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मैनेजमट
टाइम
मैनेजमट
समय के सव े उपयोग
के 30 िस ांत
Distribution Centres
Ahmedabad, Bengaluru, Bhopal, Kolkata, Chennai, Hyderabad, Mumbai,
New Delhi, Pune
Sudhir Dixit asserts the moral right to be identified as the author of this work
ISBN 978-81-8322-018-7
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िवषय सूची
नए सं करण क तावना
खंड 1 : तीन बुिनयादी सवाल
पहला बुिनयादी सवाल : आजकल समय क इतनी कमी य महसूस होती है?
दूसरा बुिनयादी सवाल : आपके पास दरअसल कतना समय है?
तीसरा बुिनयादी सवाल : आपका समय कतना क़ मती है?
खंड 2 : समय के सव े उपयोग के 30 िस ांत
1. समय क लॉग बुक रख
2. आ थक ल य बनाएँ
3. सबसे मह वपूण काम सबसे पहले कर
4. या ा के समय का अिधकतम उपयोग कर
5. काम स पना (डेलीगेशन) सीख
6. पैरेटो के 20/80 के िनयम को जान
7. पा क सन के िनयम का लाभ ल
8. अपने ाइम टाइम म काम कर
9. वयं को वि थत कर
10. टाइमटेबल बनाएँ
11. कम म जुट जाएँ
12. अपनी काय मता बढ़ाएँ
13. डेडलाइन तय कर
14. समय ख़रीदना सीख
15. भावी लाभ के िलए वतमान म याग कर
16. िनि त समय पर काम कर
17. समय क बबादी के गु वाकषण िनयम को जान
18. यूटन के गित के पहले िनयम का लाभ ल
19. यह मह वपूण नह है क आपने कतने समय काम कया; मह वपूण तो प रणाम ह
20. तय कर क कौन सा काम कब करना है
21. सुबह ज दी उठ
22. एक घंटा ायाम कर
23. टी.वी. के संदभ म सावधान रह
24. मोबाइल का यूनतम उपयोग कर
25. इं टरनेट पर समय बबाद न कर
26. आलस से बच
27. टालमटोल न कर
28. अगले दन क योजना बनाकर अवचेतन मन क शि का लाभ ल
29. बुरी लत से बच
30. सापे ता के िनयम को समझ
नए सं करण क तावना
इस पूरे संसार म िसफ़ एक ही कोना है, िजसे सुधारना पूरी तरह से आपके
हाथ म है — और वह है आप वयं।
— आ डस ह सले
या आपने कभी सोचा है क आजकल हम समय क इतनी कमी य महसूस होती है?
समय पर काम न करने या होने पर हम झ ला जाते ह, आगबबूला हो जाते ह,
िचढ़ जाते ह, तनाव म आ जाते ह। समय क कमी के चलते हम लगभग हर पल ज दबाज़ी
और हड़बड़ी म रहते ह। इस च र म हमारा लड ेशर बढ़ जाता है, लोग से हमारे संबंध
ख़राब हो जाते ह, हमारा मानिसक संतुलन गड़बड़ा जाता है और कई बार तो दुघटनाएँ
भी हो जाती ह। समय क कमी हमारे जीवन का एक अि य और अिनवाय िह सा बन
चुक है।
या आपने कभी यह बात सोची है : हमारे पूवज को कभी टाइम मैनेजमट क
ज़ रत नह पड़ी, तो फर हम य पड़ रही है? या हमारे पूवज को दन म 48 घंटे
िमलते थे और हम के वल 24 घंटे ही िमल रहे ह? आप भी जानते ह और म भी जानता ँ
क ऐसा नह है! हर पीढ़ी को एक दन म 24 घंटे का समय ही िमला है। ले कन बीसव
सदी क शु आत से हमारे जीवन म समय कम पड़ने लगा है और यह सम या दनो दन
बढ़ती ही जा रही है। बड़ी अजीब बात है, य क बीसव सदी क शु आत से ही मनु य
समय बचाने वाले नए–नए उपकरण बनाता जा रहा है।
बीसव सदी से पहले कार नह थी, मोटर साइकल या कू टर भी नह थे, ले कन
हमारे पूवज को कह प च ँ ने क ज दी भी नह थी। पहले िम सर, फ़ू ड ोसेसर या
माइ ोवेव नह थे, ले कन गृिहिणयाँ िसल पर मसाला पीसने या चू हे पर खाना पकाने म
कसी तरह क हड़बड़ी नह दखाती थ । पहले िबजली नह थी, ले कन कसी को रात–
रात भर जागकर काम करने क ज़ रत भी नह थी। वा तव म तब जीवन यादा सरल
था, य क उस समय इं सान क ज़ंदगी घड़ी के िहसाब से नह चलती थी। औ ोिगक युग
के बाद फ़ै ी, अॉ फ़स और नौकरी का जो दौर शु आ, उसने मनु य को घड़ी का ग़लाम
बनाकर रख दया।
पहले जीवन सरल था और अब ज टल हो चुका है : यही हमारी सम या का मूल
कारण है। पहले जीवन क र तार धीमी थी, ले कन अब तेज़ हो चुक है। अब हमारे जीवन
म इं टरनेट आ गया है, जो पलक झपकते ही हम दुिनया से जोड़ देता है। अब हमारे जीवन
म टी.वी. आ चुका है, िजसका बटन दबाते ही हम दुिनया क ख़बर जान लेते ह। अब हमारे
पास कार और हवाई जहाज़ ह, िजनसे हम तेज़ी से कह भी प च ँ सकते ह। अब हमारे
पास ी–जी मोबाइ स ह, िजनसे हम दुिनया म कह भी, कसी से भी बात कर सकते ह
