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भू महार

[कृपया उ रण जोड़] ष [1]भू महार ा ण एक


भारतीय जा त है। भू महार का अथ होता 'भू मप त'।
वैसे तो भू महार क उ प के सब ध के इ तहास को
ाचीन कवद तय के आधार पर अनेक व ान ने
ल पब करने का यास कया है। ऎसा माना जाता
है क भगवान परशुराम जी ने य को परा जत कर
जो ज़मीन थी, उसे ा ण को दे दया, जसके बाद
ा ण ने पूजा-पाठ का पर परागत पेशा छोड़
जम दारी शु कर द और बाद म यु म वीनता भी
हा सल कर ली थी। ये ा ण ही भू महार ा ण
कहलाये। और तभी से परशुराम जी को भू महर का
जनक और भू महार- ा ण वंश का थम सद य
माना जाता है।

भू महार या बाभन (अयाचक ा ण) एक ऐसी सवण


जा त है जो अपने शौय, परा म एवं बु म ा के लये
जानी जाती है। बहार, उ र दे श एवं झारख ड म
नवास करने वाले भू महार जा त अथात अयाचक
हामण को से जाना व पहचाना जाता ह। मगध के
महान पु य म शुंग और क व वंश दोन ही ा ण
राजवंश भू महार ा ण (बाभन) के थे। भू महार
ा ण भगवन परशुराम को ाचीन समय से अपना
मूल पु ष और कुल गु मानते है।

भू महार ा ण समाज म उपा ध है - पा डेय,


तवारी/ पाठ , म ,शु ल ,उपा यय ,शमा, ओझा
, बे\ वेद इसके अलावा राजपाट और ज़म दारी के
कारण एक बड़ा भाग भू महार ा ण का राय, शाही,
सह, उ र दे श म शाही, बहार म सह ( स हा),
चौधरी (मै थल से), ठाकुर (मै थल से) लखते ह।

भू महार ा ण कुछ जगह ाचीन समय से पुरो हती


करते चले आ रहे है, अनुसंधान करने पर पता लगा क
याग क वेणी के सभी पंडे भू महार ही तो ह। गया
के दे व के सूयमं दर के पुजारी भू महार ा ण ही
मले।

बनारस रा य भू महार ा ण के अ धप य म 1725-


1947 तक रहा| इसके अलावा कुछ अ य बड़े रा य
बे तया, हथुवा, टकारी, तमकुही, लालगोला इ या द
भी भू महार ा ण के अ धप य म रहे| बनारस के
भू महार ा ण राजा ने अं ेज वारेन हे टं ग और
अं ेजी सेना क ईट से ईट बजा द थी| अनापुर राज,
अमावा राज, बभनगावां राज, भरतपुरा धरहरा राज,
शवहर मकसुदपुर राज, औसानगंज राज, नरहन टे ट,
जोगनी ए टे ट, पसागढ़ ए टे ट (छपरा), गो रया कोठ
ए टे ट ( सवान), पवाली ए टे ट, जैतपुर ए टे ट, हरद
ए टे ट, ऐनखा जम दारी, ऐशगंज जम दारी, भेलावर
गढ़, आगापुर टे ट, पैनाल गढ़, ल ा गढ़, कयाल गढ़,
रामनगर जम दारी, रो आ ए टे ट, राजगोला जम दारी,
पंडुई राज, केवटगामा जम दारी, घोसी ए टे ट, प रहंस
ए टे ट, धरहरा ए टे ट, रंधर ए टे ट, अनापुर ए टे ट (
इलाहाबाद), चैनपुर, मंझा, मकसूदपुर, सी, खैरअ,
मधुबनी, नवगढ़ - भू महार से स बं धत है| असुराह
ए टे ट कयाल औरंगाबाद म, बाबु अमौना तलकपुर,
शेखपुरा टे ट जहानाबाद म, तु क तेलपा टे ट
ेओतर गया, बार ए टे ट (इलाहाबाद), पपरा को ही
ए टे ट (मो तहारी) इ या द ये सभी अब इ तहास के
गोद म समां चुके है|

