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टाइम

मैनेजमट
टाइम
मैनेजमट
समय के सव े उपयोग
के 30 िस ांत

संशोिधत और िव तृत सं करण

डॉ. सुधीर दीि त


First published in India by

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Sudhir Dixit asserts the moral right to be identified as the author of this work

Revised and expanded edition, first published in 2011


Seventh impression 2016

Copyright © 2011 by Dr. Sudhir Dixit

ISBN 978-81-8322-018-7
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िवषय सूची

नए सं करण क तावना
खंड 1 : तीन बुिनयादी सवाल
पहला बुिनयादी सवाल : आजकल समय क इतनी कमी य महसूस होती है?
दूसरा बुिनयादी सवाल : आपके पास दरअसल कतना समय है?
तीसरा बुिनयादी सवाल : आपका समय कतना क़ मती है?
खंड 2 : समय के सव े उपयोग के 30 िस ांत
1. समय क लॉग बुक रख
2. आ थक ल य बनाएँ
3. सबसे मह वपूण काम सबसे पहले कर
4. या ा के समय का अिधकतम उपयोग कर
5. काम स पना (डेलीगेशन) सीख
6. पैरेटो के 20/80 के िनयम को जान
7. पा क सन के िनयम का लाभ ल
8. अपने ाइम टाइम म काम कर
9. वयं को वि थत कर
10. टाइमटेबल बनाएँ
11. कम म जुट जाएँ
12. अपनी काय मता बढ़ाएँ
13. डेडलाइन तय कर
14. समय ख़रीदना सीख
15. भावी लाभ के िलए वतमान म याग कर
16. िनि त समय पर काम कर
17. समय क बबादी के गु वाकषण िनयम को जान
18. यूटन के गित के पहले िनयम का लाभ ल
19. यह मह वपूण नह है क आपने कतने समय काम कया; मह वपूण तो प रणाम ह
20. तय कर क कौन सा काम कब करना है
21. सुबह ज दी उठ
22. एक घंटा ायाम कर
23. टी.वी. के संदभ म सावधान रह
24. मोबाइल का यूनतम उपयोग कर
25. इं टरनेट पर समय बबाद न कर
26. आलस से बच
27. टालमटोल न कर
28. अगले दन क योजना बनाकर अवचेतन मन क शि का लाभ ल
29. बुरी लत से बच
30. सापे ता के िनयम को समझ
नए सं करण क तावना
इस पूरे संसार म िसफ़ एक ही कोना है, िजसे सुधारना पूरी तरह से आपके
हाथ म है — और वह है आप वयं।
— आ डस ह सले

मु झेकख़शी है क टाइम मैनेजमट पु तक पाठक को इतनी पसंद आई और उपयोगी लगी


िपछले पाँच साल म इसके कई सं करण हाथोहाथ िबक चुके ह। पाठक अपने प
म बार–बार एक ही िशकायत करते थे क यह कु छ यादा ही छोटी है। इसे जान–बूझकर
छोटा रखा गया था! इसके पीछे सोच यह थी क समय बंधन क पु तक म समय बचाने
के तरीक़े बताए जाते ह, इसिलए इसे पढ़ने म यादा समय नह लगना चािहए! ले कन
लेखक हमेशा से पाठक क सलाह मानते आए ह, इसिलए पाठक क माँग पर अब इस
पु तक को थोड़ा बड़ा कर दया गया है... बस थोड़ा सा।
मूल सं करण म समय के सव े उपयोग के 10 िस ांत बताए गए थे। इस सं करण
म 30 िस ांत दए जा रहे ह, ता क पाठक को यादा लाभ हो सके । िपछले पाँच साल म
ए शोध से मने जो कु छ भी नया और उपयोगी सीखा है तथा िजसे समय बंधन के े म
कारगर पाया है, उस सभी का सार इस नवीन सं करण म शािमल है।
इस सं करण म एक मह वपूण प रवतन यह है क पुराने सं करण के ‘म टी–
टा कं ग’ वाले िस ांत को हटा दया गया है। नए शोध से पता चला है क म टी–टा कं ग
यानी एक ही समय म कई काय करना पु ष के िलए काफ़ मुि कल होता है और इससे
एका ता तथा काय क गुणव ा म कमी भी आती है। जैसा पि लिलयस साइरस ने कहा है,
‘एक समय म दो काम करने से एक भी नह होता है।’
इस पु तक को नए व प म लाने के िलए म काशक िवकास राखेजा का ब त
आभारी ,ँ िजनक िनरं तर ेरणा और सतत् आ ह के िबना यह काय संभव नह था।
– डॉ. सुधीर दीि त

अगर आप नह , तो फर कौन? अगर अभी नह , तो फर कब?


— अ ात
खंड 1 :
तीन बुिनयादी सवाल
पहला बुिनयादी सवाल : आजकल समय क इतनी
कमी य महसूस होती है?
दन (सं.) चौबीस घंट क अविध, िजसम से अिधकांश बबाद हो जाती है।
— ए ोज़ िबयस

या आपने कभी सोचा है क आजकल हम समय क इतनी कमी य महसूस होती है?
समय पर काम न करने या होने पर हम झ ला जाते ह, आगबबूला हो जाते ह,
िचढ़ जाते ह, तनाव म आ जाते ह। समय क कमी के चलते हम लगभग हर पल ज दबाज़ी
और हड़बड़ी म रहते ह। इस च र म हमारा लड ेशर बढ़ जाता है, लोग से हमारे संबंध
ख़राब हो जाते ह, हमारा मानिसक संतुलन गड़बड़ा जाता है और कई बार तो दुघटनाएँ
भी हो जाती ह। समय क कमी हमारे जीवन का एक अि य और अिनवाय िह सा बन
चुक है।
या आपने कभी यह बात सोची है : हमारे पूवज को कभी टाइम मैनेजमट क
ज़ रत नह पड़ी, तो फर हम य पड़ रही है? या हमारे पूवज को दन म 48 घंटे
िमलते थे और हम के वल 24 घंटे ही िमल रहे ह? आप भी जानते ह और म भी जानता ँ
क ऐसा नह है! हर पीढ़ी को एक दन म 24 घंटे का समय ही िमला है। ले कन बीसव
सदी क शु आत से हमारे जीवन म समय कम पड़ने लगा है और यह सम या दनो दन
बढ़ती ही जा रही है। बड़ी अजीब बात है, य क बीसव सदी क शु आत से ही मनु य
समय बचाने वाले नए–नए उपकरण बनाता जा रहा है।
बीसव सदी से पहले कार नह थी, मोटर साइकल या कू टर भी नह थे, ले कन
हमारे पूवज को कह प च ँ ने क ज दी भी नह थी। पहले िम सर, फ़ू ड ोसेसर या
माइ ोवेव नह थे, ले कन गृिहिणयाँ िसल पर मसाला पीसने या चू हे पर खाना पकाने म
कसी तरह क हड़बड़ी नह दखाती थ । पहले िबजली नह थी, ले कन कसी को रात–
रात भर जागकर काम करने क ज़ रत भी नह थी। वा तव म तब जीवन यादा सरल
था, य क उस समय इं सान क ज़ंदगी घड़ी के िहसाब से नह चलती थी। औ ोिगक युग
के बाद फ़ै ी, अॉ फ़स और नौकरी का जो दौर शु आ, उसने मनु य को घड़ी का ग़लाम
बनाकर रख दया।
पहले जीवन सरल था और अब ज टल हो चुका है : यही हमारी सम या का मूल
कारण है। पहले जीवन क र तार धीमी थी, ले कन अब तेज़ हो चुक है। अब हमारे जीवन
म इं टरनेट आ गया है, जो पलक झपकते ही हम दुिनया से जोड़ देता है। अब हमारे जीवन
म टी.वी. आ चुका है, िजसका बटन दबाते ही हम दुिनया क ख़बर जान लेते ह। अब हमारे
पास कार और हवाई जहाज़ ह, िजनसे हम तेज़ी से कह भी प च ँ सकते ह। अब हमारे
पास ी–जी मोबाइ स ह, िजनसे हम दुिनया म कह भी, कसी से भी बात कर सकते ह
और उसे देख भी सकते ह। आधुिनक आिव कार ने हमारे जीवन क गित बढ़ा दी है।
शायद आधुिनक आिव कार ही हमारे जीवन म समय क कमी का सबसे बड़ा कारण ह।
इनक बदौलत हम दुिनया से तो जुड़ गए ह, ले कन शायद खुद से दूर हो गए ह।

कई बार सवाल जवाब से यादा मह वपूण होते ह।


— नै सी िवलाड

य द आप समय के सव े उपयोग को लेकर गंभीर ह, तो इसका सबसे सीधा


समाधान यह है : य द आप कसी तरह आधुिनक आिव कार से मुि पा ल और दोबारा
पुराने ज़माने क जीवनशैली अपना ल, तो आपको काफ़ सुिवधा होगी। नह , नह ... म
यहाँ चू हे पर रोटी पकाने या मुंबई से द ली तक पैदल जाने क बात नह कर रहा ।ँ म
तो के वल यह कहना चाहता ँ क मोबाइल, टी.वी., इं टरनेट, चै टंग आ द समय बबाद
करने वाले आिव कार का इ तेमाल कम कर द।
पहले घड़ी हमारे जीवन पर हावी नह ई थी और इसका सीधा सा कारण यह था
क यादातर लोग के पास घड़ी थी ही नह । पहले अलाम घड़ी क कोई ज़ रत नह थी,
मुग क बाँग ही काफ़ थी। तब 8:18 क लोकल पकड़ने का कोई तनाव नह रहता था।
तब कोई काम सुबह नौ बजे हो या सवा नौ बजे, कोई ख़ास फ़क़ नह पड़ता था... ले कन
आज पड़ता है।

दुिनया ब त तेज़ी से बदल रही है। अब बड़े छोट को नह हराएँग;े अब तो


तेज़ धीम को हराएँग।े
— पट मरडॉक

तो इस पु तक को आगे पढ़ने से पहले यह बात अ छी तरह से समझ ल क


डाइिबटीज़, हाई लड ेशर, कोले ॉल और दय रोग क तरह ही समय क कमी भी
एक आधुिनक सम या है, जो आधुिनक जीवनशैली का प रणाम है। य द आप इस सम या
को सुलझाना चाहते ह, तो आपको अपनी जीवनशैली को बदलना होगा। याद रख, दुिनया
नह बदलेगी; बदलना तो आपको ही है। य द आप अपनी जीवनशैली और सोच को बदल
लगे, तो समय का समीकरण भी बदल जाएगा। जैसा अ बट आइं टाइन ने कहा था, ‘हम
िजन मह वपूण सम या का सामना करते ह, उ ह सोच के उसी तर पर नह सुलझाया
जा सकता, िजस पर हमने उ ह उ प कया था।’
अब गद आपके पाले म है! अपनी सोच बदल, जीवनशैली बदल और समय का उिचत
बंधन करके अपना जीवन बदल ल। इस संदभ म आधुिनक बंधन के िपतामह पीटर एफ़.
कर क बात याद रख, ‘जब तक हम समय का बंधन नह कर सकते, तब तक हम कसी
भी चीज़ का बंधन नह कर सकते।’

आधुिनक औ ोिगक युग क सबसे मुख मशीन भाप का इं जन नह , बि क


घड़ी है।
— लुइस ममफ़ोड
दूसरा बुिनयादी सवाल : आपके पास दरअसल
कतना समय है?
आप यह कै से कह सकते ह क आपके पास पया समय नह है? आपके पास
एक दन म उतने ही घंटे ह, िजतने हेलन के लर, लुई पा र, माइकल
ए जेलो, मदर टे रेसा, िलयोनाड द वंची, थॉमस जेफ़रसन और अ बट
आइं टाइन के पास थे।
— एच. जैकसन ाउन

िव धाता ने कसी को सुंदरता यादा दी है, कसी को कम दी है। कसी को बुि यादा
दी है, कसी को कम दी है। कसी को दौलत यादा दी है, कसी को कम दी है।
ले कन समय उसने सबको बराबर दया है : एक दन म 24 घंटे। समय ही एकमा ऐसी
दौलत है, िजसे आप बक म जमा नह कर सकते। समय का गुज़रना आपके हाथ म नह
होता। यह तो घड़ी क सुई के साथ लगातार आपके हाथ से फसलता रहता है। आपके हाथ
म तो बस इतना रहता है क आप इस समय का कै सा उपयोग करते ह। अगर सदुपयोग
करगे, तो अ छे प रणाम िमलगे; अगर दु पयोग करगे, तो बुरे प रणाम िमलगे।
यान देने वाली बात यह है क हमारे पास कहने को तो 24 घंटे होते ह, ले कन
वा तव म इतना समय हमारे हाथ म नह होता। सच तो यह है क समय के एक बड़े िह से
पर हमारा कोई िनयं ण नह होता। 8 घंटे न द म चले जाते ह और 2 घंटे खाने–पीने,
तैयार होने एवं िन य कम आ द म चले जाते ह। यानी हमारे हाथ म दरअसल 14 घंटे का
समय ही होता है। दूसरे श द म, जीवन म िसफ़ 58 ितशत समय पर हमारा िनयं ण
संभव है, जब क 42 ितशत समय हमारे िनयं ण से बाहर होता है। सुिवधा क दृि से
यह मान ल क 40 ितशत समय पर हमारा िनयं ण नह होता, जब क 60 ितशत
समय पर होता है।
इस संदभ म स दय पहले भतृह र क कही गई बात आज भी ासंिगक है, ‘िवधाता
ने मनु य क आयु 100 वष तय क है, िजसम से आधी राि म चली जाती है, बची आधी
म से भी आधी बा याव था और वृ ाव था म गुज़र जाती है और बाक़ बचे 25 वष म
मनु य को रोग और िवयोग के अनेक दुख झेलने पड़ते ह और नौकरी–चाकरी करनी पड़ती
है। इसिलए हम यह कह सकते ह क जलतरं ग के समान चंचल इस जीवन म लेश मा सुख
भी नह है।’
समय अनमोल है, य क वा तव म समय ही संसार क एकमा ऐसी चीज़ है, जो
सीिमत है। अगर आप दौलत गँवा देते ह, तो दोबारा कमा सकते ह। घर गँवा देते ह, तो
दोबारा पा सकते ह। ले कन अगर समय गँवा देते ह, तो आपको वही समय दोबारा नह
िमल सकता। हमारे पास जीवन म ब त कम समय है और यह समय सीिमत है। य द हम
अपनी अपेि त आयु सौ वष मान ल, तो हमारे पास जीवन म कु ल 36,500 दन ही होते
ह। इसी समय िहसाब लगाकर देख क इन 36,500 दन म से आपके पास कतने दन बचे
ह, िजनम आपको अपने जीवन का ल य ा करना है? नीचे दी गई आसान गणना करके
ख़द जान ल क आपके पास अब लगभग कतने दन बचे ह –

खोई दौलत मेहनत से दोबारा हािसल क जा सकती है, खोया ान


अ ययन से, खोया वा य िच क सा या संयम से; ले कन खोया समय
हमेशा–हमेशा के िलए चला जाता है।
— से युअल माइ स

अगर हम जीवन म कु छ करना, कु छ बनना, कु छ पाना चाहते ह, तो यह अिनवाय है


क हम समय का सव े उपयोग करना सीख ल, ता क इस धरती पर अपने सीिमत समय
म हम वह सब हािसल कर सक, जो हम हािसल करना चाहते ह – चाहे वह दौलत या
शोहरत हो, सुख या सफलता हो।

कै लडर से धोखा न खाएँ। साल भर म के वल उतने ही दन होते ह, िजनका


आप उपयोग करते ह। एक ि साल भर म के वल एक स ाह का मू य
ा करता है, जब क दूसरा ि एक स ाह म ही पूरे साल का मू य ा
कर लेता है।
— चा स रचड् स
तीसरा बुिनयादी सवाल : आपका समय कतना
क़ मती है?
समय आपके जीवन का िस ा है। यह आपके पास मौजूद इकलौता िस ा है
और िसफ़ आप ही यह तय कर सकते ह क इसे कै से ख़च कया जाए। सतक
रह, वरना आपके बजाय दूसरे लोग इसे ख़च कर दगे।
— काल सडबग

हा जाता है, ‘समय ही धन है।’ परं तु यह कहावत पूरी तरह सच नह है। सच तो यह


क है क समय िसफ़ संभािवत धन है। अगर आप अपने समय का सदुपयोग करते ह,
तभी आप धन कमा सकते ह। दूसरी ओर, अगर आप अपने समय का दु पयोग करते
ह, तो आप धन कमाने क संभावना को गँवा देते ह।
या आप ठीक–ठीक जानते ह क आपका समय कतना क़ मती है? अगर नह , तो
नीचे दए फ़ॉमूले का योग करके यह जान ल –
समय का मू य ात करने का फ़ॉमूला :
आपके एक घंटे का मू य = आपक आमदनी/काम के घंटे
अपनी आमदनी म काम के घंट का भाग देने से आप जान जाएँगे क आपके एक घंटे
के समय का वतमान मू य या है।
मान ल, आप हर महीने 20,000 पए कमाते ह और इसके िलए आप महीने म 25
दन 8 घंटे काम करते ह। यानी आप कु ल िमलाकर 200 घंटे काम करते ह। इस ि थित म
आपके एक घंटे का मू य होगा : 20,000 (आमदनी) / 200 (काम के घंटे) = 100 पए।
इस उदाहरण म य द आप रोज़ 1 घंटे का समय बबाद करते ह, तो आपको हर दन
100 पए का नुक़सान हो रहा है, यानी एक साल म 36,000 पए। य द आप हर दन दो
घंटे बबाद करते ह, तो इसका मतलब है क आपको हर साल 72,000 पए का नुक़सान हो
रहा है। यह अ यास करने के बाद आपक आँख खुल जाएँगी। इससे एक तो आपको यह
पता चल जाएगा क समय क बबादी करने से आपको कतना आ थक नुक़सान हो रहा है,
इसिलए आप समय बबाद नह करगे। दूसरे , इससे अगर आपको यह आभास होता है क
आपके समय का वतमान मू य संतोषजनक नह है, तो आप उसे बढ़ाने के उपाय खोजने
लगगे।
इस फ़ॉमूले का िसफ़ एक बार योग करने से ही आपके जीवन म चम का रक
प रवतन हो जाएगा। आप समय के उपयोग को लेकर सतक हो जाएँगे। आप समय बबाद
करना छोड़ दगे। आप अपने समय के बेहतर उपयोग के तरीक़े खोजने लगगे। आप कम
समय म यादा काम करने के उपाय खोजने लगगे। और यह सब के वल इसिलए होगा,
य क अब आपको पता चल चुका है क आपके काम का हर िमनट कतना क़ मती है और
उसे बबाद करके आप अपना कतना आ थक नुक़सान कर रहे ह।

आधुिनक मनु य उन चीज़ को ख़रीदने लायक़ पैसा कमाने के पीछे पागल


है, िजनका आनंद वह तता के कारण नह ले सकता।
— क ए. लाक

िजन चीज़ को मनु य ख़च कर सकता है, उनम समय सबसे मू यवान है।
– िथयो े ़ टस
खंड 2 :
समय के सव े उपयोग के 30 िस ांत
समय के सव े उपयोग का पहला िस ांत
समय क लॉग बुक रख
घड़ी को न देखते रह; वही कर जो यह करती है। चलते रह।
— से युअल लीवे सन

िज सबनाने
तरह आप पैस का बजट बनाते ह, उसी तरह समय का भी बजट बनाएँ। बजट
के िलए आपको यह िहसाब लगाना होता है क आपका पैसा कहाँ ख़च हो
रहा है। समय के मामले म भी यही नीित अपनाएँ। एक डायरी ल और एक स ाह तक यह
रकॉड रख क आप कस काम म कतना समय ख़च कर रहे ह। ाइवर क भाषा म इसे
लॉग बुक कहा जाता है, िजसम वे िलखते ह क गाड़ी कतने कलोमीटर चली और कहाँ
तक चली। समय क अपनी लॉग बुक म आप िजतना बारीक िहसाब रखगे, आपको उतना
ही यादा फ़ायदा होगा। और हाँ, लॉग बुक के पहले कॉलम म गितिविध के बजाय घंटे
िलख, ता क कोई मह वपूण अंतराल न छू ट पाए :
आप चाह, तो लॉग बुक बनाने का काम कं यूटर म ए सेल शीट पर या कसी अ य
सॉ टवेयर पर भी कर सकते ह। इसम एक स ाह तक अपने हर घंटे का संि वणन
िलख। गारं टी है क इससे आपक आँख खुल जाएँगी। इससे आपको यह पता चल जाएगा
क आपका समय कन गितिविधय या काम म लग रहा है। मोबाइल फ़ोन पर आपने
कतनी देर बातचीत क , उसके िलए रात को अपने मोबाइल का कॉल रिज टर देखकर
अविध दज कर ल। इं टरनेट पर आपने कतना समय दया, यह भी कं यूटर क घड़ी देखकर
दज कर ल।
एक स ाह बाद रिववार को बैठकर इस पूरे रकॉड का अ छी तरह िव ेषण कर,
ता क आपको पता चल जाए क आप अपना कतना समय इं टरनेट, मोबाइल फ़ोन, टी.वी.
या सामािजक मेल–िमलाप म ख़च कर रहे ह। देिखए, इं सान मूलत: आलसी होता है,
इसिलए आपके मन म भी इस अ यास से बचने का लोभन जा त हो सकता है। आप यह
सोच सकते ह क लॉग बुक रखने क या ज़ रत है। आप यह भी सोच सकते ह क आपको
अ छी तरह मालूम है क आपका समय कहाँ जा रहा है। ले कन ऐसा ह गज़ न कर। लॉग
बुक को वह मह वपूण बुिनयाद समझ, िजसक न व पर समय बंधन का महल खड़ा है।
इसिलए ख़द को अनुशािसत कर और समय के सव े उपयोग के दूसरे िस ांत पर प च
ँ ने
से पहले लॉग बुक रख।
िसफ़ वही इितहास मू यवान है, जो हम आज बनाते ह।
— हेनरी फ़ोड