और उसे देख भी सकते ह। आधुिनक आिव कार ने हमारे जीवन क गित बढ़ा दी है।
शायद आधुिनक आिव कार ही हमारे जीवन म समय क कमी का सबसे बड़ा कारण ह।
इनक बदौलत हम दुिनया से तो जुड़ गए ह, ले कन शायद खुद से दूर हो गए ह।
िव धाता ने कसी को सुंदरता यादा दी है, कसी को कम दी है। कसी को बुि यादा
दी है, कसी को कम दी है। कसी को दौलत यादा दी है, कसी को कम दी है।
ले कन समय उसने सबको बराबर दया है : एक दन म 24 घंटे। समय ही एकमा ऐसी
दौलत है, िजसे आप बक म जमा नह कर सकते। समय का गुज़रना आपके हाथ म नह
होता। यह तो घड़ी क सुई के साथ लगातार आपके हाथ से फसलता रहता है। आपके हाथ
म तो बस इतना रहता है क आप इस समय का कै सा उपयोग करते ह। अगर सदुपयोग
करगे, तो अ छे प रणाम िमलगे; अगर दु पयोग करगे, तो बुरे प रणाम िमलगे।
यान देने वाली बात यह है क हमारे पास कहने को तो 24 घंटे होते ह, ले कन
वा तव म इतना समय हमारे हाथ म नह होता। सच तो यह है क समय के एक बड़े िह से
पर हमारा कोई िनयं ण नह होता। 8 घंटे न द म चले जाते ह और 2 घंटे खाने–पीने,
तैयार होने एवं िन य कम आ द म चले जाते ह। यानी हमारे हाथ म दरअसल 14 घंटे का
समय ही होता है। दूसरे श द म, जीवन म िसफ़ 58 ितशत समय पर हमारा िनयं ण
संभव है, जब क 42 ितशत समय हमारे िनयं ण से बाहर होता है। सुिवधा क दृि से
यह मान ल क 40 ितशत समय पर हमारा िनयं ण नह होता, जब क 60 ितशत
समय पर होता है।
इस संदभ म स दय पहले भतृह र क कही गई बात आज भी ासंिगक है, ‘िवधाता
ने मनु य क आयु 100 वष तय क है, िजसम से आधी राि म चली जाती है, बची आधी
म से भी आधी बा याव था और वृ ाव था म गुज़र जाती है और बाक़ बचे 25 वष म
मनु य को रोग और िवयोग के अनेक दुख झेलने पड़ते ह और नौकरी–चाकरी करनी पड़ती
है। इसिलए हम यह कह सकते ह क जलतरं ग के समान चंचल इस जीवन म लेश मा सुख
भी नह है।’
समय अनमोल है, य क वा तव म समय ही संसार क एकमा ऐसी चीज़ है, जो
सीिमत है। अगर आप दौलत गँवा देते ह, तो दोबारा कमा सकते ह। घर गँवा देते ह, तो
दोबारा पा सकते ह। ले कन अगर समय गँवा देते ह, तो आपको वही समय दोबारा नह
िमल सकता। हमारे पास जीवन म ब त कम समय है और यह समय सीिमत है। य द हम
अपनी अपेि त आयु सौ वष मान ल, तो हमारे पास जीवन म कु ल 36,500 दन ही होते
ह। इसी समय िहसाब लगाकर देख क इन 36,500 दन म से आपके पास कतने दन बचे
ह, िजनम आपको अपने जीवन का ल य ा करना है? नीचे दी गई आसान गणना करके
ख़द जान ल क आपके पास अब लगभग कतने दन बचे ह –
िजन चीज़ को मनु य ख़च कर सकता है, उनम समय सबसे मू यवान है।
– िथयो े ़ टस
खंड 2 :
समय के सव े उपयोग के 30 िस ांत
समय के सव े उपयोग का पहला िस ांत
समय क लॉग बुक रख
घड़ी को न देखते रह; वही कर जो यह करती है। चलते रह।
— से युअल लीवे सन
िज सबनाने
तरह आप पैस का बजट बनाते ह, उसी तरह समय का भी बजट बनाएँ। बजट
के िलए आपको यह िहसाब लगाना होता है क आपका पैसा कहाँ ख़च हो
रहा है। समय के मामले म भी यही नीित अपनाएँ। एक डायरी ल और एक स ाह तक यह
रकॉड रख क आप कस काम म कतना समय ख़च कर रहे ह। ाइवर क भाषा म इसे
लॉग बुक कहा जाता है, िजसम वे िलखते ह क गाड़ी कतने कलोमीटर चली और कहाँ
तक चली। समय क अपनी लॉग बुक म आप िजतना बारीक िहसाब रखगे, आपको उतना
ही यादा फ़ायदा होगा। और हाँ, लॉग बुक के पहले कॉलम म गितिविध के बजाय घंटे
िलख, ता क कोई मह वपूण अंतराल न छू ट पाए :
आप चाह, तो लॉग बुक बनाने का काम कं यूटर म ए सेल शीट पर या कसी अ य
सॉ टवेयर पर भी कर सकते ह। इसम एक स ाह तक अपने हर घंटे का संि वणन
िलख। गारं टी है क इससे आपक आँख खुल जाएँगी। इससे आपको यह पता चल जाएगा
क आपका समय कन गितिविधय या काम म लग रहा है। मोबाइल फ़ोन पर आपने
कतनी देर बातचीत क , उसके िलए रात को अपने मोबाइल का कॉल रिज टर देखकर
अविध दज कर ल। इं टरनेट पर आपने कतना समय दया, यह भी कं यूटर क घड़ी देखकर
दज कर ल।
एक स ाह बाद रिववार को बैठकर इस पूरे रकॉड का अ छी तरह िव ेषण कर,
ता क आपको पता चल जाए क आप अपना कतना समय इं टरनेट, मोबाइल फ़ोन, टी.वी.
