You are on page 1of 3

​ AYAN ANAND

N
​ ​ ​B.A (Hons) ​ARTS
2nd Year
​ ANARAS HINDU UNIVERSITY
B

" महा मा गाँधी जीवन दशन साई कल या ा " जो 23 अग त को काशी ह द ू व व व यालय के " मालवीय
भवन " से 7 संतबर को स​ ेवा ाम, वधा ( महारा ) के लए आदरणीय ब ​ ाला लख (​काय म सम वयक) एवं
डॉ मनीष तवार (ट म मैनेजर) के नेत ृ व म कुल 17 तभा गय के साथ नकाल गई थी । यह या ा महा मा
गाँधी के 150व जयंती और रा य सेवा योजना के वण जयंती परू े होने के उपल य म आयोिजत कया गया।

इस या ा क शु आत म मझ ु े सफ साइ कल चलाने पर यान था। मगर जैसे-जैसे आगे बढकर ,जब छोटे -छोटे
क बे और गाँव से गज
ु रा तब म अपने दे श के कड़वे स चाई को जान पाया । कई गांव म ना पीने को साफ
पानी था, न बजल थी ,न श ा ा त करने के लए व यालय ,और न ह वा य उपचार के लए
अ पताल क यव था ।
आधु नक करण के इस अंधे दौर म हम लोग कुछ इस कदर भागे क, हमने महा मा गाँधी के
उन सपने को चकनाचरू करने का भरसक यास कया, जो येक गांव को व बल बी बनाने का था।

या ा क शु आत हो चक ु थी , और हमारा पहला पड़ाव ​ मजापरु ​का " ​राजीव गांधी साउथ


कै पस " था , जो बीएचयू का ह एक भाग है । यहां के कै पस क सद ंु रता दे ख , मेरे मन म बजल क ग त से
एक अजीब ले कन खश ु नमु ा उ कंठा पैदा हुई। ये कै पस कृ त क गोद पहा ड़य के बीच आराम से लेटे हुआ
था । इस रात हमलोग ने कृ ण ज मा टमी भी मनाया, और अगल सब ु ह हमलोग अगले पड़ाव के लये
नकल पड़े ।
जब हमलोग ​पटे हरा स ​ े आगे नारा लगाते हुए बढ़ रहे थे तो , कुछ लोग ने हम रोककर बोला :- " न
वतं ता दवस है और न ह गणतं दवस ले कन फर भी भारत माता क जय का हुंकार सन ु के दल
गौरवाि वत हो गया । उसके बाद उ ह ने हम खाने क गड़ ु दया और पीने को पानी दया । ​ये घटना मेरे लए
हमेशा यादगार रहे गा ।

जब हम लोग म य दे श पहुंचे तो वहां क ाकृ तक सद ंु रता, और माँ शारदा क वो प व मं दर हो , बरगी


डैम हो, या फर सतपड़ ु ा का घना जंगल हो , िजतनी यादा मनमोहक और आ याि मक थी।
उतना ह यादा वहां के सड़क पर प ​ शओ
ु ं क दयनीय ि थ त थी । जगह-जगह सड़क पर गाय क
लाश पड़ी हुई थी जो न जाने कन गाड़ी के प हय के नीचे आ गई होगी ।
मझ ु े याद है , जब म के एक गाँव से गज ु र रहा था तो , वहां सड़क के कनारे एक बोड लगी थी, िजस पर उस
गाँव का नाम लखा था जो कुछ इस कार था :-
​ "कृपालपरु ह रजन क बा "
ध य हो इस दे श का , ऐसे सोच का
हालां क, म य दे श के लोग बहुत ह यादा अ छे और मलनसार थे उ ह ने हमारा भरपरू वागत कया और
हम िजतना यार दया वह शायद अतल ु नीय, मू यवान और यादगार रहे गा। चाहे वह र​ वा का अवधेश ताप
व व व यालय हो , या फर जबलपरु का जवाहरलाल नेह कृ ष व व व यालय हो।
जबलपरु म ​रानी दगु ावती व व व यालय म जाने का मौका मला , ​रानी दगु ावती ,
िजनके शौय , महानता , याग , ब लदान को अ ु ण रखने हे तु ​समा ध थल का नमाण नरई म कराया गया
है , और येक वष 24 जन ू को उ ह धांज ल अ पत क जाती है ।
नमदा , ​तमस आ द न जाने कतने न दयाँ अपने जल से परू े म य दे श क भू म को सींच कर लोग को
िज़ंदगी दान करती आ रह है , तो दस ू र तरफ वहां का ​पोहा (​ एक कार का भोजन)लोग के दन क शु आत
का खरु ाक बन , दै नक जीवन के काम का शु आत कराती आ रह है ।