देिखए, लॉग बुक एक तरह से आपके समय के ख़च का ए स–रे है। जब आप बीमार


होने पर डॉ टर के पास जाते ह, तो वह सटीक बीमारी का पता लगाने के िलए मेिडकल
टे स और ए स–रे करवाता है। ए स–रे क तरह ही यह लॉग बुक भी ज़ री है, य क
इसके िव ेषण से ही आपको सटीकता से पता चलेगा क आपके समय बंधन क मूल
सम या या है। यह कभी न भूल क समय बंधन क पहली आव यकता यह जानना है
क आपका समय कहाँ और कतना ख़च हो रहा है।
लॉग बुक का िव ेषण इस दृि से कर क आपके ारा कए गए कौन से काम
मह वपूण ह और कौन से मह वहीन, कहाँ से समय िनकाला जा सकता है और कन काम
को पूरी तरह या आंिशक प से छोड़ा जा सकता है। जीवन का एक मूलभूत िनयम यह है
क कसी नई चीज़ को करने के िलए आपको कोई पुरानी चीज़ छोड़नी होगी। अगर
आपको कोई चीज़ पानी है, तो उसक क़ मत चुकानी होगी। अब चूँ क आप समय का
सव े उपयोग करना चाहते ह, इसिलए उसके िलए आपको क़ मत तो चुकानी ही होगी।
अत: पुरानी चीज़ को छोड़ने के िलए अपना दल प थर का कर ल और उतनी ही
िनममता से िव ेषण कर, िजतनी िनममता से कोई सजन आपके सीने पर चीरा लगाता है।
समय क फ़ज़ूलख़च को जायज़ और तकसंगत सािबत करने के लोभन से बच। उतनी ही
िन प ता से िव ेषण कर, जैसे यह आपके नह , कसी दूसरे के समय–आवंटन क लॉग
बुक हो।

िजसे करना हमारी शि म है, उसे न करना भी हमारी शि म है।


— अर तू

आपके िव ेषण का उद्दे य यह पता लगाना है क कौन सी गितिविधयाँ िनरथक ह


या कन गितिविधय म आप ज़ रत से यादा समय दे रहे ह, िज ह छोड़कर या िजनम
कटौती करके आप अपना समय ख़ाली कर सकते ह। गहराई से सोच, य क अपने समय
को ख़ाली कए िबना आप नई गितिविधयाँ शु नह कर सकते। अगले िस ांत म आप
आ थक ल य तय करगे, िज ह हािसल करने के िलए आपको अित र समय क ज़ रत
होगी। ले कन आपको अित र समय तभी िमल सकता है, जब आप कु छ पुरानी
गितिविधय को छोड़ने का संक प करके अपना समय ख़ाली कर ल। िव ेषण करते समय
लाल पेन से उन िववरण पर गोला लगा ल, जो आपको अपनी गित के िलए मह वहीन
लगते ह। जैसे, टी.वी. देखना या मोबाइल फ़ोन पर लंबी बातचीत करना या दो त के
साथ पा टय म जाना। य द आप पूरी गंभीरता से िव ेषण करगे, तो आपको अपने समय–
आवंटन म कई सुराख दख जाएँग।े इस तरह आप चुट कय म ही अपने कई घंटे ख़ाली कर
लगे, िज ह आप अनु पादक काम से िनकालकर उपयोगी काय म लगा सकते ह।

जो लोग अपने समय का सबसे बुरा उपयोग करते ह, वही सबसे पहले
इसक कमी का रोना रोते ह।
— जीन डे ला ूयर

देिखए, अगर लॉग बुक रखने से पहले कोई आपसे पूछता क आप कतना समय
बबाद करते ह, तो आप तैश म आकर जवाब देते, ‘म तो ज़रा भी समय बबाद नह करता!’
यह इं सान का वभाव होता है। वह यह मानता है क वह जो कर रहा है, सही कर रहा है।
इसका मूल कारण यह है क वह जानता ही नह है क वह कु छ ग़लत कर रहा है। अगर
उसे मालूम होता क वह कोई ग़लत चीज़ कर रहा है, तो वह उसे करता ही नह । समय-
बंधन के संदभ म दरअसल दोष आपका नह है; वा तव म आपको तो यह एहसास ही
नह है क आपका कतना समय अनाव यक प से ख़च हो रहा है और कहाँ हो रहा है।
यह एहसास तो लॉग बुक रखने के बाद ही होता है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का पहला िस ांत है : लॉग बुक रख।

ग़ मशुदा होने क बात कर, तो यह समझ पाना मुि कल है क वे आठ घंटे


कहाँ चले जाते ह, जो आठ घंटे क न द और आठ घंटे क नौकरी के बाद
बचते ह।
— डग लासन
समय के सव े उपयोग का दूसरा िस ांत
आ थक ल य बनाएँ
ल य से आपक योजना को आकार िमलता है, योजना से आपके काय तय
होते ह, काय से प रणाम हािसल होते ह और प रणाम से आपको सफलता
िमलती है। और यह सब ल य से शु होता है।
— शैड हे सटे टर

गर आपका कोई ल य ही नह है, तो आपक सफलता सं द ध है। अगर आप यही


अ नह जानते क आप कहाँ प च ँ ना चाहते ह, तो आप कह नह प च ँ सकते। जैसे,
कसी या ा पर जाने से पहले आपको यह पता होना चािहए क आप कहाँ जाना
चाहते ह, उसी तरह आपको यह भी पता होना चािहए क आ थक े म आप कहाँ
प चँ ना चाहते ह। तभी आप वहाँ तक प च ँ सकते ह। य द आपक कोई मंिज़ल ही नह है,
तो आप वहाँ तक प च ँ ने क योजना कै से बनाएँगे और उस दशा म कै से चलगे? अगर आप
जीवन म कु छ करना चाहते ह, तो यह जान ल क ल य के िबना काम नह चलेगा।
ल य दो तरह के होते ह : सामा य ल य और िनि त ल य।
सामा य ल य इस कार के होते ह, ‘म और यादा मेहनत क ँ गा,’ ‘म अपनी
कायकु शलता बढ़ाऊँगा,’ ‘म अपनी यो यता म वृि क ँ गा’ इ या द। दूसरी ओर, प
ल य इस कार के होते ह, ‘म हर दन 8 घंटे काम क ँ गा,’ या ‘म हर महीने 20,000
पए कमाऊँगा,’ या ‘म सॉ टवेयर िडज़ाइ नंग का कोस क ँ गा।’ प ल य वे होते ह,
िज ह नापा या जाँचा जा सकता है।
ल य िजतना प होता है, आपके सफल होने क संभावना उतनी ही यादा होती
है। प आ थक ल य सफलता के िलए कतने मह वपूण होते ह, इसका एक उदाहरण
देख।
‘एक से समैन क प ी अ पताल म लंबे समय तक भत रही। हैरानी क बात यह
थी क उस साल से समैन ने अपने सामा य औसत से लगभग दुगुना सामान बेचा। जब
उससे उसक सफलता का कारण पूछा गया, तो उसने कहा क अ पताल का िबल उसके
सामने रखा था और वह सटीकता से जानता था क िबल चुकाने के िलए उसे कतना
सामान बेचना होगा।’
इस उदाहरण से यह प हो जाता है क अगर कोई मनु य ठान ले, तो वह अपने
आ थक ल य हािसल कर सकता है, बशत उसके सामने प ल य हो।
इसिलए समय के सव े उपयोग का दूसरा िस ांत है : आ थक ल य बनाएँ।

अमीर बनने का मतलब है पैसा होना; बेहद अमीर बनने का मतलब है


समय होना।
— मागरे ट बोनानो

आ थक ल य बनाना ब त ही आसान है। आपको पहले तो यथाथवादी ढंग से यह


तय करना है क आप हर महीने कतनी धनरािश कमाना चाहते ह और फर गिणत क
सहायता से यह पता लगाना है क इस धनरािश को कै से कमाया जाए।
उदाहरण के िलए, अगर कोई दुकानदार हर महीने 10,000 पए कमाना चाहता है
और उसे एक ॉड ट बेचने पर 50 पए लाभ होता है, तो गिणत आसान है। उसे हर
महीने 200 ॉड स बेचने ह (10,000/50)। य द वह महीने म 25 दन काम करता है, तो
उसे हर दन 8 ॉड स बेचने ह गे। औसत का यह आँकड़ा जानने के बाद अब वह काम
को टाल नह सकता। अब वह मूड न होने या बो रयत का बहाना भी नह बना सकता।
इसिलए, य क काग़ज़ पर अंक का गिणत उसे बता रहा है क अगर ल य ा करना है,
तो उसे हर दन इतना काम करना ही पड़ेगा।
प ल य होने पर आपको हर पल पता रहता है क आपने कतनी गित क है और
यह संतोषजनक है या नह । ऊपर दए उदाहरण म अगर दुकानदार शाम तक 8 ॉड स
बेच लेता है, तो वह जान जाएगा क उसने आज का ल य पूरा कर िलया है, परं तु अगर
वह 8 ॉड स नह बेच पाता, तो उसे यह एहसास हो जाएगा क मािसक ल य तक
प चँ ने के िलए अगले दन उसे 8 से भी यादा ॉड स बेचने ह गे।

संसार हर उस ि को जगह देने के िलए एक तरफ़ हट जाता है, जो


जानता है क वह कहाँ जा रहा है।
— डेिवड जॉडन

आ थक ल य 20–20 के ट मैच के ल य क तरह होते ह। बाद म खेलने वाली टीम


जानती है क उसका ल य या है और जीतने के िलए उसे हर ओवर म कस औसत से रन
बनाना है? हर ओवर के बाद अपेि त औसत घटता-बढ़ता रहता है और यही मािसक या
वा षक आ थक ल य के बारे म भी सही है।
आ थक ल य बनाना और उनके संदभ म अपनी गित क जाँच करते रहना बेहद
ज़ री है, य क हम अ सर इस बारे म मुग़ालते म रहते ह। हम लगता है क हम ब त
मेहनत कर रहे ह, हम लगता है क हम िजतना कर रहे ह, उससे यादा नह कर सकते।
ले कन याद रख, मेहनत का मतलब हमेशा सफलता नह होता। सफलता पाने के िलए यह
ज़ री है क मेहनत सही दशा म क जाए। आ थक िव ेषण से हम यह पता चल जाता है
क हम सही दशा म मेहनत कर रहे ह या नह । देिखए, मह वपूण बात यह नह है क
आपका इनपुट या है, मह वपूण बात तो यह है क आपका आउटपुट या है; यानी
मह वपूण बात यह नह है क आप कतनी मेहनत कर रहे ह, बि क यह है क आप कतने
सफल हो रहे ह।

अगर आपको वह फ़सल पसंद नह है, जो आप काट रहे ह, तो उस बीज क


जाँच कर, जो आप बो रहे ह।
— अ ात
समय के सव े उपयोग का तीसरा िस ांत
सबसे मह वपूण काम सबसे पहले कर
मूख ि जो काम अंत म करता है, बुि मान ि उस काम को त काल
कर देता है। दोन एक ही काम करते ह; फ़क़ िसफ़ समय का होता है।
— बा तेसर ेिशयन

सर हमारी दनचया इस तरह क होती है क हमारे सामने जो काम आता है, हम


अ उसे करने लग जाते ह और इस वजह से हमारा सारा समय छोटे–छोटे काम को
िनबटाने म ही चला जाता है। हमारे मह वपूण काम िसफ़ इसिलए नह हो पाते,
य क हम मह वहीन काम म उलझे रहते ह। मह वाकां ी ि को इस बारे म सतक
रहना चािहए, य क सफलता पाने के िलए यह आव यक है क मह वपूण काम पहले
कए जाएँ। हमेशा याद रख क सफलता मह वहीन नह , बि क मह वपूण काम से
िमलती है, इसिलए अपनी ाथिमकताएँ प रख और अपना समय मह वहीन काम म न
गँवाएँ।
इसिलए समय के सव े उपयोग का तीसरा िस ांत है : सबसे मह वपूण काम
सबसे पहले कर।
समय के संबंध म अपनी ाथिमकताएँ तय करने का एक उदाहरण देख।
‘एक मश र संगीत जब वायिलन बजाना सीख रही थ , तो उ ह ने पाया क
उनक गित संतोषजनक नह है। कारण खोजने पर उ ह पता चला क संगीत का अ यास
करने से पहले घार साफ़ करने, सामान वि थत करने, खाना पकाने आ द काय म
उनका ब त समय लग जाता है, इसिलए उ ह वायिलन के अ यास के िलए कम समय
िमल पाता है। यह जानने के बाद उ ह ने संक प कया क चूँ क संगीत उनके िलए सबसे
मह वपूण है, इसिलए वे सबसे पहले संगीत का अ यास करगी, बाक़ सारे काम उसके बाद
करगी। ख़द को इस तरह अनुशािसत करने के बाद उ ह ने संगीत के े म उ लेखनीय
गित क , य क अब वे अपना सबसे मह वपूण काम सबसे पहले कर रही थ ।’
इस उदाहरण से यह प हो जाता है क हर मह वाकां ी ि को अपने सबसे
मह वपूण काम सबसे पहले करने चािहए, ले कन इसके िलए उसे यह पता लगाना होगा
क सबसे मह वपूण काम ह कौन से। उसके पास उसक ाथिमकता क प योजना
होना चािहए। ऐसा करना ब त ही आसान है। एक डायरी म ए, बी और सी शीषक के तीन
कॉलम बना ल। ए कॉलम म अपने सबसे मह वपूण काम रख, िज ह आप अिनवाय मानते
ह। बी कॉलम म ऐसे काम रख जो अिनवाय तो नह ह, परं तु मह वपूण ह। सी कॉलम म
ऐसे सामा य काम रख, जो न तो अिनवाय ह, न ही मह वपूण।

उसने ख़ाली कुँ म ख़ाली बा टी डालने म पूरी ज़ंदगी गुज़ार दी और अब


वह उ ह ऊपर ख चने म अपना बुढ़ापा भी बबाद कर रहा है।
— िसडनी ि मथ

दन म सबसे पहले ए कॉलम के पहले काम यानी ए1 काम से शु कर, जो सबसे


अिनवाय काम होगा। उसे पूरा करने के बाद आप इसी कॉलम के दूसरे काम करने म जुट
जाएँ और इस तरह ए कॉलम के सारे काम िनबटा ल। ए कॉलम के बाद बी कॉलम के काम
शु कर और इसके बाद समय बचने पर ही सी कॉलम के काम क ओर जाएँ।
मह व के म म अपनी ाथिमकता क कायसूची बनाना ब त मह वपूण होता है।
हम रॉबट जे. मैकैन क यह बात हमेशा याद रखना चािहए, ‘अिधकांश बड़े ल य हािसल
न हो पाने का कारण यह है क हम छोटी चीज़ को पहले करने म अपना समय बबाद कर
देते ह।’

बोले या िलखे गए सबसे दुखद श द ह, ‘म यह काम कर सकता था।’


— ि ह टयर
समय के सव े उपयोग का चौथा िस ांत
या ा के समय का अिधकतम उपयोग कर
सफल ि ऐसे काम करने क आदत डाल लेता है, िज ह असफल लोग
नह करना चाहते। हालाँ क सफल ि य को भी वे काम अ छे नह
लगते ह, ले कन उ े य को याद रखते ए वे नापसंद काय से मुँह नह
मोड़ते।
— ई. एम. े

र सफल ि अपने 24 घंट म यादा से यादा उपयोगी काम करना चाहता है।
ह उसक पूरी दनचया ही समय के सव े उपयोग पर क त होती है। माइक मरडॉक
ने कहा भी है, ‘आपके भिव य का रह य आपक दनचया म िछपा आ है।’ या ा
आपक दनचया का एक मह वपूण िह सा है। आज हर ि ब त सी या ाएँ करता है,
िजनम उसका ब त समय लगता है। फ़क़ िसफ़ इतना होता है क जहाँ आम ि या ा के
समय म हाथ पर हाथ धरकर बैठता है, वह सफल ि अपने ब मू य समय का
अिधकतम उपयोग करता है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का चौथा िस ांत है : या ा के समय का
अिधकतम उपयोग कर।
महा मा गाँधी या ा करते समय न द लेते थे, ता क वे तरोताज़ा हो सक। नेपोिलयन
जब सेना के साथ यु करने जाते थे, तो रा ते म प िलखकर अपने समय का सदुपयोग
करते थे। एिडसन अपने समय क बबादी को लेकर इतने सचेत थे क कशोराव था म जब
वे रे ल म या ा करते थे, तो अपने योग म जुटे रहते थे। माइ ोसॉ ट के सं थापक िबल
गे स या ा के दौरान मोबाइल पर ज़ री बात करके इस िस ांत पर अमल करते ह। िबल
गे स ने तो एक बार अपने गैरेज म अ का का न शा टाँग दया था, ता क जब वे अपनी
कार का इि शन बंद कर, तो उनके क़ मती सेकंड बबाद न ह , बि क उनका कु छ उपयोग
हो जाए। समय को लेकर सभी सफल लोग सतक रहते ह, य क वे जानते ह क समय
बड़ा बलवान होता है और इसके सदुपयोग से ही सफलता संभव है।
आप और हम भी अपनी या ा के समय का लाभ उठा सकते ह। नौकरीपेशा लोग को
घर से अॉ फ़स तक क या ा म काफ़ समय लग जाता है और से समैन का तो अिधकांश
समय या ा म ही बीतता है। हम यह जान लेना चािहए क अगर हम हर दन ढाई घंटे
या ा करते ह, तो हमारे जीवन का लगभग दस ितशत समय तो या ा म ही चला जाता
है। इस समय म कोई मू यवान काय करके आप इसका साथक उपयोग कर सकते ह।

इस िविच जीवन का एक िविच स य यह है क जो लोग सबसे यादा


मेहनत करते ह, ख़द पर सबसे यादा अनुशासन लादते ह और कसी ल य
को ा करने के िलए कु छ आनंददायक चीज़ का याग करते ह, वही सबसे
यादा सुखी होते ह।
— ूटस हैिम टन

देिखए, या ा के दौरान यादातर लोग या तो मोबाइल पर गाने सुनते ह या फर


अख़बार पढ़ते ह या गपशप करते रहते ह। वे यह नह जानते क इस दौरान ेरक पु तक
पढ़कर, शै िणक टे स सुनकर या कोई अ य मह वपूण काम करके वे अपने ल य तक
यादा तेज़ी से प च
ँ सकते ह। अ ययन से पता चला है क आम तौर पर से समैन का 45
ितशत कामकाजी समय या ा म गुज़रता है। ज़ािहर है, जो से समैन या ा के समय का
बेहतर उपयोग करना सीख लेता है, वह अपने सािथय क तुलना म यादा सफल होता
है।
इं तज़ार करना कसी को अ छा नह लगता, परं तु कई बार हम मजबूरन कसी
ि या बस/ ेन का इं तज़ार करना पड़ता है। इसिलए हमारे पास ऐसे छु टपुट काम क
सूची होनी चािहए, िज ह हम इं तज़ार करते समय िनबटा सक। य द हमारे ीफ़के स म
छु टपुट काम तैयार रहते ह, तो हम इं तज़ार म क भी नह होगा और हमारा काम भी हो
जाएगा।
मश र ि टश ए ो- फ़िज़िस ट हमन बॉ डी को इतनी यादा या ाएँ करनी पड़ती
थ क वे या ा के दौरान अपने अॉ फ़स का काम िनबटा लेते थे। एक बार तो जब एक
यूरोपीय हवाई अ े पर उनक हवाई उड़ान म िवलंब आ, तो उ ह ने उस समय का
सदुपयोग करते ए एक रसच पेपर िलख डाला! इसे कहते ह या ा के समय का
सदुपयोग! जब आपके मन म कसी काम को करने क बल इ छा होती है, तो समय
िनकल ही आता है। े ड रक नी शे क बात याद रख, ‘जब कसी मनु य के पास रखने के
िलए यादा सामान होता है, तो दन क पोशाक म सौ जेब होती ह।’ समय का यान
रखगे, तो समय भी आपका यान रखेगा।
य द आप समय का मू य नह जानते ह, तो आपका ज म शोहरत के िलए
नह आ है।
— मा कस डे वॉवेनर यूज़