या सामािजक मेल–िमलाप म ख़च कर रहे ह। देिखए, इं सान मूलत: आलसी होता है,
इसिलए आपके मन म भी इस अ यास से बचने का लोभन जा त हो सकता है। आप यह
सोच सकते ह क लॉग बुक रखने क या ज़ रत है। आप यह भी सोच सकते ह क आपको
अ छी तरह मालूम है क आपका समय कहाँ जा रहा है। ले कन ऐसा ह गज़ न कर। लॉग
बुक को वह मह वपूण बुिनयाद समझ, िजसक न व पर समय बंधन का महल खड़ा है।
इसिलए ख़द को अनुशािसत कर और समय के सव े उपयोग के दूसरे िस ांत पर प च
ँ ने
से पहले लॉग बुक रख।
िसफ़ वही इितहास मू यवान है, जो हम आज बनाते ह।
— हेनरी फ़ोड
जो लोग अपने समय का सबसे बुरा उपयोग करते ह, वही सबसे पहले
इसक कमी का रोना रोते ह।
— जीन डे ला ूयर
देिखए, अगर लॉग बुक रखने से पहले कोई आपसे पूछता क आप कतना समय
बबाद करते ह, तो आप तैश म आकर जवाब देते, ‘म तो ज़रा भी समय बबाद नह करता!’
यह इं सान का वभाव होता है। वह यह मानता है क वह जो कर रहा है, सही कर रहा है।
इसका मूल कारण यह है क वह जानता ही नह है क वह कु छ ग़लत कर रहा है। अगर
उसे मालूम होता क वह कोई ग़लत चीज़ कर रहा है, तो वह उसे करता ही नह । समय-
बंधन के संदभ म दरअसल दोष आपका नह है; वा तव म आपको तो यह एहसास ही
नह है क आपका कतना समय अनाव यक प से ख़च हो रहा है और कहाँ हो रहा है।
यह एहसास तो लॉग बुक रखने के बाद ही होता है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का पहला िस ांत है : लॉग बुक रख।
र सफल ि अपने 24 घंट म यादा से यादा उपयोगी काम करना चाहता है।
ह उसक पूरी दनचया ही समय के सव े उपयोग पर क त होती है। माइक मरडॉक
ने कहा भी है, ‘आपके भिव य का रह य आपक दनचया म िछपा आ है।’ या ा
आपक दनचया का एक मह वपूण िह सा है। आज हर ि ब त सी या ाएँ करता है,
िजनम उसका ब त समय लगता है। फ़क़ िसफ़ इतना होता है क जहाँ आम ि या ा के
समय म हाथ पर हाथ धरकर बैठता है, वह सफल ि अपने ब मू य समय का
अिधकतम उपयोग करता है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का चौथा िस ांत है : या ा के समय का
अिधकतम उपयोग कर।
महा मा गाँधी या ा करते समय न द लेते थे, ता क वे तरोताज़ा हो सक। नेपोिलयन
जब सेना के साथ यु करने जाते थे, तो रा ते म प िलखकर अपने समय का सदुपयोग
करते थे। एिडसन अपने समय क बबादी को लेकर इतने सचेत थे क कशोराव था म जब
वे रे ल म या ा करते थे, तो अपने योग म जुटे रहते थे। माइ ोसॉ ट के सं थापक िबल
गे स या ा के दौरान मोबाइल पर ज़ री बात करके इस िस ांत पर अमल करते ह। िबल
गे स ने तो एक बार अपने गैरेज म अ का का न शा टाँग दया था, ता क जब वे अपनी
कार का इि शन बंद कर, तो उनके क़ मती सेकंड बबाद न ह , बि क उनका कु छ उपयोग
हो जाए। समय को लेकर सभी सफल लोग सतक रहते ह, य क वे जानते ह क समय
बड़ा बलवान होता है और इसके सदुपयोग से ही सफलता संभव है।
आप और हम भी अपनी या ा के समय का लाभ उठा सकते ह। नौकरीपेशा लोग को
घर से अॉ फ़स तक क या ा म काफ़ समय लग जाता है और से समैन का तो अिधकांश
समय या ा म ही बीतता है। हम यह जान लेना चािहए क अगर हम हर दन ढाई घंटे
या ा करते ह, तो हमारे जीवन का लगभग दस ितशत समय तो या ा म ही चला जाता
है। इस समय म कोई मू यवान काय करके आप इसका साथक उपयोग कर सकते ह।
को ईकोिशश
भी इं सान सब कु छ नह कर सकता। बहरहाल, कई लोग हर काम ख़द करने क
करते ह। और ज़ािहर है, वे असफल होते ह।
हर ि यह चाहता है क अपने मह वपूण काम वह ख़द करे , ले कन एक िनि त
ऊँचाई पर प चँ ने के बाद गित करने के िलए दूसर को काम स पना अिनवाय हो जाता
है। िबज़नेस क शु आत म तो ि सारे काम ख़द कर सकता है, परं तु िबज़नेस बढ़ने के
बाद काम इतने बढ़ जाते ह क सहयोिगय के िबना तर क़ नह हो सकती। ऐसे म अगर
वह सही सहयोगी खोजकर उ ह काम स पना (डेलीगेशन) सीख ले, तो वह आगे भी गित
कर सकता है। अगर वह यह नह सीख पाता, तो भिव य म उसक गित क संभावना
धूिमल हो जाती है।
बहरहाल, दूसर को मह वपूण काम स पना आसान नह होता। दूसर क यो यता,
बुि , मता और िन ा पर भरोसा करना आसान नह होता। ले कन बड़ी सफलता
हािसल करने के िलए ऐसा करना अिनवाय होता है। इसके बाद ही स ी गित संभव है,
य क अब आप अके ले नह ह। अब आपके पास एक टीम है, िजसक वजह से आपका
समय कई गुना बढ़ जाता है और आप उसका सदुपयोग करके यादा तेज़ी से अपनी मंिज़ल
पर प चँ सकते ह।
इसिलए समय के सव े उपयोग का पाँचवाँ िस ांत है : काम स पना सीख।
यादातर लोग के साथ एक बड़ी सम या यह है क वे हर काम ख़द करने क
कोिशश करते ह। वे दूसर को काम नह स पना चाहते, य क उ ह लगता है, ‘म इसे
यादा अ छी तरह से कर सकता ,ँ ’ या ‘म इसे दूसर से यादा ज दी कर सकता ।ँ ’
उ ह यह समझ ही नह आता है क बड़ी सफलता पाने के िलए उ ह दूसर को काम स पना
ही होगा, चाहे यह उ ह पसंद हो या न हो। गित क राह म एक ऐसा मोड़ आता है, जहाँ
