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प्रतिदर्श प्रश्न त्र 019 -01

विषय – हहिंदी ‘अ’ (कोड-002)


कऺा – 91
अिंक योजना
तनर्ाशररि समय – 3 घिंटे अधर्किम अिंक – 81
साभान्‍म‍िनददेश : ‍
 अंक‍मोजना‍का‍उद्दे श्‍म‍भल्‍‍मांकन‍को‍अाधकााधक‍‍त‍तुिन‍‍ ‍फनाना‍ह। ‍अंक-मोजना‍भें ‍ ददए‍गए‍
न, ककंत‍ु
उत्‍तय-बफंद‍ु अंितभ‍ नह ं‍ ह। ‍ मे‍ सुझा‍ात्‍भक‍ ए‍ं‍ सांकेितक‍ ह। ‍ मदद‍ ऩय ऺाथथी ‍ ने‍ इनसे‍ िबन्‍
उऩमुक्‍त‍उत्‍
तय‍ददए‍ह।‍तो‍उसे‍उऩमुक्‍त‍अंक‍ददए‍जाए‍ ‍
 भल्‍‍मांकन-कामय‍ िनजी‍ व्‍
माख्‍मा‍ के‍ अनुसाय‍ नह ,ं फल््‍क‍ अंक-मोजना‍ भें ‍ िनददय ‍ट
‍ ‍ िनददेश :ानुसाय‍ ह ‍
मथासंब‍‍ककमा‍जाए ‍
 प्रश्‍नों‍के‍उत्‍तय‍मदद‍बफंदं
ु ं‍ भें ‍ अऩे्ऺत‍हों‍रय‍ऩय ऺाथथी ‍ अऩेऺा‍से‍ अाधक‍बफंदं
ु ं‍ का‍उ्‍‍रेख क‍कये ‍
तो‍सह ‍बफंद/ु बफंदं
ु ं‍ऩय‍अंक‍दें ‍रय‍:ेष/अनुऩमुक्‍त‍बफंदं
ु ं‍को‍अनदे ख का‍कयें ‍
 एक‍ह ‍प्रकाय‍की‍अ:ुद्ाध‍के‍िरए‍फाय-फाय‍अंक‍न‍काटें ‍जाएं

क्र.सिं. सिंभाविि उत्िर सिंकेि तनर्ाशररि


अिंक
विभाजन
खिंड- क 91
(अतहिि अिंर्)
(1) अऩद त‍गद्मां: 91
(क) सादहत्म‍को‍संजी‍नी‍रषाध‍का‍आधाय‍इसिरए‍कहा‍गमा‍ह। ‍क्मोंकक‍सादहत्म‍भुदों‍ 0
को‍बी‍ल्िन्दा‍कयने‍रय‍ऩिततों‍को‍उ ाने‍की‍ऺभता‍यख कता‍ह। ‍ ‍
(ख क) सादहत्म‍के‍प्रित‍अनुयाग‍न‍यख कने‍ारों‍की‍तुरना‍सभाजद्रोह ,‍दे :द्रोह ,‍जाितद्रोह ,‍ 0
आत्भद्रोह ‍से‍की‍गई‍ह। ‍
(ग) सादहत्म‍सभाज‍का‍आईना‍ह। ‍ क्मोंकक‍सादहत्म‍के‍भाध्मभ‍से‍ ह ‍सभाज‍की‍व‍गत‍ 0
रय‍‍तयभान‍ल्तथित‍की‍जानकाय ‍िभरती‍ह। ‍