हर दन समय जो छोटे —छोटे अंतराल देता है, उनम ब त कु छ कया जा


सकता है, िज ह अिधकांश लोग बबाद कर देते ह।
— चा स कै लेब को टन
समय के सव े उपयोग का पाँचवाँ िस ांत
काम स पना (डेलीगेशन) सीख
टाइम मैनेजमट दरअसल ब त से छोटे िबज़नेस मािलक के िलए सम या
होती है और इसका कारण यह है क उ ह ब त सारा काम ख़द करना
पड़ता है — छोटे काम से लेकर बड़े काम तक सब कु छ।
— नॉमन कै रबरो

को ईकोिशश
भी इं सान सब कु छ नह कर सकता। बहरहाल, कई लोग हर काम ख़द करने क
करते ह। और ज़ािहर है, वे असफल होते ह।
हर ि यह चाहता है क अपने मह वपूण काम वह ख़द करे , ले कन एक िनि त
ऊँचाई पर प चँ ने के बाद गित करने के िलए दूसर को काम स पना अिनवाय हो जाता
है। िबज़नेस क शु आत म तो ि सारे काम ख़द कर सकता है, परं तु िबज़नेस बढ़ने के
बाद काम इतने बढ़ जाते ह क सहयोिगय के िबना तर क़ नह हो सकती। ऐसे म अगर
वह सही सहयोगी खोजकर उ ह काम स पना (डेलीगेशन) सीख ले, तो वह आगे भी गित
कर सकता है। अगर वह यह नह सीख पाता, तो भिव य म उसक गित क संभावना
धूिमल हो जाती है।
बहरहाल, दूसर को मह वपूण काम स पना आसान नह होता। दूसर क यो यता,
बुि , मता और िन ा पर भरोसा करना आसान नह होता। ले कन बड़ी सफलता
हािसल करने के िलए ऐसा करना अिनवाय होता है। इसके बाद ही स ी गित संभव है,
य क अब आप अके ले नह ह। अब आपके पास एक टीम है, िजसक वजह से आपका
समय कई गुना बढ़ जाता है और आप उसका सदुपयोग करके यादा तेज़ी से अपनी मंिज़ल
पर प चँ सकते ह।
इसिलए समय के सव े उपयोग का पाँचवाँ िस ांत है : काम स पना सीख।
यादातर लोग के साथ एक बड़ी सम या यह है क वे हर काम ख़द करने क
कोिशश करते ह। वे दूसर को काम नह स पना चाहते, य क उ ह लगता है, ‘म इसे
यादा अ छी तरह से कर सकता ,ँ ’ या ‘म इसे दूसर से यादा ज दी कर सकता ।ँ ’
उ ह यह समझ ही नह आता है क बड़ी सफलता पाने के िलए उ ह दूसर को काम स पना
ही होगा, चाहे यह उ ह पसंद हो या न हो। गित क राह म एक ऐसा मोड़ आता है, जहाँ
भिव य म गित करने के िलए दूसर को काम स पना अिनवाय हो जाता है, इसिलए
बेहतर होगा क आप काम स पने क कला सीख ल।
काम स पने के िलए आपको िसफ़ इतना करना है क आप कसी सही ि को
खोजकर उसे काम स प द। यानी क ऐसा ि चुन, िजसम उस काम को अ छी तरह से
करने क मता और इ छा हो। फर उसे बता द क उसे या करना है, कै से करना है और
कब तक करना है। इसके बाद आप स पे गए काम और उसके पूण होने क तारीख़ को
अपनी डायरी म िलख ल। डेलीगेशन या काम स पने का तरीक़ा इतना ही आसान है।

जो लोग छोटी—छोटी चीज़ म उलझे रहते ह, वे बड़े काम नह कर पाते।


— ला रोशफ़ू को

स पे गए काम क गित क िनगरानी करना अ छी बात है, ले कन यह भी यान


रख क यादा िनगरानी म आपका समय बबाद होता है और सामने वाले को बुरा भी लग
सकता है क आप उसक मता या यो यता पर भरोसा नह कर रहे ह।
काम स पने क कला म िनपुण होने के िलए िसफ़ दो चीज़ क ज़ रत होती है : यह
पता लगाना क कौन से काम स पे जा सकते ह – और कसे। बस इतनी सावधानी बरत क
अित गोपनीय या अ यंत मह वपूण काम दूसर को स पने के बजाय ख़द कर।

अमीर लोग समय म िनवेश करते ह, ग़रीब लोग धन म िनवेश करते ह।


— वॉरे न बफ़े ट
समय के सव े उपयोग का छठा िस ांत
पैरेटो के 20/80 के िनयम को जान
त होना ही काफ़ नह है; त तो च टयाँ भी होती ह। सवाल यह है
क आप कस काम म त ह।
— थोरो

पै रेइसेटो काजानने20/80के बाद


का िनयम समय के सव े उपयोग के िलए ब त मह वपूण है, य क
हम समय का बेहतर उपयोग कर सकते ह। पैरेटो के अनुसार
‘आपक 20 ितशत ाथिमकताएँ आपको 80 ितशत प रणाम दगी, बशत आप अपनी
शीष थ 20 ितशत ाथिमकता पर अपना समय, ऊजा, धन और कमचारी लगाएँ।’
यानी हम अपने 80 ितशत प रणाम 20 ितशत समय से िमलते ह। इसका यह अथ भी है
क हमारे समय का अिधकांश िह सा, यानी 80 ितशत, िसफ़ 20 ितशत प रणाम
हािसल करने म बबाद होता है।
य द हम अपने समय का सव े उपयोग करना चाहते ह, तो यह आव यक है क
हम उस 20 ितशत साथक समय का पता लगाएँ और जहाँ तक संभव हो, उसे बबाद होने
से बचाएँ। यही नह , हम उस 80 ितशत समय का भी पता लगाना चािहए, िजसम हम
िसफ़ 20 ितशत प रणाम ही हािसल कर पाते ह। ऐसा करने पर हम अपने साथक समय
के अनुपात को बढ़ा सकते ह और िनरथक समय को कम कर सकते ह।
योजना बनाते समय पैरेटो के 20/80 के िनयम का पालन करने से आपक सफलता म
आशातीत वृि होती है, य क इससे आप यह मह वपूण त य जान जाते ह क कौन सा
समय आपक सफलता म कतना योगदान दे रहा है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का छठा िस ांत है : पैरेटो के 20/80 के िनयम को
जान।
पैरेटो का िनयम अ य प से हम पूणतावाद या परफ़े शन के ित भी सावधान
करता है। यह बताता है क हम 80 ितशत काम 20 ितशत समय म ही पूरा कर लेते ह,
और बचे ए 20 ितशत काम म 80 ितशत समय बबाद करते ह, िसफ़ इसिलए य क
हम उस काम को आदश तरीक़े से करना चाहते ह। कई बार परफ़े शन या पूणता का आ ह
समय क बबादी का कारण बन जाता है और ि को असफल करा सकता है।
य द आपको लगता है क आप कड़ी मेहनत करने के बावजूद सफल नह हो रहे ह, तो
पैरेटो के िस ांत को आज़माकर देख। इससे आप यह जान जाएँगे क आप कस काम म
कतनी मेहनत कर रहे ह। देिखए, वा तिवक संसार म यह मह वपूण नह होता क आप
कतनी कड़ी मेहनत करते ह; मह वपूण तो यह होता है क आप कतनी बुि मानी या
चतुराई से मेहनत करते ह। यह पता लगाना सफलता के िलए ब त ज़ री है क आप
अपने ल य का पीछा करने म कतना समय लगा रहे ह और छोटे–छोटे काम म कतना
समय बबाद कर रहे ह। अ सर ऐसा होता है क हम अपना समय छोटे–छोटे काम म लगा
देते ह। हम यह सोचते ह क पहले आसान और छोटे काम िनबटा ल, इसके बाद आराम से
अपने मह वपूण या बड़े काम िनबटा लगे। बहरहाल, बाद म जाकर हम इस दुखद त य का
एहसास होता है क मह वपूण या बड़े काम के िलए हमारे पास समय बचा ही नह है।
य द आप पैरेटो के िस ांत को याद रखगे, तो ऐसा कभी नह होगा!

य द आप अपनी प रि थितय को बदलना चाहते ह, तो अलग तरीक़े से


सोचना शु कर।
— नॉमन िव से ट पील

शा का ान असीिमत है और सीखने के िवषय ब त सारे ह। हमारे पास


सीिमत समय है और सीखने क राह म कई बाधाएँ ह। इसिलए सीखने के
िलए सबसे मह वपूण चीज़ ही चुन, िजस तरह हंस दूध म िमले पानी को
छोड़ देते ह और िसफ़ दूध पीते ह।
— चाण य
समय के सव े उपयोग का सातवाँ िस ांत
पा क सन के िनयम का लाभ ल
बुरी ख़बर यह है क समय उड़ता है। अ छी ख़बर यह है क आप इसके
पायलट ह।
— माइकल आ थसुलर

मय के सव े उपयोग के िलए पा क सन के िनयम को जानना ब त आव यक है।


स पा क सन का िनयम है, ‘काम उतना ही फै ल जाता है, िजतना इसके िलए समय
होता है।’
इसका अथ यह है क हमारे पास िजतना काम होता है, हमारा समय भी उसी के
अनु प फै लता या िसकु ड़ता है। यानी अगर हम कम समय म यादा काम करने क योजना
बनाएँगे, तो समय फै ल जाएगा और वे सारे काम उसी अविध म पूरे हो जाएँगे। दूसरी ओर,
अगर हम उतने ही समय म कम काम करने क योजना बनाएँगे, तो समय िसकु ड़ जाएगा
और उतनी ही अविध म हम कम काम कर पाएँग।े
इसिलए समय के सव े उपयोग का सातवाँ िस ांत है : पा क सन के िनयम का
लाभ ल।
ल य िजतना बड़ा होगा, उपलि ध भी उतनी ही बड़ी होगी। एक दवसीय के ट
मैच का उदाहरण देख। जब दूसरी टीम पहली टीम ारा िनधा रत ल य का पीछा करती
है, तो इस बात से फ़क़ नह पड़ता क उसके सामने पचास ओवर म जीत के िलए 225 रन
का ल य है या 275 रन का। ल य चाहे जो हो, आम तौर पर उसे अंितम तीन–चार
ओवर म ही हािसल कया जाता है। यहाँ पर मह वपूण बात यह है क दूसरी टीम उतने
ही समय म अपने ल य तक प च ँ ती है, चाहे उसका ल य छोटा हो या बड़ा। यही हमारे
और आपके बारे म भी सही है। जो ि बड़े ल य बनाता है, वह अपने सीिमत समय का
सव े उपयोग करने म सफल हो जाता है, जब क छोटे ल य बनाने वाला अपने समय का
सीिमत उपयोग ही कर पाता है।
इसका एक और उदाहरण देख – जब हम सैर–सपाटा करने या लंबी छु याँ मनाने
जाते ह, तो उससे कु छ दन पहले हम अपने घर और अॉ फ़स के काम ताबड़तोड़ तरीक़े से
िनबटाने म जुट जाते ह। उस स ाह म हम सामा य से दुगुना या ितगुना काम कर लेते ह।
हम फटाफट काम करते ह और कम समय म यादा काम करते ह, य क हम िनि त
समयसीमा म काम िनबटाकर छु याँ मनाने जाना है। हमारे पास समय कम होता है और
काम यादा, ले कन चूँ क हमारे सामने प ल य होता है, इसिलए हम उसे हािसल कर
लेते ह और यह पा क सन के िनयम क वजह से संभव हो पाता है।

जो ऊँची छलाँग लगाना चाहता है, उसे लंबा दौड़ना होगा।


— डेिनश सूि

काम क कृ ित से भी समय के फै लने या िसकु ड़ने का संबंध होता है। जब कसी काम
म हमारी िच होती है, तो वह काम ज दी हो जाता है। दूसरी ओर, जब कसी काम म
हमारी िच नह होती, तो वह देर से होता है। इसीिलए यह कहा जाता है क वह ि
सौभा यशाली है, जो अपने काम से ेम करता है, य क वह कम समय म यादा काम
कर सकता है, यादा अ छी तरह से काम कर सकता है और इस वजह से यादा सफल भी
हो सकता है।

हर दन इस तरह िजएँ, जैसे यह आपका आिख़री दन हो।


— माकस अॉरे िलयस
समय के सव े उपयोग का आठवाँ िस ांत
अपने ाइम टाइम म काम कर
सबसे मह वपूण चीज़ सबसे मह वहीन चीज़ क दया पर कभी नह छोड़ी
जानी चािहए।
— गेटे

टे लीिवज़न पर ाइम टाइम म – यानी रात आठ बजे से दस बजे तक – िव ापन क


क़ मत सबसे यादा होती है। िव ापन उतने ही समय का रहता है, परं तु इसक क़ मत
बढ़ जाती है। क़ मत बढ़ने का कारण िसफ़ यह होता है क वह िव ापन ाइम टाइम म
सा रत कया जाता है, िजसम इसे यादा दशक ारा देखा जाता है।
टेलीिवज़न के ाइम टाइम क अवधारणा से हम यह सीख सकते ह क हमारे –आपके
िलए भी दन के चौबीस घंटे एक से नह होते। दन के कसी ख़ास समय आपक ऊजा,
िवचार-शि , उ साह और काय मता बाक़ समय क तुलना म अिधक होती है। यही
आपका ाइम टाइम है। यादातर लोग के िलए सुबह का समय ाइम टाइम होता है, जब
वे बड़े–बड़े काम चुट कय म कर सकते ह। परं तु यान रहे, हर ि का ाइम टाइम
अलग–अलग होता है। कई लोग के िलए रात का समय ाइम टाइम हो सकता है और
कइय के िलए दोपहर का। आपका ाइम टाइम चाहे सुबह का हो या रात का, मह वपूण
बात इसे पहचानना है।
आपका ाइम टाइम कौन सा है, यह पहचानना इसिलए ज़ री है, ता क आप अपने
समय का सव े उपयोग कर सक। अपने सबसे मह वपूण या रचना मक काम इसी दौरान
कर, ता क वे अ छी तरह से और ज दी हो सक। अपने ाइम टाइम म छु टपुट काम करके
उसे बबाद न कर, य क छु टपुट काम तो आप बाक़ के समय म भी कर सकते ह।
इसिलए समय के सव े उपयोग का आठवाँ िस ांत है : अपने ाइम टाइम म काम
कर।
य द आप सुबह के समय यादा फु त ले, ऊजावान और चु त होते ह, यानी सुबह का
व त आपका ाइम टाइम है, तो आप एक तरह से सौभा यशाली ह। अगर आप दोपहर म
एक झपक ले ल, तो आप एक दन म दो सुबह ा कर सकते ह। दोपहर क झपक के
बाद आप लगभग उतने ही फु त ले, ऊजावान और चु त हो सकते ह, िजतने क सुबह थे।
अ सर इस बात को नज़रअंदाज़ कर दया जाता है क समय क मा ा और गुणव ा
म कोई सीधा संबंध नह होता। कई बार तो एक घंटे म ही इतना कु छ हो जाता है, जो आम
तौर पर एक दन म नह हो पाता। याद रख, समय क मा ा के बजाय उसक सघनता
और गुणव ा यादा मह वपूण ह। काम के लंबे घंटे मह वपूण नह ह; मह वपूण बात यह
है क वे ठोस और सघन ह । इसी को अँ ेज़ी म ािलटी टाइम कहा जाता है।

सही समय पर प थर फकना ग़लत समय पर सोना देने से बेहतर है।


— फ़ारसी कहावत

यान रख, वह ि यादा सफल नह होता, जो दन म आठ घंटे काम करने का


ल य बनाता है; यादा सफल तो वह ि होता है, जो दन म आठ या नौ काम करने का
ल य बनाता है। दोन म फ़क़ िसफ़ इतना है क पहला ि समय क मा ा को मह व
देता है और दूसरा समय क गुणव ा को... और इसी से उनक सफलता म ज़बद त फ़क़
पड़ता है।

अपनी ाथिमकता क समी ा कर और यह सवाल पूछ — हमारे समय


का इस व त सबसे अ छा उपयोग या है?
— एलन लेक न
समय के सव े उपयोग का नवाँ िस ांत
वयं को वि थत कर
जो ि एक घंटा भी बबाद करने क िहमाक़त करता है, वह जीवन के
मू य को नह समझ पाया है।
— चा स डा वन

वि थत जीवन हमारे सामने कई मुि कल खड़ी कर देता है। इनम से एक मुि कल


अ यह है क हमारा समय न चाहते ए भी अनाव यक प से बबाद होता है और
दुखद बात यह है क हम ख़द ही इसके िलए दोषी होते ह।
इसिलए समय के सव े उपयोग का नवाँ िस ांत है : वयं को वि थत कर।
अ व था का सबसे आम उदाहरण है कसी काग़ज़ या फ़ाइल का न िमलना।
अनुमान है क अॉ फ़स म काम करने वाले लोग कसी काग़ज़ या फ़ाइल को खोजने म हर
दन लगभग 30 िमनट बबाद करते ह। आलस या ज दबाज़ी के कारण हम कसी चीज़ को
सही जगह पर नह रखते और फर उसे खोजने म अॉ फ़स या घर को अ त– त कर देते
ह। अंत म हम वह चीज़ कसी ऐसी जगह पर िमलती है, जहाँ उसे रखा ही नह जाना
चािहए था।
अ व था का एक और प है बीमारी। असंतुिलत भोजन, अिनयिमत न द, चंता,
तनाव और हािनकारक आदत क वजह से अ सर हम ख़द ही बीमारी को आमंि त करते
ह। समय का सव े उपयोग करने के िलए हम वि थत जीवन जीना चािहए, ता क
बीमारी हमसे दूर ही रहे। हम यह याद रखना चािहए क बीमारी क वजह से हमारे कई
दन बबाद हो सकते ह, य क इस दौरान हम कोई रचना मक या चुनौतीपूण काय करने
क ि थित म नह होते ह। बीमारी क वजह से समय क बबादी दुखद है, य क संतुिलत
आहार तथा िनयिमत ायाम ारा अिधकांश बीमा रय से बचा जा सकता है।
अ व था का एक और प है आव यकता से अिधक या कम भोजन करना। अिधक
भोजन करने के बाद हम सु त पड़ जाते ह, हमारी एका ता और ऊजा म कमी आ जाती है,
िजस वजह से हमारा काम अ छी तरह नह हो पाता है। दूसरी तरफ़, ज़ रत से कम
भोजन करना भी ठीक नह है, य क ऐसा करने पर हम कमज़ोरी या िसरदद होने लगता
है, हम ज दी थक जाते ह, िचड़िचड़े हो जाते ह, और इस वजह से अपने काम को पूरी
एका ता तथा ऊजा के साथ नह कर पाते।
अ व था का एक और प है अनाव यक चचा, चाहे वह चचा य हो या
अ य (जैसे फ़ोन पर)। फ़ोन पर चचा करने से पहले य द हमारे पास आव यक बात क
बंदव
ु ार योजना हो, तो चचा साथक होती है। परं तु अगर हम फ़ोन पर ग़ैर–ज़ री बात
करते रह और ज़ री बात भूल जाएँ, तो िनि त प से यह हमारी लापरवाही का सूचक
और समय क बबादी का उदाहरण है।

हर समय क तरह यह समय भी ब त अ छा है, बशत हम जानते ह क


इसका या कर।
— रै फ़ वॉ डो एमसन

अ व था का एक और आम उदाहरण है िबना अपॉइं टमट िलए कसी से िमलने चले


जाना। य द आपने अपॉइं टमट नह िलया है, तो हो सकता है क आपको िमलने के िलए
अनाव यक इं तज़ार करना पड़े और आपका समय बबाद हो। यह भी हो सकता है क
सामने वाला आपसे िमले ही नह और आपके आने–जाने का पूरा समय बबाद हो जाए।
यह यान रख क अगर आपक दनचया वि थत है, तो आपका जीवन भी
वि थत होगा और जब आपका जीवन वि थत होगा, तो आप सहजता से समय का
सव े उपयोग कर पाएँग।े

दन भी कतनी रह यमय चीज़ होते ह। कई बार वे पंख लगाकर उड़ जाते


ह और कई बार वे अंतहीन लगते ह, ले कन उन सभी म चौबीस घंटे ही होते
ह। ऐसा ब त कु छ है, जो हम उनके बारे म नह जानते।
— मेलेनी बजािमन
समय के सव े उपयोग का दसवाँ िस ांत
टाइमटे बल बनाएँ
हमारे पास समय क सबसे यादा कमी होती है, परं तु इसी का हम सबसे
यादा दु पयोग करते ह।
— िविलयम पेन

िज स तरहबनाना
पैसे क बबादी को रोकने के िलए बजट
ज़ री है, उसी तरह समय क बबादी को रोकने के िलए टाइमटेबल
बनाना ज़ री है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का दसवाँ िस ांत है : टाइमटेबल बनाएँ।
आपका टाइमटेबल दो तरह का हो सकता है : पूण टाइमटेबल और संि
टाइमटेबल।

