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िविश ट या यान
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लोक राजनय
भारत की िवदेश नीित: 2014-19: प्रमुख घटनाएँ, उपलि धयाँ और चुनौितयाँ भारत पिरप्रे य

िविश ट या यान

By: राजदूत (सेवािनवृ ) अचल म ोत्रा वृ िचत्र


Venue: राज थान कद्रीय िव विव ालय
Date: जुलाई 22, 2019
यह भी देख

माननीय उपकु लपित महोदय, संकाय के गणमा य सद यगण, िप्रय छात्रों

िविश ट अितिथगण देिवयों और स जनों

आरंभ म म भारत की िवदेश नीित पर एक वाता आयोिजत करने की पहल के िलए राज थान के कद्रीय िव विव ालय के उपकु लपित को ध यवाद देना चाहूगँ ा, यह
हमारे देश म एक ऐसे िवषय म िच पैदा करने के िलए एक लंबा रा ता तय करेगा, िजस पर बहुत कम बहस होती है। म इस प्रिति ठत या यान श्रृंखला कायक्रम के
ँ मुझे िदया गया िवषय है :
अंतगत वाता करने के िलए मुझे आमंित्रत करने के िलए िवदेश मंतर् ालय को ध यवाद देता हू।

भारत की िवदेश नीित: 2014-19: प्रमुख घटनाएँ: आगे की प्राथिमकताएँ और चुनौितयाँ

मने अपनी बात को तीन खंडों म िवभािजत िकया है: आरंभ म म सं ेप म िवदेश नीित और कूटनीित की पिरभाषाओं और भारत की िवदेश नीित के उ े यों और मौिलक
िस ांतों पर बात क ँ गा। इसके बाद म िपछले पाँच वष म भारत की िवदेश नीित के मह वपूण ेतर् ों और थलों पर कु छ िव तार म प्रकाश डालूँगा और अंत म म िवदेश
नीित की प्राथिमकताओं और चुनौितयों को सामने रखूँगा।

िवदेश नीित और कूटनीित: पिरभाषा: म प्र यात िव ानों और प्रमुख राजनीितक वै ािनकों ारा प्र तािवत िवदेश नीित की जिटल पिरभाषाओं से आपको बोिझल नहीं
करना चाहता। एक पेशेवर के प म, म िवदेश नीित को एक ऐसे ढांचे के प म देखता हू ँ िजसम िकसी िनिद ट देश की सरकार बाहरी दुिनया के साथ अपने संबध
ं ों को
िविभ न व पों अथात् ि प ीय, ेतर् ीय और बहुप ीय या वैि वक प म संचािलत करती है।

कूटनीित,देश की िवदेश नीित के उ े यों को प्रा त करने की दृि ट से,दुिनया के बाकी िह सों के साथ देश के संबध
ं ों को प्रबंिधत करने का एक पेशा,कौशल और कला
है। मोटे तौर पर, कूटनीित राजनीितक,आिथक या सां कृितक हो सकती है और आदश प से इ ह साथ िमलकर क्रमब प से काम करना चािहए। एक िनयम के
प म, कूटनीित का अनुसरण, थािपत राजनियक चैनलों और तंतर् के मा यम से िकया जाता है। यह हमेशा पारदश और सावजिनक ान म हो सकती है या नहीं भी
हो सकती है। कभी-कभी इसे िपछले ार के चैनलों के मा यम से या अनौपचािरक ट् रैक 1.5/ट् रैक 2तंतर् के मा यम से भी आगे बढ़ाया जा सकता है।

भारत की िवदेश नीित: मु य उ े य: रा ट् रीय िहतों को सुरि त करना और समावेशी िवकास सुिनि चत करना

िकसी भी अ य देश की तरह- भारत की िवदेश नीित का मु य और पहला तथा सबसे मह वपूण उ े यअपने रा ट् रीय िहतों को सुरि त करना है। "रा ट् रीय िहतों" का
दायरा बहुत यापक है। उदाहरण के िलए, हमारे मामले म इसम: ेतर् ीय अखंडता की र ा करने के िलए हमारी सीमा को सुरि त करना,सीमा पार आतंकवाद का
सामना करना, ऊजा सुर ा,खा सुर ा, साइबर सुर ा,िव व तर के बुिनयादी ढांचे का िनमाण, गैर-भेदभावपूण वैि वक यापार प्रथाएं, पयावरण की सुर ा के िलए
समान वैि वक िज मेदारी, समकालीन वा तिवकताओं, िनर त्रीकरण, ेतर् ीय ि थरता, अंतरा ट् रीय शांित इ यािद और इ ह प्रितिबंिबत करने के िलए वैि वक शासन के
सं थानों का सुधार शािमल है।

अपने िवकास के प्र ेपवक्र को बनाए रखने के िलए, भारत को पया त बाहरी आदानों की आव यकता है। हमारे मेक इन इंिडया,ि कल इंिडया, माट िसटीज, बुिनयादी
ढांचे का िवकास, िडिजटल इंिडया, व छ भारत आिद जैसे चल रहे कायक्रमों को सफल होने के िलए,िवदेशी साझेदारों, िवदेशी प्र य िनवेश, िव ीय सहायता और
प्रौ ोिगकी के ह तांतरण की आव यकता है। हाल के वष म इस पहलू पर भारत की िवदेश नीित के अितिर त यान किद्रत करने का पिरणाम राजनीितक कूटनीित
के साथ आिथक कूटनीित को एकीकृत कर िवकास के िलए कूटनीित करने के प म दृि टगोचर ह।

दुिनया भर म भारत के अिनवासी भारतीय और भारतीय मूल के यि तयों की सं या 200 लाख है। हमारे प्रमुख उ े यों म से एक उ ह जोड़ना और िवदेशों म उनकी
उपि थित से अिधकतम लाभ प्रा त करना तथा इसके साथ-साथ जहाँ तक संभव हो उनके िहतों की र ा करना है।

सं ेप म, हमारी िवदेश नीित के कम से कम चार मह वपूण ल य ह: 1. भारत को पारंपिरक और अपारंपिरक खतरों से बचाना,2. एक ऐसा बाहरी वातावरण बनाना जो
ं सके,3. यह सुिनि चत करना िक वैि वक मंचों पर भारत की आवाज़ सुनी
भारत के समावेशी िवकास के िलए अनुकूल हो तािक देश म िवकास का लाभ गरीबों तक पहुच
जाए और भारत आतंकवाद, जलवायु पिरवतन, िनर त्रीकरण,वैि वक शासन के सं थानों के सुधार जैसे िवषयों पर वैि वक राय को प्रभािवत कर सके, और 4:
भारतीय प्रवािसयों को जोड़ना तथा उनकी र ा करना है।