(घ) ल्जस‍बाषा‍का‍अऩना‍सादहत्म‍नह ं‍होता‍उसकी‍ल्तथित‍रूऩ‍ती‍िबख कारयनी‍की‍तयह‍ 0
आदयणीम‍ नह ं‍ होती‍ ‍ उसकी‍ :ोबा,‍ उसकी‍ श्रीसम्ऩन्नता,‍ उसकी‍ भान-भमायदा‍
उसके‍सादहत्म‍ऩय‍ह ‍िनबयय‍यहती‍ह।
(ङ ) सादहत्म‍के‍उत्ऩादन‍‍‍सं‍धयन‍के‍िरए‍प्रमास‍नह ं‍ कयने‍ ऩय‍सभाज‍के‍अऻान‍के‍ 9
अंधकाय‍भें ‍ऩड़कय‍अऩना‍अल्ततत्‍‍ख को‍फ। ता‍ह।
(च) उाचत‍:ीषयक‍–‍सादहत्म‍का‍भहत्त्‍‍मा‍कोई‍बी‍उऩमुक्त‍:ीषयक‍ 1
खिंड – ख 96
(व्यािहाररक व्याकर )
(2) यचना‍की‍दृल्‍ट‍से‍‍ाक्म‍बेद 1x4=4
(क) क ोय‍फनो‍ऩयन्तु‍सरृदम‍यहो‍
(ख क) सेनानी‍न‍होने‍ऩय‍बी‍रोग‍उसे‍क।प्टन‍कहते‍थे‍
(ग) किमा‍व‍:ेषण‍आाश्रत‍उऩ‍ाक्म‍
(घ) सयर‍‍ाक्म
(3) ‍ाच्म 1x4=4
(क) अनेक‍ऩा कों‍द्‍ाया‍ऩुततक‍की‍सयाहना‍की‍गई‍
(ख क) ऩ्ऺमों‍से‍फाग‍छोड़कय‍उड़ा‍नह ं‍गमा‍
(ग) भ।ने‍सभम‍की‍ऩाफंद ‍ऩय‍िनफंध‍िरख का‍
(घ) हवषयता‍द्‍ाया‍योज‍अख कफाय‍ऩढ़ा‍जाता‍ह। ‍
(4) ऩद-ऩरयचम 1x4=4
(क) अिबभन्मु‍–‍जाित‍ाचक‍संऻा,‍ऩुल््‍रंग,‍एक‍चन,‍कताय‍कायक‍
(ख क) ताकक‍–‍सभुच्चमफोधक‍अव्मम‍
(ग) गए‍–‍अकभयक‍किमा,‍एक‍चन,‍ऩुल््‍रंग,‍बलतकार,‍कत‍
य त ाच्म‍
(घ) कारा‍–‍गुण‍ाचक‍व‍:ेषण,‍‘कोट’‍-‍व‍:े‍म,‍एक‍चन,‍ऩुल््‍रंग‍
(5) यस 1x4=4
(क) हातम‍यस‍का‍उऩमक्
ु त‍उदाहयण‍
(ख क) यौद्र‍यस‍
(ग) उत्साह‍
(घ) श्रग
ंत ाय‍यस‍
खिंड – ग 34‍
(ताठ्य तुस्िक वििं तररक ताठ्य तुस्िक)
(6) ऩद त‍गद्मां: 6
(क) अतेक्षऺि र्ब्द सममा 31-41 र्ब्द 2
न‍ाफ‍साहफ‍ने‍ नभक-िभचय‍ रगी‍ ख कीये ‍ की‍पाकों‍को‍उ ामा,‍उन्हें ‍ ख काने‍ के‍फजाम‍
सघा‍रय‍एक-एक‍कय‍खख कड़की‍से
ल ‍ फाहय‍पेंक‍ददमा‍ ‍कपय‍तप्त त‍होने‍ का‍अिबनम‍