दं डी वामी सहजानंद सर वती (जुझौ तया ा ण,


भू महार ा ण, कसान आंदोलन के जनक), बैकु ठ
शु ल (१४ मई १९३४ को टश कूमत ारा
फासी), यमुना कज , शील भ याजी, मंगल पांडे
१८५७ के ां त वीर, कयन द शमा, योगे शु ल,
चं मा सह, राम बनोद सह, राम नंदन म , यमुना
साद पाठ , महावीर यागी, राज नरायण, रामवृ
बेनीपुरी,अलगू राय शा ी, रा क व रामधारी सह
दनकर, रा ल सां कृ यायन, बनारस के राजा चैत
सह ने अं ेजो के खलाफ व ोह कया वारेन हे टं ग
और अं ेजी सेना को धूल चटाई, दे वीपद चौधरी, राज
कुमार शु ल (च पारण आंदोलन क शु वात क ),
फ़तेह बहा र शाही हथुवा के राजा १८५७ म अं ेजो
के खलाफ सव थम व ोह कया, काशी नरेश ारा
बनारस ह व व ालय के लए कई हज़ार ए कड़
का भू म दान, योग नारायण राय
लालगोला(मु शदाबाद) के राजा अपने दान व
परोपकारी काय के लए स , इ या द महान
व भू महार ा ण से थे|
भू महार ा ण भगवन परशुराम को ाचीन समय से
अपना मूल पु ष और कुल गु मानते है-

१. एम.ए. शे रग ने १८७२ म अपनी पु तक Hindu


Tribes & Cast म कहा है क, "भू महार जा त के
लोग ह थयार उठाने वाले ाहमण ह (सै नक
ा ण)।"

२. अं ेज व ान म. बी स ने लखा है - "भू महार एक


अ छ क म क बहा र जा त है, जसमे आय जा त
क सभी व श ताएं व मान है। ये वाभाव से
नभ क व हावी होने वाल होते ह।"

३. पं डत अयो या साद ने अपनी पु तक "व ो म


प रचय" म भू महार को- भू म क माला या शोभा
बढ़ाने वाला, अपने मह वपूण गुण तथा लोक हतकारी
काय से भूमंडल को शुशो भत करने वाला, समाज के
दय थल पर सदा वराजमान- सव य ा ण कहा
है।

४. व ान योगे नाथ भ ाचाय ने अपनी पु तक ह


का ट & से ट् स म लखा है क भू महार ा ण क
सामा जक थ त का पता उनके नाम से ही लग जाता
है, जसका अथ है भू म ाही ा ण। पं डत नागानंद
वा यायन ारा लखी गई पु तक - " भू महार ा ण
इ तहास के दपण म " " भू महारो का संगठन जा त के
प म " भू महार ा ण जा त ा ण के व भ
भेद और शाखा के अयाचक लोगो का एक संगठन
ही है| ारंभ म का यकु ज शाखा से नकले लोगो को
भू महार ा ण कहा गया, उसके बाद सार वत,
म हयल, सरयूपारी, मै थल, चतपावन, क ड़ आ द
शाखा के अयाचक ा ण लोग पूव उ र दे श
तथा बहार म इन लोगो से स ब ध था पत कर
भू महार ा ण म मलते गए| मगध के बाभन और
म थलांचल के प मा तथा याग के जम दार ा ण
भी अयाचक होने से भू महार ा ण म ही स म लत
होते गए|

भू महार ा ण के कुछ मूल ( कूरी ) के लोगो का


भू महार ा ण म संग ठत होने क एक सूची यहाँ द
जा रही है :

१. का यकु ज शाखा से : दोनवार, सकरवार, क वार,


त तहा, नन लया, वंशवार के तवारी, कुढ़ा नया,
द सकर, आ द|

२. सरयू नद के तट पर बसने वाले से : गौतम, को हा


(क यप), नैनीजोर के तवारी, पूसारोड (दरभंगा)
खीरी से आये पराशर गो ी पांडे, मुज फरपुर म
मथुरापुर के गग गो ी शु ल, गाजीपुर के भार ाजी,
म चया और खोर के पांडे, ला के सांकृत गो ी
पांडे, इलाहबाद के व स गो ी गाना म , आ द|
३. मै थल शाखा से : मै थल शाखा से बहार म बसने
वाले कई मूल के भू महार ा ण आये ह, इनमे सवण
गो ी बेमुवार और शां ड य गो ी दघवय - द वैत
और द वय संदलपुर, बहा रपुर के चौधरी मुख है.
(चौधरी, राय, ठाकुर, सह मु यतः मै थल ही योग
करते ह)