गितशील दुिनया: पूवसिक्रय और यावहािरक दृि टकोण


हम एक गितशील दुिनया म रहते ह। इसिलए भारत की िवदेश नीित सिक्रय और लचीली होने के साथ-साथ यावहािरक होने के िलए तैयार है, तािक िवकिसत ि थितयों
पर प्रितिक्रया देने के िलए इसम विरत समायोजन िकया जा सके। हालांिक, अपनी िवदेश नीित के काया वयन म,भारत मूल प से बुिनयादी िस ांतों के एक समूह
का पालन करता है,िजन पर कोई समझौता नहीं िकया जाता है।

िवदेश नीित: मौिलक िस ांत और िवशेषताएँ

इन मौिलक िस ांतों म शािमल ह:

पंचशील
पंचशील, या पाँच स गुण, िज ह पहली बार चीन और भारत के बीच ित बत ेतर् म यापार पर हुए समझौते म थािपत िकया गया और 29 अप्रैल, 1954 को
औपचािरक प से ह ता िरत िकया गया था और बाद म ये िव व तर पर अंतररा ट् रीय संबध ं ों के संचालन के आधार के प म काय करने के िलए िवकिसत हुए। ये
पाँच िस ांत ह: एक-दूसरे की ेतर् ीय अखंडता और संपर् भुता के िलए पार पिरक स मान, ii. पार पिरक अनाक्रामकता, iii.पार पिरक ह त ेप न करना, iv.
समानता और पार पिरक लाभ, तथा v. शांितपूण सह-अि त व।

वसुधैव कु टु बकम (िव व एक पिरवार है) सबका साथ,सबका िवकास, सबका िव वास की अवधारणा इससे संबिं धत है। दूसरे श दों म, संपण
ू िव व समुदाय एक बड़े
वैि वक पिरवार का एक िह सा है और पिरवार के सद यों को शांित और स ाव म साथ रहना चािहए,काम करना चािहए और साथ िमलकर आगे बढ़ना चािहए तथा
पार पिरक लाभ के िलए एक दूसरे पर भरोसा करना चािहए।

भारत िवचारधाराओं के िनयात और यव था के बदलाव का िवरोध करता है।

भारत लोकतंतर् म िव वास करता है और उसका समथन करता है, हालाँिक,भारत िवचारधाराओं के िनयात म िव वास नहीं करता। इसिलए भारत ने आज की सरकारों
से समझौता करने का प्रयास िकया है, चाहे वह लोकतंतर् हो,राजतंतर् हो या सै य तानाशाही हो। भारत का मानना है िक अपने नेताओं को चुनने या हटाने या शासन
के प को बनाए रखने या बदलने का िनणय देश के लोगों पर छोड़ देना सबसे अ छा है। उपयु त िस ांत के िव तार से, भारत िकसी अ य देश या देशों के समूह ारा
बल या अ य मा यमों से िकसी िवशेष देश म ेतर् ीय उ लंघन या शासन पिरवतन के िवचार का समथन नहीं करता है। (उदाहरण- इराक, लीिबया,सीिरया म अमेिरकी
ह त ेप या जॉिजया, यूक्रेन आिद म स का ह त ेप।)

साथ ही, जहाँ भी संभावना हो, भारत वहाँ लोकतंतर् को बढ़ावा देने म कोई संकोच नहीं करता, यह काय संबिं धत सरकार की प ट सहमित के साथ मता िनमाण और
लोकतंतर् की सं थाओं को मजबूती प्रदान करने के िलए िकया जाता है। (उदाहरण- अफ़ग़ािन तान)

भारत एकतरफा प्रितबंध/सै य कारवाई का समथन नहीं करता है-

भारत िकसी अ य देश या देशों के समूह ारा िकसी भी देश के िव प्रितबंधों/सै य कारवाई को लागू करने के िवचार का समथन नहीं करता, जब तक िक
अंतरा ट् रीय सवस मित के पिरणाम व प संय ु त रा ट् र ारा इन प्रितबंधों/सै य कारवाइयों को मंजूरी नहीं दी गई हो। इसिलए भारत केवल ऐसे शांित थापना सै य
अिभयानों म योगदान देता है, जो संय ु त रा ट् र शांित थापना बल का िह सा ह।

(भारत ने लगभग 195,000सैिनकों का योगदान िदया है, जो िकसी भी देश की तुलना म सबसे बड़ी सं या है, 49 से अिधक िमशनों म भाग िलया और 168 भारतीय
शांित सैिनकों ने संय ु त रा ट् र िमशनों म सेवा करते हुए सवो च बिलदान िदया है। भारत ने संय ु त रा ट् र िमशनों के िलए प्र यात फोस कमांडर भी प्रदान िकए ह
और कर रहा है।)

दखल अंदाजी: नहीं; ह त ेप: हाँ

भारत अ य देशों के आंतिरक मामलों म ह त ेप करने म िव वास नहीं करता है। हालाँिक, अगर कोई देश अनजाने म या जानबूझकर ऐसा काय करता है - िजसके
भारत के रा ट् रीय िहतों से टकराने की संभावना है, तो भारत विरत और समय पर ह त ेप करने म संकोच नहीं करता। इसे यान म रख: ह त ेप गुणा मक प से
दखलअंदाजी से अलग है, खासकर तब, जब ह त ेप संबिं धत देश के अनुरोध पर िकया जाता है। (उदाहरण: बां लादेश 1971, श्रीलंका म आईपीकेएफ (1987-
90), मालदीव (1988)।

आक्रामकता से अिधक रचना मक कायकलाप

भारत आक्रामकता के बदले रचना मक जुड़ाव की नीित की वकालत करता है। यह मानता है िक िहंसक प्रितशोध और टकराव मामलों को केवल जिटल बनाते ह।
यु कोई हल नहीं है, हर यु के बाद पर पर िवरोधी प अंतत: वाता की मेज पर आते ह,लेिकन तब तक बहुत नुकसान हो चुका होता है। यह बात िवशेष प से
पािक तान पर लागू होता है- जो भारत को लि त कर रा य प्रायोिजत आतंकवाद की उ पि का स्रोत है।