भिव य म गित करने के िलए दूसर को काम स पना अिनवाय हो जाता है, इसिलए
बेहतर होगा क आप काम स पने क कला सीख ल।
काम स पने के िलए आपको िसफ़ इतना करना है क आप कसी सही ि को
खोजकर उसे काम स प द। यानी क ऐसा ि चुन, िजसम उस काम को अ छी तरह से
करने क मता और इ छा हो। फर उसे बता द क उसे या करना है, कै से करना है और
कब तक करना है। इसके बाद आप स पे गए काम और उसके पूण होने क तारीख़ को
अपनी डायरी म िलख ल। डेलीगेशन या काम स पने का तरीक़ा इतना ही आसान है।
काम क कृ ित से भी समय के फै लने या िसकु ड़ने का संबंध होता है। जब कसी काम
म हमारी िच होती है, तो वह काम ज दी हो जाता है। दूसरी ओर, जब कसी काम म
हमारी िच नह होती, तो वह देर से होता है। इसीिलए यह कहा जाता है क वह ि
सौभा यशाली है, जो अपने काम से ेम करता है, य क वह कम समय म यादा काम
कर सकता है, यादा अ छी तरह से काम कर सकता है और इस वजह से यादा सफल भी
हो सकता है।
िज स तरहबनाना
पैसे क बबादी को रोकने के िलए बजट
ज़ री है, उसी तरह समय क बबादी को रोकने के िलए टाइमटेबल
बनाना ज़ री है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का दसवाँ िस ांत है : टाइमटेबल बनाएँ।
आपका टाइमटेबल दो तरह का हो सकता है : पूण टाइमटेबल और संि
टाइमटेबल।
पूण टाइमटे बल
पूण टाइमटेबल म आप पूरे 24 घंटे क योजना बनाते ह, जब क संि टाइमटेबल म आप
िसफ़ सीिमत समय क ही योजना बनाते ह।
आइए, पूण टाइमटेबल का उदाहरण देख :
संि टाइमटे बल
संि टाइमटेबल म आप पूरे दन क योजना नह बनाते, िसफ़ अपने कामकाज या
िबज़नेस के घंट क योजना बनाते ह। मान ल, आप हर दन 8 घंटे काम करना चाहते ह।
इस ि थित म आप ख़द से कहते ह, ‘म सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 2
बजे से शाम 6 बजे तक काम क ँ गा।’ आपके टाइमटेबल म बाक़ काम क कोई योजना
नह होती। इसम िसफ़ आपके काम के समय क योजना होती है। य द कसी दन या कसी
स ाह आपके पास ज़ रत से यादा काम होता है, तो उसे पूरा करने के िलए आप अपने
टाइमटेबल म एक–दो घंटे का समय बढ़ा लेते ह। ऐसी ि थित म आप ख़द से कहते ह, ‘म
सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 2 बजे से शाम को 7 या 8 बजे तक काम
क ँ गा।’
बे हतरीनअसफल
ल य और सव े योजना के बावजूद आप
हो सकते ह, बशत आप उन पर अमल न कर। कम ही वह जादुई त व है,
जो आपको थायी सफलता दलाता है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का यारहवाँ िस ांत है : कम म जुट जाएँ।
हम सब जानते ह क िबना मेहनत कए हम सफल नह हो सकते, परं तु आ यजनक
बात यह है क इसके बावजूद हम मेहनत से जी चुराते ह, काम को टालते रहते ह, मूड न
होने का बहाना बनाते ह, समय या संसाधन क कमी का तक देते ह यानी काम करने के
अलावा सब कु छ करते ह। इस संदभ म तुलसीदास जी के इस दोहे को याद रख, ‘सकल
पदारथ ह जग माह । करमहीन नर पावत नाह ।’ यानी इस संसार म सारी चीज़ हािसल
क जा सकती ह, ले कन वे कमहीन ि को नह िमलती ह।
काम से जी चुराने का मूलभूत कारण यह है क हम वभाव से आलसी होते ह और
हमारा मन हम मनोरं जन या आनंद क आसान तथा आकषक राह क तरफ़ ख चता है।
हम यह भूल जाते ह क सफलता क राह मुि कल से भरी होती है, िजस पर चलने का
म करने के िलए हम अपने मन पर क़ाबू पाना होगा, अपनी इ छाशि को दृढ़ करना
होगा और ल य क तरफ़ लगातार बढ़ना होगा। हम यह भी भूल जाते ह क सफल ि
अपने मूड के दास नह , बि क उसके वामी होते ह।
इस संबंध म सबसे अ छी सलाह यह है, ‘कोई काम शु करते समय अपने मूड से
सलाह न ल।’ यानी अपने मूड के िहसाब से नह , बि क अपने ल य और योजना के
अनुसार काम कर। िव िव यात नाटककार जॉज बनाड शॉ का कई बार िलखने का मूड
नह होता था। ले कन मूड हो या नह , वे िलखते थे, य क उ ह ने महान सािह यकार
बनने के अपने ल य को कभी अपनी नज़र से ओझल नह होने दया। अपने इस ल य को
ा करने के िलए उ ह ने संक प कया क वे हर दन पाँच पेज िलखगे, चाहे उनका मूड
कै सा भी हो।
अगर आप भिव य म सफलता क फ़सल काटना चाहते ह, तो आपको उसके िलए
बीज आज बोने ह गे। अगर आप आज बीज नह बोएँग,े तो भिव य म फ़सल काटने क
उ मीद कै से कर सकते ह? पूरी सृि कम और फल के िस ांत पर चलती है, इसिलए
आपको अपने कम के अनुपात म ही फल िमलगे।
य द आपको साँप दखता है, तो उसे मार डाल। साँप पर कमेटी बैठाने क
कोई ज़ रत नह है।
— हेनरी रॉस पेरॉ
समय के सव े उपयोग का बारहवाँ िस ांत
अपनी काय मता बढ़ाएँ
कु शलता कसी ब से म चीज़ को पैक करने क तरह है। अ छी तरह पैक
करने वाला बुरी तरह पैक करने वाले क तुलना म दुगुनी चीज़ पैक कर
सकता है।
— रचड सेिसल
द आपको टाइ पंग आती है, तो एक काम कर। उस व त को याद कर, जब आपने
य पहली बार टाइ पंग शु क थी। तब आप कतनी तेज़ी से टाइप कर सकते थे?