पूण टाइमटे बल
पूण टाइमटेबल म आप पूरे 24 घंटे क योजना बनाते ह, जब क संि टाइमटेबल म आप
िसफ़ सीिमत समय क ही योजना बनाते ह।
आइए, पूण टाइमटेबल का उदाहरण देख :
संि टाइमटे बल
संि टाइमटेबल म आप पूरे दन क योजना नह बनाते, िसफ़ अपने कामकाज या
िबज़नेस के घंट क योजना बनाते ह। मान ल, आप हर दन 8 घंटे काम करना चाहते ह।
इस ि थित म आप ख़द से कहते ह, ‘म सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 2
बजे से शाम 6 बजे तक काम क ँ गा।’ आपके टाइमटेबल म बाक़ काम क कोई योजना
नह होती। इसम िसफ़ आपके काम के समय क योजना होती है। य द कसी दन या कसी
स ाह आपके पास ज़ रत से यादा काम होता है, तो उसे पूरा करने के िलए आप अपने
टाइमटेबल म एक–दो घंटे का समय बढ़ा लेते ह। ऐसी ि थित म आप ख़द से कहते ह, ‘म
सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 2 बजे से शाम को 7 या 8 बजे तक काम
क ँ गा।’

िबना कसी योजना के जीवन जीना कसी दूसरे ि के साथ टे लीिवज़न


देखने जैसा है, िजसके हाथ म रमोट कं ोल हो।
— पीटर टु ला

संि टाइमटेबल बनाना और उसका पालन करना आसान है तथा शु आत म


अ छा है। यह ावसाियक ल य हािसल करने का बेहतरीन तरीक़ा है। बहरहाल, इस
बात का यान रख क संि टाइमटेबल आपको िसफ़ एक दशा म सफलता दलाता है,
जब क पूण टाइमटेबल जीवन के हर े म सफलता दलाता है, य क वह संतुिलत और
संपूण होता है।

सारा समय– बंधन योजना से शु होता है।


— टॉम ी नंग
समय के सव े उपयोग का यारहवाँ िस ांत
कम म जुट जाएँ
समय क रे त पर क़दम के िनशान बैठकर नह बनाए जा सकते।
— कहावत

बे हतरीनअसफल
ल य और सव े योजना के बावजूद आप
हो सकते ह, बशत आप उन पर अमल न कर। कम ही वह जादुई त व है,
जो आपको थायी सफलता दलाता है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का यारहवाँ िस ांत है : कम म जुट जाएँ।
हम सब जानते ह क िबना मेहनत कए हम सफल नह हो सकते, परं तु आ यजनक
बात यह है क इसके बावजूद हम मेहनत से जी चुराते ह, काम को टालते रहते ह, मूड न
होने का बहाना बनाते ह, समय या संसाधन क कमी का तक देते ह यानी काम करने के
अलावा सब कु छ करते ह। इस संदभ म तुलसीदास जी के इस दोहे को याद रख, ‘सकल
पदारथ ह जग माह । करमहीन नर पावत नाह ।’ यानी इस संसार म सारी चीज़ हािसल
क जा सकती ह, ले कन वे कमहीन ि को नह िमलती ह।
काम से जी चुराने का मूलभूत कारण यह है क हम वभाव से आलसी होते ह और
हमारा मन हम मनोरं जन या आनंद क आसान तथा आकषक राह क तरफ़ ख चता है।
हम यह भूल जाते ह क सफलता क राह मुि कल से भरी होती है, िजस पर चलने का
म करने के िलए हम अपने मन पर क़ाबू पाना होगा, अपनी इ छाशि को दृढ़ करना
होगा और ल य क तरफ़ लगातार बढ़ना होगा। हम यह भी भूल जाते ह क सफल ि
अपने मूड के दास नह , बि क उसके वामी होते ह।
इस संबंध म सबसे अ छी सलाह यह है, ‘कोई काम शु करते समय अपने मूड से
सलाह न ल।’ यानी अपने मूड के िहसाब से नह , बि क अपने ल य और योजना के
अनुसार काम कर। िव िव यात नाटककार जॉज बनाड शॉ का कई बार िलखने का मूड
नह होता था। ले कन मूड हो या नह , वे िलखते थे, य क उ ह ने महान सािह यकार
बनने के अपने ल य को कभी अपनी नज़र से ओझल नह होने दया। अपने इस ल य को
ा करने के िलए उ ह ने संक प कया क वे हर दन पाँच पेज िलखगे, चाहे उनका मूड
कै सा भी हो।
अगर आप भिव य म सफलता क फ़सल काटना चाहते ह, तो आपको उसके िलए
बीज आज बोने ह गे। अगर आप आज बीज नह बोएँग,े तो भिव य म फ़सल काटने क
उ मीद कै से कर सकते ह? पूरी सृि कम और फल के िस ांत पर चलती है, इसिलए
आपको अपने कम के अनुपात म ही फल िमलगे।

मह वपूण यह नह है क आप या करने जा रहे ह। इसके बजाय मह वपूण


तो यह है क आप इस व त या कर रहे ह।
— नेपोिलयन िहल

य द आप सफलता चाहते ह, तो कम म जुट जाएँ और तब तक जुटे रह, जब तक क


आप सफल न हो जाएँ। य द आप समय का सव े उपयोग करना सीख लेते ह, तो आगे
चलकर समय आपको पुर कार म वह व तु दे देगा, िजसे आप बलता से चाहते ह –
स मान, सफलता, धन, सुख, या जो भी आप चाहते ह ।

य द आपको साँप दखता है, तो उसे मार डाल। साँप पर कमेटी बैठाने क
कोई ज़ रत नह है।
— हेनरी रॉस पेरॉ
समय के सव े उपयोग का बारहवाँ िस ांत
अपनी काय मता बढ़ाएँ
कु शलता कसी ब से म चीज़ को पैक करने क तरह है। अ छी तरह पैक
करने वाला बुरी तरह पैक करने वाले क तुलना म दुगुनी चीज़ पैक कर
सकता है।
— रचड सेिसल

द आपको टाइ पंग आती है, तो एक काम कर। उस व त को याद कर, जब आपने
य पहली बार टाइ पंग शु क थी। तब आप कतनी तेज़ी से टाइप कर सकते थे?
शायद पाँच श द ित िमनट। और अब या ि थित है? शायद तीस श द ित
िमनट। ज़मीन–आसमान का फ़क़ है! ऐसा य ? य क आपने टाइ पंग सीखी, आपने
िनरं तर अ यास कया, आपने शॉटकट क ज़ का उपयोग कया, िजसका नतीजा यह आ
क आपक टाइ पंग क गित बढ़ गई। समय के े म भी आपको यही करना है। यहाँ भी
आपको अपनी काय- मता बढ़ाना है, ता क आप उतने ही समय म दोगुना काम कर पाएँ।
इसिलए समय के सव े उपयोग का बारहवाँ िस ांत है : अपनी काय मता बढ़ाएँ।
अपनी काय मता बढ़ाने के िलए आपको अपने चुने ए े म लगातार सीखना
होगा और िनरं तर नए–नए उपाय को आज़माना होगा, िजनका इ तेमाल करके आप
अिधक यो य, अिधक तेज़ और अिधक स म बन सक। इसके िलए आपको उस े के
महारिथय से सलाह लेना चािहए या कम से कम उ ह काम करते देखना चािहए। आप
अपने चुने ए े म होने वाले सेिमनार म जाकर या कोई पु तक पढ़कर अपना ान
बढ़ा सकते ह। और सबसे बड़ी बात, आप अपनी काय मता बढ़ाने के िलए इं टरनेट के वृहद
ान–भंडार का दोहन कर सकते ह।
काय मता बढ़ाने क पहली शत है इ छा। आपके भीतर इसक इ छा होनी चािहए।
यादातर लोग को इस काम म बड़ी द क़त आती है। उनका अहं यह मानने को तैयार ही
नह होता क कोई दूसरा उनसे यादा स म है। उ ह हमेशा यही लगता है क वे िजतना
कर रहे ह, उससे यादा हो ही नह सकता। वे हमेशा कम स म लोग से अपनी तुलना
करके ख़द को े सािबत करते ह। काय मता बढ़ाने क दूसरी शत है ान। आपको यह
ान होना चािहए क मता कै से बढ़ाई जा सकती है। इस संदभ म थोड़ा सोच–िवचार
कर। उस े के मािहर लोग से सीख। पु तक पढ़, सेिमनार म जाएँ। जब आपम अपनी
मता बढ़ाने क बल इ छा होगी और आप इस दशा म मेहनत करने को तैयार ह गे, तो
आपको उपाय अव य िमल जाएगा।

ऐसे ाथना कर, जैसे सब कु छ ई र पर िनभर करता हो। इस तरह काम


कर, जैसे सब कु छ आप पर िनभर करता हो।
— सट अॉगि टन

इसका एक उदाहरण देख – एक मिहला को दाल, आलू क स ज़ी और रोटी बनाने म


तीन घंटे का समय लगता है। पहले वह धीमी गित से आलू काटती है, फर आधा घंटे तक
दाल िभगाती है, फर दाल छ कती है, फर आलू क स ज़ी बनाती है, फर आटा गूँधकर
उसे बीस िमनट तक नम होने देती है, फर रोटी बनाती है। इसके बाद वह अपना गुणगान
करते ए कहती है क उसने खाना पकाने म तीन घंटे तक मेहनत क ।
य द वह मिहला अपना गुणगान करने के बजाय अपनी मता बढ़ाने पर यान
क त करे , तो उसे यह दख जाएगा क समय बचाने के िलए उसे थोड़ी चतुराई का
इ तेमाल करना होगा और काम करने के म को बदलना होगा। उसे सबसे पहले आधा घंटे
तक दाल गलाना चािहए, फर दाल गलने के दौरान आलू काटकर छ क देना चािहए, फर
आटा गूँधकर दूसरे चू हे पर दाल बघार देना चािहए और इसके बाद रोटी बनाना चािहए।
इस तरह उसका सारा काम डेढ़ घंटे या उससे भी कम समय म िनबट जाएगा। इसे कहते ह
कायकु शलता, उतने ही समय म कई गुना काम करने क मता।
दूसर से, ख़ास तौर पर अपने से कम स म लोग से, तुलना करने से कोई फ़ायदा
नह होता। अगर तुलना ही करनी है, तो अपने से यादा स म लोग से कर। इससे भी
बेहतर उपाय यह है क अपने िपछले दशन से तुलना कर। यह सोच क अगर कल आपने
कोई काम डेढ़ घंटे म कया था, तो आज उसे सवा घंटे म कै से कया जा सकता है? बस
इतना यान रख क काम क गुणव ा म कमी नह आनी चािहए। ऐसा न हो क समय
बचाने क हड़बड़ी म काम िबगड़ जाए। आपका ल य यूनतम समय म सव े काय करना
होना चािहए, य क हर े के सफलतम ि इसी तरह काय करते ह।

जीवन दस िगयर वाली मोटरसाइकल क तरह है। हमम से यादातर लोग


के पास ऐसे िगयस होते ह, िजनका हम कभी इ तेमाल ही नह करते।
— चा स शु ज़
या आप ज़ंदगी से ेम करते ह? तो फर समय बबाद न कर, य क
ज़ंदगी इसी से बनी है।
— बजािमन किलन
समय के सव े उपयोग का तेरहवाँ िस ांत
डेडलाइन तय कर
अगर आिख़री िमनट क डेडलाइन नह होती, तो ब त सारी चीज़ कभी
नह हो पात ।
— माइकल एस. े लर

डे डलाइनपुरयानी आिख़री समय–सीमा। डेडलाइन दरअसल


ाने ज़माने म कसी जेल के चार ओर खंची उस लाइन को कहा जाता था,
िजसके आगे जाने पर क़ै दय को गोली मार दी जाती थी। आजकल डेडलाइन पार करने
पर आपक जान तो नह जाती, अलब ा आपक ित ा और क रयर म तर क़ के अवसर
ज़ र चले जाते ह। इसिलए डेडलाइन को गंभीरता से ल!
अगर कसी दूसरे क डेडलाइन नह है, तो बेहतर यही रहता है क आप ख़द ही
अपने काय क डेडलाइन तय कर। यह सोच क कोई काम कतने समय म कया जा
सकता है, आपातकालीन ि थितय के िलए थोड़ा मा जन रख और अपनी डेडलाइन यानी
काम पूरा करने क आिख़री तारीख़ तय कर ल। शु आत म आपको थोड़ी द क़त आ
सकती है, ले कन कु छ समय बाद आपको डेडलाइन के भीतर और उससे पहले ही काम पूरा
करने क आदत पड़ जाएगी। डेडलाइन तय करना एक ऐसी लाभकारी आदत है, िजससे
आप जीवन के हर े म यादा तेज़ी से तर क़ कर सकते ह।
आिख़र डेडलाइन म ऐसा या होता है, िजससे आपक मता बढ़ जाती है और आप
यादा तेज़ी से काम पूरा कर लेते ह? देिखए, पहली बात यह है क इससे आपको एक प
ल य िमलता है और हम सभी जानते ह क प ल य होने पर हम यादा तेज़ काम कर
सकते ह। दूसरे , इससे आप एक योजना बनाते ह और उस पर चलने के िलए ख़द को
अनुशािसत करते ह। तीसरे , डेडलाइन उस काम पर आपके दमाग़ को क त रखती है,
िजससे आप उसे समयसीमा म पूरा करने के नए–नए तरीक़े सोच सकते ह।
आपने ख़द अपने जीवन म महसूस कया होगा क जब आपको डेडलाइन दे दी जाती
है क यह काम अमुक समय तक हो जाना चािहए, तो आपक हर इं य स य हो जाती
है। आपके भीतर ए ीनिलन का ाव हो जाता है और आपका आलस भाग जाता है। आप
स य हो जाते ह और पूरा यान क त करके काम म जुट जाते ह। आप जानते ह क अगर
वह काम समय पर नह िनबटा, तो आफ़त हो जाएगी, इसिलए आप सुबह थोड़ा ज दी
उठते ह, पूरी एका ता से काम करते ह, देर रात तक काम करते ह, कम सोते ह, कम समय
बबाद करते ह और आिख़रकार उस काम को समय पर पूरा कर देते ह।

के वल वही यु मू यवान होता है, जो इं सान अपने साथ करता है।


— रॉबट ाउ नंग

इसे एक उदाहरण से समझ। मान ल, सामा य ि थित म आप छह िमनट म एक


कलोमीटर दौड़ते ह। ले कन अगर कोई ख़ूँख़ार कु ा आपका पीछा कर रहा हो, तो आप
कतनी तेज़ी से भागगे? ज़ािहर है, आप छह िमनट से ब त कम समय म एक कलोमीटर
क दूरी पूरी कर लगे; आपके पीछे ख़ूँख़ार कु ा जो है। डेडलाइन को भी ऐसा ही ख़ूँख़ार
कु ा मान, जो आपसे यादा तेज़ी से काम करा लेती है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का तेरहवाँ िस ांत है : डेडलाइन तय कर।
मेरा एक िम पु तक का संपादन करता है। अगर उसे िबना कसी डेडलाइन के
पु तक के संपादन क िज़ मेदारी स पी जाए, तो काम डेढ़ महीने म पूरा होता है, ले कन
अगर उसे सात दन क डेडलाइन दे दी जाए, तो वह उसे दस दन म ही पूरा कर देता है।
इस उदाहरण से यह प हो जाता है क मह वपूण मता नह है; मह वपूण तो डेडलाइन
है। दरअसल उसम वह काम दस दन म पूरा करने क मता है, ले कन वह इसे डेढ़ महीने
म इसिलए पूरा करता है, य क कोई डेडलाइन नह है। बात मता क नह , समपण
और लगन क है।
बीमा कं पिनयाँ डेडलाइन के हथकं डे को बख़ूबी आज़माती ह। वे िव ापन देती ह क
अमुक बीमा योजना एक महीने बाद बंद हो रही है। अगर इसका लाभ लेना है, तो त काल
पॉिलसी ले ल। कार कं पिनयाँ भी डेडलाइन का मह व पहचानते ए िव ापन देती ह क
अमुक तारीख़ से क़ मत बढ़ने वाली ह; अगर अभी कार ख़रीद लोगे, तो फ़ायदे म रहोगे।
ाहक अपने फ़ायदे को देखते ए बीमा पॉिलसी या कार ख़रीद लेता है। इस तरह हम
देखते ह क डेडलाइन िसफ़ काम करने का ही नह , सामान बेचने का भी अनोखा पतरा है।
जब आप ाहक को बता देते ह क अमुक तारीख़ डेडलाइन है, तो वह उस तारीख़ तक
िनणय लेने के िलए मजबूर हो जाता है, वरना आप और म दोन ही जानते ह क ाहक से
िनणय करवाना आसान नह होता। अगर डेडलाइन न दी जाए, तो शायद वह ज़ंदगी भर
िनणय नह ले पाएगा।
अमर होने से उस ि को या लाभ, जो अपने आधे घंटे का इ तेमाल भी
अ छी तरह नह कर सकता?
— रै फ़ वॉ डो एमसन

कु छ लोग यह मानते ह क डेडलाइन से काम क गुणव ा पर बुरा असर पड़ता है।


उनक बात कु छ हद तक सही है, ले कन यह तभी सही होती है, जब आिख़री िमनट पर
काम शु कया जाए। दूसरी ओर, अगर डेडलाइन के आधार पर पहले से ही योजना बना
ली जाए, तो काम क गुणव ा म कोई कमी नह आएगी। मान ल, कोई से समैन 100 सौदे
करने के िलए एक महीने क डेडलाइन बनाता है। अब अगर प ीस दन बबाद करने के
बाद जाकर उसे होश आता है और वह काम म जुटता है, तो उसे हर दन 20 सौदे करने
ह गे, जो ब त मुि कल काय है। दूसरी ओर, अगर वह महीने के पहले दन से ही इस काम
म जुट जाए, तो उसे हर दन के वल 3–4 सौदे ही करने ह गे, जो तुलना मक प से आसान
है। तो डेडलाइन के मह व को पहचान और उसका उपयोग करके अपनी मता व गित को
बढ़ा ल।

जो सबसे यादा जानता है, वह बबाद समय के िलए सबसे यादा दुखी
होता है।
— दाँते

समय भी धन जैसा होता है; यह हमारे पास िजतना कम होता है, हम


इसका इ तेमाल उतनी ही यादा कफ़ायत से करते ह।
— जॉश िब लं स
समय के सव े उपयोग का चौदहवाँ िस ांत
समय ख़रीदना सीख
एक इं च सोने से भी एक इं च समय नह ख़रीदा जा सकता।
— चीनी सूि

पके िलए कौन सी चीज़ यादा मह वपूण है : समय या धन? आप इन दोन म से


आ कसे बचाने क यादा कोिशश करते ह? आप पैसजर ेन से या ा करना पसंद
करते ह या सुपरफ़ा ट ेन से? देिखए, रटायड लोग पैसजर ेन को यादा पसंद
करते ह, य क उसम कराया कम लगता है। पैसजर ेन क या ा म समय यादा लगता
है, ले कन रटायड लोग को आम तौर पर समय क कोई कमी महसूस नह होती; उनके
पास समय ही समय रहता है। दूसरी ओर, त लोग सुपरफ़ा ट ेन से या ा करते ह,
य क उ ह समय क कमी रहती है और वे बचे ए समय का सदुपयोग कर सकते ह।
बेहद त लोग हवाई जहाज़ से या ा करते ह, य क उनका समय और भी यादा
क़ मती होता है। िजस ि का समय िजतना क़ मती होता है, वह उसे बचाने के िलए
उतने ही यादा पैसे ख़च करने को तैयार रहता है।
य द आप समय के बजाय पैसे बचाने क यादा कोिशश करते ह, तो इसका मतलब
यह है क आप अपने समय को यादा मह व नह देते ह। दूसरी ओर, जो लोग समय को
यादा मह वपूण मानते ह, वे समय बचाने क भरसक कोिशश करते ह; एक तरह से कहा
जाए, तो वे समय को ख़रीद लेते ह। इस अ याय के ारं भ म दी गई चीनी सूि म कहा
गया है क समय को नह ख़रीदा जा सकता, ले कन यक़ न मान, आप समय ख़रीद सकते
ह। कं पिनय के मािलक यही तो करते ह। ज़रा सोच, कं पनी का कोई मािलक ॉड ट का
उ पादन नह करता, उसका िवतरण नह करता, उसका बंधन नह करता, उसे नह
बेचता, ले कन मुनाफ़ा उसी को होता है। कं पनी का मािलक कमचा रय को तन वाह
देकर उनसे अपना मनचाहा काम करवाता है। दूसरे श द म, कं पनी का मािलक दूसर का
समय ख़रीद लेता है।
य द आप समय बचाना चाहते ह, तो आप भी समय के सव े उपयोग के चौदहव
िस ांत का पालन कर : समय ख़रीदना सीख।
देिखए, खंड 1 म आप यह पता लगा चुके ह क आपके एक घंटे का मू य कतना है।
उस उदाहरण म आपके समय का मू य 100 पए था। अब इस आधार पर आप समय
ख़रीदने का िनणय ले सकते ह। एक उदाहरण देख। आपको िबजली का िबल जमा करना है,
िजसके िलए आने–जाने और लाइन म खड़े होने म डेढ़ घंटे का समय लग सकता है। य द
कोई एजट बीस पए लेकर यह काम करने को तैयार है, तो आपको या करना चािहए?
आपके िलए डेढ़ घंटे का मू य है 150 पए, इसिलए अगर कोई वह काम 20 पए म करने
को तैयार है, तो आपको ख़शी-ख़शी हाँ कर देना चािहए, य क आपका समय इससे ब त
यादा क़ मती है। इस तरह पैसे देकर समय ख़रीदना सीख। यह िस ांत ब त ही
मह वपूण है और सारी बड़ी कं पिनयाँ इसका फ़ायदा उठाती ह। आधुिनक युग क
आउटसो सग क नीित इसी िस ांत पर आधा रत है। अमे रक कं पिनयाँ पैसे देकर अपना
काम भारतीय कं पिनय से स ते म करवाती ह और अपना क़ मती समय बचाती ह।

कहावत है, ‘समय ही धन है।’ ले कन अगर आप इसे उलट देते ह, तो आपको


एक मू यवान स य पता चलता है — ‘धन ही समय है।’
— जॉज रॉबट िग संग

यह डेलीगे टंग या काम स पने से अलग बात है। डेलीगे टंग म आप समय बचाने के
िलए कम मह वपूण काम अपने अधीन थ को स पते ह, जब क समय ख़रीदते समय आप
कम मह वपूण काम बाहरी लोग से करवाते ह। य द आपके एक घंटे का मू य 100 पए है
और सामने वाला आपका एक घंटे का काम 10 पए म कर रहा है, तो समझदारी इसी म
है क आप उससे वह काम करवा ल, ता क आप उस बचे ए समय म यादा उपयोगी और
मू यवान काम कर सक।
उ ीसव सदी के मश र कृ ित–िव ानी लुइस अगासी को िनयिमत प से भाषण
देने के िलए बुलाया जाता था। एक बार वे कोई मह वपूण काम कर रहे थे, िजसक वजह
से उनके पास समय नह था। ऐसे म जब एक आयोजक ने उ ह भाषण देने के िलए
आमंि त कया, तो उ ह ने इं कार कर दया। आयोजक ने ज़ोर देते ए कहा क भाषण के
बदले म वह उ ह पैसे देगा। यह सुनकर अगासी आगबबूला हो गए और बोले, ‘पैसे का
लालच मुझे नह िडगा सकता। म पैसे कमाने के िलए अपना समय बबाद नह कर सकता!’