जुड़ाव की नीित को भारत की कमजोरी समझने की गलती करने की अनुमित नहीं है। जब-जब हमारे धैय की परी ा ली जाती है, हर बार भारत से मजबूत और जोरदार
संदेश िनकलता है। िसतंबर 2016म पािक तान के क जे वाले भारतीय ेतर् म आतंकवादी-लांच पैडों को िनशाना बनाने के िलए सिजकल ट् राइक एक ऐसा ही
उदाहरण है। प ुलवामा आतंकवादी हमले के प्रितशोध म फरवरी 2019म बालाकोट म आतंकवादी िशिवरों पर एयर ट् राइक इसका एक और उदाहरण है।

रणनीितक वाय ता: साझेदारी-हाँ, गठबंधन: नहीं

िनणय लेने की वतंतर् ता और रणनीितक वाय ता भारत की िवदेश नीित का एक और मह वपूण प है। इस प्रकार भारत साझेदािरयों म िव वास करता है और
गठबंधनों, िवशेषकर सै य गठबंधनों से दूर रहता है।

वैि वक आयाम के मु ों पर वैि वक सहमित

भारत िव व यापार यव था, जलवायु पिरवतन,आतंकवाद, बौि क संपदा अिधकार, वैि वक शासन जैसे वैि वक आयाम के मु ों पर एक वैि वक बहस और वैि वक
सहमित की वकालत करता है।

िवदेश नीित: कारवाई म: 2014-19 अभूतपूव कूटनीितक पहुच


िविभ न महा ीपों और गोला म छोटे , म यम और बड़े देशों को शािमल करने वाली अभूतपूव कूटनीितक पहुच ँ , िपछले पाँच वष म भारत की िवदेश नीित की िविश टताओं
म से एक थी। रा ट् रपित, प्रधानमंतर् ी,उपरा ट् रपित, िवदेश मंतर् ी और मंित्रयों के तर पर उ च- तरीय आवक और बाहर जाने वाले दौरों की सं या म काफी वृि
ं शीष नेतृ व ने समान समय वाले ेतर् ों के पार
हुई। हमारे पड़ोस सिहत, कु छ मामलों म, दस से साठ वष के अंतराल के बाद प्रधानमंतर् ी के तर पर यात्राएं हुई।
दुिनया के लगभग सभी देशों से संपक िकया। बड़े और छोटे , सभी देशों के साथ इस कूटनीितक िव तार ने "वसुधैव कु टु बकम” अथात् "िव व एक पिरवार है" की
भावना से बड़े और छोटे देशों के साथ संबध
ं बनाने की सरकार की प्रितब ता को रेखांिकत िकया।

कु ल िमलाकर, िवगत पाँच वष म भारत की बेजोड़ विरत कूटनीितक य तता के कई सकारा मक प्रभाव रहे। इसने मौजूदा ि प ीय िर तों के गुणा मक उ नयन म
सहायता की और ेतर् ीय और वैि वक मु ों पर सम वय बढ़ाया। इसने संबध
ं ों को प ुनज िवत िकया और उ ह मजबूत बनाया तथा इसके साथ-साथ कई ेतर् ों म
पार पिरक प से प ु ट साझेदारी के िलए नए दरवाजे खोले।

अब म भारत की िवदेश नीित के कु छ िविश ट ेतर् ों पर यान देता हू:ँ भारत की पड़ोस पहले की नीित

भारत ेतर् फल और जनसं या दोनों के मामले म दि ण एिशया का सबसे बड़ा देश है, भारत की अथ यव था सुदृढ़ है और इसकी िवकास दर इस ेतर् के अ य देशों
की तुलना म अिधक है। अंतरा ट् रीय मामलों म एक मह वपूण िखलाड़ी के प म भारत का कद बढ़ रहा है। एक िज मेदार परमाण ु शि त संप न रा य के प म भारत
की साख और अंतिर प्रौ ोिगकी म इसकी प्रमािणत मताएं िव व यापी ह। इन िवषमताओं ने इस ेतर् म, भारत के प्रित िव वास की कमी की भावना उ प न की
है। पड़ोसी देशों म िनिहत वाथ ने गलत तरीके से बयानबाजी की है और भारत का "बड़े धमकाने वाले" या "बड़े भाई" के प म वणन िकया है। कु छ देशों म समाज
के ऐसे वग ह जो "भारत का िवरोधी" होने को "देशभि त" के बराबर मानते ह।

मई 2014 म प्रभावी जनादेश के साथ नई सरकार का पहला काय था अपनी "पड़ोस पहले नीित" का अनावरण करना। इसका मु य उ े य िव वास की कमी को दूर
करना,संबध
ं ों को िफर से थािपत करना और िमत्रता के प ुलों का िनमाण तथा पूरी तरह से पार पिरक प से लाभप्रद सहयोग की समझ बनाना था।

वा तव म नई सरकार ारा हमारे पड़ोिसयों तक पहुच ँ ने की पहल श्री मोदी ारा औपचािरक प से प्रधानमंतर् ी का पद संभालने से पहले ही आरंभ कर दी गई थी।
सभी रा ट् रा य ों और साक सद यों को 26 मई 2014 को प्रधानमंतर् ी मोदी के शपथ ग्रहण समारोह म भाग लेने के िलए िनमंतर् ण भेजा गया था। इस आमंतर् ण ने
एक प्रबल और प ट संदेश भेजा िक भारत ने नए राजनीितक िव तार म दि ण एिशया म अपने पड़ोिसयों के साथ अपने संबध ं ों और ेतर् के एकीकरण को बहुत
मह व िदया है। समारोह म इस ेतर् के सभी रा ट् रा य ों और सरकार के प्रमुखों की उपि थित ने भारत के इस संकेत के प्रित उनकी सहमित की प ुि ट की। इस
अवसर ने प्रारंिभक संपक को थािपत करने का एक अ छा अवसर प्रदान िकया, इसके प चात् ेतर् ीय और अंतरा ट् रीय स मेलनों की यात्राओं या बैठकों के
आदान-प्रदान के मा यम से इनका अनुसरण िकया गया। प्रधानमंतर् ी ने अपने पहले कायकाल म, सभी साक देशों का दौरा िकया (उस देश की राजनीितक
अि थरता के कारण मालदीव को छोड़कर, प्रधानमंतर् ी ने माच 2015 म िहंद महासागर/ लू इकोनॉमी की अथ यव था वाले अ य देशों का दौरा िकया)।