शायद पाँच श द ित िमनट। और अब या ि थित है? शायद तीस श द ित
िमनट। ज़मीन–आसमान का फ़क़ है! ऐसा य ? य क आपने टाइ पंग सीखी, आपने
िनरं तर अ यास कया, आपने शॉटकट क ज़ का उपयोग कया, िजसका नतीजा यह आ
क आपक टाइ पंग क गित बढ़ गई। समय के े म भी आपको यही करना है। यहाँ भी
आपको अपनी काय- मता बढ़ाना है, ता क आप उतने ही समय म दोगुना काम कर पाएँ।
इसिलए समय के सव े उपयोग का बारहवाँ िस ांत है : अपनी काय मता बढ़ाएँ।
अपनी काय मता बढ़ाने के िलए आपको अपने चुने ए े म लगातार सीखना
होगा और िनरं तर नए–नए उपाय को आज़माना होगा, िजनका इ तेमाल करके आप
अिधक यो य, अिधक तेज़ और अिधक स म बन सक। इसके िलए आपको उस े के
महारिथय से सलाह लेना चािहए या कम से कम उ ह काम करते देखना चािहए। आप
अपने चुने ए े म होने वाले सेिमनार म जाकर या कोई पु तक पढ़कर अपना ान
बढ़ा सकते ह। और सबसे बड़ी बात, आप अपनी काय मता बढ़ाने के िलए इं टरनेट के वृहद
ान–भंडार का दोहन कर सकते ह।
काय मता बढ़ाने क पहली शत है इ छा। आपके भीतर इसक इ छा होनी चािहए।
यादातर लोग को इस काम म बड़ी द क़त आती है। उनका अहं यह मानने को तैयार ही
नह होता क कोई दूसरा उनसे यादा स म है। उ ह हमेशा यही लगता है क वे िजतना
कर रहे ह, उससे यादा हो ही नह सकता। वे हमेशा कम स म लोग से अपनी तुलना
करके ख़द को े सािबत करते ह। काय मता बढ़ाने क दूसरी शत है ान। आपको यह
ान होना चािहए क मता कै से बढ़ाई जा सकती है। इस संदभ म थोड़ा सोच–िवचार
कर। उस े के मािहर लोग से सीख। पु तक पढ़, सेिमनार म जाएँ। जब आपम अपनी
मता बढ़ाने क बल इ छा होगी और आप इस दशा म मेहनत करने को तैयार ह गे, तो
आपको उपाय अव य िमल जाएगा।
जो सबसे यादा जानता है, वह बबाद समय के िलए सबसे यादा दुखी
होता है।
— दाँते
यह डेलीगे टंग या काम स पने से अलग बात है। डेलीगे टंग म आप समय बचाने के
िलए कम मह वपूण काम अपने अधीन थ को स पते ह, जब क समय ख़रीदते समय आप
कम मह वपूण काम बाहरी लोग से करवाते ह। य द आपके एक घंटे का मू य 100 पए है
और सामने वाला आपका एक घंटे का काम 10 पए म कर रहा है, तो समझदारी इसी म
है क आप उससे वह काम करवा ल, ता क आप उस बचे ए समय म यादा उपयोगी और
मू यवान काम कर सक।
उ ीसव सदी के मश र कृ ित–िव ानी लुइस अगासी को िनयिमत प से भाषण
देने के िलए बुलाया जाता था। एक बार वे कोई मह वपूण काम कर रहे थे, िजसक वजह
से उनके पास समय नह था। ऐसे म जब एक आयोजक ने उ ह भाषण देने के िलए
आमंि त कया, तो उ ह ने इं कार कर दया। आयोजक ने ज़ोर देते ए कहा क भाषण के
बदले म वह उ ह पैसे देगा। यह सुनकर अगासी आगबबूला हो गए और बोले, ‘पैसे का
लालच मुझे नह िडगा सकता। म पैसे कमाने के िलए अपना समय बबाद नह कर सकता!’
मारे शरीर म एक घड़ी होती है, िजसे बायोलॉिजकल लॉक कहा जाता है। जब आप
ह िनि त समय पर काम करने क आदत डाल लेते ह, तो आपका शरीर उसी अनुसार
ढल जाता है। य द आप हर दन दोपहर डेढ़ बजे खाना खाते ह, तो आपको उस समय
अपने आप भूख लगने लगेगी। य द आप हर दन रात को दस बजे सोते ह, तो आपको उस
समय अपने आप न द आने लगेगी। यह बायोलॉिजकल लॉक है, जो आपसे िनि त समय
पर िनि त काम करवा रही है; बस आपको आदत डालकर इसम चाबी भरनी पड़ती है।
िस दाशिनक इमैनुअल कांट समय के बड़े पाबंद थे। वे हर शाम को साढ़े तीन बजे
घूमने जाते थे और इसम एक िमनट भी इधर से उधर नह होता था। उनक समय क
पाबंदी से उनके पड़ोिसय को यह लाभ होता था क वे इससे अपनी घड़ी िमला सकते थे।
य द आप िनि त समय पर िनि त काम करने क आदत डाल लेते ह, तो उस समय
आपका शरीर और मन दोन ही उस काम को करने के िलए पूरी तरह तैयार होते ह। अगर
आप सुबह ठीक छह बजे घूमने जाते ह, तो शरीर इसके िलए पूरी तरह तैयार होता है और
आपको इसम आलस कम आता है। दूसरी ओर, अगर घूमने का कोई िनि त समय नह है,
तो आप आसानी से आलस के िशकार हो जाते ह।
ख़ास तौर पर अि य काम के िलए यह आदत बड़ी कारगर होती है। अगर आपको
पढ़ाई करना है, तो उसका िनि त समय तय कर ल। अगर आपको से स म को ड कॉल
करना है, तो उसके िलए िनि त समय तय कर ल। अगर आपको ायाम करना है, तो
उसके िलए िनि त समय तय कर ल। हर मह वपूण काम का िनि त समय तय करने से
आप शारी रक और मानिसक प से उस काम के िलए पूरी तरह तैयार रहते ह।
इसिलए समय के सव े उपयोग का सोलहवाँ िस ांत है : िनि त समय पर काम
कर।
िजन लोग के पास ख़ाली समय होता है, वे हमेशा काम करने वाले लोग
का समय बबाद करगे।