हालां क हमार ट म येक दन औसतन 70 से 75 कलोमीटर साइ कल चलाया करती थी , मगर जब हम


लोग म ​ हारा पहुंचने वाले थे, तब उस दन हमलोग ने ​लगभग 130 कलोमीटर साई कल चलाया ,जो
सवनी से सीधे नागपरु तक का सफर था , ये हमलोग के एकजट ु ता और एक दसू रे पर व वास के कारण
सफल हुआ ।
जब हमलोग नागपरु पहुंचे , वहाँ भी हमलोग का वागत संतोषजनक रहा । उसके बाद हमलोग ​पवनार के
वनोबा भावे जी के आ म ​ मा वधा मं दर ​म कने का सअ ु वसर मला , जो धाम नद के कनारे बनाया
गया है , इस नद के बीच म वनोबा भावे जी का स ​ मा ध थल ​बनाया गया है , इस कार यह एक प व नद
मानी जाती है , यहां दरू -दरू से लोग आकर मड
ंु न कराते ह, जगह - जगह छोटे -छोटे दकु ान लगी है , िजसमे
खाने पीने लायक साम ी तो मल ह जाती है ।
वनोबा भावे आ म ​, द ु नया को एक अलग ह नज रये से दे खने का मौका दान करती है , भागदौड़ भर और
लालच से घर िज़ंदगी के ब कुल वपर त " ​शां तमय और नः वाथ भावना " , वहां पर हम वनोबा भावे जी
के सहयोगी ​बाल वजय ​जी से मलने का मौका मला , जो बीएचयू से ह M.Sc कये थे ।उ ह ने हमलोग से
अपनी बात साँझा क हमे सह माग के बारे म बतलाया ।
साथ ह साथ हमे ग ​ ौतम बजाज गु से भी मलने का मौका मला , िज ह ने वला सता भरे जीवन को
याग कर शां त से जीने का रा ता चन ू ा। उ ह ने अबतक 26 कताब वहाँ पर बीता कर लख द । जो काफ
यादा है ।
आ म क सबसे बड़ी आ चयजनक बात यह थी क वहां मौजद ू िजतने भी गु जन थे , सारे के सारे
येक दन म करके जो पये मलता था , उ ह से अपने भोजन का भरपाई करते है । ​ वनोबा भावे ​जी ने भी
अपने मरण अव था के ण तक म करते रहे । वहां पर एक मं दर है , िजसमे राम-भरत मलन क मू तयां
मौजदू है , जो वनोबा भावे जी के वारा ह हल चलाने के दौरान सन 1938 ईसवी म मल । इसके अलावा वहां
भगवान व णु के 800 वष परु ानी दशावतार वाल मू त भी है ।
अगले दन हमलोग वधा के स ​ ेव ाम ​म पहुंचे जहां ​बापू के आ म म हमलोग ने मण कया , जैसे :- ​आ द
नवास ( पहल कुट ), आ ​ खर नवास, ब ​ ा कुट , ​बापू कुट , ​महादे व दे साई कुट , ​परचरु े कुट , न
​ ई ताल म
इ या द ।
जब हमलोग वधा के अंतररा य महा मा गाँधी हंद व व व यालय पहुंचे, वहाँ के कुलप त जो
बीएचयु के छा रह चक ु े थे, उ ह ने हमारा वागत और स मान जोरदार कया। और इस तरह हमार या ा का
समापन हुआ । जब हमलोग सेवा ाम टे शन पर े न पकड़ने के लए आये तो सव थम हमलोग ने वहां पर
सफाई- अ
​ भयान कया और लोग को जाग क कया ।
इस या ा का जो मल ू उ दे य था उसे हमलोग ने भरसक य न कर मक ु ाम दया , गाँव - गाँव
जाकर लोग को गाँधी जी के वचार से अवगत कराया , पयावरण संर ण , जल संर ण , बेट बचाओ , बेट
पढ़ाओ एवं एकजट ु ता का संदेश लोग को संवाद और नु ड़ नाटक के ज रये से पहुंचाया ।

अंततः सारे परे शानीयो जैसे :- पहाड़ क तीखी चढाई, कड़ी धप ू , तेज़ हवाएं एवं उसके साथ उड़ते धलू ,
मस
ु लाधार वषा , छोटे - मोटे चोट व दद , जजर सड़क, वहड़ जंगल आ द कई मिु कल से उबरते हुए हमार
सा थय ने मलकर जो मक ु ाम हा सल कया , वो िजंदगी भर मेरे दखु भरे पल म एक खश ु नम
ु ा हवा क तरह
बहकर खु शयाँ लौटाते रहे गा ।

म रा य सेवा योजना का वयंसेवक " नयन आनंद " माननीय बाला लख जी के त अपार नेह और
ध यवाद कट करता हूँ क, उ होने मझ ु े इस लायक समझा क म इस अ भयान म अपनी भागीदार और
क य को परू न ठा और ढ़ता से नभा सकँू ।
इसके साथ - साथ म ​डॉ मनीष तवार एवं अपने सारे सा थय ​को ध यवाद दे ना चाहता हूं , िज ह ने मझ
ु े
हमेशा हर मोड़ - हर मिु कल क घड़ी म साथ दया , और इस या ा एवं इसके उ दे य को परू ा करने म अपना
संपण
ू योगदान दया ।

​ य हंद ।

You might also like