हालांिक, मालदीव के रा ट् रपित ने नवंबर, 2018 म पद संभालने के बाद से तीन बार भारत का दौरा िकया और बाद म इस वष अप्रैल म भारत की यात्रा के दौरान
और बाद म प्रधानमंतर् ी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान एक बार िफर भट की।

साक और िब सटे क

भारत साक प्रिक्रयाओं के मा यम से दि ण एिशया के एकीकरण के िलए प्रितब है। हालाँिक, एक संगठन के प म साक पिरणामों के मामले म अपे ाओं पर खरा
नहीं उतरा है। यह कई दशकों से अि त व म है िफर भी दि ण एिशया दुिनया का सबसे कम एकीकृत ेतर् बना हुआ है। भारत-पािक तान संबधं ों की खराब ि थित
और पािक तान की बाधा डालने की नीित का साक की प्रगित पर प्रितकूल प्रभाव पड़ा है।

वष2014 म साक से आगे जाने की प्रिक्रया शु करना सरकार का एक और पहला काय था। वष 2014म अपने पहले साक िशखर स मेलन म प्रधानमंतर् ी मोदी
का संदेश प्रबल और प ट था िक भारत साक के अ य सभी सद यों के साथ िमलकर काम करना पसंद करेगा,लेिकन साथ ही उन सद यों के साथ काम करने के
िवचार से भी पीछे नहीं हटे गा जो कायक्रम को लागू करने के िलए सहमत ह। पिरणाम व प, भारत, नेपाल, भूटान और बां लादेश आगे बढ़े और जून 2015म चार
साक देशों के बीच सड़क यातायात के िनबाध आवागमन के िलए एक िवशेष मोटर वाहन समझौते पर ह ता र िकए गए, पािक तान और अ य लोग इससे अलग हो गए।
बाद म मई 2017 म, भारत ने दि ण एिशया उपग्रह - इसरो ारा िनिमत एक संचार उपग्रह लॉ च िकया, जो दि ण एिशयाई ेतर् म िविभ न प्रकार की संचार सेवाएं
प्रदान करता है, पािक तान की आपि के बावजूद उपग्रह को लॉ च िकया गया था। यह पिरयोजना वा य, िश ा,आपदा प्रितिक्रया, मौसम पूवानुमान और संचार
म यापक अनुपर् योगों के मा यम से हमारे ेतर् के दूरदराज के ेतर् ों म भी लोगों के जीवन को पश करेगी।

इस बीच, पािक तान ारा जारी रा य के संर ण और सीमा पार आतंकवाद के प्रायोजन की पृ ठभूिम म, भारत ने इ लामाबाद म आयोिजत होने वाले, 2016 के साक
स मेलन का बिह कार करने का फैसला िकया, बां लादेश, भूटान और नेपाल ने वे छा से भारत का समथन करने का िनणय िलया था।

साक के प्रित प्रितब रहते हुए, भारत ने पाँच साक देशों (भारत, भूटान, बां लादेश,नेपाल और श्रीलंका) और दि ण पूव के दो देशों ( यांमार और थाईलड) के बीच
अंतर- ेतर् ीय सहयोग के एक मंच, िब टे क (बंगाल की खाड़ी पहल के िलए बहु- ेतर् ीय तकनीकी और आिथक सहयोग) पर प ट प से यान किद्रत िकया है।
भारत ने जानबूझ नवंबर 2016 म गोवा िब्र स िशखर स मेलन म, िब्र स और िब सटे क के साथ बैठकों को साक से अिधक प्राथिमकता दी है।

भारत की नीित िब सटे क से साक को थानांतिरत करने की नहीं है, दोनों प्रासंिगक और पूरक ह और एक दूसरे के पूरक बन सकते ह।

पािक तान और चीन

हमारे िनकट पड़ोस म, अब म पािक तान और चीन के साथ हमारे तनावपूण संबध
ं ों पर चचा करना चाहता हू।

पािक तान

वष 2014 म भारत के पािक तान के साथ संबध ं अ छे नहीं थे। अपनी पड़ोस पहले की नीित के अनुसार, भारत ने पािक तान के साथ अपने तनावपूण संबध ं ों को
सामा य करने के िलए काफी प्रयास िकए, वष 2016 के आरंभ तक,यह पूरी तरह प ट था िक पािक तानी डीप टे ट (सेना और आईएसआई) बातचीत को िफर से
शु करने म िदलच पी नहीं रखता और भारत को नुकसान पहुच ं ाने के िलए सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना और उसका समथन करना जारी रखा था।
प्रधानमंतर् ी मोदी के लाहौर म अिनधािरत प से क कर (िदसंबर म काबुल से नई िद ली आते समय) संबध ं सुधारने के संकेत के एक ह ते के भीतर पठानकोट
एयरबेस पर हुआ हमला हर सीमा को पार कर गया। िसतंबर 2016 म, ज मू-क मीर के बारामूला िजले के उरी म एक आतंकवादी हमले म भारतीय सेना के 18 जवानों
के मारे जाने से संबधं ों को और झटका लगा था। भारत के पास धैय खोने और िनयंतर् ण रेखा के साथ जुड़ाव के िनयमों को बदलने के कारण थे, इसने उरी हमले के
एक स ताह के भीतर िनयंतर् ण रेखा के पार पाक अिधकृत क मीर म आतंकवादी िशिवरों पर एक सफल "सिजकल ट् राइक" िकया। इसी तरह, फरवरी, 2019 म
प ुलवामा हमले म 40 सीआरपीएफ जवानों की मौत हो गई थी, पािक तानी ेतर् के भीतर बालाकोट म ि थत आतंकवादी प्रिश ण कद्र पर भारतीय वायु सेना ारा
हवाई हमला करके तुरंत इसकी जवाबी कारवाई की गई थी।
भारत ने "आतंकवाद और वाता एक साथ नहीं चल सकती" की दृढ़ नीित अपनाई है और पािक तान के प्रधानमंतर् ी इमरान खान ारा वाता को िफर से शु करने के
िलए बार-बार फोन करने के बावजूद, भारत ने यह प ट कर िदया है िक इस नीित म तब तककोई बदलाव नहीं िकया जाएगा, जब तक पािक तान म भारत के िव
लि त और पािक तान समिथत आतंकवाद का समथन करने और क मीर म ह त ेप को रोकने और समिथत आतंकवाद रोकने के मूत प्रमाण नहीं िमल जाते।
चीन

