, अ पत कर ।
ॐ गणपतये नम: । ॐ का तकेयाय नम: । ॐ पुपदंताय नम: ।
ॐ कप दने नम: । ॐ भैरवाय नम: । ॐ शूलपाणये नम: ।
ॐ च डेशाय नम: । ॐ द डपाणये नम: । ॐ नं
द राय नम: ।
ॐ महाकालाय नम: । ॐ वीरभ ाय नम: ।
सवान् गणा धपान् पू जया म, सव पचाराथ गंधा तपु पा ण समपया म ।
एकादश पू
जन -
ये
क बार मंजप कर शव लग पर गं धा त, पुप, अ पत कर ।
ॐ अघोराय नम: । ॐ पशुपतयेनम: । ॐ शवाय नम: ।
ॐ व पा ाय नम: । ॐ व पणेनम: । ॐ य बकाय नम: ।
ॐ कप दनेनम: । ॐ भैरवाय नम: । ॐ शूलपाणये नम: ।
ॐ ईशानाय नम: । ॐ वामदेवाय नम: ।
एकादश ान् पू जया म, सव पचाराथ गंधा तपु पा ण समपया म ।
सौभा य -
अबीर, गु
लाल आ द चढ़ाय ।
धू
प-
अगरब ी जलाय ।
दप-
व लत द पक पर घं
ट ावादन करतेए अ त छोड़ द ।
नैवे-
नै
वेके
उपर ब वप या पु
प ो ण करतेए अपण कर एवंन न प च ाणा न मं का एक
एक बार जप कर –
ॐ ाणाय वाहा । ॐ अपानाय वाहा । ॐ ानाय वाहा ।
ॐ उदानाय वाहा । ॐ समानाय वाहा ।
अब भगवान को चं
दन, ता बू
ल, द णा एवं
नीराजन अ पत कर ।
यान -
वं
दे
दे
वउमाप त सु
रगु
ंवं
दे
जग कारणं
, वं
देप गभू
षणं
मृ
गधरं
वं
दे
पशू
ना प तम् ।
9
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
वं
देसू
यशशां कव हनयनं वं
दे
मुकु
ंद यं, वं
देभ जना यं च वरदं वंदेशवंशक
ंरं॥
शां
तं प ासन थं श शधरमुकुटंप चव ं नेम्, शू लं
व ं च खड् गंपरशुमभयदंद णां गं
वह तम् ।
नागंपाशंच घं
ट ा डम क स हतंसां
कुशंवामभागे, नानालं
कारयुंफ टकम ण नभं पावतीशं
नमा म ॥
कपूरगौरंक णावतारं सं
सारसारंभु
जग हारं। सदावसं तंदयार वदेभवं भवानी स हतंनमामी ॥
ॐ उमा महेरा यांनम: नीराजनं दशया म ।
जल आरती -
ॐ ौहौ शा तर त र गूं
शां
त ह पृथवी शा तरापह शां
तरोखधयह शांत ह । वन पतयह
शां
तव े दे
वाहा शां
त ा शांत ह सव गूं
शांत ह शां
तरे
व शां
त ह सा मा शां
तरे
ध।
महा मंराज –
यू
नतम 11 माला जप आं
ख बं
द करकेयान क त करकेशव के
परम आनं
द म डू
ब कर कर ।
॥ ॐ नम: शवाय ॥
जप समपण -
ॐ गुतगु गो ता वं
गृ
हाणा मतकृ
तंजपं। स भवतु
मेदे
व वत सादान महेर: ॥
नम कार -
ॐ नम: श भवाय च मयोभवाय च नम: शं कराय च मय कराय च नम: शवाय च शवतराय च ।
तव त वं न जाना म को शो स महेर । या शो स महादे
व ता शाय नमो नम: ॥
नेाय नम तु यंउमादे
हाधधा रणे। शू लधा रणे तुयंभूताना पतये नम: ॥
गं
गाधर नम तु यंवृषभ वज नमो तुते। आशु तोष नम तु यंभूय ो भू
य ो नमो नम: ॥
ॐ नधनपतये नम: । नधनपता तकाय नम: । ऊ वाय नम: । ऊ व लगाय नम: । हर याय नम: ।
हर य लगाय नम: । द ाय नम: । द लगाय नम: । भवाय नम: । भव लगाय नम: । शवाय नम:
। शव लगाय नम: । शवाय नम: । शव लगाय नम: । वालाय नम: । वल लगाय नम: । आ माय
नम: । आ म लगाय नम: । परमाय नम: । परम लगाय नम: ।
एतत् सोम य सू य य सव लग (गूं
) थापय त पा ण मंप व म् ।
ॐ उमा महेरा यांनम: नम कारो म ।
समपण -
गतं
पापं गतं:खं गतंदा र य
्मे
व च । आगता सुख स प : पु
या च तव दशनात् ॥
दे
वो दाता च भो ा च दे
व प मदंजगत् । दे वं
जप त सव यौ दे
व: सोहमे
व ह॥
10
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
साधुवासाधु
वा कम य दाच रतंमया । तत् सव कृपया दे
व गृ
हाणाराधनंमम् ॥
शं
ख या आचमनी का जल दे व केद ह त म देतेए सम त पूजा फल उ हे सम पत कर द ।
अने
नकृत पू
जाकमणा ीसं वदा मक: सा बसदा शव: ीयं
ताम् । ॐ तत् सद ापणम तु ।
इसके
बाद वै
दक, गृ
ह थ या सं
कृत आरती कर पु
पां
जलद।
आरती -
कपूरगौरंक णावतारं संसारसारंभुजग हारं । सदावसं तंदयार वदे भवं
भवानी स हतं नमामी ॥
जय शव ॐ कारा, भज शव ॐ कारा । ा व णु सदा शव अ गी धारा ॥ १ ॥
ॐ हर हर हर महादे व ***
एकानन चतु रानन पंचानन राजै। हं
सासन ग ड़ासन वृ षवाहन साजै ॥ २ ॥ ॐ हर हर...