४. म हयालो से : म हयालो क बाली शाखा के पराशर


गो ी ा ण पं डत जगनाथ द त छपरा ( बहार) म
एकसार थान पर बस गए| एकसार म थम वास
करने से वैशाली, मुज फरपुर, चैनपुर, सम तीपुर,
छपरा, परसगढ़, सुरसंड, गौरैया कोठ , ग मरार,
बहलालपुर, आ द गाँव म बसे ए पराशर गो ी
ए स रया मूल के भू महार ा ण हो गए|

५. च पावन से : याय भ नामक चतपावन ा ण


सप रवार ाध हेतु गया कभी पूव काल म आये थे|
अयाचक ा ण होने से इ होने अपनी पोती का
ववाह मगध के इ कल परगने म व स गो ी दोनवार
के पु उदय भान पांडे से कर दया और भू महार
ा ण हो गए|पटना डा टनगंज रोड पर धरहरा,
भरतपुर आ द कई गाँव म तथा मका, भोजपुर,
रोहतास के कई गाँव म ये च पवा नया मूल के
कौ ड य गो ी अथव भू महार ा ण रहते ह|

भू मप त ा ण के लए पहले जम दार ा ण श द
का योग होता था| याचक ा ण के एक दल ने ने
वचार कया क जम दार तो सभी जा तय को कह
सकते ह, फर हममे और जमीन वाली जा तय म या
फक रह जाएगा| काफ वचार वमश के बाद "
भू महार " श द अ त व म आया." भू महार ा ण "
श द के च लत होने क कथा भी ब त रोचक है।

बनारस के महाराज ई री साद सह ने १८८५ म


बहार और उ र दे श के जम दार ा ण क एक
सभा बुलाकर ताव रखा क हमारी एक जातीय
सभा होनी चा हए| सभा बनाने के पर सभी
सहमत थे, पर तु सभा का नाम या हो इस पर ब त
ही ववाद उ प हो गया| मगध के बाभनो ने जनके
नेता व.कालीचरण सह जी थे, सभा का नाम " बाभन
सभा " करने का ताव रखा| वयं महराज "भू महार
ा ण सभा " के प म थे.बैठक म आम राय नह
बन पाई, अतः नाम पर वचार करने हेतु एक
उपस म त ग ठत क गई| सात वष के बाद स म त क
सफा रश पर " भू महार ा ण " श द को वीकृत
कया गया और साथ ही साथ इस श द के चार व्
सार का काम भी हाथ म लया गया| इसी वष
महाराज बनारस तथा व.लंगट सह जी के सहयोग से
मुज फरपुर म एक कालेज खोला गया, बाद म तर त
क म री के क म र का नाम जोड़कर इसे जी.बी.बी.
कालेज के नाम से पुकारा गया| आज वही कालेज
लंगट सह कालेज के नाम से स है।
अं ेजो ने यहाँ के सामा जक तर का गहन अ ययन
कर अपने गजे तअर एवं अ य पु तक म भू महारो के
उपवग का उ लेख कया है|गढ़वाल काल के बाद
मुसलमान से त भू महार ा न ने जब का यकु ज
े से पूव क ओर पलायन ारंभ कया और अपनी
सु वधानुसार य त बस गए तो अनेक उपवग के
नाम से संबो धत होने लगे, यथा - ोनवार, गौतम,
का यकु ज, जेथा रया आ द|अनेक कारण ,अनेक
री तय से उपवग का नामकरण कया गया| कुछ
लोगो ने अपने आ द पु ष से अपना नामकरण कया
और कुछ लोगो ने गो से| कुछ का नामकरण उनके
थान से वा जैसे - सोनभ नद के कनारे रहने वालो
का नाम सोन भ रया, सर वती नद के कनारे वाले
सवा रया, सरयू नद के पार वाले सरयूपारी आ द|
मूलडीह के नाम पर भी कुछ लोगो का नामकरण आ
जैसे जेथा रया, हीरापुर प डे, वेलौचे, मचैया पा डे,
कुसु म तेवरी, ह पु रये, द त, जुझौ तया आ द।
पपरा के म सर, सोहगौरा के तवारी, हरापुरी पांडे,
घोनर के तवारी, मा खोर के शु ल, भरसी म ,
ह गामे के पांडे, नैनीजोर के तवारी, गाना के म ,
मचैया के पांडे, म तकार तवारी आ द भू महार
ा न म ह| " वे ही ा ण भू म का मा लक होने से
भू महार कहलाने लगे और भू महार को अपने म लेते
ए भू महार लोग पूव म कनौ जया से मल जाते ह|