िसतंबर, 2014 म चीनी रा ट् रपित शी िपंग की भारत यात्रा के दौरान, भारत ने िमत्रता का हाथ बढ़ाया और प ट संदेश िदया िक दोनों देशों को िमलकर काम करना
होगा तािक 21वीं सदी एिशया की सदी हो। हालांिक भारत-चीन संबध ं का प्र ेपवक्र भारत को पसंद आने वाले तरीके से िवकिसत नहीं हुआ। भारत, चीन की
मह वाकां ी बे ट एंड रोड पहल,िवशेष प से पाक अिधकृत क मीर से होकर गुजरने वाले, चीन-पािक तान आिथक गिलयारे (सीपीसीई) का समथन नहीं करता है, जो
संपर् भुता का मु ा उठाता है। चीन भारत के परमाण ु आपूितकता समूह (एनएसजी)की सद यता को भी रोक रहा है और आतंकवाद के मु े पर, पािक तान को आतंकवाद
के िशकार के प म प्र तुत कर उसकी र ा करता है, चीन यह दावा करता है िक आतंकवाद से संबिं धत मु ों को संबोिधत करते हुए िकसी भी देश को नहीं ब शा जाना
चािहए। चीन भारत के, अमरीका, जापान और ऑ ट् रेिलया के साथ हाथ िमलाने को लेकर आशंिकत है िक भारत-प्रशांत ेतर् म उसका मुकाबला करने के िलए चीन
िवरोधी गठबंधन बनाया जा रहा है। यापार के िवशाल संत ुलन के चीन के प म होने से जुड़े मु े और अनसुलझे सीमा िववाद भी ह। िसतंबर, 2017 म भारतीय और
चीनी सैिनकों के बीच लंबे समय तक डोकलाम म गितरोध बना रहा जो ि प ीय संबध ं ों के िलए एक गंभीर खतरा था, लेिकन सौभा य से, कूटनीित के कु शल उपयोग से
इसे हल कर िलया गया था। अप्रैल 2018 म चीन म प्रधानमंतर् ी मोदी और रा ट् रपित शी िपंग के बीच अनौपचािरक िशखर स मेलन से जो समझ पैदा हुई है, उसे
वुहान ि पिरट के प म जाना जाता है, िजसका सार यह है िक दोनों प ों को अिभसरण करना चािहए और शांितपूण चचा के मा यम से अपने मतभेदों को संभालने के
प्रयासों म वृि करनी चािहए। भारत और चीन के बीच शांितपूण, ि थर और संत ुिलत संबध ं वतमान वैि वक अिनि चतताओं के बीच ि थरता का एक सकारा मक
कारक होगा और ि प ीय संबध ं ों का उिचत प्रबंधन ेतर् के िवकास और समृि के िलए अनुकूल होगा तथा एिशयाई शता दी के िलए ि थितयां बनाएगा।

दि ण पूव एिशया: आिसयान और पूव एिशया

भारत के िव तािरत पड़ोस के संदभ म, दि ण पूव एिशया के 10 आिसयान देशों का अ यिधक मह व है। एिशयाई बाघों के प्रित भारत के संपक की पहली शु आत
1990 के दशक के प्रारंभ म यूएसएसआर के पतन, शीत यु की समाि त की पृ ठभूिम म और अथ यव था को उदार बनाने और इसे िव व की अथ यव था के साथ
एकीकृत करने के हमारे अपने िनणय से हुई थी। पिरणाम व प, भारत ारा लुक ई ट नीित की घोषणा की गई, एलईपी के तीन चरण ह। भारत की लुक ई ट' नीित
(1992-2002) का पहला चरण आिसयान-किद्रत और मु य प से यापार और िनवेश की किड़यों पर किद्रत था। इस अविध के दौरान भारत ने 1992म
आिसयान के साथ एक ेतर् ीय संवाद साझेदारी म प्रवेश िकया, िजसे 1996 म पूण संवाद भागीदारी के तर पर उ नत िकया गया और भारत भी आिसयान ेतर् ीय
मंच (एआरएफ) म शािमल हो गया। वष 2002से भारत ने वािषक भारत-आिसयान िशखर स मेलन तर की बैठक शु कीं।

चरण-2 की शु आत 2003 म, त कालीन िवदेश मंतर् ी श्री यशवंत िस हा (हावड िव विव ालय म; 29 िसतंबर, 2003 को) ने सरकार की ‘पूव’ की िव तािरत
पिरभाषा साझा की, िजसम ऑ ट् रेिलया, यूजीलड, चीन, जापान और दि ण कोिरया शािमल ह और इसके मूल म आिसयान है। उ होंने आगे कहा िक नए चरण म
यापार से लेकर यापक आिथक और सुर ा मु ों पर भी बदलाव िकया गया, िजसम समुद्री माग की सुर ा के िलए संय ु त प्रयास और आतंकवाद-रोधी गितिविधयों का
सम वय शािमल है। वष 2012 म, 20 वष की संवाद साझेदारी का सामिरक भागीदारी म उ नयन हुआ।

वष 2014 म, प्रधानमंतर् ी मोदी के नेतृ व वाली नई सरकार ने "लुक ई ट नीित (एलईपी)" का नाम बदलकर "ए ट ई ट पॉिलसी (एईपी)" रखा गया; यह दुबारा
ब्रांिडंग से अिधक था।

तब से सरकार ने आिसयान के साथ संबध ं ों म अिधक "गितशील" और "कारवाई-उ मुख" दृि टकोण की मांग की है। आिसयान के भीतर सीएमएलवी देशों के
(कंबोिडया, यांमार, लाओस और िवयतनाम)-एक उप- ेतर् के साथ भारत के आिथक संबध
ं ों को बढ़ावा देने पर काफी यान िदया जा रहा है, िजनकी भारत के उ र-पूव
से िनकटता का अंतिनिहत लाभ है। इसकी सबसे मह वपूण पहल म से एक के प म, भारत सरकार ने ेतर् म भारतीय िनवेश को बढ़ावा देने के िलए, वष 2016 म
िनयात और आयात बक म 500 करोड़ पए (लगभग 71.5 िमिलयन अमरीकी डॉलर) के कोष के साथ पिरयोजना िवकास कोष की थापना की थी।