— थॉमस सोवेल
िजस पल िब माक यह कह रहे थे, उसी समय एक नौकर आया और उसने िब माक
से कहा क उनक प ी उनसे कोई ज़ री बात करना चाहती ह।
एक बार ूक अॉफ़ वे लंगटन ने युवा ि टश नेता पाम टन को सुबह साढ़े सात बजे
का अपॉइं टमट दया। एक िम ने पाम टन से पूछा क वे तो रात को देर तक जागते ह,
फर वे इतनी सुबह अपॉइं टमट के िलए कै से प च
ँ गे। पाम टन का जवाब था, ‘ब त
आसान है। यह सोने से पहले मेरा आिख़री काम होगा।’ यही है अनुशासन! पाम टन
जानते थे क वह मुलाक़ात मह वपूण थी, इसिलए उ ह ने देर तक जागने क अपनी आदत
को आड़े नह आने दया। उ ह ने अपनी दनचया म थोड़ा फे रबदल करके यूटन के गित के
पहले िनयम का इ तेमाल कया। आप भी ऐसा ही कर सकते ह! अनुशासन का इ तेमाल
करके गित क राह पर चल पड़ और सामने आने वाली हर बाधा को दूर करते जाएँ।
लोग यह बात भूल जाते ह क आपने कोई काम कतनी तेज़ी से कया —
ले कन वे हमेशा याद रखते ह क आपने उसे कतनी अ छी तरह कया।
— हॉवड ड यू. यूटन
समय के सव े उपयोग का बीसवाँ िस ांत
तय कर क कौन सा काम कब करना है
मने यह सीखा है क हम कु छ भी कर सकते ह, ले कन हम सब कु छ नह कर
सकते... कम से कम एक समय म तो नह । इसिलए ाथिमकता के बारे म
सोचते समय आपका यान इस बात पर क त नह होना चािहए क आप
कौन से काम करते ह, बि क इस बात पर होना चािहए क आप उ ह कब
करते ह। टाइ मंग ही सबसे मह वपूण चीज़ है।
— डैन िमलमैन
‘जो जकहावत
दी सोता है, ज दी उठता है, उसके पास वा
को आज के युग म िजतना नज़रअंदाज़
य, पैसा और बुि रहती है।’ इस
कया गया है, उतना कसी दूसरी
कहावत को नह कया गया। यह बात म अनुभव से जानता ।ँ कभी म भी रात को 2–3
बजे सोकर सुबह 8–9 बजे उठता था और अगर आप आधी रात के बाद सोते ह, तो आप भी
मेरी ही ेणी म आते ह। टाइम मैनेजमट क दृि से यह िबलकु ल ही ग़लत है, य क सुबह
देर से उठने पर आपके पास दूसरे काम के िलए तो समय रहता है, अपने िलए समय नह
रहता।
लोग यह तक दे सकते ह (कभी म भी देता था) क सुबह उठना उनके बूते क बात
नह है, रात क शांित म काम यादा अ छी तरह होता है और रात को वे चाहे िजतनी देर
तक काम कर सकते ह। ले कन ये तक लचर ह। सुबह 4 बजे उठने पर भी शांित ही रहती है
और उसम काम अपे ाकृ त यादा अ छी तरह होता है। मु य बात यह है क उस समय
काम क गित भी तेज़ होती है, य क शरीर और दमाग़ दोन ही तरोताज़ा होते ह। रात
को वातावरण म अॉ सीजन क मा ा कम हो जाती है, इसिलए आपका दमाग़ कम चल
पाता है और दमाग़ी काम के िलए रात का समय आदश नह होता है। आदश समय तो
सुबह का ही रहता है, जब वातावरण अॉ सीजन से भरपूर रहता है। यक़ न न हो, तो
सुबह छह बजे और शाम को छह बजे उसी सड़क पर घूमकर देख ल।
एक बात जान ल, समय के सव े उपयोग म सबसे बड़ी द क़त दूसर क तरफ़ से
आती है और सुबह यह द क़त सबसे कम होती है, इसिलए सुबह के एक घंटे म आप
िजतना काम कर लेते ह, उतना दोपहर म तीन घंट म हो पाएगा। सुबह मोबाइल का
टशन भी नह रहता, अख़बार भी देर से आता है, ब े भी ाय: देर से उठते ह, इसिलए
आप पूरी एका ता से काम कर सकते ह।
आदश ि थित म तो िनयम यह है क सूरज उगने से दो घंटे पहले उठ और सूरज डू बने
के दो घंटे बाद सो जाएँ। जब आप सुबह चार बजे उठते ह, तो आपके पास समय ही समय
रहेगा। अॉ फ़स जाने से पहले भी आपके पास चार–पाँच घंटे का समय रहेगा। इस दौरान
आप ायाम कर सकते ह, पूरे दन क योजना बना सकते ह और अपने मह वपूण काम
िनबटा सकते ह। दूसरी ओर, ज दी सोने क आदत से भी आप ब त सी सम या से मुि
पा लेते ह। आपको देर रात क पा टय से मुि िमल जाती है। इसके अलावा, आपक
जीवनशैली यादा व थ हो जाती है।
टी. वी. के कारण आज िजतना समय बबाद हो रहा है, उतना इितहास म कभी कसी
दूसरी वजह से नह आ – वैसे फ़े सबुक भी ब त तेज़ी से इस ेणी म आता जा रहा
है। टी.वी. के कई दु भाव होते ह, ले कन हम यहाँ पर के वल समय क बबादी के बारे म
बात करगे। एक सव म यह पाया गया क लोग हर स ाह लगभग 17 घंटे टी.वी. देखते ह
यानी लगभग ढाई घंटे ित दन। इसका मतलब है क लोग हर दन अपने पास उपल ध
स य समय का 20 ितशत िह सा टी.वी. देखने म गँवा रहे ह।
ज़रा ग़ौर से सोच, अगर आपने टी.वी. नह देखा, तो या आफ़त आ जाएगी? अ सर
होता यह है क हम यह सोचकर टी.वी. देखने बैठते ह क बस आधा घंटे देखूँगा। आधा घंटे
बाद दूसरे चैनल पर कोई अ छा काय म दख जाता है और इस तरह कब दो घंटे हो जाते
ह, पता ही नह चलता। इस च र म आपके ब त से ज़ री काम अधूरे रह जाते ह। टी.वी.
