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PCS Mantra ™
........चोर.......
"नम कार सर! मुझे पहचाना?"
"कौन?"
"सर, म आपका टू डट। 40 साल पहले का आपका व ाथ ।"
"ओह! अ छा। आजकल ठ क से दखता नही बेटा और याददा त भी कमज़ोर हो गयी है। इस लए नही पहचान पाया। खैर। आओ, बैठो। या करते
हो आजकल?" उ ह ने उसे यार से बैठाया और पीठ पर हाथ फेरते ए पूछा।
"सर, म भी आपक ही तरह श क बन गया ँ।"
"वाह! यह तो अ छ बात है ले कन श क क पगार तो ब त कम होती है फर तुम कैसे...?"
"सर। जब म क ा सातव म था तब हमारी क ा म एक घटना घट थी। उसम से आपने मुझे बचाया था। मने तभी श क बनने का नणय ले लया
था। वो घटना म आपको याद दलाता ँ। आपको म भी याद आ जाऊँगा।"
"अ छा! या आ था तब?"
"सर, सातव म हमारी क ा म एक ब त अमीर लड़का पढ़ता था। जब क हम बाक सब ब त गरीब थे। एक दन वह ब त महंगी घड़ी पहनकर
आया था और उसक घड़ी चोरी हो गयी थी। कुछ याद आया सर?"
"सातव क ा?"
"हाँ सर। उस दन मेरा मन उस घड़ी पर आ गया था और खेल के परेड म जब उसने वह घड़ी अपने प सल बॉ स म रखी तो मने मौका दे खकर वह
घड़ी चुरा ली थी।
उसके बाद आपका परेड था। उस लड़के ने आपके पास घड़ी चोरी होने क शकायत क । आपने कहा क जसने भी वह घड़ी चुराई है उसे वापस
कर दो। म उसे सजा नही ँ गा। ले कन डर के मारे मेरी ह मत ही न ई घड़ी वापस करने क ।"
" फर आपने कमरे का दरवाजा बंद कया और हम सबको एक लाइन से आँख बंद कर खड़े होने को कहा और यह भी कहा क आप सबक जेब
दे खगे ले कन जब तक घड़ी मल नही जाती तब तक कोई भी अपनी आँख नही खोलेगा वरना उसे कूल से नकाल दया जाएगा।"
"हम सब आँख ब द कर खड़े हो गए। आप एक-एक कर सबक जेब दे ख रहे थे। जब आप मेरे पास आये तो मेरी धड़कन तेज होने लगी। मेरी चोरी
पकड़ी जानी थी। अब जदगी भर के लए मेरे ऊपर चोर का ठ पा लगने वाला था। म ला न से भर उठा था। उसी समय जान दे ने का न य कर
लया था ले कन....ले कन मेरे जेब म घड़ी मलने के बाद भी आप लाइन के अंत तक सबक जेब दे खते रहे। और घड़ी उस लड़के को वापस दे ते ए
कहा, "अब ऐसी घड़ी पहनकर कूल नही आना और जसने भी यह चोरी क थी वह दोबारा ऐसा काम न करे। इतना कहकर आप फर हमेशा क
तरह पढाने लगे थे।"कहते कहते उसक आँख भर आई।
वह ं धे गले से बोला, "आपने मुझे सबके सामने श मदा होने से बचा लया। आगे भी कभी कसी पर भी आपने मेरा चोर होना जा हर न होने दया।
आपने कभी मेरे साथ भेदभाव नही कया। उसी दन मने तय कर लया था क म आपके जैसा श क ही बनूँगा।"
"हाँ हाँ...मुझे याद आया।" उनक आँख मे चमक आ गयी। फर च कत हो बोले, "ले कन बेटा... म आजतक नही जानता था क वह चोरी कसने
क थी य क...जब म तुम सबक जेब दे ख कर रहा था तब मने भी अपनी आँख बंद कर ली थ ।"
लेखक-अनजान
श क सं कार नमाता होता है।
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Yogesh Pandey
वाह...बचपन म सं कारो क जो छाप पड़ती है, वह जीवनभर रहता है । कभी अनजाने म भी ब च को जलील न करे, यो क
ये बात उनके दमाग मे घर कर जाती ह, जससे उनका आ म व ास कमजोर होता है। 3
Amit Mishra
#HEART_TOUCHING 1
Pradeep Kumar
Vinay Agrahari
ब त ही शानदार व खूबसूरत कहानी।।। सभी श क को मेरा णाम 2
Ashish Thakur
Inder Jeet Singh Tomar 1
Raydhan Dupk
Great 1
Anand Santosh
अनुकरणीय 1
Deepika Gupta
Very nice 1
Shailesh Kharwar
Very nice 1
संतोष क यप
बेहतरीन ,,,,, 1
Vishnu Kumar
Great work and better thought 2