वष 2018 के गणतंतर् िदवस समारोह म रा ट् र और सरकार के प्रमुखों की उपि थित भारत की ए ट ई ट नीित का सबसे मह वपूण प्रदशन था। अब भारत को इस
ेतर् के साथ अपने आिथक और रणनीितक जुड़ाव म वृि होने के अलावा इस ेतर् के एक संभािवत सुर ा संत ुलनकता के प म उभरने की भी आशा है। भारत-
अमरीका-जापान-ऑ ट् रेिलया चतु कोण उस िदशा म एक संकेतक है।

दो बड़ी शि तयां: संय ु त रा य अमेिरका और स

हाल म ि प ीय संबधं ों म कु छ अड़चन उभरने के अलावा कु ल िमलाकर िवगत कु छ वष म अमेिरका के साथ संबध ं ों की गित बढ़ रही है। अमेिरका ने भारत को र ा
साझेदार का दजा िदया है जो इसे अमेिरका के नाटो सहयोिगयों के समक बनाता है। अमेिरका की प्राथिमकताओं म एक बाजार के प म भारत का मह व होने के
अलावा अमेिरका इस बात के िलए भी उ सुक है िक एिशया म, भारत चीन के िलए एक प्रितभार के प म काय करे। अमेिरका यह भी चाहेगा िक भारत, अमेिरका,
जापान, ऑ ट् रेिलया और इस ेतर् के अ य देशों से हाथ िमलाने के साथ-साथ भारत-प्रशांत महासागर म समुद्री सुर ा, नौवहन की वतंतर् ता, समुद्री डकैती और
आपदा प्रबंधन जैसे मामलों म शु सुर ा प्रदाता के प म काय करे। इसका अनकहा उ े य चीन के िव तारवादी काय पर अंकुश लगाना है, िवशेष प से दि ण
चीन सागर म, जहाँ चीन िववािदत ीपों पर िनमाण गितिविधयों का संचालन कर रहा है।

ईरान और स पर अमेिरकी प्रितबंधों (सीएएटीएसए) (प्रितबंध के मा यम से अमेिरका के िवरोध का मुकाबला करना) के भारत की र ा खरीद ( स से एस
400िमसाइल र ा प्रणाली) और ईरान से तेल खरीदने म असमथता के कारण इसकी ऊजा सुर ा के िलए िनिहताथ ह। इसके अलावा, अमेिरका ने जीएसपी वापस ले
िलया है िजसके कारण भारत को अमेिरका म 5.6 अरब अमरीकी डॉलर के िनयात पर तरजीही शु क देना पड़ रहा है। भारत ने, भारत को िकए जाने वाले कु छ
अमरीकी िनयात पर उ च शु क लगाकर जवाबी कारवाई की है। इनम से कु छ िचंताओं को अमेिरकी िवदेश मंतर् ी की नई िद ली की यात्रा के समय और इस वष जून म
जी-20िशखर स मेलन के समय प्रधानमंतर् ी मोदी की रा ट् रपित ट् र प से भट के अवसर पर संबोिधत िकया गया था। भारत ने प ट और दृढ़ प से यह बता िदया है
िक अंततः भारत देश के सवश्रे ठ रा ट् रीय िहतों के िलए काम करेगा।

भारत ारा सोिवयत संघ और उसके उ रािधकारी रा ट् र सी संघ को िव वसनीय और परीि त िमत्र के प म विणत िकया गया है। लंबे समय तक, स भारत के
िलए र ा खरीद का प्रमुख स्रोत था, नए, आधुिनक र ा उपकरणों और पहले खरीदे गए उपकरणों के प ुज के िलए हम अब भी स पर काफी िनभर ह। वष 2014
म अपना कायभार संभालने के बाद, नई सरकार ने भारत की र ा आव यकताओं म िविवधता लाने के िलए तेज और आक्रामक प से कदम बढ़ाया। हमारा यह कदम
ऐसे समय म उठाया गया है जब स की अथ यव था अमेिरका और यूरोपीय प्रितबंधों और तेल की कीमतों म िगरावट के कारण एक किठन दौर से गुजर रही थी। र ा
आपूित के स्रोतों म िविवधता लाने की हमारी वा तिवक इ छा को स ारा गलत समझा गया योंिक भारत स से दूर था। भारत ि थित को सुधारने और आपसी
िव वास को बहाल करने म तेज था। स के साथ हमारे संबध ं अब मजबूत ह और र ा, ऊजा, अंतिर और यापार व िनवेश पर िवशेष और िवशेषािधकार प्रा त
रणनीितक साझेदारी पर यान किद्रत ह।

िवकास के िलए कूटनीित

अतीत म भी बाहरी दुिनया के साथ यापार और आिथक संबध ं ों को बढ़ावा देने के िलए आिथक कूटनीित का उपयोग िकया गया है। हालांिक, िवगत पाँच वष म, कूटनीित
और रा ट् रीय आकां ाओं का अनूठा िवकास हुआ है। इसिलए अब हमारे पास िवकास के िलए कूटनीित की एक गितशील अवधारणा है। िवदेशी साझेदारों के साथ सघन
जुड़ाव से लाभ म वृि हुई है, यह िवदेशी िनवेश और प्रौ ोिगकी टाई-अप, कारखानों की थापना और नौकिरयों के िनमाण के िलए अग्रणी है।वष2022 तक नया
भारत बनाने की कौशल भारत, माट िसटीज, मेक इन इंिडया,िडिजटल इंिडया जैसी कई प्रमुख योजनाओं के िलए िवदेशी सहयोग प्रा त करना संभव हो गया है।
कूटनीितक पहुचँ के पिरणाम व प िवदेशी भागीदारों (यूएई: 75 अरब अमरीकी डॉलर, जापान 33 अरब अमरीकी डॉलर, चीन: 22 अरब अमरीकी डॉलर; दि ण
कोिरया 10 अरब अमरीकी डॉलर) से पया त प्र य िवदेशी िनवेश (एफडीआई) की प्रितब ता हुई है, जापान कौशल िवकास के िलए दस हज़ार भारतीयों को बुलाने पर
सहमत हुआ है, जबिक अ य 30000 को िनमाण की जापानी शैली म प्रिशि त िकया जाएगा। बुिनयादी ढांचे के ेतर् म, जापान ने भारत की पहली बुलेट ट् रेन के
िनमाण के िलए धन देने पर सहमित य त की है, यह ट् रेन मुंबई-अहमदाबाद के बीच यात्रा के समय को सात घंटे से कम करके दो घंटे कर देगी। फ्रांस, जमनी,
जापान और यूरोपीय िनवेश बक भारत म रेलवे और मेट्रो पिरयोजनाओं का िव पोषण करने पर सहमत हुए ह। इसी तरह भारत म माट िसटीज़ िवकिसत करने के
िलए भी प्रितब ताएँ की गई ह।