के ब त से समथक इसके शैि क मह व का दावा करते ह, ले कन मुझे तो आज तक ऐसा
कोई ि नह िमला, जो िसफ़ शैि क मह व के िलए टी.वी. देखता हो। अगर िश ा ही
हण करनी है, तो टी.वी. से बेहतर िवक प मौजूद ह : पु तक पढ़ या इं टरनेट से जानकारी
ल। वैसे य द आप टी. वी. पर के वल ानवधक काय म ही देखते ह, तो यह अ याय आपके
िलए नह है।मेरे एक प रिचत ह, िजनके यहाँ टी.वी. सुबह से रात तक चलता रहता है।
सुबह वे ख़द यूज़ देखते ह, बीच–बीच म ब े कू ल जाने से पहले काटू न देख लेते ह,
दोपहर म प ी के सी रय स और गाने चलते ह, शाम को वे ख़द घर लौटकर यूज़ और
सी रय स देखते ह, बीच–बीच म ब के काटू न चलते रहते ह। यानी पूरा दन टी.वी. के
ित ही सम पत होता है। टी.वी. उनके प रवार का एक थायी और सबसे मह वपूण
सद य बन चुका है। और तो और, वे खाना भी टी.वी. देखते ए ही खाते ह, िजससे न तो
उ ह खाने का वाद आता है, न ही उ ह यह अंदाज़ा रहता है क वे कतना खा गए।
नतीजा यह होता है क वे ज़ रत से यादा खा जाते ह और दनो दन मोटे होते जाते ह।
ब े कतनी देर तक टी.वी. देखते ह, इसका िहसाब लगाना मुि कल होता है। इसका
एक उदाहरण देख। चौथे ेड क लास म एक सव कया गया क िव ाथ कतने घंटे टी.
वी. देखते ह। तब उस लास म अमे रक संगीतकार रॉब जॉ बी भी पढ़ते थे। रॉब के
िश क के होश उड़ गए, जब उ ह यह पता चला क रॉब एक दन म नौ घंटे टी.वी.
देखता है। उ ह ने रॉब से पूछा क रात को देर तक जागे िबना वह इतने समय टी.वी. कै से
देख लेता है। उसका जवाब था, ‘म सुबह ज दी उठ जाता ँ और कई बार तो मुझे कृ िष
संबंधी काय म देखने पड़ते ह, य क इतनी सुबह वही काय म आते ह।’ इस संग को
कई साल हो चुके ह। अब तो चौबीस घंटे मनपसंद काय म चलते रहते ह और अपने मन
पर क़ाबू रखने के िलए काफ़ अनुशासन क ज़ रत होती है।
ज़ राह, गाने
सोच, मोबाइल से हम आजकल कतने सारे काम करते ह! हम उस पर बात करते
सुनते ह, फ़ म देखते ह... और तो और, गेम खेलते ह, चै टंग करते ह, फ़े सबुक
पर जाते ह, नेट स फ़ग करते ह, इं टरनेट ब कं ग करते ह, फ़ोटो ख चते ह, वीिडयो बनाते
और देखते ह। एक छोटे से मोबाइल क बदौलत आज दुिनया सचमुच हमारी मु ी म आ
चुक है।
ले कन ज़रा ठहर! ज़रा सोच क कु छ साल पहले जब मोबाइल नह थे, तब भी
हमारा जीवन अ छी तरह चल रहा था। यह भी िवचार कर क मोबाइल युग म क़दम
रखने के बाद हमारा कतना सारा क़ मती समय िनरथक चीज़ म बबाद हो जाता है।
आज के युवा मोबाइल पर गाने सुनने, चै टंग करने और बातचीत करने म इतने खोए रहते
ह क उनके पास कु छ सोचने क फ़ु रसत ही नह रह गई है। जहाँ समय ख़ाली िमला,
मोबाइल चालू हो जाता है। और तो और, लास म म भी िव ाथ मोबाइल पर मैसेज
भेजते रहते ह। वे यह नह जानते क मोबाइल फ़ोन वा य के िलए ख़तरनाक होते ह।
अिधकांश मोबाइल फ़ो स म से घातक इले ो-मै े टक रे िडएशन िनकलता है,
िजससे कई कार के ख़तरे उ प हो जाते ह। अ यिधक रे िडएशन क वजह से ेन ूमर,
नपुंसकता, कसर, गभपात, ित त डीएनए क िवकृ ित जैसी कई ख़तरनाक बीमा रयाँ
हो सकती ह। इसिलए आप मोबाइल का िजतना कम उपयोग कर, उतना ही आपके
वा य के िलए अ छा है। ले कन मोबाइल क महामारी दन दूनी रात चौगुनी गित से
बढ़ती जा रही है। एक अ ययन से पता चला है क अमे रका के लोग लगभग 3 घंटे का
समय अपने मोबाइल इं टरनेट पर िबताते ह, िजसका दो–ितहाई िह सा इं टट मैसे जंग म
इ तेमाल होता है।
मोबाइल हमारे समय के सबसे बड़े श ु म से एक है, य क यह हम मह वहीन
काम म उलझा देता है और मह वपूण काम करने से रोकता है। मेरी एक प रिचत
िव ाथ है, िजसके माता–िपता ने उसे आईआईटी क परी ा म बैठने के िलए े रत
कया, को चंग क भारी–भरकम फ़ स भरी, ले कन वह लड़क पढ़ाई करने के बजाय
कमरा बंद करके मोबाइल पर चै टंग करती रही। नतीजा वही आ, जो तय था : वह
परी ा म पास नह हो पाई।
इसिलए समय के सव े उपयोग का चौबीसवाँ िस ांत है : मोबाइल का यूनतम
उपयोग कर।
मोबाइल से दोतरफ़ा समय बबाद होता है : या तो हम ख़द ही अपना समय बबाद