आप इस पृ वी के एकमा ि ह, जो अपनी यो यता का इ तेमाल कर


सकते ह।
— िज़ग िज़ लर
आ मिनभर लोग को समय ख़रीदने म बड़ी द क़त आती है, य क वे हर काम ख़द
करना चाहते ह। कं जूस लोग को भी इसम सम या आती है। वे पैसे बचाने के च र म ख़द
ही छोटे–छोटे काम करना चाहते ह, भले ही इस च र म उनके बड़े और यादा मह वपूण
काम न हो पाएँ। इसका एक रोचक उदाहरण देख।
या आपने कभी सोचा है क साड़ी क दुकान पर पु ष मोल–भाव य नह करते
और मिहलाएँ घंट तक मोल–भाव य करती ह? वैसे तो इसके कई कारण ह, ले कन
इसका मुख कारण है समय! अमूमन पु ष के पास समय क कमी होती है, जब क
मिहलाएँ तुलना मक प से फ़ु रसत म होती ह। एक बार फर वही िहसाब लगा ल। अगर
आपके एक घंटे का मू य 100 पए है और एक घंटे के मोल–भाव के बाद आप दुकानदार से
20 पए कम करवाने म कामयाब हो जाते ह, तो आप दरअसल घाटे म रहते ह। वा तव
म, आपको 20 पए का फ़ायदा नह आ, बि क 80 पए का नुक़सान आ है।

समय धन से अिधक मू यवान है। आप अिधक धन तो पा सकते ह, ले कन


अिधक समय कभी नह पा सकते।
— िजम रॉन
समय के सव े उपयोग का पं हवाँ िस ांत
भावी लाभ के िलए वतमान म याग कर
हमारी दुिवधा समय क कमी से यादा गहरी है; यह मूलत: ाथिमकताएँ
तय करने क सम या है। हम इस बात का एहसास होता है क हमने वे काम
नह कए, जो हम करने चािहए थे और वे कर दए, जो हम नह करने
चािहए थे।
— चा स ई. हमेल

मय के मामले म हम सभी के पास िवक प होता है। हम चाह, तो इसका दु पयोग


स कर सकते ह। हम चाह, तो इसका सदुपयोग कर सकते ह। हम चाह, तो वतमान पल
को मौज–म ती म बबाद कर सकते ह। हम चाह, तो वतमान पल को सुनहरे भिव य
क सीढ़ी बना सकते ह। हम चाह, तो आलस म आकर यूनतम काम करके अिधकतम
आराम कर सकते ह। हम चाह, तो कमठता से अिधकतम काम करके अपने समय का िनवेश
कर सकते ह। हर सफल ि भावी लाभ के िलए वतमान समय का िनवेश करता है।
िजस तरह कं पिनयाँ भावी सफलता के िलए पूँजी का िनवेश करती ह, उसी तरह ि
भावी सफलता के िलए समय का िनवेश करते ह।
एक िव ाथ परी ा क़रीब आने पर भी घंट तक टी.वी. देखता रहता है, दूसरा
िव ाथ यह सोचता है क इस समय पढ़ने से परी ा म यादा अ छे ेड िमलगे, इसिलए
वह टी.वी. न देखकर पढ़ाई म जुट जाता है। कॉलेज का एक िव ाथ लास से गोता
मारकर लड़ कय से ग प लड़ाता रहता है, दूसरा िव ाथ लास म मन लगाकर पढ़ाई
करता है। एक कमचारी अॉ फ़स के मह वपूण ोजे ट पर काम करने के बजाय गपशप
करता है, दूसरा कमचारी क रयर म तर क़ को यान म रखते ए मह वपूण ोजे ट को
फटाफट पूरा कर देता है। एक से समैन सुबह उठकर टी.वी. देखने लगता है, दूसरा
से समैन सुबह उठकर संभािवत ाहक से फ़ोन पर अपॉइं टम स लेता है। अब आप ही
बताएँ क इन उदाहरण म यादा अ छा भिव य कसका होगा : पहले ि का या दूसरे
ि का? िन ववाद प से, दूसरे ि का भिव य यादा अ छा होगा। कारण प है :
हर उदाहरण म पहला ि िणक सुख म उलझकर अपना समय बबाद कर रहा है,
जब क दूसरा ि भावी सफलता के िलए िणक सुख का याग कर रहा है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का पं हवाँ िस ांत है : भावी लाभ के िलए
वतमान म याग कर।
इसका एक उदाहरण देख। एक जापानी कं पनी कै िलफ़ो नया म योसेमाइट नेशनल
पाक का बंधन सँभालना चाहती थी। अमे रका वाल ने उस कं पनी से िबज़नेस लान पेश
करने को कहा। उ ह उ मीद थी क वे एक–दो साल का िबज़नेस लान पेश करगे, ले कन
जब जापानी कं पनी ने 250 साल का िबज़नेस लान पेश कया, तो अमे रका वाल के होश
उड़ गए। अमे रका के लोग अगली ितमाही या अगले साल के बारे म सोच रहे थे, जब क
जापानी कं पनी दीघकालीन भिव य के बारे म सोच रही थी।

जब आप शहद क तलाश म जाते ह, तो आपको यह उ मीद रखनी चािहए


क मधुमि खयाँ आपको काटगी।
— के नेथ कॉ डा

दरअसल, हम सभी के पास एक दन म 24 घंटे का समय होता है... मुकेश अंबानी के


पास भी और छगनलाल के पास भी। अहम सवाल तो यह है क आप उस समय म या
करने का िवक प चुनते ह। यह इस बात से तय होता है क आपके िलए या मह वपूण है :
िणक सुख या भावी सफलता। कसी ब े के िलए खेलना-कू दना मह वपूण है, इसिलए
वह 6 घंटे तक पतंग उड़ाता है और 4 घंटे तक टी.वी. देखता है। दूसरे ब े के िलए क ा म
अ वल आना मह वपूण होता है, इसिलए वह 10 घंटे पढ़ता है। इसी तरह, एक से समैन
िणक सुख क ख़ाितर टी.वी. पर के ट मैच देखता रहता है, जब क दूसरे से समैन के
िलए भिव य का दीघकालीन आनंद मह वपूण होता है, इसिलए वह वतमान समय का
जमकर दोहन करता है। आपका भिव य इस बात पर िनभर करता है क आप कौन सा
िवक प चुनते ह : वतमान िणक आनंद का या भावी दीघकालीन सुख का?

कल के सभी फू ल आज के बीज से ही पैदा ह गे।


— चीनी कहावत
समय के सव े उपयोग का सोलहवाँ िस ांत
िनि त समय पर काम कर
महान संगीत े रत होने के कारण काम करने नह बैठता। वह तो काम
करते समय ही े रत होता है। बीथोवन, वैगनर, बाख़ और मोज़ाट हर दन
उतनी ही िनयिमतता से काम करने बैठते थे, िजतनी िनयिमतता से कोई
अकाउं टट हर दन िहसाब— कताब िमलाने के िलए बैठता है। ेरणा का
इं तज़ार करने म उ ह ने अपना समय बबाद नह कया।
— अन ट यूमैन

मारे शरीर म एक घड़ी होती है, िजसे बायोलॉिजकल लॉक कहा जाता है। जब आप
ह िनि त समय पर काम करने क आदत डाल लेते ह, तो आपका शरीर उसी अनुसार
ढल जाता है। य द आप हर दन दोपहर डेढ़ बजे खाना खाते ह, तो आपको उस समय
अपने आप भूख लगने लगेगी। य द आप हर दन रात को दस बजे सोते ह, तो आपको उस
समय अपने आप न द आने लगेगी। यह बायोलॉिजकल लॉक है, जो आपसे िनि त समय
पर िनि त काम करवा रही है; बस आपको आदत डालकर इसम चाबी भरनी पड़ती है।
िस दाशिनक इमैनुअल कांट समय के बड़े पाबंद थे। वे हर शाम को साढ़े तीन बजे
घूमने जाते थे और इसम एक िमनट भी इधर से उधर नह होता था। उनक समय क
पाबंदी से उनके पड़ोिसय को यह लाभ होता था क वे इससे अपनी घड़ी िमला सकते थे।
य द आप िनि त समय पर िनि त काम करने क आदत डाल लेते ह, तो उस समय
आपका शरीर और मन दोन ही उस काम को करने के िलए पूरी तरह तैयार होते ह। अगर
आप सुबह ठीक छह बजे घूमने जाते ह, तो शरीर इसके िलए पूरी तरह तैयार होता है और
आपको इसम आलस कम आता है। दूसरी ओर, अगर घूमने का कोई िनि त समय नह है,
तो आप आसानी से आलस के िशकार हो जाते ह।
ख़ास तौर पर अि य काम के िलए यह आदत बड़ी कारगर होती है। अगर आपको
पढ़ाई करना है, तो उसका िनि त समय तय कर ल। अगर आपको से स म को ड कॉल
करना है, तो उसके िलए िनि त समय तय कर ल। अगर आपको ायाम करना है, तो
उसके िलए िनि त समय तय कर ल। हर मह वपूण काम का िनि त समय तय करने से
आप शारी रक और मानिसक प से उस काम के िलए पूरी तरह तैयार रहते ह।
इसिलए समय के सव े उपयोग का सोलहवाँ िस ांत है : िनि त समय पर काम
कर।

ितभाशाली ि वह है, जो अिनवाय बंद ु को लगातार देखता रहता है


और बाक़ सबको अनाव यक मानकर छोड़ देता है।
— कालायल

िनि त समय पर मह वपूण काम करने क आदत डालने के कई फ़ायदे ह। पहला तो


यह क आपको वह काम करने म आलस नह आता है और आप आदतन िबना सोचे–समझे
उसे करने म जुट जाते ह। दूसरे , आदत पड़ने पर आपका शरीर और मन पूरी तरह स य
होकर सहयोग देता है। तीसरे , आपको उसम आनंद आने लगता है, िजससे काम सरल हो
जाता है। चौथे, समय के साथ–साथ आप उस काम को ज दी या यादा अ छी तरह करने
के तरीक़े खोज लेते ह। पाँचव, जब आप िनयिमतता से एक िनि त तं म चलते ह, तो
ाकृ ितक शि याँ भी आपक मदद करने लगती ह। पूरा ांड एक िनि त तं म काम
करता है; आपको भी ऐसा ही करना चािहए।

समय बचाने के िलए काम का सही समय चुन।


— ांिसस बेकन
समय के सव े उपयोग का स हवाँ िस ांत
समय क बबादी के गु वाकषण िनयम को
जान
आम अमे रक कमचारी के कामकाज म एक दन म पचास वधान आते
ह, िजनम से स र ितशत का उसके काम से कोई संबंध नह होता।
— ड यू. ऐडवड् स डे मंग

द आप हवा म छलाँग लगाएँ, तो या होगा? पृ वी क गु वाकषण शि के


य कारण आप नीचे आ जाएँगे। यही समय के मामले म भी होता है। जैसे ही आप कोई
मह वपूण काम शु करते ह, वैसे ही बाधा क गु वाकषण शि स य हो
जाती है और आपको नीचे धके लने लगती है। दूसरे लोग आकर आपके काम म िव डालते
ह। वे आपसे कोई दूसरा काम करने को कहगे, कोई आपसे िमलने आ जाएगा, कसी का
फ़ोन आ जाएगा, बॉस आपको कोई अ याव यक काम थमा देगा, प ी बाज़ार से कोई
ज़ री सामान मँगाएगी, ब े होमवक म आपसे मदद माँगगे। यह और कु छ नह ,
गु वाकषण का िनयम है। जैसे ही आप कोई मह वपूण काम शु करते ह, कावट सामने
आने लगती ह, अ य ता कािलक काय हावी होने लगते ह और प रि थितयाँ िवकट हो
जाती ह। यह और कु छ नह , बाधा का गु वाकषण है, जो आपको नीचे ख च रहा है।
आपको इस गु वाकषण शि के ित सजग रहना चािहए।
याद रख, इस दुिनया म दूसर क तर क़ देखकर जलने क परं परा है। इस दुिनया म
दूसर क टाँग ख चने क परं परा है। इस दुिनया म दूसर के पर कतरने क परं परा है।
इसिलए आपका ऊपर उठना आपके आस–पास के लोग को, शायद आपके र तेदार को
भी, पसंद नह आएगा और वे उसम अपनी ओर से बाधा डालने क पूरी–पूरी कोिशश
करगे। इससे बचने का उपाय ब त ही सरल है : अपना मुँह बंद रख। कसी को भी यह न
बताएँ क आप कोई मह वपूण काम कर रहे ह, आपने एक नई आदत डाली है या आप
कतने ऊपर प चँ ना चाहते ह। अगर आप ड ग हाँकने या अपनी योजना बताने के लोभन
से बच जाएँ, तो आपका इरादा कसी को पता नह चल पाएगा और आप ब त सी
अनाव यक अड़चन से बच जाएँगे। कसी को यह पता न चलने द क आप ऊपर उठने क
कोिशश कर रहे ह, वरना आपको नीचे ख चने म वे अपनी पूरी शि लगा दगे।
इसिलए समय के सव े उपयोग का स हवाँ िस ांत है : समय क बबादी के
गु वाकषण िनयम को जान।
देिखए, हर अ छे काम म बाधाएँ हमेशा आती ह, इसिलए पहले से ही उनके िलए
तैयार रह और उनसे िनबटने क योजना बना ल। अगर आप घर पर कोई मह वपूण काम
कर रहे ह, तो उसी समय कोई आपसे िमलने चला आएगा, पड़ोसी का गपशप करने का
मूड हो जाएगा, प ी या ब को कोई न कोई ऐसा काम याद आ जाएगा, जो आपके िबना
नह हो सकता। इसके अलावा, आपके मोबाइल फ़ोन पर कोई दो त या र तेदार भी
आपसे लंबी बातचीत करने के मूड म हो सकता है। बाहरी संसार के आ मण के पतर को
पहचानना सीख, ता क उनक वजह से आपके मह वपूण काम पर असर न हो। िमलने–
जुलने वाल से िनबटने क प नीित अिनवाय है। िवन ता ले कन दृढ़ता से यह कहना
सीख क आप इस समय मह वपूण काम कर रहे ह, इसिलए आप बाद म उनसे बात करगे।
यही नीित मोबाइल फ़ोन पर भी अपनाएँ। वैसे मोबाइल फ़ोन को तो आप ि वच अॉफ़ भी
कर सकते ह।

मेरी सलाह यह है क तुम अपने िमनट का यान रखो; फर घंटे अपनी


परवाह ख़द कर लगे।
— लॉड चे टरफ़ ड

इस मामले म मेरा एक िम बड़ी ही रोचक नीित अपनाता है। उसके घर म दो


दरवाज़े ह और जब उसे कसी आगंतुक का वधान पसंद नह होता, तो वह सामने वाले
दरवाज़े पर बाहर से ताला लगा देता है, ता क आगंतुक ताला देखकर लौट जाए। शायद
आपको ताला लगाना पसंद न हो, ले कन आपको कोई न कोई नीित तो अपनानी ही होगी।
आप चाहे जो नीित अपनाएँ, ले कन लोग क नीचे ख चने वाली गु वाकषण शि से
िनबटने के उपाय सोचकर रख। अपॉइं टमट के िबना कसी से न िमल और अपॉइं टमट क
अविध सीिमत रख, जैसे ‘हम इस बारे म शाम चार से सवा चार तक बातचीत करते ह।’

िजन लोग के पास ख़ाली समय होता है, वे हमेशा काम करने वाले लोग
का समय बबाद करगे।
— थॉमस सोवेल

मश र िसिवल इं जीिनयर ूनेल के अॉ फ़स म के वल एक ही कु स रखी रहती थी,


ता क उ ह हमेशा याद रहे क उनके पास बबाद करने के िलए समय नह है। अगर िमलने
वाला कसी मह वपूण काम के िसलिसले म आता था, तो वे कु स उसे दे देते थे। दूसरी
ओर, अगर िमलने वाला कसी मह वहीन काम के िलए आता था, तो वे कु स पर ख़द बैठे
रहते थे। ज़ािहर है, जब अॉ फ़स म एक ि बैठा हो और दूसरा खड़ा, तो के वल काम क
ही बात हो सकती ह; फ़ालतू बात का माहौल नह बन पाता।
समय के मामले म हेनरी फ़ोड भी इतने ही दूरदश थे। जब कामकाज के संबंध म
उ ह कोई सम या आती थी, तो वे मैनेजर को अपने चबर म बुलाने के बजाय उनके चबर
म जाकर िमलते थे। इस बारे म उ ह ने कहा था, ‘मने पाया है क म सामने वाले को अपने
अॉ फ़स से उतनी ज दी नह िनकाल सकता, िजतना उसके अॉ फ़स से ख़द को िनकाल
सकता ।ँ ’ इन महान लोग क तरह आपको भी बाधा को ज दी से ज दी दूर करने क
योजना बना लेनी चािहए, ता क आप अपने समय का सव े उपयोग कर सक।
एक दन िब माक एक अँ ेज़ राजदूत से बातचीत कर रहे थे। कु छ समय बाद
राजदूत ने िब माक से पूछा, ‘आप उन आगंतुक से कै से िनबटते ह, जो आपका इतना सारा
क़ मती समय बबाद कर देते ह?’ िब माक ने जवाब दया, ‘मेरा एक अचूक तरीक़ा है।
मुलाक़ात के बीच मेरा नौकर आकर कहता है क मेरी प ी मुझसे कोई ज़ री बात करना
चाहती है।’

समय काटने का मतलब दरअसल यह है क समय हम काट रहा है।


— सर ओ बट िसटवेल

िजस पल िब माक यह कह रहे थे, उसी समय एक नौकर आया और उसने िब माक
से कहा क उनक प ी उनसे कोई ज़ री बात करना चाहती ह।

क़ानून उस डाकू को कभी नह पकड़ता है, जो इं सान क सबसे बेशक़ मती


चीज़ ‘समय’ को चुराता है।
— नेपोिलयन
समय के सव े उपयोग का अठारहवाँ िस ांत
यूटन के गित के पहले िनयम का लाभ ल
आप 10 िमनट म ब त कु छ कर सकते ह। ये 10 िमनट अगर चले गए, तो
हमेशा के िलए चले जाएँगे। अपने जीवन को 10 िमनट क इकाइय म बाँट
द और िनरथक गितिविधय म यूनतम समय बबाद कर।
— इं गवार का परे ड