अिनदिशत िवकास सहायता

भारत ने 1950 के दशक के आरंभ से अिनदिशत िवकास सहायता की नीित के प म अपनी यावहािरक शि त िवकिसत की है। बदले म भारत "स ावना" और
"भारत के िमत्र" चाहता है। यह सहायता पिरयोजना और कमोिडटी िनयात से जुड़े एकमु त अनुदान और सॉ ट लोन का एक िववेकपूण िमश्रण है। इसके
अलावा,भारत यह सुिनि चत करने के िलए िववेकपूण प से काम कर रहा है िक "स ावना" को ठोस राजनीितक और आिथक लाभांश म पिरवितत िकया जाना चािहए।
इस प्रकार भारत की नीित चीन की "ऋण-जाल-नीित" से अलग है। चीन छोटे , गरीब और िवकासशील देशों को उन देशों म बुिनयादी ढाँचे के िवकास के िलए आसानी
से भारी ऋण देता है, इन भारी ऋणों से ग्र त देशों के िलए इन ऋणों को चुकाना मुि कल होता है और उ ह अंततः चीन को संपि का वािम व सौंपना होता है।
(उदाहरण: श्रीलंका हंबनटोटा पोट) (िदसंबर 2017 म, एक ऋण का भुगतान करने म असमथ होकर,िजसका उपयोग श्रीलंकाई बंदरगाह को उ नत करने के िलए
िकया गया था, श्रीलंका सरकार के पास चीन को 99 वष के िलए बंदरगाह और 15,000 एकड़ भूिम को सौंपने के अलावा कोई िवक प नहीं बचा था, िजससे इस
रा ट् र को अपने प्रित दं ी, भारत के तट से कु छ सौ िकलोमीटर दूर एक ेतर् का वािम व प्रा त हो गया, यह सबसे वलंत उदाहरण है िक िकस तरह से गरीब,
लेिकन रणनीितक प से मह वपूण, श्रीलंका जैसे देश अब गहराई से - चीन के ऋण जाल ह।)

एिशया म, भूटान भारत से िवकास सहायता का सबसे बड़ा प्रा तकता है। िदसंबर 2018 म, भारत ने भूटान की 12वीं पंचवष य योजना के िलए 4500 करोड़ पए
की िव ीय सहायता की घोषणा की। जून 2015 म, भारत ने भूकंप प्रभािवत नेपाल के प ुनिनमाण के िलए 1 अरब अमरीकी डॉलर की सहायता का वादा िकया।
अ टू बर, 2017 म, भारत ने बां लादेश म िवकास पिरयोजनाओं के काया वयन के िलए बां लादेश के साथ 4.5 अरब अमरीकी डॉलर की ऋण श्रृंखला के िलए एक
समझौते पर ह ता र िकए।

अ टू बर 2017 म भारत ने भारत-अफ्रीका िवकास िनिध (100िमिलयन अमरीकी डॉलर) और भारत-अफ्रीका वा य कोष (10 िमिलयन अमरीकी डॉलर) सिहत
600 िमिलयन अमरीकी डॉलर की अनुदान सहायता का वादा िकया। इसके अलावा भारत ने अगले पाँच वष म िरयायती शत पर 10 अरब अमरीकी डॉलर की ऋण
श्रृंखला देने की प्रितब ता जताई है।

िवयतनाम 500 िमिलयन अमरीकी डॉलर की ऋण श्रंख ृ ला के प म भारत की िवकास सहायता का एक और लाभाथ है। भारत ने सीएमएलवी देशों
(कंबोिडया, यांमार, लाओस, िवयतनाम) म िनमाण कद्रों के िलए 500 करोड़ पए का कोष अलग रखा है।

इसके अलावा, भारत अपने िविवध नागिरक और सै य प्रिश ण कायक्रमों के मा यम से दुिनया भर के कई िवकासशील देशों म मता िनमाण के िलए प्रितब है।

प्राथिमकताएं और चुनौितयां

स, अमरीका, चीन जैसी नेतृ व करने वाली शि तयों, जापान, फ्रांस,िब्रटे न और जमनी जैसे िवकिसत देशों और सऊदी अरब, संय ु त अरब अमीरात, ईरान,
ं िवशेष प से क चे माल प्रा त करने, आधुिनक प्रौ ोिगकी,िनवेश, पिर कृत हिथयार, समावेशी घरेल ू
इज़राइल जैसे संसाधनों से संप न देशों के साथ ि थर संबध
िवकास और मेक इन इंिडया, माट िसटीज,ि कल इंिडया जैसे कायक्रमों की सफलता और बुिनयादी ढांचे के आधुिनकीकरण की आव यकताओं को पूरा करने के िलए
संय ु त उ म के संदभ म भारत के िहत म ह। उदाहरण के िलए, अमेिरका और स और ईरान और अमेिरका के बीच चल रहे संघष, िवशेष प से प्रितबंधों के ेतर्
म चीन-अमेिरका यापार यु , (जैसे सीएएटीएसए), के पिरणाम,जैसा िक पहले उ लेख िकया गया है, भारत के िलए हािनकारक ह और इनम से साफ बच िनकलना एक
चुनौती है।

कनेि टिवटी (संपक)

भारत दि ण एिशया को एकीकृत करने और दि ण एिशया को अ य ेतर् ों िवशेषकर दि ण पूव एिशया और म य एिशया से जोड़ने के िलए भौितक और िडिजटल
कनेि टिवटी पर बहुत जोर देता है। दि ण एिशया म, बां लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (बीबीएन) मोटर वाहन समझौता चारों देशों के भीतर यात्री और मालवाहक वाहनों
की आवाजाही के िलए िनबाध कनेि टिवटी प्रदान करता है।