ककमा‍जफकक‍अन्म‍रोग‍ख कीये ‍को‍ख काकय‍उसका‍आनंद‍उ ाते‍ह।‍
(ख क) अतेक्षऺि र्ब्द सममा 31-41 र्ब्द 2
न‍ाफ‍साहफ‍ख कीये ‍ की‍सग
ु ंध‍का‍यसात‍ादन‍कयके‍तप्त त‍होने‍ के‍अऩने‍ व‍ाचत्र‍ढं ग‍
के‍भाध्मभ‍से‍अऩनी‍यईसी‍रय‍न‍ाफी‍का‍प्रद:यन‍कयना‍चाहते‍थे‍
(ग) अतेक्षऺि र्ब्द सममा 31-41 र्ब्द 2
न‍ाफ‍साहफ‍अऩनी‍न‍ाफी‍की‍ सक‍भें ‍ ख कीये ‍ की‍पाकों‍को‍सलघकय‍फाहय‍पेंक‍यहे‍
थे‍ ‍अऩनी‍ख कीज‍िभटाने‍ के‍िरए‍उन्होंने‍ रेख कक‍को‍कहा,‍“ख कीया‍त‍ादद‍ट‍होता‍ह।,‍
ऩय‍ख काने‍भें ‍आभा:म‍ऩय‍फोझ‍ऩड़ता‍ह। ,‍इसिरए‍‍े‍ख कीया‍‍नह ं‍ख काते‍ह।‍ ”
(7) अतेक्षऺि र्ब्द सममा 31-41 र्ब्द 2x4=8
(क) फच्चों‍द्‍ाया‍भलितय‍ऩय‍सयकंडे‍ का‍चश्भा‍रगाना‍मह‍प्रदि:यत‍कयता‍ह। ‍ कक‍फच्चों‍के
भन‍भें ‍दे :‍प्रेभ‍रय‍दे :बल्क्त‍के‍फीज‍अंकुरयत हो‍गए‍ह।‍ ‍उन्हें ‍मह‍ऻान हो‍गमा‍
ह। ‍कक‍:ह दों‍रय‍दे :बक्तों‍का‍आदय‍कयना‍चादहए‍
(ख क) फारगोबफन‍बगत‍का‍संगीत‍हय‍आमु‍ ‍गय‍ के‍रोगों‍ऩय‍सभान‍रूऩ‍से‍ असय‍कयता‍
था ‍उनके‍भधयु ‍गान‍को‍सन
ु कय‍फच्चे‍ झभ
ल ‍उ ते‍ थे,‍भें ड़ ऩय‍ख कड़ी‍रयतों‍के‍हों ‍
गन
ु गन
ु ा‍उ ते‍थे,‍हर‍ाहों‍के‍ऩ।य‍तार‍से‍उ ने‍से रगते‍थे‍रय योऩनी‍कयने‍‍ारों‍
की‍अगिु रमा‍िभ‍से‍चरने रगती‍थीं‍ ‍‍‍
(ग) रेख कक‍ फ़ादय‍ फ्‍
ु के‍ की‍ मातना‍ बय ‍ भत्त मु‍ से‍ आहत‍ थे ‍ उनके‍ भन‍ भें‍ मह‍ प्रश्न‍
उबय यहा‍था‍कक‍दस
ल यों‍के‍प्रित‍ल्जसके‍ह्रदम‍भें ‍भात्र‍करुणा‍थी, द्‍ेष‍ल्जसे‍छल‍तक
न‍गमा‍था‍ ‍ऐसे‍ ऩुण्मात्भा,‍भहात्भा‍ऩुरुष‍के‍िरए‍िहयफाद‍से‍ मातना‍बय भत्त म‍ु
का‍व‍धान‍क्मों‍?