भू महारो म आपसी भाईचारा और एकता होती है।


भू महार अंत ववाही है और जाती म ही ववाह करते
ह। पहले वष के अंत म माता काली क पूजा करना,
गरीब और शरणागत को भोजन करना और व
बाटना भू महारो के ब त से गाव म एक था थी और
वयं तलवार के दम पर भू महारो ने भू म अ जत क
है। कृ ष कम भू महारो का पेशा था। आज भू महार
हर े म अ णीय है। ा ण होने के कारण भू महार
वयं हल नह जोतते है।
१. सव थम १८८५ म ऋ षकुल भूषण काशी नरेश
महाराज ी इ री साद सह जी ने वाराणसी म
अ खल भारतीय भू महार ा ण महासभा क
थापना क । २. १८८५ म अ खल भारतीय यागी
महासभा क थापना मेरठ म ई। ३. १८९० म
मो हयल सभा क थापना ई। ४. १९१३ म वामी
सहजानंद जी ने ब लया म आयो जत। ५. १९२६ म
पटना म अ खल भारतीय भू महार ा ण महासभा
का अ धवेशन आ जसक अ य ता चौधरी रघुवीर
नारायण सह यागी ने क । ६. १९२७ म थम याचक
ा ण स मलेन क अ य ता सर गणेश द ने क ।
७. १९२७ म मेरठ म ही अ खल भारतीय यागी
महासभा क अ य ता राय बहा र जगदे व राय ने
क । ८. १९२६-२७ म अपने अ धवेशन म का यकु ज
ा ण ने ताव पा रत कर भू महार ा ण को
अपना अंग घो षत करते ए अपने समाज के गठन म
स म लत होने का नमं ण दया। ९. १९२९ म
सार वत ा ण महासभा ने भू महार ा ण को
अपना अंग मानते ए अनेक त न धय को अपने
संगठन का सद य बनाया। १०. १९४५ म बे तया
( बहार) म अ खल भारतीय भू महार ा ण
महास मेलन आ जसक अ य ता डा.बी.एस.पूंजे
( च पावन ा ण) ने क । ११. १९६८ म ी सूय
नारायण सह (बनारस) के यास से ष सेवा
स म त का गठन आऔर इश वष रोह नया म एक
अ धवेशन पं डत अनंत शा ी फडके ( च पावन) क
अ य ता म आ। १२. १९७५ म ल नाऊ म भूमे र
समाज तथा कानपूर म भू महार ा ण समाज क
थापना ई। १३. १९७९ म अ खल भारतीय ष
प रषद् का गठन आ। १४. ८ माच १९८१ गोरखपुर
म भू महार ा ण समाज का गठन। १५. २३ अ टू बर
१९८४ म गाजीपुर म ांतीय भुमे र समाज का
अ धवेशन जसक अ य ता ी मथुरा राय ने
क .डा.रघुनाथ सह जी ने इस स मलेन का उदघाटन
कया। १६. १८८९ म अ लाहाबाद म भूमे र समाज
क थापना ई।[कृपया उ रण जोड़]

[2][3]

1. . https://www.bhaskar.com/news/JHA-
MAT-latest-giridih-news-024002-3270004-
NOR.html .
2. .
http://www.prabhatkhabar.com/news/pat
na/bihar-biggest-general-assembly-of-
bhumihar-brahmins-will-be-held-in-
patna/1076299.html .
3. .
http://www.akhandbharatnews.com/if-
every-single-caste-is-to-be-developed/ .
"https://hi.wikipedia.org/w/index.php?
title=भू महार&oldid=3610034" से लया गया

Last edited 15 days ago by Anuraa…

साम ी CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से


उ लेख ना कया गया हो।

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