करते ह या फर इसके मा यम से दूसरे हमारा समय बबाद करते ह। जब भी कसी का मन
होता है, वह हमारे मोबाइल क घंटी बजा देता है। हम कोई मह वपूण काम कर रहे होते ह
क बीच म ही कोई फ़ोन आ जाता है, िजससे काम का पूरा जोश ठं डा पड़ जाता है।
मोबाइल के कारण हम रात को भी चैन से नह सो पाते ह। आधी रात को कोई मैसेज या
फ़ोन आकर हमारी न द ख़राब कर देता है। देिखए, इं टरनेट से भी हमारा समय बबाद
होता है, ले कन उसके ईमेल हमारी न द ख़राब नह करते ह। ईमेल हम अपनी इ छा से
चेक करते ह, जब क मोबाइल पर हम हमेशा मौजूद रहना पड़ता है।
मोबाइल पर समय क बबादी को देखते ए कु छ लोग दो मोबाइल नंबर रखते ह :
एक सबके िलए और दूसरा कु छ ख़ास लोग के िलए। वे अपना सावजिनक मोबाइल नंबर
शाम को बंद कर देते ह, ता क कोई अनाव यक प से उ ह परे शान न करे । कोई मह वपूण
कॉल छू ट न जाए, इसके िलए वे हर दो–तीन घंटे बाद फ़ोन चालू करके िम ड कॉल चेक
कर लेते ह। कई लोग अपने सेलफ़ोन को साइलट मोड पर रखते ह और िम ड कॉल देखकर
अपनी सुिवधा से बात करते ह। मी टंग म सेलफ़ोन बंद कर द, य क कसी मह वपूण
चचा के बीच म मोबाइल क घंटी बजने से न िसफ़ आपक , बि क बाक़ लोग क भी
एका ता भंग होती है। मोबाइल आधुिनक युग क वह देन है, िजसका फं दा आपके समय के
गले म दनो दन कसता ही जा रहा है और य द आपने इसका कोई इलाज नह कया, तो
यह आपके यादातर समय का स यानाश कर देगा। इसिलए मोबाइल का यूनतम उपयोग
कर और उससे बचने वाले समय का अिधकतम सदुपयोग कर।
आलस के कारण इं सान अपने मह वपूण काम नह कर पाता है, इसिलए अपनी ऊजा
के तर को बनाए रख और आलस नामक महारोग से बच।
सफलता का सू सरल है : सही काम कर, सही तरीक़े से कर, सही समय पर
कर।
— अरनॉ ड एच. लासगो
समय के सव े उपयोग का उनतीसवाँ िस ांत
बुरी लत से बच
उस ि का कतना सारा समय बच जाता है, जो इस बात पर नज़र नह
रखता क उसका पड़ोसी या कहता, करता या सोचता है।
— माकस अॉरे िलयस
सा पेहमारा
ता का िनयम समय के संदभ म भी ब त मह वपूण है। समय वही रहता है, बस
नज़ रया बदल जाता है। आपने ाय: देखा होगा, ब े जब वीिडयो गेम
खेलते ह, तो उ ह भूख– यास का एहसास ही नह होता, उ ह पता ही नह चलता क कब
दो घंटे गुज़र गए। दूसरी ओर, जब ब े पढ़ते ह, तो उ ह सौ काम याद आ जाते ह और पं ह
िमनट म ही उ ह ऐसा लगता है क ब त समय हो गया। यह सापे ता के िनयम के कारण
होता है।
अपना ि य और मनपसंद काम करते समय आपको समय का एहसास ही नह होता,
य क तब आप लय म होते ह, िजसे मनोवै ािनक लो म रहना कहते ह। इस समय आप
जो काम करते ह, वह सहज ही बेहतरीन होता है, य क आप िबना कोिशश कए सव े
काय करते ह। बेहतर यही है क आप सापे ता के िनयम को यान म रखकर अपने काम
को दलच प बनाने के तरीक़े खोज, ता क आप लय म काम कर सक। अपने सबसे
मह वपूण काम को दलच प बनाएँ और दलच प मान।
मान ल, आप से समैन ह और आपको अपने काम से नफ़रत है। ऐसे म आप 1 घंटे
काम करने से ही थक जाएँगे और सोचगे क बाक़ का काम आप कल कर लगे। दूसरी ओर,
य द आप अपने ल य को यान म रखते ह, अपने िपछले रकॉड से ित पधा करते ह और
आज एक नया क तमान बनाना चाहते ह, तो आपको यह एक दलच प खेल लगेगा,
िजससे आपम नई ऊजा का संचार होगा। कु छ दलच प कर, िजसम आपका मन लगे। य द
आपका काम इतना नीरस है क उसे दलच प बनाने का कोई उपाय ही नह है, तो या तो
काम बदल ल या फर कसी िवशेष से उसे दलच प बनाने का कोई उपाय पूछ ल। आप
काम के अंत म ख़द को पुर कार का लालच भी दे सकते ह। य द आपको पता होगा क
काम पूरा होने पर आप टेबल पर पैर रखकर हॉट चॉकलेट िपएँगे या कोई फ़ म देखगे या
पसंदीदा िडनर करगे, तो इससे आपको ेरणा िमलेगी और काम म दलच पी भी बढ़ेगी।
इतना ही य , अपने आ थक ल य को याद करते रह और यह क पना कर क उसे ा
करने पर आपका जीवन कतना सुखमय हो जाएगा। ल य हमारे पैर को आगे बढ़ने क
शि देते ह और हम क सहन करने का संबल दान करते ह। य द आपका सपना पया
शि शाली है, तो यह आपको लगातार आगे बढ़ने के िलए े रत करता रहेगा।
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