रल भाषा म यूटन का गित का पहला िनयम कहता है : जो चीज़ िजस अव था म


स है, उसी म बनी रहती है, जब तक क उस पर बाहरी बल का योग न कया जाए।
यह ब त ही अद्भुत िनयम है। यह व तु पर ही नह , ि य पर भी लागू होता
है। आप िजस अव था म ह, उसी म रहगे, जब तक क बाहरी बल का योग न हो। यह
बाहरी बल कहाँ से आता है : या तो दूसर के दबाव से या फर आपके अनुशासन से,
आपक व– ेरणा से।
यह पर समय के सव े उपयोग का दूसरा िस ांत काम आता है : आ थक ल य
बनाएँ। यही आ थक ल य आपको िनरं तर े रत करता है, ता क आप बाहरी बल यानी
अनुशासन का योग करके अपनी अव था को बदल ल। आपक आ थक ि थित चाहे जैसी
हो, आप अनुशासन का योग करके उसे हमेशा बेहतर बना सकते ह। िजम रॉन क बात
हमेशा याद रख, ‘अनुशासन ही ल य और सफलता के बीच का पुल है।’
देिखए, सच तो यह है क अपनी आ थक ि थित को बेहतर बनाने का काम आपको
ख़द ही करना होगा। दूसर को या पड़ी है, जो वे आपके जीवन को बेहतर बनाने के िलए
आप पर दबाव डाल? आदमी घड़ी म चाबी भरता है, तो घड़ी क नह , अपनी आव यकता
के िलए भरता है। दूसरे लोग तो आपक भलाई के िलए नह , बि क उनक ख़द क भलाई
के िलए आप पर दबाव डालगे। वे आपसे अपना काम िनकलवाने के िलए आप पर दबाव
डालगे। इसिलए यह बात अ छी तरह समझ ल क अनुशासन म रहने और मेहनत करने
क िज़ मेदारी आपक है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का अठारहवाँ िस ांत है : यूटन के गित के पहले
िनयम का लाभ ल।
इस िनयम का एक अ छा पहलू भी है। जब आप सफलता क डगर पर चलने लगगे,
तो आप सफलता क अव था म तब तक रहगे, जब तक क बाहरी बल का योग न हो।
जैसा हम िपछले िस ांत म देख चुके ह, ब त से बल आपक गित म बाधा डालने क
कोिशश करगे, ले कन आप उनसे सतक रहगे और अपनी गित को बरक़रार रखगे।

दूरी मह वपूण नह होती; मुि कल तो िसफ़ पहला क़दम होता है।


— मा कस डे डेफ़े ड

एक बार ूक अॉफ़ वे लंगटन ने युवा ि टश नेता पाम टन को सुबह साढ़े सात बजे
का अपॉइं टमट दया। एक िम ने पाम टन से पूछा क वे तो रात को देर तक जागते ह,
फर वे इतनी सुबह अपॉइं टमट के िलए कै से प च
ँ गे। पाम टन का जवाब था, ‘ब त
आसान है। यह सोने से पहले मेरा आिख़री काम होगा।’ यही है अनुशासन! पाम टन
जानते थे क वह मुलाक़ात मह वपूण थी, इसिलए उ ह ने देर तक जागने क अपनी आदत
को आड़े नह आने दया। उ ह ने अपनी दनचया म थोड़ा फे रबदल करके यूटन के गित के
पहले िनयम का इ तेमाल कया। आप भी ऐसा ही कर सकते ह! अनुशासन का इ तेमाल
करके गित क राह पर चल पड़ और सामने आने वाली हर बाधा को दूर करते जाएँ।

लोग कहते ह क समय प रि थितय को बदल देता है, ले कन सच तो यह है


क आपको उ ह ख़द बदलना पड़ता है।
— एंडी वारहोल
समय के सव े उपयोग का उ ीसवाँ िस ांत
यह मह वपूण नह है क आपने कतने समय
काम कया; मह वपूण तो प रणाम ह
गित और गित म गफ़लत न कर। ब का आगे—पीछे िहलने वाला घोड़ा
गित तो करता है, ले कन गित नह करता।
— अ े ड ए. मो टापट

दे िखए, यह बेहद मह वपूण िस ांत है, य क अ सर यह पर ग़लतफ़हमी का अंदशे ा


रहता है। कमचारी अ सर महसूस करते ह क वे आठ घंटे काम करते ह, इसिलए
उनक तन वाह बढ़नी चािहए। दूसरी ओर, कं पनी के मािलक सोचते ह क इस आदमी ने
5,000 पए का काम कया है और इसे 8,000 पए तन वाह पहले से िमल रही है,
इसिलए इसक तन वाह बढ़ाने क ज़ रत नह है, इसके बजाय अगर संभव हो, तो
उसक तन वाह कम कर देनी चािहए या उसे नौकरी से िनकाल देना चािहए।
इस उदाहरण म हमने या देखा : कमचारी के िलए मह वपूण पैमाना यह है क
उसने कतने समय काम कया, जब क कं पनी के मािलक के िलए मह वपूण पैमाना यह है
क उसने कतना मू यवान प रणाम दया। मानिसकता के इस अंतर को कभी न भूल,
य क आपका े चाहे जो हो, सबसे सफल लोग का यान हमेशा प रणाम पर क त
होता है। य द आप पाँच िमनट म ही उ ह अपेि त प रणाम दे दगे, तो वे आपको पुर कार
दगे। ले कन दूसरी ओर, य द आप पाँच दन क मेहनत के बाद भी अपेि त प रणाम नह
दे पाए, तो वे िनराश हो जाएँगे। वा तिवक संसार म मह वपूण यह नह होता क आपने
कतने समय काम कया। मह वपूण तो यह होता है क उसका प रणाम या िनकला।
िमसाल के तौर पर, दो सेनाएँ लड़ रही ह और उनम से एक हार जाती है। देखने
वाली बात यह है क दोन ही सेनाएँ समान समय तक लड़ , दोन ने ही जान क बाज़ी
लगाई, ले कन प रणाम दोन के िलए अलग–अलग रहे। एक का नाम सुनहरे अ र म
िलखा गया, जब क दूसरी को पराजय का कलंक झेलना पड़ा।
एक और उदाहरण देख। दो मिहलाएँ स ज़ी बनाने म दो घंटे का समय लगाती ह :
एक क स ज़ी लाजवाब बनती है और दूसरी क िबगड़ जाती है। आपको या लगता है,
उनके पितय क ित या या होगी? या दूसरी मिहला का पित इस बात पर वाह–
वाह करे गा क उसक प ी ने उस घ टया स ज़ी को बनाने म दो घंटे तक मेहनत क ? या
वह इस बात पर ताने कसेगा क कतनी बुरी स ज़ी बनाई? जवाब आप ख़द जानते ह।

हमम से कु छ लोग अपना काम अ छी तरह करगे, कु छ नह करगे, ले कन


हमारा मू यांकन िसफ़ एक ही चीज़ के आधार पर होगा — प रणाम।
— िव स लॉ बाड

तो यह बात अ छी तरह समझ ल क समय क मा ा मह वपूण नह होती,


मह वपूण तो प रणाम होता है। कोई बॉस अपने कमचारी क इस बात पर शंसा नह
कर सकता क उसक दो महीने क अथक मेहनत के बावजूद कॉ ै ट हाथ से िनकल गया।
अगर बॉस या पित भला होगा, तो सां वना दे सकता है, तस ली दे सकता है, ले कन
पुर कार नह दे सकता।
इसिलए समय के सव े उपयोग का उ ीसवाँ िस ांत है : यह मह वपूण नह है क
आपने कतने समय काम कया; मह वपूण तो प रणाम ह।
देिखए, कसी काम म लगने वाले समय के दृि कोण से सोचते समय आप कोई नई
चीज़ नह कर रहे ह। दुिनया भर के करोड़ कमचारी ऐसा ही सोच रहे ह। अगर उनसे
पूछा जाए क वे कं पनी को या दे रहे ह, तो उनका जवाब यही होगा, ‘10 से 5 का समय।’
दूसरी ओर, य द आप सफल लोग से पूछगे क वे कं पनी को या दे रहे ह, तो वे प रणाम
बताएँग,े आँकड़े बताएँगे, अपना योगदान बताएँग।े इस संबंध म एक उदाहरण देख। अगर
वमाजी का मकान 25 साल म बनता है, तो या वह 22 साल म बनने वाले ताजमहल से
बेहतर कहलाएगा? नह , य क कसी काम का प रणाम यादा मह वपूण होता है; यह
उतना मह वपूण नह होता है क उसम कतना समय लगा।

एक पूण साथक काय पचास आधे-अधूरे काम से बेहतर है।


— मै कम एस. फ़ो स

इस संदभ म एक अपवाद है। लगा आ समय तब मह वपूण होता है, जब प रणाम


बेहतरीन हो। उदाहरण देख। बॉस आपको कोई ज टल काम करने को देता है और उसके
िलए आपको सात दन क डेडलाइन देता है, ले कन आप उसे दो दन म ही अ छी तरह
पूरा करके स प देते ह। तब आप बॉस क नज़र म यादा ऊपर उठ जाएँगे। आपने उ मीद
से कम समय म बेहतरीन काम कर दया, इस बात से वह ब त भािवत होगा और यह
आदत आपको उस े म ब त आगे और ऊपर तक ले जाएगी। ती ता मह वपूण है,
ले कन प रणाम उससे यादा मह वपूण ह। और हाँ, जैसा टीफ़न कवी ने कहा है, अगर
आपको कसी दीवार पर चढ़ना हो, तो ग़लत दीवार से टक सीढ़ी पर तेज़ी से न चढ़।
तेज़ी से काम करने म तभी फ़ायदा होता है, जब सीढ़ी सही दीवार से टक हो। यानी यह
सुिनि त कर ल क आपक या ा सही दशा म हो रही है। हमेशा सफल लोग के नज़ रए
से दुिनया को देख : यह मह वपूण नह है क आपने कतने समय तक काम कया;
मह वपूण तो प रणाम ह।

लोग यह बात भूल जाते ह क आपने कोई काम कतनी तेज़ी से कया —
ले कन वे हमेशा याद रखते ह क आपने उसे कतनी अ छी तरह कया।
— हॉवड ड यू. यूटन
समय के सव े उपयोग का बीसवाँ िस ांत
तय कर क कौन सा काम कब करना है
मने यह सीखा है क हम कु छ भी कर सकते ह, ले कन हम सब कु छ नह कर
सकते... कम से कम एक समय म तो नह । इसिलए ाथिमकता के बारे म
सोचते समय आपका यान इस बात पर क त नह होना चािहए क आप
कौन से काम करते ह, बि क इस बात पर होना चािहए क आप उ ह कब
करते ह। टाइ मंग ही सबसे मह वपूण चीज़ है।
— डैन िमलमैन

म ब त सी भूिमका म काम करना होता है। पु ष को बेटे, िपता, पित, कमचारी,


ह से समैन आ द क भूिमकाएँ िनभानी होती ह और ज़ािहर है, उनके साथ
िज़ मेदा रयाँ भी जुड़ी होती ह। प ी घर के सामान लाने के िलए आपको बाज़ार
भेजना चाहती है, दो त के मोबाइल फ़ोन समय–असमय चले आते ह, िबन बुलाए
र तेदार आ धमकते ह, अनचाहे सामािजक समारोह और दीगर काय म म जाना होता
है। देिखए, एक बात अ छी तरह समझ ल। जीवन कोई फू ल क सेज नह है, यह तो
कं यूटर गेम मा रयो क तरह मुि कल डगर है... आपको बतख, खाइय , काँट और जीव–
जंतु क बाधा से बचते–बचाते ए अपनी मंिज़ल तक प च ँ ना है। बाधा से भटकना
नह है, बस मंिज़ल को यान म रखकर लगातार चलते रहना है। यही मंिज़ल तक प च ँ ने
का उपाय है।
िजस तरह सभी जूते एक नाप के नह होते, उसी तरह सभी काम भी एक समान नह
होते। कु छ काम मह वपूण होते ह, िजनम यादा समय और एका ता क ज़ रत होती है।
कु छ काम छोटे होते ह, िज ह आसानी से कभी भी पूरा कया जा सकता है। और कु छ काम
ऐसे होते ह, िज ह आप नह , कोई भी कर सकता है। यह टाइम मैनेजमट काम आता है।
आप मह वहीन काम दूसर से करवा सकते ह और समय ख़रीद सकते ह।
हमारी एक र तेदार है, िजसे अपने घर म सि ज़याँ या कराने का सामान रखना
पसंद नह है। प रणाम यह होता है क उसके पित को अ सर बाज़ार जाना पड़ता है। पित
कहता है, ‘आज तो भिजए खाने का मन हो रहा है।’ प ी जवाब देती है, ‘तो बाज़ार से
जाकर बेसन ले आओ।’ पित कहता है, ‘आज हलुआ बना दो।’ प ी कहती है, ‘जाकर रवा
ले आओ।’ इस तरह वह मिहला अपने पित को लगभग हर दन कोई न कोई सामान लाने
बाज़ार भेज देती है। पित भी इतना भलामानुस है क िबना उफ़ कए रोज़ चल देता है।
अगर पित–प ी समय के संदभ म सजग होते, तो वे योजना बनाकर एक ही दन म ह ते
भर का सामान मँगा लेते, िजससे सात दन का समय ख़राब नह होता। इस तरह के अनेक
उदाहरण देखने म आते ह। इं टरनेट पर ई–मेल चेक करने गए और स फ़ग करने म एक–दो
घंटे बबाद कर दए। दरअसल, आपको यह संक प कर लेना चािहए क आप मह वहीन
काम करने म अपना समय बबाद नह करगे और के वल मह वपूण काम म ही पूरा समय
दगे।

स ी सफलता पाने के िलए ख़द से ये चार सवाल पूछ : य ? य नह ? म


य नह ? अभी य नह ?
— जे स एलन

वैसे आप स ाह म एक दन छु टपुट घरे लू काम के िलए अलग रख सकते ह। उस दन


योजना बनाकर अपने सभी प डंग काम िनबटा ल। अगर कोई काम अॉ फ़स के रा ते म हो
सकता है, तो उसके िलए अलग से समय बबाद न कर, बि क उसे अॉ फ़स आते–जाते समय
िनबटा ल। ेन का रज़वशन करवाना है, तो लंबी लाइन म लगने के बजाय इं टरनेट पर
घर बैठे–बैठे ही रज़वशन करवा ल। इसम आपको थोड़ा अित र पैसा तो देना पड़ेगा,
ले कन आपका समय बच जाएगा। यानी यहाँ भी आप समय के सव े उपयोग के चौदहव
िस ांत का पालन कर रहे ह और पैसा देकर समय ख़रीद रहे ह।
य द कसी से मोबाइल पर बात करनी है, तो उसके िलए शाम का समय चुन। सुबह
का क़ मती समय फ़ालतू काम म बबाद न कर। यही इं टरनेट और ईमेल के बारे म सही है।
इन काम म ब त एका ता क ज़ रत नह होती और इनम समय भी बबाद होता है,
इसिलए इ ह अपने ख़ाली समय म कर, जब आप ब त थके ह और अपने दमाग़ को
एका न कर सकते ह । सुबह–सुबह टी.वी. से भी दूर रह। सुबह तो अपने सबसे मह वपूण
काम कर, य क सुबह के काम से ही आपके पूरे दन क दशा तय होती है। अगर आप
िव ाथ ह, तो सुबह सबसे मुि कल िवषय पढ़, अगर आप से समैन ह, तो सुबह से स
कॉल कर।

हर काम करने के िलए समय कभी पया नह होता है, ले कन सबसे


मह वपूण काम को करने के िलए समय हमेशा पया होता है।
— ायन े सी
इसिलए समय के सव े उपयोग का बीसवाँ िस ांत है : तय कर क कौन सा काम
कब करना है।
देिखए, चाहे आपम कतना भी अनुशासन हो और आप योजना पर कतनी ही िन ा
से चलते ह , कई मौक़े ऐसे आते ह, जब आपका काम करने का मूड नह होता। यही वह
समय है, िजसम आपको अपने छु टपुट घरे लू और बाहरी काम िनबटा लेना चािहए। यह
टी.वी. के सामने लेटने से तो बेहतर है। इस संदभ म एनबीसी के मुख और अमे रक
ो ूसर ज़कर का उदाहरण याद रख, िज ह आँत का कसर था। वे अपने काम के ित
इतने सम पत थे क एक दन भी अॉ फ़स से छु ी नह लेते थे। वे अपनी क मोथैरेपी
शु वार शाम को करवाते थे, ता क दो दन क छु य म आराम करने के बाद वे सोमवार
सुबह अॉ फ़स आ सक। काम करने के िलए आप कौन सा समय चुनते ह, उसी से सारा फ़क़
पड़ता है।

म घड़ी क नह , बि क घड़ी मेरी ग लाम है।


— गो डा मायर
समय के सव े उपयोग का इ सवाँ िस ांत
सुबह ज दी उठ
सुबह का पहला घंटा पूरे दन क दशा तय करता है।
— हेनरी वाड बीचर

‘जो जकहावत
दी सोता है, ज दी उठता है, उसके पास वा
को आज के युग म िजतना नज़रअंदाज़
य, पैसा और बुि रहती है।’ इस
कया गया है, उतना कसी दूसरी
कहावत को नह कया गया। यह बात म अनुभव से जानता ।ँ कभी म भी रात को 2–3
बजे सोकर सुबह 8–9 बजे उठता था और अगर आप आधी रात के बाद सोते ह, तो आप भी
मेरी ही ेणी म आते ह। टाइम मैनेजमट क दृि से यह िबलकु ल ही ग़लत है, य क सुबह
देर से उठने पर आपके पास दूसरे काम के िलए तो समय रहता है, अपने िलए समय नह
रहता।
लोग यह तक दे सकते ह (कभी म भी देता था) क सुबह उठना उनके बूते क बात
नह है, रात क शांित म काम यादा अ छी तरह होता है और रात को वे चाहे िजतनी देर
तक काम कर सकते ह। ले कन ये तक लचर ह। सुबह 4 बजे उठने पर भी शांित ही रहती है
और उसम काम अपे ाकृ त यादा अ छी तरह होता है। मु य बात यह है क उस समय
काम क गित भी तेज़ होती है, य क शरीर और दमाग़ दोन ही तरोताज़ा होते ह। रात
को वातावरण म अॉ सीजन क मा ा कम हो जाती है, इसिलए आपका दमाग़ कम चल
पाता है और दमाग़ी काम के िलए रात का समय आदश नह होता है। आदश समय तो
सुबह का ही रहता है, जब वातावरण अॉ सीजन से भरपूर रहता है। यक़ न न हो, तो
सुबह छह बजे और शाम को छह बजे उसी सड़क पर घूमकर देख ल।
एक बात जान ल, समय के सव े उपयोग म सबसे बड़ी द क़त दूसर क तरफ़ से
आती है और सुबह यह द क़त सबसे कम होती है, इसिलए सुबह के एक घंटे म आप
िजतना काम कर लेते ह, उतना दोपहर म तीन घंट म हो पाएगा। सुबह मोबाइल का
टशन भी नह रहता, अख़बार भी देर से आता है, ब े भी ाय: देर से उठते ह, इसिलए
आप पूरी एका ता से काम कर सकते ह।
आदश ि थित म तो िनयम यह है क सूरज उगने से दो घंटे पहले उठ और सूरज डू बने
के दो घंटे बाद सो जाएँ। जब आप सुबह चार बजे उठते ह, तो आपके पास समय ही समय
रहेगा। अॉ फ़स जाने से पहले भी आपके पास चार–पाँच घंटे का समय रहेगा। इस दौरान
आप ायाम कर सकते ह, पूरे दन क योजना बना सकते ह और अपने मह वपूण काम
िनबटा सकते ह। दूसरी ओर, ज दी सोने क आदत से भी आप ब त सी सम या से मुि
पा लेते ह। आपको देर रात क पा टय से मुि िमल जाती है। इसके अलावा, आपक
जीवनशैली यादा व थ हो जाती है।

सुबह दस बजे तक ख़श रहगे, तो बाक़ का दन अपनी परवाह वयं कर


लेगा।
— अ बट हबाड

हमारे पूवज क जीवनशैली यादा व थ इसिलए थी, य क वे कृ ित के क़रीब


थे। वे न िसफ़ ाकृ ितक वातावरण म रहते थे, बि क कृ ित क लय म काय करते थे। सुबह
का वातावरण इतना पिव और शांत रहता था क ॠिष-मुिन मु त म भजन–पूजन
करते थे। वे मुग क बाँग के साथ उठते थे और चाँद िनकलने पर सो जाते थे। इस तरह वे
अपने शरीर को कृ ित के सामंज य म रख रहे थे। आज आधुिनकता क होड़ म कृ ि मता
का माहौल इतना बढ़ चुका है क कृ ित से मनु य का सारा संपक ही टू ट चुका है। रात को
देर तक जागने से मनु य क ाकृ ितक लय ख़ म हो जाती है और वह सुबह देर से उठता है।
नतीजा यह होता है क उसका हाज़मा ख़राब होता है, क़ ज़ क िशकायत रहती है,
ताज़गी और फू त का अभाव होता है और दन भर उसके शरीर म आलस भरा रहता है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का इ सवाँ िस ांत है : सुबह ज दी उठ।

य द आपका पड़ोसी ज दी उठता है, तो आप उससे भी यादा ज दी उठ।


— द मा फ़या मैनेजर
समय के सव े उपयोग का बाईसवाँ िस ांत
एक घंटा ायाम कर
जो लोग सोचते ह क उनके पास शरीर के ायाम के िलए समय नह है,
उ ह देर–सबेर बीमारी के िलए समय िनकालना पड़ेगा।
— एडवड टे नले