(घ) भन्नल‍ बंडाय ‍की‍भा‍त्माग‍रय‍ध।म‍य की‍ऩयाका‍ ा‍थी‍ऩय‍मह‍ध।म‍य रय‍ऩयाका‍ ा
इसिरए‍ आद:य‍ न‍ फन‍ सका‍ था‍ क्मोंकक‍ मह‍ त‍ाबाव‍क‍ रय‍ त‍।ल्च्छक‍ न‍ होकय‍
िनहामत‍भजफलय ‍रय‍फेफसी‍के‍कायण‍उत्ऩन्न‍हुआ‍था‍
(ङ) बफल्तभ्‍रा‍ ख का‍ को‍ बायत‍ का‍ स‍ोच्च‍ सम्भान‍ ‘बायतयत्न’‍ िभरा‍ ‍ अनेक‍
व‍श्‍व‍द्मारमों‍से‍ ‘भानद‍उऩााधमा’‍िभर ं‍ ‍संगीत‍नाटक अकादभी‍ऩुयतकाय‍रय
ऩद्भव‍बलषण‍आदद‍सम्भान‍उन्हें ‍ िभरे‍ ‍‍े‍ अऩनी संगीतमात्रा‍भें अजम‍फने‍ यहे ‍ ‍
:हनाई‍के‍नामक‍के‍रूऩ‍भें ‍उनकी‍प्रभुख क‍ऩहचान‍यह ‍ ‍‍‍‍
(8) तहिि काव्यािंर् 6
(क) अतेक्षऺि र्ब्द सममा 31-41 र्ब्द 2
जफ‍भुख्म‍गामक‍संगीत‍के‍जदटर‍सुयों‍भें ‍ ख को‍ जाता‍ह। ‍ मा‍अऩने‍ ह ‍सयगभ‍को‍
राघकय‍अनहद‍भें ‍बटक‍जाता‍ह। ‍तफ‍संगतकाय‍अऩना‍त‍य‍दे कय‍भुख्म‍गामक‍के‍
बटके‍हुए‍त‍य‍को‍सबारता‍ह। ‍ ‍इससे‍ भुख्म‍गामक‍के‍गामन‍की‍प्रततुित‍सफ़र‍
हो‍जाती‍ह। ‍
(ख क) अतेक्षऺि र्ब्द सममा 31-41 र्ब्द 2
नौिसखख कमा‍भुख्म‍गामक‍को‍कहा‍गमा‍ह। ‍ ‍जफ‍‍ह‍फचऩन‍भें ‍ संगीत‍की‍ि:ऺा-
द ऺा‍रे‍यहा‍था‍
(ग) अतेक्षऺि र्ब्द सममा 31-41 र्ब्द 2
संगतकाय‍ द्‍ाया‍ भुख्म‍ गामक‍ के‍ संगीत‍ के‍ जदटर‍ सुयों‍ भें ‍ बटक‍ जाने‍ के‍ दौयान‍
उसे‍सबारने‍ऩय‍उसकी‍बलिभका‍का‍भहत्त्‍‍साभने‍आता‍ह। ‍
(9) अतेक्षऺि र्ब्द सममा 31-41 र्ब्द 2x4=8
(क) भा‍की‍ाचंता‍मह‍ह। ‍कक‍अबी‍उसकी‍फेट ‍समानी‍नह ं‍हुई‍ह। ‍ ‍‍ह‍जभाने‍के‍छर-‍
प्रप्रंच, ऊच-नीच‍को‍सभझने‍भें ‍असभथय‍ह। ‍ उसे‍व्मा‍हारयकता‍का‍ऻान‍नह ं‍ह। ‍
(ख क) ककसानों‍द्‍ाया‍ककए‍गए‍ऩरयश्रभ‍को, हाथों‍की‍गरयभा‍फतामा‍गमा‍ह। ‍ ‍ककसानों‍के‍
मोगदान, अथक‍ ऩरयश्रभ‍ की‍ सयाहना‍ की‍ गई‍ ह। ‍ इनके‍ ऩरयश्रभ‍ के‍ कायण‍ ह ‍
पसर‍अल्ततत्‍‍भें ‍आती‍ह। ‍
(ग) श्री‍याभ‍ऩय:यु ाभ‍के‍िोधी‍त‍बा‍‍से‍ऩरयाचत‍थे‍रय‍त‍मं‍बी‍व‍नम्रता‍के‍धनी‍
थे‍ ‍े‍मह‍बी‍जानते‍थे‍कक‍व‍नम्रता‍से‍िोध‍:ांत‍हो‍जाएगा‍