दो भु
ज चा चतु भुज दशभु ज अ त सोहै । तीनो प नरखते भु वन जन मोहे ॥ ३ ॥ ॐ हर हर..
अ माला वनमाला ं डमाला धारी । पु रानाथ मुरारी करमाला धारी ॥ ४ ॥ ॐ हर हर...
े
ता बर पीता बर बाघा बर अंगे
। सनका दक ग ड़ा दक भू ता दक सं गे॥ ५ ॥ ॐ हर हर...
कर म ये इक म डल च शूल धता । सु खकता :खहता सु ख म शव रहता ॥ ६ ॥ ॐ हर हर..
काशी म व नाथ वराजे नद चारी । नत उठ योत जलावत दन दन अ धकारी ॥ ७ ॥
ॐ हर हर...
ा व णु सदा शव जानत अ ववे का । णवा र ॐ म ये येतीन एका ॥ ८ ॥ ॐ हर हर...
गु
णा वामी क आरती जो कोइ नर गावे , यारांमन शुहोय जावे , यारां
पाप परा जावे
, यारे
सुख स प आवे , यारां:ख दा र य जावे , यारे घर ल मी आवे , भणत भोलानं द वामी, रटत
शवानंद वामी इ छा फल पावे ॥ ९ ॥ ॐ हर हर हर महादे व…..
जैशव ॐ कारा -
जैशव ॐ कारा ।
मन भज शव ॐ कारा । मन रट शव ॐ कारा ॥ हो शव भू री जटावाला ।
हो शव द घ जटावाला ॥ हो शव भाल चंवाला । हो शव तीन नेवाला ॥
हो शव ऊपर गं गधारा । हो शव बरसत जलधारा ॥ हो शव ती नेवाला ।
हो शव गल वच ड् माला ॥ हो शव क बुीव वाला । हो शव भ मी अं ग वाला ॥
हो शव फ णधर फण धारा । हो शव वृ षभ कं ध वाला ॥ हो शव ओढ़त मृ ग छाला ।
हो शव धारण मु ड माला ॥ हो शव भूत े त वाला । हो शव बैल चढ़ण वाला ॥
हो शव पारबती यारा । हो शव भ न हत कारा ॥ हो शव दलन वाला ।
हो शव पीवत भं ग याला ॥ हो शव म त रहन वाला । हो शव दरसन द भोला ॥
हो शव परसन हो भोला । हो शव बरसो जलधारा ॥ हो शव काटो जमफासा ।
हो शव मे
ट ो जम ासा ॥ हो शव रहते मत वाला । हो शव ऊपर जल धारा ॥
हो शव ई र ॐ कारा । हो शव बम बम बम भोला ॥ ा व णुसदा शव,
भोले भोलेनाथ महादे व अ ागी धारा । ॐ हर हर हर महादे
व॥
11
ा भषे
क वधान –
Santosh Kumar Gupta
आरती के
बाद भ भाव से
सर झु
काकर शव तु
त कर -
शव तु त-
वंदेदे
व उमा प त सु
र गु
ंवं
देजग कारणं
, वं
देप ग भू
षणं
मृ
ग धरंवं
दे
पशूना प तम् ।
वंदेसू
य शशांक व ह नयनंवं
दे
मुकु
ं
द यं , वं
दे
भ जना यं च वरदं
वं
देशवं शंकरं
॥
फर हाथ म पु
प ले
कर मंपु
पां
ज ल पढ़तेए सदा शव को पु
प अपण कर -
12