इं सान सोचता तो यह है क वह अपने िलए जी रहा है, ले कन वह िजस तरह समय ख़च


करता है, उससे यह लगता ही नह है क वह अपने िलए जी रहा है। अ सर वह ऐसी
नौकरी करता है, िजसम उसे मज़ा नह आता है। अ सर वह ऐसा खाना खाता है, जो
उसक प ी या ब क पसंद के िहसाब से बनता है। जब वह थका–माँदा घर लौटता है,
तो उसे टी.वी. पर भी दूसर क पसंद के काय म देखने पड़ते ह। यानी वह अपने िलए तो
समय िनकाल ही नह पाता।
आपको हर दन एक घंटा ख़द के िलए िनकालना चािहए। तेईस घंटे दूसर के िलए,
एक घंटा अपने िलए। और इस एक घंटे म आपको अपने शरीर क देखभाल करनी चािहए।
अपने वा य और स दय क देखभाल करने के िलए एक घंटे का समय यादा नह है।
आिख़र शरीर क बदौलत ही तो आप अपने सारे काम कर रहे ह। अगर यही व थ न रहे,
तो आप इस सुंदर संसार का आनंद कै से ले पाएँगे? यही तो वह मुग है, जो रोज़ आपको
सोने के अंडे देती है और आप ह क इसी का पेट चीरने पर आमादा ह। आप सुबह से शाम
तक वा द (और अ वा यकर) चीज़ खाते रहते ह, िजनक शरीर को ज़ रत नह होती
और िजस ायाम क इसे ज़ रत होती है, उसे आप कभी नह करते ह। अब आप ही
बताएँ क यह शरीर के साथ अ याय नह , तो और या है?
यान रख, य द आपने अपने शरीर का यान रखने के िलए समय नह िनकाला, तो
आपका बाक़ समय (और जीवन) भी ख़तरे म पड़ जाएगा। इसीिलए इस िस ांत को इस
पु तक म शािमल कया गया है। आप सोच रहे ह गे क समय बचाने वाली पु तक म समय
ख़च करने क सलाह य दी जा रही है। इसिलए, य क इस एक घंटे का असर आपके
बाक़ तेईस घंट पर पड़ेगा। ायाम तो एक िनवेश है, िजसका आपको समय– बंधन के
संदभ म कई गुना फल िमलेगा।
इस एक घंटे म आपको अपने शरीर क देखभाल करनी है। टहलना है, ायाम करना
है, योगा लास या िजम जाना है, अपने शरीर क मािलश करनी है, यानी कु ल िमलाकर
शरीर के वा य पर यान देना है। समय- बंधन के े म ायाम के कई लाभ ह : एक
तो इससे आपका वा य अ छा रहता है, िजससे बीमारी के कारण आपका क़ मती समय
न नह होता। दूसरे , इससे आपके शरीर के साथ–साथ दमाग़ म भी फू त और चु ती आ
जाती है। तीसरे , आपका आलस दूर हो जाता है और आप अपने मह वपूण काय पूरे जोश से
करने म जुट जाते ह। ायाम से आपका शरीर गठीला रहेगा और आपका िलया अ छा
दखेगा। य द आप से समैन ह, तो अ छा िलया ब त मह वपूण है, य क आकषक और
शारी रक दृि से फ़ट से समैन से लोग यादा भािवत होते ह।

जो दुिनया को िहलाना चाहता है, सबसे पहले उसे ख़द िहलना चािहए।


— सुकरात

इसिलए समय के सव े उपयोग का इ सवाँ िस ांत है : एक घंटा ायाम कर।


बस एक बात का यान रख। ायाम सही तरह से कर। अ सर लोग कहते ह, ‘म
आज आधा घंटा पैदल चला।’ ले कन ज़रा ठहर, समय के सव े उपयोग के उ ीसव
िस ांत को याद कर : यह मह वपूण नह है क आपने कतने समय काम कया; मह वपूण
तो प रणाम ह। मह वपूण तो यह है क उस आधा घंटे म आप कतने कलोमीटर पैदल
चले और कतनी तेज़ी से चले। य द आप पैदल चलकर ायाम कर रहे ह, तो इसके िलए
आपको दूरी और समय का सही िम ण करना होगा। आदश घूमना होता है पचास िमनट
म पाँच कलोमीटर। वैसे बेहतर यही रहेगा क आप अपना ायाम के वल पैदल चलने तक
ही सीिमत न रख। जॉ गंग कर, योगा कर, वेटिल टंग कर, ता क ायाम क िविवधता
रहे। तीस िमनट म तीन कलोमीटर पैदल चल और तीस िमनट म बाक़ ायाम कर।
पैदल चलने के िलए सही समय सूय दय के पहले रहता है, य क उस समय वातावरण म
दूषण नह होता है और ताज़ा अॉ सीजन आपके फे फड़ और दमाग़ म प च ँ कर आपको
ताज़गी से भर देती है।

छत क मर मत करने का समय तब होता है, जब सूरज चमक रहा हो।


— जॉन एफ़. के नेडी
समय के सव े उपयोग का तेईसवाँ िस ांत
टी.वी. के संदभ म सावधान रह
इससे यादा िनरथक कु छ नह है क आप वह काम कु शलता से कर, िजसे
कया ही नह जाना चािहए।
— पीटर कर

टी. वी. के कारण आज िजतना समय बबाद हो रहा है, उतना इितहास म कभी कसी
दूसरी वजह से नह आ – वैसे फ़े सबुक भी ब त तेज़ी से इस ेणी म आता जा रहा
है। टी.वी. के कई दु भाव होते ह, ले कन हम यहाँ पर के वल समय क बबादी के बारे म
बात करगे। एक सव म यह पाया गया क लोग हर स ाह लगभग 17 घंटे टी.वी. देखते ह
यानी लगभग ढाई घंटे ित दन। इसका मतलब है क लोग हर दन अपने पास उपल ध
स य समय का 20 ितशत िह सा टी.वी. देखने म गँवा रहे ह।
ज़रा ग़ौर से सोच, अगर आपने टी.वी. नह देखा, तो या आफ़त आ जाएगी? अ सर
होता यह है क हम यह सोचकर टी.वी. देखने बैठते ह क बस आधा घंटे देखूँगा। आधा घंटे
बाद दूसरे चैनल पर कोई अ छा काय म दख जाता है और इस तरह कब दो घंटे हो जाते
ह, पता ही नह चलता। इस च र म आपके ब त से ज़ री काम अधूरे रह जाते ह। टी.वी.
के ब त से समथक इसके शैि क मह व का दावा करते ह, ले कन मुझे तो आज तक ऐसा
कोई ि नह िमला, जो िसफ़ शैि क मह व के िलए टी.वी. देखता हो। अगर िश ा ही
हण करनी है, तो टी.वी. से बेहतर िवक प मौजूद ह : पु तक पढ़ या इं टरनेट से जानकारी
ल। वैसे य द आप टी. वी. पर के वल ानवधक काय म ही देखते ह, तो यह अ याय आपके
िलए नह है।मेरे एक प रिचत ह, िजनके यहाँ टी.वी. सुबह से रात तक चलता रहता है।
सुबह वे ख़द यूज़ देखते ह, बीच–बीच म ब े कू ल जाने से पहले काटू न देख लेते ह,
दोपहर म प ी के सी रय स और गाने चलते ह, शाम को वे ख़द घर लौटकर यूज़ और
सी रय स देखते ह, बीच–बीच म ब के काटू न चलते रहते ह। यानी पूरा दन टी.वी. के
ित ही सम पत होता है। टी.वी. उनके प रवार का एक थायी और सबसे मह वपूण
सद य बन चुका है। और तो और, वे खाना भी टी.वी. देखते ए ही खाते ह, िजससे न तो
उ ह खाने का वाद आता है, न ही उ ह यह अंदाज़ा रहता है क वे कतना खा गए।
नतीजा यह होता है क वे ज़ रत से यादा खा जाते ह और दनो दन मोटे होते जाते ह।
ब े कतनी देर तक टी.वी. देखते ह, इसका िहसाब लगाना मुि कल होता है। इसका
एक उदाहरण देख। चौथे ेड क लास म एक सव कया गया क िव ाथ कतने घंटे टी.
वी. देखते ह। तब उस लास म अमे रक संगीतकार रॉब जॉ बी भी पढ़ते थे। रॉब के
िश क के होश उड़ गए, जब उ ह यह पता चला क रॉब एक दन म नौ घंटे टी.वी.
देखता है। उ ह ने रॉब से पूछा क रात को देर तक जागे िबना वह इतने समय टी.वी. कै से
देख लेता है। उसका जवाब था, ‘म सुबह ज दी उठ जाता ँ और कई बार तो मुझे कृ िष
संबंधी काय म देखने पड़ते ह, य क इतनी सुबह वही काय म आते ह।’ इस संग को
कई साल हो चुके ह। अब तो चौबीस घंटे मनपसंद काय म चलते रहते ह और अपने मन
पर क़ाबू रखने के िलए काफ़ अनुशासन क ज़ रत होती है।

बबाद समय का अथ है बबाद जीवन।


— आर. शैनॉन

य द आप अपने समय का सव े उपयोग करना चाहते ह, तो टी. वी. के संदभ म


सावधान रह।
अख़बार टी.वी. क तुलना म जानकारी का बेहतर साधन है। अख़बार हम पूरे संसार
क जानकारी देता है और हमारा ान बढ़ाता है, ले कन इसके दूसरे पहलू पर भी नज़र
डालकर देख ल : अगर सिचन तदुलकर ने अपने के ट क रयर का 100वाँ शतक बना
दया, तो उसके िव तृत िववरण पढ़ने से या लाभ है, जब तक क आपक के ट म िच
न हो? कै टरीना कै फ़ या सलमान खान के ेम संग के बारे म पढ़ने से आपको िणक
आनंद के िसवा या िमल रहा है? अख़बार म पढ़ने के िलए चटपटी या मसालेदार ख़बर
के बजाय के वल सकारा मक और ानवधक ख़बर ही चुन, य क इस तरह आपका ब त
सा समय बच सकता है।
मह वपूण िस ांत यह है क अपने काम से काम रख और दीगर बात को नज़रअंदाज़
कर द। ...और यह बात टी.वी. और अख़बार के संदभ म ही नह , हर चीज़ पर लागू होती
है। ि टश गायक ै ग डेिवड जैसे न बन, जो हर दन अपनी दाढ़ी सँवारने म 40 िमनट
बबाद कर देते थे। अगर आप इस िस ांत पर अमल करते ह, तो आप कम से कम आधे घंटे
का समय बचा लगे, िजसम आप अपने मह वपूण काम िनबटा सकते ह।

आपका टी.वी. उ कृ सेवक, ले कन भयंकर मािलक है। चुनाव आपका है।


— ायन े सी
इस तरह सीख, जैसे आप हमेशा ज़ंदा रहगे; इस तरह िजएँ जैसे आप कल
ही मरने वाले ह ।
— अ ात
समय के सव े उपयोग का चौबीसवाँ िस ांत
मोबाइल का यूनतम उपयोग कर
ग़मशुदा : कल, सूय दय और सूया त के बीच के दो सुनहरे घंटे, िजनम हीरे
के साठ िमनट जड़े थे। खोजने वाले को कोई इनाम नह दया जाएगा,
य क वे हमेशा–हमेशा के िलए चले गए ह।
— होरे स मैन

ज़ राह, गाने
सोच, मोबाइल से हम आजकल कतने सारे काम करते ह! हम उस पर बात करते
सुनते ह, फ़ म देखते ह... और तो और, गेम खेलते ह, चै टंग करते ह, फ़े सबुक
पर जाते ह, नेट स फ़ग करते ह, इं टरनेट ब कं ग करते ह, फ़ोटो ख चते ह, वीिडयो बनाते
और देखते ह। एक छोटे से मोबाइल क बदौलत आज दुिनया सचमुच हमारी मु ी म आ
चुक है।
ले कन ज़रा ठहर! ज़रा सोच क कु छ साल पहले जब मोबाइल नह थे, तब भी
हमारा जीवन अ छी तरह चल रहा था। यह भी िवचार कर क मोबाइल युग म क़दम
रखने के बाद हमारा कतना सारा क़ मती समय िनरथक चीज़ म बबाद हो जाता है।
आज के युवा मोबाइल पर गाने सुनने, चै टंग करने और बातचीत करने म इतने खोए रहते
ह क उनके पास कु छ सोचने क फ़ु रसत ही नह रह गई है। जहाँ समय ख़ाली िमला,
मोबाइल चालू हो जाता है। और तो और, लास म म भी िव ाथ मोबाइल पर मैसेज
भेजते रहते ह। वे यह नह जानते क मोबाइल फ़ोन वा य के िलए ख़तरनाक होते ह।
अिधकांश मोबाइल फ़ो स म से घातक इले ो-मै े टक रे िडएशन िनकलता है,
िजससे कई कार के ख़तरे उ प हो जाते ह। अ यिधक रे िडएशन क वजह से ेन ूमर,
नपुंसकता, कसर, गभपात, ित त डीएनए क िवकृ ित जैसी कई ख़तरनाक बीमा रयाँ
हो सकती ह। इसिलए आप मोबाइल का िजतना कम उपयोग कर, उतना ही आपके
वा य के िलए अ छा है। ले कन मोबाइल क महामारी दन दूनी रात चौगुनी गित से
बढ़ती जा रही है। एक अ ययन से पता चला है क अमे रका के लोग लगभग 3 घंटे का
समय अपने मोबाइल इं टरनेट पर िबताते ह, िजसका दो–ितहाई िह सा इं टट मैसे जंग म
इ तेमाल होता है।
मोबाइल हमारे समय के सबसे बड़े श ु म से एक है, य क यह हम मह वहीन
काम म उलझा देता है और मह वपूण काम करने से रोकता है। मेरी एक प रिचत
िव ाथ है, िजसके माता–िपता ने उसे आईआईटी क परी ा म बैठने के िलए े रत
कया, को चंग क भारी–भरकम फ़ स भरी, ले कन वह लड़क पढ़ाई करने के बजाय
कमरा बंद करके मोबाइल पर चै टंग करती रही। नतीजा वही आ, जो तय था : वह
परी ा म पास नह हो पाई।
इसिलए समय के सव े उपयोग का चौबीसवाँ िस ांत है : मोबाइल का यूनतम
उपयोग कर।
मोबाइल से दोतरफ़ा समय बबाद होता है : या तो हम ख़द ही अपना समय बबाद
करते ह या फर इसके मा यम से दूसरे हमारा समय बबाद करते ह। जब भी कसी का मन
होता है, वह हमारे मोबाइल क घंटी बजा देता है। हम कोई मह वपूण काम कर रहे होते ह
क बीच म ही कोई फ़ोन आ जाता है, िजससे काम का पूरा जोश ठं डा पड़ जाता है।
मोबाइल के कारण हम रात को भी चैन से नह सो पाते ह। आधी रात को कोई मैसेज या
फ़ोन आकर हमारी न द ख़राब कर देता है। देिखए, इं टरनेट से भी हमारा समय बबाद
होता है, ले कन उसके ईमेल हमारी न द ख़राब नह करते ह। ईमेल हम अपनी इ छा से
चेक करते ह, जब क मोबाइल पर हम हमेशा मौजूद रहना पड़ता है।
मोबाइल पर समय क बबादी को देखते ए कु छ लोग दो मोबाइल नंबर रखते ह :
एक सबके िलए और दूसरा कु छ ख़ास लोग के िलए। वे अपना सावजिनक मोबाइल नंबर
शाम को बंद कर देते ह, ता क कोई अनाव यक प से उ ह परे शान न करे । कोई मह वपूण
कॉल छू ट न जाए, इसके िलए वे हर दो–तीन घंटे बाद फ़ोन चालू करके िम ड कॉल चेक
कर लेते ह। कई लोग अपने सेलफ़ोन को साइलट मोड पर रखते ह और िम ड कॉल देखकर
अपनी सुिवधा से बात करते ह। मी टंग म सेलफ़ोन बंद कर द, य क कसी मह वपूण
चचा के बीच म मोबाइल क घंटी बजने से न िसफ़ आपक , बि क बाक़ लोग क भी
एका ता भंग होती है। मोबाइल आधुिनक युग क वह देन है, िजसका फं दा आपके समय के
गले म दनो दन कसता ही जा रहा है और य द आपने इसका कोई इलाज नह कया, तो
यह आपके यादातर समय का स यानाश कर देगा। इसिलए मोबाइल का यूनतम उपयोग
कर और उससे बचने वाले समय का अिधकतम सदुपयोग कर।

आप एक चीज़ को रसाइकल नह कर सकते, और वह है बबाद समय।


— अ ात

िम आपके समय पर डाका डालते ह।


— ांिसस बेकन
समय के सव े उपयोग का प ◌ीसवाँ िस ांत
इं टरनेट पर समय बबाद न कर
सफलता और असफलता के बीच क बड़ी िवभाजक रे खा िसफ़ पाँच श द
म बताई जा सकती है : मेरे पास समय नह था।
— किलन फ़ ड

या दातर लोग इं टरनेट को वरदान मानते ह, ले कन ज़रा ठहर, इं टरनेट अिभशाप भी


सािबत हो सकता है। देिखए, हर अ छी चीज़ क तरह ही इं टरनेट का भी
दु पयोग हो सकता है और होता है। यक़ न न हो, तो उन माता–िपता से पूछ ल, िजनके
ब े इं टरनेट पर घंट तक अॉनलाइन गे स खेलते ह या उन युवा से पूछ ल, जो घंट तक
कं यूटर पर अनाव यक स फ़ग करते रहते ह। इसम इं टरनेट का कोई दोष नह है। इं टरनेट
पर तो हर कार क जानकारी उपल ध है और यह आप पर है क आप उसका कै सा
उपयोग करते ह। अगर आप अकारण ही पं ह िमनट से यादा इं टरनेट का उपयोग करते
ह, तो आपको इस बारे म सजग हो जाना चािहए।
य द आप समय बचाने का इरादा रखते ह, तो इं टरनेट के ख़तरे से सावधान रह।
इसम स फ़ग सबसे मुख जोिखम है। होता यह है क आप इं टरनेट पर कसी काम से जाते
ह, तभी आपको कोई आकषक साइट दख जाती है, कोई िव ापन दख जाता है और आप
उस पर ि लक करके दूसरी ही दुिनया म प चँ जाते ह। समय क बबादी का एक और
कारण यह है क जब आप कोई जानकारी सच इं जन म खोजते ह, तो आप सही तरीक़े से
श द का चयन नह करते ह। नतीजा यह होता है क लाख प रणाम आपक न पर
आ जाते ह और सही जानकारी पाने म आपको ब त समय लग जाता है। य द आपको
जानकारी खोजने का सही तरीक़ा मालूम हो और आप सच इं जन म सही क वड् स डाल, तो
आपक मनचाही जानकारी पलक झपकते ही िमल सकती है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का प ीसवाँ िस ांत है : इं टरनेट पर समय बबाद
न कर।
और हाँ, इं टरनेट पर अगर आप यादा काम करते ह, तो आपको ॉडबड कने शन
पर काम करना चािहए, िजसक गित तेज़ होती है। सामा य नेटवक कने शन काफ़ धीमा
होता है, िजसम आपका यादा समय बबाद होता है। इसके अलावा, अपने कं यूटर क रै म
भी बढ़वा ल, ता क कं यूटर तेज़ गित से चले और डाउनलो डंग पीड तेज़ रहे। कं यूटर क
धीमी गित से आपका कतना समय बबाद होता है, इसका आभास आपको नह हो पाता
है, ले कन अगर आप एक घंटे से यादा समय तक कं यूटर का उपयोग करते ह, तो बेहतर
है क आप अपने कं यूटर क गित पर भी यान द।

हर इं सान दन म कम से कम पाँच िमनट तक िनरा मूख होता है।


समझदारी इसी म है क हम इस अविध को बढ़ने न द।
— अ बट हबाड

आईडीसी के एक रसच म यह त य सामने आया क लोग, ख़ास तौर पर युवा, हर


स ाह 33 घंटे इं टरनेट पर िबताते ह। यानी लगभग 5 घंटे ित दन। समय का सबसे यादा
उपयोग या दु पयोग फ़े सबुक म होता है, िजसम कई युवा 20 घंटे ित स ाह तक लगाते
ह। इसके बाद यू ूब, पोन साइ स, सच एंजन और ईमेल म सबसे यादा समय लगता है।
यानी इं टरनेट का िजतना भी उपयोग कया जाता है, उसम से यादातर समय अनुपयोगी
काय म बबाद होता है। य द आप िसफ़ ईमेल चेक करने के िलए इं टरनेट पर जा रहे ह, तो
आपको इसके िलए समय बबाद करने का जोिखम नह लेना चािहए, य क यह काम तो
आउटलुक ए स ेस या माइ ोसॉ ट आउटलुक से भी कया जा सकता है।
बेहतर यही है क आप सबसे पहले तो यह तय कर क आप इं टरनेट पर य जाना
चाहते ह और फर उसी साइट पर वह आव यक जानकारी लेकर इं टरनेट बंद कर द।
इं टरनेट के दु पयोग से बचने का एक और अ छा उपाय यह है क आप ऐसे समय उसका
उपयोग कर, िजसके बाद आपको कोई अ याव यक काम करना हो। इससे उसके दु पयोग
का झंझट ही नह रहेगा। ख़ास तौर पर रात के समय इं टरनेट का दु पयोग सबसे यादा
होता है और इसक सीधी सी वजह यह है क उस व त आपके पास ख़ाली समय रहता है।
य द आप रात को ज दी सो जाएँग,े तो इं टरनेट के अलावा भी ब त सारे फ़ालतू काम से
बच जाएँग,े इसिलए सुबह ज दी उठने क आदत डाल और इं टरनेट पर होने वाली समय
क बबादी के बारे म जाग क रह।

