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भारत का संविधान विश्व के वकसी भी गणतां विक दे श का सबसे लंबा वलखित संविधान है ।[4]

इसमें अब 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूवियां हैं और ये 22 भाग ं में विभावित है । परन्तु
इसके वनमाा ण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, ि 22 भाग ं में विभावित थे इसमें
केिल 8 अनुसूवियां थीं। संविधान में सरकार के संसदीय स्‍िरूप की व्‍यिस्‍था की गई है
विसकी संरिना कुछ अपिाद ं के अवतररक्त संघीय है । केन्‍द्रीय कायापावलका का सां विधावनक
प्रमुि राष्‍ट्र पवत है । भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्‍द्रीय संसद की पररषद् में
राष्‍ट्र पवत तथा द सदन है विन्‍हें राज्‍य ं की पररषद राज्‍यसभा तथा ल ग ं का सदन ल कसभा
के नाम से िाना िाता है । संविधान की धारा 74 (1) में यह व्‍यिस्‍था की गई है वक
राष्‍ट्र पवत की सहायता करने तथा उसे सलाह दे ने के वलए एक मंविपररषद ह गा विसका प्रमुि
प्रधानमंिी ह गा, राष्‍ट्र पवत इस मंविपररषद की सलाह के अनुसार अपने कायों का वनष्‍पादन
करे गा। इस प्रकार िास्‍तविक कायाकारी शखक्त मंविपररषद् में वनवहत है विसका प्रमुि
प्रधानमंिी है ि ितामान में नरे न्द्र म दी हैं ।[5]

मंविपररषद सामूवहक रूप से ल ग ं के सदन (ल क सभा) के प्रवत उत्तरदायी है । प्रत्‍ये क राज्‍य


में एक विधानसभा है । िम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदे श, वबहार, महाराष्ट्र, कनाा ट्क,आं ध्रप्रदे श और
तेलां गना में एक ऊपरी सदन है विसे विधानपररषद कहा िाता है । राज्‍यपाल राज्‍य का प्रमुि
है । प्रत्‍येक राज्‍य का एक राज्‍यपाल ह गा तथा राज्‍य की कायाकारी शखक्त उसमें वनवहत ह गी।
मंविपररषद, विसका प्रमुि मुख्‍यमंिी है , राज्‍यपाल क उसके कायाकारी कायों के वनष्‍पादन में
सलाह दे ती है । राज्‍य की मंविपररषद् सामूवहक रूप से राज्‍य की विधान सभा के प्रवत
उत्तरदायी है ।

संविधान की सातिीं अनुसूिी में संसद तथा राज्‍य विधावयकाओं के बीि विधायी शखक्तय ं का
वितरण वकया गया है । अिवशष्‍ट् शखक्तयााँ संसद में विवहत हैं । केन्‍द्रीय प्रशावसत भू -भाग ं क
संघराज्‍य क्षेि कहा िाता है ।

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