कु छ पिरयोजनाएँ अ यंत मह वपूण ह, उनम रणनीितक प से मह वपूण चाबहार पोट का िवकास शािमल है, जो अफगािन तान और भारत के साझे िवरोधी पािक तान
को दरिकनार करते हुए, एक तरफ भारत को ईरान और अफगािन तान से और दूसरी तरफ म य एिशया के साथ जोड़ता है। भले ही भारत ने 2003 म इस संदभ म
ईरान से बात करना आरंभ कर िदया था, लेिकन भारत की ओर से इस पर वा तिवक जोर 2014 के म य म िदया गया था िजसके पिरणाम व प समझौतों पर ह ता र
हुए और वा तिवक िवकास आरंभ हुआ तथा िदसंबर 2017 म बंदरगाह के पहले चरण का उ घाटन हुआ था। तब से भारत ने इस पर भौितक प से अिधकार िलया है
और यह पहला बंदरगाह है जो भारत से बाहर चलाया जा रहा है। अफगािन तान ने फरवरी 2019 म जरंज-चाबहार माग का उपयोग करके भारत को अपनी पहली
खेप भेजी। भारत ने इस समुद्री माग का उपयोग करके 2017 के अंत म अफगािन तान को गेहू ँ भेजा था। भारत ने जमीन से िघरे अफगािन तान के िलए
िव वसनीय वैकि पक आपूित माग के प म दो प्र य एयर फ्रेट कॉिरडोर थािपत िकए ह। िद ली-काबुल कॉिरडोर जून 2017 से चालू है और िद ली-हेरात
कॉिरडोर का उ घाटन माच 2019 म िकया गया था।

भारत, यांमार थाईलड का 1360 िकमी का ित्रप ीय राजमाग िनमाणाधीन है और अगले वष तक इसके पिरचालन यो य बनने की संभावना है, यह भारत के उ र पूव
को आिसयान से जोड़ेगा। यांमार म सेगमट के िनमाण के िलए भारत िव पोषण कर रहा है। भारत ने कंबोिडया, लाओस और िवयतनाम को जोड़ने का भी प्र ताव
िदया है।

कलादान म टीमॉडल पिरवहन पिरयोजना एक अ य पिरयोजना है जो धीमी गित से आगे बढ़ रही थी और 2015 म पया त धनरािश के आवंटन से तेजी से आगे बढ़ी।
यह पिरयोजना समुद्री, अंतदशीय-जल और टॉड प्रणािलयों का उपयोग करके यांमार के मा यम से भारत के जमीन से िघरे पूवो र ेतर् को भारत की मु य भूिम से
जोड़ने का प्रयास करती है। केएमएमटी पिरयोजना जब पूरी हो जाएगी तब कोलकाता से िमजोरम तक अ छे पिरवहन का समय चार िदन तक कम हो जाएगा और
लगभग 950 िकमी दूरी कम हो जाएगी।

आतंकवाद: भ्र टाचार, काला धन, धन शोधन, भगोड़े आिथक अपराधी


अंतरा ट् रीय आतंकवाद के िव वैि वक अिभयान भारत सरकार के एजडे म सबसे ऊपर है। यह महसूस करते हुए िक अंतरा ट् रीय आतंकवाद पर मसौदा यापक
स मेलन (सीसीआईटी) पर बातचीत घोंघे की गित से आगे बढ़ रही है, भारत की अंतरा ट् रीय आतंकवाद से िनपटने के िलए सीसीआईटी के िस ांतों के आधार पर एक
वैि छक बहुप ीय "अंतरा ट् रीय आतंकवाद के िव रा ट् रों की एकजुटता" का िनमाण करने की योजना है। पािक तान के एक िनिहत संदभ के साथ भाजपा
घोषणापत्र 2019म आतंकवाद का समथन करने वाले देशों और संगठनों को अलग-थलग करने के िलए अंतरा ट् रीय मंचों पर सभी संभव कदम उठाने की भारत की
प्रितब ता की घोषणा की गई है। भारत की लॉबी बनाने की कोिशश के जारी रहने की संभावना है तािक पािक तान को "ग्रे" से "फाइनिशयल ए शन टा क फोस
(एफएटीए) की काली सूची" म डाला जाए।

आतंकवाद से संबिं धत मु ों पर चीन ारा पािक तान को बचाना और कु छ देशों का आतंकवाद के प्रित चयना मक दृि टकोण एक चुनौती है िजससे भारत को िनपटना
होगा।
भारत भ्र टाचार, काले धन,धन शोधन, भगोड़े आिथक अपरािधयों जैसे मु ों को वैि वक मंचों पर उठाने पर यान किद्रत करता है। िवजय मा या, नीरव मोदी,आिद
जैसे आिथक अपरािधयों का प्र यपण एक अ य प्राथिमकता होगी।

भारत की वैि वक आकां ाएँ

भारत राजनीितक प से एक ि थर देश है और इसकी अथ यव था ि थर है। भारत अपनी सै य ताकत को धीरे-धीरे लेिकन लगातार बढ़ा रहा है। एक बड़े बाजार के
प म भारत िवदेशी िनवेश, संय ु त उ म, व तु िनयात के िलए एक आकषक गंत य है। हाल के वष म अंतरा ट् रीय मामलों म भारत का कद वा तव म काफी बढ़ा है।
संभवतः भारत का समय आ गया है। भारत के अपने वजन के अनुसार प्रहार करता िदखाई देने के साथ, िवगत पाँच वष म िवदेशी मामलों म मुखरता का एक िनि चत
तर भी िदखाई दे रहा था।

म िन निलिखत िट पणी के साथ समापन करना चाहूगँ ा: भारत अब यह सुिनि चत करने के िलए बा य है िक वह वैि वक एजडा को आकार देने म एक मह वपूण भूिमका
िनभाता है, िक यह "िनयम का पालन करने" की बजाय "िनयम बनाने" का िह सा है और यह बहु-ध् वीय दुिनया म एक मजबूत ध् व के प म उभरता है। इसे संय ु त
रा ट् र सुर ा पिरषद के थायी सद य बनने की आकां ा से जोड़ा जाता है िजसके िलए बड़ी सं या म देशों ने पहले ही समथन करने का वादा िकया है।

म आपके यान और धैय के िलए आप सभी को ध यवाद देता हू।


ँ म इस कायक्रम के आयोजन म उनके प्रयासों के िलए और मेरे प्रवास को यहाँ आरामदायक बनाने
के िलए प्रोफेसर शु ला को ध यवाद देता हू।

मुझे दशकों के प्र नों का उ र देने म खुशी होगी।

संदभ और शत गोपनीयता नीित अिधकार नीित हाइपरिलंिकंग नीित अिभग यता व त य सहायता उपयोगकता: 144618714 , अंितम नवीनीकृ त: 30-9-2016

© िवदेश मंतर् ालय, भारत सरकार ारा वािम व सामग्री.

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