अगर आप पूव दशा म जाना चाहते ह, तो पि म क तरफ़ न जाएँ।


— रामकृ ण परमहंस

जब तक आप ख़द को मू यवान नह मानते ह, तब तक आप अपने समय को


भी मू यवान नह मानगे। जब तक आप अपने समय को मू यवान नह
मानगे, तब तक आप इसके बारे म कु छ करगे भी नह ।
— एम. कॉट पेक
समय के सव े उपयोग का छ बीसवाँ िस ांत
आलस से बच
आलस वह मृत सागर है, जो सभी सद्गुण को लील लेता है।
— बजािमन ै ़ं किलन

मय बचाने के िलए आपको आलस से बचना चािहए। जब भी सामने कोई मुि कल


स काम आता है, तो हम आलस करने लगते ह और उसे टाल देते ह। ले कन टालमटोल
करने (िजसके बारे म हमने अगले अ याय म िव तार से बात क है) के अलावा भी
आलस के कई कारण होते ह। आलस का एक अहम कारण वह है, िजसे अिधकांश लोग
अनदेखा कर देते ह : ज़ रत से यादा भोजन करना।
जब आप आव यकता से अिधक भोजन करते ह या यादा तला–भुना भोजन करता
है, तो आपक ऊजा म कमी आ जाती है और आपक एका ता म बाधा आती है। आलस म
आप यादा ग़लितयाँ करते ह और टालमटोल करने या जैसे–तैसे काम िनबटाने के च र म
रहते ह। इससे आपके काम क गुणव ा पर बुरा असर पड़ता है। य द आप शरलॉक हो स
के दीवाने ह, तो आपको यह बात ज दी समझ म आ जाएगी, य क जब शरलॉक हो स
कोई ज टल सम या सुलझाने म जुटता था, तो खाना–पीना छोड़ देता था। उसका मानना
था क भोजन करने के बाद ख़ून का वाह पेट क तरफ़ हो जाता है, िजससे दमाग़ के
काम करने क ऱतार धीमी हो जाती है।
इसिलए समय के सव े उपयोग का छ बीसवाँ िस ांत है : आलस से बच।
यह प समझ ल क यहाँ पर भोजन करने म लगने वाले समय क बात नह हो
रही है, यादा भोजन करने के प रणाम क बात हो रही है। भोजन करने म तो कम समय
लगता है, ले कन भोजन के कारण उ प आलस के कारण यादा समय बबाद होता है।
या आपने कभी देखा है क दन म खाना खाने के बाद िव ा थय को न द के झ के आने
लगते ह और रात को अगर डटकर खाना खा ल, तो सीधे िब तर पर जाने क इ छा होती
है? आपने ख़द भी महसूस कया होगा क रे तराँ म या कसी िववाह समारोह म भोजन
करने के बाद आपको पेट भारी लगता है और आप ज दी से ज दी सो जाना चाहते ह।
या आपने कभी सोचा क हम सुबह सबसे अ छी तरह काम य कर सकते ह? एक
कारण तो यह है क उस समय आराम कर लेने के बाद शरीर थका आ नह रहता है।
दूसरा कारण यह है क सुबह अॉ सीजन यादा रहती है और तीसरा कारण यह है क उस
व त हमारा पेट ख़ाली होता है। पेट ख़ाली रहने से दमाग़ यादा तेज़ी से चलता है,
इसिलए हम एक ही बार म यादा भोजन करने से बचना चािहए, ता क हम पर आलस
सवार न हो। िनयिमत अंतराल पर कम आहार हण करना वा य के िलए सबसे अ छा
माना जाता है। जब आप कम खाते ह, तो आपको आलस नह आता और आपक ऊजा व
एका ता का तर बना रहता है।

आलस मीठा होता है, ले कन इसके प रणाम बेरहम होते ह।


— जॉन सी एड स

आलस के कारण इं सान अपने मह वपूण काम नह कर पाता है, इसिलए अपनी ऊजा
के तर को बनाए रख और आलस नामक महारोग से बच।

खाने के बाद कभी कसी ने कम खाने पर अफ़सोस नह कया।


— थॉमस जेफ़रसन
समय के सव े उपयोग का स ाईसवाँ िस ांत
टालमटोल न कर
सच तो यह है क लोग आम तौर पर अपने मनपसंद काम को करने का
समय िनकाल सकते ह। कमी दरअसल समय क नह , बि क इ छा क
होती है।
— सर जॉन लुबॉक

म सभी कभी न कभी टालमटोल करते ह। आज के काम को कल पर टाल देते ह।


ह कारण यह होता है क कभी हमारा मूड नह होता, तो कभी काम मुि कल लगता है।
ले कन यह याद रख क टालमटोल समय बंधन क दृि से ख़तरनाक है। इसका एक
नुक़सान तो यह है क आप कल के समय को िगरवी रख देते ह। िजस काम को आप आज ही
िनबटा सकते ह, उसे कल पर टाल देने से आप कल के बोझ को और यादा बढ़ा देते ह।
आज का काम आज ही िनबटाएँ, ता क आने वाले कल पर बोझ न पड़े। संभव हो, तो आने
वाले कल के कु छ काम भी आज ही िनबटा ल, ता क कल के दन आप पर दबाव कम हो
जाए और आप उसम नए काम कर ल।
इसिलए समय के सव े उपयोग का स ाईसवाँ िस ांत है : टालमटोल न कर।
अब ज़रा यह समझ ल क हम टालमटोल य करते ह। इसके कई कारण होते ह : या
तो काम बो रं ग या मुि कल होता है या उसक कोई समयसीमा नह होती या उसका ल य
प नह होता या आपको वह काम इतना बड़ा नज़र आता है क आपको समझ ही नह
आता क कहाँ से शु कर। इसके अलावा, कई बार तो हम इसिलए भी टालमटोल कर
जाते ह, य क हमारे पास पूरी जानकारी नह होती और हम सोचते ह क पूरी जानकारी
के बगैर काम नह हो सकता। सौ बात क एक बात, टालमटोल का कारण चाहे जो हो,
उसे दूर कर और आज के काम को आज ही पूरा करने क आदत डाल। यह कभी न भूल क
बुलंद इराद से हर सम या सुलझ सकती है और कमज़ोर इराद से हर सम या िवकराल
लग सकती है। असल सवाल तो यह है क आपका इरादा कतना बुलंद है।
टालमटोल का सबसे आम कारण यही होता है क कसी काम को करने का हमारा
मूड नह होता। देिखए, यह बात अ छी तरह समझ ल क अ छा काम करने का मूड कभी
नह होगा। मन चंचल है और अगर स दय से इसे वश म रखने को कहा जा रहा है, तो
उसके पीछे कोई अ छा कारण होगा। मन कभी भी अ छी चीज़ क ओर नह जाता है,
य क उनके िलए अनुशासन और म क ज़ रत होती है। यह तो हमेशा िणक सुख
और आनंद के पीछे भागता है। सुंदर लड़ कय के साथ बात करने का तो आपका मूड हमेशा
रहता है, ले कन आ तीन चढ़ाकर और कमर कसकर मेहनत करने का आपका मन कभी
नह होता। मन मेहनत से घबराता है, इसिलए अगर आप जीवन म कु छ करना चाहते ह,
तो मन या मूड के ग़लाम न रह। मन को अनुशािसत कर और मूड हो या न हो, काम शु
कर द।

सफलता के िनयम तब तक काम नह करगे, जब तक क आप काम नह


करगे।
— अ ात

टालमटोल करने का एक प काम को अधूरा छोड़ना भी है। आप कसी काम को


अधूरा छोड़ देते ह और यह सोचते ह क उसे कल पूरा कर लगे। जब कल आता है, तो
आपको यह याद करना पड़ता है क आपने उस काम को कस मोड़ पर छोड़ा था, आपका
ल य या था और आप उसे कै से पूरा करने वाले थे। इस च र म आपका ब त सा समय
बबाद हो जाता है। इसके अलावा, हो सकता है क अगले दन आपको उस काम को करने
क फ़ु रसत ही न िमले। इसिलए हमेशा काम पूरा करके ही उठ। अगर काम बड़ा हो, तो
उसे छोटे–छोटे टु कड़ म बाँट ल और िसफ़ एक िह से को ही पूरा करने क योजना बनाएँ।
टालमटोल करना एक लोकि य बहाना है और जैसी पेिनश कहावत है, ‘कल स ाह का
सबसे त दन होता है।’

कु छ लोग के पास हज़ार कारण होते ह क वे अपना मनचाहा काम य


नह कर सकते, जब क उ ह तो बस एक कारण क ज़ रत होती है क वे
उसे य कर सकते ह।
— िविलस आर. ि हटनी
समय के सव े उपयोग का अट् ठाईवाँ िस ांत
अगले दन क योजना बनाकर अवचेतन मन
क शि का लाभ ल
युवाव था म मने देखा क मेरे दस म से नौ काम असफल हो जाते ह। चूँ क
म जीवन म असफल नह होना चाहता था, इसिलए मने दस गुना यादा
काम कए।
— जॉज बरनाड शॉ

दश ि थित तो यह रहती है क आप अगले दन क योजना एक दन पहले रात


आ को बना ल। एक दन पहले योजना बनाने का लाभ यह होता है क आपको
अवचेतन मन क शि का लाभ िमल जाता है। यह सािबत हो चुका है क हमारे
भीतर दो मन होते ह : चेतन मन और अवचेतन मन। चेतन मन यानी वह मि त क, जो
सोचता है और िजसके बारे म हम जाग क होते ह। दूसरी ओर, हमारे भीतर एक अवचेतन
मन भी होता है, जो हम दखाई तो नह देता है, ले कन यह हम ज दी से और सही तरीक़े
से काम पूरा करने के नए–नए तरीक़े सुझा सकता है।
या कभी ऐसा आ था क रात को आपको ब त सोचने पर भी कसी सवाल का
जवाब याद नह आ रहा था, ले कन सुबह होते ही आपको अपने आप जवाब िमल गया,
िबना सोचे ए सब कु छ सही हो गया? ऐसा आपके अवचेतन मन के कारण आ था। जब
रात को आप और आपका चेतन मन दोन ही सो रहे थे, तो अवचेतन मन ने उस सम या
पर काम कया और सुबह होते ही जवाब आपके सामने पेश कर दया। यह चेतन मन के
िलए मुि कल काम क आउटसो सग क तरह है। जो काम चेतन मन के िलए मुि कल ह,
उ ह आपका अवचेतन मन चुट कय म कर सकता है, इसिलए अवचेतन मन क शि का
लाभ ल और एक रात पहले ही अगले दन क योजना बना ल।
य द आप वा तव म समय बंधन करना चाहते ह, तो आपको के वल चेतन मन का
ही नह , बि क अवचेतन मन का भी इ तेमाल करना होगा। यही आपको ऐसे नए–नए
तरीक़े सुझाएगा, िजनक बदौलत आप कम समय म यादा काम करने के उपाय खोजने म
कामयाब ह गे। एक रात पहले योजना बनाने से यह लाभ होता है क रात भर म आपक
कायसूची आपके अवचेतन मन म समा जाती है। अगले दन आपको अपने आप सही म
सूझ जाता है और आप ख़दबख़द कायसूची के मुतािबक़ काम करने लगते ह। हो सकता है
क आपको काम करने का नया तरीक़ा भी सूझ जाए।
कई बार तो काम इसिलए अधूरा छू ट जाता है, य क हम काम के नह , समय के
संदभ म सोचते ह। जैसे, म यह काम एक घंटे तक क ँ गा। इससे बेहतर तरीक़ा यह है, म
इस काम का यह िह सा एक घंटे म पूरा क ँ गा। अब अगर वह िह सा सवा घंटे म िनबटता
है, तो सवा घंटे तक काम कर। िसफ़ समय भरने के िलए काम करने के बारे म न सोच;
काम पूरा िनबटाने के बारे म सोच।

मि त क जो सोच सकता है और िजसम यक़ न कर सकता है, उसे यह


हािसल भी कर सकता है।
— नेपोिलयन िहल

इसका एक उदाहरण देख। एक िव ाथ सोचता है, म एक घंटे तक गिणत पढ़ूँगा।


दूसरा िव ाथ सोचता है, म दस सवाल क ँ गा। अब आप ही सोच, कसक गित यादा
होगी? ज़ािहर है, दूसरे िव ाथ क । इसिलए, य क उसने काम का प ल य बनाया
था।

सफलता का सू सरल है : सही काम कर, सही तरीक़े से कर, सही समय पर
कर।
— अरनॉ ड एच. लासगो
समय के सव े उपयोग का उनतीसवाँ िस ांत
बुरी लत से बच
उस ि का कतना सारा समय बच जाता है, जो इस बात पर नज़र नह
रखता क उसका पड़ोसी या कहता, करता या सोचता है।
— माकस अॉरे िलयस

हाँ हम शराब और िसगरे ट के गुण-दोष पर बातचीत नह करगे, य क यह


य वा य का िवषय है। हम तो उनका िव ेषण समय के संदभ म करगे। शराब और
िसगरे ट आपके शरीर के िलए तो घातक ह ही, आपके समय के िलए भी कम घातक
नह ह। अनुमान है क युवा वग एक िसगरे ट पीने म लगभग आधा घंटे का समय बबाद
करता है। िसगरे ट पीने म तो के वल पाँच िमनट लगते ह, ले कन इसक जुगाड़ करने और
इसका माहौल बनाने म समय लग जाता है। हमारे समाज म अभी घर पर िसगरे ट पीने का
रवाज़ नह है, इसिलए युवक पान क दुकान तक जाता है, फर वहाँ िसगरे ट पीते समय
बातचीत करने लगता है और यार–दो त के साथ फ़ालतू क बात म समय कै से बीत
जाता है, उसे पता ही नह चलता।
इसिलए समय के सव े उपयोग का उनतीसवाँ िस ांत है : बुरी लत से बच।
शराब तो समय को और भी यादा बबाद करती है। अगर कहा जाए क शराब समय
को बबाद करने वाली सबसे बुरी लत है, तो अितशयोि नह होगी। देिखए, एक तो
शराब पीने म ब त समय लगता है। दूसरे , पीने के बाद आदमी कसी काम का नह रहता।
वह न कु छ कर सकता है, न कसी जगह जा सकता है, न कसी से िमल सकता है, न ही
फ़ोन पर ढंग से बात कर सकता है। शराब पीने के बाद दुघटना क आशंका बढ़ती है, सो
अलग। यही नह , शराब पीने से अगला दन भी ख़राब होता है, य क इसक वजह से
अगली सुबह िसरदद या हग ओवर हो जाता है, जो दोपहर तक चलता है। शराब क आदत
छोड़ने से हमारा ब त सा समय बच जाता है।
िसगरे ट और शराब के अलावा भी कई बुरी लत होती ह, जो आपका ब त सा समय
बबाद करती ह। ये मनोवै ािनक आदत होती ह, िजनम उलझकर आप अपना समय ख़द
बबाद करते ह। एक मुख आदत है दूसर क बुराई करने या इधर क बात उधर करने क
आदत। यह आदत समय बंधन के िलहाज़ से बुरी है, य क इसम आपका ब त समय
बबाद होता है।
बहस या लड़ाई करने क आदत म भी आपका ब त समय बबाद होता है, तनाव
होता है सो अलग, इसिलए इन आदत से बच। बड़बोलेपन से भी ब त समय बबाद होता
है। इस आदत को दूर करने के िलए िसकं दर महान के िपता फ़िलप ि तीय क घटना को
याद रख। सभी मुख यूनानी शहर पर क़ ज़ा करने के बाद फ़िलप ि तीय ने लैसीडेमॉन
पर चढ़ाई करने का फ़ै सला कया और वहाँ के नाग रक को यह चेतावनी भरा प भेजा,
‘तु ह सलाह दी जाती है क तुम अिवलंब समपण कर दो, य क अगर मेरी सेना तु हारे
शहर म घुस गई, तो म तु हारे खेत न कर दूग ँ ा, तु हारे नाग रक को मार डालूँगा और
तु हारे शहर को जलाकर राख कर दूग ँ ा।’ लैसीडेमॉन के लोग चाहते, तो इसका मुँहतोड़
जवाब दे सकते थे, ले कन उ ह ने जवाब म िसफ़ एक श द िलखकर भेजा, ‘अगर!’ फ़िलप
को संदशे िमल गया और उसने लैसीडेमॉन पर चढ़ाई का इरादा याग दया।

आप देर कर सकते ह, ले कन समय नह करे गा।


— बजािमन किलन

आज बीते कल का प रणाम और आगामी कल का कारण है।


— फ़िलप ि बल
समय के सव े उपयोग का तीसवाँ िस ांत
सापे ता के िनयम को समझ।
कसी सुंदर युवती से रोमां टक बात करते समय एक घंटा एक सेकंड क
तरह लगता है। सुख़ अंगारे पर एक सेकंड बैठना भी एक घंटे क तरह लगता
है। यही सापे ता है।
— अ बट आइं टाइन

सा पेहमारा
ता का िनयम समय के संदभ म भी ब त मह वपूण है। समय वही रहता है, बस
नज़ रया बदल जाता है। आपने ाय: देखा होगा, ब े जब वीिडयो गेम
खेलते ह, तो उ ह भूख– यास का एहसास ही नह होता, उ ह पता ही नह चलता क कब
दो घंटे गुज़र गए। दूसरी ओर, जब ब े पढ़ते ह, तो उ ह सौ काम याद आ जाते ह और पं ह
िमनट म ही उ ह ऐसा लगता है क ब त समय हो गया। यह सापे ता के िनयम के कारण
होता है।
अपना ि य और मनपसंद काम करते समय आपको समय का एहसास ही नह होता,
य क तब आप लय म होते ह, िजसे मनोवै ािनक लो म रहना कहते ह। इस समय आप
जो काम करते ह, वह सहज ही बेहतरीन होता है, य क आप िबना कोिशश कए सव े
काय करते ह। बेहतर यही है क आप सापे ता के िनयम को यान म रखकर अपने काम
को दलच प बनाने के तरीक़े खोज, ता क आप लय म काम कर सक। अपने सबसे
मह वपूण काम को दलच प बनाएँ और दलच प मान।
मान ल, आप से समैन ह और आपको अपने काम से नफ़रत है। ऐसे म आप 1 घंटे
काम करने से ही थक जाएँगे और सोचगे क बाक़ का काम आप कल कर लगे। दूसरी ओर,
य द आप अपने ल य को यान म रखते ह, अपने िपछले रकॉड से ित पधा करते ह और
आज एक नया क तमान बनाना चाहते ह, तो आपको यह एक दलच प खेल लगेगा,
िजससे आपम नई ऊजा का संचार होगा। कु छ दलच प कर, िजसम आपका मन लगे। य द
आपका काम इतना नीरस है क उसे दलच प बनाने का कोई उपाय ही नह है, तो या तो
काम बदल ल या फर कसी िवशेष से उसे दलच प बनाने का कोई उपाय पूछ ल। आप
काम के अंत म ख़द को पुर कार का लालच भी दे सकते ह। य द आपको पता होगा क
काम पूरा होने पर आप टेबल पर पैर रखकर हॉट चॉकलेट िपएँगे या कोई फ़ म देखगे या
पसंदीदा िडनर करगे, तो इससे आपको ेरणा िमलेगी और काम म दलच पी भी बढ़ेगी।
इतना ही य , अपने आ थक ल य को याद करते रह और यह क पना कर क उसे ा
करने पर आपका जीवन कतना सुखमय हो जाएगा। ल य हमारे पैर को आगे बढ़ने क
शि देते ह और हम क सहन करने का संबल दान करते ह। य द आपका सपना पया
शि शाली है, तो यह आपको लगातार आगे बढ़ने के िलए े रत करता रहेगा।

अपने बेटे को आदमी बनाने म एक औरत को बीस साल लग जाते ह और


दूसरी औरत उसे बीस िमनट म मूख बना देती है।
— हेलन रोलड

देिखए, सापे ता का िस ांत कभी न भूल! दूसर को लगेगा क आप दन–रात


ख़ाम वाह मेहनत कर रहे ह, जब क आपको उनक तरह मज़े करने चािहए, ले कन
आपको यह दखेगा क आप दन–रात मेहनत करके अपने ल य क ओर बढ़ रहे ह और
वह समय ज द ही आएगा, जब आप अपनी मनचाही मंिज़ल पर प च ँ जाएँगे और उसके
बाद सारी ज़ंदगी मज़े करगे। यही सापे ता है। एक को वतमान क दखता है, दूसरे को
भावी सुख। चुनाव आपका है!

जब ई र ने समय बनाया था, तो उसने इसे चुरता म बनाया था।


— आय रश कहावत
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