(घ) ऻान-भागय‍ ऩय‍चरने‍ ‍ारे‍ उद्ध‍‍ने‍ गोवऩमों‍के‍आद:य‍ प्रेभ‍को‍सभझने‍ का‍प्रमास‍
नह ं‍ ककमा, साथ‍ह ‍‍े‍ प्रेभ‍के‍उदात्त‍त‍रूऩ‍से‍ ऩरयाचत‍नह ं‍ थे‍ ‍इस‍अनिबऻता‍
रय‍ऻान‍के‍दऩय‍के‍कायण‍‍े‍गोवऩमों‍की‍भनोद:ा‍सभझ‍नह ं‍सके‍
(ङ) जी‍न‍ऩय‍नकायात्भक‍प्रबा‍‍ऩड़ता‍ह। ‍ व्मल्क्त‍‍तयभान‍का‍साभना‍नह ं‍कय‍ऩाता‍
ह। ‍ तभित तमा‍उसके‍‍तयभान‍के‍दख क
ु ों‍को‍दग
ु ुना‍कय‍दे ती‍ह।‍
(10) अतेक्षऺि र्ब्द सममा 51-61 र्ब्द 3x2=6
(क) गंतोक‍भें ‍ यहने‍ ‍ारे‍ रोगों‍ने‍ फहुत‍भेहनत‍ कयके‍इस‍:हय‍को‍फहुत‍सुन्दय‍रय‍
भनोहाय ‍ फना‍ ददमा‍ ह। ‍ अऩने‍ जी‍न‍ की‍ जरूयतों‍ को‍ ऩलया‍ कयने‍ के‍ िरए‍ बी‍ ‍े‍
क ोय‍ऩरयश्रभ‍कयते‍ह।‍ ‍
(ख क) 'भाता‍ का‍ अचर' ऩा ‍ भें ‍ रेख कक‍ ने‍ ग्राभीण‍ ऩरय‍ाय‍ का‍ ाचत्रण‍ कयते‍ हुए‍ ‍हा‍ की‍
जी‍न‍:।र ‍का‍उ्‍रेख क‍ककमा‍ह। ‍ जहा‍रोगों‍के‍भध्म‍आत्भीमता‍की‍बा‍ना‍ह। ,
रोग‍प्रकतित‍के‍कय फ‍ह।‍ इसके‍व‍ऩय त‍:हयों‍भें‍रोग‍एकर‍जी‍न‍व्माऩन‍कयने‍
की‍प्र‍वत त्त‍की‍ंय‍उन्भुख क‍हो‍यहे ‍ह।,‍उनभें ‍आत्भीमता‍की‍कभी‍ह। ‍
(ग) जाजय‍ऩंचभ‍की‍राट‍ऩय‍ल्िंदा‍नाक‍रगाने‍के‍कुकतत्म‍को‍प्रकाि:त‍कयने‍के‍फजाए‍
सभाचाय‍ ऩत्रों‍ ने‍ चऩ
ु ‍ यहना‍ ह ‍ फेहतय‍ सभझा‍ क्‍
मोंकक‍ सभाचाय‍ ऩत्र‍ उस‍ घटना‍ को‍
क।से‍ छाऩते, ल्जसभें ‍ दे :‍ की‍प्रित‍‍ ा‍रय‍ भान-सम्‍भान‍ को‍ िभटीट ‍भें ‍ िभरा‍ददमा‍
गमा‍हो

खिंड – घ 20‍
(ऱेखन)
(11) तनबिंर्-ऱेखन (र्ब्द सममा 011-051 र्ब्द) 10
 प्रततुित‍–‍1‍
 बाषा-:ुद्धता‍-‍2‍
 ‍ाक्म-व‍न्मास‍–‍1‍
 व‍षम‍ततु‍(संकेत‍बफन्दं
ु ं‍के‍आधाय‍ऩय‍)‍–‍4‍
 सभग्र‍प्रबा‍‍-‍2
(12) त्र -ऱेखन (र्ब्द सममा 81-911 र्ब्द) 5
 प्रायं ब‍रय‍अंत‍की‍रऩचारयकता‍-‍1+1=2
 व‍षम‍ततु‍–‍2‍
 बाषा-:ुद्धता‍-‍1‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
(13) विऻातन-ऱेखन (र्ब्द सममा 05-51 र्ब्द)‍‍‍‍‍‍‍ 5
 प्रारूऩ‍–‍2‍
 व‍षम‍ततु‍–‍2
 बाषा-:ुद्धता‍-1‍

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