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Jinavani
Folder No. 002748
Granth Name Jinavani
Editor Dr. Dharmchand Jain
Publisher Samyag Gyan Pracharak Mandal
Jaipur
Edition 1
Year 2006
Pages 394

जिनवाणी
फफफफफफ फफ. फ०२७४८
फफफफफफ जिनवाणी
संपादक डॉ. धर्म चन्द िैन
फफफफफफफ सम्यग्ज्ञान प्रचारक र्ं डल ियपुर
फफफफफफफ १
फफफफफफफ फफफफ २००६
फफफफफ ३९४

फफफफफ फफफफफ
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फफफफफफफफफफ फफफफफफफ फफ फफफफफफफ
प्रजिक्रर्ण आत्मजवशु द्धि का अर्ोघ उपाय – आचायमप्रवर श्री हीराचन्द्र िी. र्. सा. ----- १५
प्रजिक्रर्ण िीवन शुद्धि का उपाय – आचायम श्री हस्तीर्ल िी. र्. सा. ------------- २४
प्रजिक्रर्ण अपनाएँ – र्धुरव्याख्यानी श्री गौिर्र्ु जन िी. र्. सा. ------------------ २८
आवश्यकों की र्जहर्ा – ित्त्वजचन्तक श्री प्रर्ोदर्ु जन िी. र्. सा. ------------------ २९
प्रजिक्रर्ण आवश्यक स्वरुप और जचन्तन – उपाध्याय श्री रर्े शर्ु जन िी शास्त्री ---------- ३४
प्रजिक्रर्ण का पहला चरण आत्मजनरीक्षण – आचायम श्री र्हाप्रञ िी ----------------- ४७
प्रजिक्रर्ण सूत्र एक जववेचन – श्री सौभाग्यर्ल िै न ---------------------------- ५१
प्रजिक्रर्ण का र्र्म – श्री िसराि चौपडा ---------------------------------- ६४
श्रर्ण प्रजिक्रर्ण एक जववेचन – शासनप्रभाजवका श्री र्ैनासुन्दरीिी र्. सा. ----------- ६९
आवश्यकसूत्र जवभाव से स्वभाव की यात्रा – साध्वी श्री नगीनाश्री िी ----------------- ७८
अनु योगद्वार सूत्र र्ें षडावश्यक के गुणजनष्पन्न नार् – साध्वी श्री हे र्प्रभा िी जहर्ां शु ------ ८२
दोषर्ु द्धि की साधना प्रजिक्रर्ण – श्री रिन चोरजडया -------------------------- ८६
प्रजिक्रर्ण की उपादे यिा – श्री अरुण र्े हिा -------------------------------- ९०
िै न साधना का प्राण प्रजिक्रर्ण – श्रीर्िी शान्ता र्ोदी ------------------------- ९३
प्रजिक्रर्ण एक जवहं गर् दृजि – डॉ. जिर्ला भण्डारी --------------------------- ९७
प्रजिक्रर्ण की सार्म किा – डॉ. सुषर्ा जसंघवी -------------------------------१००
Pratikramana An austerity for self purification – Dr. Ashok Kava ----------------------------105
प्रजिक्रर्ण एक आध्याद्धत्मक दृजि – श्री फुलचन्द र्े हिा -------------------------- ११०
द्रव्य प्रजिक्रर्ण से िायें भाव प्रजिक्रर्ण र्ें – श्री उदयर्ु जन िी र्. सा. ------------- ११२
खरिरगच्छ और िपागच्छ र्ें प्रजिक्रर्ण सूत्र की परम्परा – श्री र्ानर्ल कुदाल ---------११८
िपागच्छीय प्रजिक्रर्ण र्ें प्रर्ु ख िीन सूत्र स्तवन – श्री छगनलाल िैन ---------------१३०
जदगम्बर परम्परा के ग्रन्ों र्ें प्रजिक्रर्ण जववेचन – डॉ. अशोक कुर्ार िै न -----------१३३
श्रावक प्रजिक्रर्ण र्ें श्रर्णसूत्रों के पाँ च पाठों की प्रासंजगकिा नहीं – श्री धर्म चन्द िै न --- १३८
आवश्यक सूत्र के पाठों के क्रर् का औजचत्य – श्री पारसर्ल चण्डाजलया -------------१४१
फफफफफफफफफफ फफ फफफफफफफफफफ
पाँ च अणुव्रिों के अजिचारों की प्रासंजगकिा – श्री प्रकाशचन्द िै न ----------------- १४८
िीन गुणव्रिों एवं चार जशक्षाव्रिों का र्हत्त्व – डॉ, र्ंिुला िम्ब ------------------ १५२
कृि काररि और अनु र्ोदन र्ें से अजधक पाप जकसर्ें – आचायम श्री नाने श ---------- १६७
आचायम हे र्चन्द्रकृि योगशास्त्र र्ें व्रि जनरुपण – श्रीर्िी हे र्लिा िै न --------------- १७४
श्रावक और कर्ाम दान – डॉ. िीवराि िै न -------------------------------- १७८
प्रजिक्रर्ण की उत्कृि उपलद्धि संलेखना – श्रीर्िी सुशीला िोहरा ----------------- १८९
फफफफफ फफफफफफ
उत्कीिमन सूत्र एक जववेचन – श्री प्रेर्चन्द िै न ------------------------------ १९३
वन्दना आवश्यक – उपाध्याय श्री अर्रर्ुजन िी र्. सा. ----------------------- १९८
पंच परर्े ष्ठी के प्रजि भाव वन्दना का र्हत्त्व – श्री िशकरण डागा ---------------- २०६
कायोत्सगम काया से असंगिा – श्री कन्है यालाल लोढा -------------------------- २१५
कायोत्सगम प्रजिक्रर्ण का र्ूल प्राण – श्री रणिीिजसंह कूर्ट --------------------- २१९
र्ू लाचार र्ें प्रजिक्रर्ण एवं कायोत्सगम – डॉ. श्वे िा िैन------------------------- २२३
प्रजिक्रर्ण और प्रत्याख्यान पारस्पररक संिंध – श्री चाँ दर्ल कर्ाम वट ---------------- २२७
फफफफफफफफफफ फफफफफफ फफफफफफफफफ
कषाय प्रजिक्रर्ण भावशुद्धि का सूचक – र्धुरव्याख्यानी श्री गौिर्र्ु जन िी र्. सा ------ २३२
कषाय और प्रजिक्रर्ण – साध्वी डॉ. अजर्िप्रभा िी -------------------------- २३९
जर्थ्यात्वाजद का प्रजिक्रर्ण कजिपय प्रेरक प्रसंग – श्रीर्िी हुकर्कुँवरी कणाम वट -------- २४५
प्रजिक्रर्ण प्रायजिि का र्नावैञाजनक पक्ष – आचायम श्री कनकनं दी िी -------------- २४९
प्रजिक्रर्ण और स्वास्थ्य – श्री चंचलर्ल चोरजडया ---------------------------- २५८
आत्मसुधार का सर्ाधान प्रजिक्रर्ण – श्री र्ोफिराि र्ु णोि --------------------- २६३
कषाय का प्रजिक्रर्ण – श्री सम्पिराय डोसी ------------------------------- २६५
क्षर्ा – डॉ. धर्म चन्द िै न -------------------------------------------- २६९
प्रजिक्रर्ण कजिपय प्रर्ु ख जिन्दु – श्री राणीदान भं साली ------------------------ २७२
आवश्यक सूत्र पर व्याख्यासाजहत्य – आचयम श्री दे वेन्द्रर्ु जन िी र्. सा. ------------- २७७
प्रजिक्रर्ण सूत्र पर एक प्राचीन पुस्तक संजक्षप्त पररचय – संकजलि----------------- २८३
प्रजिक्रर्ण याद करने के कुछ लाभ – डॉ. जदलीप धींग ----------------------- २८८
फफफफफफफफफफ फफफफफफफफफफफ फफफफ
प्रजिक्रर्ण सार्ान्य प्रश्नोत्तर – श्री पी. एर्. चोरजडया ------------------------ २९१
श्रावक प्रजिक्रर्ण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर – प्रो. चाँ दर्ल कणाम वट ---------------------- २९५
प्रजिक्रर्ण के गूढ प्रश्नोत्तर – श्री गौिर्चन्द िैन ------------------------------३०१
प्रजिक्रर्ण जवषयक िाद्धत्त्वक प्रश्नोत्तर – श्री धर्म चन्द िैन -------------------------३१०
प्रजिक्रर्ण जनि स्वरुप र्ें आना – संकजलि -------------------------------- ३२०
श्रावक प्रजिक्रर्ण र्ें श्रर्ण सूत्र का सजन्नवेश – श्री र्दनलाल कटाररया -------------- ३२२
प्रजिक्रर्ण सम्बन्धी जवजशि र्र्म स्पशी प्रश्नोत्तर – संकजलि ------------------------ ३३३
जिञासाएँ और सर्ाधान – संकजलि ------------------------------------- ३६४
पररजशि – संकजलि ------------------------------------------------ ३७९

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